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Nice update and awesome writing skillsअसलम मेरी चुचियों को मसलते चुसते असलम के हाथों ने कब्ज़ा करके रखा था और मेरी चुत पर असलम की जीभ का कब्ज़ा था,
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मैं मस्ती में सराबोर सिसकारियां निकाल रही थी और मेरी चूत भर भर कर पानी छोड़ रही थी,
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मेरी बुरी हालत समय पर हो गई जब असलम ने मेरी दोनों टांगों को फैला कर ऊपर उठा दिया और अपनी जीभ मेरी चूत में डाल उसे अंदर बाहर करने लगा।
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अब जोश में आकर मेरे होश उड़ गए थे और मेरा खुद पर काबू नहीं रख सकती थी,
मैं बेकाबू हो गई और बोलने लगी, " हाय रे असलम जी, प्लीज जल्दी कुछ करो ना,
नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगी।
असलम ने मुझको अपनी बाहों में भर लिया और मेरे के गालों पर अपने होठों से फिरते बोला ' सुनीता ............ आई लव यू।
सुनीता क्या तुम मुझसे प्यार करती हो तो मैं कुछ नहीं बोली और असलम की छाती में अपना मुंह छुपाए अपनी उंगली से उसकी छती पर लिखने लगी " आई लव यू ।
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मुझे से अब बर्दाश्त करना मुश्किल था क्योंकि मेरी चूत में आग लगी थी मैं खुद असलम से बोली सुनीये ना अभि के अब्बू क्यों तड़पा रहे बुझा तो मेरी आग,
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असलम मेरे चेहरा अपने हाथों से पकड़कर मेरी आंखों में आंखें डाल कर धीरे से मेरी आंखों में देख बोला,
मेरी जान कहा लगी है आग,
तो मैंने शर्म अपनी आंखें झुका ली,
असलम थे कि मुझको चोदने के साथ-साथ मेरे अंदर की शर्म को खत्म करना चाहते थे,
असलम अपने हाथों को मेरी गांड के छेद पर अपनी उंगली रख कर गांड को मसलते बोला,"यहां लगी हैं आग "
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और असलम मेरी की गांड को मसलता हुआ अपने हाथ मेरी गांड के दोनों दरारों के बीच डालता हुआ मेरी चूत की तरफ ले जाने लगें और आहिस्ता से मेरे कान में बोला या फिर यहां,
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मैंने शर्म से अपने दोनों पैरों को कस लिया जब मैं शर्म से कुछ नहीं बोली तो असलम मेरे गांड पर थप्पड़ मारता बोला।
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सुनीता बताओ ना मुझसे कैसे शर्म से मेरी तुम्हारी चूत की आग बुझा दूं या फिर तुम्हारी गांड की ,
सच में मेरी जान तेरी तो गांड बजाने में बड़ा मजा आएगा क्या मस्त तबला है मेरी रानी।'
असलम; वैसे मेरी जान तेरी आग को मैं कैसे शांत करूं बता ना इतना क्यों शर्मा रही हो
असलम; सुनीता क्या तुझे नहीं पता जो तुम कह रहे हो मैं कर तो रहा हूं
वो क्या है ना मेरी जान जब तक चुदाई पूरी तरह खुल कर नहीं जाती कुछ मज़ा नहीं आता और इतना सब कुछ जब हो ही गया तो इस में अब शर्मिंदगी कैसी,
अब तो हम एक ही मैं अब कुछ नहीं जानता तुमको बोलना है,
तो बोलो सुनीता .........
"मैं तेरी आग को कैसे बुझाऊं"
क्या इसे दबाने से और असलम ने अपने एक हाथ मेरी चुचियों पर रख दिया ओर एक बार फिर मेरी चुचियों को मसल दिया............
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मैं अब पूरी तरह से तड़प उठी और खुद असलम का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर ले गई और उसके हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर मसलती बोली,
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सुनीये जी असलम मियां मेरे शौहर इस में अपना लौड़ा डाल कर मेरी और मेरी चूत दोनों की आग को शांत कर दो।