Adultery खूबसूरत डकैत

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“अरे मेरी जान को चोट तो नही आयी “
अजय चौक गया क्योकि ये चम्पा की आवाज थी ,चम्पा या मोंगरा ??
उसने झट से अपनी आंखे खोली..
वो किसी की गोद में पड़ा हुआ था ,दीये की रोशनी में वो उसे पहचान सकता था ,जिस्म नंगा ही था और होठो में वही मुस्कान और सामने खड़ा बलवीर उसे गुस्से से घूरा जा रहा था...बलवीर भी नंगा ही था जिससे उसका वो गठीला विशालकाय बदन अब अजय के सामने था…
“बलवीर तुम जाओ ..”
मोंगरा ने हुक्म दिया ..
“तुम्हे अकेले इसके साथ छोड़कर ???? “
बलवीर ने खा जाने वाली निगाह से अजय को देखा ,लेकिन अजय के चहरे में एक शिकन तक नही आयी ..
“तुम फिक्र मत करो मैं सम्हाल लुंगी …”
बलवीर अजय को घूरता हुआ वँहा से निकल गया ..
“ऐसी क्या जल्दी थी की रात में ही आ गए मुझसे मिलने “
मोंगरा की हँसी से अजय का खून जल गया वो झटके से उठा ,उसका चहरा गुस्से से तमतमा रहा था …
“ओह मेरी जान गुस्सा है “
मोंगरा की बात अजय को ऐसी लगी जैसे वो उसे चिढ़ा रही हो ..
“चुप कर साली रंडी ..तेरे ठिकाने का मुझे पता चल चुका है अब देखना मैं तेरे गिरोह की ईट से ईट बजा दूंगा ..”
अजय का चहरा गुस्से से तमतमा गया था लेकिन मोंगरा जोरो से हँस पड़ी…
“ओह मेरा बच्चा गुस्सा है लेकिन पुलिस को तुम तब बलाओगे जब तुम यंहा से जाओगे...तुम्हे क्या लगता है की तुम खुद ही यंहा आये हो …?वो तस्वीर मैंने ही रखवाई थी मुझे पता था की तुम इस मंदिर के बारे में जानते हो और तुम जरूर अपना दिमाग लगाओगे और मुझे ढूंढते हुए यंहा तक आ जाओगे लेकिन …….लेकिन सोचा नही था की इतनी जल्दी ,बहुत ही बेचैन था मेरा बाबू मुझसे मिलने के लिए ,बहुत प्यार करते हो मुझसे ..”
मोंगरा के होठो पर एक कमीनी सी मुस्कान थी …
“प्यार ??? तुझे लगता है की मैं तुझसे प्यार करता हु ?? साली रंडी …”
अजय का चहरा गुस्से से जल रहा था लेकिन मोंगरा के होठो पर अब भी वही मुस्कान थी ..
“मैं चम्पा से प्यार करता हु तुझसे नही ,और जितना मैं उससे मोहोब्बत करता हु उतना ही तुझसे नफरत ..”
अजय की दशा को देखकर मोंगरा खिलखिलाई ..
“ओह मेरी जान लेकिन तुम किस चम्पा से मोहोब्बत करते हो 7745 वाली से या 4577 वाली से ….”
मोंगरा जोरो से हँस पड़ी और अजय पिला पड़ गया …
“चम्पा नाम की कोई भी लड़की नही है जो भी है बस मैं ही हु ,तुम्हारी चम्पा भी और तुम्हारी मोंगरा भी …”
मोंगरा जोरो से हँसने वाली थी लेकिन रुक गई कारण था अजय के आंखों में आया हुआ आंसू …
अजय को लगा जैसे उसकी पूरी दुनिया ही खत्म हो गई …वो नीचे बैठ गया था और सर पकड़े हुए रो रहा था ,उसे विस्वास ही नही हो रहा था की उसके साथ ऐसा कुछ हुआ है ...वो बार बार चम्पा को याद कर रहा था उसने उसकी आंखों में देखा था ,उसके दिल की धड़कने सुनी थी वो गलत कैसे हो सकती थी ???
चम्पा का अजय के लिए प्यार गलत कैसे हो सकता था ,अजय का दिल ये मानने को तैयार हि नही था की चम्पा नाम की कोई लड़की नही है या मोंगरा ही चम्पा बनाकर उस धोखा दे रही थी …….
अजय की हालत देखकर मोंगरा की आंखों में भी आंसू आ गए …
“मुझे माफ कर देना अजय लेकिन ...मैं तुमसे इतना प्यार करती हु की तुम्हे पाने का मुझे और कोई रास्ता नही दिखा “
अजय तुरंत ही खड़ा हो गया और पास ही पड़ी हुई बंदूख उठा लिया और सीधे मोंगरा पर तान दिया …
“बोल मेरी चम्पा कहा है “वो गरजा …
उसे कमरे के बाहर बड़ी हलचल सी महसूस हुई ,लगा की बाहर फ़ौज का जमावड़ा हो चुका है …
“बोल नही तो अभी तेरे दिन में ये सारी गोलियां दाग दूंगा “
मोंगरा के चहरे में कोई भी शिकन नही थी बस आंखों में थोड़े आंसू थे..
“इतना प्यार करते हो तुम मुझसे ...मैं ही तो तुम्हारी चम्पा हूं ..”वो रोते हुई बोली
अजय को लगा की उसका वो रोना बेहद असली है ,जैसे दिल से ही निकल रहा हो ,लेकिन वो कैसे मान सकता था की ये ही उसकी मासूम सी चम्पा है ,नही ये मोंगरा थी और वो उसे फंसा रही थी ...अजय अपने दिल को बार बार समझाने लगा ..
“देखो मैं किसी को नही बुलाऊंगा ,और चम्पा के साथ सब कुछ छोड़कर चला जाऊंगा ,लेकिन कह दो की मेरी चम्पा का भी अस्तित्व है ,वो है...मैं जानता हु की तुम दोनो अलग अलग हो “
अजय सुबकने लगा ..
“तुम चम्पा से प्यार नही करते अगर करते तो ठाकुर को मारने में मेरी मदद करते “
“चम्पा किसी को मरना नही चाहती ..”
“लेकिन तुम तो चाहते हो ...मुझे मारना चाहते हो ,इसीलिए तुमने ठाकुर से हाथ मिलाया ..”
“मैं ठाकुर के करीब जाकर उसे फसाना चाहता था जिससे उसे उसके कर्मो की सजा कानून दे सके …”
मोंगरा हँस पड़ी …
“कानून क्या सजा देगा ,सजा तो मैं उसे दूंगी …लेकिन याद रखो अजय तुम चाहे जिससे प्यार करते हो मैं तुमसे ही प्यार करती हुई और मैं तुम्हे पा के रहूंगी …चाहे इसके लिए मुझे चम्पा को मरना क्यो ना पड़े ”
मॉंगर शेरनी जैसे गरजी …
अजय के होठो में मुस्कान आ गई …
“मतलब की मेरी चम्पा है ,और मेरे रहते तुम उसे छू भी नही सकती ,”
अजय ने वो दरवाजा खोल दिया ,बाहर सभी की बंदूक की नली अजय के ऊपर ही थी ,सूर्य की धुंधली सी किरण फिजाओं में फैल चुकी थी ,और मोंगरा के सभी सिपाही तन कर खड़े थे सभी की नजर अजय के ऊपर ही थी …
बलवीर अब भी उसे गुस्से में घूर रहा था ….
“खबरदार जो किसी ने कोई भी जुर्रत की तुम्हारी सरदार को यही उड़ा दूंगा “अजय गरजा ..
वो कमरे से बाहर आ चुका था साथ ही मोंगरा भी कमरे से बाहर आ गई ,अभी भी अजय के बंदूक की नली मोंगरा के ऊपर ही थी .मोंगरा अब भी नंगी थी और सुबह की किरणों में उसका जिस्म चमक रहा था ,लेकिन गिरोह के सभी सदस्यों के सामने नंगी खड़ी होने पर भी उसके चहरे में कोई भी शर्म नही था,बल्कि बस एक मुस्कान के साथ वो अजय को देख रही थी ,अजय को मन हुआ की अभी उसके सीने में सारी गोलियां डाल दे लेकिन वो ये नही कर सकता था …
वो धीरे धीरे पीछे हट रहा था और बंदूख की नोक पर मोंगरा को लेकर वँहा से निकल जाना चाहता था ..
अचानक ही बलवीर ने पास पड़ा हुआ डंडा उठा लिया ,अजय ने तुरंत उसकी ओर बंदूक घुमा कर फायर कर दिया और …………………….
और सभी जोरो से हँस पड़े क्योकि बंदूक में गोली ही नही थी ,अजय बंदूक का टिगर दबाता रहा और सभी उसकी मूर्खता पर जोरो से हँस रहे थे यंहा तक की मोंगरा भी उसे देखकर हँसने लगी थी ,लेकिन बलवीर अब भी गुस्से से उसे घूरे जा रहा था ,उसने आपके हाथो में पकड़ा हुआ डंडा उठाया और सीधे अजय के उनपर घुमा दिया,जो की सीधे ही उसके सर में आकर लगा…
अजय का सर फिर से चकरा गया था और वो फिर से धड़ाम से नीचे गिर गया…..
 
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एक छोटा कमरा और एक छोटी सी खिड़की ,जिसमे से आती हुई छनी हुई धूप ने अजय को होशं में लाया ,हाथ पाव बंधे हुए थे और कुछ आवाजे सुनाई दे रही थी ,वो सरकता हुआ खिड़की के पास आ गया ……
“तुम्हे उसे छोड़ देना चाहिए मोंगरा तुम समझने की कोशिस तो करो “
“नही समझना है मुझे कुछ वो मेरा है और मैं उसे किसी के साथ भी नही बाट सकती चाहे वो मेरी बहन ही क्यो ना हो “
“मेरी बात मानो क्या तुम मुझे इतना भी नही मानती “
“मानती हुई डॉ लेकिन इस बात के लिए नही …”
मोंगरा की बात सुनकर डॉ चुतिया और तिवारी दोनो ही मायूस से दिख रहे थे,अजय उन्हें देख सकता था,सामने मोंगरा थी जो अपने तेवर में थी और डॉ और तिवारी जो की मोंगरा को बचपन से जानते थे उनकी भी कोई कदर नही कर रही थी ..
“क्या मैं उनसे मिल सकता हु “
तिवारी ने कहा और मोंगरा उसे देखने लगी
“देखो मोंगरा हो सकता है की हम उसे समझा ले ...और तुम्हारी कुछ मदद हो जाए ठाकुर को मारने में “
डॉ चुतिया ने अपना दावा फेका ..
“ठिक है मैं बचपन से आप दोनो की कद्र करती हुई बस इसलिए …”
उसने एक आदमी की ओर इशारा किया और वो दोनो को उस कमरे के पास ले आये और थोड़ी ही देर में दरवाजा खुला ,अजय असहाय सा दोनो को देख रहा था …
तिवारी ने दरवाजा बंद कर दिया ..
“चम्पा ठीक तो है ना उसे कुछ किया तो नही मोंगरा ने “
अजय का पहला सवाल था जिसे सुनकर तिवारी और डॉ दोनो के होठो में मुस्कान आ गई ..
“वो ठीक है तुम्हे उसकी फिक्र करने की जरूरत नही है,वो मेरे साथ है शहर में ...और तुम फिक्र मत करो हम तुम्हे छुड़ा लेंगे “
डॉ की बात से अजय को थोड़ी राहत तो मिली लेकिन फिर भी वो बेचैन था ..
“तिवारी पुलिस को बुला ले और यंहा पर अटैक करवा …”
अजय की बात से तिवारी और डॉ दोनो ही चुप हो गए
“नही सर हमे पता है की ठाकुर ही गलत है और मोंगरा को मारने का मतलब है की ठाकुर को फिर से पूरी ताकत मिल जाना हम ये नही कर सकते ..अगर करना होता तो कब का कर चुके होते …”
अजय को समझ आ चुका था की ठाकुर और डॉ दोनो ही मोंगरा से मिले हुए है ..
“लेकिन तुम देख रहे हो ना की वो अपने ही धुन में है और अब तो आप लोगो की बात भी नही मान रही है “
अजय बौखला गया था ..
“तुम फिक्र मत करो अजय हमारे पास एक दूसरा प्लान है तुम्हे छुड़ाने का .तुम यंहा से बाहर निकल जाओ और चम्पा के साथ नई जिंदगी बिताओ बस ...ठाकुर और मोंगरा को अपनी जंग खुद ही लड़ने दो …”
अजय बिल्कुल ही स्तब्ध सा दोनो को देखने लगा लेकिन कुछ भी नही कह पाया ……
 
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वो दिन का ही समय था अजय को यंहा कैद हुए 3 दिन हो चुके थे ,अभी अभी मोंगरा और बलवीर कही गए थे ,वो खिड़की के पास बैठा हुआ सब कुछ देख रहा था और बस किसी मदद की तलाश में था …….
वो बैठा बैठा सो गया था की उसे फिर से घोड़ो की आवाज सुनाई दी ..उसने देखा की मोंगरा वापस आ चुकी है लेकिन इस बार उसके साथ बलवीर नही था ,घोड़े से उतर कर वो सीधे अजय के कमरे में आयी ..
“क्यो मेरी जान कैसे हो “
अजय गुस्से से उसे देख रहा था
“अरे मेरी जान को बहुत ही गुस्सा आया ..”
मोंगरा के खिलखलाने की आवाज से पूरा कमरा गूंज गया,उसकी बात सुनकर बाहर खड़े हु उसके आदमी भी हँस रहे थे ,ये अजय के लिए रोज का काम हो गया था,कभी कभी मोंगरा उसके कमरे में आया करती थी और उसे यू ही सताया करती थी ..
“सुनो इसके हाथ पैर अच्छे से बांध कर इसे घोड़े पर बिठा दे ..”
मोंगरा ने कमरे के बाहर खड़े हुए आदमी से कहा
“लेकिन सरदार इसे आप कहा ..”
“मादरचोद जो बोला है वो कर …”
मोंगरा ने सीधे ही पिस्तौल उसके सामने ठिका दिया वो घबरा कर अजय के बंधनो को और कसने लगा,और कुछ लोग उसे उठा कर मोंगरा के घोड़े में बिठा दिया ,मोंगरा उसके पीछे जा बैठी और घोड़ा फिर से चल पड़ा ,वो पहाड़ी से नीचे आ चुके थे अभी तक मोंगरा ने एक शब्द भी नही कहा था …
नीच उतर कर वो जंगल की तरफ जाने लगे ….
थोड़ी दूर ही गए होंगे की अजय की नजर उस वेन पर पड़ी जो की वँहा खड़ी हुई थी ...तिवारी और डॉ को देखकर अजय आश्चर्य में पड़ गया था ……
उसके सारे बंधन खोल दिए गए ,वो उस लड़की की तरफ देखने लगा जो उसे छुड़ा कर लाई थी …
उसकी आंखों का आंसू ही उसकी सच्चाई बता रहा था ..
“चम्पा “अजय ने अपनी कांपती हुई आवाज में कहा
वो रोते हुए उसके गले से लग गई ….
वो ऐसे गले मील जैसे उनके लिए समय थम ही गया था और जंहा में और कुछ भी नही बचा था ..
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“अब आप लोगो का हो गया हो तो चले “तिवारी ने हल्की आवाज में कहा
“जब मोंगरा को ये पता चलेगा तो वो बौखला जायेगी और अब हमारा भी इस जगह रहना ठीक नही …”तिवारी की आवाज से ख़ौफ़ साफ समझ आ रहा था
“उसे पता चल जाएगा की तुम्हे किसने छुड़ाया है ..खैर छोड़ो चलो जितनी जल्दी हो सके हमे यंहा से निकलना होगा ..”
डॉ फिर से गाड़ी में बैठ गया लेकिन पता नही अजय को क्या हो गया था वो कभी डॉ को देखता तो कभी चम्पा को और कभी तिवारी लेकिन वो एक कदम भी हट नही रहा था …
सभी के चहरे पर अजय के इस व्यव्हार दो देखकर चिंता की लकीर छा गई थी …..
“अजय चलो “चम्पा ने उसके हाथो पर जोर डाला
“नही ...ऐसे नही अगर ऐसे गया तो मोंगरा हमे फिर से ढूंढ लेगी और फिर शायद वो हो जाए जो नही होना चाहिए,वो ठाकुर से बदला लेने की बजाय हम सब से बदला लेगी ...मैंने उसकी वो दीवानगी देखी है ,मैं उसका पागलपन जानता हु …”
“लेकिन अजय हम कर भी क्या सकते है ...क्या तुम मेरा वो सपना पूरा नही करोगे जो हमने साथ में देखा था,मैं एक घर चाहती हु अजय ,तुम्हारा साथ चाहती हु ,हम दोनो इन सबसे कही दूर चले जायेंगे ….”********
“नही चम्पा ऐसे नही मैं तुम लोगो की जिंदगी को दाव पर नही लगा सकता ……..मुझे मुकाबला करना होगा …”
“किसका “
डॉ ने चौक कर कहा
“मोंगरा और उसके गिरोह का “
“तुम पागल हो गए हो ..?”
लगभग तीनो ने एक साथ ही कहा
“हा थोड़ा सा “अजय के चहरे में मुस्कुराहट फैल गई और उसने तिवारी के कमर में लगा हुआ वैयरलेश निकाल लिया ……
 
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कुछ ही देर में वँहा पुलिस और ठाकुर के आदमियों की कई गाड़िया लग चुकी थी ,सभी इतने खामोशी में हो रहा था की ऊपर पहाड़ में बैठे किसी भी शख्स को इसकी भनक ना हो,चम्पा तिवारी और डॉ की अजय ने एक नही सुनी उसे कोई धुन चढ़ गई थी ,अजय ने ही पूरा प्लान बनाया था और पहाड़ी को पूरी तरह से घेर लिया गया था …
“तुम में से कोई भी वँहा नही जाएगा “
अजय ने ठाकुर के बेटे रणधीर से कहा…
और इससे पहले वो कुछ भी बोले सीधे उसके माथे पर पिस्तौल ठिका दिया …
“अपनी ठाकुरगिरी अपने पास रख यंहा मत दिखा ..चुपचाप यंहा बैठा रह …”
रणधीर जैसे मचल कर रह गया और अपने साथियों के साथ थोड़ी दूर जाकर बैठ गया ,वही अजय सभी पुलिस वालो को समझने लगा की कैसे पहाड़ी को घेरना है और बिना किसी को शक हुई अपनी पोजिशन लेनी है …


“सरदार आपने ही तो कहा था की उसे मेरे साथ भेजो “
“मादरचोद “
एक करारा झापड़ उस आदमी के गालो में पड़ा जिसने अजय को आजाद किया था ….मोंगरा की बेचैनी अजय साफ साफ देख रहा था वो आधे घंटे से उसकी प्रतीक्षा कर रहा था , अभी वो पूरी तरह के तैयार था और उसके सामने जाने को और वो उसके सामने प्रगट हो गया,लेकिन अब वो अकेला नही था उसके साथ पूरी फ़ौज थी …….
“तो वो रांड तुम्हे छुड़ा के ले गई “मोंगरा का चहरा गुस्से से जल रहा था ..
“उसे और जिसने भी उसका साथ दिया है मैं उसे नही छोडूंगी “
अजय ने अपनी पिस्तौल उसके सामने कर दी ..
“अब और नही मोंगरा तुम्हारा खेल अब खत्म हुआ ,गिरफ्तार कर लो इसे और इसके बाकी साथियों को “
अजय के एक आदेश पर सभी सिपाही भागे देखते ही देखते सभी के हाथों में हथकड़ी पड़ते गई बलवीर भी मजबूरी में हथकड़ी पहन चुका था ,सभी के हथियार भी जब्त कर लिए गए थे,लेकिन अभी तक किसी ने मोंगरा को नही छुवा था या ये कहे की किसी सिपाही की उसे छूने की हिम्मत नही हो रही थी..अजय सभी की इस हरकत को देखता हुआ हंसता हुआ एक हथकड़ी अपने हाथो में लेकर मोंगरा को देखने लगा जो अपने इतनी मेहनत से बनाये हुए साम्राज्य को बिखरता हुआ देखकर आंखों में आंसू लाकर बस हल्की हल्की सी सिसक रही थी उसकी आंखे गुस्से से जल रही थी और हाथो में पिस्तौल लहरा रहा था लेकिन उसे चेतावनी दी गई थी की अगर उसने को भी हरकत की तो उसे और उसके साथियों को भुजंकर रख दिया जाएगा …
अजय बस उसे देखकर मुस्कुरा रहा था और बेफिक्र ही हाथो में हथकड़ी लिए उसकी ओर बढ़ रहा था,मोगरा की आंखों में पानी था और उसके हाथ पिस्तौल में कस रहे थे,वो पहाड़ी के एक किनारे जा पहुची थी जंहा से नीचे बस खाई थी ,अजय को होने वाले हादसे की समझ आ चुकी थी ,वो इसी डर में था की कही मोंगरा खाई में ना खुद जाए ...
“मोंगरा ठाकुर के किये की सजा मैं उसे दूंगा तुम अब अपने को सिलेंडर कर दो ..”
मोंगरा ने ना में सर हिलाया वो खाई के और भी करीब पहुच चुकी थी …
“पुलिस कभी ठाकुर को नही पकड़ सकती अजय मेरी बात समझो मुझे जाने दो ठाकुर को अगर कोई रोक सकता है तो वो हु मैं …...सिर्फ मैं……..”
“तुम्हारी गलती है मैं उसे गिरफ्तार कर सकता हु मेरे पास उसके खिलाफ सबूत है ,बचपना मत करो मोंगरा ..”
“मैं तुमसे प्यार करती हुई अजय बस यही कहना था ,सच में बहुत ज्यादा प्यार और तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हु लेकिन ये नही ...भगवान तुम्हे और चम्पा को सुखी रखे ,उससे कहना की उसकी बहन उससे बहुत प्यार करती थी ..शायद इसीलिए तुम दोनो को जिंदा रखा जबकि तुम दोनो ही मेरे मकसद में सबसे बड़े रोड़े थे …”
मोंगरा सिसक रही थी अजय के दिल में अजीब सी पीड़ा हुई लेकिन फिर भी उसने अपने इरादे नही बदले थे ...
वो उसकी ओर बढ़ ही रहा था की एक और आवाज आयी …
“इस रंडी को कैद करके क्या करोगे इंस्पेक्टर इसका काम यही खत्म कर देते है “
अजय पलटा रणधीर हाथ में बंदूख लिए मुस्कुरा था,
“नही “अजय बस चिल्लाया ही था की एक गोली की आवाज आयी और रणधीर के हाथो से पिस्तौल दूर जा गिरी ,बलवीर अपने हाथो में लगी हुई हथकड़ी की फिक्र किये बिना ही रणधीर पर टूट पड़ा था ,रणधीर थोड़ा सम्हला तो मोंगरा ने उसके ऊपर बंधूक तान दी ..
“नही मोंगरा नही “
अजय बस कहता ही रहा और गोलियों की आवाज से पूरा माहौल गूंज गया ,मोंगरा की पिस्तौल से निकली हुई सभी गोलियां रणधीर को छलनी कर रही थी ,अजय को इसे रोकने का कोई भी जरिया दिखाई नही दिया वो अपने हाथ में रखे हुए पिस्तौल से गोलियां चलाने लगा जो की सीधे मोंगरा को लगी और वो खाई में गिरने को हुई ..
“नही ……….”
ये एक आवाज नही थी दो थी ,एक अजय की दूसरी बलवीर की दोनो ही खाई की ओर भागे थे ...मोंगरा का जिस्म खाई में गिरता हुआ दिखाई दिया,अजय तो वही रुक गया लेकिन बलवीर नही वो खुद गया उसके हाथ बंधे हुए थे लेकिन फिर भी खुद गया ...अपनी मोंगरा को बचाने को खुद गया…..
अजय बस किनारे में खड़ा देखता ही रहा ,आंखों में आंसू और दिल में दर्द लिए बस देखता ही रहा ………….
 
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“आखिर हुआ क्या था जो मोंगरा ठाकुर से इतनी नफरत करती थी ,आपकी कहानी तो अधूरी रह गई थी “
अजय ने तिवारी को कहा ,दोनो अजय के घर पर दारू पी रहे थे ,तभी चम्पा वँहा आयी और कुछ भुने हुए काजू उनके सामने रख दिया ..
“भाभी जी अगर आपकी इजाजत हो तो आपके पति को थोड़ी देर के लिए ले जाऊ”तिवारी ने शरारत से कहा
चम्पा शर्मा गई ..
“क्या तिवारी चाचा आप भी ,मैं आपकी बेटी हु ना की भाभी और अभी हमारी शादी कहा हुई है,इन्हें तो काम से फुरसत ही नही है जो मुझे शादी कर ले “
चम्पा की बात से अजय का चहरा गंभीर हो गया था ..
“चम्पा मैंने मोंगरा से वादा किया था की ठाकुर को उसके किये की सजा दिलवाऊंगा ...मुझे उसके खिलाफ ज्यादा से ज्यादा सबूत इकठ्ठे करने है ..जिस दिन ठाकुर सलाखों के पीछे जाएगा उस दिन मैं तुमसे शादी करूंगा ….”
सभी चुप हो चुके थे ,अभी मोंगरा को गए हुए 15 दिन हो गए थे ,ना उसकी लाश मिली ना बलवीर की शायद पहाड़ी के नीचे बहने वाली नदी में दोनो बह गए थे ..
अजय दिन रात बस ठाकुर के पीछे लगा था,ठाकुर को अपने बेटे के मरने का गम तो था लेकिन साथ ही मोंगरा और उसके गैंग के जाने की खुसी भी थी ..
चम्पा अब अजय के साथ ही रहती थी..कभी कभी भावना और विक्रांत उससे मिलने आते थे ,अजय काम में बहुत ही ज्यादा बिजी था और उसे मामले को फिर से पूरा समझने की इक्छा पैदा हुई ……
तिवारी और अजय अब कमरे से बाहर चले गए थे,तिवारी ने एक सिगरेट सुलगाई ..
“चम्पा के सामने ये सब बात मत किया करो ,वो हमेशा से इन सबसे अलग थी ….”
“तो अपनी अधूरी कहानी पूरी करो ..”
अजय ने उसके हाथो से सिगरेट ले ली …
तिवारी गहरी सास लेकर कहता गया…….
कहानी वँहा से स्टार्ट करते है जंहा से छोड़ा था ..
फ्लेशबैक स्टार्ट…
कालिया फिर से हवेली में था लेकिन इस बार वो किन्ही और चीजों के प्रति सजग था,उसके साथी अलग अलग जगहों में छिपकर हवेली में होने वाली गतिविधियों का नुमायना कर रहे थे,
कालिया अंदर जाते हुए डरने की एक्टिंग कर रहा था वो जानता था की ठाकुर के लोग उसे देख भी रहे है और रोकने वाले भी नही है ...उसे खुद पर भी हँसी आ रही थी क्योकि अंदर जाते हुए उसे डर तो लग ही नही रहा था ,लेकिन एक्टिंग जरूर कर रहा था…
वो सीधे उसी कमरे में पहुच गया जो उसके लिए पूनम ने मुक़म्मल कर रखा था,
जब आपको पता हो की कोई आपको देख रहा है तब ऐसी एक्टिंग करना बड़ा ही मजेदार अनुभव होता है,कालिया को बस थोड़ी ही देर इंतजार करना पड़ा …
“ओह तो तुम आ गए “पुमन आते ही दौड़कर उसके गले से लग गई ..
“ये क्या कर रही हो कोई देख लेगा …”
“यंहा हमे कोई भी नही देख सकता ..”
“फिर भी मैं किसी और से प्यार करता हु”
कालिया ने पूनम को खुद से दूर करने की कोशिस की लेकिन पूनम किसी जोक की तरह कालिया के शरीर से चीपक गई थी ….
उसने अब अपना सर उठाया..
“तो उस दिन जो हमारे बीच हुआ था”
“वो महज एक इत्तफाक था ,उस समय मैं गुस्से में था ..”
पूनम के चहरे की मुसकान और भी चौड़ी हो गई..
“तो ये इत्तफाक फिर से हो जाए “
पूनम ने कालिया के धोती के ऊपर से ही उसके लिंग को सहला दिया,ना चाहते हुए कालिया के लिंग ने एक फुंकार मार दी और मुह से एक आह सी निकल गई …
“छोड़ो मुझे “
कालिया ने जोर का झटका दिया और पूनम उससे अलग हो गई …
“देखो पूनम मैं तुम्हारी बहुत इज्जत करता हु,जिस तरह से तुमने अपनी जान पर खेलकर हमारी मदद की है मैं उसके लिए तुम्हारा अहसान मंद भी हु लेकिन ...मेरी एक बीवी है जिससे मैं बहुत ही महोब्बत करता हु …”
पूनम के आंखों में थोड़ा पानी आया..
“इतनी खुसनशिब है रोशनी जो उसे तुम्हारे जैसा पति मिला है ….लेकिन हमारे परिवार में मर्द दो-तीन शादी करते है फिक्र मत करो मैं भी तुम्हारी पत्नी बन जाऊंगी .”पूनम ने चहकते हुए कहा ,
फिर थोड़े धीरे स्वर में बोली
“या फिर रखैल ..जो बनाना चाहो “
कालिया उसकी बात सुनकर ही कांप गया था ,पुनम के आंखों का आंसू बता रहा था की उसके दिल में कालिया के लिए क्या है,क्या ये महज शाररिक सुख की कामना थी या कुछ और ???
कालिया ना तो समझ पाया ना ही उसे समझना था…
“मुझे रोशनी और कनक से मिलना है …”
पूनम के चहरे में दर्द भरी मुस्कान खिल गई..
“जरूर हजूर …”
वो धीरे धीरे चलते हुए उसके पास आयी और गालों में एक प्यार भरा किस कर दिया
“मैं समझ चुकी हु की तुम मुझे अपनी पत्नी तो नही बनाओगे ,,लेकिन कम से कम रखैल तो बना ही सकते हो ..”
हँसते हुए उसने कालिया के लिंग को मसल दिया और शरारत भरी हँसी हँसते हुए वो वँहा से निकल गई …
पूनम की इस शरारत से कालिया के चहरे पर भी ना चाहते हुए एक मुस्कान आ गई,
 
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कालिया रोशनी के साथ उसी बाथटब में लेटा हुआ था जिसमे वो उस दिन लेटा था ..दोनो एक दूसरे में खो गए थे ,
इधर हवेली के एक कमरे में ..
“वो साला मेरे ही घर में है और मेरी बीवी उसे सपोर्ट कर रही है ,मादरचोद को यंही मार डालने का मन करता है ,या उसके सामने ही उन तीनो लड़कियों को काट डालूंगा …”
प्राण ने शराब को एक सांस में अपने अंदर पहुचा दिया …
परमिंदर उसे सांत्वना देता है ,
“अभी ना जाने कितने हितैषी होंगे उसके इस हवेली में ,सभी को धीरे धीरे ढूंढना बहुत ही जरूरी है वरना क्या पता की हम उसे मारने की सोच रहे है और वो हमारे ही घर में हम पर ही भारी पड़ जाए “
परमिंदर की बात से प्राण शांत तो हो गया लेकिन उसके कानो में पूनम की वो आवाज अब भी साफ साफ गूंज रही थी जिसे उसने आज सुना था,उसकी बीवी उसके दुश्मन की रखैल बनना चाहती है …….
प्राण गुस्से को पीने के कारण कांप रहा था लेकिन फिर भी मन के किसी कोने में उसके अंदर स आवाज आ रही थी की दिमाग से काम ले ,जल्दबाजी में सब कुछ गड़बड़ हो जाएगा …..
“साला इतना महंगा बाथरूम बनवाया था ,3 लाख का झूमर लगवाया था ,1 लाख का तो वो टब ही है और साले उनमे वो कालिय अपनी बीवी के साथ मौज कर रहा होगा ,.ना जाने कल मेरी बीवी भी ....इसकी मा की चुद …”
प्राण ने अपने हाथ में पकड़े हुए कांच के गिलास को जोरो से फेका जो दीवाल से टकरा कर चकनाचूर हो गया ..”
परमिंदर को उसकी बात पर थोड़ी हँसी भी आयी लेकिन वो इसे अपने तक ही दबा कर रह गया..
“कुछ तो करना होगा परमिंदर हम ऐसे हाथ पर हाथ धरे तो नही बैठ सकते ना “
“बेशक हमे बस कुछ करना तो होगा ठाकुर साहब लेकिन अभी नही ...बेफिक्र रहिए और किसके लिए रो रहे हो वो लड़की जो कभी मन से आपको अपना पति स्वीकार ही नही कर पाई,क्या आश्चर्य है की वो आपसे धोखा कर रही है ,अपने भी तो उसके बाप के गले में तलवार रखकर उसे उठाया था,वो कैसे आपको प्यार कर सकती है ,जिस प्यार और वफ़ा की आप उससे कल्पना कर रहे हो क्या अपने कभी उसे दिया है ..”
प्राण को लगा जैसे किसी ने उसे आईना दिखा दिया था,वो बौखला गया था लेकिन वो परमिंदर था कोई और होता तो शायद प्राण उसे गोलियों से भूंज देता...परमिंदर के साथ यही दिक्कत थी वो बेबाक था चाहे ठाकुर ही क्यो ना हो वो उसकी गलतियों को गिना देता,लेकिन ठाकुर उसे बर्दास्त करता था क्योकि उसे भी पता था की ऐसा वफादार और सच्चा आदमी उसे नही मिल सकता………

रात के 2 बजे होंगे,परमिंदर अपनी बीवी के बांहो में था ,वो अभी अभी पति पत्नी वाले काम से निपटे थे ,थके होने के बावजूद परमिंदर कभी अपनी पत्नी को निराश नही करता था,वो 1 बजे था ठाकुर के पास ही था,काम से थका हुआ आया और बीवी को देखकर उससे प्यार करने लगा….
परमिंदर छत को ताक रहा था,उसकी बीवी उसके नंगे छाती में उगे हुए काले बालो को सहला रही थी ..जिस्म की कोमलता परमिंदर के मर्दाना जिस्म से सटी हुई थी और दोनो के प्यार के परिणाम स्वरूप उत्पन्न पसीने की महक दोनो को एक दूजे के प्रति और भी लुभावना बना रही थी …
“क्या हुआ कुछ सोच रहे हो ,सब ठीक तो है ना “
“हम्म सब ठीक है ,लेकिन कभी कभी लगता है की ठाकुर की वफादारी करने से अच्छा कोई दूसरा काम देख लू …”
“क्या हुआ “
“कितने घिनोने काम करना पड़ता है मुझे यंहा ,सच कहु तो दिल गवाही नही देता लेकिन फिर सोचता हु की ये ही मेरा काम है जो हम पुरखो से करते आ रहे है...लड़ाई,इसके अलावा हमे आता ही क्या है,कभी राजाओं के सेवक थे तो अब ठाकुर के है ,मेरा बेटा भी यही करेगा,हमारे खून में वफादारी है ,जिसके साथ रहे वो गलत हो या सही साथ नही छोड़ते,...”
परमिंदर की बीवी उसके सीने को प्यार से चूमती है ..
“मैं अपने बेटे को ठाकुर का वफादार नही बनाऊँगी वो तो उसका वफादार होगा जो नेक हो और जो ठाकुर जैसे लोगो को ही खत्म कर दे “
परमिंदर आश्चर्य से अपनी बीवी को देखता है ,जो उसे देख कर बस मुस्कुरा रही थी ………..
 
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कालिया जंगल में बैठा हुआ इस बात पर विचार कर रहा था की क्या रोशनी ,कनक और पूनम को इस बात के लिए आगाह कर दिया जाय की प्राण उनकी हर हरकत पर नजर रखे है …
उसे सभी का समलित जवाब हा में मिला लेकिन समस्या था की कैसे क्योकि अगर प्राण किसी तरह से उनकी बात सुन रहा होगा तो फिर क्या होगा,जवाब आया की क्यो ना पूरी बात लिख कर पढ़ाई जाय…
कालिया ने यही किया,रोशनी और कनक ने तो इसे आराम से स्वीकार कर लिया लेकिन पूनम ने जब ये सब पढ़ा तो माहौल कुछ अलग था……
वो उसी कमरे में थे…
“ह्म्म्म तो फिर ये बात है”
कालिया ने उसे चुप रहने का इशारा किया
“क्या इशारा कर रहे हो मेरे राजा ...लगता है की तुम मुझे अपनी रखैल बनाने को राजी हो ही गए जो ऐसे इशारे कर रहे हो “
कालिया पूनम की बात सुनकर दंग रह गया,पूनम इठलाकर उससे लिपट गयी और उसके कान में फुसफुसाई ..
“अगर ऐसा है तो मैं उस साले प्राण को तड़फा कर मार डालूंगी ,साले ने मुझे मेरे घर से उठाया था,मेरे पिता को जलील किया था अब तो उसे इसकी सजा मिलनी ही है ,जिसके मोह में आकर उसने मुझे उठाया था उसकी शरीर को मैं उसकी ही नजरो के सामने दूसरे को सौप दूंगी और तुम्हे मेरा साथ देना होगा “
उसके आवाज में संकल्प ,दर्द और बदले की चाह साफ थी साथ ही कालिया के लिए एक धमकी भी थी ,क्योकि उसने साथ देना होगा नही कहा था ,उसने कहा था साथ देना ही होगा …
कालिया को समझ आ चुका था की पूनम ऐसा क्यो कर रही है लेकिन आगे वो क्या करे इस बारे में वो समझने की कोशिस कर रहा था,
“तुम मुझसे सच में प्यार करती हो या बस अपनी जिस्म की भूख मिटाना चाहती हो ..”
कालिया ने थोड़ा जोर से कहा ताकि अगर प्राण सुन रहा हो तो उसे भी ये सुनाई दे जाए …
वो खिलखिलाई ..
“तुम मुझे अच्छे लगते हो ,अब इतने कम दिनों में प्यार तो हो नही सकता ना,लेकिन हा अगर तुम उस दिन जैसे मेरा साथ दो तो तुम्हारे मजबूत इरादों और मजबूत लिंग से मुझे संचमे प्यार हो जाएगा “
वो मुस्कुराई,उसकी मुस्कुराहट बिल्कुल सच्ची थी जैसे उसकी ये बात सच्ची थी ,सच्चाई ढूंढने के लिए कुछ खोजना नही पड़ता बस आंखों में उभरे भाव ही काफी होते है…
वो मचलते हुए कालिया से लिपट गई और साथ ही कालिया भी जोरो से हँस पड़ा और उसे मजबूती से अपनी बांहो में भर लिया,वो ध्यान से पूनम को देखने लगा,वो परी थी जिसकी कल्पना भी शायद कालिया अपनी दूसरी जिंदगी में नही कर सकता था ,
वो खूबसूरती में कनक और रोशनी से कही आगे थी ,लेकिन उसकी खुसबसूरती को नापने वाली आंखे होनी चाहिए,
नीली आंखे ,बिल्ली सी आवाज ,भूरी प्यारी सी लड़की ,बाल पूरे तरह से काले नही थे,चहरे के रंग के कारण वो भी थोड़े भूरे थे लेकिन लंबे और मजबूत ,होठो की लालिमा किसी गुलाब सी थी किसी भरे हुए मय के प्याले ही लगते थे ,
कालिया आगे बढ़कर उसके होठो को हल्के से चूमा ,वो आंखे उठाई उसकी आंखों में देखने लगी ,ये क्या हो रहा था उनके बीच …
पता नही क्या था लेकिन जैसे कोई करेंट सी दोनो के जिस्म में दौड़ गई थी ,पूनम के बदले की आग और कालिया का पत्नीव्रता होना सब जैसे कही पीछे छूट गया,ये अजीब था वो ये सब इसलिए तो नही कर रहे थे की उनके मन में एक दूसरे के लिए प्यार था या जिस्म की हवस ही थी ,नही ऐसा कुछ तो नही था लेकिन अभी अभी जो हुआ था वो क्या था…
दोनो के आंखों में आया हुआ वो भाव क्या था जिसे दोनो ही अपने दिलो में महसूस कर रहे थे,वो दोनो ही झटके से अलग हो गए और अपने आप से यही सवाल पूछने लगे…
कालिया ने सिर्फ एक ही औरत से प्यार किया था और वो थी उसकी बीवी ,वही पूनम कालिया के करीब इसलिए जाना चाहती थी क्योकि उसे वो मर्द लगा जो उसका बदला ले सके …
लेकिन वो होठो का एक मिलन सभी गणित को बिगड़ कर रख दे रहा था,
“मुझे माफ करो की मैं “कालिया कुछ बोलता इससे पहले ही पूनम ने उसके होठो पर अपने हाथ रख दिए ...और सर ना में हिलाया ,वो कालिया के करीब आई और उसके कानो में कहा ,
“पता नही ये क्या था लेकिन ये नही होना चाहिए,जिस्म मिल जाय लेकिन जस्बात नही वरना हम दोनो हो मुसीबत में फंस जाएंगे…..”
कालिया ने सर हा में हिलाया …
“चलो तुम्हे तुम्हारी प्यारी पत्नी से मिलवा देती हु …”पुनम मुश्किल से सामान्य हो पाई क्योकि उसके जीवन में ये पहला मर्द था जिसके लिए उसे ऐसा अहसास हुआ था,ये एक दिन के मिलन का नतीजा नही था शायद कुछ उसने मन में पहले ही रहा हो जो आज अचानक से बाहर आ गया ...सम्मान कब और कैसे प्यार में बदल जाए कहा नही जा सकता……
 
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विक्रांत उसी कमरे था जंहा उसने वो खेल खेला था ,और अब भी रोशनी और कनक उसके साथ बैठे थे लेकिन कनक आज उस दिन की अपेक्षा बहुत ही शांत थी ,क्योकि उसे भी पता था की जिस प्लान को वो पूरा करना चाहती थी वो अब नही हो सकता लेकिन इसके एवज में उन्होंने एक गलती कर दी थी वो था की विक्रांत के मन में रोशनी को पाने की चाह पैदा करना ,विक्रांत जुनूनी और हवसी दोनो ही था ,अब वो रोशनी को हवस नही बल्कि जुनूनी नजरिये से देख रहा था ,उसके मन में उसे पाने के अगल अगल ख्यालात पैदा हो रहे थे...वही कनक और रोशनी इसी सोच में थे की आखिर विक्रांत को उसके शैतानी इरादों से कैसे रोका जाए……
“क्यो मेरी जान आज बड़ी चुप हो “विक्रांत के बाजू में बैठी हुई कनक के जांघो पर हाथ फेरते हुए विक्रांत ने कहा ..
कनक ने उसका हाथ हटा दिया,एक खुलासा और कालिया की मौजूदगी दोनो ने ही कनक और रोशनी के सोचने के तरीके को बदल दिया था,पहले वो अपने को मजबूर समझ रही थी कालिया के आने से वो मजबूत हो गई,लेकिन इस खुलासे से की प्राण उनपर नजर रखे है वो डर गई थी,उन्हें समझ ही नही आ रहा था की आखिर करे तो क्या करे,अगर विक्रांत का साथ दिया तो कालिया की प्रतिक्रिया क्या होगी और अगर नही दिया तो विक्रांत क्या करेगा,और फिर प्राण…
वो ना तो कालिया को गुस्सा दिलाना चाहते थे ना ही विक्रांत को क्योकि दोनो में से किसी को भी गुस्सा दिलाने का मतलब था की कालिया के ऊपर संकट आना …
रोशनी उठी और अपनी ननद को पास बुला कर उसके कानो में कहा …
“तू इसे सम्हाल मैं तेरे भइया को सम्हालती हु,अगर उन्हेंने तुझे कुछ करते देख लिया तो वो खुद को माफ नही कर पाएंगे...और अगर उन्होंने वक्त से पहले कुछ कर दिया तो समझो की आफत आ जाएगी “
कनक ने सर हिलाया,विक्रांत रोशनी को जाते हुए देखता रहा लेकिन कुछ नही कहा,कह तो उसकी आंखे रही थी जो गुस्से से लाल हो चुकी थी …
“ये साली रांड अपने को समझती क्या है ,किसी दिन इसे जबरदस्ती चोद दूंगा ,बड़ी आयी सती सावित्री बनने वाली ,इसे प्यार से पाना चाहता हु और भाई की इसपर नजर है इसलिए अभी तक बची हुई है…”
विक्रांत ने कनक को गुस्से से देखा,कनक ने अपने को तैयार कर लिया था वो मचलते हुए उसके पास आ गई और उसके गोद में बैठ गई ,वो एक कसे हुए सलवार में थी जिसका दुपट्टा उसने पहले ही फेक दिया था,...
“ठाकुर साहब हमे भी देख लिया करो ,हम कच्ची कली है हमे भी फूल बना दीजिए..”
कनक ने विक्रांत का हाथ अपने वक्षो में रख दिया ,विक्रांत कच्ची कली होने की बात सुनकर उसपर थोड़ा ध्यान दिया ..
“तुझे फूल तो बनाऊंगा मेरी जान लेकिन उसे पाने की जिद जो कर बैठा हु “
कनक का अब बस एक ही मकसद था की विक्रांत के दिमाग से रोशनी का बहुत उतारना और उसने गांव की महिलाओं से ये सिख रखा था की उसे ऐसा करने के लिए विक्रांत का पानी निकलना पड़ेगा ….
वो मुस्कुराती हुई घूम कर बैठ गई ,अब उसके दोनो पैर विक्रांत के कमर को घेरे हुए थे,और चहरा उसके चहरे के करीब दोनो की सांसे टकरा रही थी ,हवाओ में एक अजीब सी खुशबू ही और माहौल में एक अजीब सी बात,ये वही समय था जब कलिया पूनम दो देख रहा था,और यंहा विक्रांत कनक को …
दोनो ही जोड़े एक दूसरे से प्यार नही करते थे लेकिन फिर भी दोनो ही एक दूसरे के आंखों में उस खास वक्त में खो से गए थे ,कहा जाता है की एक ही तरह की एनर्जी एक दूसरे को आकर्षित करती है और बढ़ाती भी है,इसलिए प्राचीन लोग कोई भी साधना ब्रम्हमुहूर्त में करने पर जोर देते थे क्योकि आसपास के समस्त साधक उस समय साधना में होंगे और सब की एक तरह की एनर्जी मिलकर सबका संवर्धन करेगी…
शायद ऐसा ही कुछ यंहा हो रहा था ..
दोनो ही जोड़े जो एक दूसरे से प्यार नही करते थे एक दूसरे की आंखों में खिंच से गए ,दोनो के लब मिले और जैसे कामदेव ने प्रेम का बाण मार दिया हो दोनो जोड़ो को एक अजीब सी संवेदना का अहसास हुआ ,जो की हवस नही थी वो प्रेम था,खालिस प्रेम …
कनक और विक्रांत एक दूसरे को छोड़ दिया,उन्हें समझ ही नही आया की ये उनके साथ क्या हुआ ,विक्रांत बेचैन हो गया,इतने लड़कियों के साथ सो चुके विक्रांत के लिए ये पहला आभस था वो भी उसके साथ जिसे वो अपनी दासी बनाना चाहता था,वही कनक के लिए तो पहला पुरुष विक्रांत ही था लेकिन वो उससे नफरत करती थी ,हा उसकी मर्दानगी पर उसे थोड़ा मोह तो आया था,और उसने उस दिन कनक के हवस को भी जगाया था लेकिन वो प्यार तो नही था लेकिन अभी अभी जो हुआ वो क्या था….दोनो ही अजीब से कंफुसन में थे,कनक से ज्यादा बेचैन विक्रांत था क्योकि वो इस लड़की के प्यार में तो मरकर भी नही पड़ना चाहेगा…
वो जल्दी से उठा और बिना कुछ बोले या नजर मिलाए ही वँहा से निकल गया,कनक भी अपनी सोच में गुम हुए हादसे को सोचती रही …….
हा ये सच है की प्यार में पड़ जाना या उसका आभस हो जाना भी किसी हादसे से कम नही होता……….
 
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विक्रांत एक गहरी परेशानी में अपने कमरे में बैठा हुआ था,और वही पूनम और कनक भी आने ही ख्यालों में थे,
कालिया रोशनी के साथ सुकून से लेटा था लेकिन उसके दिमाग में भी कई विचार चल रहे थे,कनक ने पूनम को वो बतलाया जो उसके साथ हुआ था,
पूनम शायद इस बात को नही संमझती अगर उसने भी इसका अनुभव नही किया होता लेकिन अब वो कनक की बात को समझ सकती थी ,
विक्रांत के कमरे का दरवाजा खुला,इसने इसी कमरे में ना जाने कितनो की इज्जत लूटी थी ,कितनो को नंगा किया था लेकिन आज वो अजीब से कसमकस में फंसा हुआ था,उसे प्यार कैसे हो सकता है वो तो खुद को शैतान समझता था,कमरे के खुलने की आवाज से वो चौका ..
सामने खड़ी दुल्हन सी सजी हुई पूनम उसके सामने खड़ी हुई थी ………
“आप फिर से मुझे जलाने आ गई “
वो बौखलाया नही बल्कि हल्की आवाज में बोला,पता नही आज उसे जोर से बोलने पर भी तकलीफ हो रही थी …
पुमन मुस्कुराते हुए उसके बाजू में आकर बैठ गई ..
“तुम मेरे देवर हो लेकिन आज तक हमारा रिश्ता कभी देवर भाभी का नही बन पाया ,क्योकि तुम्हारे लिए मैं भाभी से ज्यादा बस तुम्हारे भइया की लूट का समान थी ,इस घर में औरतो को तो ऐसे भी कोई इज्जत नही मिलती ,और मैं ये भी जानती हु की तुम दोनो ही भाईयों के लिये औरत बस एक जिस्म है जिसका भोग करना और इस्तेमाल करने के अलावा तुम कुछ जानते ही नही ,शायद इसीलिए हमारे बीच भी ये दूरी है की हम एक दूसरे से बात भी नही करते …”
विक्रांत ने पहले संचमे कभी ऐसे अपनी भाभी से बात नही किया था असल में उसने तो कभी पूनम की ओर ध्यान भी नही दिया था,वो थी जिसे उसका भाई उठाकर ले आया था पहले तो अपनी ऐयासी के लिये फिर जाने क्या सोचकर उसे अपनी बीवी बना लिया था उससे ज्यादा पूनम का कोई अस्तित्व विक्रांत के लिया नही था…
“तो आज क्यो आयी हो ये बात याद दिलाने की हम कितने बड़े शैतान है …”
पूनम के होठो में एक हल्की सी मुस्कुराहट जाग गई
“नही ये याद दिलाने के लिए की इस शैतान के अंदर एक इंसान अभी भी जिंदा है ….तूम अपने भाई से हमेशा से ही अलग थे ,तुम्हे कभी भी जबरदस्ती करना पसंद नही आया और तुम्हारे भाई ने कभी बिना जबरदस्ती के काम ही नही किया ,तुम्हरे दिल में जाने अनजाने ही मानवता थी,हा तुम्हारी परवरिश ऐसी हुई की तुम शैतान बन गए लेकिन तुम्हारे अंदर इंसानियत है और आज वही इंसानियत के कारण तुम प्यार में पड़ गए …”
विक्रांत आश्चर्य से पूनम की ओर देखने लगा…
“मुझे कनक ने सब कुछ बताया,जैसे तुम डरे हुए हो वैसे वो भी डरी हुई है…उसे भी कभी उम्मीद नही थी की वो तुम्हारे बारे में ऐसा महसूस करने लगेगी लेकिन जो होना होता है उसे कौन रोक सकता है …”
विक्रांत कुछ कहता उससे पहले ही पूनम ने अपना हाथ उसके सर पर रख दिया ,विक्रांत ने पहले ऐसी फीलिंग कभी महसूस नही की थी आज दिन में दूसरी बार था जब उसका प्यार से हो रहा था ,अपनत्व से हो रहा था,उसके आंखों में अनायास ही आंसू आ गए ,उसका दिमाग जोरो से कह रहा था की प्यार तेरे लिए नही है तू शैतान है,लेकिन फिर दिल का एक कोना इतना ज्यादा डॉमिनेटिंग हो रहा था की वो भावनाओ में बहने लगा था,दिमाग के ऊपर दिल छा गया था और वो ना चाहते हुए भी पूनम से जा लिपटा,
पूनम उसके बालो को इतने प्यार से सहला रही थी की विक्रांत में कुछ अजीब से भाव जागे ,वो अपनत्व वो प्यार ..शायद इन्ही सबकी तलाश उसे बचपन से ही थी लेकिन कभी उसने इसे खोजा ही नही था,उसे लगा जैसे उसे वो सब मिल गया जो वो बचपन से अनेक चीजों में खोजता हुआ फिर रहा था,कभी उसे माँ की गोद नसीब नही हुई थी ,बाप भी उसका प्राण की तरह ही था,और कोई बहन भी नही थी ,ऐसा कोई दोस्त नही जो उसे प्यार कर सके ,थी तो बस लडकिया जिसे वो भोगा करता था लेकिन वो जिस्म तक ही सीमित रह जाती ….
अनजाने में ही विक्रांत बहुत प्रयास करता की वो लड़कियों के जिस्म से भी पार पहुचे वँहा जिसे इश्क कहते है जो बढ़ने पर इबादत बन जाती है लेकिन लकड़ियों के लिए भी वो बस एक ऐसा जमीदार ही रह जाता था जो पैसे या ताकत के बल पर उन्हें अपना रहा था …
वो लड़कियों से बहुत ही सलीके से पेश आता लेकिन किसी के प्यार में पड़ने के लिए इतना काफी भी तो नही होता ,लडकिया अंदर से तो ये जानती थी की वो मजबूर है उसकी बांहो में जाने के लिए…
आज उसे लग रहा था की उसे वो मिल ही गया ,एक अजीब सी संतुष्टि उसे पूनम के छातियों से लगकर हो रही थी ,वो वासना नही प्रेम था,एक भाभी का अपने देवर के लिए जैसा एक बहन का अपने भाई के लिए होता है ,...
असल में प्यार का स्वरूप एक ही है बस उसको जताने का तरीका अलग होता है,पति पत्नी या प्रेमी अपने प्यार को जिस्म के मिलन के जरिये जताते है तो माँ और बहने अपने बेटे की फिक्र स्नेह करके ,वही बाप अपने बच्चे को डांट कर भी अपना प्यार जता जाता है,...
ये प्रेम जब जीवन में उतरता है और जब किसी को इसका अहसास किसी भी रूप में होता है वो सबसे पहला काम होता है वो है व्यक्ति का रूपांतरण …..
कहा गया है की प्रेम होता नही है प्रेम में गिरा जाता है ,और जो गिर गया उसके लिए पूरी दुनिया ही प्रेम हो जाती है ..विक्रांत प्रेम में गिर चुका था ,और उसके अंदर एक रूपांतरण होने लगा था,और शायद इसी लिए वो रो रहा था ,पूनम के सीने से लगे हुए बच्चों की तरह रो रहा था,...
दरवाजे पर खड़ी कनक की आंखों में भी आंसू थे ,उसे भी पता था की विक्रांत किस दर्द से गुजर रहा है ,लेकिन हर रूपांतरण एक दर्द के साथ ही शुरू होता है ,व्यक्तित्व का बदलना कोई खेल नही होता ,पुराने हर आदत जब बेकार लगने लगती है,जीवन बिल्कुल सुना सा लगने लगता है,लगता है की जीवन में जो भी किया वो बेकार था फिजूल था,और जब इतना समय बिता देने की ग्लानि होती है,पुरानी सड़ी हुई व्यक्तित्व की परते सामने आती है तो दर्द तो होता ही है …….आंसू तो निकलते ही है ………..
 
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हवेली से निकलने का प्लान बन चुका था ,अब बस आखिरी फैसले का इंतजार था,
इधर ठाकुर प्राण ने भी कुछ खास ना पता चलते देख अटैक करने का प्लान करना शुरू कर दिया ,इसी बीच कालिया और पूनम के बीच बात बढ़ने लगी …..
कालिया पूनम के बांहो में था,कालिया मैं जानती हु की तुम लोग यहां से निकलने वाले हो लेकिन क्या जाते जाते मुझे कोई तोहफा नही दोगे…
कालिया ने पूनम को प्यार से निहारा ..
“तुम कौन कहता है की मैं तुम्हे छोड़कर चला जाऊंगा “
“नही कालिया मैं इस हवेली को तभी छोडूंगी जब मैं प्राण की मौत देख लू “
पूनम की बात से कालिया स्तब्ध रह गया,उसने प्यार से उसके बालो को सहलाया ..
“तुहारी वो ख्वाहिश भी पूरी करूंगा लेकिन अभी बताओ क्या चाहिए तुम्हे तोहफे में ..”
पूनम हल्के से मुस्कराई ..
“तुम्हारा बच्चा “
पूनम बोल कर शर्मा गई लेकिन कालिया किसी सोच में पड़ गया..
“प्राण तुम्हे मार डालेगा ..”
“नही वो नही मरेगा...उसकी इतनी हिम्मत नही की तुम्हारे और मेरे बच्चे को हाथ लगा दे “
कालिया ने पूनम को जोरो से जकड़ा और उसके होठो में अपने होठो को घुसा दिया,दोनो ही मस्त हो चुके थे एक दूसरे के जिस्म की प्यास दोनो में बढ़ने लगी थी,पूनम कालिया का हाथ पकड़कर उसे एक दूसरे कमरे में ले गई,ये आलीशान कमरा था जंहा बड़े से प्रेम में प्राण और पुमन की फ़ोटो लगी थी …
“तो ये तुम्हारा कमरा है ,”
पूनम ने हा में सर हिलाया
वो बड़ा सा गोलाकार बिस्तर जिस्म कम से कम 4 लोग सो जाए ,कालिया ने पूनम का हाथ पकड़कर उसे उस बिस्तर में पटक दिया,दोनो के होठ मील और जिस्म भी मिलते गए ……..

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कनक और रोशनी अपनी तैयारी में बैठे थे ,विक्रांत भी उनका साथ देने को तैयार था,लेकिन वो हवेली छोड़कर नही जाना चाहता था ,वो अपने भइया से आशीर्वाद लेकर ही कनक को अपनाना चाहता था,उसे पता था की प्राण उससे कितना प्यार करता है,कनक घबराई जुरूर लेकिन अपने प्यार पर उसे पूरा भरोषा था,
“अगर मरेंगे तो साथ ही मरेंगे “विक्रांत ने उससे कहा

इधर
प्राण से अब बर्दास्त नही हो रहा था,परमिंदर के मना करने के बाद भी वो नही रुका ,बड़े बड़े स्पीकर में अब पूनम की सिसकियां गूंज रही थी ,और दूसरी ओर उसका भाई उसके दुश्मन की बहन से शादी करने की बात सोच रहा था ,
प्राण ने पिस्तोल उठाई और अपने कमरे की ओर चल दिया…

*************
पूरे हवेली में घेरा बंदी शुरू हो गई थी,ठाकुर के सभी लोग सचेत थे ,ये सब समय से पहले हो रहा था,कालिया की जल्दबाजी का ही नतीजा था ,कालिया के लोगो ने जब देखा की हवेली को घेरा जा रहा है,तुरंत ही डॉ और त्तिवारी से संपर्क किया ,जल्दबाजी में ही गिरोह के सभी लोग वँहा पहुच गए और अपने सरदार को वँहा से निकालने का प्लान बनाने लगे ,गिरोह का नेतृत्व चिराग कर रहा था…

********
हवेली के बाहर जितनी गहमा गहमी मची थी वैसी ही गहमा गहमी हवेली के अंदर प्राण सिंग के बिस्तर में भी मची हुई थी ,कालिया और पूनम एक दूसरे के नंगे जिस्म में दोहरे हुए जा रहे थे,कालिया ने जोर लगाया और अपना गर्म लावा पूनम के गर्भी में डाल दिया …..
पूनम को लगा कि जैसे उसे जन्नत मिल गई हो …….
कालिया तैयार हुआ और रोशनी और कनक के पास पहुच गया,पूनम भी तैयार होकर कमरे से बाहर निकली थी की…
प्राण उसके सामने खड़ा था उसकेआंखों में जैसे अंगारे थे …..
पूनम को देखते ही उसने गोलियां चला दी …….
गोलियों की आवाज पूरे माहौल में गूंज गई थी ……
पूनम लुढ़ककर नीचे गिरते गई …..
चारो ओर खून फैला था,और एक गजब की शांति पूरे वातावरण में छा गई …..


हवेली में बस ठाकुर के सिपाहियों के जूते की आवाज गुंजने लगी ,कालिया उसकी बहन और पत्नी घिर चुके थे,विक्रांत उसे बचता हुआ सामने चल रहा था ,वो उन्हें गेट तक ले गया जंहा से कालिया ने बाहर निकलने का रास्ता बनाया हुआ था,बचाव में कलिया के लोग भी फायरिंग करने लगे थे और कुछ अंदर भी आ चुके थे ,
परमिंदर सामने ही खड़ा हुआ था,विक्रांत को देखकर उसकी आंखे चौड़ी हो गई ..
“सामने से हट जाओ छोटे ठाकुर वरना आज मेरे हाथो से नही बच पाओगे ..”
“मैं मर जाऊंगा पर्मिदंर लेकिन इन्हें तुम नही रोक सकते “
विक्रांत के पीछे खड़े कालिया ने अपने पिस्तौल में अपनी हाथ मजबूत की ,चारो तरफ शोर शराबा था लेकिन ठाकुर का किला कालिया के लोगो के लिए अभेद्य ही रहा ,कालिया के लोग गोलियां खा रहे थे शिकस्त नजदीक दिखाई पड़ रही थी ,जैसे तैसे विक्रांत के सहारे वो गेट तक पहुच गए जिसे दीवाल तोड़कर बनाया गया था ,बाहर कालिया के लोग थे और अंदर ठाकुर के गोलियां ही दोनो ओर के लोगो की रक्षा कर रही थी ,विक्रांत के कारण ठाकुर का कोई आदमी उनपर गोली नही चला रहा था यंहा तक की परमिंदर भी रुक गया था ,
प्राण जब बाहर आया और सामने का नजारा देखकर बौखला गया उसका ही भी उसके दुश्मन की ढाल बना हुआ है ,उसने आव देखा ना ताव और गोलिया चला दी जो सीधे सामने खड़े हुए विक्रांत के सीने में जा धंसी …
“विक्रांत …”
कनक की चीख निकली लेकिन कालिया उसे खिंचता हुआ हवेली के पार जा चुका था,दोनो ओर से गोलियों की बरसात सी हो गई ,प्राण अपने दिल के अजीज भाई को इस हालत में देखकर खुद को रोक नही पाया और गोलिया बरसते हुए गेट के बाहर तक आ गया जिसे पर्मिदंर ही खिंच कर अंदर लाया ………
कालिया और ठाकुर दोनो के कई लोगो को गोलिया लगी थी और कुछ ही देर में माहौल में शमशान की तरह की शांति छा गई थी ………..


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प्राण अपने घर की खमोशी को महसूस कर रहा था,हाथो में जाम लिए वो परेशान दिख रहा था,कालिया से खेल खेलने की सजा में उसे अपने बीवी और भाई को खोना पड़ा था,दोनो ही अभी हॉस्पिटल में थे और जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे,परमिंदर उसकी खामोशी को समझ सकता था ,लेकिन वो कह कुछ भी नही सकता था,शायद ये सभी उसकी ही गलती के कारण हुआ था,वो सर झुकाए बाहर जा रहा था की प्राण ने उसे रोक लिया…
“परमिंदर यार ये क्या हो गया ...इतनी दौलत शोहरत अब किस काम की जब घर में कोई अपना ही नही …”
दरवाजे पर खड़ा प्राण के पहली बीवी का बेटा रणधीर सब सुन रहा था प्राण ने उसे देखा और अपने पास बुलाया ...उसके सर पर हाथ फेरा ,
“पापा माँ कहा है “
वो अभी बहुत छोटा था की इन सभी चीजों को समझ सके लेकिन उसकी माँ के गुजर जाने के बाद से पूनम उसे बहुत प्यार देती थी ,बच्चा छोटा था लेकिन प्यार को तो समझ ही सकता था,प्राण नही चाहता था की उस पर पूनम का साया ज्यादा पड़े क्योकि वो उसे भी अपनी तरह बनाना चाहता था लेकिन फिर भी आज उसकी बात सुनकर प्राण का दिल कचोट गया…
“वो कही गई है आ जाएगी जाओ तुम अपने कमरे में “
उसके जाते ही प्राण ने एक और पेग बनाया ...और गहरी सांस ली ..
“मैं उस औरत को कभी माफ नही करूंगा ...चाहे तुम कुछ भी कहो ना ही अपने भाई को ...लेकिन उस औरत को अपने पास जरूर रखूंगा ,ताकि कालिया की सारी जिंदगी उसे मेरे कैद से छुड़ाने में निकल जाए ..”
उसने एक ही बार में अपना पूरा पेग खत्म कर दिया ……
 

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