Erotica लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग (सम्पूर्ण)

Well-known member
1,713
3,748
143
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-10
जैसे ही हम लोग नाश्ते के लिये बैठे वैसे ही अमित आ गया, अमित को देखकर नमिता अमित के लिये भी नाश्ता लेने चली गई।
नमिता के जाते ही अमित घुटने के बल नीचे बैठ गया और मुझसे बोला- भाभी, मैं आपके खुले हुस्न का दीदार करना चाहता हूँ, एक बार अपने हुस्न के दीदार करा दो, फिर ये अमित आपका गुलाम हो जायेगा।
तभी नमिता नाश्ता लाते हुए दिखाई पड़ी तो मैंने अमित को सीधे बैठने के लिये कहा।
नाश्ता करने के बाद मैं ऑफिस जाने लगी तो नमिता अमित से मुझको ऑफिस ड्रॉप करने के लिये बोली, अमित की तो मानो मन की मुराद पूरी हो गई, वो सहर्ष तैयार हो गया।
फिर मेरा भी मना करने का सवाल ही नहीं उठता था, मैं अमित के साथ चल पड़ी।
रास्ते में एक रेस्टोरेन्ट पर अमित ने अपनी गाड़ी रोकी और मुझसे दस मिनट उसके साथ रहने के लिये रिक्वेस्ट करने लगा।
मेरे पास ऑफिस पहुँचने का भरपूर टाईम था तो मैं उसके साथ रेस्टोरेन्ट चली गई।
वहां पर अमित एक बार फिर रिक्वेस्ट करने लगा तो मैंने कहा- ठीक है, आज रात मेरा दरवाजा तुम्हारे लिये खुला रहेगा, लेकिन एक शर्त है कि तुम मेरी कोई बात काटोगे नहीं।
'नहीं भाभी… बिल्कुल नही!' निःसंकोच अमित ने मेरा हाथ चूमा और बोला- भाभी, आज से आपका यह जीजा आपका गुलाम ही रहेगा।
'वो तो ठीक है लेकिन आज रात के बाद फिर कभी नहीं कहोगे और न ही मुझे ब्लैक मेल करोगे।'
'बिल्कुल नहीं भाभी… ये बन्दा आज से आपका गुलाम है, जब आप चाहोगी तब ये गुलाम सदा आपकी सेवा में रहेगा।'
इसके बाद अमित ने मुझे मेरे ऑफिस ड्रॉप कर दिया।
ऑफिस पहुँचे एक घण्टा भी नहीं हुआ था कि नमिता का फोन आ गया, फोन पर ही वो बोलने लगी- भाभी, आज मेरा मन लग नहीं रहा है, मुझे आपसे बहुत सी बातें करनी है।
मैं समझ चुकी थी कि वो मुझसे किस टॉपिक पर बात करना चाहती है तो मैंने बॉस से परमिशन ले ली।
मेरा बॉस जो एक 40 वर्षीय था उसने मुझे इस शर्त पर परमिशन दे दी कि अगर उसे कोई ऑफिस का काम पड़ेगा तो उसे फिर ओवर टाईम करना पड़ेगा, मैंने भी एक मुस्कुराहट के साथ हाँ मैं अपने सर को हिला दिया।
मैं घर आ गई।
जैसे ही मैंने दरवाजे की घण्टी बजाई, वैसे ही नमिता ने दरवाजा खोल दिया।
मुझे ऐसा लगा कि वो मेरे इंतजार में ही वहाँ खड़ी थी।
खैर जैसे मैं अन्दर घुसी वो मेरे से लिपट गई और मुझे थैंक्यू बोलने लगी।
फिर उसने मुझसे धीरे से कहा कि उसने माँ और बाबूजी को खाना खिला कर सुला दिया है।
मैं समझ गई और सीधा उसके साथ ऊपर चली आई।
कमरे में आकर मैंने उससे पूछा कि वो मुझसे क्या पूछना चाह रही है?
तो वो बोली- भाभी, आप और भईया रात में एक-दूसरे के साथ क्या करते हो, मुझे वो जानना है।
मैं बोली- मैं तुम्हे बता तो दूँगी, लेकिन तुम बुरा मान जाओगी और फिर सबको बता दोगी।
'नहीं, मैं नहीं बताऊँगी!'
'रात में मैं और तुम्हारे भईया सेक्स करते समय बहुत गंदी-गंदी बातें करते हैं।'
'भाभी, क्या-क्या बातें? मुझे सब बताओ।'
'ठीक है, मैं सब बता दूँगी, पर एक वादा करो, एक तो तुम अपने बाल साफ करवाओ और दूसरा आज रात फिर अमित को अपने हुस्न के जलवे दिखाकर उसे चौंका दो।'
नमिता बड़ी ही सहजता से बोली- भाभी, बाल मुझे साफ करना नहीं आता, अगर तुम्हें आता है तो तुम मेरे बाल साफ कर दो… और रही अमित की बात तो आज की रात अमित भी कभी नहीं भूलेगा।
'तो ठीक है, तुम अपने कपड़े उतार कर जमीन पर लेट जाओ।'
मैंने भी अपने कपड़े उतार लिए और वीट की ट्यूब निकाल ली और अपने कमरे के सभी खिड़की और दरवाजे को अच्छे से बन्द कर दिए।
नमिता अब तक बिना किसी संकोच के अपने कपड़े उतार कर जमीन पर लेट गई थी।
मैं नमिता की चूत के बाल कैंची से काटने लगी तो नमिता बोली- भाभी, बताओ न कि तुम और भईया क्या क्या करते हो?
'मैं और तुम्हारे भईया कमरे में पहुँचते ही नंगे हो जाते हैं और फिर हम लोग दिन भर की बातें करते हुए एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगते हैं।
रितेश मेरे पीछे अपने हाथ को लाकर मेरी चूची की गोलाइयों को अपनी हथेलियों में दबाने की कोशिश करता है या फिर मेरे निप्पलों को अपनी चुटकियों में मसलने का कोशिश करता है, जबकि मैं उसके जांघ को सहलाती हूँ और उसके लंड के सुपारे पर अपने नाखूनों से कुरेदती हूँ।
हम लोग बातें करते-करते गर्म होने लगते हैं।
फिर रितेश मेरे निप्पल को अपने मुंह में भर कर एक बच्चे की तरह उसको पीता है।
जब तक रितेश मेरे निप्पल को छोड़ नहीं देता तब तक मैं उसके बालों को सहलाती हूँ या फिर मैं उसके निप्पल को अपने नाखूनों का करतब दिखाती हूँ।
जब वो निप्पल पीना बंद कर देता है तो मैं उसको सीधा लेटा कर उसके जिस्म के एक-एक हिस्से को चाटते हुए उसके लंड को अपने मुंह में भर लेती हूँ और उसको लॉलीपॉप की तरह चूसती हूँ।'
बातें करते हुए मैंने उसकी चूत और उसके आस पास की जगह में अच्छी तरह से वीट लगा दी।
'तो आप भईया का अपने मुंह में ले लेती हो।'
'लंड बोलो यार!' मैंने नमिता को समझाते हुए कहा- मेरा और नितेश का मानना है कि जब सेक्स करो तो निःसंकोच करो, उससे फिर सेक्स का अलग तरह का मजा आता है।
'ठीक बाबा… लंड! अब आगे बताओ?'
'जब मैं रितेश के लंड को चूस रही होती हूँ तो रितेश मेरी तरफ अपनी मुंह की लार टपकाते हुए देखता है तो मैं फिर घूम कर उसके मुंह की तरफ अपनी चूत को कर देती हूँ, फिर मैं रितेश के लंड को चूसती हूँ और रितेश मेरी चूत को चाटता है।
बीच-बीच में हम दोनों एक दूसरे की गांड को भी चाटते हैं, खूब मजा आता है।
उसके बाद जब चाटा-चाटी का प्रोग्राम खत्म होता है तो रितेश मेरी चूत में अपने लंड को डालता है और कई पोजिशन से चोदता है। कभी वो मेरे ऊपर चढ़ जाता है तो कभी मुझे घोड़ी बना कर चोदता है तो कभी मेरे चूत में अपना लंड डाले ही मुझे अपनी गोद में उठा लेता है और मैं उसके गोद में ही उछलती हूँ।
जब रितेश थक जाता है तो जैसे तुम लेटी हो वो भी लेट जाता और फिर मैं उसके लंड के ऊपर चढ़ जाती हूँ और खूब उछलती हूँ।
फिर जब हम लोग चूत चुदाई के अन्तिम चरण में पहुंचते हैं तो एक बार फिर उसका लंड मेरे मुंह में और मेरी चूत उसके मुंह के पास होते हैं और फिर हम दोनों ही एक-दूसरे का पानी पीते हैं।'
मैंने नमिता को देखा, पता नहीं वो क्या सोच रही थी, मैंने उसे झकझोरते हुए पूछा- क्या सोच रही है?
तो वो बोली- भाई कभी अपना पानी आपकी चूत के अन्दर नहीं डालते हैं?
नमिता भी अब खुलने लगी थी।
बिल्कुल डालते हैं लेकिन कभी कभी, नहीं तो अकसर करके हम दोनों एक दूसरे का पानी पी लेते हैं।
नमिता फिर कुछ सोचने लगी, मैं समझ गई कि वो क्या सोच रही है।
मैं नमिता से फिर बोली- इसलिये मैं कहती हूँ कि सेक्स निःसंकोच करना चाहिये।
बातों बातों में उसकी चूत साफ और चिकनी हो चुकी थी।
मैंने नमिता के हाथ को उसकी चूत पर रख दिया।
नमिता अपने चूत को सहला रही थी।
फिर वो मुझे थैंक्यू कहने लगी।
फिर हम दोनों ने मिलकर कमरे की सफाई की।
उसके बाद मैंने नमिता को शीशे के सामने खड़ा कर दिया और खुद उसके पीछे खड़ी हो गई।
नमिता अपनी चिकनी चूत को देखते हुए बोली- वाह भाभी, आपने मेरी चूत की तो शक्ल ही बदल दी।
नमिता की जो चूत अब तक घने बालों के बीच छिपी हुई थी, उसकी शक्ल एक गुलाबी चूत की हो चुकी थी।
अब नमिता भी अपनी चूत को देखकर इतरा रही थी।
मैंने नमिता से कहा- नमिता, आज रात तुम अमित को सरप्राईज कर दो।
नमिता बोली- हाँ भाभी, आज रात अमित को बहुत खुश कर दूँगी।
मैं उससे बातें करते करते उसकी चूची के साथ खेल रही थी जबकि नमिता आंखें बन्द किये हुए मदहोशी के साथ केवल अपनी चूत को सहलाने का आनन्द ले रही थी।
मैं नमिता को उसी मदहोशी में अपने बेड पर ले आई और उसको लेटा कर उसके मुँह पर बैठ गई और अपनी चूत को उसके मुंह से रगड़ने लगी।
तभी मुझे अहसास हुआ कि नमिता की जीभ मेरे चूत के हर हिस्से की सैर कर रही है।
मैं भी 69 की अवस्था में हो गई और उसके चूत का रसपान करने लगी।
नमिता भी एक एक्सपर्ट की तरह कभी अपनी जीभ मेरे चूत के अन्दर करती तो कभी अपनी उंगली को मेरे अन्दर डालती।
कुछ देर बाद ही मैं और नमिता दोनों ही स्खलन की तरफ बढ़ रहे थे क्योंकि मेरी उंगली में उसका रस लग रहा था जिसे मैं चाट लेती और वो भी अपनी उंगली से मेरे रस को निकाल रही थी।
तभी नमिता बोली- वाह भाभी, आपके अन्दर का रस बहुत मजा दे रहा है।
थोड़ी देर ऐसा करते रहने के बाद हम दोनों ढीली पड़ गई।
फिर दोनों एक दूसरी के जिस्म से चिपक गई।
लगभग दो बजे सास ससुर की आवाज आई तो मैं और नमिता दोनों ही हाथ मुंह धोकर खाने नीचे चले गये।

कहानी जारी रहेगी।
WOW MAST & EROTIC STORY
 
Well-known member
1,713
3,748
143
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-11

चूत की झांट साफ़ करवाने के बाद चूत चुसाई का लेस्बीयन खेल खेलने के बाद नमिता के चेहरे पर एक अलग तरीके की खुशी झलक रही थी।
खाना वगैरह निपटाने के बाद मैं और नमिता दोनों ही मेरे कमरे में सो गई।
रात को करीब आठ बजे रितेश का फोन आया, वो काफी थका हुआ था।
पूछने पर उसने बताया कि उसकी जो बॉस है वो एक लेडी है, मस्त सेक्सी है, लेकिन साली ने आज पहले दिन ही ओवर टाईम करा दिया।
मैंने भी मेरी अमित और मेरी नमिता के बीच हुई घटना के बारे में बताया तो बोला- यार तुम्हारा तो आज रात का इंतजाम हो गया और मैं यहां अपने लंड की सेवा खुद करूँगा।
बात करते करते काफी समय बीत गया, नीचे से आवाज आने के बाद मेरा फोन बंद हुआ।
नमिता के साथ मैंने भी जल्दी-जल्दी सब काम निपटाया।
फिर जब सभी लोग अपने-अपने कमरे में चले गये तो मैं, नमिता और अमित तीनों ही ऊपर आ गये।
अमित ने दरवाजा बन्द किया और फिर मैं अपने कमरे में और नमिता और अमित अपने कमरे में चले गये।
मैंने अपने कमरे की लाईट तो बन्द कर ली लेकिन दरवाजा नहीं बन्द किया और मेरी नजर अमित और नमिता के कमरे में ही थी।
काफी देर बाद कमरे की लाईट बन्द हुई तो मैं जल्दी से उन दोनों के कमरे में पहुँची तो देखा आज अमित गुस्से में था और चाहता था कि नमिता जल्दी सो जाये पर नमिता आज अमित को प्यार करने के मूड में थी और मान नहीं रही थी और जो डायलॉग कल रात नमिता बोल रही थी आज वही डायलॉग अमित बोल रहा था।
लेकिन थोड़ी देर बाद अमित बोला- ठीक है, लेकिन आज तुम्हें मेरी भी बात माननी होगी।
नमिता बोली- जानू, जो तुम कहोगे, आज मैं सब तुम्हारी बात मानूँगी।
'मैं तुम्हे रोशनी में पूर्ण नंगी देखना चाहता हूँ।' एक झटके में अमित बोला।
नमिता बोली- ठीक है, पर तुम अपनी आंखें बन्द करो और जब मैं बोलूँ तभी तुम अपनी आंखें खोलना!
इतना कहने के साथ ही नमिता ने कमरे की लाइट जलाई और अमित ने अपनी आँखें बन्द कर ली।
इस समय नमिता गाउन पहने हुए थी।
नमिता बेड पर अमित को क्रास करते हुए खड़ी हो गई और अमित से बड़े प्यार से आंखें खोलने के लिये बोली।
अमित मुंह बनाते हुए बोला- क्या नमिता? यही दिखाने के लिये मुझे आंखें बन्द करने के लिये कहा था?
अमित का इतना बोलना था कि नमिता ने एक झटके में अपने गाउन को उतार फेंका।
अमित की आंखें फटी की फटी रह गई।
शायद उसे विश्वास नहीं रहा होगा कि वो इतनी जल्दी सब कुछ करने को तैयार हो जायेगी।
नमिता हल्की सी नीचे झुकी और ब्रा को ऊपर करते हुए अपने चूची को बाहर निकाल कर अमित को दिखाने लगी।
जैसे ही अमित ने उसकी चूँची को छूने के लिये अपना हाथ आगे बढ़ाया, नमिता तुरन्त ही सीधी खड़ी हो गई।
उसने करीब चार से पाँच बार यही हरकत अमित के साथ दोहराई, नमिता झुककर अपनी ब्रा को हटाकर अपनी चूची आजाद करती और जैसे ही अमित उसकी चूची छूने को अपना हाथ आगे बढ़ाता वैसे ही नमिता सीधी खड़ी होकर फिर से अपनी चूची को ब्रा के अन्दर ढक लेती।
नमिता का इस तरह से अमित को तड़पाना मुझे काफी अच्छा लग रहा था।
अमित परेशान था बल्कि उसने नमिता को डराने के लिये बोला भी- लाईट जल रही है, कोई इस तरह देख लेगा।
नमिता उसे फ्लांईग किस देते हुए बोली- जानू तुम डर रहे हो। तुम्हें तो रोशनी में मजा आता है और तुम तो मुझे पूर्ण रूप से नंगी देखना चाहते हो ना… और मैं अभी पूरा नंगी कहाँ हुई हूँ!
कहते हुए वो एक बार फिर झुकी और अपने ब्रा को हटाने लगी, तभी तेज हाथ चलाते हुए अमित ने उसकी पीठ को जकड़ लिया और ब्रा की हुक खोल कर उसके जिस्म से ब्रा हटा दी।
नमिता के दो गोल गोल चूचे लटकने लगे जिनको अमित ने अपने हथेलियो में जकड़ लिया और तेज तेज मसलने लगा।
नमिता कसमसाने लगी, लेकिन अमित कहाँ मानने वाला था उसे लगा कि शिकारी हाथ से छूट न जाये।
वो नमिता के निप्पल को लेकर मुँह में चूसने लगा।
नमिता ने बहुत कोशिश की कि अमित से वो अपने चूचे छुड़ा ले पर सफल न हो पाई तो थक कर वो बैठ गई जिससे अमित उसके निप्पल को आसानी से चूस सके।
अमित इस समय एक ऐसा भूखा इंसान नजर आ रहा था जिसके सामने खाने की थाली काफी दिनों के बाद रखी गई हो और वो अब उसे छोड़ने के मूड में नहीं है।
नमिता बड़े प्यार से उसके बालों को सहला रही थी।
चूची चूसते चूसते जब अमित थक गया तो उसका हाथ नमिता की पैन्टी की तरफ बढ़ने लगा, नमिता ने तुरन्त ही उसके हाथों को पकड़ा और बोली- अमित, आज मैं खुद सब कुछ दिखाऊँगी।
कहकर वो एक बार फिर खड़ी हो गई और अपनी पैन्टी को एक झटके से उतार दिया।
अमित आंखें फाड़े हुए उसकी बाल रहित चूत के दर्शन करने लगा और बड़े ही आश्चर्य से उसके चूत को सहलाने लगा।
उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जो औरत आज तक उसको इतना तरसाये हुए थी वो आज सब कुछ बिना कोई प्रश्न किये अपने आपको पूर्ण रूप से नंगी कर चुकी थी।
नमिता के हाथ अभी भी अमित के बालों को सहला रहे थे।
बाल सहलाते हुए बोली- अमित, इसको प्यार नहीं करोगे?
अचकचाते हुए अमित बोला- क्यों नहीं, कितना तरसाने के बाद आज तुमने वो सुख दिया है कि मैं तुम्हारा गुलाम हो गया हूँ।
कहने के साथ ही अमित के होंठ नमिता की चूत को चूमने लगे।
नमिता के मुँह से निकलने वाली तेज सांसें यह बताने के लिये काफी थी कि उसको भी काफी मजा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद खुद ही नमिता बोली- अमित, थोड़ा रूको और मेरा पिछवाड़ा भी देख लो।
मुझे लगा कि उसके मुँह से गांड, चूत शब्द निकलेगा पर वो शायद चाह कर भी नहीं बोल पा रही थी।
अमित ने तुरन्त अपना मुँह हटा लिया और नमिता पलटी और थोड़ा झुक कर खड़ी हो गई।
अमित नमिता के पुट्ठे को सहला रहा था।
नमिता ने भी अपने हाथ अपने पुट्ठे पर रख लिया और उसको शायद थोड़ा सा फैला दी और अमित से बोली- अमित इस छेद को भी देखो, कैसा लग रहा है।
अमित ने उस जगह को चूमते हुए बोला- डार्लिंग, आज तुम मुझे जिन्दा मार दोगी।
'ये क्या कह रहे हो?'
'सही कह रहा हूँ!' अमित बोला- इतने दिन हो गये हैं शादी को, सुहागरात से जो तुम शर्मा रही हो आज अचानक तुम सब मेरे मन की बात कर रही हो। मेरा हार्ट अटैक नहीं होगा तो क्या होगा।
'आज से ये सब तुम्हारा है। जिसको जब तुम चाटना चाहो तुम चाट सकते हो।'
अमित उसकी गांड को शायद चाट रहा था और नमिता बोले जा रही थी- अमित, और चाटो… बहुत मजा आ रहा है।
उधर अमित भी उत्साहित होते हुए बोला- मुझे भी बहुत मजा आ रहा है।
गांड चाटते-चाटते अमित को कुछ ख्याल आया तो उसने नमिता को अपने गोद मैं बैठाते हुए बोला- तुम्हें चटवाने का ही मजा आ रहा है कि मेरा चूसने व चाटने का मजा लोगी।
'जानू सब करूँगी, जो तुम कहोगे।'
अमित उसकी बात को सुनकर खुश होते हुए नमिता को अपने ऊपर से हटा दिया और चादर को एक किनारे करते हुए उठ खड़ा हुआ और जल्दी जल्दी अपने सब कपड़े उतार दिये।
अमित का लंड वास्तव में लम्बा था।
तुरन्त ही वह अपना लंड नमिता के मुँह के पास ले गया नमिता ने लंड को पकड़ कर अपने मुँह के अन्दर लेकर चूसने लगी।
इतनी देर से उन दोनों का उत्तेजना भरा दृश्य देखकर मैं भी उत्तेजित होने लगी थी और मेरा भी हाथ बार बार मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा था।
लेकिन मैं अपने ऊपर कंट्रोल करके दोनों की रासलीला देखने में मगन थी।
डर भी नहीं था कि कोई देख लेगा क्योंकि नीचे जाने वाले रास्ते में ताला लगा हुआ था तो सवाल ही नहीं उठता था कि नीचे से ऊपर कोई आये।
दोनों अपने कमरे में खुल कर एक दूसरे के जिस्म का मजा ले रहे थे तो वहाँ से भी कोई डर नहीं था और बाहर से कोई देखे तो उसका भी कोई डर नहीं था क्योंकि हम दोनों के कमरे ऊपर छत पर थे और छत के बारजे से लगभग दस फ़ीट की दूरी पर थे।
हाँ, मुझे पेशाब बहुत तेज आ रही थी।
मैं इधर उधर देखने लगी तो अमित के कमरे की दूसरी तरफ एक नाली बनी थी।
लेकिन उधर जाने ला मतलब कि दोनों की नजरों में आ जाना।
मैं वही बैठ गई और धीरे धीरे पेशाब करने लगी।
मैं पेशाब करके खड़ी हुई तब तक दोनों बिस्तर पर 69 की अवस्था में होकर चूमा चाटी कर रहे थे।
थोड़ी देर बाद दोनों एक दूसरे से अलग हुए नमिता बिस्तर पर अपनी टांग फैला कर लेट गई और अमित उसके ऊपर चढ़ गया और धक्के मारना शुरू कर दिया।
करीब पांच सात मिनट तक धक्के मारते रहने के बाद वो निढाल होकर नमिता के ऊपर लेट गया।
नमिता ने उसको अपने से कस कर चिपका लिया था।
फिर दोनों एक दूसरे से अलग हुये तो अमिता पास पड़ी हुई चादर लेकर उसकी चूत साफ करने को हुआ तो नमिता ने उसे रोकते हुए कहा- अमित, मैं आज आपका रस भी चखना चाहती हूँ।
कह कर उसने अपनी उंगली अपनी चूत के अन्दर डाली और फिर बाहर निकाल कर उसे चाटने लगी।
अमित को भी जोश आ गया और उसने भी नमिता की चूत चाटकर साफ कर दी।
फिर नमिता के कहने पर लाईट को ऑफ कर दिया।
हाँ लाईट ऑफ करने से पहले अमित ने नमिता को एक सोने का लॉकेट दिया, शायद वो लॉकेट मेरे लिये था।
मेरा भी वहाँ का काम खत्म हो गया था।
अब मुझे देखना है कि इतनी मस्ती पाने के बाद अमित मेरे कमरे में आयेगा या नहीं।
मैं आ गई, कमरे को अपने खुला ही रखा और आदत के अनुसार मैं नंगी ही सो गई।
करीब आधी रात को मुझे लगा कि कोई मेरी बगल में लेटा है और मेरी चूची को मसल रहा है।
मैं समझ गई कि यह अमित है लेकिन मैं कुछ बोली नही।
कभी वो मेरी चूची को कस कर मसलता रहा तो कभी मेरी गांड सहलाता और बीच-बीच में गांड के अन्दर उंगली करता रहा।
मैं अपनी आँख बन्द करके मजा लेती रही।
काफी देर वो ऐसा ही करता रहा, फिर मैं उसके तरफ मुड़ी और अपनी एक टांग को उसके ऊपर चढ़ाते हुए बोली- क्यों जीजा जी, मेरी चूची मसलने में और गांड में उंगली करने का मजा आ रहा है न?
'हाँ भाभी, बहुत मजा आ रहा है।'
'तो ठीक है, जो तुम मेरे साथ करना चाहते हो पहले तुम कर लो, फिर मैं तुम्हारे साथ करूँगी। लेकिन मेरी बारी में तुम ना नुकुर नहीं करोगे?'
इतना सुनते ही अमित ने मुझे पट लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।
थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा फिर मेरे चूतड़ के नीचे बैठ गया और चूतड़ों को चूची समझ कर तेज-तेज मसलने लगा।
उसके बाद जीजा मेरे उभारों को फैलाने लगा और अपनी जीभ उसमें लगा दी और उसकी जीभ के गीलेपन से मेरी गांड में सुरसुराहट सी होने लगी।
काफी देर तक उसने मेरी गांड चाटी फिर मुझे सीधी कर दिया और मेरी निप्पल को तेज-तेज खींचने लगा।
मुझे दर्द तो बहुत हो रहा था लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था।
निप्पल खींचने के बाद अमित मेरी चूची को तेज-तेज भींचने लगा, इस समय अमित बिल्कुल जंगली सा प्रतीत हो रहा था, वो मेरे ही ऊपर लेट गया अपने होंठो से मेरे होंठ चूसने लगा, एक हाथ से चूची को मसल रहा था और दूसरे हाथ की उंगलियाँ मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ चुका था, चूत के अन्दर तेजी से उंगलियाँ चला रहा था।
काफी देर तक ऐसा करते ही रहने के बाद अमित घुटने के बल बैठ गया, मुझे अपनी ओर खींचकर अपने लंड को मेरी चूत में सेट कर दिया और एक झटके से अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया… और लगा मुझे चोदने।
एक दो मिनट के बाद ही उसके मुँह से तेज-तेज आवाज निकलने लगी और उसका शरीर अकड़ने लगा।
अमित ने अपना लंड बहुत ही जल्दी मेरी चूत से बाहर निकाला और अपना माल मेरी चूत में गिरा दिया।
अमित के जंगलीपन के कारण मैं भी खलास हो चुकी थी।
अमित हाँफते हुए मेरे बगल में लेट गया।
थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा और फिर अपनी टांग मेरे ऊपर चढ़ाते हुए बोला- भाभी, आज की रात मेरे लिये न भूलने वाली रात होगी।
'अभी कहाँ मेरी जान!' मैं एक परफेक्ट रण्डी की तरह से बोली- अभी तो आगे बहुत कुछ है, जिसे तुम जिन्दगी भर न भूल पाओगे।
'बोलो भाभी, जो तुम कहोगे मैं करूँगा, इस रात को और यादगार बना दो।'
'मैं बना तो दूँगी, पर बीच में तुम मत छोड़ जाना?'
'नहीं… आप बोलो तो बस!'
जैसे ही अमित के ये शब्द खत्म हुए, मैं बोल उठी- अबे मादरचोद, जो मेरी चूत पर अपना माल गिराया है, उसे कौन साफ करेगा। अमित भौंच्चका सा मुझे देखने लगा।
मैं फिर बोली- बहन के लौड़े, मुझे घूर क्या रहा है, चल साफ कर!
'सॉरी भाभी…' कह कर वो पास पड़ी चादर लेकर जैसे ही मेरी चूत को साफ करने चला, मैंने उसका हाथ बड़े प्यार से पकड़ा और बोली- जानू रहे गये न तुम गांडू के गांडू। इससे साफ नहीं करने को कह रही हूँ, इसको चाट कर साफ करो।
अभी अभी अमित नमिता की चूत साफ करके आया था, वो हंसते हुए बोला- भाभी आप भी ना, मेरी माँ बहन तौल दी।
'मजा नहीं आया मेरे प्यारे जीजू?'
'हल्का सा…' अमित ने खींसे निपोरी और फिर अपनी जीभ को मेरी चूत की सैर कराने लगा।
'जीजू आओ अपने लंड को मेरे मुंह में दे दो, मैं तुम्हारे लंड को चूसूँ और तुम मेरी चूत चाटो।'
दोस्तो, मुझे तो जो मजा लेना था वो तो लेना ही था और मेरे लिये अब कोई लंड मेरे मुँह हो फर्क नहीं पड़ता।
तो मैं अमित का लंड चूस रही थी और इंतजार कर रही थी कि कब मुझे पेशाब लगे।
पेशाब के इंतजार में अमित का लंड मेरे मुख की सैर कर रहा था।
मैं अमित को बेड पर लेटा कर उसके लंड पर चढ़ गई और उछलकूद मचाते हुए बोली- क्यों जीजू, मजा आ रहा है ना?
'हाँ मेरी प्यारी भाभी, बहुत मजा आ रहा है।'
तभी अमित बोला- भाभी, मेरा माल निकलने वाला है।
मैंने तुरन्त वो जगह छोड़ दी और उसके लंड को अपने मुंह में लेते हुए बोली- जीजू, अपना माल मेरे मुँह में निकाल दो।
इससे पहले अमित कुछ बोलता, उसका लंड मेरे मुँह में और उसी समय उसके लंड ने मेरे मुँह में उल्टी कर दी, अमित के रस से मेरा मुँह भर गया और मैं धीरे-धीरे उसके माल को गटक गई।
अमित का लंड मुरझा चुका था और इधर मेरे प्रेशर भी बढ़ रहा था।
मैं खड़ी हुई और अमित को घुटने के बल बैठाते हुए बोली- अपना मुंह खोलो, मेरे चूत के रस का आनन्द लो!
अमित बिना कुछ कहे मेरी चूत को चाटने लगा, तभी मैंने हल्की सी धार छोड़ी और अपने आपको रोक ली और अमित का रियेक्शन देखने लगी।
अमित बुरा सा मुँह बनाते हुए बोला- मादर…
फिर अपने आपको सम्भालते हुए बोला- भाभी ये क्या है?
मैं बड़ी ही सहजता से बोली- मेरा पानी है और क्या!
और उसके सिर को पकड़ते हुए उसके मुंह को फिर मैंने अपनी चूत पर सेट किया।
अमित बोला- भाभी ये नहीं पीना है।
'क्यों जीजू, उस दिन तो बड़ी शेखी बघार रहे थे कि मेरी जैसी के हाथ से जहर पीने को मिले तो वो भी पी लोगे, आज क्या हो गया है और अभी अभी तुमने वादा किया था कि तुम मेरी कोई बात नहीं काटोगे और अपने आपको मेरा गुलाम बोले थे।'
मैं नहीं चाहती थी कि उसे कोई धमकी देनी पड़े।
मैंने उसके बालों को बड़े प्यार से सहलाया और बोली- जीजू, तुम मेरे लिये अजनबी मर्द थे, तुम ही मेरे पास आये थे और मैंने तुम्हारी बात रख ली, अब तुम मेरी बात रख लो।
दो चार बार बहलाने और फुसलाने से अमित मान गया और अपने मुंह को खोल दिया।
मैंने भी बड़े इतमीनान से उसके मुँह में अपने पेशाब की धार छोड़ दी और अमित उसको पीने लगा।
उसके बाद अमित के बांहो में चिपक गई और उसके गांड को सहलाते हुए बोली- जीजू, क्या तुमने अपनी बीवी की गांड कभी मारी है?
बीवी का नाम सुनते ही वो थोड़ा सा भड़क गया, बोला- भाभी, जिस औरत ने आज तक मुझे अच्छी तरह से अपनी चूत तो चोदने नहीं दी तो वो अपनी गांड मुझसे क्यों मरवायेगी।
मैं अमित से अलग हुई और बोली- तुम अगर तैयार हो तो मैं नमिता को तैयार कर लूँगी कि वो तुमसे अपनी गांड का भी उदघाटन करवा ले! आज जो नमिता ने तुमको मजा दिया है वो मेरी ही बदौलत दिया है।
अमित ने तुरन्त मेरे हाथों को चूमते हुए थैंक्यू बोला और नमिता की गांड के लिये भी राजी हो गया।
अमित इतना उत्साहित था कि उसने बाकी कुछ नहीं पूछा।
उसके उत्साह को ब्रेक लगाते हुए मैं बोली- एक शर्त है।
'फिर एक शर्त? ठीक है भाभी, तुम शर्त बोलो। अब तो सब हो ही चुका है। तुम उसके साथ सेक्स मेरे सामने करोगे और अगर नमिता बोलेगी तो ही तुम मेरी चूत में अपना लंड डालोगे।'
'मैं तैयार हूँ…'
'तो ठीक है कल रात हम तीनों…'
तभी अमित ने पूछ लिया- भाभी, आप भी गांड मरवाती हो?
'हाँ, अब मेरी गांड केवल मेरे रितेश के लिये है।'
इसके साथ ही मैंने अमित को उसके कमरे में जाने के लिये बोला।
अमित एक बार फिर मेरे होंठ को चूमा और फिर अपने कमरे में चला गया।
अमित के जाते ही रितेश को कॉल करके सारी कहानी बताई और यह भी बताया कि उसके जीजा को मूत पिलाने के साथ साथ खूब गाली भी दी और वो उफ भी नहीं कर पाया।
उधर से रितेश बोला- आकांक्षा, तुम वास्तव में सेक्स की देवी हो। अच्छे-अच्छे को अपना गुलाम बना सकती हो।
रात को काफी देर तक जागने के बाद सुबह मेरी नींद नहीं खुल रही थी और बहुत ही सर दर्द कर रहा था पर ऑफिस से फोन आने पर न चाहते हुए भी मुझे जाना पड़ा।

कहानी जारी रहेगी।
WOW HOT & EROTIC STORY PLEASE KEEP IT UP REGULAR DEAR
 
expectations
22,728
14,804
143
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-11

चूत की झांट साफ़ करवाने के बाद चूत चुसाई का लेस्बीयन खेल खेलने के बाद नमिता के चेहरे पर एक अलग तरीके की खुशी झलक रही थी।
खाना वगैरह निपटाने के बाद मैं और नमिता दोनों ही मेरे कमरे में सो गई।
रात को करीब आठ बजे रितेश का फोन आया, वो काफी थका हुआ था।
पूछने पर उसने बताया कि उसकी जो बॉस है वो एक लेडी है, मस्त सेक्सी है, लेकिन साली ने आज पहले दिन ही ओवर टाईम करा दिया।
मैंने भी मेरी अमित और मेरी नमिता के बीच हुई घटना के बारे में बताया तो बोला- यार तुम्हारा तो आज रात का इंतजाम हो गया और मैं यहां अपने लंड की सेवा खुद करूँगा।
बात करते करते काफी समय बीत गया, नीचे से आवाज आने के बाद मेरा फोन बंद हुआ।
नमिता के साथ मैंने भी जल्दी-जल्दी सब काम निपटाया।
फिर जब सभी लोग अपने-अपने कमरे में चले गये तो मैं, नमिता और अमित तीनों ही ऊपर आ गये।
अमित ने दरवाजा बन्द किया और फिर मैं अपने कमरे में और नमिता और अमित अपने कमरे में चले गये।
मैंने अपने कमरे की लाईट तो बन्द कर ली लेकिन दरवाजा नहीं बन्द किया और मेरी नजर अमित और नमिता के कमरे में ही थी।
काफी देर बाद कमरे की लाईट बन्द हुई तो मैं जल्दी से उन दोनों के कमरे में पहुँची तो देखा आज अमित गुस्से में था और चाहता था कि नमिता जल्दी सो जाये पर नमिता आज अमित को प्यार करने के मूड में थी और मान नहीं रही थी और जो डायलॉग कल रात नमिता बोल रही थी आज वही डायलॉग अमित बोल रहा था।
लेकिन थोड़ी देर बाद अमित बोला- ठीक है, लेकिन आज तुम्हें मेरी भी बात माननी होगी।
नमिता बोली- जानू, जो तुम कहोगे, आज मैं सब तुम्हारी बात मानूँगी।
'मैं तुम्हे रोशनी में पूर्ण नंगी देखना चाहता हूँ।' एक झटके में अमित बोला।
नमिता बोली- ठीक है, पर तुम अपनी आंखें बन्द करो और जब मैं बोलूँ तभी तुम अपनी आंखें खोलना!
इतना कहने के साथ ही नमिता ने कमरे की लाइट जलाई और अमित ने अपनी आँखें बन्द कर ली।
इस समय नमिता गाउन पहने हुए थी।
नमिता बेड पर अमित को क्रास करते हुए खड़ी हो गई और अमित से बड़े प्यार से आंखें खोलने के लिये बोली।
अमित मुंह बनाते हुए बोला- क्या नमिता? यही दिखाने के लिये मुझे आंखें बन्द करने के लिये कहा था?
अमित का इतना बोलना था कि नमिता ने एक झटके में अपने गाउन को उतार फेंका।
अमित की आंखें फटी की फटी रह गई।
शायद उसे विश्वास नहीं रहा होगा कि वो इतनी जल्दी सब कुछ करने को तैयार हो जायेगी।
नमिता हल्की सी नीचे झुकी और ब्रा को ऊपर करते हुए अपने चूची को बाहर निकाल कर अमित को दिखाने लगी।
जैसे ही अमित ने उसकी चूँची को छूने के लिये अपना हाथ आगे बढ़ाया, नमिता तुरन्त ही सीधी खड़ी हो गई।
उसने करीब चार से पाँच बार यही हरकत अमित के साथ दोहराई, नमिता झुककर अपनी ब्रा को हटाकर अपनी चूची आजाद करती और जैसे ही अमित उसकी चूची छूने को अपना हाथ आगे बढ़ाता वैसे ही नमिता सीधी खड़ी होकर फिर से अपनी चूची को ब्रा के अन्दर ढक लेती।
नमिता का इस तरह से अमित को तड़पाना मुझे काफी अच्छा लग रहा था।
अमित परेशान था बल्कि उसने नमिता को डराने के लिये बोला भी- लाईट जल रही है, कोई इस तरह देख लेगा।
नमिता उसे फ्लांईग किस देते हुए बोली- जानू तुम डर रहे हो। तुम्हें तो रोशनी में मजा आता है और तुम तो मुझे पूर्ण रूप से नंगी देखना चाहते हो ना… और मैं अभी पूरा नंगी कहाँ हुई हूँ!
कहते हुए वो एक बार फिर झुकी और अपने ब्रा को हटाने लगी, तभी तेज हाथ चलाते हुए अमित ने उसकी पीठ को जकड़ लिया और ब्रा की हुक खोल कर उसके जिस्म से ब्रा हटा दी।
नमिता के दो गोल गोल चूचे लटकने लगे जिनको अमित ने अपने हथेलियो में जकड़ लिया और तेज तेज मसलने लगा।
नमिता कसमसाने लगी, लेकिन अमित कहाँ मानने वाला था उसे लगा कि शिकारी हाथ से छूट न जाये।
वो नमिता के निप्पल को लेकर मुँह में चूसने लगा।
नमिता ने बहुत कोशिश की कि अमित से वो अपने चूचे छुड़ा ले पर सफल न हो पाई तो थक कर वो बैठ गई जिससे अमित उसके निप्पल को आसानी से चूस सके।
अमित इस समय एक ऐसा भूखा इंसान नजर आ रहा था जिसके सामने खाने की थाली काफी दिनों के बाद रखी गई हो और वो अब उसे छोड़ने के मूड में नहीं है।
नमिता बड़े प्यार से उसके बालों को सहला रही थी।
चूची चूसते चूसते जब अमित थक गया तो उसका हाथ नमिता की पैन्टी की तरफ बढ़ने लगा, नमिता ने तुरन्त ही उसके हाथों को पकड़ा और बोली- अमित, आज मैं खुद सब कुछ दिखाऊँगी।
कहकर वो एक बार फिर खड़ी हो गई और अपनी पैन्टी को एक झटके से उतार दिया।
अमित आंखें फाड़े हुए उसकी बाल रहित चूत के दर्शन करने लगा और बड़े ही आश्चर्य से उसके चूत को सहलाने लगा।
उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जो औरत आज तक उसको इतना तरसाये हुए थी वो आज सब कुछ बिना कोई प्रश्न किये अपने आपको पूर्ण रूप से नंगी कर चुकी थी।
नमिता के हाथ अभी भी अमित के बालों को सहला रहे थे।
बाल सहलाते हुए बोली- अमित, इसको प्यार नहीं करोगे?
अचकचाते हुए अमित बोला- क्यों नहीं, कितना तरसाने के बाद आज तुमने वो सुख दिया है कि मैं तुम्हारा गुलाम हो गया हूँ।
कहने के साथ ही अमित के होंठ नमिता की चूत को चूमने लगे।
नमिता के मुँह से निकलने वाली तेज सांसें यह बताने के लिये काफी थी कि उसको भी काफी मजा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद खुद ही नमिता बोली- अमित, थोड़ा रूको और मेरा पिछवाड़ा भी देख लो।
मुझे लगा कि उसके मुँह से गांड, चूत शब्द निकलेगा पर वो शायद चाह कर भी नहीं बोल पा रही थी।
अमित ने तुरन्त अपना मुँह हटा लिया और नमिता पलटी और थोड़ा झुक कर खड़ी हो गई।
अमित नमिता के पुट्ठे को सहला रहा था।
नमिता ने भी अपने हाथ अपने पुट्ठे पर रख लिया और उसको शायद थोड़ा सा फैला दी और अमित से बोली- अमित इस छेद को भी देखो, कैसा लग रहा है।
अमित ने उस जगह को चूमते हुए बोला- डार्लिंग, आज तुम मुझे जिन्दा मार दोगी।
'ये क्या कह रहे हो?'
'सही कह रहा हूँ!' अमित बोला- इतने दिन हो गये हैं शादी को, सुहागरात से जो तुम शर्मा रही हो आज अचानक तुम सब मेरे मन की बात कर रही हो। मेरा हार्ट अटैक नहीं होगा तो क्या होगा।
'आज से ये सब तुम्हारा है। जिसको जब तुम चाटना चाहो तुम चाट सकते हो।'
अमित उसकी गांड को शायद चाट रहा था और नमिता बोले जा रही थी- अमित, और चाटो… बहुत मजा आ रहा है।
उधर अमित भी उत्साहित होते हुए बोला- मुझे भी बहुत मजा आ रहा है।
गांड चाटते-चाटते अमित को कुछ ख्याल आया तो उसने नमिता को अपने गोद मैं बैठाते हुए बोला- तुम्हें चटवाने का ही मजा आ रहा है कि मेरा चूसने व चाटने का मजा लोगी।
'जानू सब करूँगी, जो तुम कहोगे।'
अमित उसकी बात को सुनकर खुश होते हुए नमिता को अपने ऊपर से हटा दिया और चादर को एक किनारे करते हुए उठ खड़ा हुआ और जल्दी जल्दी अपने सब कपड़े उतार दिये।
अमित का लंड वास्तव में लम्बा था।
तुरन्त ही वह अपना लंड नमिता के मुँह के पास ले गया नमिता ने लंड को पकड़ कर अपने मुँह के अन्दर लेकर चूसने लगी।
इतनी देर से उन दोनों का उत्तेजना भरा दृश्य देखकर मैं भी उत्तेजित होने लगी थी और मेरा भी हाथ बार बार मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा था।
लेकिन मैं अपने ऊपर कंट्रोल करके दोनों की रासलीला देखने में मगन थी।
डर भी नहीं था कि कोई देख लेगा क्योंकि नीचे जाने वाले रास्ते में ताला लगा हुआ था तो सवाल ही नहीं उठता था कि नीचे से ऊपर कोई आये।
दोनों अपने कमरे में खुल कर एक दूसरे के जिस्म का मजा ले रहे थे तो वहाँ से भी कोई डर नहीं था और बाहर से कोई देखे तो उसका भी कोई डर नहीं था क्योंकि हम दोनों के कमरे ऊपर छत पर थे और छत के बारजे से लगभग दस फ़ीट की दूरी पर थे।
हाँ, मुझे पेशाब बहुत तेज आ रही थी।
मैं इधर उधर देखने लगी तो अमित के कमरे की दूसरी तरफ एक नाली बनी थी।
लेकिन उधर जाने ला मतलब कि दोनों की नजरों में आ जाना।
मैं वही बैठ गई और धीरे धीरे पेशाब करने लगी।
मैं पेशाब करके खड़ी हुई तब तक दोनों बिस्तर पर 69 की अवस्था में होकर चूमा चाटी कर रहे थे।
थोड़ी देर बाद दोनों एक दूसरे से अलग हुए नमिता बिस्तर पर अपनी टांग फैला कर लेट गई और अमित उसके ऊपर चढ़ गया और धक्के मारना शुरू कर दिया।
करीब पांच सात मिनट तक धक्के मारते रहने के बाद वो निढाल होकर नमिता के ऊपर लेट गया।
नमिता ने उसको अपने से कस कर चिपका लिया था।
फिर दोनों एक दूसरे से अलग हुये तो अमिता पास पड़ी हुई चादर लेकर उसकी चूत साफ करने को हुआ तो नमिता ने उसे रोकते हुए कहा- अमित, मैं आज आपका रस भी चखना चाहती हूँ।
कह कर उसने अपनी उंगली अपनी चूत के अन्दर डाली और फिर बाहर निकाल कर उसे चाटने लगी।
अमित को भी जोश आ गया और उसने भी नमिता की चूत चाटकर साफ कर दी।
फिर नमिता के कहने पर लाईट को ऑफ कर दिया।
हाँ लाईट ऑफ करने से पहले अमित ने नमिता को एक सोने का लॉकेट दिया, शायद वो लॉकेट मेरे लिये था।
मेरा भी वहाँ का काम खत्म हो गया था।
अब मुझे देखना है कि इतनी मस्ती पाने के बाद अमित मेरे कमरे में आयेगा या नहीं।
मैं आ गई, कमरे को अपने खुला ही रखा और आदत के अनुसार मैं नंगी ही सो गई।
करीब आधी रात को मुझे लगा कि कोई मेरी बगल में लेटा है और मेरी चूची को मसल रहा है।
मैं समझ गई कि यह अमित है लेकिन मैं कुछ बोली नही।
कभी वो मेरी चूची को कस कर मसलता रहा तो कभी मेरी गांड सहलाता और बीच-बीच में गांड के अन्दर उंगली करता रहा।
मैं अपनी आँख बन्द करके मजा लेती रही।
काफी देर वो ऐसा ही करता रहा, फिर मैं उसके तरफ मुड़ी और अपनी एक टांग को उसके ऊपर चढ़ाते हुए बोली- क्यों जीजा जी, मेरी चूची मसलने में और गांड में उंगली करने का मजा आ रहा है न?
'हाँ भाभी, बहुत मजा आ रहा है।'
'तो ठीक है, जो तुम मेरे साथ करना चाहते हो पहले तुम कर लो, फिर मैं तुम्हारे साथ करूँगी। लेकिन मेरी बारी में तुम ना नुकुर नहीं करोगे?'
इतना सुनते ही अमित ने मुझे पट लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।
थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा फिर मेरे चूतड़ के नीचे बैठ गया और चूतड़ों को चूची समझ कर तेज-तेज मसलने लगा।
उसके बाद जीजा मेरे उभारों को फैलाने लगा और अपनी जीभ उसमें लगा दी और उसकी जीभ के गीलेपन से मेरी गांड में सुरसुराहट सी होने लगी।
काफी देर तक उसने मेरी गांड चाटी फिर मुझे सीधी कर दिया और मेरी निप्पल को तेज-तेज खींचने लगा।
मुझे दर्द तो बहुत हो रहा था लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था।
निप्पल खींचने के बाद अमित मेरी चूची को तेज-तेज भींचने लगा, इस समय अमित बिल्कुल जंगली सा प्रतीत हो रहा था, वो मेरे ही ऊपर लेट गया अपने होंठो से मेरे होंठ चूसने लगा, एक हाथ से चूची को मसल रहा था और दूसरे हाथ की उंगलियाँ मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ चुका था, चूत के अन्दर तेजी से उंगलियाँ चला रहा था।
काफी देर तक ऐसा करते ही रहने के बाद अमित घुटने के बल बैठ गया, मुझे अपनी ओर खींचकर अपने लंड को मेरी चूत में सेट कर दिया और एक झटके से अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया… और लगा मुझे चोदने।
एक दो मिनट के बाद ही उसके मुँह से तेज-तेज आवाज निकलने लगी और उसका शरीर अकड़ने लगा।
अमित ने अपना लंड बहुत ही जल्दी मेरी चूत से बाहर निकाला और अपना माल मेरी चूत में गिरा दिया।
अमित के जंगलीपन के कारण मैं भी खलास हो चुकी थी।
अमित हाँफते हुए मेरे बगल में लेट गया।
थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा और फिर अपनी टांग मेरे ऊपर चढ़ाते हुए बोला- भाभी, आज की रात मेरे लिये न भूलने वाली रात होगी।
'अभी कहाँ मेरी जान!' मैं एक परफेक्ट रण्डी की तरह से बोली- अभी तो आगे बहुत कुछ है, जिसे तुम जिन्दगी भर न भूल पाओगे।
'बोलो भाभी, जो तुम कहोगे मैं करूँगा, इस रात को और यादगार बना दो।'
'मैं बना तो दूँगी, पर बीच में तुम मत छोड़ जाना?'
'नहीं… आप बोलो तो बस!'
जैसे ही अमित के ये शब्द खत्म हुए, मैं बोल उठी- अबे मादरचोद, जो मेरी चूत पर अपना माल गिराया है, उसे कौन साफ करेगा। अमित भौंच्चका सा मुझे देखने लगा।
मैं फिर बोली- बहन के लौड़े, मुझे घूर क्या रहा है, चल साफ कर!
'सॉरी भाभी…' कह कर वो पास पड़ी चादर लेकर जैसे ही मेरी चूत को साफ करने चला, मैंने उसका हाथ बड़े प्यार से पकड़ा और बोली- जानू रहे गये न तुम गांडू के गांडू। इससे साफ नहीं करने को कह रही हूँ, इसको चाट कर साफ करो।
अभी अभी अमित नमिता की चूत साफ करके आया था, वो हंसते हुए बोला- भाभी आप भी ना, मेरी माँ बहन तौल दी।
'मजा नहीं आया मेरे प्यारे जीजू?'
'हल्का सा…' अमित ने खींसे निपोरी और फिर अपनी जीभ को मेरी चूत की सैर कराने लगा।
'जीजू आओ अपने लंड को मेरे मुंह में दे दो, मैं तुम्हारे लंड को चूसूँ और तुम मेरी चूत चाटो।'
दोस्तो, मुझे तो जो मजा लेना था वो तो लेना ही था और मेरे लिये अब कोई लंड मेरे मुँह हो फर्क नहीं पड़ता।
तो मैं अमित का लंड चूस रही थी और इंतजार कर रही थी कि कब मुझे पेशाब लगे।
पेशाब के इंतजार में अमित का लंड मेरे मुख की सैर कर रहा था।
मैं अमित को बेड पर लेटा कर उसके लंड पर चढ़ गई और उछलकूद मचाते हुए बोली- क्यों जीजू, मजा आ रहा है ना?
'हाँ मेरी प्यारी भाभी, बहुत मजा आ रहा है।'
तभी अमित बोला- भाभी, मेरा माल निकलने वाला है।
मैंने तुरन्त वो जगह छोड़ दी और उसके लंड को अपने मुंह में लेते हुए बोली- जीजू, अपना माल मेरे मुँह में निकाल दो।
इससे पहले अमित कुछ बोलता, उसका लंड मेरे मुँह में और उसी समय उसके लंड ने मेरे मुँह में उल्टी कर दी, अमित के रस से मेरा मुँह भर गया और मैं धीरे-धीरे उसके माल को गटक गई।
अमित का लंड मुरझा चुका था और इधर मेरे प्रेशर भी बढ़ रहा था।
मैं खड़ी हुई और अमित को घुटने के बल बैठाते हुए बोली- अपना मुंह खोलो, मेरे चूत के रस का आनन्द लो!
अमित बिना कुछ कहे मेरी चूत को चाटने लगा, तभी मैंने हल्की सी धार छोड़ी और अपने आपको रोक ली और अमित का रियेक्शन देखने लगी।
अमित बुरा सा मुँह बनाते हुए बोला- मादर…
फिर अपने आपको सम्भालते हुए बोला- भाभी ये क्या है?
मैं बड़ी ही सहजता से बोली- मेरा पानी है और क्या!
और उसके सिर को पकड़ते हुए उसके मुंह को फिर मैंने अपनी चूत पर सेट किया।
अमित बोला- भाभी ये नहीं पीना है।
'क्यों जीजू, उस दिन तो बड़ी शेखी बघार रहे थे कि मेरी जैसी के हाथ से जहर पीने को मिले तो वो भी पी लोगे, आज क्या हो गया है और अभी अभी तुमने वादा किया था कि तुम मेरी कोई बात नहीं काटोगे और अपने आपको मेरा गुलाम बोले थे।'
मैं नहीं चाहती थी कि उसे कोई धमकी देनी पड़े।
मैंने उसके बालों को बड़े प्यार से सहलाया और बोली- जीजू, तुम मेरे लिये अजनबी मर्द थे, तुम ही मेरे पास आये थे और मैंने तुम्हारी बात रख ली, अब तुम मेरी बात रख लो।
दो चार बार बहलाने और फुसलाने से अमित मान गया और अपने मुंह को खोल दिया।
मैंने भी बड़े इतमीनान से उसके मुँह में अपने पेशाब की धार छोड़ दी और अमित उसको पीने लगा।
उसके बाद अमित के बांहो में चिपक गई और उसके गांड को सहलाते हुए बोली- जीजू, क्या तुमने अपनी बीवी की गांड कभी मारी है?
बीवी का नाम सुनते ही वो थोड़ा सा भड़क गया, बोला- भाभी, जिस औरत ने आज तक मुझे अच्छी तरह से अपनी चूत तो चोदने नहीं दी तो वो अपनी गांड मुझसे क्यों मरवायेगी।
मैं अमित से अलग हुई और बोली- तुम अगर तैयार हो तो मैं नमिता को तैयार कर लूँगी कि वो तुमसे अपनी गांड का भी उदघाटन करवा ले! आज जो नमिता ने तुमको मजा दिया है वो मेरी ही बदौलत दिया है।
अमित ने तुरन्त मेरे हाथों को चूमते हुए थैंक्यू बोला और नमिता की गांड के लिये भी राजी हो गया।
अमित इतना उत्साहित था कि उसने बाकी कुछ नहीं पूछा।
उसके उत्साह को ब्रेक लगाते हुए मैं बोली- एक शर्त है।
'फिर एक शर्त? ठीक है भाभी, तुम शर्त बोलो। अब तो सब हो ही चुका है। तुम उसके साथ सेक्स मेरे सामने करोगे और अगर नमिता बोलेगी तो ही तुम मेरी चूत में अपना लंड डालोगे।'
'मैं तैयार हूँ…'
'तो ठीक है कल रात हम तीनों…'
तभी अमित ने पूछ लिया- भाभी, आप भी गांड मरवाती हो?
'हाँ, अब मेरी गांड केवल मेरे रितेश के लिये है।'
इसके साथ ही मैंने अमित को उसके कमरे में जाने के लिये बोला।
अमित एक बार फिर मेरे होंठ को चूमा और फिर अपने कमरे में चला गया।
अमित के जाते ही रितेश को कॉल करके सारी कहानी बताई और यह भी बताया कि उसके जीजा को मूत पिलाने के साथ साथ खूब गाली भी दी और वो उफ भी नहीं कर पाया।
उधर से रितेश बोला- आकांक्षा, तुम वास्तव में सेक्स की देवी हो। अच्छे-अच्छे को अपना गुलाम बना सकती हो।
रात को काफी देर तक जागने के बाद सुबह मेरी नींद नहीं खुल रही थी और बहुत ही सर दर्द कर रहा था पर ऑफिस से फोन आने पर न चाहते हुए भी मुझे जाना पड़ा।

कहानी जारी रहेगी।
Mast update dost
 
Active member
896
1,810
123
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-12

ऑफिस पहुँचने पर पता चला कि मेरा बॉस मेरा ही इंतजार कर रहा है।
वैसे भी ऑफिस के कलिग के व्यवहार से इतना तो मालूम चल गया था कि मेरा बॉस मुझे लाईन मारता है और शायद इसलिये वो मुझे हर जगह सपोर्ट करता है और जो भी कोई नया प्रोजेक्ट आता था, उसका इंचार्ज़ वो मुझे ही बनाता था, लेकिन इसके बदले में उसने अभी तक कोई नजायज डिमांड नहीं की थी।
पर आज जैसे ही उसके केबिन पहुंची, उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया, मैंने बॉस को लगभग धकियाते हुए अपने से अलग किया और इस उद्दण्डता की वजह पूछी तो बोला- आकांक्षा, जब से तुम इस ऑफिस में आई हो, मैंने सब को नेग्लेक्ट करते हुए हर प्रोजेक्ट का इंचार्ज़ तुम्हें बनाया है और उसके बदले में मैंने तुमसे कभी कुछ मांगा नहीं है, लेकिन आज एक ऐसा प्रोजेक्ट है जिसमें तुम्हारी प्रोगरेस के साथ-साथ मॉनेटिरी लाभ भी है। तुम्हें अगले महीने इस प्रोजेक्ट के सिलसिले में कोलकाता जाना है। यदि तुम हाँ कहो तो मैं आगे बात करूँ।
मुझे कोई ऐतराज नहीं था लेकिन जब बॉस ने उस प्रोजेक्ट के बदले में दूसरे दिन ओवर टाईम करने को कहा तो मैंने सोचने का वक्त लिया।
मैं काम निपटा कर घर पहुंची, घर पर सभी लोग आ चुके थे और मेरा इंतजार कर रहे थे।
सबके साथ चाय नाश्ता होते होते रितेश का फोन आ गया तो मैं रितेश से बात करने के लिये अपने कमरे में आ गई और बॉस के ऑफर के बारे में बताया, तो रितेश छूटते ही पूछ बैठा कि बॉस देखने में कैसा है।
बॉस का जब मैंने रितेश को फिगर बताया तो रितेश मुझे सजेशन देते हुए बोला कि कोलकाता जाना चाहो तो जा सकती हो।
इसका मतलब था कि रितेश ने मुझे परमिशन दे दी थी कि बॉस के लंड का मैं मजा ले सकती हूँ।
उसके बाद मेरे रितेश के बीच में इधर-उधर की बातें होती रही कि तभी नमिता ने मुझे पुकारा तो मुझे रात वाली बात याद आ गई तो मैंने रितेश को बाकी बाते दूसरे दिन बताने के लिए कही और फोन काट दिया।
जैसे ही मेरी और रितेश की बात खत्म हुई, नमिता मेरे कमरे में आ गई और रात को जो कुछ भी उसके और अमित के बीच हुआ था वो बड़े उत्साह के साथ बता रही थी, लेकिन मेरा दिमाग आज रात को होने वाले लाईव सेक्स पर ही था।
इतना तो मैं अब समझ गई कि नमिता से मैं जो कहूँगी वो थोड़ा बहुत न नुकुर करने के बाद मान जायेगी।
मैं इसी बात मैं विचार मग्न थी कि नमिता ने मुझे झकझोरा और मैं क्या सोच रही हूँ उसको बताने के लिये कह रही थी।
मैं उसे जानबूझ कर टाल रही थी।
लेकिन जब मुझे नमिता बहुत जोर देकर पूछने लगी तो मैंने नमिता से कहा- बता तो मैं दूँगी, लेकिन सुनने के बाद तुम मुझे गलत नहीं समझोगी और उसको मानोगी।
जब मैं समझ गई कि नमिता मेरी बात को नहीं काटेगी तो मैंने उससे पूछा कि क्या वो शरमायेगी अगर मैं कहूँ कि आज रात अमित मेरे सामने तुम्हारी चूत और गांड की चुदाई करे?
मेरी बात सुनते ही नमिता की आँखें आश्चर्य से फैल गई और बोली- भाभी, आप यह क्या कह रही हो?
तो मैं उसे समझाने लगी, वो बार-बार मना किये जा रही थी और मैं बार-बार अपनी बात कह जा रही थी।
तब नमिता हारकर बोली- ठीक है भाभी, अगर अमित तैयार हो जायेगा तो मैं भी तैयार हूँ।
'अगर तू तैयार है तो मैं जीजू को मना लूँगी।'
तभी नमिता कुछ याद करते हुए बोली- अगर अमित तुम्हें भी चोदने के लिये बोला तो?
अब नमिता भी खुल कर बोलने लगी थी, तो मैंने भी उसी तरह बोला कि अगर तू कहेगी तो वो मेरी चूत में लंड डाल पायेगा नहीं तो नहीं।
'तो ठीक है!' नमिता बोली।
मेरा काम पूरा हो चुका था।
अमित तो वैसे भी तैयार था तो मैंने मौका देखकर अमित को इशारा कर दिया।
अब हम तीनों रात होने का इंतजार करने लगे।
जैसे तैसे घर का काम खत्म हुआ, केवल हम दोनों के अलावा, घर के सभी लोग, अमित भी खाना खाकर ऊपर जा चुके थे।
काम करने के साथ-साथ मैं पूरा ध्यान नमिता पर था और मुझे ऐसा लग रहा था कि वो बहुत घबरा रही है। मैं नमिता को एक बार फिर सेक्स पर ज्ञान देने के लिये बोली- देखो नमिता, कोई जोर जबरदस्ती नहीं है, न मन हो तो मत करो।
'नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है, पर थोड़ा अजीब जरूर लग रहा है।'
'देखो नमिता, सब संकोच, डर निकालो और मजा लो। अमित को लगे उसकी बीवी भी क्या गजब माल है। और आज अपनी चूत के मजे के साथ अपनी गांड चुदाई के भी मजे लेना।'
मैं उसके साथ साथ काम भी निपटा रही थी और उसे आज रात जो होना है उसके लिये उसे मैं तैयार करने में लगी थी।
चूंकि नोएडा में जो मेरे साथ हुआ था, उसने मेरे जीवन को बदल दिया था और अब मैं हर पल सेक्स का मजा लेना चाह रही थी और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि उस सेक्स का मजा लेने में मेरे साथ कुछ गलत भी हो सकता था।
उसको समझाते-समझाते मेरे दिमाग में एक और शरारत सूझी। वो शरारत यह थी कि मैं और नमिता दोनों ही नंगी ऊपर जायें, तो मैंने नमिता से ऊपर नंगे चलने की बात कही तो एक बार उसकी आँखें फिर चौड़ी हुई और बोली- भाभी, तुम पागल हो क्या, अभी नीचे सब जाग रहे है और किसी ने देख लिया तो बवाल हो जायेगा।
मैंने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा- कोई नहीं देखेगा, सब अपने कमरे में हैं और अगर तुम नंगी ऊपर जाओगी तो अमित और भी सरप्राईज हो जायेगा। चलो मैं कमरे में अंधेरा कर देती हूँ।
कह कर मैंने पूरे घर की लाईट ऑफ कर दी, बस जिस कमरे में मैं और नमिता खड़ी थी, उसमें जीरो वाट का बल्ब जलते रहने दिया। नमिता झिझक रही थी और मैं उसे हौंसला दे रही थी।
तभी नमिता बोली- फिर भाभी, आप भी नंगी चलो।
मैं तो चाहती यही थी, फिर भी मैंने मना करने की नियत से कहा- देखो, अमित को तुम सरप्राईज दे रही हो मैं नही। मैं मन ही मन बहुत खुश हो रही थी, लेकिन फिर दिखावा करते हुए बोली- मुझे कोई परेशानी नहीं है लेकिन अगर मेरा मन अमित का लंड अपनी चूत के अन्दर लेने का हुआ तो तुम बुरा नहीं मानोगी?
नमिता तुरन्त बोली- नहीं भाभी, बिल्कुल नहीं बुरा मानूँगी, आज हम दोनों उसे डबल सरप्राईज देंगे और डबल चूत भी।
'ठीक है!' कहकर मैंने तुरन्त ही अपने गाऊन को उतार दिया।
चूंकि मैं अन्दर कुछ भी नहीं पहनती थी तो मैं पूर्ण रूप से नंगी थी।
अब नमिता की बारी थी, उसने भी गाउन उतारा और फिर एक-एक करके अपनी पैन्टी और ब्रा को भी उतारकर बिल्कुल नंगी होकर ऊपर अपने कमरे की तरफ चल दी।
हम जब छत पर पहुँचे तो अमित केवल चड्ढी में था और सिगरेट पीते हुए हम लोगों का इंतजार कर रहा था।
हम दोनों को ही नंगी देखकर अमित की आँखें फटी फटी रह गई।
अमित केवल अपना मुंह फाड़े हमे देख रहा था और नमिता अमित को इस तरह देखकर अपने आपको रोमांचित महसूस कर रही थी।
अमित ने तुरन्त ही नमिता को अपने बांहों में भर लिया और बोला- डार्लिंग, अब तुम मुझे रोमांचित करने लगी हो।
अमित नमिता के जिस्म को सहला रहा था।
थोड़ी देर तक दोनों ऐसे ही चिपके रहे, फिर जब दोनों अलग हुए तो अमित की नजर मुझ पर भी पड़ी और मुझे देखकर वो मुस्कुराने लगा, फिर अपनी चड्डी उतारते हुए बोला- जब तुम दोनों पूरी नंगी हो तो मैं भी लो, पूरा नंगा हो जाता हूँ।
मेरे मन में थोड़ा सा थ्रिल करने का हो रहा था तो अमित से बोली- हम तीनों ही छत पर रहें तो?
नमिता और अमित दोनों मेरे इशारे को समझ गये थे, अमित ने तुरन्त ही तीन कुर्सी लगा दी।
पहले अमित, फिर नमिता और मैं जानबूझ कर नमिता के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गई।
अमित काफी चहक रहा था और शायद हम तीनों को कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था कि हमें छत पर कोई नंगा देख रहा है या नहीं।
तीनों ही मस्ती के मूड में थे।
अमित बल्कि कुछ ज्यादा ही था, वो बोला- कभी मेरी किस्मत चूत के मामले में गधे के लंड से लिखी हुई थी, बाहर क्या घर वाली की चूत भी ठीक से नसीब नहीं होती थी, आज दो दो चूत सामने हैं।
मैं नमिता के बोलने से पहले ही बोल पड़ी- जीजू, गफलत में मत पड़ो, तुम दो चूत को देख सकते हो लेकिन चूत केवल नमिता की चोद सकते हो।
ऐसा लग रहा था कि अमित को जो मौका आज मिला है वो शायद आज के बाद फिर न मिले, वो सब कुछ कर लेना चाहता था, इसलिये वो बोला- आज बिना मांगे बहुत कुछ मिल गया तो एक इच्छा और पूरी कर दो?
नमिता बोली- जानू, तुम जो कहोगे वो करूँगी।
'मैं चाहता हूं कि आज तुम दोनों मुझे गाली दो और मैं तुम दोनों को गाली दूँ, जल्दी से बोला- अगर तुम दोनों को बुरा न लगे तो?
'मुझे तो आती नहीं।' नमिता बोली।
मैंने नमिता को सुझाया कि अमित पहले हम दोनों को गाली बकेगा और फिर तुम समझ लेना उसके बाद हम दोनों अमित को गाली देंगी, लेकिन माँ बहन की गाली नहीं होगी।
बस मेरी बात खत्म हुई थी कि अमित बोला- मादरचोदो, दोनों बिना किसी लाज शर्म के नंगी नीचे से ऊपर चली आई।
अमित ने इतना ही बोला था कि मैं बोल उठी- भोसड़ी के, तुम ही तो चूत के बिना मरे जा रहे थे, रोज मेरी चूत मारने का सपना देख रहे थे और आज तेरे सामने मेरी चूत है तो हमें लाज शर्म सिखा रहा है।
तभी नमिता बोल पड़ी- हाँ भाभी, देखो इस साले को, अभी तक चाह रहा था कि मैं पूरी नंगी इसके सामने रहूँ और आज सामने हूँ तो हम लोगों को पाठ पढ़ा रहा है।
मैं और अमित नमिता की बात सुन कर हँसने लगी, अमित उसके दोनों गालों को प्यार से खींचते हुए बोला- जाने मन… बहुत खूब, बस थोड़ा और..
'मुझे शर्म आ रही है।'
'कोई बात नहीं!' अमित बोला- जानेमन, जब तुम नीचे से नंगी ऊपर चली आई तो फिर अपने आदमी को गाली बकने में शर्म मत करो।
हकलाते हुए नमिता बोली- चल मादरचोद मेरी चूत को चाट, नहीं तो तेरी गांड में इतने हन्टर मारूँगी कि जब तू सुबह हगने के लिये उठेगा तो तेरी गांड इतनी सूज़ी होगी कि तू टट्टी भी कायदे से नहीं कर पायेगा।
कह कर नमिता ने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया।
'ओह… ओह… मेरी गांड सुजायेगी, लौड़े की… जब मेरा लंड तेरी चूत में जाकर तेरी गांड से निकलेगा तो दर्द तुझे पता चलेगा।'
इसी तरह हम सभी के बीच गाली चलती रही, नमिता भी धीरे-धीरे खुलने लगी और मौका देखकर अमित नमिता से बोला- जानू, अगर तुम बुरा ना मानो तो भाभी की चूत का भी मैं मजा ले लूँ।
नमिता ने पहले मेरी तरफ देखा, फिर बोली- कोई बात नहीं अमित, अगर भाभी चाहें तो तुम उसकी चूत का भी मजा ले सकते हो, बेचारी भाई की याद में कितना तड़प रही है।
अमित तुरन्त उठा और थोड़ा झुकते हुए बोला- हुस्न की मलिकाओ, तुम्हारा यह गुलाम तैयार है, जो हुक्म दोगी, वो करने के लिये तैयार है।
नमिता थोड़ा अकड़ते हुए अपने दोनों टांगों को उठा कर कुर्सी के हत्थे पर रखते हुए बोली- चल गुलाम शुरू हो जा, मेरी और भाभी की चूत चाट!
अमित एक गुलाम की तरह मेरी और नमिता की चूत चाटने लगा और हम दोनों ही उत्तेजना में अपनी अपनी चूचियाँ मसल रही थी।
काफी देर तक चूत जब अमित चाट चुका तो मैंने अमित के मुँह में अपनी निप्पल लग दी और नमिता से उसकी गांड चाटने के लिये बोली।
इसी तरह अब कभी अमित हम दोनों के जिस्म के किसी हिस्से को चाटता तो कभी हम लोग उसके जिस्म को चाटते।
फिर मैंने जमीन पर अमित को लेटाया और उसके लंड पर चढ़कर सवारी करने लगी।
उधर नमिता अमित के मुँह में बैठ गई।
बदल-बदल के हम दोनों ने कई बार अमित के लंड से चुद चुकी थी।
थोड़ी देर में अमित की शक्ति जवाब देने लगी, वो बोल उठा- नमिता, मैं झड़ने वाला हूँ।
मैंने तुरन्त ही नमिता को बोला- चलो, नमित के लंड को चूसो और उसके लंड के पानी को पूरा पी जाओ।
नमिता ने तुरन्त अमित के लंड के अपने मुँह में ले लिया और मैं अमित के मुँह में अपने चूत को लगा चुकी थी जिससे अमित मेरी चूत के रस को पी ले।
इधर अमित ने मेरी चूत चाट कर साफ कर दी और उधर नमिता ने अमित के लंड का पानी पीने के बाद अमित के मुँह पर बैठ गई और अपनी चूत का रस पिलाने लगी।
इस तरह से हम तीनों का पहला राउन्ड खत्म हुआ।
मैं और नमिता दोनों ही अमित के बगल में लेट गये और अपनी-अपनी टांगें उसके ऊपर चढ़ा दी और हम दोनों ही अमित के निप्पल पर अपने नाखूनों गड़ाती या फिर उसके निप्पल को चूसती, साथ ही साथ हम दोनों के हाथ अमित के लंड को सहलाने में लगे थे, जिसके कारण अमित का लंड एक बार फिर टाईट होने लगा।
अमित के लंड को टाईट होते देख मैं नमिता से बोली- आज इस मौके का भरपूर आनन्द उठा ले।
उसने इशारे से पूछा- क्या?
तो मैं बोली- अभी तूने चूत का मजा लिया है, अब अगर तू चाहे तो गांड का भी मजा ले सकती है।
नमिता अमित को चूमते हुए बोली- अब मेरा हर छेद अमित का है, वो चाहे तो चोदे या न चोदे।
नमिता का इशारा पाते ही मैं बोल उठी- तो ठीक है, चलो सब मेरे कमरे में। इसका मजा कमरे में लेंगे।
उसके बाद हम तीनों मेरे कमरे में आ गये।
कमरे में पहुँच कर मैंने वेसलिन की शीशी निकाली और कमरे की लाईट को जला दिया।
अमित का तो लंड टाईट हो चुका था तो मैंने नमिता को घोड़ी बनने का तरीका बताया, नमिता घोड़ी बन गई, फिर अमित से नमिता की गांड को चाटने के लिये बोला।
नमिता की गांड अमित चाटने लगा और मैंने वेसलीन अमित के लंड पर लगा दी।
अमित भी इतनी देर में नमिता की गांड चाटकर गीला कर चुका था और नमिता भी खूब आहें भर रही थी।
उसके बाद मैंने उंगली में वेसलीन लेकर नमिता की गांड के अन्दर तक अच्छे से लगाई और फिर उसकी गांड को फैला कर अमित से लंड डालने के लिये बोली।
और नमिता से बोली- अगर दर्द हो तो तुम जितना तेज चाहो चिल्ला सकती हो!
कहते ही मैंने अमित को इशारा किया, अमित ने एक ही झटके में लंड को नमिता की गांड में पेल दिया, नमिता चिल्ला उठी, बोली- अमित, प्लीज अपने लंड को निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है।
'कोई बात नहीं नमिता, बस अपनी पहली रात की चुदाई के बारे में सोचो और अपनी गांड को अपनी चूत समझ कर दर्द बर्दाश्त कर लो।'
अमित को मैंने कहा कि थोड़ा रूक जाये और नमिता की चूचियों को मसले!
जबकि मैं उसकी चूत को सहला रही थी और अपनी उंगली को नमिता की चूत के अन्दर बाहर कर रही थी।
ऐसा करते रहने से नमिता को राहत मिलने लगी और उसके ऊपर फिर मस्ती छाने लगी।
'अमित, अब तुम केवल अपने लंड को धीरे धीरे गांड के अन्दर बाहर करो, ध्यान रहे झटके मत मारना!'
मेरे कहे अनुसार अमित कुछ देर तक लंड को अन्दर बाहर करता रहा।
इस तरह से कुछ देर करते रहने से नमिता को भी अच्छा लगने लगा, तभी मैंने अमित को इशारा किया तो अमित ने एक बार और तेज धक्का लगाया और वैसे ही अमिता के मुँह से निकला- उई ईईई माँआआ आआ… मैं मर गई।
अमित को फिर एक इशारा मैंने किया और तीसरी बार अमित ने एक बार फिर लंड के बाहर निकाला और एक तेज झटके से अपने लंड को नमिता की गांड में पेल दिया।
इस बार शायद नमिता बर्दाश्त नहीं कर पाई और नमिता ने अपने दोनों हाथों में अपने जिस्म का वजन डाला था, उसका हाथ बैलेंस नहीं बना पाया और वो मुंह के बल गिर गई और उसकी आंख से आंसू आने लगे, साथ ही उसकी चूत ने पेशाब की धार छोड़ दी।
एक बार फिर मैंने अमित को धक्के मारने के लिये मना किया और नमिता के बालों को सहलाने लगी।
नमिता बोली- अमित, प्लीज अपना लंड निकाल लो, बहुत जलन हो रही है।
लेकिन मैंने अमित को मना कर दिया और उसे उसी अवस्था में रहने के लिये कहा।
जबकि मैं नमिता को समझाते हुए बोली- बस थोड़ा सा और!
साथ ही साथ मैं और अमित अपनी तरफ से उसके जिस्म को इस तरह से सहला रहे थे कि वो अपने दर्द को भूल जाये।
तब फिर माहौल को उत्तेजनात्मक बनाते हुए अमित से मैंने नमिता की गांड चाटने के लिये बोला।
अमित एक गुलाम की तरह नमिता की गांड को चाटने लगा। अब इस गांड चाटाई से नमिता के अन्दर एक बार फिर से ज्वाला भड़कने लगी और अमित मेरे इशारे के लिये तैयार था।
इशारा मिलते ही एक बार फिर अमित ने नमिता की गांड का भेदन करना शुरू कर दिया।
अब एक बार फिर मेरे कमरे में वासना की तेज चीखे गूँजने लगी।
इधर अमित नमिता को खूब मस्ती से चोद रहा था, उधर मैं कभी अमित तो कभी नमिता की पुट्ठे में चपत लगा देती, इससे दोनों की चीखें और तेज हो जाती।
इसी तरह तीनों अपने अपने काम को करते रहे कि अमित मस्ती से चिल्लाने लगा- जानेमन, मेरा अब निकलने वाला है!
अमित मेरी तरफ ही देख रहा था, मैंने उसे उसका वीर्य नमिता की गांड के अन्दर ही निकालने को कहा।
मेरे कहे अनुसार अमित ने अपना वीर्य नमिता की गांड के अन्दर निकाला।
फिर मैं अपनी उंगली से अमित के विर्य को नमिता के गांड के अन्दर डाल रही थी, फिर मेरी देखादेखी अमित भी नमिता की गांड में उंगली करने लगा।
अचानक पता नहीं नमिता को क्या हुआ, वो झटके से खड़ी हुई और तेजी से बाहर की तरफ भागी, मैं और अमित दोनों उसके पीछे-पीछे बाहर आये तो देखा कि नमिता नाली के पास बैठ कर मूतने लगी।
मैं अमित से बोली- अगर नमिता ने बताया होता तो तुम अपनी बीवी के पानी का मजा ले लेते।
अमित बोला- भाभी, अपनी चूत का तो पिला ही चुकी हो अब और किसका किसका पिलाओगी?
'वो तुम्हारी बीवी है। सोचो कितना मजा आता तुम उसकी चूत में मुँह लगाते और वो मना करती और नखरे करती, मुझे देखने में कितना मजा आता!'
मूतने के बाद नमिता मेरे पास आकर बोली- भाभी, आपको भी आई है तो मूत लो।
'नहीं, अभी मुझे नहीं आई है, जब आयेगी तो मैं मूत लूँगी।'
उन दोनों से बात कर ही रही थी कि रितेश का फोन आ गया और उन दोनों को जाने का इशारा किया और मैंने रितेश को आज की सारी घटना सुना दी।
तो हैरान होते हुए रितेश बोला- तुमने नमिता की गांड भी चुदवा दी।
'हाँ… और उसने भी अपनी गांड खूब मजे लेकर चुदवाई।'
रितेश आहें भरता हुआ बोला- मेरी जान, मजे तो तुम्हारे हैं और वो मादरचोद मेरी बॉस है, उसने दिन भर प्रोजेक्ट करवा कर मेरी गांड मार दी है। बहुत थक जाता हूँ। किसी तरह कल बीते तो मैं फिर तुम्हारी बांहो में आ जाओ।
'मैं तो तुम्हारे इन्तजार में बिल्कुल नंगी लेटी हूँ, पता नहीं तुम्हारे लंड को कब मेरी चूत और गांड की सुरंग की जरूरत हो।'
इसी तरह बात करते-करते नींद आने लगी और मैं फोन काट कर सो गई।

कहानी जारी रहेगी।
 
Last edited by a moderator:

Top