Lustyweb's Exclusive Story Contest 2022 ➣ Reviews & Comments Thread

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दिल से दिल तक
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साजिश - Mahi Maurya

रोचक कहानी रही ये ।
प्यार की जुनूनियत और बदले की भावना ।
इन दोनो से खुन्खार कुछ नही हो सकता ।
अच्छा सजीव विवरण और जिस तरह से कहानी को लेखिका ने सजाया है वो काफी सफल प्रस्तुति रही ।

हालांकि mystry suspence crime वाली कहानीया मै पढता नही , कारण है अच्छे लेखन कुशलता की कमी । ज्यादातर लेखक ऐसी कहानी को एक किसी लेखक के नजरिये से नही बल्कि फिल्म के निर्देशक के नजरिये से दिखाने की कोशिश करते है । क्योकि ज्यादतर कहानी किसी ना किसी फिल्म या वेबशो से प्रेरित ही होती है या फिर वो अच्छे crime stories को पढते नही है ।

लेखन एक कला है जिसमे एक एक शब्द और व्याकरणिक भावो का बहुत महत्व है ।
किसी कहानी को समझने के लिए पाठक को लेखक के तल पर अपनी वृति को उठाना पड़ता है । अब तक की पढी ऑनलाइन कहानीयो मे मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित सिर्फ एक ही लेखिका ने किया है । komalrani:declare:

शायद मै ज्यादा भटक गया था :D
यहा मेरा उद्देश्य लेखिका का स्तर कम करना नही है । उन्होने अपनी रचना बखूबी प्रस्तुत की है ।
ये मेरे दिल की भावना है जो हर बार थ्रिलर कहानी को पढने के बाद आती है ।
धन्यवाद आपका महोदय कहानी को इतना पसंद करने के लिए।।
आपकी बात सही है कि सबका अपना अपना कलेवर होता है। मुझे तो थ्रिलर, सस्पेन्स और प्रेम कहानियां बहुत पसंद हैं।
आपने जिन लेखिका की बात की उनकी बात ही निराली है। erotica क्या होता है उसका जवाब उनकी कहानियों में मिल जाएगा।।
 
दिल से दिल तक
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Jabardast thriller yaar akhir tak hum uljhe rahe qatil kaun badhiya kahani maja aa gawa lalach aur nafrat ke liye qatal hua uska
धन्यवाद आपका बहुत बहुत महोदय कहानी पसंद करने के लिए।।
 
दिल से दिल तक
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Mahi Maurya ji sajish pure story padhne ke bad ant me jakar pata chala ki aakhir kissa kiya tha. Itni bariki se aur ek ek sajish ko racha gaya saath hi pathako ko bhanak bhi nehi lagne diya ki asli sajish karta kaun hai.

Ritika jiski khoon hua karne wala kaun iss gutti ko suljhane me ek tarf commissioner agney tripathi to dusri aur Aditya aur chaitany.

Suljhate suljhate samne aayi ek paheli paheli se nikla rat cat yehi aakar pathko ke dimag me paka khalbli machega ki ye rat cat ki gutti sulje to suljhe kaise.

Khair gutti suljhi aur pata chla katil koyi aur nehi adity hai. Par sirf gunhgar adity nehi hai kahi na kahi ritika bhi gunhgar hai. Usne sirf skarshn ke chlte ek jindgi barbad kar diya.

Sirf itna hi nehi ritika galt kamo me lipt thi aur uska saath commissioner agney tripathi ne diya dono ke bich kaha suni ke chlte commissioner ne goli chalya par ritika bach gayi. Is bat ka phaiyda Aditya ne uthya aur ritika ka khoon kar diya.

Puri kahani ke read karne ke bad laga agar koyi gunhgar hai to vo hai ritika kyuki ritika ke kiye saluk ke karan hi Aditya ne uska khoon kiya.

Sajish naam ko apne ghatnao aur kirdaro ke abhinay se sarthk karke dikhaya.:adore:
बहुत बहुत धन्यवाद आपका महोदय इस शानदार समीक्षा के लिए।।
हमने पूरी कोशिश की कि कहानी को बेहतर से बेहतर तरीके से पेश करूँ लेकिन कुछ कमी तो रह ही जाती है।
रीतिका भी गुनहगार थे आदित्य भी गुनाहगार था और चैतन्य भी। सभी इस गुनाह में बराबर के शरीक थे। लेकिन आखिर मेंजो प्रश्न उठा था वो मुझे भी समझ मे नहीं आ रहा है कि असल कातिल कौन है।
 
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✳️✳️❇️साजिश❇️✳️✳️
🍁🌼🍁🌼💖🌼🍁🌼🍁
Prefix- Suspence,
बहुत बहुत धन्यवाद आपका महोदय इस शानदार समीक्षा के लिए।।
हमने पूरी कोशिश की कि कहानी को बेहतर से बेहतर तरीके से पेश करूँ लेकिन कुछ कमी तो रह ही जाती है।
रीतिका भी गुनहगार थे आदित्य भी गुनाहगार था और चैतन्य भी। सभी इस गुनाह में बराबर के शरीक थे। लेकिन आखिर मेंजो प्रश्न उठा था वो मुझे भी समझ मे नहीं आ रहा है कि असल कातिल कौन है।

असल गुनहगार कौन इस पार सवाल छोड़कर ही अपने इस कहानी की रोचकता को ओर बड़ा दिया है।
 
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एक प्यारा सा वादा

कहानी बहुत ही शानदार था। एक ऐसी प्रेम कहानी जिसमे संभावित भरोसा और विश्वास था।

सभी घर का जिम्मा सुधा अपने कंधे पर उठा रखी थीं फिर भी उसे घर वालों का तिरस्कार सहना पड़ा। एक अकेली मां बाप बहन जीजा सभी की सुनती रहीं सिर्फ सुनी नहीं नौकर जैसा सलूक किया गया।

इतना कुछ होने के बाद भी सुधा को झुका नहीं पाई। सिर्फ सुधा ही नहीं प्रकाश को भी कितना अपमानित किया गया पर वो सुधा से किए वादे पर अडिग रहा। अंत में सभी को दोनों के प्यार की आज झुकना पड़ा।
 
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कहानी बहुत ही शानदार था। एक ऐसी प्रेम कहानी जिसमे संभावित भरोसा और विश्वास था।

सभी घर का जिम्मा सुधा अपने कंधे पर उठा रखी थीं फिर भी उसे घर वालों का तिरस्कार सहना पड़ा। एक अकेली मां बाप बहन जीजा सभी की सुनती रहीं सिर्फ सुनी नहीं नौकर जैसा सलूक किया गया।

इतना कुछ होने के बाद भी सुधा को झुका नहीं पाई। सिर्फ सुधा ही नहीं प्रकाश को भी कितना अपमानित किया गया पर वो सुधा से किए वादे पर अडिग रहा। अंत में सभी को दोनों के प्यार की आज झुकना पड़ा।
Bahut bahut shukriya dost :hug:
 
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Kalpna ka Sapna
यह कहानी है निखिल और कल्पना की है
कहानी शुरू होती है निखिल के घर से, आज सुबह उसकी बहन अपने कॉलेज के लिए लेट हो रही थी उसने निखिल से आग्रह किया कि वह उसकी मदद करें और उसे कॉलेज छोड़ आए।
निखिल अपनी बहन से बहुत प्यार करता है और उसकी सारी बात मानता है , उसे ऑफिस के लिए देरी हो रही थी फिर भी वह अपनी बहन को मना नहीं कर पाया।
निखिल अपनी बहन को बाइक से उसके कॉलेज छोड़ने गया, कॉलेज के पास पहुंचते ही उसकी बहन बोली, भैया प्लीज आज मुझे ड्राइव करने दीजिए, मैं अपने कॉलेज के दोस्तों को इंप्रेस करना चाहती हूं।
निखिल मान गया, अब निखिल की बहन उससे पीछे बैठा कर बाइक चलाने लगी, कॉलेज में उसके दोस्त उसे बाइक चलाता देखकर बहुत इंप्रेस हो गए। कॉलेज पहुंचते ही उनका फोटो खींचना चालू हो गया। निखिल थोड़ा दूर जाकर खड़ा हो गया और इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद उसने देखा कि उसकी बहन की अच्छी दोस्त कल्पना उसकी तरफ आ रही थी, निखिल कल्पना को पसंद करता था पर यह बात कभी उससे कह नहीं पाया। कल्पना निखिल के पास आकर उसका हालचाल पूछने लगी, निखिल को बहुत हैरानी हुई क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। थोड़ी देर बाद कल्पना ने कहा कि क्या निखिल उसे बाइक चलाने में मदद करेगा। निखिल थोड़ा हैरान था उसे समझ नहीं आ रहा था की कल्पना ने उससे मदद क्यों मांगी है
कल्पना ने बताया कि उसके घर में कोई उसे बाइक नहीं चलाने देता और क्योंकि निखिल अपनी बहन के साथ बाइक पर आया तो कल्पना को लगा कि शायद निखिल उसकी मदद कर देगा ।
निखिल ने हां कह दिया, कल्पना ने पूछा कि क्या आज दोपहर कॉलेज के बाद वह बाइक चला सकती है, निखिल तुरंत बोला की दोपहर में तो वह अपने ऑफिस में होगा, यह बोलते ही निखिल को लगा कि उसने अच्छा खासा मौका गवा दिया है पर वह कर भी क्या सकता था।
कल्पना ने फिर पूछा की नकल का ऑफिस कब तक का होता है, निखिल ने इस बार थोड़ा सोच कर बोला कि आज 5:00 बजे वह ऑफिस से फ्री हो जाएगा।
कल्पना खुश हो गई, उसने निखिल से कहा कि क्या वह कल्पना को 6:00 बजे कॉलेज से ले जाएगा, निखिल भी खुश हो गया।
आज पूरा दिन ऑफिस का बहुत बड़ा लग रहा था क्योंकि शाम को कल्पना से जो मिलना था, निखिल को पता था कि वह थोड़ी देर के लिए ही मिल पाएगा पर उसके लिए यह भी बहुत था। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वह कल्पना के साथ जा पाएगा
शाम को निखिल ठीक 6:00 बजे कल्पना को लेने पहुंच गया, कल्पना ने कहा कि क्या निखिल कोई ऐसी जगह जानता है जहां लोग कम हो क्योंकि उसे बाइक ठीक से चलानी नहीं आती है, निखिल उसे वहां से थोड़ी दूर बाइक सिखाने वाली जगह पर ले गया। कल्पना ने बाइक चलाना शुरु किया, उसे ठीक-ठाक बाइक चलानी आती थी, निखिल को उसे गाइड करने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई पर फिर भी यह एक्सपीरियंस अपनी बहन को बाइक चलाने के एक्सपीरियंस से काफी अलग था। निखिल कल्पना की तारीफ करने लगा कि वह बहुत अच्छा चलाती है और वह बेकार में डर रही थी वह चाहे तो कॉलेज में भी चला सकती है। यह सब सुनकर घटना बहुत खुश हो गई और खुशी में उसका संतुलन बिगड़ गया। निखिल ने संभालने की कोशिश भी बहुत की पर झिझक के कारण वह कल्पना को ढंग से नहीं पकड़ पाया और वह दोनों गिर गए।
निखिल को ज्यादा चोट नहीं आई थी परंतु कल्पना को थोड़ी चोट लग गई थी, निखिल यह देख कर बहुत परेशान हो गया उसने बाइक साइड में लगाई और कल्पना की चोट को देखने लगा, चोट बहुत ज्यादा गहरी नहीं थी पर फिर भी कल्पना बहुत रोई सी हो गई थी। निखिल कल्पना से माफी मांगने लगा। कल्पना ने कहा कि इसमें निखिल की कोई गलती नहीं है । निखिल ने पूछा की कल्पना इतना क्यों रो रही है क्या उसे बहुत दर्द हो रहा है। कल्पना ने कहा कि उसे दर्द नहीं हो रहा है पर उसे डर लग रहा है कि आज के बाद वह बाइक नहीं चला पाएगी। निखिल ने उसका हौसला बढ़ाते हुए कहा की सीखते हुए ऐसे छोटे-मोटे एक्सीडेंट तो हो जाते हैं, परेशान मत हो मैं तुम्हें सिखाता रहूंगा। कल्पना ने निखिल को बहुत धन्यवाद दिया पर फिर भी उसकी उदासी खत्म नहीं हो रही थी। निखिल ने फिर से पूछा क्या बात है। कल्पना ने बताया कि वह इस चोट के साथ अपने घर नहीं जा सकती नहीं तो उसके घर वालों को पता चल जाएगा और वह उसे कभी बाइक नहीं चलाने देंगे। निखिल ने कहा बस इतनी सी बात तुम आज हमारे साथ रुक जाओ। यह सुनकर कल्पना ने कहा कि वह अपनी दोस्त को भी बात नहीं बताना चाहती। निखिल ने बताया कि उनका एक फ्लैट खाली है जिसमें पहले किराएदार रहा करते थे, कल्पना चाहे तो वहां रह सकती है, कल्पना यह सुनकर बहुत खुश हो गई।
निखिल और कल्पना थोड़ी ही देर में फ्लैट पर पहुंच गए, फ्लैट थोड़ा छोटा था, वहां पर एक ही बेडरूम था और एक ड्राइंग रूम था। कल्पना सोफे पर बैठ गई और निखिल कुछ दवाइयां ले आया। निखिल में दिखाओ की कल्पना के हाथ में भी चोट थी और उसका घुटना बिछड़ गया था, निखिल ने दवाई लगा दी । निखिल ने कहा की कल्पना कपड़े चेंज कर ले जिससे वह घुटने पर भी दवाई लगा दे तभी उसे समझ आया की कल्पना की कपड़े तो वहां है ही नहीं। निखिल घर गया और अपनी बहन का एक सूट ले आया। कल्पना के हिसाब से वह सूट थोड़ा बड़ा था पर उसके पास कोई और रास्ता भी नहीं था। निखिल ने कल्पना से पूछा कि उसे कहां-कहां चोट लगी है। कल्पना ने बताया कि उसे थोड़ी चोट कमर पर भी लगी है। निखिल कल्पना की कमर पर दवाई लगाने लगा तभी उसे महसूस हुआ की कल्पना अपने अंदर कुछ नहीं पहना हुआ है। निखिल को अपनी गलती का एहसास हुआ, वह सूट तो ले आया पर वह अंडरगारमेंट्स तो लाया ही नहीं।
निखिल ने खाना बाजार से ऑर्डर कर दिया। निखिल और कल्पना नहीं रात के खाने के साथ बहुत सारी बातें करी। कल्पना को निखिल के साथ बातें करना बहुत अच्छा लग रहा था, उसको पहली बार यह लगा कि वह निखिल को कभी जानते ही नहीं थी , उसके मन का जो डर था वह धीरे धीरे कम हो रहा था । काफी रात हो गई थी निखिल ने कहा कि क्यों ना आप सोया जाए, निखिल ने कहा की कल्पना अंदर कमरे में सो सकती है और निखिल बाहर सोफे पर सो जाएगा। यह सुनकर कल्पना को बहुत अच्छा लगा उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह निखिल का कैसे शुक्रिया अदा करें। कल्पना अंदर सोने चली गई और निखिल बाहर लेट गया।
रात में कल्पना की नींद खुली तो उसे प्यास लग रही थी, वह बाहर आई और उसने देखा कि निखिल ठंड के मारे सोफे पर बड़ी मुश्किल से लेटा हुआ है। कल्पना को यह अच्छा नहीं लगा और वह सोचने लगी कि वह किस तरह निखिल की मदद करें तभी उसे एक विचार आया। कल्पना ने निखिल को जगाया और बोली आप भी मेरे साथ अंदर ही लेट जाइए। निखिल बोला पर यह कैसे मुमकिन है, कल्पना ने कहा कि हम दोनों एक दूसरे से दूसरी तरफ मुंह करके लेट जाएंगे, निखिल यह नहीं समझ पा रहा था कि वह इस बात को माने या नहीं पर कल्पना के मनाने पर मान गया और दोनों बेड पर जाकर लेट गए।
कल्पना को अब बहुत डर लग रहा था, उसने बोल तो दिया पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि कहीं कुछ गलत ना हो जाए और तू बहुत देर तक जाग रही है। काफी देर जागने के बाद कल्पना कब सो गई उसे पता ही नहीं चला। निखिल का भी हाल कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था उसको भी नींद नहीं आ रही थी, वह दूसरी तरफ लिखने के बावजूद भी कल्पना को महसूस कर पा रहा था और यह सोच सोच कर उसे बहुत अजीब लग रहा था कि कल तक जिससे वह बात भी नहीं कर पा रहा था आज वह उसके पीछे लेटी है। उसके मन में सब तरह की भावनाएं जागृत हो रही थी और ना चाहते हुए भी उसका मन बार-बार उसे कह रहा था कि वह एक परी कल्पना को पीछे मुड़ कर देखें । निखिल बहुत देर तक अपने आप को कंट्रोल करता रहा और वह भी थोड़ी देर में सो गया।
निखिल का दिमाग सोते हुए भी सिर्फ कल्पना के बारे में ही सोच रहा था ।
निखिल और कल्पना दोनों सो चुके थे और थोड़े ही देर में कल्पना ने अपना पैर निखिल के ऊपर रख दिया। निखिल जो अभी भी कल्पना के बारे में ही सोच रहा था एक सपने में खो गया।
निखिल ने सपने में अपना आपा खो दिया था और वह कल्पना को किस कर रहा था। सपने में निखिल ने देखा की कल्पना भी अपना आपा खो चुकी है और वह भी निखिल को उसी प्यार के साथ किस कर रही है, कुछ ही देर में खेलने कल्पना का सूट निकाल दिया, उसने अंदर कुछ नहीं पहना हुआ था, कल्पना मुस्कुराई और उसने कहा कि तुम जान पूछ कर कुछ लेकर ही नहीं आए। इतना सुनते ही निखिल ने अपना मुंह कल्पना के स्तन पर लगा दिया। कल्पना जोर जोर से सांस लेने लगी और निखिल उसके स्तन को चूसने में लगा हुआ था। धीरे धीरे निखिल अपना मुंह कल्पना के टांगो तक ले गया। निखिल कल्पना की च** को चाटने लगा। कल्पना सिसकियां ले रही थी और अनुभूति को समझ नहीं पा रही थी। जैसे-जैसे निखिल की जीभ काम कर रही थी वैसे वैसे कल्पना का अपने आप पर से वश छूटता जा रहा था। आखिर में वह लम्हा आ ही गया जब कल्पना को परम आनंद प्राप्त हुआ। अब कल्पना की बारी थी, कल्पना धीरे धीरे से नीचे पड़ी है और निखिल के ल** को छूने लगी, कल्पना के छूते ही मानो निखिल की पूरे जिस्म में बिजली की कौंध गई हो।
यहां हकीकत में कल्पना ने अपना पैर निखिल के ऊपर रखा हुआ था और वहां सपने में निखिल को ऐसा लग रहा था की घटना उसके ल** को सहला रही है। निखिल का ल** उफान मार रहा था। धीरे धीरे कल्पना ने अपनी जीभ निखिल के गुप्तांग से छुई और निखिल का वीर्य निकलना शुरू हो गया। यह होते ही उसकी नींद खुल गई और उसने देखा की उसका पजामा गीला हो चुका है। कल्पना का पैर भी निखिल के ऊपर ही रखा हुआ था और निखिल को डर था कि कहीं कल्पना इस गीलेपन को महसूस ना कर ले। निखिल हिल भी नहीं सकता था इस डर से कि वह कल्पना को जगा देगा। निखिल को अब अच्छा नहीं लग रहा था और उसे अपनी ऐसी सोच पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
निखिल सुबह उठा तो कल्पना उसके साथ नहीं थी। निखिल को लगा कि कहीं कल्पना को सब पता तो नहीं चल गया और वह चली तो नहीं गई। निखिल ने जब बाहर देखा तो कल्पना नाश्ता बना रही थी। निखिल को उसे देख कर बहुत खुशी हुई और उसने राहत की सांस ली है। निखिल जल्दी से तैयार हो गया और कल्पना और निखिल ने साथ नाश्ता किया। कल्पना ने बताया कि उसे लगता है कि उसकी चोट 2 या 3 दिन में ठीक हो जाएगी और फिर वह वापस अपने घर जा सकेगी। निखिल को यह सुनकर अच्छा नहीं लगा, उसे कल्पना के साथ रहना अच्छा लग रहा था। निखिल ने कहा कि वह आज ऑफिस की छुट्टी ले लेता है परंतु कल्पना ने कहा किसी कोई जरूरत नहीं है और वह निश्चिंत ऑफिस जा सकता है। कल्पना अपना ध्यान रख लेगी।
निखिल शाम को जब ऑफिस से लौट रहा था तब बहुत जोर से बारिश होने लगी , निखिल घर पहुंचते-पहुंचते पूरी तरीके से भीग गया था। घर पर कल्पना ने भी सोचा कि वह अपने सभी कपड़े धो कर सुखा दे उसे क्या पता था कि शाम को बारिश होने वाली है, अचानक बारिश होता देख बाहर की तरफ भागी पर इतने वह कपड़े उतार पाती वह भी पूरी तरीके से भीग गई और उसके सारे कपड़े भी। निखिल जब घर पहुंचा तब पूरी तरह भीग चुका था और कल्पना भी उसी हालत में थी। निखिल को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करेगा। निखिल ने अपने लिए कपड़े निकाले और जो सबसे छोटे कपड़े थे वह कल्पना के लिए निकाल लिए इस उम्मीद में कि शायद कल्पना को ठीक से आ जाए। थोड़ी देर बाद दोनों ने कपड़े बदल लिए। निखिल ने कमरे का हीटर की ऑन कर दिया था क्योंकि उसे डर था कहीं दोनों को ठंडा लग जाए । जब कल्पना उसके सामने आई तो वह ढीले ढाले कपड़ों में जोकर की तरह लग रही थी। कल्पना को देखते ही निखिल को बहुत जोर से हंसी आ गई, यह देखकर कल्पना रोई सी हो गई। निखिल ने अपनी हंसी रोक कर कल्पना से माफी मांगना शुरू कर दिया और निखिल ने कहा कि कल्पना इन कपड़ों में भी बहुत सुंदर लग रही है। कल्पना ने कहा कि निखिल अभी उसकी टांग खींच रहा है। निखिल ने फिर माफी मांगी और कहा की कल्पना उसे माफ कर दे और जो कल्पना सजा देगी वह निखिल को मंजूर होगी। कल्पना को हंसी आ गई और उसने निखिल को चढ़ाते हुए पूछा क्या मैं कुछ भी सजा दे सकती हूं, निखिल अचंभित रह गया पर फिर भी उसका जवाब था हां।
कल्पना ने कहा कि वह चाहती है कि निखिल एक गाना गाए और उस पर डांस करके दिखाएं, निखिल दंग रह गया। निखिल ने कहा कि उसे डांस करना नहीं आता है, यह सुनकर कल्पना ने कहा की फिर तो यह बिल्कुल सही सजा है और निखिल को डांस करना ही पड़ेगा साथ में उसने अपना फोन भी निकाल लिया और कहा कि वह यह सब रिकॉर्ड करेगी और भविष्य में निखिल को ब्लैकमेल भी कर सकती है। निखिल हंसने लगा और बोला जो हुकुम मेरी शहजादी। निखिल ने अपनी बेसुरी आवाज में गाना शुरू कर दिया और साथ में नाचने भी लगा वह बिल्कुल जोकर की तरह लग रहा था यह देख कर कल्पना को बहुत हंसी आ रही थी और वह जो जोर से हंस रही थी। निखिल को भी अच्छा लग रहा था करना को हंसते हुए देखकर। थोड़ी देर बाद निखिल ले फोन पर गाना चला दिया और कल्पना से बोला क्या वह उसका साथ देगी। कल्पना भी तैयार हो गई और अब वह दोनों साथ में नाचने लगे। थोड़ी देर नाचने के बाद दोनों थकने लगे तो वह धीरे-धीरे एक दूसरे के पास आ गए, कल्पना ने अपना सर निखिल की छाती पर रख दिया और दोनों एक दूसरों की बाहों में आकर धीरे धीरे पास आने लगे।निखिल और कल्पना दोनों ही एक दूसरे की बाहों में खो गए थे तभी निखिल को कल्पना का पूरा शरीर महसूस होने लगा और देखते ही देखते उसका लिंग भी खड़ा हो गया। कल्पना भी निखिल के लिंग को महसूस कर पा रही थी पर उसने कुछ नहीं कहा उसने सोचा कि कहीं कुछ बोलने से निखिल को बुरा ना लग जाए। निखिल की हालत हर गुजरते पल के साथ बेकाबू होती जा रही थी उसका शरीर उसकी नहीं सुन रहा था और धीरे-धीरे उसका ल** निखिल और कल्पना के बीच में फस गया और उन दोनों की शरीर मिलकर उसे सहलाने लगे। निखिल अब पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुका था और वह अब कल्पना को नहीं छोड़ सकता था वही कल्पना को भी अनचाहा एहसास हो रहा था और उसे भी यह साथ अच्छा लगने लगा। दोनों कुछ नहीं बोले और एक दूसरे को गले लगाए धीरे धीरे हिल रहे थे। निखिल और कल्पना के जिस्म एक दूसरे से बातें कर रहे थे, कल्पना और निखिल दोनों ने ही हल्की सी कमीज पहनी हुई थी और अब उनको ऐसा लग रहा था जैसे वह दूसरे के शरीर को भी छू रहे हो। कुछ देर बाद निखिल अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया और उसका वीर्य निकलने लगा। कल्पना भी अपने एहसास की गहराइयों में थी। निखिल उस मंत्र मुक्त अवस्था से बाहर आया और अचानक से रुक गया। निखिल के रुकने से कल्पना भी मदहोशी से बाहर आ गई और उसने निखिल को छोड़ दिया, निखिल भी धीरे से बाथरूम की तरफ बढ़ गया।

यह सब होने के बाद कल्पना और निखिल एक दूसरे से ठीक से बात नहीं कर पा रहे थे। कल्पना ने खाना लगा दिया और खाने के बाद दोनों ने मिलकर बर्तन धो दिया। दोनों सोने के लिए अपने कमरे में चल रही है और एक दूसरे की तरफ पीठ करके लेट गए। निखिल को जल्दी ही नींद आ गई पर कल्पना बहुत देर तक सोचती रही और वह समझ नहीं पा रही थी कि आज जो हुआ है क्या वह सही है। कल्पना सोचते सोचते अपनी नींद में चली गई। कल्पना अपने सपने में भी निखिल को अपने साथ देखा।

कल्पना के सपने में भी वह निखिल की बाहों में थी और दोनों एक दूसरे को कस के पकड़े हुए थे। कल्पना ने देखा की वह बहुत देर तक निखिल के साथ थी। जैसे-जैसे सपना आगे बढ़ा कल्पना ने देखा कि धीरे-धीरे उसके शरीर से कपड़े कम होते जा रहे हैं। शुरुआत में उन दोनों ने वही कपड़े पहने हुए थे जो शाम में पहने हुए थे परंतु धीरे-धीरे वह गायब होना शुरू हो गए पहले निखिल की शर्ट गायब हो गई और फिर कल्पना टी-शर्ट भी गायब हो गई। अब कल्पना अपने स्तन के ऊपर निखिल का सीना महसूस कर पा रही थी और उसे लग रहा था कि निखिल के हाथ उसकी कमर पर है और उसके हाथ निखिल की कमर पर। दोनों ने एक दूसरे को कस कर पकड़ा हुआ है और कल्पना के स्तन पूरी तरीके से निखिल के सीने में दफन हो गए हैं। कुछ देर बाद निखिल की जींस भी गायब हो गई और कल्पना का पजामा भी नहीं रहा अब वह निखिल के ल** को उसके कच्छे मैं तड़पता देख पा रही थी। उसे लग रहा था कि किसी भी पल यह भी गायब हो जाएगा और अगले ही पल निखिल का लिंक कल्पना एक प्रवेश कर जाएगा। कल्पना अब निखिल के पैरों के ऊपर खड़ी थी और किसी भी वक्त उसकी च** में प्रवेश होने वाला है, कल्पना थोड़ी डरी हुई थी पर वह निखिल को जाने देना भी नहीं चाहती थी। जैसे ही निखिल का अंडरवियर गायब हुआ और कल्पना को लगा कि उसके अंदर अब प्रवेश होने वाला है उसकी आंखें खुल गई और उसने देखा कि उसने अपना हाथ अपने गुप्तांग पर रखा हुआ है और किसी भी वक्त उसकी उंगली अंदर घुसने को तैयार है। कल्पना झटके से उठ गया पर उसने देखा कि निखिल महान नहीं है। कल्पना ने राहत की सांस ली और उम्मीद की कि निखिल ने कुछ ना देखा हो।
Bahut badhiya kahani billu dost lekin kalpna ko kalpna me ganda kar diya kinna ganda ho gawa ju :slap: inna achcha story likha thoda aur likhta to maja aur aata
 
Eaten Alive
4,118
4,183
143
Story - कर्मों का फल
writer - Mahi Maurya
prefix - non - erotica

Kahani - jagdish ek aisa aawara saand tha jo galat ladko ke palle padke hawasi no 1 ban gaya...bilkul mahendra budhau aur uske bete nischal ki tarah.....uska hawas itna badh gaya ki usko rokne ke liye uske ma baap ne uski shaadi puja se kara di....lekin jagdish thehra aawara saand ek se kaha khush rehne wala tha,..... So usne phir se dusre ladkiyon ke sath hawas ka khel khelne laga aur ghar aake apni biwi puja ko maarne pitne laga. puja jab apne pati ke kartuto ke bare mein pata chala to khudkhushi kar li.... lekin mazal hai jo jagdish sudhar jaaye.... Par is hawas ki raah pe lili naam ki aisi ladki mili ki uski puri soch , ghamand aur jindagi ko badal ke rakh di..... Kyunki kamini pan ke mamle mein wo jagdish se hazar kadam aage thi.....aur jagdish ke bete jatin ko bhi khud ki tarah bana diya.... Khair lili ke marne ke jatin ka atyaachaar chalu hua uski biwi aur baap jagdish par.... tab jaake jagdish ko ehsaas hua ki wo kitna galat kiya tha puja ke sath..... ab pachtane se kya hoga jab chidiya chug gayi khet... kayi tikram lagaye, police mein bhi complain ki par sab dhari ki dhari... Lekin ishi bich jatin ka accident hua aur kahani ne apni rukh badli..... jatin ko thik karne ke liye seva antara ka seva aur jagdish ka samjhana jaise jadu sa ashar kiya ho uske dilo dimag pe.. aur jatin sudhar gaya.... apni biwi se bhi maafi maang li....

Aati hun review pe......
Well kahani.... kiye huye paapo ki saza, galtiya, ahmiyat aur chup chaap julm sehne par kiya hota hai ishi par adhaarit hai....
Jagdish ne galtiya ki ...paap kiya, ahmiyat na samjhi puja ki badle mein usko saza mili ... uski dusri biwi aur bete ke jarire.
Lili ne paap ki...., jagdish ke maa baap bahan ko ghar nikal diya aur jatin ko barbaad karne ki koshish ki to kabhi na thik ho paane wali bimari se grasth hoke maari gayi....
Jatin ne galti aur paap ki.....apni biei aur pita ke ahmiyat samajh na paya to usko bhi saza mili accident ke jariye...
Puja ki galti ye thi ki wo uske upar huye julm ko sehti rahi.... julm karne se zyada julm sehna bada paap hai... Natiza saamne hai.... same situation antara ke sath bhi hua hai .... Lekin is mamle mein uske sath uska sasur jagdish khada raha isliye wo jatin ke dwaara kiye gaye julm ke khilaaf aawaaz uthayi .

My favorite part - jab lili ne jagdish ka hath madod di thi aur jab antara ne dande se jatin ki dhunai ki thi :laugh1:

My point of view....... is kahani se savita, raghav, nischal aur in logo ke ma baap naina aur mahendra budhau ko sikh leni chaahiye.....:D wo jo galti kar rahe hai baar baar lagatar uski saza unko bhi mil sakti hai.... Isliye behtar yahi hoga ki sarita aur uski family se door rahe..... Warna consequences ke taiyar rahe :dwarf:

Shaandaar kahani, shaandaar lekhni, shaandaar shabdon ka chayan sath dilchasp kirdaaron ki bhumika bhi dekhne ko mili hai...

hope ki aage bhi aisi kahaniya padhne ko milegi..
Brilliant storyline with awesome writing skills :clapping: :clapping:
 
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Eaten Alive
4,118
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Story - Kalpna ka Sapna
writer - XP 007

Well.... bike sikhne ke chakkar mein aur girkar chhot lagne ke chakkar nikhil aur kalpana ke bich wo sab incidents hua....
I mean to say... hakikat mein bhi aur sapne mein kuch zyada... :D
Hawas ki aag mein jal dono rahe the ... Par saamne se ye cheej dikhane se dono hi dar rahe the.... isliye mann mein hi wo hawas dab ke reh gaya tha... aur shayad dono hi ek dusro ko chaahne bhi lage the... dusri taraf ek flat mein dono akele.... inhi sabhi Ghatana karm ke chalte wo ek hi tarah ke sapne aaye dono ko.... sapne mein dono sex kar rahe the.....fark bas itna tha ki nikhil ko ek raat pehle jo sapna aaya wohin sapna agli raat kalpana ko aaya...
ab iske aage kya hua......kya Kalpana aur nikhil ne kya kiya.... ye to bas writer sahab hi jaane.... :D

Shaandaar kahani, shaandaar lekhni, shaandaar shabdon ka chayan sath dilchasp kirdaaron ki bhumika bhi dekhne ko mili hai... :D
Brilliant storyline with awesome writing skills :clapping: :clapping:
 
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