Erotica मेरी चार ममिया

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गतान्क से आगे...................................

"अगर सच कहूँ तो नही..... मेरी बहोत सारी कल्पनाए थी जो पूरी ना

हो सकी. बचपन से ही में बहोत सेक्सी थी. दिल करता था कि पिताजी

से

भाई से सभी से चुदवाऊ. एक दिन मम्मी पापा को चुदाई करते देखा तो

मुझे भी लगा कि मैं उनसे भी चुदवाऊ. मेरा कोई भाई है तो नही

और यहाँ ससुराल में भी एक तुम ही रिश्तेदार हो. दिल करता है कि

में भी तुमसे खूब चुदवा कर तुम्हारे बच्चे की मा बन जाउ." मोना

ने

मुस्कुराते हुए कहा.

"क्या सच मच तुम मेरे बच्चे की मा बनना चाहती हो?" मेने पूछा.

"हां राज सही मे और अगर कुछ हुआ भी तो में कह दूँगी कि बच्चा

मेरे पति का है." मोना ने मेरी छाती पर हाथ फिराते हुए कहा.

इसी तरह बातें करते करते कब नींद आ गयी हमे पता भी नही

चला. सुबह जब सूरज की गर्मी से बदन जलने लगा तभी मेरी आँख

खुली. सुबह पहली बार मेने मोना के नंगे बदन को दिन के उजाले मे

देखा. उसका गोरा बदन सूरज की रोशनी मे चमक रहा था. उसके खुले

बॉल उसकी चुचियों को ढके हुए थे. गुलाबी होठों पर एक प्यारी

मुस्कान नाच रही थी जैसे की नींद मे कोई प्यारा सपना देख रही

हो.

में बेखायाली मे जब मोना के नंगे बदन को निहार रहा था तभी

अनिता मामी और कंगन मामी आ गयी. हम दोनो को नंगा देख दोनो फिर

हमे चिढ़ाने और हँसने लगी. दोनो ने स्नान कर लिया था और उनके

गीले बालों से अभी भी पानी की बूंदे टपक रही थी. दोनो मुझे

देख

मुस्कुरई फिर मोना मामी को उठाने लगी.

"सोने दो ना क्यों तंग करते हो." कहकर मोना ने अपने दोनो हाथ उठा

कर एक अंगड़ाई ली तो उसकी चूत थोड़ा उपर को उठ गयी. मेने देखा

की

उसकी झांतें मेरे और उसके रस से चिपचिपा रही थी.

जब उसने आँख खोली और एहसास हुआ कि वो नंगी है तो उसने झट से

पास ही पड़ी अपनी सारी उठा अपने बदन पर डाल ली.

"अरे क्यों छुपा रही है अपने इस नशीले बदन को, हां उठो और

नीचे आ कर नहा धोकर नाश्ता कर लो." इतना कहकर अनिता मामी ने

उसकी सारी खींच ली और हमारे सारे कपड़े लेकर नीचे चली गयी.

"सारी रात तो नंगे रहे हो अब क्या ज़रूरत पड़ गयी कपड़े पहनने की,

ऐसे नंगे ही घूमना है घर मे." कहकर कंगन मामी भी चली

गयी.

में और मोना नंगे ही नीचे आ गये. जैसे ही अंदर आए मोना ने

कहा, "राज क्यों ना हम दोनो साथ साथ स्नान करें."

इसके पहले की में कुछ कहता मोना मुझे खींच कर अपने साथ

बाथरूममे ले आई.

हम दोनो पहले से ही नंगे थे इसलिए उतारने के लिए कुछ था नही.

मोना सिर्फ़ अपने गले मे पहने मंगल सुत्र को उतार कर साइड मे रख

दिया. फिर वो मेरे शरीर पर पानी डालने लगी और साबून मलने लगी.

उसकी चूड़ियों की खनकार से मेरा लंड एक बार फिर तन्न्कर खड़ा हो

गया.

"मोना कभी किसी का लंड चूसा है?" मेने पूछा.

"एक बार तुम्हारे मामा जी ने कोशिश की थी पर मुझे अच्छा नही लगा."

मोना ने कहा.

मैने मोना को अपने सामने नीचे बिठा दिया, "अरे बहोत मज़ा आएगा आओ

में तुम्हे सिखाता हूँ." कहकर में अपने खड़े लंड को उसके होठों

पर घिसने लगा.

"अपनी जीब को पहले मेरे सूपदे पर फिराओ और इसे चॅटो." मेने कहा.

मोना ने आनी जीभ बाहर निकाली और सूपदे पर घूमाने लगी.

"हां अब इसे अपनी मुट्ठी मे पाकड़ो और अपनी ज़ुबान को उपर से नीचे

तकले जाकर चॅटो फिर नीचे से उपर तक."

मैं जैसा कह रहा था मोना वैसे ही करती जा रही थी.

"अब अपना मुँह खोलो और पहले सिर्फ़ सूपदे को मुँह मे लेकर चुलबुलाओ,

साथ ही इसपर अपनी जीभ फिराती रहना."

मोना ने मेरे लंड के सूपदे को अपने मुँह मे लिया और चूसने लगी.

मेने अपना हाथ नीचे कर उसकी चुचियों को भींचे लगा.

"अब अपने गले को थोड़ा खोलो और जितना लंड अंदर ले सकती हो लो और

फिर बाहर निकालो सिर्फ़ सूपदे तक फिर उसे अंदर लो जैसे कि तुम्हारा

मुँह ना होकर तुम्हारी चूत हो और मेरा लंड उसमे अंदर बाहर हो रहा

है." मेने उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा.

मोना अब मेरे बताए तरीके से मेरा लंड चूसने लगी. मुझे भी मज़ा

रहा था मेने उसके सिर को पकड़ा और उसके मुँह मे धक्के लगाने लगा.

मोना ने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाल दिया और बोली, "राज मुझसे अब

नही रहा जाता मुझे चोदो ना प्लीज़."

मेने उसे दीवार के सहारे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत मे

अपना लंड पेल दिया. में ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा.

"ओह राज चोदो हाआँ ज़ोर ज़ोर से चोदो ऑश ःआआआआण चोदो और

ज़ोर से." मोना सिसकने लगी.

मेरे लंड काफ़ी उबाल पर था, "ऑश मोना डार्लिंग मेरा तो छूटने

वाला है,"

"में भी कगार पर हूँ राज छोड़ दो अपना पानी मेरी चूत मे ऑश

हाां."

मेने दो चार धक्के लगाए और हम दोनो साथ साथ खलास हो गये.

फिर एक दूसरे को खूब अच्छी तरह साबून लगाय
 
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ा और स्नान करके हम

बाहर आ गये.

जब हम दोनो बाहर आए तो टेबल पर नाश्ता तय्यार था.

जब हम थोड़ा संभाल चुके तो दिन के 10.00 बज चुके थे. थोड़ी

भूक भी लग रही थी. तीनो मामियों ने मिलकर खाना बनाया और जब

हम सब खाना खा चुके तो सभी हॉल मे बैठ कर टीवी देखने लगे.

हां में ये तो बताना ही भूल ही गया कि हम चारों अभी पूरी

तरह नंगे ही थे.

"दीदी क्यों ना अब सिमरन को भी शामिल कर लिया जाए." कंगन मामी

ने कहा.

"कंगन तुम तो जानती हो उसका स्वाभाव कितना टेडा है, वो इतनी जल्दी

हम सब मे शामिल नही होगी." अनिता मामी ने कहा.

"अरे दीदी आप उसे फोन करके बुलाओ तो सीधे नही मानेगी तो साली को

ज़बरदस्ती चुदवा देंगे हमारे राज से..... क्यों राज क्या कहते हो?"

कंगन मामी ने कहा.

"वो तो ठीक है मामी..... पर अगर बाद मे उसने मामा जी से कह दिया

तो.. क्या होगा." मेने अपना डर बताते हुए कहा.

"अरे इतना डरते क्यों हो.... अगर कुछ हुआ तो हम तीनो बात को

संभाल लेंगे." कंगन ने कहा.

अनिता मामी ने सिमरन मामी को फोन लगाया.

"सिमरन, अनिता बोल रही हूँ... ऐसा करो तुम यहाँ कंगन के मकान

पर आ जाओ." अनिता मामी ने कहा.

"पर दीदी मेने अभी तक स्नान भी नही किया है." वहाँ से सिमरन ने

कहा.

"अरे तो यहाँ आकर कर लेना." अनिता मामी ने कहा.

"ठीक है दीदी आती हूँ." कहकर सिमरन मामी ने फोन रख दिया.

अब हम चारों मिलकर सिमरन मामी को फँसाने का प्रोग्राम बनाने

लगे.

प्लान इस तरह बना कि में बेडरॉंम मे जाकर पलंग पर सोने का बहाना

करूँगा. कंगन मामी और मोना मामी घर के काम काज मे जुटी

रहेंगी. और जब सिमरन मामी दरवाजे की घंटी बजाएगी तो रूल के

हिसाब से अनिता मामी सिर्फ़ पेटिकोट पहने दरवाज़ा खोलेंगी.

अगर सिमरन मामी ने पूछा कि वो ऐसे क्यों है तो पहले ही तय के

तहत अनिता मामी कहेंगी कि वो अभी अभी स्नान कर के निकली है. जब

सिमरन मामी घर मे आ जाएँगी तो तीनो मामिया उसे पहले स्नान

करने की सलाह देंगी. कंगन मामी उसे अपने कपड़े और टवल देंगी.

और फिर हमारा सही प्लान शुरू होता है, जैसे ही सिमरन मामी

नहाने के लिए बाथरूम मे घुसेगी तीनो मामी उसके सारे कपड़े और

टवल बाथरूम के दरवाज़े पर से उठा कर ले जाएँगी. इस तरह जब

सिमरन नहा कर निकेलेगी तो पहनने के लिए वहाँ कुछ भी नही होगा.

उसे नंगी ही भीगे हुए बेडरूम तक आना होगा. तब हम उसे अपने खेल

मे शामिल कर सकते है.

जब एक बार प्लान फाइनल हो गया तो अनिता मामी ने पहले जाकर अपना

चेहरा धोया फिर अपने बालों को थोड़ा गीला कर लिया जिससे लगे कि

अभी अभी नहा कर निकली है. फिर उन्होने हल्के नीले रंग का

पेटिकोट अपनी चुचि के उपर बाँध लिया. पेटिकोट इतना छोटा था कि

बड़ी मुश्किल से उनके चूतदों को धक पा रहा था. उनकी गोरी जंघे

और जाँघो का अन्द्रूनि हिस्सा सॉफ दीखाई दे रहा था.


में बेडरूम मे आ गया. बेडरूम ठीक बाथरूम के सामने था इसलिए

जब सिमरन मामी नंगी बाथरूम से बाहर आएँगी तो में पहला शक्श

होऊँगा जो उन्हे उस हालत मे देख पाएगा.

तभी दरवाज़े पर ठप थापाहट हुई और अनिता मामी दरवाज़ा खोलने

चली गयी. तभी सिमरन मामी की आवाज़ सुनाई पड़ी,

"दीदी.... आअप इस हालत मे..... कहीं आप पागल तो नही हो गयी है

कि सिर्फ़ पेटिकोट पहन कर दरवाज़ा खोल रही हो."

"अरे में अभी अभी नहा कर निकुली हूँ और तुम ने दरवाज़ा खाट

खता दिया." अनिता मामी ने कहा.

"ओह्ह.... अच्छा ये बताए कि हमारा राज कहाँ है और क्या कर रहा

है." सिमरन मामी ने पूछा.

"वो सो रहा है.... हाँ तुमने बताया था कि तुमने स्नान नही किया

है... तो जाओ पहले स्नान कर लो फिर बातें करेंगे... मैं तुम्हे

टवल लाकर देती हूँ." कंगन मामी ने कहा.

"ठीक है में पहले नहा ही लेती हूँ," कहकर सिमरन मामी बेडरूम

से होती हुई बाथरूम मे गयी और अंदर से दरवाज़ा बंद कर लिया.

सब कुछ हमारे प्लान के मुताबिक हो रहा था. तभी कंगन मामी ने

मुझे आँख मारते हुए एक सारी, ब्लाउस पेटिकोट और टवल बाथरूम के

दरवाज़े पर रख दिए, "सिमरन मेने कपड़े दरवाज़े पर रख दिए

है."

"ठीक है दीदी." सिमरन ने कहा. थोड़ी देर मे दरवाज़े पर एक के बाद

एक उनके कपड़े नज़र आने लगे. सिमरन मामी ने अपने सारे कपड़े उतार

दरवाज़े पर रख दिए थे. यहाँ तक कि सिमरन ने अपनी ब्रा और पॅंटी

भी उतार कर रख दी. फिर पानी गिरने की आवाज़े आने लगी.

तभी कंगन मामी ने एक एक करके सारे कपड़े दरवाज़े पर से खींच

लिए यहाँ तक कि टवल भी. अब सिमरन मामी के पास पहनने के लिए

कुछ भी नही था. इन सभी बातों से अंजान सिमरन मामी नहाने मे

लगी हुई थी. कंगन मामी बेडरूम मे आई और मुस्कराते हुए सारे

कपड़े मेरे बगल म
 
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े रख दिए.

कंगन मामी कपड़े रख कर जैसे ही जाने लगी मेने आवाज़ लगाई,

"मामी ज़रा सुनना."

"क्या बात है राज." मामी ने पूछा.

"क्या सब कुछ हमारी सोच के अनुसार ही होगा." मैने कंगन मामी से

पूछा.

कंगन मामी मेरे पास आई और मेरे हाथों को अपने हाथों मे लेकर

बोली, "राज क्यों डर रहे हो, तुम्हारी ही इच्छा थी ना कि तुम सिमरन को

चोदो. अगर उसके साथ ज़बरदस्ती भी करनी पड़े तो करना हम तीनो

तुम्हारा साथ देंगे." उसने मुझे बताया.

इतने मे अनिता मामी और मोना मामी भी कमरे मे आ गयी थी.

"अरे राज तुम चिंता मत करो, हम हैं ना साली ज़्यादा नखरे

दीखाएगी तो हम मिलकर उसके हाथ पैर बाँध देंगे और आँखों पर

पट्टी भी बाँध देंगे." मोना मामी ने कहा.

मुझे विश्वास नही हो रहा था कि मेरी ये तीन मामिया अपनी ही

देवरानी और जेठानी के साथ ऐसा करने के लिए कह रही है. वाह रे

चूत की आग जो इंसान से कुछ भी करवा सकती है.

करीब 10 मिनिट के बाद सिमरन मामी की आवाज़ सुनाई पड़ी, वहाँ कपड़े

ना पाकर वो हैरान थी और टवल के लिए आवाज़ दे रही थी पर किसी

ने भी उनकी बात का जवाब नही दिया वो थोड़ी देर वहीं बाथरूम मे

रुकी फिर वही हुआ जो हमने सोचा था.

पहले तो उन्होने धीरे से बाथरूम का दरवाज़ा खोला और इधर उधर

झाँक की कहीं कोई है तो नही. किसी को भी वहाँ ना पाकर, दिन के

उजाले मे वो बाथरूम से निकली और बेडरूम के ओर बढ़ी. भीगा

बदन, पानी की बूंदे उनके शरीर से टपक रही थी. एक हाथ से अपनी

चुचियो को ढके थी और दूसरा हाथ अपनी चूत पर रखे वो आ

रही थी.

बाथरूम से निकलकर लगभग दौड़ती हुई वो आँगन से होती हुई बेडरूम

मे आई और जल्दी से दरवाज़ा बंद कर दिया. सिमरन मामी को ये पता

नही था कि में कमरे मे हूँ.

"पता नही क्या हो रहा है इस घर मे? अचानक पता नही कैसे मेरे

कपड़े गायब हो गये दरवाज़े पर से?" वो बड़बड़ा रही थी.

उनके नंगे बदन को देखते हुए मेने अंजान बनते हुए पूछा. "कैसे

कपड़े मामी?"

मामी बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थी. पानी उनके गीले बालों से

होता हुआ चुचियो पर से चूत के रास्ते नीचे ज़मीन पर बूँद दर

बूँद गिर रहा था. खिड़की से आती गरम हवा मे उनका बदन कांप रहा

था.

सिमरन मामी का गोरा और नंगा बदन देख मेरी आँखे तो फटी की फटी

रह गयी. मामी भी मुझे देख चौंक पड़ी थी. मेरा लंड तन कर

शॉर्ट्स में खड़ा हो चुका था और शायद मामी की नज़र भी मेरे

खड़े लंड पर पड़ चुकी थी.

मामी तो जैसे पत्थर हो गयी थी. उन्होने एक शब्द भी नही कहा.

मुझे ही कुछ करना था. मैं अपने लंड को शॉर्ट्स के उपर से मसल्ने

लगा.

मैं पलंग से खड़ा हुआ तो मेरा लंड और तन कर खड़ा हो गया.

मामी के मुँह से अभी भी एक भी शब्द नही निकला था बल्कि उसकी

नज़रें मेरे लंड पर ही टिकी थी, शायद उन्हे विश्वास नही हो रहा

था कि कल का बच्चा आज जवान हो गया था.

में अपने लंड को मसल्ते हुए उनके पास आया और उनके कंधो से पकड़

उन्हे हिलाया. अगले पल मामी ने मुझे जोरों से अपनी बाहों मे जाकड़

लिया. मेरा खड़ा लंड शॉर्ट्स के उपर से ही उनकी चूत पर ठोकर

मारने लगा.

मुझे उमीद नही थी कि मामी ऐसा भी कर सकती थी. वो किसी

प्रेमिका की तरह मुझे बाहों मे बाँधे खड़ी थी. उनका भीगा बदन

मुझे अपनी बाहों मे काफ़ी अछा लग रहा था. उनकी साँसे तेज हो चली

थी और साँसे की भाप को में अपने कंधों पर महसूस कर रहा था.

जैसे ही मेने अपने हाथ उनकी गीली पीठ पर रखे वो सिहर गयी और

मुझसे अलग हो गयी.

"क्या हुआ मामी?" मेने पूछा.

"हे भगवान ये में क्या करने जा रही थी,,,,,, नही में ऐसा नही

कर सकती....ओह भगवान मुझे माफ़ कर देना...." इतना कहकर वो

दरवाज़े की ओर बढ़ गयी.

मेने उन्हे पीछे से पकड़ा और अपने पास खींच लिया, "मामी ये आप

ही थी जिसने शुरुआत की थी..... अब इस तरह मुझे छोड़ कर नही जा

सकती."

"नही......... प्लीज़ मुझे जाने दो ये सब पाप है......में ये सब

नही कर सकती." कहकर मामी अपना हाथ मेरे हाथों से छुड़ाने की

कोशिश करने लगी.

पर मेरे हाथों की पकड़ काफ़ी मजबूत थी. मैने ज़ोर लगा कर उन्हे

अपनी और खींचा. मैं सिमरन मामी को अब ऐसे ही जाने देने वाला

नही था, चाहे जो जाए. उनके नंगे बदन ने मुझे पागल कर दिया

था, उनकी चुचियाँ को पीने को मेरे ज़ुबान सुख रही थी.
 
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मेरी चार मामियां --6

गतान्क से आगे...................................

मैने उनके दोनो हाथों को पकड़ उनकी पीठ के पीछे कर दिया और

जोरों से उन्हे चूमने लगा. में उनके चेहरे को हर तरह चूम रहा

था. मैं एक बात देख कर चौंका, अगर हम किसी के साथ ज़बरदस्ती

करते हैं तो वो चिल्लाति है और विरोध करती है पर यहाँ सिमरन

मामी सिर्फ़ विरोध कर रही थी चिल्ला नही रही थी.

पर तभी वो चिल्लाने लगी...."प्लीस जाने दो मुझे.. छोड़ दो मुझे."

मामी को चिल्लाते देख मे मेने मामी को बिस्तर पर पेट के बल गिरा

दिया, अगर पीठ के बल गिराता तो वो मुझे लात मार अपने से दूर कर

सकती थी. मैं उनकी पीठ पर चढ़ गया, उनके हाथ अभी मेने पीठ

से लगा रखे थे. मामी काफ़ी प्रयत्न कर रही थी अपने आप को

छुड़ाने की किंतु तभी मेने बिस्तर पर पड़ी चादर को उठाया और

उनके दोनो हाथ बाँध दिए.

"ओ दीदी...... देखो राज क्या कर रहा है.... जल्दी से आआओ......"

अब वो जोरों से चिल्लाने लगी.

उनके हाथ बाँधने के बाद में उन्हे पलट कर सीधा कर दिया. वो

मुझे देखते हुए वो फिर चिल्लाने लगी.

"प्लीज़ मत करो ना में तुम्हारे हाथ........" वो अपना वाक़्या पूरा

करती उसके पहले ही मेने तकिये का गिलाफ निकाला और उनके मुँह मे

ठूंस दिया... अब वो सिर्फ़ 'गूऊ गूओ' कर के रह गयी.

में अभी उनके पेट पर ही बैठा था. मैने अपनी टी-शर्ट अपने सिर के

उपर कर निकाल दी. में मामी के शरीर पर थोड़ा नीचे खिसका और

उनके एक पैर को पलंग के सहारे अपनी टी-शर्ट से बाँध दिया.

मामी अब भी हिल डुल कर और उछाल कर अपने आपको बचाने की कोशिश

कर रही थी. पर वो कुछ नही कर पाई. फिर मैं अपनी शॉर्ट्स उतार

नंगा हो गया. अपनी शॉर्ट्स से मेने मामी की दूसरी टांग भी बिस्तर के

किनारे से बाँध दी. मामी अब भी मछली की तरह तड़प्ते हुए आज़ाद

होने की कोशिश कर रही थी. मामी की टाँगे पूरी तरह फैल गयी

थी, पर हिला दूली मे मेने देखा की हाथो पर फँसी टी-शर्ट ढीली

होती जा रही थी. मुझे मामी के हाथो को भी अच्छी तरह बांधना

था पर बाँधने के लिए मेरे पास कुछ नही था.

तभी मेरी बाकी की तीनो मामियाँ कमरे मे आ गयी. वो सिमरन मामी

की हालत देख पहले तो चौंकी फिर देखा कि सब कुछ ठीक है तो

खड़ी हो कर मुस्कुराने लगी.

सिमरन मामी 'गूऊव.....गूऊ' करके उन्हे मदद के लिए पुकार रही

थी, और मामियाँ थी कि हंस रही थी.

"क्यों नखरे दीखा रही हो सिमरन.... मज़े लो तुम्हे भी मज़ा

आएगा..." मोना मामी ने हंसते हुए कहा.

"मुझे कोई रस्सी चाहिए... " मेने कंगन मामी से कहा, "मुझे इनके

हाथ बाँधने है.

कंगन मामी बाहर से पतली डोरी ले आई और मुझे दे दी. मेने उस

डोरी से सिमरन मामी के हाथ बाँध दिए.

हम सभी ने देखा कि अब सिमरन मामी की आँखों मे आँसू आ गये

थे.

"क्या हम इसके करीब आ सकते है?" मोना ने मुजसे पूछा.

"हां मगर इसे खोलने की कोशिश नही करना." इतना कहकर मेने मोना

को चूम लिया.

मोना ने भी मेरे नंगे बदन को अपनी बाहों मे भर चूम लिया,

"ओह तो जनाब काफ़ी लंबे और मोटे हो रहे है." उसने मेरे खड़े

लंड को अपने हाथ मे पकड़ते हुए कहा.

"मोना..... इसे छोड़ दो..... अभी तुम्हारी बारी नही है." कंगन ने

कहा. फिर वो तीनो सिमरन के करीब आ गयी और उसके बगल मे बैठ

गयी. अनिता मामी अभी भी पेटिकोट पहने हुए थी. उन्होने उसके आँसू

पौन्छे और उसे समझाया कि वो मान जाए. पर सिमरन मामी थी कि

मान ही नही रही थी.

"अब सभी कोई पीछे हट जाओ." मेने तीनो ममियों से कहा.

पीछे हटते हुए कंगन मे मेरे होठों को चूम लिया और वो तीनो

ज़मीन पर एक चादर बिछा कर बैठ गयी.

"अब.... में इसके साथ क्या करूँ?" मेने आँख मारते हुए मोना से पूछा.

"जो तुम चाहो वो करो... अब तो ये पूरी तरह से तुम्हारी है," कंगन

कह रही थी... "पहले इसे इसकी बदतमीज़ी की सज़ा दो...पूछो इससे कि

अब ये ठीक से बात मानेगी कि नही."

माइयन सिमरन के पेट पर ही बैठा था और मेरा खड़ा लंड उसकी नाभि

को छू रहा था. मैने उसके मुँह से तकिया की खिलाफ हटाया और पूछा

क्या वो ठीक से बात मानेगी कि नही.

"हरामी हटो मेरे उपर से...." उसने मुझे हटाने की कोशिश की.

"आज तो में तुझे अपनी रंडी बना कर रहूँगा." मेने कहा और उसके

गाल पर ज़ोर का झापड़ रसीद कर दिया.

वैसे तो औरतों को ये सब पसंद नही है, पर कुछ औरतों है जिन्हे

रंडी बनना पसंद भी है और ऐसा व्यवहार भी.

"अगर ज़्यादा चिल्ल
 
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ाई तो और मार पड़ेगी." मेने उसके दोनो गालों पर

झापड़ मारते हुए कहा.

मगर वो मानी नही और फिर चिल्लाने लगी, मेने उसे फिर थप्पड़

मारा तब जाकर वो शांत हुई. अब वो चिल्लाने की बजाय मुझसे धीरे

से उसे छोड़ने को कहने लगी.

मैने उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों मे लिया और उसके होठों को

चूसने लगा. उसके होठों को चूस्ते हुए मेने उसकी थोडी को चूमा

फिर उसकी गर्दन को. फिर नीचे होते हुए मैं उसकी मुलायम मगर

कठोर चुचियों पर आ गया.

उसके निपल को अपनी मुँह मे ले में उसे चूसने लगा और चुचियों को

धीरे धीरे मसल्ने लगा. बड़ी अच्छी गोल गोल चुचियाँ थी सिमरन

मामी की. थोड़ी देर चूची चूसने के बाद मे नीचे उसके पेट को

चूमा और और अपनी जीब उसकी नाभि मे घूमाने लगा.

नाभि मे जीब लगते ही वो थोड़ा कसमसाई शायद उसे गुदगुदी हुई थी.

फिर में नीचे को खिसका और उसकी चूत को चूमते हुए अपनी ज़ुबान

उसकी जाँघो के अन्द्रुनि हिस्सों पर फिराने लगा.

अनिता, कंगन और मोना ये सब देख सिसकने लगी. उनके भी शरीर

गरमा गये थे. तीनो अब एक दूसरे के कपड़े खोलने लगे. थोड़ी ही

देर मे तीनो नंगी हो गयी थी. मोना ने कंगन के होठों पर अपने

होंठ रख दिए और साथ ही उसकी चुचियों को भींचने लगी. वही

अनिता मोना की चूत पर हाथ फिराने लगी.

में सिमरन मामी की जाँघो को चूमते हुए और नीचे खिसका और उनके

पंजो को चूमने लगा. सिमरन मामी का बदन मेरी इस हरकत से कांप

उठा लेकिन अभी शायद उनकी चूत की प्यास जागी नही थी.

अब में उनकी जाँघो के बीच आ गया और उनकी चूत को अपने मुँह मे

भर लिया. मैने अपनी उंगलियों से चूत को थोड़ा फैलाया और अपनी

जीब को त्रिकोण के आकार मे कर सीधा अंदर घुसा दिया. अब में अपनी

जीब को उनकी चूत के अंदर घुमा रहा था. साथ ही अपने होठों से

उनकी चूत की पंखुरियों को चूस्ता जा रहा था.

जैसे ही मेरी जीब उनकी चूत की दीवारों से टकराई उनका बदन हल्के

से कांप उठा और खुद बा खुद उनकी कमर उपर को उठ गयी और उनके

मुँह से एक कराह सी निकल गयी..."उईईई माआआअ."

अब में और जोरों से उनकी चूत को चूसने लगा, साथ ही मैं अपनी

दो उंगलियाँ उनकी चूत मे घुसा अंदर बाहर करने लगा. सिमरन मामी

का बदन थरथरा रहा था. मेने देखा कि सिमरन के माथे पर

पसीने की बूंदे आ गयी थी और उन्हे मज़ा आने लगा था.

मेने एक बार फिर उनसे पूछा कि क्या वो साथ देगी तो फिर उसने अपनी

गर्दन ना मे हिला दी. मैने फिर उनके गाल पर थप्पड़ मारा और

जानवरों की तरह उनकी चुचियों पर टूट पड़ा. में जोरों से उनकी

चुचियों को किसी जानवर की तरह मसल्ने और चूसने लगा.

वो अब भी रो रही थी और मेरी तीनो मामियों को मदद के लिए पुकार

रही थी.

पर मेरी तीनो मामियाँ उसकी फरियाद कहाँ सुनती. वो तीनो तो अपनी

मस्ती मे खोई हुई थी. मेने देखा कि कंगन मामी अनिता मामी के

उपर 69 की पोज़िशन मे थी और एक दूसरे की चूत चूस रही थी.

वहीं मोना मामी अनिता मामी के सिर की तरफ से अनिता की जीब के साथ

साथ अपनी जीब भी कंगन की चूत मे घूसा रही थी, साथ ही अपनी

चूत मे अपनी उंगली अंदर बाहर कर रही थी.

"उन्हे मत पुकारो, वो तुम्हारी मदद के लिए नही आएँगी..." कहकर

मेने ज़ोर से उनके निपल को अपने दन्तो से काट लिया और अपने दांतो

का निशान उसके निपल पर छोड़ दिया.

सिमरन मामी एक बार फिर चिल्लाई पर आवाज़ मे उतना जोश नही था

शायद वो थक गयी थी और दूसरी बात पहले दर्द फिर मज़ा और फिर

दर्द.

मैं उनकी जाँघो के बीच आया और उनकी चूत की पंखुरी को भी

अपने दांतो से कुरेद दिया. फिर उनकी टाँगो को खोला और दोनो टॅंगो को

मोड़ उनकी छाती से चिपका दिया.

सिमरन के दोनो हाथ अभी भी बढ़े हुए थे इसलिए मेने उसकी टाँगो

को थोड़ा उँचा किया और उसकी जाँघो के बीच खुद की जगह बनाते हुए

अपना खड़ा लंड ठीक उसकी चूत के मुँह पर रख दिया. फिर धीरे

धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर घूसाने लगा.

"प्लीज़ मुझे छोड़ दो ...... जानो दो मुझे...." सिमरन अभी भी रो

रही थी.

इस तरह उसका गिड़गिडाना मुझे अच्छा लगा और में जोरों से उसे चोद्ने

लगा. में इतनी जोरों से धक्के मार रहा था कि पूरा पलंग हिल रहा

था और कमरे मे 'ठप ठप ठप' की आवाज़ गूँज रही थी.

वो अभी भी अपनी चूत की मांसपेशियों को जकड़े मेरे लंड को अपनी

चूत मे जाने से रोक रही थी, इससे में और उत्तेजित हो गया और ज़ोर

लगाकर अपना लंड उसकी चूत मे घूसाने लगा. आधे घंटे तक में

उसे ऐसे ही बेदर्दी से चोद्ता रहा. आख़िर मेरे लंड ने उबाल खा उसकी

चूत मे पानी छोड़ दिया.

जब उसकी छूट मेरे पानी से भर गयी तो मेने देखा कि उसका चेहरा

गुलाबी हो चुका था. वो रो तो नही रही थी लेकिन हां सूबक ज़रूर

रही थी.

मैं उस के उपर से उठा और उसे खोल दिया.

हाथ खुलते ही वो मेरी छाती पर घूँसे मार कर मुझे कोसने लगी कि

मेने उसके साथ ज़बरदस्ती क्यों की. मैने देखा कि तीनो मामियाँ

खलास हो अपनी साँसे दुरुस्त कर रही थी.

तभी तीनो उठ कर हमारे
 
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पास आई.

"सिमरन देख अब चिल्लाने से कोई फ़ायदा नही... जो होना था वो हो

गया... पर सच सच बता तुझे मज़ा आया कि नही,,,, देख झूठ

मत बोलना...." अनिता मामी ने उसकी चुचियों को सहलाते हुए कहा.

सिमरन कुछ देर तक सोचती रही फिर धीरे से बोली.." मज़ा तो आया

दीदी पर क्या कोई किसी को इतनी बेरहमी से चोद्ता है, इसने तो मेरी

जान ही निकाल दी थी."

"अरे इसमे भी मज़ा आता है क्यों है ना...." कंगन ने उसकी चूत को

सहलाते हुए कहा.

"कंगन दीदी आता है तो लेकिन देखो ना कितनी बेरहमी से मेरे चुचि

को काटा है राज ने....अभी भी दर्द हो रहा है" वो अपनी चुचि जिस

निपल पर मेने काटा था दिखाते हुए बोली.


मैं झुक कर उस निपल को अपने मुँह मे ले धीरे धीरे चूसने

लगा. शायद उनका दर्द कम हो गया था इसलिए वो सिसकने लगी.

सिमरन मेरी तीनो मामियों को नंगा देख समझ गयी थी कि में

तीनो को चोद चुका हूँ.

"दीदी क्या ये तुम तीनो को अभी ऐसे ही चोद्ता है.... बाप रे कितना

बड़ा लंड है इसका पूरा मूसल है... फाड़ ही दिया इसने मेरी चूत

को...." सिमरन ने पूछा.

"अरे नही रे...... ये तो बड़े प्यार से चोदता है..... हमारा तो दिल

करता है कि इसका लंड चूत मे लिए पड़े रहें." अनिता ने उसकी

चुचि को मसल्ते हुए कहा.

"और दीदी इसके लंड का स्वाद भी बड़ा प्यारा है... मेरा तो दिल करता

है कि इसके लंड को लॉली पोप समझ चूस्ति रहूं." मोना मेरे लंड

से खेलती हुई बोली.

"होगा इसके लंड का स्वाद अच्छा और चोद्ता होगा तुम तीनो को प्यार से

मुझे तो इसने जानवरों से भी गए गुज़रे तरीके से चोदा है...."

सिमरन थोड़ा सा नाराज़ होते हुए बोली.

"अरे गुस्सा क्यों दिखाती हो मामी.... प्यार से सभी चोद्ते है और

चुड़वाते है.....कसम खाकर कहो क्या इस तरह चुद्वाने मे मज़ा

आया कि नही." मैने सिमरन मामी की चूत मे अपनी उंगली डालते हुए

कहा.

"सच कहूँ तो बहोत मज़ा आया.... बरसों से मेरी तंमना थी कि

कोई मुझे इस बेरहमी से चोदे....सच." कहकर सिमरन मामी ने

मुझे गले लगा लिया.

हम सब तक कर लेटे हुए थे. अब जब कि सिमरन मामी को में चोद

चुका था हम सभी की कल्पनाए पूरी हो चुकी थी सिवाय कंगन

मामी के.

"मामी क्यों ना आपकी कल्पना भी पूर की जाए." मेने कंगन मामी

से कहा.

"अभी जल्दी भी क्या है पूरा दिन पड़ा है पहले कुछ चाइ नाश्ता हो

जाए तब तक." कंगन मामी ने कहा.

"मामी आप सब के लिए नाश्ता बनाए में तब तक अपनी चाय यहीं

पी लेता हूँ." कहकर में सिमरन मामी की टाँगो के बीच आ गया

और उनकी चूत को चूसने लगा.

"राज ये तो तुम्हारा चाय नाश्ता हुआ मेरा क्या होगा?' सिमरन मामी

हंसते हुए बोली.

"वाह मामी अभी थोड़ी देर पहले तो मुझे गालिया दे रही थी और

मुझे भगा रही थी अब नाश्ता चाहिए." मेने अपनी उंगली उनकी

चूत मे घूसाते हुए कहा.

"वो तो राजा अलग बात थी अब तो नाश्ता भी चाहिए और मीठा

भी." कहकर मामी ने मुझे अपने उपर खींच 69 की अवस्था मे लेटा

लिया.

मामी ने मेरे लंड को पहले तो थोड़ी देर सहलाया और फिर उसे अपने

मुँह मे ले चूसने लगी. मैने भी उनकी चूत को फैला अपनी जीब

अंदर डाल दी.

अनिता और कंगन मामी रसोई मे चाय नाश्ता बनाने चली गयी.

हम दोनो को इस तरह देख मोना मामी से भी नही रहा गया. वो

सिमरन मामी के सिर की तरफ आई और अपनी जीभ उनकी जीभ से मिला

मेरे लंड को चाटने लगी.

अपने लंड पर दो दो जीभ का मज़ा पा में जोश मे आ गया और ज़ोर

ज़ोर से सिमरन की चूत को चूसने लगा. अब ये आलम था कि कभी

सिमरन मेरे लंड को मुँह मे लेती और कभी मोना मेरे लंड को मुँह मे

लेती.

अगर सिमरन लंड को मुँह मे लेती तो मोना मेरी गोलियों को मुँह मे ले

चूस्ति और अगर मोना लंड को मुँह मे लेती तो सिमरन मेरी गोलियों

को चाटने लगती. में भी अपनी जीभ को सिमरन की चूत के अंदर

तक घुसा इधर उधर घूमाता और कभी उसकी पंखुरियों को मुँह मे

भर चूस्ता या फिर दांतो से काट लेता. सिमरन को भी मज़ा आ

रहा था वो नीचे से अपनी कमर उछाल अपनी चूत को मेरे मुँह पर

दबा देती.

हम तीनो के बदन उत्तेजना मे काँप रहे थे.

"राज अब नही रहा जाता प्लीज़ अपने लंड को मेरी चूत मे डाल मुझे

चोदो ना....." सिमरन मामी सिसक पड़ी.

"नही दीदी राज पहले मुझे चोदेगा.....आप तो अभी अभी चुदी हैं

मुझे तो कितनी देर हो गयी चुदे हुए...... देखो मेरी चूत कैसे

तड़प रही है....." मोना बोल पड़ी.

दोनो पर इस बात पर बहस होने लगी कि कौन पहले चुदेगा. तभी

मेरे मन मे एक ख़याल आया, "अरे मेरी प्यारी प्यारी मामियो झगड़

क्यों रही हो, में दोनो को साथ साथ चोदुन्गा."

"दोनो को साथ साथ कैसे चोदेगा, क्या तुम्हारे पास दो लंड है?"

मोना मेरे
 
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लंड को भींचते हुए बोली.

"अरे आप लोग देखो तो में कैसे चोद्ता हूँ अपनी प्यारी मामियों

को." मेने कहा.

"ठीक है तो फिर चोदो.' सिमरन ने अपनी टाँगे फैलाते हुए

कहा.

"अच्छा एक काम करो सिमरन तुम उठो और मोना को पहले बिस्तर

पर लेट जाने दो." मेने कहा.

सिमरन बिस्तर से उठ गयी और उसकी जगह मोना अपनी टाँगे फैलाए लेट

गयी.

"अब सिमरन मामी आप मोना पर इस तरह लेटो कि आपकी चूत मोना

मामी की चूत से थोड़ी ही उपर हो." मेने उन्हे समझाते हुए कहा.

"अरे मोना मामी अपनी टाँगो को बिस्तर के नीचे लटका दो इससे सिमरन

मामी को थोड़ी आसानी होगी," मेने उन्हे टोकते हुए कहा.

मोना मामी बिस्तर के किनारे पर आकर अपनी टाँगे नीचे लटका पूरी

तरह फैला दी. अब सिमरन मामी मोना के उपर आ अपनी पीठ के बल

उसपर लेट गयी और उन्होने अपनी चूत ठीक मोना के पेट पर इस तरह

रखी कि वो मोना की चूत से थोड़ी ही दूरी पर थी.

अब मेने मोना की टाँगो के बीच आया और पहले अपने लंड को सिमरन

की चूत पर घिसने लगा. जब मेरा लंड सिमरन की चूत से निकले

रस से गीला हो गया तो मेने अपना लंड मोना की चूत पर रख ज़ोर

का धक्का मारा.

"ओह मर गयी...." मोना चिल्ला पड़ी.

मेने एक ज़ोर का धक्का फिर मारा, "मोना तुम एक काम करो अपने दोनो

हाथ आगे को कर सिमरन मामी की चुचियों को मसलो."

मोना मामी सिमरन मामी की चुचियों को मसल रही थी और मैं मोना

मामी की चूत मे धक्के मार रहा था. फिर मेने अपने लंड को मोना

की चूत से निकाला और थोड़ा उँचा होते हुए अपना लंड सिमरन की

चूत मे घूसा दिया

लंड चूत मे घूस्ते ही सिमरन अपनी कमर को उठा मेरे धक्कों का

साथ देने लगी. सिमरन को डबल माज़ा मिल रहा था, में उसकी चूत

की धुनाई कर रहा था और मोना उसकी चुचियों को मसल रही थी.

"वाह राज क्या आसन चुना है तुमने हम दोनो को चोद्ने का..... ऐसे

ही चोद्ते जाओ मेरे राजा....ओह अयाया......." सिमरन मामी बड़बड़ा

रही थी.

अब में कभी मोना को चोद्ता और कभी सिमरन को. दोनो की चूत पानी

छोड़ने को तय्यार थी.

में ज़ोर ज़ोर के धक्के मोना की चूत मे मार रहा था कि मोना

की चिल्ला पड़ी, ' ओह राज हाया चोदो और ज़ोर से चोदो मेरा

तो छूटने वाला है....ओह" और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

जब मोना निढाल हो गयी तो मेने अपना लंड उसकी चूत से निकाल

सिमरन की चूत मे डाल दिया और उसे चोद्ने लगा. थोड़ी देर मे उसकी

चूत ने भी पानी छोड़ दिया. लेकिन मेरा पानी अभी छूटा नही था.

मेने सिमरन मामी को अपने पास खींचा और अपना लंड उनके मुँह पर

रखते हुए कहा, "लो मामी अब मिठाई भी खा लो कसम से बड़ी

मज़ेदार राबड़ी मिलेगी खाने को."

सिमरन मामी मेरे लंड को अपने मुँह मे ले ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.

मैं भी उनके सिर को पकड़ धक्के पे धक्के मार रहा था.

मेरे लंड मे उबाल आने लगा मेने सिमरन के सिर को पकड़ा और

धक्के लगाते हुए बड़बड़ाने लगा, "ओह मामी लो और अंदर तक ले

लो और चूसो ज़ोर से ओह हाआँ लो मेरी मलाई खालो मामी."

कहकर मेने अपने वीर्य की पिचकारी उनके मुँह मे छोड़ दी और मामी

चटकारे लेकर मेरे लंड से छूटे पानी को पीने लगी.

हम तीनो थक कर फिर निढाल पड़े थे. तभी दोनो मामी ने हमे

नाश्ते के लिए आवाज़ दी.

हम तीनो हाल मे नाश्ता करने पहुँचे. नाश्ते के दौरान सिमरन ने

पूछा, "राज तुम किस कल्पना के बारे मे बात कर रहे थे."

तब मैने सिमरन मामी को बताया कि किस तरह मेने पहले कंगन

मामी को चोदा और उन्होने मुझे चोद्ना सिखाया फिर अनिता मामी की

और फिर मोना मामी की चुदाई की कहानी सुनाई साथ ही बताया कि कैसे

हम चारों अपनी कल्पना पूरी कर रहे है.

"अच्छा तो ये बात थी, इसलिए मुझे यहाँ बुलाया गया था और

पहले से तय कार्यक्रम के तहत मुझे चोदा गया." सिमरन हंसते हुए

बोली.

"वो तो है सिमरन लेकिन सच बताना क्या राज का लंड तुम्हे पसंद

नही आया." कनगन ने पूछा.

"दीदी पसंद तो बहोत आया और दिल कर रहा है कि इससे चुदति ही

रहूं, इसका लंड है ही ऐसा." सिमरन मेरे लंड से खेलती हुई बोली.

"अच्छा सिमरन मामी आपकी भी कोई कल्पना हो तो बताओ हम सब मिलकर

उसे पूरी करेंगे." मेने सिमरन की चूत पर हाथ फेरते हुए कहा.

"कल्पन भी है इच्छा भी, लेकिन पहले कंगन दीदी की कल्पना पूरी

करो में बाद मे बताउन्गि." सिमरन ने कहा.

"ठीक है, कंगन मामी आप तय्यार हो जाइए. बोलिए कहाँ नहाना

पसंद करेंगी रसोई घर मे या फिर आँगन मे.?" मेने पूछा.

"मैं तो खुले आसमान के नीचे आँगन मे नहाना पसंद करूँगी."

कंगन ने कहा.

"कंगन तो फिर एक काम करो, अपने सारे कपड़े पहन ले और फिर
 
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उनपर पानी डाल गीला कर ले और फिर धीरे धीरे अपने गीले

कपड़ों को उतार सही मे मज़ा आ जाएगा." अनिता ने कहा.

"ठीक है दीदी जैसा आप कहें." कहकर कंगन मामी कपड़े पहनने

बेडरूम मे चली गयी.

हम सब ने मिलकर आँगन मे कुर्सियाँ बिछा दी जैसे कि हम सब लाइव

शो देखने वाले है. अनिता मामी ने दो तीन पानी की बाल्टी लाकर बीच

मे रख दी.

थोड़ी देर मे कंगन मामी आ गयी. हमने देखा कि उन्होने बहोत ही

झीने कपड़े का ब्लाउस और बहोत ही छोटी ब्रा पहन रखी थी. हल्के

आसमानी रंग की सारी और उसके नीचे उससे भी हल्के रंग का

पेटिकोट. नीचे पॅंटी पहनी थी कि नही ये अभी दीखाई नही दे

रही थी.


मैं हॉल मे गया और सीडी प्लेयर पर हल्का हल्का म्यूज़िक लगा दिया.

हम सब कुर्सी पर बैठ गये. मेरी एक तरफ मोना बैठी थी और

दूसरी तरफ सिमरन फिर अनिता मामी. कंगन मामी बीच मे खड़ी हो

अपने उपर पानी डालने लगी. जैसे जैसे उनकी सारी भीगति और फिर

पेटिकोट भीगता उनकी नीचे का बदन दीखाई देने लगा.

सबने देखा कि मामी ने नीचे कुछ नही पहना था. जब उनके वस्त्र

शरीर से एक दम चिपक गये तो मामी उठ कर खड़ी हो गयी.

अब मामी एक एक कर के अपने कपड़े खोलने लगी. पहले तो उन्होने अपनी

सारी उतारी और फिर ब्लाउस खोल कर उतार दिया. अब मामी सिर्फ़

पेटिकोट और ब्रा मे खड़ी थी. पेटिकोट के अंदर से उनकी चूत का

कटाव सॉफ नज़र आ रहा म्यूज़िक की धुन सॉफ सुनाई दे रही थी.

मेने मामी से कहा, "मामी ऐसे नही थोड़ा नाचते नाचते कपड़े

उतारो तो मज़ा आ जाए."

मेरी बात सुनकर मामी ठुमके लगाकर नाचने लगी. हम सब भी

तालियाँ बजा उनका साथ दे रहे थे. मामी ठीक किसी रंडी की तरह

नाच रही थी. कभी अपना पेटिकोट उठा हमे अपनी चूत की झलक

दिखाती और फिर से उसे नीचे करती. फिर उन्हने ब्रा के हुक खोले

और अपनी छातियों को थोड़ा सा बाहर निकाल हमे चिढ़ाने लगी,

जैसे की उसके ग्राहक बैठे हो. नाचते नाचते मामी ने अपनी ब्रा

और पेटिकोट उतार कर फैंक दीए.

इतने मे मोना उठी और साबुन की टिकिया ले कंगन मामी के शरीर पर

मलने लगी. सिमरन से भी नही रहा गया और वो भी उनके पास पहुँच

गयी अब तो क्या था हम सब मामी को वहीं ज़मीन पर लीटा उसके

शरीर पर साबुन लगाने के बहाने खेलने लगे. अनिता मामी अपनी

तीन उंगलियों उनकी चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगी. आख़िर हम

सबने मिलकर मामी को पानी से अच्छी तरह नहलाया.

सच कहूँ तो इस खेल मे बहोत मज़ा आया. चार चार नंगी औरतें

जब कमरे मे इधर से उधर फुदक्ति फिर रही थी तो सच कहूँ किसी

हिंजड़े का भी लंड खड़ा हो सकता था. आख़िर मे हम सब फिर हॉल मे

बैठे टीवी. देख रहे थे.

"सिमरन मामी अब बताओ कि आपकी कल्पना क्या है?" मेने पूछा.

"राज शायद मेरी कल्पना तुम सब को अजीब लगे, लेकिन मेने

किताबो मे और ब्लू फ़िल्मो मे बहोत बार देखा है कि लड़का औरत की

गान्ड मारता है, मैं चाहती हूँ कि तुम मेरी गान्ड मारो और मेरी

चूत की झांतो की सफाई भी करो." सिमरन मामी ने कहा.

"वाह मामी मज़ा आ गया..... आपकी चूत का उधगटन करने का मौका

तो नही मिला लेकिन हां आपकी गंद का उद्घाटन मैं ज़रूर

करूँगा...... और ऐसा करूँगा कि आप इसे बरसों नही भूल

पाएँगी." मैने कहा.

समाप्त
 
I know, I’m lucky that I’m so cute.
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उनपर पानी डाल गीला कर ले और फिर धीरे धीरे अपने गीले

कपड़ों को उतार सही मे मज़ा आ जाएगा." अनिता ने कहा.

"ठीक है दीदी जैसा आप कहें." कहकर कंगन मामी कपड़े पहनने

बेडरूम मे चली गयी.

हम सब ने मिलकर आँगन मे कुर्सियाँ बिछा दी जैसे कि हम सब लाइव

शो देखने वाले है. अनिता मामी ने दो तीन पानी की बाल्टी लाकर बीच

मे रख दी.

थोड़ी देर मे कंगन मामी आ गयी. हमने देखा कि उन्होने बहोत ही

झीने कपड़े का ब्लाउस और बहोत ही छोटी ब्रा पहन रखी थी. हल्के

आसमानी रंग की सारी और उसके नीचे उससे भी हल्के रंग का

पेटिकोट. नीचे पॅंटी पहनी थी कि नही ये अभी दीखाई नही दे

रही थी.


मैं हॉल मे गया और सीडी प्लेयर पर हल्का हल्का म्यूज़िक लगा दिया.

हम सब कुर्सी पर बैठ गये. मेरी एक तरफ मोना बैठी थी और

दूसरी तरफ सिमरन फिर अनिता मामी. कंगन मामी बीच मे खड़ी हो

अपने उपर पानी डालने लगी. जैसे जैसे उनकी सारी भीगति और फिर

पेटिकोट भीगता उनकी नीचे का बदन दीखाई देने लगा.

सबने देखा कि मामी ने नीचे कुछ नही पहना था. जब उनके वस्त्र

शरीर से एक दम चिपक गये तो मामी उठ कर खड़ी हो गयी.

अब मामी एक एक कर के अपने कपड़े खोलने लगी. पहले तो उन्होने अपनी

सारी उतारी और फिर ब्लाउस खोल कर उतार दिया. अब मामी सिर्फ़

पेटिकोट और ब्रा मे खड़ी थी. पेटिकोट के अंदर से उनकी चूत का

कटाव सॉफ नज़र आ रहा म्यूज़िक की धुन सॉफ सुनाई दे रही थी.

मेने मामी से कहा, "मामी ऐसे नही थोड़ा नाचते नाचते कपड़े

उतारो तो मज़ा आ जाए."

मेरी बात सुनकर मामी ठुमके लगाकर नाचने लगी. हम सब भी

तालियाँ बजा उनका साथ दे रहे थे. मामी ठीक किसी रंडी की तरह

नाच रही थी. कभी अपना पेटिकोट उठा हमे अपनी चूत की झलक

दिखाती और फिर से उसे नीचे करती. फिर उन्हने ब्रा के हुक खोले

और अपनी छातियों को थोड़ा सा बाहर निकाल हमे चिढ़ाने लगी,

जैसे की उसके ग्राहक बैठे हो. नाचते नाचते मामी ने अपनी ब्रा

और पेटिकोट उतार कर फैंक दीए.

इतने मे मोना उठी और साबुन की टिकिया ले कंगन मामी के शरीर पर

मलने लगी. सिमरन से भी नही रहा गया और वो भी उनके पास पहुँच

गयी अब तो क्या था हम सब मामी को वहीं ज़मीन पर लीटा उसके

शरीर पर साबुन लगाने के बहाने खेलने लगे. अनिता मामी अपनी

तीन उंगलियों उनकी चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगी. आख़िर हम

सबने मिलकर मामी को पानी से अच्छी तरह नहलाया.

सच कहूँ तो इस खेल मे बहोत मज़ा आया. चार चार नंगी औरतें

जब कमरे मे इधर से उधर फुदक्ति फिर रही थी तो सच कहूँ किसी

हिंजड़े का भी लंड खड़ा हो सकता था. आख़िर मे हम सब फिर हॉल मे

बैठे टीवी. देख रहे थे.

"सिमरन मामी अब बताओ कि आपकी कल्पना क्या है?" मेने पूछा.

"राज शायद मेरी कल्पना तुम सब को अजीब लगे, लेकिन मेने

किताबो मे और ब्लू फ़िल्मो मे बहोत बार देखा है कि लड़का औरत की

गान्ड मारता है, मैं चाहती हूँ कि तुम मेरी गान्ड मारो और मेरी

चूत की झांतो की सफाई भी करो." सिमरन मामी ने कहा.

"वाह मामी मज़ा आ गया..... आपकी चूत का उधगटन करने का मौका

तो नही मिला लेकिन हां आपकी गंद का उद्घाटन मैं ज़रूर

करूँगा...... और ऐसा करूँगा कि आप इसे बरसों नही भूल

पाएँगी." मैने कहा.

समाप्त
Bhai or update do abhi khatam mat kro
 

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