Fantasy मेरे अंतरंग हमसफ़र

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Intimate Partners अंतरंग हमसफ़र भाग 02

अंतरंग हमसफ़र मेरे दोस्त, दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानीl

दोस्तों मैं दीपक, आपने मेरी कहानी 'अंतरंग हमसफ़र-1' में पढ़ा, मैंने अपने फूफेरे भाई बॉब को एक लड़की के साथ अंतरंग हालात में देखाl

अब आगे-


बिस्तर पर दोनों को इस तरह से अंतरंग हालात में देखकर मैं इतना चकित हो गया कि, मैं दरवाजे पर खड़ा उन्हें तब तक देखता रहा, जब तक कि बॉब ने हिलना बंद नहीं कर दियाl उसके बाद बॉब कुछ देर शांत होकर उस खूबसूरत लड़की के ऊपर ही लेट गया और उसे चूमने लगा, फिर उसेने ख़ुद को लड़की से दूर कर लियाl

वह उठा, उसकी पीठ मेरी तरफ थी, जबकि, वह सुन्दर खूबसूरत अधनंगी लड़की अभी भी अपनी आँखें बंद करके लेटी हुई थीl उसका पेटीकोट और कमीज ऊपर की और था, जिससे उसके बड़े-बड़े सुडौल स्तन मुझे ललचा रहे थेl लड़की का बदन, इतना सुन्दर, खूबसूरत, और आकर्षक उत्तेजक होता है, ये मुझे उस दिन ही पता चला था।

उस लड़की की टाँगे खुली हुई थीl वह हिली, और उसने अपनी जाँघों को अलग कियाl मेरी आँखे उसके सुन्दर गोर सुडौल बदन को टकटकी लगा कर देखने लगी, और मैंने उसके गोल सफेद सपाट पेट का मुआयना कियाl लड़की के नीचे के हिस्से और दोनों जाँघों के बीच की जगह को गहरे काले घुँघराले बालों ने छुपाया हुआ था।
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मैंने ऐसा अकसर लड़कों से सुना था, लेकिन पहले कभी नहीं देखा थाl मैंने काले घुंघराले बालों के ताले के बीच छीपी हुई योनि की पहली झलक देखी। उसकी जाँघों के खुलने से मैंने घुंघराले बालों के बीच छीपी हुई उस शानदार गुफा, जो की एक गर्म-गर्म भट्ठे की तरह थीl उसके बीच के चीरे के आसपास दो मोटे और रसीले होंठों के बीच थोड़ा-सी खुली हुई थीl योनि मे से थोड़ा-सा सफेद दिखने वाला झाग निकल रहा थाl

मैंने जो कुछ देखा उससे अजीब-सी भावनाएँ, मुझ में जग गई थींl

मैं उस खूबसूरत नज़ारे को और पास से देखने के लिए बिस्तर की ओर आगे बढ़ा। जिस क्षण मेरे क़दम की आवाज़ को सुना गया, उस लड़की ने ख़ुद को बेडकवर के नीचे छुपा लियाl बॉब पलटा और मुझे मिलने आया, और मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर मुझे बिस्तर तक ले गया, और कहा, -मेरे भाई दीपक तुमने क्या देखा है? आप कितने समय से कमरे में हैं? "

मैंने उसे बताया कि मैंने उनके पूरे पराक्रम और प्रदर्शन को देखा है।

जब तुमने सब देख ही लिया है, तो फिर केसी शर्म, कहते हुए बॉब ने उस लड़की का कवर उतार कर फेंक दियाl लड़की अपने स्तनों को एक हाथ से, तथा दुसरे हाथ से अपने चेहरे को छिपाने की नाकाम कोशिश करने लगी, और मैं उस खूबसूरती के मुजस्मे को घूरता ही रहाl मेरा हाथ अनायास ही मेरे लंड पर चला गया, जो की मुझे कड़ा होता हुआ महसूस हुआl

बाब ने लड़की को बैठे हुए मुद्रा में उठाते हुए, एक हाथ उसकी कमर पर लपेटते हुए कहा-" दीपक भाई!, क्या तुमने कभी किसी लड़की के संग का आनंद लिया है?

मैंने कहा "नहीं कभी नहीं"l
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तो बॉब बोला तुमसे बातें करते हुए, मुझे कुछअंदाजा तो था, के तुम इस मामले में बिलकुल अनारी होl

तुमने एक सुंदर लड़की को बांहों में लेकर प्यार करने से प्राप्त होने के लिए सुख का स्वाद कभी नहीं लिया हैंl तुम्हें नहीं पता इस आनंद के आगे दुनिया के सभी सुख और आनंद फीके हैंl तुम ये भी नहीं जानते, कि एक खूबसूरत लड़की की बाहो में खो जाना उसे हासिल कर लेना, उसे प्यार करना, और उसका प्यार पाने के प्रलोभन का विरोध कर पाना, एक पुरुष के लिए कितना कठिन हैl पुरुष अपनी पूरी शक्ति और साधन का उपयोग करके, एक खूबसूरत स्त्री को हासिल करने के लिए अपना सब कुछ भी दाव पर लगा देता हैl इस शारीरिक भूख को रोक सकने की शक्ति बहुत कम लोगों में होती हैl

फिर उस लड़की का हाथ पकड़ कर चूमते हुआ बॉब बोला-ऐसा कौन है, जो ऐसी सुंदर, प्यारी, और आकर्षक हुस्न की मालकिन हसीना को इनकार कर सकता हैl मैं क्या चीज हूँl इन्होंने मुझे कल रात अपने कक्ष में मुझे आमंत्रित किया था, लेकिन मैं इंतज़ार नहीं कर सकाl मैंने आज ही इसे अपने कक्ष में आमंत्रित कर इनके शिष्टाचार का जवाब दिया, जो इन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया, और ये सब उसी का नतीजा हैl "
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वह खूबसूरत हसीना जिसे मैंने पहले बार बेपर्दा देखा था, वह रूबी थी l बॉब ने मुझ से पूछा "क्यों भाई ये बहुत आकर्षक और खूबसूरत है न?"

तो मैंने उत्तर दिया, "हाँ, बेशक, ये बहुत ही सुन्दर और आकर्षक है"l लिंगों के संयोजन से प्राप्त सुखों को प्राप्त करने की इच्छा महसूस करते हुए, मैंने अपने हाथ रूबी के नंगे घुटने पर रखे, जो अभी भी बिस्तर के किनारे पर बैठी थीl उसके कपड़े उसकी योनी और जाँघों को छुपाने की असफल कोशिश कर रहे थेl उसने अपनी क़मीज़ के नीचे खिसका दिया था, जो अपने नीचे उस खूबसूरत योनि की छुपाये हुई थीl

मेरे हाथ धीरे-धीरे उसकी रस भरी योनि की और बढ़ने लगा और मैं धीरे-धीरे रूबी को अपनी और खींचने लगाl

वही पता नहीं मुझे क्या हुआ के अनायास ही मेरे हाथ रूबी के घुटनों पर चले गए, और उसकी योनि की और बढ़ने लगे, लेकिन बॉब ने मुझे रोकते हुए कहा, "मुझे माफ़ कर दो, मेरे भाई, लेकिन रूबी फिलहाल मेरी हैl कम से कम वर्तमान के लिए, लेकिन जैसा कि मैं देख रहा हूँ, कि आप प्रेम की देवी के रहस्यों में ख़ुद को डूबा देने के लिए उत्सुक हैं, तैयार हैंl मुझे लगता है कि रूबी की मदद से मैं आपको रात के लिए एक साथी खोजने में सक्षम हो सकता हूँl उसने रूबी की तरफ़ देखते हुए कहा क्या हम मेरे भाई के लिए एक साथी नहीं ढूँढ सकते?"

तो रूबी वहाँ एकदम से कूद कर अपने पैरो पर खड़ी हो गयी और मुसकुराते हुए बोली, बहुत बढ़िया "हम, महाशय दीपक को मेरी छोटी बहन रोज़ी से मिला देते हैं, और मुझे यक़ीन है कि मेरे ख़ुद की तुलना में रोज़ी बहुत सुंदर लड़की हैl कुमार दीपक, रोज़ी आपको बहुत अच्छी लगेगीl उसकी मुझ से बड़ी सुडौल और गोरे गोरी स्तन हैं"l उसने फुसफुसाते हुए मेरे फूफेरे भाई बॉब के कानों में कुछ कहाl
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तो बॉब ने मुझे बधाई देते हुए कहा :मेरे भाई तुम बहुत क़िस्मत वाले हो तुम्हें बहुत बधाई!, अभी मुझे रूबी ने बताया है, तुम्हारी पहली साथी भी तुम्हारी तरह ही कुंवारी हैl मुझे रूबी ने भी मुबारक दी और अपनी गोल सफेद गोलाइयों की जोड़ी को कवर किया कहा, जिन्हे मैं अपनी आँखों से लालच से खा रहा था। "मुझे यक़ीन है, जब हम उसे आज रात लाएंगे तो आप रोज़ी से मिल कर प्रसन्न होंगे", रूबी बोलीl

तो मुझ से बॉब ने पूछा "तुम चुदाई के बारे में क्या जानते हो?" तो मेरा जवाब सुन कर वह बो बोला "तुम्हें बहुत कुछ सिखाना पड़ेगा", और बोला "रूबी मेरी मदद करो दीपक को कुछ सेक्स सीखा देते हैं"l

बॉब बोला तो दीपक, तुम अब ठीक से चुदाई देख और सीख लोl

बॉब रूबी को किस करने लगा और उसके और अपने सारे कपडे उतार डालेl बॉब उसके बूब्स दबाने लगा, और रूबी उसके खड़े लण्ड को सहलाते हुए अपनी चूत पर घिसने लग गयीl

और फिर बॉब अपना लण्ड रूबी की चूत में घुसा कर दनादन धक्के लगाने लग गयाl फिर एक दो आसान बदले और कुछ देर बाद झड़ गया। उसके बाद, रूबी ने मुझ से वादा किया, कि वह रात को अपनी बहन को मेरे कमरे में ले आएगी, तो मैंने भी वादा किया, कि मैं भी उसका और बॉब का राज गुप्त रखूँगा, और जो मैंने देखा था उसका किसी से भी कोई जि़क्र नहीं करूंगाl मैं उन्हें वही छोड़ कर अपने कमरे की और जाने लगाl

बॉब रूबी के कान में कुछ फुसफुसाया और रूबी अपने कपडे उठा कर भाग गयी, और जाते हुए बोली रात के खाने के बाद मैं रोज़ी को ले कर आती हूँl बाद में बॉब ने मुझे सेक्स के बारे में कुछ और हिदायतें दी और सफ़ाई करने की जरूरी हिदायतें दीl उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया और नहा धो कर सफ़ाई कर के जल्दी-जल्दी रात का खाना खायाl

रात को जल्दी से अपने कमरे में जाकर मैंने एक घंटा इंतज़ार के बुखार में बितायाl फिर रूबी मेरे कमरे में आयी और मुझ से बोली "आप कुछ देर के लिए अपने भाई बॉब के कमरे में चले जाओ, तब तक मैं आपका कमरा तैयार कर देती हूँl इतनी देर में रोज़ी भी आ जायेगी, फिर जब मैं बुलाऊंगी आप आ जाना"l
लगभग आधे घंटे बाद में रूबी मेरे पास आयी और मुझे मेरे कमरे में ले गयी वहां कमरे का नजारा बदला हुआ थाl बिस्तर फूलों से सजा हुआ थाl मेरे अंदर आते ही रूबी की बहन रोजी कमरे में दाखिल हुईl मैंने रोजी की तरफ हाथ बढ़ाया रोजी एक सबसे खूबसूरत लड़की थीl रोजी ने एक दुल्हन की गुलाबी पोशाक पहन रखी थीl
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मैं रोजी को एकटक देखता रहा और जिस पल वह कमरे में दाखिल हुई और दरवाजा बंद किया गयाl मैं आगे की ओर बढ़ गया, उसे अपनी बांहों में पकड़ लिया, और उसे एक सोफे पर ले गया, जहां मैं बैठ गया और उसे अपनी तरफ खींच लियाl रोजी ने एक दुल्हन की पोशाक में अपना चेहरा नक़ाब से ढक रखा थाl मैंने उसका हाथ पकड़ कर चूमा और अपनी जेब से एक अंगूठी निकाल कर उसे तोहफ़े के तौर पर दी, और उसे कहा ये हमारे पहले मिलन की निशानी के तौर पर तोहफा कबूल करो, मेरी रोज! उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और मैंने उसे अंगूठी पहना दीl
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मैंने उसका नक़ाब हटाया और उसका खूबसूरत चेहरा देखकर मुझसे रुका न गया, और उसके होंठ चूमने लगाl
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मैंने वों रुमाल जो उसके स्तनों को ढक रहा था, उसके पिन को खोला, तो उसके बड़े गोल सुडौल उरोज मेरे सामने उजागर हो गएl मैं उसके स्तन चूमते हुए अपनी बांहों में फिर से उसे कस कर जकड़ लियाl मेरी निष्ठुरता और कुछ हद तक, अपने आप को मेरे आलिंगन से मुक्त करने के लिए रोजी संघर्ष करने लगी, और बोली प्लीज मुझे छोड़ दोl तब उस कमरे में मौजूद रूबी जिसे मैं लगभग भूल ही चूका था वह बोलीl

कुमार!! रोजी इससे पहले किसी पुरुष के साथ अंतरंग नहीं हुई है, और कुंवारी है, इसलिए आपको थोड़ी गंवार या अनारी लग सकती हैl लेकिन आपके साथ रहने के लिए बहुत इच्छुक और उत्साहित है, और वों आपको जरूर खुश करेगी, ऐसा मेरा यकीन हैl मुझे पक्का भरोसा है, वह आपकी सारी इच्छाएं पूरी करेगीl आप दोनों बहुत मजे करोगेl ये उसका पहली बार है, इसलिए थोड़ा आराम से और प्यार से कीजियेl
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क्यों मेरी बहन रोजी क्या ऐसा नहीं है,?

जिस पर रोजी ने एकदम से जवाब दिया, "ओह! हां," दीदी, और मेरी छाती में अपना चेहरा छिपा लियाl कसम से, उसकी इस अदा पै, मैं एकदम फ़िदा हो गयाl उसका चेहरा ऊपर कर उसके माथे पर एक किस कियाl उसे अपनी छाती से लगा लिया, और बोला "मेरी जान! घबराओ मत अब आराम से करूंगाl. क्या करूँ तुम्हें देख कर मुझ से रुका ही नहीं जा रहा"l

रूबी ने मुझे बताया, चूंकि शराब जोश और हिम्मत को बढाती है, प्रेम की उत्तेजना को भी बढाती है, वह बोली वह मेरे लिए कुछ शराब ले कर आती हैl मैंने कहा रूबी तुम चिंता मत करो शराब हर कमरे में उपलब्ध है, क्योंकि मेरे पिताजी और फूफा सब शराब के शौकीन हैl

फिर वों रोजी से बोली. "कुमार को अच्छे से खुश करो मेरी बहन और उन्हें अच्छी शराब जितनी वों पी सके, उतनी पिलाओ और उनकी सब बात मानो"l फिर वह गयी और एक ट्रे में कुछ शराब के बोतल, केक नमकीन कुछ फल मिठाई इत्यादि ले आयीl मेरे पास आ कर, दो गिलासों में शराब डाल कर, मुझे एक छोटी बोतल देते हुए बोली मेरे कान में फुसफुसाई, "आप रोजी को शराब में इस ख़ास देसी दवा की कुछ बूंदे डाल दें और आपके गिलास में भी मैंने कुछ बूँद डाल दी है इससे आपका आनंद बढ़ जाएगाl फिर मजे करिये", और शुभ रात्रि बोल कर वह दरवाजा बंद कर चली गयीl

जब रूबी चली गयी, तो मैंने अंदर से दरवाजा बंद कर दिया, फिर एक टेबल को बिस्तर का पास खींचा, और रोजी को बिस्तर पर ले गयाl उसके पास बैठ कर, मैंने पहले बिना रोजी के साथ कोई स्वतंत्रता लिए,आगे धीरे- धीरे आगे बढ़ने का फैसला किया, और अपने सभी प्रयास आराम से करने का प्रयास कियाl मैं उसकी प्रशंसा करने लगा मैं उसे कहा,"तुम मुझे बहुत अच्छी लगीl तुम बहुत अच्छी हो!"
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तो उसने शर्माते हुए पुछा, "आप को मुझ में क्या अच्छा लगा?", तो मैंने कहा, "तुम्हारे रस भरे ओंठ, मन करता है, बस इन्हें चूसता रहूँ l"
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वह बोली तो फिर किसने रोका है और मेरे ओंठों पर उसने अपने ओंठ रख दिए, और मैंने उसके रस भरे ओंठों पर चुम्बन कर दियाl ऐसे ही उसकी तारीफ करता रहा, और उसका पूरा चेहरा, गाल, नाक, माथा, और आँखे, धीरे-धीरे सब चूमते-चूमते चाट गया l


कहानी जारी रहेगी l
आपका दीपक l
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अंतरंग हमसफ़र भाग 03
'अंतरंग हमसफ़र', मेरे दोस्त, दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानीl
दोस्तों मैं दीपक आपने मेरी कहानी मेरे अंतरंग जीवन की हमसफर-1-2 में पढ़ा, किस तरह मैं मैंने अपने फूफेरे भाई बॉब को रूबी के साथ अंतरंग हालात में देखा,और किस तरह मैं रोज़ी से मिलाl
अब आगे:-


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'अंतरंग हमसफ़र', मेरे दोस्त, दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानीl
दोस्तों मैं दीपक आपने मेरी कहानी मेरे अंतरंग जीवन की हमसफर-1-2 में पढ़ा, किस तरह मैं मैंने अपने फूफेरे भाई बॉब को रूबी के साथ अंतरंग हालात में देखा,और किस तरह मैं रोज़ी से मिलाl
अब आगे:-

मैंने रोज़ी को शराब का गिलास दिया, तो वह बोली मैं शराब नहीं पीती, तो मैंने उसे एक घूँट पीने को कहा तो उसने पी लीl
रोज़ी बोली अब आप पीओ, तो मैं पहले शराब का घूँट भरता फिर अपने होंठ उसके ओंठों से लगा कर, उसे अपने ओंठों से शराब पिलाने लगाl इस तरह मैंने उसको कुछ गिलास शराब पिलाई और उसके साथ मैंने ख़ुद भी शराब पीl
कुछ देर बाद ख़ास उत्तेजक दवा और दारू का दोनों पर असर हो गयाl अब उसके चरित्र की स्वाभाविक जीवंतता, उसके खुले, और मुक्त वार्तालाप में दिखाई देने लगीl
मैंने उससे पुछा 'थकी हुई तो नहीं हो, सोना या आराम करना तो नहीं चाहती?'
तो वो बोली 'इतनी हसीं रात सोने के लिए तो नहीं होगी और फिर इस रात का इंतजार तो हर लड़की को रहता हैl हर लड़की की चाहत होती है, कोई चाहने उसे जी भर कर, बहुत सारा, प्यार करेl '
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मैंने फिर उसे कहा, 'रोज़ी! तुम बेहद सुन्दर हो और आज मैं तुम्हे बहुत प्यार करने वाला हूँ 'l
तो उसने कहा 'आपको मेरा क्या सबसे सुन्दर लगता है?' तो मैंने कहा उसका हर अंग बेहद सुन्दर है और मुझे प्रिय है तो वह बोली तो सबसे ज्यादा क्या प्रिय है?
मैंने उसकी कमर और गर्दन के चारों ओर अपनी बाँहों को रखा, और उसकी छाती को अपने छाती के पास दबाने लगा, और एक हाथ उसकी छाती पर फिराते हुए, उसके मुलायम बदन को महसूस करने लगा, और उसके गोल-गोल बूब्स को सहलाने लगाl
तो उसने फिर पूछा कौन-सा अंग सबसे सुन्दर लगा, तो मैंने कहा वही तो जांच रहा हूँl तो वह बोली सिर्फ़ जांचेंगे या देखेंगे भी? उसका ये सुनने के बाद, मेरे ओंठ उसके ओंठों से जुड़ गए, और लगभग 10-15 मिनट मैं उसे किस करता रहाl इस बीच मेरे हाथ, उसकी दुल्हन के पोशाक के ऊपर से ही उसके पूरे बदन को सहला और दबा रहे थे l उसके बड़े-बड़े उरोज मुझे ललचा रहे थे, तो मैंने पीछे से उसकी ड्रेस की डोरिया खींची, और उसके स्तन बाहर निकाल कर उन्हें पहले चूमा, फिर मसला दबाया, और चूस-चूस कर दोनों स्तन लाल कर दिए l वाह! क्या बड़े-बड़े गोल सुडौल स्तन थेl
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इस तरह, उसकी स्तन दबाने के बाद मैं रुक गया, और धीरे-धीरे आगे बढ़ता हुआ, उसके क़मीज़ के नीचे से एक हाथ डाला, उसके कपड़े उसके घुटनों पर चढ़ा दिए। उसकी टाँगों और जंघा को सहलाते फिर उन्हें निचोड़ने लगाl उसके पैरों के साथ खेला, मैंने अपना हाथ उसकी जाँघ पर तब तक सरकाया, जब तक कि मेरी उंगलियाँ उसकी कुंवारी चुत के द्वार पर नहीं पहुँच गई। उसने पैंटी नहीं पहनी हुई थीl उसके मुँह से इस्सस! निकली और मेरे ओंठ जोर से चूमने लगीl
रोजी की चूत बिलकुल सफाचट थीl बालों का नामों निशान नहीं था, बिलकुल मुलायम, चिकनी और नरमl जब मैंने हाथ फिराया, तो रोज़ी बोली दीदी ने आज ही साफ़ करवाई है, ख़ास आपके लिएl
उसकी रेशमी चूत से खेलते हुए अपनी उंगलियों को घुमाकर चूत के मध्य के लकीर पर फेरते हुए, अपनी उँगली को उनके बीच से घुमाते हुए, मैंने अपनी एक उंगली को थोड़ा नीचे ले जाते हुए, उसकी गांड के छेद को छेड़ते हुए, हलक़े से गांड में पिरो दियाl
वों कराह उठी, आह! आह! प्लीज यहाँ नहीं l दीदी कहती है यहाँ बहुत दर्द होता है l
मैंने फिर दुबारा उसकी योनि के होंठों के बीच उँगली की नोक डालते हुए, उसकी चूत के दाने को ढूँढ लियाl मैंने उसे इतनी अच्छी तरह से छेड़ा कि वह अपनी जगह पर उछलने लगी, और बोली अब इंतज़ार नहीं होता प्लीज अब कुछ करोl मैं इसे अब बर्दाश्त नहीं कर सकती । मैं आग पर था; मेरी नसों में से खून उबल रहा था। मेरा लंड फुल टाइट हो गया था।
मैंने उसे ज़मीं पर पैरों पर खड़ा किया और उसके कपडे उतारना शुरू कर दिया। मैंने जल्दबाजी में उसके कपड़े फाड़ दिए, और उसे पूरी नंगी कर दियाl मेरे लिए किसी लड़की को पूरा नंगा देखने का ये पहला मौका थाl मेरे सामने सचमुच अद्भुत नजारा थाl वाह भगवान्! हुस्न का क्या शानदार नजारा थाl
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मेरी आँखे के सामने गोल सुदृढ़ सुडौल स्तन, गोरा मख़मली बदन, पतली बल खाती कमर, सपाट पेट, सुन्दर नैन नक्श, मीठी आवाज़, बड़ी-बड़ी हिरणी जैसी चंचल आँखे, गुलाबी होंठ, हल्के भूरे रंग के लम्बे बाल, नरम चूतड़ और उसका फिगर 34-24-36 का थाl तीखी नुकीली नाक, बड़े गोल नितम्ब, लंबी सुगढ़ टाँगे और सुन्दर हाथ, सब कुछ बेहद सुन्दरl पूरा शरीर सांचे में ढला हुआ, गोल बड़े-बड़े स्तनl मैं उन्हें दबाने लगा, तो कभी चूमने लगा, फिर उसके निपल्स को मुँह में ले कर चूसने लगाl उसे इस हालात में देख कर मैं सब भूल कर उसे जोर से काटने लगा तो वह ओह! आह! करने लगीl
उसकी ऐसे हालत देख मेरे भी लंड का तनाव इतना ज्यादा हो गया, मुझे लगा मेरा लंड, मेरे कपडे फाड़ कर बाहर निकल आएगा और फट जायेगाl
मैंने अपने सब कपडे ऐसे उतार फेंके, जैसे उनमे से कांटे चूभ रहे हो और पूरा नंगा होकर उसे पकड़ कर अपने शरीर से चिपका लियाl मैं उसका पूरा बदन महसूस कर रहा थाl
मेरा लंड उसकी चूत के द्वार पर अपना रास्ता खोजने लगाl
हम दोनों कामाग्नि में जल रहे थे l मैंने अपने हाथों से उसे अपने छाती पर दबायाl उसके स्तन कठोर हो मेरी छाती में चूभ रहे थेl उसने भी अपने हाथों से मेरी पीठ को अपने बड़े-बड़े स्तनों पर दबा दिया थाl तो मैं उसकेओंठों की किश करने लगा और मेरे हाथ उसके उसकी कमर पर फिसलते हुए रोज़ी के नितंबो की अपनी और दबाने लगेl ऐसा लग रहा था दोनों एक दूसरे में समां जाना चाहते होl
आकर्षित, उससे चिपका हुआ उसके नग्न शरीर को महसूस करते हुए, अपने घुटनों पर झुक कर, मैंने उसकी योनि पर प्यार भरे चुंबन कियेl मैं पूर्ण उन्माद में थाl मेरे चूमने से, वह भी जल बिना मछली के तरह तड़पने लगी, और बोली प्लीज अब रुका नहीं जा रहा कुछ करो, मेरे राजा l
और उसके शरीर को मेरा करने के लिए, मैंने कांपती हुई लड़की को अपनी बाँहों में उठाया और उसे बिस्तर पर ले गया।
मैंने आराम करने के लिए एक तकिया उसकी शानदार गोल गांड, नितम्बो के नीचे रखकर लेटा दिया। मैंने उसकी जाँघों को चौड़ा किया और लंड पूरा खड़ा था तो उसने एक बार अपना हाथ लंड पर फेरा, तो लंड जैसे उसके हाथ के छुअन से पूरा भड़क गयाl
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रोजी बोली आपका लंड सचमुच काफ़ी बड़ा है l
मेरे लंड का साइज 7 इंच है, और उसकी चूत में जाने को लिए बिलकुल तैयार थाl मैंने उसकी चूत पर लंड को एक बार लगायाl उसकी चूत के दाने पर लंड को दो तीन बार रगड़ा, तो वह बोली प्लीज अब तडपाओ मतl
मुझे बॉब ने बताया था, रोज़ी कुंवारी हैl आराम से करना, थोड़ा दर्द होगा, जब वह पूरी तरह तैयार हो, उससे पूछ कर ही अंदर घुसानाl
मैंने लंड चूत पर घिसते हुए उससे पूछा, तुम तैयार होl
वह बोली हाँ जल्दी करो, अब बर्दाश्त नहीं हो रहाl
मैंने कहा दर्द होगा तो वह बोली 'मैं सब सह लुंगी, तुम अब आ जाओ, मुझ में समा जाओ मैं सब सह लुंगी मुझे भी दीदी ने सब बताया थाl'
अपनी उंगलियों के अग्र भाग की मदद से साथ, मैंने उसकी टाइट चूत के होठों को बहुत मुश्किल से अलग किया और अत्यंत परेशानी के साथ अपने कुँवारे लंड के लुंडमुंड को उसके कुंवारी योनी के प्रवेश द्वार में डालl
जैसे ही मैंने महसूस किया कि लंड ठीक जगह रखा गया है मैंने थोड़ा जोर लगा कर लंड को चूत पर दबाया, लेकिन रोज़ी की चूत इतनी टाइट थी के लंड अंदर जाने की जगह वही से नीचे फिसल गयाl मैंने लंड को पकड़ा फिर चूत के द्वार पर घिसा और थूक लगा कर गीला कियाl मैंने दो तीन बार ऐसा किया पर अंदर जाने में सफलता नहीं मिलीl तो मैंने कहा रोज़ी लगता है, ज्यादा ताकत लगानी पड़ेगी, तुम तैयार हो, तो उसने आँखे झपक कर अपनी स्वीकृति दे दीl
फिर से चूत को हाथो से सहलाया चूत के दाने को लंड से मसला, फिर उंगलियों की मदद से ओंठो को फिर अलग किया, तो रोज़ी ने भी हाथ से मेरा लंड पकड़कर उसे अपनी चूत के छोटे से छेद पर लगा कर, अपने दुसरे हाथ से मेरे नितम्ब दबा कर इशारा किया, तो मैंने भी पूरे ज़ोर से एक धक्का दियाl
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इस बार लंड चूत के अंदर जाने में कामयाब हुआl आधा लंडमुंड अंदर चला गया और साथ ही साथ रोज़ी की आह भी निकलीl उसने लंड को छोड़ा नहीं और पकडे रखाl उसने आँखे झपक कर मुझे इशारा कियाl इस बार मैंने लंड पर फिर लम्बे समय तक दबाब दियाl मेरे भयंकर दबाब देने से लंड को चूत के अंदर का रास्ता मिल गया और लंडमुंड का सर पूरा अंदर चला गया, मैंने एक बार फिर ज़ोर से धक्का दिया और मेरा लगभग आधा लंड चूत के झिली को चीरता हुआ रोज़ी का कुंवारापण भंग करता हुआ अंदर चला गयाl
उसकी चीख निकली, लेकिन न मैंने, और न ही रोज़ी ने उसे रोकने की कोई कोशिश करि l
रोजी की चूत बहुत टाइट थीl मुझे लगा कि मेरा लंड उस तंग गुफा में फंस गया हो, और चूत ने लंड को कस कर जकड लिया थाl मेरी भी चीख निकल गयी थीl
रोज़ी ने, न केवलअपने कौमार्य भंग में होने वाले दर्द को पूरी हिम्मत के साथ सहा था, बल्कि बाकायदा मदद करि थीl उसके हाथ मेरे शरीर को उसके पास ले जाते थे, यहाँ तक कि अपने कौमार्य को भंग करने के मेरे जानलेवा इरादों की सहभागी बनते हुए, रोज़ी ने मेरे लंड को भी अपने हाथो से संभाला थाl
वह हो रहे दर्द के मारे, होने वाले रुदन को दबाने के लिए, अपने दांतों के बीच बिस्तर की चादर रखते हुए,इस दर्द को सहने का पूरा प्रयास कर रही थीl
हम दोनों एक साथ चिल्ला रहे थे 'ऊह्!, मर गएl' मुझे लंड पर गर्म-गर्म स्राव महसूस हुआl जैसा कि मुझे बॉब ने बताया था ये झिली फटने पर निकलने वाला खून था, इसके साथ ही मेरा भी कुंवारापण भंग हो गयाl इस तरह की रोज़ी की चूत की गुफा में मेरे लंड के लिए रास्ता बन गया थाl मैंने थोड़ा-सा लंड पीछे किया और फिर एक ज़ोर दार शॉट लगा कर पूरा लंड जड़ तक अंदर पैबस्त कर दिया, और प्रेम के जलाशय ने रास्ता दे दिया और बाढ़ आ गयीl रोज़ी झड़ गयी और मेरा लंड रोज़ी के प्रेम के जल से भीग गयाl
उसने चेहरे से ही लग रहा था कि उसे बहुत दर्द हो रहा हैl मैंने रोज़ी को धीरे-धीरे चूमना और सहलाना शुरू कर दिया, तो रोज़ी के आँखों में आंसू आ गएl वह बोली "आराम से धीरे-धीरे नहीं कर सकते थे क्या?" तो मैंने कहा "धीरे करने से अंदर ही नहीं जा रहा था इसलिए ज़्यादा ज़ोर लगाना पड़ा"l मैंने उससे पुछा बहुत दर्द हो रहा है क्या हाँ हो तो रहा हैl
मैं बोला-मेरी रोज़ी मेरी जान, थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगाl वह बोली प्लीज अब तब तक मत हिलना जब तक मैं इशारा न करूनl


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मैंने उसे लिप किस कियाl मैं उसे लिप किस करता रहाl मैंने उसके लिप्स पर काटा, तो उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दियाl तो मैंने अपने ओंठ उसके ओंठो से जोड़ कर उसे लिप किश करने लगा, और मेरे हाथ उसके बूब्स के साथ खेलने लगेl एक हाथ उसके निप्पल मसलने लगाl फिर मैंने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दीl वह सिसकारियाँ ले मजे लेने लगीl वो इस वक़्त इस चूमाचाटी में अपना दर्द भूल चुकीl कुछ देर में रोज़ी का दर्द कम हो गयाl
फिर उसने अपने नितम्ब ऊपर उठा कर, और मेरे नितम्बो को अपने ऊपर दबाया, और पलके झपक कर मुझे इशारा कियाl मैंने धीरे से लंड भहर खींचा और
एक बार फिर ज़ोर लगा कर अंदर घुसा दियाl
मुझे महसूस हुआ, कि मेरे लिंग को रोज़ी ने अपनी योनि रस ने भिगो दिया था, जिसकी वज़ह से लिंग आसानी से अन्दर और बाहर हो पा रहा था।
वह भी मेरा साथ देने लगीl अब उसकी चुदाई में दोनों को जन्नत का मज़ा आ रहा थाl कुछ ही देर में रोज़ी ने भी स्पीड पकड़ ली थीl वह जोश में आ गई थी, और मेरे शॉट के साथ ताल मिलाते हुए, अपने नितम्ब हिलाने लगीl
अब वह मजे से चिल्लाने लगी थी-अहा! ... राजा ... मर गई ... आईसीई ... और ज़ोर से ... और ज़ोर से चोदो ... बहुत मज़ा आ रहा है, आ जाओ, मेरे अंदर समा जाओl मेरी चूत को अपने रस से भर दो, ... आआआआ और ज़ोर से ... उउउईईईई माँ ... आहहहांl
उसकी इन आवाजों ने मुझे जैसे जान दे दी होl मैं पूरी ताकत से रोज़ी को चोदने में लग गयाl कुछ ही मिनट बाद हम दोनों चरम पर आ गए थेl मैंने उसकी चूत में ही अपना रस छोड़ दियाl
मैंने उसकी फटी हुई कुंवारी चुत जिसमे से खून निकल रहा था, को अपने वीर्य से भर कर चिकनी कर दिया था, और उसके ऊपर ही गिर गयाl वह भी एकदम से झड़ कर मुझसे लिपट गई थीl
मैं झड़ने के बाद भी उसे किस करता रहाlकरीब 30 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ही साथ में झड़ चुके थेl दो-तीन झटकों बाद मैंने लंड निकाल लियाl कुछ देर बाद जब हम लोग उठे, और चादर को देखा, तो उस पर खून लगा हुआ थाl वह मुस्कुराने लगी और मुझसे चिपक गईl
चूँकि रोज़ी की ऐसी जबरदस्त चुदाई के बाद, जैसे मेरा सारा दम ही निकल गया हो, और मैं रोज़ी पर हांफते हुए तेज-तेज सांस लेते हुए, निढाल हो कर गिर गयाl भयंकर उत्तेजना के साथ चमकते हुए, मेरी आँखें रोज़ी को ही निहार रही थीl वह भी तेज-तेज साँसे ले रही थे, और उसके साथ ही उसके स्तन और निप्पल ऊपर नीचे हो रहे थेl जिन्हे देख कर मेरे लंड की कठोरता जो झड़ने के बाद हट गई थी, फिर से प्रबलता के साथ वापस आ गईl मैंने उसकी योनी के गहरे और संकीर्ण मार्ग में अपना जो लंड घुसा कर रास्ता बनाया था, उसे मेरे वीर्य ने चिकना कर दिया था, और मैंने फिर से उसके लिए रास्ता बनाना शुरू कर दियाl मेरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गयाl
तो रोज़ी मुझ से लिपट गयी और मुझे मेरे सारे बदन पर बेतहाशा चूमने लगी, और फिर उसके ओंठ मेरे ओंठो से जुड़ गएl रोज़ी मेरे ऊपर आ गई थींl मेरे खड़े लंड पर धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अन्दर घुसा रही थींl मुझे उस समय मुझे बेहद मज़ा आ रहा थाl वह मेरे लंड पर धीरे से उठतीं और फिर नीचे बैठ जातीं, जिसकी वज़ह से लंड अन्दर बाहर हो रहा थाlवह ख़ुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थीं और बहुत मज़े कर रही थींlसच कहो तो रोज़ी को मेरे लंड पर उछलते हुए मुझे बहुत सेक्सी लग रही थl मैंने अपने चूतड़ उठा कर उसका साथ दियाl जब मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर पूरा समा जाता था, तो हम दोनों की आह निकल जाती थीl फिर मेरे हाथ उसके हिलते हुए मम्मों को मसलने लग गएl
उसके बाद रोज़ी मेरे ऊपर झुक गयी और हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए. मैं उसको चूमने लगा और चूमते-चूमते हमारे मुँह खुले गए, और मैं उसकी झीभ चूसने लग गयाl
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फिर हम दोनों झड़ गए, इसी तरह बार-बार चोदते हुए, मैंने रोज़ी के साथ पूरी रात बिताई, कुंवारेपन के आकर्षण का पूरा आनंद उठाते रहेl हम दोनों ने अपने कुंवारेपन के भंग होने का जश्न, पूरी रात एक साथ पूरे मजे लेते हुए बार-बार लगातार हम चुदाई करते रहेl
कभी मैंने उसे चोदा, कभी उसने मुझेअपनी और खींच कर अलग-अलग आसान में चुदाई की, मानो अपनी कामाग्नि को शांत करना चाहते होl पर हर बार हमारी कोशिश नाकाम ही हुई और उसके बाद बहुत जल्द ही हम दोनों एक दुसरे को चूमते चाटते दुबारा शुरू हो जाते थेl थोड़ा-सा आराम करते, फिर से गले लगाते हुए, एक ख़ुशी के समुद्र में तैरते हुए एक दुसरे में खोये रहे। पता ही नहीं चला इस तरह प्यार करते-करते कब सुबह हो गयीl
सुबह जब उजाला हुआ, तो रोज़ी बिस्तर पर, मुझ से चिपक कर लेटी हुई थीl लगातार बार-बार चुदाई के कारण दोनों बुरी तरह से थक चुके थेl एक दुसरे के लिए आकर्षण और लगाव काम होने की जगह बढ़ गया थाl मुझे लग रहा था, मैं रोज़ी के बिना अब नहीं रह पाऊँगा, और चाहता था रोज़ी हमेशा मेरे पास रहे, और मैं उसे जब चाहू प्यार कर सकूl रोज़ी की आँखों में भी मुझे वही प्यार नज़र आया और मैंने रोज़ी को अपनी और खींचा तो वह मेरी बाहो में समा गयी और अपना चेहरा मेरी छाती में छिपा दियाl
उसने शुरू किया, "पिछली रात बहुत ख़ास थी। मैंने कभी भी किसी से इतना जुड़ाव महसूस नहीं किया हैl अपनी पहली चुदाई की रात से ही आपके के बारे में इतना मज़बूत लगाव महसूस किया है।" मैंने कुछ कहना शुरू किया, लेकिन रोज़ी ने उसे रोकने के लिए अपना हाथ रखाl
"यह कल रात एकदम सही था, कम से कम मेरे लिएl आपने मुझसे ऐसा प्यार किया और मुझे लगा कि हम दो बदन एक जान हैंl उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थेl कल रात, जब तुम मेरे पास आए, तो तुमने मेरे भीतर कुछ जागृत कियाl मुझे ऐसा लगा कि मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ"l मैंने कहा 'मेरा भी यही हाल हैl अब मैं भी तुमसे दूर नहीं रहना चाहता'l ये कहते हुए रोज़ी के ओंठो पर किश किया, तो उसने भी वापिस किश कियाl
उसके छूते ही लंड महाराज फिर जोश में आने लगेl उसे धीरे से उसे उठाते हुए, लिप किश करते हुए हुए, मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दियाl उसके हाथ का स्पर्श मुझमें नए सिरे से आग लगा रहा थाl रोज़ी ने अपने हाथ में मेरा लिंग ले कर उसे सहलाया, तो मेरी आह निकल गयीl मैंने कहा अभी भी मैं और ये तुम्हे और प्यार करना चाहता हैl उसके छूने भर से मेरा लंड अपने विकराल आकार में आ गयाl

आगे क्या हुआ ये कहानी जारी रहेगी...
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Update 04- रोज़ी के साथ मानसिक सेक्स.
अंतरंग हमसफ़र भाग 04

अंतरंग हमसफ़र 1-3 ', मेरे दोस्त, दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानीl
दोस्तों मैं दीपक आपने मेरी कहानी मेरे अंतरंग जीवन की हमसफर-1-3 में पढ़ा, किस तरह मैं मैंने अपने फूफेरे भाई बॉब को रूबी के साथ अंतरंग हालात में देखा,और किस तरह मैं रोज़ी से मिला और हम दोनों ने एक साथ चुदाई करते हुए अपना कुंवारापन एक दूपसरे को समर्पित कर दिया l
अब आगे :-

रोजी बोली अब मुझ में भी और चुदाई की हिम्मत तो नहीं है मैं भी बुरी तरह से थक चुकी हूँl मेरी चूत भी एक दम से सूज गयी है और बहुत दुःख रही है, पर मन अभी नहीं भरा है और ऐसा ही हाल मेरे लंड का था। लेकिन फिर भी मैं उसे एक बार और चोदना चाहता था और जब मैंने उसे अंतिम बार एक बार मुझे चोदने के लिए सहमत कियाl बार बार लंड को चूत में अन्दर-बाहर करना, जैसे वो आम तौर पर संभोग के दौरान किया जाता है मुश्किल लग रहा था । मैंने सुझाव दिया कि हमें "अपने आप को एक संभोग के लिए सोचने की कोशिश करनी चाहिएl"
तो मैंने कहा ऐसा करते हैं, एक बार लंड अंदर घुसा लेने दोl ये अब तुम्हारी चूत से दूर नहीं रहना चाहता हैl इसके बाद मैंने अपने कठोर हो चुके लिंग को उसकी चूत के छेद पर रखा, और एक झटके पे पूरा का पूरा अंदर उतार कर योनि के अंदर गहराई से दफन कर दिया। और फिर, हम दोनों के शरीर एक दुसरे से लिपट गए और हमारी आँखें बंद थीl फिर मैंने रोजी से कहा, जो हम दोनों ने कल रात किया उसे एक बार फिर सब मानसिक तौर पर महसूस करते हुए मन ही मन दोहराओl फिर मैंने अपने दिमाग (अपनी खुद की यौन कल्पनाओं) का उपयोग करते हुए सब मानसिक तौर पर महसूस कियाl धीरे-धीरे मेरी मानसिक यौन उत्तेजना के उस बिंदु तक बढ़ गयाl जहां मैं संभोग का कारण बन गया मेरे मस्तिष्क की यही तरंगे रोजी ने भी महसूस करिl हम दोनों बिना अपने जननांग को धक्को द्वारा हिलाये सम्भोग करने लगेl
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वास्तव में, जब रोजी मेरे साथ इस तरह से सम्भोग कर रही थीl मैं रोजी के साथ अपनी पहली चुदाई के पूरे घटना क्रम को मानसिक तौर पर दोहरा रहा था, और इससे अपनी मानसिक यौन उत्तेजना को इतने उच्च स्तर पर रखने में कामयाब रहाl रोजी से भी मैंने ऐसा ही करने को कहा कि रोजी को मैंने दो बार झड़ते हुए महसूस किया।
हालाँकि मुझे शुरू में अपनी यौन उत्तेजना का निर्माण करने में थोड़ा समय लगा, लेकिन यह पता चला कि मैं वास्तव में "संभोग करने के लिए खुद को" सोच सकता था। और मैं ये सब कुछ देख सोच कर बहुत हैरान थाl
(अब हर चीज पर पीछे मुड़कर, मैं वास्तव में नहीं जानता कि मैं इस तथ्य से इतना हैरान क्यों था कि मेरे पास एक संभोग करने के लिए "खुद को सोचने" की क्षमता थी, क्योंकि मुझे पता था कि सेक्स शोधकर्ताओं ने हमेशा दावा किया था ,कि सेक्स वास्तव में 90% मानसिक और केवल 10% शारीरिक है।)
और आखिरकार उस दिन मैंने उस सुबह रोजी की चूत में अपना लावा जमा कर दिया, वो भी,एक बार भी, अपने लिंग को उसकी योनि में अंदर-बाहर किये बिना। अद्भुत यह मेरे और रोजी के सबसे लम्बे चलने वाले और कामुक यौन अनुभवों में से एक है।
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वैसे, इस तरह से मानसिक सेक्स का मतलब का मतलब यह नहीं है पुरुष जानबूझकर योनि के अंदर घुसे हुए (गर्भाशय ग्रीवा के खिलाफ) अपने अन्यथा-स्थिर लिंग के सिर का विस्तार और अनुबंध नहीं कर सकता, जो की आगे लगभग हर बार मानसिक सेक्स करते हुए मैंने रोजी के साथ अक्सर कियाl इसी तरह रोजी भी मेरी हरकतों को महसूस करते हुए अक्सर मानसिक सेक्स के दौरान योनि के अंदर घुसे हुए कठोर लिंग को निचोड़ने और मालिश करने के लिए अपनी योनि में मांसपेशियों का उपयोग करती हैl यहां महत्वपूर्ण यही है की मानसिक सेक्स के दौरान हम जान बूझकर पैल्विक रॉकिंग या जननांग थ्रस्टिंग नहीं करते स्वाभिक तौर पर कुछ हो जाए तो उसे रोकते भी नहीं है।
उसके बाद अपना लिंग रोजी की योनि के अंदर दाल कर ही हम दोनों गहरी नींद में खो गए उसके बाद हमारी नींद तभी खुली जब बॉब ने हमारे दरवाजे पर दस्तक दी, तो हम मुश्किल से अपने आप को ठीक कर पाए। मैंने दरवाजे को तुरंत खोल दिया, और बॉब और रूबी अंदर आ गए। तो रूबी ने रोजी को बधाई दी और बॉब ने मुझे बधाई दी मैंने भी बॉब और रूबी का शुक्रिया अदा किया, के उनके कारण ही मुझे रोजी का साथ मिल पाया है, और मैं प्रेम की दिव्य कला के रहस्यों को जान पाया थाl
फिर मैंने जब तक गाँव में रहे, तब तक अपनी सारी रातें रोजी के साथ बिताईं, कभी-कभी उसके कमरे में में, फिर से मेरे अपने कमरे में कभी जब रात के इंतजार नहीं हो पाता था तो मैं उसे दिन में अपने कमरे में ले जाताl ये घर के किसी भी कोने में जहाँ हमे कोई नहीं देख रहा होता था और उसके साथ खूब आनंद लेता और रोजी भी हमेशा खुल कर मेरा साथ देती थी।
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एक दिन, जब रोजी मेरे साथ मेरे कमरे में, बिस्तर पर लेटी हुई थी , उसके कपड़े ऊपर उठे हुए थे मेरा कठोर लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा थाl अचानक रूबी ने कमरे में प्रवेश किया, क्योंकि मैंने जल्दबाजी में दरवाजा अंदर से बंद नहीं किया थाl
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रूबी को मेरे खड़े लंड का एक अच्छा नज़ारा मिला, और वह इसे देख रहा थी, जाहिर तौर पर मेरे लंड के इसके इतने बड़े होने पर आश्चर्यचकित थी, लेकिन हम जिस हालात में थे उसे देख कर चुपचाप दरवाजा बंद कर चली गयीl

आगे क्या हुआ ये कहानी जारी रहेगी
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Update 05 - रूबी के साथ संसर्ग, उसके बाद समूह सेक्स.

अंतरंग हमसफ़र भाग 05


'अंतरंग हमसफ़र', मेरे दोस्त, दीपक कुमार की अपने अंतरंग साथियो के साथ सम्भोग की कहानी हैं l कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानीl

दोस्तों मैं दीपक आपने मेरी कहानी मेरे अंतरंग जीवन की हमसफर-1-2 में पढ़ा, किस तरह मैं मैंने अपने फूफेरे भाई बॉब को रूबी के साथ अंतरंग हालात में देखा,और किस तरह मैं रोज़ी से मिला और हम दोनों ने एक साथ चुदाई करते हुए अपना कुंवारापन एक दूपसरे को समर्पित कर दिया l

अभी तक आपने , मेरे अंतरंग जीवन की हमसफ़र 1-4 में पढ़ा

" फिर मैंने जब तक गाँव में रहे तब तक अपनी सारी रातें रोजी के साथ बिताईं, कभी-कभी उसके कमरे में में, फिर से मेरे अपने कमरे में कभी जब रात के इंतजार नहीं हो पाता था तो मैं उसे दिन में अपने कमरे में ले जाता, या घर के किसी भी कोने में जहाँ हमे कोई नहीं देख रहा होता था और उसके साथ खूब आनंद लेता और रोजी भी हमेशा खुल कर मेरा साथ देती थी ।

एक दिन, जब रोजी मेरे साथ मेरे कमरे में, वह बिस्तर पर लेटी हुई थी , उसके कपड़े ऊपर उठे हुए थे मेरा कठोर लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था अचानक रूबी ने कमरे में प्रवेश किया, क्योंकि मैंने जल्दबाजी में दरवाजा अंदर से बंद नहीं किया था

रूबी को मेरे खड़े लंड का एक अच्छा दृश्य मिला, और वह इसे देख रहा थी , जाहिर तौर पर मेरे लंड के इतने बड़े होने पर आश्चर्यचकित थी लेकिन हम जिस हालात में थे उसे देख कर चुपचाप दरवाजा बंद कर चली गयी "

अब आगे;


अगले दिन दोपहर में, रूबी मेरे कमरे में आयी तो मैंने उससे पुछा वह कल मेरे कमरे में किस लिए आयी थी कुछ ख़ास है क्या? उसने मुझे उसके कमरे में आने का आमंत्रण देते हुए कहा, "मेरे पास आपको दिखाने के लिए कुछ है जो आपको आपकी प्रेमिका रोजी की तुलना में बहुत अधिक खुश और संतुष्ट करेगा।" और फिर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने कमरे की तरफ आने का इशारा करते हुए अपने कमरे को और चली गयीl

मैंने रूबी का उसके कमरे तक पीछा किया, जैसे ही मैं उसमे घुसा उसने ताला लगा दिया। मैं एक खिड़की से बाहर देखने लगा और रूबी से पुछा ऐसा क्या ख़ास है जो मुझे रोजी से भी ज्यादा ख़ुशी और आननद देगा? रूबी बिस्तर के पीछे गयी , जिसके पर्दे खींचे कर थोड़ा उजाला किया। मेरी तरफ बढ़ते हुए एक हलके कदम की आहट सुन मैं पीछे को पलटा तो मैंने वहां देखा रूबी जो पूरी तरह से नग्न होकर मेरे सामने खड़ी थीl वह उछली और मेरी बाहों में में आ गयी और मेरे गले में बाहे डाल कर,, गोल-गोल घुमाती हुई, और मुझे बिस्तर पर ले गई, जिस पर वह खुद बैठ गयीl
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मुझे समझ आ गया रूबी मुझे क्या दिखाना चाहती थीl मैंने पहले भी उसकी खूबसूरती को देखाl और महसूस किया थाl और जिसमें उसने मुझे आमंत्रित किया थाl अब उसके साथ सेक्स करने में मुझे कोई हर्ज नहीं दिखाई दियाl और कोई दूसरा रास्ता नहीं होने के कारण, मैंने अपना कोट और कमीज उतार कर फेंक दिया, जबकि उसने मेरी पैंट को नीचे फेंक दियाl मेरे हमेशा तैयार हथियार को उसने बाहर निकाल लिया और उसे सहलाते हुए बोली सच में आपका लंड काफी बड़ा हैl इससे चुदने में तो काफी मजा आएगा और मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसने लगी l ये लंड चुसवाने का मेरा पहला अनुभव थाl रोजी ने कभी लंड नहीं चूसा थाl

रूबी लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी और बोली इतना खूबसूरत बड़ा और मोटा लंड देखकर मैं खुद को रोक नहीं सकीl फिर बिस्तर पर गिरते हुए, उसने मुझे ऊपर खींच लिया फेंक दिया। मैंने अपने जल्द ही अपने लंड की पूरी लंबाई उसकी कुदरती और स्वाभाविक नरम और सुस्वाद म्यान में चला दी, और रेल गाडी बना कर चलाता रहा।
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इस बीच मैंने उसको ओंठो को खूब चूसा और और उसके स्तनों को बुरी तरह से दबाने के बाद चूमा चाटा और चूसा । मैंने उसको कई बार काटा। इसके बाद दो बार उसने प्रेम के जलाशय की बाढ़ को खोल दिया, और उसके अंदर अपने ज्वलंत शुक्राणु की एक धारा डाल दी, क्योंकि दोनों बार जब वह मुझसे मिली, तो मैंने बहुत सी क्रीम को उसके शरीर की इतनी गहराई से छोड़ दिया कि हमारी जांघों हमारे प्रेम रस से भीग गए।
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इस समय से जब तक मैं और मेरे फूफेरे भाई ने गाँव में रहे तब तक मैं प्रत्येक दिन उसी तरह से रूबी का दिन में और रोजी के साथ रात भर आनंद लेता रहा l

तो प्रीती बोली इस दौरान आपका दूसरा फूफेरे भाई टॉम क्या कर रहा था, प्लीज वह भी बताइये?

तो मैंने कहा इस तरह गाँव में मैं बिना रोकटोक के रूबी और रोजी के साथ मजे करता रहा और वहां हम लगभग दो हफ्ते रहेl दो हफ्ते बाद पिताजी को फ़ोन आया, वो अगले हफ्ते में वापिस आ रहे हैंl

उनके आने के बाद दूसरे सप्ताह के अंत में सुबह सुबह मेरे फूफा ने अगले दिन वापिस शहर के लिए प्रस्थान करने की घोषणा की, और मुझे उनके साथ जाने के लिए पूरी तैयारी करने के लिए कहा। मैंने और मेरे दोनों फूफेरे भाइयो ने फैसला किया की हम अपनी अपनी प्रेमिकाओ के साथ जंगल में एक छोटे से तालाब के किनारे बिताकर दिन का सर्वोत्तम संभव उपयोग करने का निर्धारित किया ।

वह रविवार की सुबह थी, बॉब खुद, मैं और और टॉम (हालांकि मैंने उसका हमारे प्रेम संबंधों के संबंध में उल्लेख नहीं किया है, यह नहीं माना जाना चाहिए कि वह हर समय ऐसी चीजों में लिप्त नहीं था, बल्कि इससे उल्ट, जबकि बॉब और मैं; रूबी और रोजी के साथ मजे ले रहे थे, टॉम ने खुद को मोना की बाहों में सांत्वना दी, मोना हमारी डेयरी की नौकरानियों में से एक थी, बड़ी रसीली और बहुत अच्छी दिखने वाली थी, जिसके साथ वह हररोज हमबिस्तर होता था l) हमने यह बात अपनी प्रेमिकाओ को भी बता दी थी और मिलने की जगह तय की गयीl जिसे तीनो लड़किया अच्छी तरह से जानती थी और अलग अलग हमारे साथ उस जगह पर जा चुकी थी l हम अपने साथ खाने पीने का जरूरी सामान और शराब इत्यादि अपनी कार में भर कर ले कर गए l
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मैंने चुपचाप शराब में वह ख़ास देसी दवा जो रूबी में मुझे दी थी मिला दी जिससे सब लोग खुल कर मजे ले सके l

वहां पहुँच कर सुंदरियों को सलाम करने के बाद, हम दोपहर के भोजन की व्यवस्था करने के लिए आगे बढ़े, और हरे रंग की चटाई पर बैठ गए ,और शराब के कुछ जाम चले जिसे सबने पियाl हमारी प्रेमिकाओ द्वारा हमे प्रदान की गई कुछ अच्छी चीजों और उनके गुणों पर चर्चा कीl सबने अपनी अपनी प्रेमिका की भरपूर तारीफ की, जिसे सुन तीनो की प्रेमिकाए मुस्कुरा रही थीl उसके बाद स्वादिष्ट भोजन करने के बाद संतुष्ट हो गएl दूसरी अच्छी चीजें जो उनके पास थी, लेकिन जो
दिखाई नहीं दे रही थीं, उसे पाने की स्कीम बनाने लगे ।

तदनुसार, शुरूआती तौर पर , हम अपने हाथों को अपनी प्रेमिकाओ की छाती में खिसकाएंगे, और थोड़ी देर के लिए उन्हें जमीन पर लेटा कर उसने प्रेमालाप और आनंद लेने का उपक्रम करेंगेl लेकिन हमारे प्रयासों के बावजूद हम तीनो उनको जांघो की एक झलक पाने से ज्यादा पेटीकोट ऊपर नहीं उठा सके थेl हमारे सभी प्रयासों के मामलों में आगे बढ़ने के लिए, यह कहते हुए, मना कर दिया वे एक दूसरे की दृष्टि में ऐसी शरारती चीजों के लिए वो सहमति नहीं देंगी , और अगर हमने बेहतर व्यवहार नहीं किया तो वे हमे छोड़ कर भाग जएंगी।

इस पर हमने उन्हें कुछ और दारु पिलाई जिससे दारु और दवा के मिले जुले असर से वो खुल कर हमारा साथ देl

मैंने तब प्रस्ताव किया और हमें स्नान करना चाहिए। "हम लड़के पहले अपनी शर्ट उतारेंगे, और फिर अपनी प्रेमिकाओ को निर्वस्त्र करेंगे, और आखिर में मेरे आदेश पर प्रत्येक अपने सारे वस्त्र उतार देगा।"

इसके लिए भी हमारी युवा प्रेमिकाए त्यार नहीं थी, क्योंकि उन्हें एक-दूसरे द्वारा देखे जाने पर कुछ शर्म थी , विशेष रूप से मोना, जिसे न तो बॉब और न ही मैंने खुद ने वर्तमान समय तक देखा थाl उन्होंने अपने आपातिया दर्ज करवाईl यहाँ तक के ये भी बोली हम अपने प्रेमी के साथ अकेले में कुछ भी करने को त्यार हैं, लेकिन सबके सामने नहीं कर सकतीl

हमने उनकी आपत्तियों को खारिज कर दिया और लड़को ने अपनी शर्ट को उतार फेंकाl फिर प्रत्येक अपनी प्रेमिका के पास जा कर उनकी ड्रेस की हुँको को खोल, और डोरियों को खोलते हुए उनके ब्लाउज, और पेटीकोट उतार दिए, लेकिन उनके शॉर्ट्स उन पर छोड़ दिए गए थे। मैंने आदेश शब्द दिया, उतारो ।" हमने अपनी पेण्ट भी उतार फेंकी और बिलकुल नंगे हो गए, लेकिन हमारी लड़कियों को देखकर पाया कि वे अभी भी अपनी शॉर्ट्स में खड़ी हैं।
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हमे समझ आ गया अभी भी शर्म इन पे हावी है और जैसा हम चाहते थे की वे बारी बारी अपने कपडे उतारे वह नहीं होने वाला पर हम भी आज इन परियों को छोड़ देने के मूड में बिलकुल नहीं थे। मैंने प्रस्ताव दिया अगर वे अपने कपडे उतार कर फेंक दें और नग्न खड़ी हों जाए, और फिर पुरुषों द्वारा उनके शरीर की जांच की जायेगी और उनकी सुंदरता की तुलना की जायेगी और जो ये सबसे पहले कपडे उतारेगी, उसे एक सुंदर हीरे की अंगूठी दी जायेगी, दुसरे नंबर वाली को सोने की अंगूठी और तीसरी को एक चांदी की अंगूठी दी जायेगी।

और इसके बाद कि चूँकि लड़कियों को अपने प्रेमी के साथ एकांत में नग्न होने से कोई इंकार नहीं है, तो इसके बाद सभी प्रेमी अपनी प्रेमिका को एक कोने में कोई एकांत ढूंढ कर वहां उन्हें प्यार करे और बॉब और टॉम को एक आँख मार दीl

इसके बाद रूबी बोली "कि यहाँ पर हम अपने प्रेमियों से मिलने और अपने प्रेमियों के साथ प्रेम का आनंद लेने के लिए आयी हैं, उन्होंने शर्म को त्याग अपने सभी कपड़ो को उत्तर फेंका हैl वो इस खेल को खराब नहीं करेगी, क्योंकि उसे कोई शर्म नहीं थी कि क्योंकि उसे पूरा विश्वास है की वह खूबसूरत हुस्न की मल्लिका है, जो वह सब को दिखा सकती हैl उसे यकीन है कि वह एक खूबसूरत टांगो, छोटे छेद वाली योनि और सुन्दर सुडोल स्तनों की मालकिन है जो दुनिया की किसी लड़की से कम नहीं हैl"

इसके बाद रूबी ने अपने सभी कपडे उत्तर फेंकेl मैंने पलके झपक कर रोजी को इशारा किया तो उसने भी अपने बाकी कपडे निकाल दिएl ये देख के दोनों लड़कियों ने शर्म छोड़ दी है .मोना ने भी धीरे से अपने कपडे उतार फेंके, तो तीनो लड़को ने लड़कियों के लिए तालिया बजाईl फिर मैंने तीनो लड़कियों को एक एक हीरे की अंगूठी देते हुए कहा ये लो आपका इनाम l आप तीनो की कोई तुलना नहीं है तीनो एक से बढ़ कर एक हो कोई किसी से कम नहीं होl

चूँकि मैं रूबी और रोजी को पहले नंगी देख और भोग चूका था, मुझे मोना जो की टॉम की प्रेमिका थी आकर्षित कर रही थीl उसकी अपार बड़ी-बड़ी चूचिया उसके असाधारण बड़े कूल्हों और जाँघों के साथ, और सबसे सुन्दर उसकी योनि थी और जिसमें से दो बड़े लाल थपथपाते होंठ झाँकते थे, जो सबसे लुभावने लगते थेl मैंने प्रस्तावित किया था कि हम अपने पहले स्नान के बाद अपनी प्रेमिका को भोगेl फिर अपनी प्रेमिका को बदल दें, ताकि हर एक को दूसरे की प्रेमिका का आनंद लेना चाहिए।

इस पर रोजी बोली उसे इस प्रेमिका बदलने के प्रस्ताव से ऐतराज है, वो केवल मुझ से ही संसर्ग करेगी और उसने प्रतिज्ञा की है वो किसी अन्य मर्द के साथ नहीं जायेगी lतो मैंने कहा फिर गड़बड़ हो जायेगी, तो रोजी बोली उसके पास इसका उपाय है और रोजी एक तरफ गयी और वापिस आयी तो रोजी के साथ एक नयी लड़की आयी थी, जो किसी भी मामले में कम खूबसूरत और आकर्षक नहीं थीl उसे मुझ से मिलवाया और बताया वो उसकी सहेली थी टीना और मुझ से मिलना चाहती थीl मैंने उसका स्वागत किया और बाकी सबने भी उसका स्वागत किया, और हमारे साथ पिकनिक मनाने के लिए आमंत्रित किया, जिसे वह सहर्ष मान गयी और हमने उससे वादा लिया, की यहाँ जो भी होगा वह उसका चर्चा किसी से नहीं करेगी और राज रखेगीl

फिर रोजी मुझ से कान में बोली, टीना भी कुंवारी हैl अब आप फैसला कर लो पहले उसे कौन चोदेगाl मैं बोलै इसके दो तरीके हैं या तो ये फैसला टीना करे उसे किस्से चुदना है, अगर उसकी कोई ख़ास पसंद नहीं है तो हम लाटरी डाल कर फैसला कर ले l तो मैंने टीना से पुछा गया वह सबसे पहले किस्से चुदना पसंद करेगी l

तो टीना सर झुका कर खड़ी रही और फिर कुछ देर बाद रोजी की तरफ देखने लगीl

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Update 06 टीना के साथ सेक्स

अंतरंग हमसफ़र भाग 06

आपने अंतरंग हमसफ़र भाग 05 में पढ़ा;

फिर रोजी मुझ से कान में बोली टीना भी कुंवारी है, अब आप फैसला कर लो पहले उसे कौन चोदेगा? मैं बोला इसके दो तरीके हैं या तो ये फैसला टीना करे उसे किस्से चुदना हैl अगर उसकी कोई ख़ास पसंद नहीं है और वह इस खेल का पूरा मजा लेना चाहती है या हम लाटरी डाल कर फैसला कर ले l

मैंने टीना से पुछा वह सबसे पहले किस्से चुदना पसंद करेगी? तो टीना सर झुका कर खड़ी रही और फिर कुछ देर बाद रोजी की तरफ देखने लगी l

दोस्तों में दीपक आपने मेरी कहानिया मेरे अंतरंग जीवन की हमसफ़र किस तरह मैं रोज़ी और रूबी से मिला और कैसे मेरी और रोजी की पहली चुदाई हुई और उसके बाद कैसे मैंने रूबी को चोदाl हमारे गाँव के प्रवास के आखिरी दिन जंगल में हमने ग्रुप सेक्स और प्रेमिकाओ की अदला बदली का कार्यक्रम बनाया और रोजी ने प्रेमी बदलने से इंकार कर दिया और हमे टीना से मिलवायाl

अब आगे;
रोजी मुस्कराते हुए बोली वैसे टीना तो यहाँ दीपक से ही चुदने आयी है, फिर भी हम सब जो फैसला करेंगे उसे मंजूर होगाl"


तो रूबी बोली ठीक है फिर जैसा टीना चाहती है उसका सबसे पहला मिलन कुमार दीपक के ही साथ होगा l जिस पर सबने सहमति जताई और इसके बाद टीना भी इस अदला बदली के कार्यक्रम में शामिल होगी, तो टीना ने इसपर अपनी सहमति दी l रूबी बोली चुकी पहली चुदाई हमेशा ख़ास होती है. उसे यादगार बनाने का प्रयास करना चाहिए l आप हमे कुछ समय दे तो हम टीना को त्यार कर देते हैं. और कुछ जरूरी तयारी करके इस मौके को ख़ास बनाने का प्रबंध करते हैंl


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तो रूबी. टीना. और रोजी के साथ चली गयी और हम तीनो मोना को पकड़ कर तालाब में चले गए.और उसके साथ खेलने लगेl कोई पानी में उसके स्तनों को धो रहा था, तो कोई उसकी पीठ, और कोई उसकी केले के तने जैसी चिकनी टाँगे धो रहा था l कुछ देर बाद मैं अपने हाथ उसके सारे बदन पर चला रहा था l उसका एक हाथ मेरे खड़े लंड से खेल रहे थे और उसका दूसरा हाथ बॉब की लंड से खेल रहा था l बॉब के हाथ उसकी गांड और चुत पर चल रहे थेl वही टॉम उसके स्तनों से खेल रहा था और दोनों एक दुसरे को बेतहाशा किश कर रहे थेl


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कुछ ही देर में रूबी आ गयी, और बोली कुमार दीपक आ जाइये, टीना आपका इंतजार कर रही हैl मैं तालाब से बाहर निकल कर एक साइड में देखाl हरे घास के मैदान में फूलो की एक सेज बना कर उस पर, टीना बड़ा सा घूंघट कर के बैठी हुई थी l सब तालाब से बाहर निकल कर उस तरफ देखने लगेl ये पहला मौका था जब मुझे सब के सामने एक सुन्दर कन्या का कौमार्य भंग करना था l टीना ने दुल्हन के कपडे पहने हुए थे और उसका फूलों से श्रृंगार किया गया था l एक तरफ रोजी बैठी हुई थी l मैंने रोजी की तरफ देखा तो वो मुस्कुराने लगी l

टीना को सिवा इस समय सब नंगे थे ,तो मैंने निश्चय किया टीना को भी हम नंगो के गैंग में जल्द शामिल कर लेना चाहिए l फिर मैं पहले रोजी के पास गया और उसे लिप किश करने लगाl वहीँ रूबी जाकर बॉब के पास बैठ गयी और टॉम और मोना भी जोड़े बना कर बैठ गए l सब अपनी अपनी साथी के साथ थे, तभी रोजी ने लिप किश तोड़ते हुए कहा कुमार टीना मेरी सबसे अच्छी दोस्त है, वो आपका इंतज़ार कर रही हैl आप उसके पास जाइये l

मेरा हाथ पकड़ कर टीना के पास ले गयी, और टीना का हाथ मेरे हाथ में दे कर बोली मजे कीजिये, और एक तरफ हो कर जाने लगीl मैंने उसे कहा थैंक यू रोजी इस खूबसूरत तोहफे के लिए l वह मुस्कुरा कर देखने लगी l तो मैंने अपनी एक अंगूठी उतार कर टीना को देते हुए बोला" टीना हमारे प्यार के पहले नज़राने को कबूल करोl" उसने अपनी ऊँगली आगे कर दी. तो मैंने उसे पहने कर हाथ पकड़ कर खड़ा कर दिया l मैंने देखा उसने साड़ी पहनी हुई थी और उसका फूलो से श्रृंगार किया गया था l

तो रूबी की आवाज़ आयी, हम पहले से तयारी कर कर के आयी थीl मैंने धीरे से उसका घूंघट उठा दियाl टीना का भी रंग गोरा और सुन्दर नैन नक्श थे. और काले लम्बे बाल. बड़ी बड़ी आँखे. गोल चेहरा. कमसिन बदन. और प्यारी सूरत थी l मैंने उससे पुछा क्या मैं आपको किश कर सकता हूँ और उसे गालो पे एक हलकी से किश कर दी l ये उसकी पहली किश थीl


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फिर उसके माथे पर किस करि l फिर आँखों पर फिर नाक को चूमा और फिर ओंठो पर एक हलकी सी मीठी सी किश करि, और चेहरा दूर कर उसको देखा. उसने शर्मा कर अपना चेहरा और आँखे झुका ली. पर मुझे उसकी इस अदा में उसकी सहमति दिखी. और मैंने उसके ओंठो पर एक लम्बी गहरी किश कर दीl

मेरे जीभ उसके ओंठ खोलते हुए उसके मुँह में चली गयी और उसके दांतो तो घिस कर चमकाने के बाद, उसकी जीभ से लड़ने लग गयी l फिर टीना ने मेरी किस का जवाब अपनी किश से दिया और वह मेरी जीब चूसने लगी l उधर मेरे हाथ उसकी पीठ पर पहुचं कर उसकी गांड तक पहुंचे और उसके सुडोल स्तनों के दबाने लगेl वहीँ टीना के हाथ भी मेरी पीठ पर जाकर मुझे उसकी छाती की और दबाने लगे l

फिर मैंने उसे अपने गले से लगा कर कुछ देर उसकी पीठ को सहलाया और फिर मेरे हाथ उसको स्तनों पर चले गए और उन्हें दबाने लगेl उसके बूब्स सुडोल और बड़े बड़े थे और उसके निप्पल भी उत्तेजित हो चुके थेl मुझे महसूस हुआ उसने टॉप नहीं पहना हुआ था l और टीना भी उत्तेजित थी तो मैंने उसके कपडे उतारने शुरू किये l

मैंने उसका पल्लू हटाया तो मेरा अंदेशा पक्का हो गया की उसने सिर्फ साडी ही लपेटी हुई थी और उसकी पीठ नंगी हो गयीl मैंने उसकी पीठ पर हाथ फिरायाl


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वाह! क्या चिकनी कमर थी मेरा हाथ फिसल कर सीधा उसकी गांड तक पहुँच गयाl मैंने साडी का पल्लू खींचा तो गोल स्तन मेरे आगे सीना तान कर मुझे ललचाने लगे l मैं उसके स्तन पकड़ कर उनकी दृढ़ता को महसूस किया और उनके दवाया l उसके निप्पल उत्तेजना में खड़े हो चुके थे l फिर मैंने उसके स्तनों को चूमा सहलाया दबाया और एक निप्पल को अपने मुँह में ले कर चूसने लगा, फिर उसके दुसरे निप्पल को चूसा l फिर ऐसे ही एक एक कर दोनों निप्पलों को चूसता रहाl

उत्तेजना के वजह से उसके स्तन और कड़े हो गएl मैंने उसे छाती के साथ चिपका लिया तो उसके गोल सुडोल स्तन और निप्पल मेरे छाती में गड गएl बता नहीं सकता मुझे क्या मजा आया l फिर मैंने उसको सीने से लगा कर रखते हुए उसके ओंठो को दुबारा चूमना शुरू कर दिया l फिर एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी साड़ी की गाँठ खोल कर साडी को उतार फेंकाl वह बिलकुल नंगी हो गयीl बस कुछ फूल जिनसे उसका श्रृंगार किया गया था वही उसके बदन पर थे l मेरे द्वारा उसको नंगा करते ही रोजी बोली टीना हम नंगो के गैंग में तुम्हारा स्वागत है l

मैंने देखा टीना की चुत भी सफाचट थीl उसपे एक भी बाल नहीं थाl मैंने उस पर हाथ फिराया तो टीना धीरे से बोली आज ही रोजी ने साफ करि है ख़ास आपके लिए क्योंकि आपको यहाँ बाल पसंद नहीं हैं l


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फिर मैंने एक बार उसके सारे बदन को चूमा, और तभी रूबी बोली चलो अब चुकी सब नंगे हो चुके हैं, तो तालाब में स्नान कर लिया जाएl

मैंने अब तालाब का रास्ता पकड़ा एक हाथ में टीना का हाथ और दुसरे में रोजी का हाथ पकड़, दूसरों का अनुसरण करते हुए हम सब के सब उस छोटे से तालाब में उतर गए। हम सब पानी में हर तरह की तरकीबें कर रहे थे, कभी लड़कियों पर पानी के छींटे डाल कर और कभी तो उनका सिर और कानों को दबाकर, और उन्हें हर संभव तरीके से उकसाया जाता था, और उन्हें धोने के बहाने हमने अपने हाथों को हर आज़ादी दी। हर हिस्से को सहला स्तनों को निचोड़ और उनकी चूचियों , उनकी मुलायम बेलो जैसी टाँगे , उनकी जाँघों, उनके चूतड़ों और दूसरे सभी हिस्सों को रगड़ते हुए उनके साथ खेल रहे थे और लड़किया भी यथा संभव अपने साथियो का साथ दे रही थी l

जहाँ रोजी सिर्फ मेरे साथ थीl वही बाकी तीनो लड़कियों टीना, रूबी और मोना के साथ तीनो लड़के बारी बारी मजे ले रहे थेl l रोजी को तीनो लड़किया भी छेड रही थी, तो वह भी मुस्कुरा कर उनके अंगो पर पानी के छींटे मार देती थी l सच में बहुत मजा आ रहा था l

जैसा कि हम कमर तक की गहराई के पानी में खड़े थेl हमारे इंजन खड़े थे, और अच्छी कामकाजी स्थिति में थेl टीना और रोज़ की कमर के चारों ओर मेरे हाथ के साथ, मैंने अपने इंजन के नोजल को टीना के पानी से भरे भट्टी के मुंह में डालने की कोशिश कीl उस आग को बाहर निकालने के उद्देश्य से जो इसके भीतर भड़की हुई थी, लेकिन मेरी कोशिश सफल नहीं हो सकी, क्योंकि हम पानी में एक दूसरे का समर्थन करने में असमर्थ थे।


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तभी मेरा ध्यान पानी की छपाक की आवाजों की तरफ गया, तो मैंने चारो तरफ घूम कर देखा की टॉम और बॉब अपनी प्रेमिकाओ को तालाब के किनारो पर ले गए थे l रूबी और मोना के सर जहाँ किनारे पर आराम कर रहे थे, उनका बदन तालाब में ऐसे था की रूबी और मोना का पेट और पीठ तैर रही थी और पानी की तरंगे उनके ऊपर से बह रही थीl टॉम और बॉब ने उनकी कमर पकड़ रखी थी और उनकी खुली हुई टांगो में घुसे हुए थे और फिर उनकी कमरे हिलने लगी थीl

मैंने यही तरकीब टीना के साथ आजमाने की कोशिश करि. तो रोजी ने आ कर मुझे सहारा दिया और मेरा लंड उसकी योनि पर लगायाl चुकी ये टीना की कुंवारी योनि के लिए पहली बार था, तो मेरा ये प्रयास भी विफल रहा l रोजी बोली टीना अपनी योनि को ढीला छोड़ो ताकि कुमार का लंड इसमें प्रवेश कर सकेl टीना ने कोशिश करि. मैंने भी जोर लगाया पर कोई ख़ास सफलता नहीं मिली, तो टीना बोली कुमार आप एक बार रोजी के साथ अभ्यास कर लो, फिर हम कर पाएंगे l

उसका ये सुझाव मुझे और रोजी को जच गया और बाकी सब ने भी इसका समर्थन किया l तो मैंने रोजी का भी इस तरह से तालाब के किनारे पर सर टिकायाl उसे पानी में लिटाया, उसकी टांगो को पकडे लंड उसकी योनि के द्वार पर फसाया, और धक्का दे दिया ,और लंड उसकी चुत की जड़ में पैबस्त कर दियाl फिर कुछ देर तक हम दोनों की कमर और चूतड़ों ने हरकत जारी रखीl फिर रोजी हिली और उसने मेरे गले में अपनी बाहे डाल दी, और अपने ओंठ मेरे ओंठो से जोड़ दिए, और वह मेरी गोद में थी मेरा लोढ़ा उसकी चुत में था और वह उछलने लगी l

चुकी हम पानी में थे, तो शरीर पर कोई ज्यादा बजन नहीं थाl हमने पानी में चारो तरफ घुमते हुए चुदाई जारी रखी और फिर मैं उसे दूबरा किनारे पर ले गयाl उसे किनारे के साथ टिकाया और कुछ तेज झटके दे कर उसे गर्भाशय पर अपने वीर्य के धार मार दीl रोजी ने भी अपने जलाशय से अपना प्रेम अमृत छोड़ दिया l

जब हम दोनों एक दुसरे से फारिग हुए तो हमने देखा, बाकी सब तालाब से बाहर आ चुके थे और किनारे पर टॉम और बॉब , मोना और रूबी के चिपके हुए थे और उनके कमर नॉन स्टॉप इंजन की तरह चल रही थीl

उधर ये नज़ारे देख कर उत्तेजना के तूफ़ान ने डूबी हुई टीना मेरे पास आयी और मुझे तालाब में अपनी और खींच कर ले गयीl यह हमारे सामने एक उदाहरण था, जिसे रोजी और मैं विरोध नहीं कर सकते थेl


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पानी से बाहर निकलकर हम किनारे एक पेड़ के छाँव ने नीचे तीनो घास पर बैठ गए, रोजी मेरे कान में फुसफुसाई, आप टीना की योनि में प्रवेश यही किनारे पर कर लो, फिर आगे का काम तालाब में कर लेना l मुझे उसका सुझाव पसंद आया मैंने वहाँ टीना को मेरी जांघों पर बिठाया, उसके पैर मेरी पीठ के चारों ओर लिपट गए। उसके नरम, सुंदर सफेद पेट मेरे पेट के खिलाफ रगड़, मैंने उसके गुलाबी निप्पल वाली गोल सुडोल चूचियों को एक हाथ से मजबूती से दबोच लिया, जबकि दूसरे के साथ मैं प्रकृति की अपनी उत्कृष्ट कृति के अंदर अपने छड़ के लिए जगह बनाने के लिए प्रेम के बंदरगाह के प्रवेश द्वार को बनाने की कोशिश कर रहा थाl

मैंने उसकी जाँघों के बीच में लंड को घिसा, और योनि के छेद को महसूस किया, और उसके पेट के खिलाफ जोर से दबाया, और नरम, और सुस्वाद म्यान , जिसकी बेशुमार आपूर्ति प्रकृति ने एक इतनी खूबसूरत महिला को की थी, के भीतर प्रवेश, और आश्रय की मांग करि जिसका रोजी और टीना सबसे प्यारा नमूना थेl

टीना ने भी विनोद करते मजे लेने के लिए मेरे योनि में प्रवेश प्राप्त करने के मेरे प्रयासों को रोकने के लिए बचने का प्रयास किया l उसका ये प्रयास हमारे आनद को लम्बा करने का ही एक उपक्रम था l उसने अपने कमसिन नाजुक बदन को इस तरह की पैंतरेबाजी की, जिससे हम दोनों के अंदर जल रही कामाग्नि, और भड़क जाए, और इसने मेरी उत्तेजना को और बढ़ा दियाl

मैं उसके बदन पर गरमा गर्म चुम्बन किये, जिसका उसने भी उतनी ही गर्मी और उत्तेजना के साथ मुझे चुम कर जवाब दिया l उसकी आँखों भी काम उत्तेजना की आग में लाल हो रही थीl लम्बे काले रेशमी पलकों जो आधी खुली हुई थीl ऐसा लग रहा उसकी आग मुझे पिघला रही थी । हम दोनों घास पर लुढ़क गए , एक दूसरे की बाहों में समाये हुए मैं नीचे था और वह मेरे ऊपर थीl मैंने दुबारा लंड को उसकी योनि के द्वार पर सेट किया l एक धक्का ऊपर को दिया उधर रोजी ने टीना के अपने हाथो से दबाब दिया l

टीना जोर से चिल्लाई है मैं मर गयी मेरी फैट गयी और मेरा पूरा लंड उसकी झिल्ली फाड़ता हुआ एक ही झटके में जड़ में जाकर उसके गर्भाशय से टकराया l

उसकी आँखे आंसुओ से भर गयी और वह रोती हुई बोली आराम से नहीं कर सकते थे मुझे बहुत दर्द हुआl मैंने कहा जब आराम से कर रहा था, तो तुम भी सहयोग नहीं कर रही थी, और नाटक करके मजे ले रही थीl तो मुझे लगा थोड़ा ज्यादा जोर लगाना पड़ेगा तो लगा दिया l हम कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे और उसे चूमता हुए उसके स्तन दबाता रहा l कुछ देर बाद उसका दर्द कम हो गया, तो उसने चूतड़ उठा कर एक बार नीचे को दबाये, तो मैं समझ गया, अब चुदाई जारी रखने का समय आ गया हैl

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फिर मैं लंड अंदर डाले हुआ धीरे धीरे सरकता हुआ, उसे तालाब के अंदर ले गयाl वो मेरे प्यार के औजार को अपने अंदर महसूस कर रही थी l मैंने तालाब के अंदर उसे खड़ा किया, फिर कुछ देर तक हम दोनों की कमर और चूतड़ों ने हरकत जारी रखी, और फिर जैसे रोजी ने किया था, वैसे ही टीना उछलीl उसने मेरे गले में अपनी बाहे डाल दी और अपने ओंठ मेरे ओंठो से जोड़ दिएl वह मेरी गोद में थी मेरा लोढ़ा, उसकी चुत में था और मैं घूमा मेरी पीठ तालाब के किनारे से लग गयी थी l टीना लंड पर उछलने लगी. मेरे हाथो ने उसके चूतड़ों को संभालाl l मैं फिर घूमा उसे तालाब की दिवार से लगाया और स्पीड से धक्के लगाए हमारी स्पीड बढ़ती जा रही हैl हम और उग्र हुए और दोने एक साथ चरम पर पहुंचे और झड़ गएl

अपनी आँखें बंद करके और एक सांस ले कर हमने कंपकंपी के साथ अपने अंगों को तालाब से बाहर निकाला; और घास पर लेट कर आराम करने लगेl मैंने उसे चूमा तो वह बोली तुमने मुझे सबसे बड़े आनंद का अनुभव दिया है जो महिला प्राप्त करने या देने में सक्षम है।

आगे क्या हुआ ...

ये कहानी जारी रहेगी
 

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