Romance मै सिर्फ तुम्हारा हूँ

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अस्वीकरण
इस कहानी के सभी पात्र , घटनाए , स्थान सब कुछ लेखक के दिमाग की बिना परिवार नियोजन वाली प्रजनन प्रक्रिया का नतिजा है ।
इसे अन्यथा ना ले क्योकि लेखक बहुत ही ढीठ और बेशरम है , टिप्पणिओं मे ही आपकी ले लेगा और आप किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जायेंगे ।
धन्यवाद
 
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I

Ishani

UPDATE 007

अब तक आपने पढा कि कैसे बालिंग कप्तान मीरा शुक्ला , अपने अद्भुत प्रदर्शन और कौशल कला से शुक्ला भवन के एक एक विकेट को उखाड़ दिया है । मगर ऐन मौके कोई ऐसा बल्लेबाज सामने आ गया है कि वो नरभसा गयी है ।
देखते है आने वाले नये बल्लेबाज कौन है और क्या वो सच मे उतने खतरनाक है कि मीरा शुक्ला के छक्के छूट जाये ।
अब आगे

मैच ड्रा की नौबत

फ़िलहाल दो नये बल्लेबाज शुक्ला भवन की पिच पर उतर चुके थे तो आईये इनके कैरिअर पर एक नजर डाल लेते है

1. हेमा मालिनी मिश्रा
अब इनका नाम ऐसा इसिलिए है क्योकि इन देवी के जन्म के भारतीय सिनेमा जगत मे हेमा मालिनी का वर्चस्व जोर पर था और ट्रेंडिंग चीज़ो को महत्व देते हुए इनके पिता ने बड़े लाड इनका नाम हेमा मालिनी मिश्रा रख दिया ।
रिश्ते मे ये मीरा शुक्ला की चाची है और ये ग्वालियर से है ।

अब ध्यान देने योग्य बात ये है कि इस हिसाब से मीरा शुक्ला का मायका भी ग्वालियर हो जाता है और इसिलिए कानपुरी माहौल मे मीरा शुक्ला की ग्वालियर वाली टोन मे संवाद होते रहे है ।

2. स्वाति मिश्रा
कुवारि , चंचल , मोटी और वजनदार सी दिखने वाली ये प्लेयर असल मे हेमा मालिनी मिश्रा की सुपुत्रि है और हर गोरे स्मार्ट लडके पर इनका दिल बहुत ही आसानी से आ जाता है ।

जी हा ये दोनो प्लेयर मीरा शुक्ला के मायके से आये थे और इनके हताश होने का मुख्य कारण ये भी था कि मीरा ने अपने चाची को भी भरोसा दिलाया था कि वो स्वाति के लिए आयुष से बात करेंगी ।
मगर यहा तो सारी विसात और फील्डिंग चारु के लिए सेट की जा रही थी मगर एक नये प्लेयर के मैदान मे उतरने का अन्दाजा बोलिंग कप्तान मीरा शुक्ला को बिल्कुल भी नही था ।



ड्रिंक टाईम

अब शुक्ला भवन मे मेहमान आये और आवभगत ना हो , कैसे चलेगा ।
मीरा ने फटाफट अगुआई कर उनके बैठने का इन्तेजाम किया और किचन मे घुस गयी

मन मे कई व्यथाये थी , कि हेमा चाची कैसे बिना बताये आ गयी ,, आई तो आई लेकिन स्वाति को लाने की क्या जरुरत थी , कही आयुष के लिए तो नही ना

मीरा बडबडाते हुए जल्दी जल्दी प्लेट ग्लास निकाल रही होती है - हे भगवान, का हो रहो इ , जे चाची ने मुह खोल दी ते हमाओ नाम खराब हो जाओगो ससुराल मा

मीरा ट्रे मे सब कुछ सजा कर जाने को तैयार हुई कि उसे एक और डर सताया - जे ग्वालियर मे हमाई अम्मा को पता लग गओ कि हम इहा तीन का तेरह बना रहे ,,,,नाही नाही जे ना होगो ,,

हाल मे मीरा का प्रवेश

हेमा बिस्कुट मुह मे तोडते हुए - छोटकन बाबू आयुष ना दिख रहे जीजी

शान्ति मुस्कुरा कर - हा ऊ एक दोस्त की शादी मे गवा है ,, औ बताओ कइसे आना हुआ बड़े सवेरे

हेमा खुले विचार से - जे हमको तो भाईसाहब ने कल ही सूचना दी थी कि आयुष के शादी चारु के साथ तय हो रही हैगी , जे हम भी आ गये कि मिल मिलाप कर ले


मीरा की आंखे चौडी हुई और समझ गयी कि ये सब मुन्शी जी का ही किया धरा है और उसे समझ आ गया कि बाऊजी इतनी आसानी से कैसे माने थे ।
हाल मे हेमा की बाते सुन कर बाकी सबके चेहरे पर ताज्जुब भरे भाव आये कि ऐसा क्यू किया बाऊजी ने ,,,मगर मेहमान के सामने प्रतिक्रिया कैसे दे।



स्टैटेजिक टाईम आउट का समय समाप्त

ड्रिंक के बाद मुन्शी जी ने कप्तानी संभाली और बोले - अरे आप तो बता रही थी कि आप की भी एक बेटी है शादी लायक

हेमा - हा हा ,,इ है ना स्वाति

स्वाति नमस्ते करती है उनको
मनोहर - तो अशिष इ बिटिया के बारे मे का ख्याल है , तुमहू बोलो दुल्हीन , इ हमारे बबुआ के लिये कैसी रही


मुन्शी जी के बाउनसर से सबकी हवा टाइट हो गयी और सबसे बड़ी बात ये थी कि हर समय चुप रहने वाले मनोहर जी अचानक से ऐसे कैसे खुले होकर बोल रहे है ।

तभी सोनमती , अरे वही चौबेपुर वाली मिश्राईन , अरे भई चारु की अम्मा, मीरा की बुआ और हेमा मालिनी मिश्रा की ननद बोली

सोनमती - अरे भाईसाब सब कुछ तो हमाये साथ फाइनल हो गयो है ना तब काहे इस सब

मनोहर हस कर - अरे मिश्राइन कहा कुछ फाइनल हुओ है अभी ,,जे अभी तो पूरा मैच बाकी है

मनोहर - हा आशिष बोलो , दुल्हीन तुम बोलो कुछ

मीरा की घबडाहट से धड़कने तेज थी और उसे समझ नही आ रहा था क्या करे ,,मन ही मन खुद को कोश रही थी क्यू चौबेपुर की बुआ के सोने की अंगूठी वाले लालच मे आई ,,

मनोहर थोडी तेज आवाज मे - दुल्हीन कुछ कह रहे है हम

मीरा चौकी और हडबड़ा कर - जे हम का बोले बाऊजी , जे शादी तो देवर जी को करनी हैगी ना ,,जे बा ही परसन्द करे तो ठीक रहोगो , का अम्मा सही कह रहे हैं ना
मीरा ने अपने सर पड़ी लाठी को अपनी सास की ओर उछाल दिया ।
शान्ति देवी भी सोनमती को जुबान देके फस चुकी थी तो उन्हे भी मीरा की बात सही लगी - अ ब ब हा हा दुल्हीन ठीक कह रही हो ,, अब ऐसी स्थिति मे बबुआ जो ठीक समझे

आशिष बहुत उलझन मे था ,,उसे अपने गलती का अह्सास था और वो तो सोच रहा था कि अगर आयुष को पता चला कि बिना बताये उसकी शादी की बाते फाइनल हो रही है तो कितना दुख होगा उसे ,,,

सोनमती - जे का कही रही हो मीरा , तुमने तो हमाई चारु के लिए बात करने के लिए कही रही तो अब काहे पलट रही हो

हेमा चौक कर - ना ना सोनमती जीजी ,,,, मीरा ने हमाये स्वाति के लिए बात की रही हैगी , तभी तो हम आये हैं

मीरा को जिसका डर था वो हो गया था,,,दोनो ने बाते उगल ही दी ।

इधर शुक्ला भवन मे ननद भौजाई की झड़प शुरु हो गयी और बाकी प्लेयर माथा पीठ कर देख रहे थे ।
दोनो ने मारे जलन मे एक दुसरे की ऐसी बखिया उधेड़ी की सब तामाशा बन गया था ।

इसी दौरान शुक्ला भवन के सलामी बल्लेबाज आयुष बाबू मैदान मे पहुचे
उनको देख कर सभी चुप हो गये ।
आयुष बडी उलझन से चल रहे माहौल को समझने की कोशिश कर रहा था

आयुष - भैया क्या हुआ ,, काहे की बहस चल रही थी ।

अब तो सबके सब चुप , कोई बोले तो क्या बोले
अशिष जो कि पहले ही अपनी गल्तियो की ग्लानि कर चूका था वो हिम्मत करके आयुश के पास आया

अशिष - बबुआ इहा तुम्हारे शादी की बात चल रही है

आयुष हस कर - अच्छा ,,तो उसमे इतना हल्ला काहे का मचा है ।

फिर आशिष आयुष को लेके बाहर आता है और उसे सारी बाते बताता है कि कैसे मीरा ने अपनी अगुआई मे अपनी बुआ और चाची को शादी के लिये जबान देदी थी और उसी की गलती का नतिजा ये हुआ है आज ।

फिर अशिष ने आयुष से अपनी गलती की माफी भी मागी ।


आयुष - अरे भैया आप बड़े है आप काहे माफी माग रहे हैं,,, और चलिये अन्दर चलते हैं और मामला खतम करते है ।

फिर हाल मे दोनो प्रवेश करते है और आयुष सभी को बैठने को कहता है ।

आयुष - देखिये आप लोग बड़े है और मै समझ सकता हूँ आपको मेरी चिंता है ,, लेकिन मुझे अभी शादी करनी नही है । मै अभी अपनी पहचान बनाना चाहता हू । अपने लिये , अम्मा बाऊजी के लिए कुछ करना चाहता हू फिर कही शादी वादी ।

शान्ति गुस्से मे भन्ना कर मीरा को देखते हुए - हा ठीक है बबुआ लेकिन अब इस लभेड़ का क्या करे जे इ दुल्हीन ने फैलाई है

मीरा की तो घिग्गी बध गयी
आयुष मुस्कुरा कर - अरे अम्मा इसमे हमारी परसन्द जैसा कुछ है ही ,,,चारु को तो हम हमेशा अपनी छोटी बहिन समझे है और रही बात स्वाति की तो वो भी हमारी बहन जैसी ही है । बडी वाली हिहिहिही

स्वाति आयुष की बाते सुन कर बिलखने लग जाती है ।
जिसको देख के शुक्ला भवन के मुन्शी जी हसने लग जाते है ।
जैसा भी था नरम गरम आयुष ने मामला शांत कर दिया था लेकिन मिश्राइन बहुत आग बबुला थी अपनी भौजाई से । वही आशिष मीरा की करतूत पर नाराज थे ।

शान्ति देवी मामला खतम होने पर राहत मह्सूस कर रही थी और इस हाल मे अगर सबसे ज्यादा कोई खुश था तो वो मुन्शी जी थे । भई उनकी योजना काम जो कर गयी थी । गुपचुप रूप से ही सही वो अपने बेटे को बचा लिये थे और उन्हे इस बात का गर्व था ।

इधर इस लभेड़ का एक फायदा ये हुआ कि आयुष बाबू को भी मौका मिल गया कि वो अपने मन की दबी हुई बात घर मे सबके सामने खुलकर बोल पाये , खासकर बाऊजी के सामने ।
अब उन्हे भी कोई शादी का दबाव नही था और वो एक नये सफ़र पर खुलकर पूरी आजादी से जा सकते थे ।


अगले मैच की तैयारी

सुबह की लभेड़ के बाद दोपहर के खाने पीने का प्रोग्राम हुआ और फिर धीरे धीरे गिरे मन से दोनो मिश्रा टीम अपना बैग-कीट पैक कर अपने अपने पवेलियन निकल गये ।

इधर आशिष बाबू तो भले नाराजगी मे मीरा का गुस्सा खाने पर उतारा मगर बाऊजी का लिहाज कर खाना खा कर निकल गये दुकान ।
शान्ति जी भी मीरा पर भन्नाते हुए खाना गटकी किसी तरह ।

अगले दो दिन तक ऐसा ही माहौल चला और फिर आयुष का नये मैच सीरीज पर जाने का यानी जॉब पर जाने का दिन आ गया ।

बड़े सवेरे से मीरा ने शुक्ला स्टेडीयम मे अपने प्लेयिंग टूल से किचन मे अभ्यास शुरु कर दिया था ।
अब दो बजे की फ्लाईट थी और 12:30 तक पहुचना था एयरपोर्ट । उसके लिए भी घर से 11 बजे तक निकलना था ।
गाडी मोटर की कोई चिन्ता थी नही , क्योकि 3D भैया के रहते अपने आयुष बाबू को कोई दिक्कत हो ऐसा हो नही सकता था ।

सवेरे क्या कल रात से आयुष बाबू की पैकिंग चालू थी ।
कल दिन भर मेवेदार पकवानो से शुक्ला भवन का कैनटिन गमका हुआ था ।


सारी तैयारिया पूरी हुई तो एक बडे ट्रैवलर बैग और एक सोल्डर बैग के साथ 10 बजे तक आयुष बाबू तैयार होकर निचे हाल मे उतरे ।

पुरा शुक्ला परिवार ने एक साथ भोजन किया और फिर थोडी देर मे 3D अपनी TWO DOOR WRANGLER JEEP लेके शुक्ला भवन के सामने हाजिर था ।

हार्न की आवाज से शुक्ला भवन के हाल मे चल रहे भावनात्मक बिछोह मे खनक हुई और सबने अपने आसूँ पोछे ।
हालांकि आयुष बाबू के पास उनके भाई साहब का दिया हुआ डेबिट कार्ड था लेकिन फिर भी ममतामयि माता शान्ति देवी ने बडे दुलार मे शगुन का नाम देके आयुष बाबू की हथेली मे 2000 हजार के रोल किये हुए पांच नोट रख कर मुथ्ठी बंद कर दी ।

आयुष मुस्कुरा कर पहले मा के पैर छुए और गले लगते ही शुक्लाइन फफक पडी ।
जैसा भी हो आयुष बाबू भी थे स्वभाव से बहुत ही भावुक तो कुछ हसी भरे ही सही लेकिन आंखे उनकी भी भर आई ।
माता से मेल मिलाप कर बाउजी के पैर स्पर्श के बाद दोनो के बीच काफी चुप्पी रही लेकिन दो दिन पहले की हुई जीत से मनोहर जी मे ना जाने कैसी हिम्मत थी कि उन्होने ने आयुष को गले लगा लिया ।
पिता के प्यार को लालायीत रहने वाले आयुष बाबू को इसकी जरा भी उम्मीद नही थी और उनकी रही सही भावना , सारे गीले सिकवे इस एक मिलाप मे आसुओ के साथ बह गये ।
इस भावनात्मक माहोल मे आशिष ने आयुष को सम्भाला और सबसे छिप कर मुन्शी जी ने भी अपनी लाल होती आंखो को साफ कर मुस्कुराने लगे ।

तब तक 3D ने 3 होर्न दे दिया था और भन्ना कर हाल मे पहुचे कि सामने आयुष आशिष का भरत मिलाप चल रहा था ।

3D- अबे यार बनबास नही हुआ है तुमको ,,नौकरी पे जा रहे हो बे ,,,

3D की गुदगुदी बातो से सबसे चेहरे पर हसी आई सिवाय शान्ति देवी के ,,, भई मा की ममता मे मजाक होता ही कहा है । वो तो निशछ्ल प्रेम है जो अपने बेटे के चिन्ता मे निकल रही होती है कि उसके बगैर उसके बेटे का क्या होगा ।

सबसे मुखातिब होने के बाद आयुष ने अपनी मीरा भाभी के पाव छुए तो मीरा पीछे हो गयी ।
रुआसी चेहरे पर मुस्कुराहत के भाव लाये मीरा ने एक टिफ़िन का बैग आयूष को लिया और बताया कि इसमे उसके मनपसन्द बेसन की लिट्टी है ।
लेकिन मीरा के इस निस्वार्थ प्रेम मे भी शुक्ला भवन कोच शान्ति शुक्ला ने मुह फुलाये रखा और आशिष जी ने भी बड़ी ओछी नजर से मीरा को निहारा ।
मीरा एक बार फिर से ग्लानि से भर आई और मुह फेर कर आसू पोछ लिये ।

विदाई समारोह समाप्त हुआ और आयुष बाबू का बैग पिछ्ली सीट पर रखा गया और सभी प्लेयर शुक्ला स्टेडीयम के वाहर थे ।

भावनात्मक माहौल मे ममतारुपी मा शान्ति देवी ने आयुष को पुचकारा - पहुच कर फोन कर देना

3D- हा अम्मा तुमको भिडीओ काल कर देंगे ,,,,

3D आयुष को खिच कर - और तुम बैठे बे ,,, तुमाये मायके के चक्कर मे तुमाये ससुराल वाली प्लेन रह जायेगी ।

3D की बातो से एक बार फिर सब खिलखिलाए और इधर 3D ने एक्सेलिरेटर दबाया और घनघनाती हुई जीप को कानपुर - फतेहपुर हाईवे पर ले लिया

रास्ते मे
आयुष बाबू अभी अपने परिवार के भावनात्मक पलो मे खोये चुप थे , खास करके की अपने पिता के प्रेम मे ।
3D को आयूष बाबू की चुप्पी खल रही थी
3D- अबे इसिलिए कहते है तुमको की इतना सम्वेदनशील ना बनो बे ,,,,दर्द बहुत होता है

आयुश मुस्कुरा कर - नही बे वो बात नही है ,,,आज बाऊजी ने हमको गले लगाया तो बहुत खुश है हम

3D- सही है गुरू ,,,तब हमको भी कौनौ जुगाड बताओ बे ,,ताकि हमाये बाऊजी भी हम पर पराउड फील करे

आयूष हस कर - साले तुम मुह से हगना बंद कर दो ,, पोस्टर लगवा देंगे चैयरमैन साहब तुम्हाये नाम का हाहहहहा

ऐसे ही इनदोनो की मस्ती भरी बाते चलती रही और वो दोनो एयरपोर्ट आ गये ।
अभी भी 30 मिंट का समय बाकी था एन्ट्री मे तो वो दोनो एयरपोर्ट के लान मे टहलने लगे ।
3D तो खास कर आंखे फाडे निहार रहा थ इधर उधर ,,, तभी उसकी नजर एक विदेशी महिला पर गयी जो साड़ी पहने हुई थी ।

3D आयुष को उस महिला की ओर दिखा कर - अबे देख बे , का चौकस माल है बे ,,,एक दम बिदेसी मूल की संस्कारी महिला है बे

आयुष जो कि इस समय मोबाईल पर कुछ चेक कर रहा था , वो तुरंत मोबाईल मे स्वीटी का नम्बर डायल कर 3D को मोबाइल दे देता है ।

3D की हिक्डी टाइट हो गयी
3D हडबड़ा कर फोन काट दिया और बोला - अरे हमाये बाप कहो तो गान्धारी बन जाये लेकिन ये सब काण्ड ना किया करो बे ,,फट जाती है

और उधर स्वीटी ने दुबारा फोन कर दिया
आयुष हस कर फोन उठाता है ।
फोन पर
स्वीटी - हा भैया काहे फोन किये थे
आयुश हस कर - वो हम दिल्ली जा रहे है तो एयरपोर्ट आये थे , लेकिन ये 3D को तुमहारी याद आ रही थी ।

स्वीटी शर्माइ और ह्स कर - का भैया ,, जे उनको याद आ रही है तो जे फोन करेंगे ना ,,आप थोडी

3D ने सोचा कही आयुष सच मे उसकी पोल ना खोल दे
इसिलिए वो लपक कर मोबाईल लेके एक तरफ हो गया और थोडा बाबू सोना स्वीटू जानू करके फोन रख दिया ।

इधर announcement चालू हो गया ।
आखिर के समय मे 3D भी भावुक हुआ और पहुच कर भूल ना जाने की याद दिलाई ।

आयुष- साले हमसे बड़के सेंटी तुम हो
3D आयुष से गले लग कर - अबे भाई हो तुम हमारे ,, रोयेंगे नही
फिर आयुष अपना समान लेके निकल जाता है अन्दर और जब तक फ्लाईट उड़ नही जाती तब तक 3D वही लान मे खड़ा रहता है और आखिरी बिदाई देकर भरी आंखो से नवाबगंज के लिए अपनी जीप से निकल जाता है ।

फ्लाइट मे बैठ जाने के बाद आयुष किसी को sms करता है जिसका कॉन्टैक्ट था नेम मिस मेहता । उसको अपनी सारी फ्लाईट डिटेल्स भेज देता है ।

जारी रहेगी
एक चतुर नारी मीरा करे बड़ी होशियारी
अपने ही जाल में फसत जात
सब हसत जात अरे हो हो हो हो हो !
करे लाख लाख मीरा चतुराई
छुट्टी कर देगा मुंशी उसकी चतुराई
..........
एक राह रुक गयी तो और जुड गयी
वो मुड़ा तो साथ-साथ राह मुड़ गयी
हवा के परों पर उसका आशियाना
मुसाफ़िर है आयुष , ना घर है ना ठिकाना
उसे चलते जाना है , बस चलते जाना
 
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एक चतुर नारी मीरा करे बड़ी होशियारी
अपने ही जाल में फसत जात
सब हसत जात अरे हो हो हो हो हो !
करे लाख लाख मीरा चतुराई
छुट्टी कर देगा मुंशी उसकी चतुराई
..........
एक राह रुक गयी तो और जुड गयी
वो मुड़ा तो साथ-साथ राह मुड़ गयी
हवा के परों पर उसका आशियाना
मुसाफ़िर है आयुष , ना घर है ना ठिकाना
उसे चलते जाना है , बस चलते जाना
एक चतुर नारी करके श्रृंगार :music:
 
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Fabulous update dear. dusro ke liye gaddhe khodne wali meera khud gaddhe me ja giri. usne kabhi socha bhi nahi hoga, uski kartut ke bare me munsi ji pata chal jaega. munsi ji ghar ke niv hai wo kabhi nahi chahenge ke kisi galat faisle ki waja se unka beta jindgi bhar dukhi rahe.
ankho me kuch sapne liye ayush job ke khatir noida city ke liye nikal gaya. ayush apne hometown me job dhund leta to acha hota, saanti ji tatha baki ghar ke log itne dukhi nahi hote .
Nice dp :drool:
 
R

Riya

UPDATE 007

अब तक आपने पढा कि कैसे बालिंग कप्तान मीरा शुक्ला , अपने अद्भुत प्रदर्शन और कौशल कला से शुक्ला भवन के एक एक विकेट को उखाड़ दिया है । मगर ऐन मौके कोई ऐसा बल्लेबाज सामने आ गया है कि वो नरभसा गयी है ।
देखते है आने वाले नये बल्लेबाज कौन है और क्या वो सच मे उतने खतरनाक है कि मीरा शुक्ला के छक्के छूट जाये ।
अब आगे

मैच ड्रा की नौबत

फ़िलहाल दो नये बल्लेबाज शुक्ला भवन की पिच पर उतर चुके थे तो आईये इनके कैरिअर पर एक नजर डाल लेते है

1. हेमा मालिनी मिश्रा
अब इनका नाम ऐसा इसिलिए है क्योकि इन देवी के जन्म के भारतीय सिनेमा जगत मे हेमा मालिनी का वर्चस्व जोर पर था और ट्रेंडिंग चीज़ो को महत्व देते हुए इनके पिता ने बड़े लाड इनका नाम हेमा मालिनी मिश्रा रख दिया ।
रिश्ते मे ये मीरा शुक्ला की चाची है और ये ग्वालियर से है ।

अब ध्यान देने योग्य बात ये है कि इस हिसाब से मीरा शुक्ला का मायका भी ग्वालियर हो जाता है और इसिलिए कानपुरी माहौल मे मीरा शुक्ला की ग्वालियर वाली टोन मे संवाद होते रहे है ।

2. स्वाति मिश्रा
कुवारि , चंचल , मोटी और वजनदार सी दिखने वाली ये प्लेयर असल मे हेमा मालिनी मिश्रा की सुपुत्रि है और हर गोरे स्मार्ट लडके पर इनका दिल बहुत ही आसानी से आ जाता है ।

जी हा ये दोनो प्लेयर मीरा शुक्ला के मायके से आये थे और इनके हताश होने का मुख्य कारण ये भी था कि मीरा ने अपने चाची को भी भरोसा दिलाया था कि वो स्वाति के लिए आयुष से बात करेंगी ।
मगर यहा तो सारी विसात और फील्डिंग चारु के लिए सेट की जा रही थी मगर एक नये प्लेयर के मैदान मे उतरने का अन्दाजा बोलिंग कप्तान मीरा शुक्ला को बिल्कुल भी नही था ।



ड्रिंक टाईम

अब शुक्ला भवन मे मेहमान आये और आवभगत ना हो , कैसे चलेगा ।
मीरा ने फटाफट अगुआई कर उनके बैठने का इन्तेजाम किया और किचन मे घुस गयी

मन मे कई व्यथाये थी , कि हेमा चाची कैसे बिना बताये आ गयी ,, आई तो आई लेकिन स्वाति को लाने की क्या जरुरत थी , कही आयुष के लिए तो नही ना

मीरा बडबडाते हुए जल्दी जल्दी प्लेट ग्लास निकाल रही होती है - हे भगवान, का हो रहो इ , जे चाची ने मुह खोल दी ते हमाओ नाम खराब हो जाओगो ससुराल मा

मीरा ट्रे मे सब कुछ सजा कर जाने को तैयार हुई कि उसे एक और डर सताया - जे ग्वालियर मे हमाई अम्मा को पता लग गओ कि हम इहा तीन का तेरह बना रहे ,,,,नाही नाही जे ना होगो ,,

हाल मे मीरा का प्रवेश

हेमा बिस्कुट मुह मे तोडते हुए - छोटकन बाबू आयुष ना दिख रहे जीजी

शान्ति मुस्कुरा कर - हा ऊ एक दोस्त की शादी मे गवा है ,, औ बताओ कइसे आना हुआ बड़े सवेरे

हेमा खुले विचार से - जे हमको तो भाईसाहब ने कल ही सूचना दी थी कि आयुष के शादी चारु के साथ तय हो रही हैगी , जे हम भी आ गये कि मिल मिलाप कर ले


मीरा की आंखे चौडी हुई और समझ गयी कि ये सब मुन्शी जी का ही किया धरा है और उसे समझ आ गया कि बाऊजी इतनी आसानी से कैसे माने थे ।
हाल मे हेमा की बाते सुन कर बाकी सबके चेहरे पर ताज्जुब भरे भाव आये कि ऐसा क्यू किया बाऊजी ने ,,,मगर मेहमान के सामने प्रतिक्रिया कैसे दे।



स्टैटेजिक टाईम आउट का समय समाप्त

ड्रिंक के बाद मुन्शी जी ने कप्तानी संभाली और बोले - अरे आप तो बता रही थी कि आप की भी एक बेटी है शादी लायक

हेमा - हा हा ,,इ है ना स्वाति

स्वाति नमस्ते करती है उनको
मनोहर - तो अशिष इ बिटिया के बारे मे का ख्याल है , तुमहू बोलो दुल्हीन , इ हमारे बबुआ के लिये कैसी रही


मुन्शी जी के बाउनसर से सबकी हवा टाइट हो गयी और सबसे बड़ी बात ये थी कि हर समय चुप रहने वाले मनोहर जी अचानक से ऐसे कैसे खुले होकर बोल रहे है ।

तभी सोनमती , अरे वही चौबेपुर वाली मिश्राईन , अरे भई चारु की अम्मा, मीरा की बुआ और हेमा मालिनी मिश्रा की ननद बोली

सोनमती - अरे भाईसाब सब कुछ तो हमाये साथ फाइनल हो गयो है ना तब काहे इस सब

मनोहर हस कर - अरे मिश्राइन कहा कुछ फाइनल हुओ है अभी ,,जे अभी तो पूरा मैच बाकी है

मनोहर - हा आशिष बोलो , दुल्हीन तुम बोलो कुछ

मीरा की घबडाहट से धड़कने तेज थी और उसे समझ नही आ रहा था क्या करे ,,मन ही मन खुद को कोश रही थी क्यू चौबेपुर की बुआ के सोने की अंगूठी वाले लालच मे आई ,,

मनोहर थोडी तेज आवाज मे - दुल्हीन कुछ कह रहे है हम

मीरा चौकी और हडबड़ा कर - जे हम का बोले बाऊजी , जे शादी तो देवर जी को करनी हैगी ना ,,जे बा ही परसन्द करे तो ठीक रहोगो , का अम्मा सही कह रहे हैं ना
मीरा ने अपने सर पड़ी लाठी को अपनी सास की ओर उछाल दिया ।
शान्ति देवी भी सोनमती को जुबान देके फस चुकी थी तो उन्हे भी मीरा की बात सही लगी - अ ब ब हा हा दुल्हीन ठीक कह रही हो ,, अब ऐसी स्थिति मे बबुआ जो ठीक समझे

आशिष बहुत उलझन मे था ,,उसे अपने गलती का अह्सास था और वो तो सोच रहा था कि अगर आयुष को पता चला कि बिना बताये उसकी शादी की बाते फाइनल हो रही है तो कितना दुख होगा उसे ,,,

सोनमती - जे का कही रही हो मीरा , तुमने तो हमाई चारु के लिए बात करने के लिए कही रही तो अब काहे पलट रही हो

हेमा चौक कर - ना ना सोनमती जीजी ,,,, मीरा ने हमाये स्वाति के लिए बात की रही हैगी , तभी तो हम आये हैं

मीरा को जिसका डर था वो हो गया था,,,दोनो ने बाते उगल ही दी ।

इधर शुक्ला भवन मे ननद भौजाई की झड़प शुरु हो गयी और बाकी प्लेयर माथा पीठ कर देख रहे थे ।
दोनो ने मारे जलन मे एक दुसरे की ऐसी बखिया उधेड़ी की सब तामाशा बन गया था ।

इसी दौरान शुक्ला भवन के सलामी बल्लेबाज आयुष बाबू मैदान मे पहुचे
उनको देख कर सभी चुप हो गये ।
आयुष बडी उलझन से चल रहे माहौल को समझने की कोशिश कर रहा था

आयुष - भैया क्या हुआ ,, काहे की बहस चल रही थी ।

अब तो सबके सब चुप , कोई बोले तो क्या बोले
अशिष जो कि पहले ही अपनी गल्तियो की ग्लानि कर चूका था वो हिम्मत करके आयुश के पास आया

अशिष - बबुआ इहा तुम्हारे शादी की बात चल रही है

आयुष हस कर - अच्छा ,,तो उसमे इतना हल्ला काहे का मचा है ।

फिर आशिष आयुष को लेके बाहर आता है और उसे सारी बाते बताता है कि कैसे मीरा ने अपनी अगुआई मे अपनी बुआ और चाची को शादी के लिये जबान देदी थी और उसी की गलती का नतिजा ये हुआ है आज ।

फिर अशिष ने आयुष से अपनी गलती की माफी भी मागी ।


आयुष - अरे भैया आप बड़े है आप काहे माफी माग रहे हैं,,, और चलिये अन्दर चलते हैं और मामला खतम करते है ।

फिर हाल मे दोनो प्रवेश करते है और आयुष सभी को बैठने को कहता है ।

आयुष - देखिये आप लोग बड़े है और मै समझ सकता हूँ आपको मेरी चिंता है ,, लेकिन मुझे अभी शादी करनी नही है । मै अभी अपनी पहचान बनाना चाहता हू । अपने लिये , अम्मा बाऊजी के लिए कुछ करना चाहता हू फिर कही शादी वादी ।

शान्ति गुस्से मे भन्ना कर मीरा को देखते हुए - हा ठीक है बबुआ लेकिन अब इस लभेड़ का क्या करे जे इ दुल्हीन ने फैलाई है

मीरा की तो घिग्गी बध गयी
आयुष मुस्कुरा कर - अरे अम्मा इसमे हमारी परसन्द जैसा कुछ है ही ,,,चारु को तो हम हमेशा अपनी छोटी बहिन समझे है और रही बात स्वाति की तो वो भी हमारी बहन जैसी ही है । बडी वाली हिहिहिही

स्वाति आयुष की बाते सुन कर बिलखने लग जाती है ।
जिसको देख के शुक्ला भवन के मुन्शी जी हसने लग जाते है ।
जैसा भी था नरम गरम आयुष ने मामला शांत कर दिया था लेकिन मिश्राइन बहुत आग बबुला थी अपनी भौजाई से । वही आशिष मीरा की करतूत पर नाराज थे ।

शान्ति देवी मामला खतम होने पर राहत मह्सूस कर रही थी और इस हाल मे अगर सबसे ज्यादा कोई खुश था तो वो मुन्शी जी थे । भई उनकी योजना काम जो कर गयी थी । गुपचुप रूप से ही सही वो अपने बेटे को बचा लिये थे और उन्हे इस बात का गर्व था ।

इधर इस लभेड़ का एक फायदा ये हुआ कि आयुष बाबू को भी मौका मिल गया कि वो अपने मन की दबी हुई बात घर मे सबके सामने खुलकर बोल पाये , खासकर बाऊजी के सामने ।
अब उन्हे भी कोई शादी का दबाव नही था और वो एक नये सफ़र पर खुलकर पूरी आजादी से जा सकते थे ।


अगले मैच की तैयारी

सुबह की लभेड़ के बाद दोपहर के खाने पीने का प्रोग्राम हुआ और फिर धीरे धीरे गिरे मन से दोनो मिश्रा टीम अपना बैग-कीट पैक कर अपने अपने पवेलियन निकल गये ।

इधर आशिष बाबू तो भले नाराजगी मे मीरा का गुस्सा खाने पर उतारा मगर बाऊजी का लिहाज कर खाना खा कर निकल गये दुकान ।
शान्ति जी भी मीरा पर भन्नाते हुए खाना गटकी किसी तरह ।

अगले दो दिन तक ऐसा ही माहौल चला और फिर आयुष का नये मैच सीरीज पर जाने का यानी जॉब पर जाने का दिन आ गया ।

बड़े सवेरे से मीरा ने शुक्ला स्टेडीयम मे अपने प्लेयिंग टूल से किचन मे अभ्यास शुरु कर दिया था ।
अब दो बजे की फ्लाईट थी और 12:30 तक पहुचना था एयरपोर्ट । उसके लिए भी घर से 11 बजे तक निकलना था ।
गाडी मोटर की कोई चिन्ता थी नही , क्योकि 3D भैया के रहते अपने आयुष बाबू को कोई दिक्कत हो ऐसा हो नही सकता था ।

सवेरे क्या कल रात से आयुष बाबू की पैकिंग चालू थी ।
कल दिन भर मेवेदार पकवानो से शुक्ला भवन का कैनटिन गमका हुआ था ।


सारी तैयारिया पूरी हुई तो एक बडे ट्रैवलर बैग और एक सोल्डर बैग के साथ 10 बजे तक आयुष बाबू तैयार होकर निचे हाल मे उतरे ।

पुरा शुक्ला परिवार ने एक साथ भोजन किया और फिर थोडी देर मे 3D अपनी TWO DOOR WRANGLER JEEP लेके शुक्ला भवन के सामने हाजिर था ।

हार्न की आवाज से शुक्ला भवन के हाल मे चल रहे भावनात्मक बिछोह मे खनक हुई और सबने अपने आसूँ पोछे ।
हालांकि आयुष बाबू के पास उनके भाई साहब का दिया हुआ डेबिट कार्ड था लेकिन फिर भी ममतामयि माता शान्ति देवी ने बडे दुलार मे शगुन का नाम देके आयुष बाबू की हथेली मे 2000 हजार के रोल किये हुए पांच नोट रख कर मुथ्ठी बंद कर दी ।

आयुष मुस्कुरा कर पहले मा के पैर छुए और गले लगते ही शुक्लाइन फफक पडी ।
जैसा भी हो आयुष बाबू भी थे स्वभाव से बहुत ही भावुक तो कुछ हसी भरे ही सही लेकिन आंखे उनकी भी भर आई ।
माता से मेल मिलाप कर बाउजी के पैर स्पर्श के बाद दोनो के बीच काफी चुप्पी रही लेकिन दो दिन पहले की हुई जीत से मनोहर जी मे ना जाने कैसी हिम्मत थी कि उन्होने ने आयुष को गले लगा लिया ।
पिता के प्यार को लालायीत रहने वाले आयुष बाबू को इसकी जरा भी उम्मीद नही थी और उनकी रही सही भावना , सारे गीले सिकवे इस एक मिलाप मे आसुओ के साथ बह गये ।
इस भावनात्मक माहोल मे आशिष ने आयुष को सम्भाला और सबसे छिप कर मुन्शी जी ने भी अपनी लाल होती आंखो को साफ कर मुस्कुराने लगे ।

तब तक 3D ने 3 होर्न दे दिया था और भन्ना कर हाल मे पहुचे कि सामने आयुष आशिष का भरत मिलाप चल रहा था ।

3D- अबे यार बनबास नही हुआ है तुमको ,,नौकरी पे जा रहे हो बे ,,,

3D की गुदगुदी बातो से सबसे चेहरे पर हसी आई सिवाय शान्ति देवी के ,,, भई मा की ममता मे मजाक होता ही कहा है । वो तो निशछ्ल प्रेम है जो अपने बेटे के चिन्ता मे निकल रही होती है कि उसके बगैर उसके बेटे का क्या होगा ।

सबसे मुखातिब होने के बाद आयुष ने अपनी मीरा भाभी के पाव छुए तो मीरा पीछे हो गयी ।
रुआसी चेहरे पर मुस्कुराहत के भाव लाये मीरा ने एक टिफ़िन का बैग आयूष को लिया और बताया कि इसमे उसके मनपसन्द बेसन की लिट्टी है ।
लेकिन मीरा के इस निस्वार्थ प्रेम मे भी शुक्ला भवन कोच शान्ति शुक्ला ने मुह फुलाये रखा और आशिष जी ने भी बड़ी ओछी नजर से मीरा को निहारा ।
मीरा एक बार फिर से ग्लानि से भर आई और मुह फेर कर आसू पोछ लिये ।

विदाई समारोह समाप्त हुआ और आयुष बाबू का बैग पिछ्ली सीट पर रखा गया और सभी प्लेयर शुक्ला स्टेडीयम के वाहर थे ।

भावनात्मक माहौल मे ममतारुपी मा शान्ति देवी ने आयुष को पुचकारा - पहुच कर फोन कर देना

3D- हा अम्मा तुमको भिडीओ काल कर देंगे ,,,,

3D आयुष को खिच कर - और तुम बैठे बे ,,, तुमाये मायके के चक्कर मे तुमाये ससुराल वाली प्लेन रह जायेगी ।

3D की बातो से एक बार फिर सब खिलखिलाए और इधर 3D ने एक्सेलिरेटर दबाया और घनघनाती हुई जीप को कानपुर - फतेहपुर हाईवे पर ले लिया

रास्ते मे
आयुष बाबू अभी अपने परिवार के भावनात्मक पलो मे खोये चुप थे , खास करके की अपने पिता के प्रेम मे ।
3D को आयूष बाबू की चुप्पी खल रही थी
3D- अबे इसिलिए कहते है तुमको की इतना सम्वेदनशील ना बनो बे ,,,,दर्द बहुत होता है

आयुश मुस्कुरा कर - नही बे वो बात नही है ,,,आज बाऊजी ने हमको गले लगाया तो बहुत खुश है हम

3D- सही है गुरू ,,,तब हमको भी कौनौ जुगाड बताओ बे ,,ताकि हमाये बाऊजी भी हम पर पराउड फील करे

आयूष हस कर - साले तुम मुह से हगना बंद कर दो ,, पोस्टर लगवा देंगे चैयरमैन साहब तुम्हाये नाम का हाहहहहा

ऐसे ही इनदोनो की मस्ती भरी बाते चलती रही और वो दोनो एयरपोर्ट आ गये ।
अभी भी 30 मिंट का समय बाकी था एन्ट्री मे तो वो दोनो एयरपोर्ट के लान मे टहलने लगे ।
3D तो खास कर आंखे फाडे निहार रहा थ इधर उधर ,,, तभी उसकी नजर एक विदेशी महिला पर गयी जो साड़ी पहने हुई थी ।

3D आयुष को उस महिला की ओर दिखा कर - अबे देख बे , का चौकस माल है बे ,,,एक दम बिदेसी मूल की संस्कारी महिला है बे

आयुष जो कि इस समय मोबाईल पर कुछ चेक कर रहा था , वो तुरंत मोबाईल मे स्वीटी का नम्बर डायल कर 3D को मोबाइल दे देता है ।

3D की हिक्डी टाइट हो गयी
3D हडबड़ा कर फोन काट दिया और बोला - अरे हमाये बाप कहो तो गान्धारी बन जाये लेकिन ये सब काण्ड ना किया करो बे ,,फट जाती है

और उधर स्वीटी ने दुबारा फोन कर दिया
आयुष हस कर फोन उठाता है ।
फोन पर
स्वीटी - हा भैया काहे फोन किये थे
आयुश हस कर - वो हम दिल्ली जा रहे है तो एयरपोर्ट आये थे , लेकिन ये 3D को तुमहारी याद आ रही थी ।

स्वीटी शर्माइ और ह्स कर - का भैया ,, जे उनको याद आ रही है तो जे फोन करेंगे ना ,,आप थोडी

3D ने सोचा कही आयुष सच मे उसकी पोल ना खोल दे
इसिलिए वो लपक कर मोबाईल लेके एक तरफ हो गया और थोडा बाबू सोना स्वीटू जानू करके फोन रख दिया ।

इधर announcement चालू हो गया ।
आखिर के समय मे 3D भी भावुक हुआ और पहुच कर भूल ना जाने की याद दिलाई ।

आयुष- साले हमसे बड़के सेंटी तुम हो
3D आयुष से गले लग कर - अबे भाई हो तुम हमारे ,, रोयेंगे नही
फिर आयुष अपना समान लेके निकल जाता है अन्दर और जब तक फ्लाईट उड़ नही जाती तब तक 3D वही लान मे खड़ा रहता है और आखिरी बिदाई देकर भरी आंखो से नवाबगंज के लिए अपनी जीप से निकल जाता है ।

फ्लाइट मे बैठ जाने के बाद आयुष किसी को sms करता है जिसका कॉन्टैक्ट था नेम मिस मेहता । उसको अपनी सारी फ्लाईट डिटेल्स भेज देता है ।

जारी रहेगी
Wonderful update, pichle update me gatbandhan aur ab cricket khel aur players. alag hi talmel banae rakha hai apne.
meera ghar ki badi bahu hai, use aisa kam nahi karna chahiye jisse wo nafrat ki patr bane. bhale hi ayus ki mom ghar par rehti ho par ayus ke papa duniya dekhi, tarah tarah ke logo se mile hai. unko insano ka parakh hai. meera ke muh se charu aur ayus ki shadi karane ke bare sunte hi samjh gae the ke akhir kya khel chal raha hai meera ke dimag me. isliye ayus ke papa ne apne tarike se javab diya hema ji aur swati ko hathiyar banake.
ayus ka noida jana kuch thik nahi laga raha .kyuki mujhe sanka hai ,ab se ayus ka parivar kahani me jyada nahi dikhnge .
 
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UPDATE 004

रिवीजन

अब तक आप सभी ने पढा कि कहानी ने जहा आयुष बाबू अपनी समान्य जीवन मे मस्तियाँ और रोमांच के मजे ले रहे हैं ।
वही पुरा शुक्ला भवन का स्टाफ अपनी चुलबुली और तुनकमिजाजी इंचार्ज मीरा के इरादो से बेखबर है । जो अपने बुआ की एक बक्लोल सी लड़की को आयुष के पल्ले बान्धने के फिराक मे अपने ताने बाने बुन रही है ।
अब आगे,,,



सेम डे सेम होमवर्क

रोज की दिनचर्या के हिसाब दोपहर के भोजन के लिए आशिष , आयुष को लिवा कर घर आता है ।

हाल की चौकी पर मुन्शी जी आराम कर रहे थे और बगल के कमरे से टीवी पर किसी सत्संग के प्रसारण की आवाजे आ रही थी ।

आशिष हाल मे घुसते हुए कुर्सी पकड कर बैठते है और मीरा को आवाज देते है

आशिष - मीराआआआ ये मिराआआ

मनोहर आंखे मुंदे ही - जरा सीढ़ी पर जाय के आवाज देओ ,,, चौबेपुर वाली मिश्राइन आई है

आशिष अचरज से - बुआ इहा , उ कौन काम से

मनोहर करवट बदलते हुए - अरे उका मुड़ी के इहा नवाबगंज मे कालिज मिला है उका लिये हैगी

आशिष कुछ सोचते हुए उठा और सीढि से फिर से मीरा को आवाज दी तो मीरा दौडते हुए निचे आई

मीरा हाफते हुए - आ गये का आप,,ऊ चौबेपुर वाली बुआ आई ना तो

आशिष कुछ मुह बनाते हुए - हा ठीक है खाना लगाओ और ब्च्चु के लिए भी ,,,
आशिष इधर उधर देख कर - इ ब्च्चु कहा गया

आशिष - आयुष ये आयुष
तभी आयुष बाहर से हाल मे प्रवेश करता है - जी भैया

आशिष - कहा गये रहे , खाना नाही खाना का

आयुष अपना मोबाईल जेब मे रखते हुए - खाना है ना भैया , वो कम्पनी से फोन आया था

फिर दोनो खाने के टेबल पर खाना खा रहे होते है इसी दौरान

आशिष- अच्छा, का कौनौ खास बात थी का आयुष

आयुष मुस्कुरा कर - हा भैया , कम्पनी ने हमारा फ्लाइट का टिकट बुक कर दिया है , उसी के लिए फोन आया था ।


आयुष की बाते आशिष के साथ मीरा भी बडे ध्यान से सुन रही थी और उसके मन की छ्टपटाहट बढ़ रही थी ।

अशीष खाने के प्लेट मे चावल मे चम्मच घुमाते हुए - अच्छा कब की है टिकट

आयुष मुसकुराते हुए- भैया शुक्रवार को

अशीष - औ वहा रहे के कोई इन्तेजाम है कि नाही
आयुष खाना खाते हुए - भैया कम्पनी की तरफ से फ्लैट मिल रहा है

आशिष थोडा निश्चिंत होकर - हा वही मतलब अगर कोई दिक्कत हो तो बताओ , सुशीला बुआ है उही नोएडा मे ,,वही बात कर लेंगे बाऊ जी

आयुष , आशिष को आस्व्श्त करते हुए - अरे नाही भैया कोनो दिक्कत नही होगा


लंच ओवर क्लास स्टार्ट

खाना खतम कर आयुष बाबू अपने कमरे मे चले गये जबकि अशीष का खाना जारी था

मीरा - ये जी ,, हमको तो आयुष बाबू को लेके टेनशन हो रहा है

अशीष - काहे , का हुआ
मीरा तुनक कर - जे आप को तो कोनो टेन्सन ही ना हैगी ,, जे ना सोच रहे छोटकन भाई है , नया शहिर मे अकेले रहने जा रहा है , भगवान ना करे कोनो करमजली फास ले उको तो

आशिष मुस्कुरा कर - अरे काहे टेनसनीया रही हो ,, ब्च्चु अब बड़ा होई गवा है और अपना भला बुरा खुद समझ सकता है

मीरा मुह बना कर - जे कौनौ गड़बड़ हुई तो ,,,हम तो कही रहे हैं कि उका जल्दी से शादी तय करा देओ और कोनो मुड़ी पठाये दो ,,, अझुराया रहोगो उसी मा


अशीष खाना खतम कर हाथ धुलता हुआ - तुम झूठहे टेन्सनियाय रही हो मीरा ,,, आयुष समझदार है

फ़िलहाल तो मीरा के लेक्चर का आशिष पर कोई असर नही हुआ
अशीष शुक्ला खाने के बाद वापस दुकान की ओर निकल गये और मीरा अपनी बात न मनवा पाने पर भनभना कर रह गई और कुछ सोच कर उपर अपने बुआ के पास गयी ।


टेस्ट विदआउट नोटिस

कमरे मे
सोनमती - जे का हुआ , का बात हुई जमाई बाऊ से

मीरा भन्नाते हुए - अरे का होगा बुआ , 4 दिन मा आयुष की फ्लाइट है और इनको हमाये बात को जू तक ना रेंगो

सोनमती चिंतित होके - हे भोलेनाथ , अब ???

मीरा कुछ सोच कर थोडा आत्मविश्वासी होकर - जे अब तो नयो खेल खेलनो पडोगो बुआ

सोनमती परेशान होकर - जे हमको टेनसन हो रहा है औ तुम खेल खेलन जा रही हो

मीरा झल्ला कर - इ पगलीया के साथ रह के तुम्हू पगलाये गयी हो का बुआ

मीरा - अरे हम कुछ प्लान करने की बात कही रहे हैं और तुम

सोनमती हस कर - हेहेहेहे अच्छा अच्छा सोच सोच

मीरा कुछ सोच कर चारु से , जो कि बिस्तर पर लेटे हुए मोबाइल मे रिल्स स्पाईप कर रही थी और हस रही थी

मीरा - हे पगली उठ ,, इधर आओ

मीरा - निचे किचन मे फिरीज मा , संतरा वाला जूस होगो जग मा , उका एक ग्लास मे लेके आओ

चारु मुह बनाते हुए उठी और निचे से एक ट्रे मे संतरे का जूस लेके उपर आई और वही टेबल पर रखा और वापस बिस्तर की ओर जाने लगी

मीरा - उधर का जा रही है ये मोटासी , इधर आ ,,

चारु तुनक कर बुदबुदाते हुए - हा जीजी बोलो

मीरा उसके पास खड़ी होकर एक बार उसके बाल थोडे सवारे और एक तरफ से कुछ बाल निकाल कर सामने कर दिये ।
फिर उसके दुपट्टा पीछे से खिच कर गले से चिपका दिया ताकि उसका क्लिवेज दिखे

फिर निचे झुक के उसके पैजामी की चूडिया सेट की और खड़ी हो गयी ।

चारु अपने गले स चिपके दुपट्टे को खीचते हुए - ऐसे काहे कर रही ही जीजी सब खुला खुला दिख रहा है

मीरा उसे समझाते हुए वापस उसका दुपट्टा गले पर चढा देती है
मीरा- भक्क पगली , जे इतना सुन्दर गले का डिजाईन का करने के लिए बनवाई है ,,दिखेगा नही तो पैसे बर्बाद ही है ना क्यू बुआ

सोनमती मजबूरी बस मीरा की हा मे हा मिलाती है क्योकि मीरा की हरकत तो उसे भी पसंद नही आती है

फिर मीरा चारु को वही जूस वाला ट्रे थामा देती है

मीरा - जा , आयुष बाबू को ये जूस देके आ

चारु को अटपटा सा लगता है , वो जानती है कि मीरा और उसकी मा जबरदस्ती उसकी शादी करवाना चाहते है लेकिन वो भी क्या कर सकती थी ।
ये सब उसके लिए ठीक वैसा ही था जैसे स्कूल मे टीचर हमे बिना कोई अग्रिम सूचना दिये अपने मूड के हिसाब से टेस्ट के लिए बोल देते थे ।


वो भी ट्रे लेके आयुष के कमरे का दरवाजा खटखटाती है ।
वही मीरा और सोनमती अपने कमरे के दरवाजे से बाहर झाक रहे होते है

इधर आयुष उठ कर आता है और दरवाजा खोलता है

चारु एक नजर आयुष को देखती है और फिर नजरे नीची कर लेती है

आयुष चारु को देख के - अरे चारु तुम ??

चारु नजरे नीची किये हुए थी और उसे अपने दुपट्टे के लिए बहुत ही शर्म आ रही थी
चारु दबी हुई आवाज - जूस
आयुष मुस्कुरा कर - अरे आओ आओ ,,, भाभी नही थी क्या

चारु अब क्या बोलती की सारी करतुत भाभी की ही तो है
आयुष कमरे मे आकर बिस्तर पर टेक लेके बैठ जाता है और बगल मे लगी चेयर पर चारु को बैठने को कहता है ।


चारु बहुत घबरा रही थी और टेबल पर जूस का ट्रे रख कर कुर्सी पर बैठ जाती है ।

इधर ये दोनो कमरे मे जाते है तो वही मीरा फटाक से दौड़ कर आयुष के दरवाजे से कान लगा कर खड़ी हो जाती है और उसके पीछे सोनमती भी

अन्दर आयुष इस समय एक बुक लेके बैठा था जो कि उसके बिस्तर पर पडा था ।
चारु कुछ सोच विचार दबे स्वर मे - आप अब भी पढाई करते है क्या

आयुष हस कर - नही , ये तो नावेल है ,,वैसे तुम्हारी पढाई कैसी चल रही है

चारु उदास मन से- मेरी पढाई तो खतम हो गयी ,, BA कर ली है मैने

आयूष - ओह फिर आगे
चारु उखड़े मन से - अम्मा आगे नही पढने दे रही है ,

आयुष को थोडा अजीब सा लगा चारु के जवाब मे लेकिन वो समझ रहा था कि दुनिया समाज की दकियानुसी सोच को जो आज भी कही न कही लड़का और लडकी के लिए अलग अलग भावना रखे हुए थे ।

आयुष मुस्कुरा कर चारु को देखता जिसकी नजर उसकी टेबल पर रखे हिन्दी साहित्य के ख्यातिमान लेखक जयशंकर प्रसाद की लिखी एक किताब - तितली पर टिकी हुई थी ।


आयुष - अगर तुम चाहो तो ये ले सकती हो , पढ कर वापस दे देना

चारु को मानो खुशियो की गाड़ी मिल गयी हो और वो लपक कर वो किताब उठा लेती है ।

आयुष को भी अच्छा मह्सूस होता है कि इतने समय मे चारु के चेहरे पर मुस्कान बिखरि थी । जिसमे उसका भोलापन और मासूमियत और बचपना सबकी झलक थी ।

चारु खड़ी हुई और नजरे झुका कर आयुष को किताब के लिए धन्यवाद किया लेकिन इस बार कोई डर का भाव नही था ,, एक मुस्कान थी चेहरे पर

इधर मीरा और सोनमती को आभास हुआ कि चारु वापस आ रही है तो वो वापस कमरे मे आ गयी ।

थोड़ी ही देर मे चारु कमरे मे किताब लेके आई

मीरा लपक कर उसे खिचती हुए - हे पगली,, का बात हुआ उहा

चारु फिर से डर सी गयी - कुछ भी तो नही जीजी , बस ऐसे ही पढाई लिखाई की बाते

मीरा अपना सर पकड कर बैठ जाती है - हे भोलेनाथ,,, का होगो इ पगली का ,

मीरा थोडा चारु पर गरमा कर - हम काहे लिये तुमको भेजे थे उहा

चारु मासूमियत से - जूस के लिये जीजी ,, दे तो आये

मीरा का तो खुन उबल कर रह गया और वो सोनमती को देख कर - का होगा बुआ इ बकलोली का

सोनमती मीरा को परेशान देख कर- अरे इहमे उका का दोष , ऊ तो वाई की जे तुमने कही

मीरा खुद को शांत कर कुछ सोचते हुए एक नया प्लान बनाती है - हमम्म मतलब , इको बहुत कुछ सिखानो पडोगो

इधर मीरा और सोनमती अगले प्लान के लिए अपनी खोपड़ी मे जोर दे रहे थे ,,वही उसी कमरे मे चारु बड़ी मासूमियत से सब कुछ भूल कर किताब खोल कर बैठ गयी थी ।


क्लास बंक प्लान

एक तरफ जहा मीरा अपनी खोपड़ी मे जोर देके कुछ नये की प्लानिंग मे थी
वही आयुष बाबू कमरे मे बैठे बैठे बोर रहे थे और बाहर कही घूमना चाह रहे थे । इसिलिए वो अपने घनिष्ट , लन्गोटिया और एकमात्र मित्र 3D के पास फोन घुमाते है ।

3D बाबू जो नवाबगंज के एक राजनीतिक पार्टी के निजी कार्यालय मे हो रही एक मिटिंग मे व्यस्त थे । पार्टी उनकी खुद की नही थी बल्कि कार्यकर्ता मात्र थे। लेकिन 3D भैया नवाबगंज के पूर्व चेयरमैन के सुपुत्र रह चुके थे तो पार्टी का महामन्त्री इन्हे ही बनाया गया था ।
पैसे की वजह से पार्टी मे रुतबा इतना था कि अध्यक्ष के बाद दुसरी बडी फ़ोटो , पार्टी के हर बैनर पर इनकी होती थी ।

अब ऐसे मे 3D बाबू खुद को पार्टी का खास हिस्सा मानते थे और हमेशा अपनी जिम्मेदारि को समझते थे ।
अब इतने जिम्मेदार व्यक्ति का बीच मिटिंग से उठ कर जाना भी सही नही था , जबकि मिटिंग की अगुवाई खुद अध्यक्ष महोदय कर रहे हो तो ।
लेकिन लेकिन लेकिन ,,,लेकिन 3D भैया इतने भी खुदगर्ज नही थे कि उनके परम मित्र का फोन आये और वो ना उठाये ।

धर्मसंकट आ गया था 3D के लिए , आखिर करे तो क्या करे

एक तरफ आयुष बाबू के फोन की रिंग आ रही थी, वही अध्यक्ष जी पार्टी की योजना को लेके गंभीर चर्चा कर रहे थे ।

कुछ सेकंड की इस मानसिक जद्दोजहद के बाद कि पार्टी जरुरी या दोस्त

आखिरकार दोसती का मान रखते हुए फोन उठा लिया और उठाते हुए बोल पड़े- हा बाऊजी, हम पार्टी मिटिंग मे है ,, कोनो जरुरी काम

आयुष 3D के बहाने पे पहले हसा और बोला - बेटा, हम घर पर जरा बोर रहे है और तुमको कुछ जरुरी बात बतानी है ,,, जल्दी से अनवर पान वाले के यहा पहुचो ।

फिर आयूष हस कर फोन रख देता है ।
बुरे फसे 3D भैया ,, क्योकि आयुष ने उनको बिना कोई सफाई देने का मौका दिये ,सीधे फैसला सुना दिया


इधर पार्टी मिटिंग मे ये सोच कर शान्ति हो गयी कि पूर्व चेयरमैन साहब का फोन आया है । फोन कटते ही

अध्यक्ष - क्या हुआ दुबे ,, चेयरमैन साहब ठीक है ना ,,काहे परसान दिख रहे हो

3D को जैसे मौका मिल गया बहाने का
3D- हा भैया ऊ बाउजी का दस्त नही रुक रहा है सुबह से तो दवाई बदलेक लिये कही रहे है ।

अध्यक्ष बड़ी चिन्ता भाव से - अच्छा ठीक है तो तुम जाओ दवा लेके जल्दी घर फिर फोन करना जैसा हो ,,,,आते है हम शाम तक घर

3D - जी भैया
फिर 3D तुरंत कार्यालय से बाहर आता है और बुलेट लेके निकल जाता है , अनवर पान स्टाल पर



प्राइवेट टयूशन

इधर एक तरफ जहा 3D और आयुष , अनवर पान स्टाल पर मिल कर निकल जाते है घूमने
वही शुक्ला भवन मे मीरा , चारु की प्राइवेट टयूशन ले रही होती है ।

बंद कमरे मे मीरा और चारु अकेले होते है । मीरा, सोनमती को गेस्टरूम मे आराम करने का बोल कर चारु को अपने साथ अपने बेडरूम मे ले जाती है ।


मीरा चारु को समझाते हुए - देख चारु एक बात हमायी तू धियान से समझ

चारु मन उतार कर हा मे सर हिलाती है ।
मीरा - तू ठहरी बक्लोल और दब्बू ,, आज नाही तो कल ससुराल जायेगी ना ,, औ कल को तुमहारो मुड़ा शराबी जुआरि निकल गवो तो का करेगी , उपर से जेठानी ननंद परेशान करोगो सो अलग

चारु चुपचाप मीरा की बातो को सुन रही थी और उससे खुद को जोड़ रही थी ।

मीरा को भी इस बात का बखूबी अह्सास था
ऐसे मे उसने अपना अगला पासा फेका
मीरा - अच्छा इ बताओ ,, आयुष कैसा है

एक पल के लिए चारु को आयुष की सादगी का ख्याल आया और वो अपने आप उसी कमरे मे वापस ले गयी ।
जहा वो अपने दुपट्टे को गलत ढंग से लेने के लिए झिझक मह्सूस कर रही थी वही आयुष ने एक नजर भी उसके बेआबरु हुए सीने को नही देखा था ।

वही सोच कर चारु मुस्कुराई- वो तो अच्छे है जीजी

मीरा चारु से कबूलवाते हुए - शादी करेगी उका से
चारु हस कर - का जीजी , हम इ सब थोडी सोचे है

मीरा चारु को समझाते हुए - तो पगली सोच ना ,, सोच आयुष से ब्याह हो जायोगो तो इहे घर मे रहेगी ,,, जेठानी और ननद से कोनो डर ना रहोगो ,,हमाये जैसे ठाट से रहेगी ।

चारु मीरा की बाते ध्यान से सुन रही थी
मीरा उसको फुसलाते हुए - जे सोच , डेढ़ करोड़ सालाना कमाई है उकी ,,सब कुछ तुमाओ हो जाओगो और गाड़ी मे घुमे के मिलोगो सो अलग

चारु भी धीरे धीरे मीरा के ब्रेन वास वाले बिचार से प्रभावित हो रही थी ।
वो तो थी ही ऐसी , मासूम , शांत और एक बच्चे से दिल वाली
जहा कही भी थोडी सी खुशिया नजर आती उसी मे खो जाती थी । उसी मे अपनी दुनिया बना लेती थी ।


चारु थोडी जिज्ञासा से - लेकिन आयुष जी थोडी ना मानेगे


मीरा एक शरारती मुस्कान के साथ चारु के सर पर हाथ फेर कर - उकी चिन्ता ना कर ,, हम है ना उका लिये

चारु चुप रही और बस अभी अभी मीरा द्वारा सजाये गये एक माया की दुनिया मे खुद को तालाशने लगी ।

जारी रहेगी


शब्दार्थ
उका = उसका
उ = वो
इको = इसको
इहा = यहा
उहा = वहा
बक्लोल = मन्द बुद्धि
मुड़ी = लड़की
मुड़ा = लड़का
हैगी = आई है या आयेगी
ब्च्चु = घर मे सबसे छोटा
टेनसनिया रही = परेशान हो रही
दस्त ना रुकना = पेट खराब होना

क्लिवेज = दरार 😂😂😂 [ DON'T GOOGLE IT ]
पठाय दो = साथ मे रखने के लिए मंजूरी
अझुराना = फसा रहना


इम्पोर्टेंट नोटिस
सभी विद्यार्थीयो को सूचित किया जाता है कि आज का अपडेट पढने के बाद सभी लोग अपने अपने विचार से इस गद्यान्श का सार और उसपे टिप्पणियाँ लिख कर मुझे दिखाएँगे ।।

सभी विद्यार्थियो को उनके प्रर्दशन के अनुसार एमोजी रियेक्शन और प्रतिक्रिया दी जायेगी ।
धन्यवाद

एक दम मस्त लिखा है भाई..:clap2:
हर बार की तरह शानदार लेखनी और शब्दो का प्रयोग बेहतरीन तरीके से किया गया है....

मनोहर जी एक बार फिर भूल गए उन्हें आयुष से बात करना था.....
मीरा सोनमती और चारू का अच्छा उपयोग कर रही है....देख कर ही लग रहा है की मीरा बस अपने प्यादे बैठाना चाहती है और इसके लिए भोली भाली चारू बेचारी फस रही है यह.....
मीरा ने बड़ी ही चालाकी से चारू को आयुष की ओर बढ़ने के प्रयास किया पर.....पर अपने सुशील आयुष बाबू इतने आसानी से थोड़ी ना फसने वाले है...

इधर आयुष बाबू ने 3D बाबू को अच्छा फसाया...बेचारे को अपने बाबू जी को दस्त करवाने पड़े....अब अगर ये बात उनके घर पहुंच जाए तो दस्त 3D भईया के शुरू हो जाएंगे.....:lotpot:
मीरा ने बहुत आसानी से भोली भाली चारू को कुछ सपने दिखा कर अपनी तरफ कर लिया.....अब देखते है आगे क्या होता है....
 
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UPDATE 005


अब तक आप सभी ने पढा कि पुरे शुक्ला भवन के स्टाफ मेम्बर से चोरी चोरी चुपके चुपके मीरा ने चारु को अपनी देवरानी बनाने की फुल प्लानिंग कर ली और पहला मोहरा ने खुद चारु को बनाया उसका ब्रेन वाश किया और उसे सपनो का आशियां दिखा दिया । इधर हमारे नायक साहब को भनक तक नही कि उनके लिये क्या कयामत आने वाली है । वो तो अपने मन मौजी दोस्त 3D के साथ घूमने निकले हुए हैं । और 3D उसे एक सिनेमा हाल की ओर ले जा रहा है । तो देखते है आज कौन फ़िल्म चलने वाली है इस कहनी मे
अब आगे



प्यार का पंचनामा
3D आयुष को लेकर एक सिनेमा हाल के पास आता है और गाड़ी पार्क करता है ।

आयुष - अबे कल रात की नौटंकी उतरी नही जो फिर से पिच्चर दिखाये लेके आ गये

3D आयुष को चिल्ल कराता हुआ - अबे शुक्ला तुम भाउक बहूते जल्दी हो जाते हो यार ।

3D एक फालुदा स्टाल के ओर इशारा करके - उधर देखो क्या है
आयुष की नजर फालुदा स्टाल पर जाते ही चेहरे पर मुस्कान आजाती है - अबे इ तो वही अपने कालेज के बाहर वाला फालुदा स्टाल है बे

3D थोडा अपने अंदाज मे - हा तो ,
आयुष - लेकिन ये तो बंद हो गया था ना
3D- अबे तुम्हाये लिये हम फायनैन्स कराये इसको बे
आयुष चौक कर - सच मे
3D हस्ते हुए - गुरू तुम फिर भाऊक हो गये ,,, वो बाऊजी से सूद का पैसा लेके खोला है शानू ने

आयुष उसका मजाक समझ कर अपना माथा पीट लेटा है ।

फिर दोनो स्टाल पर जाते है
3D - अरे शानू ,, दो फालुदा कुल्फ़ी लगाओ विथ एक्स्ट्रा कोल्ड ,,,, इतना समझ लो कि आज इ फलुदा की सीलन हमाये इन्जीनियर साब के नीव तक जाये के चाही

आयुष 3D के नानवेज जोक पर हस्ते हुए उसकी गर्दन पीछे से दबोच कर कुछ बर्फ के टुकड़े उसके कुर्ते के अन्दर हाथ डालकर उसकी बनियान मे गिरा देता है।

अब 3D को ठण्ड भरी गुदगुदी होने लगी और बर्फ निकालते निकालते उसका डीप बेली एरिया भीग गया ।

आयुष हस कर 3D को उसका भीग हुआ हिस्सा दिखाते हुए - हा अब पहुची है नीव मे सीलन हाहाहाहा

3D झल्ला कर - क्या यार शुक्ला , तुम सारा गिला गिला कर दिये बे

आयुष हस कर - अबे थोडा सा ही तो है , निमोनिया नही हो जायेगा तुमको उससे

3D रौंदू सा मुह बना कर- अरे यार स्वीटी आ रही होगी मिलने हमसे ,,, का सोचेगी ऊ

आयुष और तेज हसने लगा
और 3D भैया की बुरी किसमत तो देखो , स्वीटी ठीक उनके सामने ही आ गयी ।
और उसको देखते ही 3D घूम जाता है

स्वीटी सामने से एक साइड बैग लिये आयुष से मुखातिब होते हुए - अरे आयुष जी ,, का हो गया इनको ,

स्वीटी 3D से - काहे मुह छिपा रहे है दुबे जी

तो कहानी मे एक और नये किरदार की एन्ट्री हो गयी है
नाम - स्वीटी
20211118-185859
उम्र कद अता पता ठिकाना ये सब तो बाद मे भी जान लेंगे लेकिन फिलहाल इतना जान लिजीये , ये हमारे 3D की प्रेमिका है और स्वभाव से थोडी कम अकल और बक्लोल टाइप की लगती तो है मगर स्ट्रेट फोर्वोर्ड मिन्ड सेट ,,, किसी के झांसे मे नही आती है ।


3D रौंदू सी शकल के साथ स्वीटी की ओर पीठ किये - काहे की हम मुह दिखाये लायक नही रहे स्वीटी,,,

स्वीटी चौक के - का !!!!
स्वीटी तेजी से रोते हुए - कौन मुइ आपके साथ मुह काला कर गयी ,हाय राम !!!!

3D पलट कर स्वीटी के कन्धे को पकड कर - अरे नही नही यार हम अभी भी स्टील भरजिन है ,,, यार बताओ ना शुक्ला

स्वीटी सुबकते हुए - पक्का ना ,किसी और से वो सब
3D स्वीटी को विश्वास दिलाते हुए - तुम्हाई कसम स्वीटी ,,,

आयुष उन दोनो की बाते सुन कर हस रहा होता है ।

तभी स्वीटी की नजर 3D के भिगे पजामे पर गयी और 3D से दुर होते हुए अपनी नाक पर हाथ रख कर बोली - आप दारु पिए हो का ,,,जे पैंट मे ही सब लभेड़ लिये हो

3D परेशान होकर - अरे नाही हमार अम्मा ,, इ शुक्ला ,

3D आयुष को दिखा कर - इ शुक्ला ने बर्फ डाल थी हमाये कपड़ो म तो गलत जगह से बही रहो है

आयुष उन दो प्यार के कबूतरों के चोच लड़ाई से काफी ज्यादा हस हस कर पागल हुआ जा रहा था ।
तब तक शानू ने फालूदा तैयार किया और फिर तीनो ने खाया और थोडा गप्प हाके और फिर 3D ने एक इ-रिक्शा रुक्वाया

3D- यार काहे इतना चिकचिक की हो ,, चलो ना हम छोड दे रहे है घर
स्वीटी इतरा के रिक्से मे बैठते हुए - हम कह दिये ना ,, अब आप अम्मा बाऊजी को लेके ही आईयेगा घर ,तब ही आपके साथ घूमेंगे

स्वीटी - चलो भैया , वर्मा कालोनी लेलो

फिर इ-रिक्शा वाला स्वीटी को लेके निकल जाता है ।

3D पिछे से आवाज देता है - स्वीटी सुनो तो ,
मगर वो आगे जा चुकी थी ।

आयुष 3D को उदास देख कर - अबे इतना प्यार करते हो तो शादी कर काहे नही लेते बे

3D उखड़ कर - यार हम तो तैयार है , लेकिन बाऊजी तो रट लगाये है ना कि लड़के वाले है हम नाही जायेंगे बात करने ,,,

3D झल्ला कर - जे कोनो बात होता है का शुक्ला ,,, यार बडी मुस्किल से उसका तीन रिस्ता तुड़वाये है ,,, 23 की हो गयी है तो बाप को बोझ लग रही है


आयुष 3D की भड़ास पर चुपचाप मुस्कुराता रहा
क्योकि वो जानता था अगर वो थोडा भी रियक्ट करेगा तो फिर से 3D अपना वही पुराना रोना गाना लेके बैठ जायेगा ।


मेरा पिया घर आयो

इधर हमारे नायक साहब मौज मस्ती मे थे वही ,, शुक्ला भवन की इंचार्ज ने आज अपने पति को लपेटने की तैयारी मे थी ।
तो शाम से किचन मे लगी पड़ी है और नये नये अशीष के मनपसंद पकवानो की तैयारी मे लगी है ।

वही निचे के कमरे मे टीवी के आगे बैठे हुए मुन्शी जी की मैनेजर श्री मती शान्ति शुक्ला जी भन्नाय जा रही है

शान्ति - जे सूंघ रहे हो अशीष के बाऊजी ,, जे सब ऊ चौबेपुर वाली मोटासी के खाये के लिए बन रहो है

मनोहर अपनी पत्नी की बातो से मुस्कुरा कर वापस टीवी मे ध्यान लगा देते है

तभी उनको एक बढिया म्साले के भूनने की महक आती है

शान्ति अपना माथा पिटते हुए - हय भोलेनाथ!!! देखो देखो ,,अशीष के बाऊजी ,, आपन बड़के जो महगा वाला मसालो ला के दियो रहो ,,जे भी डाल रही है दुल्हीन


मनोहर शान्ति को समझाते हुए - अरे तुम का फाल्तू की बात लेके बैठ गयी हो आशिष की अम्मा ,,, मेहमान है , खायेंगे ही ना
इधर किचन मे छौका तडका जोरो पर था और मीरा के दिमाग मे आगे की प्लानिंग भी ।

शाम ढली और आशिष जी घर आये और फिर थोड़ी ही देर मे आयुष बाबू भी ।

हाल मे घुसते ही आयुष की नजर अशीष पर गयी ।
आयुष किचन से आते खाने की खुस्बु लेते हुए - आह्ह भैया का पक्वा रहे हो आज भऊजी से

आशीष किचन मे आवाज देके - का बना रही हो मीरा ,, बड़ी जोरदार महक है

मीरा हाथ धुल कर बाहर आई- अरे आ गये का आप ,, रुकिये पानी लाई रहे है

मीरा कीचन से पानी लेके वापस आई तो आयुष ने पुछा- का बनाई हो भऊजी ,, गजब की खुस्बु है

मीरा थोडा मुस्कुरा कर - कुछ नाही देवर जी बस खाना ही तो बनाये हैगे ना

आयुष अपनी नाक सुरकते हुए - फिर भी आज कुछ चटक महीक रहा है,, है ना भैया

आशीष - अब तो खाने का मन है बबुआ ,, ये मीरा खाना लगाओ

फिर सब खाने के लिए बैठ जाते है और खा कर सब मीरा की तारिफ करते है सिवाय शान्ति जी के ,,, कारण तो जानती ही है आप लोग ,,,भई उनका महगा वाला मसाला जो खर्च हुआ था


राणा जी मुझे माफ करना

यहा सब खाने पिने के बाद अपने कमरे मे गये और मीरा आखिर मे दो ग्लास दूध लेके उपर गेस्टरूम मे जाती है ।

जिसे देख कर सोनमती मुस्करा कर - अरे नाही नाही मीरा, हमसे दूध नही पिया जाता है ,,,गैस होती है

मीरा तुनक कर मुह बनाते हुए - अरे ENO डालो है इमा बुआ, गटक लो गटक लो

सोनमती बिस्तर से उठ कर दूध का ग्लास लेने आती है तो मीरा डांटते हुए - जे पगला गयी का बुआ ,,,जे दूध हम आयूष के लिए लाये है

सोनमती मीरा का टोंट सुन कर थोडा अजीब सा मुह बना कर हसती है

मीरा चारु से - हे पगली इधर आ
फिर चारु उठकर आती है और मन गिरा कर बोलती है - अब का है जीजी ,,

मीरा उसको एक ग्लास दूध थमा कर- जा आयुष को देके आ ,,और सुन थोडा बात कर लेओ और थोडा ,,,समझ रही है ना

सोनमती उलझन से - का करने को बोल रहि है मीरा उको ,

मीरा चारु को दूध के साथ बाहर भेजते हुए - हे पगली तू जा, और ध्यान रखना जे हम बोले है

सोनमती मीरा को खीच कर - अरे ऊ ग्लास तो आयुष के लिये था तो जे किसके लिये है

मीरा शर्मा के - जे ग्लास हमाओ उनको लिये है बुआ हिहिही

सोनमती भी समझ गयी और वो सोने चली गयी ।
वही आयुष के कमरे मे चारु दूध लेके घुसती है ।

आयुष - अरे चारु तुम , ये भाभी भी ना तुमको भी भिड़ा ली है घर के काम मे हिहिही

चारु थोडी डरी हुई मुस्कराइ क्योकि मीरा ने उसे आयुष से घूलने मिलने के लिए भेजा था , अपने हुस्न का जादू चलाने भेजा था

मगर हमारे आयुष बाबू तो संत ठहरे ,,मजाल है कोई माया उन्हे अपने जाल मे फास ले ।

इधर चारु बडी उल्झन मे थी कि क्या करे , कहा से सुरु करे ,, एक तो घबडाहट मे उसका दिमाग भी सही से काम नही कर रहा था ।।
बडी कोसिस कर चारु ने मीरा के सिखाये अदाओ मे से एक का इस्तेमाल करते हुए ,दूध का ग्लास टेबल पर रख कर, एक बार आयूष के सामने ही अपने लम्बे बालो को झटका कर एक तरफ से दुसरे तरफ करना चाहा लेकिन उसके बालो की चुटिया आयुष बाबू की कनपटी पर ऐसे जोर कि पड़ी की आयुष बाबू तुरंत चौन्हा गये और अपना कान पकड कर लेट गये ।


चारु को ज्ञान हुआ की उस्से गलती हुई है और जब उसे ध्यान आया कि उसके बाल खुले हुए ही नही है तो मन मे बड़बड़ाई - हाय राम जे बडी गडब्ड़ी हय गयी ,, जे ईसटाइल तो जीजी ने भिगे बालन के साथ करने के कही रही

और चारु इतना डर गयी कि बस इतना बोली - सारी आयुष जी

और फिर कमरे से भाग गयी ।


जारी रहेगी



इजहार ए मोहब्बत
अरमानो के सेज सजाये , उम्मीद का दिया लिये
आपके की प्रतिक्रिया के इंतजार मे

एक और शानदार प्रस्तुति....:reading1:
स्वीटी का किरदार एक दम मस्त है....बेचारे 3D बाबू की हो बोलती बंद करवा देती है....
बेचारे मनोहर जी हमेशा किसी न किसी चीज को लेकर शांति देवी से कुछ न कुछ सुनते ही रहते है.....
यह बेचारी मीरा इतनी मेहनत कर रही है और बार बार मुंह की खानी पड़ रही है..:lol:
और इधर हमारी चारी मैडम के समझ से बाहर है ये प्यार का सिलेबस....जितना पढ़ाओ उतना कम....अब देखते है रात क्या क्या गुल खिलाती है मीरा आशीष के संग.....


UPDATE 006


कहानी मे अब आप सभी ने पढा कि 3D भैया के प्यार की रैली कैसे उनके पिता के भवन पर खड़ी हुई प्रोटेस्ट कर रही है ,, लेकिन हरिशंकर दुबे शख्त प्रबंधन वाले है ऐसे थोडी ना घुटने टेक देन्गे ।
इधर शुक्ला भवन मे आयुष बाबू चारु की चुटिया की ऐसी मार पड़ी कि अभी तक औंधे पड़े हुए है और वही मीरा अपनी उम्मीदो की एजेंडा लेके अपने पार्टी कार्यालय पहुच रही है । देखते है मीरा शुक्ला नाम की इस विकास की आन्धी को आशिष शुक्ला अपना समर्थन देते है कि नही ।

तो बोलो -

विकास की चाभी , मीरा भाभी ।
विकास की चाभी , मीरा भाभी ।


अब आगे


वोट बैंक की राजनीति

मीरा कमरे मे दूध का ग्लास लेके प्रवेश करती है ।
इस वक़्त आशीष जी टीवी पर दुनिया जमाने की खोज खबर ले रहे थे और उन्हे पता ही नही कि मीरा कमरे मे आ गयी है ।

मीरा आशिष को सोफे पे टीवी मे लगा देख मुस्कुराई और दबे पाव आईने के सामने पहुची
थोडा जुल्फो को बिखेरा , कंगन , झुमके - नथनी , पायल सब कुछ उतार कर जिस्म पर से बोझ कम किया ।
साडी के कन्धे की आलपिन भी निकाल दी और पल्लू को ढील देके लो-कट गले का ब्लाउज निचे से खिच कर जोबनो मे सांस भरी । फिर पास पड़ी इत्र की सीसी को गले के पास स्प्रे कर एक बार आईने मे खुद निहार कर वापस से दूध का ग्लास लेके आशिष बाबू की ओर बढ़ गयी ।

आशिष जी तो आम आदमी की तरह रोज की दिनचर्या के हिसाब से अपना मन लगाये टीवी मे व्यस्त थे कि बांयी तरफ से मीरा बिल्कुल सट कर सामने की ओर झुकते हुए हाथ बढ़ा कर दूध का ग्लास आगे किया

मीरा मुस्कुरा कर - दूध
इत्र की खुस्बु ने और बीवी की मीठी आवाज आशिष जी भा गयी और इधर तो मीरा ने जैसे अपने भष्ट्राचारी पल्लू से डील की थी कि शुक्ला जी घुमे और तुम सरक लेना , आखिर पार्टी की अच्छाईया भी तो दिखनी चाहिये वोटर को ।

हुआ भी वही
जहा आशिष मीरा के हाथ से दूध का ग्लास लेते और वही साड़ी का पल्लू कन्धे से सरक कर मीरा की कलाई मे आ गयी ।

आशिष की नजरे पहले लो-कट ब्लाउज के गले के डिजाईन को देखकर पार्टी के उतार चढ़ाव का भरपूर मुआयना कर मीरा के शरारती नजरो से टकराती है ।
जिससे आशिष-मीरा एक साथ मुस्कुराये और उन्होने मीरा के हाथ से दूध का ग्लास ले लिया ।

मीरा खड़ी हुई और पल्लू को समेट कर कमर मे खोसा और वापस बिस्तर की ओर

आशिष बाबू एक नजर मीरा को देखा और मुस्कुराते हुए टीवी देखने लगे । मगर जैसे ही उन्होने दूध की सिप ली कुछ याद आया और वो चहके
दूध का ग्लास सामने टेबल पर रखा और मीरा की ओर लपके

इस भागा दौडी का कारण ये थे कि ये हमारी सेक्सी सुशील और शर्मिली उम्मीदवार श्री मती मीरा शुक्ला ने अपना और अपने पति का एक रोमांस कोड दिया हुआ था । अमूमन तौर पर वो दूध का ग्लास तब ही लेके आती थी जब कुछ मेल मिलाप का मन रहता हो । ठीक है वैसे ही जब नेताओ को वोट की जरुरत पर अपने कर्तव्यो की याद आती है ।

अब एक मध्यम वर्गीय परिवार का शादीशुदा व्यकित यानी आशिष शुक्ला जी जो रोज मर्रा की जरुरतो मे इतना फसे रहते है , दिन भर की कलेश ,दुकान की झिकझिक और काम के थकान के कारण काफी समय से आशिष बाबू मीरा के साथ बिस्तर के पापड़ का चुरा नही किये थे।
ना जाने कितने हफ्तो से बेडशिट पर सीलवटे नही आई थी ।
मगर आज नही
शुक्ला जी फटाफट बिस्तर की ओर लपके और मीरा को अपनी बाहों मे भर के ,,,,,

खैर जाने दीजिये वो सब तो व्यकितगत बाते है
हम लोग ठहरे मुद्देवादी लोग, कहा ये थकान भरी उठापटक वाली राजनीतिक एजेण्डे से हमारा लेना देना
क्या हुआ कैसे हुआ
क्या टूटा क्या बचा
कहा दर्द कहा मजा
जैसे भी हो परिणाम एक ही होना था
आशिष बाबू की बाहो मे मीरा लिपटी हुई अपने दिल के अरमान को नये बहानो और कुछ चटपटे कहानियो जोड कर बताना शुरु कर दी ।

मीरा - हे जी , जे आपको एक बात बतानी हैगी

आशिष बाबू तो मनमुग्ध थे मीरा पर - हा बोल ना

मीरा - उ बबुआ को लेके है
आशिष बाबू को आयुष के लिए बडी चिन्ता रहती ही थी तो थोडा डर थोडी उत्सुकता से - का बात मीरा बताओ हमको

मीरा - जे आप तो जान ही रहे हैगे कि आज सुबह ही चौबेपुर वाली बुआ आई है और उकी मुड़ी चारु भी

आशिष - हा तो
मीरा हस कर - जे हम चोरी छिपे देखे रहे कि बबुआ उको हमेशा निहारत रहत है हिहिही

अशीष अचरज से - किसको बुआ को !!!
मीरा - धत्त , ऊ मुड़ी चारु को, हमका तो ऊ दोनो की जोडी बहुत अच्छी लागत , तू का कहत हो

आशिष - लयिकी अच्छी है मीरा ,, लेकिन उ अपने बबुआ के टाइप की ना है

मीरा - जे आप कह रहे हो कि बबुआ की टाइप की ना है औ बबुआ खुद उको अपना कमरे मे बिठा के बात करत है देरी तक

आशिष - लेकिन बात करने से इ थोडी ना होत है कि बबुआ उको परसन्द करत है

मीरा तुनक कर- जे आप को तो हमायी कोनो बात पर भरोसो ही ना रहो होगो
और वो अशिष से अलग हो कर उसकी ओर पीठ कर लेती है

आशिष मुस्कुरा कर उसको पीछे से पकड कर - अच्छा ठीक है ठीक है , हम देखत है कल बाऊजी से बात करत है चारु और आयुष को लेके
मीरा खुश हो कर घूम कर आशिष से चिपक जाती है ।


बहुमत की तैयारियाँ

इधर एक तरफ जहा मीरा को अपनी योजना मे कामयाब हो गयी थी ,वही आयुष बाबू भी चारु के अदाओ के चाटे से उभर चुके थे और कुछ उलझे विचारो से हुए ही दूध का ग्लास खतम कर सो गये ।

अगली सुबह मीरा खोज खबर लेने चारु के पास पहुची और जब उसे रात मे हुए बिगड़े खेल के बारे मे पता चला तो माथा पिट ली
खैर जैसा भी हो लेकिन मीरा शुक्ला बहुत ही धैर्यवान साहसी और दृढ़संकल्पी प्रत्याशी थी तो इतनी जल्दी मैदान कैसे छोड देती ।
बीते समय में हुए गल्तियो को सोचना छोड आगे क्या करना है उसपे विचार की और कुछ नये नखरीले नुसखे उसने चारु को सिखाये ।

चटपटे नास्तो का दौर खतम हुआ और शान्ति देवी अपने कमरे मे सत्संग का लाइव प्रसारण शुरु कर बैठी थी कि मीरा अपनी सास के कमरे मे आती है ।

मीरा - अम्मा उठो तो ,
शान्ति - का हुआ दुल्हीन
मीरा - अम्मा जरा इ भेडशिट बदले का लिये ले जाई रहे है
शान्ति थोडा मुह बिच्काये बिस्तर से उठ कर सोफे पर विराजमान हुई ।
मीरा बेडशिट निकाल कर फ़ोल्ड करते हुए - अम्मा आप एक बात कहे के रही ,, जे कुछ समझ ना आ रहो हो कि कहे कि ना कहे

शान्ति जी ठहरी गृहस्थ महिला बिरादरी वाली अब उनको कहा ये पचने वाला कि उनकी पतोह उनसे कुछ छिपाये

शान्ति जी फटाक से टीवी म्यूट पर डाला और बडे ही जिज्ञासु स्वभाव से मीरा की ओर देख कर - हा बताओ ना दुल्हीन , का बात है

मीरा मुस्कुरा कर - अरे छोडो अम्मा , जवानी मे ये सब गलती सबहे से होत है

शान्ति देवी के शक के पारे की सुई आयुष बाबू की ओर घूमी - का हुआ बबुआ को लेके कौनौ बात है का दुल्हीन

मीरा हा मे सर हिला कर मुस्कुराई
शान्ति की बेचैनी और बढी - का बात है दुल्हीन , का गलती कर दिओ बबुआ हमार

मीरा ह्स कर - अरे कोनो खास बात ना हैगी अम्मा ,, उ कल जब से हमायी चौबेपुर वाली बुआ की मुड़ी आई हैगी ना तब से बहुत बार ताक झाक कर रहे हैगे बा के कमरे मे


शान्ति थोडा झेप सी गयी - इ का कही रही हो दुल्हीन , हमार बबुआ अइसा ना है

मीरा हस कर - जे आज कल मूड़न को कम ना समझो अम्मा ,, और हम तो खुश है कि आप बबुआ की शादी के लिए जल्दी कर रहे हो ,,,नाही तो बडे शहर मे ना जाने कौन भईसीया फास ले ,,,औ हमाये बबुआ है भी तो गऊ


मीरा की बात से शान्ति जी को और भी चिन्ता होने लगी
मीरा अपनी सास को परेशान होता देख मुस्कुराई और उनके कन्धे पर हाथ रख कर बोली - अम्मा आप चिन्ता ना करो
सब ठीक होगो

शान्ति चिंतित भाव से - जे कुछ ठीक ना होगो ,,,औ जे बात तू कही हो बिल्कुले ठीक कही हो ,, जे आज कल के लौंडी बहुत शातिर है, राम ना करे कही हमाये आयुष को


शान्ति - ना ना दुल्हिन कुछ जल्द ही करे के पड़ी अब
मीरा इतरा कर - जे छोटा मुह बडी बात कर रहे है अम्मा जी लेकिन हमायी चारु मे कोनो कमी ना हैगी ,, जे आप कहो तो बुआ से

मीरा ने शान्ति को टटोला

शान्ति कुछ सोच कर - जे बात तो तुम सही कह रही हो दुल्हीन ,,,,और तुम्हाये हिसाब से बबुआ उको पसंद भी करत है

मीरा मुस्कुरा कर - हा अम्मा , हमको अपनी हमायी नयकी देवरानी बहुत परसन्द है ,तुम का कहत हओ अम्मा

शान्ति - ठीक है दुल्हीन अब आशिष के बाऊजी से बात करित है फिर हम तुमको बताइत है।



बहुमत और गठबंधन
इधर मीरा शाम दाम दण्ड भेद सबका प्रयोग कर शुक्ला भवन के एक एक वोट को अपनी तरफ कर अपना बहुमत करने की पूरी प्लानिंग कर ली थी ।
वही इस गंदी राजनीति से दुर हमाये शिक्षित , मासूम और इमानदार प्रत्याशि यानी आयुष बाबू तो फिलहाल 3D से फोन पर शॉपिंग की प्लानिंग कर रहे थे और 11 बजे से निकलने का बोल देते है ।
सटीक 11 बजे आयुष बाबू तैयार होकर निचे आते है तो हाल मे चल रही एक गुप्त सभा अचानक से शांत हो जाती है ।
इस सभा की अध्यक्षता कर रही श्री मती मीरा शुक्ला , जो इस वक़्त अभी अभी थोडी देर पहले उनकी पार्टी से जुडी नयी कार्यकर्ता यानी शान्ति शुक्ला के साथ मिलकर , शुक्ला भवन के मुखिया के साथ दुसरी पार्टी यानी चौबेपुर वाली मिश्राईन से गठबन्धन कराने पर गम्भिर चर्चा कर रही थी ।

आयुष - भऊजी हम 3D के साथ शॉपिंग के लिए जा रहे है ,, अभी आ जायेगे

शान्ति - अरे आयुष ,,,जे खाना बन गयो है खा के जाते

मीरा अपनी सास का कन्धा दबा कर चुप रहने का इशारे करती है
आयुष - नही अम्मा , अभी आकर खा लेंगे हम


फिर आयुष निकल जाता है और इनकी सभा फिर से निरविघन चलने लगती है ।
इधर आयुष 3D के साथ निकल जाता है और दोनो एक शॉपिंग माल जाते है और वहा आयूष अपने आरामलायक कुछ प्रोफेशनल सूटस और कुछ कैजुअल ड्रेस लेता है ।

फिर बिल्लिंग के बाद दोनो उसी माल के रेस्तरां मे जाते है और खाने का ओर्डेर देते है ।


3D मस्ति मे - अउर बताओ आईआईटीन बाबू ,, कौन सी ट्रेन पकड़ी रहे हो ,,पूरवा, प्रयागराज, मगध या फिर उ नयकी वाली तेजस


आयुष ह्स के - अरे नही नही यार ,,,कम्पनी ने प्लेन की टिकट करायी है।

3D मुह बनाकर - अबे कर दिये ना गोबर सब तुम

आयुष हस कर - काहे बे
3D - तुम हमको बताओ इ तुमाओ जो पलेन है उ कानपुर से दिल्ली कीतना देर मा पहूचाइ

आयुष ह्स कर - 1 घन्टा 20 मिंट मे
3D- औ ट्रेन
आयुष - कम से कम 6 घन्टा मे
3D - हा फिर कर लिये ना घाटा

आयुष हस कर - अबे कैसा घाटा

3D- गुरू पलेन मे मुते के लिए मौका कम मिलत है इही घाटा है
आयुष ह्स कर - मतलब
3D- अबे तुम इन्जीनियरी कर लिये लेकिन सामाजिक गणित बहुते ही भीक है तुम्हारा

3D- अरे ट्रेन मे जाये का अलग ही मजा है ,,6 घन्टा का सफ़र मा 3 से 4 बारी तो मुतने जाओगे औ उही बहाने पुरे डिब्बा मे कोनो ना कोनो बढिया माल ने नैन मटक्का होई जाई और फिर
तुम अब नौकरी वाले हो गये हो गुरू ,,, औ फ़र्स्ट क्लास एसी वालन डब्बा मे जउन कन्टास माल होत है ना गुरू


आयुष 3D की बात सुन कर - अबे ऐसे थोडी ना किसी भी डिब्बा वाली को हम अपनी प्रेमिका बना लेंगे ,,
आयुष अपनी मनोसंगीनी को अपनी कल्पना मे एक रुप देते हुए - यार 3D हमारी कलपना की लड़की ना ऐसी थोडी होगी । वो तो कुछ अलग होगी , अब तुम पुछोगे तो हम बता नही पायेंगे मतलब जमाने से बिल्कुल अलग , जो भीड़ मे होकर भी भीड़ का हिस्सा नही होगी इतनी अलग
इधर आयुष की बाते खतम हुई नही कि उनका खाना आ गया

3D- अबे छोडो इ प्रेम पुराण औ पेल के खाओ कनपुरिया पेशल थाली ,,, काहे की गुरू तुम हो चार दिन के मेहमान, औ इहा से जाये के बाद सबसे ज्यादा इहे याद आईगा प्यार मुहब्बत नाही
आयुष 3D की बात सुन कर मुस्कुरा देता है ।


घर वापसी के दौरान
3D कुछ सोच कर - अरे गुरू तुमको तो हम एक बात बताना ही भूल गये ,,
आयुष - क्या बताओ बे
3D- अबे आज एक जगह शादी मे जाना है औ हमारा अकेले जाने का बिल्कुले मूड नही है ,,
आयुष हामी भर देता और घर वापस आकर मीरा को सूचना भी दे देता है ।

लेकिन इधर जब आयुष बाबू शॉपिंग रेस्तराँ मे व्यस्त थे उधर शुक्ला भवन मे मीरा का बहूमत हो गया यानी बाहुबली शान्ति देवी के मजबूत दबदबे तथा सुशील , संस्कारी और गुणवान प्रत्याशी मीरा शुक्ला के आश्वाशन पर मनोहर शुक्ला भी पार्टी जॉइन कर चुके थे ।

शाम हुई और रात के भंडारे से पहले फिर पार्टी मिटिंग हुई जिसमे आशिष शुक्ला भी शामिल हुए और तमाम स्वार्थ संबंध मूल्यो को ही ध्यान रख कर ये तय हुआ कि कल सुबह नास्ते के दौरान ही आयुष से बाते की जायेगी ।


गठबन्धन मे एक और गांठ

इधर रात मे आयुष तैयार होकर 3D के साथ शादी मे चला गया और अगली सुबह नास्ते पर शुक्ला भवन मे गठबन्धन की तैयारी चल रही थी ।
इस बार शान्ति शुक्ला की अध्यक्षता मे चल रही इस सभा मे मिश्राइन की पार्टी से उनके कुछ एजेंडे संबन्धि सवाल पुछे गये और गठबन्धन हेतु आर्थिक रूप से कितनी मदद कर सकती है इस पर भी ।


मगर इस सभा के आयोजन की खबर किसी और को भी थी और वो ऐन मौके पर शुक्ला भवन मे प्रवेश करते है ।
कौन थे ? क्या थे ? किस लिये आये थे ?
ये आगे ही पता चलेगा लेकिन इस नये आगन्तुक से पुरे सभा मे सिर्फ मीरा शुक्ला के चेहरे की हवाईया उड़ी हुई थी ,,

जारी रहेगी


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धन्यवाद

बेचारे आशीष भईया को कुछ समझ ही न आया की इनकी पत्नी इनपर अचानक इतनी मेहरबान कैसे हुई गई.....
ई मीरा भौजी ने तो शांति जी को बड़ी आसानी से फसा लिया....और पत्नी के साथ साथ मनोहर जी को भी इनकी पार्टी में शामिल होना ही पड़ा....
वहा आयुष इन सब से बेखबर अपने दोस्त के साथ शादी के मजे लूट रहे है....
देखते है ये आखिर अब कोनो पार्टी इस क्षेत्र में आ गई है जो मीरा के टक्कर की लग रही है....
 

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