Erotica लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग (सम्पूर्ण)

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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-8

मेरे पति रितेश को देहरादून जाना था, मैं उसके जाने के तैयारी करने लगी।
तभी वह मेरे पास आकर बोला- सॉरी यार… मुझे तुम्हें अकेले छोड़कर जाना पड़ रहा है।
'कोई बात नहीं यार… अगर मुझे खुजली होगी तो केले से काम चला लूंगी।'
रितेश मेरे पुट्ठे पर हाथ मारता हुआ बोला- यार, तीन चार जवान केले मेरे घर पर ही हैं। मैं सबकी नजर को अच्छी तरह से देखता हूँ, जिसको भी मौका मिलेगा वो तुम्हारी चूत में गोते तुरन्त ही लगा लेगा। खास कर मेरा जीजा अमित!
रितेश की बात सुनकर मुझे झटका लगा, क्योंकि इन चार-पाँच दिनों में मुझे अमित की बिल्कुल भी याद नहीं रही, पर जैसे ही रितेश ने अमित की बात छेड़ी, मेरे चहेरे पर मुस्कान आ गई और मैंने रितेश को कहा- अमित के केले को ही अपनी चूत में लूँगी क्योंकि मुझे उसे अपनी चूत का मूत पिलाना है।
जैसा कि मेरे और रितेश के बीच कोई परदा नहीं था तो हम दोनों ने तय किया कि एक दूसरे को रोज मोबाईल पर दिन भर की बातें बतायेंगे।
खैर रितेश देहरादून के लिये निकल गया, लेकिन मेरे दिमाग में अमित को रिझाने का तरीका नजर नहीं आ रहा था।
इसी उधेड़ बुन में बैठे हुए रात का निवाला अपने मुँह में डाल रही थी कि अमित ने एक बार फिर फ़िकरा कस दिया, बोलने लगा- अगर रितेश के बिना मन नहीं लग रहा है तो उसे वापिस बुला लेते हैं।
कहकर हँसने लगा।
तभी ससुर जी ने मुझसे बड़े प्यार से कहा- बेटी, अब तुम इस घर की हो और तुम्हें किसी भी प्रकार की पर्दे की जरूरत नहीं है। मुझे और तुम्हारी सास को छोड़कर इस घर में तुमसे बड़ा कोई नहीं है जिससे तुम्हें परदा करना पड़े, इसलिये मैं और तुम्हारी सास का मत यह है कि तुम भी नमिता की तरह गाउन पहन कर घर में रह सकती हो।
मैंने संकोचवश कह दिया- नहीं बाबूजीम ऐसे मैं कमर्फटेबल हूँ।
इस पर मेरी सास बोल उठी- नहीं बेटा, तुम नमिता की तरह गाउन पहन सकती हो।
'ठीक है माँ जी, जब रितेश आ जायेंगे तो मैं उनसे गाऊन मंगवा लूँगी और फिर पहन लिया करूँगी।'
'तभी बड़ी तेजी से नमिता दौड़ते हुए ऊपर गई और एक गाउन लेकर आ गई और बोली- भाभी, मेरी और तुम्हारी कद काठी एक जैसी है, तुम इसे पहनकर आ जाओ, तब तक मैं मां और बाबूजी को खाना खिला देती हूँ और फिर हम लोग साथ में खाना खायेंगे।
मैं गाउन लेकर ऊपर आ गई, लेकिन यह क्या… मेरे पास तो पैन्टी ब्रा भी नहीं थी क्योंकि रितेश की जिद के कारण मैंने काफी दिनों पहले से ही पैन्टी ब्रा पहना छोड़ दी थी।
तभी मेरे दिमाग में एक खुराफ़ात आ गई और मैं बिना पैन्टी ब्रा के ही गाउन पहन कर आ गई।
कमरे में इस समय मैं, नमिता और अमित ही थे।
बाकी के दोनों देवर भी खाना खाकर जा चुके थे और अब मेरे पास वो हथियार था जिससे अमित को मेरे काबू में आना ही था।
मैं नमिता की नजर बचा कर बीच बीच में अपने को झुका लेती और अमित को अपने चूचियों के दर्शन करा देती।
अमित के चेहरे से निकलते हुए पसीने का मतलब समझ कर मुझे खूब मजा आता।
मैं फिर से झुककर बैठ गई और जैसे ही रितेश की नजर मेरे जिस्म के अन्दर पड़ी तो वो अचानक बहुत तेज खांसने लगा और नमिता अमित के लिये पानी लेने बड़े ही तेजी से रसोई की तरफ भागी।
और मुझे एक पल का मौका मिल गया और मैंने अमित से कहा- और अमित जी, कौन सा दूध पीयोगे, मेरा या जो आ रही है उसका?
मैं कह कर शांत हो कर सीधी बैठ गई और खाना खाने लगी।
अमित के पास अब इतना मौका नहीं था कि वो मेरी बात का उत्तर दे सके।
खाना खाने के बाद हम तीनों ऊपर आ गये।
अमित ने सीढ़ियों के दरवाजे को अन्दर से बन्द कर दिया।
उसके बाद मैं नमिता को गुड नाईट विश करके अपने कमरे में आ गई और अमित नमिता अपने कमरे में घुस गये।
रितेश के बिना यह रात मेरी लिये बिल्कुल बेकार थी इसलिये मुझे नींद नहीं आ रही थी।
तो मैं खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई तो देखा कि अमित केवल अंडरवियर में छत पर सिगरेट पी रहा था।
अमित को देखते ही मैंने अपने कमरे में हल्की सी रोशनी कर दी और गाउन के बंधन को खोलकर खिड़की की तरफ मुँह करके लेट गई और खिड़की की तरफ देखने लगी।
कुछ ही देर में मुझे एक साया मेरी खिड़की की तरफ आता हुआ दिखाई दिया।
मैंने झटपट अपनी आँखों को इस तरह से बन्द कर लिया कि मैं हल्का हल्का बाहर की तरफ देख सकूँ।
तभी मेरी नजर खिड़की पर गई जहां पर अमित मुझे देखने की कोशिश कर रहा था।
लेकिन उसे शायद यह लगा कि मैं सो गई हूँ और वो मुड़ कर जाने वाला ही था कि मैं तुरन्त ही सीधी हो गई और एक तेज अंगड़ाई लेते हुए अपने स्तन को खुजलाने लगी।
मेरी इस हरकत से अमित एक बार फिर मेरी खिड़की की तरफ मुड़ा और मुझे देखने की कोशिश करने लगा और मैंने अंगड़ाई लेते हुए गाउन को पूरा खोल दिया एक तरह से पूर्ण रूप से नंगी हो गई थी और स्तन के साथ-साथ में उसकी उत्तेजना को बढ़ाने के लिये अपने जांघ के आस-पास और चूत को भी खुजला रही थी।
मैं थोड़ी देर तक उसी नंगी अवस्था में पड़ी रही और अमित मुझे घूर घूर कर देखे जा रहा था।
अब मुझे और तरसाना था तो मैंने तय किया कि केवल मेरी चूत के दर्शन मेरे जीजाजी को नहीं होना चाहियें, मैं पलट गई और अपने चूतड़ों का भी भरपूर दर्शन अपने जीजाजी को कराने लगी।
कुछ देर बाद मुझे लगा कि कमरे के साये का आकार छोटा और दूर जाता हुआ प्रतीत हो रहा था।
मैं पलटी तो देखा कि अमित अपने कमरे के अन्दर जा चुका था।
अब मेरी बारी थी, मैंने तुरन्त अपना गाऊन पहना और दबे पांव अमित के कमरे की तरफ बढ़ी।
अमित के कमरे से मध्यम रोशनी बाहर आ रही थी।
मैं अन्दर देखने की कोशिश करने लगी, लेकिन मैं ठीक से देख नहीं पा रही थी।
लेकिन बहुत कोशिश करने के बाद मुझे खिड़की के पास एक ऐसी जगह दिखाई पड़ी जहां से मैं बड़े आराम से नमिता के कमरे के अन्दर के हिस्से को देख सकती थी।
अमित मुझे देखने के बाद काफी उत्तेजित हो चुका था इसलिये उसने अपने सब कपड़े उतार लिये थे जबकि नमिता चादर लपेटे हुए थी और अमित उसकी चादर को खींच रहा था।
नमिता थोड़े गुस्से में थी, वो अमित को लगातार झिड़के जा रही थी, जिसका असर अमित पर कुछ नहीं हो रहा था, वो बस एक ही रट लगाये जा रहा था कि मुझे तुमसे प्यार करना है।
काफी बहाने बनाने के बाद जब नमिता की नहीं चली तो वो बोली- मैं चड्डी उतार देती हूँ, तुम अपना अंदर डाल लो।
'नहीं… तुम अपने पूरे कपड़े उतारो।'
नमिता चिल्लाते हुए बोली- मैं तेज तेज शोर मचाऊँगी, कम से कम भाभी तो आ ही जायेगी।
अमित अब शांत पड़ गया था, उसने नमिता की पैन्टी उतारी और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और कुछ ही धक्के लगाने के बाद अमित ढीला पड़ गया और फिर नंगा ही नमिता के बगल में लेट गया।
नमिता भी करवट बदल कर सो गई।
पता नहीं अमित जल्दी क्यों खलास हो गया लेकिन जिस वजह से मैं अमित के कमरे की खिड़की से झांक रही थी, वो बात पूरी नहीं हुई।
मतलब मेरी चूत ने पानी नहीं छोड़ा था।
मैं आकर अपने कमरे में सो गई।

कहानी जारी रहेगी।
MAST UPDATE VERY EROTIC AKANKSHA NE BECHARE AMIT KA DIMAG HILA DIYA APNE SATNO KE SATH SATH
 
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-9
रात में ननदोई जी को अपने नंगे बदन के नजारे दिखा कर सुबह मैं उससे रोज की तरह नार्मल ही मिली, जिससे उसे यह पता नहीं चल पाये कि मैंने जानबूझ कर उसे अपने चूत और गांड के दर्शन कराये हैं।
लेकिन मेरे मन में रह रह कर रात वाली बात खटक रही थी और जिस तरह से नमिता अमित के साथ व्यव्हार कर रही थी वो मुझे अच्छा नहीं लगा और मुझे लगा कि नमिता के लिये सेक्स केवल एक मजबूरी वाला काम है और उसे निबटाना है।
इसलिये मैंने निश्चय कर लिया कि आज कैसे भी मौका देखकर नमिता को कुछ सेक्स ज्ञान दे दूँ नहीं तो दोनों की आगे की जिन्दगी में सब कुछ खत्म हो सकता है।
मैं बाथरूम के पास खड़े होकर विचार कर रही थी कि मेरी नजर अमित पर पड़ी जो कि बाथरूम की ही तरफ बढ़ रहा था लेकिन उसकी नजर मेरे पर नहीं थी।
मैं झटपट अमित को तरसाने और अपने मजे के लिये लेट्रिन में घुस गई और सिटकनी को ऐसे लगाया कि वो एक झटके से खुल जाये।
हुआ भी वैसे ही… अमित एक झटके से दरवाजा खोलकर अन्दर आ गया और अपने लोअर से अपना लंड निकाल चुका था।
मैं हड़बड़ाहट में इस तरह उठ खड़ी हुई कि उसे भी मेरे चूत के दर्शन एक बार फिर हो जाये।
खैर एक नजर से अमित ने मेरी चूत देखते हुए सॉरी बोलकर अपने लंड को लोअर के अन्दर करके बाहर चला गया।
मैंने बड़े ही इत्मेनान से लैट्रिन का दरवाजा बन्द किया और हगने बैठ गई और नमिता को सेक्स का पाठ कैसे पढ़ाया जाये, यह सोचने लगी।
सोचते सोचते एक युक्ति आ ही गई।
फारिग होने पर मैं बाहर निकली तो थोड़ी दूर पर अमित खड़ा था।
उसकी नजर नीची थी, मैंने भी अपनी नजरें झुका ली जैसे कि शर्म के कारण मैं उससे नजर नहीं मिला पा रही हूँ।
अमित मेरे पास तेजी से निकला।
मेरे ससुराल दोनों देवर के कारण सभी को छः बजे उठना ही पड़ता है और एक तरह से सबकी आदत भी है क्योंकि मेरे ससुर एक आर्मी मैन थे तो घर में थोड़ा सा डिस्पिलन मेनटेन था।
दोनों देवर नहा धोकर कॉलेज जाने के लिये तैयार होने लगे।
मैं अपनी सास के साथ रसोई के काम में हाथ बंटाने लगी।
दोनों नाश्ता करने के बाद अपने कॉलेज निकल गये और उधर अमित भी अपनी यूनीफार्म पहन कर जाने के लिये तैयार हुए तो नमिता ने पूछ लिया कि इतनी जल्दी कैसे?
एक बार अमित ने मेरी तरफ देखा और फिर नजर नीचे हुए कहने लगा कि उसको किसी जरूरी केस के लिये जल्दी निकलना है और जल्दी-जल्दी नाश्ता करने के बाद अमित भी निकल गया।
अब घर में मैं, सास, ननद और ससुर जी थे।
मेरे ऑफिस की टाईमिंग दस बजे की थी और मेरे पास लगभग तीन घंटे का समय था तो मैंने नमिता को पाठ पढ़ाने का निर्णय लिया और नमिता के कमरे में अपने कपड़े लेकर पहुँची, उससे बोली- मेरी पीठ में खुजली बहुत हो रही है, मैं नहाने जा रही हूँ तुम आकर मेरी पीठ में साबुन अगर रगड़ दो और मेरी पीठ साफ कर दो तो ये थोड़ी खुजली खत्म हो जायेगी।
नमिता तैयार हो गई और मेरे साथ चलने लगी तो मैंने उससे बोला- तुम भी अपने कपड़े ले लो, मेरे बाद तुम भी नहा लेना फिर दोनों मिलकर साथ नाश्ता कर लेंगी और उसके बाद मैं भी अपने ऑफिस चली जाऊँगी।
नमिता मेरी बात मानते हुए अपने कपड़े लेकर मेरे साथ चल पड़ी।
मैं बाथरूम में पहुँची और तुरन्त गाउन कपड़े उतार दिये, चूंकि मैं अन्दर पैन्टी-ब्रा नहीं पहनी थी, मुझे एकदम से नंगी देखकर नमिता बोली- भाभी, तुम तो बहुत बेशर्म हो।
'क्या हुआ?' मैंने पूछा।
तो नमिता बोली- मैं तुम्हारे साथ हूँ और तुमने अपना गाऊन एकदम से उतार दिया… और अन्दर तुमने ब्रा और पैन्टी भी नहीं पहनी हुई है।
मैंने उसे हल्के से झिड़कते हुए कहा- तुम मर्द नहीं हो जिससे मैं शर्माऊँ। तुम भी तो एक औरत हो तो तुमसे क्या शर्माना? दूसरे… रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी, बहुत बैचेनी हो रही थी तो मैंने अपने सब कपड़े उतार दिये थे और सुबह मैं पहनना भूल गई थी।
अब मैं नमिता को क्या बताती कि मैं ब्रा और पैन्टी का यूज बहुत कम करती हूँ।
तभी नमिता फिर बोली- अरे हम दोनों ऊपर थे, इसका ख्याल तो करना चाहिये था ना? अच्छा हुआ हम लोगों की नींद नहीं खुली।
एक बार फिर मैंने उसके गालों को सहलाते हुए उसे बताया- मैंने अन्दर से अच्छी तरह से सब खिड़की दरवाजा बन्द कर लिए थे। कहते कहते मैंने शॉवर चला दिया, इससे हम दोनों भीगने लग गये।
'भाभी, यह क्या कर रही हो?'
मैंने उसे चुप कराते हुए कहा- चिल्लाओगी तो पापा या मम्मी यहाँ आ सकते हैं। चलो कोई बात नहीं, अब भीग गई हो तो अपने कपड़े उतार लो।
मैं उससे अलग होकर शॉवर के नीचे नहाते हुए बोली।
मैं जानबूझ कर नमिता के सामने अपने अंगों से खेल रही थी लेकिन नमिता अपनी जगह खड़े होकर केवल मुझे निहार रही थी।
उसको इस तरह देखकर मेरा गुस्सा बढ़ने लगा था कि तभी नमिता को न जाने क्या सूझा कि उसने अपनी सलवार और कुर्ते को उतार दिया।
नीचे वो हरे रंग की पैन्टी और ब्रा पहने हुए थी।
पास आते हुए बोली- भाभी, तुम घूमो, मैं तुम्हारी कमर पर साबुन लगा देती हूँ।
मैं घूम गई और नमिता साबुन लगाने लगी।
मेरे बिना कहे उसने मेरी पीठ के साथ-साथ वो मेरी टांगों, मेरे पीछे के उभारों में, आगे मेरी छातियों में और नीचे चूत और जांघ के आस पास नमिता ने सब जगह साबुन लगाया, खासतौर से वो मेरी चिकनी चूत को तो बड़े प्यार से साबुन लगा रही थी।
फिर धीरे से बोली- भाभी, तुम्हारे यहाँ बाल नहीं हैं, क्यों?
मैंने झटपट उत्तर दिया- तुम्हारे भईया को पसंन्द नहीं है।
'उनको इससे क्या लेना देना?'
'क्यों नहीं? मेरी ये जगह (मैंने अंगों के नाम न लेने में भलाई समझी, मैं चाहती थी कि पहले वो अच्छी तरह से मेरी बातों को समझने लगे) उन्ही के लिये तो है। वो बड़े रात में बड़े प्यार से इस जगह को चूमते हैं, इसमें अपनी जीभ फिराते हैं और फिर इसमें अपने लिंग को डालकर मुझे मजा देते हैं।'
'हम लोग इस जगह से पेशाब करते हैं, तो भी वो अपनी जीभ यहाँ चलाते हैं?'
'हाँ, मैं भी तो उनके लिंग को चूसती हूँ।'
'छीःईईई ईईईई!'
'क्या हुआ?' मैं उसे अपने से चिपकाते हुए बोली और फिर मैंने उससे साबुन लेकर उसकी ब्रा के हुक को खोला और साबुन लगाने लगी।
साबुन लगाते हुए मैं जब उसकी जांघ और चूत पर साबुन लगाने के लिए उसकी पैन्टी उतारने लगी तो उसने अपनी दोनों टांगों को सिकोड़ लिया और मुझसे साबुन मांगने लगी।
मुझे एक बार फिर उसे समझाना पड़ा तो फिर वो तैयार हो गई।
जब मैंने उसकी पैन्टी उतारी तो उसकी चूत के बाल काफी घने थे, ऐसा लग रहा था कि जब से वो जवान हुई है तब से उसने अपनी चूत के बालों की सफाई नहीं की है।
मैंने पूछा- ये क्यों?
तो नमिता ने जवाब दिया- मुझे अच्छा नहीं लगता है।
'क्यों, अमित ने नहीं बोला इसे साफ करने को?'
'बोलते तो हैं लेकिन मैं नहीं करती।'
मैंने साबुन लगाते हुए नमिता से कहा- पति पत्नी के सफल जीवन में सेक्स बहुत बड़ा रोल निभाता है, सेक्स से प्यार करो और पति को भी प्यार करो। नहीं तो कब दूसरी सौत आ जायेगी पता ही नहीं चलेगा… और फिर तुम्हारे रोने से कुछ भी नहीं होगा।
बात करते हुए मैं नमिता के पीछे गई और उसके गर्दन को चूमने लगी, साथ ही उसकी चूचियों से खेलने लगी।
'भाभी, ये क्या कर रही हो?'
'कुछ नहीं… चुपचाप केवल जो मैं कर रही हूँ उसको महसूस करो।'
मेरे हाथ धीरे से बढ़ते हुए उसकी चूत से खेलने लगे और नमिता केवल सिकुड़ती जा रही थी और साथ ही सिसकारियाँ भी निकलती जा रही थी।
जब मैंने देखा कि नमिता अब मेरी किसी हरकत का विरोध नहीं करेगी तो मैं नीचे उसके चूत पर अपने होंठों को रख दिया।
उसकी चूत वास्तव में काफी गर्म थी।
मैं नमिता की चूत में अपने जीभ चला रही थी, नमिता बोले जा रही थी- भाभी, मत करो प्लीज, मुझे कुछ हो रहा है!
लेकिन मैंने उसकी बातों को अनसुना कर दिया।
उसकी चूत चूसने के कारण नमिता के पैर कांपने लगे थे और फिर वो भी वक्त आया था कि उसके अन्दर की गर्मी मेरे मुँह के अन्दर थी।
उसके रस के स्वाद को लेने के बाद मैं उठी और नहाने लगी।
नमिता मेरे पीछे आई और मुझे कस कर पकड़ते हुए बोली- भाभी, मैं भी वही करना चाहती हूँ जो आप ने मेरे साथ किया है।
मेरे मुंह से तुरन्त निकला- नीचे बैठो और करो, मैंने कब मना किया है।
नमिता नीचे घुटनों के बल बैठ गई और मेरी चूत पर अपने मुंह को लगा लिया।
चूंकि उसे चूत चाटने का तो कोई अनुभव नहीं था, फिर भी वो चूत चाट रही थी।
मैं नमिता के साथ काफी देर से खेल रही थी तो मेरे अन्दर का माल भी बाहर आने को तैयार था, अगर नमिता मेरी चूत न चाटती तो मैं नहा कर कमरे में जाकर उंगली करके अपने माल को बाहर निकालती।
नमिता मेरी चूत चाटे जा रही थी और एक क्षण ऐसा भी आया कि नमिता के मुंह में मैं खलास हो गई।
जैसे ही मेरा नमकीन पानी नमिता के मुंह में गया, वो मुंह बनाते हुए बोली- ये क्या भाभी, ये क्या किया आपने?
'मैंने क्या किया?'
'मेरे मुंह में आपने पेशाब कर दिया!'
'नहीं, यह पेशाब नहीं है, इसको रज बोलते हैं। मेरे मुंह में भी तुमने यही किया था।'
फिर हम दोनों नंगी नहाने लगी और थोड़ी देर बाद मैं ऑफिस के लिये तैयार होकर आ गई।

कहानी जारी रहेगी।
MAST UPDATE VERY EROTIC NAMITA KO BHI AKANKSHA NE BOLD BNA DIYA AB AUR MAJA AAYEGA
 
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-10
जैसे ही हम लोग नाश्ते के लिये बैठे वैसे ही अमित आ गया, अमित को देखकर नमिता अमित के लिये भी नाश्ता लेने चली गई।
नमिता के जाते ही अमित घुटने के बल नीचे बैठ गया और मुझसे बोला- भाभी, मैं आपके खुले हुस्न का दीदार करना चाहता हूँ, एक बार अपने हुस्न के दीदार करा दो, फिर ये अमित आपका गुलाम हो जायेगा।
तभी नमिता नाश्ता लाते हुए दिखाई पड़ी तो मैंने अमित को सीधे बैठने के लिये कहा।
नाश्ता करने के बाद मैं ऑफिस जाने लगी तो नमिता अमित से मुझको ऑफिस ड्रॉप करने के लिये बोली, अमित की तो मानो मन की मुराद पूरी हो गई, वो सहर्ष तैयार हो गया।
फिर मेरा भी मना करने का सवाल ही नहीं उठता था, मैं अमित के साथ चल पड़ी।
रास्ते में एक रेस्टोरेन्ट पर अमित ने अपनी गाड़ी रोकी और मुझसे दस मिनट उसके साथ रहने के लिये रिक्वेस्ट करने लगा।
मेरे पास ऑफिस पहुँचने का भरपूर टाईम था तो मैं उसके साथ रेस्टोरेन्ट चली गई।
वहां पर अमित एक बार फिर रिक्वेस्ट करने लगा तो मैंने कहा- ठीक है, आज रात मेरा दरवाजा तुम्हारे लिये खुला रहेगा, लेकिन एक शर्त है कि तुम मेरी कोई बात काटोगे नहीं।
'नहीं भाभी… बिल्कुल नही!' निःसंकोच अमित ने मेरा हाथ चूमा और बोला- भाभी, आज से आपका यह जीजा आपका गुलाम ही रहेगा।
'वो तो ठीक है लेकिन आज रात के बाद फिर कभी नहीं कहोगे और न ही मुझे ब्लैक मेल करोगे।'
'बिल्कुल नहीं भाभी… ये बन्दा आज से आपका गुलाम है, जब आप चाहोगी तब ये गुलाम सदा आपकी सेवा में रहेगा।'
इसके बाद अमित ने मुझे मेरे ऑफिस ड्रॉप कर दिया।
ऑफिस पहुँचे एक घण्टा भी नहीं हुआ था कि नमिता का फोन आ गया, फोन पर ही वो बोलने लगी- भाभी, आज मेरा मन लग नहीं रहा है, मुझे आपसे बहुत सी बातें करनी है।
मैं समझ चुकी थी कि वो मुझसे किस टॉपिक पर बात करना चाहती है तो मैंने बॉस से परमिशन ले ली।
मेरा बॉस जो एक 40 वर्षीय था उसने मुझे इस शर्त पर परमिशन दे दी कि अगर उसे कोई ऑफिस का काम पड़ेगा तो उसे फिर ओवर टाईम करना पड़ेगा, मैंने भी एक मुस्कुराहट के साथ हाँ मैं अपने सर को हिला दिया।
मैं घर आ गई।
जैसे ही मैंने दरवाजे की घण्टी बजाई, वैसे ही नमिता ने दरवाजा खोल दिया।
मुझे ऐसा लगा कि वो मेरे इंतजार में ही वहाँ खड़ी थी।
खैर जैसे मैं अन्दर घुसी वो मेरे से लिपट गई और मुझे थैंक्यू बोलने लगी।
फिर उसने मुझसे धीरे से कहा कि उसने माँ और बाबूजी को खाना खिला कर सुला दिया है।
मैं समझ गई और सीधा उसके साथ ऊपर चली आई।
कमरे में आकर मैंने उससे पूछा कि वो मुझसे क्या पूछना चाह रही है?
तो वो बोली- भाभी, आप और भईया रात में एक-दूसरे के साथ क्या करते हो, मुझे वो जानना है।
मैं बोली- मैं तुम्हे बता तो दूँगी, लेकिन तुम बुरा मान जाओगी और फिर सबको बता दोगी।
'नहीं, मैं नहीं बताऊँगी!'
'रात में मैं और तुम्हारे भईया सेक्स करते समय बहुत गंदी-गंदी बातें करते हैं।'
'भाभी, क्या-क्या बातें? मुझे सब बताओ।'
'ठीक है, मैं सब बता दूँगी, पर एक वादा करो, एक तो तुम अपने बाल साफ करवाओ और दूसरा आज रात फिर अमित को अपने हुस्न के जलवे दिखाकर उसे चौंका दो।'
नमिता बड़ी ही सहजता से बोली- भाभी, बाल मुझे साफ करना नहीं आता, अगर तुम्हें आता है तो तुम मेरे बाल साफ कर दो… और रही अमित की बात तो आज की रात अमित भी कभी नहीं भूलेगा।
'तो ठीक है, तुम अपने कपड़े उतार कर जमीन पर लेट जाओ।'
मैंने भी अपने कपड़े उतार लिए और वीट की ट्यूब निकाल ली और अपने कमरे के सभी खिड़की और दरवाजे को अच्छे से बन्द कर दिए।
नमिता अब तक बिना किसी संकोच के अपने कपड़े उतार कर जमीन पर लेट गई थी।
मैं नमिता की चूत के बाल कैंची से काटने लगी तो नमिता बोली- भाभी, बताओ न कि तुम और भईया क्या क्या करते हो?
'मैं और तुम्हारे भईया कमरे में पहुँचते ही नंगे हो जाते हैं और फिर हम लोग दिन भर की बातें करते हुए एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगते हैं।
रितेश मेरे पीछे अपने हाथ को लाकर मेरी चूची की गोलाइयों को अपनी हथेलियों में दबाने की कोशिश करता है या फिर मेरे निप्पलों को अपनी चुटकियों में मसलने का कोशिश करता है, जबकि मैं उसके जांघ को सहलाती हूँ और उसके लंड के सुपारे पर अपने नाखूनों से कुरेदती हूँ।
हम लोग बातें करते-करते गर्म होने लगते हैं।
फिर रितेश मेरे निप्पल को अपने मुंह में भर कर एक बच्चे की तरह उसको पीता है।
जब तक रितेश मेरे निप्पल को छोड़ नहीं देता तब तक मैं उसके बालों को सहलाती हूँ या फिर मैं उसके निप्पल को अपने नाखूनों का करतब दिखाती हूँ।
जब वो निप्पल पीना बंद कर देता है तो मैं उसको सीधा लेटा कर उसके जिस्म के एक-एक हिस्से को चाटते हुए उसके लंड को अपने मुंह में भर लेती हूँ और उसको लॉलीपॉप की तरह चूसती हूँ।'
बातें करते हुए मैंने उसकी चूत और उसके आस पास की जगह में अच्छी तरह से वीट लगा दी।
'तो आप भईया का अपने मुंह में ले लेती हो।'
'लंड बोलो यार!' मैंने नमिता को समझाते हुए कहा- मेरा और नितेश का मानना है कि जब सेक्स करो तो निःसंकोच करो, उससे फिर सेक्स का अलग तरह का मजा आता है।
'ठीक बाबा… लंड! अब आगे बताओ?'
'जब मैं रितेश के लंड को चूस रही होती हूँ तो रितेश मेरी तरफ अपनी मुंह की लार टपकाते हुए देखता है तो मैं फिर घूम कर उसके मुंह की तरफ अपनी चूत को कर देती हूँ, फिर मैं रितेश के लंड को चूसती हूँ और रितेश मेरी चूत को चाटता है।
बीच-बीच में हम दोनों एक दूसरे की गांड को भी चाटते हैं, खूब मजा आता है।
उसके बाद जब चाटा-चाटी का प्रोग्राम खत्म होता है तो रितेश मेरी चूत में अपने लंड को डालता है और कई पोजिशन से चोदता है। कभी वो मेरे ऊपर चढ़ जाता है तो कभी मुझे घोड़ी बना कर चोदता है तो कभी मेरे चूत में अपना लंड डाले ही मुझे अपनी गोद में उठा लेता है और मैं उसके गोद में ही उछलती हूँ।
जब रितेश थक जाता है तो जैसे तुम लेटी हो वो भी लेट जाता और फिर मैं उसके लंड के ऊपर चढ़ जाती हूँ और खूब उछलती हूँ।
फिर जब हम लोग चूत चुदाई के अन्तिम चरण में पहुंचते हैं तो एक बार फिर उसका लंड मेरे मुंह में और मेरी चूत उसके मुंह के पास होते हैं और फिर हम दोनों ही एक-दूसरे का पानी पीते हैं।'
मैंने नमिता को देखा, पता नहीं वो क्या सोच रही थी, मैंने उसे झकझोरते हुए पूछा- क्या सोच रही है?
तो वो बोली- भाई कभी अपना पानी आपकी चूत के अन्दर नहीं डालते हैं?
नमिता भी अब खुलने लगी थी।
बिल्कुल डालते हैं लेकिन कभी कभी, नहीं तो अकसर करके हम दोनों एक दूसरे का पानी पी लेते हैं।
नमिता फिर कुछ सोचने लगी, मैं समझ गई कि वो क्या सोच रही है।
मैं नमिता से फिर बोली- इसलिये मैं कहती हूँ कि सेक्स निःसंकोच करना चाहिये।
बातों बातों में उसकी चूत साफ और चिकनी हो चुकी थी।
मैंने नमिता के हाथ को उसकी चूत पर रख दिया।
नमिता अपने चूत को सहला रही थी।
फिर वो मुझे थैंक्यू कहने लगी।
फिर हम दोनों ने मिलकर कमरे की सफाई की।
उसके बाद मैंने नमिता को शीशे के सामने खड़ा कर दिया और खुद उसके पीछे खड़ी हो गई।
नमिता अपनी चिकनी चूत को देखते हुए बोली- वाह भाभी, आपने मेरी चूत की तो शक्ल ही बदल दी।
नमिता की जो चूत अब तक घने बालों के बीच छिपी हुई थी, उसकी शक्ल एक गुलाबी चूत की हो चुकी थी।
अब नमिता भी अपनी चूत को देखकर इतरा रही थी।
मैंने नमिता से कहा- नमिता, आज रात तुम अमित को सरप्राईज कर दो।
नमिता बोली- हाँ भाभी, आज रात अमित को बहुत खुश कर दूँगी।
मैं उससे बातें करते करते उसकी चूची के साथ खेल रही थी जबकि नमिता आंखें बन्द किये हुए मदहोशी के साथ केवल अपनी चूत को सहलाने का आनन्द ले रही थी।
मैं नमिता को उसी मदहोशी में अपने बेड पर ले आई और उसको लेटा कर उसके मुँह पर बैठ गई और अपनी चूत को उसके मुंह से रगड़ने लगी।
तभी मुझे अहसास हुआ कि नमिता की जीभ मेरे चूत के हर हिस्से की सैर कर रही है।
मैं भी 69 की अवस्था में हो गई और उसके चूत का रसपान करने लगी।
नमिता भी एक एक्सपर्ट की तरह कभी अपनी जीभ मेरे चूत के अन्दर करती तो कभी अपनी उंगली को मेरे अन्दर डालती।
कुछ देर बाद ही मैं और नमिता दोनों ही स्खलन की तरफ बढ़ रहे थे क्योंकि मेरी उंगली में उसका रस लग रहा था जिसे मैं चाट लेती और वो भी अपनी उंगली से मेरे रस को निकाल रही थी।
तभी नमिता बोली- वाह भाभी, आपके अन्दर का रस बहुत मजा दे रहा है।
थोड़ी देर ऐसा करते रहने के बाद हम दोनों ढीली पड़ गई।
फिर दोनों एक दूसरी के जिस्म से चिपक गई।
लगभग दो बजे सास ससुर की आवाज आई तो मैं और नमिता दोनों ही हाथ मुंह धोकर खाने नीचे चले गये।

कहानी जारी रहेगी।
MAST UPDATE VERY EROTIC MJA AA GIYO NANAD BHABHI KI 69 READ KAR KE
 
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-11

चूत की झांट साफ़ करवाने के बाद चूत चुसाई का लेस्बीयन खेल खेलने के बाद नमिता के चेहरे पर एक अलग तरीके की खुशी झलक रही थी।
खाना वगैरह निपटाने के बाद मैं और नमिता दोनों ही मेरे कमरे में सो गई।
रात को करीब आठ बजे रितेश का फोन आया, वो काफी थका हुआ था।
पूछने पर उसने बताया कि उसकी जो बॉस है वो एक लेडी है, मस्त सेक्सी है, लेकिन साली ने आज पहले दिन ही ओवर टाईम करा दिया।
मैंने भी मेरी अमित और मेरी नमिता के बीच हुई घटना के बारे में बताया तो बोला- यार तुम्हारा तो आज रात का इंतजाम हो गया और मैं यहां अपने लंड की सेवा खुद करूँगा।
बात करते करते काफी समय बीत गया, नीचे से आवाज आने के बाद मेरा फोन बंद हुआ।
नमिता के साथ मैंने भी जल्दी-जल्दी सब काम निपटाया।
फिर जब सभी लोग अपने-अपने कमरे में चले गये तो मैं, नमिता और अमित तीनों ही ऊपर आ गये।
अमित ने दरवाजा बन्द किया और फिर मैं अपने कमरे में और नमिता और अमित अपने कमरे में चले गये।
मैंने अपने कमरे की लाईट तो बन्द कर ली लेकिन दरवाजा नहीं बन्द किया और मेरी नजर अमित और नमिता के कमरे में ही थी।
काफी देर बाद कमरे की लाईट बन्द हुई तो मैं जल्दी से उन दोनों के कमरे में पहुँची तो देखा आज अमित गुस्से में था और चाहता था कि नमिता जल्दी सो जाये पर नमिता आज अमित को प्यार करने के मूड में थी और मान नहीं रही थी और जो डायलॉग कल रात नमिता बोल रही थी आज वही डायलॉग अमित बोल रहा था।
लेकिन थोड़ी देर बाद अमित बोला- ठीक है, लेकिन आज तुम्हें मेरी भी बात माननी होगी।
नमिता बोली- जानू, जो तुम कहोगे, आज मैं सब तुम्हारी बात मानूँगी।
'मैं तुम्हे रोशनी में पूर्ण नंगी देखना चाहता हूँ।' एक झटके में अमित बोला।
नमिता बोली- ठीक है, पर तुम अपनी आंखें बन्द करो और जब मैं बोलूँ तभी तुम अपनी आंखें खोलना!
इतना कहने के साथ ही नमिता ने कमरे की लाइट जलाई और अमित ने अपनी आँखें बन्द कर ली।
इस समय नमिता गाउन पहने हुए थी।
नमिता बेड पर अमित को क्रास करते हुए खड़ी हो गई और अमित से बड़े प्यार से आंखें खोलने के लिये बोली।
अमित मुंह बनाते हुए बोला- क्या नमिता? यही दिखाने के लिये मुझे आंखें बन्द करने के लिये कहा था?
अमित का इतना बोलना था कि नमिता ने एक झटके में अपने गाउन को उतार फेंका।
अमित की आंखें फटी की फटी रह गई।
शायद उसे विश्वास नहीं रहा होगा कि वो इतनी जल्दी सब कुछ करने को तैयार हो जायेगी।
नमिता हल्की सी नीचे झुकी और ब्रा को ऊपर करते हुए अपने चूची को बाहर निकाल कर अमित को दिखाने लगी।
जैसे ही अमित ने उसकी चूँची को छूने के लिये अपना हाथ आगे बढ़ाया, नमिता तुरन्त ही सीधी खड़ी हो गई।
उसने करीब चार से पाँच बार यही हरकत अमित के साथ दोहराई, नमिता झुककर अपनी ब्रा को हटाकर अपनी चूची आजाद करती और जैसे ही अमित उसकी चूची छूने को अपना हाथ आगे बढ़ाता वैसे ही नमिता सीधी खड़ी होकर फिर से अपनी चूची को ब्रा के अन्दर ढक लेती।
नमिता का इस तरह से अमित को तड़पाना मुझे काफी अच्छा लग रहा था।
अमित परेशान था बल्कि उसने नमिता को डराने के लिये बोला भी- लाईट जल रही है, कोई इस तरह देख लेगा।
नमिता उसे फ्लांईग किस देते हुए बोली- जानू तुम डर रहे हो। तुम्हें तो रोशनी में मजा आता है और तुम तो मुझे पूर्ण रूप से नंगी देखना चाहते हो ना… और मैं अभी पूरा नंगी कहाँ हुई हूँ!
कहते हुए वो एक बार फिर झुकी और अपने ब्रा को हटाने लगी, तभी तेज हाथ चलाते हुए अमित ने उसकी पीठ को जकड़ लिया और ब्रा की हुक खोल कर उसके जिस्म से ब्रा हटा दी।
नमिता के दो गोल गोल चूचे लटकने लगे जिनको अमित ने अपने हथेलियो में जकड़ लिया और तेज तेज मसलने लगा।
नमिता कसमसाने लगी, लेकिन अमित कहाँ मानने वाला था उसे लगा कि शिकारी हाथ से छूट न जाये।
वो नमिता के निप्पल को लेकर मुँह में चूसने लगा।
नमिता ने बहुत कोशिश की कि अमित से वो अपने चूचे छुड़ा ले पर सफल न हो पाई तो थक कर वो बैठ गई जिससे अमित उसके निप्पल को आसानी से चूस सके।
अमित इस समय एक ऐसा भूखा इंसान नजर आ रहा था जिसके सामने खाने की थाली काफी दिनों के बाद रखी गई हो और वो अब उसे छोड़ने के मूड में नहीं है।
नमिता बड़े प्यार से उसके बालों को सहला रही थी।
चूची चूसते चूसते जब अमित थक गया तो उसका हाथ नमिता की पैन्टी की तरफ बढ़ने लगा, नमिता ने तुरन्त ही उसके हाथों को पकड़ा और बोली- अमित, आज मैं खुद सब कुछ दिखाऊँगी।
कहकर वो एक बार फिर खड़ी हो गई और अपनी पैन्टी को एक झटके से उतार दिया।
अमित आंखें फाड़े हुए उसकी बाल रहित चूत के दर्शन करने लगा और बड़े ही आश्चर्य से उसके चूत को सहलाने लगा।
उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जो औरत आज तक उसको इतना तरसाये हुए थी वो आज सब कुछ बिना कोई प्रश्न किये अपने आपको पूर्ण रूप से नंगी कर चुकी थी।
नमिता के हाथ अभी भी अमित के बालों को सहला रहे थे।
बाल सहलाते हुए बोली- अमित, इसको प्यार नहीं करोगे?
अचकचाते हुए अमित बोला- क्यों नहीं, कितना तरसाने के बाद आज तुमने वो सुख दिया है कि मैं तुम्हारा गुलाम हो गया हूँ।
कहने के साथ ही अमित के होंठ नमिता की चूत को चूमने लगे।
नमिता के मुँह से निकलने वाली तेज सांसें यह बताने के लिये काफी थी कि उसको भी काफी मजा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद खुद ही नमिता बोली- अमित, थोड़ा रूको और मेरा पिछवाड़ा भी देख लो।
मुझे लगा कि उसके मुँह से गांड, चूत शब्द निकलेगा पर वो शायद चाह कर भी नहीं बोल पा रही थी।
अमित ने तुरन्त अपना मुँह हटा लिया और नमिता पलटी और थोड़ा झुक कर खड़ी हो गई।
अमित नमिता के पुट्ठे को सहला रहा था।
नमिता ने भी अपने हाथ अपने पुट्ठे पर रख लिया और उसको शायद थोड़ा सा फैला दी और अमित से बोली- अमित इस छेद को भी देखो, कैसा लग रहा है।
अमित ने उस जगह को चूमते हुए बोला- डार्लिंग, आज तुम मुझे जिन्दा मार दोगी।
'ये क्या कह रहे हो?'
'सही कह रहा हूँ!' अमित बोला- इतने दिन हो गये हैं शादी को, सुहागरात से जो तुम शर्मा रही हो आज अचानक तुम सब मेरे मन की बात कर रही हो। मेरा हार्ट अटैक नहीं होगा तो क्या होगा।
'आज से ये सब तुम्हारा है। जिसको जब तुम चाटना चाहो तुम चाट सकते हो।'
अमित उसकी गांड को शायद चाट रहा था और नमिता बोले जा रही थी- अमित, और चाटो… बहुत मजा आ रहा है।
उधर अमित भी उत्साहित होते हुए बोला- मुझे भी बहुत मजा आ रहा है।
गांड चाटते-चाटते अमित को कुछ ख्याल आया तो उसने नमिता को अपने गोद मैं बैठाते हुए बोला- तुम्हें चटवाने का ही मजा आ रहा है कि मेरा चूसने व चाटने का मजा लोगी।
'जानू सब करूँगी, जो तुम कहोगे।'
अमित उसकी बात को सुनकर खुश होते हुए नमिता को अपने ऊपर से हटा दिया और चादर को एक किनारे करते हुए उठ खड़ा हुआ और जल्दी जल्दी अपने सब कपड़े उतार दिये।
अमित का लंड वास्तव में लम्बा था।
तुरन्त ही वह अपना लंड नमिता के मुँह के पास ले गया नमिता ने लंड को पकड़ कर अपने मुँह के अन्दर लेकर चूसने लगी।
इतनी देर से उन दोनों का उत्तेजना भरा दृश्य देखकर मैं भी उत्तेजित होने लगी थी और मेरा भी हाथ बार बार मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा था।
लेकिन मैं अपने ऊपर कंट्रोल करके दोनों की रासलीला देखने में मगन थी।
डर भी नहीं था कि कोई देख लेगा क्योंकि नीचे जाने वाले रास्ते में ताला लगा हुआ था तो सवाल ही नहीं उठता था कि नीचे से ऊपर कोई आये।
दोनों अपने कमरे में खुल कर एक दूसरे के जिस्म का मजा ले रहे थे तो वहाँ से भी कोई डर नहीं था और बाहर से कोई देखे तो उसका भी कोई डर नहीं था क्योंकि हम दोनों के कमरे ऊपर छत पर थे और छत के बारजे से लगभग दस फ़ीट की दूरी पर थे।
हाँ, मुझे पेशाब बहुत तेज आ रही थी।
मैं इधर उधर देखने लगी तो अमित के कमरे की दूसरी तरफ एक नाली बनी थी।
लेकिन उधर जाने ला मतलब कि दोनों की नजरों में आ जाना।
मैं वही बैठ गई और धीरे धीरे पेशाब करने लगी।
मैं पेशाब करके खड़ी हुई तब तक दोनों बिस्तर पर 69 की अवस्था में होकर चूमा चाटी कर रहे थे।
थोड़ी देर बाद दोनों एक दूसरे से अलग हुए नमिता बिस्तर पर अपनी टांग फैला कर लेट गई और अमित उसके ऊपर चढ़ गया और धक्के मारना शुरू कर दिया।
करीब पांच सात मिनट तक धक्के मारते रहने के बाद वो निढाल होकर नमिता के ऊपर लेट गया।
नमिता ने उसको अपने से कस कर चिपका लिया था।
फिर दोनों एक दूसरे से अलग हुये तो अमिता पास पड़ी हुई चादर लेकर उसकी चूत साफ करने को हुआ तो नमिता ने उसे रोकते हुए कहा- अमित, मैं आज आपका रस भी चखना चाहती हूँ।
कह कर उसने अपनी उंगली अपनी चूत के अन्दर डाली और फिर बाहर निकाल कर उसे चाटने लगी।
अमित को भी जोश आ गया और उसने भी नमिता की चूत चाटकर साफ कर दी।
फिर नमिता के कहने पर लाईट को ऑफ कर दिया।
हाँ लाईट ऑफ करने से पहले अमित ने नमिता को एक सोने का लॉकेट दिया, शायद वो लॉकेट मेरे लिये था।
मेरा भी वहाँ का काम खत्म हो गया था।
अब मुझे देखना है कि इतनी मस्ती पाने के बाद अमित मेरे कमरे में आयेगा या नहीं।
मैं आ गई, कमरे को अपने खुला ही रखा और आदत के अनुसार मैं नंगी ही सो गई।
करीब आधी रात को मुझे लगा कि कोई मेरी बगल में लेटा है और मेरी चूची को मसल रहा है।
मैं समझ गई कि यह अमित है लेकिन मैं कुछ बोली नही।
कभी वो मेरी चूची को कस कर मसलता रहा तो कभी मेरी गांड सहलाता और बीच-बीच में गांड के अन्दर उंगली करता रहा।
मैं अपनी आँख बन्द करके मजा लेती रही।
काफी देर वो ऐसा ही करता रहा, फिर मैं उसके तरफ मुड़ी और अपनी एक टांग को उसके ऊपर चढ़ाते हुए बोली- क्यों जीजा जी, मेरी चूची मसलने में और गांड में उंगली करने का मजा आ रहा है न?
'हाँ भाभी, बहुत मजा आ रहा है।'
'तो ठीक है, जो तुम मेरे साथ करना चाहते हो पहले तुम कर लो, फिर मैं तुम्हारे साथ करूँगी। लेकिन मेरी बारी में तुम ना नुकुर नहीं करोगे?'
इतना सुनते ही अमित ने मुझे पट लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।
थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा फिर मेरे चूतड़ के नीचे बैठ गया और चूतड़ों को चूची समझ कर तेज-तेज मसलने लगा।
उसके बाद जीजा मेरे उभारों को फैलाने लगा और अपनी जीभ उसमें लगा दी और उसकी जीभ के गीलेपन से मेरी गांड में सुरसुराहट सी होने लगी।
काफी देर तक उसने मेरी गांड चाटी फिर मुझे सीधी कर दिया और मेरी निप्पल को तेज-तेज खींचने लगा।
मुझे दर्द तो बहुत हो रहा था लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था।
निप्पल खींचने के बाद अमित मेरी चूची को तेज-तेज भींचने लगा, इस समय अमित बिल्कुल जंगली सा प्रतीत हो रहा था, वो मेरे ही ऊपर लेट गया अपने होंठो से मेरे होंठ चूसने लगा, एक हाथ से चूची को मसल रहा था और दूसरे हाथ की उंगलियाँ मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ चुका था, चूत के अन्दर तेजी से उंगलियाँ चला रहा था।
काफी देर तक ऐसा करते ही रहने के बाद अमित घुटने के बल बैठ गया, मुझे अपनी ओर खींचकर अपने लंड को मेरी चूत में सेट कर दिया और एक झटके से अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया… और लगा मुझे चोदने।
एक दो मिनट के बाद ही उसके मुँह से तेज-तेज आवाज निकलने लगी और उसका शरीर अकड़ने लगा।
अमित ने अपना लंड बहुत ही जल्दी मेरी चूत से बाहर निकाला और अपना माल मेरी चूत में गिरा दिया।
अमित के जंगलीपन के कारण मैं भी खलास हो चुकी थी।
अमित हाँफते हुए मेरे बगल में लेट गया।
थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा और फिर अपनी टांग मेरे ऊपर चढ़ाते हुए बोला- भाभी, आज की रात मेरे लिये न भूलने वाली रात होगी।
'अभी कहाँ मेरी जान!' मैं एक परफेक्ट रण्डी की तरह से बोली- अभी तो आगे बहुत कुछ है, जिसे तुम जिन्दगी भर न भूल पाओगे।
'बोलो भाभी, जो तुम कहोगे मैं करूँगा, इस रात को और यादगार बना दो।'
'मैं बना तो दूँगी, पर बीच में तुम मत छोड़ जाना?'
'नहीं… आप बोलो तो बस!'
जैसे ही अमित के ये शब्द खत्म हुए, मैं बोल उठी- अबे मादरचोद, जो मेरी चूत पर अपना माल गिराया है, उसे कौन साफ करेगा। अमित भौंच्चका सा मुझे देखने लगा।
मैं फिर बोली- बहन के लौड़े, मुझे घूर क्या रहा है, चल साफ कर!
'सॉरी भाभी…' कह कर वो पास पड़ी चादर लेकर जैसे ही मेरी चूत को साफ करने चला, मैंने उसका हाथ बड़े प्यार से पकड़ा और बोली- जानू रहे गये न तुम गांडू के गांडू। इससे साफ नहीं करने को कह रही हूँ, इसको चाट कर साफ करो।
अभी अभी अमित नमिता की चूत साफ करके आया था, वो हंसते हुए बोला- भाभी आप भी ना, मेरी माँ बहन तौल दी।
'मजा नहीं आया मेरे प्यारे जीजू?'
'हल्का सा…' अमित ने खींसे निपोरी और फिर अपनी जीभ को मेरी चूत की सैर कराने लगा।
'जीजू आओ अपने लंड को मेरे मुंह में दे दो, मैं तुम्हारे लंड को चूसूँ और तुम मेरी चूत चाटो।'
दोस्तो, मुझे तो जो मजा लेना था वो तो लेना ही था और मेरे लिये अब कोई लंड मेरे मुँह हो फर्क नहीं पड़ता।
तो मैं अमित का लंड चूस रही थी और इंतजार कर रही थी कि कब मुझे पेशाब लगे।
पेशाब के इंतजार में अमित का लंड मेरे मुख की सैर कर रहा था।
मैं अमित को बेड पर लेटा कर उसके लंड पर चढ़ गई और उछलकूद मचाते हुए बोली- क्यों जीजू, मजा आ रहा है ना?
'हाँ मेरी प्यारी भाभी, बहुत मजा आ रहा है।'
तभी अमित बोला- भाभी, मेरा माल निकलने वाला है।
मैंने तुरन्त वो जगह छोड़ दी और उसके लंड को अपने मुंह में लेते हुए बोली- जीजू, अपना माल मेरे मुँह में निकाल दो।
इससे पहले अमित कुछ बोलता, उसका लंड मेरे मुँह में और उसी समय उसके लंड ने मेरे मुँह में उल्टी कर दी, अमित के रस से मेरा मुँह भर गया और मैं धीरे-धीरे उसके माल को गटक गई।
अमित का लंड मुरझा चुका था और इधर मेरे प्रेशर भी बढ़ रहा था।
मैं खड़ी हुई और अमित को घुटने के बल बैठाते हुए बोली- अपना मुंह खोलो, मेरे चूत के रस का आनन्द लो!
अमित बिना कुछ कहे मेरी चूत को चाटने लगा, तभी मैंने हल्की सी धार छोड़ी और अपने आपको रोक ली और अमित का रियेक्शन देखने लगी।
अमित बुरा सा मुँह बनाते हुए बोला- मादर…
फिर अपने आपको सम्भालते हुए बोला- भाभी ये क्या है?
मैं बड़ी ही सहजता से बोली- मेरा पानी है और क्या!
और उसके सिर को पकड़ते हुए उसके मुंह को फिर मैंने अपनी चूत पर सेट किया।
अमित बोला- भाभी ये नहीं पीना है।
'क्यों जीजू, उस दिन तो बड़ी शेखी बघार रहे थे कि मेरी जैसी के हाथ से जहर पीने को मिले तो वो भी पी लोगे, आज क्या हो गया है और अभी अभी तुमने वादा किया था कि तुम मेरी कोई बात नहीं काटोगे और अपने आपको मेरा गुलाम बोले थे।'
मैं नहीं चाहती थी कि उसे कोई धमकी देनी पड़े।
मैंने उसके बालों को बड़े प्यार से सहलाया और बोली- जीजू, तुम मेरे लिये अजनबी मर्द थे, तुम ही मेरे पास आये थे और मैंने तुम्हारी बात रख ली, अब तुम मेरी बात रख लो।
दो चार बार बहलाने और फुसलाने से अमित मान गया और अपने मुंह को खोल दिया।
मैंने भी बड़े इतमीनान से उसके मुँह में अपने पेशाब की धार छोड़ दी और अमित उसको पीने लगा।
उसके बाद अमित के बांहो में चिपक गई और उसके गांड को सहलाते हुए बोली- जीजू, क्या तुमने अपनी बीवी की गांड कभी मारी है?
बीवी का नाम सुनते ही वो थोड़ा सा भड़क गया, बोला- भाभी, जिस औरत ने आज तक मुझे अच्छी तरह से अपनी चूत तो चोदने नहीं दी तो वो अपनी गांड मुझसे क्यों मरवायेगी।
मैं अमित से अलग हुई और बोली- तुम अगर तैयार हो तो मैं नमिता को तैयार कर लूँगी कि वो तुमसे अपनी गांड का भी उदघाटन करवा ले! आज जो नमिता ने तुमको मजा दिया है वो मेरी ही बदौलत दिया है।
अमित ने तुरन्त मेरे हाथों को चूमते हुए थैंक्यू बोला और नमिता की गांड के लिये भी राजी हो गया।
अमित इतना उत्साहित था कि उसने बाकी कुछ नहीं पूछा।
उसके उत्साह को ब्रेक लगाते हुए मैं बोली- एक शर्त है।
'फिर एक शर्त? ठीक है भाभी, तुम शर्त बोलो। अब तो सब हो ही चुका है। तुम उसके साथ सेक्स मेरे सामने करोगे और अगर नमिता बोलेगी तो ही तुम मेरी चूत में अपना लंड डालोगे।'
'मैं तैयार हूँ…'
'तो ठीक है कल रात हम तीनों…'
तभी अमित ने पूछ लिया- भाभी, आप भी गांड मरवाती हो?
'हाँ, अब मेरी गांड केवल मेरे रितेश के लिये है।'
इसके साथ ही मैंने अमित को उसके कमरे में जाने के लिये बोला।
अमित एक बार फिर मेरे होंठ को चूमा और फिर अपने कमरे में चला गया।
अमित के जाते ही रितेश को कॉल करके सारी कहानी बताई और यह भी बताया कि उसके जीजा को मूत पिलाने के साथ साथ खूब गाली भी दी और वो उफ भी नहीं कर पाया।
उधर से रितेश बोला- आकांक्षा, तुम वास्तव में सेक्स की देवी हो। अच्छे-अच्छे को अपना गुलाम बना सकती हो।
रात को काफी देर तक जागने के बाद सुबह मेरी नींद नहीं खुल रही थी और बहुत ही सर दर्द कर रहा था पर ऑफिस से फोन आने पर न चाहते हुए भी मुझे जाना पड़ा।

कहानी जारी रहेगी।
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मैंने उसका हाथ बड़े प्यार से पकड़ा और बोली- जानू रहे गये न तुम गांडू के गांडू। इससे साफ नहीं करने को कह रही हूँ, इसको चाट कर साफ करो।
अभी अभी अमित नमिता की चूत साफ करके आया था, वो हंसते हुए बोला- भाभी आप भी ना, मेरी माँ बहन तौल दी।

'मजा नहीं आया मेरे प्यारे जीजू?'
 
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ऑफिस पहुँचने पर पता चला कि मेरा बॉस मेरा ही इंतजार कर रहा है।
वैसे भी ऑफिस के कलिग के व्यवहार से इतना तो मालूम चल गया था कि मेरा बॉस मुझे लाईन मारता है और शायद इसलिये वो मुझे हर जगह सपोर्ट करता है और जो भी कोई नया प्रोजेक्ट आता था, उसका इंचार्ज़ वो मुझे ही बनाता था, लेकिन इसके बदले में उसने अभी तक कोई नजायज डिमांड नहीं की थी।
पर आज जैसे ही उसके केबिन पहुंची, उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया, मैंने बॉस को लगभग धकियाते हुए अपने से अलग किया और इस उद्दण्डता की वजह पूछी तो बोला- आकांक्षा, जब से तुम इस ऑफिस में आई हो, मैंने सब को नेग्लेक्ट करते हुए हर प्रोजेक्ट का इंचार्ज़ तुम्हें बनाया है और उसके बदले में मैंने तुमसे कभी कुछ मांगा नहीं है, लेकिन आज एक ऐसा प्रोजेक्ट है जिसमें तुम्हारी प्रोगरेस के साथ-साथ मॉनेटिरी लाभ भी है। तुम्हें अगले महीने इस प्रोजेक्ट के सिलसिले में कोलकाता जाना है। यदि तुम हाँ कहो तो मैं आगे बात करूँ।
मुझे कोई ऐतराज नहीं था लेकिन जब बॉस ने उस प्रोजेक्ट के बदले में दूसरे दिन ओवर टाईम करने को कहा तो मैंने सोचने का वक्त लिया।
मैं काम निपटा कर घर पहुंची, घर पर सभी लोग आ चुके थे और मेरा इंतजार कर रहे थे।
सबके साथ चाय नाश्ता होते होते रितेश का फोन आ गया तो मैं रितेश से बात करने के लिये अपने कमरे में आ गई और बॉस के ऑफर के बारे में बताया, तो रितेश छूटते ही पूछ बैठा कि बॉस देखने में कैसा है।
बॉस का जब मैंने रितेश को फिगर बताया तो रितेश मुझे सजेशन देते हुए बोला कि कोलकाता जाना चाहो तो जा सकती हो।
इसका मतलब था कि रितेश ने मुझे परमिशन दे दी थी कि बॉस के लंड का मैं मजा ले सकती हूँ।
उसके बाद मेरे रितेश के बीच में इधर-उधर की बातें होती रही कि तभी नमिता ने मुझे पुकारा तो मुझे रात वाली बात याद आ गई तो मैंने रितेश को बाकी बाते दूसरे दिन बताने के लिए कही और फोन काट दिया।
जैसे ही मेरी और रितेश की बात खत्म हुई, नमिता मेरे कमरे में आ गई और रात को जो कुछ भी उसके और अमित के बीच हुआ था वो बड़े उत्साह के साथ बता रही थी, लेकिन मेरा दिमाग आज रात को होने वाले लाईव सेक्स पर ही था।
इतना तो मैं अब समझ गई कि नमिता से मैं जो कहूँगी वो थोड़ा बहुत न नुकुर करने के बाद मान जायेगी।
मैं इसी बात मैं विचार मग्न थी कि नमिता ने मुझे झकझोरा और मैं क्या सोच रही हूँ उसको बताने के लिये कह रही थी।
मैं उसे जानबूझ कर टाल रही थी।
लेकिन जब मुझे नमिता बहुत जोर देकर पूछने लगी तो मैंने नमिता से कहा- बता तो मैं दूँगी, लेकिन सुनने के बाद तुम मुझे गलत नहीं समझोगी और उसको मानोगी।
जब मैं समझ गई कि नमिता मेरी बात को नहीं काटेगी तो मैंने उससे पूछा कि क्या वो शरमायेगी अगर मैं कहूँ कि आज रात अमित मेरे सामने तुम्हारी चूत और गांड की चुदाई करे?
मेरी बात सुनते ही नमिता की आँखें आश्चर्य से फैल गई और बोली- भाभी, आप यह क्या कह रही हो?
तो मैं उसे समझाने लगी, वो बार-बार मना किये जा रही थी और मैं बार-बार अपनी बात कह जा रही थी।
तब नमिता हारकर बोली- ठीक है भाभी, अगर अमित तैयार हो जायेगा तो मैं भी तैयार हूँ।
'अगर तू तैयार है तो मैं जीजू को मना लूँगी।'
तभी नमिता कुछ याद करते हुए बोली- अगर अमित तुम्हें भी चोदने के लिये बोला तो?
अब नमिता भी खुल कर बोलने लगी थी, तो मैंने भी उसी तरह बोला कि अगर तू कहेगी तो वो मेरी चूत में लंड डाल पायेगा नहीं तो नहीं।
'तो ठीक है!' नमिता बोली।
मेरा काम पूरा हो चुका था।
अमित तो वैसे भी तैयार था तो मैंने मौका देखकर अमित को इशारा कर दिया।
अब हम तीनों रात होने का इंतजार करने लगे।
जैसे तैसे घर का काम खत्म हुआ, केवल हम दोनों के अलावा, घर के सभी लोग, अमित भी खाना खाकर ऊपर जा चुके थे।
काम करने के साथ-साथ मैं पूरा ध्यान नमिता पर था और मुझे ऐसा लग रहा था कि वो बहुत घबरा रही है। मैं नमिता को एक बार फिर सेक्स पर ज्ञान देने के लिये बोली- देखो नमिता, कोई जोर जबरदस्ती नहीं है, न मन हो तो मत करो।
'नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है, पर थोड़ा अजीब जरूर लग रहा है।'
'देखो नमिता, सब संकोच, डर निकालो और मजा लो। अमित को लगे उसकी बीवी भी क्या गजब माल है। और आज अपनी चूत के मजे के साथ अपनी गांड चुदाई के भी मजे लेना।'
मैं उसके साथ साथ काम भी निपटा रही थी और उसे आज रात जो होना है उसके लिये उसे मैं तैयार करने में लगी थी।
चूंकि नोएडा में जो मेरे साथ हुआ था, उसने मेरे जीवन को बदल दिया था और अब मैं हर पल सेक्स का मजा लेना चाह रही थी और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि उस सेक्स का मजा लेने में मेरे साथ कुछ गलत भी हो सकता था।
उसको समझाते-समझाते मेरे दिमाग में एक और शरारत सूझी। वो शरारत यह थी कि मैं और नमिता दोनों ही नंगी ऊपर जायें, तो मैंने नमिता से ऊपर नंगे चलने की बात कही तो एक बार उसकी आँखें फिर चौड़ी हुई और बोली- भाभी, तुम पागल हो क्या, अभी नीचे सब जाग रहे है और किसी ने देख लिया तो बवाल हो जायेगा।
मैंने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा- कोई नहीं देखेगा, सब अपने कमरे में हैं और अगर तुम नंगी ऊपर जाओगी तो अमित और भी सरप्राईज हो जायेगा। चलो मैं कमरे में अंधेरा कर देती हूँ।
कह कर मैंने पूरे घर की लाईट ऑफ कर दी, बस जिस कमरे में मैं और नमिता खड़ी थी, उसमें जीरो वाट का बल्ब जलते रहने दिया। नमिता झिझक रही थी और मैं उसे हौंसला दे रही थी।
तभी नमिता बोली- फिर भाभी, आप भी नंगी चलो।
मैं तो चाहती यही थी, फिर भी मैंने मना करने की नियत से कहा- देखो, अमित को तुम सरप्राईज दे रही हो मैं नही। मैं मन ही मन बहुत खुश हो रही थी, लेकिन फिर दिखावा करते हुए बोली- मुझे कोई परेशानी नहीं है लेकिन अगर मेरा मन अमित का लंड अपनी चूत के अन्दर लेने का हुआ तो तुम बुरा नहीं मानोगी?
नमिता तुरन्त बोली- नहीं भाभी, बिल्कुल नहीं बुरा मानूँगी, आज हम दोनों उसे डबल सरप्राईज देंगे और डबल चूत भी।
'ठीक है!' कहकर मैंने तुरन्त ही अपने गाऊन को उतार दिया।
चूंकि मैं अन्दर कुछ भी नहीं पहनती थी तो मैं पूर्ण रूप से नंगी थी।
अब नमिता की बारी थी, उसने भी गाउन उतारा और फिर एक-एक करके अपनी पैन्टी और ब्रा को भी उतारकर बिल्कुल नंगी होकर ऊपर अपने कमरे की तरफ चल दी।
हम जब छत पर पहुँचे तो अमित केवल चड्ढी में था और सिगरेट पीते हुए हम लोगों का इंतजार कर रहा था।
हम दोनों को ही नंगी देखकर अमित की आँखें फटी फटी रह गई।
अमित केवल अपना मुंह फाड़े हमे देख रहा था और नमिता अमित को इस तरह देखकर अपने आपको रोमांचित महसूस कर रही थी।
अमित ने तुरन्त ही नमिता को अपने बांहों में भर लिया और बोला- डार्लिंग, अब तुम मुझे रोमांचित करने लगी हो।
अमित नमिता के जिस्म को सहला रहा था।
थोड़ी देर तक दोनों ऐसे ही चिपके रहे, फिर जब दोनों अलग हुए तो अमित की नजर मुझ पर भी पड़ी और मुझे देखकर वो मुस्कुराने लगा, फिर अपनी चड्डी उतारते हुए बोला- जब तुम दोनों पूरी नंगी हो तो मैं भी लो, पूरा नंगा हो जाता हूँ।
मेरे मन में थोड़ा सा थ्रिल करने का हो रहा था तो अमित से बोली- हम तीनों ही छत पर रहें तो?
नमिता और अमित दोनों मेरे इशारे को समझ गये थे, अमित ने तुरन्त ही तीन कुर्सी लगा दी।
पहले अमित, फिर नमिता और मैं जानबूझ कर नमिता के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गई।
अमित काफी चहक रहा था और शायद हम तीनों को कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था कि हमें छत पर कोई नंगा देख रहा है या नहीं।
तीनों ही मस्ती के मूड में थे।
अमित बल्कि कुछ ज्यादा ही था, वो बोला- कभी मेरी किस्मत चूत के मामले में गधे के लंड से लिखी हुई थी, बाहर क्या घर वाली की चूत भी ठीक से नसीब नहीं होती थी, आज दो दो चूत सामने हैं।
मैं नमिता के बोलने से पहले ही बोल पड़ी- जीजू, गफलत में मत पड़ो, तुम दो चूत को देख सकते हो लेकिन चूत केवल नमिता की चोद सकते हो।

ऐसा लग रहा था कि अमित को जो मौका आज मिला है वो शायद आज के बाद फिर न मिले, वो सब कुछ कर लेना चाहता था, इसलिये वो बोला- आज बिना मांगे बहुत कुछ मिल गया तो एक इच्छा और पूरी कर दो?
नमिता बोली- जानू, तुम जो कहोगे वो करूँगी।
'मैं चाहता हूं कि आज तुम दोनों मुझे गाली दो और मैं तुम दोनों को गाली दूँ, जल्दी से बोला- अगर तुम दोनों को बुरा न लगे तो?
'मुझे तो आती नहीं।' नमिता बोली।
मैंने नमिता को सुझाया कि अमित पहले हम दोनों को गाली बकेगा और फिर तुम समझ लेना उसके बाद हम दोनों अमित को गाली देंगी, लेकिन माँ बहन की गाली नहीं होगी।
बस मेरी बात खत्म हुई थी कि अमित बोला- मादरचोदो, दोनों बिना किसी लाज शर्म के नंगी नीचे से ऊपर चली आई।
अमित ने इतना ही बोला था कि मैं बोल उठी- भोसड़ी के, तुम ही तो चूत के बिना मरे जा रहे थे, रोज मेरी चूत मारने का सपना देख रहे थे और आज तेरे सामने मेरी चूत है तो हमें लाज शर्म सिखा रहा है।
तभी नमिता बोल पड़ी- हाँ भाभी, देखो इस साले को, अभी तक चाह रहा था कि मैं पूरी नंगी इसके सामने रहूँ और आज सामने हूँ तो हम लोगों को पाठ पढ़ा रहा है।
मैं और अमित नमिता की बात सुन कर हँसने लगी, अमित उसके दोनों गालों को प्यार से खींचते हुए बोला- जाने मन… बहुत खूब, बस थोड़ा और..
'मुझे शर्म आ रही है।'
'कोई बात नहीं!' अमित बोला- जानेमन, जब तुम नीचे से नंगी ऊपर चली आई तो फिर अपने आदमी को गाली बकने में शर्म मत करो।
हकलाते हुए नमिता बोली- चल मादरचोद मेरी चूत को चाट, नहीं तो तेरी गांड में इतने हन्टर मारूँगी कि जब तू सुबह हगने के लिये उठेगा तो तेरी गांड इतनी सूज़ी होगी कि तू टट्टी भी कायदे से नहीं कर पायेगा।
कह कर नमिता ने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया।
'ओह… ओह… मेरी गांड सुजायेगी, लौड़े की… जब मेरा लंड तेरी चूत में जाकर तेरी गांड से निकलेगा तो दर्द तुझे पता चलेगा।'
इसी तरह हम सभी के बीच गाली चलती रही, नमिता भी धीरे-धीरे खुलने लगी और मौका देखकर अमित नमिता से बोला- जानू, अगर तुम बुरा ना मानो तो भाभी की चूत का भी मैं मजा ले लूँ।
नमिता ने पहले मेरी तरफ देखा, फिर बोली- कोई बात नहीं अमित, अगर भाभी चाहें तो तुम उसकी चूत का भी मजा ले सकते हो, बेचारी भाई की याद में कितना तड़प रही है।
अमित तुरन्त उठा और थोड़ा झुकते हुए बोला- हुस्न की मलिकाओ, तुम्हारा यह गुलाम तैयार है, जो हुक्म दोगी, वो करने के लिये तैयार है।
नमिता थोड़ा अकड़ते हुए अपने दोनों टांगों को उठा कर कुर्सी के हत्थे पर रखते हुए बोली- चल गुलाम शुरू हो जा, मेरी और भाभी की चूत चाट!
अमित एक गुलाम की तरह मेरी और नमिता की चूत चाटने लगा और हम दोनों ही उत्तेजना में अपनी अपनी चूचियाँ मसल रही थी।
काफी देर तक चूत जब अमित चाट चुका तो मैंने अमित के मुँह में अपनी निप्पल लग दी और नमिता से उसकी गांड चाटने के लिये बोली।
इसी तरह अब कभी अमित हम दोनों के जिस्म के किसी हिस्से को चाटता तो कभी हम लोग उसके जिस्म को चाटते।
फिर मैंने जमीन पर अमित को लेटाया और उसके लंड पर चढ़कर सवारी करने लगी।
उधर नमिता अमित के मुँह में बैठ गई।
बदल-बदल के हम दोनों ने कई बार अमित के लंड से चुद चुकी थी।
थोड़ी देर में अमित की शक्ति जवाब देने लगी, वो बोल उठा- नमिता, मैं झड़ने वाला हूँ।
मैंने तुरन्त ही नमिता को बोला- चलो, नमित के लंड को चूसो और उसके लंड के पानी को पूरा पी जाओ।
नमिता ने तुरन्त अमित के लंड के अपने मुँह में ले लिया और मैं अमित के मुँह में अपने चूत को लगा चुकी थी जिससे अमित मेरी चूत के रस को पी ले।
इधर अमित ने मेरी चूत चाट कर साफ कर दी और उधर नमिता ने अमित के लंड का पानी पीने के बाद अमित के मुँह पर बैठ गई और अपनी चूत का रस पिलाने लगी।
इस तरह से हम तीनों का पहला राउन्ड खत्म हुआ।
मैं और नमिता दोनों ही अमित के बगल में लेट गये और अपनी-अपनी टांगें उसके ऊपर चढ़ा दी और हम दोनों ही अमित के निप्पल पर अपने नाखूनों गड़ाती या फिर उसके निप्पल को चूसती, साथ ही साथ हम दोनों के हाथ अमित के लंड को सहलाने में लगे थे, जिसके कारण अमित का लंड एक बार फिर टाईट होने लगा।
अमित के लंड को टाईट होते देख मैं नमिता से बोली- आज इस मौके का भरपूर आनन्द उठा ले।
उसने इशारे से पूछा- क्या?
तो मैं बोली- अभी तूने चूत का मजा लिया है, अब अगर तू चाहे तो गांड का भी मजा ले सकती है।
नमिता अमित को चूमते हुए बोली- अब मेरा हर छेद अमित का है, वो चाहे तो चोदे या न चोदे।
नमिता का इशारा पाते ही मैं बोल उठी- तो ठीक है, चलो सब मेरे कमरे में। इसका मजा कमरे में लेंगे।
उसके बाद हम तीनों मेरे कमरे में आ गये।
कमरे में पहुँच कर मैंने वेसलिन की शीशी निकाली और कमरे की लाईट को जला दिया।
अमित का तो लंड टाईट हो चुका था तो मैंने नमिता को घोड़ी बनने का तरीका बताया, नमिता घोड़ी बन गई, फिर अमित से नमिता की गांड को चाटने के लिये बोला।
नमिता की गांड अमित चाटने लगा और मैंने वेसलीन अमित के लंड पर लगा दी।
अमित भी इतनी देर में नमिता की गांड चाटकर गीला कर चुका था और नमिता भी खूब आहें भर रही थी।
उसके बाद मैंने उंगली में वेसलीन लेकर नमिता की गांड के अन्दर तक अच्छे से लगाई और फिर उसकी गांड को फैला कर अमित से लंड डालने के लिये बोली।
और नमिता से बोली- अगर दर्द हो तो तुम जितना तेज चाहो चिल्ला सकती हो!
कहते ही मैंने अमित को इशारा किया, अमित ने एक ही झटके में लंड को नमिता की गांड में पेल दिया, नमिता चिल्ला उठी, बोली- अमित, प्लीज अपने लंड को निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है।
'कोई बात नहीं नमिता, बस अपनी पहली रात की चुदाई के बारे में सोचो और अपनी गांड को अपनी चूत समझ कर दर्द बर्दाश्त कर लो।'
अमित को मैंने कहा कि थोड़ा रूक जाये और नमिता की चूचियों को मसले!
जबकि मैं उसकी चूत को सहला रही थी और अपनी उंगली को नमिता की चूत के अन्दर बाहर कर रही थी।
ऐसा करते रहने से नमिता को राहत मिलने लगी और उसके ऊपर फिर मस्ती छाने लगी।
'अमित, अब तुम केवल अपने लंड को धीरे धीरे गांड के अन्दर बाहर करो, ध्यान रहे झटके मत मारना!'
मेरे कहे अनुसार अमित कुछ देर तक लंड को अन्दर बाहर करता रहा।
इस तरह से कुछ देर करते रहने से नमिता को भी अच्छा लगने लगा, तभी मैंने अमित को इशारा किया तो अमित ने एक बार और तेज धक्का लगाया और वैसे ही अमिता के मुँह से निकला- उई ईईई माँआआ आआ… मैं मर गई।
अमित को फिर एक इशारा मैंने किया और तीसरी बार अमित ने एक बार फिर लंड के बाहर निकाला और एक तेज झटके से अपने लंड को नमिता की गांड में पेल दिया।
इस बार शायद नमिता बर्दाश्त नहीं कर पाई और नमिता ने अपने दोनों हाथों में अपने जिस्म का वजन डाला था, उसका हाथ बैलेंस नहीं बना पाया और वो मुंह के बल गिर गई और उसकी आंख से आंसू आने लगे, साथ ही उसकी चूत ने पेशाब की धार छोड़ दी।
एक बार फिर मैंने अमित को धक्के मारने के लिये मना किया और नमिता के बालों को सहलाने लगी।
नमिता बोली- अमित, प्लीज अपना लंड निकाल लो, बहुत जलन हो रही है।
लेकिन मैंने अमित को मना कर दिया और उसे उसी अवस्था में रहने के लिये कहा।
जबकि मैं नमिता को समझाते हुए बोली- बस थोड़ा सा और!
साथ ही साथ मैं और अमित अपनी तरफ से उसके जिस्म को इस तरह से सहला रहे थे कि वो अपने दर्द को भूल जाये।
तब फिर माहौल को उत्तेजनात्मक बनाते हुए अमित से मैंने नमिता की गांड चाटने के लिये बोला।
अमित एक गुलाम की तरह नमिता की गांड को चाटने लगा। अब इस गांड चाटाई से नमिता के अन्दर एक बार फिर से ज्वाला भड़कने लगी और अमित मेरे इशारे के लिये तैयार था।
इशारा मिलते ही एक बार फिर अमित ने नमिता की गांड का भेदन करना शुरू कर दिया।
अब एक बार फिर मेरे कमरे में वासना की तेज चीखे गूँजने लगी।
इधर अमित नमिता को खूब मस्ती से चोद रहा था, उधर मैं कभी अमित तो कभी नमिता की पुट्ठे में चपत लगा देती, इससे दोनों की चीखें और तेज हो जाती।
इसी तरह तीनों अपने अपने काम को करते रहे कि अमित मस्ती से चिल्लाने लगा- जानेमन, मेरा अब निकलने वाला है!
अमित मेरी तरफ ही देख रहा था, मैंने उसे उसका वीर्य नमिता की गांड के अन्दर ही निकालने को कहा।
मेरे कहे अनुसार अमित ने अपना वीर्य नमिता की गांड के अन्दर निकाला।
फिर मैं अपनी उंगली से अमित के विर्य को नमिता के गांड के अन्दर डाल रही थी, फिर मेरी देखादेखी अमित भी नमिता की गांड में उंगली करने लगा।
अचानक पता नहीं नमिता को क्या हुआ, वो झटके से खड़ी हुई और तेजी से बाहर की तरफ भागी, मैं और अमित दोनों उसके पीछे-पीछे बाहर आये तो देखा कि नमिता नाली के पास बैठ कर मूतने लगी।
मैं अमित से बोली- अगर नमिता ने बताया होता तो तुम अपनी बीवी के पानी का मजा ले लेते।
अमित बोला- भाभी, अपनी चूत का तो पिला ही चुकी हो अब और किसका किसका पिलाओगी?
'वो तुम्हारी बीवी है। सोचो कितना मजा आता तुम उसकी चूत में मुँह लगाते और वो मना करती और नखरे करती, मुझे देखने में कितना मजा आता!'
मूतने के बाद नमिता मेरे पास आकर बोली- भाभी, आपको भी आई है तो मूत लो।
'नहीं, अभी मुझे नहीं आई है, जब आयेगी तो मैं मूत लूँगी।'
उन दोनों से बात कर ही रही थी कि रितेश का फोन आ गया और उन दोनों को जाने का इशारा किया और मैंने रितेश को आज की सारी घटना सुना दी।
तो हैरान होते हुए रितेश बोला- तुमने नमिता की गांड भी चुदवा दी।
'हाँ… और उसने भी अपनी गांड खूब मजे लेकर चुदवाई।'
रितेश आहें भरता हुआ बोला- मेरी जान, मजे तो तुम्हारे हैं और वो मादरचोद मेरी बॉस है, उसने दिन भर प्रोजेक्ट करवा कर मेरी गांड मार दी है। बहुत थक जाता हूँ। किसी तरह कल बीते तो मैं फिर तुम्हारी बांहो में आ जाओ।
'मैं तो तुम्हारे इन्तजार में बिल्कुल नंगी लेटी हूँ, पता नहीं तुम्हारे लंड को कब मेरी चूत और गांड की सुरंग की जरूरत हो।'
इसी तरह बात करते-करते नींद आने लगी और मैं फोन काट कर सो गई।

कहानी जारी रहेगी।
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अमित एक गुलाम की तरह नमिता की गांड को चाटने लगा। अब इस गांड चाटाई से नमिता के अन्दर एक बार फिर से ज्वाला भड़कने लगी और अमित मेरे इशारे के लिये तैयार था।
इशारा मिलते ही एक बार फिर अमित ने नमिता की गांड का भेदन करना शुरू कर दिया।
अब एक बार फिर मेरे कमरे में वासना की तेज चीखे गूँजने लगी।
इधर अमित नमिता को खूब मस्ती से चोद रहा था, उधर मैं कभी अमित तो कभी नमिता की पुट्ठे में चपत लगा देती, इससे दोनों की चीखें और तेज हो जाती।
इसी तरह तीनों अपने अपने काम को करते रहे कि अमित मस्ती से चिल्लाने लगा- जानेमन, मेरा अब निकलने वाला है!
 
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-13

सुबह अमित और नमिता ने दरवाजा खटखटाया तो मेरी नींद खुली।
अमित बोला- भाभी, आज लगता है मेरा दिन काफी अच्छा जायेगा।
मैंने पूछा- क्यों?
तो अमित बोला- आज पहली बार मैंने सुबह सुबह दो दो औरतों को नंगी देखा है।
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कह कर वो हंसने लगा।
जब मेरी नजर अपने ऊपर गई तो मैं भी हँस पड़ी।
उसके बाद मैंने अपने कपड़े पहने और फिर हम तीनों नीचे आ गये।
घर के बाकी सभी लोग उठ चुके थे और सब तैयार हो रहे थे जबकि मैंने और नमिता ने रसोई सँभाल रखी थी।
सब काम निपटाने के बाद मैं भी ऑफिस के लिये तैयार हो गई, फिर नाश्ता करने के बाद मैं भी ऑफिस के लिये चल दी।
अमित ने आज एक बार फिर मुझे मेरे ऑफिस ड्राप कर दिया।
जैसे ही मैं अपने केबिन में बैठी कि साहब की कॉल मुझे अपने ऑफिस में बुलाने के लिये आई।
वहां पहुँचने पर बॉस मेरी तारीफ के पुल बाँधने लगे तो मैं समझ गई आज बन्दा मुझे अपना हम बिस्तर बनाना चाहता है।
मुझे ऐसा कोई ऐतराज भी नहीं था लेकिन थोड़े नखरे करने की सोच रही थी और इसी सोच में पता नहीं कब ख्याली दुनिया में पहुँच गई कि मुझे मेरा बॉस क्या कह रहा है पता ही नहीं चल रहा था।
एकदम बॉस ने मुझे झकझोरा और बोला- आकांक्षा, मैं तुमसे बहुत दिनों से एक बात कहना चाह रहा था लेकिन कह नहीं पा रहा था। लेकिन अब मैं बहुत स्पष्ट रूप से तुमसे कहना चाहता हूँ कि तुम मुझे बहुत ही सेक्सी लगती हो और कई दिनों से केवल तुम्हारी कल्पना कर रहा हूँ। आज इसीलिये मैंने अपनी बीवी को एक दो दिन के लिये उसके मायके भेज दिया है ताकि मैं तुम्हारे साथ मेरे घर में रह सकूँ। मैं चाहता हूँ चाहे आज या कल तुम चार पांच घन्टे मेरे साथ रहो, मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ।
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कहकर वो मेरी तरफ देखने लगा।
उसकी इतनी स्पष्ट तरीके से अपने प्रोपोजल को मेरे सामने रखा कि मैं अब उसे नखरे नहीं दिखाना चाहती थी और न मैं यह चाहती थी कि उसे यह पता लगे कि मैं चुदने के लिये तैयार हूँ।
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तो थोड़ा नाटक करते हुए मैं बोली- बॉस, अगर किसी को पता ना चले तो मैं आपके घर चल सकती हूँ।
बॉस मेरी तरफ देखने लगा और फिर मुझे मेरे केबिन मैं जाने के लिये बोला।
करीब आधे घंटे के बाद बॉस के बुलावे पर ऑफिस के सभी स्टॉफ एक हॉल में खड़े थे।
बॉस आये और बोले- आज मेरी 5-6 घंटे की एक ऑउट डोर मीटिंग है, मैं अपने साथ किसी एक को ले जाना चाहता हूँ। जो मेरे साथ चलने के लिये तैयार हो, मेरे पास आ जाये।
मैंने अपना हाथ उठाया, बॉस बोले- तुम चलोगी मेरे साथ?
मैं बोली- नहीं बॉस, मैं आपके साथ जाने के लिये नहीं बोल रही हूँ, मुझे हॉफ लीव चाहिये उसके लिए बोल रही हूँ।
ठीक है।
कहकर वो सभी की तरफ देखने लगे।
सभी कुछ न कुछ बहाना बना कर हट गये।
अन्त में बॉस बोले- O.K.
मैं ऑफिस के बाहर आ गई और मेरे पीछे-पीछे बॉस आ गये और मैं उनके साथ उनके घर पहुँची।
बॉस मुझे सीधे अपने बेड रूम ले गये और मुझे पकड़कर चूमने लगे।
'अरे बॉस, रूको तो सही, कपड़ा उतारोगे या कपड़े पहने ही सब कुछ कर लोगे?'
तब जाकर मुझे उन्होंने अपने से अलग करके जल्दी-जल्दी अपने कपड़े उतारे, उनका चार इंच का लंड तना हुआ था।
कपड़े उतारने के बाद वो अपने लंड को मसलने लगा, मैंने हाथ हटाते हुए कहा- बॉस, इसको इतना मत मसला करो। इसे प्यार की जरूरत है न कि सजा की।
'तो ठीक है, नहीं मसलता… जल्दी से अपने कपड़े उतारो, मैं तुम्हारी चूत में इसको डाल देता हूँ।'
'इसीलिये मुझे यहाँ लाये हो कि मैं कपड़े उतार दूँ और तुम तुरन्त अपने लंड को मेरी चूत में डालकर ठण्डे हो जाओ। थोड़ा प्यार व्यार करो, फिर इसको डालो।'
मेरी बातों के आगे हार कर बोला- तो ठीक है, तुम जो चाहो वो करो, लेकिन मुझे खूब प्यार करो और मजा दो।
'मैं तैयार हूँ लेकिन तुम, जो मैं कहूँगी, वो तुम करोगे।'
'तुम जो कहोगी, मैं करूँगा।'
'ठीक है, पलंग़ पर लेट जाओ और अपने लंड पर अपना हाथ बिल्कुल मत लगाना।'
फिर मैं अपने कपड़े उतार कर बॉस के ऊपर चढ़कर बैठ गई और अपने अंगूठे को बॉस के मुँह में देते हुई बोली- चल शुरू हो जा मेरी जान मजा लेने को, चल चाट इसे, आज तुझे वो मजा दूँगी जो तेरी बीवी ने तुझे कभी नहीं दिया होगा।
अपने दोनों पैर उसकी जुबान पर खूब रगड़ रही थी, उसके बाद उसकी नाक के पास चूत ले जाकर उसे सूँघने को बोली।
मैं अपनी चूत को कभी उसकी नाक से रगड़ती तो कभी उसके मुँह से।
बॉस मजबूर था कभी मेरी चूत सूँघने के लिये और कभी चाटने के लिये।
उसके बाद मैंने अपनी चूची उसके मुंह में लगा दी। मेरा बॉस मेरी चूची को एक छोटे बच्चे की तरह चूस रहा था।
'क्यों बॉस, मजा आ रहा है?'
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'बहुत मजा आ रहा है।'
'अच्छा तुम बताओ कि तुम क्या चाहते हो जो मैं तुम्हारे साथ करूँ।'
मैं उसके ऊपर लेट गई जिससे उसके लंड को भी मेरी चूत की गर्मी का अहसास हो जाये।
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लेकिन ये क्या… जैसे ही मेरी चूत उसके लंड से टच हुई वैसे ही उसके लंड से फव्वारा छूट पड़ा।
'यह क्या किया तुमने? इतनी जल्दी तुम डिस्चार्ज़ हो गये?'
बॉस का माल मेरी चूत और जांघ पर गिर चुका था।
बॉस नजर नहीं मिला पा रहा था, मैं उठी और बोली- कोई बात नहीं जानू!
कह कर मैं सीधी लेट गई और उससे बोली- मेरी चूत और उसके आस पास जहाँ जहाँ भी तुम्हारा माल गिरा है, उसको अपनी जीभ से साफ करो।
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थोड़ा झिझकने के बाद उसने अपनी जीभ चलाना शुरू कर दिया, उसके बाद मैंने अपने दोनों पैरों को हवा में ऊपर उठाया और अपनी उंगली को अपनी गांड की तरफ दिखाते हुए बोली- बॉस, कभी गांड चाटी है? मेरी गांड और चूत दोनों का छेद तुम्हारे एकदम सामने है, इनको भी चाटो और मजा लो।
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इस तरह कभी मैं बॉस से अपनी आर्मपिट तो कभी जांघ तो कभी गांड तो कभी चूत चटवाती।
अब बॉस को भी मजा आने लगा और खुल कर मेरे जिस्म से वो खेलने लगा।
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जब वो मुझे चाटते-चाटते थक गया तो फिर मेरे सीने पर बैठ कर अपने लंड को मेरे मुँह के आगे लाया और बोला- आकांक्षा, बहुत देर से तुम अपना सब कुछ चटवा रही हो, अब तुम मेरे लंड को भी चूसो।
मैं उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी और उसके टट्टों से खेलने लगी।
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धीरे धीरे बॉस का लंड में तनाव पैदा होने लगा, फिर वह अपना लंड मेरे मुंह से निकाल कर मेरी चूत के डाल कर धक्के देने लगा।
कुछ देर बाद वो हाँफने लगा और मेरे ऊपर लेट गया।
उसका लंड मेरी चूत से बाहर आ गया तो उसको सीधा लेटा कर मैं उसके ऊपर चढ़ बैठी और उछलने लगी।
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वह ज्यादा देर तक वो बर्दाश्त नहीं कर पाया और एक बार फिर वो खलास हो गया।
इस बार भी मेरी तृप्ति नहीं हुई थी और मुझे उसके ऊपर गुस्सा भी आने लगा था, लेकिन थोड़े से प्रयास के बाद मैं डिसचार्ज हो गई। और बॉस के बगल में लेट गई।
बॉस ने मेरी ऊपर अपनी टांग़ चढ़ा दी और मेरी पीठ और पुट्ठे को सहलाते-सहलाते मेरी गांड के छेद में उंगली करने लगे।
मेरा हाथ उनके लंड की मसाज कर रहा था।
कुछ देर तक हम दोनों ही चुपचाप एक दूसरे के कामांगों की सेवा हाथ से कर रहे थे।
मौन तोड़ते हुए मेरा बॉस बोला- आकांक्षा, आज से पहले मुझे इतना मजा कभी नहीं आया। मुझे तो लगता था कि लड़की नंग़ी होकर सीधी लेट जाती है और आदमी उसकी चूत में लंड पेल कर केवल धक्का लगाता है। यह जो ओरल सेक्स है ये केवल ब्लू फ़िल्म में ही होता है, लेकिन आज तुमने मुझे उसका भी सुख दे दिया। मेरी एक इच्छा और पूरी कर दो।
मैं अलसाई सी बोली- बोलिये बॉस?
मेरा इतना कहना था कि बॉस ने अपना लेपटॉप ऑन किया और मुझे एक पोर्न फ़िल्म दिखाने लगे।
लेपटॉप को बॉस ने अपने लेप पर रखा और मेरे कंधे में हाथ डालकर मेरी चूचियों से खेलने लगे।
उस पोर्न मूवी में लड़की जो है, लड़के का लंड चूस रही है और लड़का उसकी चूत को चाट रहा है।
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फिर लड़का लड़की को एक ऊँचे मेज पर लेटा कर उसकी चूत में लंड पेल कर उसे चोदता है और उसकी चूची को जोर जोर से मसलता है।
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थोड़ी देर तक चोदने के बाद एक बार फिर लड़का अपना लंड लड़की से चुसवाता है और फिर लड़की को घोड़ी स्टाईल से खड़ी करके चोदता है।
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पूरी मूवी में लड़का और लड़की कई पोजिशन से चुदाई का खेल खेलते हैं लेकिन मेरे बॉस ने वो घोड़ी वाली स्टाईल की चुदाई वाली सीन पर उस मूवी को रोक दिया और बोला- आकांक्षा, मैं तुम्हें इसी तरह पीछे से चोदना चाहता हूँ।
उसकी इस अदा पर मुझे तरस आया और उससे बोली- बॉस, मैं तुमसे इसी स्टाईल में चुदुंगी।
कहकर मैंने उसके लेपटॉप को हटाया और उसके ऊपर बैठ गई और उसके होंठों को चूमने लगी।
मैं उसके होंठों का रसपान करने के साथ-साथ उसके निप्पल को भी बीच-बीच में अपने दांतों से काट लेती थी।
मैं अब उतरते हुए उसके लंड पर आ चुकी थी और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर लॉली पॉप की तरह चूसने लगी और लंड के टोपे पर अपनी जीभ फिराती और मेरा बॉस तेज तेज सिसकारियाँ लेता, सिसकारियाँ लेते-लेते बोला- आकांक्षा घोड़ी की पोजिशन पर आ जाओ, प्लीज!
मैंने अपने चूतड़ ऊपर उठा कर घोड़ी की पोजिशन बना ली और बॉस जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया और धक्के पे धक्के देने लगा।
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इस बार बॉस काफी देर तक अपने घोड़े को मेरी गुफा में दौड़ाता रहा। इस बार बॉस बॉस की तरह ही अपना लंड मेरी चूत में पेलता रहा और मैं उसी पोजिशन में खड़ी रही।
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इस बार बॉस ने घिसाई इतनी देर तक की कि मैं पानी छोड़ चुकी थी कि तभी मेरे कान में 'आह ओह, आह-ओह…' की आवाज आई और लगा कि धक्के की गति पहले से काफी तेज हो चुकी थी या फिर अपने चरम पर थी।
'ओह्ह्ह्ह…' करते हुए बॉस मेरी पीठ पर लुढ़क गया और उसका गर्म गर्म माल मेरी चूत में भर गया और फचाक की आवाज के साथ उसका लंड मेरी चूत से बाहर आ चुका था।
'बॉस आपने जो कहा, मैंने माना… अब तुम अपने लंड और मेरी चूत के मिलन का रस चख कर देखो।'
'मैं आज पूरा मजा लेना चाहता हूँ!' कहकर बॉस ने अपनी जीभ को मेरी चूत के मुहाने पर रख दिया और रस का स्वाद लेने लगे।
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फ्री होने पर बॉस ने मुझे एक बार फिर अपने सीने से जकड़ लिया और कहने लगा- आकांक्षा, तुमने आज जो सुख दिया है, उसके बदले में मैं तुम्हारे कोलकाता ट्रिप को और मजेदार बना रहा हूँ। काम के साथ साथ वहाँ एन्जॉवय भी करो। ऑफिस की तरफ से तुम्हारे साथ एक और परसन का खर्चा मिलेगा। उसमें तुम जिसे चाहो उसे अपने साथ ले जा सकती हो।
अचानक फिर कुछ याद करते हुए बोले- अभी तो तुम्हारी नई नई शादी हुई है और अभी तुमने हनीमून भी नहीं मनाया होगा, तुम अपने हबी के साथ जाकर हनीमून बना लो।
मैं अपने बॉस से और चिपकते हुए बोली- मेरा तो रोज हनीमून हो रहा है।
फिर बॉस मुझे कपड़े पहनाते हुए बोले- आकांक्षा, तुम्हारी सैलरी में 20% का इन्क्रीमेन्ट भी लगा रहा हूँ।
फिर वो भी तैयार होकर मुझे मेरे घर तक छोड़ने आये और मेरे घर आने तक रास्ते में जब भी मौका मिलता मेरी चूत से खेल लेते थे।

कहानी जारी रहेगी।
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मेरा बॉस बोला- आकांक्षा, आज से पहले मुझे इतना मजा कभी नहीं आया। मुझे तो लगता था कि लड़की नंग़ी होकर सीधी लेट जाती है और आदमी उसकी चूत में लंड पेल कर केवल धक्का लगाता है। यह जो ओरल सेक्स है ये केवल ब्लू फ़िल्म में ही होता है, लेकिन आज तुमने मुझे उसका भी सुख दे दिया।
 
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-14

घर पहुँची तो सभी लोग मेरा इंतजार कर रहे थे।
आज मैं काफी थकी हुई लग रही थी।
अमित और नमिता मेरे पास आये, आते ही अमित ने कहा- भाभी बहुत थकी हुई लग रही हो, कहो तो मालिश कर दूँ?
मैंने नमिता की तरफ देखा और बोली- अगर नमिता को ऐतराज न हो तो… और केवल मालिश, सेक्स नहीं करूँगी।
नमिता बोली- भाभी, मैं भी देखना चाहती हूँ कि अमित कैसी मालिश करता है। मैं भी जब कभी थकी हूँगी तो अमित मेरी भी मालिश कर दिया करेगा।
तभी ससुर जी की आवाज आई- क्या बात है, आज तुम काफी थकी सी लग रही हो?
'हाँ बाबू जी, आज ऑफिस में काम ज्यादा था इसीलिये!'
'कोई बात नहीं, जाओ एक-दो घण्टे तुम आराम कर लो। तुम्हें कोई परेशान नहीं करेगा।'
कहकर वो चले गये और मैं ऊपर अपने कमरे में आ गई।
मेरे पीछे-पीछे अमित और नमिता भी आ गये।
कमरे में पहुँच कर मैंने रितेश को फोन लगाया तो उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था।
एक दो बार ट्राई करने के बाद मैंने वही नमिता और अमित के सामने ही अपने कपड़े बदल कर गाउन पहन लिया और अमित से बोली- जीजू, आप तैयारी करो, मैं जरा फ्रेश होकर आ रही हूँ, तब आप मालिश करना।
इतना कहने के साथ मैं फ्रेश होने नीचे आई और फ्रेश होने के लिये लैट्रिन का दरवाजा खोलने ही जा रही थी कि अन्दर से 'आह उह… आह उह…' की आवाज आ रही थी।
मैं आवाज तो सुन पा रही थी लेकिन देखने के लिये मैं कोई सुराख खोज रही थी कि देखा छोटा देवर जिसका नाम सूरज था, वो मेरा नाम ले लेकर मुठ मार रहा था, बोल रहा था- भाभी तुम कितनी अच्छी हो। तुम्हारी चूत क्या कहना… आ आ मेरी जान, मेरे लंड को अपनी चूत में ले लो। क्या गोल गोल है तुम्हारी चूची, इसका दूध मुझे पिला दो।
इसी तरह वो मेरी चूत, चूची और गांड के कसीदे पढ़ रहा था। बड़बड़ाते हुए उसका हाथ भी बड़े तेजी से चल रहा था और फिर अचानक उसके लंड से पिचकारी छूटी और उसकी पूरी हथेली में उसका रस लगा था।
फिर वो उसी अवस्था में अपने हाथ धोने के लिये खड़ा हुआ।
मुरझाने के बाद भी उसका लंड लंड नहीं मूसल लग रहा था।
हाथ धोने के बाद उसने अपनी चड्डी पहनी और मैं जल्दी से वहाँ से दूर हो गई।
जब सूरज बाहर आया तो मैं उसको गौर से देखने लगी, जो अब मुझे काफी सेक्सी दिख रहा था।
खैर मैं फिर फारिग होने के लिये चली गई और लेट्रिन में जितनी देर बैठी रही, सूरज के बारे में सोचती रही कि सूरज ने मुझे कब और कैसे नग्न देख लिया कि उसे मेरे अंग अंग के बारे में मालूम था या फिर वो कोरी कल्पना में मुझे पाना चाहता था।
तभी अचानक वो सुराख मुझे याद आया, जैसे अभी अभी मैंने सूरज को वो सब करते देखा, हो सकता है कि सूरज ने मुझे देखने के लिये सूराख किया है।
तभी मेरी नजर उस सुराख में एक बार फिर पड़ी और मुझे लगा कि किसी की आँख अन्दर की तरफ झांक रही है।
फिर मेरे अन्दर का क्रीड़ा एक बार फिर जाग गया और मैंने अपने आपको झुकाते हुए अपनी चूचियों को और लटका कर खुला छोड़ दिया ताकि जो देख रहा है, अच्छी तरह देख सके।
और फारिग होने के बाद मैं नंगी ही अपने हाथ धोने उठी।
उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गई जहाँ अमित मेरा इंतजार कर रहा था।
पहुँचने के बाद मैंने अपनी गाउन उतारी और जमीन पर लेट गई।
अमित और नमिता भी नंगे हो चुके थे।
अमित अब मेरी मालिश करने लगा। वो बहुत ही अच्छे से मेरी मालिश कर रहा था, हालाँकि बीच बीच में अमित मेरी चूत और गांड में उंगली कर रहा था।
मेरी मालिश और अंगो की छेड़छाड़ करने की वजह से अमित का लंड तन कर टाईट हो चुका था और मेरी जिस्म के हर हिस्से से रगड़ खा रहा था।
मेरी मालिश करने के बाद अमित लेट गया और नमिता उसके लंड पर बैठ गई, फिर धीरे-धीरे वो सवारी करने लगी। उन दोनों की काम क्रीड़ा देखने के बाद भी मेरी इच्छा नहीं हो रही थी।
उधर थोड़ी देर तक उन दोनों के बीच भी युद्ध चलता रहा और फिर अपने मुकाम पर पहुँच कर शान्त हो गया।
एक बार फिर अमित मुझे धन्यवाद देते हुए बोला- भाभी, आपके ही कारण नमिता की चूत मुझे मिलने लगी है।
इस पर नमिता हंस दी।
उसके बाद अमित मेरे बगल में और नमिता अमित के बगल में लेट गये।
मुझे पता नहीं कब नींद आ गई और मैं अमित से चिपक कर सो गई।
एक घंटे के बाद मैं उठी और नहाने के लिये नीचे आ गई। नहा धोकर फ्री होने के बाद मैंने और नमिता ने मिल कर घर के काम को खत्म किया।
इस दौरान मेरी नजर सूरज पर भी रहने लगी और रह रहकर मेरी नजर के सामने उसका लम्बा मूसल लंड आने लगा। और न चाहते हुए भी मेरा मन उसके लंड को अपनी चूत में लेने का कर रहा था।
लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि जो मैं चाह रही थी वो पूरा नहीं हो पायेगा क्योंकि सूरज और नीतेश, मेरा छोटा देवर सास और ससुर के कमरे में ही सोते थे इसलिये मुझे मौका तो इतनी आसानी से नहीं मिलने वाला था।
खैर काम निपटा कर मैं अपने कमरे में आ गई और अमित और नमिता अपने कमरे में चले गये।
सुबह के चार या पाँच के आस पास रितेश का फोन आया। जैसे ही मैंने फोन पिक किया रितेश सॉरी बोलने लगा।
मैंने कारण जानना चाहा तो उसने अपनी आप बीती सुनाई:
आज मेरी बॉस सुहाना ने मेरे मोबाईल का स्विच ऑफ कर दिया था, वो कह रही थी कि आज कुछ ज्यादा ही ओवर टाईम ड्यूटी होगी, वो कोई डिस्टरबेन्स पसंद नहीं करेगी।
और बोली कि आज वो मुझे मेरे ओवर टाईम का ईनाम भी देगी।
उसके बाद हम दोनों प्रोजेक्ट पूरा करते रहे और यहां तक कि ऑफिस का एक-एक एम्पलाई कब अपने घर जा चुका था, हम दोनों को पता भी नहीं चला।
जब लॉस्ट में चपरासी छुट्टी मांगने आया तो सुहाना उससे बोली- अभी थोड़ी देर और रूको, जब काम खत्म हो जायेगा तो जाना।
बहुत गिड़गिड़ाने पर उसने चपरासी को छुट्टी दी।
चपरासी के जाते ही सुहाना ने अन्दर से ऑफिस लॉक कर दिया।
मैं अपने काम में व्यस्त ही था कि मुझे मेरे सीने पर हाथ चलते हुआ सा महसूस हुआ तो मैंने मुड़ कर देखा तो सुहाना मेरे पीछे खड़ी थी और उसका हाथ मेरे सीने पर धीरे-धीरे रेंग रहा था।
मैं उसे देखता ही रहा तो वो बोली- तुम अपना प्रोजेक्ट करते रहो और मैं तुम्हें ईनाम भी साथ साथ देती हूँ।
कहकर उसने मुझे मेरे काम पर ध्यान देने के लिये कहा तो मैं बोला- अगर आप ऐसे करते रहोगी तो मैं काम कैसे करूँगा, द्स-पंद्रह मिनट का और वर्क है निपटा लेने दीजिए तो ये बन्दा आपका ईनाम खुद ही ले लेगा।
तो सुहाना बोली- मजा तो तभी है प्यारे, काम के साथ-साथ ईनाम भी लो।
उसकी बातों को सुनकर मैं अपने काम पर ध्यान लगाने की कोशिश करने लगा, पर जब एक औरत का हाथ अन्दर हो और मन में खलबली मची हो तो काम में कैसे मन लगता!
लेकिन मैं अपनी कोशिश करता रहा, अब मुझे यह देखना था कि जीत किसकी होती है।
सुहाना का हाथ मेरे सीने पर तो चल ही रहा था साथ में उसके होंठ भी मेरे गालों पर जगह-जगह अपनी छाप छोड़ रहे थे।
मैं कसमसा भी रहा था और काम भी कर रहा था।
जब सुहाना का मन इससे भी नहीं माना तो उसने अपना हाथ मेरे लंड के ऊपर रख दिया और उसे टटोल रही थी। इससे वो कभी मेरे अंडों को दबा देती तो कभी वो मेरे सोए हुए लंड को छेड़ देती थी।
आखिर मेरा कंट्रोल अब खत्म हो चुका था और लंड महराज फुफकारने लगे थे। वो एक कुटिल मुस्कान के साथ बोली- रितेश, तुमने अगर अपना ध्यान अपने प्रोजेक्ट पर नहीं लगाया तो प्रोजेक्ट अधूरा रह जायेगा और तुम्हारा ईनाम भी।
मेरी मजबूरी यह थी कि काफी दिनों बाद मुझे आज भरपेट खाना मिल रहा था और उसे छोड़ना नहीं चाह रहा था।
अजीब बात यह थी कि अगला कह रहा है कि खाना तो तुम्हारे लिये ही है लेकिन उसे बिना हाथ लगाये खाओ।
मेरी बॉस सुहाना की हरकतों में कमी भी नहीं आ रही थी, वो लगातार मुझे उत्तेजित करने के लिये कुछ न कुछ किये जा रही थी। उसने एक बार फिर अपने हाथ को मेरे सीने के पास पहुँचाया और नाखून से मेरे निप्पल को कचोटने लगी।
इससे मुझे मीठी सी पीड़ा हो रही थी और मेरा ध्यान भी भटक रहा था लेकिन सुहाना मेरी कोई बात मानने को तैयार नहीं थी।
कभी उसके हाथ मेरे सीने पर और निप्पल पर तो कभी मेरी पीठ को सहला रही थी।
मेरा जो काम पंद्रह मिनट का था, सुहाना की इन उत्तेजना भरी हरकतों के कारण वो पंद्रह मिनट कब के बीत चुके थे।
गजब तो तब हो गया जब सुहाना मेरी पीठ सहलाते हुए पता नहीं कब अपने हाथ मेरे कमर के नीचे ले गई और मेरी गांड की दरार के बीच अपनी उंगली रगड़ने लगी।
मैं, आकांक्षा ने अपने पति रितेश से पूछा- यार, यह तो बताओ तुम्हारी बॉस कैसी है।
रितेश फ़िर बताने लगा- यार, कल तक तो वो बहुत खड़ूस नजर आ रही थी लेकिन आज वो बड़ी गांड, बड़ी बड़ी चूचियों और बड़ी बड़ी आँख की मलकिन नजर आ रही थी। आज वो किसी परी से कम नहीं लग रही थी। जैसी हरकतें वो मेरे साथ कर रही थी, मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी आकांक्षा मुझ पर तरस खाकर मेरे पास मेरी प्यास मिटाने आ गई है।
रितेश के मुंह से मेरे लिये ये तारीफ के शब्द सुनकर मुझे अपने आप पर बड़ा नाज हुआ।
उधर रितेश बोले जा रहा था:
मेरी बॉस सुहाना अपनी उंगली मेरी गांड से निकाली और फिर मेरे ही सामने अपनी उंगली को चाटने लगी।
उंगली चाटते हुए वो बोली- रितेश, यह है तुम्हारा पहला ईनाम… अब दूसरा ईनाम ये देखो।
कहकर सुहाना ने अपने टॉप को उतार दिया।
मेरी नजर जब उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर पड़ी तो मेरी नजर वहां से हट ही नहीं रही थी।
सुहाना ने अपने बड़ी-बड़ी चूचियो को एक छोटी लेकिन बड़ी ही सेक्सी ब्रा में छुपा कर रखी हुई थी।
अपने दोनों हाथो से अपने स्तन को वो दबा रही थी और मेरे होंठों से रगड़ रही थी।
मेरी उंगलियाँ कीबोर्ड पर थी और होंठ उसके ब्रा के बीच छिपी हुई चूचियों में थे।
मेरा काम खत्म होने पर था ही कि सुहाना ने अपनी ब्रा को निकाल फेंका और निप्पल को मेरे मुंह में लगा दिया।
अब मैं उसके निप्पल को चूस रहा था और अपना काम कर रहा था।
सुहाना का ध्यान मेरे ऊपर से हट चुका था और वो मस्ती में आ चुकी थी।
तभी मैं आकांक्षा फिर उसकी बात को काटते हुए बोली- तो क्या तुम दोनों ने चुदाई का खेल ऑफिस में ही खेला?
'नहीं यार सुनो तो, सुहाना तो बहुत ही वाईल्ड है।'
मैंने पूछा- कैसे?
तो रितेश बताने लगा कि वो बहुत मस्ती में आ चुकी थी और आहें भरने लगी थी कि मैंने उसे झकझोरते हुए बोला- मैम प्रोजेक्ट ओवर हो गया है।
'अरे वाह, मैं तो सोच रही थी कि तुमको काम करते करते पूरा मजा दे दूंगी, लेकिन तुम बहुत तेज निकले!' कहकर मेरे गोदी में बैठ गई और प्रोजेक्ट चेक करने लगी।
अब मुझे मौका मिल गया था, मैंने पीछे से उसकी दूध जैसी चूचियों के साथ खेल शुरू कर दिया और लगातार मैं उसकी पीठ पर चुम्बन देता जा रहा था और वो बड़े मजे से आहें भरती हुई प्रोजेक्ट चेक कर रही थी।
मेरा टाईट लंड शायद उसके पिछवाड़े चुभ रहा होगा, तभी तो वो जितनी देर मेरे ऊपर बैठी रही उतनी देर तक वो अपनी गांड को इधर-उधर हिलाती रही।
प्रोजेक्ट चेक करने के बाद उसने कम्प्यूटर ऑफ किया और फिर अपनी टॉप पहनने के बाद उसने मुझे अपनी ब्रा मुझे दी और ब्रा को मुझे मेरी जेब में रखने को बोली।
उसके बाद हम दोनों ने ऑफिस को पूरी तरह लॉक क्या।
फ़िर सुहाना मुझसे बोली- तुम्हारा ईनाम अभी भी मेरे पास है, तुम कहाँ लोगे?
मैं बोला- बॉस…
सुहाना टोकते हुए बोली- बॉस नहीं, सुहाना बोलो।
'ठीक है सुहाना, लेकिन मैं तो इस शहर में नया हूँ। अपने होटल का रूम और ऑफिस के अलावा कुछ जानता नहीं हूँ। अब आप जहाँ ईनाम देना चाहो दे दो।'
'ठीक है, फिर मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे होटल चलती हूँ क्योंकि घर पर मैं तुमको ले नहीं जा सकती हूँ।'
इतना कहकर उसने अपने घर रात में न आने की सूचना दे दी।


कहानी जारी रहेगी।
 

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