Incest मम्मी मेरी जान

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सतिश ने खुद को भरोसा दिलाया के उनका ध्यान उसके लंड की तरफ जा रहा है. जिस तरह वो निचे की और देखने से कतरा रही थी, उससे वह निश्चित था. और फिर एक बार, जब वो उससे बात करते करते उसकी और घूमि और उसकी नज़र उसके पाजामे के उभार पर पढ़ी तो वो बोलते बोलते रुक गयी और ऐसे ही दो और मौक़ों पर वो किस तरह शर्मा गयी थी. मम्मी को उसके तगड़े लंड का पूरा एहसास था!**
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सतीश अपना पायजामा ऊपर चढता है जब तक्क के वो उसके अंडकोषों तक्क नहीं पहुँच जाता. उसके अण्डकोष उसके सख्त हो रहे लंड के निचे टाइट होते जा रहे थे उसके बारे में सोचना बंद कर' वह जैसे खुद को हुक्म दे रहा था. मगर उस कम्बखत ने उसकी एक न सुनि और ऊपर को झटका मार कर खड़ा हो गया जिससे उसके अंदरवियर में सर्कस का एक मिनी टेंट बन गया.
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सतीश ने पाजामा उतारकर बॉक्ससर्स पहन लिया और एक मैगज़ीन अपनी जांघो के जोड़ पर रख कर निचे जाता है जब वह सीढियाँ उतर रहा था तो खुश्किस्मती से न उसकी मम्मी और न उसके डैड उसकी तरफ देखते है. डैड अख़बार में डुबे हुये थे और बिच बिच में नज़र उठाकर टीवी पर चल रहे प्रोग्राम को देख लेते थे. मम्मी कोई मैगज़ीन पढ़ रही थी और उस मैगज़ीन को उन्होनो अपनी दायि जांघ पर रखा हुआ था जिसे उन्होनो बायीं जांघ पर क्रॉस करके चढ़ाया हुआ था. उनका पांव किसी ट्यून की ताल से ताल मिलाते हिल रहा था जो उनके दिमाग में बज रही थी. सतीश चुपके से आ रहा था ताकि वह अपने माता पिता को डिस्टर्ब न कर दे, बड़े सोफ़े के दूसरे कोने पर बैठ जाता है और अपनी पीठ उसकी साइड से टीका कर अपने पांव उठाकर सोफ़े के ऊपर रख लेता है सानिया सोफ़े के दूसरे सिरे पर बैठि थी और उसका रुख सामने की और था जबकि वह सिरे पर इस प्रकार बैठा था के उसका रुख मम्मी की तरफ था. सतीश अब मैगज़ीन के ऊपर से नज़र उठाकर अपनी मम्मी को देख सकता था. उसका एक हाथ अपने स्याह काले बालों की एक लट से खेल रहा था, यह उसकी ऐसे ही आदत थी जो में जब से होश सम्भाला था, देखता आ रहा था. वो तभी अपने बालों की लट से इस प्रकार खेलति थी जब वो किसी चीज़ पर अपना ध्यान केन्द्रीत करने की कोशिश कर रही होती थी. सतीश की नज़र उसके सुन्दर मुखड़े से हटकर उसके उभरे हुए सीने पर जाती है जो उसके फूलों के प्रिंट वाले ब्लाउज के अंदर उसकी पांव की ताल से ताल मिलाते हिल रहे थे. शूकर था उसने अपनी बाँह पीछे सोफ़े की पुश्त पर रखी हुयी थी जिससे उसके मम्मे बिलकुल उसकी नज़र के सामने थे, बिना किसी रूकावट के.
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सतिश ने एक ढीला सा बॉक्सर्स पहना हुआ था जिसे सतिशने खास कर इसी मौके के लिए चुना था ताकि अगर मम्मी की नज़र उसकी और जाये तो वो लेग से झाँकते उसके मुन्ने के दर्शन जरूर कर ले. मगर उसने उसकी और नहीं देखा. लेकिन इससे सतीश को कोई फरक नहीं पडा. सतिशने अपनी मैगज़ीन मम्मी की और करते हुए उसे पुकारा और एक पिक्चर की और इशारा किया. वो साधारण सी पिक्चर थी मगर असलियत में सतिशने वो मैगज़ीन इतनी निची करके पकड़ी हुयी थी के वो पिक्चर उसके बॉक्सर से झाँकते उसके लंड के सुपडे के बिलकुल करीब थी. ऐसा सम्भव नहीं था के वो पिक्चर देखे मगर उसका ध्यान उसके लंड के सुपाडे की और न जाये. मम्मी अपने हाव-भाव छुपा नहीं सकी. यकीनन उसका ध्यान लंड पर गया था. उसने बॉक्सर्स से झाँकता सतीश का लंड जरूर देखा था.
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इससे भी बढ़कर जब उसने उसके लंड से नज़र हटाकर फिर से ऊपर पिक्चर को देखा तो वो कुछ उद्दिग्न जान पड़ती थी, उसकी आवाज़ में कुछ कम्पन था जब वो अपना ध्यान उस पिक्चर पर केन्द्रीत करने की कोशिह कर रही थी जिसे सतीश अपनी ऊँगली से मार्किंग करते हुए उसे दिखा रहा था. और फिर उसने दोबारा पिक्चर से नज़र हटाकर उसके लंड को देखा. इसके बाद उसने झट्ट से अपना चेहरा अपनी मैगज़ीन पर झुका लिया.
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कुछ समय बाद सतिश ने उसे एक और पिक्चर दिखाने की कोशिश की मगर सानिया ने देखने से इंकार कर दिया. और उससे इतना कहकर पीछा छुडा लिया, सानिया:-"मुझे एक जरूरी आर्टिकल पढना है"
वो तीखे स्वर में बोली थी. वैसे भी, उस समय सतीश को अपने तगड़े लंड को छुपाने के लिए अपने बॉक्सर पर अपनी मैगज़ीन रखणी पढ़ रही थी जिसने उसके बॉक्सर में तूफ़ान खड़ा किया हुआ था. कुछ मिनट्स के बाद सतीश मुंह घुमाकर सीधा अपने रूम में गया और बाथरूम में जाकर अपने लंड को बेरहमी से तब तक पीटता रहा जब तक के उसने बाल्टी भर वीर्य से पूरे बाथरूम को गन्दा न कर दिया.
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दूसरे दिन नाश्ते के समय सानिया का मूड उखडा हुआ था. सतीश नाश्ता करने में जनबुजकर देर लगा रहा था और सतिश ने अपनी कुरसी घुमाकर उसका रुख टेबल की बजाये किचन के सेंटर की और कर दिया. सतीश कुरसी पर थोड़ा सा पीछे को झुक गया और अपनी टांगे चौड़ी कर लि, कुछ इस तरह के सतीश का पायजामा उसके लंड और अंडकोषों पर बेहद टाइट हो गया
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और निचे अंदरवियर न पहने होने के कारन वहां से काफी कुछ देखा जा सकता था. जब डैड ने न्यूज़पेपर का पन्ना पलटा और उसे उठाकर अपने चेहरे के नज़्दीक कर लिया ताकि वो उसे आराम से पढ़ सके तब सानिया ने सतीश की जांघो के बिच कई बार नज़र डाली वो अपनी तरफ से बेहद्द तेज़ी से चोरी-चोरी नज़र डालती थी मगर सतीश की तेज़ नज़रों से वो बच नहि सकी और इस बात को जानते हुये की उसकी चोरी पकड़ी गयी है वो गुस्सा हो रही थी. मगर इस सब के बावजूद वो खुद को उसके लंड की और कई बार नज़रें उठाने से रोक न पायी. कुछ समय बाद वो घर के पिछवाड़े में चलि गयी जहा वो कपडे धोती थी. सतीश भी कुछ देर बाद उसके पीछे वहा चला गया. वो अभी वाशिंग मशीन में कपडे डाल रही थी और बास्केट को खाली कर रही थी जब सतीश वहा पहुँच गया. उसका स्कर्ट उसके गोल मटोल उभरे नितम्बो के कारन उसकी गांड पर कसा हुआ था और उसमे से उसकी पेन्टी के बाहरी सिरे आराम से देखे जा सकते थे. वो सीधी खड़ी हो गयी और अपने कुल्हों पर हाथ रखकर सीधे अपने बेटे से बोलि,

सानिया:- "क्या चाहिए तुम्हे?"
इतना कुछ होने के बाद उनके इतने कढ़े स्वर से सतीश थोड़ा हैरत में पड़ गया.
सतीश:-"कुछ नहीं मम्मी, में आपको अपना पायजामा धोने के लिए देणे आया था."
सतिशने ठन्डे स्वर में बोलते हुए निचे अपनी जांघो के जोड की और इशारा किया जहा ऑरेंज जूस गिरा हुआ था. मम्मी की नज़र बेटे की नज़र का पीछा करती निचे आई जहा उसके सख्त लंड के उभार के ऊपर ऑरेंज जूस का धब्बा पड़ा हुआ था. वो जितना जरूरी था उसके कहीं अधिक समय तक पाजामे में उसके उभार को देखति रही और इससे सतीश की उत्तेजना और भी बढ़ गयी थी. उसके लंड ने पाजामे में झटके मारने सुरु कर दिए थे. सतीश उनके चेहरे से देख सकता था के उन्हे एहसास था के वो जरूरत से ज्यादा समय तक देखति रही थी और उसे इसका पता था. वो झुक कर ड्रायर में सुखाने के लिए ताज़ा धुले हुये कपडे ड़ालने लगी. सतीश की नज़र फिर से उसकी उभरि हुई गोल मटोल गांड पर चलि गयी.
सानिया:-"अपना पायजामा उतार कर यहाँ दाल दो"
सानिया तीखे स्वर में फर्श पर गंदे कपडों के ढेर की और इशारा करते हुये बोली. तब सतिशने वो किया जिसके बारे में सानिया ने कभी सोचा तक नहीं होगा, उसने क्या खुद सतिशने कभी ऐसी हिमाक़त करने के बारे में नहीं सोचा था. सतिशने अपना पायजामा पकड़ा और उसे उतार कर फर्श पर कपड़ों के ढेर में फेंक दिया. जैसे ही सतीश का पायजामा उस ढेर में गिरा ऐसा लगा जैसे समय की रफ़्तार बहुत धीमि हो गयी है. सतीश एक टी-शर्ट पहने खड़ा था और कमर से निचे पूरा नंगा था. सतीश का सख्त लंड हवा में झटके खा रहा था और मम्मी ड्रायर में कपडे ड़ालना रोक कर फर्श पर कपड़ों के ढेर की और सर घुमाति है, सानिया वहां पड़े सतीश के पयजामे की मोजुदगी को समझने की कोशिह कर रही थी. धीरे बहुत धीरे, उसकी ऑंखे और सर ऊपर की और उठने लगता है, उसके पांव से बेटे की टांगे और फिर अंत में उसकी नज़र अपने बेटे के पूरी तरह कठोर लंड पर जाकार अटक जाती है. वो उसके लंड की और इस तरह घूर रही थी जैसे वो उस बात को निश्चित करना चाहती थी जो बात उसका दिमाग उसे बता रहा था के सतिशने अपना पायजामा उतार दिया है. उसके लंड की अकडन और भी बढ़ गयी जब सतिशने उसकी ऑंखे फ़ैलती देखि. तब वह दोनों उस स्वप्न से जाग गये और समय वापस अपनी रफ़्तार से चलने लगा. वाशिंग मशीन का वॉशर भर चुका था और उसने कपडे ढ़ोने के लिए पहला चक्कर लगाना सुरु कर दिया. मम्मी झटके से सीधी खड़ी हो गयी.
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सानिया:-"येह तुम क्या कर रहे हो? होश में तो हो?" वो फुसफुसा कर बोली.
सतीश:-"तुमने खुद ही तो कहा था उतार कर गंदे कपड़ों में दाल दुं."
सतिशने ऐसे जबरदस्त तनावपूर्ण माहोल के बावजूद अत्यंत शांत स्वर में उसे जवाब दिया जैसे वहां कुछ भी ऐसा वैसा नहीं हुआ था और सब नार्मल था.
सानिया:-"मेरे कहने का मतलब अभी से नहीं था. मैंने यह नहीं कहा था के अभी अपना पायजामा उतार कर मेरे सामने नंगे हो जाओ"
सानिया ऊँचे स्वर में बोलती है. सतीश उसकी तरफ मासुमियत से देखता है जैसे के उसे कुछ मालूम ही नहीं था के कोलाहल किस बात के लिए मचा हुआ है. सानिया का चेहरा कठोर रुख धरण कर जाता है जैसे उसने कोई सख्त फैसला लिया हो.
सानिया:-"ठीक है अगर तुम मेरे मुंह से कहलवाना चाहते हो तो ऐसे ही सही. तुम्हे अपनी यह घटिया हरकतें बंद करनी होंगी!" वो उसके अंदेशे को सच करती हुयी बोली.
सानिया:-"तुम चाहते हो के में तुम्हारे डैड को यहाँ बुलाऊ?"
सतिश ने उसके दिखावे से न डरते हुये लापरवाही से अपने कंधे झटक दिये.
सानिया:-"अपना पायजामा इसी समय वापस पहनो वर्ना में इसी समय तुम्हारे डैड को बुला रही हु"
सानिया ने अपनी बात पर ज़ोर डालने के लिए अपना हाथ फर्श पर पढ़े उसके पाजामे की और झटका मगर जल्दबाज़ी में उसकी हथेली का पिछला भाग उसके कठोर लंड से टकरा गया. सानिया उस स्पर्श से कांप उठि और उसने फ़ौरन अपना हाथ झटक दिया. वो उसके एक तरफ से घूम कर घर के अंदर को जाने लगी मगर सतीश एक दम से पीछे होकर उसके रस्ते में और दरवाजे के बिच खड़ा हो गया.
सतीश:-"मगर उसे कैसे पह्नु, वो गन्दा है" सतिशने उससे कहा.
सानिया:-"तो कोई साफ़ कपड़ा पहन लो"
सतीश ने धुले कपड़ों की बास्केट को इस तरह देखा के उसे एहसास हो जाये के यह काम उसके बस से बाहर का था. हताश होकर सानिया खुद धुले कपड़ों की बास्केट में से उसके पेहनने के लिए कुछ ढूंडने लगी और आखिरकार उसने एक धुला हुआ पायजामा निकाल कर अपने बेटे की और बढा दिया. सतिश ने मम्मी के हाथ से पायजामा लिया और झुक कर उसमे एक एक कर अपने दोनों पांव डालने लगा. और फिर धीरे धीरे खड़ा होते हुये पायजामा भी अपने साथ ऊपर चढाने लगा. सतीश उस समय रुका जब पयजामे का वेस्टबैंड उसके अंडकोषों से रगड खता हुआ उसके लंड के नीचले हिस्से को दबाने लगा जिस कारन सतीश का लंड हलके हलके आगे पीछे झुलने लगा. सानिया की नज़र सीधे उसके लंड पर टिकी हुयी थी और वो उसकी हर उछाल को धयानपूर्वक देख रही थी.
सतीश:-"मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगेगा अगर तुम इसे देखोगी"
सतीश नरम स्वर में बोला.
सतीश:-"मुझे मालूम है यह डैड वाले से कहीं ज्यादा अच्छा है"
सानिया ने धीरे से सहमति के अंदाज़ में सर हिलाया जैसे वो अपने दिमाग में किसी बात का जवाब दे रही थी न के जो सतिश ने कहा था उसके बारे में. फिर वो नज़र उठकर अपने बेटे को देखति है.
सानिया:-"येह तुम क्या कर रहे हो बेटा? आखिर तुम्हारा ईरादा क्या है?"
सतीश:-"मैं बस चाहता हु के तुम इसे देखो"
सानिया:-"मगर क्यों?"
सतीश:-"मुझे नहीं मालुम्. मैं बस चाहता हु"
सतिशने कहा. सानिया ने सर हिलाया जैसे वो सतीश का मतलब समझ गयी हो.
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सानिया:-"अब इसे ढको और यहाँ से जाओ. मुझे अपना का काम करने दो." वो बोली.
सतीश:-"मैं चला जाऊंगा अगर तुम इसे अपने हाथों से मेरे पायजामे में दाल दो" अपनी पिछली हरकतों से उत्साहित होकर सतिश ने जवाबी वार किया. सानिया ने ठण्डी आह भरी और उसके पायजामे में उँगलियाँ फँसकर उसे ऊपर खीँचा. वेस्टबैंड के दवाब के कारन सतीश का लंड उसके पेट् से चिपक गया था, सानिया ने अपने हाथ सतीश की त्वचा से स्पर्श नहीं होने दिए थे. सानिया दो कदम पीछे हट गयी और सतीश के रस्ते से हट जाने का इंतज़ार करने लगी. सतिश ने निचे देखा. उसके लंड का पूरा सुपाडा बाहर था.
सतीश:-"तुम बस इतना ही कर सकती हो?" सतिश ने पुछा.
सानिया निचे देखने लगी.
सानिया:-"हूं"
उसने धीरे से कहा.
सतीश:-"ठीक है"
कहकर सतीश वहा से चला आया.
इसके बाद जैसे उसे मौन आज्ञा मिल गयी थी के जब भी डैड आसपास न हो या उनके साथ कमरे में न हो वह अपने लंड का प्रदर्शन कर सकता था. सानिया ने भी देख कर न देखने का अपना स्वभाव बदल कर उसे पूरी तरह नज़रअंदाज़ करना सुरु कर दिया.
अगर वो कभी देखति थी तो ऐसे दिखावा करती थी जैसे यह कोई बड़ी बात नहीं थी और उसे अपनी इस बचकाना हरकत से पीछा छुड़ा लेना चाहिए था.
कयी दिनों के लंड प्रदर्शन के बाद अगले शनिवार को नाश्ते पर सतिश ने डैड के किचन से चले जाने तक का इंतज़ार किया. जैसे ही वो किचन से बाहर निकले और सतिश ने सीढ़ियों पर उनके कदमो की आवाज़ सुनि, सतिश ने अपना पायजामा निचे किया और अपना लंड बाहर निकाल लिया और सानिया को देखकर मुस्कराने लगा. सतीश से इंतज़र नहीं हो रहा था के वो पलट कर उसके लंड को देखे. अखिरकार उसने कुछ समय के बाद देखा, हालांकि असलियत में वह अच्छी तरह से जानता था के उसे उसके लंड के नंगे होने का उसी सेकंड पता चल गया था जिस सेकंड सतिश ने अपना पायजामा निचे खिसकाय था.
सानिया:-"भगवान के लिये, आखिर तुम कब इस हरकत से बाज आओगे?"
सतीश:-"किस हरकत से?"
सतिश ने हँसते हुये कहा. सतिश ने कुरसी पर अपने कुल्हे हिलाते हुये कहा जिससे सतीश का लंड गोलाई में चक्कर काटने लगा. उसके अस्चर्य की सीमा न रही जब सानिया भी हंस पड़ी, वो सच में हँसी थी.
सानिया:-"ईस हरकत से"
वो उसके झूलते हुए लंड की और इशारा करके बोली.
सतीश:-"कभी नही."
सतिश ने उसे जवाब दिया.
सतीश:-"मेरी हमेशा से ख़्वाहिश रही है के आप एक बड़े वाले को देख सके."
उसकी बात से सानिया का चेहरा सुर्ख लाल हो गया.
सानिया:-"तुम्हारे लिए यही अच्छा होगा के अपने डैड के आने से पहले इसे धक् लो"
सतीश:-"क्यों?" सतिश ने उससे पुछा.
सतीश:-"मुझे परवाह नहीं अगर वो देख ले" सतिश ने हवा बनाते हुए कहा जबकि वह अच्छी तरह से जानता था के डैड उसकी क्या दुर्गति कर सकते थे.
सानिया:-"तुम बस इसे धक् लो"
सानिया ने जोर देकर कहा तो सतिश ने इंकार में सर हिलाया.
सानिया:-"मैं इसे नहीं ढकने वालि"
सानिया ने ज़ोर देकर कहा. उसका इशारा लांड्री रूम के उस दिन के वाकये की और था.
सतीश:-"मैं इसे खुद धक् लूँगा अगर तुम मुझे अपनी टांगे दिखाओगी तोह्....." सतिश ने समझौता करते हुए कहा.
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सतीश : मम्मी में यहाँ इतना परेशान हूँ और आप हो की हस् रही हो.
सानिया : अरे मेरे लंड राज नाराज़ मत हो. रुक में अभी तेरी परेशानी दूर करती हूं.
ये कह के सानिया दरवाज़े तक जाती है और दरवाज़ा खोल के अपने पति से कहती है. "सतीश को अर्जेंट बाथरूम जाना पड़ गया है, ५ मीनट में आ रहा है.
फिर सानिया दरवाज़ा बंद कर के वापिस आ जाती है.
सानिया : चलो. अब तुम मुठ मार सकते हो, हाँ लेकिन सिर्फ एक बार वो भी अभी.
सतीश मम्मी की बात सुन के बाथरूम की तरफ जाने लगता है.
सानिया : सतीश कहाँ चले... अपना लंड हिलाते हुए...?
सतीश : बाथरूम मे... मुठ मारने...
सानिया : जी नही... अगर तुम्हे मुठ मार्नी है तो यहीं मारो मेरे सामणे.
सतीश : पर मम्मी.. मैं तुम्हारे सामने कैसे मुठ मार सकता हूँ?
सानिया : क्यों मेरे सामने मुठ मारने में तुझे क्या प्रॉब्लम है?
सतीश : मुझे शर्म आ रही है. मैं अपनी मम्मी के सामने कैसे मुठ मार सकता हूँ
सानिया : क्यूँ अपनी मम्मी की गांड में अपना लंड घुसाने में, अपनी मम्मी को नंगी देखने में, अपनी मम्मी की स्तन दबाने में तुझे शर्म नहीं आई, मम्मी के सामने मुठ मारने में तुझे शर्म आ रही है.
सानिया : मुझे कुछ नहीं सुन ना अगर तुझे मुठ मारनी है तो मेरे सामने मार, वरना रहने दे, मुझे तुम को मुठ मारते हुए देखना है. और वैसे भी में ही वो हूँ जिसकी वजह से तेरा लंड खड़ा हुआ है. अब तू मेरे लिए इतना तो कर ही सकता है. चल अब देर मत कर जल्दी से शुरू हो जा ज़यादा वक़्त नहीं है तेरे पास.
ये कह के सानिया मुस्कुराने लगी. पहले से भी कहीं ज़्यादा वीर्य उसकी चुत से बहने लगा.
सतीश भी बहुत उत्तेजित था, उस ने शरमाते हुए अपना लंड हाथ में पकड़ा और आगे पीछे करते हुए मुठ मारने लगा.
सानिया मस्ती में पीछ मुड़ी और उसने अपनी पेन्टी निकल दि. फिर आगे झुक के उसने अपनी स्कर्ट को कमर तक उठा दिया और अपने दोनों हाथों से अपने चुत्तड़ को फ़ैलाते हुए अपनी गांड का हसीन छेद और अपनी सेक्सी चुत अपने बेटे को दिखाने लगी.
अपनी मम्मी की सेक्सी गांड और चुत देख के सतीश की मस्ती दुगनी हो गयी, वो और भी तेज़ी में अपना लंड हिलाने लगा.
सतीश : ओह, माँ, तुम्हारी गांड और चुत का ये हसीन नज़ारा मुझे पागल बना रहा है, मैं झड़ने के करीब हु. आह... ओह... है मम्मी मेरा वीर्य अब बस निकलने वाला है.
अपने बेटे की बात सुन के सानिया फ़ौरन बेटे के सामने ज़मीन पे बैठ जाती है.
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सानिया : हाँ मेरे बेटे.. मेरे लाल.. निकालो अपना वीर्य अपनी मम्मी के नाम पर. कम फॉर मि, बेबी, ये देखो मेरी चुत...
ईसी चुत से एक दिन तुम निकले थे... और इसी चुत में एक दिन तुम्हे अपना ये लंड घूसा ना है.
सतीश : ओह... मम्मी.. में गया... मेरा वीर्य.... निकल रहा है...
सतीश के लंड से वीर्य की पिचकारी निकल के उसकी मम्मी की खुली हुई चुत और टांगो पे गिरने लगती है..
अपणे बेटे के गरमा गरम वीर्य को अपनी चुत पे महसुस करके सानिया भी मस्ती में झड़ने लगती है.
आएहा हा... ओमामम... सतीश में भी गयी...
दोनो माँ बेटा साथ में झड़ने लगते है.
धीरे धीरे जब दोनों के मस्ती कम होती है तो...
सानिया : ओह, सतीश.. मज़ा आ गया. ऐसा नज़ारा आज तक मैंने कभी नहीं कहीं नहीं देखा है. इतनी मस्ती मुझे आज तक कभी नहीं चढि... आज पहली बार में बिना अपनी चुत को छुये झड गयी. इतना मज़ा मुझे आज तक नहीं मिला. तुम्हारे लंड से जितना वीर्य निकला है इतना वीर्य तो मैंने कभी नहीं देखा. मेरा दिल चाह रहा है की में अपने बेटे के लंड को अपने हाथ में ले के खूब रगडू. उसका वीर्य एक बार फिर से निकलते हुए देखुं. तुम ने अपने स्टाइल से हमारे बीच में ये "ईन्सेस्ट सेक्स गेम" शुरू किया था अब में इसे अपने स्टाइल से आगे बड़ाऊँगी.
ये गेम हम दोनों को हद से भी ज़्यादा मज़ा देगा. हम वो सब करेंगे जो की इस दुनिया में एक मर्द और औरत के बीच में होता है.
एंसेस्, किंकि, फैटिश्. एनल, गोल्डन शावर और न जाने क्या क्या... हम सारी हद पार कर देंगे.
मुझे पता है की मम्मी को अपने बेटे के साथ ये सब नहीं करना चहिये, लेकिन में शौक से तुम्हे ये सब सिखाना चाहूँगी, तुम्हे तड़पाऊंगी, तरसाउंगी. तुम्हे जी भर के प्यार करुँगी. वो दिन भी जलद ही आएगा जब में तुम्हे अपनी चुत चोद ने दूंगी. तुम क्या सोचते हो इस बारे में?
 

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