Incest कथा चोदमपुर की

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लास्ट अपडेट में मैंने किरदारों के बारे में आपको बताया था, तो अब आगे की कहानी खुद कर्मा की जुबानी ..

अपडेट 1

(या ज़ोर से चूसो ... हं हन थोडा और अंदर येह्ह्ह अह्ह्ह थोड़ा या अंदर आह्ह) सुबह मेरी निंद ऐसा सपना देखते हुए खुल गई सपने में तो लंड किसी के मुह में था यहां तो खुद के हाथ में खड़ा था । ... यानी कुल मिलाकर मेरी हलत वैसी ही थी जैसी सारे लड़कों की होती है ... अपने खड़े लंड को थोड़ा सहलाते हुए मैंने अपनी आंखें पूरी तरह खोली या खुद को सपनों की दुनिया से वास्तविकता में लेकर आया ...

तबी पीछे से एक आवाज आई

मां- उठ अब कब तक सोता रहेगा?

मैं- सोने दो ना मां आज तो संडे है..

माँ- संडे है तो क्या पूरे दिन सोयेगा उठ जल्दी तेरे पापा तो बाग में चले भी गए या तू सोता ही रहता है।

मैं- उफ्फो मां उठ रहा हूं अनुज कहां है?

माँ- वो बहार नाश्ता कर रहा है तू भी उठ और करले।

मैं- ठीक मां अब चलो मैं आता हूं...

(मेरा घर एक सिंगल मंजिला घर है मतलब ऊपर रूम नहीं बने बस छत है या बैठने के लिए है नीचे 4 कमरे हैं 2 वॉशरूम या किचन या हॉल सब नीचे है क्योंकि गांव के घर बड़े होते हैं इसलिए ऊपर बनाने की जरूरत नहीं पड़ी। एक कमरा में माँ पापा या उनके बगल वाला कमरा खाली है माँ पापा के कमरे के बहार एक वॉशरूम है उनके गेट के बगल में ही और फिर उन दो कमरे के बाद किचन फिर मेरा कमरा और फिर एक कमरा अनुज का है)

इतना सुन कर मां चली जाती है या मैं सोचता हूं बच गया जो मां ने मेरा खड़ा लंड नहीं देखा एक तो शॉर्ट्स में ये छुपा भी नहीं है..फिर मैं वॉशरूम में जकर लंड हिलाकर शांत करता हूं या बहार आ जाता हूं ... लेकिन लंड भी ना एक बार हिलाने से मान जाए ऐसा कहां है... जैसा आपको मैंने बताया है के मैं चुदाई का कितना भुखा हूं तो उसी के ख्याल रहते हैं दिमाग में तो मैं हर लड़की के नंगे में सबसे पहले ये सोचता हूं के ये नंगी कैसे लगेगी ... इस्को चोदने कितना मजा आएगा पहले तो मेरा लंड सिरफ लड़कियों को देख कर खड़ा होता था लेकिन अब तो चाची भाभी सबको देखकर तन जाता है ... अपने से बड़ी उम्र की औरतों को देख कर करता हूं है मेरा हाल शायद ये ज्यादा ब्लू फिल्म देखने की वजह से है..

खैर मैंने बहार आ कर ब्रश करने लगा दोस्तो मैं आपको अपनी एक कमजोरी के बारे में तो बताना ही भूल गया मुझे महिलाओं की कमर बहुत सेक्सी लगती है खसकर साड़ी में से किसी की कमर या नावेल दिख जाए तो मेरा लंड हो गया है .... तो हुआ भी कुछ कुछ ऐसा ...

जब मैं ब्रश कर रहा था तब माँ कुछ काम कर रही थी या उन साड़ी पाहन राखी थी जो वो नावेल से थोड़ा नीचे बंधती थी .... तो मेरी नज़र उनके चिकने पेट पर पड़ी, काम करने की वजह से उनका पल्लू थोड़ा पल्लू थोडा गया था जिससे उनका पूरा सपाट पेट और नाभि नजर आ रही थी ...



फिर क्या था मेरा लंड ये देखते ही खड़ा होने लगा ... या कुछ ही पलो में पूरा खड़ा हो गया ... मेरी नजर मां की चिकन कमर से हट ही नहीं रही थी तबी मां किसी काम से कमरे में चली गई तो मुझे होश आया ... फिर मैं खुद को गाली देने लगा की अपनी मां को देख कर तेरा लंड कैसे खड़ा हो सकता है ... लेकिन लंड के लिए वो सिरफ कमर थी। तो हो गया वो खड़ा ... फिर मैंने मुश्किल से लंड को पजामे में एडजस्ट किया या निकल गया बहार अपने बाग की तरफ .. हमारी भैंस या गया भी वही बंधी रहती है ..)

जब मैं बाग में पाहुचा तो देखा पापा एक भैंस को खोल रहे थे.. तो मैंने पूछा

मैं- क्या हुआ पापा आप इसे खोल क्यों रहे हो?

पापा- इसका टाइम हो गया है ना तो इसे करना है

मैं- क्या टाइम हो गया है पापा या क्या करना है?

पापा- अरे गधे, इस्को पेट से करने का टाइम हो गया है तबी तो बच्चा देगा या फिर दूध दे पायेगी...

मैं- ओह अच्छा तो आप किस करवाओगे इसे।

पापा- अरे है ना वो बंधा हमारा छोटा भैंसा

मैं- पर पापा वो इसे कैसे कर सकता है.... ये भैंस तो उसकी मां है..

पापा- अरे माँ वा कुछ नहीं होता अभी देख कैसा चढ़ता है वो इसके ऊपर एक बार में ही कर देगा ... एक ही बार में पेट में बच्चा डाल देगा..

मैं पापा की ये बात सुनकर चुप हो गया लेकिन उनकी बात मेरे मन में घूमने लगी...

फिर पापा ने उन दोनो को साथ किया तो भैंसा तुरंत अपनी मां के पीछे गया या उसकी चूत पर सूंघा या फिर तूरंत अपना बड़ा सा लंड लेकर उस पर चढ़ गया ... मैं उनकी ये चुदाई बड़े ध्यान से देख रहा था या मुझे आज सारा सीन याद आ रहा था वो मां का चिकन पेट, मेरे लंड का खड़ा होना या पापा की कही ये बात भी मुझे बार बार अपनी या खींच रही थी। एडजस्ट करके पजामे में छुपाया ... या कुछ डर देखने के बाद मैं वहां से निकल गया फिर मैं घर आया कॉलेज का कुछ काम था वो किया .. अनुज से थोड़ी लड़ाई हुई जो भाईयों में होती रहती है या फिर टीवी देखते देखते तो गया ...

शाम को खाने के समय अनुज ने उठाया और बोला

अनुज-उठ जाओ खाना खा लो मां बुला रहे हैं...

मैं- तू चल मैं हाथ धोकर आता हूं।

फिर जकार मैं सबके साथ खाना खाने बैठा मैं, पापा या अनुज खा रे थे या मां हम सबको खाना दे रही थी... तो खाना देते हुए जब मां झुक रही थी तो मेरी नजर फिर मां के पेट पर चली गई। या मुझसे फिर से सब वो याद ए गया जो सबह हुआ था ... मैंने खुद को कंट्रोल करते हुए अपनी नजर ऊपर करने लगा लेकिन पल्लू साइड होने की वजह से फिर मुझे उनके ब्लाउज के और से झांकती हुई चुचिया में देखा में पहली बार ये ख्याल आया के मां की चुच्चिया कितनी बड़ी है या कितनी सुंदर या टाइट लग रहे हैं..या मैं उनको देखता ही रह गया ... तब एक आवाज से मेरा ध्यान टूटा

मां- कर्मा तू कुछ या लेगा क्या...

मेरे मुह से अपने आप निकल गया

मैं- दूध ... अरे वो मां अभी नहीं लूंगा बस दूध पी कर सो जाऊंगा ...

इतना कह कर मैं अपने रूम में आ गया या ले गया .... जाने मैं आज जो बी सब हुआ उसके बारे में सोचने लगा पहले तो मैं खुद को कोसने लगा के अपनी मां की बॉडी को देख कर तू सब सोच रहा है फिर वो पापा की बात याद आई के मां बेटा कुछ नहीं होता है..लेकिन क्या भ्रम है के बाद भी मैं एक चीज तो सोच रहा था कि मां है बहुत ही सेक्सी लगा ही नहीं के दो बच्चों की मां है... इतना सेक्सी बदन बड़े बड़े चुतड़... बड़ी चुचीया चिकन कमर सपत पेट..मैं सोचने लगा के मां नंगी कैसी दिखी होगी..उनके चूतड़ कैसे दिखेंगे

लेकिन मैंने खुद को ख्यालो से हटाए के लिए सोचा के ब्लू फिल्म देखता हूं या मैं देखने लगा लेकिन बहुत सारी देखने के बाद भी मुझे कुछ ऐसा महसूस नहीं हुआ था, इसे देखकर हिलाना चाहिए... नहीं हुआ तो मैं उठा कर रूम से बहार आ गया पानी पाइन के लिए .. जब मैं किचन में पाहुचा तो मुझे हांफने की आवाज आई या थोड़ी खुशर पुसर की.. मुझे समाधाने डर ना लागी की पापा के कमरे में क्या हो रहा है...

ये सोच कर मेरा लंड तुरंत और टाइट हो गया..और मेरा मन करने लगा के मैं भी उन्हे चुदाई करते हुए देखना ... एक मन बोल रहा था ये बहुत गलत है लेकिन लंड कह रहा था अब देखते हैं या मां को भी ना . देखने का मौका मिल जाएगा ... फिर लंड के आगे दिमाग हार गया या मैं दबे पांव उनके कमरे की तरफ चल दिया.. जैसे जैसे मैं आगे रहा था आवाज या तेज होती जा रही थी ...

आगे की कहानी अगली अपडेट में कृपया सुझाव या प्रतिक्रिया दें...
 
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Adbhut rachna aur kayi sari rochak gatividhiyon ke sath suru huyi hai kahani...btw kahani ke suruvaat mein hi kahani ke nayak ne apni gandi soch aur gandi niyat se ye baat saaf kar diya ki wo kitna bada haramkhor hawasi hai .... jishm ki bhookh usme itna ki khudki hi maa ke ango ko dekh uttejit hota jaa raha tha...
Ab kahani insect prefix pe hai to ye baat tay hai ki karma jald apne tharak ke chalte khud ki hi maa ke sath gandi harakat karne ki koshish jarur karega...

Well .... ek cheej galat dikhayi gayi hai is mein... janwaar kabhi same DNA ke sath sex nahi karte.... kyunki jaanwaron ke paas 6th sense hoti hai... aur is 6th sense ke jariye unko pata chal jaata hai ki agar same DNA matlab khud ke bache ke sath intimate huye to aane wale nasal mein kayi kharaabi hogi.... aur janwaar intimate hote hai bache paida karne ke liye apne vansh ko badhane ke liye, naa ki hawas ke liye...

Khair .....
Lagta hai is karma ka jishm kuch zyada hi hit ho gaya hai.. waise aksar is umar mein hormones ke chalte kayiyo sath hota hai.... lekin yahan karma ke mamle mein hormones ne itna ubaal mara ki na chaahte huye bhi khudki maa pe hi niyat kharab kar baitha hai..

Shaandaar update, shaandaar lekhni, shaandaar shabdon ka chayan... aage shayad bahot sari kadiya judne wali hai jo kaafi dilchasp aur uttejak hogi...

aise hi likhte rahiye aur apni manoram lekhni se hum readers ka manoranjan karti rahiye...
Let's see what happens next...
Brilliant update with awesome writing skills.. :clapping: :clapping:
 
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Adbhut rachna aur kayi sari rochak gatividhiyon ke sath suru huyi hai kahani...btw kahani ke suruvaat mein hi kahani ke nayak ne apni gandi soch aur gandi niyat se ye baat saaf kar diya ki wo kitna bada haramkhor hawasi hai .... jishm ki bhookh usme itna ki khudki hi maa ke ango ko dekh uttejit hota jaa raha tha...
Ab kahani insect prefix pe hai to ye baat tay hai ki karma jald apne tharak ke chalte khud ki hi maa ke sath gandi harakat karne ki koshish jarur karega...

Well .... ek cheej galat dikhayi gayi hai is mein... janwaar kabhi same DNA ke sath sex nahi karte.... kyunki jaanwaron ke paas 6th sense hoti hai... aur is 6th sense ke jariye unko pata chal jaata hai ki agar same DNA matlab khud ke bache ke sath intimate huye to aane wale nasal mein kayi kharaabi hogi.... aur janwaar intimate hote hai bache paida karne ke liye apne vansh ko badhane ke liye, naa ki hawas ke liye...

Khair .....
Lagta hai is karma ka jishm kuch zyada hi hit ho gaya hai.. waise aksar is umar mein hormones ke chalte kayiyo sath hota hai.... lekin yahan karma ke mamle mein hormones ne itna ubaal mara ki na chaahte huye bhi khudki maa pe hi niyat kharab kar baitha hai..

Shaandaar update, shaandaar lekhni, shaandaar shabdon ka chayan... aage shayad bahot sari kadiya judne wali hai jo kaafi dilchasp aur uttejak hogi...

aise hi likhte rahiye aur apni manoram lekhni se hum readers ka manoranjan karti rahiye...
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Brilliant update with awesome writing skills.. :clapping: :clapping:
Naina ji bahut bahut dhanyawad itani achi pratikriya ke liye waise mujhe yekeen tha ki itni detailed aur analysed revo keval aap hi de sakti ho, aapne update ki ek ek kadi par kafi ache se dhyan dia hai..

Rahi baat karma ke tharakpan ki to wo to jag jahir hai.. karma ke karam hi aise hain.
Aur shayad aap sahi ho animal instincts ke bare mein mujhe shayad itna gyan nahi tha to uske liye maafi mangta hun... Waise isi tarah rang jamate rahein aur apane chirparichit andaaz mein kahani ki shobha badhate rahein.
Bahut bahut dhanyawad
 
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पात्र
नीलेश सिंह- कर्म के पिता, घर के मुखिया, किसान हैं और खेती करते हैं, चुदाई के शौकीन पर सीधे इंसान हैं।
सब्या- कर्मा की मां और नीलेश की पत्नी, घरेलु सीधी साधी महिला, हिस्से से बिलकुल काम औरत, पर चुदाई की बहुत शौकीन। बदन का हर अंग तराशा हुआ है, सपत पालतू, बड़े चुतड़ ... भारी चूचियां
कर्म- नीलेश और सब्य का बड़ा बेटा, हमारा हीरो, एक आम लड़का, ठेठ हीरो नहीं है जो एक साथ 10 को मारे पीट, बस सबकी तरह है बस सेक्स की भूख बहुत है और नसीब भी इसे ऐसी ही परिस्थियों से मिलाता है।
अनुज- कर्म का भाई, नीलेश और सभ्या का छोटा बेटा, बिलकुल एक 18 साल का आम लड़का..नंगा बदन देखते ही लंडड खड़ा हो जाता है..पर सीधा साधा लड़का है बाकी धीरे धीरे कहानी में पता चलेगा..

ममता चाची- नीलेश और सब्य की गली में रहती है... दोनो के परिवार की आप में काफ़ी बनती है, भरे बदन की महिला है और बेहद कामुक भी। चूचियां और गंद काफ़ी निकली हुई, सपात पेट।
राजन चाचा- ममता के पति, सीधे साधे इंसान..आपनी मस्ती में मस्त रहते हैं नीलेश के अच्छे दोस्त हैं..
पल्लवी- राजन और ममता की एकलौती बेटी, 18 साल की है, अनुज के साथ ही पढ़ाती है, काफ़ी चुलबुली है पर शरीर से बिलकुल अपनी मां की तरह कामुक।
nice
 
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लास्ट अपडेट में मैंने किरदारों के बारे में आपको बताया था, तो अब आगे की कहानी खुद कर्मा की जुबानी ..

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तबी पीछे से एक आवाज आई

मां- उठ अब कब तक सोता रहेगा?

मैं- सोने दो ना मां आज तो संडे है..

माँ- संडे है तो क्या पूरे दिन सोयेगा उठ जल्दी तेरे पापा तो बाग में चले भी गए या तू सोता ही रहता है।

मैं- उफ्फो मां उठ रहा हूं अनुज कहां है?

माँ- वो बहार नाश्ता कर रहा है तू भी उठ और करले।

मैं- ठीक मां अब चलो मैं आता हूं...

(मेरा घर एक सिंगल मंजिला घर है मतलब ऊपर रूम नहीं बने बस छत है या बैठने के लिए है नीचे 4 कमरे हैं 2 वॉशरूम या किचन या हॉल सब नीचे है क्योंकि गांव के घर बड़े होते हैं इसलिए ऊपर बनाने की जरूरत नहीं पड़ी। एक कमरा में माँ पापा या उनके बगल वाला कमरा खाली है माँ पापा के कमरे के बहार एक वॉशरूम है उनके गेट के बगल में ही और फिर उन दो कमरे के बाद किचन फिर मेरा कमरा और फिर एक कमरा अनुज का है)

इतना सुन कर मां चली जाती है या मैं सोचता हूं बच गया जो मां ने मेरा खड़ा लंड नहीं देखा एक तो शॉर्ट्स में ये छुपा भी नहीं है..फिर मैं वॉशरूम में जकर लंड हिलाकर शांत करता हूं या बहार आ जाता हूं ... लेकिन लंड भी ना एक बार हिलाने से मान जाए ऐसा कहां है... जैसा आपको मैंने बताया है के मैं चुदाई का कितना भुखा हूं तो उसी के ख्याल रहते हैं दिमाग में तो मैं हर लड़की के नंगे में सबसे पहले ये सोचता हूं के ये नंगी कैसे लगेगी ... इस्को चोदने कितना मजा आएगा पहले तो मेरा लंड सिरफ लड़कियों को देख कर खड़ा होता था लेकिन अब तो चाची भाभी सबको देखकर तन जाता है ... अपने से बड़ी उम्र की औरतों को देख कर करता हूं है मेरा हाल शायद ये ज्यादा ब्लू फिल्म देखने की वजह से है..

खैर मैंने बहार आ कर ब्रश करने लगा दोस्तो मैं आपको अपनी एक कमजोरी के बारे में तो बताना ही भूल गया मुझे महिलाओं की कमर बहुत सेक्सी लगती है खसकर साड़ी में से किसी की कमर या नावेल दिख जाए तो मेरा लंड हो गया है .... तो हुआ भी कुछ कुछ ऐसा ...

जब मैं ब्रश कर रहा था तब माँ कुछ काम कर रही थी या उन साड़ी पाहन राखी थी जो वो नावेल से थोड़ा नीचे बंधती थी .... तो मेरी नज़र उनके चिकने पेट पर पड़ी, काम करने की वजह से उनका पल्लू थोड़ा पल्लू थोडा गया था जिससे उनका पूरा सपाट पेट और नाभि नजर आ रही थी ...



फिर क्या था मेरा लंड ये देखते ही खड़ा होने लगा ... या कुछ ही पलो में पूरा खड़ा हो गया ... मेरी नजर मां की चिकन कमर से हट ही नहीं रही थी तबी मां किसी काम से कमरे में चली गई तो मुझे होश आया ... फिर मैं खुद को गाली देने लगा की अपनी मां को देख कर तेरा लंड कैसे खड़ा हो सकता है ... लेकिन लंड के लिए वो सिरफ कमर थी। तो हो गया वो खड़ा ... फिर मैंने मुश्किल से लंड को पजामे में एडजस्ट किया या निकल गया बहार अपने बाग की तरफ .. हमारी भैंस या गया भी वही बंधी रहती है ..)

जब मैं बाग में पाहुचा तो देखा पापा एक भैंस को खोल रहे थे.. तो मैंने पूछा

मैं- क्या हुआ पापा आप इसे खोल क्यों रहे हो?

पापा- इसका टाइम हो गया है ना तो इसे करना है

मैं- क्या टाइम हो गया है पापा या क्या करना है?

पापा- अरे गधे, इस्को पेट से करने का टाइम हो गया है तबी तो बच्चा देगा या फिर दूध दे पायेगी...

मैं- ओह अच्छा तो आप किस करवाओगे इसे।

पापा- अरे है ना वो बंधा हमारा छोटा भैंसा

मैं- पर पापा वो इसे कैसे कर सकता है.... ये भैंस तो उसकी मां है..

पापा- अरे माँ वा कुछ नहीं होता अभी देख कैसा चढ़ता है वो इसके ऊपर एक बार में ही कर देगा ... एक ही बार में पेट में बच्चा डाल देगा..

मैं पापा की ये बात सुनकर चुप हो गया लेकिन उनकी बात मेरे मन में घूमने लगी...

फिर पापा ने उन दोनो को साथ किया तो भैंसा तुरंत अपनी मां के पीछे गया या उसकी चूत पर सूंघा या फिर तूरंत अपना बड़ा सा लंड लेकर उस पर चढ़ गया ... मैं उनकी ये चुदाई बड़े ध्यान से देख रहा था या मुझे आज सारा सीन याद आ रहा था वो मां का चिकन पेट, मेरे लंड का खड़ा होना या पापा की कही ये बात भी मुझे बार बार अपनी या खींच रही थी। एडजस्ट करके पजामे में छुपाया ... या कुछ डर देखने के बाद मैं वहां से निकल गया फिर मैं घर आया कॉलेज का कुछ काम था वो किया .. अनुज से थोड़ी लड़ाई हुई जो भाईयों में होती रहती है या फिर टीवी देखते देखते तो गया ...

शाम को खाने के समय अनुज ने उठाया और बोला

अनुज-उठ जाओ खाना खा लो मां बुला रहे हैं...

मैं- तू चल मैं हाथ धोकर आता हूं।

फिर जकार मैं सबके साथ खाना खाने बैठा मैं, पापा या अनुज खा रे थे या मां हम सबको खाना दे रही थी... तो खाना देते हुए जब मां झुक रही थी तो मेरी नजर फिर मां के पेट पर चली गई। या मुझसे फिर से सब वो याद ए गया जो सबह हुआ था ... मैंने खुद को कंट्रोल करते हुए अपनी नजर ऊपर करने लगा लेकिन पल्लू साइड होने की वजह से फिर मुझे उनके ब्लाउज के और से झांकती हुई चुचिया में देखा में पहली बार ये ख्याल आया के मां की चुच्चिया कितनी बड़ी है या कितनी सुंदर या टाइट लग रहे हैं..या मैं उनको देखता ही रह गया ... तब एक आवाज से मेरा ध्यान टूटा

मां- कर्मा तू कुछ या लेगा क्या...

मेरे मुह से अपने आप निकल गया

मैं- दूध ... अरे वो मां अभी नहीं लूंगा बस दूध पी कर सो जाऊंगा ...

इतना कह कर मैं अपने रूम में आ गया या ले गया .... जाने मैं आज जो बी सब हुआ उसके बारे में सोचने लगा पहले तो मैं खुद को कोसने लगा के अपनी मां की बॉडी को देख कर तू सब सोच रहा है फिर वो पापा की बात याद आई के मां बेटा कुछ नहीं होता है..लेकिन क्या भ्रम है के बाद भी मैं एक चीज तो सोच रहा था कि मां है बहुत ही सेक्सी लगा ही नहीं के दो बच्चों की मां है... इतना सेक्सी बदन बड़े बड़े चुतड़... बड़ी चुचीया चिकन कमर सपत पेट..मैं सोचने लगा के मां नंगी कैसी दिखी होगी..उनके चूतड़ कैसे दिखेंगे

लेकिन मैंने खुद को ख्यालो से हटाए के लिए सोचा के ब्लू फिल्म देखता हूं या मैं देखने लगा लेकिन बहुत सारी देखने के बाद भी मुझे कुछ ऐसा महसूस नहीं हुआ था, इसे देखकर हिलाना चाहिए... नहीं हुआ तो मैं उठा कर रूम से बहार आ गया पानी पाइन के लिए .. जब मैं किचन में पाहुचा तो मुझे हांफने की आवाज आई या थोड़ी खुशर पुसर की.. मुझे समाधाने डर ना लागी की पापा के कमरे में क्या हो रहा है...

ये सोच कर मेरा लंड तुरंत और टाइट हो गया..और मेरा मन करने लगा के मैं भी उन्हे चुदाई करते हुए देखना ... एक मन बोल रहा था ये बहुत गलत है लेकिन लंड कह रहा था अब देखते हैं या मां को भी ना . देखने का मौका मिल जाएगा ... फिर लंड के आगे दिमाग हार गया या मैं दबे पांव उनके कमरे की तरफ चल दिया.. जैसे जैसे मैं आगे रहा था आवाज या तेज होती जा रही थी ...

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good one
 

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