Incest NAZAR

Aap ko ye story kesi lag rahi hai.......


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Uski Nazar Ke Jhaase Main Mat Fasna.....
Uske Ulte Pair Dekhanewaalo Ki Ulti Ginti Shuru Ho Jaati Hai........
Uski Choti AapKi Umar Chhoti Kar Degi.........

maxresdefault

To guys pesh hai aap ke liye

New story Nazar..........

Thriller,Horror,Drama,Incenst


Note : Es story mai family induction nahi de raha hu kiyu ke ye story thoda alag hai jese jese Charecters aayenge aap to pata chal jaayega Story Acchi lage to like 👍 daba ke dena or comments karna naa bhule or koi yaha faltu ki bakchodyi naa Pele

yah ek fantasy Kalpaik hai jo kewal manoranjan haitu hai Ham alokiki,andhvishwash ya jaaduyi parathao mai aashtha ko samrthan yaa badhawa nahi dete

Note : Updates ko raat mai read kare Kiyu ke horror ka maza raat mai aata hai
 
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MEGA Update 23



☆ Chapter : Totke ka Asar ☆



अब तक................


कायर : ये तुम दोनों नई कोठी के अंदर इतना अंधेरा कियु करके रखा हुआ है .....?

रजनी : अब हमें काम सुरु करना चाहिए ,आमोदिता जल्दी से पूर्व दिशा की और मुँह करके बैठ जा...............

रजनी : क्या हुआ काम को अंजाम दे दिया ,कोई दिक्कत तो नहीं आयी ...?

आमोदिता : है मोम दे दिया , कोई दिक्कत नहीं आयी............

युग : ( मन मै ) ये कैसे हो सकता है कुवे के अंदर से झरने के पानी गिरने की आवाज कैसे सुनाई दे सकती है...........




 अब आगे..............



युग यह गाना सुन ही रहा था कि तभी गाने की आवाज धीमी
हो जाती है और उसे कुँए के अंदर पानी पर एक लड़की का चेहरा
दिखने लग जाता है। पहले तो वह चेहरा धूंधला था पर जैसे-जैसे
वो clear होते जा रहा था, उसे कुँए के पानी में एक जाना
पहचाना चेहरा नज़र आने लग जाता है।

युग हैरानी के साथ कहता है.........

युग : "यामिनी तुम...!"

कुँए के पानी में यामिनी का चेहरा था, सिर्फ चेहरा ही नहीं
ऐसा लग रहा था जैसे कुँए के अंदर ही यामिनी थी। यामिनी का
पूरा शरीर पानी में डूबा हुआ था बस उसका चेहरा ही दिख रहा
था।

युग धीरे से कहता है...........

युग : "यामिनी तुम यहाँ पर क्या कर रही
हो?"

यामिनी फुंसफुंसाते हुए कहती है........

यामिनी : "आपका इंतजार।"

युग : "मेरा इंतजार मतलब, और तुम कुँए के अंदर कैसे गिरी?"

यामिनी कुछ जवाब नहीं देती, वो एक-टक नज़र से युग को
देखते जा रही थी। युग को तो अभी भी अपनी आँखो पर यकिन
नहीं हो रहा था कि कुँए के अंदर यामिनी थी।

युग : "तुम वहीं पर रूको मैं अभी तुम्हे कुँए से बाहर निकालता हूँ,
घबराना मत मैं आ रहा हूँ।"

यामिनी धीरे से बड़े प्यार से कहती है........

यामिनी : "हाँ युग आओ, मेरे
पास आओ, मेरे करीब आओ।"

युग कुँए के अंदर घुसने के लिए अपने पैर कुंए के अंदर
डालने ही वाला था कि तभी उसे पीछे से अभि रोक लेता है
और उसका हाथ पकड़ते हुए कहता है.........

अभी : "युग तू पागल हो गया है
क्या, कुँए के अंदर क्यों कूद रहा है?"

युग : "यार कूद नहीं रहा हूँ, बचा रहा हूँ।

अभी : "बचा रहा है! पर किसे?"

युग : "यामिनी को, यार वो कुँए के अंदर है।"

अभी : "यामिनी! कौन यामिनी?"

युग : "वही लड़की यार जिसके बारे में मैंने कल रात में बताया था,
जिसने मेरी नदी पार करने में मदद की थी, अभी जब उसे देखा
तो उसका नाम याद आया वो कुँए के अंदर है।"

अभि कुँए के अंदर देखने लग जाता है पर उसे कुछ
दिखाई नहीं देता है। वह युग पर भिन्नाते हुए कहता है..........

अभी : "ये तुझे
रात में कोई दौरे-वौरे तो नहीं पड़ते ना, किस लड़की की बात कर
रहा है तू, कुँए के अंदर तो कोई नहीं है।"

युग भी कुँए के अंदर देखते हुए कहता है........

युग : "अरे यहीं पर तो थी कहाँ गयी, सच में अभि यहीं पर थी मैंने उससे बात भी की थी।"

अभी : "यार युग देख रात बहुत हो चुकी है, हो सकता है तुझको देर रात तक जागने की आदत हो इसलिए ऐसा हो रहा हो, वो चीजे दिखाई दे रही हो जो यहाँ पर है ही नहीं।"

युग अभि की बात का कुछ जवाब नहीं देता है, उसे तो
अभी भी समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है।
अभि कुँए के पास रखी बाल्टी उठाता है और उससे कुँए का पानी खींचकर ब्केट में भर लेता है।

युग अभी भी यामिनी के बारे में ही सोच रहा था......

युग : ( मन मै ) "हो
सकता है यह सब मेरा वहम ही हो वरना यामिनी यहाँ पर कैसे आ सकती है वो भी कुँए के अंदर ।"

अभि उसे हिलाते हुए कहता है........

अभी : "अरे कहाँ खो गया, मैं कुछ बोल रहा हूँ तुझसे पानी भरकर हो गया अब चले?"

युग : "हाँ चल जल्दी।"

युग और अभि ब्केट में पानी लेकर ग्रेव्यार्ड कोठी में चले जाते है। जब वो वहाँ पर पहुँचते है तो देखते है कि कायर और कछुऐ ने सारी ही शराब पी मारी थी, उन्होने युग और अभि का पानी लाने तक का इंतजार नहीं किया था। वह दोनो शराब पीकर जमीन पर ही पसरकर गहरी नींद में सो रहे थे।

अभि उन दोनो को देखते हुए कहता है.......

अभी : "यार ये दोनो तो टल्ली हो गये अब क्या करे?"

युग : "क्या करे क्या मतलब वही जो सोचा था यक्षिणी के बारे में पता लगाते है।"

अभी : "और कितना पता लगाऐगे यार, तुने देखा था ना उन लेज़र लाईट को अपने आप जलते हुए इसका मतलब यह है कि वो यहीं पर है कहीं नहीं गयी है।"

युग : "पर यक्षिणी..."

अभी : "यार फिर यक्षिणी, तू तो यक्षिणी के पीछे हाथ धोकर ही पड़ गया है, हमे यह तो पता चल ही गया है ना कि यक्षिणी यहीं पर है।"

युग : "हाँ पर यह तो पता नहीं चला है ना कि वो कहाँ पर है, किस कमरे में।"

अभी : "यार रूम नम्बर 666 में ही होगी ना।"

युग : "पर अभी तुने देखा था ना लेज़र लाईट हर जगह जल रही थी, फिर वो एक जगह कैसे हो सकती है?"

अभि कुछ सोचते हुए कहता है

अभी : "यार हो सकता है कि यह सब उसकी शक्तियों की वजह से हो रहा हो, भूल मत उसके पास शैतानी शक्तियों के साथ-साथ दैवीय शक्ति भी है, वो बहुत
शक्तिशाली है कमरे के अंदर कैद होकर भी वो बहुत कुछ कर सकती है और ये ग्रेव्यार्ड कोठी भी तो उसका दूसरा ठिकाना ही था तो इस कोठी की चीजो पर तो उसका वश होगा ही ना।"

युग : "हाँ यार बात तो तेरी बिल्कुल सही है, पर फिर भी जब तक में पूरी तरह clear नहीं हो जाता कि यक्षिणी अपने कमरे में ही कैद है मैं satisfied नहीं हो सकता।"

अभि उबासी लेते हुए कहता है.........

अभी : आआआहह.........."तो यार तीन दिन है
ना अभी हमारे पास, पूर्णिमा आने से पहले पता लगा लेंगे कि वो किस कमरे में है, अब मैं सोने जा रहा और तू भी चल वरना क्या पता फिर तुझे वो तेरी यामिनी दिखने लगे।"

इतना कहकर अभि युग के कमरे में सोने चले जाता है
और युग भी उसके पीछे-पीछे चले जाता है।

सुबह हो गयी थी और सुबह के सात बज रहे थे। अमोदिता और रजनी किचन में थे और नाश्ते की तैयारी कर रहे थे।
अमोदिता गर्मा-गर्म भजिये तल रही थी जिसकी खुश्बू से पूरा किचन महक रहा था।

रजनी अमोदिता से पूछती है.......

रजनी : "युग का फोन आया या नहीं?"

अमोदिता उदासी के साथ कहती है......

अमोदिता : "नहीं आया मोम "

रजनी : "अरे अभी तक फोन नहीं आया, जितना मैं जानती हूँ अभी तक तो काले जादू का असर हो जाना चाहिए था, और फोन आ जाना चाहिए था।"

अमोदिता भजिया तलते हुए कहती है........

अमोदिता : "मोम ये काला जादू असर तो करेगा ना, बाकी के टोटको की तरह वेस्ट तो नहीं हो जाएगा?"

रजनी गुस्सा करते हुए कहती है.........

रजनी : माधरचोद सुबह-सुबह मेरा मुंड ख़राब ना कर "अरे नालायक लड़की, टोटके कभी व्यर्थ नहीं जाते बस उन्हें सही से करना आना चाहिए और तू संदेह मत कर, तू सब चीज़े पर संदेह कर सकती है पर
काली शक्तियों पर नहीं, तुझे नहीं पता कितनी शक्ति होती है इस काले जादू में... तू तो ये बता तुने पुड़िया को चौराहे पर ही फेका था ना?"

अमोदिता हिचकिचाते हुए कहती है.......

अमोदिता : "हाँ मोम चौराहे पर ही फेका था।"

रजनी बड़ी-बड़ा आँखे करते हुए कहती है.......

रजनी : "देख सही-सही बताना।"

अमोदिता की जुबान लड़खड़ाने लगती है और वो कहती है.........

अमोदिता : हाँ मोम वहीं फेका था कसम से।"

अमोदिता ने इतना ही कहा था कि उसका मोबाईल बजने लग जाता है।
अमोदिता अपने मोबाईल की स्क्रीन देखते हुए कहती है...........

अमोदिता : "मोम युग जी का फोन है, वो फोन कर रहे है मुझे।"

रजनी भिन्नाते हुए कहती है........

रजनी : "अरे अरे चूतिया कही की मेरा मुँह क्या देख
रही है, जल्दी उठाना फोन कटेगा तब उठाएगी क्या।"

अमोदिता फोन उठाते हुए बड़े प्यार से कहती है.......

अमोदिता : "हैलो युग जी।"

युग की घबराती हुई आवाज सुनाई देती है........

युग : "है...हैलो अमोदिता कहाँ पर हो तुम?"

अमोदिता : "मैं तो युग जी घर पर हूँ।"

युग : "तो अमोदिता जल्दी से जल्दी मेरे पास आ जाओ, मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है।"

जैसे ही अमोदिता युग के मुँह से यह बात सुनती है वो खुशी से फूले नहीं समाती है और हड़बड़ाते हुए कहती है

अमोदिता : ह...."हाँ युग जी मैं आती हूँ, पर हुआ क्या आप बताएगे?"

युग : "अमोदिता मैं अभी तुम्हे फोन पर कुछ नहीं बता सकता तुम बस जल्दी से जल्दी मेरे पास आ जाओ, मुझे तुम्हारी सख्त जरूरत है।"

अमोदिता : "ठीक है युग जी मैं अभी निकलती हूँ यहाँ से।"

युग : "हाँ अमोदिता जल्दी आना, मैं इंतजार कर रहा हूँ तुम्हारा यहाँ पर।"

युग का फोन कट हो जाता है। जैसे ही फोन कट होता है अमोदिता खुश होते हुए रजनी से
कहती है..........

अमोदिता : "मोम आपने तो बिल्कुल ठीक कहा था, युग जी तो मेरी ही नाम की माला जपते जा रहे है, वो तो रूक ही नहीं रहे थे, कह रहे थे जल्दी से जल्दी मेरे पास आ जाओ मुझे तुम्हारी सख्त जरूरत है; ये काला जादू तो सच में काम करता है।"


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रजनी : "देखा मेरे काले जादू का कमाल; अब तू देर मत कर जल्दी जा और देखकर आ युग को किस चीज की जरूरत है और सुन उसे जो भी चाहिए हो दे देना।"

रजनी की बात सुनकर अमोदिता शर्माने लग जाती है।
रजनी अमोदिता पर गुस्सा करते हुए कहती है.......

रजनी : "अरे तू तो अभी से शर्माने लग गयी कामिनी , मेरी बात ध्यान से सुन ले ज्यादा शर्माने मत लगना जो माँगे बिना सोचे समझे दे देना मेरा मतलब समझ
रही है ना तू, ये आज कल के लड़के बड़े उतावले होते है; बस एक बार युग एक गलत कदम उठा ले फिर देखना कैसे तेरी उसके साथ शादी करवाती हूँ।"

अमोदिता : "ठीक है माँ, मैं जाती हूँ आप फिक्र मत कीजिए मैं आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगी।"
इतना कहकर अमोदिता वहाँ से ग्रेव्यार्ड कोठी की ओर जाने के लिए रवाना हो जाती है। जैसे-जैसे उसके कदम ग्रेव्यार्ड कोठी की ओर बढ़ते जा रहे थे उसके मन में ख्याली पुलाव पकते जा रहे
थे। वो सोचते जा रही थी कि युग ने उसे ग्रेव्यार्ड कोठी में क्यों बुलाया था, आखिर वो उसके साथ क्या करने वाला था।

अमोदिता : ( मन मै ) युग जी इतने बेचैन हो कर मुझे कियु बुलाया है कही वो मेरे साथ कुछ ना कर दे वैसे मोम ने बोला है जो युग जी मुझसे मांगे वो मै देदू वैसे युग जी क्या मांगेगे कही वो मुझसे किश-विश तो नहीं माँगेगे या उसके आगे और कुछ

यही सोचते हुए अमोदिता कुछ ही देर में वो ग्रेव्यार्ड कोठी पहुँच जाती है और दरवाजा
खटखटाती है।

जब दरवाजा खुलता है तो वो देखती है कि दरवाजे पर
कछुआ खड़ा हुआ था। अमोदिता युग के बचपन के सारे दोस्तो को जानती थी क्योंकि वो भी बचपन में युग के साथ ही स्कूल में पढ़ा करती थी, युग के दोस्त भी उसे पहचानते थे। अमोदिता कछुए को ग्रेव्यार्ड कोठी में देखकर शौक्ड हो जाती है और अपना मुँह फाड़ते हुए नेपाली में कहती है..........

अमोदिता : "अरे कछुआ तिमी, यहाँ के तपाई गर्दै हुनुहुन्छ ।"

कछुआ अमोदिता को बताता कि वो यहाँ पर क्या कर रहा है, उससे पहले ही युग की आवाज सुनाई देती है - युग : "अरे अमोदिता तुम आ गयी, जल्दी आओ अंदर।"

युग की आवाज सुनकर अमोदिता झट से कोठी के अंदर चली जाती है। कोठी में वो देखती है कि वहाँ पर युग खड़ा हुआ था, युग को देखकर लग रहा था कि वो बड़ी बेसब्री से अमोदिता का ही इंतजार कर रहा था।

युग अमोदिता का हाथ पकड़ते हुए कहता है........

युग : "जल्दी चलो मेरे साथ मेरे कमरे में।"

अमोदिता मन ही मन सोचने लग जाती है........

अमोदिता : "मोम ने जैसा कहा था ये तो बिल्कुल वैसा ही हो रहा है, युग जी तो बहुत तेज निकले मुझे सीधे कमरे में ले जा रहे है और इन्हे तो शर्म भी नहीं आ रही



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अपने दोस्तों के सामने ही ऐसा बोल रहे है, चलो अच्छा
ही है मेरे पास सबूत भी रहेगा की युग जी के दोस्त भी वहीं पर थे जब वो मेरे साथ वो सब कर रहे थे।"

हॉल से युग के कमरे तक जाते तक ना जाने कितने मनघड़त ख्याल अमोदिता के मन में आ गये थे और वो तो अभी भी यकिन नहीं कर पा रही थी कि काले जादू ने अपना काम कर दिया था; युग को उसका दीवाना बना दिया था।
जब अमोदिता युग के कमरे में पहुँचती है तो देखती है कि युग के बिस्तर पर अभि और कायर थे। कायर लेटा हुआ था और अभि उसके दोनो हाथ पकड़ा हुआ था, ऐसा लग रहा था जैसे वो उसे कहीं जाने से रोक रहा हो।

कायर अपने चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान के साथ कहता है.............

कायर : "अमोदिता...अमोदिता... मेरी अमोदिता।"

कायर अमोदिता का नाम बार-बार बड़बड़ाए जा रहा था और अभि अपने हाथो से उसका मुँह बंद करने की कोशिश कर रहा था।

अमोदिता युग से कोई सवाल पूछती उससे पहले ही युग कहता है...........

युग : "वो अमोदिता देखो ना ये कायर को क्या हो गया है, जब से उठा है तुम्हारे नाम की ही माला जपे जा रहा है....."

युग अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही कछुआ बीच में टोकते हुए कहता है........

कछुआ : "हाँ अमोदिता, इतना तो कोई भगवान को
याद नहीं करता जितनी बार सुबह से इसने तुम्हे कर लिया है।"

युग अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहता है.....

युग : "मैंने सोचा इसे डॉक्टर के पास ले जाऊ फिर ये अभि ने बताया कि आस-पास के गाँव में तो कोई डॉक्टर ही नहीं है, तुम ही हो जो सबका इलाज करती हो, फिर मुझे याद आया कि तुम्हारा नम्बर कल सेव किया था मैंने इसलिए तुम्हे यहाँ पर बुला लिया, अब
तुम ही देखो क्या हुआ है इस कायर को।"

अभि अपना हाथ दबाते हुए कहता है......

अभी : "हाँ अमोदिता, मैं तो थक गया हूँ इसे पकड़ के बैठने में, अगर इसे पकड़ता नहीं तो ये सीधा तुम्हारे घर आ जाता; पता नहीं क्या हुआ है इसे
तुम्हारे ही नाम की रट्ट लगाया हुआ है।"

युग की बाते सुनकर अमोदिता दंग हो गयी थी, वो यही सोच रही थी कि जो काला जादू युग पर होना चाहिए था वह कायर पर कैसे हो गया था, ऐसा कैसे हो सकता है?"

कायर अमोदिता का नाम बड़बड़ाते हुए कहता है.....

कायर : "अमोदिता... मेरी अमोदिता, मेरी प्यारी अमोदिता।"

अभि कायर के मुँह से फिर से अमोदिता का नाम सुनकर कुछ सोचते हुए कहता है.......

अभी : "यार ये कायर को किसी ने अमोदिता
के नाम की मोहिनी तो नहीं दे दी?"

अभि की बात सुनकर अमोदिता घबराने लग जाती है,
वो सोचने लग जाती है कि कहीं अभि युग के सामने उसकी पोल ना खोल दे क्योंकि अभि को सब पता था कि गाँव में क्या-क्या होता था।

युग हैरानी के साथ कहता है..........

युग : "ये मोहिनी क्या होती है यार, कोई लड़की-वड़की है क्या?"

अभि : "ये मोहिनी कोई लड़की-वड़की नहीं है
बल्कि एक प्रकार का....."

अभि अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही कछुआ
फटाक से बीच में बोल पड़ता है........

कछुआ : "यार युग तुझे मोहिनी नहीं पता, यहाँ गाँव में तो मोहिनी देना आम बात है, अपने बंगलामुडा
और रौंगकामुचा गाँव में तो सबसे ज्यादा दी जाती है।"

युग चिढ़ते हुए कहता है..........

युग : "यार नहीं पता तभी तो पूछ रहा हूँ ना; अभिमन्यु बता ना यार क्या है ये मोहिनी?"

अभि अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहता है.....

अभी : "यार ये जो मोहिनी है ना ये एक प्रकार से टोना होता है, जब किसी को अपने वश में करना हो तब ये किया जाता है, ये अलग-अलग प्रकार से होता है जिसमे किसी के बाल के साथ, नाखून के
साथ या खाने में कुछ मिलाकर दिया जाता है पर इसका मेन मकसद सिर्फ एक होता है और वो है वश में करना, इसे मोहिनी देना कहा जाता है।"

अभि बोल ही रहा था कि तभी कायर फिर बड़बड़ाने लग जाता है.........

कायर : "अमोदिता.... अमोदिता... मेरी जान अमोदिता।"

कछुआ अमोदिता को घूरते हुए कहता है........

कछुआ : "पर यार एक बात समझ नहीं आयी, ये कायर अमोदिता का नाम क्यों बड़बड़ा रहा है, कायर को अमोदिता के नाम की मोहिनी किसने दी होगी
और क्यों?"

अपना नाम सुनकर अमोदिता बहुत घबरा गयी थी, उसके हाथ पैर कंपकपाने लग गये थे, वो उन्हे अपनी बातो में उलझाते हुए कहती है.........

अमोदिता : "ये तुम लोग कैसी बाते कर रहे हो, भला आज के जमाने में थोड़ी ये सब होता है, युग जी ये दोनो तो गाँव वाले है पर आप तो शहर से आए है ना तो इन दोनो की बातो पर यकीन मत
करना।"

कछुआ झट से कहता है.........

कछुआ : "तो फिर तुम ही बता दो अमोदिता कि क्यों कायर तुम्हारा नाम बड़बड़ाए जा रहा है?"

अमोदिता कुछ सोचते हुए कहती है........

अमोदिता : "वो... वो इसलिए क्योंकि जरूर पिछली रात कायर ने कोई सा ऐसा सपना देखा
होगा जिसमे मैं रही होगी और मेरी जान खतरे में रहीं होगी वही सपना कायर के दिमाग में रह गया होगा और वो मेरा नाम बड़बड़ाए जा रहा है; जो मेंटली कमजोर और इमोसनल होते है
उनके साथ अकसर यह प्रॉब्लम आती है कि नींद खुलने के बाद भी वो उनका नाम बड़बड़ाते रहते है पर कुछ वक्त बाद सब ठीक हो जाता है।"

अमोदिता की बात सुनकर युग को अपने सपने की याद आने लग जाती है जिसमे वो एक लड़की के साथ निर्वस्त्र अवस्था में रहता है और प्यार भरी बाते करता है, एक पल के लिए उसके मन में आता है कि वो अमोदिता को अपने सपने के बारे में बताए, हो सकता है कि अमोदिता उसके सपनो का कुछ तोड़ निकाल
सके पर अगले ही पर उसका मन बदल जाता है और वो सोचता है कि पता नहीं आमोदिता उसके बारे में क्या सोचे कहेगी कि युग जी कैसी-कैसी बाते करते है।

कछुआ कुछ सोचते हुए कहता है..........

कछुआ : "ये कायर तो बिन्दू को प्यार करता है, तो इसे तुम्हारे सपने कैसे आ सकते है?"

अमोदिता कछुए पर चिढ़ते हुए कहती है.........

आमोदिता : "अब वो मुझे क्या पता, सपनो पर थोड़ी किसी का बस चलता है, भूलो मत कि हम चारो बचपन में साथ एक ही स्कूल में पढ़ते थे, हो सकता है
कि बचपन की ही कोई बात याद आ गयी हो और अब मुझसे कोई सवाल मत पूछो मुझे कायर का चेकअप करने दो।"

इतना कहकर अमोदिता कायर के पास जाती है और नाटक से उसके हाथ की नब्ज चेक करते हुए कहती है आमोदिता : "नब्ज तो ठीक चल रही है, हो सकता है जो मैंने कहा था वही हुआ होगा।"

जब अमोदिता कायर का हाथ पकड़ती है तो जैसे कायर के बदन में एक बिजली सी कौंध जाती है और वो अमोदिता की आँखो में देखते हुए कहता है........

आमोदिता : "अमोदिता... मेरी अमोदिता....तुम आ गयी अमोदिता।"

इतना कहकर कायर अमोदिता के नजदीक जाने लग जाता है, तभी अभि उसे फिर से पकड़ते हुए कहता है.......

अभी : "अबे कहाँ चिपक रहा है, दूर हट अमोदिता से, काबू रख अपने आप पर।"

अमोदिता घबरा जाती है, उसके समझ नहीं आता कि वो क्या करे, तभी उसे एक तरकीब सूझती है और वो अपना हाथ कायर के माथे पर फेरते हुए कहती है.......

आमोदिता : "कायर मैं ठीक हूँ, कायर देखो मेरी तरफ भूल जाओ अपने सपने को और अब अराम करो,सो जाओ कायर सो जाओ।"

जैसे ही अमोदिता कायर के सिर पर हाथ फेरती है और उसे सोने का बोलती है कायर अमोदिता- अमोदिता बड़बड़ाते हुए ही वापस बिस्तर पर लेटने लग जाता है और सो जाता है।

अभि कछुआ और युग यह तीनो ये सब देखकर दंग रह
जाते है।

कछुआ कायर को घूरते हुए कहता है........

कछुआ : "जब से हम सोने का बोल रहे थे तब तो नहीं सोया अमोदिता के हाथ फेरते ही फट से
सो गया।"

युग हँसते हुए कहता है..........

युग : हा हा हा "यही तो जादू होता है लड़कियों के
हाथो में बेटा, मेन विल बी मेन।"

अमोदिता अपने मोबाईल में कुछ टाईप करते हुए कहती है..........

आमोदिता : "युग जी मैं ना आपको एक मेडिसिन लिखकर दे रही हूँ आप ना उसे कायर को दे देना उससे वो जल्दी ठीक हो जाएगा वरना कभी-कभी सपनो का असर देर तक रहता है।"

युग अपना मोबाईल चेक करते हुए कहता है.......

युग : "हाँ ठीक है अमोदिता ले आऊँगा ये मेडिसिन मैं।"

बेड के पास ही एक शर्ट पेंट रखी हुई थी, कछुआ उसे उठाता है और उसकी स्मेल लेते हुए कहता है........

कछुआ : "यार युग ये तेरे कपड़ो में
से तो बहुत गंदी स्मेल आ रही है तू इन्हे धोता नहीं है क्या?"

युग उन कपड़ो को देखते हुए कहता है.......

युग : "यार धोने के लिए ही तो निकाले थे पर कल बहुत काम था तो धोना भूल गया और इसमे से गंदी स्मेल इसलिए आ रही है क्योंकि मेरे ये कपड़े कायर
ने पहने हुए थे, भूल गया वो उस दिन बारिश में जब वो भीगकर आया था तो उसे मैंने अपने कपड़े पहनने के लिए दिए थे।"

कछुआ : "हाँ याद आया उसी दिन तो पहला काय्रक्रर्म जमा था बिन्दू ने टेस्टी-टेस्टी खाना भी तो भेजा था।"

जब अमोदिता की नज़र उन कपड़ो पर पड़ती है तो वो
देखती है कि वो वहीं कपड़े थे जिसमें से उसने युग का बाल निकाला था, वो समझ जाती है कि वो कपड़े कायर ने पहने थे जिस कारण युग की जगह कायर का बाल उसके हाथ लग गया था और टोटका कायर पर हो गया था। अमोदिता वहाँ के हालत देखकर समझ जाती है कि उसका अब ज्यादा देर वहाँ पर रूकना खतरे से खाली नहीं है कभी भी अभि और कछुआ उससे कोई सा भी सवाल पूछ सकते है इसलिए वो वहाँ से जाने का मन बना लेती है और युग से इजाजत लेते हुए कहती है..........

आमोदिता : "अच्छा युग जी अब मैं चलती हूँ मोम ने जल्दी लौटने बोला था।"

युग अपना सिर हिलाते हुए कहता है.........

युग : "ठीक है अमोदिता तुम्हारा थैंक्यू यहाँ पर आने के लिए, तुम नहीं होती तो पता नहीं हमारा क्या होता, हम तो परेशान ही हो गये थे।

आमोदिता : "इसमे थैंक्यू की क्या बात है युग जी, आपको जब मेरी जरूरत हो आप मुझे बुला सकते है मैं दोड़ी चले आऊँगी।"

इतना कहकर अमोदिता वहाँ से जाने लग जाती है। अँगूठे के नाखून की बली देने के कारण अमोदिता थोड़ा लंगड़ा-लंगड़ा कर चल रही थी, यह बात अभि नोटिस कर लेता है और उसे रोकते हुए कहता है.......

अमोदिता : "अरे अमोदिता..., ये तुम्हारे पैर को क्या हो गया और इस पर ये सफेद पट्टी क्यों बंधी हुई है।"

अमोदिता हकलाते हुए कहती है.........

आमोदिता : वो......"वो अभिमन्यु चोट लग
गयी थी।"

युग : "क्या कहा चोट लग गयी थी पर कैसे?"

अमोदिता बहाना बनाते हुए कहती है........

आमोदिता : "वो क्या है ना युग जी जब मैं काम कर रही थी तो सिलबट्टा का पत्थर अँगूठे पर गिर
गया था उसी से लग गयी।"

कछुआ अँगूठे को देखते हुए कहता है........

कछुआ : "सिर्फ अँगूठे पर ही चोट लगी उससे और कहीं नहीं लगी?"

अमोदिता भिन्नाते हुए कहती है..........

आमोदिता : "तो तुम क्या चाहते हो कछुआ कि हमारा पूरा पैर ही टूट जाए, तुम्हारी ना बचपन की आदत अभी तक गयी नहीं है, बचपन में भी हाथ धोकर हमारे पीछे पड़े रहते थे और अभी भी हर बात मे तुम्हे टाँग अड़ानी है अपनी।"

कछुआ कुछ नहीं कहता बस शर्म से हँसते हुए अपना सिर नीचे झुका लेता है। अमोदिता वहाँ से चले जाती है।

कुछ देर बाद....


कायर को अभी तक होश नहीं आया था। युग कछुआ और अभि उसी के पास बैठकर उसके होश में आने का इंतेज़ार कर रहे थे।
युग अपने मोबाईल पर अमोदिता का मैसेज देखते हुए कहता है..........

युग : "यार यहाँ आस-पास मेडिकल स्टोर कहाँ पर है कायर के लिए मेडिसिन लेकर आ जाते है, जब होश में आएगा और यदि ठीक नहीं हुआ तो दे देंगे

कछुआ अपने हाथ से राईट साईड इशारा करते हुए कहता है.......

कछुआ : "ये अपना मेंदिपथार है ना वहाँ पर स्टेशन के पास में ही मेडिकल स्टोर है वहाँ पर मिल जाएगी ये मेडिसीन।"

युग अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है........

युग : "क्या कहाँ मेंदिपथार! अब मेडिसीन लेने के लिए इतने दूर जाना पड़ेगा इसमें तो बहुत वक्त लग जाएगा यार।"

कछुआ हँसते हुए कहता है : "जाना तो पड़ेगा ही ना
मेडिसीन थोड़ी अमोदिता है कि तुने आवाज लगायी और वो फट से दौड़ी चले आएगी।"

कछुए की बात सुनकर अभि भी हँसने लग जाता है।

युग कुछ नहीं कहता क्योंकि उसे पता था कछुए की बचपन से हर किसी की टाँग खींचने की आदत थी।

अभि कछुए से पूछता है........

अभी : "अरे कछुए ये एक मेडिकल स्टोर, ये अपने रौगंकामुचा गाँव में भी खुला है ना अभी एक-दो ही
महीने पहले ही।"

कछुआ कुछ याद करते हुए कहता है......

कछुआ : "हाँ यार और ये युग के बड़े पापा दिलीप अंकल ने ही तो उसका उदघाटन किया था, वैसे भी गाँव में कुछ भी चीज का इनोग्रेसन हो तो युग के बड़े
पापा को ही तो बुलाया जाता है।"

अभि : "बुलाया क्यों नहीं जाएगा, आधे पैसे युग के बड़े पापा भी तो देते है पाटनर्शिप के तौर में।"

कछुआ : "हाँ यार ये भी है, मेरे तो समझ नहीं आता कि दिलीप अंकल के पास इतना पैसा आता कहाँ से है कि इनवेस्ट पे इनवेस्ट करते जाते है, कुछ फायदा तो होता नहीं उनका।"

अभी : "फायदा कैसे नहीं होता गाँव में उनका इतना मान सम्मान जो है, भूल मत बेटा पैसा बोलता है उनके सामने किसी की जुबान नहीं खुलती।"

कछुआ : "हाँ यार ये भी है पर मुझे तो लगता है कि वो हवेली में जरूर कोई ना कोई खजाना गढ़ा हुआ है, जो उनके हाथ लग गया है,युग तू ना उस खजाने के बारे में पता कर फिर ये स्टार्टअप-विस्टार्टअप खोलने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, इतना पैसा होगा ना तेरे पास तू तो पैसे में खेलेगा ही साथ में हम भी खेलेंगे।"

युग परेशान होते हुए कहता है........

युग : "ये तुम दोनो किस खजाने की बात कर रहे हो और कौन सी हवेली?"

अभिमन्यु झट से कहता है : "यार वही हवेली जिसमे तेरे बड़े पापा आई मीन दिलीप अंकल रहते है, सुना है कई सालो पहले वहाँ उस हवेली में एक अघोरी रहा करता था जिसने कई सिद्धियाँ हासिल की थी और उसी की मदद से खजाने का अंबार लगा दिया था।"

युग अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.......

युग : "क्या कहा खजाने का अंबार!"

अभिमन्यु आगे की बात बताते हुए कहता है.......

अभी : "हाँ यार, मैंने सुना है कि वो अघोरी लोगो से गलत काम मतलब टोना-टोटका करवाता था और उसके बदले में उन्हे सोना चाँदी दिया करता था
पर उसका मेन मकसद कुछ और था।"

युग हैरानी के साथ कहता है.........

युग : "क्या था उसका मेन मकसद?"

अभि : "मैंने सुना है कि उसका मेन मकसद यह था कि वो यक्षिणी पर काबू करना चाहता था।"

अभि ने अभी इतना ही कहा था कि युग उस पर दूसरा सवाल दाग देता है........


युग : "और वो यक्षिणी पर काबू करके क्या करना चाहता था?"

अभी : "यार देख जितना हम सबको पता है यक्षिणी के बारे में उस हिसाब से यक्षिणी दूसरे लोग से आयी थी और उसे कोई सा अभिशाप मिल गया था जिस कारण वो डायन बन गयी थी, तो इस हिसाब से यक्षिणी के पास दैवीय और दैत्य दोनो शक्तियाँ थी,हो सकता है उन्ही शक्तियों को हासिल करने के लिए वो अघोरी यक्षिणी पर काबू करना चाहता था या फिर कुछ भी हो सकता है,मैं बस सुनी-सुनाई बाते बता रहा हूँ असली बात तो वो अघोरी ही बता सकता है।"

युग कुछ सोचते हुए पूछता है........

युग : "अभी इस वक्त वो अघोरी
कहाँ पर है?"

कछुआ युग के सवाल का जवाब देते हुए कहता है..........

कछुआ : "उसे तो यक्षिणी ने मार दिया।"

युग अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.......

युग : "क्या कहा यक्षिणी ने अघोरी को भी मार दिया!"

कछुआ अपनी बात आगे जारी रखते हुए कहता है........

युग : "हाँ दादी ने तो यही बताया था मुझे कि एक पूर्णिमा की रात उस यक्षिणी और अघोरी का आमना सामना हुआ था जिसके बाद से ही अघोरी किसी को दिखा नहीं, लोगो का मानना है कि उसे
यक्षिणी ने मार दिया था और अघोरी के मरने के बाद ही तो तेरे पापा के पापा ने जमीन बेचकर वो हवेली खरीदी थी, तुझे पता है दादी बताती है कि पहले तुम लोग भी बहुत गरीब थे पर जब से वो हवेली खरीदी थी तब से तुम्हारी किस्मत चमक गयी थी।"

युग यह सब बाते सुनकर दंग रह गया था क्योंकि उसे इन सब बातो के बारे में आज से पहले कुछ नहीं पता था।

युग अपना मोबाइल देखते हुए कहता है........

युग : "यार अभी ना तुम दोनो ये सब छोड़ो वैसे भी मुझे इन खजानो में कोई इंटरेस्ट नहीं है, जो पैसे अपने दम पर हासिल किए जाते है उसकी बात ही
कुछ और होती है, अभि तू चल मेरे साथ रौंगकामुचा गाँव के मेडिकल स्टोर ।"

अभिमन्यु बेड पर से उठते हुए कहता है......

अभी : "हाँ चल।"

कछुआ डरते हुए कहता है......

कछुआ : "यार ये.... ये तुम दोनो मुझे इस ग्रेव्यार्ड कोठी में अकेला छोड़कर क्यों जा रहे हो।"

अभि कायर की तरफ इशारा करते हुए कहता है..........

अभी : "अकेले कहाँ छोड़कर जा रहे है, ये कायर है ना तेरे साथ।"

कछुआ मुँह बनाते हुए कहता है........

कछुआ : "इसका होना ना होना एक समान है, अभी ये तो बेहोश पड़ा हुआ है पता नहीं किसने इसे मोहिनी दे दी, मैं नहीं रूकने वाला इसके साथ इस ग्रेव्यार्ड
कोठी में।"

युग परेशान होते हुए कहता है.......

युग : "कछुए तू ना बड़ा परेशान करता है, एक काम करते है अभी तू यहीं पर रूक जा कछुए तू चल मेरे साथ।"

कछुआ खुश होते हुए कहता है.......

कछुआ : "हाँ ये एक दम सही है,अभि तू रूक जा यहाँ पर।"

अभि : "हाँ रूक जाऊँगा मैं तेरी तरह नहीं हूँ, डरपोक।"

युग और कछुआ वहाँ से चले जाते है।
इस तरफ जब अमोदिता अपने घर पर पहुँचती है और रजनी को
सब कुछ बताती है कि टोटके का उल्टा असर हो गया है, तो रजनी अमोदिता पर बहुत गुस्सा करती है वो आग बबूला हो
जाती है।

रजनी अमोदिता पर गुस्सा करते हुए कहती है........

रजनी : माधरचोद चूतिये की उलाद "तुझसे एक काम ढंग से नहीं होता, तुझे युग का बाल लाने के लिए बोला था
और तू उस कायर का बाल लेकर आ गयी।"

अमोदिता रोते हुए कहती है.......

अमोदिता : "मोम अब मुझे थोड़ी पता था
कि युग जी के कपड़े उस कायर ने पहने हुए थे।"

रजनी : "तुझे कुछ पता ही कहाँ रहता है, पता होता तो यहाँ पर होती क्या, युग के कपड़ो में से बाल लाने की जगह उसके सिर का ही बाल तोड़ लेती।"

आमोदिता :"मोम इतना आसान थोड़ी है किसी का बाल तोड़ना, कितना कठिन होता है। "

रजनी : "तू तो ऐसे बोल रही है जैसे आज तक मैंने किसी का बाल तोड़ा ही नहीं है, तू कहे तो मैं लाकर दे दूँ तुझे युग का बाल।"

अमोदिता खुश होते हुए कहती है.......

आमोदिता : "हाँ मोम, आप पहले ही ये
कर लेती तो ऐसा कुछ नहीं होता, आप ही ले आईए ना युग जी का बाल।"

रजनी अमोदिता पर भिन्नाते हुए कहती है........

रजनी : "हाँ और युग से शादी भी मैं ही कर लेती हूँ और उसके साथ शहर भी मैं ही चले जाती हूँ और तू यहीं पर बोझ बनकर बैठी रह।"

अपनी माँ का गुस्सा देखकर अमोदिता एक दम चुप हो जाती
है। रजनी अभी भी गुस्से से फूले जा रही थी।

अमोदिता बड़ी हिम्मत करके रोता हुआ मुँह बनाकर कहती है.........


आमोदिता : "मोम प्लीज कुछ कीजिए ना, वो कायर तो मेरा ही नाम बड़बड़ाए जा रहा था, बड़ी मुश्किल से बहाना बनाकर युग जी को समझाया है और यदि कल तक कायर नॉर्मल नहीं हुआ तो
गड़बड़ हो जाएगी, कायर को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे खा ही जाएगा और मैं उससे शादी नहीं करना चाहती, प्लीज मोम कुछ कीजिए।"
इतना कहकर अमोदिता रोने लग जाती है।

अमोदिता के आँसू देखकर रजनी को उस पर दया आ जाती है। रजनी भले ही
कैसी भी हो, थी तो वो एक माँ ही, माँ की ममता जाग ही जाती है रजनी आमोदिता को समझाते हुए कहती है.........



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रजनी : "अच्छा चल ठीक है अब ये मगरमच्छ के आँसू बहाना बंद कर, अब एक ही रास्ता बचा है और वो ये है हमे टोटका तोड़ना पड़ेगा तभी तेरा जादू
कायर पर से उतरेगा।

अमोदिता झट से पूछती है

अमोदिता : "और वो कैसे तोड़ते है मोम........?"





अब आगे............


☆ Chapter : Yamini ki baate ☆


युग सोचने लग जाता है कि वह भूंजी हुई मछली खाए या नहीं। युग कुछ फैसला कर पाता उससे पहले ही यामिनी उसे टोकते हुए कहती है.........

यामिनी : "अरे बाबू ज्यादा सोचिए मत, मैंने इसमे
कोई मोहिनी नहीं मिलाईए है; यामिनी को किसी को वश में करने के लिए मोहिनी देने की जरूरत नहीं पड़ती, उसका रूपरंग ही काफी है।"

युग सोचने लग जाता है........

युग : "ये यामिनी को मोहिनी देने के बारे में कैसे पता, यह वही सब बाते क्यों बोल रही है जो ग्रेव्यार्ड कोठी में हुई है?"

युग को उसके सीने पर लगे नाखून के खरोंच का याद आया और वो फिर बौखलाहट के साथ पूछने लग गया..........

युग : "ये सब तो ठीक है पर ये बताओ तुमने मेरी शर्ट क्यों खोली थी और मेरे सीने पर खरोंच के निशान कैसे थे?"

यामिनी धीरे से कहती है.........

यामिनी : "युग बाबू मैंने ना आपकी शर्ट आपके साथ संभोग करने के लिए खोली थी।"

यामिनी की बात सुनकर युग दंग रह गया था, उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी थी। उस वक्त युग का चेहरा देखने लायक था, उसके तोते उड़ गये थे।





8477 Words Complete..........

Aaj se Updates Ab Hindi mai aayenge..........

Dear Readers story ke updates or majedaar ho uske liye like 👍 or 🗣️ comments karte rahiye taaki ham aap ke liye updates mai Or bhi thriller,Suspension,Sex,horror, Darama laa sake............😎
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Update 24



☆ Chapter : Yamini ki baate ☆






 अब तक...............



यामिनी : "आपका इंतजार।"

युग : "मेरा इंतजार मतलब, और तुम कुँए के अंदर कैसे गिरी....?".........

रजनी : "देखा मेरे काले जादू का कमाल; अब तू देर मत कर जल्दी जा और देखकर आ युग को किस चीज की जरूरत है और सुन उसे जो भी चाहिए हो दे देना।".........

जब अमोदिता की नज़र उन कपड़ो पर पड़ती है तो वो

देखती है कि वो वहीं कपड़े थे जिसमें से उसने युग का बाल निकाला था, वो समझ जाती है कि वो कपड़े कायर ने पहने थे जिस कारण युग की जगह कायर का बाल उसके हाथ लग गया था और टोटका कायर पर हो गया था।........





अब आगे.............



रजनी अमोदिता के सवाल का कुछ जवाब नहीं देती है। वह चुप चाप खड़ी हुई थी। उसको देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी गहरी सोच में डूब गयी थी।

अमोदिता रजनी को हिलाते हुए कहती है.........

आमोदिता : "माँ क्या सोच रही हो तुम, बताओ ना मोम टोटका कैसे तोड़ा जाता है?"

रजनी : "टोटका कैसे तोड़ा जाता है वो मैं तुझे रात में बताऊँगी,आज रात तीन बजे तैयार रहना, और एक बात याद रखना जितना ज्यादा आसान होता है टोटका करना उससे कहीं ज्यादा कठिन होता है टोटका तोड़ना।"

रजनी की बात सुनकर अमोदिता घबराने लग जाती है और डरते हुए कहती है.........

आमोदिता : "माँ तुम मुझे डरा रही हो ना?"

रजनी अमोदिता की आँखो में देखते हुए कहती है.......


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रजनी : "मैं क्या तुझे कोई भूतनी लगती हूँ जो तुझे डराऊँगी, मैं तो बस तुझे सच्चाई से वाकिफ करवा रही हूँ, समझी।"


इस तरफ युग और कछुआ रौंगकामुचा गाँव पहुँच गये थे।
अमोदिता ने जो मेडिसीन कायर के लिए बताई थी वो उन दोनों ने ले ली थी। वो लोग वापस से बंगलामुडा गाँव जा रहे थे।
वह दोनो अभी रौंगकामुचा घाट पर पहुँचे ही थे कि तभी कछुआ का फोन बजने लग जाता है।

कछुआ अपना फोन उठाते हुए कहता है.........

कछुआ : "हैलो......क्या...अरे कैसे....?"

जैसे-जैसे कछुआ बात करते जा रहा था उसके फेश के
एक्सप्रेसन चेंज होते जा रहे थे। उसकी चेहरे की खुशी अचानक गायब हो गयी थी और गम में तब्दिल हो गयी थी।"

कछुआ फोन पर बात करते हुए कहता है........

कछुआ : "अच्छा ठीक है...मैं आ रहा हूँ....अरे गाँव में ही हूँ मैं, मुझे ज्यादा टाइम नहीं लगेगा आने में... हाँ आ रहा हूँ मैं।"

इतना कहकर कछुआ फोन कट कर देता है।
जैसे ही कछुआ फोन रखता है युग फटाक से पूछता है.........

युग : "क्या हुआ कछुए बड़ा परेशान लग रहा है, सब ठीक तो है ना.....?"

कछुआ परेशान होते हुए कहता है........

कछुआ : "यार कुछ ठीक ही तो नहीं है, दादी की तबियत खराब हो गयी है उनको लेकर मुझे हॉस्पिटल जाना पड़ेगा मेंदिपथार।"

युग : "क्या कहा दादी की तबियत खराब हो गयी पर कैसे!"

कछुआ : "पता नहीं यार माँ बता रही है कि रात से ही ठीक नहीं थी
अब ज्यादा खराब हो गयी है, तुझे तो पता ही है दादी की हालत नाजुक है कभी भी अलविदा कह सकती है।"

युग : "अच्छा ठीक है तू ज्यादा परेशान मत हो और ज्यादा कुछ सोच मत, सब ठीक हो जाऐगा, मेरी कुछ जरूरत पड़े तो बता देना अभी तू दादी को हॉस्पिटल लेकर जा जल्दी से जल्दी।"

कछुआ : "हाँ मैं निकलता हूँ।" इतना कहकर कछुआ अपने घर जाने के लिए वहाँ से निकल जाता है।

कछुए के जाने के बाद युग अकेले ही किशनोई नदी पार करने लग जाता है। नदी के पास तीन-चार लोग थे जो नदी पार कर रहे थे। युग ने अभी नदी में अपना पहला कदम ही रखा था कि तभी उसे पीछे से एक लड़की की आवाज सुनाई देती है..........

लड़की : "युग बाबू.... अरे ओ युग बाबू।"

युग लड़की की आवाज सुनकर जहाँ पर था वहीं पर रूक जाता है, उसे वह आवाज जानी पहचानी लगती है।

युग बड़बड़ाने लग जाता है..........

युग : "ये आवाज तो कहीं सुनी-सुनी लग रही है...अरे हाँ ये आवाज तो यामिनी की है।"

इतना कहकर युग पीछे मुड़ जाता है, जब वो पीछे मुड़ता है तो देखता है कि नदी के किनारे पर ही कुछ दूरी पर यामिनी खड़ी हुई थी।


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जिसने अपने दोनो हाथ में महसीर मछली पकड़ी हुई थी, जो उसके हाथ की कोहनी तक आ रही थी। वहीं पर उसने मछली
की दुकान लगाई हुई थी जिसमे बहुत सारी बड़ी-बड़ी ताजा मछली रखी हुई थी जिसे वो बेच रही थी।

यामिनी युग को अपने हाथ से इशारा करते हुए अपने पास बुलाते हुए कहती है...........

यामिनी : "अरे ओ युग बाबू जरा यहाँ पर तो आईए,
कहाँ जा रहे है आप, हमसे बिना मिले ही चले जाएगे क्या।"

युग यामिनी की आवाज सुनकर अपने कदम रोक ही नहीं पाता और बिना कुछ सोचे समझे अपने कदम यामिनी के पास बढ़ाने लग जाता है, ऐसा लग रहा था जैसे यामिनी की आवाज उसे उसकी ओर खींच रही थी।

युग यामिनी के पास जाकर उससे हैरानी के साथ पूछता है...........

युग : "यामिनी तुम यहाँ पर.....?"

यामिनी हँसते हुए कहती है..........

यामिनी : "ये मेरा ही तो बसेरा है युग बाबू, मैं यहाँ पर नही रहूँगी तो कहाँ पर रहूँगी ।"

युग अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहता है.......

युग : "अरे हाँ मैं तो भूल ही गया था, उसी दिन तो बताया था तुमने कि तुम रौंगकामुचा घाट पर रहती हो।"

यामिनी युग की आँखो में देखते हुए कहती है......


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यामिनी : "ऐसे मत भूलिये युग बाबू आप हमें, हम कोई मामूली लड़की नहीं है जिसे आप यूँ ही भूल जाए, हम तो वो है जिसे आप जन्मो जन्मों तक
याद रखेंगे।"

Yug: "क्या कहा तुमने....?"

यामिनी : "कुछ नही, कुछ नहीं।"

यामिनी युग को मछली दिखाते हुए कहती है........

यामिनी : "ये लीजिए युग बाबू मछली खाईए, अभी-अभी भूंजी है हमने " यामिनी की मछली की दुकान के पास ही एक सिगढ़ी जल रही थी जिसमे यामिनी ने वो दोनो मछली को भूँजा था। उसी सिगढ़ी के अंदर अभी भी दो तीन मछलियाँ भूंजने रखी हुई थी

युग मना करते हुए कहता है........

युग : "नहीं, नहीं मुझे नहीं खाना।"

यामिनी : "क्यों आपको भूख नहीं लगी, आपने सुबह से कुछ नहीं खाया है ना युग बाबू"

यामिनी की बात सुनकर युग हक्का-बक्का रह जाता है
उसके समझ ही नहीं आ रहा था कि यामिनी को कैसे पता था कि उसने सुबह से कुछ नहीं खाया था।

युग यामिनी पर शक करते हुए पूछता है......

युग : "तुम्हे कैसे पता कि मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया है......?"

यामिनी हँसते हुए कहती है.........

यामिनी : "हा...हा....हा अरे बाबू ये आपका जो चेहरा
पीला पड़ रहा है ना उससे कोई भी बता देगा कि आपने सुबह से कुछ नहीं खाया है, जरा चेहरा देखिए अपना कितना सिकुड़ गया है।"

युग सोचने लग जाता है कि वह भूंजी हुई मछली खाए या नहीं। युग कुछ फैसला कर पाता उससे पहले ही यामिनी उसे टोकते हुए कहती है.........

यामिनी : "अरे बाबू ज्यादा सोचिए मत, मैंने इसमे
कोई मोहिनी नहीं मिलाईए है; यामिनी को किसी को वश में करने के लिए मोहिनी देने की जरूरत नहीं पड़ती, उसका रूपरंग ही काफी है।"

युग फिर सोचने लग जाता है..........

युग : "( मन मै ) ये यामिनी को मोहिनी देने
के बारे में कैसे पता, यह वही सब बाते क्यों बोल रही है जो ग्रेव्यार्ड कोठी में हुई है?"

यामिनी युग को टोकते हुए कहती है.......

यामिनी : "बाबू आप फिर सोच में डूब गये, आप ना बड़े सोचते है, इसांन को ज्यादा नहीं सोचना
चाहिए वरना उसके बाल पक जाते है।"

इतना कहकर यामिनी युग के हाथो में एक मछली पकड़ा देती है और कहती है.......

यामिनी : "ये लीजिए पकड़िये इसे वरना ठंडी हो
जाएगी, भूंजी मछली गर्मा-गर्म ही अच्छी लगती है वरना इसका स्वाद नहीं आता है।"

युग वह मछली पकड़ लेता है और वहीं पर जूट की रस्सी की एक कुर्सी बनी हुई थी जिसके ऊपर वो बैठ जाता है। युग जैसे ही मछली का पहला कौर खाता है, उसके टेस्ट में खो जाता है। उसने आज तक इतनी टेस्टी मछली इससे पहले कभी नहीं खाई थी।

युग मछली का अगला कौर खाते हुए कहता है.......

युग : "ये मछली तो बहुत टेस्टी है, मसाले न डले होने के बावजूद इसका स्वाद लाजवाब है।"

यामिनी अपनी आँखो से इशारा करते हुए कहती है - यामिनी : "टेस्टी क्यों नहीं होगी युग बाबू मैंने इतने प्यार से जो भूंजी है वो भी सिर्फ आपके लिए।"

युग : "क्या कहा तुमने!"

यामिनी बात को बदलते हुए कहती है.......

युग : "कुछ नहीं युग जी, आप मछली खाईए ना।"

इतना कहकर सिगढ़ी में भूंज रही मछली को यामिनी पलटने लग जाती है। युग वापस से मछली खाना शुरू कर देता है। युग मछली खा ही रहा था कि मछली खाते-खाते उसकी नज़र यामिनी के जुड़े में लगे कमल के फूल पर पड़ती है। जब वो उस कमल के फूल को देखता है तो उसे याद आता है कि उस रात
जब उसने यामिनी के जुड़े में लगे कमल के फूल की खुश्बू सूँघी थी तो उसके बाद उसके साथ क्या हुआ था उसे कुछ याद नहीं था।

युग बौखलाहट के साथ कहता है.........

युग : "यामिनी उस रात क्या हुआ था.....?"

यामिनी अंजान बनते हुए कहती है.........

यामिनी : "आप किस रात कीबात कर रहे है युग बाबू....?"

युग : "अरे वही रात जो तुमने और मैंने साथ में गुजारी थी।"

यामिनी शर्माते हुए कहती है........


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यामिनी : "ये कैसी बाते कर रहे है युग बाबू आप, हमने कहाँ आपके साथ कोई सी रात बितायी थी।"

युग : "अरे तुम भूल गयी, उस रात तुमने मुझे किशनोई नदी पार करवाई थी जब नदी ऊफान में थी, उसमे बहुत पानी भर गया था।"

यामिनी : "अच्छा तो ये बोलिए ना नदी पार करवाई थी, आप ये क्यों बोल रहे है कि रात गुजारी थी, आपको रात गुजारने का मतलब नहीं पता क्या; अच्छा हुआ यहाँ आस-पास कोई है नहीं वरना
कोई सुन लेता तो आपको नहीं पता मेरी कितनी बदनामी होती, आपका तो कुछ नहीं जाता क्योंकि आप तो एक लड़के है और शहर से आए है, सारे ताने जली-कुटी तो मुझे ही सुननी पड़ेगी क्योंकि मैं एक लड़की हूँ।"

युग चिढ़ते हुए कहता है...........

युग : "यामिनी तुम ना अब छोटी सी बात का बतंगड़ मत बनाओ और ये बताओ उस रात क्या हुआ था, जब मैंने कमल के फूल की खुश्बू सूँघी थी, उसके बाद से ही मुझे कुछ याद नहीं है।"

यामिनी युग के सवाल का जवाब देते हुए कहती है.....

यामिनी : "युग बाबू उस रात ना कमल के फूल की खुश्बू सूँघने के बाद आप ना बेहोश हो गये थे, मैं तो बहुत घबरा गयी थी समझ ही नहीं आ रहा था क्या करूँ फिर याद आया कि आपने बताया था कि आप
ग्रेव्यार्ड कोठी में रहते है, मैंने सोचा वहीं पर ले जाना ठीक होगा मैंने बड़ी मुश्किल से हिम्मत करके आपको जैसे-तैसे उठाया और ग्रेव्यार्ड कोठी के पास दरवाजे पर ले जाकर छोड़ दिया।"

युग बिचकते हुए कहता है..........

युग : "क्या कहा दरवाजे पर ले जाकर छोड़ दिया पर क्यों, तुम मुझे कोठी के अंदर क्यों नहीं ले गयी....?"

यामिनी : "अरे युग बाबू कैसी बाते कर रहे है आप, हमे आप पर भरोसा है आपके दोस्तो पर नहीं; क्या पता कब किसकी नियत बिगड़ जाए, जब हम आपको लेकर दरवाजे के पास पहुँचे थे ना
तो बाहर तक आपके दोस्तो की आवाज सुनाई दे रही थी, वो किसी कार्यक्रम को लेकर बात कर रहे थे, हम तो समझ गये थे कि वो किस कार्यक्रम की बात कर रहे है इसलिए हमने दरवाजा खटखटाया और वहाँ से चलते बने, वैसे ही शराब पीकर तो इंसान अपना आपा खो ही देता है।"

युग को कुछ हद तक यामिनी की सारी बाते बिल्कुल ठीक लग रही थी पर तभी उसे उसके सीने पर लगे नाखून के खरोंच का याद आया और वो फिर बौखलाहट के साथ पूछने लग गया..........

युग : "ये सब तो ठीक है पर ये बताओ तुमने मेरी शर्ट क्यों खोली थी और मेरे सीने पर खरोंच के निशान कैसे थे........?"

यामिनी धीरे से कहती है...........

यामिनी : "युग.....बाबू मैंने ना आपकी शर्ट आपके साथ संभोग करने के लिए खोली थी।"

यामिनी की बात सुनकर युग दंग रह गया था, उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी थी। उसके हाथ से मछली का एक टुकड़ा छूट कर जमीन पर गिर जाता है उस वक्त युग का चेहरा देखने लायक था, उसके तोते उड़ गये थे।

युग : ( मन मै ) कही ये यक्षिणी तो नहीं है......?

यामिनी हँसते हुए कहती है.........

यामिनी : "हा.... हा..... हा......युग बाबू मैं ना मजाक कर रही थी, आप तो सच ही समझ बैठे, मैं क्या आपको बिल्ली दिखती हूँ जो आपको नोंचूगी।"

युग : "तो फिर तुम ही बताओ मेरे सीने पर खरोंच के निशान कैसे आए....?"

यामिनी : "आपकी जान बचाने के चक्कर में, उस रात जब आप बेहोश हो गये थे ना तो मेरे समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूँ मुझे लगा कहीं आपको दिल का दौरा तो नहीं पड़ गया इसलिए यहीं सोचकर मैंने आपकी शर्ट की बटने खोल दी और आपका सीना
मलने लग गयी और सीना मलते-मलते ही मेरे नाखून आपने सीने में लग गये, अब क्या करू लड़की हूँ ना तो नाखनू तो लम्बे होंगे ही, लम्बे नाखनू का बड़ा शौक है मुझे । "

युग के कुछ समझ नहीं आ रहा था वो क्या बोले, काफी हद तक यामिनी ने उसे उसकी बातो पर यकिन करने के लिए मजबूर कर दिया था। युग मछली खा ही रहा था कि तभी वो खाँसने लग जाता है। यामिनी के पास ही एक सुराही रखी हुई थी वो उसका पानी एक मिट्टी की गिलास में निकालती है और युग को देते हुए
कहती है............

यामिनी : "ये लीजिए युग बाबू पानी पी लीजिए।"
युग पानी पीने लग जाता है। युग पानी पी ही रहा था कि तभी उसे पानी देखकर याद आता है कि कल रात में यामिनी उसे कुँए के अंदर दिखी थी, उसका मन करता है वो यामिनी से पूछे क्या वो रात में कुँए के पास थी पर अगले ही पल वो अपने मन को
मार देता है, सोचता है नहीं वो मेरा वहम ही होगा भला यामिनी कुँए के अंदर कैसे हो सकती है।

कुछ ही देर में युग ने मछली खाकर खत्म कर ली थी और वो वहाँ से जाने के लिए तैयार हो गया था। युग अभी कुर्सी पर से उठा ही था कि तभी यामिनी उसे टोकते हुए कहती है.........

यामिनी : "अच्छा तो जा रहे है आप युग बाबू।"

युग : "हाँ"

यामिनी : "तो एक काम कीजिए ना, अपने दोस्तो के लिए भी मछली लेकर जाइए ना, वो भी तो बेचारे सुबह से भूखे है।"

युग अपनी आँखे बड़ी करते हुए कहता है.......

युग : "तुम्हे कैसे पता कि मेरे दोस्त मेरी ग्रेर्व्याड कोठी में है?"

यामिनी : "अरे युग बाबू, अब आप बारह साल बाद यहाँ पर आए है तो जाहिर सी बात है अपने दोस्तो के साथ ही ज्यादा वक्त बिता रहे होंगे ना और वैसे भी कौन होगा जो अकेले उस ग्रेव्यार्ड कोठी में रहना चाहेगा।"

युग फिर हक्का-बक्का रह जाता है। युग कुछ कह पाता उससे पहले ही यामिनी बोल पड़ती है......

यामिनी : "अब आप यही सोच रहे है ना कि मुझे कैसे पता कि आप बारह साल बाद यहाँ पर आए है,
तो ये बात मुझे क्या रौंगकामुचा और बंगलामुडा गाँव के बच्चे-बच्चे को पता है कि ग्रेव्यार्ड कोठी में जो लेखक बाबू रहते थे उनका बेटा आया है और उसने कोठी को फिर से खोल दिया है।"

इतना कहकर यामिनी गर्मा-गर्म तीन चार मछलियाँ सिगड़ी में से निकालती है उसे पत्तो में लपेटकर एक पॉलिथीन के अंदर भरकर युग को दे देती है।

युग अभी भी किसी सोच में डूबा हुआ था।
यामिनी युग को हाथो से इशारा करते हुए कहती है.....

यामिनी : "अरे बाबू फिर सोच में डूब गये, आप ना बहुत सोचते है, अब ओ ज्यादा मत सोचिये और इन मछली के दो सौ रूपए हुए है फटा फट दे दीजिए।"

युग अपने पर्स में से पैसे निकालता है और यामिनी को दे देता है। युग मछली लेकर वहाँ से चले जाता है।

इस तरफ ग्रेव्यार्ड कोठी के अंदर कायर को होश आ गया था और जब से उसे होश आया था वो अमोदिता का नाम ही बड़बड़ाए जा रहा था। अभिमन्यु उसे समझा-समझा कर थक गया था कि वो आमोदिता का नाम ना ले पर वो कुछ समझ ही नहीं रहा था।

कायर अमोदिता का नाम जपते हुए कहता है......

कायर : "कहाँ है ....कहाँ पर है मेरी अमोदिता.... वो अभी यहीं पर तो थी, कहाँ पर चले गयी?"

अभिमन्यु उसे समझाते हुए कहता है.......

अभी : "यार कायर ये तू क्या बकवास कर रहा है, अमोदिता तेरी कैसे हो सकती है, तेरी तो बिन्दू है ना भूल गया तू बिन्दू से प्यार करता है तेरी बिन्दू।"

कायर : "बिन्दू नहीं अमोदिता, मैं अमोदिता से प्यार करता हूँ।"

अभी : "अरे मेरे दोस्त तू अमोदिता से नहीं बिन्दू से प्यार करता है और याद कर बचपन के दिन, बचपन में अमोदिता तो युग पर लाईन मारती है ना, बस युग ही उसे भाव नहीं देता था, तो फिर तू ही बता अमोदिता तेरी कैसे हो सकती है।"

अभि ने इतना कहा ही था कि तभी कायर का फोन
बजने लग जाता है........


"आमी झे तोमार.......
शुधु जे तोमार.........
मेरी चाहतें तो फिजा में बहेंगी जिंदा रहेंगी होके फना ..."

रिंगटोन सुनकर ही अभिमन्यु समझ जाता है कि जरूर बिन्दू का ही फोन होगा, वो सोचने लग जाता है कि फोन कैसे उठाए यदि बिन्दू ने उससे कायर के बारे में पूछ लिया तो वो क्या जवाब देगा......?




अब आगे.............




☆ Chapter : Totka todna ☆



युग हैरानी के साथ पूछता है........

युग : "क्या हुआ, ये तेरे चेहरे पर बारह क्यों बज रहे है........?"

अभिमन्यु हिचकिचाते हुए कहता है.......

अभी : "यार........यार गड़बड़ हो
गयी।"

युग : "गड़बड़ हो गयी! कैसी गड़बड़.....?"

युग : "यार मुझसे ना एक बहुत बड़ी गलती हो गयी, मुझे लग रहा था कि अमावस्या तीन दिन बाद है पर वो तीन दिन बाद नहीं बल्कि कल है...........




4500 words complete...........

Dear Readers story ke updates or majedaar ho uske liye लाइक 👍 or comments 🗣️ karte rahiye taaki ham aap ke liye updates mai Or bhi thriller,Suspension,Sex,horror, Darama laa sake............😎
Ab to yahi kahunga mai yakshini bechari pyasi ki pyasi rahi.aur ye sab writer ke karan ye kuch hone de tab na :hang2:
 
☆ it's me ☆
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1,610
143
Update 25




☆ Chapter : Totka todna ☆





अब तक............



युग : "ये आवाज तो कहीं सुनी-सुनी लग रही है...अरे हाँ ये आवाज तो यामिनी की है।"

यामिनी : "अरे बाबू फिर सोच में डूब गये, आप ना बहुत सोचते है, अब ओ ज्यादा मत सोचिये और इन मछली के दो सौ रूपए हुए है फटा फट दे दीजिए।"

रिंगटोन सुनकर ही अभिमन्यु समझ जाता है कि जरूर बिन्दू का ही फोन होगा, वो सोचने लग जाता है कि फोन कैसे उठाए यदि बिन्दू ने उससे कायर के बारे में पूछ लिया तो वो क्या जवाब देगा......?




अब आगे.............




कायर का फोन लगातार बजे जा रहा था और अभि के कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो फोन कैसे उठाए और बिन्दु को क्या जवाब दे। अभि कुछ फैसला कर पाता उससे पहले ही वहाँ पर युग आ जाता है। जब युग कमरे के अंदर घुसता है और देखता है कि कायर का फोन बज रहा है तो वो उसका फोन
उठाते हुए कहता है..........

युग : "यार अभि ये तू क्या कर रहा है, जब से फोन बज रहा है तो उसे उठा क्यों नहीं रहा है ये तेरे हाथ के
पास ही तो रखा हुआ है...?"

इतना कहकर युग फोन उठाने लग जाता है तभी अभि उसे रोकते हुए कहता है.........

अभी : "अरे रूक जा मेरे भाई, फोन मत
उठा।"

अभि युग को रोक पाता उससे पहले ही युग फोन उठा


अभी : "ये क्या किया युग तुने बिन्दु का फोन क्यों उठा लिया, मैं जब से इसलिए नहीं उठा रहा था कि बिन्दु सुबह से दो-तीन बार कॉल कर चुकी है और हर बार वो कायर के बारे में ही पूछती है, मैं बहुत टाल चुका
हूँ पर अब समझ नहीं आता क्या बोलू इसलिए फोन नहीं उठा रहा था।"

युग परेशान होते हुए कहता है........

युग : "अब क्या करूँ यार, फोन तो उठा लिया कुछ ना कुछ तो बोलना पड़ेगा वरना उसको टेंशन हो जाएगी वो समझ जाएगी कुछ ना कुछ गड़बड़ है।"

फोन के अदंर से बिन्दु की आवाज आती है.......

बिंदु : "हैलो कायर
तुमी कुछ बोल्बे की ना बोल्बे।" ( हेलो कायर तुम कुछ बोलोगे या नहीं बोलोगे )

युग अभि को फोन देते हुए कहता है.........

युग : "मैं तो बात नहीं कर रहा, यार तू ही कर।"

अभि वापस से युग को फोन थमाते हुए कहता है......

अभी : "ना बाबा ना मैं तो नहीं करने वाला, सुबह से बहुत झूठ बोल चुका हूँ अब और नहीं बोल सकता।"

बिन्दु की फिर फोन के अंदर से आवाज आती है.......

बिंदु : "तुमी कुछी बोल्छे ना केनो।" ( तुम कुछ बोलोगे या नहीं )

युग काँपते हुए मिक ऑन करता है और कहता है......

युग : "हैलो हाँ बिन्दू बोलो।"

फोन के अंदर से हैरानी के साथ बिन्दु की आवाज सुनाई देती
है

बिंदु : "कायर ये तुम्हारी आवाज को क्या हुआ, ये इतनी भारी क्यों लग रही है....?"

युग : "मैं कायर नहीं युग बोल रहा हूँ बिन्दू।"

बिंदु : "अच्छा युग तुम हो, तो फिर कायर कहाँ पर है.....?"

युग : "वो बिन्दु कायर तो वॉशरूम में है।"

बिंदु : "क्या कहा वॉशरूम में! वो आज दिन भर से वॉशरूम में ही है क्या, अभी कुछ देर पहले अभिमन्यु ने फोन उठाया था वो भी यही कह रहा था कि कायर वॉशरूम में है।"

युग सोचने लग जाता है वो क्या जवाब दे तभी वो झट से कहता है.........

युग : "वो क्या है ना रात को उसने कुछ खराब खा लिया था इसलिए उसका पेट खराब हो गया इसलिए सुबह से ही वो वॉशरूम के चक्कर लगा रहा है।"

बिंदु : "अच्छा ऐसा है, तो ठीक है जब वो आए तो उससे मेरी बात कराना।"

युग : "उससे तुम्हे कुछ जरूरी काम था क्या?"

बिंदु : "काम तो नहीं पर कुछ बात करनी थी।"

बिंदु : "अरे वही तो पूछ रहा हूँ बिन्दू क्या बात करनी है...?"

कुछ देर रूककर बिन्दु धीरे से कहती है......

बिंदु : "तुम उसे बताओगे तो नहीं ना...?"

युग : "अरे नहीं बताउँगा तुम बेफ्रिक होकर बोलो।"

बिंदु : "वैसे मुझे कायर से कुछ काम नहीं था बस उसकी याद आ रही थी।"

युग : "क्या कहा याद आ रही थी! ओए होय क्या बात है।"

बिंदु : "हाँ, वो क्या है ना मेरी कायर से रोज किसी ना किसी बहाने से बात होते रहती है पर आज सुबह से ही कुछ बात नहीं हुई तो बहुत
अजीब लग रहा था इसलिए सोचा उससे बात कर लू।"

युग : "पर कायर के सामने तो तुम ऐसा कुछ नहीं करती बल्कि उसके सामने तो तुम उसी बेज्जती करते रहती हो, उसे घास तक नहीं डालती।"

बिंदु : "वो उसकी भलाई के लिए युग, तुमने देखा है ना वो कुछ काम नहीं करता बस दिन भर बैठकर शायरियाँ लिखा करता है, अब उसे कौन समझाए शायरी लिखने से दिल तो भर जाता है पर पेट नहीं भरता, जिन्दगी जीने के लिए कुछ ना कुछ करना ही
पड़ता है, ऐसे लाईफ आगे नहीं बढ़ती।"

युग : "हाँ तुम सही कह रही हो, काश ये चीज मेरे पापा को भी पता होती तो आज मेरी ऐसी हालत नहीं हो रही होती "

बिंदु : "मतलब...?"

युग बात को पलटते हुए कहता है.......

युग : "कुछ नहीं मैं तुम्हारी बात करवाता हूँ कायर से जब वो आता है, अच्छा अब मैं रखता हूँ मुझे कुछ काम है।"

बिंदु : "हाँ ठीक है, जल्दी बात करवाना।"
युग फोन कट कर देता है। जैसे ही युग फोन कट करता है

कायर कि फिर बड़बड़ाने की आवाज सुनाई देती है......

कायर : "अमोदिता... मेरी अमोदिता कहाँ पर है, मेरी अमोदिता मुझे उससे शादी करनी है, बुलाओ मेरी अमोदिता को।"

अभि अपने हाथो से कायर का मुँह बंद करते हुए कहता
है..........

अभी : "चुप हो जा अमोदिता के दीवाने, रूक जा करवा रहा हूँ तेरी अमोदिता से शादी।"

युग : "ये अभी तक ठीक नहीं हुआ क्या....?"

अभी : "तुझे ठीक लग रहा है क्या..?"

युग : "लग तो नहीं रहा, अच्छा हुआ मै मेडिसीन ले आया इसे जल्दी से खिला देते है।"

इतना कहकर युग मछली वाली पॉलिथीन टेबल पर रखता है और अपनी शर्ट की पोकटे में से मेडिसीन निकालकर अभि को दे देता है। अभि कायर को वो मेडिसीन जैसे तैसे खिला देता है और कुछ ही देर में कायर सो जाता है। अभि और युग कायर को सुलाने के बाद अभी आराम ही कर रहे थे कि तभी
अभि की नज़र टेबल पर पड़ी पॉलीथीन पर पड़ती है।
अभि युग से पूछता है........

अभी : "इस पॉलिथीन के अंदर क्या है?"

युग : "अरे इसके अंदर भूंजी हुई मछली है।"

अभी : "क्या कहा भूंजी हुई मछली! ये कहाँ मिल गयी तुझे?"

युग : "अरे ये अपना रौंगकामुचा घाट है ना वहीं पर मिली, यामिनी बेच रही थी गर्मा-गर्म तो मैं ले आया।"

अभिमन्यु युग के मजे लेते हुए कहता है.......

अभी : "तुझे बड़ी यामिनी मिलती है, कभी कुँए के पास तो कभी घाट के पास, मुझे भी मिला जरा मैं भी तो देखू कौन है यामिनी जिसने हमारे युग की
एक्स गर्लफ्रेंड शालिनी भाभी को भूला दिया है।"

अभि की बात सुनकर युग का चेहरा उतर जाता है और वो नाराज़गी के साथ कहता है.......

युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो
गया, मैंने कहा ना तुझे शालिनी को भाभी मत बोला कर, हमारा बहुत पहले ब्रेकअप हो चुका है।"

अभी : "हाँ भाई नहीं बोलूगा, वैसे भी अब शालिनी की जगह यामिनी जो मिल गयी है तुझे, अब तो यामिनी ही मेरी भाभी बनेगी।"

युग अभि को आँख दिखाते हुए कहता है......

युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो गया, एक बात हमेशा याद रखना शालिनी अब मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है तो क्या हुआ पर उसकी जगह मेरी जिन्दगी में कोई लड़की नहीं ले सकती।"

अभी : "ऐसा क्यों, आखिर क्या था शालिनी में ऐसा जो किसी और में नहीं, ब्रेकअप हो गया है तो उसे भूल क्यों नहीं जाता जिन्दगी में आगे बढ़...?"

युग अभिमन्यु की आँखो में देखते हुए कहता है.....

युग : "पहले प्यार को कभी भुलाया नहीं जा सकता अभिमन्यु, First Love is Your Last Love अगर उसके बाद कुछ होता भी है तो वो सिर्फ समझोता है और कुछ नहीं"

अभी : "यार तू ना बाते मत घूमा, ये बता कि आखिर हुआ क्या था तुम्हारे बीच किस बात को लेकर ब्रेकअप हो गया था?"

युग : "यार अभी ना मैं कुछ नहीं बताना चाहता, जब तुने ना शालिनी का जिक्र करके मेरा पूरा मूड ऑफ कर दिया है।"

युग अभि से बाते ही कर रहा था कि तभी अभि के
मोबाईल पर एक नोटीफिकेशन आता है जिसमे लिखा हुआ था
इस पूर्णिमा करे ये ऊपाय होगा ग्रहो का दोष दूर ।

जैसे-जैसे अभि नोटिफिकेसन पढ़ते जा रहा था उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदलते जा रहे थे।
अभि नोटिफिकेशन पढ़ते हुए कहता है......

अभी : "अरे शिट! ये कैसे हो गया"

युग : "क्या हुआ, ये तेरे चेहरे पर बारह क्यों बज रहे है...?"

अभि हिचकिचाते हुए कहता है........

अभी : "या........ यार गड़बड़ हो गयी।"

युग : "गड़बड़ हो गयी! कैसी गड़बड़....?"

अभी : "यार मुझसे ना एक बहुत बड़ी गलती हो गयी, मुझे लग रहा था कि अमावस्या तीन दिन बाद है पर वो तीन दिन बाद नहीं बल्कि कल ही है।"

युग अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.......

युग : "क्या!"

अभी : "हाँ यार मुझे भी अभी पता चला, पता नहीं ये गलती कैसे हो गयी, आज से पहले हर पूर्णिमा और अमावस्या की डेट याद रहती थी पर बस इस बार गलती हो गयी।"

युग : "इसका मतलब हमारे पास सिर्फ आज रात तक का ही वक्त है ये पता लगाने के लिए कि यक्षिणी इसी ग्रेव्यार्ड कोठी में है या नहीं, और यदि है तो किस कमरे में।"

अभी : "हाँ यार।"

युग : "ये तो बड़ी प्रॉबल्म हो गयी, एक तो वैसे ही ये कायर की
ऐसी हालत है और अब यक्षिणी के बारे में भी आज रात को ही पता करना है प्रॉब्लम तो बढ़ते जा रही है यार; अभिमन्यु तू ही बता कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में......?"

अभी : "जरा सोचने दे यार मुझे, अभी मेरे दिमाग में भी कुछ आईडिया नहीं आ रहा है । "

युग : "सोच ले हमारे पास बस रात तक का ही वक्त है, उससे पहले कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा वरना यदि यक्षिणी ने किसी को अपना शिकार बना लिया तो प्रॉब्लम हो जाएगी।"

अभी : "हाँ मैं सोचता हूँ कुछ, तू फिक्र मत कर।"

इस तरफ हवेली मै काव्या अपने बेड पर पेट के बाल लेती हुयी थी और उसके हाथों मै उसका मोबाइल था और वो किसी के नंबर पर कॉल करने के लिए सोच रही थी वो बार-बार नम्बर को देखती और उसको कॉल करने के लिए कॉल ऑप्शन पर क्लिक करने जाती पर कुछ सोच कर क्लिक नहीं करती.......

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काव्या : ( मन मै ) कॉल करू या ना करू पता नहीं मेरा कॉल उठाएगा भी या नहीं, अगर उठा लिया तो, नहीं नहीं मै उससे कोई बात नहीं करने वाली, वो फिर से वही सब बाते करने लगेगा पता नहीं कब ये लड़का सुधरेगा

काव्या ये ही अपने मन ही मन मै बड़बड़ाते हुये खुद से बात करती है तभी उसे कल की दरिषय याद आने लग जाती है कैसे युग उसे ग्रेवयाद कोठी मै दरवाजे से भीड़ा कर उसकी कमर पर अपना हाथ लगता है और उसकी चूची को घूरते हुये कहता है........

( युग : आप को किया लगता है मै आप के थप्पड़ से डर जाऊँगा कभी नहीं आप की मोम नै जो मेरे साथ किया है मै उसका बदला जरूर लूंगा मै बिना चुदे उन्हें नहीं छोड़ने वाला समझी ना आप



युग : और रही आप की बात तो आप अब बड़ी हो गयी है और आप की भी अब बड़ी बड़ी हो गयी है ऐसा ना हो की माँ से पहले बेटी को चुदना पड़े इसलिए मेरे बिच मै मत आना )


कल का दरिषय याद करते हुये काव्या का चहेरा गुस्से मै लाल हो गया था और वो गुस्से मै बड़बड़ाते हुये कहती है..........

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काव्या : बिच मै तो मै आयूंगी ही युग बिच मै आउंगी युग वो मेरी मोम है मेरी मोम तुम भले ही अब उनको अपनी मोम ना मानो मगर मै बिच मै आउंगी अब मै तुमको कल बताती हु काव्या कौन है

रात हो चुकी थी और रात के बारह बज रहे थे, अमोदिता और रजनी तहखाने में बैठी हुई थी। दोनो के सामने ही एक यंत्र बना हुआ था जिसके अंदर एक गोला था और उसके अंदर स्टार।
स्टार के तीनो कोनो पर एक-एक आटे के दीये बने हुए रखे हुए थे। जो जले हुए नहीं थे। रजनी और अमोदिता वहाँ पर करीब एक घंटे से बैठी हुई थी। जब से रजनी वहाँ पर आयी थी उसने
कुछ नहीं बोला था, बस वो अपनी तंत्र मंत्र यंत्र किताब के पेज पलटाये जा रही थी। एक गहरा सन्नाटा तहखाने के अदंर छाया
हुआ था।

अमोदिता सन्नाटे को तोड़ते हुए कहती है........

आमोदिता : "मोम आप कुछ बोलोगी भी या नहीं, या फिर रात भर बस इस किताब के पेज पलटाते रहोगी......?"

रजनी अमोदिता की बात का कुछ जवाब नहीं देती है, वो अभी भी बस किताब के पेज पलटाए जा रही थी।

अमोदिता फिर रजनी पर दबाव बनाते हुए कहती है......

आमोदिता : "मोम मैं कुछ पूछ रही हूँ तुमसे, बताओ ना कैसे तोड़ते है वशीकरण टोटका....?"

रजनी गुस्से से अमोदिता से कहती है..........

रजनी : "चूतिया की बच्ची तू कुछ देर चुप
बैठेगी, एक तो एक काम ढंग से नहीं करती ऊपर से चुप भी बैठ नहीं सकती।"

रजनी का गुस्सा देखकर अमोदिता चुप हो जाती है।
रजनी किताब के पेज पलटा ही रही थी कि तभी वो खुश होते हुए कहती है..........

रजनी : "मिल गया।"

अमोदिता झट से पूछती है.........

आमोदिता : "क्या मिल गया मोम.....?"

रजनी : "वशीकरण तोड़ने का मंत्र, क्या है ना आज तक मैंने बस वशीकरण किया है कभी तोड़ा नहीं है इसलिए यह मंत्र मुझे ढूँढ़ना पड़ा।"

आमोदिता : "तो क्या है मोम वशीकरण तोड़ने का मंत्र, जल्दी बताईए ना....?"

रजनी किताब के पेज पर उंगली फेरते हुए कहती है.......

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रजनी : "मंत्र कुछ इस प्रकार है.......

ओह्न ह्नीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।​

रजनी : इस मंत्र का जाप तुझे पूरे सात बार करना है।"

अमोदिता : "बस सात बार जाप करने से वशीरकण टूट जाएगा, ये तो बहुत आसान है मोम ।"

रजनी अमोदिता को रोकते हुए गुस्से से कहती है.......

रजनी : "रूक जा, रूक जा नालायक लड़की, तुझे ना हर काम की जल्दी रहती है पहले मेरी पूरी बात तो सुन लिया कर, भूल गयी सुबह मैंने तुझे
क्या बोला था, टोटका करना जितना आसान होता है उससे कहीं ज्यादा कठिन होता है उसे तोड़ना मैंने तुझे टोटका तोड़ने का बस अभी मंत्र बताया है ये नहीं बताया है कि टोटका कैसे तोड़ा जाता है।"

अमोदिता का चेहरा उतर जाता है और वो उखड़े हुए स्वर में कहती है.........

आमोदिता : "तो फिर कैसे तोड़ा जाता है मोम टोटका......?"

रजनी : "देख मैं तुझे समझाती हूँ, जिस प्रकार किसी को वश में करने के अलग-अलग तरीके होते है उसी प्रकार वशीकरण तोड़ने के भी अलग-अलग तरीके होते है, हमने जो वशीकरण किया था
वो था बाल के जरिये वशीकरण जिसमे हल्दी की गाँठ का उपयोग किया था, अब टोटका तोड़ने के लिए तुझे उस गाँठ में से कायर का बाल निकालना होगा और किशनोई नदी में प्रवाहित करना होगा।"

अमोदिता अपना मुँह फाड़ते हुए कहती है.........

आमोदिता : "ये आप क्या बोल रही हो मोम , ये कैसे पॉसिबल हो सकता है उस गाँठ को तो मैं चौराहे पर फेंक कर आ गयी थी ना कल, वो मैं कहाँ से लाऊँगी......?"

रजनी : "वहीं से जहाँ पर फेका था।"

आमोदिता : "मोम आप भी ना पता नहीं कैसी बाते करती है, भला वो गाँठ अभी भी वहीं पर रखी होगी क्या, हो सकता है कोई कुत्ता उठा कर ले गया हो या किसी इंसान ने चलते-चलते लात मारते हुए
कहीं ले गया हो।"

रजनी : "नालायक लड़की वो टोटका था और कुत्ते कभी टोटको को नहीं छू सकते, भूल मत कुत्ते आत्माओ को देख सकते है उनके पास भी एक अदृश्य शक्ति होती है, बुरी शक्तियों को महसूस
करने की और रही इंसानो की बात तो भूल मत यह गाँव है शहर नहीं अगर किसी ने उस काली पोटली को देख भी लिया होगा तो गलती से भी हाथ लगाने का सोचा भी नहीं होगा समझी।"

आमोदिता : "मोम ये तो बहुत मुश्किल है।"

रजनी : "तो तुझे क्या काला जादू चूहे-बिल्ली का खेल लगा था, इसमे कदम-कदम पर खौफ रहता है समझी, एक और बात याद रखना ये सब तुझे तीन बजे शुरू करना है और चार बजे तक खत्म करना है।"

अमोदिता हिचकिचाते हुए कहती है........

आमोदिता : "मोम ये सब तो ठीक है, मैं चौराहे पर भी चले जाऊँगी और वो पोटली भी ढूँढ़ लूँगी पर किशनोई नदी में वो ये सब प्रवाहित करना जरूरी है क्या.....?"

रजनी : "हाँ बहुत जरूरी है, शास्त्रो में कहा गया है कि सृष्टि के प्रारंभ में सिर्फ जल ही था और अंत के समय भी सिर्फ जल ही रहेगा इसलिए इसे जल में प्रवाहित करना बहुत जरूरी है, कुछ चीजे सात्वीक और तांत्रिक चीजो में एक समान होती है समझी।"

आमोदिता : "पर मोम तुमको पता है ना कल रात पूर्णिमा है और तुमने ही तो कहा था यक्षिणी को युग जी ने आजाद कर दिया होगा और वापस गेट लगा दिया होगा।"

रजनी : "अरे पागल पूर्णिमा तो कल रात है ना तो तू आज क्यों डर रही है और वैसे भी तू एक स्त्री है और यक्षिणी भी एक स्त्री कभी दूसरी स्त्री के साथ संभोग नहीं करती, उसने आज तक जितनो को भी अपना शिकार बनाया है सब मर्दों को बनाया है और किसी
को नहीं समझी।"

आमोदिता : "हाँ समझ गयी।"

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रजनी : "चल अब ज्यादा वक्त बबार्द मत कर, मैंने जो मंत्र बोला था उसका जाप करते हुए ये तीनो दीये जला और टोटका तोड़ने के लिए तैयार हो जा।"

अमोदिता माचिस से दिया जलाते हुए कहती है......

आमोदिता : "ओह्म........

ह्मीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।"

एक तरफ अमोदिता और रजनी टोटका तोड़ने की तैयारी कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ युग और अभि यक्षिणी कहाँ पर है इस बारे में पता कैसे करे सोच रहे थे। कायर युग के कमरे में सोया हुआ था। युग और अभि हॉल में बैठे हुए थे। युग अभि से पूछता है.......

युग : "यार तू जब से अपने घर से लौटा है चुप चाप बैठा हुआ है बता क्यों नहीं रहा कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में कि वो कहाँ पर है और किस कमरे
में.....?"

अभी : "यार बता रहा हूँ, पहले तीन तो बज जाने दे।"

युग दीवार पर लगी पुरानी घड़ी में वक्त देखते हुए कहता है.........

युग : "यार अभी तीन बजने में आधा घंटा कम है और अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता, तुने कहा था रात में बताएगा, बता ना।"

अभी : "ठीक है बताता हूँ।"

इतना कहकर अभि अपनी जेब में हाथ डालता है और
एक छोटा सा घड़ी के आकार का काला बोक्स निकालता है। जब वो उस बॉक्स को खोलता है तो उसके अंदर से एक काला धागा निकलता है, जिसमे हीलिंग क्रिस्टल काला रंग का नुकीला पत्थर
बंधा हुआ था। जो एक शंकु के आकार का था।

युग आँखे बड़ी करते हुए उस चीज को देखते हुए कहता है........

युग : "ये क्या है! ये तो मुझे किसी पेंडूलम की तरह दिख रहा है......?"

अभी : "ये पेडूंलम नहीं है युग, इसे डांउजिंग पेंडूलम कहा जाता है।"

युग : " ये डाउंजिंग पेंडूलम क्या होता है.....?"





अब आगे.............


☆Chapter-Dauging Pendulum ☆

युग : "मतलब तू इस पेंडूलम की मदद से यक्षिणी का पता लगाएगा।"

अभि : "हाँ।"

काव्या : तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी मोम के बारे मै ऐसा बोलने की कमीना कही का......



4865 words complet..........

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Some things are better forgotten.
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☆ Chapter : Totka todna ☆





अब तक............



युग : "ये आवाज तो कहीं सुनी-सुनी लग रही है...अरे हाँ ये आवाज तो यामिनी की है।"

यामिनी : "अरे बाबू फिर सोच में डूब गये, आप ना बहुत सोचते है, अब ओ ज्यादा मत सोचिये और इन मछली के दो सौ रूपए हुए है फटा फट दे दीजिए।"

रिंगटोन सुनकर ही अभिमन्यु समझ जाता है कि जरूर बिन्दू का ही फोन होगा, वो सोचने लग जाता है कि फोन कैसे उठाए यदि बिन्दू ने उससे कायर के बारे में पूछ लिया तो वो क्या जवाब देगा......?




अब आगे.............




कायर का फोन लगातार बजे जा रहा था और अभि के कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो फोन कैसे उठाए और बिन्दु को क्या जवाब दे। अभि कुछ फैसला कर पाता उससे पहले ही वहाँ पर युग आ जाता है। जब युग कमरे के अंदर घुसता है और देखता है कि कायर का फोन बज रहा है तो वो उसका फोन
उठाते हुए कहता है..........

युग : "यार अभि ये तू क्या कर रहा है, जब से फोन बज रहा है तो उसे उठा क्यों नहीं रहा है ये तेरे हाथ के
पास ही तो रखा हुआ है...?"

इतना कहकर युग फोन उठाने लग जाता है तभी अभि उसे रोकते हुए कहता है.........

अभी : "अरे रूक जा मेरे भाई, फोन मत
उठा।"

अभि युग को रोक पाता उससे पहले ही युग फोन उठा


अभी : "ये क्या किया युग तुने बिन्दु का फोन क्यों उठा लिया, मैं जब से इसलिए नहीं उठा रहा था कि बिन्दु सुबह से दो-तीन बार कॉल कर चुकी है और हर बार वो कायर के बारे में ही पूछती है, मैं बहुत टाल चुका
हूँ पर अब समझ नहीं आता क्या बोलू इसलिए फोन नहीं उठा रहा था।"

युग परेशान होते हुए कहता है........

युग : "अब क्या करूँ यार, फोन तो उठा लिया कुछ ना कुछ तो बोलना पड़ेगा वरना उसको टेंशन हो जाएगी वो समझ जाएगी कुछ ना कुछ गड़बड़ है।"

फोन के अदंर से बिन्दु की आवाज आती है.......

बिंदु : "हैलो कायर
तुमी कुछ बोल्बे की ना बोल्बे।" ( हेलो कायर तुम कुछ बोलोगे या नहीं बोलोगे )

युग अभि को फोन देते हुए कहता है.........

युग : "मैं तो बात नहीं कर रहा, यार तू ही कर।"

अभि वापस से युग को फोन थमाते हुए कहता है......

अभी : "ना बाबा ना मैं तो नहीं करने वाला, सुबह से बहुत झूठ बोल चुका हूँ अब और नहीं बोल सकता।"

बिन्दु की फिर फोन के अंदर से आवाज आती है.......

बिंदु : "तुमी कुछी बोल्छे ना केनो।" ( तुम कुछ बोलोगे या नहीं )

युग काँपते हुए मिक ऑन करता है और कहता है......

युग : "हैलो हाँ बिन्दू बोलो।"

फोन के अंदर से हैरानी के साथ बिन्दु की आवाज सुनाई देती
है

बिंदु : "कायर ये तुम्हारी आवाज को क्या हुआ, ये इतनी भारी क्यों लग रही है....?"

युग : "मैं कायर नहीं युग बोल रहा हूँ बिन्दू।"

बिंदु : "अच्छा युग तुम हो, तो फिर कायर कहाँ पर है.....?"

युग : "वो बिन्दु कायर तो वॉशरूम में है।"

बिंदु : "क्या कहा वॉशरूम में! वो आज दिन भर से वॉशरूम में ही है क्या, अभी कुछ देर पहले अभिमन्यु ने फोन उठाया था वो भी यही कह रहा था कि कायर वॉशरूम में है।"

युग सोचने लग जाता है वो क्या जवाब दे तभी वो झट से कहता है.........

युग : "वो क्या है ना रात को उसने कुछ खराब खा लिया था इसलिए उसका पेट खराब हो गया इसलिए सुबह से ही वो वॉशरूम के चक्कर लगा रहा है।"

बिंदु : "अच्छा ऐसा है, तो ठीक है जब वो आए तो उससे मेरी बात कराना।"

युग : "उससे तुम्हे कुछ जरूरी काम था क्या?"

बिंदु : "काम तो नहीं पर कुछ बात करनी थी।"

बिंदु : "अरे वही तो पूछ रहा हूँ बिन्दू क्या बात करनी है...?"

कुछ देर रूककर बिन्दु धीरे से कहती है......

बिंदु : "तुम उसे बताओगे तो नहीं ना...?"

युग : "अरे नहीं बताउँगा तुम बेफ्रिक होकर बोलो।"

बिंदु : "वैसे मुझे कायर से कुछ काम नहीं था बस उसकी याद आ रही थी।"

युग : "क्या कहा याद आ रही थी! ओए होय क्या बात है।"

बिंदु : "हाँ, वो क्या है ना मेरी कायर से रोज किसी ना किसी बहाने से बात होते रहती है पर आज सुबह से ही कुछ बात नहीं हुई तो बहुत
अजीब लग रहा था इसलिए सोचा उससे बात कर लू।"

युग : "पर कायर के सामने तो तुम ऐसा कुछ नहीं करती बल्कि उसके सामने तो तुम उसी बेज्जती करते रहती हो, उसे घास तक नहीं डालती।"

बिंदु : "वो उसकी भलाई के लिए युग, तुमने देखा है ना वो कुछ काम नहीं करता बस दिन भर बैठकर शायरियाँ लिखा करता है, अब उसे कौन समझाए शायरी लिखने से दिल तो भर जाता है पर पेट नहीं भरता, जिन्दगी जीने के लिए कुछ ना कुछ करना ही
पड़ता है, ऐसे लाईफ आगे नहीं बढ़ती।"

युग : "हाँ तुम सही कह रही हो, काश ये चीज मेरे पापा को भी पता होती तो आज मेरी ऐसी हालत नहीं हो रही होती "

बिंदु : "मतलब...?"

युग बात को पलटते हुए कहता है.......

युग : "कुछ नहीं मैं तुम्हारी बात करवाता हूँ कायर से जब वो आता है, अच्छा अब मैं रखता हूँ मुझे कुछ काम है।"

बिंदु : "हाँ ठीक है, जल्दी बात करवाना।"
युग फोन कट कर देता है। जैसे ही युग फोन कट करता है

कायर कि फिर बड़बड़ाने की आवाज सुनाई देती है......

कायर : "अमोदिता... मेरी अमोदिता कहाँ पर है, मेरी अमोदिता मुझे उससे शादी करनी है, बुलाओ मेरी अमोदिता को।"

अभि अपने हाथो से कायर का मुँह बंद करते हुए कहता
है..........

अभी : "चुप हो जा अमोदिता के दीवाने, रूक जा करवा रहा हूँ तेरी अमोदिता से शादी।"

युग : "ये अभी तक ठीक नहीं हुआ क्या....?"

अभी : "तुझे ठीक लग रहा है क्या..?"

युग : "लग तो नहीं रहा, अच्छा हुआ मै मेडिसीन ले आया इसे जल्दी से खिला देते है।"

इतना कहकर युग मछली वाली पॉलिथीन टेबल पर रखता है और अपनी शर्ट की पोकटे में से मेडिसीन निकालकर अभि को दे देता है। अभि कायर को वो मेडिसीन जैसे तैसे खिला देता है और कुछ ही देर में कायर सो जाता है। अभि और युग कायर को सुलाने के बाद अभी आराम ही कर रहे थे कि तभी
अभि की नज़र टेबल पर पड़ी पॉलीथीन पर पड़ती है।
अभि युग से पूछता है........

अभी : "इस पॉलिथीन के अंदर क्या है?"

युग : "अरे इसके अंदर भूंजी हुई मछली है।"

अभी : "क्या कहा भूंजी हुई मछली! ये कहाँ मिल गयी तुझे?"

युग : "अरे ये अपना रौंगकामुचा घाट है ना वहीं पर मिली, यामिनी बेच रही थी गर्मा-गर्म तो मैं ले आया।"

अभिमन्यु युग के मजे लेते हुए कहता है.......

अभी : "तुझे बड़ी यामिनी मिलती है, कभी कुँए के पास तो कभी घाट के पास, मुझे भी मिला जरा मैं भी तो देखू कौन है यामिनी जिसने हमारे युग की
एक्स गर्लफ्रेंड शालिनी भाभी को भूला दिया है।"

अभि की बात सुनकर युग का चेहरा उतर जाता है और वो नाराज़गी के साथ कहता है.......

युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो
गया, मैंने कहा ना तुझे शालिनी को भाभी मत बोला कर, हमारा बहुत पहले ब्रेकअप हो चुका है।"

अभी : "हाँ भाई नहीं बोलूगा, वैसे भी अब शालिनी की जगह यामिनी जो मिल गयी है तुझे, अब तो यामिनी ही मेरी भाभी बनेगी।"

युग अभि को आँख दिखाते हुए कहता है......

युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो गया, एक बात हमेशा याद रखना शालिनी अब मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है तो क्या हुआ पर उसकी जगह मेरी जिन्दगी में कोई लड़की नहीं ले सकती।"

अभी : "ऐसा क्यों, आखिर क्या था शालिनी में ऐसा जो किसी और में नहीं, ब्रेकअप हो गया है तो उसे भूल क्यों नहीं जाता जिन्दगी में आगे बढ़...?"

युग अभिमन्यु की आँखो में देखते हुए कहता है.....

युग : "पहले प्यार को कभी भुलाया नहीं जा सकता अभिमन्यु, First Love is Your Last Love अगर उसके बाद कुछ होता भी है तो वो सिर्फ समझोता है और कुछ नहीं"

अभी : "यार तू ना बाते मत घूमा, ये बता कि आखिर हुआ क्या था तुम्हारे बीच किस बात को लेकर ब्रेकअप हो गया था?"

युग : "यार अभी ना मैं कुछ नहीं बताना चाहता, जब तुने ना शालिनी का जिक्र करके मेरा पूरा मूड ऑफ कर दिया है।"

युग अभि से बाते ही कर रहा था कि तभी अभि के
मोबाईल पर एक नोटीफिकेशन आता है जिसमे लिखा हुआ था
इस पूर्णिमा करे ये ऊपाय होगा ग्रहो का दोष दूर ।

जैसे-जैसे अभि नोटिफिकेसन पढ़ते जा रहा था उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदलते जा रहे थे।
अभि नोटिफिकेशन पढ़ते हुए कहता है......

अभी : "अरे शिट! ये कैसे हो गया"

युग : "क्या हुआ, ये तेरे चेहरे पर बारह क्यों बज रहे है...?"

अभि हिचकिचाते हुए कहता है........

अभी : "या........ यार गड़बड़ हो गयी।"

युग : "गड़बड़ हो गयी! कैसी गड़बड़....?"

अभी : "यार मुझसे ना एक बहुत बड़ी गलती हो गयी, मुझे लग रहा था कि अमावस्या तीन दिन बाद है पर वो तीन दिन बाद नहीं बल्कि कल ही है।"

युग अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.......

युग : "क्या!"

अभी : "हाँ यार मुझे भी अभी पता चला, पता नहीं ये गलती कैसे हो गयी, आज से पहले हर पूर्णिमा और अमावस्या की डेट याद रहती थी पर बस इस बार गलती हो गयी।"

युग : "इसका मतलब हमारे पास सिर्फ आज रात तक का ही वक्त है ये पता लगाने के लिए कि यक्षिणी इसी ग्रेव्यार्ड कोठी में है या नहीं, और यदि है तो किस कमरे में।"

अभी : "हाँ यार।"

युग : "ये तो बड़ी प्रॉबल्म हो गयी, एक तो वैसे ही ये कायर की
ऐसी हालत है और अब यक्षिणी के बारे में भी आज रात को ही पता करना है प्रॉब्लम तो बढ़ते जा रही है यार; अभिमन्यु तू ही बता कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में......?"

अभी : "जरा सोचने दे यार मुझे, अभी मेरे दिमाग में भी कुछ आईडिया नहीं आ रहा है । "

युग : "सोच ले हमारे पास बस रात तक का ही वक्त है, उससे पहले कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा वरना यदि यक्षिणी ने किसी को अपना शिकार बना लिया तो प्रॉब्लम हो जाएगी।"

अभी : "हाँ मैं सोचता हूँ कुछ, तू फिक्र मत कर।"

इस तरफ हवेली मै काव्या अपने बेड पर पेट के बाल लेती हुयी थी और उसके हाथों मै उसका मोबाइल था और वो किसी के नंबर पर कॉल करने के लिए सोच रही थी वो बार-बार नम्बर को देखती और उसको कॉल करने के लिए कॉल ऑप्शन पर क्लिक करने जाती पर कुछ सोच कर क्लिक नहीं करती.......

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काव्या : ( मन मै ) कॉल करू या ना करू पता नहीं मेरा कॉल उठाएगा भी या नहीं, अगर उठा लिया तो, नहीं नहीं मै उससे कोई बात नहीं करने वाली, वो फिर से वही सब बाते करने लगेगा पता नहीं कब ये लड़का सुधरेगा

काव्या ये ही अपने मन ही मन मै बड़बड़ाते हुये खुद से बात करती है तभी उसे कल की दरिषय याद आने लग जाती है कैसे युग उसे ग्रेवयाद कोठी मै दरवाजे से भीड़ा कर उसकी कमर पर अपना हाथ लगता है और उसकी चूची को घूरते हुये कहता है........

( युग : आप को किया लगता है मै आप के थप्पड़ से डर जाऊँगा कभी नहीं आप की मोम नै जो मेरे साथ किया है मै उसका बदला जरूर लूंगा मै बिना चुदे उन्हें नहीं छोड़ने वाला समझी ना आप



युग : और रही आप की बात तो आप अब बड़ी हो गयी है और आप की भी अब बड़ी बड़ी हो गयी है ऐसा ना हो की माँ से पहले बेटी को चुदना पड़े इसलिए मेरे बिच मै मत आना )


कल का दरिषय याद करते हुये काव्या का चहेरा गुस्से मै लाल हो गया था और वो गुस्से मै बड़बड़ाते हुये कहती है..........

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काव्या : बिच मै तो मै आयूंगी ही युग बिच मै आउंगी युग वो मेरी मोम है मेरी मोम तुम भले ही अब उनको अपनी मोम ना मानो मगर मै बिच मै आउंगी अब मै तुमको कल बताती हु काव्या कौन है

रात हो चुकी थी और रात के बारह बज रहे थे, अमोदिता और रजनी तहखाने में बैठी हुई थी। दोनो के सामने ही एक यंत्र बना हुआ था जिसके अंदर एक गोला था और उसके अंदर स्टार।
स्टार के तीनो कोनो पर एक-एक आटे के दीये बने हुए रखे हुए थे। जो जले हुए नहीं थे। रजनी और अमोदिता वहाँ पर करीब एक घंटे से बैठी हुई थी। जब से रजनी वहाँ पर आयी थी उसने
कुछ नहीं बोला था, बस वो अपनी तंत्र मंत्र यंत्र किताब के पेज पलटाये जा रही थी। एक गहरा सन्नाटा तहखाने के अदंर छाया
हुआ था।

अमोदिता सन्नाटे को तोड़ते हुए कहती है........

आमोदिता : "मोम आप कुछ बोलोगी भी या नहीं, या फिर रात भर बस इस किताब के पेज पलटाते रहोगी......?"

रजनी अमोदिता की बात का कुछ जवाब नहीं देती है, वो अभी भी बस किताब के पेज पलटाए जा रही थी।

अमोदिता फिर रजनी पर दबाव बनाते हुए कहती है......

आमोदिता : "मोम मैं कुछ पूछ रही हूँ तुमसे, बताओ ना कैसे तोड़ते है वशीकरण टोटका....?"

रजनी गुस्से से अमोदिता से कहती है..........

रजनी : "चूतिया की बच्ची तू कुछ देर चुप
बैठेगी, एक तो एक काम ढंग से नहीं करती ऊपर से चुप भी बैठ नहीं सकती।"

रजनी का गुस्सा देखकर अमोदिता चुप हो जाती है।
रजनी किताब के पेज पलटा ही रही थी कि तभी वो खुश होते हुए कहती है..........

रजनी : "मिल गया।"

अमोदिता झट से पूछती है.........

आमोदिता : "क्या मिल गया मोम.....?"

रजनी : "वशीकरण तोड़ने का मंत्र, क्या है ना आज तक मैंने बस वशीकरण किया है कभी तोड़ा नहीं है इसलिए यह मंत्र मुझे ढूँढ़ना पड़ा।"

आमोदिता : "तो क्या है मोम वशीकरण तोड़ने का मंत्र, जल्दी बताईए ना....?"

रजनी किताब के पेज पर उंगली फेरते हुए कहती है.......

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रजनी : "मंत्र कुछ इस प्रकार है.......

ओह्न ह्नीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।​

रजनी : इस मंत्र का जाप तुझे पूरे सात बार करना है।"

अमोदिता : "बस सात बार जाप करने से वशीरकण टूट जाएगा, ये तो बहुत आसान है मोम ।"

रजनी अमोदिता को रोकते हुए गुस्से से कहती है.......

रजनी : "रूक जा, रूक जा नालायक लड़की, तुझे ना हर काम की जल्दी रहती है पहले मेरी पूरी बात तो सुन लिया कर, भूल गयी सुबह मैंने तुझे
क्या बोला था, टोटका करना जितना आसान होता है उससे कहीं ज्यादा कठिन होता है उसे तोड़ना मैंने तुझे टोटका तोड़ने का बस अभी मंत्र बताया है ये नहीं बताया है कि टोटका कैसे तोड़ा जाता है।"

अमोदिता का चेहरा उतर जाता है और वो उखड़े हुए स्वर में कहती है.........

आमोदिता : "तो फिर कैसे तोड़ा जाता है मोम टोटका......?"

रजनी : "देख मैं तुझे समझाती हूँ, जिस प्रकार किसी को वश में करने के अलग-अलग तरीके होते है उसी प्रकार वशीकरण तोड़ने के भी अलग-अलग तरीके होते है, हमने जो वशीकरण किया था
वो था बाल के जरिये वशीकरण जिसमे हल्दी की गाँठ का उपयोग किया था, अब टोटका तोड़ने के लिए तुझे उस गाँठ में से कायर का बाल निकालना होगा और किशनोई नदी में प्रवाहित करना होगा।"

अमोदिता अपना मुँह फाड़ते हुए कहती है.........

आमोदिता : "ये आप क्या बोल रही हो मोम , ये कैसे पॉसिबल हो सकता है उस गाँठ को तो मैं चौराहे पर फेंक कर आ गयी थी ना कल, वो मैं कहाँ से लाऊँगी......?"

रजनी : "वहीं से जहाँ पर फेका था।"

आमोदिता : "मोम आप भी ना पता नहीं कैसी बाते करती है, भला वो गाँठ अभी भी वहीं पर रखी होगी क्या, हो सकता है कोई कुत्ता उठा कर ले गया हो या किसी इंसान ने चलते-चलते लात मारते हुए
कहीं ले गया हो।"

रजनी : "नालायक लड़की वो टोटका था और कुत्ते कभी टोटको को नहीं छू सकते, भूल मत कुत्ते आत्माओ को देख सकते है उनके पास भी एक अदृश्य शक्ति होती है, बुरी शक्तियों को महसूस
करने की और रही इंसानो की बात तो भूल मत यह गाँव है शहर नहीं अगर किसी ने उस काली पोटली को देख भी लिया होगा तो गलती से भी हाथ लगाने का सोचा भी नहीं होगा समझी।"

आमोदिता : "मोम ये तो बहुत मुश्किल है।"

रजनी : "तो तुझे क्या काला जादू चूहे-बिल्ली का खेल लगा था, इसमे कदम-कदम पर खौफ रहता है समझी, एक और बात याद रखना ये सब तुझे तीन बजे शुरू करना है और चार बजे तक खत्म करना है।"

अमोदिता हिचकिचाते हुए कहती है........

आमोदिता : "मोम ये सब तो ठीक है, मैं चौराहे पर भी चले जाऊँगी और वो पोटली भी ढूँढ़ लूँगी पर किशनोई नदी में वो ये सब प्रवाहित करना जरूरी है क्या.....?"

रजनी : "हाँ बहुत जरूरी है, शास्त्रो में कहा गया है कि सृष्टि के प्रारंभ में सिर्फ जल ही था और अंत के समय भी सिर्फ जल ही रहेगा इसलिए इसे जल में प्रवाहित करना बहुत जरूरी है, कुछ चीजे सात्वीक और तांत्रिक चीजो में एक समान होती है समझी।"

आमोदिता : "पर मोम तुमको पता है ना कल रात पूर्णिमा है और तुमने ही तो कहा था यक्षिणी को युग जी ने आजाद कर दिया होगा और वापस गेट लगा दिया होगा।"

रजनी : "अरे पागल पूर्णिमा तो कल रात है ना तो तू आज क्यों डर रही है और वैसे भी तू एक स्त्री है और यक्षिणी भी एक स्त्री कभी दूसरी स्त्री के साथ संभोग नहीं करती, उसने आज तक जितनो को भी अपना शिकार बनाया है सब मर्दों को बनाया है और किसी
को नहीं समझी।"

आमोदिता : "हाँ समझ गयी।"

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रजनी : "चल अब ज्यादा वक्त बबार्द मत कर, मैंने जो मंत्र बोला था उसका जाप करते हुए ये तीनो दीये जला और टोटका तोड़ने के लिए तैयार हो जा।"

अमोदिता माचिस से दिया जलाते हुए कहती है......

आमोदिता : "ओह्म........

ह्मीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।"

एक तरफ अमोदिता और रजनी टोटका तोड़ने की तैयारी कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ युग और अभि यक्षिणी कहाँ पर है इस बारे में पता कैसे करे सोच रहे थे। कायर युग के कमरे में सोया हुआ था। युग और अभि हॉल में बैठे हुए थे। युग अभि से पूछता है.......

युग : "यार तू जब से अपने घर से लौटा है चुप चाप बैठा हुआ है बता क्यों नहीं रहा कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में कि वो कहाँ पर है और किस कमरे
में.....?"

अभी : "यार बता रहा हूँ, पहले तीन तो बज जाने दे।"

युग दीवार पर लगी पुरानी घड़ी में वक्त देखते हुए कहता है.........

युग : "यार अभी तीन बजने में आधा घंटा कम है और अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता, तुने कहा था रात में बताएगा, बता ना।"

अभी : "ठीक है बताता हूँ।"

इतना कहकर अभि अपनी जेब में हाथ डालता है और
एक छोटा सा घड़ी के आकार का काला बोक्स निकालता है। जब वो उस बॉक्स को खोलता है तो उसके अंदर से एक काला धागा निकलता है, जिसमे हीलिंग क्रिस्टल काला रंग का नुकीला पत्थर
बंधा हुआ था। जो एक शंकु के आकार का था।

युग आँखे बड़ी करते हुए उस चीज को देखते हुए कहता है........

युग : "ये क्या है! ये तो मुझे किसी पेंडूलम की तरह दिख रहा है......?"

अभी : "ये पेडूंलम नहीं है युग, इसे डांउजिंग पेंडूलम कहा जाता है।"

युग : " ये डाउंजिंग पेंडूलम क्या होता है.....?"





अब आगे.............


☆Chapter-Dauging Pendulum ☆

युग : "मतलब तू इस पेंडूलम की मदद से यक्षिणी का पता लगाएगा।"

अभि : "हाँ।"

काव्या : तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी मोम के बारे मै ऐसा बोलने की कमीना कही का......



4865 words complet..........

Dear Readers story ke updates or majedaar ho uske liye लाइक 👍 or comments 🗣️ karte rahiye taaki ham aap ke liye updates mai Or bhi thriller,Suspension,Sex,horror, Darama laa sake............😎
Ye roman hindi se hindi me kese ho gayi story :think2:
 
expectations
22,454
14,682
143
Update 25




☆ Chapter : Totka todna ☆





अब तक............



युग : "ये आवाज तो कहीं सुनी-सुनी लग रही है...अरे हाँ ये आवाज तो यामिनी की है।"

यामिनी : "अरे बाबू फिर सोच में डूब गये, आप ना बहुत सोचते है, अब ओ ज्यादा मत सोचिये और इन मछली के दो सौ रूपए हुए है फटा फट दे दीजिए।"

रिंगटोन सुनकर ही अभिमन्यु समझ जाता है कि जरूर बिन्दू का ही फोन होगा, वो सोचने लग जाता है कि फोन कैसे उठाए यदि बिन्दू ने उससे कायर के बारे में पूछ लिया तो वो क्या जवाब देगा......?




अब आगे.............




कायर का फोन लगातार बजे जा रहा था और अभि के कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो फोन कैसे उठाए और बिन्दु को क्या जवाब दे। अभि कुछ फैसला कर पाता उससे पहले ही वहाँ पर युग आ जाता है। जब युग कमरे के अंदर घुसता है और देखता है कि कायर का फोन बज रहा है तो वो उसका फोन
उठाते हुए कहता है..........

युग : "यार अभि ये तू क्या कर रहा है, जब से फोन बज रहा है तो उसे उठा क्यों नहीं रहा है ये तेरे हाथ के
पास ही तो रखा हुआ है...?"

इतना कहकर युग फोन उठाने लग जाता है तभी अभि उसे रोकते हुए कहता है.........

अभी : "अरे रूक जा मेरे भाई, फोन मत
उठा।"

अभि युग को रोक पाता उससे पहले ही युग फोन उठा


अभी : "ये क्या किया युग तुने बिन्दु का फोन क्यों उठा लिया, मैं जब से इसलिए नहीं उठा रहा था कि बिन्दु सुबह से दो-तीन बार कॉल कर चुकी है और हर बार वो कायर के बारे में ही पूछती है, मैं बहुत टाल चुका
हूँ पर अब समझ नहीं आता क्या बोलू इसलिए फोन नहीं उठा रहा था।"

युग परेशान होते हुए कहता है........

युग : "अब क्या करूँ यार, फोन तो उठा लिया कुछ ना कुछ तो बोलना पड़ेगा वरना उसको टेंशन हो जाएगी वो समझ जाएगी कुछ ना कुछ गड़बड़ है।"

फोन के अदंर से बिन्दु की आवाज आती है.......

बिंदु : "हैलो कायर
तुमी कुछ बोल्बे की ना बोल्बे।" ( हेलो कायर तुम कुछ बोलोगे या नहीं बोलोगे )

युग अभि को फोन देते हुए कहता है.........

युग : "मैं तो बात नहीं कर रहा, यार तू ही कर।"

अभि वापस से युग को फोन थमाते हुए कहता है......

अभी : "ना बाबा ना मैं तो नहीं करने वाला, सुबह से बहुत झूठ बोल चुका हूँ अब और नहीं बोल सकता।"

बिन्दु की फिर फोन के अंदर से आवाज आती है.......

बिंदु : "तुमी कुछी बोल्छे ना केनो।" ( तुम कुछ बोलोगे या नहीं )

युग काँपते हुए मिक ऑन करता है और कहता है......

युग : "हैलो हाँ बिन्दू बोलो।"

फोन के अंदर से हैरानी के साथ बिन्दु की आवाज सुनाई देती
है

बिंदु : "कायर ये तुम्हारी आवाज को क्या हुआ, ये इतनी भारी क्यों लग रही है....?"

युग : "मैं कायर नहीं युग बोल रहा हूँ बिन्दू।"

बिंदु : "अच्छा युग तुम हो, तो फिर कायर कहाँ पर है.....?"

युग : "वो बिन्दु कायर तो वॉशरूम में है।"

बिंदु : "क्या कहा वॉशरूम में! वो आज दिन भर से वॉशरूम में ही है क्या, अभी कुछ देर पहले अभिमन्यु ने फोन उठाया था वो भी यही कह रहा था कि कायर वॉशरूम में है।"

युग सोचने लग जाता है वो क्या जवाब दे तभी वो झट से कहता है.........

युग : "वो क्या है ना रात को उसने कुछ खराब खा लिया था इसलिए उसका पेट खराब हो गया इसलिए सुबह से ही वो वॉशरूम के चक्कर लगा रहा है।"

बिंदु : "अच्छा ऐसा है, तो ठीक है जब वो आए तो उससे मेरी बात कराना।"

युग : "उससे तुम्हे कुछ जरूरी काम था क्या?"

बिंदु : "काम तो नहीं पर कुछ बात करनी थी।"

बिंदु : "अरे वही तो पूछ रहा हूँ बिन्दू क्या बात करनी है...?"

कुछ देर रूककर बिन्दु धीरे से कहती है......

बिंदु : "तुम उसे बताओगे तो नहीं ना...?"

युग : "अरे नहीं बताउँगा तुम बेफ्रिक होकर बोलो।"

बिंदु : "वैसे मुझे कायर से कुछ काम नहीं था बस उसकी याद आ रही थी।"

युग : "क्या कहा याद आ रही थी! ओए होय क्या बात है।"

बिंदु : "हाँ, वो क्या है ना मेरी कायर से रोज किसी ना किसी बहाने से बात होते रहती है पर आज सुबह से ही कुछ बात नहीं हुई तो बहुत
अजीब लग रहा था इसलिए सोचा उससे बात कर लू।"

युग : "पर कायर के सामने तो तुम ऐसा कुछ नहीं करती बल्कि उसके सामने तो तुम उसी बेज्जती करते रहती हो, उसे घास तक नहीं डालती।"

बिंदु : "वो उसकी भलाई के लिए युग, तुमने देखा है ना वो कुछ काम नहीं करता बस दिन भर बैठकर शायरियाँ लिखा करता है, अब उसे कौन समझाए शायरी लिखने से दिल तो भर जाता है पर पेट नहीं भरता, जिन्दगी जीने के लिए कुछ ना कुछ करना ही
पड़ता है, ऐसे लाईफ आगे नहीं बढ़ती।"

युग : "हाँ तुम सही कह रही हो, काश ये चीज मेरे पापा को भी पता होती तो आज मेरी ऐसी हालत नहीं हो रही होती "

बिंदु : "मतलब...?"

युग बात को पलटते हुए कहता है.......

युग : "कुछ नहीं मैं तुम्हारी बात करवाता हूँ कायर से जब वो आता है, अच्छा अब मैं रखता हूँ मुझे कुछ काम है।"

बिंदु : "हाँ ठीक है, जल्दी बात करवाना।"
युग फोन कट कर देता है। जैसे ही युग फोन कट करता है

कायर कि फिर बड़बड़ाने की आवाज सुनाई देती है......

कायर : "अमोदिता... मेरी अमोदिता कहाँ पर है, मेरी अमोदिता मुझे उससे शादी करनी है, बुलाओ मेरी अमोदिता को।"

अभि अपने हाथो से कायर का मुँह बंद करते हुए कहता
है..........

अभी : "चुप हो जा अमोदिता के दीवाने, रूक जा करवा रहा हूँ तेरी अमोदिता से शादी।"

युग : "ये अभी तक ठीक नहीं हुआ क्या....?"

अभी : "तुझे ठीक लग रहा है क्या..?"

युग : "लग तो नहीं रहा, अच्छा हुआ मै मेडिसीन ले आया इसे जल्दी से खिला देते है।"

इतना कहकर युग मछली वाली पॉलिथीन टेबल पर रखता है और अपनी शर्ट की पोकटे में से मेडिसीन निकालकर अभि को दे देता है। अभि कायर को वो मेडिसीन जैसे तैसे खिला देता है और कुछ ही देर में कायर सो जाता है। अभि और युग कायर को सुलाने के बाद अभी आराम ही कर रहे थे कि तभी
अभि की नज़र टेबल पर पड़ी पॉलीथीन पर पड़ती है।
अभि युग से पूछता है........

अभी : "इस पॉलिथीन के अंदर क्या है?"

युग : "अरे इसके अंदर भूंजी हुई मछली है।"

अभी : "क्या कहा भूंजी हुई मछली! ये कहाँ मिल गयी तुझे?"

युग : "अरे ये अपना रौंगकामुचा घाट है ना वहीं पर मिली, यामिनी बेच रही थी गर्मा-गर्म तो मैं ले आया।"

अभिमन्यु युग के मजे लेते हुए कहता है.......

अभी : "तुझे बड़ी यामिनी मिलती है, कभी कुँए के पास तो कभी घाट के पास, मुझे भी मिला जरा मैं भी तो देखू कौन है यामिनी जिसने हमारे युग की
एक्स गर्लफ्रेंड शालिनी भाभी को भूला दिया है।"

अभि की बात सुनकर युग का चेहरा उतर जाता है और वो नाराज़गी के साथ कहता है.......

युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो
गया, मैंने कहा ना तुझे शालिनी को भाभी मत बोला कर, हमारा बहुत पहले ब्रेकअप हो चुका है।"

अभी : "हाँ भाई नहीं बोलूगा, वैसे भी अब शालिनी की जगह यामिनी जो मिल गयी है तुझे, अब तो यामिनी ही मेरी भाभी बनेगी।"

युग अभि को आँख दिखाते हुए कहता है......

युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो गया, एक बात हमेशा याद रखना शालिनी अब मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है तो क्या हुआ पर उसकी जगह मेरी जिन्दगी में कोई लड़की नहीं ले सकती।"

अभी : "ऐसा क्यों, आखिर क्या था शालिनी में ऐसा जो किसी और में नहीं, ब्रेकअप हो गया है तो उसे भूल क्यों नहीं जाता जिन्दगी में आगे बढ़...?"

युग अभिमन्यु की आँखो में देखते हुए कहता है.....

युग : "पहले प्यार को कभी भुलाया नहीं जा सकता अभिमन्यु, First Love is Your Last Love अगर उसके बाद कुछ होता भी है तो वो सिर्फ समझोता है और कुछ नहीं"

अभी : "यार तू ना बाते मत घूमा, ये बता कि आखिर हुआ क्या था तुम्हारे बीच किस बात को लेकर ब्रेकअप हो गया था?"

युग : "यार अभी ना मैं कुछ नहीं बताना चाहता, जब तुने ना शालिनी का जिक्र करके मेरा पूरा मूड ऑफ कर दिया है।"

युग अभि से बाते ही कर रहा था कि तभी अभि के
मोबाईल पर एक नोटीफिकेशन आता है जिसमे लिखा हुआ था
इस पूर्णिमा करे ये ऊपाय होगा ग्रहो का दोष दूर ।

जैसे-जैसे अभि नोटिफिकेसन पढ़ते जा रहा था उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदलते जा रहे थे।
अभि नोटिफिकेशन पढ़ते हुए कहता है......

अभी : "अरे शिट! ये कैसे हो गया"

युग : "क्या हुआ, ये तेरे चेहरे पर बारह क्यों बज रहे है...?"

अभि हिचकिचाते हुए कहता है........

अभी : "या........ यार गड़बड़ हो गयी।"

युग : "गड़बड़ हो गयी! कैसी गड़बड़....?"

अभी : "यार मुझसे ना एक बहुत बड़ी गलती हो गयी, मुझे लग रहा था कि अमावस्या तीन दिन बाद है पर वो तीन दिन बाद नहीं बल्कि कल ही है।"

युग अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.......

युग : "क्या!"

अभी : "हाँ यार मुझे भी अभी पता चला, पता नहीं ये गलती कैसे हो गयी, आज से पहले हर पूर्णिमा और अमावस्या की डेट याद रहती थी पर बस इस बार गलती हो गयी।"

युग : "इसका मतलब हमारे पास सिर्फ आज रात तक का ही वक्त है ये पता लगाने के लिए कि यक्षिणी इसी ग्रेव्यार्ड कोठी में है या नहीं, और यदि है तो किस कमरे में।"

अभी : "हाँ यार।"

युग : "ये तो बड़ी प्रॉबल्म हो गयी, एक तो वैसे ही ये कायर की
ऐसी हालत है और अब यक्षिणी के बारे में भी आज रात को ही पता करना है प्रॉब्लम तो बढ़ते जा रही है यार; अभिमन्यु तू ही बता कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में......?"

अभी : "जरा सोचने दे यार मुझे, अभी मेरे दिमाग में भी कुछ आईडिया नहीं आ रहा है । "

युग : "सोच ले हमारे पास बस रात तक का ही वक्त है, उससे पहले कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा वरना यदि यक्षिणी ने किसी को अपना शिकार बना लिया तो प्रॉब्लम हो जाएगी।"

अभी : "हाँ मैं सोचता हूँ कुछ, तू फिक्र मत कर।"

इस तरफ हवेली मै काव्या अपने बेड पर पेट के बाल लेती हुयी थी और उसके हाथों मै उसका मोबाइल था और वो किसी के नंबर पर कॉल करने के लिए सोच रही थी वो बार-बार नम्बर को देखती और उसको कॉल करने के लिए कॉल ऑप्शन पर क्लिक करने जाती पर कुछ सोच कर क्लिक नहीं करती.......

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काव्या : ( मन मै ) कॉल करू या ना करू पता नहीं मेरा कॉल उठाएगा भी या नहीं, अगर उठा लिया तो, नहीं नहीं मै उससे कोई बात नहीं करने वाली, वो फिर से वही सब बाते करने लगेगा पता नहीं कब ये लड़का सुधरेगा

काव्या ये ही अपने मन ही मन मै बड़बड़ाते हुये खुद से बात करती है तभी उसे कल की दरिषय याद आने लग जाती है कैसे युग उसे ग्रेवयाद कोठी मै दरवाजे से भीड़ा कर उसकी कमर पर अपना हाथ लगता है और उसकी चूची को घूरते हुये कहता है........

( युग : आप को किया लगता है मै आप के थप्पड़ से डर जाऊँगा कभी नहीं आप की मोम नै जो मेरे साथ किया है मै उसका बदला जरूर लूंगा मै बिना चुदे उन्हें नहीं छोड़ने वाला समझी ना आप



युग : और रही आप की बात तो आप अब बड़ी हो गयी है और आप की भी अब बड़ी बड़ी हो गयी है ऐसा ना हो की माँ से पहले बेटी को चुदना पड़े इसलिए मेरे बिच मै मत आना )


कल का दरिषय याद करते हुये काव्या का चहेरा गुस्से मै लाल हो गया था और वो गुस्से मै बड़बड़ाते हुये कहती है..........

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काव्या : बिच मै तो मै आयूंगी ही युग बिच मै आउंगी युग वो मेरी मोम है मेरी मोम तुम भले ही अब उनको अपनी मोम ना मानो मगर मै बिच मै आउंगी अब मै तुमको कल बताती हु काव्या कौन है

रात हो चुकी थी और रात के बारह बज रहे थे, अमोदिता और रजनी तहखाने में बैठी हुई थी। दोनो के सामने ही एक यंत्र बना हुआ था जिसके अंदर एक गोला था और उसके अंदर स्टार।
स्टार के तीनो कोनो पर एक-एक आटे के दीये बने हुए रखे हुए थे। जो जले हुए नहीं थे। रजनी और अमोदिता वहाँ पर करीब एक घंटे से बैठी हुई थी। जब से रजनी वहाँ पर आयी थी उसने
कुछ नहीं बोला था, बस वो अपनी तंत्र मंत्र यंत्र किताब के पेज पलटाये जा रही थी। एक गहरा सन्नाटा तहखाने के अदंर छाया
हुआ था।

अमोदिता सन्नाटे को तोड़ते हुए कहती है........

आमोदिता : "मोम आप कुछ बोलोगी भी या नहीं, या फिर रात भर बस इस किताब के पेज पलटाते रहोगी......?"

रजनी अमोदिता की बात का कुछ जवाब नहीं देती है, वो अभी भी बस किताब के पेज पलटाए जा रही थी।

अमोदिता फिर रजनी पर दबाव बनाते हुए कहती है......

आमोदिता : "मोम मैं कुछ पूछ रही हूँ तुमसे, बताओ ना कैसे तोड़ते है वशीकरण टोटका....?"

रजनी गुस्से से अमोदिता से कहती है..........

रजनी : "चूतिया की बच्ची तू कुछ देर चुप
बैठेगी, एक तो एक काम ढंग से नहीं करती ऊपर से चुप भी बैठ नहीं सकती।"

रजनी का गुस्सा देखकर अमोदिता चुप हो जाती है।
रजनी किताब के पेज पलटा ही रही थी कि तभी वो खुश होते हुए कहती है..........

रजनी : "मिल गया।"

अमोदिता झट से पूछती है.........

आमोदिता : "क्या मिल गया मोम.....?"

रजनी : "वशीकरण तोड़ने का मंत्र, क्या है ना आज तक मैंने बस वशीकरण किया है कभी तोड़ा नहीं है इसलिए यह मंत्र मुझे ढूँढ़ना पड़ा।"

आमोदिता : "तो क्या है मोम वशीकरण तोड़ने का मंत्र, जल्दी बताईए ना....?"

रजनी किताब के पेज पर उंगली फेरते हुए कहती है.......

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रजनी : "मंत्र कुछ इस प्रकार है.......

ओह्न ह्नीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।​

रजनी : इस मंत्र का जाप तुझे पूरे सात बार करना है।"

अमोदिता : "बस सात बार जाप करने से वशीरकण टूट जाएगा, ये तो बहुत आसान है मोम ।"

रजनी अमोदिता को रोकते हुए गुस्से से कहती है.......

रजनी : "रूक जा, रूक जा नालायक लड़की, तुझे ना हर काम की जल्दी रहती है पहले मेरी पूरी बात तो सुन लिया कर, भूल गयी सुबह मैंने तुझे
क्या बोला था, टोटका करना जितना आसान होता है उससे कहीं ज्यादा कठिन होता है उसे तोड़ना मैंने तुझे टोटका तोड़ने का बस अभी मंत्र बताया है ये नहीं बताया है कि टोटका कैसे तोड़ा जाता है।"

अमोदिता का चेहरा उतर जाता है और वो उखड़े हुए स्वर में कहती है.........

आमोदिता : "तो फिर कैसे तोड़ा जाता है मोम टोटका......?"

रजनी : "देख मैं तुझे समझाती हूँ, जिस प्रकार किसी को वश में करने के अलग-अलग तरीके होते है उसी प्रकार वशीकरण तोड़ने के भी अलग-अलग तरीके होते है, हमने जो वशीकरण किया था
वो था बाल के जरिये वशीकरण जिसमे हल्दी की गाँठ का उपयोग किया था, अब टोटका तोड़ने के लिए तुझे उस गाँठ में से कायर का बाल निकालना होगा और किशनोई नदी में प्रवाहित करना होगा।"

अमोदिता अपना मुँह फाड़ते हुए कहती है.........

आमोदिता : "ये आप क्या बोल रही हो मोम , ये कैसे पॉसिबल हो सकता है उस गाँठ को तो मैं चौराहे पर फेंक कर आ गयी थी ना कल, वो मैं कहाँ से लाऊँगी......?"

रजनी : "वहीं से जहाँ पर फेका था।"

आमोदिता : "मोम आप भी ना पता नहीं कैसी बाते करती है, भला वो गाँठ अभी भी वहीं पर रखी होगी क्या, हो सकता है कोई कुत्ता उठा कर ले गया हो या किसी इंसान ने चलते-चलते लात मारते हुए
कहीं ले गया हो।"

रजनी : "नालायक लड़की वो टोटका था और कुत्ते कभी टोटको को नहीं छू सकते, भूल मत कुत्ते आत्माओ को देख सकते है उनके पास भी एक अदृश्य शक्ति होती है, बुरी शक्तियों को महसूस
करने की और रही इंसानो की बात तो भूल मत यह गाँव है शहर नहीं अगर किसी ने उस काली पोटली को देख भी लिया होगा तो गलती से भी हाथ लगाने का सोचा भी नहीं होगा समझी।"

आमोदिता : "मोम ये तो बहुत मुश्किल है।"

रजनी : "तो तुझे क्या काला जादू चूहे-बिल्ली का खेल लगा था, इसमे कदम-कदम पर खौफ रहता है समझी, एक और बात याद रखना ये सब तुझे तीन बजे शुरू करना है और चार बजे तक खत्म करना है।"

अमोदिता हिचकिचाते हुए कहती है........

आमोदिता : "मोम ये सब तो ठीक है, मैं चौराहे पर भी चले जाऊँगी और वो पोटली भी ढूँढ़ लूँगी पर किशनोई नदी में वो ये सब प्रवाहित करना जरूरी है क्या.....?"

रजनी : "हाँ बहुत जरूरी है, शास्त्रो में कहा गया है कि सृष्टि के प्रारंभ में सिर्फ जल ही था और अंत के समय भी सिर्फ जल ही रहेगा इसलिए इसे जल में प्रवाहित करना बहुत जरूरी है, कुछ चीजे सात्वीक और तांत्रिक चीजो में एक समान होती है समझी।"

आमोदिता : "पर मोम तुमको पता है ना कल रात पूर्णिमा है और तुमने ही तो कहा था यक्षिणी को युग जी ने आजाद कर दिया होगा और वापस गेट लगा दिया होगा।"

रजनी : "अरे पागल पूर्णिमा तो कल रात है ना तो तू आज क्यों डर रही है और वैसे भी तू एक स्त्री है और यक्षिणी भी एक स्त्री कभी दूसरी स्त्री के साथ संभोग नहीं करती, उसने आज तक जितनो को भी अपना शिकार बनाया है सब मर्दों को बनाया है और किसी
को नहीं समझी।"

आमोदिता : "हाँ समझ गयी।"

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रजनी : "चल अब ज्यादा वक्त बबार्द मत कर, मैंने जो मंत्र बोला था उसका जाप करते हुए ये तीनो दीये जला और टोटका तोड़ने के लिए तैयार हो जा।"

अमोदिता माचिस से दिया जलाते हुए कहती है......

आमोदिता : "ओह्म........

ह्मीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।"

एक तरफ अमोदिता और रजनी टोटका तोड़ने की तैयारी कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ युग और अभि यक्षिणी कहाँ पर है इस बारे में पता कैसे करे सोच रहे थे। कायर युग के कमरे में सोया हुआ था। युग और अभि हॉल में बैठे हुए थे। युग अभि से पूछता है.......

युग : "यार तू जब से अपने घर से लौटा है चुप चाप बैठा हुआ है बता क्यों नहीं रहा कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में कि वो कहाँ पर है और किस कमरे
में.....?"

अभी : "यार बता रहा हूँ, पहले तीन तो बज जाने दे।"

युग दीवार पर लगी पुरानी घड़ी में वक्त देखते हुए कहता है.........

युग : "यार अभी तीन बजने में आधा घंटा कम है और अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता, तुने कहा था रात में बताएगा, बता ना।"

अभी : "ठीक है बताता हूँ।"

इतना कहकर अभि अपनी जेब में हाथ डालता है और
एक छोटा सा घड़ी के आकार का काला बोक्स निकालता है। जब वो उस बॉक्स को खोलता है तो उसके अंदर से एक काला धागा निकलता है, जिसमे हीलिंग क्रिस्टल काला रंग का नुकीला पत्थर
बंधा हुआ था। जो एक शंकु के आकार का था।

युग आँखे बड़ी करते हुए उस चीज को देखते हुए कहता है........

युग : "ये क्या है! ये तो मुझे किसी पेंडूलम की तरह दिख रहा है......?"

अभी : "ये पेडूंलम नहीं है युग, इसे डांउजिंग पेंडूलम कहा जाता है।"

युग : " ये डाउंजिंग पेंडूलम क्या होता है.....?"





अब आगे.............


☆Chapter-Dauging Pendulum ☆

युग : "मतलब तू इस पेंडूलम की मदद से यक्षिणी का पता लगाएगा।"

अभि : "हाँ।"

काव्या : तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी मोम के बारे मै ऐसा बोलने की कमीना कही का......



4865 words complet..........

Dear Readers story ke updates or majedaar ho uske liye लाइक 👍 or comments 🗣️ karte rahiye taaki ham aap ke liye updates mai Or bhi thriller,Suspension,Sex,horror, Darama laa sake............😎
Raat ko padhta hun ghapa ghap na hua to toka koot deb hum :slap:
 

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