Incest माँ का आँचल और बहन की लाज़(completed)

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ऐसे में उसका लंड शांति की चूत की पूरी लंबाई और गहराई तक पहूंचता है ..शांति की चूत का कोना कोना उसके लंड को महसूस करता है ,

लंड जड़ तक चला जाता है ..उसके बॉल्स और जंघें शांति के भारी भारी , मुलायम और गुदाज चूतड़ो से टकराते हैं ...उफफफफफ्फ़ ..क्या एहसास था यह .....

शिव को उसकी चूत और चूतड़ दोनों का मज़ा मिल रहा था

शिव लेटे लेटे ही उसकी टाँग उपर उठाए धक्के लगाए जा रहा था ...शांति आँखें बंद किए बस मस्ती में डूबी जा रही थी

आहें भर रही थी ..सिसकारियाँ ले रही थी ...चीत्कार रही थी ..

और फिर शिव दो चार जोरदार धक्कों के साथ अपनी पीचकारी छोड़ता है ....शांति की चूत और चूतड़ उसके वीर्य से नहला उठते हैं ....शांति भी उसके वीर्य की गर्मी और तेज़ धार अपनी चूत के अंदर सहेन नहीं कर पाती और काँपते हुए पानी छोड़ती जाती है ..

शिव , शांति की पीठ से चीपके , हाथ शांति के मुलायम पेट को जकड़े उसकी गर्दन पर अपना सर रखे हांफता हुआ पड़ा रहता है ...

शांति पहले बेटे और अब पति को अपना सारा तन और मन लूटा देती है ...एक चरम सूख और आनंद में डूब जाती है....
 
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शिव-शांति के परिवार के सभी सदस्य अब तक पूरी तरेह जाग उठे थे...तन , मन और दिल , हर तरेह से ...जब वे नाश्ते के टेबल पर आते हैं ..उनके चेहरे से सॉफ झलक रहा था...

चेहरा दिल का आईना होता है....यह बात अच्छी तरेह सभी के चेहरे पे लीखा था ..

शिवानी चहेकते हुए अपने मोम और पापा से गले मिलती है ..जब कि हमेशा उसके चेहरे पे गुस्से और झुंझलाहट की झलक रहती थी ..खास कर सुबेह ...

शांति उसके गले लगती है ..गाल चूमती है और उसके दमदामाते चेहरे को देख बोलती है ...

"ह्म्‍म्म्मम...अरे यह मैं आज क्या देख रही हूँ..शिवानी सुबेह सुबेह इतनी चहक रही है..क्या बात है!."

" हां मोम कल दीवाली कितनी अच्छी रही ..हम सब साथ साथ थे ....शायद यह पहला मौका था जब हम सब साथ थे..है ना मोम..??" शिवानी ने बड़ी होशियारी से अपनी खुशी के असली राज़ को छुपाते हुए कहा ...और शशांक की तरेफ देख मुस्कुराने लगी ..

शशांक की आँखों में उसके जवाब के लिए वाह वाही दीखती है और वो बोल उठ ता है

" वाह क्या बात कही तू ने शिवानी ...ह्म्‍म्म्म मैं देख रहा हूँ तेरा दिमाग़ भी काफ़ी खुल गया है..."

" क्या मतलब 'तेरा दिमाग़ भी..?' .." क्या मेरा दिमाग़ बंद पड़ा था ....जाओ मैं नहीं बोलती तुम से .." और शिवानी बनावटी गुस्से से चूप हो कर बैठ जाती है...

" अरे नहीं बाबा ...मेरा यह मतलब थोड़ी ना था ..मेली प्याली प्याली बहेना ...." शशांक मस्का लगाता है

शिवानी उसे घूरती है ..." फिर क्या मतलब था ..? "

" अरे मैं तो दीवाली की फुलझाड़ी छोड़ रहा था यार ..अभी भी तेरे साथ फूल्झड़ी छोड़ने की बात भूल नहीं पा रहा हूँ ना ...तू तो कुछ समझती ही नहीं यार..." शशांक का मस्का इस बार सही निशाने पे था ....

फूल्झड़ी से उसका क्या मतलब था शिवानी को पूरी तौर पे समझ आ गया ..उसके चेहरे पर फिर से लंबी और चौड़ी मुस्कान आ गयी ...और वो खिलखिला उठी ....

" ओह यस भैया ..यू आर ग्रेट ....कितनी देर तक हम पताखे और फूल्झड़िया चला रहे थे ...उफफफ्फ़ मज़ा आ गया ...."

शांति शशांक की इस सूझ बूझ की कायल हो गयी थी .वो हमेशा शिवानी के होंठों पे अपनी चिकनी चूपड़ी बातों से हँसी ले आता था ..और आज भी यही हुआ ...

उस ने शशांक को गले लगाया और उसके भी गाल चूमे ...
 
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शशांक अपनी मोम से गले मिलता है , अभी भी वो लक्ष्मण रेखा बरकरार है ..पर उसकी आँखों में इस पतली सी रेखा बरकरार रखने का कोई दर्द , कोई पीड़ा नहीं , और ना उसके शरीर में किसी भी तरेह का कोई तनाव या कोशिश की झलक है ..यह बस अपने आप हो जाता है
उसकी आँखों में अपनी मोम के लिए सम्मान , आभार और प्यार झलकता है ....

शांति को उसकी बातें समझ में आ जाती है ..वो कितनी खुश हो जाती है अपने बेटे के व्यवहार से .

शशांक ने शिवानी और शांति दोनों को कितनी सहजता से कल के हुए रिश्तों मे इतने बड़े बदलाव पर अपनी प्रतिक्रिया जता देता है ..दोनों को उनकी ही भाषा में ..अलग अलग तरीके से....

किसी के चेहरे पे कोई तनाव नहीं ..कोई भी अपराध के भाव नहीं ....शशांक ने दोनों को कितना अश्वश्त कर दिया था अपने व्यवहार से ..किसी को किसी पर कोई शक़ यह शंका नहीं है ....सभी अपने में खुश हैं ...

पर शिवानी कहाँ मान ने वाली थी....उसके दोनों हाथ भले ही टेबल पर थे ..पर टाँगों ने अपनी हरकत ब-दस्तूर चालू रक्खी थी ...उसने अपनी मुलायम मुलायम पावं के अंगूठे को अपने बगल बैठे शशांक की पिंदलियों पर उपर नीचे करती जा रही थी ...

शशांक इस हरकत से पहले तो झुंझला जाता है...उसकी तरफ आँखें तरेरता हुआ देखता है ..पर शिवानी उसे अनदेखा करते हुए अपने काम में लगी रहती है ...और नाश्ता भी करती जा रही थी ..

शशांक के पास इसके अलावा और कोई चारा नहीं था के चूप चाप आनंद लेता रहे ...और उस ने ऐसा ही किया ...नाश्ते के साथ शिवानी की हरकतों का भी मज़ा ले रहा था ...

नाश्ता ख़त्म करते हुए सब से पहले शिव उठ ता है...अपनी रिस्ट . पर नज़र डालता है ...

" ओह्ह्ह्ह..11 बाज गये ...अच्छा बच्चो तुम लोग आराम से छुट्टियाँ मनाओ...और शांति तुम भी आराम कर लो ,दीवाली के बिज़ी दिनों में तुम भी काफ़ी थक गयी होगी ,,मैं ज़रा दूकान से हो आता हूँ ...स्टॉक वग़ैरह चेक कर लूँ .." बोलता हुआ अपने कमरे की ओर चल पड़ता है ...

" ओके शिव ...पर जल्दी आ जाना , आज डिन्नर हम लोग बाहर ही करेंगे ..."

डिन्नर बाहर करने की बात सुनते ही शिवानी उछल पड़ती है और मोम को गले लगा लेती है

" ओह मोम थ्ट्स ग्रेट ....बिल्कुल सही आइडिया है आप का ....बाहर खाना खाए भी कितने दिन हो गये .है ना भाय्या .? " उस ने अपने प्यारे भैया की भी हामी चाहिए थी .उसके बिना उसकी बात का वज़न नहीं होता ...

" अरे हां शिवानी ..यू आर आब्सोल्यूट्ली राइट ...." भैया ने भी अपनी हामी की मुहर लगा दी ...

अब शिवानी मोम को छोड़ भैया से लिपट जाती है ..." ओह भैया यू आर सो स्वीट .."

और उसके गालों को चूम लेती है ..

शशांक एक बड़े ही नाटकिया अंदाज़ से मुँह बनाता हुआ अपने गाल पोंछ लेता है ..मानो शिवानी के होंठों ने उसके गाल मैले कर दिए हों....

शांति की हँसी छूट जाती है शशांक के इस अंदाज़ पर शिवानी का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है

शशांक देखता है मामला गड़बड़ है

" अरे शिवानी ...क्या यार तू बात बात पे गुस्सा कर लेती है ..मैं तो मज़ाक कर रहा था .है ना मोम ??...ले बाबा अब जितना चाहे चूम ले मेरे गाल मैं नहीं पोंच्छूंगा ..."

और अपने कान पकड़ता हुआ गाल उसकी ओर बढ़ा देता है ...शिवानी मुँह फेर लेती है

शशांक अपने कान पकड़े पकड़े ही शिवानी के फिरे मुँह की ओर घूमता है और अपनी आँखों से इशारा करता है मानो उसे कह रहा हो " मान भी जा यार.." और अपना सर झूकए खड़ा रहता है अपनी प्यारी बहेन के सामने ..

शिवानी भी भैया का यह रूप देख अपनी हँसी रोक नहीं पाती और उसे फिर से गले लगती है और उसके गाल चूमती है " फिर ऐसा मत करना भैया ...."

शशांक फिर से अपने गालों को अपनी हथेली से पोंछता है ..पर इस बार अपनी हथेली चूम लेता है ....और बोलता है " ह्म्‍म्म्मम..शिवानी ने लगता है दीवाली की मीठाइयाँ कुछ ज़्यादा ही खाई हैं ..."

इस बात पर फिर से सब हंस पड़ते हैं .....

और इसी तरेह हँसी , खुशी , प्यार और तिठोली में शिव-शांति के परिवार के दिन गुज़रते जाते हैं ...

शशांक और शिवानी के रिश्तों में गर्मी , जोश और जवानी के उमंगों की ल़हेर ज़ोर पकड़ती जाती है .....

शांति और शशांक के रिश्ते भी और मजबूत होते जाते हैं और नयी उँचाइयों की ओर बढ़ते जाते हैं. ....
 
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इन मधुर रिश्तों के नये आयामों में शिवानी, शशांक और शांति एक दूसरे में खो जाते हैं ..पर रिश्तों की बंदिशें कायम रखते हैं ...पूरी तरेह ...

शिवानी को शशांक और शांति के रिश्तों का शूरू से ही पता है..पर शांति को यह नहीं पता के शिवानी को पता है..... शांति को शशांक और शिवानी के रिश्तों का पता नहीं ...और शिवानी को अपने व्यवहार से शांति को यह जताना है उसे शशांक और शांति के बारे कुछ मालूम नहीं ..कितनी बारीकी है इन रिश्तों के समीकरणों में ...इन बारीकियों को समझते हुए रिश्तों को निभाने में एक अलग ही मज़ा ..आनंद और रोमांच से भरी मस्ती थी ....अब तक इस खेल में तीनों माहीर हो चूके थे ..

और शिव बस अपने दूकान और शांति जैसी बीबी में ही खोया था ....

जहाँ शिवानी शशांक के प्यार से और मेच्यूर , समझदार होती जाती है , अपनी अल्हाड़पन को लाँघते हुए जवानी की ओर बढ़ती जाती है .वहीं शांति अपनी ढलती जवानी की दहलीज़ को लाँघते हुए वक़्त को फिर से वापस आता हुआ महसूस करती है.... शशांक के साथ का वक़्त उसे फिर से जवानी , अल्हाड़पन और अपने प्रेमिका होने का एहसास दिलाता है ..इस कल्पना मात्र से वो झूम उठ ती है .....उसके लिए वक़्त फिर से वापस आता है ...और इस वक़्त को वो पूरी तरेह अपने में समेट लेती है ...इस वक़्त में खो जाती है ..यह वक़्त सिर्फ़ उसका और शशांक का है ....शांति और शशांक का .....

शशांक इन दोनों रिश्तों के बीच बड़ी अच्छी तरेह ताल मेल बना कर रखता है ....उन दोनों को उनके औरत होने पे फक्र होने का एहसास दिलाता है ...और खुद भी समय के साथ और भी परिपक्व होता जाता है ..

शशांक का ग्रॅजुयेशन ख़त्म हो चूका है..और अब उसी कॉलेज में रीटेल मार्केटिंग में एमबीए कर रहा है ..उस ने एमबीए के बाद अपनी मोम और डॅड के साथ ही काम करने की सोच रखी है ...

शिवानी ग्रॅजुयेशन के फाइनल एअर में है....दोनों अभी भी साथ ही कॉलेज जाते हैं ...बाइक पर ..पर शिवानी के हाथों की हरकत अब कुछ कम है...नहीं के बराबर ..और . क्यूँ ना हो.?? :

शिव कुछ दिनों के लिए शहेर से बाहर हैं दूकान के काम से ..शाम का वक़्त है....शांति आज कल दूकान से जल्दी वापस आ जाती है ....सेल का काम संभालने को एक मॅनेजर रखा है ..वोही संभालता है शोरूम ...

शशांक और शांति को शिव के रहते इस बार मिलने का मौका नहीं मिला था कुछ दिनों से ..दोनों तड़प रहे थे ...मानों कब के भूखे हों....

शिवानी उनकी तड़प समझती है ...और शाम की चाइ साथ पीते ही उठ जाती है और बोलती है ..

" देखो भाई..आज कॉलेज में मैं काफ़ी थक गयी हूँ..मैं तो चली अपने रूम में सोने ..कोई मुझे जगाए नहीं ..." और शशांक की तरफ देख मोम से आँखें बचाते हुए आँख मारती है ..और इठलाती हुई अपने कमरे की ओर चल पड़ती है..

थोड़ी देर शशांक और शांति एक दूसरे की ओर देखते रहते हैं ..उनकी आँखों में एक दूसरे के लिए तड़प और प्यास सॉफ झलक रहे हैं ..

" शशांक मैं चलती हूँ... चलो खाना ही बना लूँ .." और मुस्कुराते हुए उठ जाती है ...

शशांक भी मुस्कुराता है और बोलता है

" पर मोम तुम ने इतनी अच्छी साड़ी पहेन रखी है ..दूकान से आने के बाद चेंज भी नहीं किया ..किचन में गंदी हो जाएगी ना ..नाइटी पहेन लो ना ..वो सामने ख़ूला वाला..???"

" ह्म्‍म्म्म..मेरे बेटे को मेरे कपड़ों का बड़ा ख़याल है ......ठीक है बाबा आती हूँ चेंज कर के .."

वो अपने रूम की ओर जाती है पर जाते जाते पीछे मूड कर शशांक को देख एक बड़ी सेक्सी मुस्कान लाती है अपने होंठों पर ..

शशांक भी मुस्कुराता है और अपने कमरे की ओर जाता है चेंज करने को..

शांति फ्रेश हो कर नाइटी पहेन किचन में है ..खाना बना रही है

शशांक भी आ जाता है...
 
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शांति नाइटी में बहोत ही सेक्सी लगती है ..उसके अंदर का उभार पूरी तरेह झलक रहा है ...उसने ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी थी ...

शशांक उसे पीछे से अपनी बाहों में लेता है ...उसने भी बहोत ढीला टॉप और बॉक्सर पहेन रखा था

मोम के बदन की गर्मी और कोमलता के स्पर्श से उसका लंड तन्ना जाता है ...सामने से उसके हाथ मोम की चूचियाँ सहला रहे है ..नाइटी के अंदर से ..मोम चूप चाप उसकी हरकतों का मज़ा ले रही है और साथ में खाना भी बनाती जाती है ..

आज भी उसका लंड शांति को अपने गुदाज और मुलायम चूतड़ो के अंदर चूभता हुआ महसूस होता है ...पर आज वो चौंक्ति नहीं है उस शाम की तरेह ..आज और भी अपनी टाँगें फैला देती है..सब कुछ बदल गया है समय के साथ .....

शशांक अपना चेहरा शांति की गर्दन से लगाए है ..शांति की गालों से अपने गाल चिपकाता है और बड़े प्यार से घीसता है ..

अपने बॉक्सर के सामने के बटन्स खोल देता है ... लंड उछलता हुआ बाहर आता है . शांति की चूतड़ो की दरार में हल्के हल्के उपर नीचे करता है ..नाइटी के साथ अंदर धंसा है ..

उसे मालूम है शांति को किचन में चुदवाने में काफ़ी रोमांचक अनुभव होता है ...
 
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शांति बड़ी मस्ती में है ..खाना बनाए जा रही है..और मज़े भी ले रही है ...

शशांक उसकी नाइटी एक हाथ से उपर कर देता है ..शांति की गोरी गोरी . चूतड़ नंगी हो जाती है ..उसका लंड और भी कड़क हो जाता है ..चूत से पानी टपक रहा है ...शांति थोड़ा आगे की ओर झूक जाती है , उसकी गुलाबी चूत बाहर आती है ...बिल्कुल गीली और गुलाबी

शशांक एक छोटी किचन वाली स्टूल नीचे लगा कर बैठ जाता है और मोम की जांघों को अपने हाथों से अलग करता हुआ अपना मुँह चूत मे लगता है..शांति कांप उठ ती है ...टाँगें और भी फैला देती है ..

शशांक अपने होंठों से उसकी चूत के होंठों को जाकड़ लेता है और बूरी तरेह चूस्ता है ..शांति का पूरा रस उसके मुँह के अंदर जाता है ....शशांक इस अमृत जैसे रस को पीता जाता है ..पीता जाता है ..

शांति मस्ती की चरम पर है ...

अब तक उसका खाना बनाने का काम काफ़ी कुछ हो चूका था ...बाकी काम उस से अब और किया नहीं जाता ..वो गॅस बूझा देती है ...

और आँखें बंद किए टाँगे फैलाए कराहती है :" हां शशांक चूस बेटा और चूस ..."

शशांक होंठ अलग करता है ...

अपनी उंगलियों से चूत की फाँक फैलाता है ...उफ्फ क्या मस्त चूत है मोम की ...गीली ..चमकीली , मुलायम ..अपनी जीभ फिराता है ...चाट ता है पूरी लंबाई तक ...

शांति तड़प उठ ती है ..पानी की नदी बहती है उसकी चूत से

उसकी चूत कांप उठ ती है , थरथरा उठ ती है

और शांति बोल उठ ती है

" शशांक..बेटा अब डाल दो ना अपनी मोम के अंदर , और कितना तड़पाओगे ..? "

शशांक मोम का आग्याकारी बेटा है ना

" हां मोम लो ना ..मैं तो कब से तैय्यार हूँ .."

वो उठ ता है स्टूल से , मोम सीधी हो जाती है , दोनों अब आमने सामने हैं

शशांक अपनी बॉक्सर उतार देता है ..मोम की नाइटी सामने खोल देता है और उसे कमर से थामता हुआ मोम को किचन के प्लॅटफॉर्म पर बिठा देता है

मोम टाँगें फैला देती है

शशांक टाँगों के बीच अपना तननाया लंड थामे आ जाता है

मोम को कमर से जकड़ते हुए उसकी फूली , फूली मुलायम चूत के अंदर लंड डालता है

" आआआः ..हाआँ ..हाआँ शशांक बस करते रहो ..." और शांति भी शशांक को उसके कमर से जाकड़ लेती है अपनी तरफ खींचती है ....अपना चेहरा उपर कर लेती है ..उसका चेहरा पूरी तरेह शशांक के सामने है ..शशांक समझता है मोम क्या चाहती है

वो अपना चेहरा मोम की तरफ झुकाता है और मोम के होंठों पर अपने होंठ लगाए चूस्ता है..बूरी तरेह ..उसके मुँह के अंदर का रस अपने मुँह में लेता है

लंड अंदर बाहर हो रहा है ..ठप ठप , फतच फतच की आवाज़ें आ रही हैं

शशांक की जीभ मोम के मुँह में है ..वहाँ भी चाट ता है ..

मोम उस से चीपकि है , लंड के धक्कों के साथ अपनी चूतड़ भी उछालती है

उफफफफ्फ़ दोनो एक दूसरे को महसूस कर रहे हैं पूरी तरेह , अंदर से भी ..बाहर से भी ...
 
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फिर मोम , शशांक से और ही चीपक जाती है ....बिल्कुल उसके अंदर समान जाने की कोशिश में जुटी है

शांति के चूतड़ झटके खाते हैं ..उछलते हैं और शशांक को जाकड़ कर उसके लंड को अंदर लिए लिए झड़ती जाती है ..झड़ती जाती है शांति

शशांक का लंड भी मोम के रस से नहला उठ ता है ...और वो भी झाड़ता जाता है , चूत के अंदर ही अंदर झटके खाता हुआ..

दोनों किचन के प्लॅटफॉर्म पर एक दूसरे से चीपके हैं ..

शांति की टाँगें शशांक के चूतड़ो को जकड़े है , शशांक की बाहें शांति की कमर से जकड़ी हैं...दोनों हाँफ रहे हैं ..एक दूसरे को चूम रहे हैं चाट रहे हैं .....

फिर सब कुछ शांत हो जाता है

सिर्फ़ दोनों की साँसें और दिल की धड़कनें आपस में बातें कर रही हैं ...

जाने कब तक ...
 
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काफ़ी देर तक शांति और शशांक एक दूसरे में खोए रहते हैं ..एक दूसरे से लिपटे ..एक दूसरे की साँसों ,दिल की धड़कनों और जिस्मों को आँखें बंद किए महसूस करते रहते हैं...

तभी शिवानी के कमरे से कुछ आहट सुनाई पड़ती है , शांति चौंक पड़ती है और शशांक को अपने से बड़े प्यार से अलग करती है ...

" उम्म्म..मों क्या ..तुम से अलग होने का जी ही नहीं करता ..." शशांक बोलता है ..

" बेटा , जी तो मेरा भी नहीं करता ..पर क्या करें ..." और वो खड़ी हो जाती है..अपनी नाइटी ठीक करती है ....शशांक से अलग होते हुए कहती है ..."लगता है शिवानी उठ गयी है...उसे जोरो की भूख लगी होगी ...तुम भी हाथ मुँह धो कर आ जाओ ..मैं भी बाथरूम से आती हूँ , फिर हम सब साथ डिन्नर लेंगे .." शांति , शशांक के गालों को चूमते हुए बाहर निकल जाती है ..

शशांक भी अपने रूम में चला जाता है फ्रेश होने..

जैसे बाहर निकलता है बाथ रूम से , उसके कमरे में शिवानी आ धमकती है ..

" सो हाउ वाज़ दा शो भाय्या..?'' एक शैतानी से भरी मुस्कान होती है उसके चेहरे पर..

" जस्ट ग्रेट शिवानी ..आंड थॅंक्स फॉर एवेरितिंग , तुम्हारे बिना यह सब पासिबल नहीं था ..."

" थॅंक्स क्यूँ भैया .प्यार में हमेशा लेते नहीं कभी कुछ देना भी चाहिए ..है ना ? अपने लिए तुम्हारा प्यार मोम से शेअर करती हूँ ...किसी और से थोड़ी ना ..आख़िर वो मेरी भी मोम हैं ना .आइ टू लव हर सो मच ..हम सब के लिए कितना करती हैं ..हम उन्हें इतना भी नहीं दे सकते .? "

" वाह वाह ...क्या बात है ..आज तो शिवानी बड़ी प्यारी प्यारी बातें कर रही है प्यार और मोहब्बत की ....अरे कहाँ से सीखा यह सब ...?" शशांक की आँखों में शिवानी के लिए प्यार और प्रशन्शा झलकते हैं ..

" तुम्हीं से तो सीखा है भैया ..."

" मुझ से..??? ..ह्म्‍म्म ..वो कैसे ....??"

शिवानी कुछ बोलती उसके पहले ही शांति की आवाज़ सुनाई पड़ती है दोनों को

" अरे बाबा कहाँ हो तुम दोनों ..खाना कब से लगा है ..ठंडा हो जाएगा ...जल्दी आ जाओ...."

शिवानी की बात अधूरी रह जाती है ...

" अब चलो भैया पहले खाना खा लें फिर बातें करेंगे , देर हुई तो मोम चिल्ला चिल्ला के सारा घर सर पे उठा लेंगी..."

शशांक इस बात पर जोरदार ठहाका लगाता है और फिर दोनों हंसते हुए बाहर निकलते हैं डाइनिंग टेबल की ओर ...

खाना खाते वक़्त कुछ खास बात नहीं होती .सब से पहले मोम उठ ती हैं और रोज की तरेह शिवानी को बर्तन समेटने की हिदायत दे अपने कमरे में चली जाती हैं ...उनको सोने की जल्दी थी ..

" भैया तुम चलो मैं बस आई ..."शिवानी बर्तन समेट ते हुए बोलती है ..

" जल्दी आना शिवानी.." कहता हुआ शशांक अपने कमरे की ओर चल देता है..

अपने कमरे में आ कर शशांक लेट जाता है..और शिवानी के बारे सोचता है " आज कल कितना चेंज आ गया है इस लड़की में ..कैसी बड़ी बड़ी बातें करती है ...कल तक तो सिर्फ़ हाथ चलाती थी आज दिल और दिमाग़ भी चला रही है..." और उसके होंठों पे मुस्कुराहट आ जाती है...

तभी शिवानी भी आ जाती है और शशांक को मुस्कुराता देख बोलती है

" ह्म्‍म्म्मम..यह अकेले अकेले किस बात पर इतनी बड़ी मुस्कान है भैया के चेहरे पर..? "

शशांक की नज़र पड़ती है शिवानी पर ...उस ने बहोत ही ढीला टॉप और लूज़ और पतला सा पाजामा पहेन रखा था

टॉप के अंदर उसकी चूचियाँ उछल रही थी उसकी ज़रा सी भी हरकत से ...इतने दिनों में उसकी चूचियों की गोलाई काफ़ी बढ़ गई थी ...पतले से पाजामे के अंदर उसकी लंबी सुडौल टाँगें और मांसल जंघें बाहर झलक रही थी ..शशांक की नज़र थोड़ी देर इन्ही चीज़ों के मुयायने में अटक जाती है...

" अरे भैया क्या देख रहे हो.... सारी रात तो पड़ी है ..देख लेना ना जी भर ...चलो ना पहले अपनी अधूरी बात हम पूरी कर लें ..??" कहते हुए शिवानी उसके बगल बैठ जाती है , शशांक उसके और करीब आ जाता है और अपनी टाँग उसकी कूल्हे और जाँघ से चिपकाता हुआ लेटा रहता है ..

" ह्म्‍म्म्म..तो बात शूरू करें ..? पर तू यह बता के तेरी किस बात का मैं जवाब पहले दूं ..आते ही सवालों की बौछार कर दी तुम ने .." शशांक पूछता है..

" तुम भी ना भैया ..बस बात टालो मत ...तुम बस चूप रहो ..मैं बोलती हूँ ...मैं बोल रही थी ना के मोम से तुम्हारा प्यार शेअर करना मैने तुम्ही से सीखा है ...मैं बताती हूँ कैसे ....बस चूप चाप कान खोलो और सुनो ...और यह अपने हाथों की हरकत बंद रखो..?'' और शशांक का हाथ जो उसकी मुलायम और गुदाज़ जांघों को सहला रहे थे अपने हाथ में लेते हुए हटा देती है बड़े प्यार से...
 
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" ओके बाबा ओके...चलो सूनाओ अपनी राम कहानी ..." शशांक उठ बैठ ता है और पीठ सिरहाने से टीकाए उसकी ओर ध्यान से देखता है ..

" देखो तुम किस तरेह हम दोनों के बीच अपना भर पूर प्यार लूटा रहे हो..? कम से कम मुझे तो ज़रा भी एहसास नहीं होता के तुम मुझे कम और मोम को ज़्यादा प्यार करते हो....तुम में हम दोनों के लिए बे-इंतहा प्यार है भैया ...बेशुमार ...इतना बेशुमार प्यार जो तुम ने मुझे दिया ..मैं क्या मोम से शेअर नहीं कर सकती ...इस से मेरे लिए तुम्हारा प्यार तो कभी कम नहीं होगा ना..?? "

शशांक फिर से शिवानी की बातों से हैरान रह जाता है ... इतनी बड़ी बात और इतना बड़ा दिल ...जब की ज़्यादातर औरतें इतनी दरिया दिल नहीं होतीं ... किसी से भी अपना प्यार बाँट नहीं सकती ...

" ओह माइ गॉड ..शिवानी आइ आम इंप्रेस्ड ..पर शिवानी इतना भरोसा तुम्हें मुझ पे है ..??"

" हां भैया मुझे अपने से ज़्यादा आप पर भरोसा है ..मैं अगर कभी बहेक भी गयी तो मुझे पूरा यकीन है आप मुझे संभाल लोगे ..." शिवानी एक तक शशांक की ओर देखते हुए बोले जा रही है..

" पर क्यूँ शिवानी..??"

" भैया ..आप के साथ इतने दिनों से कॉलेज जाती हूँ , वापस घर आती हूँ और फिर आप को कॉलेज में भी देखती हूँ..लड़कियाँ आप पर मरती हैं ..आप की एक नज़र को तरसती हैं ..पर आप ने आज तक किसी की ओर आँख उठा कर नहीं देखा ....आप चाहते तो एक से एक मुझ से भी ज़्यादा स्मार्ट और सुंदर लड़कियाँ आप की गर्ल फ्रेंड्स होतीं ..पर इन सब को दर किनार कर दिया आप ने ..और चुना सिर्फ़ मुझे और मोम को ...क्या मैं समझती नहीं ....अब अगर मैं आप पर विश्वास नहीं करूँ तो फिर इस दुनिया में किसी पर भी विश्वास करना ना-मुमकिन है...."

शशांक अवाक़ रह जाता है अपनी कल तक गुड़िया जैसी बहेन की बातें सुन ...उसकी आँखें भर आती हैं ..

पर उसकी इन बातों ने एक बड़ा सा सवाल खड़ा कर दिया ..जिसका जवाब किसी के पास नहीं था ..ना उसके पास ना शिवानी के पास ..आखीर इस बे-इंतहा प्यार का अंत क्या होगा ..?? आखीर कब तक हम इसे निभाएँगे ...कब तक ..???

शशांक इस सवाल से परेशान हो जाता है ....और अपने इस प्यार की बे -बसी पर आँसू बहाता हुआ शिवानी की तरेफ एक टक देखता रहता है....

शिवानी उसकी आँखों में आँसू देख चौंक जाती है....

" अर्ररीईईईई? यह क्या भैया ..क्या मैने कुछ ग़लत कहा ..??आप रो क्यूँ रहे हो..??"

शशांक अपने आँसू पोंछता है और बोलता है

" नहीं शिवानी तुम ने कुछ भी ग़लत नहीं कहा ..बस इसलिए तो मैं रो रहा हूँ बहेना ..."

" मेरी तो कुछ समझ में नहीं आता भैया ..मैं तो समझी थी आप खुश हो जाओगे ..पर यहाँ तो बात उल्टी ही हो गयी .."

" शिवानी ....तू जान ना चाह ती है ना मेरी आँखों में आँसू क्यूँ हैं..?? "

" बिल्कुल भैया ..." भैया की आँखों में आँसू देख उसकी आवाज़ भी रुआंसी है...

" तो सून ..क्या तुम ने कभी सोचा है मेरे और तुम्हारे इस बे-इंतहा प्यार का नतीज़ा क्या होगा ..?? मेरे और मोम के बीच तो कोई खास प्राब्लम नहीं ...किसी की भी अपनी जिंदगी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता .पर तुम क्या जिंदगी भर मुझे ही प्यार करती रहोगी...तुम्हारी अपनी जिंदगी भी है ना शिवानी ..क्या तुम शादी नहीं करोगी ..? कब तक हम दोनों यह आँख मिचौली का खेल खेलते रहेंगे शिवानी ..कब तक ..बोलो ना बहेना कब तक..?????"

शिवानी अपने भैया की बात से ज़रा भी परेशान नहीं होती ...चेहरे पे शिकन तक नहीं आती ...

शशांक फिर से हैरान हो जाता है अपनी बहेन के रवैय्ये से ..

" क्यूँ तुम्हारे पास है इसका जवाब ?शिवानी बोलो ना क्या जवाब है तुम्हारे पास ..??"शशांक शिवानी के कंधों को झकझोरता हुआ पूछता है ...

शिवानी शशांक के हाथों को अपने कंधों से अलग करती है ...उसकी तरफ देखती है थोड़ी देर ...

और फिर जब उसे जवाब देती है ... शशांक के पास उसके जवाब का कोई भी जवाब नहीं .....

उसे इतना तो समझ आ गया शिवानी के जवाब से ..... शिवानी अब गुड़िया नहीं ...उसने समझ लिया है प्यार एक आग का दरिया है गुड़िया का खेल नहीं...!!!
 
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शशांक के सवाल से शिवानी ज़रा भी विचलित नहीं हुई थी ...बिल्कुल वैसे भाव थे उसके चेहरे पर जैसे उसे इस सवाल का इंतेज़ार था ....और जवाब भी उसके पास तैय्यार था ...

उस ने कहा " हां भैया शादी ज़रूर करूँगी ... इस शादी से हमारा प्यार और भी मजबूत हो जाएगा ..हमारी दूरी भी मिट जाएगी... हां बिल्कुल मिट जाएगी.." शिवानी शशांक को एक टक देखे जा रही थी ..

शशांक उसकी शादी करने की बात से बहोत खुश हो जाता है......पर दूरी मिटने वाली बात से थोड़ा चौंक जाता है ...

शिवानी भाँप लेती है शशांक का चौंकना ...और फिर बोलती है ..

"भैया इसमें चौंकने वाली क्या बात है , क्या तुम चाहते हो मैं हमेशा कुँवारी ही रहूं ..? "

""अरे नहीं शिवानी..तू जानती है अच्छी तरेह मैं ऐसा कभी नहीं चाहता ...मैं जानता हूँ तुम भी मोम की तरेह अपने पति और मेरे बीच अच्छी तरेह ताल मेल बना सकती हो ....प्यार बाँट सकती हो....पर यह तुम्हारी दूरी कम होनेवाली बात से ज़रा चौंक गया था .."

" हां भैया दूरी तो कम होगी ही ना ...क्योंकि मैने सोच लिया है शादी मैं तुम से ही करूँगी ...सिर्फ़ तुम से ...." शिवानी का चेहरा बिल्कुल शांत था ...उसकी आवाज़ में एक दृढ़ता थी ...एक निश्चय था ..जो काफ़ी सोच विचार के बाद ही आता है....

शशांक पर मानों बिजली गिर गयी थी ... पहाड़ टूट पड़ा था ...

" किययाया..?? क्या कहा तुम ने ..ज़रा फिर से बोल तो..? मैने ठीक सुना ना ..?? " उसकी आवाज़ में अधीरता , घबडाहट और आश्चर्य के भाव कूट कूट कर भरे थे ...आवाज़ कांप रही थी ..

: " हां भैया तुम ने बिल्कुल ठीक सूना ..मैं शादी तुम से ही करूँगी ..वरना मैं जिंदगी भर कुँवार रहूंगी .... " शिवानी का चेहरा बिल्कुल वैसा ही था कोई बदलाव नहीं ..भाव शून्य ..

" मुझ से शादी करेगी तू..अरे कुछ समझ भी आता है तुझे क्या बक रही है... "


इस बार शिवानी चूप है ..कुछ नहीं बोलती बस शशांक की ओर देखती रहती है ..उसकी आँखों में अपने लिए असीम प्यार , तड़प और चाहत की झलक दीखाई देती है शशांक को ...

शशांक समझ जाता है इसे इतनी आसानी से समझाना मुश्किल है ...


वो उसके करीब जाता है उसका चेहरा अपने हाथ में बड़े प्यार से थाम लेता है ...उसके बाल सहलाता है ...और बोलता है

" देख शिवानी मैं समझता हूँ तेरे दिल का हाल..पर बहेना यह कैसे संभव है ....अगर यह हो सकता था तो क्या मैं नहीं चाहता तुझ से शादी करना ..? शादी की बात छुपाई नहीं जा सकती ना शिवानी ..सारी दुनिया को मालूम हो जाएगा ...आपस में सेक्स की बात छुप सकती है ..पर शादी की बात? ..तुम ही बताओ ना ?" शशांक बड़ी नर्मी और प्यार से समझाता है शिवानी को...

" ह्म्‍म्म्म..तो इसका मतलब हुआ भैया, कि अगर शादी की बात भी अगर किसी तरह छुपाई जा सके तो तुम मुझ से शादी करोगे ..?? " शिवानी के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट आती है ..उसे एक बड़ी धीमी और पतली सी रोशनी की किरण झलकती है..

पर शशांक एक बड़ी द्विविधा में फँस जाता है...वो कुछ नहीं बोल पाता , चूप रहता हुआ शिवानी की इन बातों का उसके पास कोई जवाब नहीं..


" बोलो ना भैया ..प्लीज़ बोलो ना ..तुम चूप क्यूँ हो गये ......? " शिवानी उसकी ओर बड़ी हसरत लगाए देखती है ...

" तू समझती क्यूँ नहीं बहेना ..? आख़िर हम सगे भाई बहेन हैं ना ..." शशांक बोलता है..पर उसकी आवाज़ खोखली है ..उसमें कोई भी दृढ़ता नहीं ..कोई वज़न नहीं ...

" भैया जब तुम सग़ी बहेन को चोद सकते हो..उसकी चूचियों से खेल सकते हो..उसकी चूत में अपना लंड डाल सकते हो..फिर शादी क्यूँ नहीं कर सकते..? क्या तुम्हारा प्यार सिर्फ़ वासना है ...मेरे शरीर से खेलने का सिर्फ़ एक बहाना है..??"

" शिवानी तू क्या बक रही है यार..तेरा दिमाग़ तो सही है ना..." शशांक झल्लाता हुआ बोलता है .


" भैया ..मेरा दिमाग़ आज ही तो सही है ..वरना आज तक तो मैं पागल की तरेह तुम्हें कुछ और ही समझ बैठी थी .." उसकी आँखों में अब वो प्यार और तड़प नहीं वरन एक बहोत ही निराशा की झलक दीखती है शशांक को...जैसे अपनी जिंदगी से हताश हो गयी हो...

शशांक के सवाल से शिवानी ज़रा भी विचलित नहीं हुई थी ...बिल्कुल वैसे भाव थे उसके चेहरे पर जैसे उसे इस सवाल का इंतेज़ार था ....और जवाब भी उसके पास तैय्यार था ...

उस ने कहा " हां भैया शादी ज़रूर करूँगी ... इस शादी से हमारा प्यार और भी मजबूत हो जाएगा ..हमारी दूरी भी मिट जाएगी... हां बिल्कुल मिट जाएगी.." शिवानी शशांक को एक टक देखे जा रही थी ..

शशांक उसकी शादी करने की बात से बहोत खुश हो जाता है......पर दूरी मिटने वाली बात से थोड़ा चौंक जाता है ...


शिवानी भाँप लेती है शशांक का चौंकना ...और फिर बोलती है ..

"भैया इसमें चौंकने वाली क्या बात है , क्या तुम चाहते हो मैं हमेशा कुँवारी ही रहूं ..? "


""अरे नहीं शिवानी..तू जानती है अच्छी तरेह मैं ऐसा कभी नहीं चाहता ...मैं जानता हूँ तुम भी मोम की तरेह अपने पति और मेरे बीच अच्छी तरेह ताल मेल बना सकती हो ....प्यार बाँट सकती हो....पर यह तुम्हारी दूरी कम होनेवाली बात से ज़रा चौंक गया था .."

" हां भैया दूरी तो कम होगी ही ना ...क्योंकि मैने सोच लिया है शादी मैं तुम से ही करूँगी ...सिर्फ़ तुम से ...." शिवानी का चेहरा बिल्कुल शांत था ...उसकी आवाज़ में एक दृढ़ता थी ...एक निश्चय था ..जो काफ़ी सोच विचार के बाद ही आता है....

शशांक पर मानों बिजली गिर गयी थी ... पहाड़ टूट पड़ा था ...
 

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