Incest NAZAR

Aap ko ye story kesi lag rahi hai.......


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Uski Nazar Ke Jhaase Main Mat Fasna.....
Uske Ulte Pair Dekhanewaalo Ki Ulti Ginti Shuru Ho Jaati Hai........
Uski Choti AapKi Umar Chhoti Kar Degi.........

maxresdefault

To guys pesh hai aap ke liye

New story Nazar..........

Thriller,Horror,Drama,Incenst


Note : Es story mai family induction nahi de raha hu kiyu ke ye story thoda alag hai jese jese Charecters aayenge aap to pata chal jaayega Story Acchi lage to like 👍 daba ke dena or comments karna naa bhule or koi yaha faltu ki bakchodyi naa Pele

yah ek fantasy Kalpaik hai jo kewal manoranjan haitu hai Ham alokiki,andhvishwash ya jaaduyi parathao mai aashtha ko samrthan yaa badhawa nahi dete

Note : Updates ko raat mai read kare Kiyu ke horror ka maza raat mai aata hai
 
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Update 25




☆ Chapter : Totka todna ☆





अब तक............



युग : "ये आवाज तो कहीं सुनी-सुनी लग रही है...अरे हाँ ये आवाज तो यामिनी की है।"

यामिनी : "अरे बाबू फिर सोच में डूब गये, आप ना बहुत सोचते है, अब ओ ज्यादा मत सोचिये और इन मछली के दो सौ रूपए हुए है फटा फट दे दीजिए।"

रिंगटोन सुनकर ही अभिमन्यु समझ जाता है कि जरूर बिन्दू का ही फोन होगा, वो सोचने लग जाता है कि फोन कैसे उठाए यदि बिन्दू ने उससे कायर के बारे में पूछ लिया तो वो क्या जवाब देगा......?




अब आगे.............




कायर का फोन लगातार बजे जा रहा था और अभि के कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो फोन कैसे उठाए और बिन्दु को क्या जवाब दे। अभि कुछ फैसला कर पाता उससे पहले ही वहाँ पर युग आ जाता है। जब युग कमरे के अंदर घुसता है और देखता है कि कायर का फोन बज रहा है तो वो उसका फोन
उठाते हुए कहता है..........

युग : "यार अभि ये तू क्या कर रहा है, जब से फोन बज रहा है तो उसे उठा क्यों नहीं रहा है ये तेरे हाथ के
पास ही तो रखा हुआ है...?"

इतना कहकर युग फोन उठाने लग जाता है तभी अभि उसे रोकते हुए कहता है.........

अभी : "अरे रूक जा मेरे भाई, फोन मत
उठा।"

अभि युग को रोक पाता उससे पहले ही युग फोन उठा


अभी : "ये क्या किया युग तुने बिन्दु का फोन क्यों उठा लिया, मैं जब से इसलिए नहीं उठा रहा था कि बिन्दु सुबह से दो-तीन बार कॉल कर चुकी है और हर बार वो कायर के बारे में ही पूछती है, मैं बहुत टाल चुका
हूँ पर अब समझ नहीं आता क्या बोलू इसलिए फोन नहीं उठा रहा था।"

युग परेशान होते हुए कहता है........

युग : "अब क्या करूँ यार, फोन तो उठा लिया कुछ ना कुछ तो बोलना पड़ेगा वरना उसको टेंशन हो जाएगी वो समझ जाएगी कुछ ना कुछ गड़बड़ है।"

फोन के अदंर से बिन्दु की आवाज आती है.......

बिंदु : "हैलो कायर
तुमी कुछ बोल्बे की ना बोल्बे।" ( हेलो कायर तुम कुछ बोलोगे या नहीं बोलोगे )

युग अभि को फोन देते हुए कहता है.........

युग : "मैं तो बात नहीं कर रहा, यार तू ही कर।"

अभि वापस से युग को फोन थमाते हुए कहता है......

अभी : "ना बाबा ना मैं तो नहीं करने वाला, सुबह से बहुत झूठ बोल चुका हूँ अब और नहीं बोल सकता।"

बिन्दु की फिर फोन के अंदर से आवाज आती है.......

बिंदु : "तुमी कुछी बोल्छे ना केनो।" ( तुम कुछ बोलोगे या नहीं )

युग काँपते हुए मिक ऑन करता है और कहता है......

युग : "हैलो हाँ बिन्दू बोलो।"

फोन के अंदर से हैरानी के साथ बिन्दु की आवाज सुनाई देती
है

बिंदु : "कायर ये तुम्हारी आवाज को क्या हुआ, ये इतनी भारी क्यों लग रही है....?"

युग : "मैं कायर नहीं युग बोल रहा हूँ बिन्दू।"

बिंदु : "अच्छा युग तुम हो, तो फिर कायर कहाँ पर है.....?"

युग : "वो बिन्दु कायर तो वॉशरूम में है।"

बिंदु : "क्या कहा वॉशरूम में! वो आज दिन भर से वॉशरूम में ही है क्या, अभी कुछ देर पहले अभिमन्यु ने फोन उठाया था वो भी यही कह रहा था कि कायर वॉशरूम में है।"

युग सोचने लग जाता है वो क्या जवाब दे तभी वो झट से कहता है.........

युग : "वो क्या है ना रात को उसने कुछ खराब खा लिया था इसलिए उसका पेट खराब हो गया इसलिए सुबह से ही वो वॉशरूम के चक्कर लगा रहा है।"

बिंदु : "अच्छा ऐसा है, तो ठीक है जब वो आए तो उससे मेरी बात कराना।"

युग : "उससे तुम्हे कुछ जरूरी काम था क्या?"

बिंदु : "काम तो नहीं पर कुछ बात करनी थी।"

बिंदु : "अरे वही तो पूछ रहा हूँ बिन्दू क्या बात करनी है...?"

कुछ देर रूककर बिन्दु धीरे से कहती है......

बिंदु : "तुम उसे बताओगे तो नहीं ना...?"

युग : "अरे नहीं बताउँगा तुम बेफ्रिक होकर बोलो।"

बिंदु : "वैसे मुझे कायर से कुछ काम नहीं था बस उसकी याद आ रही थी।"

युग : "क्या कहा याद आ रही थी! ओए होय क्या बात है।"

बिंदु : "हाँ, वो क्या है ना मेरी कायर से रोज किसी ना किसी बहाने से बात होते रहती है पर आज सुबह से ही कुछ बात नहीं हुई तो बहुत
अजीब लग रहा था इसलिए सोचा उससे बात कर लू।"

युग : "पर कायर के सामने तो तुम ऐसा कुछ नहीं करती बल्कि उसके सामने तो तुम उसी बेज्जती करते रहती हो, उसे घास तक नहीं डालती।"

बिंदु : "वो उसकी भलाई के लिए युग, तुमने देखा है ना वो कुछ काम नहीं करता बस दिन भर बैठकर शायरियाँ लिखा करता है, अब उसे कौन समझाए शायरी लिखने से दिल तो भर जाता है पर पेट नहीं भरता, जिन्दगी जीने के लिए कुछ ना कुछ करना ही
पड़ता है, ऐसे लाईफ आगे नहीं बढ़ती।"

युग : "हाँ तुम सही कह रही हो, काश ये चीज मेरे पापा को भी पता होती तो आज मेरी ऐसी हालत नहीं हो रही होती "

बिंदु : "मतलब...?"

युग बात को पलटते हुए कहता है.......

युग : "कुछ नहीं मैं तुम्हारी बात करवाता हूँ कायर से जब वो आता है, अच्छा अब मैं रखता हूँ मुझे कुछ काम है।"

बिंदु : "हाँ ठीक है, जल्दी बात करवाना।"
युग फोन कट कर देता है। जैसे ही युग फोन कट करता है

कायर कि फिर बड़बड़ाने की आवाज सुनाई देती है......

कायर : "अमोदिता... मेरी अमोदिता कहाँ पर है, मेरी अमोदिता मुझे उससे शादी करनी है, बुलाओ मेरी अमोदिता को।"

अभि अपने हाथो से कायर का मुँह बंद करते हुए कहता
है..........

अभी : "चुप हो जा अमोदिता के दीवाने, रूक जा करवा रहा हूँ तेरी अमोदिता से शादी।"

युग : "ये अभी तक ठीक नहीं हुआ क्या....?"

अभी : "तुझे ठीक लग रहा है क्या..?"

युग : "लग तो नहीं रहा, अच्छा हुआ मै मेडिसीन ले आया इसे जल्दी से खिला देते है।"

इतना कहकर युग मछली वाली पॉलिथीन टेबल पर रखता है और अपनी शर्ट की पोकटे में से मेडिसीन निकालकर अभि को दे देता है। अभि कायर को वो मेडिसीन जैसे तैसे खिला देता है और कुछ ही देर में कायर सो जाता है। अभि और युग कायर को सुलाने के बाद अभी आराम ही कर रहे थे कि तभी
अभि की नज़र टेबल पर पड़ी पॉलीथीन पर पड़ती है।
अभि युग से पूछता है........

अभी : "इस पॉलिथीन के अंदर क्या है?"

युग : "अरे इसके अंदर भूंजी हुई मछली है।"

अभी : "क्या कहा भूंजी हुई मछली! ये कहाँ मिल गयी तुझे?"

युग : "अरे ये अपना रौंगकामुचा घाट है ना वहीं पर मिली, यामिनी बेच रही थी गर्मा-गर्म तो मैं ले आया।"

अभिमन्यु युग के मजे लेते हुए कहता है.......

अभी : "तुझे बड़ी यामिनी मिलती है, कभी कुँए के पास तो कभी घाट के पास, मुझे भी मिला जरा मैं भी तो देखू कौन है यामिनी जिसने हमारे युग की
एक्स गर्लफ्रेंड शालिनी भाभी को भूला दिया है।"

अभि की बात सुनकर युग का चेहरा उतर जाता है और वो नाराज़गी के साथ कहता है.......

युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो
गया, मैंने कहा ना तुझे शालिनी को भाभी मत बोला कर, हमारा बहुत पहले ब्रेकअप हो चुका है।"

अभी : "हाँ भाई नहीं बोलूगा, वैसे भी अब शालिनी की जगह यामिनी जो मिल गयी है तुझे, अब तो यामिनी ही मेरी भाभी बनेगी।"

युग अभि को आँख दिखाते हुए कहता है......

युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो गया, एक बात हमेशा याद रखना शालिनी अब मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है तो क्या हुआ पर उसकी जगह मेरी जिन्दगी में कोई लड़की नहीं ले सकती।"

अभी : "ऐसा क्यों, आखिर क्या था शालिनी में ऐसा जो किसी और में नहीं, ब्रेकअप हो गया है तो उसे भूल क्यों नहीं जाता जिन्दगी में आगे बढ़...?"

युग अभिमन्यु की आँखो में देखते हुए कहता है.....

युग : "पहले प्यार को कभी भुलाया नहीं जा सकता अभिमन्यु, First Love is Your Last Love अगर उसके बाद कुछ होता भी है तो वो सिर्फ समझोता है और कुछ नहीं"

अभी : "यार तू ना बाते मत घूमा, ये बता कि आखिर हुआ क्या था तुम्हारे बीच किस बात को लेकर ब्रेकअप हो गया था?"

युग : "यार अभी ना मैं कुछ नहीं बताना चाहता, जब तुने ना शालिनी का जिक्र करके मेरा पूरा मूड ऑफ कर दिया है।"

युग अभि से बाते ही कर रहा था कि तभी अभि के
मोबाईल पर एक नोटीफिकेशन आता है जिसमे लिखा हुआ था
इस पूर्णिमा करे ये ऊपाय होगा ग्रहो का दोष दूर ।

जैसे-जैसे अभि नोटिफिकेसन पढ़ते जा रहा था उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदलते जा रहे थे।
अभि नोटिफिकेशन पढ़ते हुए कहता है......

अभी : "अरे शिट! ये कैसे हो गया"

युग : "क्या हुआ, ये तेरे चेहरे पर बारह क्यों बज रहे है...?"

अभि हिचकिचाते हुए कहता है........

अभी : "या........ यार गड़बड़ हो गयी।"

युग : "गड़बड़ हो गयी! कैसी गड़बड़....?"

अभी : "यार मुझसे ना एक बहुत बड़ी गलती हो गयी, मुझे लग रहा था कि अमावस्या तीन दिन बाद है पर वो तीन दिन बाद नहीं बल्कि कल ही है।"

युग अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.......

युग : "क्या!"

अभी : "हाँ यार मुझे भी अभी पता चला, पता नहीं ये गलती कैसे हो गयी, आज से पहले हर पूर्णिमा और अमावस्या की डेट याद रहती थी पर बस इस बार गलती हो गयी।"

युग : "इसका मतलब हमारे पास सिर्फ आज रात तक का ही वक्त है ये पता लगाने के लिए कि यक्षिणी इसी ग्रेव्यार्ड कोठी में है या नहीं, और यदि है तो किस कमरे में।"

अभी : "हाँ यार।"

युग : "ये तो बड़ी प्रॉबल्म हो गयी, एक तो वैसे ही ये कायर की
ऐसी हालत है और अब यक्षिणी के बारे में भी आज रात को ही पता करना है प्रॉब्लम तो बढ़ते जा रही है यार; अभिमन्यु तू ही बता कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में......?"

अभी : "जरा सोचने दे यार मुझे, अभी मेरे दिमाग में भी कुछ आईडिया नहीं आ रहा है । "

युग : "सोच ले हमारे पास बस रात तक का ही वक्त है, उससे पहले कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा वरना यदि यक्षिणी ने किसी को अपना शिकार बना लिया तो प्रॉब्लम हो जाएगी।"

अभी : "हाँ मैं सोचता हूँ कुछ, तू फिक्र मत कर।"

इस तरफ हवेली मै काव्या अपने बेड पर पेट के बाल लेती हुयी थी और उसके हाथों मै उसका मोबाइल था और वो किसी के नंबर पर कॉल करने के लिए सोच रही थी वो बार-बार नम्बर को देखती और उसको कॉल करने के लिए कॉल ऑप्शन पर क्लिक करने जाती पर कुछ सोच कर क्लिक नहीं करती.......

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काव्या : ( मन मै ) कॉल करू या ना करू पता नहीं मेरा कॉल उठाएगा भी या नहीं, अगर उठा लिया तो, नहीं नहीं मै उससे कोई बात नहीं करने वाली, वो फिर से वही सब बाते करने लगेगा पता नहीं कब ये लड़का सुधरेगा

काव्या ये ही अपने मन ही मन मै बड़बड़ाते हुये खुद से बात करती है तभी उसे कल की दरिषय याद आने लग जाती है कैसे युग उसे ग्रेवयाद कोठी मै दरवाजे से भीड़ा कर उसकी कमर पर अपना हाथ लगता है और उसकी चूची को घूरते हुये कहता है........

( युग : आप को किया लगता है मै आप के थप्पड़ से डर जाऊँगा कभी नहीं आप की मोम नै जो मेरे साथ किया है मै उसका बदला जरूर लूंगा मै बिना चुदे उन्हें नहीं छोड़ने वाला समझी ना आप



युग : और रही आप की बात तो आप अब बड़ी हो गयी है और आप की भी अब बड़ी बड़ी हो गयी है ऐसा ना हो की माँ से पहले बेटी को चुदना पड़े इसलिए मेरे बिच मै मत आना )


कल का दरिषय याद करते हुये काव्या का चहेरा गुस्से मै लाल हो गया था और वो गुस्से मै बड़बड़ाते हुये कहती है..........

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काव्या : बिच मै तो मै आयूंगी ही युग बिच मै आउंगी युग वो मेरी मोम है मेरी मोम तुम भले ही अब उनको अपनी मोम ना मानो मगर मै बिच मै आउंगी अब मै तुमको कल बताती हु काव्या कौन है

रात हो चुकी थी और रात के बारह बज रहे थे, अमोदिता और रजनी तहखाने में बैठी हुई थी। दोनो के सामने ही एक यंत्र बना हुआ था जिसके अंदर एक गोला था और उसके अंदर स्टार।
स्टार के तीनो कोनो पर एक-एक आटे के दीये बने हुए रखे हुए थे। जो जले हुए नहीं थे। रजनी और अमोदिता वहाँ पर करीब एक घंटे से बैठी हुई थी। जब से रजनी वहाँ पर आयी थी उसने
कुछ नहीं बोला था, बस वो अपनी तंत्र मंत्र यंत्र किताब के पेज पलटाये जा रही थी। एक गहरा सन्नाटा तहखाने के अदंर छाया
हुआ था।

अमोदिता सन्नाटे को तोड़ते हुए कहती है........

आमोदिता : "मोम आप कुछ बोलोगी भी या नहीं, या फिर रात भर बस इस किताब के पेज पलटाते रहोगी......?"

रजनी अमोदिता की बात का कुछ जवाब नहीं देती है, वो अभी भी बस किताब के पेज पलटाए जा रही थी।

अमोदिता फिर रजनी पर दबाव बनाते हुए कहती है......

आमोदिता : "मोम मैं कुछ पूछ रही हूँ तुमसे, बताओ ना कैसे तोड़ते है वशीकरण टोटका....?"

रजनी गुस्से से अमोदिता से कहती है..........

रजनी : "चूतिया की बच्ची तू कुछ देर चुप
बैठेगी, एक तो एक काम ढंग से नहीं करती ऊपर से चुप भी बैठ नहीं सकती।"

रजनी का गुस्सा देखकर अमोदिता चुप हो जाती है।
रजनी किताब के पेज पलटा ही रही थी कि तभी वो खुश होते हुए कहती है..........

रजनी : "मिल गया।"

अमोदिता झट से पूछती है.........

आमोदिता : "क्या मिल गया मोम.....?"

रजनी : "वशीकरण तोड़ने का मंत्र, क्या है ना आज तक मैंने बस वशीकरण किया है कभी तोड़ा नहीं है इसलिए यह मंत्र मुझे ढूँढ़ना पड़ा।"

आमोदिता : "तो क्या है मोम वशीकरण तोड़ने का मंत्र, जल्दी बताईए ना....?"

रजनी किताब के पेज पर उंगली फेरते हुए कहती है.......

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रजनी : "मंत्र कुछ इस प्रकार है.......

ओह्न ह्नीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।​

रजनी : इस मंत्र का जाप तुझे पूरे सात बार करना है।"

अमोदिता : "बस सात बार जाप करने से वशीरकण टूट जाएगा, ये तो बहुत आसान है मोम ।"

रजनी अमोदिता को रोकते हुए गुस्से से कहती है.......

रजनी : "रूक जा, रूक जा नालायक लड़की, तुझे ना हर काम की जल्दी रहती है पहले मेरी पूरी बात तो सुन लिया कर, भूल गयी सुबह मैंने तुझे
क्या बोला था, टोटका करना जितना आसान होता है उससे कहीं ज्यादा कठिन होता है उसे तोड़ना मैंने तुझे टोटका तोड़ने का बस अभी मंत्र बताया है ये नहीं बताया है कि टोटका कैसे तोड़ा जाता है।"

अमोदिता का चेहरा उतर जाता है और वो उखड़े हुए स्वर में कहती है.........

आमोदिता : "तो फिर कैसे तोड़ा जाता है मोम टोटका......?"

रजनी : "देख मैं तुझे समझाती हूँ, जिस प्रकार किसी को वश में करने के अलग-अलग तरीके होते है उसी प्रकार वशीकरण तोड़ने के भी अलग-अलग तरीके होते है, हमने जो वशीकरण किया था
वो था बाल के जरिये वशीकरण जिसमे हल्दी की गाँठ का उपयोग किया था, अब टोटका तोड़ने के लिए तुझे उस गाँठ में से कायर का बाल निकालना होगा और किशनोई नदी में प्रवाहित करना होगा।"

अमोदिता अपना मुँह फाड़ते हुए कहती है.........

आमोदिता : "ये आप क्या बोल रही हो मोम , ये कैसे पॉसिबल हो सकता है उस गाँठ को तो मैं चौराहे पर फेंक कर आ गयी थी ना कल, वो मैं कहाँ से लाऊँगी......?"

रजनी : "वहीं से जहाँ पर फेका था।"

आमोदिता : "मोम आप भी ना पता नहीं कैसी बाते करती है, भला वो गाँठ अभी भी वहीं पर रखी होगी क्या, हो सकता है कोई कुत्ता उठा कर ले गया हो या किसी इंसान ने चलते-चलते लात मारते हुए
कहीं ले गया हो।"

रजनी : "नालायक लड़की वो टोटका था और कुत्ते कभी टोटको को नहीं छू सकते, भूल मत कुत्ते आत्माओ को देख सकते है उनके पास भी एक अदृश्य शक्ति होती है, बुरी शक्तियों को महसूस
करने की और रही इंसानो की बात तो भूल मत यह गाँव है शहर नहीं अगर किसी ने उस काली पोटली को देख भी लिया होगा तो गलती से भी हाथ लगाने का सोचा भी नहीं होगा समझी।"

आमोदिता : "मोम ये तो बहुत मुश्किल है।"

रजनी : "तो तुझे क्या काला जादू चूहे-बिल्ली का खेल लगा था, इसमे कदम-कदम पर खौफ रहता है समझी, एक और बात याद रखना ये सब तुझे तीन बजे शुरू करना है और चार बजे तक खत्म करना है।"

अमोदिता हिचकिचाते हुए कहती है........

आमोदिता : "मोम ये सब तो ठीक है, मैं चौराहे पर भी चले जाऊँगी और वो पोटली भी ढूँढ़ लूँगी पर किशनोई नदी में वो ये सब प्रवाहित करना जरूरी है क्या.....?"

रजनी : "हाँ बहुत जरूरी है, शास्त्रो में कहा गया है कि सृष्टि के प्रारंभ में सिर्फ जल ही था और अंत के समय भी सिर्फ जल ही रहेगा इसलिए इसे जल में प्रवाहित करना बहुत जरूरी है, कुछ चीजे सात्वीक और तांत्रिक चीजो में एक समान होती है समझी।"

आमोदिता : "पर मोम तुमको पता है ना कल रात पूर्णिमा है और तुमने ही तो कहा था यक्षिणी को युग जी ने आजाद कर दिया होगा और वापस गेट लगा दिया होगा।"

रजनी : "अरे पागल पूर्णिमा तो कल रात है ना तो तू आज क्यों डर रही है और वैसे भी तू एक स्त्री है और यक्षिणी भी एक स्त्री कभी दूसरी स्त्री के साथ संभोग नहीं करती, उसने आज तक जितनो को भी अपना शिकार बनाया है सब मर्दों को बनाया है और किसी
को नहीं समझी।"

आमोदिता : "हाँ समझ गयी।"

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रजनी : "चल अब ज्यादा वक्त बबार्द मत कर, मैंने जो मंत्र बोला था उसका जाप करते हुए ये तीनो दीये जला और टोटका तोड़ने के लिए तैयार हो जा।"

अमोदिता माचिस से दिया जलाते हुए कहती है......

आमोदिता : "ओह्म........

ह्मीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।"

एक तरफ अमोदिता और रजनी टोटका तोड़ने की तैयारी कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ युग और अभि यक्षिणी कहाँ पर है इस बारे में पता कैसे करे सोच रहे थे। कायर युग के कमरे में सोया हुआ था। युग और अभि हॉल में बैठे हुए थे। युग अभि से पूछता है.......

युग : "यार तू जब से अपने घर से लौटा है चुप चाप बैठा हुआ है बता क्यों नहीं रहा कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में कि वो कहाँ पर है और किस कमरे
में.....?"

अभी : "यार बता रहा हूँ, पहले तीन तो बज जाने दे।"

युग दीवार पर लगी पुरानी घड़ी में वक्त देखते हुए कहता है.........

युग : "यार अभी तीन बजने में आधा घंटा कम है और अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता, तुने कहा था रात में बताएगा, बता ना।"

अभी : "ठीक है बताता हूँ।"

इतना कहकर अभि अपनी जेब में हाथ डालता है और
एक छोटा सा घड़ी के आकार का काला बोक्स निकालता है। जब वो उस बॉक्स को खोलता है तो उसके अंदर से एक काला धागा निकलता है, जिसमे हीलिंग क्रिस्टल काला रंग का नुकीला पत्थर
बंधा हुआ था। जो एक शंकु के आकार का था।

युग आँखे बड़ी करते हुए उस चीज को देखते हुए कहता है........

युग : "ये क्या है! ये तो मुझे किसी पेंडूलम की तरह दिख रहा है......?"

अभी : "ये पेडूंलम नहीं है युग, इसे डांउजिंग पेंडूलम कहा जाता है।"

युग : " ये डाउंजिंग पेंडूलम क्या होता है.....?"





अब आगे.............


☆Chapter-Dauging Pendulum ☆

युग : "मतलब तू इस पेंडूलम की मदद से यक्षिणी का पता लगाएगा।"

अभि : "हाँ।"

काव्या : तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी मोम के बारे मै ऐसा बोलने की कमीना कही का......



4865 words complet..........

Dear Readers story ke updates or majedaar ho uske liye लाइक 👍 or comments 🗣️ karte rahiye taaki ham aap ke liye updates mai Or bhi thriller,Suspension,Sex,horror, Darama laa sake............😎
Amodita ki pareshani badh gayi vasikaran todne me.mujhse kuch chut gaya hai ye amodita ko kaise pata chala ki yug ki bajaye koi aur vasikaran ho gaya hai wapas dekhna hoga mujhe
 
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Amodita ki pareshani badh gayi vasikaran todne me.mujhse kuch chut gaya hai ye amodita ko kaise pata chala ki yug ki bajaye koi aur vasikaran ho gaya hai wapas dekhna hoga mujhe
Chut nahi mere bholuwa chhut hota hai or rahi baat yug ki bajaye kisi or par hogya ab kis par hua or kese uske liye phle apne dimaag se phle mohalle waali ki chut maarne ka dhayaan nikal kar update phir se padlon
 
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Update 25




☆ Chapter : Totka todna ☆





अब तक............



युग : "ये आवाज तो कहीं सुनी-सुनी लग रही है...अरे हाँ ये आवाज तो यामिनी की है।"

यामिनी : "अरे बाबू फिर सोच में डूब गये, आप ना बहुत सोचते है, अब ओ ज्यादा मत सोचिये और इन मछली के दो सौ रूपए हुए है फटा फट दे दीजिए।"

रिंगटोन सुनकर ही अभिमन्यु समझ जाता है कि जरूर बिन्दू का ही फोन होगा, वो सोचने लग जाता है कि फोन कैसे उठाए यदि बिन्दू ने उससे कायर के बारे में पूछ लिया तो वो क्या जवाब देगा......?




अब आगे.............




कायर का फोन लगातार बजे जा रहा था और अभि के कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो फोन कैसे उठाए और बिन्दु को क्या जवाब दे। अभि कुछ फैसला कर पाता उससे पहले ही वहाँ पर युग आ जाता है। जब युग कमरे के अंदर घुसता है और देखता है कि कायर का फोन बज रहा है तो वो उसका फोन
उठाते हुए कहता है..........

युग : "यार अभि ये तू क्या कर रहा है, जब से फोन बज रहा है तो उसे उठा क्यों नहीं रहा है ये तेरे हाथ के
पास ही तो रखा हुआ है...?"

इतना कहकर युग फोन उठाने लग जाता है तभी अभि उसे रोकते हुए कहता है.........

अभी : "अरे रूक जा मेरे भाई, फोन मत
उठा।"

अभि युग को रोक पाता उससे पहले ही युग फोन उठा


अभी : "ये क्या किया युग तुने बिन्दु का फोन क्यों उठा लिया, मैं जब से इसलिए नहीं उठा रहा था कि बिन्दु सुबह से दो-तीन बार कॉल कर चुकी है और हर बार वो कायर के बारे में ही पूछती है, मैं बहुत टाल चुका
हूँ पर अब समझ नहीं आता क्या बोलू इसलिए फोन नहीं उठा रहा था।"

युग परेशान होते हुए कहता है........

युग : "अब क्या करूँ यार, फोन तो उठा लिया कुछ ना कुछ तो बोलना पड़ेगा वरना उसको टेंशन हो जाएगी वो समझ जाएगी कुछ ना कुछ गड़बड़ है।"

फोन के अदंर से बिन्दु की आवाज आती है.......

बिंदु : "हैलो कायर
तुमी कुछ बोल्बे की ना बोल्बे।" ( हेलो कायर तुम कुछ बोलोगे या नहीं बोलोगे )

युग अभि को फोन देते हुए कहता है.........

युग : "मैं तो बात नहीं कर रहा, यार तू ही कर।"

अभि वापस से युग को फोन थमाते हुए कहता है......

अभी : "ना बाबा ना मैं तो नहीं करने वाला, सुबह से बहुत झूठ बोल चुका हूँ अब और नहीं बोल सकता।"

बिन्दु की फिर फोन के अंदर से आवाज आती है.......

बिंदु : "तुमी कुछी बोल्छे ना केनो।" ( तुम कुछ बोलोगे या नहीं )

युग काँपते हुए मिक ऑन करता है और कहता है......

युग : "हैलो हाँ बिन्दू बोलो।"

फोन के अंदर से हैरानी के साथ बिन्दु की आवाज सुनाई देती
है

बिंदु : "कायर ये तुम्हारी आवाज को क्या हुआ, ये इतनी भारी क्यों लग रही है....?"

युग : "मैं कायर नहीं युग बोल रहा हूँ बिन्दू।"

बिंदु : "अच्छा युग तुम हो, तो फिर कायर कहाँ पर है.....?"

युग : "वो बिन्दु कायर तो वॉशरूम में है।"

बिंदु : "क्या कहा वॉशरूम में! वो आज दिन भर से वॉशरूम में ही है क्या, अभी कुछ देर पहले अभिमन्यु ने फोन उठाया था वो भी यही कह रहा था कि कायर वॉशरूम में है।"

युग सोचने लग जाता है वो क्या जवाब दे तभी वो झट से कहता है.........

युग : "वो क्या है ना रात को उसने कुछ खराब खा लिया था इसलिए उसका पेट खराब हो गया इसलिए सुबह से ही वो वॉशरूम के चक्कर लगा रहा है।"

बिंदु : "अच्छा ऐसा है, तो ठीक है जब वो आए तो उससे मेरी बात कराना।"

युग : "उससे तुम्हे कुछ जरूरी काम था क्या?"

बिंदु : "काम तो नहीं पर कुछ बात करनी थी।"

बिंदु : "अरे वही तो पूछ रहा हूँ बिन्दू क्या बात करनी है...?"

कुछ देर रूककर बिन्दु धीरे से कहती है......

बिंदु : "तुम उसे बताओगे तो नहीं ना...?"

युग : "अरे नहीं बताउँगा तुम बेफ्रिक होकर बोलो।"

बिंदु : "वैसे मुझे कायर से कुछ काम नहीं था बस उसकी याद आ रही थी।"

युग : "क्या कहा याद आ रही थी! ओए होय क्या बात है।"

बिंदु : "हाँ, वो क्या है ना मेरी कायर से रोज किसी ना किसी बहाने से बात होते रहती है पर आज सुबह से ही कुछ बात नहीं हुई तो बहुत
अजीब लग रहा था इसलिए सोचा उससे बात कर लू।"

युग : "पर कायर के सामने तो तुम ऐसा कुछ नहीं करती बल्कि उसके सामने तो तुम उसी बेज्जती करते रहती हो, उसे घास तक नहीं डालती।"

बिंदु : "वो उसकी भलाई के लिए युग, तुमने देखा है ना वो कुछ काम नहीं करता बस दिन भर बैठकर शायरियाँ लिखा करता है, अब उसे कौन समझाए शायरी लिखने से दिल तो भर जाता है पर पेट नहीं भरता, जिन्दगी जीने के लिए कुछ ना कुछ करना ही
पड़ता है, ऐसे लाईफ आगे नहीं बढ़ती।"

युग : "हाँ तुम सही कह रही हो, काश ये चीज मेरे पापा को भी पता होती तो आज मेरी ऐसी हालत नहीं हो रही होती "

बिंदु : "मतलब...?"

युग बात को पलटते हुए कहता है.......

युग : "कुछ नहीं मैं तुम्हारी बात करवाता हूँ कायर से जब वो आता है, अच्छा अब मैं रखता हूँ मुझे कुछ काम है।"

बिंदु : "हाँ ठीक है, जल्दी बात करवाना।"
युग फोन कट कर देता है। जैसे ही युग फोन कट करता है

कायर कि फिर बड़बड़ाने की आवाज सुनाई देती है......

कायर : "अमोदिता... मेरी अमोदिता कहाँ पर है, मेरी अमोदिता मुझे उससे शादी करनी है, बुलाओ मेरी अमोदिता को।"

अभि अपने हाथो से कायर का मुँह बंद करते हुए कहता
है..........

अभी : "चुप हो जा अमोदिता के दीवाने, रूक जा करवा रहा हूँ तेरी अमोदिता से शादी।"

युग : "ये अभी तक ठीक नहीं हुआ क्या....?"

अभी : "तुझे ठीक लग रहा है क्या..?"

युग : "लग तो नहीं रहा, अच्छा हुआ मै मेडिसीन ले आया इसे जल्दी से खिला देते है।"

इतना कहकर युग मछली वाली पॉलिथीन टेबल पर रखता है और अपनी शर्ट की पोकटे में से मेडिसीन निकालकर अभि को दे देता है। अभि कायर को वो मेडिसीन जैसे तैसे खिला देता है और कुछ ही देर में कायर सो जाता है। अभि और युग कायर को सुलाने के बाद अभी आराम ही कर रहे थे कि तभी
अभि की नज़र टेबल पर पड़ी पॉलीथीन पर पड़ती है।
अभि युग से पूछता है........

अभी : "इस पॉलिथीन के अंदर क्या है?"

युग : "अरे इसके अंदर भूंजी हुई मछली है।"

अभी : "क्या कहा भूंजी हुई मछली! ये कहाँ मिल गयी तुझे?"

युग : "अरे ये अपना रौंगकामुचा घाट है ना वहीं पर मिली, यामिनी बेच रही थी गर्मा-गर्म तो मैं ले आया।"

अभिमन्यु युग के मजे लेते हुए कहता है.......

अभी : "तुझे बड़ी यामिनी मिलती है, कभी कुँए के पास तो कभी घाट के पास, मुझे भी मिला जरा मैं भी तो देखू कौन है यामिनी जिसने हमारे युग की
एक्स गर्लफ्रेंड शालिनी भाभी को भूला दिया है।"

अभि की बात सुनकर युग का चेहरा उतर जाता है और वो नाराज़गी के साथ कहता है.......

युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो
गया, मैंने कहा ना तुझे शालिनी को भाभी मत बोला कर, हमारा बहुत पहले ब्रेकअप हो चुका है।"

अभी : "हाँ भाई नहीं बोलूगा, वैसे भी अब शालिनी की जगह यामिनी जो मिल गयी है तुझे, अब तो यामिनी ही मेरी भाभी बनेगी।"

युग अभि को आँख दिखाते हुए कहता है......

युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो गया, एक बात हमेशा याद रखना शालिनी अब मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है तो क्या हुआ पर उसकी जगह मेरी जिन्दगी में कोई लड़की नहीं ले सकती।"

अभी : "ऐसा क्यों, आखिर क्या था शालिनी में ऐसा जो किसी और में नहीं, ब्रेकअप हो गया है तो उसे भूल क्यों नहीं जाता जिन्दगी में आगे बढ़...?"

युग अभिमन्यु की आँखो में देखते हुए कहता है.....

युग : "पहले प्यार को कभी भुलाया नहीं जा सकता अभिमन्यु, First Love is Your Last Love अगर उसके बाद कुछ होता भी है तो वो सिर्फ समझोता है और कुछ नहीं"

अभी : "यार तू ना बाते मत घूमा, ये बता कि आखिर हुआ क्या था तुम्हारे बीच किस बात को लेकर ब्रेकअप हो गया था?"

युग : "यार अभी ना मैं कुछ नहीं बताना चाहता, जब तुने ना शालिनी का जिक्र करके मेरा पूरा मूड ऑफ कर दिया है।"

युग अभि से बाते ही कर रहा था कि तभी अभि के
मोबाईल पर एक नोटीफिकेशन आता है जिसमे लिखा हुआ था
इस पूर्णिमा करे ये ऊपाय होगा ग्रहो का दोष दूर ।

जैसे-जैसे अभि नोटिफिकेसन पढ़ते जा रहा था उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदलते जा रहे थे।
अभि नोटिफिकेशन पढ़ते हुए कहता है......

अभी : "अरे शिट! ये कैसे हो गया"

युग : "क्या हुआ, ये तेरे चेहरे पर बारह क्यों बज रहे है...?"

अभि हिचकिचाते हुए कहता है........

अभी : "या........ यार गड़बड़ हो गयी।"

युग : "गड़बड़ हो गयी! कैसी गड़बड़....?"

अभी : "यार मुझसे ना एक बहुत बड़ी गलती हो गयी, मुझे लग रहा था कि अमावस्या तीन दिन बाद है पर वो तीन दिन बाद नहीं बल्कि कल ही है।"

युग अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.......

युग : "क्या!"

अभी : "हाँ यार मुझे भी अभी पता चला, पता नहीं ये गलती कैसे हो गयी, आज से पहले हर पूर्णिमा और अमावस्या की डेट याद रहती थी पर बस इस बार गलती हो गयी।"

युग : "इसका मतलब हमारे पास सिर्फ आज रात तक का ही वक्त है ये पता लगाने के लिए कि यक्षिणी इसी ग्रेव्यार्ड कोठी में है या नहीं, और यदि है तो किस कमरे में।"

अभी : "हाँ यार।"

युग : "ये तो बड़ी प्रॉबल्म हो गयी, एक तो वैसे ही ये कायर की
ऐसी हालत है और अब यक्षिणी के बारे में भी आज रात को ही पता करना है प्रॉब्लम तो बढ़ते जा रही है यार; अभिमन्यु तू ही बता कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में......?"

अभी : "जरा सोचने दे यार मुझे, अभी मेरे दिमाग में भी कुछ आईडिया नहीं आ रहा है । "

युग : "सोच ले हमारे पास बस रात तक का ही वक्त है, उससे पहले कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा वरना यदि यक्षिणी ने किसी को अपना शिकार बना लिया तो प्रॉब्लम हो जाएगी।"

अभी : "हाँ मैं सोचता हूँ कुछ, तू फिक्र मत कर।"

इस तरफ हवेली मै काव्या अपने बेड पर पेट के बाल लेती हुयी थी और उसके हाथों मै उसका मोबाइल था और वो किसी के नंबर पर कॉल करने के लिए सोच रही थी वो बार-बार नम्बर को देखती और उसको कॉल करने के लिए कॉल ऑप्शन पर क्लिक करने जाती पर कुछ सोच कर क्लिक नहीं करती.......

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काव्या : ( मन मै ) कॉल करू या ना करू पता नहीं मेरा कॉल उठाएगा भी या नहीं, अगर उठा लिया तो, नहीं नहीं मै उससे कोई बात नहीं करने वाली, वो फिर से वही सब बाते करने लगेगा पता नहीं कब ये लड़का सुधरेगा

काव्या ये ही अपने मन ही मन मै बड़बड़ाते हुये खुद से बात करती है तभी उसे कल की दरिषय याद आने लग जाती है कैसे युग उसे ग्रेवयाद कोठी मै दरवाजे से भीड़ा कर उसकी कमर पर अपना हाथ लगता है और उसकी चूची को घूरते हुये कहता है........

( युग : आप को किया लगता है मै आप के थप्पड़ से डर जाऊँगा कभी नहीं आप की मोम नै जो मेरे साथ किया है मै उसका बदला जरूर लूंगा मै बिना चुदे उन्हें नहीं छोड़ने वाला समझी ना आप



युग : और रही आप की बात तो आप अब बड़ी हो गयी है और आप की भी अब बड़ी बड़ी हो गयी है ऐसा ना हो की माँ से पहले बेटी को चुदना पड़े इसलिए मेरे बिच मै मत आना )


कल का दरिषय याद करते हुये काव्या का चहेरा गुस्से मै लाल हो गया था और वो गुस्से मै बड़बड़ाते हुये कहती है..........

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काव्या : बिच मै तो मै आयूंगी ही युग बिच मै आउंगी युग वो मेरी मोम है मेरी मोम तुम भले ही अब उनको अपनी मोम ना मानो मगर मै बिच मै आउंगी अब मै तुमको कल बताती हु काव्या कौन है

रात हो चुकी थी और रात के बारह बज रहे थे, अमोदिता और रजनी तहखाने में बैठी हुई थी। दोनो के सामने ही एक यंत्र बना हुआ था जिसके अंदर एक गोला था और उसके अंदर स्टार।
स्टार के तीनो कोनो पर एक-एक आटे के दीये बने हुए रखे हुए थे। जो जले हुए नहीं थे। रजनी और अमोदिता वहाँ पर करीब एक घंटे से बैठी हुई थी। जब से रजनी वहाँ पर आयी थी उसने
कुछ नहीं बोला था, बस वो अपनी तंत्र मंत्र यंत्र किताब के पेज पलटाये जा रही थी। एक गहरा सन्नाटा तहखाने के अदंर छाया
हुआ था।

अमोदिता सन्नाटे को तोड़ते हुए कहती है........

आमोदिता : "मोम आप कुछ बोलोगी भी या नहीं, या फिर रात भर बस इस किताब के पेज पलटाते रहोगी......?"

रजनी अमोदिता की बात का कुछ जवाब नहीं देती है, वो अभी भी बस किताब के पेज पलटाए जा रही थी।

अमोदिता फिर रजनी पर दबाव बनाते हुए कहती है......

आमोदिता : "मोम मैं कुछ पूछ रही हूँ तुमसे, बताओ ना कैसे तोड़ते है वशीकरण टोटका....?"

रजनी गुस्से से अमोदिता से कहती है..........

रजनी : "चूतिया की बच्ची तू कुछ देर चुप
बैठेगी, एक तो एक काम ढंग से नहीं करती ऊपर से चुप भी बैठ नहीं सकती।"

रजनी का गुस्सा देखकर अमोदिता चुप हो जाती है।
रजनी किताब के पेज पलटा ही रही थी कि तभी वो खुश होते हुए कहती है..........

रजनी : "मिल गया।"

अमोदिता झट से पूछती है.........

आमोदिता : "क्या मिल गया मोम.....?"

रजनी : "वशीकरण तोड़ने का मंत्र, क्या है ना आज तक मैंने बस वशीकरण किया है कभी तोड़ा नहीं है इसलिए यह मंत्र मुझे ढूँढ़ना पड़ा।"

आमोदिता : "तो क्या है मोम वशीकरण तोड़ने का मंत्र, जल्दी बताईए ना....?"

रजनी किताब के पेज पर उंगली फेरते हुए कहती है.......

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रजनी : "मंत्र कुछ इस प्रकार है.......

ओह्न ह्नीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।​

रजनी : इस मंत्र का जाप तुझे पूरे सात बार करना है।"

अमोदिता : "बस सात बार जाप करने से वशीरकण टूट जाएगा, ये तो बहुत आसान है मोम ।"

रजनी अमोदिता को रोकते हुए गुस्से से कहती है.......

रजनी : "रूक जा, रूक जा नालायक लड़की, तुझे ना हर काम की जल्दी रहती है पहले मेरी पूरी बात तो सुन लिया कर, भूल गयी सुबह मैंने तुझे
क्या बोला था, टोटका करना जितना आसान होता है उससे कहीं ज्यादा कठिन होता है उसे तोड़ना मैंने तुझे टोटका तोड़ने का बस अभी मंत्र बताया है ये नहीं बताया है कि टोटका कैसे तोड़ा जाता है।"

अमोदिता का चेहरा उतर जाता है और वो उखड़े हुए स्वर में कहती है.........

आमोदिता : "तो फिर कैसे तोड़ा जाता है मोम टोटका......?"

रजनी : "देख मैं तुझे समझाती हूँ, जिस प्रकार किसी को वश में करने के अलग-अलग तरीके होते है उसी प्रकार वशीकरण तोड़ने के भी अलग-अलग तरीके होते है, हमने जो वशीकरण किया था
वो था बाल के जरिये वशीकरण जिसमे हल्दी की गाँठ का उपयोग किया था, अब टोटका तोड़ने के लिए तुझे उस गाँठ में से कायर का बाल निकालना होगा और किशनोई नदी में प्रवाहित करना होगा।"

अमोदिता अपना मुँह फाड़ते हुए कहती है.........

आमोदिता : "ये आप क्या बोल रही हो मोम , ये कैसे पॉसिबल हो सकता है उस गाँठ को तो मैं चौराहे पर फेंक कर आ गयी थी ना कल, वो मैं कहाँ से लाऊँगी......?"

रजनी : "वहीं से जहाँ पर फेका था।"

आमोदिता : "मोम आप भी ना पता नहीं कैसी बाते करती है, भला वो गाँठ अभी भी वहीं पर रखी होगी क्या, हो सकता है कोई कुत्ता उठा कर ले गया हो या किसी इंसान ने चलते-चलते लात मारते हुए
कहीं ले गया हो।"

रजनी : "नालायक लड़की वो टोटका था और कुत्ते कभी टोटको को नहीं छू सकते, भूल मत कुत्ते आत्माओ को देख सकते है उनके पास भी एक अदृश्य शक्ति होती है, बुरी शक्तियों को महसूस
करने की और रही इंसानो की बात तो भूल मत यह गाँव है शहर नहीं अगर किसी ने उस काली पोटली को देख भी लिया होगा तो गलती से भी हाथ लगाने का सोचा भी नहीं होगा समझी।"

आमोदिता : "मोम ये तो बहुत मुश्किल है।"

रजनी : "तो तुझे क्या काला जादू चूहे-बिल्ली का खेल लगा था, इसमे कदम-कदम पर खौफ रहता है समझी, एक और बात याद रखना ये सब तुझे तीन बजे शुरू करना है और चार बजे तक खत्म करना है।"

अमोदिता हिचकिचाते हुए कहती है........

आमोदिता : "मोम ये सब तो ठीक है, मैं चौराहे पर भी चले जाऊँगी और वो पोटली भी ढूँढ़ लूँगी पर किशनोई नदी में वो ये सब प्रवाहित करना जरूरी है क्या.....?"

रजनी : "हाँ बहुत जरूरी है, शास्त्रो में कहा गया है कि सृष्टि के प्रारंभ में सिर्फ जल ही था और अंत के समय भी सिर्फ जल ही रहेगा इसलिए इसे जल में प्रवाहित करना बहुत जरूरी है, कुछ चीजे सात्वीक और तांत्रिक चीजो में एक समान होती है समझी।"

आमोदिता : "पर मोम तुमको पता है ना कल रात पूर्णिमा है और तुमने ही तो कहा था यक्षिणी को युग जी ने आजाद कर दिया होगा और वापस गेट लगा दिया होगा।"

रजनी : "अरे पागल पूर्णिमा तो कल रात है ना तो तू आज क्यों डर रही है और वैसे भी तू एक स्त्री है और यक्षिणी भी एक स्त्री कभी दूसरी स्त्री के साथ संभोग नहीं करती, उसने आज तक जितनो को भी अपना शिकार बनाया है सब मर्दों को बनाया है और किसी
को नहीं समझी।"

आमोदिता : "हाँ समझ गयी।"

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रजनी : "चल अब ज्यादा वक्त बबार्द मत कर, मैंने जो मंत्र बोला था उसका जाप करते हुए ये तीनो दीये जला और टोटका तोड़ने के लिए तैयार हो जा।"

अमोदिता माचिस से दिया जलाते हुए कहती है......

आमोदिता : "ओह्म........

ह्मीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।"

एक तरफ अमोदिता और रजनी टोटका तोड़ने की तैयारी कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ युग और अभि यक्षिणी कहाँ पर है इस बारे में पता कैसे करे सोच रहे थे। कायर युग के कमरे में सोया हुआ था। युग और अभि हॉल में बैठे हुए थे। युग अभि से पूछता है.......

युग : "यार तू जब से अपने घर से लौटा है चुप चाप बैठा हुआ है बता क्यों नहीं रहा कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में कि वो कहाँ पर है और किस कमरे
में.....?"

अभी : "यार बता रहा हूँ, पहले तीन तो बज जाने दे।"

युग दीवार पर लगी पुरानी घड़ी में वक्त देखते हुए कहता है.........

युग : "यार अभी तीन बजने में आधा घंटा कम है और अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता, तुने कहा था रात में बताएगा, बता ना।"

अभी : "ठीक है बताता हूँ।"

इतना कहकर अभि अपनी जेब में हाथ डालता है और
एक छोटा सा घड़ी के आकार का काला बोक्स निकालता है। जब वो उस बॉक्स को खोलता है तो उसके अंदर से एक काला धागा निकलता है, जिसमे हीलिंग क्रिस्टल काला रंग का नुकीला पत्थर
बंधा हुआ था। जो एक शंकु के आकार का था।

युग आँखे बड़ी करते हुए उस चीज को देखते हुए कहता है........

युग : "ये क्या है! ये तो मुझे किसी पेंडूलम की तरह दिख रहा है......?"

अभी : "ये पेडूंलम नहीं है युग, इसे डांउजिंग पेंडूलम कहा जाता है।"

युग : " ये डाउंजिंग पेंडूलम क्या होता है.....?"





अब आगे.............


☆Chapter-Dauging Pendulum ☆

युग : "मतलब तू इस पेंडूलम की मदद से यक्षिणी का पता लगाएगा।"

अभि : "हाँ।"

काव्या : तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी मोम के बारे मै ऐसा बोलने की कमीना कही का......



4865 words complet..........

Dear Readers story ke updates or majedaar ho uske liye लाइक 👍 or comments 🗣️ karte rahiye taaki ham aap ke liye updates mai Or bhi thriller,Suspension,Sex,horror, Darama laa sake............😎
awesome update brother
 
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Update 25




☆ Chapter : Totka todna ☆





अब तक............



युग : "ये आवाज तो कहीं सुनी-सुनी लग रही है...अरे हाँ ये आवाज तो यामिनी की है।"

यामिनी : "अरे बाबू फिर सोच में डूब गये, आप ना बहुत सोचते है, अब ओ ज्यादा मत सोचिये और इन मछली के दो सौ रूपए हुए है फटा फट दे दीजिए।"

रिंगटोन सुनकर ही अभिमन्यु समझ जाता है कि जरूर बिन्दू का ही फोन होगा, वो सोचने लग जाता है कि फोन कैसे उठाए यदि बिन्दू ने उससे कायर के बारे में पूछ लिया तो वो क्या जवाब देगा......?




अब आगे.............




कायर का फोन लगातार बजे जा रहा था और अभि के कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो फोन कैसे उठाए और बिन्दु को क्या जवाब दे। अभि कुछ फैसला कर पाता उससे पहले ही वहाँ पर युग आ जाता है। जब युग कमरे के अंदर घुसता है और देखता है कि कायर का फोन बज रहा है तो वो उसका फोन
उठाते हुए कहता है..........

युग : "यार अभि ये तू क्या कर रहा है, जब से फोन बज रहा है तो उसे उठा क्यों नहीं रहा है ये तेरे हाथ के
पास ही तो रखा हुआ है...?"

इतना कहकर युग फोन उठाने लग जाता है तभी अभि उसे रोकते हुए कहता है.........

अभी : "अरे रूक जा मेरे भाई, फोन मत
उठा।"

अभि युग को रोक पाता उससे पहले ही युग फोन उठा


अभी : "ये क्या किया युग तुने बिन्दु का फोन क्यों उठा लिया, मैं जब से इसलिए नहीं उठा रहा था कि बिन्दु सुबह से दो-तीन बार कॉल कर चुकी है और हर बार वो कायर के बारे में ही पूछती है, मैं बहुत टाल चुका
हूँ पर अब समझ नहीं आता क्या बोलू इसलिए फोन नहीं उठा रहा था।"

युग परेशान होते हुए कहता है........

युग : "अब क्या करूँ यार, फोन तो उठा लिया कुछ ना कुछ तो बोलना पड़ेगा वरना उसको टेंशन हो जाएगी वो समझ जाएगी कुछ ना कुछ गड़बड़ है।"

फोन के अदंर से बिन्दु की आवाज आती है.......

बिंदु : "हैलो कायर
तुमी कुछ बोल्बे की ना बोल्बे।" ( हेलो कायर तुम कुछ बोलोगे या नहीं बोलोगे )

युग अभि को फोन देते हुए कहता है.........

युग : "मैं तो बात नहीं कर रहा, यार तू ही कर।"

अभि वापस से युग को फोन थमाते हुए कहता है......

अभी : "ना बाबा ना मैं तो नहीं करने वाला, सुबह से बहुत झूठ बोल चुका हूँ अब और नहीं बोल सकता।"

बिन्दु की फिर फोन के अंदर से आवाज आती है.......

बिंदु : "तुमी कुछी बोल्छे ना केनो।" ( तुम कुछ बोलोगे या नहीं )

युग काँपते हुए मिक ऑन करता है और कहता है......

युग : "हैलो हाँ बिन्दू बोलो।"

फोन के अंदर से हैरानी के साथ बिन्दु की आवाज सुनाई देती
है

बिंदु : "कायर ये तुम्हारी आवाज को क्या हुआ, ये इतनी भारी क्यों लग रही है....?"

युग : "मैं कायर नहीं युग बोल रहा हूँ बिन्दू।"

बिंदु : "अच्छा युग तुम हो, तो फिर कायर कहाँ पर है.....?"

युग : "वो बिन्दु कायर तो वॉशरूम में है।"

बिंदु : "क्या कहा वॉशरूम में! वो आज दिन भर से वॉशरूम में ही है क्या, अभी कुछ देर पहले अभिमन्यु ने फोन उठाया था वो भी यही कह रहा था कि कायर वॉशरूम में है।"

युग सोचने लग जाता है वो क्या जवाब दे तभी वो झट से कहता है.........

युग : "वो क्या है ना रात को उसने कुछ खराब खा लिया था इसलिए उसका पेट खराब हो गया इसलिए सुबह से ही वो वॉशरूम के चक्कर लगा रहा है।"

बिंदु : "अच्छा ऐसा है, तो ठीक है जब वो आए तो उससे मेरी बात कराना।"

युग : "उससे तुम्हे कुछ जरूरी काम था क्या?"

बिंदु : "काम तो नहीं पर कुछ बात करनी थी।"

बिंदु : "अरे वही तो पूछ रहा हूँ बिन्दू क्या बात करनी है...?"

कुछ देर रूककर बिन्दु धीरे से कहती है......

बिंदु : "तुम उसे बताओगे तो नहीं ना...?"

युग : "अरे नहीं बताउँगा तुम बेफ्रिक होकर बोलो।"

बिंदु : "वैसे मुझे कायर से कुछ काम नहीं था बस उसकी याद आ रही थी।"

युग : "क्या कहा याद आ रही थी! ओए होय क्या बात है।"

बिंदु : "हाँ, वो क्या है ना मेरी कायर से रोज किसी ना किसी बहाने से बात होते रहती है पर आज सुबह से ही कुछ बात नहीं हुई तो बहुत
अजीब लग रहा था इसलिए सोचा उससे बात कर लू।"

युग : "पर कायर के सामने तो तुम ऐसा कुछ नहीं करती बल्कि उसके सामने तो तुम उसी बेज्जती करते रहती हो, उसे घास तक नहीं डालती।"

बिंदु : "वो उसकी भलाई के लिए युग, तुमने देखा है ना वो कुछ काम नहीं करता बस दिन भर बैठकर शायरियाँ लिखा करता है, अब उसे कौन समझाए शायरी लिखने से दिल तो भर जाता है पर पेट नहीं भरता, जिन्दगी जीने के लिए कुछ ना कुछ करना ही
पड़ता है, ऐसे लाईफ आगे नहीं बढ़ती।"

युग : "हाँ तुम सही कह रही हो, काश ये चीज मेरे पापा को भी पता होती तो आज मेरी ऐसी हालत नहीं हो रही होती "

बिंदु : "मतलब...?"

युग बात को पलटते हुए कहता है.......

युग : "कुछ नहीं मैं तुम्हारी बात करवाता हूँ कायर से जब वो आता है, अच्छा अब मैं रखता हूँ मुझे कुछ काम है।"

बिंदु : "हाँ ठीक है, जल्दी बात करवाना।"
युग फोन कट कर देता है। जैसे ही युग फोन कट करता है

कायर कि फिर बड़बड़ाने की आवाज सुनाई देती है......

कायर : "अमोदिता... मेरी अमोदिता कहाँ पर है, मेरी अमोदिता मुझे उससे शादी करनी है, बुलाओ मेरी अमोदिता को।"

अभि अपने हाथो से कायर का मुँह बंद करते हुए कहता
है..........

अभी : "चुप हो जा अमोदिता के दीवाने, रूक जा करवा रहा हूँ तेरी अमोदिता से शादी।"

युग : "ये अभी तक ठीक नहीं हुआ क्या....?"

अभी : "तुझे ठीक लग रहा है क्या..?"

युग : "लग तो नहीं रहा, अच्छा हुआ मै मेडिसीन ले आया इसे जल्दी से खिला देते है।"

इतना कहकर युग मछली वाली पॉलिथीन टेबल पर रखता है और अपनी शर्ट की पोकटे में से मेडिसीन निकालकर अभि को दे देता है। अभि कायर को वो मेडिसीन जैसे तैसे खिला देता है और कुछ ही देर में कायर सो जाता है। अभि और युग कायर को सुलाने के बाद अभी आराम ही कर रहे थे कि तभी
अभि की नज़र टेबल पर पड़ी पॉलीथीन पर पड़ती है।
अभि युग से पूछता है........

अभी : "इस पॉलिथीन के अंदर क्या है?"

युग : "अरे इसके अंदर भूंजी हुई मछली है।"

अभी : "क्या कहा भूंजी हुई मछली! ये कहाँ मिल गयी तुझे?"

युग : "अरे ये अपना रौंगकामुचा घाट है ना वहीं पर मिली, यामिनी बेच रही थी गर्मा-गर्म तो मैं ले आया।"

अभिमन्यु युग के मजे लेते हुए कहता है.......

अभी : "तुझे बड़ी यामिनी मिलती है, कभी कुँए के पास तो कभी घाट के पास, मुझे भी मिला जरा मैं भी तो देखू कौन है यामिनी जिसने हमारे युग की
एक्स गर्लफ्रेंड शालिनी भाभी को भूला दिया है।"

अभि की बात सुनकर युग का चेहरा उतर जाता है और वो नाराज़गी के साथ कहता है.......

युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो
गया, मैंने कहा ना तुझे शालिनी को भाभी मत बोला कर, हमारा बहुत पहले ब्रेकअप हो चुका है।"

अभी : "हाँ भाई नहीं बोलूगा, वैसे भी अब शालिनी की जगह यामिनी जो मिल गयी है तुझे, अब तो यामिनी ही मेरी भाभी बनेगी।"

युग अभि को आँख दिखाते हुए कहता है......

युग : "यार अभिमन्यु तू फिर शुरू हो गया, एक बात हमेशा याद रखना शालिनी अब मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है तो क्या हुआ पर उसकी जगह मेरी जिन्दगी में कोई लड़की नहीं ले सकती।"

अभी : "ऐसा क्यों, आखिर क्या था शालिनी में ऐसा जो किसी और में नहीं, ब्रेकअप हो गया है तो उसे भूल क्यों नहीं जाता जिन्दगी में आगे बढ़...?"

युग अभिमन्यु की आँखो में देखते हुए कहता है.....

युग : "पहले प्यार को कभी भुलाया नहीं जा सकता अभिमन्यु, First Love is Your Last Love अगर उसके बाद कुछ होता भी है तो वो सिर्फ समझोता है और कुछ नहीं"

अभी : "यार तू ना बाते मत घूमा, ये बता कि आखिर हुआ क्या था तुम्हारे बीच किस बात को लेकर ब्रेकअप हो गया था?"

युग : "यार अभी ना मैं कुछ नहीं बताना चाहता, जब तुने ना शालिनी का जिक्र करके मेरा पूरा मूड ऑफ कर दिया है।"

युग अभि से बाते ही कर रहा था कि तभी अभि के
मोबाईल पर एक नोटीफिकेशन आता है जिसमे लिखा हुआ था
इस पूर्णिमा करे ये ऊपाय होगा ग्रहो का दोष दूर ।

जैसे-जैसे अभि नोटिफिकेसन पढ़ते जा रहा था उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदलते जा रहे थे।
अभि नोटिफिकेशन पढ़ते हुए कहता है......

अभी : "अरे शिट! ये कैसे हो गया"

युग : "क्या हुआ, ये तेरे चेहरे पर बारह क्यों बज रहे है...?"

अभि हिचकिचाते हुए कहता है........

अभी : "या........ यार गड़बड़ हो गयी।"

युग : "गड़बड़ हो गयी! कैसी गड़बड़....?"

अभी : "यार मुझसे ना एक बहुत बड़ी गलती हो गयी, मुझे लग रहा था कि अमावस्या तीन दिन बाद है पर वो तीन दिन बाद नहीं बल्कि कल ही है।"

युग अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.......

युग : "क्या!"

अभी : "हाँ यार मुझे भी अभी पता चला, पता नहीं ये गलती कैसे हो गयी, आज से पहले हर पूर्णिमा और अमावस्या की डेट याद रहती थी पर बस इस बार गलती हो गयी।"

युग : "इसका मतलब हमारे पास सिर्फ आज रात तक का ही वक्त है ये पता लगाने के लिए कि यक्षिणी इसी ग्रेव्यार्ड कोठी में है या नहीं, और यदि है तो किस कमरे में।"

अभी : "हाँ यार।"

युग : "ये तो बड़ी प्रॉबल्म हो गयी, एक तो वैसे ही ये कायर की
ऐसी हालत है और अब यक्षिणी के बारे में भी आज रात को ही पता करना है प्रॉब्लम तो बढ़ते जा रही है यार; अभिमन्यु तू ही बता कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में......?"

अभी : "जरा सोचने दे यार मुझे, अभी मेरे दिमाग में भी कुछ आईडिया नहीं आ रहा है । "

युग : "सोच ले हमारे पास बस रात तक का ही वक्त है, उससे पहले कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा वरना यदि यक्षिणी ने किसी को अपना शिकार बना लिया तो प्रॉब्लम हो जाएगी।"

अभी : "हाँ मैं सोचता हूँ कुछ, तू फिक्र मत कर।"

इस तरफ हवेली मै काव्या अपने बेड पर पेट के बाल लेती हुयी थी और उसके हाथों मै उसका मोबाइल था और वो किसी के नंबर पर कॉल करने के लिए सोच रही थी वो बार-बार नम्बर को देखती और उसको कॉल करने के लिए कॉल ऑप्शन पर क्लिक करने जाती पर कुछ सोच कर क्लिक नहीं करती.......

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काव्या : ( मन मै ) कॉल करू या ना करू पता नहीं मेरा कॉल उठाएगा भी या नहीं, अगर उठा लिया तो, नहीं नहीं मै उससे कोई बात नहीं करने वाली, वो फिर से वही सब बाते करने लगेगा पता नहीं कब ये लड़का सुधरेगा

काव्या ये ही अपने मन ही मन मै बड़बड़ाते हुये खुद से बात करती है तभी उसे कल की दरिषय याद आने लग जाती है कैसे युग उसे ग्रेवयाद कोठी मै दरवाजे से भीड़ा कर उसकी कमर पर अपना हाथ लगता है और उसकी चूची को घूरते हुये कहता है........

( युग : आप को किया लगता है मै आप के थप्पड़ से डर जाऊँगा कभी नहीं आप की मोम नै जो मेरे साथ किया है मै उसका बदला जरूर लूंगा मै बिना चुदे उन्हें नहीं छोड़ने वाला समझी ना आप



युग : और रही आप की बात तो आप अब बड़ी हो गयी है और आप की भी अब बड़ी बड़ी हो गयी है ऐसा ना हो की माँ से पहले बेटी को चुदना पड़े इसलिए मेरे बिच मै मत आना )


कल का दरिषय याद करते हुये काव्या का चहेरा गुस्से मै लाल हो गया था और वो गुस्से मै बड़बड़ाते हुये कहती है..........

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काव्या : बिच मै तो मै आयूंगी ही युग बिच मै आउंगी युग वो मेरी मोम है मेरी मोम तुम भले ही अब उनको अपनी मोम ना मानो मगर मै बिच मै आउंगी अब मै तुमको कल बताती हु काव्या कौन है

रात हो चुकी थी और रात के बारह बज रहे थे, अमोदिता और रजनी तहखाने में बैठी हुई थी। दोनो के सामने ही एक यंत्र बना हुआ था जिसके अंदर एक गोला था और उसके अंदर स्टार।
स्टार के तीनो कोनो पर एक-एक आटे के दीये बने हुए रखे हुए थे। जो जले हुए नहीं थे। रजनी और अमोदिता वहाँ पर करीब एक घंटे से बैठी हुई थी। जब से रजनी वहाँ पर आयी थी उसने
कुछ नहीं बोला था, बस वो अपनी तंत्र मंत्र यंत्र किताब के पेज पलटाये जा रही थी। एक गहरा सन्नाटा तहखाने के अदंर छाया
हुआ था।

अमोदिता सन्नाटे को तोड़ते हुए कहती है........

आमोदिता : "मोम आप कुछ बोलोगी भी या नहीं, या फिर रात भर बस इस किताब के पेज पलटाते रहोगी......?"

रजनी अमोदिता की बात का कुछ जवाब नहीं देती है, वो अभी भी बस किताब के पेज पलटाए जा रही थी।

अमोदिता फिर रजनी पर दबाव बनाते हुए कहती है......

आमोदिता : "मोम मैं कुछ पूछ रही हूँ तुमसे, बताओ ना कैसे तोड़ते है वशीकरण टोटका....?"

रजनी गुस्से से अमोदिता से कहती है..........

रजनी : "चूतिया की बच्ची तू कुछ देर चुप
बैठेगी, एक तो एक काम ढंग से नहीं करती ऊपर से चुप भी बैठ नहीं सकती।"

रजनी का गुस्सा देखकर अमोदिता चुप हो जाती है।
रजनी किताब के पेज पलटा ही रही थी कि तभी वो खुश होते हुए कहती है..........

रजनी : "मिल गया।"

अमोदिता झट से पूछती है.........

आमोदिता : "क्या मिल गया मोम.....?"

रजनी : "वशीकरण तोड़ने का मंत्र, क्या है ना आज तक मैंने बस वशीकरण किया है कभी तोड़ा नहीं है इसलिए यह मंत्र मुझे ढूँढ़ना पड़ा।"

आमोदिता : "तो क्या है मोम वशीकरण तोड़ने का मंत्र, जल्दी बताईए ना....?"

रजनी किताब के पेज पर उंगली फेरते हुए कहती है.......

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रजनी : "मंत्र कुछ इस प्रकार है.......

ओह्न ह्नीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।​

रजनी : इस मंत्र का जाप तुझे पूरे सात बार करना है।"

अमोदिता : "बस सात बार जाप करने से वशीरकण टूट जाएगा, ये तो बहुत आसान है मोम ।"

रजनी अमोदिता को रोकते हुए गुस्से से कहती है.......

रजनी : "रूक जा, रूक जा नालायक लड़की, तुझे ना हर काम की जल्दी रहती है पहले मेरी पूरी बात तो सुन लिया कर, भूल गयी सुबह मैंने तुझे
क्या बोला था, टोटका करना जितना आसान होता है उससे कहीं ज्यादा कठिन होता है उसे तोड़ना मैंने तुझे टोटका तोड़ने का बस अभी मंत्र बताया है ये नहीं बताया है कि टोटका कैसे तोड़ा जाता है।"

अमोदिता का चेहरा उतर जाता है और वो उखड़े हुए स्वर में कहती है.........

आमोदिता : "तो फिर कैसे तोड़ा जाता है मोम टोटका......?"

रजनी : "देख मैं तुझे समझाती हूँ, जिस प्रकार किसी को वश में करने के अलग-अलग तरीके होते है उसी प्रकार वशीकरण तोड़ने के भी अलग-अलग तरीके होते है, हमने जो वशीकरण किया था
वो था बाल के जरिये वशीकरण जिसमे हल्दी की गाँठ का उपयोग किया था, अब टोटका तोड़ने के लिए तुझे उस गाँठ में से कायर का बाल निकालना होगा और किशनोई नदी में प्रवाहित करना होगा।"

अमोदिता अपना मुँह फाड़ते हुए कहती है.........

आमोदिता : "ये आप क्या बोल रही हो मोम , ये कैसे पॉसिबल हो सकता है उस गाँठ को तो मैं चौराहे पर फेंक कर आ गयी थी ना कल, वो मैं कहाँ से लाऊँगी......?"

रजनी : "वहीं से जहाँ पर फेका था।"

आमोदिता : "मोम आप भी ना पता नहीं कैसी बाते करती है, भला वो गाँठ अभी भी वहीं पर रखी होगी क्या, हो सकता है कोई कुत्ता उठा कर ले गया हो या किसी इंसान ने चलते-चलते लात मारते हुए
कहीं ले गया हो।"

रजनी : "नालायक लड़की वो टोटका था और कुत्ते कभी टोटको को नहीं छू सकते, भूल मत कुत्ते आत्माओ को देख सकते है उनके पास भी एक अदृश्य शक्ति होती है, बुरी शक्तियों को महसूस
करने की और रही इंसानो की बात तो भूल मत यह गाँव है शहर नहीं अगर किसी ने उस काली पोटली को देख भी लिया होगा तो गलती से भी हाथ लगाने का सोचा भी नहीं होगा समझी।"

आमोदिता : "मोम ये तो बहुत मुश्किल है।"

रजनी : "तो तुझे क्या काला जादू चूहे-बिल्ली का खेल लगा था, इसमे कदम-कदम पर खौफ रहता है समझी, एक और बात याद रखना ये सब तुझे तीन बजे शुरू करना है और चार बजे तक खत्म करना है।"

अमोदिता हिचकिचाते हुए कहती है........

आमोदिता : "मोम ये सब तो ठीक है, मैं चौराहे पर भी चले जाऊँगी और वो पोटली भी ढूँढ़ लूँगी पर किशनोई नदी में वो ये सब प्रवाहित करना जरूरी है क्या.....?"

रजनी : "हाँ बहुत जरूरी है, शास्त्रो में कहा गया है कि सृष्टि के प्रारंभ में सिर्फ जल ही था और अंत के समय भी सिर्फ जल ही रहेगा इसलिए इसे जल में प्रवाहित करना बहुत जरूरी है, कुछ चीजे सात्वीक और तांत्रिक चीजो में एक समान होती है समझी।"

आमोदिता : "पर मोम तुमको पता है ना कल रात पूर्णिमा है और तुमने ही तो कहा था यक्षिणी को युग जी ने आजाद कर दिया होगा और वापस गेट लगा दिया होगा।"

रजनी : "अरे पागल पूर्णिमा तो कल रात है ना तो तू आज क्यों डर रही है और वैसे भी तू एक स्त्री है और यक्षिणी भी एक स्त्री कभी दूसरी स्त्री के साथ संभोग नहीं करती, उसने आज तक जितनो को भी अपना शिकार बनाया है सब मर्दों को बनाया है और किसी
को नहीं समझी।"

आमोदिता : "हाँ समझ गयी।"

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रजनी : "चल अब ज्यादा वक्त बबार्द मत कर, मैंने जो मंत्र बोला था उसका जाप करते हुए ये तीनो दीये जला और टोटका तोड़ने के लिए तैयार हो जा।"

अमोदिता माचिस से दिया जलाते हुए कहती है......

आमोदिता : "ओह्म........

ह्मीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय
हुम पीताम्बरे तंत्र बन्ध नाशय नाशय।"

एक तरफ अमोदिता और रजनी टोटका तोड़ने की तैयारी कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ युग और अभि यक्षिणी कहाँ पर है इस बारे में पता कैसे करे सोच रहे थे। कायर युग के कमरे में सोया हुआ था। युग और अभि हॉल में बैठे हुए थे। युग अभि से पूछता है.......

युग : "यार तू जब से अपने घर से लौटा है चुप चाप बैठा हुआ है बता क्यों नहीं रहा कैसे पता लगाऐगे यक्षिणी के बारे में कि वो कहाँ पर है और किस कमरे
में.....?"

अभी : "यार बता रहा हूँ, पहले तीन तो बज जाने दे।"

युग दीवार पर लगी पुरानी घड़ी में वक्त देखते हुए कहता है.........

युग : "यार अभी तीन बजने में आधा घंटा कम है और अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता, तुने कहा था रात में बताएगा, बता ना।"

अभी : "ठीक है बताता हूँ।"

इतना कहकर अभि अपनी जेब में हाथ डालता है और
एक छोटा सा घड़ी के आकार का काला बोक्स निकालता है। जब वो उस बॉक्स को खोलता है तो उसके अंदर से एक काला धागा निकलता है, जिसमे हीलिंग क्रिस्टल काला रंग का नुकीला पत्थर
बंधा हुआ था। जो एक शंकु के आकार का था।

युग आँखे बड़ी करते हुए उस चीज को देखते हुए कहता है........

युग : "ये क्या है! ये तो मुझे किसी पेंडूलम की तरह दिख रहा है......?"

अभी : "ये पेडूंलम नहीं है युग, इसे डांउजिंग पेंडूलम कहा जाता है।"

युग : " ये डाउंजिंग पेंडूलम क्या होता है.....?"





अब आगे.............


☆Chapter-Dauging Pendulum ☆

युग : "मतलब तू इस पेंडूलम की मदद से यक्षिणी का पता लगाएगा।"

अभि : "हाँ।"

काव्या : तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी मोम के बारे मै ऐसा बोलने की कमीना कही का......



4865 words complet..........

Dear Readers story ke updates or majedaar ho uske liye लाइक 👍 or comments 🗣️ karte rahiye taaki ham aap ke liye updates mai Or bhi thriller,Suspension,Sex,horror, Darama laa sake............😎
awesome update
 
☆ it's me ☆
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Update 26





☆ Ch : Dauging pendulum ☆



अब तक...........




युग : "लग तो नहीं रहा, अच्छा हुआ मै मेडिसीन ले आया इसे जल्दी से खिला देते है।

आमोदिता : "तो क्या है मोम वशीकरण तोड़ने का मंत्र, जल्दी बताईए ना....?"






अब आगे..........




युग : "यार अभिमन्यु चुप क्यों
खड़ा है, बता ना ये डाउजिंग पेंडुलम क्या होता है...?"

अभि डाउजिंग पेंडुलम का धागा हिलाते हुए कहता है......

अभी : "यार देख मैं ना तुझे अच्छे से समझाता हूँ, डाउजिंग या डाउस का शाब्दिक अर्थ होता है गहराई पर जाकर खोजना। डाउजिंग विधि में पेंडुलम नामक यंत्र का प्रयोग किया जाता है, इसमें एक लम्बा
धागा या चेन होती है जिसके नीचे लटकी हुई भारी नोंकदार लटकन को पेंडुलम कहते है।

अभिमन्यु अपने आस-पास देखते हुए कहता है......

अभी : "हमारे इस ब्रह्मांड में कई तरंगे मौजूद है जो एक-दूसरे से जुड़ी हुई है और हमारे मन में वह शक्ति होती है कि हम एक ही पल में इस ब्रह्मांड में कहीं भी मौजूद किसी भी तरंगो से संपर्क कर सकते है, जैसे
रेडियो अदृश्य किरणो को ग्रहण करता है ठीक उसी प्रकार पेंडुलम व्यक्ति के अचेतन मन जगह, विचार व वस्तु की अदृश्य सूक्ष्म कणो व ऊर्जा को प्राप्त कर गति करके उत्तर हम तक पहुँचाता है, पेंडुलम ब्रह्मांडीय ऊर्जा से हमें जोड़कर हमारी तर्क
बुद्धि में विश्लेषणी एवं रैखिक शक्ति को जोड़कर हमारे प्रश्नों के सही उत्तर देता है। देख डाउजिंग ना एक बहुत पुरानी विधि है जिसका उपयोग सदियो से किया जा रहा है, जब कहीं पानी की खोज करनी होती थी या फिर खजाने की तलाश या फिर बारूदी सुरंग की खोज या फिर अदृश्य शक्तियों का पता लगाना होता था सब इसी की मदद से किया जाता था,

युग : "मतलब तू इस पेंडूलम की मदद से यक्षिणी का पता लगाएगा।"

अभि : "हाँ।"

युग : "और वो कैसे.....?"

अभी : जब हम इस डाउजिंग पेंडुलम को हाथ में पकड़ते है और कोई सा सवाल करते है तो ये पेंडुलम अपने आप मुवमेंट करने
लग जाता है यदि जवाब हाँ होता है तो ये सीधे हाथ की ओर मुवमेंट करता है और यदि जवाब ना होता है तो उल्टे हाथ की ओर मुवमेंट करता है

अभि की सारी बाते सुनकर युग हँसते हुए कहता है.....

युग : "यार तू क्या पागल हो रहा है, तुझे क्या लगता है इस टेकनीक की मदद से हम यक्षिणी का पता लगा लेंगे कि वो कहाँ पर और किस कमरे में है।"

अभी : "यार तू हँस रहा है, इस टेकनीक से हम सिर्फ यक्षिणी ही नहीं बल्कि और भी कई अदृश्य शक्तियों के बारे में पता लगा सकते है

अभिमन्यु युग को डाउजिंग के बारे में बता ही रहा था कि तभी तीन घंटे बजने की आवाज सुनाई देती है। टन...टन...टन,
यह संकेत था कि रात के तीन बज चुके है।
युग दीवार पर लगी घड़ी की ओर देखते हुए कहता है.....

युग : "यार तीन बज गये, अब तेरी इस डाउजिंग पेंडुलम का यूज करे......?"

अभि : "हाँ खेल शुरू करते है।"

अभि पेंडुलम में लगे काले धागे को पकड़ता है। पहले तो पेंडूलम आगे पीछे होने लगता है पर कुछ ही देर बाद वह अपनी जगह पर रूक जाता है।

अभि फुंसफुसाते हुए कहता है.......

अभी : "यक्षिणी क्या तुम यहीं हो, यदि हो तो मुझे संकेत दो, मुझे संकेत दो यक्षिणी ।"

इतना कहकर अभि चुप हो जाता है और पेंडूलम के
मुवमेंट करने का इंतजार करने लग जाता है।
जहाँ एक तरफ अभि और युग यक्षिणी के बारे में पता
लगा रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ अमोदिता कायर पर किया गया टोटका तोड़ने के लिए अकेले ही चौराहे पर जाने के लिए निकल पड़ी थी। टोटका उसने अकेले किया था इसलिए उसे अकेले ही चौराहे पर जाना पड़ रहा था। अमोदिता डरते-डरते अपने कदम चौराहे की ओर बढ़ा रही थी। रात का गहरा सन्नाटा सड़क पर
छाया हुआ था। आसमान में चाँद निकला हुआ था जिसकी रोशनी चारो तरफ फैल रही थी उसी की मदद से अमोदिता आगे बढ़ रही थी।

अमोदिता मन ही मन फुसफुसाते हुए कहती है.......

आमोदिता : "मैं एक सौदायीन हूँ और मुझे किसी से डर नहीं लगता, मेरा काम डरना नहीं बल्कि अपनी काले जादू की शक्तियों से डराना है।"

यही बड़बड़ाते हुए अमोदिता आगे बढ़ रही थी, कुछ ही देर में वो अपने घर के पास वाले चौराहे पर पहुँच जाती है और हल्दी की गाँठ जिसे काले कपड़े के टुकड़े में बाँधकर उसने फेंकी थी वो पुड़िया ढूँढ़ने लग जाती है। सड़क मिट्टी की बनी हुई थी जिस कारण वहाँ पर बहुत सारी धूल और छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़े
जमा हो गये थे। उन्ही पत्थरो के टुकड़ो को अपने हाथो से हटाते हुए अमोदिता पुड़िया ढूँढ़ने लग जाती है।

अमोदिता पुड़िया ढूँढ़ते हुए कहती है.......

आमोदिता : "कहाँ चली गयी, यहीं पर तो फेकी थी मैंने, अरे कहाँ गयी यहीं पर होना चाहिए उसे, यहीं कहीं होगी।"

यही सब बड़बड़ाते हुए अमोदिता पुडिया ढूँढ़ ही रही थी कि तभी उसे लगता है जैसे उसके पीछे से कोई निकला हो। अपने पीछे हलचल महसूस होता देख अमोदिता सहम जाती है। वह धीरे-धीरे बड़ी हिम्मत के साथ पीछे पलटने लग जाती है। जब वो
पीछे पलटती है तो देखती है कि उसके पीछे एक काला कुत्ता खड़ा हुआ था


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जो कि बेहद डरावाना लग रहा था। वह कुत्ता अमोदिता को घूरे जा रहा था उसके बड़े-बड़े नुकिले दाँत थे।

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उस कुत्ते की आँखे लाल हो चुकी थी जो कि एकटक नज़र से अमोदिता को घूरे जा रही थी। उस काले कुत्ते के शरीर पर लम्बे-लम्बे बाल थे जिसे देखकर ऐसा लग रहा था कि कई दिनो से नहीं
नहाया हो।

अमोदिता कुत्ते को देखते हुए कहती है........

आमोदिता : "अच्छा तो ये कुत्ता है, इस कुत्ते कमीने ने तो मुझे डरा ही दिया था।"

वह कुत्ता अमोदिता को देखकर भौंकने लग जाता है।
पहले तो अमोदिता डर जाती है पर फिर बड़ी हिम्मत से
कहती है..........

आमोदिता : "अरे कुत्ते कमीने मैं कोई भूत नहीं हूँ जो मुझे देखकर भौंके जा रहा है मैं... मैं तो एक सौदायीन हूँ अच्छा तो तू एक सौदायीन को देखकर भौंक रहा है रूक अभी मजा चखाती हूँ तुझे।"

इतना कहकर अमोदिता जमीन पर पड़े छोटे-छोटे पत्थरो के टुकड़े उठाने लग जाती है और उस कुत्ते की तरफ फेककर मारने लग जाती है।

यह हैरान करने वाली बात थी कि वो कुत्ता डरता
नहीं है बल्कि वहीं पर खड़ा रहता है और लगातार अमोदिता को देखकर भौंके जा रहा था। अमोदिता का कोई निशाना उस कुत्ते को नहीं लग पा रहा था, निशाना लगाने में वो एक अनाडी थी। अमोदिता सड़क पर से पत्थर उठाकर उस कुत्ते को मारे ही
जा रही थी कि तभी उसके हाथ में कोई ऐसी चीज आती है जो बहुत सौफ्ट थी। अमोदिता रूक जाती है और उस चीज को देखने लग जाती है वो देखती है कि उसके हाथ में एक काले कपड़े की पुड़िया थी। यह वही पुड़िया थी जो उसने फेकी थी। अमोदिता
उस पुड़िया को देखकर खुश हो जाती है और खुद से कहती है........

आमोदिता : "अरे मिल गयी, जब से इसे ही तो ढूँढ़ रही थी मैं, इस कुत्ते ने तो मेरा काम आसान कर दिया।"

इतना कहकर अमोदिता अपना सिर ऊपर उठाती है और उस कुत्ते की तरफ देखने लग जाती है पर तब तक वो कुत्ता वहाँ से जा चुका था।

अमोदिता हैरानी के साथ कहती है.......

आमोदिता : "अरे ये कुत्ता कहाँ चला गया, अभी तो यहीं पर था जब भगा रही थी तब तो नहीं गया अब
अचानक पता नहीं कहाँ गायब हो गया, खैर छोड़ो मुझे क्या करना है मेरा काम तो आसान हो गया ना, अब इसे किशनोई नदी में प्रवाहित करना है जैसा कि मोम ने कहा था, वो भी चार बजे से
पहले साढ़े तीन तो यहीं पर बज गये बस आधा घंटा बचा हुआ है।"

इतना कहकर अमोदिता अपने कदम किश्नोई नदी की ओर बढ़ाने लग जाती है।

इस तरफ अभि और युग यक्षिणी का पता लगा रहे थे।
अभि अपने हाथ में डाउजिंग पेंडुलम लेकर खड़ा हुआ था और काफी देर से पेंडुलम के हिलने का इंतजार कर रहा था पर उसमे कोई मुवमेंट नहीं हो रहा था।

अभि फिर अपनी तरफ से कोशिश करते हुए कहता है.......

अभी : "यक्षिणी, अगर तुम यहाँ हो तो मुझे संकेत दो।"

युग उबासी लेते हुए कहता है.......

युग : "यार मुझे नहीं लगता इससे कुछ होने वाला है, तेरा ये डिवाईस भी बाकी के डिवाईस की तरह
खराब ही है।"

अभि युग पर गुस्सा करते हुए कहता है.......

अभी : "युग तू दो मिनट चुप रहेगा, जब से देख रहा हूँ बक-बक कर रहा है, ऐसा लग रहा है कछुए की कमी तू पूरी कर रहा है, मैंने कहा था ना कि इस विधि में ध्यान लगाना बहुत जरूरी है, तू मुझे ध्यान ही नहीं
लगाने देगा तो मैं यक्षिणी के बारे में पता कैसे लगाऊँगा, मुझे अपने मन को अचेतन कर ब्रह्मांड में घूम रही तरंगो के साथ सम्पर्क साधने दे समझा।"

अभि का गुस्सा देखकर युग एक दम चुप हो जाता है।
अभि अपने दूसरे हाथ में डाउजिंग पकड़ता है और एक
गहरी साँस लेकर आहिस्ते से कहता है........

अभी : "क्या यहाँ पर कोई अदृश्य शक्ति है, अगर है तो हमे संकेत दो......?"

अभि और युग एकटक नज़र से पेंडुलम की ओर देखने
लग जाते है उन दोनो की ही नज़र पेंडुलम से हट ही नहीं रही थी। और देखते ही देखते वो पेंडुलम अभि के राईट हैंड साईड मुवमेंट करने लग जाता है जिसका यह मतलब था कि कोठी के अंदर कोई ना कोई अदृश्य शक्ति जरूर है।

पेंडुलम को हिलता हुआ देखकर अभिमन्यु खुश हो जाता है और उत्साहित होते हुए कहता है.......

अभी : "अगर यहाँ पर कोई अदृश्य शक्ति है तो मुझे बताओ वो किस साईड है, मुझे राह दिखाओ ब्रह्मांड की तरंगे अपना करिश्मा दिखाओ।"

वह पेंडुलम सीढ़ियो की दिशा की ओर हिलने लग जाता है। अभि पेंडुलम की ओर देखते हुए कहता है........

अभी : "यार ये तो ऊपर के कमरे की तरफ इशारा कर रहा है।"

युग हैरानी के साथ कहता है.......

युग : "इसका मतलब यह है कि यक्षिणी ऊपर वाले कमरे में है।"

वो दोनो टाईम वेस्ट ना करके पेंडूलम की दिशा की ओर सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लग जाते है। पेंडुलम की दिशा का पीछा करते-करते वो दोनो रूम नम्बर 666 के पास पहुँचने वाले थे। वो दोनो रूम नम्बर 666 के पास पहुँचने ही वाले थे कि तभी 666 रूम नम्बर के बगल में जो कमरा था उसमे से बहुतगंदी स्मेल आने लग जाती है। वो कमरा किसी और का नहीं बल्कि युग का था।

अभि : "यार ये तेरे कमरे में से इतनी गंदी बदबू कैसे आ रही है, ऐसा लग रहा है जैसे कोई मर गया है, बॉडी
सड़ने जैसी गंध है।"

युग अपनी नाक बंद करते हुए कहता है......

युग : "ऐसा मत बोल यार, मेरे कमरे के अंदर कायर है वही तो मेडिसीन खाकर सो रहा है।"

जैसे ही युग यह बात बोलता है उन दोनो की ही सिट्टी-बिट्टी गुल हो जाती है वह दोनो जल्दी से युग के कमरे के अंदर घूस जाते है। कमरे के अंदर जाते से ही वो बदबू और बढ़ जाती है और उनके नथूनो में घुसने लग जाती है। जब वो कमरे में जाते है तो देखते है कि कायर बिस्तर पर लेटा हुआ था। युग एक हाथ से
अपनी नाक बंद करता है और दूसरे हाथ से कायर की नब्ज चेक करने लग जाता है।

अभि : "क्या हुआ ठीक तो है ना ये......?"

युग कुछ देर रूककर कहता है.......

युग : "हाँ यार ठीक तो है, नब्ज तो चल रही है; फिर ये इतनी गंदी बदबू कहाँ से आ रही है.....?"

अभी : "यार ये तो मेरे भी समझ में नहीं आ रहा, मुझसे तो सहा ही नही जा रहा।"

अभि और युग अपने आस-पास देखने लग जाते है और पता करने की कोशिश करने लग जाते है कि वो बदबू कहाँ से आ रही थी। बदबू धीरे-धीरे बढ़ते जा रही थी। अभि और युग आस-पास देख ही रहे थे कि तभी युग की नज़र टेबल पर रखी पॉलिथीन पर पड़ती है उस पॉलिथीन पर करीब बीस-तीस मक्खियाँ भिन-भिना रही थी। युग उस पालिथीन की ओर हाथ से इशारा करते हुए कहता है........

युग : "यार वो देख, उस पॉलिथीन के ऊपर इतनी सारी मक्खियाँ भिन-भिना रही है; इस पॉलीथीन में क्या हैं........?"

अभि बिना युग के किसी सवाल का जवाब दिए अपने
कदम उस पॉलिथीन की ओर बढ़ाने लग जाता है, जैसे-जैसे वो अपने कदम उस पॉलिथीन की ओर बढ़ाते जा रहा था बदबू बढ़ते जा रही थी।
जब अभिमन्यु उस पॉलिथीन के पास पहुँचता है और उसे उलेटता है तो देखता है कि उसके अंदर मछलियाँ रखी हुई थी, ये वही मछली थी जो युग को यामिनी ने दी थी। वह मछलियाँ पूरी तरह सड़ चुकी थी और उसके अंदर से मरे हुए इंसान की बदबू आ रही थी।

अभि सड़ी हुई मछली को देखते हुए कहता है......

अभी : "यार ये बदूबू तो इन मछलियों के अंदर से आ रही है।"

युग : "पर ये मछलियाँ इतनी जल्दी खराब कैसे हो सकती है, आज सुबह ही कि तो ताजी मछलियाँ
थी ये।"

अभी : "पता नहीं यार, मेरे भी कुछ समझ नहीं आ रहा और मान ले कि मछलियाँ खराब भी हो गयी तो चलता है पर ऐसी बदबू किस मछली में से आती है यार, ऐसा लग रहा था जैसे कई लाश हो अंदर जो सड़ रही हो।"

अभि ने इतना ही कहा था कि तभी युग की नज़र
अभि के हाथ के डाउजिंग यंत्र पर पड़ती है और वो देखता है कि पेंडुलम ने अपने आप मुवमेंट करना शुरू कर दिया था।

युग घबराते हुए कहता है.......

युग : "यार वो देख तेरा पेंडुलम फिर
मुवमेंट कर रहा है।"

पेंडुलम कमरे के बाहर की ओर मुवमेंट कर रहा था। वह दोनो जल्दी से कमरे के बाहर निकल जाते है और पेंडुलम की दिशा की ओर जाने लग जाते है। वह दोनो रूम नम्बर 666 के सामने आकर रूक जाते है। पेंडुलम रूम नम्बर 666 के अंदर की ओर संकेत कर रहा था। युग और अभि यह सब देखकर
पसीना-पसीना हो गये थे।

अभिमन्यु गहरी साँस लेते हुए कहता है.......

अभी : "इसका मतलब यह हुआ कि यक्षिणी आजाद नहीं हुई है वो यहीं इसी कमरे के अंदर कैद है। "

युग कुछ सोचते हुए कहता है.......

युग : "पर यक्षिणी आजाद क्यों नहीं हुई, हमने तो गेट खोला था ना.........?"

अभि युग पर चिढ़ते हुए कहता है........

अभी : "यार युग तू भी ना कमाल करता है, अब जब हमे पता चल गया है तो ये क्यों पूछ रहा है कि यक्षिणी यहाँ पर क्यों कैद है हमें तो बल्कि यह बात जानकर खुश होना चाहिए कि यक्षिणी आजाद नहीं हुई है बल्कि यहीं पर है, अब वो कल पूर्णिमा की रात किसी मर्द का शिकार नहीं कर पाएगी।"

युग : "हाँ अभि मैं समझ रहा हूँ तेरी बात पर एक बात अंदर ही अंदर मुझे खाए जा रही है और वो ये है कि यक्षिणी कमरे के अंदर ही कैद कैसे रह सकती है जबकि हम तो वो दरवाजा खोल चुके है ना और उसके अंदर से भी आ चुके है, याद है तुने कहा था कि जहाँ पर अदृश्य शक्तियो को बाँध कर रखा जाता है यदि हम
वहाँ के किसी सामान को छू लेते है या फिर सामान के साथ छेड़छाड़ कर देते है तो वहाँ की अदृश्य शक्तियाँ बंधन से मुक्त हो जाती है और उस रात मेरे हाथ में भी तो अपने आप पेन आ गया था, इस हिसाब से तो यक्षिणी को कमरे में से आजाद हो जाना चाहिए था।"

अभि युग पर शक करते हुए कहता है........

अभी : "यार तेरी बातो से मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे तू यक्षिणी को सच में कमरे से आजाद कराना चाहता था और वो पेन जान बूझकर तुने कमरे से
बाहर निकाला था।"

युग हिचकिचाते हुए कहता है.......

युग : "ये तू क्या बोल रहा है यार, सच में मुझे नहीं पता वो पेन कैसे मेरे हाथ में आ गया था, भला मैं यक्षिणी को आजाद करके क्या करूँगा वो कौन सी मेरी रिश्तेदार लगती है।"

अभी : "यार अगर यक्षिणी तेरी रिश्तेदार नहीं लगती तो दुखी क्यों हो रहा है खुशी मनाना कि वो कमरे के अंदर ही कैद है बाहर नहीं निकली और अभी मैंने तेरे सामने डाउजिंग की मदद से उसका पता लगाया ना और डाउजिंग विधि कभी गलत नहीं हो सकती है समझा।"

अभी : और एक बात अच्छे से जान ले युग मैंने बुजुर्ग लोगो से बहोत बार सुना है

युग : सुना है क्या सुना है........?

अभी : उसकी नज़र के झासे मैं मत फसना .....
उसके उलटे पैर देखनेवालों की उलटी गिनती शुरू हो जाती है ........
उसकी चोटी आपकी उम्र छोटी कर देगी.........

युग : ये तू किया बता रहा है अभिमन्यु सुनने मै काफ़ी डरावनी लग रही है

अभि उबासी लेते हुए कहता है - "देख मुझे ना अब बहुत नींद आ रही है मुझे, अब सोने जाने दे पिछले दो दिन से रोज रात को चार बजे तक जगा रहा है मुझे, आज चैन की नींद सोऊँगा बिना किसी डर के।"

इतना कहकर अभि नीचे हॉल में जाने लग जाता है पर
युग की नज़रे अभी भी रूम नम्बर 666 पर गढ़ी हुई थी, उसके समझ ही नहीं आ रहा था कि यदि उसने दरवाजा खोला था तो यक्षिणी बाहर क्यों नहीं निकली थी।

एक तरफ युग और अभि ने यक्षिणी का पता लगा लिया था तो वहीं दूसरी तरफ अमोदिता किशनोई नदी पर पहुँच गयी थी अमोदिता रौंगकामुचा घाट पर खड़ी हुई थी। किशनोई नदी धीमी रफ्तार के साथ बहे जा रही थी। अमोदिता के सिवाये रौंगकामुचा घाट पर और कोई नहीं था वो अकेले ही वहाँ पर खड़ी हुई थी।
अमोदिता अपने अगल-बगल देखती है जब उसे कोई नहीं दिखता तो वो अपने हाथ की मुठ्ठी खोलती है जिसके अंदर उसने वो काली पुड़िया पकड़ी हुई थी। अमोदिता वो पुड़िया खोलने लग जाती है।

पुड़िया के अंदर की हल्दी की गाँठ पूरी तरह पीली से लाल हो चुकी थी, उसी हल्दी की गाँठ से कायर का बाल लिपटा हुआ था।
वह बाल पूरी तरह हल्दी की गाँठ से चिपका चुका था। ऐसा लग रहा था जैसे वो बाल हल्दी की गाँठ के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था।
रजनी ने अमोदिता को जो मंत्र बताया था उसका जाप करते हुए अमोदिता वो बाल हल्दी की गाँठ में से निकालने लग जाती है। अमोदिता को हल्दी की गाँठ से बाल निकालने में कड़ी मसकत करनी पड़ रही थी क्योंकि वह बाल पूरी तरह हल्दी में समाहित हो चुका था। अमोदिता हल्दी की गाँठ से बाल निकाल
ही रही थी कि तभी उसकी नज़र नदी पर पड़ती है और वो देखती है कि नदी के पानी के ऊपर अचानक कई सारे जुगनू मंडराने लग गये थे।

अमोदिता खुद से बड़बड़ाते हुए कहती है.........

आमोदिता : "ये इतने सारे जुगनू कहाँ से आ गये नदी के पास, आज से पहले तो इतने जुगनू कभी नहीं देखे।".............






अब आगे.............




☆ Ch : Totka utra yaa nahi ☆


अभी : वो बिंदु....... वो बिंदु कायर ना......... कायर ना..........

बिंदु : ये कायर कायर क्या laga kar रखा है, मैंने पूछा कायर कहा पर है मुझे ये बताओ.......

काव्या : आअह्ह्हह्ह्ह्ह....... युग कमिने छोड़ मुझे मै तेरी दीदी हु ये तू क्या कर रहा है आअह्ह्हह्ह्ह्ह...... छोड़ मेरी बूब्स को कमीना..........



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