Fantasy मेरे अंतरंग हमसफ़र

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मेरे अंतरंग हमसफ़र
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परिचय

दोस्तों मैं दीपक कुमार, मेरे अंतरंग हमसफर मेरी सबसे पहली कहानी है और इसके पहल्रे 3 भाग आप पढ़ सकते हैं "झट पट शादी और सुहागरात" के नाम से जो मेरे कॉलेज के दोस्त ने पोस्ट किये हैं .

आगे के सभी भाग आपको इस फोरम पर मिलेंगे और मेरी कोशिश है आप इसे काफी कामुक पाएंगे और आपको पढ़ कर मजा भी आएगा


मैं अठारह साल की उम्र तक पढ़ाई में ही डूबा रहाl मैं हमेशा पढ़ने लिखने में होशियार, एक मेधावी छात्र थाl उस समय तक पढाई में ही डूबे रहने के कारण मेरे कोई ख़ास दोस्त भी नहीं थे और मैं स्कूल में भी अपने अध्यापकों के ही साथ अपनी पढ़ाई में ही लगा रहता था l

आपका

दीपक कुमार
 
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अंतरंग हमसफ़र

INDEX

अंतरंग हमसफ़र​
भाग ♡ 001♡
अंतरंग जीवन की पहली हमसफ़र रोज़ी.
अंतरंग हमसफ़र​
भाग ♡ 002♡
पहली हमसफ़र - शारीरक सुखो से मेरा पहला परिचय.
अंतरंग हमसफ़र​
भाग ♡ 003♡
अंतरंग जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी.
अंतरंग हमसफ़र​
भाग ♡ 004♡
अंतरंग जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ मानसिक सेक्स.
अंतरंग हमसफ़र​
रूबी के साथ संसर्ग, उसके बाद समूह सेक्स.
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 006​
टीना एक नयी कुंवारी युवती के साथ तालाब में पहला संसर्ग.
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 007​
साथियो की अदला बदली.
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 008​
सुन्दर युवती से मुलाकात.
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 009​
फूफेरी बहन से प्रेम का इजहार.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 010​
रूबी और रोजी.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 011​
रूबी और रोजी.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 012​
रोजी, रूबी के साथ सेक्स.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 013​
जेन के साथ सेक्स.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 014​
जेन के साथ मुखमैथुन और सेक्स.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 015​
जेन के साथ सेक्स​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 016​
अलका की पहली चुदाई​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 017​
अलका की पहली चुदाई​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 018​
दूसरी फूफेरी बहन के साथ सम्भोग.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 019​
फूफेरी बहन के साथ सम्भोग से पहले चाटना चूमना.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 020​
कुंवारी फूफेरी बहन की धुआंधार चुदाई.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 021​
कमसिन फूफेरी बहनो की धुआंधार चुदाई.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 022​
नयी लड़किया और तालाब पर छुप कर मस्तियो के नज़ारे.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 023​
लड़कियों की तालाब पर मस्ती के मादक कामुक नज़ारे.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 024​
तुम ने पुकारा और हम चले आये- लड़कियों के साथ तालाब पर मस्ती.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 025​
नग्न सामूहिक कामुक खेल और मुख मैथुन.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 026​
सौतेली बहने.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 027​
सौत बनी साथी.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 028​
बॉब की रुखसाना के लिए बेकरारी.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 029​
सेक्स का आरंभिक ज्ञान.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 030​
चुदाई के नज़ारे.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 031​
प्यार का असली सबक​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 032​
कजिन के सहेली के साथ मेरे फूफेरे भाई की आशिक़ी.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 033​
रुखसाना की पहली चुदाई​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 034​
रुखसाना की चुदाई की कहानी जारी है​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 035​
हुमा की पहली चुदाई​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 036​
दुल्हन की लाल रंग की पोशाक में खूबसूरत हुमा.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 037​
चुदाई से पहले की चूमा चाटी.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 038​
चिकनी संकरी और छोटी से चूत वाली हुमा की पहली चुदाई.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 039​
हुमा की पहली चुदाई.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 040​
हुमा की आनंदभरी चुदाई.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 041​
हुमा के साथ मस्तिया जारी हैं.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 042​
हुमा बहुत नाराज हो गयी.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 043​
सेक्सी मेजबान की टांग में क्रैम्प.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 044​
सेक्सी मेजबान के साथ पहली बार संसर्ग.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 045​
मेजबान के साथ संसर्ग.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 046​
लिली की योनि में मेरे लंड का प्रथम प्रवेश.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 047​
लिली ने सम्भोग का नया तरीका सिखाया.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 048​
सरप्राइज़.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 049​
सोई हुई परम् सुंदरी​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 050​
परम् सुंदरी का प्रभाव.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 051​
वूमेन ऑन टॉप.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 052​
नकली गुस्सा असली प्यार.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 053​
भाग्यशाली.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 054​
लिली की बहन मिली से पहली मुलाकात और आलिंगन.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 055​
चलती कार में चुदाई.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 056​
सामने चुदाई करते हुए देखना.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 057​
तीन गर्म बहनो की चुदाई का क्रम.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 058​
तीन गर्म बहनो की चुदाई का क्रम.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 059​
मिली का सौंदर्य अवलोकन.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 060​
मिली की सहायिका सपना की ख़ूबसूरती.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 061​
सपना के नग्न सौंदर्य का निरीक्षण कर उसे सराहा.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 062​
हुमा का निरिक्षण.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 063​
हुमा को सजा.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 064​
मिली निकली उस्ताद.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 065​
मिली ने दिया पहला सेक्स ज्ञान.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 066​
लिली के साथ मजे.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 067​
लिली ने की लंड चुसाई.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 068​
घट कंचुकी.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 069​
एमी और तीनो कुंवारी लड़कियों ने पहली बार चुदाई साक्षात देखी.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 070​
हुमा ने की लंड चटाई​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 071​
अगले सत्र की तयारी.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 072​
मैं तरोताजा महसूस कर रहा था.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 073​
ज्यादातर पशु किस आसन में सेक्स करते हैं.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 074​
चॉकलेट खाने का सही तरीका.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 075​
मिली खुद चुदी.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 076​
चकाचक माल की दावत.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 077​
सपना का कौमार्य भंग​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 078​
पहली चुदाई के बाद का दुलार.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 079​
सपना चुपके से मेरे कमरे में मेरे पास आयी और मेरे से लिपट गयी.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 080​
वीसा साक्षात्कार​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 081​
पहली डेट​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 082​
सूर्यास्त​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 083​
चाँद की धीमी रोशनी, नदी में नाव में हम​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 084​
मुखमैथुन के नए पाठ​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 085​
कुंवारी योनि का दुर्लभ अवलोकन.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 086​
कौमार्य भंग​
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भाग 087​
दोबारा करेंगे तो बेहतर लगेगा​
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भाग 088​
मैं पूरी कोशिश करूँगा​
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भाग 089​
लंदन की हवाई यात्रा-1​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 090​
जहाज के सफर में मनोरंजन​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 091​
हवाई यात्रा में छोटा ब्रेक​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 092​
एयरलाइंस की वो परिचारिका​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 093​
एयरलाइंस परिचारिका के साथ कार में​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 094​
एयरलाइंस परिचारिका के साथ कार में​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 095​
एयरलाइंस परिचारिका का पहला अनुभव​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 096​
नायाब एयरलाइंस परिचारिका​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 097​
आगे का सफर नए साथी के साथ​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 098​
नए साथी के साथ खेल​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 099​
हवाई यात्रा मे हस्तमैथुन​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 100​
इन-फ्लाइट मनोरंजन​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 101​
लंदन में पढ़ाई और मस्तियो की शुरुआत​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 102​
लंदन का ख़ास पैराडाइस मनोरजन क्लब​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 103​
साथी का चयन​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 104​
भोजन, संगीत और प्रेम का इजहार​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 105​
प्रेम और मस्तिया​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 106​
प्रेम आलिंगन और नृत्य​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 107​
सार्वजानिक और खुले तौर पर सम्भोग​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 108​
चुदाई के दौरान बिस्तर ने हवा उछाल दिया​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 109​
बिस्तर में लगे ताकतवार स्प्रिंगों का स्प्रिंगिंग एक्शन​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 110​
लंदन में पढ़ाई और मस्तिया कामुकता और ऐयाशी​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 111​
लंदन में पढ़ाई और मस्तिया सामूहिक ऐयाशी​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 112​
लंदन में पढ़ाई और मस्तिया, नफीसा का स्वागत​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 113​
सुंदरता, सेक्स की देवी की पुजारिन.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 114​
सेक्स की देवी की पुजारिन.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 115​
लंदन में पढ़ाई और मस्तिया, पुजारिन के ख़ुशी के आंसू!​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 116​
लंदन में पढ़ाई और मस्तिया नियंत्रण​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 117​
सुंदर और अध्भुत सम्भोग का आनंद​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 118​
अध्भुत सम्भोग का आनंद और शक्ति का संचार.​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 119​
लंदन में पढ़ाई और मस्तिया अरबपति की ट्रॉफी पत्नी​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 120​
लंदन में मस्तिया टिटियन प्रकार की लड़की​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 121​
लड़की या कोई हूर परी!​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 122​
चार प्रेमिकाओ के साथ सामूहिक सम्भोग​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 123​
लंदन में पढ़ाई और मस्तिया कामुक पागलपन .​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 124​
कामुक ख्याल​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 125​
लंदन में मस्तिया कामुक दृश्यम​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 126​
लंदन में मस्तिया और उस रात का आखिरी पहर​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 127​
सुबह-सुबह टहलना-कुछ-बहुत कुछ​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 128​
सुबह-सुबह-बहुत कुछ​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 129​
समारोह की प्रक्रिया​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 130​
सेक्स और सुंदरता की उपासक पुजारिने​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 131​
मैं ही क्योे?​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 132​
काफिला​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 133​
पुजारिन के उद्धारकर्ता की जय​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 134​
प्यार का मंदिर प्रेम भरी प्राथना​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 135​
स्नानागार​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 136​
शुद्धिकरण स्नान​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 137​
ऐयाशी - जब रात हैं ऐसी मतवाली तो फिर सुबह का आलम क्या होगा!​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 138​
जनाना स्नान्नगार​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 139​
प्यार की देवी​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 140​
स्नान और सम्भोग​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 141​
सफाई और स्नान​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 142​
विशेष समारोह आरंभ​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 143​
विशेष समारोह शुद्धिकरण दुग्ध स्नान​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 144​
विशेष समारोह - दुग्ध स्नान​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 145​
विशेष समारोह-प्रारम्भकर्ता या माध्यम, पहलकर्ता​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 146​
विशेष समारोह की मालिशकर्ता​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 147​
विशेष समारोह महायाजक​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 148​
महायाजक द्वारा सशक्तिकरण​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 149​
पुजारिणो द्वारा सशक्तिकरण​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 150​
सशक्तिकरण​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 151​
दावत कक्ष​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 152​
मार्टिनी ग्लास में नर्तकी​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 153​
दावत - 13. मुख्य व्यंजन - 1. जूस, 2 फल. 3 स्नैक्स 4. सूप​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 154​
दावत - 13. मुख्य व्यंजन - 5. ऐपेटाइज़र, 6. सलाद​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 155​
दावत - 13. मुख्य व्यंजन 6- सलाद​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 156​
दावत - 13. 7 - तालू की सफाई के लिए वाइन. स्तन निरीक्षण​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 157​
दावत - 13. 8 मुख्य व्यंजन​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 158​
दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 8- मुख्य व्यंजन​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 159​
दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 9 शैंपेन से मुख शुद्धि -​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 160​
दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 10 अगली मुख्य डिश​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 161​
दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 10- एक बार फिर​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 162​
दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 11 -मजेदार आनद का अनुभव​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 163​
दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 11 - सामूहिक आनद का अनुभव​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 164​
दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 11 - मजेदार अनुभव​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 165​
दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन -12- मजेदार मीठा​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 166​
असुविधा को दूर करने का प्रयास​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 167​
दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन -12- मीठा त्यार है​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 168​
दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन -12- मीठा परोस दिया है​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 169​
मालिश​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 170​
सैडविच मालिश​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 171​
जुड़वाँ बहनो के साथ मालिश और सम्भोग​
अंतरंग हमसफ़र​
भाग 172
बेकरार महायाजक
 
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अंतरंग हमसफ़र 01
मेरे अंतरंग हमसफ़र ये कहानी झट पट शादी और सुहागरात का ही अगला भाग हैl
click here to read
दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानी।

दोस्तों मैं दीपक कुमार, मैं अठारह साल की उम्र तक पढ़ाई में ही डूबा रहाl मैं हमेशा पढ़ने लिखने में होशियार, एक मेधावी छात्र थाl उस समय तक पढाई में ही डूबे रहने के कारण मेरे कोई ख़ास दोस्त भी नहीं थे और मैं स्कूल में भी अपने अध्यापकों के ही साथ अपनी पढ़ाई में ही लगा रहता थाl

मैं अपने माँ बाप की एकलौती संतान हूँl अठारह साल की उम्र तक मेरी देखभाल करने वाले भी पुरुष नौकर ही थेl हालाँकि, मेरे पिताजी की एक से अधिक पत्निया रही है और मेरी कुछ सौतेली बहने भी हैं, पर मुझे हमेशा उनसे दूर ही रखा गया थाl यहाँ तक की मेरी अपनी माँ के अतिरिक्त किसी महिला से कोई ख़ास बातचीत भी नहीं होती थीl
मेरा स्कूल भी सिर्फ लड़कों का ही था जिसमे कोई महिला टीयर भी नहीं थीl मुझे कभी भी लड़कियों की संगत करने की अनुमति नहीं थी, गर्लफ्रेंड तो बहुत दूर की कौड़ी थीl
स्कूल ख़त्म करने के बाद और फाइनल पेपर देने के बाद, मैं अपनी उपरोक्त परवरिश और स्वभाव के कारण, मैं अपने जीवन की नीरस दिनचर्या से बहुत विचलित हो गया थाl मुझे यक़ीन होने लगा था कि इस तरह मैं अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकताl मुझे दिनचर्या में बदलाव की बहुत सख्त ज़रूरत महसूस हो रही थीl
जब मेरे सब पेपर ख़त्म हो गए तो मैंने अपनी सभी किताबों को एक कोने में रख कर, अपने पहली मंजिल पर स्तिथ अपने कमरे से निकल कर, घर से बाहर घूमने जाने के लिए फटाफट नीचे उतरा, तो दरवाजे पर मुझे मेरे पिता जी मिल गएl
उनके साथ मेरे फूफा रोज़र अपने दो बेटों, रोबोट (बॉब) और टॉम मिलेl दोनों मेरी ही उम्र के थेl उन्हें आया देख, मैं बहुत खुश हुआl मुझे लगा अब इनके साथ मैं अपनी दिनचर्या को बदल कर, खूब खेलूंगा, मस्ती करूंगा. और अपनी बोरियत दूर कर सकूंगाl
b1a.jpg

उसी दिन, मेरे पिता ने मुझे बताया कि वह और मेरी माँ वह कुछ दिन के लिए कुछ जरूरी काम के सिलसिले में विदेश (इंग्लैण्ड) जा रहे हैं, और उनकी अनुपस्थिति में, मुझे अपने फूफा के साथ यहीं रहना था और एक या दो सप्ताह के लिए हमारे पास यहाँ रहने के बाद मेरे फूफा और फूफेरे भाई गाँव में जाएंगेl
अगले दिन मेरे पिता ने विदेश जाने से पहले, मुझे कुछ जरूरी परामर्श दिए और किन-किन चीजों का ख़्याल रखना हैं, उनके पीछे से क्या करना हैं, क्या नहीं करना हैं, कैसे करना हैं, सब समझायाl मुझे प्यार और आशीर्वाद देने के बाद, मेरे पिता और माँ लंदन रवाना हो गएl
मेरे फूफेरे भाई, रोबोट (बॉब) और टॉम, से मेरी अच्छी बनती थीl मेरे फूफा, रोबोट (बॉब) और टॉम अंग्रेज थेl रोबोट (बॉब) और टॉम दोनों, लगभग हर साल कुछ दिन के लिए हमारे पास रहने लन्दन से आते थे और मुझे उनके साथ खूब मज़ा आता थाl परन्तु बॉब और टॉम की बहने भी, जब हमारे घर आती थी मुझे उनसे दूर ही रखा जाता थाl
बॉब और टॉम दोनों पहले जब भी मिलते थे. तो दोनों बहुत सीधे और सरल लड़के लगते थे, लेकिन इस बार दोनों बहुत शैतान या यूँ कहिये बदमाश हो गए थेl
मुझे अब वह दोनों, दो ऐसे जंगली घोड़ों जैसे लगते थे, जिन्हे सीधे सादे निवासियों पर खुला छोड़ दिए गया होl शैतानी करने के बाद पकड़े जाने पर, सब बात मुझ पर डाल कर, दोनों ख़ुद साफ़ बच निकलते थेl दोनों सभी प्रकार के कुचक्रों बनाने में बहुत निपुण और विद्वान साबित होते थेl
बॉब और टॉम को एक तरह से पूरी छुट मिली हुई थी, क्योंकि मेरे फूफा, जिन्हें कुछ व्यावसायिक और अन्य व्यस्तता के कारण, हमारे आचरण की देखभाल निगरानी करने का समय नहीं था, इसलिए वह दोनों दिन भर उछल कूद मचाते रहते थेl उनकी शरारते देख कर मैं भी मजे लेता रहता था और कभी-कभी उनके साथ मैं भी धमा चौकड़ी मचा लेता थाl
फिर दो दिन बाद फूफाजी, हम तीनो को साथ लेकर गाँव में हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर चले गएl वहाँ पर भी बॉब और टॉम की उछल कूद जारी रही, क्योंकि फूफा ज़मीन जायदाद के सारे मसले देखने में ही व्यस्त रहते थेl मैं भी उनमें जाने अनजाने शामिल रहता था, इसलिए कोई भी नौकर चाकर डर के मारे बॉब और टॉम की शिकायत नहीं करता थाl अगले दिन फूफा किसी काम से पास के गाँव में अपने किसी मित्र से मिलने चले गए और हमें पता चला वह आज रात वापिस नहीं आएंगेl
हालांकि, पिछले तीन दिनों के दौरान जब मेरे फूफेरे भाई मेरे साथ थे, उन्होंने भद्दे-भद्दे चुटकुले और असभ्य बातचीत करके, लड़कियो के पवित्र होने की जिस अवधारणा के साथ मेरी माँ ने मुझे पाला था, मेरी
सभी उन पूर्वधारणाओं को उखाड़ फेंका थाl
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हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर में हम सब के ठहरने के लिए अलग-अलग, बड़े-बड़े आलीशान कमरे थेl शाम को मैं बॉब की तलाश में मेरे फूफेरे भाई बॉब के कमरे में गया, दरवाज़ा खोलने पर, मैंने जो कुछ देखा, उस पर मैं पूरी तरह से चकित रह गयाl वहाँ बिस्तर पर टॉम लगभग नंगा एक बेहद खूबसूरत भगवान की बनाई हुई लाजवाब मूर्ति के जैसी, गोरी, गुलाबी गालों वाली कमसिन लड़की की बाँहों में खोया हुआ था, जिसके कपड़े हमारी नौकरानियों जैसे थेl
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जब मैंने कमरे में प्रवेश किया तो वहाँ बॉब उस खूबसूरत कन्या के ऊपर एक तंग अंतरंग आलिंगन में जकड़ा हुआ लेटा हुआ था l लड़की की लम्बी खूबसूरत सफेद टाँगों का एक जोड़ा उसकी पीठ के ऊपर से पार हो गया थाl उनके शरीर की थिरकन, हिलने और स्पीड को देखकर मुझे लगा कि वे दोनों असीम आनंद ले रहे हैं, जो उनके लिए पूरी तरह से संतोषजनक थाl दोनों उस आनंद दायक क्रिया में इस तरह से डूबे हुए थे, कि उन्हें मेरे आने का कुछ पता नहीं चला, यहाँ तक के ये भी नहीं मालूम हुआ कि कब मैंने उस कमरे में प्रवेश किया हैl

कहानी जारी रहेगीl
आपका दीपक l
 
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Intimate Partners अंतरंग हमसफ़र भाग 02

अंतरंग हमसफ़र मेरे दोस्त, दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानीl

दोस्तों मैं दीपक, आपने मेरी कहानी 'अंतरंग हमसफ़र-1' में पढ़ा, मैंने अपने फूफेरे भाई बॉब को एक लड़की के साथ अंतरंग हालात में देखाl

अब आगे-


बिस्तर पर दोनों को इस तरह से अंतरंग हालात में देखकर मैं इतना चकित हो गया कि, मैं दरवाजे पर खड़ा उन्हें तब तक देखता रहा, जब तक कि बॉब ने हिलना बंद नहीं कर दियाl उसके बाद बॉब कुछ देर शांत होकर उस खूबसूरत लड़की के ऊपर ही लेट गया और उसे चूमने लगा, फिर उसेने ख़ुद को लड़की से दूर कर लियाl

वह उठा, उसकी पीठ मेरी तरफ थी, जबकि, वह सुन्दर खूबसूरत अधनंगी लड़की अभी भी अपनी आँखें बंद करके लेटी हुई थीl उसका पेटीकोट और कमीज ऊपर की और था, जिससे उसके बड़े-बड़े सुडौल स्तन मुझे ललचा रहे थेl लड़की का बदन, इतना सुन्दर, खूबसूरत, और आकर्षक उत्तेजक होता है, ये मुझे उस दिन ही पता चला था।

उस लड़की की टाँगे खुली हुई थीl वह हिली, और उसने अपनी जाँघों को अलग कियाl मेरी आँखे उसके सुन्दर गोर सुडौल बदन को टकटकी लगा कर देखने लगी, और मैंने उसके गोल सफेद सपाट पेट का मुआयना कियाl लड़की के नीचे के हिस्से और दोनों जाँघों के बीच की जगह को गहरे काले घुँघराले बालों ने छुपाया हुआ था।
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मैंने ऐसा अकसर लड़कों से सुना था, लेकिन पहले कभी नहीं देखा थाl मैंने काले घुंघराले बालों के ताले के बीच छीपी हुई योनि की पहली झलक देखी। उसकी जाँघों के खुलने से मैंने घुंघराले बालों के बीच छीपी हुई उस शानदार गुफा, जो की एक गर्म-गर्म भट्ठे की तरह थीl उसके बीच के चीरे के आसपास दो मोटे और रसीले होंठों के बीच थोड़ा-सी खुली हुई थीl योनि मे से थोड़ा-सा सफेद दिखने वाला झाग निकल रहा थाl

मैंने जो कुछ देखा उससे अजीब-सी भावनाएँ, मुझ में जग गई थींl

मैं उस खूबसूरत नज़ारे को और पास से देखने के लिए बिस्तर की ओर आगे बढ़ा। जिस क्षण मेरे क़दम की आवाज़ को सुना गया, उस लड़की ने ख़ुद को बेडकवर के नीचे छुपा लियाl बॉब पलटा और मुझे मिलने आया, और मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर मुझे बिस्तर तक ले गया, और कहा, -मेरे भाई दीपक तुमने क्या देखा है? आप कितने समय से कमरे में हैं? "

मैंने उसे बताया कि मैंने उनके पूरे पराक्रम और प्रदर्शन को देखा है।

जब तुमने सब देख ही लिया है, तो फिर केसी शर्म, कहते हुए बॉब ने उस लड़की का कवर उतार कर फेंक दियाl लड़की अपने स्तनों को एक हाथ से, तथा दुसरे हाथ से अपने चेहरे को छिपाने की नाकाम कोशिश करने लगी, और मैं उस खूबसूरती के मुजस्मे को घूरता ही रहाl मेरा हाथ अनायास ही मेरे लंड पर चला गया, जो की मुझे कड़ा होता हुआ महसूस हुआl

बाब ने लड़की को बैठे हुए मुद्रा में उठाते हुए, एक हाथ उसकी कमर पर लपेटते हुए कहा-" दीपक भाई!, क्या तुमने कभी किसी लड़की के संग का आनंद लिया है?

मैंने कहा "नहीं कभी नहीं"l
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तो बॉब बोला तुमसे बातें करते हुए, मुझे कुछअंदाजा तो था, के तुम इस मामले में बिलकुल अनारी होl

तुमने एक सुंदर लड़की को बांहों में लेकर प्यार करने से प्राप्त होने के लिए सुख का स्वाद कभी नहीं लिया हैंl तुम्हें नहीं पता इस आनंद के आगे दुनिया के सभी सुख और आनंद फीके हैंl तुम ये भी नहीं जानते, कि एक खूबसूरत लड़की की बाहो में खो जाना उसे हासिल कर लेना, उसे प्यार करना, और उसका प्यार पाने के प्रलोभन का विरोध कर पाना, एक पुरुष के लिए कितना कठिन हैl पुरुष अपनी पूरी शक्ति और साधन का उपयोग करके, एक खूबसूरत स्त्री को हासिल करने के लिए अपना सब कुछ भी दाव पर लगा देता हैl इस शारीरिक भूख को रोक सकने की शक्ति बहुत कम लोगों में होती हैl

फिर उस लड़की का हाथ पकड़ कर चूमते हुआ बॉब बोला-ऐसा कौन है, जो ऐसी सुंदर, प्यारी, और आकर्षक हुस्न की मालकिन हसीना को इनकार कर सकता हैl मैं क्या चीज हूँl इन्होंने मुझे कल रात अपने कक्ष में मुझे आमंत्रित किया था, लेकिन मैं इंतज़ार नहीं कर सकाl मैंने आज ही इसे अपने कक्ष में आमंत्रित कर इनके शिष्टाचार का जवाब दिया, जो इन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया, और ये सब उसी का नतीजा हैl "
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वह खूबसूरत हसीना जिसे मैंने पहले बार बेपर्दा देखा था, वह रूबी थी l बॉब ने मुझ से पूछा "क्यों भाई ये बहुत आकर्षक और खूबसूरत है न?"

तो मैंने उत्तर दिया, "हाँ, बेशक, ये बहुत ही सुन्दर और आकर्षक है"l लिंगों के संयोजन से प्राप्त सुखों को प्राप्त करने की इच्छा महसूस करते हुए, मैंने अपने हाथ रूबी के नंगे घुटने पर रखे, जो अभी भी बिस्तर के किनारे पर बैठी थीl उसके कपड़े उसकी योनी और जाँघों को छुपाने की असफल कोशिश कर रहे थेl उसने अपनी क़मीज़ के नीचे खिसका दिया था, जो अपने नीचे उस खूबसूरत योनि की छुपाये हुई थीl

मेरे हाथ धीरे-धीरे उसकी रस भरी योनि की और बढ़ने लगा और मैं धीरे-धीरे रूबी को अपनी और खींचने लगाl

वही पता नहीं मुझे क्या हुआ के अनायास ही मेरे हाथ रूबी के घुटनों पर चले गए, और उसकी योनि की और बढ़ने लगे, लेकिन बॉब ने मुझे रोकते हुए कहा, "मुझे माफ़ कर दो, मेरे भाई, लेकिन रूबी फिलहाल मेरी हैl कम से कम वर्तमान के लिए, लेकिन जैसा कि मैं देख रहा हूँ, कि आप प्रेम की देवी के रहस्यों में ख़ुद को डूबा देने के लिए उत्सुक हैं, तैयार हैंl मुझे लगता है कि रूबी की मदद से मैं आपको रात के लिए एक साथी खोजने में सक्षम हो सकता हूँl उसने रूबी की तरफ़ देखते हुए कहा क्या हम मेरे भाई के लिए एक साथी नहीं ढूँढ सकते?"

तो रूबी वहाँ एकदम से कूद कर अपने पैरो पर खड़ी हो गयी और मुसकुराते हुए बोली, बहुत बढ़िया "हम, महाशय दीपक को मेरी छोटी बहन रोज़ी से मिला देते हैं, और मुझे यक़ीन है कि मेरे ख़ुद की तुलना में रोज़ी बहुत सुंदर लड़की हैl कुमार दीपक, रोज़ी आपको बहुत अच्छी लगेगीl उसकी मुझ से बड़ी सुडौल और गोरे गोरी स्तन हैं"l उसने फुसफुसाते हुए मेरे फूफेरे भाई बॉब के कानों में कुछ कहाl
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तो बॉब ने मुझे बधाई देते हुए कहा :मेरे भाई तुम बहुत क़िस्मत वाले हो तुम्हें बहुत बधाई!, अभी मुझे रूबी ने बताया है, तुम्हारी पहली साथी भी तुम्हारी तरह ही कुंवारी हैl मुझे रूबी ने भी मुबारक दी और अपनी गोल सफेद गोलाइयों की जोड़ी को कवर किया कहा, जिन्हे मैं अपनी आँखों से लालच से खा रहा था। "मुझे यक़ीन है, जब हम उसे आज रात लाएंगे तो आप रोज़ी से मिल कर प्रसन्न होंगे", रूबी बोलीl

तो मुझ से बॉब ने पूछा "तुम चुदाई के बारे में क्या जानते हो?" तो मेरा जवाब सुन कर वह बो बोला "तुम्हें बहुत कुछ सिखाना पड़ेगा", और बोला "रूबी मेरी मदद करो दीपक को कुछ सेक्स सीखा देते हैं"l

बॉब बोला तो दीपक, तुम अब ठीक से चुदाई देख और सीख लोl

बॉब रूबी को किस करने लगा और उसके और अपने सारे कपडे उतार डालेl बॉब उसके बूब्स दबाने लगा, और रूबी उसके खड़े लण्ड को सहलाते हुए अपनी चूत पर घिसने लग गयीl

और फिर बॉब अपना लण्ड रूबी की चूत में घुसा कर दनादन धक्के लगाने लग गयाl फिर एक दो आसान बदले और कुछ देर बाद झड़ गया। उसके बाद, रूबी ने मुझ से वादा किया, कि वह रात को अपनी बहन को मेरे कमरे में ले आएगी, तो मैंने भी वादा किया, कि मैं भी उसका और बॉब का राज गुप्त रखूँगा, और जो मैंने देखा था उसका किसी से भी कोई जि़क्र नहीं करूंगाl मैं उन्हें वही छोड़ कर अपने कमरे की और जाने लगाl

बॉब रूबी के कान में कुछ फुसफुसाया और रूबी अपने कपडे उठा कर भाग गयी, और जाते हुए बोली रात के खाने के बाद मैं रोज़ी को ले कर आती हूँl बाद में बॉब ने मुझे सेक्स के बारे में कुछ और हिदायतें दी और सफ़ाई करने की जरूरी हिदायतें दीl उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया और नहा धो कर सफ़ाई कर के जल्दी-जल्दी रात का खाना खायाl

रात को जल्दी से अपने कमरे में जाकर मैंने एक घंटा इंतज़ार के बुखार में बितायाl फिर रूबी मेरे कमरे में आयी और मुझ से बोली "आप कुछ देर के लिए अपने भाई बॉब के कमरे में चले जाओ, तब तक मैं आपका कमरा तैयार कर देती हूँl इतनी देर में रोज़ी भी आ जायेगी, फिर जब मैं बुलाऊंगी आप आ जाना"l
लगभग आधे घंटे बाद में रूबी मेरे पास आयी और मुझे मेरे कमरे में ले गयी वहां कमरे का नजारा बदला हुआ थाl बिस्तर फूलों से सजा हुआ थाl मेरे अंदर आते ही रूबी की बहन रोजी कमरे में दाखिल हुईl मैंने रोजी की तरफ हाथ बढ़ाया रोजी एक सबसे खूबसूरत लड़की थीl रोजी ने एक दुल्हन की गुलाबी पोशाक पहन रखी थीl
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मैं रोजी को एकटक देखता रहा और जिस पल वह कमरे में दाखिल हुई और दरवाजा बंद किया गयाl मैं आगे की ओर बढ़ गया, उसे अपनी बांहों में पकड़ लिया, और उसे एक सोफे पर ले गया, जहां मैं बैठ गया और उसे अपनी तरफ खींच लियाl रोजी ने एक दुल्हन की पोशाक में अपना चेहरा नक़ाब से ढक रखा थाl मैंने उसका हाथ पकड़ कर चूमा और अपनी जेब से एक अंगूठी निकाल कर उसे तोहफ़े के तौर पर दी, और उसे कहा ये हमारे पहले मिलन की निशानी के तौर पर तोहफा कबूल करो, मेरी रोज! उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और मैंने उसे अंगूठी पहना दीl
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मैंने उसका नक़ाब हटाया और उसका खूबसूरत चेहरा देखकर मुझसे रुका न गया, और उसके होंठ चूमने लगाl
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मैंने वों रुमाल जो उसके स्तनों को ढक रहा था, उसके पिन को खोला, तो उसके बड़े गोल सुडौल उरोज मेरे सामने उजागर हो गएl मैं उसके स्तन चूमते हुए अपनी बांहों में फिर से उसे कस कर जकड़ लियाl मेरी निष्ठुरता और कुछ हद तक, अपने आप को मेरे आलिंगन से मुक्त करने के लिए रोजी संघर्ष करने लगी, और बोली प्लीज मुझे छोड़ दोl तब उस कमरे में मौजूद रूबी जिसे मैं लगभग भूल ही चूका था वह बोलीl

कुमार!! रोजी इससे पहले किसी पुरुष के साथ अंतरंग नहीं हुई है, और कुंवारी है, इसलिए आपको थोड़ी गंवार या अनारी लग सकती हैl लेकिन आपके साथ रहने के लिए बहुत इच्छुक और उत्साहित है, और वों आपको जरूर खुश करेगी, ऐसा मेरा यकीन हैl मुझे पक्का भरोसा है, वह आपकी सारी इच्छाएं पूरी करेगीl आप दोनों बहुत मजे करोगेl ये उसका पहली बार है, इसलिए थोड़ा आराम से और प्यार से कीजियेl
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क्यों मेरी बहन रोजी क्या ऐसा नहीं है,?

जिस पर रोजी ने एकदम से जवाब दिया, "ओह! हां," दीदी, और मेरी छाती में अपना चेहरा छिपा लियाl कसम से, उसकी इस अदा पै, मैं एकदम फ़िदा हो गयाl उसका चेहरा ऊपर कर उसके माथे पर एक किस कियाl उसे अपनी छाती से लगा लिया, और बोला "मेरी जान! घबराओ मत अब आराम से करूंगाl. क्या करूँ तुम्हें देख कर मुझ से रुका ही नहीं जा रहा"l

रूबी ने मुझे बताया, चूंकि शराब जोश और हिम्मत को बढाती है, प्रेम की उत्तेजना को भी बढाती है, वह बोली वह मेरे लिए कुछ शराब ले कर आती हैl मैंने कहा रूबी तुम चिंता मत करो शराब हर कमरे में उपलब्ध है, क्योंकि मेरे पिताजी और फूफा सब शराब के शौकीन हैl

फिर वों रोजी से बोली. "कुमार को अच्छे से खुश करो मेरी बहन और उन्हें अच्छी शराब जितनी वों पी सके, उतनी पिलाओ और उनकी सब बात मानो"l फिर वह गयी और एक ट्रे में कुछ शराब के बोतल, केक नमकीन कुछ फल मिठाई इत्यादि ले आयीl मेरे पास आ कर, दो गिलासों में शराब डाल कर, मुझे एक छोटी बोतल देते हुए बोली मेरे कान में फुसफुसाई, "आप रोजी को शराब में इस ख़ास देसी दवा की कुछ बूंदे डाल दें और आपके गिलास में भी मैंने कुछ बूँद डाल दी है इससे आपका आनंद बढ़ जाएगाl फिर मजे करिये", और शुभ रात्रि बोल कर वह दरवाजा बंद कर चली गयीl

जब रूबी चली गयी, तो मैंने अंदर से दरवाजा बंद कर दिया, फिर एक टेबल को बिस्तर का पास खींचा, और रोजी को बिस्तर पर ले गयाl उसके पास बैठ कर, मैंने पहले बिना रोजी के साथ कोई स्वतंत्रता लिए,आगे धीरे- धीरे आगे बढ़ने का फैसला किया, और अपने सभी प्रयास आराम से करने का प्रयास कियाl मैं उसकी प्रशंसा करने लगा मैं उसे कहा,"तुम मुझे बहुत अच्छी लगीl तुम बहुत अच्छी हो!"
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तो उसने शर्माते हुए पुछा, "आप को मुझ में क्या अच्छा लगा?", तो मैंने कहा, "तुम्हारे रस भरे ओंठ, मन करता है, बस इन्हें चूसता रहूँ l"
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वह बोली तो फिर किसने रोका है और मेरे ओंठों पर उसने अपने ओंठ रख दिए, और मैंने उसके रस भरे ओंठों पर चुम्बन कर दियाl ऐसे ही उसकी तारीफ करता रहा, और उसका पूरा चेहरा, गाल, नाक, माथा, और आँखे, धीरे-धीरे सब चूमते-चूमते चाट गया l

कहानी जारी रहेगी l
आपका दीपक l
 
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मेरे अंतरंग हमसफ़र
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परिचय

दोस्तों मैं दीपक कुमार, मेरे अंतरंग हमसफर मेरी सबसे पहली कहानी है और इसके पहल्रे 3 भाग आप पढ़ सकते हैं "झट पट शादी और सुहागरात" के नाम से जो मेरे कॉलेज के दोस्त ने पोस्ट किये हैं .

आगे के सभी भाग आपको इस फोरम पर मिलेंगे और मेरी कोशिश है आप इसे काफी कामुक पाएंगे और आपको पढ़ कर मजा भी आएगा

मैं अठारह साल की उम्र तक पढ़ाई में ही डूबा रहाl मैं हमेशा पढ़ने लिखने में होशियार, एक मेधावी छात्र थाl उस समय तक पढाई में ही डूबे रहने के कारण मेरे कोई ख़ास दोस्त भी नहीं थे और मैं स्कूल में भी अपने अध्यापकों के ही साथ अपनी पढ़ाई में ही लगा रहता था l


आपका

दीपक कुमार
:congrats: FOR NEW THREAD START
 
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अंतरंग हमसफ़र 01
मेरे अंतरंग हमसफ़र ये कहानी झट पट शादी और सुहागरात का ही अगला भाग हैl
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दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानी।

दोस्तों मैं दीपक कुमार, मैं अठारह साल की उम्र तक पढ़ाई में ही डूबा रहाl मैं हमेशा पढ़ने लिखने में होशियार, एक मेधावी छात्र थाl उस समय तक पढाई में ही डूबे रहने के कारण मेरे कोई ख़ास दोस्त भी नहीं थे और मैं स्कूल में भी अपने अध्यापकों के ही साथ अपनी पढ़ाई में ही लगा रहता थाl

मैं अपने माँ बाप की एकलौती संतान हूँl अठारह साल की उम्र तक मेरी देखभाल करने वाले भी पुरुष नौकर ही थेl हालाँकि, मेरे पिताजी की एक से अधिक पत्निया रही है और मेरी कुछ सौतेली बहने भी हैं, पर मुझे हमेशा उनसे दूर ही रखा गया थाl यहाँ तक की मेरी अपनी माँ के अतिरिक्त किसी महिला से कोई ख़ास बातचीत भी नहीं होती थीl
मेरा स्कूल भी सिर्फ लड़कों का ही था जिसमे कोई महिला टीयर भी नहीं थीl मुझे कभी भी लड़कियों की संगत करने की अनुमति नहीं थी, गर्लफ्रेंड तो बहुत दूर की कौड़ी थीl
स्कूल ख़त्म करने के बाद और फाइनल पेपर देने के बाद, मैं अपनी उपरोक्त परवरिश और स्वभाव के कारण, मैं अपने जीवन की नीरस दिनचर्या से बहुत विचलित हो गया थाl मुझे यक़ीन होने लगा था कि इस तरह मैं अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकताl मुझे दिनचर्या में बदलाव की बहुत सख्त ज़रूरत महसूस हो रही थीl
जब मेरे सब पेपर ख़त्म हो गए तो मैंने अपनी सभी किताबों को एक कोने में रख कर, अपने पहली मंजिल पर स्तिथ अपने कमरे से निकल कर, घर से बाहर घूमने जाने के लिए फटाफट नीचे उतरा, तो दरवाजे पर मुझे मेरे पिता जी मिल गएl
उनके साथ मेरे फूफा रोज़र अपने दो बेटों, रोबोट (बॉब) और टॉम मिलेl दोनों मेरी ही उम्र के थेl उन्हें आया देख, मैं बहुत खुश हुआl मुझे लगा अब इनके साथ मैं अपनी दिनचर्या को बदल कर, खूब खेलूंगा, मस्ती करूंगा. और अपनी बोरियत दूर कर सकूंगाl
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उसी दिन, मेरे पिता ने मुझे बताया कि वह और मेरी माँ वह कुछ दिन के लिए कुछ जरूरी काम के सिलसिले में विदेश (इंग्लैण्ड) जा रहे हैं, और उनकी अनुपस्थिति में, मुझे अपने फूफा के साथ यहीं रहना था और एक या दो सप्ताह के लिए हमारे पास यहाँ रहने के बाद मेरे फूफा और फूफेरे भाई गाँव में जाएंगेl
अगले दिन मेरे पिता ने विदेश जाने से पहले, मुझे कुछ जरूरी परामर्श दिए और किन-किन चीजों का ख़्याल रखना हैं, उनके पीछे से क्या करना हैं, क्या नहीं करना हैं, कैसे करना हैं, सब समझायाl मुझे प्यार और आशीर्वाद देने के बाद, मेरे पिता और माँ लंदन रवाना हो गएl
मेरे फूफेरे भाई, रोबोट (बॉब) और टॉम, से मेरी अच्छी बनती थीl मेरे फूफा, रोबोट (बॉब) और टॉम अंग्रेज थेl रोबोट (बॉब) और टॉम दोनों, लगभग हर साल कुछ दिन के लिए हमारे पास रहने लन्दन से आते थे और मुझे उनके साथ खूब मज़ा आता थाl परन्तु बॉब और टॉम की बहने भी, जब हमारे घर आती थी मुझे उनसे दूर ही रखा जाता थाl
बॉब और टॉम दोनों पहले जब भी मिलते थे. तो दोनों बहुत सीधे और सरल लड़के लगते थे, लेकिन इस बार दोनों बहुत शैतान या यूँ कहिये बदमाश हो गए थेl
मुझे अब वह दोनों, दो ऐसे जंगली घोड़ों जैसे लगते थे, जिन्हे सीधे सादे निवासियों पर खुला छोड़ दिए गया होl शैतानी करने के बाद पकड़े जाने पर, सब बात मुझ पर डाल कर, दोनों ख़ुद साफ़ बच निकलते थेl दोनों सभी प्रकार के कुचक्रों बनाने में बहुत निपुण और विद्वान साबित होते थेl
बॉब और टॉम को एक तरह से पूरी छुट मिली हुई थी, क्योंकि मेरे फूफा, जिन्हें कुछ व्यावसायिक और अन्य व्यस्तता के कारण, हमारे आचरण की देखभाल निगरानी करने का समय नहीं था, इसलिए वह दोनों दिन भर उछल कूद मचाते रहते थेl उनकी शरारते देख कर मैं भी मजे लेता रहता था और कभी-कभी उनके साथ मैं भी धमा चौकड़ी मचा लेता थाl
फिर दो दिन बाद फूफाजी, हम तीनो को साथ लेकर गाँव में हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर चले गएl वहाँ पर भी बॉब और टॉम की उछल कूद जारी रही, क्योंकि फूफा ज़मीन जायदाद के सारे मसले देखने में ही व्यस्त रहते थेl मैं भी उनमें जाने अनजाने शामिल रहता था, इसलिए कोई भी नौकर चाकर डर के मारे बॉब और टॉम की शिकायत नहीं करता थाl अगले दिन फूफा किसी काम से पास के गाँव में अपने किसी मित्र से मिलने चले गए और हमें पता चला वह आज रात वापिस नहीं आएंगेl
हालांकि, पिछले तीन दिनों के दौरान जब मेरे फूफेरे भाई मेरे साथ थे, उन्होंने भद्दे-भद्दे चुटकुले और असभ्य बातचीत करके, लड़कियो के पवित्र होने की जिस अवधारणा के साथ मेरी माँ ने मुझे पाला था, मेरी
सभी उन पूर्वधारणाओं को उखाड़ फेंका थाl
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हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर में हम सब के ठहरने के लिए अलग-अलग, बड़े-बड़े आलीशान कमरे थेl शाम को मैं बॉब की तलाश में मेरे फूफेरे भाई बॉब के कमरे में गया, दरवाज़ा खोलने पर, मैंने जो कुछ देखा, उस पर मैं पूरी तरह से चकित रह गयाl वहाँ बिस्तर पर टॉम लगभग नंगा एक बेहद खूबसूरत भगवान की बनाई हुई लाजवाब मूर्ति के जैसी, गोरी, गुलाबी गालों वाली कमसिन लड़की की बाँहों में खोया हुआ था, जिसके कपड़े हमारी नौकरानियों जैसे थेl
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जब मैंने कमरे में प्रवेश किया तो वहाँ बॉब उस खूबसूरत कन्या के ऊपर एक तंग अंतरंग आलिंगन में जकड़ा हुआ लेटा हुआ था l लड़की की लम्बी खूबसूरत सफेद टाँगों का एक जोड़ा उसकी पीठ के ऊपर से पार हो गया थाl उनके शरीर की थिरकन, हिलने और स्पीड को देखकर मुझे लगा कि वे दोनों असीम आनंद ले रहे हैं, जो उनके लिए पूरी तरह से संतोषजनक थाl दोनों उस आनंद दायक क्रिया में इस तरह से डूबे हुए थे, कि उन्हें मेरे आने का कुछ पता नहीं चला, यहाँ तक के ये भी नहीं मालूम हुआ कि कब मैंने उस कमरे में प्रवेश किया हैl

कहानी जारी रहेगीl
आपका दीपक l
BAHUT SHANDAAR UPDATE KEEP IT UP DEAR
 

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