Incest माँ का आँचल और बहन की लाज़(completed)

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" किययाया..?? क्या कहा तुम ने ..ज़रा फिर से बोल तो..? मैने ठीक सुना ना ..?? " उसकी आवाज़ में अधीरता , घबडाहट और आश्चर्य के भाव कूट कूट कर भरे थे ...आवाज़ कांप रही थी ..

: " हां भैया तुम ने बिल्कुल ठीक सूना ..मैं शादी तुम से ही करूँगी ..वरना मैं जिंदगी भर कुँवार रहूंगी .... " शिवानी का चेहरा बिल्कुल वैसा ही था कोई बदलाव नहीं ..भाव शून्य ..

" मुझ से शादी करेगी तू..अरे कुछ समझ भी आता है तुझे क्या बक रही है... "

इस बार शिवानी चूप है ..कुछ नहीं बोलती बस शशांक की ओर देखती रहती है ..उसकी आँखों में अपने लिए असीम प्यार , तड़प और चाहत की झलक दीखाई देती है शशांक को ...

शशांक समझ जाता है इसे इतनी आसानी से समझाना मुश्किल है ...

वो उसके करीब जाता है उसका चेहरा अपने हाथ में बड़े प्यार से थाम लेता है ...उसके बाल सहलाता है ...और बोलता है

" देख शिवानी मैं समझता हूँ तेरे दिल का हाल..पर बहेना यह कैसे संभव है ....अगर यह हो सकता था तो क्या मैं नहीं चाहता तुझ से शादी करना ..? शादी की बात छुपाई नहीं जा सकती ना शिवानी ..सारी दुनिया को मालूम हो जाएगा ...आपस में सेक्स की बात छुप सकती है ..पर शादी की बात? ..तुम ही बताओ ना ?" शशांक बड़ी नर्मी और प्यार से समझाता है शिवानी को...

" ह्म्‍म्म्म..तो इसका मतलब हुआ भैया, कि अगर शादी की बात भी अगर किसी तरह छुपाई जा सके तो तुम मुझ से शादी करोगे ..?? " शिवानी के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट आती है ..उसे एक बड़ी धीमी और पतली सी रोशनी की किरण झलकती है..

पर शशांक एक बड़ी द्विविधा में फँस जाता है...वो कुछ नहीं बोल पाता , चूप रहता हुआ शिवानी की इन बातों का उसके पास कोई जवाब नहीं..

" बोलो ना भैया ..प्लीज़ बोलो ना ..तुम चूप क्यूँ हो गये ......? " शिवानी उसकी ओर बड़ी हसरत लगाए देखती है ...

" तू समझती क्यूँ नहीं बहेना ..? आख़िर हम सगे भाई बहेन हैं ना ..." शशांक बोलता है..पर उसकी आवाज़ खोखली है ..उसमें कोई भी दृढ़ता नहीं ..कोई वज़न नहीं ...

" भैया जब तुम सग़ी बहेन को चोद सकते हो..उसकी चूचियों से खेल सकते हो..उसकी चूत में अपना लंड डाल सकते हो..फिर शादी क्यूँ नहीं कर सकते..? क्या तुम्हारा प्यार सिर्फ़ वासना है ...मेरे शरीर से खेलने का सिर्फ़ एक बहाना है..??"

" शिवानी तू क्या बक रही है यार..तेरा दिमाग़ तो सही है ना..." शशांक झल्लाता हुआ बोलता है .

" भैया ..मेरा दिमाग़ आज ही तो सही है ..वरना आज तक तो मैं पागल की तरेह तुम्हें कुछ और ही समझ बैठी थी .." उसकी आँखों में अब वो प्यार और तड़प नहीं वरन एक बहोत ही निराशा की झलक दीखती है शशांक को...जैसे अपनी जिंदगी से हताश हो गयी हो...
 
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उसकी ऐसी हालत देख शशांक कांप उठ ता है ..

और आखरी दाँव चलाता है

" देख शिवानी ... मोम की तू कितनी इज़्ज़त करती है और प्यार भी.....है ना ..?"

शिवानी हां में अपना सर हिलाती है ..

" तो फिर तू भी जैसे मोम अपने पति और मेरे बीच अपना प्यार बाँट सकती है ..तू क्यूँ नहीं ?? शिवानी...प्लीज़ ..समझो ना मेरी बात ..इसमें सब की भलाई है .." शशांक गिड़गिडाता हुआ बोलता है ..

" भैया ...मैं मोम की इज़्ज़त करती हूँ और उनके इस रवैय्ये की भी प्रशन्शा करती हूँ..पर मेरे मुझमे और उनमें एक बड़ा फ़र्क है ..."

आज शिवानी पूरी तरेह तैयार थी ..उसके पास शशांक की हर बात का जवाब था.

" क्या फ़र्क है शिवानी ....??"

" मोम ऑलरेडी शादी-शुदा हैं , बच्चे हैं....उनके पास कोई चारा नहीं .....पर मेरी तो शादी नहीं हुई है ना...और शयाद मोम को भी अगर तुम उनकी शादी से पहले मिलते ना भैया तो वो भी वोही करतीं जो मैं करना चाह रही हूँ .... जब मेरे पास तुम्हारे जैसे मर्द से शादी का ऑप्षन है ..मैं किसी और से शादी सिर्फ़ नाम के लिए क्यूँ करूँ ..क्यूँ मैं जिंदगी भर एक दोहरा जीवन बीताऊं ..क्यूँ ..बोलो ना भैया क्यूँ ..?"

" उफफफफ्फ़ ..पर यह ऑप्षन कहाँ है शिवानी तेरे पास...हम कैसे शादी कर सकते हैं ..? सारी दुनिया हम पे थूकेगी .."

" मैं जानती हूँ भाय्या ,,अचही तरेह जानती हूँ ...बस मुझे सिर्फ़ तुम्हारी हां चाहिए ....तुम इस लिए डरते हो ना कि सारी दुनिया को ना मालूम हो..अगर हम कोई ऐसा उपाय सोच लें ..यह ऐसा कोई रास्ता निकल आए तब तो तुम्हें कोई ऐतराज़ नहीं ना ..? हां और एक बात मोम और तुम्हारे बीच मैं नहीं आऊँगी .मैं अपना प्यार सिर्फ़ उन से बाँट सकती हूँ और किसी से नहीं .....बोलो ना भैया ..प्लीज़ ...?" अब शिवानी गिड्गिडा रही थी शशांक के सामने ..

उफफफ्फ़ इतना प्यार ..इतना तड़प ..शशांक ने कभी नहीं सोचा था कि उसकी यह इतनी नटखट बहेन भी इतनी बड़ी बड़ी बातें कर सकती है ..

शिवानी की बातों ने उसे झकझोर दिया था ..उसके सारे तर्कों को टुकड़े टुकड़े कर दिया था ..उनकी धहाज़्ज़ियाँ उड़ा दी थीं ....

शिवानी की बातें उसकी खोखली मान्यताओं का मज़ाक उड़ा रही थीं ..

" भैया प्लीज़ जवाब दो ..भैया ...प्लीज़......"

शशांक से अब और नहीं रहा जाता ..उसकी बहेन की बातें उसे हथोडे की तरेह चोट कर रही थीं ...वो तिलमिला उठा था ....भला उसकी इतनी हिम्मत कहाँ कि इस प्यार की झोली को खाली जाने दे ..बहेन आज अपनी लाज़ को दर किनार कर उसके सामने खड़ी थी ..प्यार की भीख माँग रही थी ..उसकी लाज़ तो बचानी ही है ना ......

वो हां में अपना सर हिलता है....

शिवानी खुशी से झूम उठ ती है ..मानों उसे स्वर्ग मिल गया हो...

शशांक से लिपट जाती है शिवानी..उसकी आँखों से आँसू की धारा फूट ती है ...फफक फफक कर रोती है...

" मैं जानती थी ..भैया मैं जानती थी.... "

थोड़ी देर तक दोनों एक दूसरे से लिपटे रहते हैं ..एक दूसरे की गर्मी और प्यार को अपने में समा लेने की कोशिश में हैं ..

शिवानी धीरे से अलग होती है ...अपने आँसू पोंछती है ..और शशांक से बोलती है

" भैया तुम्हें भगवान पर भरोसा है ना..??"

शशांक फिर हां में सर हिलाता है

" तुम देखना अगर हमारा प्यार सच्चा है ना ..तो भगवान ज़रूर कोई ना कोई रास्ता निकालेंगे ..ज़रूर ..तुम विश्वास करो..."

और तभी दरवाज़े पर किसी के होने की आहट आती है ...

दोनों चौंक पड़ते हैं , दरवाज़े की ओर देखते हैं ..

सामने मोम खड़ी थीं ..!!!!!!
 
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मोम को सामने देख दोनों के चेहरे पे हवाइयाँ उड़ने लगीं..दोनों सकते में आ गये ...

मों के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे ..वो बिल्कुल चुप थीं , धीरे धीरे नपे तुले कदमों से आगे बढ़ती गयीं ...

जब वो पास आईं ...दोनों फिर से अवाक़ रह गये ...उनकी आँखें फटी की फटी रह गयीं

मोम की आँखों से आँसुओ की अवीरल धारा फूट रही थी...आँसू बहे जा रहे थे ..आँखों से लगातार निकल निकल कर गालों से होते हुए उनकी नाइटी भींगती जा रही थी .....उनकी तरफ से आँसू रोकने की कोई कोशिश नहीं थी ...आँसू बस बहे जा रहे थे...

शांति उन दोनों के बीच खड़ी हो जाती है ...

शिवानी और शशांक को अपने गले से लगाती है ...और अब फूट पड़ती है ....उसकी हिचकियाँ निकल जाती हैं....

शिवानी और शशांक अभी भी भौंचक्के से मोम को देख रहे थे ..पर उनकी आँखों में आँसू देख उनका डर मिट गया था ....पर आश्चर्यचकित ज़रूर थे मोम के इस रूप को देख ...

तभी मोम कहती हैं.." हां बेटी तू ने बिल्कुल ठीक कहा ..मैं भी वोही करती जो तुम अभी कर रही हो..हां शिवानी ..बिल्कुल वोही करती ..."

थोड़ी देर बाद अपने आप को अलग करती है और आँसू पोंछती है , उन दोनों के बीच एक कुर्सी खींच बैठ जाती है और कहती है ...

" शिवानी बेटा ..तेरा प्यार देख मेरा दिल भर आया ....तू अपना सब कुछ लूटाने को तैय्यार है...अपना सब कुछ ...मैने सब कुछ देखा और सुना ..मैं काफ़ी देर से तुम दोनों की बातें सुन रही थी ...पर शिवानी तुम शशांक को ग़लत मत समझो बेटी ..वो भी हम दोनों को उतना ही प्यार करता है ......मैं जानती हूँ ...अगर तुम किसी और से शादी कर भी लेती ना ..वो हम दोनों के लिए सारा जीवन कुर्बान करने को तैय्यार बैठा है शिवानी ....वो कभी किसी और से शादी नहीं करता ...उसका प्यार समझो...."

शिवानी एक दम से सकते में आ जाती है मोम की बाते सुन कर और भैया को अपनी बड़ी बड़ी आँखों से एक सवालिया नज़र से देखती है ...

शशांक बोलता है.." हां शिवानी मोम ठीक कह रही हैं ..मेरे जीवन में जब तुम दोनों हो मुझे किसी और की ज़रूरत ना आज है ना कभी होगी ..हां शिवानी..."

शिवानी शशांक से लिपट जाती है और अपना चेहरा उपर करते हुए शशांक से बोलती है " भैईय अगर माफ़ कर सको तो मुझे माफ़ कर दो...मैने जाने क्या क्या कह दिया ...उफफफ्फ़ ..मैं अभी भी कितनी ना समझ हूँ ..भैया .."

शशांक उसके चेहरे को अपने हाथ से थामता हुआ कहता है " माफी कैसी शिवानी....वो सब बातें तुम्हारा गुस्सा यह घृणा नहीं थी बहेना .वो भी तुम्हारा प्यार था जो तुम्हें इस हद तक ले आया था ..मैं समझता हूँ .."

"भैया ..मैं कहती थी ना अगर मैं भटक भी जाऊंगी तो आप मुझे संभाल लोगे..?? देखा ना आप ने मुझे संभाला ना.. "

" हां बेटी शशांक जैसे मर्द बिरले ही होते हैं ....हम दोनों खूश नसीब हैं हमें इस जन्म में ही ऐसा प्यार करने वाला नसीब हुआ...वरना लोग तो जान जन्मान्तर तक सच्चे प्यार के लिए भटकते रहते हैं , मैं तो अब इस जन्म में शशांक को पति के रूप में अपना नहीं सकती...पर तू किस्मेत वाली है ...तेरे पास यह विकल्प अभी भी है...."

दोनों फिर से भौंचक्के हो कर मोम की तरफ देखते हैं ....मोम यह क्या बोल रही हैं ..????

थोड़ी देर तक कमरे में सन्नाटे की गूँज भर जाती है...

...उनके लिए प्यार अब इस हद तक पहून्च चूका था जहाँ सेक्स सिर्फ़ शारीरिक भूख मिटाने का एक वजह नहीं रह जाता ... उनके लिए सेक्स अपनी ज़ज़्बातों का एहसास दिलाने का एक ज़रिया बन जाता है .. ..जहाँ बातों का सहारा काफ़ी नहीं था ...उनके लिए प्यार अब अपनी पराकाष्ठा पर था ..जहाँ प्यार अपने आप का संपूर्ण समर्पण था ....और इस हद तक पहूंचने के बाद सेक्स सिर्फ़ भूख नहीं रह जाती ...बल्कि एक मात्रा भाषा रह जाती है एक दूसरे को इस हद तक एहसास दिलाने की.....जहाँ तन , मन और मश्तिश्क सब मिल जाते हैं ...कुछ भी बाकी नहीं रहता ...और एक दूसरे के लिए कुछ ही करने की हिम्मत आ जाती है ....

शांति अपने को इस मनोस्थिति में होने का प्रमाण उन दोनों को देती है ....खुद अगर इस प्यार को खूल कर जीवन पर्यंत भोग नहीं सकती तो अपनी बेटी को क्यूँ इस से वंचित रखें ..

और वो सन्नाटे को तोड़ती हुई बोलती है ..

" देखो तुम दोनों मेरी बातें ध्यान से सुनो , और जैसा मैं बोलूं वैसा ही करो ..मैने तो जितना मेरी किस्मत में था ..शशांक का प्यार अपनी झोली में भर लिया ..पर जब शिवानी के पास इस प्यार को खूल कर भोगने का रास्ता है ...तो वो क्यूँ ना भोगे .?"

" ओह मोम यह कैसे हो सकता है ..?" दोनों एक साथ पूछ बैठ ते हैं..

" हो सकता है बच्चों, हो सकता है..." और फिर शिवानी की तरफ देखती है.." शिवानी तुम ने कहा था शशांक से भगवान ज़रूर कोई रास्ता निकलेंगे.? रास्ता दिखाई देता है मुझे ..."

" वो कौन सा रास्ता है मोम ..??" शशांक पूछता है

" यहाँ तो मुमकिन नहीं ....यहाँ मतलब अपने देश में ..यहाँ कभी ना कभी कोई हमें जान ने वाला मिल सकता है ...तुम दोनों बाहर चले जाओ ...और वहाँ शादी कर लो ... रही शिव की बात ..तो बच्चों समय बड़ा बलवान है ..... .कुछ दिनों के बाद उसे भी यह रिश्ता मंज़ूर हो ही जाएगा ..मैं धीरे धीरे उसे समझाऊंगी ...और तब हम अपना यहाँ का कारोबार समेट कर तुम्हारे साथ आ जाएँगे ...पर यह बाद की बात है ......हां पर एक बात का ख़याल हमेशा , जीवन भर रखना ..मेरे और शशांक के बारे शिव को कभी पता नहीं चलना चाहिए ..वो मुझ से बहोत प्यार करता है ...पता नहीं वो इसे झेल पाएगा या नहीं .."

और शांति चुप चाप बाहर निकल जाती है ....अपना प्यार पीछे छोड़ते हुए ..अपनी बेटी को सौंपते हुए ...

शिवानी और शशांक चुप हैं ..वो समझते हैं मोम पर क्या बीट रही होगी ..पर एक आशा थी ना ...शायद मोम और डॅड भी उनके पास आ जायें..???

उस रात शिवानी फिर से अपना प्यार मोम से बाँट ती है .....शशांक मोम के पास जाता है ...शायद आखरी बार ....यह रात शांति के लिए एक यादगार रात हो जाती है...उसके जीवन भर का सहारा ..पता नहीं उसे फिर कभी शशांक का प्यार नसीब हो या नहीं..???

उस रात शशांक के वीर्य और मोम की चूत के रस से उन दोनों के आँसू भी मिल जाते हैं.....उनका मिलन उस रात संपूर्ण मिलन हो जाता है....शायद कभी ना भूलने वाला...दोनों एक दूसरे का एहसास पूरी तरेह अपने में समेट लेते हैं.......

शशांक अगले दिन से ही अपने आगे की पढ़ाई के लिए यूके की यूनिवर्सिटीस में अप्लाइ करना शूरू कर देता है ...कुछ दिनों के बाद उसे शफ्ल्ड यूनिवर्सिटी से आक्सेप्टेन्स लेटर मिल जाता है ...शशांक जाय्न कर लेता है वहाँ..

शिवानी अपना ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर वो भी उसके पास चली जाती है ..अपने प्यार के पास ....जहाँ उनके बीच संबंधों की कोई रुकावट नहीं.... जहाँ " ना जन्म का हो बंधन " पूरी तरेह सार्थक हो जाता है...

शांति अपना प्यार बाँट लेती है अपनी बेटी से ...

वो जानती है ना ... प्यार बाँटने से कम नहीं होता .....
मित्रो पाठको यहाँ पर ये कहानी ख़तम होती है जल्द ही मिलेंगे एक ओर नई कहानी के साथ

दा एंड !
 

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