Update 25
☆ Chapter : Totka todna ☆
अब तक............
युग : "ये आवाज तो कहीं सुनी-सुनी लग रही है...अरे हाँ ये आवाज तो यामिनी की है।"
यामिनी : "अरे बाबू फिर सोच में डूब गये, आप ना बहुत सोचते है, अब ओ ज्यादा मत सोचिये और इन मछली के दो सौ रूपए हुए है फटा फट दे दीजिए।"
रिंगटोन सुनकर ही अभिमन्यु समझ जाता है कि जरूर बिन्दू का ही फोन होगा, वो सोचने लग जाता है कि फोन कैसे उठाए यदि बिन्दू ने उससे कायर के बारे में पूछ लिया तो वो क्या जवाब देगा......?
अब आगे.............
कायर का फोन लगातार बजे जा रहा था और अभि के कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो फोन कैसे उठाए और बिन्दु को क्या जवाब दे। अभि कुछ फैसला कर पाता उससे पहले ही वहाँ पर युग आ जाता है। जब युग कमरे के अंदर घुसता है और देखता है कि कायर का फोन बज रहा है तो वो उसका फोन
उठाते हुए कहता है..........
युग : "यार अभि ये तू क्या कर रहा है, जब से फोन बज रहा है तो उसे उठा क्यों नहीं रहा है ये तेरे हाथ के
पास ही तो रखा हुआ है...?"
इतना कहकर युग फोन उठाने लग जाता है तभी अभि उसे रोकते हुए कहता है.........
अभी : "अरे रूक जा मेरे भाई, फोन मत
उठा।"
अभि युग को रोक पाता उससे पहले ही युग फोन उठा
ल
अभी : "ये क्या किया युग तुने बिन्दु का फोन क्यों उठा लिया, मैं जब से इसलिए नहीं उठा रहा था कि बिन्दु सुबह से दो-तीन बार कॉल कर चुकी है और हर बार वो कायर के बारे में ही पूछती है, मैं बहुत टाल चुका
हूँ पर अब समझ नहीं आता क्या बोलू इसलिए फोन नहीं उठा रहा था।"
युग परेशान होते हुए कहता है........
युग : "अब क्या करूँ यार, फोन तो उठा लिया कुछ ना कुछ तो बोलना पड़ेगा वरना उसको टेंशन हो जाएगी वो समझ जाएगी कुछ ना कुछ गड़बड़ है।"
फोन के अदंर से बिन्दु की आवाज आती है.......
बिंदु : "हैलो कायर
तुमी कुछ बोल्बे की ना बोल्बे।" ( हेलो कायर तुम कुछ बोलोगे या नहीं बोलोगे )
युग अभि को फोन देते हुए कहता है.........
युग : "मैं तो बात नहीं कर रहा, यार तू ही कर।"
अभि वापस से युग को फोन थमाते हुए कहता है......
अभी : "ना बाबा ना मैं तो नहीं करने वाला, सुबह से बहुत झूठ बोल चुका हूँ अब और नहीं बोल सकता।"
बिन्दु की फिर फोन के अंदर से आवाज आती है.......
बिंदु : "तुमी कुछी बोल्छे ना केनो।" ( तुम कुछ बोलोगे या नहीं )
युग काँपते हुए मिक ऑन करता है और कहता है......
युग : "हैलो हाँ बिन्दू बोलो।"
फोन के अंदर से हैरानी के साथ बिन्दु की आवाज सुनाई देती
है
बिंदु : "कायर ये तुम्हारी आवाज को क्या हुआ, ये इतनी भारी क्यों लग रही है....?"
युग : "मैं कायर नहीं युग बोल रहा हूँ बिन्दू।"
बिंदु : "अच्छा युग तुम हो, तो फिर कायर कहाँ पर है.....?"
युग : "वो बिन्दु कायर तो वॉशरूम में है।"
बिंदु : "क्या कहा वॉशरूम में! वो आज दिन भर से वॉशरूम में ही है क्या, अभी कुछ देर पहले अभिमन्यु ने फोन उठाया था वो भी यही कह रहा था कि कायर वॉशरूम में है।"
युग सोचने लग जाता है वो क्या जवाब दे तभी वो झट से कहता है.........
युग : "वो क्या है ना रात को उसने कुछ खराब खा लिया था इसलिए उसका पेट खराब हो गया इसलिए सुबह से ही वो वॉशरूम के चक्कर लगा रहा है।"
बिंदु : "अच्छा ऐसा है, तो ठीक है जब वो आए तो उससे मेरी बात कराना।"
युग : "उससे तुम्हे कुछ जरूरी काम था क्या?"
बिंदु : "काम तो नहीं पर कुछ बात करनी थी।"
बिंदु : "अरे वही तो पूछ रहा हूँ बिन्दू क्या बात करनी है...?"
कुछ देर रूककर बिन्दु धीरे से कहती है......
बिंदु : "तुम उसे बताओगे तो नहीं ना...?"
युग : "अरे नहीं बताउँगा तुम बेफ्रिक होकर बोलो।"
बिंदु : "वैसे मुझे कायर से कुछ काम नहीं था बस उसकी याद आ रही थी।"
युग : "क्या कहा याद आ रही थी! ओए होय क्या बात है।"
बिंदु : "हाँ, वो क्या है ना मेरी कायर से रोज किसी ना किसी बहाने से बात होते रहती है पर आज सुबह से ही कुछ बात नहीं हुई तो बहुत
अजीब लग रहा था इसलिए सोचा उससे बात कर लू।"
युग : "पर कायर के सामने तो तुम ऐसा कुछ नहीं करती बल्कि उसके सामने तो तुम उसी बेज्जती करते रहती हो, उसे घास तक नहीं डालती।"
बिंदु : "वो उसकी भलाई के लिए युग, तुमने देखा है ना वो कुछ काम नहीं करता बस दिन भर बैठकर शायरियाँ लिखा करता है, अब उसे कौन समझाए शायरी लिखने से दिल तो भर जाता है पर पेट नहीं भरता, जिन्दगी जीने के लिए कुछ ना कुछ करना ही
पड़ता है, ऐसे लाईफ आगे नहीं बढ़ती।"
युग : "हाँ तुम सही कह रही हो, काश ये चीज मेरे पापा को भी पता होती तो आज मेरी ऐसी हालत नहीं हो रही होती "
बिंदु : "मतलब...?"
युग बात को पलटते हुए कहता है.......
युग : "कुछ नहीं मैं तुम्हारी बात करवाता हूँ कायर से जब वो आता है, अच्छा अब मैं रखता हूँ मुझे कुछ काम है।"
बिंदु : "हाँ ठीक है, जल्दी बात करवाना।"
युग फोन कट कर देता है। जैसे ही युग फोन कट करता है
कायर कि फिर बड़बड़ाने की आवाज सुनाई देती है......
कायर : "अमोदिता... मेरी अमोदिता कहाँ पर है, मेरी अमोदिता मुझे उससे शादी करनी है, बुलाओ मेरी अमोदिता को।"
अभि अपने हाथो से कायर का मुँह बंद करते हुए कहता
है..........
अभी : "चुप हो जा अमोदिता के दीवाने, रूक जा करवा रहा हूँ तेरी अमोदिता से शादी।"
युग : "ये अभी तक ठीक नहीं हुआ क्या....?"
अभी : "तुझे ठीक लग रहा है क्या..?"
युग : "लग तो नहीं रहा, अच्छा हुआ मै मेडिसीन ले आया इसे जल्दी से खिला देते है।"
इतना कहकर युग मछली वाली पॉलिथीन टेबल पर रखता है और अपनी शर्ट की पोकटे में से मेडिसीन निकालकर अभि को दे देता है। अभि कायर को वो मेडिसीन जैसे तैसे खिला देता है और कुछ ही देर में कायर सो जाता है। अभि और युग कायर को सुलाने के बाद अभी आराम ही कर रहे थे कि तभी
अभि की नज़र टेबल पर पड़ी पॉलीथीन पर पड़ती है।
अभि युग से पूछता है........
अभी : "इस पॉलिथीन के अंदर क्या है?"
युग : "अरे इसके अंदर भूंजी हुई मछली है।"
अभी : "क्या कहा भूंजी हुई मछली! ये कहाँ मिल गयी तुझे?"
युग : "अरे ये अपना रौंगकामुचा घाट है ना वहीं पर मिली, यामिनी बेच रही थी गर्मा-गर्म तो मैं ले आया।"
अभिमन्यु युग के मजे लेते हुए कहता है.......
अभी : "तुझे बड़ी यामिनी मिलती है, कभी कुँए के पास तो कभी घाट के पास, मुझे भी मिला जरा मैं भी तो देखू कौन है यामिनी जिसने हमारे युग की
एक्स गर्लफ्रेंड शालिनी भाभी को भूला दिया है।"
अभि की बात सुनकर युग का चेहरा उतर जाता है और वो नाराज़गी के साथ कहता है.......
युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो
गया, मैंने कहा ना तुझे शालिनी को भाभी मत बोला कर, हमारा बहुत पहले ब्रेकअप हो चुका है।"
अभी : "हाँ भाई नहीं बोलूगा, वैसे भी अब शालिनी की जगह यामिनी जो मिल गयी है तुझे, अब तो यामिनी ही मेरी भाभी बनेगी।"
युग अभि को आँख दिखाते हुए कहता है......
युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो गया, एक बात हमेशा याद रखना शालिनी अब मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है तो क्या हुआ पर उसकी जगह मेरी जिन्दगी में कोई लड़की नहीं ले सकती।"
अभी : "ऐसा क्यों, आखिर क्या था शालिनी में ऐसा जो किसी और में नहीं, ब्रेकअप हो गया है तो उसे भूल क्यों नहीं जाता जिन्दगी में आगे बढ़...?"
युग अभिमन्यु की आँखो में देखते हुए कहता है.....
युग : "पहले प्यार को कभी भुलाया नहीं जा सकता अभिमन्यु, First Love is Your Last Love अगर उसके बाद कुछ होता भी है तो वो सिर्फ समझोता है और कुछ नहीं"
अभी : "यार तू ना बाते मत घूमा, ये बता कि आखिर हुआ क्या था तुम्हारे बीच किस बात को लेकर ब्रेकअप हो गया था?"
युग : "यार अभी ना मैं कुछ नहीं बताना चाहता, जब तुने ना शालिनी का जिक्र करके मेरा पूरा मूड ऑफ कर दिया है।"
युग अभि से बाते ही कर रहा था कि तभी अभि के
मोबाईल पर एक नोटीफिकेशन आता है जिसमे लिखा हुआ था
इस पूर्णिमा करे ये ऊपाय होगा ग्रहो का दोष दूर ।
जैसे-जैसे अभि नोटिफिकेसन पढ़ते जा रहा था उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदलते जा रहे थे।
अभि नोटिफिकेशन पढ़ते हुए कहता है......
अभी : "अरे शिट! ये कैसे हो गया"
युग : "क्या हुआ, ये तेरे चेहरे पर बारह क्यों बज रहे है...?"
अभि हिचकिचाते हुए कहता है........
अभी : "या........ यार गड़बड़ हो गयी।"
युग : "गड़बड़ हो गयी! कैसी गड़बड़....?"
अभी : "यार मुझसे ना एक बहुत बड़ी गलती हो गयी, मुझे लग रहा था कि अमावस्या तीन दिन बाद है पर वो तीन दिन बाद नहीं बल्कि कल ही है।"
युग अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.......
युग : "क्या!"
अभी : "हाँ यार मुझे भी अभी पता चला, पता नहीं ये गलती कैसे हो गयी, आज से पहले हर पूर्णिमा और अमावस्या की डेट याद रहती थी पर बस इस बार गलती हो गयी।"
युग : "इसका मतलब हमारे पास सिर्फ आज रात तक का ही वक्त है ये पता लगाने के लिए कि यक्षिणी इसी ग्रेव्यार्ड कोठी में है या नहीं, और यदि है तो किस कमरे में।"
अभी : "हाँ यार।"
युग : "ये तो बड़ी प्रॉबल्म हो गयी, एक तो वैसे ही ये कायर की
ऐसी हालत है और अब यक्षिणी के बारे में भी आज रात को ही पता करना है प्रॉब्लम तो बढ़ते जा रही है यार; अभिमन्यु तू ही बता कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में......?"
अभी : "जरा सोचने दे यार मुझे, अभी मेरे दिमाग में भी कुछ आईडिया नहीं आ रहा है । "
युग : "सोच ले हमारे पास बस रात तक का ही वक्त है, उससे पहले कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा वरना यदि यक्षिणी ने किसी को अपना शिकार बना लिया तो प्रॉब्लम हो जाएगी।"
अभी : "हाँ मैं सोचता हूँ कुछ, तू फिक्र मत कर।"
इस तरफ हवेली मै काव्या अपने बेड पर पेट के बाल लेती हुयी थी और उसके हाथों मै उसका मोबाइल था और वो किसी के नंबर पर कॉल करने के लिए सोच रही थी वो बार-बार नम्बर को देखती और उसको कॉल करने के लिए कॉल ऑप्शन पर क्लिक करने जाती पर कुछ सोच कर क्लिक नहीं करती.......
काव्या : ( मन मै ) कॉल करू या ना करू पता नहीं मेरा कॉल उठाएगा भी या नहीं, अगर उठा लिया तो, नहीं नहीं मै उससे कोई बात नहीं करने वाली, वो फिर से वही सब बाते करने लगेगा पता नहीं कब ये लड़का सुधरेगा
काव्या ये ही अपने मन ही मन मै बड़बड़ाते हुये खुद से बात करती है तभी उसे कल की दरिषय याद आने लग जाती है कैसे युग उसे ग्रेवयाद कोठी मै दरवाजे से भीड़ा कर उसकी कमर पर अपना हाथ लगता है और उसकी चूची को घूरते हुये कहता है........
( युग : आप को किया लगता है मै आप के थप्पड़ से डर जाऊँगा कभी नहीं आप की मोम नै जो मेरे साथ किया है मै उसका बदला जरूर लूंगा मै बिना चुदे उन्हें नहीं छोड़ने वाला समझी ना आप
युग : और रही आप की बात तो आप अब बड़ी हो गयी है और आप की भी अब बड़ी बड़ी हो गयी है ऐसा ना हो की माँ से पहले बेटी को चुदना पड़े इसलिए मेरे बिच मै मत आना )
कल का दरिषय याद करते हुये काव्या का चहेरा गुस्से मै लाल हो गया था और वो गुस्से मै बड़बड़ाते हुये कहती है..........
काव्या : बिच मै तो मै आयूंगी ही युग बिच मै आउंगी युग वो मेरी मोम है मेरी मोम तुम भले ही अब उनको अपनी मोम ना मानो मगर मै बिच मै आउंगी अब मै तुमको कल बताती हु काव्या कौन है
रात हो चुकी थी और रात के बारह बज रहे थे, अमोदिता और रजनी तहखाने में बैठी हुई थी। दोनो के सामने ही एक यंत्र बना हुआ था जिसके अंदर एक गोला था और उसके अंदर स्टार।
स्टार के तीनो कोनो पर एक-एक आटे के दीये बने हुए रखे हुए थे। जो जले हुए नहीं थे। रजनी और अमोदिता वहाँ पर करीब एक घंटे से बैठी हुई थी। जब से रजनी वहाँ पर आयी थी उसने
कुछ नहीं बोला था, बस वो अपनी तंत्र मंत्र यंत्र किताब के पेज पलटाये जा रही थी। एक गहरा सन्नाटा तहखाने के अदंर छाया
हुआ था।
अमोदिता सन्नाटे को तोड़ते हुए कहती है........
आमोदिता : "मोम आप कुछ बोलोगी भी या नहीं, या फिर रात भर बस इस किताब के पेज पलटाते रहोगी......?"
रजनी अमोदिता की बात का कुछ जवाब नहीं देती है, वो अभी भी बस किताब के पेज पलटाए जा रही थी।
अमोदिता फिर रजनी पर दबाव बनाते हुए कहती है......
आमोदिता : "मोम मैं कुछ पूछ रही हूँ तुमसे, बताओ ना कैसे तोड़ते है वशीकरण टोटका....?"
रजनी गुस्से से अमोदिता से कहती है..........
रजनी : "चूतिया की बच्ची तू कुछ देर चुप
बैठेगी, एक तो एक काम ढंग से नहीं करती ऊपर से चुप भी बैठ नहीं सकती।"
रजनी का गुस्सा देखकर अमोदिता चुप हो जाती है।
रजनी किताब के पेज पलटा ही रही थी कि तभी वो खुश होते हुए कहती है..........
रजनी : "मिल गया।"
अमोदिता झट से पूछती है.........
आमोदिता : "क्या मिल गया मोम.....?"
रजनी : "वशीकरण तोड़ने का मंत्र, क्या है ना आज तक मैंने बस वशीकरण किया है कभी तोड़ा नहीं है इसलिए यह मंत्र मुझे ढूँढ़ना पड़ा।"
आमोदिता : "तो क्या है मोम वशीकरण तोड़ने का मंत्र, जल्दी बताईए ना....?"
रजनी किताब के पेज पर उंगली फेरते हुए कहती है.......
रजनी : "मंत्र कुछ इस प्रकार है.......
ओह्न ह्नीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।
रजनी : इस मंत्र का जाप तुझे पूरे सात बार करना है।"
अमोदिता : "बस सात बार जाप करने से वशीरकण टूट जाएगा, ये तो बहुत आसान है मोम ।"
रजनी अमोदिता को रोकते हुए गुस्से से कहती है.......
रजनी : "रूक जा, रूक जा नालायक लड़की, तुझे ना हर काम की जल्दी रहती है पहले मेरी पूरी बात तो सुन लिया कर, भूल गयी सुबह मैंने तुझे
क्या बोला था, टोटका करना जितना आसान होता है उससे कहीं ज्यादा कठिन होता है उसे तोड़ना मैंने तुझे टोटका तोड़ने का बस अभी मंत्र बताया है ये नहीं बताया है कि टोटका कैसे तोड़ा जाता है।"
अमोदिता का चेहरा उतर जाता है और वो उखड़े हुए स्वर में कहती है.........
आमोदिता : "तो फिर कैसे तोड़ा जाता है मोम टोटका......?"
रजनी : "देख मैं तुझे समझाती हूँ, जिस प्रकार किसी को वश में करने के अलग-अलग तरीके होते है उसी प्रकार वशीकरण तोड़ने के भी अलग-अलग तरीके होते है, हमने जो वशीकरण किया था
वो था बाल के जरिये वशीकरण जिसमे हल्दी की गाँठ का उपयोग किया था, अब टोटका तोड़ने के लिए तुझे उस गाँठ में से कायर का बाल निकालना होगा और किशनोई नदी में प्रवाहित करना होगा।"
अमोदिता अपना मुँह फाड़ते हुए कहती है.........
आमोदिता : "ये आप क्या बोल रही हो मोम , ये कैसे पॉसिबल हो सकता है उस गाँठ को तो मैं चौराहे पर फेंक कर आ गयी थी ना कल, वो मैं कहाँ से लाऊँगी......?"
रजनी : "वहीं से जहाँ पर फेका था।"
आमोदिता : "मोम आप भी ना पता नहीं कैसी बाते करती है, भला वो गाँठ अभी भी वहीं पर रखी होगी क्या, हो सकता है कोई कुत्ता उठा कर ले गया हो या किसी इंसान ने चलते-चलते लात मारते हुए
कहीं ले गया हो।"
रजनी : "नालायक लड़की वो टोटका था और कुत्ते कभी टोटको को नहीं छू सकते, भूल मत कुत्ते आत्माओ को देख सकते है उनके पास भी एक अदृश्य शक्ति होती है, बुरी शक्तियों को महसूस
करने की और रही इंसानो की बात तो भूल मत यह गाँव है शहर नहीं अगर किसी ने उस काली पोटली को देख भी लिया होगा तो गलती से भी हाथ लगाने का सोचा भी नहीं होगा समझी।"
आमोदिता : "मोम ये तो बहुत मुश्किल है।"
रजनी : "तो तुझे क्या काला जादू चूहे-बिल्ली का खेल लगा था, इसमे कदम-कदम पर खौफ रहता है समझी, एक और बात याद रखना ये सब तुझे तीन बजे शुरू करना है और चार बजे तक खत्म करना है।"
अमोदिता हिचकिचाते हुए कहती है........
आमोदिता : "मोम ये सब तो ठीक है, मैं चौराहे पर भी चले जाऊँगी और वो पोटली भी ढूँढ़ लूँगी पर किशनोई नदी में वो ये सब प्रवाहित करना जरूरी है क्या.....?"
रजनी : "हाँ बहुत जरूरी है, शास्त्रो में कहा गया है कि सृष्टि के प्रारंभ में सिर्फ जल ही था और अंत के समय भी सिर्फ जल ही रहेगा इसलिए इसे जल में प्रवाहित करना बहुत जरूरी है, कुछ चीजे सात्वीक और तांत्रिक चीजो में एक समान होती है समझी।"
आमोदिता : "पर मोम तुमको पता है ना कल रात पूर्णिमा है और तुमने ही तो कहा था यक्षिणी को युग जी ने आजाद कर दिया होगा और वापस गेट लगा दिया होगा।"
रजनी : "अरे पागल पूर्णिमा तो कल रात है ना तो तू आज क्यों डर रही है और वैसे भी तू एक स्त्री है और यक्षिणी भी एक स्त्री कभी दूसरी स्त्री के साथ संभोग नहीं करती, उसने आज तक जितनो को भी अपना शिकार बनाया है सब मर्दों को बनाया है और किसी
को नहीं समझी।"
आमोदिता : "हाँ समझ गयी।"
रजनी : "चल अब ज्यादा वक्त बबार्द मत कर, मैंने जो मंत्र बोला था उसका जाप करते हुए ये तीनो दीये जला और टोटका तोड़ने के लिए तैयार हो जा।"
अमोदिता माचिस से दिया जलाते हुए कहती है......
आमोदिता : "ओह्म........
ह्मीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।"
एक तरफ अमोदिता और रजनी टोटका तोड़ने की तैयारी कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ युग और अभि यक्षिणी कहाँ पर है इस बारे में पता कैसे करे सोच रहे थे। कायर युग के कमरे में सोया हुआ था। युग और अभि हॉल में बैठे हुए थे। युग अभि से पूछता है.......
युग : "यार तू जब से अपने घर से लौटा है चुप चाप बैठा हुआ है बता क्यों नहीं रहा कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में कि वो कहाँ पर है और किस कमरे
में.....?"
अभी : "यार बता रहा हूँ, पहले तीन तो बज जाने दे।"
युग दीवार पर लगी पुरानी घड़ी में वक्त देखते हुए कहता है.........
युग : "यार अभी तीन बजने में आधा घंटा कम है और अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता, तुने कहा था रात में बताएगा, बता ना।"
अभी : "ठीक है बताता हूँ।"
इतना कहकर अभि अपनी जेब में हाथ डालता है और
एक छोटा सा घड़ी के आकार का काला बोक्स निकालता है। जब वो उस बॉक्स को खोलता है तो उसके अंदर से एक काला धागा निकलता है, जिसमे हीलिंग क्रिस्टल काला रंग का नुकीला पत्थर
बंधा हुआ था। जो एक शंकु के आकार का था।
युग आँखे बड़ी करते हुए उस चीज को देखते हुए कहता है........
युग : "ये क्या है! ये तो मुझे किसी पेंडूलम की तरह दिख रहा है......?"
अभी : "ये पेडूंलम नहीं है युग, इसे डांउजिंग पेंडूलम कहा जाता है।"
युग : " ये डाउंजिंग पेंडूलम क्या होता है.....?"
अब आगे.............
☆Chapter-Dauging Pendulum ☆
युग : "मतलब तू इस पेंडूलम की मदद से यक्षिणी का पता लगाएगा।"
अभि : "हाँ।"
काव्या : तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी मोम के बारे मै ऐसा बोलने की कमीना कही का......
4865 words complet..........
Dear Readers story ke updates or majedaar ho uske liye लाइक

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