Erotica लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग (सम्पूर्ण)

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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-10
जैसे ही हम लोग नाश्ते के लिये बैठे वैसे ही अमित आ गया, अमित को देखकर नमिता अमित के लिये भी नाश्ता लेने चली गई।
नमिता के जाते ही अमित घुटने के बल नीचे बैठ गया और मुझसे बोला- भाभी, मैं आपके खुले हुस्न का दीदार करना चाहता हूँ, एक बार अपने हुस्न के दीदार करा दो, फिर ये अमित आपका गुलाम हो जायेगा।
तभी नमिता नाश्ता लाते हुए दिखाई पड़ी तो मैंने अमित को सीधे बैठने के लिये कहा।
नाश्ता करने के बाद मैं ऑफिस जाने लगी तो नमिता अमित से मुझको ऑफिस ड्रॉप करने के लिये बोली, अमित की तो मानो मन की मुराद पूरी हो गई, वो सहर्ष तैयार हो गया।
फिर मेरा भी मना करने का सवाल ही नहीं उठता था, मैं अमित के साथ चल पड़ी।
रास्ते में एक रेस्टोरेन्ट पर अमित ने अपनी गाड़ी रोकी और मुझसे दस मिनट उसके साथ रहने के लिये रिक्वेस्ट करने लगा।
मेरे पास ऑफिस पहुँचने का भरपूर टाईम था तो मैं उसके साथ रेस्टोरेन्ट चली गई।
वहां पर अमित एक बार फिर रिक्वेस्ट करने लगा तो मैंने कहा- ठीक है, आज रात मेरा दरवाजा तुम्हारे लिये खुला रहेगा, लेकिन एक शर्त है कि तुम मेरी कोई बात काटोगे नहीं।
'नहीं भाभी… बिल्कुल नही!' निःसंकोच अमित ने मेरा हाथ चूमा और बोला- भाभी, आज से आपका यह जीजा आपका गुलाम ही रहेगा।
'वो तो ठीक है लेकिन आज रात के बाद फिर कभी नहीं कहोगे और न ही मुझे ब्लैक मेल करोगे।'
'बिल्कुल नहीं भाभी… ये बन्दा आज से आपका गुलाम है, जब आप चाहोगी तब ये गुलाम सदा आपकी सेवा में रहेगा।'
इसके बाद अमित ने मुझे मेरे ऑफिस ड्रॉप कर दिया।
ऑफिस पहुँचे एक घण्टा भी नहीं हुआ था कि नमिता का फोन आ गया, फोन पर ही वो बोलने लगी- भाभी, आज मेरा मन लग नहीं रहा है, मुझे आपसे बहुत सी बातें करनी है।
मैं समझ चुकी थी कि वो मुझसे किस टॉपिक पर बात करना चाहती है तो मैंने बॉस से परमिशन ले ली।
मेरा बॉस जो एक 40 वर्षीय था उसने मुझे इस शर्त पर परमिशन दे दी कि अगर उसे कोई ऑफिस का काम पड़ेगा तो उसे फिर ओवर टाईम करना पड़ेगा, मैंने भी एक मुस्कुराहट के साथ हाँ मैं अपने सर को हिला दिया।
मैं घर आ गई।
जैसे ही मैंने दरवाजे की घण्टी बजाई, वैसे ही नमिता ने दरवाजा खोल दिया।
मुझे ऐसा लगा कि वो मेरे इंतजार में ही वहाँ खड़ी थी।
खैर जैसे मैं अन्दर घुसी वो मेरे से लिपट गई और मुझे थैंक्यू बोलने लगी।
फिर उसने मुझसे धीरे से कहा कि उसने माँ और बाबूजी को खाना खिला कर सुला दिया है।
मैं समझ गई और सीधा उसके साथ ऊपर चली आई।
कमरे में आकर मैंने उससे पूछा कि वो मुझसे क्या पूछना चाह रही है?
तो वो बोली- भाभी, आप और भईया रात में एक-दूसरे के साथ क्या करते हो, मुझे वो जानना है।
मैं बोली- मैं तुम्हे बता तो दूँगी, लेकिन तुम बुरा मान जाओगी और फिर सबको बता दोगी।
'नहीं, मैं नहीं बताऊँगी!'
'रात में मैं और तुम्हारे भईया सेक्स करते समय बहुत गंदी-गंदी बातें करते हैं।'
'भाभी, क्या-क्या बातें? मुझे सब बताओ।'
'ठीक है, मैं सब बता दूँगी, पर एक वादा करो, एक तो तुम अपने बाल साफ करवाओ और दूसरा आज रात फिर अमित को अपने हुस्न के जलवे दिखाकर उसे चौंका दो।'
नमिता बड़ी ही सहजता से बोली- भाभी, बाल मुझे साफ करना नहीं आता, अगर तुम्हें आता है तो तुम मेरे बाल साफ कर दो… और रही अमित की बात तो आज की रात अमित भी कभी नहीं भूलेगा।
'तो ठीक है, तुम अपने कपड़े उतार कर जमीन पर लेट जाओ।'
मैंने भी अपने कपड़े उतार लिए और वीट की ट्यूब निकाल ली और अपने कमरे के सभी खिड़की और दरवाजे को अच्छे से बन्द कर दिए।
नमिता अब तक बिना किसी संकोच के अपने कपड़े उतार कर जमीन पर लेट गई थी।
मैं नमिता की चूत के बाल कैंची से काटने लगी तो नमिता बोली- भाभी, बताओ न कि तुम और भईया क्या क्या करते हो?
'मैं और तुम्हारे भईया कमरे में पहुँचते ही नंगे हो जाते हैं और फिर हम लोग दिन भर की बातें करते हुए एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगते हैं।
रितेश मेरे पीछे अपने हाथ को लाकर मेरी चूची की गोलाइयों को अपनी हथेलियों में दबाने की कोशिश करता है या फिर मेरे निप्पलों को अपनी चुटकियों में मसलने का कोशिश करता है, जबकि मैं उसके जांघ को सहलाती हूँ और उसके लंड के सुपारे पर अपने नाखूनों से कुरेदती हूँ।
हम लोग बातें करते-करते गर्म होने लगते हैं।
फिर रितेश मेरे निप्पल को अपने मुंह में भर कर एक बच्चे की तरह उसको पीता है।
जब तक रितेश मेरे निप्पल को छोड़ नहीं देता तब तक मैं उसके बालों को सहलाती हूँ या फिर मैं उसके निप्पल को अपने नाखूनों का करतब दिखाती हूँ।
जब वो निप्पल पीना बंद कर देता है तो मैं उसको सीधा लेटा कर उसके जिस्म के एक-एक हिस्से को चाटते हुए उसके लंड को अपने मुंह में भर लेती हूँ और उसको लॉलीपॉप की तरह चूसती हूँ।'
बातें करते हुए मैंने उसकी चूत और उसके आस पास की जगह में अच्छी तरह से वीट लगा दी।
'तो आप भईया का अपने मुंह में ले लेती हो।'
'लंड बोलो यार!' मैंने नमिता को समझाते हुए कहा- मेरा और नितेश का मानना है कि जब सेक्स करो तो निःसंकोच करो, उससे फिर सेक्स का अलग तरह का मजा आता है।
'ठीक बाबा… लंड! अब आगे बताओ?'
'जब मैं रितेश के लंड को चूस रही होती हूँ तो रितेश मेरी तरफ अपनी मुंह की लार टपकाते हुए देखता है तो मैं फिर घूम कर उसके मुंह की तरफ अपनी चूत को कर देती हूँ, फिर मैं रितेश के लंड को चूसती हूँ और रितेश मेरी चूत को चाटता है।
बीच-बीच में हम दोनों एक दूसरे की गांड को भी चाटते हैं, खूब मजा आता है।
उसके बाद जब चाटा-चाटी का प्रोग्राम खत्म होता है तो रितेश मेरी चूत में अपने लंड को डालता है और कई पोजिशन से चोदता है। कभी वो मेरे ऊपर चढ़ जाता है तो कभी मुझे घोड़ी बना कर चोदता है तो कभी मेरे चूत में अपना लंड डाले ही मुझे अपनी गोद में उठा लेता है और मैं उसके गोद में ही उछलती हूँ।
जब रितेश थक जाता है तो जैसे तुम लेटी हो वो भी लेट जाता और फिर मैं उसके लंड के ऊपर चढ़ जाती हूँ और खूब उछलती हूँ।
फिर जब हम लोग चूत चुदाई के अन्तिम चरण में पहुंचते हैं तो एक बार फिर उसका लंड मेरे मुंह में और मेरी चूत उसके मुंह के पास होते हैं और फिर हम दोनों ही एक-दूसरे का पानी पीते हैं।'
मैंने नमिता को देखा, पता नहीं वो क्या सोच रही थी, मैंने उसे झकझोरते हुए पूछा- क्या सोच रही है?
तो वो बोली- भाई कभी अपना पानी आपकी चूत के अन्दर नहीं डालते हैं?
नमिता भी अब खुलने लगी थी।
बिल्कुल डालते हैं लेकिन कभी कभी, नहीं तो अकसर करके हम दोनों एक दूसरे का पानी पी लेते हैं।
नमिता फिर कुछ सोचने लगी, मैं समझ गई कि वो क्या सोच रही है।
मैं नमिता से फिर बोली- इसलिये मैं कहती हूँ कि सेक्स निःसंकोच करना चाहिये।
बातों बातों में उसकी चूत साफ और चिकनी हो चुकी थी।
मैंने नमिता के हाथ को उसकी चूत पर रख दिया।
नमिता अपने चूत को सहला रही थी।
फिर वो मुझे थैंक्यू कहने लगी।
फिर हम दोनों ने मिलकर कमरे की सफाई की।
उसके बाद मैंने नमिता को शीशे के सामने खड़ा कर दिया और खुद उसके पीछे खड़ी हो गई।
नमिता अपनी चिकनी चूत को देखते हुए बोली- वाह भाभी, आपने मेरी चूत की तो शक्ल ही बदल दी।
नमिता की जो चूत अब तक घने बालों के बीच छिपी हुई थी, उसकी शक्ल एक गुलाबी चूत की हो चुकी थी।
अब नमिता भी अपनी चूत को देखकर इतरा रही थी।
मैंने नमिता से कहा- नमिता, आज रात तुम अमित को सरप्राईज कर दो।
नमिता बोली- हाँ भाभी, आज रात अमित को बहुत खुश कर दूँगी।
मैं उससे बातें करते करते उसकी चूची के साथ खेल रही थी जबकि नमिता आंखें बन्द किये हुए मदहोशी के साथ केवल अपनी चूत को सहलाने का आनन्द ले रही थी।
मैं नमिता को उसी मदहोशी में अपने बेड पर ले आई और उसको लेटा कर उसके मुँह पर बैठ गई और अपनी चूत को उसके मुंह से रगड़ने लगी।
तभी मुझे अहसास हुआ कि नमिता की जीभ मेरे चूत के हर हिस्से की सैर कर रही है।
मैं भी 69 की अवस्था में हो गई और उसके चूत का रसपान करने लगी।
नमिता भी एक एक्सपर्ट की तरह कभी अपनी जीभ मेरे चूत के अन्दर करती तो कभी अपनी उंगली को मेरे अन्दर डालती।
कुछ देर बाद ही मैं और नमिता दोनों ही स्खलन की तरफ बढ़ रहे थे क्योंकि मेरी उंगली में उसका रस लग रहा था जिसे मैं चाट लेती और वो भी अपनी उंगली से मेरे रस को निकाल रही थी।
तभी नमिता बोली- वाह भाभी, आपके अन्दर का रस बहुत मजा दे रहा है।
थोड़ी देर ऐसा करते रहने के बाद हम दोनों ढीली पड़ गई।
फिर दोनों एक दूसरी के जिस्म से चिपक गई।
लगभग दो बजे सास ससुर की आवाज आई तो मैं और नमिता दोनों ही हाथ मुंह धोकर खाने नीचे चले गये।

कहानी जारी रहेगी।
 
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-3

हमारी पहली चूत चुदाई के बाद टोनी ने एक मैसेज भेजा, जिसमें रितेश के लिये लिखा था- तुम मेरी मीना को चोद लो और मैं आकांक्षा को।
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रितेश ने मेरी तरफ देखा तो मैंने मना कर दिया।
जिस पर रितेश ने भी मना कर दिया।
उसके बाद टोनी ने कहा- जब कभी भी तुम दोनों के मन में अदला बदली का ख्याल आये तो हमें कॉल करना।
कह कर हम दोनों ने एक दूसरे से विदा ली।
उसके बाद मैंने भी अपने कपड़े पहने और घर चली आई।
मैं लगभग एक महीने तक रितेश के घर नहीं गई और न ही रितेश ने मुझे कभी फोर्स किया।
हाँ, अब कॉलेज में मैं और रितेश खूब समय बिताते और रितेश अब मेरी हर छोटी छोटी बातों का ध्यान रखता।
लेकिन अब एक बार जो आग लग चुकी थी उसे मैं चाह करके भी काबू में नहीं कर पा रही थी और न ही रितेश को बता पा रही थी।
पर एक दिन उसने मुझसे कहा कि उसका मन एक बार फिर मुझमें समाने के लिये कर रहा है।
मन में मेरे भी आग लगी थी, मैंने भी मौन स्वीकृति दे दी।
उसने सबकी नजरों को बचाते हुए मेरे गालों की पप्पी ली और मेरे स्तन को दबा दिया।
मुझे या शायद किसी को भी नहीं पता होता कि कल क्या होने वाला होगा लेकिन रितेश जैसा जीवन साथी मिलना बहुत ही नसीब की बात होती है।
दो दिन बाद रितेश ने मुझे बताया कि आने वाले रविवार को उसके घर में कोई नहीं होगा और अगर मैं चाहूँ तो…
कहकर उसने अपनी बात को बीच में ही रोक लिया, जिसको मुझे पूरा समझने में कोई परेशानी नहीं हुई।
मैंने उसे एक बार फिर अपनी स्वीकृति दे दी।
मैं यह नहीं समझ पा रही थी कि रितेश मुझसे जो कहता जा रहा था, मैं उसकी किसी बात को नहीं काट पा रही थी।
लेकिन अब एक बार जब सीमांए टूट गई तो अब उस सीमा को फिर से वापस बांधना मुश्किल सा था।
खैर मैंने रितेश से पूछा कि मैं उसके पास कैसे कपड़े पहन कर आऊँ तो वो बोला- देख, हम लोग जो करेंगे, नंगे होकर ही करेंगे, इसलिये तुम्हें कोई सेक्सी कपड़े पहन कर आने की जरूरत नहीं है, और वैसे भी तुम मेरे लिये हर कपड़े में सेक्सी ही हो।
मेरे लिये एक बहुत बड़ी समस्या खतम हुई क्योंकि अगर मैं घर से कुछ खास कपड़े पहन कर निकलती तो घर वालों से काफी झूठ बोलना पड़ता।
खैर रविवार का दिन आया और मैंने घर वालों से प्रोजेक्ट का बहाना बनाया और अपने रितेश के पास पहुँच गई।
रितेश ने दरवाजा खोला, वो नंगा था और उसका लंड बिल्कुल डण्डे के समान तना हुआ था।
घर के अन्दर घुसते ही रितेश ने मुझे दबोच लिया, अपने जिस्म से चिपका लिया और मेरे गालों, होंठों, गर्दन जहां पर उसने चाहा, चुम्मे की झड़ी लगा दी।
मुझे भी वहीं नंगी कर दिया और गोदी में उठा कर अन्दर ले आया।
जब मैं उसकी गोदी में थी तो मैंने भी रितेश को चूमना शुरू किया।
फिर उसने मुझे सोफे पर बैठाया और मेरी टांगें चौड़ी करके मेरे योनि, अरे… योनि नहीं… चूत के अग्र भाग को फैलाते हुए उसमे उंगली करने लगा और उसके बाद उसमें अपनी जीभ लगा दी।
थोड़ी देर तक अपनी जीभ से मेरी चूत की मालिश करने के बाद रितेश खड़ा हुआ।
तब मैंने पहली बार उसके लंड को साफ साफ देखा जो एकदम से तना हुआ था और उसके लंड के हिस्से वाला भाग बाल रहित था जबकि अभी भी मेरी चूत में बालों की भरमार थी।
मैं रितेश से बोली- यार, तेरे इस जगह बाल क्यों नहीं हैं?
तो वो मुस्कुराते हुए बोला- मैं इसे बनाकर रखता हूँ।
'तो मेरे भी बना दो…' मैंने उसकी ओर खुमारी भरी नजर से देखा।
वह तुरन्त मुड़ा, पहली बार मैंने नंगे रितेश को चलते हुए देखा उसके पीछे का हिस्सा ऊपर नीचे हो रहा था और उसकी गांड के बीचोंबीच एक लकीर सी खिंची हुई थी जो मेरे लिये बड़ा ही अनोखा था।
दो मिनट बाद ही वो एक क्रीम, कैंची, काटन और एक लोटा पानी ले आया।
मुझे थोड़ा सा अपनी तरफ खींचा जिससे मेरे कमर के नीचे का हिस्सा सोफे से बाहर हो गया और बाकी मैं सोफे पर पसर गई।
उसके बाद रितेश बड़े प्यार से मेरी चूत के बड़े हुए बालों को कैची से काट-काट कर छोटा कर रहा था और बीच-बीच में जांघ, चूतड़ के उभार आदि जगह को चाट लेता था, मेरी उठी हुई चूची को दबा देता और बीच-बीच में अपने लंड को उंगली से मसलता और फिर उस उंगली को चाट लेता।
जब वो मेरी जांघ को चूमता या चाटता तो मुझे एक गुदगुदी से होती।
जब उसने मेरी चूत के बालों को कैची से ट्रिम कर दिया तो उसके बाद उसने क्रीम वाली ट्यूब उठाई और मेरी चूत के आस पास अच्छे से लगा दिया और मेरे बगल में बैठ कर मेरे चूचों को चूसने लगा और मेरे हाथों को उठाकर मेरे बगल को भी चाटता।
उसके लिये मेरा जिस्म मक्खन की तरह था और मेरे जिस्म का कोई ऐसा हिस्सा नहीं था जिसे वो चाट नहीं रहा था।
करीब दस मिनट तक ऐसा करने के बाद उसने रूई को गीला किया और जहाँ जहाँ क्रीम लगाई थी, उसको साफ करने लगा।
फिर रितेश ने मुझे शीशे के सामने खड़ा कर दिया।
अभी तक मेरी चूत जो बालों से घिरी हुई थी अब वो बिल्कुल सफाचट हो गई थी और गुलाबी जैसी पाव रोटी लग रही थी।
मेरे हाथ स्वतः ही मेरी चूत पर चले गये… क्या मखमली चूत थी मेरी!
तभी रितेश ने मुझे पीछे से जकड़ लिया और मेरे कंधे को चूमते हुए मेरी एक टांग को उठा कर टेबल पर रख दिया और मेरी चूत को सहलाते हुए वो मेरी चूत में उंगली करने लगा।
मेरे हाथों की माला ने रितेश को जकड़ लिया और आंख बन्द करके जो वो कर रहा था, उसका आनन्द लेने लगी।
कुछ देर में मेरी चूत के अन्दर का पानी बाहर निकलने लगा और रितेश की उंगली गीली होने लगी, उसने अपनी उंगली निकाल कर मेरे मुँह में घुसेड़ दी।
खारी नमकीन सी उसकी उंगली मेरे मुंह के अन्दर थी और रितेश के बोल मेरे कान के अन्दर थे, वो कह रहे थे- लो, अपना पानी चखो! बड़ा स्वादिष्ट है।
मैं उसकी तरफ घूमी और उससे पूछा- तुम्हें कैसे मालूम?
तो बोला- जान, तेरे को स्वाद दिलाने से पहले मैंने इसका स्वाद लिया है और अब मैं इसका पूरा स्वाद लूंगा।
कहकर मुझे उसने थोड़ा नीचे किया, इस प्रकार झुकाया कि मेरी चूत और गांड के छेद उसे साफ-साफ नजर आने लगे।
फिर वो बैठ कर मेरी चूत से निकले पानी को चूसने लगा और बीच-बीच में मेरी गांड को भी चाटने लगा।
उधर मैं भी शीशे से अपने आप को देख रही थी।
मेरी उठी हुई चूची रितेश के हाथ में कैद थी और जैसा रितेश चाहता वैसा ही मेरी नाजुक चूचियों के साथ करता।
कुछ देर ऐसा करने के बाद वो उठा और पीछे से मेरी चूत रूपी गुफा में अपने लंड को प्रवेश कराने लगा।
उसका लंड मेरी गुफा के अन्दर जा ही नहीं रहा था।
कई बार कोशिश करने के बाद भी जब नहीं हुआ तो उसने मेरे कूल्हों पर कस कर तीन चार चपत लगाई जिससे मैं बिलबिला गई।
मुझे भी कुछ नहीं समझ में आ रहा था तो जाकर बिस्तर पर लेट गई और अपनी टांगें फैला कर उसे निमन्त्रण देने लगी।
रितेश को कुछ समझ में नहीं आ रहा था, वो मेरे पास आया और फिर जिस तरह उसने पहली बार मेरी चुदाई की थी, उसी तरह अपने लंड को मेरी चूत में प्रवेश करा दिया।
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इस बार भी एक दो प्रयास के बाद उसका लंड मेरे अन्दर प्रवेश कर गया और इस बार थोड़ा दर्द तो हुआ पर उस जैसा न तो दर्द था और न ही जलन जैसा पहली बार जब रितेश के लंड ने मेरी चूत रूपी गुफा के द्वार को खोला था।
लेकिन मजा बहुत आ रहा था।
वो बहुत तेज-तेज धक्के लगा रहा था, जैसे शायद वो बहुत गुस्से में हो।
इस बीच में मैं पानी छोड़ चुकी थी पर रितेश अभी भी धक्का लगाये जा रहा था।
कुछ ही पल बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और फिर कटे हुए पेड़ की तरह मेरे ऊपर गिर गया।
इस समय में उसके लावे को अपने अन्दर महसूस कर सकती थी।
थोड़ी देर बाद जब उसके शरीर की शिथिलता खत्म हुई तो वो खड़ा हुआ और कम्प्यूटर पर एक ब्लू फिल्म लगा दी जिसमें लड़का लड़की को कुतिया बना कर पीछे से चोद रहा था।
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फिल्म लगाने के बाद रितेश मेरे पास आया और बोला मैं तुम्हें ऐसे ही चोदना चाहता हूँ।
मैंने उसके लंड को पकड़ा और बोली- लो, मैं इस तरह झुक जाती हूं, तुम एक बार फिर कोशिश कर लो।
कहकर मैं भी उस फिल्म की लड़की की तरह झुक गई।
रितेश हंसा और बोला- पगली, पहले मेरा लंड तो चूस कर खड़ा तो कर! जब तक यह खड़ा नहीं होगा तो जायेगा कैसे।
इन दो चुदाई में इतनी तो बात समझ में आ गई थी कि लंड की पूरी ताकत उसके टाईट होने पर है, अगर ढीला है तो फिर वो किसी काम का नहीं।
रितेश अपने हाथ में अपने सिकुड़े हुए लंड को लिये था और हंस रहा था।
मैं पलटी और घुटने के बल बैठ कर उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया।
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जैसे ही मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया तो मेरे और उसके मिलन का जो रस था, उसका स्वाद मेरे मुंह में था।
मैं उसके लंड को चूस रही थी।
तभी रितेश ने अपने लंड को मेरे मुंह से बाहर निकाला और उसके खाल को पीछे करते हुए लंड के टोपे को दिखाते हुए मुझे उस हिस्से पर अपनी जीभ फिराने के लिये बोला।
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रितेश जैसे जैसे बोलता गया, मैं उसके टोपे को चाटती गई और रितेश के मुंह से सी-सी की आवाज आती गई।
कुछ ही देर में उसका लंड खड़ा हो गया।
रितेश ने मुझसे कम्प्यूटर की तरफ मुंह करके झुकने के लिये बोला।
मेरे दिल मैं तो एक ही बात थी कि जो रितेश कहे उसे करते जाओ।
इसलिये मैं कम्प्यूटर की तरफ मुंह करके झुक गई और रितेश मेरी कमर को पकड़ के अपने लंड को मेरी चूत में सेट किया और एक धक्का दिया।
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इस बार लंड सीधे मेरी चूत के अन्दर था।
अब मैं और उस फिल्म की लड़की एक ही पोजिशन में थे और रितेश उसी तरह धक्के मार रहा था जैसे उस फिल्म का लड़का कर रहा था।
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जिस-जिस पोजिशन में वो लड़का उस लड़की की चुदाई कर रहा था उसी पोजिशन में रितेश मेरी भी चुदाई करता।
उस लड़के ने लड़की को दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया और उसकी एक टांग को पकड़ कर हवा में उठाकर उसको चोद रहा था तो रितेश ने भी मुझे उसी तरह की पोज में कर दिया और अपनी कार्यवाही शुरू कर दी।
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उसकी नजर भी स्क्रीन पर थी।
फिर चार-पांच धक्के मारने के बाद रितेश ने मुझे डायनिंग टेबल पर बैठाया और अपना लंड मेरी चूत में डालने के बाद मुझे गोदी में उठा कर उछल कूद करने लगा।
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अब इस समय मैं अपनी तो कुछ नहीं कह सकती पर रितेश को खूब मजा आ रहा था।
कुछ दस पन्द्रह शॉट लगाने के बाद एक बार फिर रितेश ने मुझे उसी तरह लेकर एक कुर्सी पर बैठ गया।
दूसरे ही पल लगा कि रितेश एक बार फिर अपनी गर्मी को मेरे अन्दर उतार दिया।
ठीक उसी समय उस लड़के ने लड़की को नीचे बैठा कर अपने लंड को उसके मुंह में लगा दिया और कुछ सफेद सा उसके मुंह में डालने लगा जिसको लड़की ने पूरा गटक लिया और फिर मुंह से लड़के का लंड चाट कर उसकी मलाई को साफ कर दिया।
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ऐसा देख कर मैंने रितेश से पूछा- तुम अपनी मलाई मेरे अन्दर क्यों डाल देते हो?
वो बोला- मुझे अच्छा लगता है।
तीन चार घंटे बीत चुके थे तो मैंने रितेश को चूम कर बाय किया और अपने घर चली आई।

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चूत की झांट साफ़ करवाने के बाद चूत चुसाई का लेस्बीयन खेल खेलने के बाद नमिता के चेहरे पर एक अलग तरीके की खुशी झलक रही थी।
खाना वगैरह निपटाने के बाद मैं और नमिता दोनों ही मेरे कमरे में सो गई।
रात को करीब आठ बजे रितेश का फोन आया, वो काफी थका हुआ था।
पूछने पर उसने बताया कि उसकी जो बॉस है वो एक लेडी है, मस्त सेक्सी है, लेकिन साली ने आज पहले दिन ही ओवर टाईम करा दिया।
मैंने भी मेरी अमित और मेरी नमिता के बीच हुई घटना के बारे में बताया तो बोला- यार तुम्हारा तो आज रात का इंतजाम हो गया और मैं यहां अपने लंड की सेवा खुद करूँगा।
बात करते करते काफी समय बीत गया, नीचे से आवाज आने के बाद मेरा फोन बंद हुआ।
नमिता के साथ मैंने भी जल्दी-जल्दी सब काम निपटाया।
फिर जब सभी लोग अपने-अपने कमरे में चले गये तो मैं, नमिता और अमित तीनों ही ऊपर आ गये।
अमित ने दरवाजा बन्द किया और फिर मैं अपने कमरे में और नमिता और अमित अपने कमरे में चले गये।
मैंने अपने कमरे की लाईट तो बन्द कर ली लेकिन दरवाजा नहीं बन्द किया और मेरी नजर अमित और नमिता के कमरे में ही थी।
काफी देर बाद कमरे की लाईट बन्द हुई तो मैं जल्दी से उन दोनों के कमरे में पहुँची तो देखा आज अमित गुस्से में था और चाहता था कि नमिता जल्दी सो जाये पर नमिता आज अमित को प्यार करने के मूड में थी और मान नहीं रही थी और जो डायलॉग कल रात नमिता बोल रही थी आज वही डायलॉग अमित बोल रहा था।
लेकिन थोड़ी देर बाद अमित बोला- ठीक है, लेकिन आज तुम्हें मेरी भी बात माननी होगी।
नमिता बोली- जानू, जो तुम कहोगे, आज मैं सब तुम्हारी बात मानूँगी।
'मैं तुम्हे रोशनी में पूर्ण नंगी देखना चाहता हूँ।' एक झटके में अमित बोला।
नमिता बोली- ठीक है, पर तुम अपनी आंखें बन्द करो और जब मैं बोलूँ तभी तुम अपनी आंखें खोलना!
इतना कहने के साथ ही नमिता ने कमरे की लाइट जलाई और अमित ने अपनी आँखें बन्द कर ली।
इस समय नमिता गाउन पहने हुए थी।
नमिता बेड पर अमित को क्रास करते हुए खड़ी हो गई और अमित से बड़े प्यार से आंखें खोलने के लिये बोली।
अमित मुंह बनाते हुए बोला- क्या नमिता? यही दिखाने के लिये मुझे आंखें बन्द करने के लिये कहा था?
अमित का इतना बोलना था कि नमिता ने एक झटके में अपने गाउन को उतार फेंका।
अमित की आंखें फटी की फटी रह गई।
शायद उसे विश्वास नहीं रहा होगा कि वो इतनी जल्दी सब कुछ करने को तैयार हो जायेगी।
नमिता हल्की सी नीचे झुकी और ब्रा को ऊपर करते हुए अपने चूची को बाहर निकाल कर अमित को दिखाने लगी।
जैसे ही अमित ने उसकी चूँची को छूने के लिये अपना हाथ आगे बढ़ाया, नमिता तुरन्त ही सीधी खड़ी हो गई।
उसने करीब चार से पाँच बार यही हरकत अमित के साथ दोहराई, नमिता झुककर अपनी ब्रा को हटाकर अपनी चूची आजाद करती और जैसे ही अमित उसकी चूची छूने को अपना हाथ आगे बढ़ाता वैसे ही नमिता सीधी खड़ी होकर फिर से अपनी चूची को ब्रा के अन्दर ढक लेती।
नमिता का इस तरह से अमित को तड़पाना मुझे काफी अच्छा लग रहा था।
अमित परेशान था बल्कि उसने नमिता को डराने के लिये बोला भी- लाईट जल रही है, कोई इस तरह देख लेगा।
नमिता उसे फ्लांईग किस देते हुए बोली- जानू तुम डर रहे हो। तुम्हें तो रोशनी में मजा आता है और तुम तो मुझे पूर्ण रूप से नंगी देखना चाहते हो ना… और मैं अभी पूरा नंगी कहाँ हुई हूँ!
कहते हुए वो एक बार फिर झुकी और अपने ब्रा को हटाने लगी, तभी तेज हाथ चलाते हुए अमित ने उसकी पीठ को जकड़ लिया और ब्रा की हुक खोल कर उसके जिस्म से ब्रा हटा दी।
नमिता के दो गोल गोल चूचे लटकने लगे जिनको अमित ने अपने हथेलियो में जकड़ लिया और तेज तेज मसलने लगा।
नमिता कसमसाने लगी, लेकिन अमित कहाँ मानने वाला था उसे लगा कि शिकारी हाथ से छूट न जाये।
वो नमिता के निप्पल को लेकर मुँह में चूसने लगा।
नमिता ने बहुत कोशिश की कि अमित से वो अपने चूचे छुड़ा ले पर सफल न हो पाई तो थक कर वो बैठ गई जिससे अमित उसके निप्पल को आसानी से चूस सके।
अमित इस समय एक ऐसा भूखा इंसान नजर आ रहा था जिसके सामने खाने की थाली काफी दिनों के बाद रखी गई हो और वो अब उसे छोड़ने के मूड में नहीं है।
नमिता बड़े प्यार से उसके बालों को सहला रही थी।
चूची चूसते चूसते जब अमित थक गया तो उसका हाथ नमिता की पैन्टी की तरफ बढ़ने लगा, नमिता ने तुरन्त ही उसके हाथों को पकड़ा और बोली- अमित, आज मैं खुद सब कुछ दिखाऊँगी।
कहकर वो एक बार फिर खड़ी हो गई और अपनी पैन्टी को एक झटके से उतार दिया।
अमित आंखें फाड़े हुए उसकी बाल रहित चूत के दर्शन करने लगा और बड़े ही आश्चर्य से उसके चूत को सहलाने लगा।
उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जो औरत आज तक उसको इतना तरसाये हुए थी वो आज सब कुछ बिना कोई प्रश्न किये अपने आपको पूर्ण रूप से नंगी कर चुकी थी।
नमिता के हाथ अभी भी अमित के बालों को सहला रहे थे।
बाल सहलाते हुए बोली- अमित, इसको प्यार नहीं करोगे?
अचकचाते हुए अमित बोला- क्यों नहीं, कितना तरसाने के बाद आज तुमने वो सुख दिया है कि मैं तुम्हारा गुलाम हो गया हूँ।
कहने के साथ ही अमित के होंठ नमिता की चूत को चूमने लगे।
नमिता के मुँह से निकलने वाली तेज सांसें यह बताने के लिये काफी थी कि उसको भी काफी मजा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद खुद ही नमिता बोली- अमित, थोड़ा रूको और मेरा पिछवाड़ा भी देख लो।
मुझे लगा कि उसके मुँह से गांड, चूत शब्द निकलेगा पर वो शायद चाह कर भी नहीं बोल पा रही थी।
अमित ने तुरन्त अपना मुँह हटा लिया और नमिता पलटी और थोड़ा झुक कर खड़ी हो गई।
अमित नमिता के पुट्ठे को सहला रहा था।
नमिता ने भी अपने हाथ अपने पुट्ठे पर रख लिया और उसको शायद थोड़ा सा फैला दी और अमित से बोली- अमित इस छेद को भी देखो, कैसा लग रहा है।
अमित ने उस जगह को चूमते हुए बोला- डार्लिंग, आज तुम मुझे जिन्दा मार दोगी।
'ये क्या कह रहे हो?'
'सही कह रहा हूँ!' अमित बोला- इतने दिन हो गये हैं शादी को, सुहागरात से जो तुम शर्मा रही हो आज अचानक तुम सब मेरे मन की बात कर रही हो। मेरा हार्ट अटैक नहीं होगा तो क्या होगा।
'आज से ये सब तुम्हारा है। जिसको जब तुम चाटना चाहो तुम चाट सकते हो।'
अमित उसकी गांड को शायद चाट रहा था और नमिता बोले जा रही थी- अमित, और चाटो… बहुत मजा आ रहा है।
उधर अमित भी उत्साहित होते हुए बोला- मुझे भी बहुत मजा आ रहा है।
गांड चाटते-चाटते अमित को कुछ ख्याल आया तो उसने नमिता को अपने गोद मैं बैठाते हुए बोला- तुम्हें चटवाने का ही मजा आ रहा है कि मेरा चूसने व चाटने का मजा लोगी।
'जानू सब करूँगी, जो तुम कहोगे।'
अमित उसकी बात को सुनकर खुश होते हुए नमिता को अपने ऊपर से हटा दिया और चादर को एक किनारे करते हुए उठ खड़ा हुआ और जल्दी जल्दी अपने सब कपड़े उतार दिये।
अमित का लंड वास्तव में लम्बा था।
तुरन्त ही वह अपना लंड नमिता के मुँह के पास ले गया नमिता ने लंड को पकड़ कर अपने मुँह के अन्दर लेकर चूसने लगी।
इतनी देर से उन दोनों का उत्तेजना भरा दृश्य देखकर मैं भी उत्तेजित होने लगी थी और मेरा भी हाथ बार बार मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा था।
लेकिन मैं अपने ऊपर कंट्रोल करके दोनों की रासलीला देखने में मगन थी।
डर भी नहीं था कि कोई देख लेगा क्योंकि नीचे जाने वाले रास्ते में ताला लगा हुआ था तो सवाल ही नहीं उठता था कि नीचे से ऊपर कोई आये।
दोनों अपने कमरे में खुल कर एक दूसरे के जिस्म का मजा ले रहे थे तो वहाँ से भी कोई डर नहीं था और बाहर से कोई देखे तो उसका भी कोई डर नहीं था क्योंकि हम दोनों के कमरे ऊपर छत पर थे और छत के बारजे से लगभग दस फ़ीट की दूरी पर थे।
हाँ, मुझे पेशाब बहुत तेज आ रही थी।
मैं इधर उधर देखने लगी तो अमित के कमरे की दूसरी तरफ एक नाली बनी थी।
लेकिन उधर जाने ला मतलब कि दोनों की नजरों में आ जाना।
मैं वही बैठ गई और धीरे धीरे पेशाब करने लगी।
मैं पेशाब करके खड़ी हुई तब तक दोनों बिस्तर पर 69 की अवस्था में होकर चूमा चाटी कर रहे थे।
थोड़ी देर बाद दोनों एक दूसरे से अलग हुए नमिता बिस्तर पर अपनी टांग फैला कर लेट गई और अमित उसके ऊपर चढ़ गया और धक्के मारना शुरू कर दिया।
करीब पांच सात मिनट तक धक्के मारते रहने के बाद वो निढाल होकर नमिता के ऊपर लेट गया।
नमिता ने उसको अपने से कस कर चिपका लिया था।
फिर दोनों एक दूसरे से अलग हुये तो अमिता पास पड़ी हुई चादर लेकर उसकी चूत साफ करने को हुआ तो नमिता ने उसे रोकते हुए कहा- अमित, मैं आज आपका रस भी चखना चाहती हूँ।
कह कर उसने अपनी उंगली अपनी चूत के अन्दर डाली और फिर बाहर निकाल कर उसे चाटने लगी।
अमित को भी जोश आ गया और उसने भी नमिता की चूत चाटकर साफ कर दी।
फिर नमिता के कहने पर लाईट को ऑफ कर दिया।
हाँ लाईट ऑफ करने से पहले अमित ने नमिता को एक सोने का लॉकेट दिया, शायद वो लॉकेट मेरे लिये था।
मेरा भी वहाँ का काम खत्म हो गया था।
अब मुझे देखना है कि इतनी मस्ती पाने के बाद अमित मेरे कमरे में आयेगा या नहीं।
मैं आ गई, कमरे को अपने खुला ही रखा और आदत के अनुसार मैं नंगी ही सो गई।
करीब आधी रात को मुझे लगा कि कोई मेरी बगल में लेटा है और मेरी चूची को मसल रहा है।
मैं समझ गई कि यह अमित है लेकिन मैं कुछ बोली नही।
कभी वो मेरी चूची को कस कर मसलता रहा तो कभी मेरी गांड सहलाता और बीच-बीच में गांड के अन्दर उंगली करता रहा।
मैं अपनी आँख बन्द करके मजा लेती रही।
काफी देर वो ऐसा ही करता रहा, फिर मैं उसके तरफ मुड़ी और अपनी एक टांग को उसके ऊपर चढ़ाते हुए बोली- क्यों जीजा जी, मेरी चूची मसलने में और गांड में उंगली करने का मजा आ रहा है न?
'हाँ भाभी, बहुत मजा आ रहा है।'
'तो ठीक है, जो तुम मेरे साथ करना चाहते हो पहले तुम कर लो, फिर मैं तुम्हारे साथ करूँगी। लेकिन मेरी बारी में तुम ना नुकुर नहीं करोगे?'
इतना सुनते ही अमित ने मुझे पट लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।
थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा फिर मेरे चूतड़ के नीचे बैठ गया और चूतड़ों को चूची समझ कर तेज-तेज मसलने लगा।
उसके बाद जीजा मेरे उभारों को फैलाने लगा और अपनी जीभ उसमें लगा दी और उसकी जीभ के गीलेपन से मेरी गांड में सुरसुराहट सी होने लगी।
काफी देर तक उसने मेरी गांड चाटी फिर मुझे सीधी कर दिया और मेरी निप्पल को तेज-तेज खींचने लगा।
मुझे दर्द तो बहुत हो रहा था लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था।
निप्पल खींचने के बाद अमित मेरी चूची को तेज-तेज भींचने लगा, इस समय अमित बिल्कुल जंगली सा प्रतीत हो रहा था, वो मेरे ही ऊपर लेट गया अपने होंठो से मेरे होंठ चूसने लगा, एक हाथ से चूची को मसल रहा था और दूसरे हाथ की उंगलियाँ मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ चुका था, चूत के अन्दर तेजी से उंगलियाँ चला रहा था।
काफी देर तक ऐसा करते ही रहने के बाद अमित घुटने के बल बैठ गया, मुझे अपनी ओर खींचकर अपने लंड को मेरी चूत में सेट कर दिया और एक झटके से अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया… और लगा मुझे चोदने।
एक दो मिनट के बाद ही उसके मुँह से तेज-तेज आवाज निकलने लगी और उसका शरीर अकड़ने लगा।
अमित ने अपना लंड बहुत ही जल्दी मेरी चूत से बाहर निकाला और अपना माल मेरी चूत में गिरा दिया।
अमित के जंगलीपन के कारण मैं भी खलास हो चुकी थी।
अमित हाँफते हुए मेरे बगल में लेट गया।
थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा और फिर अपनी टांग मेरे ऊपर चढ़ाते हुए बोला- भाभी, आज की रात मेरे लिये न भूलने वाली रात होगी।
'अभी कहाँ मेरी जान!' मैं एक परफेक्ट रण्डी की तरह से बोली- अभी तो आगे बहुत कुछ है, जिसे तुम जिन्दगी भर न भूल पाओगे।
'बोलो भाभी, जो तुम कहोगे मैं करूँगा, इस रात को और यादगार बना दो।'
'मैं बना तो दूँगी, पर बीच में तुम मत छोड़ जाना?'
'नहीं… आप बोलो तो बस!'
जैसे ही अमित के ये शब्द खत्म हुए, मैं बोल उठी- अबे मादरचोद, जो मेरी चूत पर अपना माल गिराया है, उसे कौन साफ करेगा। अमित भौंच्चका सा मुझे देखने लगा।
मैं फिर बोली- बहन के लौड़े, मुझे घूर क्या रहा है, चल साफ कर!
'सॉरी भाभी…' कह कर वो पास पड़ी चादर लेकर जैसे ही मेरी चूत को साफ करने चला, मैंने उसका हाथ बड़े प्यार से पकड़ा और बोली- जानू रहे गये न तुम गांडू के गांडू। इससे साफ नहीं करने को कह रही हूँ, इसको चाट कर साफ करो।
अभी अभी अमित नमिता की चूत साफ करके आया था, वो हंसते हुए बोला- भाभी आप भी ना, मेरी माँ बहन तौल दी।
'मजा नहीं आया मेरे प्यारे जीजू?'
'हल्का सा…' अमित ने खींसे निपोरी और फिर अपनी जीभ को मेरी चूत की सैर कराने लगा।
'जीजू आओ अपने लंड को मेरे मुंह में दे दो, मैं तुम्हारे लंड को चूसूँ और तुम मेरी चूत चाटो।'
दोस्तो, मुझे तो जो मजा लेना था वो तो लेना ही था और मेरे लिये अब कोई लंड मेरे मुँह हो फर्क नहीं पड़ता।
तो मैं अमित का लंड चूस रही थी और इंतजार कर रही थी कि कब मुझे पेशाब लगे।
पेशाब के इंतजार में अमित का लंड मेरे मुख की सैर कर रहा था।
मैं अमित को बेड पर लेटा कर उसके लंड पर चढ़ गई और उछलकूद मचाते हुए बोली- क्यों जीजू, मजा आ रहा है ना?
'हाँ मेरी प्यारी भाभी, बहुत मजा आ रहा है।'
तभी अमित बोला- भाभी, मेरा माल निकलने वाला है।
मैंने तुरन्त वो जगह छोड़ दी और उसके लंड को अपने मुंह में लेते हुए बोली- जीजू, अपना माल मेरे मुँह में निकाल दो।
इससे पहले अमित कुछ बोलता, उसका लंड मेरे मुँह में और उसी समय उसके लंड ने मेरे मुँह में उल्टी कर दी, अमित के रस से मेरा मुँह भर गया और मैं धीरे-धीरे उसके माल को गटक गई।
अमित का लंड मुरझा चुका था और इधर मेरे प्रेशर भी बढ़ रहा था।
मैं खड़ी हुई और अमित को घुटने के बल बैठाते हुए बोली- अपना मुंह खोलो, मेरे चूत के रस का आनन्द लो!
अमित बिना कुछ कहे मेरी चूत को चाटने लगा, तभी मैंने हल्की सी धार छोड़ी और अपने आपको रोक ली और अमित का रियेक्शन देखने लगी।
अमित बुरा सा मुँह बनाते हुए बोला- मादर…
फिर अपने आपको सम्भालते हुए बोला- भाभी ये क्या है?
मैं बड़ी ही सहजता से बोली- मेरा पानी है और क्या!
और उसके सिर को पकड़ते हुए उसके मुंह को फिर मैंने अपनी चूत पर सेट किया।
अमित बोला- भाभी ये नहीं पीना है।
'क्यों जीजू, उस दिन तो बड़ी शेखी बघार रहे थे कि मेरी जैसी के हाथ से जहर पीने को मिले तो वो भी पी लोगे, आज क्या हो गया है और अभी अभी तुमने वादा किया था कि तुम मेरी कोई बात नहीं काटोगे और अपने आपको मेरा गुलाम बोले थे।'
मैं नहीं चाहती थी कि उसे कोई धमकी देनी पड़े।
मैंने उसके बालों को बड़े प्यार से सहलाया और बोली- जीजू, तुम मेरे लिये अजनबी मर्द थे, तुम ही मेरे पास आये थे और मैंने तुम्हारी बात रख ली, अब तुम मेरी बात रख लो।
दो चार बार बहलाने और फुसलाने से अमित मान गया और अपने मुंह को खोल दिया।
मैंने भी बड़े इतमीनान से उसके मुँह में अपने पेशाब की धार छोड़ दी और अमित उसको पीने लगा।
उसके बाद अमित के बांहो में चिपक गई और उसके गांड को सहलाते हुए बोली- जीजू, क्या तुमने अपनी बीवी की गांड कभी मारी है?
बीवी का नाम सुनते ही वो थोड़ा सा भड़क गया, बोला- भाभी, जिस औरत ने आज तक मुझे अच्छी तरह से अपनी चूत तो चोदने नहीं दी तो वो अपनी गांड मुझसे क्यों मरवायेगी।
मैं अमित से अलग हुई और बोली- तुम अगर तैयार हो तो मैं नमिता को तैयार कर लूँगी कि वो तुमसे अपनी गांड का भी उदघाटन करवा ले! आज जो नमिता ने तुमको मजा दिया है वो मेरी ही बदौलत दिया है।
अमित ने तुरन्त मेरे हाथों को चूमते हुए थैंक्यू बोला और नमिता की गांड के लिये भी राजी हो गया।
अमित इतना उत्साहित था कि उसने बाकी कुछ नहीं पूछा।
उसके उत्साह को ब्रेक लगाते हुए मैं बोली- एक शर्त है।
'फिर एक शर्त? ठीक है भाभी, तुम शर्त बोलो। अब तो सब हो ही चुका है। तुम उसके साथ सेक्स मेरे सामने करोगे और अगर नमिता बोलेगी तो ही तुम मेरी चूत में अपना लंड डालोगे।'
'मैं तैयार हूँ…'
'तो ठीक है कल रात हम तीनों…'
तभी अमित ने पूछ लिया- भाभी, आप भी गांड मरवाती हो?
'हाँ, अब मेरी गांड केवल मेरे रितेश के लिये है।'
इसके साथ ही मैंने अमित को उसके कमरे में जाने के लिये बोला।
अमित एक बार फिर मेरे होंठ को चूमा और फिर अपने कमरे में चला गया।
अमित के जाते ही रितेश को कॉल करके सारी कहानी बताई और यह भी बताया कि उसके जीजा को मूत पिलाने के साथ साथ खूब गाली भी दी और वो उफ भी नहीं कर पाया।
उधर से रितेश बोला- आकांक्षा, तुम वास्तव में सेक्स की देवी हो। अच्छे-अच्छे को अपना गुलाम बना सकती हो।
रात को काफी देर तक जागने के बाद सुबह मेरी नींद नहीं खुल रही थी और बहुत ही सर दर्द कर रहा था पर ऑफिस से फोन आने पर न चाहते हुए भी मुझे जाना पड़ा।

कहानी जारी रहेगी।
 

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