Romance मै सिर्फ तुम्हारा हूँ

Active member
943
4,635
125
अस्वीकरण
इस कहानी के सभी पात्र , घटनाए , स्थान सब कुछ लेखक के दिमाग की बिना परिवार नियोजन वाली प्रजनन प्रक्रिया का नतिजा है ।
इसे अन्यथा ना ले क्योकि लेखक बहुत ही ढीठ और बेशरम है , टिप्पणिओं मे ही आपकी ले लेगा और आप किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जायेंगे ।
धन्यवाद
 
Last edited:
ᴋɪɴᴋʏ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ
995
1,084
143
Mast fadu update tha bhai. meera bhoji ke sath bhot hard bhot hard ho gya.
bhai ap story par aae nai logo ki photo kyu nahi dete :banghead2: Gadrai maal Swaati ka body size bhi gol kar gae :Tantrum:
ayush itna bada chutiya hai .do do gadrai mast maal ko chhod koi 0 size wali miss mehta nam ki sharir chhokri ke piche pagal he :sigh1:
Shila ka body size nap . yeha teri dal nahi galne wali :roflol:
 
Eaten Alive
4,118
4,186
143
Mast fadu update tha bhai. meera bhoji ke sath bhot hard bhot hard ho gya.
bhai ap story par aae nai logo ki photo kyu nahi dete :banghead2: Gadrai maal Swaati ka body size bhi gol kar gae :Tantrum:
ayush itna bada chutiya hai .do do gadrai mast maal ko chhod koi 0 size wali miss mehta nam ki sharir chhokri ke piche pagal he :sigh1:
ab wade ke mutabik miss mehta target banegi :devil:
 
Eaten Alive
4,118
4,186
143
Kuch kirdaar anjaane mein itni badi galtiyaa kar jaate hai ki jiska khamiyaza puri story mein un kirdaaro ko chukani padti hai.... unko pata nhai hota ki kisi reader ki chahite kirdaar ke sath galat karne pe kya anjaam ho sakta hai...

ush harami budhau ne bahot bhari galti kar di hai..... aur sath us chinnar hema ne bhi....
I think budhau aur ush haraman hema ke bich avaidh sambandh hai.... aur swati ushi un dono ki najayaj aulaad..... isliye to badi bahan kehke pukara aayush swati ko :D

Aayush kaha bhi jaaye mare jiye naukri kare mujhe koi matlab nahi....
Lekin....
आयुष - देखिये आप लोग बड़े है और मै समझ सकता हूँ आपको मेरी चिंता है ,, लेकिन मुझे अभी शादी करनी नही है । मै अभी अपनी पहचान बनाना चाहता हू । अपने लिये , अम्मा बाऊजी के लिए कुछ करना चाहता हू फिर कही शादी वादी ।
lekin agar ish baat par, is wade par kayam naa raha aayush to iski kya haalat karungi revo ke jariye... ye mujhe khud ko bhi nahi pata.....
aur rahi baat miss mehta ki...... Next update main target wohi haramjadi hai :devil:

Aaj meera ke sath jo bhi kiya hai in kirdaaro ne.... sut samet anjaam bhugtna hoga in kirdaaro ko..... :D
shaanti devi & aashish ju logis ki to :stopdevil:

Shaandaar update, shaandaar lekhni, shabdon ka chayan aur saath hi dilchasp kirdaaro ki bhumika bhi...

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :clapping: :clapping:
 
Eaten Alive
4,118
4,186
143
रुआसी चेहरे पर मुस्कुराहत के भाव लाये मीरा ने एक टिफ़िन का बैग आयूष को लिया और बताया कि इसमे उसके मनपसन्द बेसन की लिट्टी है ।
Meera ko rulake bahot badi galti kar di in kirdaaro ne..... :devil:
 
Eaten Alive
4,118
4,186
143
Waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting waiting
 
Reading
395
677
93
UPDATE 001
:welcometrain:
तो भैया बिगुल बज चूका है कहानी का भी और कानपुर मे अटलघाट के हाईवे साइड पर सुबह 10 बजे के करीब गुल्लु चाय मठरी वाले के ठेले पर टाँगे रेडिओ का भी ,,,, हेमंत कुमार का सुपरहिट गाना -

है अपना दिल तो आवारा
ना जाने किस पे आयेगा !!!


ठेले के जस्ट सामने मार्च महीने की शुरुवाती दिनो की सुनहरी सुबह की हल्की तीखी धूप मे एक हैंडसम सा 5 फुट 10 इन्च की लम्बाई लिये , हीरो मैटेरियल टाइप का लड़का अपनी एक्टिवा पर पिछवाड़े की टीकाए , कुल्हड़ वाली चाय की सिप लेते हुए एक तरफ बार बार भरी भीड़ मे गरदन उठा कर किसी की राह देख रहा है ।

हल्की हवा मे हिलते उसके स्पा हुए बाल उसके आंखे ढक देती है जिसे वो स्टाइल मे हाथ से फेर देता है ।
उपर और सामने से चमकती भीनी भीनी सी धूप मे उसके चेहरे पर एक मुस्कान सी आजाती है

क्योकि सामने उसे कोई दिख जाता है जिसका उसे इन्तजार था वहा
तभी सामने एक चमचमाती रॉयल इंफील्ड क्लासिक 350 अपनी धुन बजाते हुए रुकती है पावरब्रेक के साथ ।


लड़का - अबे यार 3D , कबसे इहा खडे तुम्हरा भेट कर रहे है और तुम साले फटफटी लेने चले गये ,,,तुम्हाये चक्कर मे तीन कुल्हड़ चाय गटक गये आधे घंटे मे

सामने जो लड़का रॉयल इंफील्ड क्लासिक 350 लेके आया वो कोई और नही उसी का दोस्त है , चड्डी बड्डी यार - 3D , पुरा नाम - दीन दयाल दुबे

3D बाबू थोड़ा सा अपना दोस्ती का रोब और अपनी झेलि हुई समस्या का जोड़ तोड़ बना कर झल्लाकर बोलते है - अबे यार आयुष तूम कैसे प्राणी हो बे ,, कानपुर के गंगा भैया के घाट पर आये हो और रोड साइड टपरी पर कुल्हड़ की चाय पी रहे हो , शांत होने के बजाय भडक रहे हो ,,,,अरे हमसे पुछो कानपुर की सवेरे की गंगा घाट की भीड़ और उपर से आज दिन कौन सा है , बताओ बताओ , बोलो बोलो

आयुष थोड़ा हड़बड़ा कर - आ आ आज ज्ज्ज्ज सोमवार है

3D बाबू को मानो आयुष को चित्त करने का मौका मिल गया हो - हाआआ , सोमवारररर ,, बाबू जानते हो कानपुर में सोमवार को गंगा घाट पर कितनी भीड़ लगती है ,,, ये देख रहे हो कहने को बुलेट है लेकिन पिछले 3km मे 10 के मायलेज मे चला कर लाये है इसको


आयुष उसकी बात सुन कर हसने लगता है ।
3D भडक जाता है और फिर कुछ सोच कर उसकी नजर आयुष के एक्टिवा पर जाती है जो उसके पिता जी की थी


3D एक बार पूरी स्कूटी की जांच कर सामने की नम्बर प्लेट देख कर सर पकड कर बैठ जाता है - अबे गंगा मईया की कसम ,कर दिया सत्यानाश ,,, तूम कतई कानपुर का नाम डुबो दोगे दिल्ली मे


आयुष हसते हुए - क्यू
3D - अबे तुमको हो क्या गया है , बाबू तुम आईआईटीयन हो , ये सब क्या

3D - अरे तुम दीन दयाल दुबे यानी 3D बाबू यानी हम ,,,तुम हमाये दोस्त होकर हमाया ही नाम डुबो दोगे बे

आयुष हस कर - अरे वो गाड़ी बाऊजी लेके गये है मामा के यहा तो हम यही लेके आये

3D - ठीक है बेटा इससे को काम चला लेंगे , लेकिन आज रात मे कौनौ बकचोदी ना पेल देना तुम अपनी शराफती का

आयुष थोड़ा परेशान होकर - यार 3D , इ करना जरुरी है ,,बाऊ जी को पता चला तो भले हमको सालाना पैकेज डेढ़ करोड़ का मिला है ,, लेकिन पूरे नवाबगंज मे 150 वाले जुते से पेलन्गे हमको

आयुष - और बात फैल गयी तो कौनौ लडकी भाव भी नही देगी


3D - अबे तुम सोचते ज्यादा हो, आओ बैठो ,,,,हो इन्जीनियर और बुद्धि तुम्हारा मिस्त्रीयो वाला है ।

3D - आओ बैठो , चलो

आयुष बुलेट पर बैठते हुए - और हमायी स्कूटी

3D सामने चाय की दुकान वाले से - अरे सुनो गुल्लू , जरा आईआईटियन बाबू के बाप की दहेज वाली सवारी देखना , हम अब ही आते है

गुल्लू - जी भैया

फिर वो दोनो निकल जाते है नवाबगंज बाजार की ओर
3D गाड़ी चलाते हुए - अबे तुमको कानपुर छोड़ना ही नही चाहिये था

आयुष 3D के कान के बगल मे मुह लगा कर बोला - काहे बे
3D - अबे लूल्ल हो गये यहा से जा कर ,, इतनी भी सम्वेदनशीलता अच्छी नही है

आयुष सफाई देते हुए - अबे नही ऐसा कुछ नहीं
3D झल्लाकर - अबे छोडो तुम


दो भैया ये है दो जिगरी मित्र
आयुष और 3D
अब कहानी शुरु हो ही गयी है तो इनका राशन कार्ड भी पढ़ लेते है

1. दीन दयाल दुबे उर्फ 3D बाबू

20211109-020024

एक समय था जब इनके पिता हरिशंकर दुबे नवाबगंज के चेयरमैन थे ।
लेकिन पिछ्ली बार हार का मुह देखे तबसे राजनीति से थोडा किनारा कर लिया । लेकिन दौलत की कमी नही है इनको इसिलिए 3D बाबू खुद थोडा बहुत राजनीती मे सक्रिय है और अलबेला ड्रामा कम्पनी के प्रोडुसर है ।
कहानी मे 3D बाबू का किरदार जबरजस्त है लेकिन इनकी फैमली का अगले कुछ अपडेट तक नही है ।


तो खोलते है राशन कार्ड नं 02

2. आयुष शुक्ला

20211109-142217

अच्छी खासी स्टाइलिश लाइफ है इनकी और स्मार्ट वाला लूक भी है । मासूम सा चेहरा और लहल्हाते बाल
ये है महानुभाव आयुष शुक्ला जी और हमारी कहानी के नायक
उम्र 24 साल , लेकिन अभी तक स्टील वरजिन , कुवारे , मतलब लडकी के नाम पर किसी ने सुँघा तक नही है इनको

इसका एक कारण है कि महाशय है नवाबगंज मे सुपर स्मार्ट , पढाई मे अव्वल और तो और आईआईटीएन
अब जो कोई लड़की इन्हे देखती है उसे यही लगता है कि ये सिंगल हो तो हो कैसे ।

ऐसा नही है कि महानुभाव से कभी किसी कन्या से अपना संपर्क साधने की चेस्टा नही की ,, की है बहुतो ने की है
लेकिन ये मासूम दिल वाले आयुष बाबू को मुहल्ले की लड़कियो मे तनिक भी रुचि नही है ।

वो फिल्म आई थी ना गरम मसाला
उसमे अक्षय जी का संवाद है - जो लड़की हमे चाहिये, उसे हम नही चाहिये और जिसे हम चाहिये वो किसको चाहिये :D

खैर कहानी पर वापस आते हैं
करियर के बारे मे तो अन्दाजा लग ही गया होगा आपको
चलिये थोडा विस्तार मे बता देते है
हमारे नायक साहब है दिल्ली से आईआईटीयन और हालही मे दिल्ली के एक ब्ड़ी मल्टीनेशनल कंपनी मे जॉब मिली है और सालाना पैकेज जानते ही है आप

हा जोइनींग से पहले कुछ फुरसत भरे पल बिताने अपने घर नवाबगंज , कानपुर आये हुए है ।


पिता - मनोहर शुक्ला

20211113-201958

पेशे से मुन्शी रह चुके है । अभी दो बेटो के बाप है
बहुत ही खुले विचारों वाले इन्सान हैं , फिलहाल घर रहते है ।


माता - शान्ति शुक्ला

20211113-202006
कहने को तो मकान माल्किन है लेकिन चाबियो का गुच्छा बडकी पतोह के कमर मे दिखेगा । बढती उम्र के साथ बीपी भी बढ़ गया है । लेकिन मजाल है अन्ग्रेजी दवा करवा ले । मायके का कोई चुरण की गोली है जो पास रखे होती है और थोडी भागा दौडी पर टपप से गटक लेती है ।
काफी धार्मिक है और बड़ी बहू के आने के बाद बचे समय को भी सत्संग मे आने जाने लगा दिया ।


अशीष शुक्ला

20211113-203407
आयुष शुकला के बडे भाई , दोस्त यार जिगरी सब , नवाबगंज मे मिठाई की दुकान चलाते है , काफी चर्चित भी है ।

मीरा शुक्ला

20211113-201949

भाभी जी , खुशमिजाज , संस्कारी और कहने को तो साफदिल वाली भी है । हा कभी कभी तुनक जरुर जाती है । बाकी कहानी मे अहम रोल है इनका


खैर तो ये हुआ पारिवारिक पृष्ठभूमि
अब देखते है हमारे आयुष शुक्ला और 3D बाबू जा कहा रहे है ।
गाड़ी रुकती है नवाबगंज के एक कालेज के बाहर पार्किग एरिया मे और दोनो उतर कर सामने मेन गेट के बोर्ड पर कालेज का नाम पढते है

आयुष अपनी भौहे चढा कर सर पर चढ़ती धूप में आंखो का फोकस बढ़ाते हुए कालेज का नाम बड़बडाटा है - मिस मनोरमा इंटरमिडिएट कालेज , नवाबगंज, कानपुर , उत्तर प्रदेश

आयुष थोड़ा उलझन भरे भाव मे - अबे इ मिस मनोरमा कैसे ,,हम जब इमे पढ रहे थे तो श्रीमती मनोरमा देवी इंटरमिडिएट था और अब

3D हस कर आयुष के कन्धे पर हाथ रखकर बोर्ड की ओर देखतें हुए बोला - अरे मनोरमा मैडिम का उन्के पति से डाईवारस हो गया ना तो आजकल सिंगल है तो श्रीमती से मिस कर दिया हाह्हहह

आयुष अचरज भरे भाव से हसता हुआ 3D के साथ कालेज मे घुसा - हिहिही अजीब है बे सब

फिर वो दोनो सेमिनार हाल मे गये जहा एक ड्रामा टीम उनका इन्तजार कर रही थी ।

आयुष थोड़ा झिझक कर - यार 3D हमसे ना हो पायेगा ,,,कही बाऊ जी जान गये तो ,,,रहने दो यार चलते है

3D - अबे यार अब तुम फिर से लुल्ल हो रहे हो ,, समझो यार अपने कालेज की इज्जत का सवाल है और मेकअप कर लोगे तो कोई जान ही नही पायेगा तो मुन्शी जी का बेटा खड़ा है स्टेज पर

आयुष - साले मार लो हमायी मौका मिला है

3D हस्कर आयुष को ड्रामा टीम की ओर भेजता है और बोल्ता है - अरे बब्बन सुनो ,,, हा तुमको ही बोल रहे है बे ,,,ये भैया को लिवा जाऊ और थोड़ा ड्रेस व्रेस ट्राई करवा लेयो

बगल से सलमान जो कि एक नाटककार था - 3D भैया माल तो जोरदार है , डायलाग याद कर लेगा ना

3D सलमान की चुटिया पकड कर रवा कर उसके हाथ से पान का बीडा लेके मुह मे भर लेता है - साले जितना पैसा पाये हो उन्ने ही बोलो ,,

पान चबाते हुए 3D ने सलमान की कालर पकड कर - खबरदार जो रात मे स्टेज पर कौनौ भड्वागिरी की तो ,,, दोस्त है हमारा इज्जत से पेश आना ,, नही तो यही सूता के पेल देंगे भोस्डीके
3D सलमान पर मुक्का तानते हुए बोला

थोडी देर बाद आयुष बाहर आया
3D पान की पीच पास पडे डस्टबिन मे मारते हुए अपनी सफेद शर्त के बाजू से मुह पोछते हुए - हो गया बाबू , ड्रेस तो ठीक है ना

आयुष थोडा उलझन मे था फिर भडक कर - हा वो सब ठीक है लेकिन साले तुम क्या गुह भर लेते हो मुह मे
चलो बाऊजी का फोन आया है घर बुला रहे है ।
फिर वो दोनो कालेज से घर की ओर निकल जाते है ।


देखते है आगे क्या होने वाला है , आज की रात क्या खास है जिसके लिए आयुष परेशान है ।


जारी रहेगी
आप सभी से अनुरोध है की पढने के बाद
आज के अपडेट का मूल्यांकन जरुर करे
कोई कमी , त्रुटी या समसया नजर आये तो जरुर बताये ।

आपकी प्रतिक्रिया के इन्तजार मे

शानदार शुरुआत किए हो भाई...:clap3:
अब जरा देरी से आए है इहा ई के लिए माफी..:secret: ऊ का है की हमका पता नही था की आप यह पधारे हुए है...जरा देर लगी पता लगने में....
पर अब पता चल गवा है तो साथ बने रहेंगे :hug:

आपकी हर रचना पिछली से कुछ ज्यादा उभर कर सामने आती है भाई....अब इस कहानी को ही ले लो..


कहानी की शुरुआत 3D भैया और आयुष की बातो से हुई....उनकी बोली में कानपुरिया झलक बड़ी ही जबरदस्त तरीके से पेश की गई है....
एक तरफ जहां 3D बहुत ही खुले मिजाज के है तो वही अपने आयुष भाई बहुत ही शांत और शुशील से दिखाई पड़ते है....
सभी पात्रों को बहुत ही खूबसूरत तरीके से दर्शाया है कहानी में....और सभी शब्दो का चयन भी परिस्थतिथि के अनुकूल है.....
अब देखते है की ये आने वाली रात आयुष के लिए क्या नया ले कर आती है....
अगले भागो में भी तरह रोमांच बना रहेगा इसी की उम्मीद है और आपकी लेखनी पर पूरा भरोसा भी है।
 
Reading
395
677
93
UPDATE 002


अब तक आपने पढा कि 3D अपने मित्र यानी कहानी के नायक को अपने ड्रामा कम्पनी मे एक रोल करने के लिए अपने पुराने कालेज , जहा वो दोनो बचपन से साथ पढे थे ।
मिस मनोरमा इंटरमीडियट कालेज , नवाबगंज , कानपुर
वहा आयुष को उसके पिता का घर आने का बुलावा आता है , तो वो जल्दी से 3D को घर चलने के लिये बोलता है और वो दोनो घर के लिए निकल जाते है ।
अब आगे


रास्ते मे
आयुष - अरे अरे घाट की ओर ले ना भाई , बाऊजी की स्कूटी लेनी है

3D - अबे हा बे , तुम्हाये बप्पा की सवारी तो हाईबे पे है

फिर वो जल्दी से वापस अटल घाट हाईवे पर जाते है और वहा से आयुष अपनी स्कूटी लेके घर की ओर निकल जाता है ।

वैसे तो दोनो का घर एक ही मुहल्ले मे था , मजह 100 मीटर की दुरी जान लो । वही उस्से ठीक 200 मीटर पहले बाजार के मुहाने पर आयुष के भैया आशीष शुक्ला की मिठाई की दुकान है । जो आयुष की माता जी के नाम पर है
शान्ति देवी मिष्ठान्न भण्डार

घर जाते जाते हुए रास्ते मे ही 3D ने अपनी बुलेट शान्ति देवी मिष्ठान्न भंड़ार के बाहर पार्क कर दी । फिर आयुष की स्कूटी पर बैठ कर आ गया शुक्ला भवन


भईया इस कहानी मे इंसानी किरदारो के साथ साथ शुक्ला भवन भी एक अहम किरदार है ।
अब कुछ महानुभाव अपनी खोपड़ी खुरचेन्गे कि आखिर अइसा का है इ शुक्ला भवन मे

तो आओ अब इस घर की भी खतौनी पढ लेते है ।

सटीक 2400 स्कवायर फुट का क्षेत्रफल का घेराव लिये कानपुर के नवाबगंज थाना क्षेत्र के शिवपुरी कालोनी का मकान नं 96 है हमारा शुक्ला भवन ।

शुक्ला भवन की डेट ऑफ बर्थ उसके सामने की दिवार पर खुदी हुई है - 10 मई 1970
वैसे तो इस भवन के कर्ता धर्ता और मुखिया श्री मनोहर शुक्ला ही है । लेकिन औपचारिकता के तौर पर जब इस भवन का कुछ साल पहले फिर से मरम्मत करवायी जा रही थी तब बड़े मोह मे श्री मनोहर शुक्ला ने भवन के गेट पर एक संगमरमर की प्लेट लगवा कर अपने स्वर्णवासी पिता श्री का नाम खुदवाया ।


शुक्ला भवन
स्व. श्री राधेश्याम शुक्ला
शिवपूरी 23/96 , नवाबगंज

ये तो हो गया शुक्ला भवन का बाह्य चरित्र जो दुनिया जमाने को दिखाने के लिए है
अब थोडा इनके भीतर के
आगन - कमरे कितने आचार × विचार × संस्कार मे बने है और एकान्त विचरण का स्थान यानी शौचालय कितना स्वच्छ और सामाजिक गन्दगी से दूर है ।
ये है शुक्ला भवन का जमीनी हकीकत यानी की ग्राउंड फ्लोर का नक्शा जो मनोहर शुक्ला जी के स्व. पिता श्री राधेश्याम शुक्ला जी द्वारा बनवाया गया था ।

Pics-Art-11-09-08-55-07

और ये है उपरी मंजिल जो स्वयं मनोहर शुक्ला जी ने कुछ सालो पहले तब बनवाया था जब उनके बड़के ब्च्चु अशीष शुक्ला की शादी तय हुई थी ।

Pics-Art-11-09-09-08-47

अब इस घर के ग्राउंड फ्लोर पर मनोहर शुक्ला अपनी धर्मपत्नी शान्ति शुक्ला के साथ रहते है और बाकी ऊपर उनके बड़े बेटे और बहू के लिए बाल्किनी से लगा कमरा था । एक कमरा हमारे आयुष बाबू का था और एक गेस्टरूम ।

वापस कहानी पर
आयुष शुक्ला तेज धडकते दिल के साथ फटाफट गाड़ी को शुक्ला भवन के सामने पार्क करते है और जल्दी से स्कूटी के शिसे मे खुद को निहार कर बाल वाल सवार कर 3D की ओर घूमते है और उनका पारा चढ़ जाता है

कारण ये थे अभी थोडी देर पहले 3D भैया ने जो पान खाई वो उगल तो दिया रास्ते मे लेकिन होठो से उसकी लाली और गाल से छीटे ना साफ किए

आयुष 3D का गम्छा जो उसके गले मे था उसका किनारा पकड के 3D के होठ पर दर कर साफ करते हुए - अबे ये क्या बवासीर बहा रहे हो बे ,,, जल्दी से कुल्ला करो , साले अपने साथ हमको भी पेलवा दोगे ।

3D मुस्कुरा कर मुह पोछता हुआ गेट खोल कर अन्दर शुक्ला भवन मे घुसते हुए - भैया बस दु मिंट

फिर 3D फटाक से शुक्ला भवन के बाहरी परिसर के दाई तरफ बने एक बेसिन के पास फटाफट
कुल्ला गरारा कर मुह पोछते हुए वापस आता और वो दोनो हाल मे प्रवेश करते है ।

हाल मे एक बैठक लगी है
जहा आयुष के पिता जी , उसके मामाजी और उसकी माता जी बैठी हुई है और वही बगल मे आयुष की भाभी खड़ी है अपनी सास के बगल मे सर पर पल्लु काढ़े
सास और बडकी बहू दोनो की नजरे जीजा-साले यानी आयुष के पापा-मामा के बीच पास हो रही तस्वीरो और उससे जुडी जानकारी पर जमी हुई थी ।

जी हा आज फिर आयुष के मामा जी श्री बांकेलाल जी , आयुष के लिये शादी का रिश्ता लेके आये थे ।

हाल मे प्रवेश करते ही आयुष मामा को नमसते करता है और अंदर का माजरा जानने समझने की कोशिस करता है

इतने मे 3D आयुष के मामा और पिता को प्रणाम करता है । फिर आयुष के मा के पैर छुए हुए - अम्मा आशीर्वाद

शान्ति मुस्कुरा कर - हा खुश रहो बच्चा
तभी 3D की नजर आयुष की भाभी मीरा पर जाती है

3D हाथ खड़ा कर मीरा से हस कर - औ भौउजी चौकस!!!!

मीरा तुनक के - कहा लिवाय गये थे तुम ब्च्चु को सबेरे सबेरे ,,ना चाय ना कुल्ला

वही आयुष की माता शान्ति भी मीरा की बात पर 3D को ऐसे देखती है कि मानो उसके सवाल मे उनकी भी हा हो

3D आयुष की मा के पाव के पास जमीन के पास बैठ कर - उ का है अम्मा , आज हमाये स्कूल मा है अनुयल पोरिग्राम, तो वही घुमाये के लिए लियाय गये थे ।

3D एक नजर जीजा साले की ओर देख कर वापस शान्ति से - इ का हो रहा है

शांति मुस्कुरा कर - अरे ब्च्चु के लिए रिश्ता आया है ,, ले तुहू देख

उधर आयुष अपनी शादी की बात सुन कर तनमना गया लेकिन बाऊजी के डर से अम्मा से बात करते हुए - अम्मा इ का है सब, फिर से

शान्ति कुछ बोलती उससे पहले आयुष नाराज होकर उपर चला जाता है ।

ये नया नही था आयुष के लिए जब रिश्ता आया था । हा लेकिन जॉब मिलने के बाद शान्ति की जल्दीबाजी आयुष की शादी को लेके ज्यादा ही होने लगी
हालाकि आयुष के पिता जी बहुत ही खुले विचार वाले थे और वो खुद चाहते थे कि आयुष खुद की पसंद और जब उसकी मर्जी हो तब ही शादी करे । लेकिन शुक्ला भवन की मैनेजर श्रीमती शान्ति शुक्ला को इस बात के लिए ऐतराज था और क्या कारण था इसका ये तो वो ही जाने ।

इधर आयुष बाबू अपना मुह फुलाए छत पर कमरे मे चले आये ।
मुह इसलिये फुला था कि उनकी दिली इच्छा थी कि वो भी फिल्मो के हीरो की तरह कोई अच्छी सी लड़की पटाये और उसके साथ समय बिता , मिल कर कुछ नये ख्वाब सजाये और फिर शादी करे ।

ऐसा नही था कि आयुष अपने पिता से डरता था , बस वो उनका सम्मान बहुत करता था क्योकि मुन्शी जी थे बडे गंभीर इन्सान , भले ही मानसिकता अच्छी थी लेकिन एक भारतीय मध्यम वर्गीय बाप का प्यार जताने का अपना तरीका होता है । वो कभी आपको आपके अच्छे काम के लिए सामने से शाबासी नही देगा ।
यही हाल आयुष बाबू के साथ भी था कि आईआईटी पास करने से लेके डेढ़ करोड़ का सालाना पैकेज की नौकरी मिलने के बाद भी आज तक मनोहर शुक्ला ने कभी उनकी पीठ नही थपथपाई ।
जिसका कचोट आयुष के मन मे हमेशा रहता था । काफी समय से उम्मीद का दिया लिये थक गये थे तो पिता से सम्मुख नही होते थे ज्यादा ।
इतना सब होने के बाद भी आयुष ने कभी भी अपने पिता को तिरसकार की दृष्टी से नही देखा ।

एक तरफ जहा आयुष बाबू अपने भविषय की चिन्ता मे लिन और थोडा तुनमुनाये थे वही निचे हाल मे

3D शान्ति के हाथ से तस्वीर लेते हुए - लाओ अम्मा दिखाओ हमको ,, आयुष का ब्याह ना SSC का रीजल्ट हो गया है , फाइनल ही नही होई रहा है

शांति हस कर - धत्त ,,,हे लल्ला जरा कौनौ परसन्द कर ना एक इ दुनो म से

3D दो लड़कियो की फ़ोटो देख रहा था - एकदम चऊकस अम्मा ,,,इका हमसे कराये देओ और इका अपने बच्चु से

3D की बात सुन कर सब हसने लग जाते है
इन सब के बीच मनोहर शुक्ला काफी गंभीर रहे और कुछ सोचने के बाद अपने साले साहब यानी आयुष के मामा से कहते हैं- ऐसा है बाँकेलाल तुम आज आराम करो कल सुबह तड़के निकल जाना मथुरा और ये दोनो रिश्ते के बारे में हम आयुष से बात कर बताते है फिर ।

अब घर मे भले जोर जबरदस्ती शान्ति शुक्ला चला ले , लेकिन मुन्शी जी के फैसले की इज्जत तो वो भी करती थी ।
थोडी देर मे आयुष के मामा ने अपना तान्ता बांता पोथी-पतरा समेटा और बैग मे रख लिये ।
थोडी देर बाद खाना की बैठक हुई और 3D अपने काम से निकल गया था ।
आयुष बाबू अभी भी मुह फुलाये अपने कमरे मे रहे ।
खाने के वक़्त घर मे उपस्थित सभी को आयुष की खाली टेबल पर खटक हुई और मुरझाये चेहरे से एक दुसरे को देखा लेकिन इस पर कोई चर्चा नही हुई ।

माहौल ठण्डा होता देख मीरा ने पहल कर खुद से सबको खाना परोसा और थोडी जोर जबरदस्ती कर खाना खिलाया और खुद से एक प्लेट मे खाना लेके उपर आयुष के कमरे मे जाती है ।
जहा आयुष किसी मित्र से फोन पर बातो मे व्यस्त होता है और दरवाजे पर दस्तक पाते ही फोन रख कर दरवाजा खोलता है ।

आयुष - अरे भाऊजी आप ,,,आओ
मीरा थोडा आयुष का मूड ठीक करने के अंदाज मे कुछ मुस्कुरा कर कुछ इतरा कर - हा , हम , अब चलो जगह दो

आयुष दरवाजे पर खडे होकर अपनी भाऊजी का मुस्कुराता चेहरा देख कर सब भूल गया , अपना दर्द तकलीफ , भविष्य की चिन्ता ।

आखिर कुछ ऐसा ही तो था हमारा हीरो एक दम मासूम भोला और प्यारा
उसको लाख तकलीफ हो , हजार चिन्ताये घेरे हो लेकिन कोई उससे प्यार से मुस्करा कर बात कर ले वो अपना सब कुछ भूल कर उसकी खुशी मे शामिल हो जाता था ।

आयुष मुस्कराते हुए आंखो से खाने की थाली दिखाते हुए - का भाऊजी आज भैया का बखरा (हिस्सा ) हमको देने आई हो का हिहिहिही

मीरा थोडा शर्मायी और आयुष को धकेल कर कमरे मे घुसते हुए - जे एक बात तो तुम समझ लो देवर बाबू ,,,जे दोहरी बातो वाला मजाक हमसे तभी करना जब भईया के सामने भी हक जमा सको ,,,, जे चोरी चोरी नैन मटक्का अपनी मुड़ी से करवाना

आयुष मीरा के तीखे तेवर से थोडा सहमा लेकिन उसे पता था ये उसके और उसकी भाभी के बीच की प्यारी सी नोक झोक थी जो समान्य थी और उसे अपनी भाभी को छेड़ कर तुनकाने मे मजा आता था आखिर उनका स्वभाव था ही कुछ ऐसा
आयुष उनको थोड़ा शांत करने और अपने दिल का हाल बताने के लिये मीरा का हाथ पकड कर बेड पर बिठाता है

आयुष थोड़ा परेशान होकर - भाऊजी काहे आप समझा नही रही हो अम्मा बाऊजी को कि अबही हम ब्याह नाही करना चाहते है ,

मीरा थोडा मुस्कुरा कर - अरे अभी कर कौन रहा है ,, तुम देख लेयो , समझ लेयो , मिल लेयो ,,, वैसे भी खुशी मनाओ तुम्हाये जितना हमको भेरायिटी नही मिला था परसन्द के लिए

आयुष मीरा की बाते सुन कर थोडा मुस्कुराता है फिर कुछ सोच कर उदास हो जाता है कि शायद उसकी बाते उसकी भाभी भी नही समझ पा रही है

मीरा आयुष को चुप देख कर - अरे बाबू ,,चिन्ता ना करो कोय तुमको जबरदस्ती ना करोगो ।
अब जोका किस्मत मे लिखो होगो वाई इ शुक्ला भवन की जूनियर इंचार्ज हैगी ।

आयुष थोडा उलझन और उत्सुकता से - जूनियर इंचार्ज
मीरा हस कर - हा अब आयेगी तो हम सीनियर इंचार्ज हो जायेंगे ना हिहिहिही

आयुष अपनी भाभी की बात सुन कर हस देता है और फिर खाना खाता है ।

उसी शाम को 5 बजे आयुष शुक्ला सो रहे होते है कि उनके मोबाईल की घंटी बज उठी और फोन पर 3D होता है

3D - हा बाबू तुम फटाफट तैयार हो जाओ हम 10 मिंट म पहुच रहे है

आयुष को शायद याद नही था कि उसे आज रात की ड्रामा मे रोल करना था तो वो हुआअस भरते हुए - क्याआआ हुआआआ 3D कोई बात है क्या

3D - अरे जाना नही है क्या ड्रामा सेट पर
आयुष को याद आता है तो वो झट से दीवाल पे टंगी घड़ी को देखता है और बोलता है - हा यार ,,ठीक है तुम आओ हम तैयार हो रहे है ।

फिर फोन कटता है और आयुष बाबू मस्त तैयार होकर निचे हाल मे आते है और किचन मे लगी अपनी भाऊजी को आवाज देते है ।

इस वक़्त शाम के समय घर मे अकसर कोई होता नही है
क्योकि शान्ति जी अपने सत्संग के लिए निकल जाती है और मनोहर जी अपने डिपार्ट वालो से मिलने जुलने और थोडा घूमने पार्क की ओर निकल जाते है

मीरा हाथ मे कल्चुल लिये बाहर आती है ,,शायद किचन मे कुछ भुन रही थी - हा बाबू बोलो का हयगो

आयुष बाबू अपनी बाजू फ़ोल्ड करते हुए जल्दी मे - भाऊजी फटाक से एक कप चाय बना दो ,,नाही दो ,वो 3D भी आई रहा है

मीरा एक नजर टिप टॉप तैयार हुए आयुश को देखती है और मुस्कुरा कर -- हाय हाय हाय ,, आज कहा गिरी इ बिजली

आयुष थोडा सिरिअस होते हुए - भाऊजी अबही कुछ ना ,,लेट होई रहा है प्लीज चाय बना दो ना

मीरा अपने मुताबिक जवाब ना पाकर तुनक जाती है और बड़बड़ाते हुए किचन मे घुस जाती है

आयुष बाबू अपना जुता जो हाल के एक किनारे दरख्त मे रखा था वहा से निकालते है और उसे साफ कर रहे होते है एक गंदे कपड़े से कि 3D हाल मे घुसता है

3D मुह पर हाथ रख कर थोडा खासते हुए - उह्ह्हुऊऊऊ ,,, का गरदा मचाये हो शुक्ला तुम

आयुष मुस्कुरा कर जुता साफ कर उसे लेके हाल मे लगी कुर्सी पर बैठ जाता है और पहनने लगता है

तभी किचन से मीरा दो कप चाय लेके आती है

3D चाय देख के - अरे भाऊजी दो ही कप ,,हमसे फिफ्टी फिफ्टी करेक ह का

मीरा जो थोडी देर पहले ही आयुष के जवाब से भड़की थी - का फिफ्टी फिफ्टी 3D भैया का फिफ्टी फिफ्टी ,, औ जे तुम फिर से जर्दा वाला पान खाये हो का


3D तुरंत मुह पर हाथ रख लेता है और एक नजर आयुष की ओर देखता है ।
मीरा - उका ना देखो तुम खाली हमका जवाब देओ ,,,औ कहा लिया जा रहे अब ब्च्चु को इतना टाईम फिर से

3D को उसका मजाक उसी पर भारी पड़ गया था तो वो बनावती हसी लाते हुए - अरे भाऊजी हेहेहेहे ,,कहा पान खाये है हम औ हम तो आयुष को अपने कालिज वाले पोरिग्राम मा लिवा जा रहे है

मीरा एक नजर आयुष को देखी और फिर अपनी कमर पर हाथ रख कर - औ वापस कब ला कर छोडोगे इका घर

3D चाय का सिप लेते हुए ह्स कर - इहे कोई 11 12 बजे तक

आयुष ना मे सर हिलाता है तो
3D हड़बड़ा कर - मतलब 11 बजे से पहीले ही , हा पहिले ही लेते आयेंगे

मीरा थोडी सोच कर - ठीक है, लेकिन 11 बजे से कान्टा एक सूत भी आगे ना जाये , नाही तो यहा दुसरी नौटंकी शुरु करवा देंगे हम इ जान लेओ ।

तबतक आयुश अपनी आधी खतम चाय छोड कर 3D को लेके बाहर जाता हुआ - हा भाऊजी हम आ जायेन्गे समय से आप अम्मा बाऊजी को खाना खिला देना ।

इससे पहिले मीरा अपनी कोई बात कहती वो दोनो फटाफट निकल जाते है ।

रास्ते मे गाड़ी पर
आयुष 3D के सर पर मारता है
आयुष - साले कितनी बार कहे है तुमसे की भाउजि से ना अझुराया करो ,, औ साले तुम ये पनवाड़ी बनना कब छोड़ोगे

3D - अरे कम कर दिया है यार, अब आदित बदलन मा टाईम तो लागि ना


ऐसे ही बाते करते हुए आयूष और 3D कालेज पहुच जाते है और अपनी तैयारियो मे जुड़ जाते है , रात 8 बजे का शो शुरु होने का समय होता है ।
एक एक प्रोग्राम शुरु किये जाते है बारी बारी लेकिन अपने हीरो की एन्ट्री मे समय था ।

इधर शुक्ला भवन मे मीरा खाने परोसने की तैयारी मे थी । शान्ति देवी भी अपने सतसंग से वापस आ चुकी थी । हाल मे आयुष के पिता जी और उसके भईया बैठे थे ।

आशीष - मीराआआआ ,,, इ ब्च्चु कहा है दिखाई नही दे रहा है
मीरा किचन से - हा ऊ 3D भैया के साथ अपने कालिज गये है । आज कोई फनसन है उहा

आशीष मीरा के जवाब से सन्तुष्ट होता है और अपने पिता से कुछ बोलना चाहता है कि उसकी नजर गम्भिर और शांत होकर किसी गहरी सोच मे डुबे हुए अपने पिता पर जाती है ।

उसे अपने पिता का ऐसे सोच मे डूबा होना थोडा खटक जाता है
वो अपने पिता के पास होकर - बाऊजी क्या सोच रहे है

मनोहर - कुछ नही आशीष , सोच रहे है बच्चु को हमसे का नाराजगी है जो ऊ हमसे बात नहीं कर रहा है

आशीष ऐसे भावुक बाते सुन कर थोडा माहौल हसनुमा करता हुआ -- अरे नाही बाऊजी , कोनो नाराजगी ना हयगी , ऊ तो बचपन से शर्मीला है और आपके सामने आने मे हिचक करता है ।

मनोहर अपने दिल की भड़ास निकालते हुए - अरे वही तो ,,,काहे ऊ अइसा करी रहा है , अगर ऊ का मन मे कोई बात हो तो एक बार हमसे कहे का चाहि ,

तब तक हाल मे शान्ति जी प्रवेश करती है - अगर ऊ बात नाही करत हय तो तुम्हू कौन सा पहिल कर लेत हो ,, तुम्हू तो बात नाही करत ब्च्चु से

शान्ति मनोहर को समझाते हुए -- चुप्पी रिश्तन की अहमियत को खोखला कर देतो है आशीष के बाऊजी

शान्ति - समय है अबही पहिल कर लो, इक बार ब्च्चु नौकरी के लिए निकल गवा तो यो मौका भी निकल जायोगो

मनोहर थोडा सोच विचार कर - ए आशिष जरा बहू को पुछ,, आयुष अब तक अयोगो

आशिष -- ए मीराआआ ,, इ ब्च्चु कब तक आने को बोलो है

मीरा किचन से बाहर आकर - इहे कोऊ दस इगारह बजे तक

मनोहर मुस्कुरा कर - ठीक है कल सुबह उका हम बात कर लेंगे ,, चलो खाना खा लेओ सब


फिर आशिष को थोडा राहत होती है और सारे लोग खाना खाने चले जाते है


जारी रहेगी
आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा

एक और शानदार भाग....दिल गार्डन गार्डन हुई गवा भईया...:agree:

ईहा तो आयुष बाबू की सादी की तैयारिया हो रही है....पर ई जबरदस्ती किसी से बांध देना सही नही...
ये मां और मामा लागत है ऐक ही तरह है...और शांति देवी को पता नही किस चीज का डर सता रहा है जो वो बस शादी करने पर तुली हुई है...
इस समय श्रीमान मनोहर जी का सीरियस होना बनता है भाई.... मिडिल क्लास परिवारों में अक्सर ही बड़े छोटो को नजरंदाज करते आए है.....
आखिर आयुष ने इतनी मेहनत करके इस मुकाम को हासिल किया जिसके लिए लोग सिर्फ सपने देखते रह जाते है....तो उनके पिता का भी फर्ज बनता है की वे अपने पुत्र को सराहे उसकी तारीफ करे ....
देर आए दुरुस्त आए अब मनोहर जी जब आयुष से बात करेंगे तो शायद बाप बेटे का ये मामला भी सुलझ जाए....

मीरा...बड़ी बहू होने का फर्ज बखूबी निभा रही है घर में सभी का खयाल रखना सभी को सम्मान देना...इन सभी बातों का खयाल है इन्हे....तभी तो आयुष का भी मन हल्का कर दिया और खाना भी खिला आई....
अब आयुष बाबू नाटक के लिए चले तो गए है...अब आगे क्या होता है अगली सुबह ये देखने लायक होगा....


अगर कुछ कहने में गलती हुई जाए तो आपन छोटा भाई समझ कर माफ कर देना भईया ।:friends:
 
Reading
395
677
93
UPDTAE 003


पिछले भाग मे शुक्ला भवन के बारे मे आप सभी ने पढा और यहा कैसे किस किरदार मे लोग है वो भी आप समझ ही गये होगे । नायक की माता को उनके लडके के शादी की चिन्ता है और वही उसके पिता को उसके दुर जाने की और इन सब से अलग हमारे नायक को आज के अपने परफोर्मेंस की चिन्ता है तो चलिये ले चलते है आपको मिस मनोरमा इंटरमिडिएट कालेज नवाबगंज , कानपुर
जहा 3D भैया की अल्बेला ड्रामा कम्पनी आज के अनुवल प्रोग्राम मे एक नाट्य पेश करने जा रही है ।

अब आगे

मिस मनोरमा कालेज का सेमिनार हाल तालियो की गड़गड़ाहट और सिटीयो की आवाज से गूंज रहा था क्योकि अभी अभी कार्यक्रम के संचालक महोदय ने एक हास्य नाट्य प्रस्तुत होने की घोषणा की थी ।

स्टेज का पर्दा खुलता है और सामने दीन-ए-इलाही जलालुद्दीन मुहम्मद बादशाह ए अकबर का सेट लगा हुआ था ।
मन्च पर सामने की तरफ अकबर अपने आसन पर बिराजमान थे और 3 मंत्रीयो और शह्जादे सलीम की तसरिफ भी ऐसे ही लगाई गयी थी की audience को उनका लूक सही से दिखे ।
कुछ पहरेदार भी खडे थे
स्टेज के एक किनारे म्यूज़िक टीम ने अपना तासा बजाया जिससे आभास हो गया कि सभा की शुरुवात हो गयी थी ।

तभी एक गाने की तर्ज पर एक नर्तकी ने बगल से आकर अपना चेहरा ढके हुए एक नृत्य पेश किया और फिर बादशाह सलामत की पैरवी कर पीछे हट गयी ।

अकबर एक तुकबंदी भरे अंदाज मे - दिवान जी ,,, आज इस कनिज से क्यू किया कोटा पुरा ,, आखिर अरे कहा है हमारी मलाइका अरोरा

सेट पर एक बगल का मंत्री खड़ा होता है - माफी हुजूर , लेकिन अनारकली को हो गया है गुरुर


अकबर थोडा रोब मे - अगर हो गया है उसे गुरुर
तो निकाल फेको उसे महल से दुर
और खोजो कोई नयी गीता कपूर
दिवान - जी हुजूर , अभी बजवा देते नगर मे डँका, मिल ही जायेगी कोई प्रियंका

एक तरफ जहा स्टेज पर सामने रंगमच जमा हुआ अपने जोर पर था वही स्टेज के पीछे आयुष बाबू अपने रोल का ड्रेसअप किये नर्वश हुए जा रहे थे और बार बार डायलाग की पर्ची पढ रहे थे ।

तभी 3D भागता हुआ आता है तो आयुष को पसीना बहाते देख - अबे का यार शुक्ला , काहे इतना नरभसाय रहे हो

आयुष झल्ला कर - यार हमसे ना होगा ये ,, एक भी डायलोग हम याद नही कर पा रहे है

3D - यार अब तुम्हाये सीन का समय हो गया है तो तुम अपनी नौटंकी ,,,,,,

तभी बाहर आयुष के सीन के लिए पर्दा गिरता है तो 3D उसका हाथ पकड कर खिच कर स्टेज पर ले जाता है।

3D आयुष को समझाते हुए - बाबू तुम बस अपनी ये अनारकली वाली अदाये दिखाना बाकी डायलोग हम बगल से बोलते रहेन्गे ,,और कोसिस करना की जब डायलोग चले तो अपना मुह छिपा लेना

तबतक सलमान जो सलीम के रोल मे था वो आता है - 3D भैया जल्दी करो रोल का समय होई रहा है

फिर सारे लोग अपने काम पर लग जाते है और एक बगीचे के सीन पर मंच का पर्दा खुलता है ।
अनारकली ( आयुष) एक पेड़ के किनारे खड़ा होती है और सलीम( सलमान) उसके पीछे एक गुलाब लेके खड़ा होता है ।

सलीम - आज तुम दरबार मे क्यू नही आई अनारु

3D के कहे अनुसार आयुष तुरंत मूह फेर लेता है और बगल से 3D अनारकली का डायलोग बोलता है -- हम अब दरबार नही जाना चाहते है शहजादे ,

क्योकि ठीक नही है बादशाह सलामत के इरादे ।।

सलीम एक कदम आगे जाकर अनारकली के कन्धे पकडता है जिससे आयुष थोडा खुद को uncomfortable मह्सूस करता है

सलीम - अब यू ना रुस्वा हो मेरी जान ,
आखिर बुड्ढों के भी होते है अपने अरमान ।


इधर audience मे हसी और तालिया सिटिया जोरो पे होती है

आयुष सलमान से थोडी दुर होकर खड़ा हो जाता है
अनारकली आहे भरने के भाव मे - आखिर कब मुझे सहना पडेगा ,,
थके पैरो मे झन्दू बाम मलना पडेगा ।।


सलमान वापस से आयुष के कन्धे पकड लेता है
सलीम - तुम ही बताओ मै क्या करु ये हसिना ,
जब बाप ही मिला है मुझे कमीना ।।


अनारकली (आयुष ) अपना चेहरा सलीम के तरफ घुमाकर - जीना है साथ मे तो पल पल यू मारना क्या,
और जब प्यार किया है तो डरना क्या ।।



ये डायलोग खतम होते ही आयुष यानी अनारकली सेट से हट जाती है ।

वही सलीम थोडा रोने का नाटक कर निचे बैठते हुए - अगर मैने ये अब्बा को बता दिया तो कयामत आ जायेगी ,
घर से निकलना तो दुर कमरे की वाईफाई भी बन्द हो जायेगी ।।


इधर पर्दा गिरता है और एक नये सीन की फटाफट तैयारी होती है

उधर आयुष पीछे जाकर बैठ जाता है और कपडे निकलता है तब तक 3D हसते हुए - अबे यार मस्त छमिया लग रहे थे बे
और आयुश के गाल खीचता है

आयुष झल्ला कर - अबे हटो बे ,,,साले तुम्हाये चक्कर मे तुम्हारा सलीम हमको सच की अनारकली समझ बैठा था,,,,

3D हसने लगता है
आयुष झल्ला कर - अबे हसो मत 3D ,,,,फट रही थी हमारी यार

आयुष कपड़े बदलते हुए - अब चलो तुम्हारा काम हो गया छोड दो हमे घर

3D उसके कन्धे पर हाथ रख हसते हूए - अबे इतना चौकस परफारमिन्स दिये हो बे थोडा देख तो लो तुम्हारा आशिक का कर रिया है स्टेज पर

फिर वो दोनो वापस मन्च के बगल मे खडे होकर बाकी बचे नाट्य का आखिरी सीन देख रहे होते है । जहा अकबर और सलीम के बीच जुगलबंदी भरे हास्य संवाद चल रहे होते है ।

अकबर - सलीम तुम ऐसा करोगे हमे ज्ञान ना था ,
थोडा भी अपने अब्बा के अरमानो का ध्यान ना था।।


सलीम - अब्बा हुजूर अनारु मेरी है ये जान लो ,
करवा दो निगाह हमारा और अपनी बहू मान लो।।


अकबर रोश मे - हमे ही नही तुम्हारी मा को भी नागवार होगा
जब एक कनिज के लिए बाप बेटे मे मार होगा।।


ये बोलकर अकबर दुसरी से मन्च से हट जाता है
सलीम दुखी होने के भाव मे - ना खुदा मिला ना मिसाले सनम ,
बाप बाप होता है ये समझ गये हम।।


सलीम और अकबर के बीच के संवाद से आयुष भी बहुत हस रहा था वही audience भी फुल जोश मे तालीया सिटिया बजा रही थी ।

तभी मन्च का पर्दा गिरता है और संचालक नाट्य समाप्ति की घोषणा करता है ।

इधर 3D और आयुष भी निकल जाते है घर के लिए
रास्ते मे वो एक रोड साइड ठेले पर छोले भटूरे खाते है और फिर समय से 11 बजे तक घर आ जाते है ।


अगली सुबह
सारे लोग नास्ते के लिए हाल मे इकठ्ठा होते है

शान्ति , मनोहर जी को आयुष की तरफ इशारा करती है तो मनोहर जी उनहे इत्मीनान होने का कहते है ।
इधर नासता खतम होता है और आशिष दुकान के लिये निकलता हुआ --- ठीक है बाऊ जी हम दुकान के लिए निकल रहे है

आयुष - भैया हम भी चले दुकान , यहा घर मे बोर हो जाते है बैठे बैठे

अशीष एक नजर अपने पिता को देखता है लेकिन वो मना भी नही कर सकता था तो मनोहर जी हा मे इशारा करते है

आशिष हस कर - हा हा क्यो नही आओ चलो
फिर आयुष भी आशिष के साथ निकल जाता है दुकान के लिए

इधर इन दोनो के जाते ही शान्ति भडक जाती है
शान्ति भड़के हुए स्वर मे - इ का कर रहे है अशीष के बाऊ जी , हा , बात काहे नाही किये ब्च्चु से

मनोहर शान्ति को समझाते हुए - अरे अशीष की अम्मा ,, काहे परेशान हो , आयुष के शहर जाये मा अभी 4 दिन का बख्त है

शांति थोडा गुस्से मे समझाते हुए - अरे इहे 4 दिन के इन्तेजार मे 24 साल बीत गवा ,
मनोहर शान्ति के तानो से चुप हो जाते है और उनको भी शान्ति की बाते सही लगती है। वो तय करते है कि आज किसी भी तरह वो आयुष से बात करेंगे ही ।
इधर मनोहर जी अपनी चिन्ता मे दुबे हुए थे और उधर नवाबगंज बस स्टैंड पर लोहिया बस परिवहन के कानपुर डिपो से कहानी मे नये किरदारो ने एन्ट्री लेली थी ।

सोनमती मिश्रा
images-3
रिश्ते मे ये शुक्ला भवन की इंचार्ज मीरा शुक्ला की सगी बुआ है और फतेहपुर - कानपुर बार्डर के पास एक गाव चौबेपुर से है । स्वभाव से काफी हसमुख और चंचल है लेकिन जहा स्वार्थ सिद्ध हो रहा हो वहा इनका भाव बदल जाते है ।
और आज इनके साथ आई थी इनकी सुपुत्रि

चारु मिश्रा
20211113-191827
उम्र 22 साल हो गयी है लेकिन समय के साथ मेच्योर नही हो पाई है । बचपना और भूलने की आदत से इनकी अम्मा यानी सोनमती मिश्रा बहुत परेशान होती है इसिलिए कोई खास इज्जत मिलती नही है इनको ।


तो मिश्राइन ने बड़ी जद्दोजहद के बाद एक औटो कर लिया जो कम पैसे मे उनको शिवपूरी कालोनी के शुक्ला भवन मे ले जा सके ।

थोडी ही देर मे औटो शुक्ला भवन के गेट पर रुकता है ।
दो भारी भरकम बैग चारु से खिचवाते हुए और एक झोला खुद हाथो मे लेके मिश्राइन शुक्ला भवन मे प्रवेश करती है ।
सोनमती - मिराआ ये मिराआआ

सोनमती मीरा को आवाज देती हुई हाल मे घुस्ती है
मीरा किचन से बाहर आते हुए - अरे सोनमती बुआ आप
मीरा झुक कर सोनमती के पैर छूटी है

वही हाल मे बैठी शान्ति मुह बनाते हुए मनोहर से फुसफुसाती है - अब इ भईसिया की कमी थी जे भी आ गयी
मनोहर - अरे कभी अपने नाम का ही लाज रख लिया करो आशिष की अम्मा ,,,मेहमान है बसने थोडी आये है

शान्ति - देख नाही रहे पुरा बक्सा भर समान पसार दी है आते ही
मनोहर शान्ति की बात पर हस देते है

इधर मीरा चारु से मिलती है और उसका बैग लेके उसको हाल मे बैठने को बोलती है

सोनमती हाल मे लगे चौकी पर बैठते हुए - नमस्ते भाई साब ,, नमस्ते जीजी

शांति भी अपने जज्बात दबा कर - नमस्ते , और आज बडी सुबह सुबह मिश्राइन

सोनमती ह्स कर - अरे ऊ तो हम इ चारु ,,,
सोनमती चारु को डांटते हुए - हे पगली ,, चल नमस्ते कर जीजी और भाईसाब को

चारु बैठे बैठे ही हाथ जोड लेती है
इधर शान्ति देवी अपनी बात फिर से रखती उससे पहले मीरा एक ट्रे मे बिस्कुट और चाय लेके आ जाती है

मीरा वही चारु के बगल मेखडे होते हुए - लेओ बुआ नासता करो , लेओ चारु तुम्हू

मीरा - औ बताओ बुआ , चौबेपुर मे सब कइसे है

सोनमती बिस्किट डुबो कर खाती हुई - चौबेपुर मा तो सब ठीक है
मनोहर - और आने कौनौ तकलीफ तो ना हुई ना चारु की अम्मा

सोनमती हस कर - ना ना भाईसाब , सब ठीक ठाक रहा
मनोहर हाल मे पडे बैग को इशारे से दिखा कर - फिर इधर कैसे आना हुआ

सोनमती थोडा सोच मे पड़ गयी और कुछ जवाब देने मे हिचकने लगी ,उसकी हालत खराब होते देख मीरा बोलती है

मीरा चहक कर - बाऊजी , उ चारु के इही नवाबगंज के उनीभरसिटी मा एडमिशन मिलो हो , तो वही लिया हैगी

चारु इसपे कुछ बोलना चाहती है लेकिन मीरा ने उसका कन्धा दबा कर चुप किया उसे


मनोहर जी ने आगे कुछ नही कहा और शान्ति जी तो बात करने के मूड मे नही थी ।
फिर मीरा , सोनमती बुआ और चारु को लिवा के उन्के समान के साथ उपर गेस्टरूम मे चली गयी ।

गेस्टरूम मे कमरे का दरवाज बन्द होते ही
मीरा सोनमती पर चिल्लाती है - जे का लहभर लेके आ गयी तुम बुआ , , अभी से दहेज का समान उठा लाई का

मीरा गरमाते हुए - जे हम तुमको बोले थे कि ऐसे आना की कुछ अजीब ना लागे ,,,

सोनमती - जे हम तो सोचे कि आयुष हमायी चारु को परसन्द कर लोगो तो लगे हाथ सगुन करवा देबे

मीरा अपने सर पर हाथ रख कर बिस्तर पर बैठ जाती है ।

सोनमती थोडी चिन्ता के भाव मे - का हुआ मीरा ,,कपार दर्द करी रहा है का

मीरा झ्ल्लाते हुए - कपार दर्द तो तुम खुद बन गयी हो बुआ ,,,जे हम तुम को लाख बार समझाये थे

तभी मीरा को चारु नजर नही आती है
मीरा - जे चारु कहा गयी अब ,,,हे भोलेनाथ का करे हम

चारु वही कमरे मे दोनो बैग खोल कर अपने सारे समान निकाल कर फैला रही होती है

सोनमती - हे पगली छोड ऊ सब
मीरा परेशान होकर - जे पगली ऐसी रहेगी तो कैसे आयुष इको परसन्द करोगो

सोनमती मीरा को पालिश लगाती हुई - अच्छा सुन छोड उ सब हम तुम्हारे लिये चौबेपुर से साडी लाये है ।

मीरा थोडा पिघल जाती है और फिर थोडी देर बाद मीरा और सोनमती अपनी प्लानिंग करते है कि कैसे घर मे सबको शादी के तैयार करे और कैसे आयुष हा करे ।
इधर आयुष बाबू हमारे पहली बार दुकान पर बैठे थे तो अशीष शुक्ला ने इनको ओर्डेर वाले काउंटर पर बिठा दिया ।

आयुष बाबू की हिन्दी लिखावट थोडी कमजोर थी तो उनको ओर्डेर लेने मे भी सम्स्या हो रही थी थोडी तो कैसे भी करके मैनेज कर रहे थे ।
ऐसे मे उन्ही की मुहल्ले की दो लड़कीया आती है दुकान पर

अब आयुष बाबू कम हीरो थोडी थे और आज तो दुकान के लिये अलग से अच्छी राउंड नेक वाली नेवी ब्लू टीशर्ट और वाइट जीन्स पहने थे ।

तभी वो लडकीयो मे एक लडकी जिसका नाम मोनी था ।
वो बिना आयुष को देखे अपनी पर्ची पढते हुए - भैया सवा पौवा मोतीचुर के लड्डु ,, पौना पौवा हलुआ सोहन ,, 3 किलो सेव और पपड़ी

हीरो मोनी और उसकी सहेली को देख कर हसी छूट जाती है
तभी मोनी की सहेली उसको रोकते हुए एक नजर सामने देखने को कहती है
मोनी हीरो को देख कर आंखे बड़ी कर लेती है और उसको मुह रोने जैसे हो जाता है ,,, क्योकि वो मोनी आयुष बाबू की मुहल्ले की दिवानीयो मे से एक होती है और आयुष को अनजाने मे भैया बोल कर वो खुद के पैर पर कुलहाडी मार लेती है

आयुष जो कि उसे पता होता है कि मोनी उसके लिये चिपकु है तो आज उसे भी मौका मिल गया छूटकारा पाने का

आयुष उसका मजा लेते हुए - जी बहन जी ये 3 किलो सेव और पापडी तो समझ आ गया लेकिन ये सवा पाव और पौवा पाव क्या होता है ।

मोनी जैसे ही आयुष के मुह से बहन जी सुनती है उसका चेहरा और भी रोने जैसा हो जाता है वही उसकी सहेली हस रही होती

मोनी रोते हुए समान की पर्ची अपनी सहेली को देके भाग जाती है
फिर आयुष और वो दुसरी लडकी हसने लगते है ।

आयुष मजे लेते हुए - वैसे इन्हे क्या हुआ , रो क्यू रही थी
मोनी की सहेली हस्ते हुए - कुछ नही , दिल टूटा है बेचारी का ,,,आप ये ओर्डेर लिख लिजिये और घर भिजवा दिजियेगा मोनी के ,मै चलती हू

आयुष हस्ते हूए उस लड़की से पर्ची ले लेता है
और वो चली जाती है

जारी रहेगी

भाई इस भाग के शुरुआत में रंग मंच.....बहुत ही अद्भुत नजारा दिखा दिए भईया....:clap3:
शब्दो की जुगलबंदी और उनका प्रयोग बहुत ही अच्छे ढंग से किया गया है.....

नाटक के अंदर एक और नाटक बहुत ही खुबसुरा ढंग से दिखाया गया है....


सलीम - अब यू ना रुस्वा हो मेरी जान ,
आखिर बुड्ढों के भी होते है अपने
मजा ही आ गया भाई..... :laugh1:
नौटंकी देख कर मजा आ गया...

अगली सुबह बहुत कुछ नया लेकर आई है...एक तरफ आयुष अपने भाई ले साथ दुकान चले जाता है... तो मनोहर के हाथ से ये चांस भी निकल जाता है... शांति जी का गुस्सा करना भी बनता है


ये नए किरदार तो भाई मीरा भाभी की बुआ और उनकी बेटी है....और ये भाभी इस तरह से आयुष की शादी क्यों करवाना चहती है.... और अपने घरवालों से भी शायद झूठ ही कहा है अभी....
जरूर इनके दिमाग में कोई खिचड़ी पक रही है...अब ये वक्त ही बताएगा की आयुष इस चाल को समझ पाएगा या फिर अपनी भाभी के द्वारा बनाए इस जाल में फस जाएगा....

आखिर में मोनी का खुदकी ही द्वारा कूड़ा मजाक उड़ा लेना सही था भाई..।
 
A

Avni

UPDATE 007

अब तक आपने पढा कि कैसे बालिंग कप्तान मीरा शुक्ला , अपने अद्भुत प्रदर्शन और कौशल कला से शुक्ला भवन के एक एक विकेट को उखाड़ दिया है । मगर ऐन मौके कोई ऐसा बल्लेबाज सामने आ गया है कि वो नरभसा गयी है ।
देखते है आने वाले नये बल्लेबाज कौन है और क्या वो सच मे उतने खतरनाक है कि मीरा शुक्ला के छक्के छूट जाये ।
अब आगे

मैच ड्रा की नौबत

फ़िलहाल दो नये बल्लेबाज शुक्ला भवन की पिच पर उतर चुके थे तो आईये इनके कैरिअर पर एक नजर डाल लेते है

1. हेमा मालिनी मिश्रा
अब इनका नाम ऐसा इसिलिए है क्योकि इन देवी के जन्म के भारतीय सिनेमा जगत मे हेमा मालिनी का वर्चस्व जोर पर था और ट्रेंडिंग चीज़ो को महत्व देते हुए इनके पिता ने बड़े लाड इनका नाम हेमा मालिनी मिश्रा रख दिया ।
रिश्ते मे ये मीरा शुक्ला की चाची है और ये ग्वालियर से है ।

अब ध्यान देने योग्य बात ये है कि इस हिसाब से मीरा शुक्ला का मायका भी ग्वालियर हो जाता है और इसिलिए कानपुरी माहौल मे मीरा शुक्ला की ग्वालियर वाली टोन मे संवाद होते रहे है ।

2. स्वाति मिश्रा
कुवारि , चंचल , मोटी और वजनदार सी दिखने वाली ये प्लेयर असल मे हेमा मालिनी मिश्रा की सुपुत्रि है और हर गोरे स्मार्ट लडके पर इनका दिल बहुत ही आसानी से आ जाता है ।

जी हा ये दोनो प्लेयर मीरा शुक्ला के मायके से आये थे और इनके हताश होने का मुख्य कारण ये भी था कि मीरा ने अपने चाची को भी भरोसा दिलाया था कि वो स्वाति के लिए आयुष से बात करेंगी ।
मगर यहा तो सारी विसात और फील्डिंग चारु के लिए सेट की जा रही थी मगर एक नये प्लेयर के मैदान मे उतरने का अन्दाजा बोलिंग कप्तान मीरा शुक्ला को बिल्कुल भी नही था ।



ड्रिंक टाईम

अब शुक्ला भवन मे मेहमान आये और आवभगत ना हो , कैसे चलेगा ।
मीरा ने फटाफट अगुआई कर उनके बैठने का इन्तेजाम किया और किचन मे घुस गयी

मन मे कई व्यथाये थी , कि हेमा चाची कैसे बिना बताये आ गयी ,, आई तो आई लेकिन स्वाति को लाने की क्या जरुरत थी , कही आयुष के लिए तो नही ना

मीरा बडबडाते हुए जल्दी जल्दी प्लेट ग्लास निकाल रही होती है - हे भगवान, का हो रहो इ , जे चाची ने मुह खोल दी ते हमाओ नाम खराब हो जाओगो ससुराल मा

मीरा ट्रे मे सब कुछ सजा कर जाने को तैयार हुई कि उसे एक और डर सताया - जे ग्वालियर मे हमाई अम्मा को पता लग गओ कि हम इहा तीन का तेरह बना रहे ,,,,नाही नाही जे ना होगो ,,

हाल मे मीरा का प्रवेश

हेमा बिस्कुट मुह मे तोडते हुए - छोटकन बाबू आयुष ना दिख रहे जीजी

शान्ति मुस्कुरा कर - हा ऊ एक दोस्त की शादी मे गवा है ,, औ बताओ कइसे आना हुआ बड़े सवेरे

हेमा खुले विचार से - जे हमको तो भाईसाहब ने कल ही सूचना दी थी कि आयुष के शादी चारु के साथ तय हो रही हैगी , जे हम भी आ गये कि मिल मिलाप कर ले


मीरा की आंखे चौडी हुई और समझ गयी कि ये सब मुन्शी जी का ही किया धरा है और उसे समझ आ गया कि बाऊजी इतनी आसानी से कैसे माने थे ।
हाल मे हेमा की बाते सुन कर बाकी सबके चेहरे पर ताज्जुब भरे भाव आये कि ऐसा क्यू किया बाऊजी ने ,,,मगर मेहमान के सामने प्रतिक्रिया कैसे दे।



स्टैटेजिक टाईम आउट का समय समाप्त

ड्रिंक के बाद मुन्शी जी ने कप्तानी संभाली और बोले - अरे आप तो बता रही थी कि आप की भी एक बेटी है शादी लायक

हेमा - हा हा ,,इ है ना स्वाति

स्वाति नमस्ते करती है उनको
मनोहर - तो अशिष इ बिटिया के बारे मे का ख्याल है , तुमहू बोलो दुल्हीन , इ हमारे बबुआ के लिये कैसी रही


मुन्शी जी के बाउनसर से सबकी हवा टाइट हो गयी और सबसे बड़ी बात ये थी कि हर समय चुप रहने वाले मनोहर जी अचानक से ऐसे कैसे खुले होकर बोल रहे है ।

तभी सोनमती , अरे वही चौबेपुर वाली मिश्राईन , अरे भई चारु की अम्मा, मीरा की बुआ और हेमा मालिनी मिश्रा की ननद बोली

सोनमती - अरे भाईसाब सब कुछ तो हमाये साथ फाइनल हो गयो है ना तब काहे इस सब

मनोहर हस कर - अरे मिश्राइन कहा कुछ फाइनल हुओ है अभी ,,जे अभी तो पूरा मैच बाकी है

मनोहर - हा आशिष बोलो , दुल्हीन तुम बोलो कुछ

मीरा की घबडाहट से धड़कने तेज थी और उसे समझ नही आ रहा था क्या करे ,,मन ही मन खुद को कोश रही थी क्यू चौबेपुर की बुआ के सोने की अंगूठी वाले लालच मे आई ,,

मनोहर थोडी तेज आवाज मे - दुल्हीन कुछ कह रहे है हम

मीरा चौकी और हडबड़ा कर - जे हम का बोले बाऊजी , जे शादी तो देवर जी को करनी हैगी ना ,,जे बा ही परसन्द करे तो ठीक रहोगो , का अम्मा सही कह रहे हैं ना
मीरा ने अपने सर पड़ी लाठी को अपनी सास की ओर उछाल दिया ।
शान्ति देवी भी सोनमती को जुबान देके फस चुकी थी तो उन्हे भी मीरा की बात सही लगी - अ ब ब हा हा दुल्हीन ठीक कह रही हो ,, अब ऐसी स्थिति मे बबुआ जो ठीक समझे

आशिष बहुत उलझन मे था ,,उसे अपने गलती का अह्सास था और वो तो सोच रहा था कि अगर आयुष को पता चला कि बिना बताये उसकी शादी की बाते फाइनल हो रही है तो कितना दुख होगा उसे ,,,

सोनमती - जे का कही रही हो मीरा , तुमने तो हमाई चारु के लिए बात करने के लिए कही रही तो अब काहे पलट रही हो

हेमा चौक कर - ना ना सोनमती जीजी ,,,, मीरा ने हमाये स्वाति के लिए बात की रही हैगी , तभी तो हम आये हैं

मीरा को जिसका डर था वो हो गया था,,,दोनो ने बाते उगल ही दी ।

इधर शुक्ला भवन मे ननद भौजाई की झड़प शुरु हो गयी और बाकी प्लेयर माथा पीठ कर देख रहे थे ।
दोनो ने मारे जलन मे एक दुसरे की ऐसी बखिया उधेड़ी की सब तामाशा बन गया था ।

इसी दौरान शुक्ला भवन के सलामी बल्लेबाज आयुष बाबू मैदान मे पहुचे
उनको देख कर सभी चुप हो गये ।
आयुष बडी उलझन से चल रहे माहौल को समझने की कोशिश कर रहा था

आयुष - भैया क्या हुआ ,, काहे की बहस चल रही थी ।

अब तो सबके सब चुप , कोई बोले तो क्या बोले
अशिष जो कि पहले ही अपनी गल्तियो की ग्लानि कर चूका था वो हिम्मत करके आयुश के पास आया

अशिष - बबुआ इहा तुम्हारे शादी की बात चल रही है

आयुष हस कर - अच्छा ,,तो उसमे इतना हल्ला काहे का मचा है ।

फिर आशिष आयुष को लेके बाहर आता है और उसे सारी बाते बताता है कि कैसे मीरा ने अपनी अगुआई मे अपनी बुआ और चाची को शादी के लिये जबान देदी थी और उसी की गलती का नतिजा ये हुआ है आज ।

फिर अशिष ने आयुष से अपनी गलती की माफी भी मागी ।


आयुष - अरे भैया आप बड़े है आप काहे माफी माग रहे हैं,,, और चलिये अन्दर चलते हैं और मामला खतम करते है ।

फिर हाल मे दोनो प्रवेश करते है और आयुष सभी को बैठने को कहता है ।

आयुष - देखिये आप लोग बड़े है और मै समझ सकता हूँ आपको मेरी चिंता है ,, लेकिन मुझे अभी शादी करनी नही है । मै अभी अपनी पहचान बनाना चाहता हू । अपने लिये , अम्मा बाऊजी के लिए कुछ करना चाहता हू फिर कही शादी वादी ।

शान्ति गुस्से मे भन्ना कर मीरा को देखते हुए - हा ठीक है बबुआ लेकिन अब इस लभेड़ का क्या करे जे इ दुल्हीन ने फैलाई है

मीरा की तो घिग्गी बध गयी
आयुष मुस्कुरा कर - अरे अम्मा इसमे हमारी परसन्द जैसा कुछ है ही ,,,चारु को तो हम हमेशा अपनी छोटी बहिन समझे है और रही बात स्वाति की तो वो भी हमारी बहन जैसी ही है । बडी वाली हिहिहिही

स्वाति आयुष की बाते सुन कर बिलखने लग जाती है ।
जिसको देख के शुक्ला भवन के मुन्शी जी हसने लग जाते है ।
जैसा भी था नरम गरम आयुष ने मामला शांत कर दिया था लेकिन मिश्राइन बहुत आग बबुला थी अपनी भौजाई से । वही आशिष मीरा की करतूत पर नाराज थे ।

शान्ति देवी मामला खतम होने पर राहत मह्सूस कर रही थी और इस हाल मे अगर सबसे ज्यादा कोई खुश था तो वो मुन्शी जी थे । भई उनकी योजना काम जो कर गयी थी । गुपचुप रूप से ही सही वो अपने बेटे को बचा लिये थे और उन्हे इस बात का गर्व था ।

इधर इस लभेड़ का एक फायदा ये हुआ कि आयुष बाबू को भी मौका मिल गया कि वो अपने मन की दबी हुई बात घर मे सबके सामने खुलकर बोल पाये , खासकर बाऊजी के सामने ।
अब उन्हे भी कोई शादी का दबाव नही था और वो एक नये सफ़र पर खुलकर पूरी आजादी से जा सकते थे ।


अगले मैच की तैयारी

सुबह की लभेड़ के बाद दोपहर के खाने पीने का प्रोग्राम हुआ और फिर धीरे धीरे गिरे मन से दोनो मिश्रा टीम अपना बैग-कीट पैक कर अपने अपने पवेलियन निकल गये ।

इधर आशिष बाबू तो भले नाराजगी मे मीरा का गुस्सा खाने पर उतारा मगर बाऊजी का लिहाज कर खाना खा कर निकल गये दुकान ।
शान्ति जी भी मीरा पर भन्नाते हुए खाना गटकी किसी तरह ।

अगले दो दिन तक ऐसा ही माहौल चला और फिर आयुष का नये मैच सीरीज पर जाने का यानी जॉब पर जाने का दिन आ गया ।

बड़े सवेरे से मीरा ने शुक्ला स्टेडीयम मे अपने प्लेयिंग टूल से किचन मे अभ्यास शुरु कर दिया था ।
अब दो बजे की फ्लाईट थी और 12:30 तक पहुचना था एयरपोर्ट । उसके लिए भी घर से 11 बजे तक निकलना था ।
गाडी मोटर की कोई चिन्ता थी नही , क्योकि 3D भैया के रहते अपने आयुष बाबू को कोई दिक्कत हो ऐसा हो नही सकता था ।

सवेरे क्या कल रात से आयुष बाबू की पैकिंग चालू थी ।
कल दिन भर मेवेदार पकवानो से शुक्ला भवन का कैनटिन गमका हुआ था ।


सारी तैयारिया पूरी हुई तो एक बडे ट्रैवलर बैग और एक सोल्डर बैग के साथ 10 बजे तक आयुष बाबू तैयार होकर निचे हाल मे उतरे ।

पुरा शुक्ला परिवार ने एक साथ भोजन किया और फिर थोडी देर मे 3D अपनी TWO DOOR WRANGLER JEEP लेके शुक्ला भवन के सामने हाजिर था ।

हार्न की आवाज से शुक्ला भवन के हाल मे चल रहे भावनात्मक बिछोह मे खनक हुई और सबने अपने आसूँ पोछे ।
हालांकि आयुष बाबू के पास उनके भाई साहब का दिया हुआ डेबिट कार्ड था लेकिन फिर भी ममतामयि माता शान्ति देवी ने बडे दुलार मे शगुन का नाम देके आयुष बाबू की हथेली मे 2000 हजार के रोल किये हुए पांच नोट रख कर मुथ्ठी बंद कर दी ।

आयुष मुस्कुरा कर पहले मा के पैर छुए और गले लगते ही शुक्लाइन फफक पडी ।
जैसा भी हो आयुष बाबू भी थे स्वभाव से बहुत ही भावुक तो कुछ हसी भरे ही सही लेकिन आंखे उनकी भी भर आई ।
माता से मेल मिलाप कर बाउजी के पैर स्पर्श के बाद दोनो के बीच काफी चुप्पी रही लेकिन दो दिन पहले की हुई जीत से मनोहर जी मे ना जाने कैसी हिम्मत थी कि उन्होने ने आयुष को गले लगा लिया ।
पिता के प्यार को लालायीत रहने वाले आयुष बाबू को इसकी जरा भी उम्मीद नही थी और उनकी रही सही भावना , सारे गीले सिकवे इस एक मिलाप मे आसुओ के साथ बह गये ।
इस भावनात्मक माहोल मे आशिष ने आयुष को सम्भाला और सबसे छिप कर मुन्शी जी ने भी अपनी लाल होती आंखो को साफ कर मुस्कुराने लगे ।

तब तक 3D ने 3 होर्न दे दिया था और भन्ना कर हाल मे पहुचे कि सामने आयुष आशिष का भरत मिलाप चल रहा था ।

3D- अबे यार बनबास नही हुआ है तुमको ,,नौकरी पे जा रहे हो बे ,,,

3D की गुदगुदी बातो से सबसे चेहरे पर हसी आई सिवाय शान्ति देवी के ,,, भई मा की ममता मे मजाक होता ही कहा है । वो तो निशछ्ल प्रेम है जो अपने बेटे के चिन्ता मे निकल रही होती है कि उसके बगैर उसके बेटे का क्या होगा ।

सबसे मुखातिब होने के बाद आयुष ने अपनी मीरा भाभी के पाव छुए तो मीरा पीछे हो गयी ।
रुआसी चेहरे पर मुस्कुराहत के भाव लाये मीरा ने एक टिफ़िन का बैग आयूष को लिया और बताया कि इसमे उसके मनपसन्द बेसन की लिट्टी है ।
लेकिन मीरा के इस निस्वार्थ प्रेम मे भी शुक्ला भवन कोच शान्ति शुक्ला ने मुह फुलाये रखा और आशिष जी ने भी बड़ी ओछी नजर से मीरा को निहारा ।
मीरा एक बार फिर से ग्लानि से भर आई और मुह फेर कर आसू पोछ लिये ।

विदाई समारोह समाप्त हुआ और आयुष बाबू का बैग पिछ्ली सीट पर रखा गया और सभी प्लेयर शुक्ला स्टेडीयम के वाहर थे ।

भावनात्मक माहौल मे ममतारुपी मा शान्ति देवी ने आयुष को पुचकारा - पहुच कर फोन कर देना

3D- हा अम्मा तुमको भिडीओ काल कर देंगे ,,,,

3D आयुष को खिच कर - और तुम बैठे बे ,,, तुमाये मायके के चक्कर मे तुमाये ससुराल वाली प्लेन रह जायेगी ।

3D की बातो से एक बार फिर सब खिलखिलाए और इधर 3D ने एक्सेलिरेटर दबाया और घनघनाती हुई जीप को कानपुर - फतेहपुर हाईवे पर ले लिया

रास्ते मे
आयुष बाबू अभी अपने परिवार के भावनात्मक पलो मे खोये चुप थे , खास करके की अपने पिता के प्रेम मे ।
3D को आयूष बाबू की चुप्पी खल रही थी
3D- अबे इसिलिए कहते है तुमको की इतना सम्वेदनशील ना बनो बे ,,,,दर्द बहुत होता है

आयुश मुस्कुरा कर - नही बे वो बात नही है ,,,आज बाऊजी ने हमको गले लगाया तो बहुत खुश है हम

3D- सही है गुरू ,,,तब हमको भी कौनौ जुगाड बताओ बे ,,ताकि हमाये बाऊजी भी हम पर पराउड फील करे

आयूष हस कर - साले तुम मुह से हगना बंद कर दो ,, पोस्टर लगवा देंगे चैयरमैन साहब तुम्हाये नाम का हाहहहहा

ऐसे ही इनदोनो की मस्ती भरी बाते चलती रही और वो दोनो एयरपोर्ट आ गये ।
अभी भी 30 मिंट का समय बाकी था एन्ट्री मे तो वो दोनो एयरपोर्ट के लान मे टहलने लगे ।
3D तो खास कर आंखे फाडे निहार रहा थ इधर उधर ,,, तभी उसकी नजर एक विदेशी महिला पर गयी जो साड़ी पहने हुई थी ।

3D आयुष को उस महिला की ओर दिखा कर - अबे देख बे , का चौकस माल है बे ,,,एक दम बिदेसी मूल की संस्कारी महिला है बे

आयुष जो कि इस समय मोबाईल पर कुछ चेक कर रहा था , वो तुरंत मोबाईल मे स्वीटी का नम्बर डायल कर 3D को मोबाइल दे देता है ।

3D की हिक्डी टाइट हो गयी
3D हडबड़ा कर फोन काट दिया और बोला - अरे हमाये बाप कहो तो गान्धारी बन जाये लेकिन ये सब काण्ड ना किया करो बे ,,फट जाती है

और उधर स्वीटी ने दुबारा फोन कर दिया
आयुष हस कर फोन उठाता है ।
फोन पर
स्वीटी - हा भैया काहे फोन किये थे
आयुश हस कर - वो हम दिल्ली जा रहे है तो एयरपोर्ट आये थे , लेकिन ये 3D को तुमहारी याद आ रही थी ।

स्वीटी शर्माइ और ह्स कर - का भैया ,, जे उनको याद आ रही है तो जे फोन करेंगे ना ,,आप थोडी

3D ने सोचा कही आयुष सच मे उसकी पोल ना खोल दे
इसिलिए वो लपक कर मोबाईल लेके एक तरफ हो गया और थोडा बाबू सोना स्वीटू जानू करके फोन रख दिया ।

इधर announcement चालू हो गया ।
आखिर के समय मे 3D भी भावुक हुआ और पहुच कर भूल ना जाने की याद दिलाई ।

आयुष- साले हमसे बड़के सेंटी तुम हो
3D आयुष से गले लग कर - अबे भाई हो तुम हमारे ,, रोयेंगे नही
फिर आयुष अपना समान लेके निकल जाता है अन्दर और जब तक फ्लाईट उड़ नही जाती तब तक 3D वही लान मे खड़ा रहता है और आखिरी बिदाई देकर भरी आंखो से नवाबगंज के लिए अपनी जीप से निकल जाता है ।

फ्लाइट मे बैठ जाने के बाद आयुष किसी को sms करता है जिसका कॉन्टैक्ट था नेम मिस मेहता । उसको अपनी सारी फ्लाईट डिटेल्स भेज देता है ।

जारी रहेगी
Fabulous update dear. dusro ke liye gaddhe khodne wali meera khud gaddhe me ja giri. usne kabhi socha bhi nahi hoga, uski kartut ke bare me munsi ji pata chal jaega. munsi ji ghar ke niv hai wo kabhi nahi chahenge ke kisi galat faisle ki waja se unka beta jindgi bhar dukhi rahe.
ankho me kuch sapne liye ayush job ke khatir noida city ke liye nikal gaya. ayush apne hometown me job dhund leta to acha hota, saanti ji tatha baki ghar ke log itne dukhi nahi hote .
 

Top