विशाल:-"अभी तक नाश्ता खत्म नहीं हुआ तुम्हारा?"
डैड किचन में घुसते ही बोले. सतिश ने ना में सर हिलाया और नज़र निची कर ली. उसमे इतनी हिम्मत नहीं थी की वह उनकी आंख में आंख दाल कर उनसे बात कर लेता.
विशाल:-"तुम अभी तक तैयार भी नहीं हुए हो?"
सतिश ने ना में सर हिलाया. सतीश शुक्रगुजार था के वो उसकी और नहीं देख रहे थे. वो अपने मग में कॉफ़ी दाल रहे थे.
विशाल:-"बड़ी शर्म की बात है इतना बढिया दिन ऐसे ही बेकार कर देणा" वो बोले. सतिश ने कोई जवाब ना दिया.
तभी मम्मी बाहर वाले दरवाजे से अंदर आई और उनके पास लांड्री की बास्केट थी. मुझे वाशिंग मशीन चल्ने की आवाज़ सुनायी दे रही थी
सानिया:-"आप अपनी कॉफ़ी बाहर लॉन में बैठकर पिएंगे?"
वो डैड की तरफ बढ़ते हुए उनसे पूछती है. डैड के पास पहुंचकर वो अपना चेहरा उनकी तरफ कर लेती है. उस समय वो उसके और डैड के बिच में खड़ी थी और उन्होनो बास्केट अपने पेट् पर दबायी हुयी थी.
डैड चेहरा घुमकार मम्मी को देखते हुए अपना मग उठाकर कॉफी का घूंठ भरते है. सानिया उस समय टेबल से टेक लगाये खड़ी थी.
विशाल:-"हूं....... तुम भी कॉफ़ी लेकर आ जाओ. आज मौसम बढ़िया है"
सानिया:-"हा, में अभी आती हु. मुझे ऊपर अपने कमरे से बस बास्केट में गंदे कपडे ड़ालने हैं ढ़ोने के लिये. फिर में आती हु" सानिया बास्केट की और इशारा करती बोली. बास्केट के कारन सानिया की स्कर्ट पीछे से उसके घुटनो से ऊपर उठ गयी थी. उसकी दायि जांघ पर सतीश के वीर्य की एक गाढ़ी धारा बह्ते हुए उसके घुटनो तक पहुँच गयी थी. सानिया घूमकर उसके पास से निकलर घर के अंदर चलि गयी थी अबतक डर के कारन सतीश का जिस्म कांप रहा था. डैड कॉफी के घूंठ भरते हुए मम्मी को जाते हुए देखते रहे. उसे समझ नहीं आ रहा था वो मम्मी के घुटने पर उस वीर्य की धार को क्यों नहीं देख पाए थे जबके सतीश को सिर्फ वो धारा ही दिखाई दे रही थी जब सानिया वहां से जा रही थी.
फिर इसके बाद दोनों माँ बेटा काफी खुल गये पर पुरी तरह अब भी नही
सतीश सुबह बेड से उठा और उसने शावर लिया. पिछला हफ्ता बड़ा मुश्किल गुज़रा, एक्साम्स फिर नॉनस्टॉप पार्टी जहाँ शराब की नदी बह रही थी. लेकिन ये हफ्ता कुछ अलग है. ठण्डी हवा के झोंके के साथ शुरू हुआ है. सतीश तैयार होकर हॉल में आया... वो आज बेहद खुश है... वो खुश क्यों न हो... जलद ही उसके जीवन का सबसे हसीन और दिलक़श सपना "अपनी बेहद हसीन और सेक्सी मम्मी को चोदने का सपना पूरा जो होने वाला है..." अब वो दिन दूर नहीं जब वो अपनी मम्मी चोदेगा...
वो ये जानता है की वो अपनी मम्मी के पैरों को अपने कंधे पे रख के अपना 9 इंच का लंड..
अपनी मम्मी की चुत में दाल के उसे जम के चोदेगा और उसे पूरी तरहा से तृप्त करेंगा...
उसे इस बात का यकीन है की ऐसा ज़रूर होगा..
उसकी मम्मी किचन में सिंक के पास खड़ी बर्तन धो रही है.
सतीश अपनी मम्मी के पीछे जा के खड़ा हो गया और मम्मी की तरफ झुक के ऊपर कपबोर्ड से कॉर्नफ़्लेक्स का डब्बा निकालने लगा. एक हाथ से उसने कपबोर्ड का दरवाज़ा खोला और दूसरे हाथ से डिब्बे को निकालने की कोशिश करने लगा, इस हालत में उसका बैलेंस बिगड गया और वो अपनी मम्मी के ऊपर गिर गया. जब सतीश अपनी मम्मी पे गिरा उसका सुबह सवेरे का खड़ा लंड उसकी मम्मी के सेक्सी चुत्तड़ में घुस गया.
दोनो मम्मी बेटा इस लंड और चुत्तड़ के अचानक मिलन से चोंक गये.. दोनों ही सेक्स को ले कर बहुत ही संवेदनशील और कामुक है.
सानिया : सतीश...? क्या कर रहा है.?
सतीश खुद को बड़ी मुश्किल से सम्भालता है और सीधा खड़ा होता है..
ईस कोशिश में उसका आधा खड़ा लंड मम्मी के सेक्सी चुत्तड़ पे घिसता है और धीरे धीरे पूरी तरहा खड़ा हो जाता है बिलकुल एक लोहे की रोड की तरह.
सतीश : "सॉरी, मम्मी वो क्या है की जब में नाश्ता करने आया तो मैंने देखा की तुम बर्तन धोने में बिजी हो इस लिए मैंने सोचा क्यों न में खुद नास्ता ले लू. इस लिए में घूसा और कॉर्नफ़्लेक्स का डिब्बा ले रहा था.
सतीश डरते हुए मासूम चेहरा बना के अपनी मम्मी को जवाब देता है.
सानिया : "पर तुम गलत जगह घुस रहे हो. घूसने के लिए ये जगह सही नहीं है. अगली बार थोड़ा ख़याल रखना और सही जगह घुसना गलत जगह नही."
फिर सानिया पीछे मुड़ी और धीरे से मुस्कुराई.
सानिया : मेरे लाल को भूक लगी है? तो मुझे कहता में तुझे नाश्ता नहीं खाना खिला देती. ये ज़रा से नाश्ते में क्या रखा है? खाना ज़्यादा मज़ेदार है. एक बार खायेगा तो रोज़ खाने को मम्मीगेंगा"
सतीश : पर मम्मी मुझे तो तुम्हारा नाश्ता ज़्यादा पसंद है.
सानिया : मेरे लाल नाश्ता तो मजबुरी में किया जाता है जब कई दिनों तक खाना ना मिले तब्.
सतीश : पर मम्मी मुझे तो तुम्हारा नाश्ता बड़ा प्यारा और टेस्टी लगता है.
सानिया : तु ने मेरा स्पेशल खाना टेस्ट नहीं किया इस लिए कह रहा है. एक बार करके के तो देख.
सतीश : ठीक है मम्मी तुम कहती हो तो में वो ज़रूर टेस्ट करुन्गा. प्लीज मुझे दो ना.
सानिया : अभी नही, अभी कुछ दिन तुझे इंतज़ार करना पड़ेगा उस टेस्टी खाने को को चखने के लिये.
सतीश : ऐसा मत कहो मम्मी, ऐसे तो में भूखा रह जाऊंगा. मम्मी प्लीज जब तक मुझे वो टेस्टी खाना नहीं मिलता, तब तक प्लीज तुम मुझे मेरा फेव नाश्ता करने दो.
सानिया : चल ठीक है खा लेना तेरा फेव नाष्टा, तु भी क्या याद करेगा की तेरी मम्मी कितनी दिलदार है.
अपनी मम्मी की बात सुन के सतीश बेहद खुश हो गया और ख़ुशी में उस ने अपने होश खो दिये. और अपनी मम्मी के होठो को चूम लिया. सतीश की इस अचानक हरकत पे सानिया चोंक गयी.