Adultery कभी गुस्सा तो कभी प्यार

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अपने जिस्म से सटे हुए अमित को नंगा पाकर पूनम फिर से गरमा गयी और अमित का साथ देने लगी. अमित उसे अपने बदन मे चिपकाए
उसके होठों को चूस रहा था और उसकी कमर गान्ड को सहला रहा था.

अमित उसके टॉप को उतारने लगा लेकिन वो ऐसा कर नही पा रहा था तो पूनम उठ कर बैठ गयी और अपनी टॉप को उतार दी. अमित तुरंत उसके पिछे आया और ब्रा का हुक खोल दिया. और ब्रा उतारने मे पूनम की मदद करने लगा. अगले ही पल दो जवान जिस्म एक साथ
एक कमरे मे नंगे थे. अमित पूनम के जिस्म से लिपट कर उसके बदन की नर्मी का मज़ा ले रहा था.

पूनम अभी तक ठीक से लंड को देख नही पाई थी. वो अमित का लंड हाथ मे पकड़ कर सहलाने लगी. अब वो उठ कर अमित के दोनो पैरों
के बीच मे आकर बैठ गयी. अमित का लंड चारो तरफ बालों से घिरा हुआ था. पूनम को हँसी आ गयी. कल उसकी भी चूत ऐसी ही थी.

पूनम लंड को हाथ मे लेकर चारो तरफ से अच्छे से देखने लगी. वो बॉल्स को भी देख रही थी और उसे भी सहलाने लगी. अमित तो जैसे
पागल हो गया. पूनम ज़ोर से बॉल को दबाई और पूछी ये क्या है? अमित दर्द से चिल्ला उठा. तुम पागल हो क्या. उसे ऐसे दबाते हैं क्या?

पूनम हंस दी. मुझे क्या पता.और वो बॉल्स को सहलाते हुए लंड को मुँह मे लेकर चूसने लगी. अभी उसे बिल्कुल भी कुच्छ गंदा नही लग रहा
था. लंड पूरा टाइट हो गया और उसके मुँह मे भर गया. पूनम को बहुत आश्चर्य हुआ कि लंड अपना साइज़ कैसे बदलता रहता है.

अमित आह ह डार्लिंग आहह म्‍म्म्म मज़ा आ गया म्‍म्म्म और ज़ोर से चूसो आहह और अंदर आहह करता जा रहा था और पूनम भी पूरे लंड को मुँह मे भर कर लॉलिपोप की तरह चूसे जा रही थी. वो बीच मे लंड को मुँह से बाहर निकालती थी और उसे देखती भी थी. उसे मज़ा आ रहा था. उसे गर्व हो रहा था कि वो भी अब लंड चूस सकती है. अमित को भी बहुत मज़ा आ रहा था. वो उस पल को थॅंक्स कह रहा था जब
उसने पूनम को प्रपोज किया था. उसे लगा कि अब अगर पूनम उसका लंड इसी तरह चुस्ती रही तो वो वीर्य गिरा देगा तो उसने पूनम को रोक दिया और उठ कर बैठ गया.

अब अमित ने पूनम को सीधा लिटा दिया और उसके दोनो पैरों के बीच मे आकर उसके बदन पे लेट गया. पूनम का मान कांप गया. वो समझ गयी कि अमित अब उसे चोदने की तैयारी कर रहा है. उसका मन हुआ कि अमित को रोक दे. लेकिन ना तो उसका मन पूरा था और
ना ही उसका जिस्म उसके आधे मन का साथ देने को तैयार था.

पूनम की चूत पूरी गीली थी और अमित का लंड भी. अमित ने लंड को चूत के छेद पे अच्छे से सटाया और लंड के अंदर जाने के लिए रास्ता बनाने लगा. पहली बार पूनम की चूत के साथ लंड का मिलन हो रहा था. टाइट लंड के साथ घर्षण होते ही पूनम का बदन ऐंठने लगा. पूनम
इस मिलन को सम्हाल नही पाई. वो अपना हाथ अमित क़ी पीठ पे लगा कर उसे अपनी तरफ खींच ली. वो तेज साँसे ले रही थी. उसकी चूत
ने फिर से पानी छोड़ दिया था.

पहले तो अमित को समझ नही आया कि अचानक पूनम को हुआ क्या. उसने पुछा "क्या हुआ जानू?"

पूनम लंबी साँसे लेते हुए शरमाती हुई आँखें बंद किए लेटी रही.

अमित ने फिर अंदाज़ा लगाते हुए पुछा "क्या हुआ. पानी छोड़ दी क्या?"
 
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पूनम अपनी दोनो कलाई से अपनी आँखों को ढक ली और शरमाते मुस्कुराते हुए हां मे सिर हिलाई. अमित मुस्कुरा उठा. उसकी गर्लफ्रेंड
बिना लंड अंदर डाले ही पानी छोड़ दी थी. पूनम अमित की मुस्कुराहट देख कर झेंप गयी.पूनम शरमा गयी थी अपनी चूत की इस हरकत पे.

अमित पूनम के बदन पे लेट गया और उसके होठ चूस्ते हुए उसकी चुचि मसल्ने लगा और फिर निपल चूसने लगा. उसने फिर से पूनम के पैरों को फैलाया और अपने लंड को चूत के छेद पे सटा दिया और अच्छे से लेट गया. फिर से लंड चूत से रगड़ खा रहा था. उसने एक ज़ोर
का धक्का मारा और लंड चुत के अंदर जाने के लिए पूनम के जिस्म को चीरता हुआ रास्ता बनाने लगा. पूनम को तेज दर्द हुआ. वो दर्द सह
नही पाई और चीखती हुई अमित की पकड़ से छिटक गयी. चूत लंड का शिकार बनते बनते रह गयी.

"अरे बाप रे बाप.... तुम पागल हो क्या...कैसे अचानक से धक्का लगाए. जान लोगे क्या." पूनम अमित को डाँट ती हुई बोली. उसे चूत मे तेज़ दर्द हुआ था. अमित हडबडी मे था. उसे यकीन नही था कि उसकी किस्मत मे इतना अच्छा मौका कैसे आ मिला था और हर पल यही डर लग रहा था कि पता नही पूनम कब उसे मना कर दे. वो बोला "मुझे क्या पता, मैं भी पहली बार कर रहा हूँ. कोई एक्सपर्ट नही हूँ. इसबार ठीक से करूँगा."

पूनम आज पूरी तरह तैयार थी. उन लड़कों के लेटर और पिक्स का पूरा असर था पूनम पे. वो भी सोच रही थी कि बहुत अच्छा मौका मिला है आज. उसे आज चुदवाना ही था.

अमित ने फिर से लंड को निशाने पे लगाया और इस बार उसने पूनम को कंधे से पकड़ लिया. उसने पूनम के पैरों को अच्छे से फैला दिया
और इस बार फिर से ज़ोर का धक्का मारा. फिर से दर्द की तेज़ लहर पूनम के बदन मे दौड़ गयी और "आहह मम्मीयायीयी" चीखती हुई पूनम अमित की पकड़ से छिटक गयी. "तुम पागल हो सच मे. तुम्हे आता भी है कुच्छ. छोड़ो मुझे नही करवाना. पागल लड़का जान से मार
देगा मुझे."

अमित झेंप गया. बोला "तो मैं क्या करूँ. तुम अच्छे से पैर फैलाती ही नही हो. रास्ता बनाओगी तब तो अंदर जाएगा."

पूनम उठ कर बैठ गयी. " मुझे नही बनाना रास्ता और मुझे कुच्छ नही करवाना अब." वो बोल तो रही थी लेकिन वो लंड को अंदर लेना चाहती थी.

अमित को भी लगा की हाथ आया मौका चला गया. वो पूनम से रिक्वेस्ट करने लगा "आओ, इस बार अच्छे से करूँगा. पहली बार मे दर्द
करता ही है. तुम अच्छे से पैर फैलाओ और भागना नही, थोड़ा दर्द सहना."

पूनम सीधी लेट गयी. "ऐसे बोल रहे हो जैसे ना जाने कितनो को किए हो. किए ही होगे. तुम लड़कों का क्या भरोसा."

अमित ने कोई रिप्लाइ नही दिया. अभी उसे बहस नही करना था. अभी उसका पूरा फोकस अपने लंड को पूनम की चूत मे भेजने मे था. उसने पूनम के दोनो पैरों को अच्छे से फैला दिया और उंगली से छुकर अच्छे से रास्ता चेक करके लंड को चूत के छेद पे सटा दिया. वो पूनम के उपर लेट गया और हल्के से दबाब बनाने लगा.

पूनम को हँसी आ गयी. लेटने के बाद अमित का लंड अपने निशाने से भटक गया था. पूनम अमित को उपर उठने का इशारा दी और अपने हाथ से लंड पकड़ कर अपनी चूत पे सही जगह पे लगा दी. छेद पे लंड के सॅट ते ही पूनम के चेहरे का रंग बदलने लगा. चूत के अंदर आग
जलने लगी. वो पैरो को अच्छे से फैला ली और दर्द सहने के लिए मेंटली प्रिपेर हो गयी. वो दोनो हाथ तकिये पे रख कर हमला झेलने के लिए रेडी हो गयी.

अमित अच्छे से उसके बदन पे लेटा हुआ था और उसने पूनम को कंधे के पास से पकड़ा हुआ था. उसने लंड पे ताक़त लगाना स्टार्ट किया और पूनम दर्द बर्दाश्त करती हुई "आहह म्‍म्म्मम" करने लगी. चूत के पहरेदार अपनी रानी की रक्षा मे लगे थे. लंड को अंदर ना जाता देख अमित ने एक धक्का मारा. लंड का धक्का चूत पे पड़ते ही पूनम का जिस्म दर्द से सिहर उठा. ना चाहते हुए भी वो पिछे छिट्की, लेकिन
अमित ने इस बार उसे पकड़ रखा था. चूत और लंड दोनो ही पूरी तरह से गीले थे, तो लंड सर्सरा कर रास्ता बनाता हुआ चूत की गहराई मे
अंदर गुफा मे उतर गया.
 
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पूनम दर्द से छटपटा रही थी. "आहह उउई माआà आहह मर गयी रे आहह निकालूऊओ आहह अमित प्लज़्ज़्ज़ म्‍म्म्मम अरे बाप रे आहह"

अमित एक बार तो डर गया लेकिन इतनी मेहनत से लंड अंदर गया था तो वो उसे निकालना नही चाहता था. अमित पूनम की गर्दन को पकड़ते हुए होठों पे किस किया और चुचि सहलाते हुए फिर से लंड को अंदर दबाने लगा. अब रास्ता बन चुका था और लंड अपने लिए जगह
बनाता हुआ अंदर गहराई मे सरकने लगा.

दर्द कम करने के लिए पूनम अपने पैर को अच्छे से फैला कर अड्जस्ट कर ली. अब अमित सही पोज़िशन मे आया और धक्के लगाने लगा. लंड पूनम की चूत मे अंदर बाहर हो रहा था. पूनम का दर्द कम हो गया था और उसे अब मज़ा आ रहा था. फाइनली वो चुद गयी थी. उसकी
जवान चूत ने लंड का मज़ा चख लिया था.

"आहह अमित...म्‍म्म्मम आहह क्या किए रे... मारो अब्ब्ब आहह ज़ोर से....अरे बाप रे बाप आहह माआअ आहह म्‍म्म्मम उउउइईईईईईई ओह" पूनम के मुँह से दर्द और आनंद मिक्स होकर बाहर आ रहा था. उसे खुशी थी कि वो चुद गयी थी और जवानी के मज़े ले रही थी. अमित पूरी
स्पीड मे धक्के लगा रहा था और लंड का धक्का चूत पे लगने पे फॅक फॅक की आवाज़ आ रही थी और चूत का रस बाहर बहता आ रहा था.

अमित पूनम के जिस्म पे पूरी तरह से लेट गया. लंड चूत मे पूरा अंदर था. अमित का जिस्म झटके मारने लगा और पूनम को अपने जिस्म के अंदर गर्म लावा गिरता हुआ महसूस हुआ. पता नही क्या हुआ, उसे बहुत अजीब सा फील हुआ और इस गर्मी मे उसकी चूत ने भी फिर से
कम रस उडेल दिया.

जब अमित के लंड ने पूरा वीर्य पूनम की चूत मे भर दिया और अब वो साइज़ मे सिकुडने लगा तो अमित पूनम के बदन से उतर कर बगल मे गिर गया. वो हाँफ रहा था और यही हाल पूनम का भी था. चूत से लिक्विड बह कर बाहर आ रहा था. पूनम का हाथ अपनी चूत पे चला
गया और जब वो अपने हाथ को देखी तो उसके चेहरे का रंग उतर गया.

"ये क्या है, ये क्या किया तुमने? आहह माआआ" वो हडबडा कर उठ बैठी और अपना हाथ अमित को दिखाती हुई बोली. वो अच्छे से बैठ गयी ताकि अपनी चूत को अच्छे से देख सके. उसका चूत खून से लाल थी. वो फिर से हाथ लगाकर देखी. इस बार उसका हाथ उसकी चुदि
हुई चूत के छेद पे था. वहाँ भी खून लगा हुआ था.

पूनम रोने लगी. उसकी नज़र अमित के लंड पे गयी. उसपे भी खून के दाग थे. "ये क्या हो गया! आहह..... अब क्या होगा. ये तुम क्या कर दिए अमित. ये कैसे ठीक होगा. कैसे डॉक्टर को बताउन्गी. आअन्न्न्न्न मम्मी पापा को पता चल जाएगा कि मैं क्या कर दी. तुमने कैसे कर दिया
अमित आहह म्‍म्म्ममम" पूनम ज़ोर ज़ोर से रोती हुई बोल रही थी. अमित अभी तक उठ कर बैठ गया था.

"अरे... कुच्छ नही हुआ. तुम... तुम रो क़्न रही हो. जब लड़की पहली बार करवाती है तो खून निकलता ही है. सबके साथ ऐसा होता है. इसमे
घबराने वाली कोई बात नही है." अमित पूनम के कंधे पे हाथ रख कर समझाता हुआ चुप करने की कोशिश करता हुआ बोला.

"चुप रहो तुम. तुम्हे क्या है, दर्द तो मुझे हुआ ना. खून तो मेरा निकल रहा है ना. तुम्हे क्या, तुम्हे तो बस मज़ा लेना था, तुमने ले लिया." पूनम
रोती हुई गुस्से से अमित का हाथ अपने कंधे से झटक दी और परेशानी मे बोली.

अमित थोरी देर चुप रहा. पूनम को रोता देख वो फिर बोला "तुम घबराओ मत प्लज़्ज़्ज़, कुच्छ नही हुआ है. सब के साथ पहली बार होता है. इसे ही सील टूटना कहते हैं." पूनम अपनी चूत के छेद को फैला कर देख रही थी कि खून अभी भी आ रहा है क्या. अमित भी झुक कर चूत देखता हुआ बोला.

पूनम अपने जांघों को सटा ली जिससे चूत अमित को नही दिखे. "बोल तो ऐसे रहे हो जैसे ना जाने कितनो का सील तोड़े हो और कितनो के साथ ये सब किए हो. किए ही होगे. मैं ही पागल थी जो तुम्हारी बातों मे आ गयी. मुझे यहाँ आना ही नही चाहिए था. पता नही ये कैसे ठीक
होगा. मम्मी को पता चल गया तो क्या होगा. हे भगवान. उफ़फ्फ़.... मुझे यहाँ आना ही नही चाहिए था. पता नही मैं क़्न आ गयी यहाँ. अब क्या होगा. उफ़फ्फ़...."

अमित कुच्छ नही बोला. कुच्छ बोल कर वो पूनम से झगड़ा नही करना चाहता था. आज तो नही. और इस टॉपिक पे तो बिल्कुल नही.

पूनम इधर उधर देखी, जो वो ढूँढ रही थी, वैसा कुच्छ उसे मिला नही. वो गुस्से मे ही अमित को बोली "मेरी पैंटी लाओ. पोंच्छूँगी. पैंटी को पॉकेट मे रख लिया और मैं बिना पैंटी पहने इसके पिछे पिछे घूम रही हूँ. और साहब इतने उतावले हो गये कि पता नही कैसे क्या किए कि
खून निकाल दिए."

अमित बेड से उतरा और अपने पॉकेट से पैंटी निकाल कर पूनम को देने लगा. लेकिन फिर उसने अपना रूमाल निकाल कर पूनम को दिया.
पूनम अमित को गुस्से से देखी और गुस्से से ही रूमाल लेकर अपनी चूत पोछ्ने लगी. रूमाल लाल और सफेद लिक्विड से भीग गया.

"बाथरूम किधर है?" पूनम गुस्से से ही अमित से पुछि और बेड से नीचे उतर गयी. अमित ने तुरंत उसे बाथरूम का रास्ता बताया. पूनम रूमाल से अपनी चूत पोछ्ते हुए बाथरूम के अंदर चली गयी. अमित उसके पिछे आ रहा था कि कहीं सच मे कोई प्राब्लम ना हुई हो, क्यूँ कि डर तो उसे भी लग रहा था. पहली बार उसने चुदाई की थी और पहली बार ही उसने चूत से खून देखा था.

पूनम गुस्से से गेट बंद कर ली और अंदर टाय्लेट करके चूत को अच्छे से धो ली. चूत से अभी खून तो नही बह रहा था, लेकिन उसे दर्द बहुत हो रहा था. वो अपनी चूत को सहलाई. अब उसका डर कम हो गया था और वो समझ गयी कि उसकी सील टूट गयी है. अब वो कुँवारी कली नही रही, औरत बन गयी है. उसकी चूत ने लंड का पानी पी लिया है
 
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अमित वापस रूम मे आ गया था. उसकी नज़र बेड पे गयी जहाँ खून का दाग लगा हुआ था. वो बॉटल से पानी निकाल कर उसे साफ करने लगा.

पूनम बाथरूम से नंगी ही बाहर आई। अभी उसे नंगी चलने में शर्म आ रही थी, लेकिन उसके पास कोई कपड़ा था ही नहीं। अमित नंगे ही चादर पे लगे खून के दाग को साफ करने की कोशिश कर रहा था। पूनम सबसे पहले अपनी पैंटी पहन ली और फिर स्कर्ट पहनते हुए अमित से पूछी "ये क्या कर रहे हो?" अमित बिना कुछ बोले बाथरूम चला गया।

पूनम ब्रा पहन ली और फिर टॉप पहनने के बाद वो बाथरूम में जाकर देखि तो अमित चादर का वो हिस्सा साफ करके बाहर आ रहा था। वो अभी भी पूरा नंगा ही था और उसका लण्ड बिल्कुल सिकुड़ा हुआ था। पूनम को हंसी आ गयी लेकिन वो चादर बिछाने में अमित की मदद करने लगी। पूनम को हँसता देख अमित भी थोड़ा रिलैक्स हो गया। पूनम को अपने लण्ड की तरफ देखते देख कर वो शर्मा गया और वो भी अपने कपड़े पहन लिया।

उसने अपने दोस्त को फ़ोन करके बुला लिया। पूनम को फिर शर्म आने लगी की 'वो लड़का क्या सोचेगा गीली चादर देखकर मेरे बारे में। जो सोचेगा सोचने दो। मुझे आज चुदवाना था, तो मेरी चुदाई हो गयी। वैसे भी जब इतनी देर हमलोग अकेले यहाँ थे तो आरती तो नहीं ही कर रहे होंगे।'

पूनम अमित को बोल दी की उसका दोस्त आएगा और हमलोग तुरंत यहाँ से निकल जाएंगे और अमित ने किया भी ऐसा ही। यहाँ का जो काम था, वो हो गया है। दोस्त से तो वो बाद में मिल ही लेगा। उसके आते ही दोनों वहां से निकल गए। पूनम बिना पैंटी पहने यहाँ आयी थी और अब चुद कर यहाँ से जा रही थी।

रास्ते में एक जगह वो लोग समोसा खाने रुके। अमित पूनम को दुकान में बिठा कर 5 मिनट के लिए बोल कर बाहर गया और जब आया तो उसने पूनम के हाथ में एक छोटा सा पैकेट दिया। पूनम उससे इशारे में पूछी की "ये क्या है?" अमित अपना मुँह पूनम के नज़दीक लाकर धीरे से बोला "घर पहुँच कर इसे खा लेना। टेबलेट है I-Pill। इससे कुछ होगा नहीं। प्रेग्नेंट नहीं होओगी।"

पूनम की जान सुख गयी। 'हे भगवान ..... ये चीज़ तो वो सोची ही नहीं थी। अगर कुछ हो जाता तो। मस्ती के चक्कर में कहीं मुँह दिखाने के लायक नहीं रहती।' वो टेबलेट को पर्स में रख ली और समोसा खाने लगी। वो धीरे से अमित को बोली "थैंक्स अमित।"

अमित अब रिलैक्स्ड हो चूका था। बोला "किसलिए, सील तोड़ने के लिए!" अचानक से पूनम शर्मा गयी और मुस्कुराते हुए नीचे देखने लगी।

शाम हो गया था। पूनम अपने घर आ गयी। सुबह की कुँवारी लड़की अभी चुदी चुदाई औरत बनकर घर लौटी थी। पूनम घर में ऐसे रियेक्ट की जैसे वो ऑफिस से ही सीधे घर आई हो। वो अपने कपड़े चेंज की और बांकी दिनों की ही तरह मम्मी पापा से बातें करने लगी और टीवी देख रही थी। खाना खाने के बाद जब पूनम अपने रूम में आयी तो वो फिर से आज गेट बंद कर ली और सबसे पहले तो पर्स से टेबलेट निकल कर खा ली।

अब वो रिलैक्स्ड थी। वो अपने ट्रोउजर और पैंटी को उतार दी और आलमीरा से फोटो और लेटर निकाल कर बेड पे रख ली। इसी फोटो और लेटर की वजह से तो वो आज चुद कर आई थी। अब पूनम एक छोटा आइना बेड पे ले आयी और उसमें अपनी ताज़ा चुदी हुई चुत देखने लगी की अब उसकी रानी की क्या हालत है। उसकी चुत के अंदर अभी भी कुछ जलन जैसा हो रहा था।

ऊपर से तो चुत नार्मल ही दिख रहा था। वो बेड पे लेट गयी और पिक्स देखते हुए सोचने लगी की इन पिक्स जैसा वो क्या क्या की। उसे अफ़सोस होने लगा की वो ज्यादा कुछ कर नहीं पाई। अमित बस उसे सीधा सीधी लिटा कर चोदा था। ना तो वो लण्ड के ऊपर बैठ पायी थी और ना ही अमित ने पीछे से उसके चुत में लण्ड डाला था। और तो और, बेचारी वीर्य भी टेस्ट नहीं कर पाई। अमित ने तो वीर्य को उसके चुत में ही भर दिया था।

पूनम को लगने लगा की उसकी आज की चुदाई बेकार गयी और उसे और भी चुदवाना होगा। वो अपने पैरों को पूरा फैलाये हुए चुत सहला रही थी। लेकिन उसे मज़ा नहीं आ रहा था। आज दिन में उसकी चुत से 4 बार रस छूटा था। वो अपने कपड़े पहन ली और पिक्स को वापस आलमीरा में रख दी।
 
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पूनम सुबह जागी तो उसके चुत का दर्द बढ़ गया था और उसका मेन्सट्रूअल पीरियड स्टार्ट हो गया था। अभी उसके पीरियड में 7-8 दिन बांकी था। वो डर गई, पर अब क्या हो सकता था। वो आज ऑफिस से छुट्टी ले ली। वैसे भी आज फ्राइडे था तो आज छुट्टी लेने का मतलब था 3 दिनों की छुट्टी, क्यू की सैटरडे और संडे को तो उसका ऑफिस बंद ही रहता है।

पूनम की मम्मी उससे पीरियड के बारे में पूछी की ये इतना पहले कैसे हो गया, लेकिन पूनम सीधा सीधी बोल दी की "मुझे क्या पता। मैं तो खुद हैरान हूँ।" उसकी माँ उसे प्यार से समझायी की "पीरियड का डेट आगे पीछे होने का मतलब है कि शरीर में किसी किस्म की खराबी होना। तो अगर अगले महीने भी ऐसा हुआ तो फिर डॉक्टर से चेक करवाएंगे।" पूनम कुछ नहीं बोली।

पूनम सारा दिन घर पर ही रही। वो अपने घर में लगे फ़ोन से अमित को कॉल करके बात की और उसे बतायी की वो आज ऑफिस नहीं गयी है। अमित शरारत भरे अंदाज़ में बोला की "कल ज्यादा थक गयी क्या!" पूनम बोली की "कल ऐसे किये हो की कल जो खून निकल सो अभी तक निकल ही रहा है।"

पहले तो अमित को समझ नहीं आया और वो परेशान हो गया कि पूनम की तबियत खराब हो गयी है। उसे डर भी लगने लगा की कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं हो गयी है। जब पूनम आगे बोली की "और अभी 4-5 दिन और निकलता रहेगा।" तब अमित को समझ आया और वो रिलैक्स होकर मुस्कुरा दिया। इसका मतलब सब चीज़ ठीक है और वो पूनम जैसी गर्म माल का सील तोड़ चूका है।

रात में पूनम का मन हुआ की पिक्स देख ले, लेकिन वो सो गयी। सैटरडे और संडे का दिन भी इसी तरह बीत गया। आज तो वो अमित से बात भी नहीं की थी। वो घर से बाहर नहीं निकली थी, इसलिए उसे वो दोनों गुंडे भी नहीं दिखे थे।

आज मंडे को पूनम ऑफिस चल दी। वो अभी रोड पे आयी ही थी की उसे वो दोनों लड़के दिख गए। वो दोनों पूनम को देख रहे थे और अपनी आँखों से उसके बदन को सहला रहे थे। पूनम उन दोनों को इग्नोर करते हुए अपनी नज़रें नीची करके चली जा रही थी। उसने अपनी नज़र ऊपर की तो उसकी नज़र उस लड़के से मिली जो उस दिन गली के कार्नर पे खड़ा था। वो मुस्कुरा रहा था। पूनम बुरा सा मुँह बनाकर चलती रही और वो लड़के टाइट लेग्गिंग्स और कुर्ती में पूनम की गुदाज पीठ और मटकती गांड देखते रहे।

दोपहर का लंच वो अमित के साथ ही की और शाम में जब वो घर वापस आ रही थी तो देखी की वही लड़का आज फिर से गली के कॉर्नर पे खड़ा था। पूनम की धड़कन तेज़ हो गयी। रोड पे आसपास में कोई नहीं था। वो सोचने लगी की कैसा रिएक्शन देना है।

पूनम अपनी चाल तेज़ कर दी थी ताकि उस लड़के के कुछ करने से पहले वो घर पहुँच जाये। लेकिन पूनम जैसे ही गली के लिए मुड़ी, वो लड़का पास आ गया और बोला "तुमने कोई जवाब नहीं दिया पूनम?"

पूनम कोई जवाब नहीं दी और चलती रही। उसने फिर से अपने बात को दोहराया तो पूनम बोली "कैसा जवाब?"

"मेरे लेटर का। मेरे प्रपोजल का?"

"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे वैसे लेटर देने की। मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूँ। तुम अपनी हदों में रहो।" पूनम गुस्से में बोली। वो सोच चुकी थी की साफ साफ मना कर देने से और गुसा जाने से वो लोग फिर उसे परेशान नहीं करेंगे।

"मुझे पता है तुम किस टाइप की हो!" उस लड़के के हाथ में फिर से वैसा ही एन्वेलोप था जो वो पूनम की तरफ बढ़ा रहा था। पूनम का हाथ आगे बढ़ने के लिए तैयार था लेकिन पूनम उसे आगे बढ़ने से रोकी और फिर से गुस्से में बोली "तुम्हे प्यार से समझायी तो समझ में नहीं आया?"
 
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उस लड़के ने पूनम का हाथ पकड़ लिया और जबर्दस्ती एंवव्लोप पकड़ाता हुआ बोला "हिम्मत तो मुझमे बहुत कुछ करने की है, लेकिन मैं जबर्दस्ती नहीं करना चाहता।" वो एन्वेलोप को पूनम के हाथ में पकड़ा कर रोड की तरफ चल दिया।

पूनम एन्वेलोप को नीचे गिरा दी और गुस्से में आगे बढ़ गयी। लेकिन फिर उसे लगा की कहीं ये एन्वेलोप किसी और के हाथ लग गया तो उसकी बदनामी हो जायेगी। उसे पता था कि इसके अंदर क्या होगा। वो 5-7 कदम पीछे आई और एन्वेलोप उठा कर पर्स में रख ली। वो पीछे मुड़ कर देखी तो वो लड़का उसे देख कर मुस्कुरा रहा था। पूनम खुद पे खीज गयी की वो लड़का उसके बारे में क्या सोच रहा होगा। लेकिन अब क्या हो सकता था।

वो घर में अंदर आ गयी और रात का इंतज़ार करने लगी। पूनम की 3 दिन पहले चूदी हुई चिकनी चुत पे चीटियां रेंगने लगी थी। वो उस एन्वेलोप को खोलने का इंतज़ार कर रही थी। उसे पता था कि अंदर क्या होगा। लेकिन उसे अफ़सोस भी हो रहा था कि उसे लेटर लेते हुए उस लड़के ने देखा था और इसका मतलब एक तरह से उसके प्रपोजल को स्वीकार करना हुआ था।

पूनम को गुस्सा आ रहा था कि किस तरह उस लड़के ने उसका हाथ पकड़ा था और एन्वेलोप पकड़ा दिया था। लेकिन पूनम के रियेक्ट करने से पहले वो जा चूका था। लेकिन उस लड़के की नज़रों में ये बात आई होगी की पूनम को उसका प्रपोजल स्वीकार है और वो बस नखरे कर रही है। पूनम को इसी बात का अफ़सोस सबसे ज्यादा हो रहा था।

जब सब सोने चले गए तो पूनम आज फिर से गेट बंद कर ली और एन्वेलोप खोलने लगी। उसके दिल की धड़कन बढ़ गयी थी। वो एन्वेलोप खोलने से पहले ही अपने ट्रोउजर और पैंटी को नीचे कर चुकी थी। उसे पता था की अंदर क्या होगा।

वो एन्वेलोप को खोली तो उसे पेपर दिखा जिसे वो निकाल ली। पेपर थोड़ा मोटा था लेकिन pics न देखकर पूनम उदास हो गयी। वो एन्वेलोप को अच्छे से फैला कर देखी, लेकिन अंदर और कुछ नहीं था। ना फोटो और ना ही गुलाब की पंखुरियाँ।

उदास होकर पूनम बेड पर अच्छे से अपनी पीठ टिका कर बैठ गयी और पेपर देखने लगी। पेपर पे कंप्यूटर से प्रिंट किया हुआ था। जो पहला शब्द वो पढ़ी, उसके साथ ही अचानक से उसे अपने कमर के नीचे कुछ तेज़ दौड़ता हुआ महसूस हुआ।

वो एक कहानी थी और उसका शीर्षक था जिस पर पूनम की नज़र गयी थी। "पूनम की चुदाई।" अपनी चुदाई की बात पढ़कर पूनम अपनी चुत में कुछ उबलती हुई महसूस की। वो आगे पढ़ना शुरू की और तुरंत ही पेज पलटने लगी। ये एक लड़की की चुदाई की कहानी थी की कैसे वो दो लड़कों से चुदवाई और उसे कितना मज़ा आया था। कहानी के बीच बीच में कहानी के हिसाब से फोटो लगे हुए थे।

2-3 पेज पढ़ते पढ़ते ही पूनम अपने कपड़ों को पूरा उतार दी और नंगी होकर कहानी पढ़ने लगी और अपनी चुत और चुच्ची मसलने लगी। वो लगातार नहीं पढ़ रही थी और जहाँ उसे चुदाई का सीन मिल रहा था बस वहीँ पढ़ रही थी। थोड़ी ही देर में उसकी चुत ने जवानी का रस उगल दिया और पूनम हाँफती हुई बेड पे निढाल पड़ गयी।

पूनम थोड़ी देर बाद जब उठी और वो पेपर दुबारा उठाई तो उसे लगा की उसमें एक पेपर अलग से है। वो उसे पढने लगी। ये उन लड़कों का लेटर था। लव लेटर। नहीं, लस्ट लेटर।

पूनम लेटर पढने लगी. अभी तुरंत ही उसकी चुत ने काम रस उगला था तो उसे अभी फिर से उन लड़कों पे गुस्सा आने लगा था. वो गुस्से में ही लेटर पढने लगी.

प्यारी पूनम,

उम्मीद है तुम्हे मेरा पहला लेटर और साथ में भेजे हुई तस्वीरें पसंद आई होंगी. उन तस्वीरों को देख कर तुमने महसूस किया होगा की इस जवानी में हमें कितने सुख मिलते हैं और किस किस तरह से लोग उसका मज़ा लेते हैं. फिर तुम क्यों इस सुख से दूर रहना चाहती हो.

मैं तुमसे ज्यादा कुछ नहीं मांग रहा. बस एक बार अपनी इस हसीं और मदमस्त जवानी का सुख हमें भी लेने दो. मैं तुम्हे यकीं दिलाता हूँ की इसमें तुम्हे इतना मज़ा आएगा की तुम दूसरी दुनिया में पहुँचने लगोगी.

तुम्हारे हाँ के इंतज़ार में
तुम्हारी जवानी का प्यासा.

इस कागज के नीचे 2 फोटो पेपर थे जिनपे 5-6 फोटो प्रिंट किये हुए थे. पूनम की चुत की आग फिर से भड़कने लगी. वो उन तस्वीरों को गौर से देखने लगे. ये चुदाई की तस्वीरें नहीं थी. ये सिर्फ लंड की तस्वीर थी. पूनम की सांस अटक गयी. एक पिक में जिसका लंड था वो खरा था और टेबल पे उसका लंड रखा हुआ था. ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा सा रॉड रखा हुआ हो, और लंड पे बोल्ड मार्कर से लिखा हुआ था “पूनम का तोहफा”

पूनम दूसरी पिक देखी उसमे लड़का लंड के साथ में फोग डियो को लगाया हुआ था और लंड की लम्बाई डिओ के उस बोतल के बराबर ही थी. इस पिक में भी वो लंड पे अपना नाम लिखा हुआ साफ साफ देख रही थी. इसी तरह और भी पिक्स थी और सब के सब लंड के क्लोज-अप वाली पिक्स ही थे.
 
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पूनम पेज पलटी तो इसमें भी लंड की ही पिक्स प्रिंट किये हुए थे. पूनम की नज़र जिस तस्वीर पे रुकी वो उसमे एक नंगी लड़की अपने दोनों पैरों को फैलाये हुए सीधी लेटी हुई थी और लड़का अपने लंड को ऐसे रखे हुए था जैसे नाप रहा हो की लंड चुत के अंदर अगर होती तो कहाँ तक जाती. और उसके बगल वाली पिक में लंड चुत के अन्दर था. पूनम इमेजिन करने लगी और सोचने लगी की लंड कितना अन्दर तक होगा और उसका हाथ अपने आप चुत के छेद को छेड़ने लगा. इस पिक्स में लंड पे कुछ लिखा हुआ नहीं था. ये शायद दुसरे वाले का होगा.

पूनम दोनों पेज में लंड को गौर से देखने लगी. ये दोनों दो अलग अलग लंड थे और पूनम के अंदाज़े से वो दोनों ही लंड उसकी चुत में जाने क लिए तड़प रहे थे. पूनम पहले की भी पिक्स निकल ली. वो पहले वाले पिक्स में और इस पिक्स में लंड देखने लगी. उसे अंदाज़ा हो गया की उन पिक्स में जिस लंड से वो लड़कियां मज़े ले रहे हैं, वो यही दोनों लंड हैं और इन्ही दोनों लड़कों के हैं. पूनम अपनी चुत पे ऊँगली फिराने लगी थी और उसे मज़ा आ रहा था.

वो पिक्स रख दी और सोचने लगी की ‘मैं चुदवा तो ली हूँ, दर्द बहुत हुआ लेकिन मज़ा तो बहुत आ रहा था.’ वो रेस्टूरेंट के दृश्य पूनम की आँखों के सामने घूमने लगे जब अमित उसकी चुचियों को चूस रहा था मसल रहा था और जब वो उसकी पैंटी निकाल कर उसकी चुत को चूस रहा था और ऊँगली अन्दर बाहर कर रहा था. वो अपने मज़े को महसूस करने लगी. वो सोचने लगी की जब अमित ने उसकी चुत में लंड सटाया ही था की वो कितनी उत्तेजित हो गयी थी और उसकी चुत ने काम रस छोड़ दिया था.

लेकिन साथ साथ ही उसे अफ़सोस भी हो रहा था की वो बहुत ज्यादा मज़ा नहीं ले पाई थी. वो अमित के लंड को नोटिस करने लगी और इन पिक्स को देखने लगी तो उसे लगा की ये लंड तो बहुत बड़े हैं. पूनम सबको समेट कर रख दी और सोने लगी, लेकिन उन आँखों में नींद कहाँ जिसे चुदवाने की फिक्र हो.

वो अपने कपड़े पहन ली थी और सोचने लगी की ये लड़के कितने हरामी हैं और कैसे लड़कियों के बारे में सोचते हैं. कोई प्यार मोहब्बत की बात नहीं, कोई जिंदगी भर साथ निभाने के वादे नहीं, बस जवानी का मज़ा, सेक्स बस. बस लड़कियों को चोदना है, उनका मज़ा लेना है बस. इन लोगों ने मुझे भी रंडी समझ लिया है क्या. जिस जिस लड़कियों को इन्होने चोदा होगा वो रंडियां होंगी. मैं ऐसी नहीं हूँ. मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाली और अबकी मैं उन्हें साफ साफ मना कर दूंगी और फिर ज्यादा हुआ तो शोर शराबा भी कर दूंगी.

उसे अफ़सोस हो रहा था की उस लड़के ने उसे एन्वेलोप उठाते हुए देख लिया था, उन लड़कों ने उसे मुस्कुराते हुए देख लिया था. लेकिन वो इन सारी गलतियों को सुधार लेगी. और रही बात मज़ा करने की, तो उसके पास उसका प्यार अमित तो है ही. जो न सिर्फ उसे सेक्स का मज़ा देगा, बल्कि उससे प्यार भी करता है और शादी भी करेगा, जिसका मतलब सिर्फ जिस्म के मज़े से नहीं है. वो अपने रूम का गेट खोल दी और अमित के बारे में सोंचते सोंचते सो गयी.

आज पूनम का मेन्सट्रूअल पीरियड ख़त्म हो गया था तो वो बाल धो कर नहा ली और फ्रेश होकर ऑफिस के लिए निकल ली. रोड पे आते ही वो दोनों लड़के रोड के उस पार खड़े दिख गए. पूनम नज़रे नीची करके चल रही थी, लेकिन न चाहते हुए भी उसकी नज़र उन से मिल ही जा रही थी. पूनम अपनी गली से निकल रही थी और वो ठीक सामने रोड के दुसरे साइड से पूनम को ही देख रहे थे.

जब पूनम रोड पे आई तो उसकी नज़र उन लड़कों के पैंट पर गयी. उसकी नज़र वहां कुछ पल के लिए रुक गयी जब उसके मन में आया की इन्ही पैंट के अन्दर वो बड़ा सा राक्षस मौजूद है जो लड़कियों के चुत को फाड़ता हुआ उनके पेट तक पहुँच जाता है. फिर से पूनम की नज़रें उस लड़के से मिल गयी और उसे महसूस हुआ की वो उनके पैंट की तरफ देख रही थी वो उसने देख लिया है. वो लड़का मुस्कुरा दिया और फिर से अचानक से न चाहते हुए भी पता नहीं कैसे पूनम की मुस्कराहट उसके चेहरे पे फ़ैल गयी. वो अपनी मुस्कान को किसी तरह दूसरी तरफ देखते हुए और चेहरे पे हाथ फेर कर छुपायी, लेकिन जिसे जो देखना था, उसने वो देख लिया था.

पूनम आगे बढ़ गयी और अब जब वो नार्मल हुई तो उसे फिर से अपने पे गुस्सा आ रहा था. लेकिन अब भला हो ही क्या सकता था. बिता हुआ वक़्त गुजर चूका था. पूनम को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो जाता है। उसके मन में उन लड़कों के लिए कोई फीलिंग नहीं थी और वो उन से नफरत करती थी।

पूनम अपने ऑफिस आ गयी. उसकी चुत में फिर से खुजली हो रही थी. उसका चुदवाने का मन कर रहा था लेकिन वो चुद नहीं सकती थी. अमित आज कहीं बाहर गया हुआ था तो उससे मिलने भी नहीं आया था.

शाम में जब पूनम वापस अपने घर आई तो आज उसे रस्ते में कोई भी नहीं दिखा. वो राहत की साँस ली. पूनम पे चुत का खुमार चढ़ा हुआ था। घर आने के बाद उसे मन नहीं लग रहा था और वो आज फिर से सबके सोने का इंतज़ार कर रही थी. सबके सोते ही वो रूम बंद की और आलमीरा से उन लड़कों का भेजा हुआ सब कुछ निकल ली. वो अपने सारे कपड़े उतारकर नंगी हो गयी। उसकी चुत तो गेट बंद करते ही गीली हो गयी थी।
 
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शाम में जब पूनम वापस अपने घर आई तो आज उसे रस्ते में कोई भी नहीं दिखा. वो राहत की साँस ली. पूनम पे चुत का खुमार चढ़ा हुआ था। घर आने के बाद उसे मन नहीं लग रहा था और वो आज फिर से सबके सोने का इंतज़ार कर रही थी. सबके सोते ही वो रूम बंद की और आलमीरा से उन लड़कों का भेजा हुआ सब कुछ निकल ली. वो अपने सारे कपड़े उतारकर नंगी हो गयी। उसकी चुत तो गेट बंद करते ही गीली हो गयी थी।

वो कहानी पढने बैठ गयी और आज वो पूरी कहानी पढ़ी. उसे बहुत मज़ा आ रहा था और वो कहानी पढ़ते हुए नंगी होकर अपनी चुत सहलाते जा रही थी. और कहानी ख़तम होने से पहले उसकी चुत ने काम रस छोड़ दिया. वो चुदवाना चाहती थी। उसकी चुत की प्यास ऊँगली करने से कम नहीं हो रही थी बल्कि और बढ़ रही थी। वो उस तरह से चुदवाना चाहती थी जैसे फोटो में वो रंडियाँ चुद रही थी। उसे चुत के अंदर ऊँगली नहीं लण्ड चाहिए था जो उसकी चुत की दीवारों को अंदर तक रगड़ता हुआ उसकी चुदाई करे। लेकिन अफ़सोस की ऐसा हो नहीं पा रहा तंग।

पूनम सारी चीजों को वापस अलमीरा में रखी, अपने कपड़े पहनी और गेट खोल कर सोने लगी. सुबह वो तैयार होकर फिर से ऑफिस चल दी. आज फिर से वो लड़के वहीं खड़े थे और अपनी होने वाली रंडी को वासना भरी नज़रों से घूर रहे थे.

पूनम लेग्गिंग्स कुर्ती पहनी हुई थी और चलने से उसकी ऊपर नीचे होती छाती और कुर्ती जो चुत के पास दोनों जांघों के बीच में सट गयी थी, उन जगहों को वो ऐसे देख रहे थे जैसे वहां कपड़े हो ही नहीं और पूनम रोड पे नंगी ही चलकर उनकी तरफ आ रही हो. पूनम आज खुद पे पूरा कण्ट्रोल किये हुए थी और उन लड़कों की तरफ देख भी नहीं रही थी. लेकिन जिस तरह से वो लड़के उसे देख रहे थे, उसे बहुत गुस्सा आ रहा था. लेकिन इस तरह वो देखते भी क्यू नहीं, पूनम की हरकतों ने उन्हें समझा दिया था की बस अब कुछ ही समय की बात है और ये मस्त माल उनके लण्ड के नीचे होगी और अपने हसीं जिस्म का मज़ा दे रही होगी.

पूनम अब रोड पे आ गयी थी और अब उसे महसूस हो रहा था कि उन लड़कों की ऑंखें उसकी पीठ, कमर और गांड पे चिपकी हुई है। वो रोड पे खुद को नंगी महसूस कर रही थी। उसके पास कोई चारा नहीं था। वो लड़के उससे दूर थे और पूनम भी पुरे कपड़े पहने थी, लेकिन एक स्त्री अपने जिस्म पे पड़ती निगाहों को भी जान लेती है।

पूनम ऑफिस पहुँच गयी और इन सबको भूल कर वो अपने काम में लग गयी। आज पूनम की बात अमित से हो पाई. पूनम उसे अपने ऑफिस के फ़ोन से उसके मोबाइल पे कॉल की थी और आज फिर से दोनों दोपहर में उसी केबिन में थे. पूनम आज इस केबिन में नहीं बल्कि एक बंद कमरे में अमित के साथ रहना चाहती थी जहाँ वो उस दिन से भी ज्यादा मस्ती से चुदवा सके. लेकिन आज ऐसा संभव नहीं था क्यू की अमित के नज़रों में आज कोई रूम खाली नहीं था. उस दिन तो पूनम और अमित की किस्मत अच्छी थी की अमित का वो दोस्त घर में अकेला था और उसके घर जाने में कोई दिक्कत नहीं था. लेकिन आज ऐसा नहीं था और अमित होटल जाने का रिस्क नहीं ले सकता था.

अमित पूनम को किस कर रहा था, उसकी चुच्ची मसल रहा था, निप्पल चूस रहा था और चुत में भी ऊँगली करता हुआ चूस रहा था, लेकिन पूनम को मज़ा नहीं आ रहा था. आज उसकी चुत ने पानी नहीं छोड़ा और जब वेटर आया तो अमित वापस अपनी जगह पे बैठ गया था. वेटर के जाते ही उसने अपना लंड बाहर निकल लिया और पूनम गौर से उस लंड को देखने लगी. उसे ये लंड फोटो वाले लंड से थोड़ा छोटा लगा, लेकिन वो इग्नोर कर दी. अब जो भी है, यही लंड उसके लिये बना है.
 
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वो झुक कर लंड चूसने लगी. आज उसे बुरा नहीं लग रहा था. वो लंड को ज्यादा से ज्यादा मुंह में भर रही थी . अमित खड़ा हो गया और अब पूनम सहूलियत के साथ लंड चूसने लगी. अमित को बहुत मज़ा आ रहा था. 5 दिन पहले तक जो लड़की इतनी शरीफ थी की 6 महीने तक उसे खुद को किस भी नहीं करने दी थी, आज रेस्तौरेंट के केबिन में आराम से उसका लंड चूस रही थी. अमित पूनम के सर पे हाथ रख कर लंड चुसवाने का मज़ा ले रहा था.

उसे बहुत मज़ा आ रहा था और जब उसका लंड पूनम के मुंह के अन्दर था, उसके लंड ने एक झटका मारा और पूनम को अपने मुंह में कुछ गर्म सा महसूस हुआ. अचानक इस तरह होने पे वो खुद को सम्हाल नहीं पाई और अपना मुंह पीछे कर ली. अमित के लंड से वीर्य टपक रहा था और जो वीर्य पूनम के मुंह में गिरा था, वो अनजाने में ही सही, लेकिन पूनम उसे निगल चुकी थी.

पूनम लण्ड से गिरते हुए वीर्य को आश्चर्य से देख रही थी और फिर वो एक पल के लिए सोची की क्या करे और फिर उसे लगा की इससे पहले की देर हो जाये और सारा वीर्य ख़त्म हो जाये, वो अमित के लंड को अपने मुंह में फिर से ले ली. फिर से वीर्य उसके मुंह में गिरा और वो उसका स्वाद समझने लगी. मुंह में जाते ही अमित के लण्ड ने फिर से झटका मारा और फिर से वीर्य पूनम के मुंह में गिरा. पूनम ताज़ा ताज़ा गरमा गर्म वीर्य अपने मुंह में ले रही थी. उसे अजीब सा लगने लगा. वो अपना मुँह हटा ली और मुँह में आये वीर्य को बाहर फेंकने की तयारी करने लगी. लेकिन तुरंत ही उसके मन में ये ख्याल आया की पहली बार लंड चूसते वक़्त भी तो उसे बुरा लगा था, लेकिन वो लंड चुसी न. वो वीर्य को निगल गयी.

अमित के लंड पे अभी भी वीर्य की कुछ बूदें जमा थी, वो सोची की फिर से लंड मुंह में ले ले, लेकिन वो ऐसा कर नहीं पाई. उसे अजीब सा लग रहा था और उबकाई आनेवाली थी, वो गिलास से एक घूँट पानी पीने लगी. अमित अभी तक यूँ ही खड़ा था. उसके लिए तो ये एक अचीवमेंट था की उसने पूनम जैसी हसीना को अपना लंड चुसवाया था और उसे अपना वीर्य पिलाया था।

पूनम के मुँह का टेस्ट अभी तक बदला नहीं था और उसे अपने गले में कुछ अटका हुआ सा लग रहा था तो वो कोल्ड ड्रिंक की बोतल उठा ली और पीने लगी.अमित का लण्ड अब सिकुड़ गया था तो उसने अपने लंड को अन्दर किया और बैठ गया. वो भी कोल्ड ड्रिंक पीने लगा. वो पूनम की तरफ देख रहा था और जब पूनम की नज़र उससे मिली तो पूनम अचानक से खिलखिला कर हंस दी. वो अपनी हंसी रोक नहीं पा रही थी और बोली “खूब खुश हो न. छिः... कितना गन्दा चीज़ पिला दिए मुझे.” अमित भी शरारती मुस्कान भरता हुआ बोला “इतना ही गंदा था तो पी क्यू.” पूनम तिरछी नज़र करती हुई शर्माती हुई नीचे देखकर बोली “वो तो तुम्हारी ख़ुशी के लिए.” दोनों हँस दिए और रेस्टॉरेंट से बाहर आ गए और फिर पूनम वापस अपने ऑफिस आ गयी.

पूनम खुश थी की आज उसने वीर्य का टेस्ट तो कर लिया. लेकिन फिर भी उसकी प्यास अभी तक मिटी नहीं थी. उसे बहुत कुछ करना था और उसकी चूत में जैसे कुछ दौड़ रहा था. लेकिन वो कर ही क्या सकती थी.

आज जब पूनम वापस घर जा रही थी तो फिर से वो लड़का पूनम की गली के कार्नर पे था. शाम हो चूकी थी तो फिर से रोड पे सन्नाटा था, और जो 1-2 लोग थे भी तो वो लड़का डरने वालों में से नहीं था. आज पूनम सोंच ली की उस लड़के को मार कर भगा देगी. हालाँकि उसे डर भी था की कहीं बात ज्यादा न बढ़ जाये या उसके घर में न पहुँच जाये. लेकिन इस लड़के के दिमाग में जो बात बैठा हुआ है, उसे निकाल देना बहुत जरूरी है.

पूनम रोड पे ही थी की वो लड़का पूनम के नजदीक आ कर बोला “हाय डार्लिंग “
सुनते ही पूनम का गुस्सा सांतवे असमान पे जा पहुंचा. बोली “तुम समझते क्या हो खुद को. अपनी बहन को भी वही सब दिए हो क्या. भागो यहाँ से और ख़बरदार अगर कभी अगर मेरे आसपास भी आये तो.”
 
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पूनम को गुस्से में देख उस लड़के को भी गुस्सा आना ही था. वो भी गुस्से में ही बोला “बोल तो ऐसे रही हो जैसे कितनी शरीफ हो. तुम्हे क्या लगता है मैं तुम्हारे बारे में कुछ नहीं जनता क्या.” उसके मुंह से ऐसा सुनकर पूनम शॉक्ड सी हो गयी. वो लड़का आगे बोला “देखो, तुम किसके साथ क्या कर रही हो और क्या नहीं, मुझे उससे कोई मतलब नहीं , मैं बस इतना कह रहा हूँ की मेरे साथ भी एक बार मस्ती कर लो. बस.”

पूनम की बोलती बंद हो गयी थी, लेकिन वो फिर से अपने गुस्से को बढाती हुई बोली “मुझे ऐसी वैसी समझने की गलती भी मत करना. मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूँ. भागो यहाँ से नहीं तो तुम सोंच भी नहीं सकते की मैं तुम्हारा क्या करवाउंगी. बोलती हुई पूनम तेज़ तेज़ कदमो से चलती हुई अपने घर की तरफ चल पड़ी। वो जब अपने घर का गेट खोल रही थी तो देखि की वो लड़का अभी भी कार्नर पे ही खड़ा था और उसे ही देख रहा था.

पूनम को बहुत डर लग रहा था की कहीं उसकी माँ ये सब देख न ली हो या सुन न ली हो. लेकिन उसकी माँ अन्दर किचेन में कुछ कर रही थी. पूनम चैन की साँस ली और अपने रूम में चली गयी. थोड़ी देर बाद वो छत पे जाकर देखी लेकिन अभी वहां कोई नहीं था.

पूनम को बहुत डर लग रहा था. उसे समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे. कभी उसका मन होता की माँ को ये सब बता दी, लेकिन फिर डर होता की कहीं अगर उसके घर में अमित के बारे में न पता चल जाये. दूसरा डर ये था की कहीं ये बात पापा को पता चली तो पापा उसका घर से बाहर निकलना बंद करवा देंगे और फिर न तो वो नौकरी कर पायेगी और न ही अमित से मिल पायेगी, जिसे वो अपना सब कुछ दी चुकी है और जिससे वो बहुत प्यार करती है और शादी करना चाहती है.

2-3 इसी तरह शांति से गुजर गए थे। पूनम उन लड़कों के लेटर और पिक्स को डर से फेंक दी थी की कहीं उसकी माँ उसे देख न ले। वो लड़के उसे दिखे जरूर थे लेकिन फिर से उनलोगों ने कोई भी रिएक्शन नहीं दिया था। पूनम की चुत की खुजली मिटी नहीं थी और वो चाह कर भी अमित से चुदवा नहीं पाई थी। अभी स्थिति ऐसी थी की उसे अफ़सोस हो रहा था कि वो उन पिक्स को क्यू फेंक दी। उसे फिर से उसी तरह के पिक्स देखने का मन कर रहा था और वो चाह रही थी की वो लड़के फिर से उसे पिक्स और स्टोरी अगर दे देते तो अच्छा रहता।
 

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