असलम जैसे नया खिलाड़ी भी अब मंजे हुए खिलाड़ी तरह मेरे बदन से चिपका ये सब जान गये थे कि कब कहा चोट करनी है,
असलम मेरी आंखों में आंखें डालकर मुझसे पूछने लगे सुनीता मल्लिकाएं हुस्न कैसा लग रहा है,
तो मैंने भी मासूम बनते हुए पूछा क्या, ?
असलम ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने खड़े लंड पर रख, ये,
मैंने शर्म से अपना हाथ खींच कर बोली धत्त
असलम अब अपनी बेगम साहिबा को इतने आसान से कहां छोड़ने वाले थे, ये मुमकिन नहीं था,
असलम भी जानते थे कि थोड़ी शर्म है मुझमें, पर मुझे अब खेलना तो उनके लौड़े के साथ ही है,
एक बार मैं उनके लंड से खेलने लगी तो मेरा डर भी निकल जाएगा और शर्म,
तो असलम ने फिर से मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया,
असलम ने मेरे हाथ अपने लंड पर रखा था मैंने अपने हाथ जैसे ही असलम के लंड पर एक ही झटके से फिर हटा लिया तो असलम ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला क्या हुआ जान हाथ क्यों हटा लिया पकड़ो ना बेचारा कब से तड़प रहा है
मैं; दईया रे ये क्या है
असलम; मेरी जान ये केला है तुम्हे केला बहुत पसंद है
मम्मी; हाय दईया रे इसको कोई केला बोलता है और इसको कौन खाता है
असलम; तुम्हारे जैसी मस्त हसीनाओं को ऐसा ही केला पसंद होता है, ऐसा केला खा कर वो दुनिया के हर केला का स्वाद भूल जाती है और अब तो इस केले पर मेरी जान का नाम लिख है लो मेरी जान पकड़ो ना,
असलम पक्के खिलाड़ी थे वो मेरे जैसी माल को इतनी आसानी से कैसे जाने देता इसीलिए असलम ने कहा,
सुनीता कुछ नहीं होगा बस तुम वैसा करो जैसा मैं कहता हूं अब से तुम मेरी हो इस और इतना कहते ही असलम ने मेरी चुचियों पर आपने होंठ रख दिए और चूसने लगा ,
मैं बस सिसकियां भरने लगी, तभी असलम ने मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपने लंड पर रख दिया और अपने लंड को मेरी मुठ्ठी पकड़ने की कोशिश की,
मैंने शर्म से अपने हाथ पीछे खींच लिया, असलम के कहने पर मैं तो जैसे उसके हाथ की गुड़िया बन के रह गई थी,
जब असलम ने फिर से कहा बेगम साहिबा प्लीज एक बार मेरा लंड पकड़ो प्लीज,
मैं नहीं कर सकती मुझे शर्म आती है तो असलम ने कहा किस बात की शर्म बेगम इस कमरे में तो मैं और तुम ही हो और कोई नहीं है,
किसी पहले मर्द का थोड़े ही पकड़ रही अपने शौहर का पकड़ रही हो, पर मैं नहीं शर्माती हुई कहा की प्लीज,
पर असलम कहने माने वाले था उसको आज ही मुझे अपना लौड़ा थमा कर मेरी सारी शर्म को दूर करना था इसलिए उन्होंने फिर से कहा जान प्लीज एक बार मेरा कहा मान लो प्लीज मुझे पता है तुमने कई सालों से सेक्स नहीं किया,
आज अल्लाह ने हमें मिला दिया है तो फिर तुम्हे सरम की नहीं एक मर्द जरूरी है
मैंने अपना चेहरा नीचे कर दिया तो असलम मेरे चेहरे को सहलाते बोले रानी
क्यों तड़पा रही हो पकड़ो ना अब शौहर का लंड अगर बेगम नहीं पकड़ेगी तो कौन पकड़ेगी, बोलो बेगम ही पकड़ती है ना उसको शांत भी बेगम ही करती है,
मैं; मुझे शर्म आती है
असलम ने दुबारा मेरा हाथ अपने लंड पर रखे हुए कहा पकड़ो ना रानी अब हम से कैसी शर्म
अपका बड़ा लंबा और मोटा है और इतना बोल कर मैं अपना मुंह नीचे करने से मुस्कुराने लगी
असलम; मेरे गालों को चूमते बोला,मेरी जान लम्बे और मोटे से ही तो मेरी जान को मजा आएगा बोलो मेरी रानी आएगा ना मोटे और लम्बे से मजा तो मैं सरमाते हुए हाय दईया रे कितने बड़े बेशर्म है हमार शौहर,।
फिर असलम ने मेरा हाथ अपने लौड़े पर दबा दिया इस बार मैंने अब असलम के लंड को धीरे धीरे सहला रही थी,
मुझे अब असलम के लंड से खेलने में मजा आ रहा था इसलिए मेरे हाथ बड़ी तेजी से असलम के लंड पर चल रहा था,
मैं अपने हाथ से अभि के अब्बू के लंड का जायज़ा ले रही थी कि मेरे शौहर का लंड कितना बड़ा और मोटा है
अब मेरे हाथ खुद पर खुद अपने शौहर असलम के शैतानी लौड़े पर चलने लगा,
असलम मेरी आंखों में आंखे डाल कर बोले क्या हुआ सुनीता, अच्छा नहीं लगा क्या मेरे,
मैं असलम की बात का क्या जवाब देती, हाय दईया रे हमार शौहर का हथियार बड़ा लम्बा और मोटा है ये तो मेरी चूनमुनीया को फ़ाड़ कर रख देगा,
मैं असलम के कान के पास धीरे से बोली हम्म,
हम दोनों बिस्तर पर लेट एक दूसरे को चूम रहें थे
असलम अपना दूसरे हाथ को नीचे मेरी पैंटी में घुसा दिया,
जैसा ही असलम के हाथ मेरी उस जगह से टकराया मुझे लगा जैसे कोई बिजली की नंगी तार ने मुझे छू लिया हो .
मेरी तांगे अब पूरी तरह से खुल गई तो असलम मेरी नंगी मक्खन सी चूत को अपने हाथ से रगड़ने लगे
आज मैंने पहली बार आज की रात के लिए अपनी झांटों को साफ़ किया था एक भी बाल नहीं थे मेरी चूत पर कुछ देर मेरी चूत को रगड़ने के बाद असलम की मोटी उंगली मेरी चूत में सरका गई जैसे ही असलम की उंगली मेरी चूत गई मेरी सांसें तेज होने लगी और मुंह से सिसकारियां निकल पड़ी,
किसी मर्द के हाथ जब औरत की चूत पर चलता है तो वो औरत अपने मैं नहीं रहती,
असलम मेरे बदन से खेल खेल बुरी तरह से गरम कर दिया था, और मेरी मदहोशी के आलम में सब कुछ बुला कर खुद अपने हाथ को असलम के खड़े लंड पर चलने लगी,
जब असलम ने देखा कि मैंने खुद अपने हाथ से उनका लंड सहला रही हूं तो उन्होंने अपने हाथ मेरे हाथ के ऊपर से हटा लिया, और मैं असलम के लंड को ऊपर से नीचे सहलाते हुए
उसकी लम्बाई या मोटाई का अंदाज़ा लगाने लगी और कोई औरत हो जब उसे पता चले कि उसके शौहर का लंड इतना जबरदस्त है तो उसके दिल में कितनी खुशी होगी ये तो वही बता सकती है ।
इस कम सी उमर में असलम का लंड इतना दमदार था कि मुझे ये बात अच्छे से समझ आ गई थी कि आज की रात मेरी कितनी जबरदस्त ठुकाई होने वाली है।
असलम का लंड तो निकाह से शांत था आज की रात अपना सारा गुस्सा मेरे पर निकलने वाला था,
मैंने अपने टांगो को पूरी तरह से अब खोल दिया था ताकी असलम के हाथ मेरी चूत पर अच्छे से पहुंच सकें,
असलम भी बस उसी मौके की तलाश में थे तो उन्होंने ने मेरी काम रस से गीली चूत में अपनी एक उंगली घुसाने लगे पर हाथ की उंगली मेरी चूत के छेद के जगह मेरी गांड की छेद पर चली गई...
जैसे ही मेरी गांड में असलम की उंगली गई, मैं चौंक गई और बोली है... आआआआआहह उउउउउउहहहहहह ससससससीईईईईईईई
अजी कहा घुसा दिये वहां नहीं वो छेद ग़लत है
मेरे मुंह से ये सुन कर असलम खुश हो गए, कि मैं उन्हें सही वाली छेद में डालने के लिए बोल रही हूं ,
असलम शरारत करते हुए बोले, मेरी जान अगर इस छेद में नहीं तो फिर किस छेद मैं डालू...
उनकी बात का अर्थ समझ कर शर्मा गई, और अपना चेहरा असलम के सीने में छुपा लिया असलम मेरे होठों को छुपाते हुए मेरी चूत को सहलाते बोले
फिर तुम ही बता दो सही वाला छेद कौन सा है और मेरे कुछ बोलने से पहले असलम अपनी उंगली मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चूत में अपनी उंगली घुसा कर बोले,
मेरी जान यह तो सही छेद है ना इस छेद में घुसाने को बोल रही थी
असलम; उफ्फफ्फ़....कितनी टाइट है मेरी जान तुम्हारी ये चूत,
असलम की उंगली खास मोटी थी और जैसे ही असलम की उंगली चूत में घुसी,
मेरे मुंह से हल्की से आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआह्ह ...
असलम की उंगली चूत में जाने जे दर्द हो रहा था,
मैं सोचने लगी जब असलम जी का हथियार 9 इंच लम्बा या 4 इंच मोटा लंड मेरी चूत में घुसेगा तब क्या होगा मैं तो मर ही जाउंगी,
असलम अपनी उंगली मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे,
मैं अब अपने शौहर असलम जी लंड लेने के लिए खुद को तैयार करने लगी,
असलम अपनी उंगली मेरी चूत में गच्चा गच्चा अंदर बाहर कर रहे थे तो मैं कसमसाने लगी,
मेरे शौहर असलम जी; मेरी जान क्यों मजा नहीं आ रहा मेरी जान आज की रात मजा लो आज की रात तो हमारी सुहागरात है अब तुम मेरी हो सिर्फ मेरी आज रात हमारे बीच कोई भी दीवार नहीं आ सकती हमें अब कोई नहीं रोक सकता एक होने से।
असलम जी मेरे ऊपर से उठे ओर उन्होंने अपनी उंगली मेरी पैंटी की आउटलाइन में घूमने लगें
असलम ने अपनी उंगली मेरी पेंटी में फसा ली जैसे ही असलम जी अपनी उंगली मेरी पैंटी में फसाई मेरा दिल ओर तेज़ी से धड़कनें लगा,
क्योंकि मुझे पता था कि अब मेरे बदन पर से मेरी पेंटी उतरने वाली है और असलम जी सामने पूरी तरह से नंगी हो जाउंगी क्योंकि अब तक तो मेरी पेंटी मेरी चूत को छुपाने में कामयाब रही थी,
मेरी पैंटी मेरे चूतड़ों के नीचे फंसी हुई थी
असलम जी चाहते थे तो मेरी पेंटी को खींच कर मेरे बदन से अलग कर सकते थे पर असलम जी प्यार से मेरी पेंटी को नीचे खींचने लगे,
लेकिन मेरे सहयोग के बिना असलम जी का इस तरह से मेरी पेंटी उतारना मुश्किल था
असलम जी कहते थे कि मेरी पेंटी उतारने में मदद करु, उनके बोलने से पहले ही मैंने भी अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर उठा लिया,
असलम जी मेरी पेंटी मेरे चूतड़ों से नीचे खींच कर उससे मेरी टांगो से निकाल दी,
उस समय मेरी पेंटी मेरी चूत के रस से इस कदर गीली थी मानो अगर मेरी पेंटी को निचोड़ कर पानी निकाला जाए तो मेरी चूत के रस से आधा गिलास भर जाता,
असलम जैसे नया खिलाड़ी भी अब मंजे हुए खिलाड़ी तरह मेरे बदन से चिपका ये सब जान गये थे कि कब कहा चोट करनी है,
असलम मेरी आंखों में आंखें डालकर मुझसे पूछने लगे सुनीता मल्लिकाएं हुस्न कैसा लग रहा है,
तो मैंने भी मासूम बनते हुए पूछा क्या, ?
असलम ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने खड़े लंड पर रख, ये,
मैंने शर्म से अपना हाथ खींच कर बोली धत्त
असलम अब अपनी बेगम साहिबा को इतने आसान से कहां छोड़ने वाले थे, ये मुमकिन नहीं था,
असलम भी जानते थे कि थोड़ी शर्म है मुझमें, पर मुझे अब खेलना तो उनके लौड़े के साथ ही है,
एक बार मैं उनके लंड से खेलने लगी तो मेरा डर भी निकल जाएगा और शर्म,
तो असलम ने फिर से मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया,
असलम ने मेरे हाथ अपने लंड पर रखा था मैंने अपने हाथ जैसे ही असलम के लंड पर एक ही झटके से फिर हटा लिया तो असलम ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला क्या हुआ जान हाथ क्यों हटा लिया पकड़ो ना बेचारा कब से तड़प रहा है
मैं; दईया रे ये क्या है
असलम; मेरी जान ये केला है तुम्हे केला बहुत पसंद है
मम्मी; हाय दईया रे इसको कोई केला बोलता है और इसको कौन खाता है
असलम; तुम्हारे जैसी मस्त हसीनाओं को ऐसा ही केला पसंद होता है, ऐसा केला खा कर वो दुनिया के हर केला का स्वाद भूल जाती है और अब तो इस केले पर मेरी जान का नाम लिख है लो मेरी जान पकड़ो ना,
असलम पक्के खिलाड़ी थे वो मेरे जैसी माल को इतनी आसानी से कैसे जाने देता इसीलिए असलम ने कहा,
सुनीता कुछ नहीं होगा बस तुम वैसा करो जैसा मैं कहता हूं अब से तुम मेरी हो इस और इतना कहते ही असलम ने मेरी चुचियों पर आपने होंठ रख दिए और चूसने लगा ,
मैं बस सिसकियां भरने लगी, तभी असलम ने मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपने लंड पर रख दिया और अपने लंड को मेरी मुठ्ठी पकड़ने की कोशिश की,
मैंने शर्म से अपने हाथ पीछे खींच लिया, असलम के कहने पर मैं तो जैसे उसके हाथ की गुड़िया बन के रह गई थी,
जब असलम ने फिर से कहा बेगम साहिबा प्लीज एक बार मेरा लंड पकड़ो प्लीज,
मैं नहीं कर सकती मुझे शर्म आती है तो असलम ने कहा किस बात की शर्म बेगम इस कमरे में तो मैं और तुम ही हो और कोई नहीं है,
किसी पहले मर्द का थोड़े ही पकड़ रही अपने शौहर का पकड़ रही हो, पर मैं नहीं शर्माती हुई कहा की प्लीज,
पर असलम कहने माने वाले था उसको आज ही मुझे अपना लौड़ा थमा कर मेरी सारी शर्म को दूर करना था इसलिए उन्होंने फिर से कहा जान प्लीज एक बार मेरा कहा मान लो प्लीज मुझे पता है तुमने कई सालों से सेक्स नहीं किया,
आज अल्लाह ने हमें मिला दिया है तो फिर तुम्हे सरम की नहीं एक मर्द जरूरी है
मैंने अपना चेहरा नीचे कर दिया तो असलम मेरे चेहरे को सहलाते बोले रानी
क्यों तड़पा रही हो पकड़ो ना अब शौहर का लंड अगर बेगम नहीं पकड़ेगी तो कौन पकड़ेगी, बोलो बेगम ही पकड़ती है ना उसको शांत भी बेगम ही करती है,
मैं; मुझे शर्म आती है
असलम ने दुबारा मेरा हाथ अपने लंड पर रखे हुए कहा पकड़ो ना रानी अब हम से कैसी शर्म
अपका बड़ा लंबा और मोटा है और इतना बोल कर मैं अपना मुंह नीचे करने से मुस्कुराने लगी
असलम; मेरे गालों को चूमते बोला,मेरी जान लम्बे और मोटे से ही तो मेरी जान को मजा आएगा बोलो मेरी रानी आएगा ना मोटे और लम्बे से मजा तो मैं सरमाते हुए हाय दईया रे कितने बड़े बेशर्म है हमार शौहर,।
फिर असलम ने मेरा हाथ अपने लौड़े पर दबा दिया इस बार मैंने अब असलम के लंड को धीरे धीरे सहला रही थी,
मुझे अब असलम के लंड से खेलने में मजा आ रहा था इसलिए मेरे हाथ बड़ी तेजी से असलम के लंड पर चल रहा था,
मैं अपने हाथ से अभि के अब्बू के लंड का जायज़ा ले रही थी कि मेरे शौहर का लंड कितना बड़ा और मोटा है
अब मेरे हाथ खुद पर खुद अपने शौहर असलम के शैतानी लौड़े पर चलने लगा,
असलम मेरी आंखों में आंखे डाल कर बोले क्या हुआ सुनीता, अच्छा नहीं लगा क्या मेरे,
मैं असलम की बात का क्या जवाब देती, हाय दईया रे हमार शौहर का हथियार बड़ा लम्बा और मोटा है ये तो मेरी चूनमुनीया को फ़ाड़ कर रख देगा,
मैं असलम के कान के पास धीरे से बोली हम्म,
हम दोनों बिस्तर पर लेट एक दूसरे को चूम रहें थे
असलम अपना दूसरे हाथ को नीचे मेरी पैंटी में घुसा दिया,
जैसा ही असलम के हाथ मेरी उस जगह से टकराया मुझे लगा जैसे कोई बिजली की नंगी तार ने मुझे छू लिया हो .
मेरी तांगे अब पूरी तरह से खुल गई तो असलम मेरी नंगी मक्खन सी चूत को अपने हाथ से रगड़ने लगे
आज मैंने पहली बार आज की रात के लिए अपनी झांटों को साफ़ किया था एक भी बाल नहीं थे मेरी चूत पर कुछ देर मेरी चूत को रगड़ने के बाद असलम की मोटी उंगली मेरी चूत में सरका गई जैसे ही असलम की उंगली मेरी चूत गई मेरी सांसें तेज होने लगी और मुंह से सिसकारियां निकल पड़ी,
किसी मर्द के हाथ जब औरत की चूत पर चलता है तो वो औरत अपने मैं नहीं रहती,
असलम मेरे बदन से खेल खेल बुरी तरह से गरम कर दिया था, और मेरी मदहोशी के आलम में सब कुछ बुला कर खुद अपने हाथ को असलम के खड़े लंड पर चलने लगी,
जब असलम ने देखा कि मैंने खुद अपने हाथ से उनका लंड सहला रही हूं तो उन्होंने अपने हाथ मेरे हाथ के ऊपर से हटा लिया, और मैं असलम के लंड को ऊपर से नीचे सहलाते हुए
उसकी लम्बाई या मोटाई का अंदाज़ा लगाने लगी और कोई औरत हो जब उसे पता चले कि उसके शौहर का लंड इतना जबरदस्त है तो उसके दिल में कितनी खुशी होगी ये तो वही बता सकती है ।
इस कम सी उमर में असलम का लंड इतना दमदार था कि मुझे ये बात अच्छे से समझ आ गई थी कि आज की रात मेरी कितनी जबरदस्त ठुकाई होने वाली है।
असलम का लंड तो निकाह से शांत था आज की रात अपना सारा गुस्सा मेरे पर निकलने वाला था,
मैंने अपने टांगो को पूरी तरह से अब खोल दिया था ताकी असलम के हाथ मेरी चूत पर अच्छे से पहुंच सकें,
असलम भी बस उसी मौके की तलाश में थे तो उन्होंने ने मेरी काम रस से गीली चूत में अपनी एक उंगली घुसाने लगे पर हाथ की उंगली मेरी चूत के छेद के जगह मेरी गांड की छेद पर चली गई...
जैसे ही मेरी गांड में असलम की उंगली गई, मैं चौंक गई और बोली है... आआआआआहह उउउउउउहहहहहह ससससससीईईईईईईई
अजी कहा घुसा दिये वहां नहीं वो छेद ग़लत है
मेरे मुंह से ये सुन कर असलम खुश हो गए, कि मैं उन्हें सही वाली छेद में डालने के लिए बोल रही हूं ,
असलम शरारत करते हुए बोले, मेरी जान अगर इस छेद में नहीं तो फिर किस छेद मैं डालू...
उनकी बात का अर्थ समझ कर शर्मा गई, और अपना चेहरा असलम के सीने में छुपा लिया असलम मेरे होठों को छुपाते हुए मेरी चूत को सहलाते बोले
फिर तुम ही बता दो सही वाला छेद कौन सा है और मेरे कुछ बोलने से पहले असलम अपनी उंगली मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चूत में अपनी उंगली घुसा कर बोले,
मेरी जान यह तो सही छेद है ना इस छेद में घुसाने को बोल रही थी
असलम; उफ्फफ्फ़....कितनी टाइट है मेरी जान तुम्हारी ये चूत,
असलम की उंगली खास मोटी थी और जैसे ही असलम की उंगली चूत में घुसी,
मेरे मुंह से हल्की से आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआह्ह ...
असलम की उंगली चूत में जाने जे दर्द हो रहा था,
मैं सोचने लगी जब असलम जी का हथियार 9 इंच लम्बा या 4 इंच मोटा लंड मेरी चूत में घुसेगा तब क्या होगा मैं तो मर ही जाउंगी,
असलम अपनी उंगली मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे,
मैं अब अपने शौहर असलम जी लंड लेने के लिए खुद को तैयार करने लगी,
असलम अपनी उंगली मेरी चूत में गच्चा गच्चा अंदर बाहर कर रहे थे तो मैं कसमसाने लगी,
मेरे शौहर असलम जी; मेरी जान क्यों मजा नहीं आ रहा मेरी जान आज की रात मजा लो आज की रात तो हमारी सुहागरात है अब तुम मेरी हो सिर्फ मेरी आज रात हमारे बीच कोई भी दीवार नहीं आ सकती हमें अब कोई नहीं रोक सकता एक होने से।
असलम जी मेरे ऊपर से उठे ओर उन्होंने अपनी उंगली मेरी पैंटी की आउटलाइन में घूमने लगें
असलम ने अपनी उंगली मेरी पेंटी में फसा ली जैसे ही असलम जी अपनी उंगली मेरी पैंटी में फसाई मेरा दिल ओर तेज़ी से धड़कनें लगा,
क्योंकि मुझे पता था कि अब मेरे बदन पर से मेरी पेंटी उतरने वाली है और असलम जी सामने पूरी तरह से नंगी हो जाउंगी क्योंकि अब तक तो मेरी पेंटी मेरी चूत को छुपाने में कामयाब रही थी,
मेरी पैंटी मेरे चूतड़ों के नीचे फंसी हुई थी
असलम जी चाहते थे तो मेरी पेंटी को खींच कर मेरे बदन से अलग कर सकते थे पर असलम जी प्यार से मेरी पेंटी को नीचे खींचने लगे,
लेकिन मेरे सहयोग के बिना असलम जी का इस तरह से मेरी पेंटी उतारना मुश्किल था
असलम जी कहते थे कि मेरी पेंटी उतारने में मदद करु, उनके बोलने से पहले ही मैंने भी अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर उठा लिया,
असलम जी मेरी पेंटी मेरे चूतड़ों से नीचे खींच कर उससे मेरी टांगो से निकाल दी,
उस समय मेरी पेंटी मेरी चूत के रस से इस कदर गीली थी मानो अगर मेरी पेंटी को निचोड़ कर पानी निकाला जाए तो मेरी चूत के रस से आधा गिलास भर जाता,
मैं असलम के साथ बेंड पर नंगी पड़ी थी और हसरतें भरी नजरों से असलम को देख रही थी
असलम मेरे ऊपर चढ़ गया और अगले ही पल असलम के हाथ मेरी ब्रा के हुक पर थे
असलम ने बिना कोई वक्त गंवाए मेरी ब्रा का हुक खोल दिया
मेरी सांसें तेज हो गई जो ब्रा अब तक मेरी चुचियों को नीचे लटक रही थी अब वो ब्रा मेरे शौहर असलम के हाथ में थी,
असलम और मैं अब कमरे में सम्पूर्ण नंगे हो गए थे असलम ने मेरी आंखों में आंखें डाल कर धीरे अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिया और प्यार से मेरे होंठों को चूसने लगा,
असलम धीरे से मेरी चूचियां को चूम नीचे आया और उन्होंने अपने होठों को मेरी गोरी चिकनी गुलाबी होंठ वालीं चूत के ऊपर अपने होंठ रख दिया,
पहली बार किसी मर्द ने मुझे बिस्तर पर ऐसे मेरी चूत पर अपने होंठ रखे तो मेरे मुंह से एक भयंकर सिसकी निकल गई……….
मेरे शौहर असलम जी मेरी गीली हो रही चूत के ऊपर अपने होठों को रख कर चलने लगे।
अपने शौहर असलम जी होंठो और गरम सांसो को अपनी चूत के ऊपर पा कर तो मेरी चूत ओर तेज़ी से पानी छोड़ने लगी थी,
उन्होंने मेरी नंगी चूत पर अपने होठों को रख कर किस किया में फाड़ फाड़ उठी थी
जिस से की मेरी चूत के रस से सराबोर पानी से बुरी तरह से गीली हो उठी थी,
असलम जी लग्न से मेरी चूत के ऊपर अपने होंठ टीका कर मेरी चूत के रस को चूस रहे थे,
मेरी चूत पूरी तरह से मेरे चूत के सर से भीग गई थी और असलम जी मेरी गीली चिकनी गुलाबी होंठ वालीं चूत से पानी की पिचकारी को अपने मुंह में दबाये चूत का रस को चूस रहे थें,,
मेरी सांसें तेज चल रही थी और मेरे हाथ खुद पर खुद मेरे शौहर असलम जी के सर पर पहुंच गए थे मैं खुद असलम के सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा रही थी,
असलम चूत को ऐसे चाट रहे थे जैसा मनो वो मेरी चूत के रस को नहीं चूस रहे हों, कोई अमृत को चूस रहा हो,
तभी असलम जी ने किसी तरह अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल दी,
असलम की जीभ चूत में घुसते ही मेरे चूतड़ खुद से ही उपर उठने लगे और मेरी कमर खुद पर खुद चल रही थी,
मुझे पता था कि मेरे ससुर जी आज मेरे साथ अपनी सुहागरात जरूर मनाएंगे इसलिए मैंने अपनी सुहागरात के लिए अपनी चूत को शेव करके चिकना किया हुआ था, मेरे ससुर जी तो मेरी चिकनी चूत को चूम रहे थे और चाट रहे थे
असलम मेरी चूत के होठों को चूस कर खड़ा हो गया जब मेरी आंखों असलम की आंखों से मिलीं और मैं इशारों-इशारों में पुछने ही वालीं की क्या बात है
तो मेरी नज़र असलम के शरीर के नीचे पड़ी,
असलम जी का काला मुस्लिम लंड ओह आप उसे लंड नहीं कह सकते असलम जी का 09 - 10 इंच का लौड़ा किसी पागल सांड की तरह हवा में झूल रहा था
असलम जी का लौड़ा किसी बांस की तरह इतना कड़क था अगर मैं उस पर बैठ जाऊं तो उनका लौड़ा मुझे जमीन से उठा कर घुमा दे,
असलम जी मेरे सामने अपने लौड़े को आगे पिछे करते मुस्कुराते बोले
देखो अभी तुम्हारी चूत से मैंने तुम्हारा रस पिया है तो कितनी एनर्जी आ गई,
और अब मेरा लन्ड सीधा तुम्हारी चूत का रस पियेगा तो सोचो तब कितनी एनर्जी मिलेगी,
असलम जी अब पहली बार मेरे सामने चूत शब्द का इस्तमाल किया था,
असलम जी का इस तरह मेरे सामने मेरी चूत लंड की बात कहने पर मुझे बुरा नहीं लगा,
बल्कि एक अलग ही तरह की खुशी थी मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया और मैंने अपना चेहरा घुमा कर बोली
बड़े बेशर्म हो आप कोई करता ही इतनी गंदी बातें तो असलम जी नंगे ही मेरे साथ लेट गए और बड़े प्यार से मेरे चेहरे को सहलाते हुए बोले
कोई करे ना करे पर हम तो करते ही हैं और अब मैं अपनी बेगम साहिबा, गुले गुलज़ार के साथ ही कर रहा हूं,
ऐसी बातें अपनी बेगम साहिबा के साथ करना गुनाह है क्या,
और जब बेगम तुम जैसी हसीन और खूबसूरत हो मज़ा ओर भी बढ़ जाता है
असलम जी; बोलो अपनी बेगम से ऐसी बातें करना गलत है
मैं; मुस्कुरा कर मैने ये तो नहीं कहा पर आप इतने बेशर्म होंगे मुझे नहीं पता था