अपडेट 11
परिवार में प्यार की शुरुवात
आरोही मॉल में पहुँच कर भैया मुझे क्या दिलाओगे।
राहुल- मेरी गुड़िया को जो चाहिए बोलो मैं तो तुम्हारा गुलाम हूँ
आरोही - मुझे तो जीन्स ,टॉप, लैगिंग्स और वो कुछ और भी चाहिए ।
राहुल - बाकी तो सब ठीक है पर ये ,वो और कुछ क्या है और मुस्कुरा देता है।
आरोही - वो..मुझे अपने अंदर के कपड़े चाहिए ।और शर्मा जाती हैं।
दोनो मॉल में घूम घूम कर देख रहे थे की एक शॉप में वो घुसते हैं । आरोही अपने लिए जीन्स दिखने लगी 2 जीन्स उसने पसंद की और बोली भैया ये कैसी है ।
राहुल उसको कहता है अच्छी है पर एक बार पहन के देख लो फिटिंग सही है की नही ।ठीक है भैया बोल कर वो चेंजिंग रूम में घुस जाती है ।एक एक करके दोनो जीन्स पहन के देखती है बहुत अच्छी फिटिंग लगी उसको, उसने सोचा क्यों ना भैया को भी एक बार दिखा दूँ तो वो जीन्स पहने ही बहार आकर बोली भैया कैसी लग रही हैं।राहुल पलट के देखा तो वो देखता ही रह गया क्या मस्त फिटिंग थी जीन्स की उसकी जाँघ से बिल्कुल ही सट गयी थी।तभी आरोही पलट के अपना सबसे कीमती चीज़ दिखाती है जिसे देख राहुल के मुँह से आह्ह्ह ..निकल जाती है ।जीन्स इतनी लाइट थी की उसकी गांड की दरारों में फंसी हुई थी ।ये नज़ारा राहुल के लंड में आग लगा चुका था ।वो बस उसकी गांड ही घूरे जा रहा था की तभी आरोही बोली भैया पीछे से अच्छी नही लग रही हैं क्या बोलो ना ,राहुल नही नही बहुत अच्छी लग रही है। अब जीन्स को कहा या फिर उसकी गांड के उभार को पता नही । ये तो राहुल ही जाने।
आरोही दोनो जीन्स पसंद करके रख लेती है उसी दुकान से टॉप ले लेती है और फिर वो लैगिंग्स लेने की सोचती है पर उस दुकान में उसे अच्छी लैगिंग्स नही मिलती तो वो किसी और दुकान में जाते है ।वहा काफी अच्छी लैगिंग्स देख कर वो बारी बारी राहुल को पहन के दिखाती हैं जिसे देख राहुल का लोड़ा अब सर उठाने लगा था ।लैगिंग्स में उसके जाँघ के कटाव साफ दिखाई दे रहे थे।और सबसे बड़ी बात ये की लैगिंग्स की वजह से उसकी कच्छी साफ दिखाई पड़ रहा थी की वो कितना छोटा पहनी है।राहुल देख के आहे भरता हुआ मन में उफ्फ्फ्फ़..कितनी कामुक लग रही है आरोही और उसकी छोटी सी कच्छी जो आज तक राहुल ने नही देखी थी । आज वो अपनी ही बहन की गांड और जाँघ देख पगला गया था ।तभी आरोही उसको हिलाते हुए बोली भैया क्या हुआ आपको कब से बोल रही हूँ कैसी लगी बताओ आप कहाॅं खो गये हो ।वो एक दम से अपनी हवस की दुनिया से बहार आकर बोलता है।कुछ नही आरोही ,तो बताओ लैगिंग्स कैसी लगी । राहुल बोलता है अच्छी हैं बहुत अच्छी है आरोही ले ले ।आरोही भी मुस्कुरा जाती है उसे भी पता था की उसके राहुल भैया क्या देख खो गये थे ।दोस्तों सभी लड़कियों को पता होता है लड़के उनको छुप छुप के देखते है और क्या देखते है। वो अच्छे से जानती है।
इधर राहुल भी अपने लिए कुछ कपड़े ले चुका था और अब आरोही कुछ बोलती उसे पहले ही राहुल बोला की चलो तुम्हारे वो कपड़े भी ले ले ।ये सुन आरोही शर्मा जाती हैं ।काफी सारी ब्रा और पैंटी देखने के बाद उसे पसंद नही आ रही थी ।तभी राहुल बोला क्या यार कोई भी ले लो ना इसे कौन देखता है ।इस बात पे आरोही शर्मा के बोलती हैं भैया कोई तो होता ही है देखने वाला और हमे खुद भी तो अच्छा लगाना चाहिए ना तभी तो पहन ने में अच्छा लगेगा ।
राहुल तो एक काम करो सेट ले लो और वो एक दूसरी दुकान में जाते हैं जो बस ब्रा ,पैंटी और अंदर के कपड़ो की ही थी ।राहुल उसको दिखाता हैं ये लाल वाली कैसी है और ये काली वाली भी ।दोनो ही कमाल की ब्रा और पैंटी थी ।एक दम कामुक ,जो देखे देखता ही रह जाये ।आरोही देख के शर्मा गयी की उसके भैया उसकी जवानी ढकने के लिए ब्रा और पैंटी पसंद कर रहे हैं ।आरोही दोनो ही लेकर बोलती है भैया आप रहने दो आपको सा..साइज नही पता तभी राहुल को याद आता है अरे हाँ यार मुझे तो पता ही नही है मैं भी ना और मुस्कुरा जाता हैं।फिर आरोही उसी रंग की अपनी साइज की ले लेती है और जल्दी से अपनी कैरी बैग में डाल देती है ।तभी राहुल को एक बिकिनी पसंद आती है जिसे देख उसके बदन में झुरझुरी हो जाती हैं वो बिकिनी एक डमी को पहनाया गया था ।आरोही की नज़र जब राहुल पे जाती हैं।तो वो बिकिनी को ही देखे जा रहा था ।इतने मैं एक आवाज़ सुनाई देती है ।आरोही तुम यहाँ ? आरोही पलट के देखती है तो वहा निशा खड़ी थी।
आरोही - हेल्लों भाभी वो अचानक ही बोल देती है जिसे सुन निशा शर्मा जाती है।
और इधर राहुल भी थोड़ा घबरा जाता है की ये आरोही क्या बोल गयी ।
निशा - शर्म और मुस्कुराहट लिए बोली तुम भी ना पागल हो पुरी की पुरी ऐसा कुछ नही हैं।
आरोही - अच्छा जी कुछ नही हैं तो शर्म से चेहरा लाल क्यों हो गया आपका और हमेशा आप भैया के साथ ही क्यों रहती हो ।कोई और मर्द पसंद नही आता ना और वो हँसने लगती है ।निशा का चेहरा शर्म की लाली से लाल हो चुका था अब वो क्या बोलती सच तो यही था।
राहुल - आरोही क्या बोल रही है तु ,कुछ भी बोलती है निशा और मैं अच्छे दोस्त हैं।
आरोही - अब बस करो भैया कितना झूठ बोलोगे अपनी बहन से आपको प्यार ही नही है मुझसे वरना कब के मुझे मेरी भाभी से मिलवा देते वो मुँह बना के बोलती है ।
निशा भी उसकी इस अदा पे फ़िदा हो गयी थी ।उसने मन में बोला क्या बात है आरोही लगता है मेरी ननद ही मेरा पति मुझे देगी वरना ये बुद्दू राम तो कुछ बोले से रहे ।
राहुल - अरे मेरी आरोही ऐसा कुछ नही है और ये तेरा झूठ मुठ के रूठने का अंदाज़ अब पुराना हो चुका है चल अब घर चलते है ।
निशा - थोड़ी देर रुकों ना राहुल तभी आरोही बोली देखा ना भैया ,भाभी की तड़प बेचारी आप के साथ रहने के लिए कितना तड़प रही है और हँसने लगती है।इस बात पे दोनो ही शर्म से मुस्कुरा देते है आखिर दिल की बात दोनो ने नही बोली पर आरोही ने तो बोल दिया ना ।
राहुल और निशा दोनो एक दूसरे को देख मुस्कुरा रहे थे की तभी आरोही एक और बम फोड़ देती है अच्छा जी अब आँखों ही आँखों में इशारा हो गया ये दिल अब से तुम्हारा हो गया और फिर हँसने लगती है ।ये सुन दोनो ही झेंप जाते है ।कुछ समय तक कोई नही बोला तो आरोही बोली अब घर नही चलना क्या अब देर नही हो रही है ।
राहुल - मैं तो कब से बोल रहा था चल तु ही पता नही क्या क्या बोले जा रही है ।
आरोही - अच्छा जी चलो ठीक है और निशा जी क्या कर रही हो आप यहा ??
निशा - कुछ कपड़े लेने आयी थी ।और जब तुम्हे देखा तो चली आयी ।
आरोही - मेरे लिए चली आयी या किसी और के लिए और मुस्कुरा देती है।
ऐसे ही काफी देर हँसी मज़ाक होता है तीनो ही कैफ़े में बैठ के कुछ खाते पीते हैं।और अपने घर के लिए निकल जाते हैं।
इधर रामदास ,तिवारी के घर पे था ।तिवारी ये हैं कौन जो हमसे दोस्ती करना चाहता है ।
रामदास - पता नही तिवारी जी पर ये चिठ्ठी पे तो बस एक नंबर ही लिखा है ।
तिवारी- चल फोन कर इस नंबर पे पता तो चले ये हैं कौन ,जो उस मादरचोद राहुल से बदला लेना चाहता हैं।
रामदास कॉल लगता है थोड़ी ही रिंग के बाद कोई कॉल उठा के बोलता है ।हेल्लों रामदास क्या सोचा फिर तुमने ?
रामदास और तिवारी दोनो ही हैरान थे की उसे कैसे पता की कॉल रामदास ने किया हैं। तभी तिवारी बोला कौन हैं तु क्या चाहता है।
- मैं वही चाहता हूँ तिवारी जी जो तुम चाहते हो।
तिवारी - मैं तो उस मादरचोद राहुल की मौत चाहता हूँ और उसकी बहनो को धंधे पे बैठा ना चाहता हूँ।
- हाथ मिला लेते है जब अपना दुश्मन एक ही हैं तो।
तिवारी - वो सब तो ठीक हैं पर तुम हो कौन और तुम राहुल से बदला क्यों लेना चाहते हो ।
- मैं कौन हूँ मत पूछो पर इतना जान लो ।राहुल और उसके परिवार की बर्बादी ही मेरा मकसद हैं।
तभी रामदास बोला तो आओ मिल के बात करते है ।
- नही रामदास मैं किसी से नही मिलता मेरा आदमी तुम से मिल लेगा ।और कॉल कट हो जाता हैं।
तिवारी - ये बहनचोद हैं।कौन ? कुछ देर सोच के जो भी हो अपना क्या मुझे उस मादरचोद को मार के उसकी बहने चोदनी है बाद में सारा इल्ज़ाम इसपे ही डाल देंगे और हँसने लगता हैं।
रामदास- तिवारी जी थोड़ा सतर्क रहिये कही ये चंद्रभान की चाल ना हो वरना बुरा फंस जाएंगे ।
तिवारी - हम्म..तु ठीक कहता है रामदास हो सकता है ये कोई चाल हो मुझे फंसने की मान गया तेरा दिमाग़ भी कभी कभी काम करता है और दोनो हँसने लगते है । चल जाम पीते है और उस राहुल की बर्बादी का प्लान करते है अपने इस नये दोस्त और उस मादरचोद के पुराने दुश्मन के साथ मिलकर और जाम पीने लगते है।।
रामदास- मुझे तो लगता है वो भी उसकी बहने चोदना चाहता होगा तभी साला अपने से हाँथ मिला रहा हैं।
तिवारी - अरे क्यों ना कोई उनको चोदे साली क्या गजब की माल है रंडिया ।देख के ही लंड खड़ा होने लगा था ।पता नही उसकी रंडी बहनो के चक्कर में उसने कितने दुश्मन बना लिए है ।
रामदास- जितने भी हो अपने तो दोस्त ही है तिवारी जी और दोनो हँसने लगते है
दोनो नशे में चूर हो गये थे।तभी रामदास बोलता है वो निशा रंडी भी माल है साली उसको तो अपनी रखैल बनाऊगा ।
तिवारी - एक जोर का झापड़ उसके गालो पे दे मरता है
रामदास- ये मारा क्यों मुझे उस निशा के लिए ?
तिवारी- बहनचोद वो तेरी रखैल नही मेरी बीवी बनेगी ,साली को जब से देखा लंड टनटना गया ।और पूरे 10 बच्चे करूंगा उसकी कोख से पुरी चूत फाड़ दूँगा उसकी ,नशा तिवारी के सर चढ़ बोल रहा था ।वो फिर बोला रामदास कोई रंडी बुला यार कितने समय से कोई चूत नही मारी।
रामदास- ठीक हैं तिवारी जी और कॉल करके अपने दलाल से दो रंडी की बुकिंग कर देता हैं।
घर पे सबको आरोही अपने कपड़े दिखा रही थी तभी गरिमा बोली वाह आरोही कितनी मस्त लैगिंग्स ली हैं तूने ।
बरखा - कितनी खुश हैं मेरी बच्ची ,किसी को नज़र ना लगे इस घर की खुशियों की और उठकर चाय बनाने किचन में चली जाती हैं। तभी निधि भी जिम से आ जाती हैं आज निधि ने भी कमाल की लैगिंग्स पहनी थी जिसे देख राहुल की नज़र ही नही हट रही थी ।ये निधि देख लेती है और जानबूझ के पलट के अपनी गांड का उभार उसके सामने कर देती हैं ।और ये देख के राहुल सपकपा जाता हैं। और अपने मन में उफ़.. क्या गांड है दीदी खा जाऊं तेरे इन चुतरों को, इधर निधि झुक झुक के गांड को दिखा रही थी वो जानती थी की उसका भाई उसके नितंब देख रहा होगा ।और मन में बोली देख ले भाई अच्छे से मज़ा ले ले तेरे लिए ही हैं।तभी गरिमा और आरोही की नज़र राहुल पे जाती हैं जो निधि की ही गांड को घूर घूर के देख रहा था ।आरोही देख मुस्कुरा देती है। भैया निधि दीदी की भी,जबकी गरिमा भी शर्मा जाती है की उसका भाई कितना बेशर्म है सब के सामने अपनी ही बहन की गांड देख रहा हैं।तभी बरखा की आवाज़ आती हैं।निधि बैठ जा खड़ी क्यों है।ये सुन चारों ही अपनी ख्यालो की दुनिया से बहार आते हैं। बरखा चाय लेकर आती हैं और सब मिलकर चाय पीते हैं। आरोही देखो दीदी मेरे नये कपड़े वो बहुत खुश होकर दिखा रही थी ।निधि भी एक एक करके सारे कपड़े देखती हैं।तभी उसकी नज़र कैरी बैग पे जाती हैं जिसमे शायद कुछ था
उसे लगता हैं।वो उस बैग में हाँथ डालकर कुछ निकलती हैं तो उसके हाँथ में ब्रा पैंटी का एक सेट आ जाता हैं।जो लाल रंग का था जिसको देख सभी आचंभित हो जाते है और आरोही शर्म से लाल हो जाती हैं।
निधि ये क्या है वो खोलकर दिखती है क्या मस्त ब्रा और पैंटी थी दोनो ही लाल रंग की होने से वो और कामुक लग रही थी ।इतने में आरोही निधि से छिन के बैग उठकर जल्दी से अपने कमरे में भाग जाती हैं।और यहाँ सब के चेहरे पे मुस्कुराहट आ जाती है ये निधि ने जानबूझ के किया या अनजाने में ये तो वही जाने पर उसने राहुल के चेहरे को अच्छे से भांप लिया था की ब्रा और पैंटी देख के उसके चेहरे पे एक अलग ही चमक आ गयी थी ।
सब चाय पीकर अपने अपने काम में लग जाते हैं। निधि अभी थोड़ा आराम चाहती थी तो वो अपने कमरे में चली जाती हैं।राहुल के ज्यादा दोस्त नही थे वो अपने कमरे में जाने ही वाला होता हैं।की तभी बरखा उसे बाजार से कुछ समान लाने का बोल देती हैं। इधर आरोही अभी भी शर्म से लाल हुए जा रही थी सोच सोच के की उसकी ब्रा और पैंटी सब ने देख ली और भैया उफ़..क्या सोचेंगे वो अपने आप को मरते हुए तु भी ना आरोही संभाल के नही रख सकती थी। और ये दीदी भी ना कुछ समझती ही नही हैं।तभी उसे मॉल वाली बात याद आती है कैसे राहुल उसके लिए ब्रा और कच्छी पसंद कर रहा हैं और भैया के ही पसंद की ब्रा और पैंटी ही तो ली हैं और रंग भी वही ये सोच के वो मुस्कुरा जाती हैं। और एक दम से उसके मुँह से निकल जाता है बुद्दू भैया बहना के लिए ब्रा पैंटी पसंद कर ली ।तभी निधि जो उसके कमरे में आ चुकी थी वो बोली क्या ये ब्रा पैंटी का सेट भाई की पसंद का हैं।ये सुन आरोही चौंक जाती है और घबरा के बोलती है नही नही दीदी ऐसा कुछ नही है ये तो मैंने खुद पसंद की हैं।
निधि पर तु अभी बोली ना की भाई पसंद किया था साली अब झूठ भी बोलने लगी अपनी बहन से वो मुस्कुरा के बोलती हैं। आरोही शर्म से लाल हो जाती हैं फिर से उसको कुछ बोलता ना देख निधि फिर बोलती हैं।बोल ना आरोही भाई ने पसंद करके दी हैं क्या ?? आरोही कुछ बोलती नही हैं बस सर हिला के हम्म. कहती हैं।
निधि मुस्कुरा के क्या बात है आरोही इतना प्यार भाई और बहन में की भाई अपनी बहन के लिए ब्रा और पैंटी का सेट पसंद करता हैं। ये सुन आरोही भी मुस्कुरा देती और शर्म से लाली लिए हुए सर झुकाये बोलती हैं वो..वो.. दीदी पता नही क्यों पर अचानक ही भैया बोले की मुझे सेट ही लेना चाहिए और वही अपनी पसंद से लेकर दिये
निधि अच्छा जी मतलब भाई तुझे ऐसी ही ब्रा और पैंटी में देखना चाहता हैं।
आरोही सर निचे किये ही पता नही दीदी पर उनकी पसंद की ही हैं।निधि दिखा ना अपनी जवानी का समान ढकने वाली चीज़ को मुझसे क्या शर्माना यार थोड़ी देर बाद आरोही अपने हाँथ को निधि की तरफ बढ़ा के लो दीदी देख लो ।निधि इस बार काले रंग वाली निकल के कहती हैं।उफ्फ्फ..कितनी कामुक हैं यार, इसमें मस्त लगेगी तू बिल्कुल सनी लियॉन जैसे और हँसने लगती हैं।
आरोही और शर्मा जाती है और बोलती हैं क्या दीदी आप भी ना लाओ मुझे दो । निधि अभी पहन के सनी लियॉन बनेगी क्या और जोर जोर हँसने लगती हैं
आरोही अब क्या कहती बेचारी आज उसको शर्म और लाज़ का सही मतलब पता चला था की औरत के लिए शर्म कितनी ज़रूरी होती हैं।
निधि कुछ सोच के बोलती हैं।अच्छा एक काम करना आज ये पहन के भाई को दिखा ही देना की कैसी हैं उनकी पसंद और खिलखिला जाती हैं।आरोही थोड़ी हिम्मत करके दीदी आप बहुत मज़े ले रही हो आपको मैं बताउंगी मौका मिला तो, निधि अरे अब कुछ गलत कहा मैंने ,भाई ने अपनी पसंद की दिलवाई हैं तो उसको भी तो देखना होगा ना की तेरे पे ये रंग खिल रहा हैं की नही वरना उसे कही ये ना लगे की उसकी पसंद खराब हैं।
आरोही दीदी बस आपका हो गया ना अब जाओ अपने कमरे में तभी गरिमा आवाज़ लगती हैं आकर खाना खा लो महारानी साहिबा उतना सुनते ही दोनो खाना खाने निचे चली जाती हैं। खाना खाते समय निधि बोली मम्मी कल मैं भी दुकान पे चलूंगी ।बरखा निधि को देखते हुए ।तु कब से काम के प्रति जाग गयी है भैंस कही की जब देखो सोना और खाना गरिमा से सिख कुछ कितनी प्यारी हैं मेरी बच्ची कितना काम करती हैं।तभी गारिमा को अपनी चुदाई याद करने लगती हैं और मन में बोलती हैं,हाँ मम्मी मुझसे सीखेगी तो इसको पापा से चुदवाना सिखा दूंगी ।
निधि- मम्मी वही तो सिख रही हूँ काम करूंगी तभी तो सीखूंगी ना आप भी मुझे कुछ करने देंगी तब ना ।गरिमा ठीक हैं तुम भी चलना ।तभी बरखा बोली अरे ये भी चलेगी तो कॉलेज कब जाएगी ।इतने में निधि बोली मम्मी कल छुट्टी है रविवार है ।बरखा अच्छा अच्छा मैं तो भूल ही गयी थी पर तु दुकान चलेगी तो घर पे राहुल और आरोही का ध्यान कौन रखेगा ।
निधि मम्मी ये कोई बच्चे नही हैं जिनके लिए कोई नौकरानी चाहिए और राहुल आरोही का ध्यान रख लेगा और आरोही राहुल का ,गरिमा -सही बोली मम्मी निधि अब ये बड़े हो गये हैं खुद अपना ध्यान रख लेंगे ।खाना ख़तम हो गया और सब सोने चले गये ।
दूसरी तरफ तिवारी जोर जोर से अपना लंड पेल रहा था आह्ह्ह.. निशा रंडी साली तेरी चूत का भोसड़ा करू उफ्फ्फ..क्या चूत हैं तेरी भड़वी आह्ह्ह...
-आह्ह्ह तिवारी जी धीरे चोदो आह्ह..उफ्फ्फ..बहुत दर्द हो रहा है तिवारी जी
चुप साली धंधे वाली दो टके की रंडी दोनो ही चरमसुख के करीब पहुंच गये थे ।कुछ ही धक्कों के बाद तिवारी झड़ने लगता हैं आह्ह्ह..निशा.....और हांफ्ता हुआ बिस्तर पे गिर जाता हैं।
रामदास भी झाड़ के शांत हो चुका था ।नशा उसपे हावी हो गया था जिससे उसकी आँख बंद हो चली और कब सो गया पता ही नही चला।
तभी तिवारी बोला मज़ा आ गया निशा तुझे चोद के साली बहुत बनती थी ना रंडी तु । तभी एक आवाज़ आयी ये निशा कौन हैं तिवारी जी ?
तिवारी साली तु निशा हैं और पूछती हैं कौन हैं निशा ?
मैं निशा नही हूँ मैं तो ममता हूँ ।
तिवारी जैसे तैसे उठकर देखता हैं नशे के मारे वो भी अब पस्त हो चुका था ।तु कौन हैं बे साली ?
मैं ममता रांड हूँ अपने बुलाया था ना चोदने के लिए दीजिये मेरे पैसे ,तिवारी हट बहनचोद मुझे लगा निशा चुदवा रही हैं । तिवारी जी आज भी मुफ़्त में चोदोगें क्या कभी तो पैसा दे दीजिये ।
तिवारी -चल निकल साली रंडी तेरा धंधा बंद करवा दूंगा समझी ना चल निकल सोने दे बोलकर सो जाता हैं।
ममता रांड - साला भड़वा कही का जब देखो मुफ़्त की चूत चाहिए हरामी को, एक दिन तेरी बेटी तुझसे ना चुदवाया तो मेरा नाम भी ममता रांड नही बोलकर कपड़े पहनकर चली जाती हैं।
इधर राहुल आज के दृश्य को याद करके गरम हो चुका था पहले आरोही की गांड और बाद में निधि की गांड उफ़..मेरी ये बहने और लंड बहार निकाल के हिलाने लगता हैं।।आह्ह्ह...आरोही मेरी बहन कब देगी मुझे अपनी चूत आह्ह्ह.. आरोही ,ये सब दरवाजे पे कोई कान लगा के सुन रहा था तभी राहुल के मुँह से आवाज़ निकलतीं आह्ह्ह ..निधि दीदी तुम कब दोगी अपनी मस्तानी गांड कितना तड़पाओगी अपने भाई को आह्ह .. मेरी रंडी दीदी चुदवा लो अब रहा नही जाता और थोड़ी ही देर में लंड माल उगल देता हैं।
आरोही अपने कमरे में लेट कर सोच ही रही थी की आज उसके भैया कैसे उसकी गांड को खा जाने वाली नज़र से देख रहे थे वो मुस्कुरा जाती है सोच के तभी निधि उसके कमरे पे ठक ठक करती है ।आरोही कौन है ?
मैं हूँ आरोही खोल ना कुछ बात करनी है आरोही उठकर दरवाजा खोल देती है और दोनो बिस्तर पे बैठ के बाते करने लगती है ।निधि अच्छा सुन तूने भैया का मोबाइल फोन देखा की नही ?
आरोही - नही देखा दीदी एक बार कोशिश की थी पर फोन लॉक था तो नही दे पायी ।
निधि -अच्छा कोई बात नही सुबह कोशिश करना या अभी जाकर देख ले
आरोही अभी नही दीदी मुझे अब नींद आ रही है कल सुबह सुबह देखूंगी क्या हैं फोन में जो आप इतना कह रही हो ।
निधि - ठीक है और कल भाई को ब्रा और पैंटी पहन के दिखा देना
आरोही - आ..दीदी कितनी गंदी बातें करने लगी हो आप भैया को कैसे दिखा सकती हूँ ।
निधि - अरे नही दिखाएगी तो भाई को लगेगा की उसकी पसंद अच्छी नही है ।
आरोही - हम्म.. बात तो सही पर भैया को कैसे मुझे शर्म आएगी ।
निधि - शर्माएगी तो फिर कभी नही दिखा पायेगी और कल तुम दोनो के लिए ही तो मैं भी दुकान जा रही हूँ जो करना हैं कल कर लेना और हँसने लगती हैं आरोही शर्म से लाल होकर गर्दन निचे करके बोलती हैं दीदी आप भी ना बहुत हुआ अब आप जाओ अब वो इतना बोली ही थी की निधि बोली ठीक हैं मैं जा रहूँ हूँ और वो रूम से निकल के चली जाती हैं।
इधर निधि को रूम में ना देख गरिमा जल्दी से सुरेश को फोन करती हैं। 2 ही रिंग में सुरेश कॉल उठा कर बोलता हैं।
सुरेश - हेल्लों गरिमा डार्लिंग
गरिमा - हेल्लो पति परमेश्वर जी कैसे हो आप ठीक से पहुंच गये थे ना ।
सुरेश - हाँ जान पहुंच गया था तुम बताओ चूत की खुजली कैसे मिटा रही हो
गरिमा - खुजली किस से मिटवा लूं राजा जी आप तो हैं नही ये खुजली बढ़ती जा रही हैं।
ये बात कोई सुन रहा था पर कौन ??
सुरेश - आकर मिटा दूंगा डार्लिंग थोड़ा और इंतज़ार कर लो ।तभी सुरेश बोलता हैं बरखा का कॉल आ रहा है बाद में बात करता हूँ और कॉल कट करके बरखा का कॉल उठा कर बोलता हैं।
सुरेश - हेल्लों जान क्या कर रही हो।
बरखा - कहाॅं लगे हुए थे जब से गये हो ना कोई कॉल ना कोई खबर दिये हो
सुरेश - जान काम करने आया हूँ तो काम ही करूंगा ना
बरखा - जल्दी आ जाओ ना बूर में चुनचुनी हो रही हैं कितने दिनों से आप से चोदी नही हूँ ।
सुरेश - बिल्कुल मेरी जान जल्दी ही आता हूँ
इस तरह दोनो काफी देर बात करते हैं और कॉल कट करके सोने चल देते हैं अगली सुबह क्या लेकार आएगी पता नही ।
परिवार में प्यार की शुरुवात
आरोही मॉल में पहुँच कर भैया मुझे क्या दिलाओगे।
राहुल- मेरी गुड़िया को जो चाहिए बोलो मैं तो तुम्हारा गुलाम हूँ
आरोही - मुझे तो जीन्स ,टॉप, लैगिंग्स और वो कुछ और भी चाहिए ।
राहुल - बाकी तो सब ठीक है पर ये ,वो और कुछ क्या है और मुस्कुरा देता है।
आरोही - वो..मुझे अपने अंदर के कपड़े चाहिए ।और शर्मा जाती हैं।
दोनो मॉल में घूम घूम कर देख रहे थे की एक शॉप में वो घुसते हैं । आरोही अपने लिए जीन्स दिखने लगी 2 जीन्स उसने पसंद की और बोली भैया ये कैसी है ।
राहुल उसको कहता है अच्छी है पर एक बार पहन के देख लो फिटिंग सही है की नही ।ठीक है भैया बोल कर वो चेंजिंग रूम में घुस जाती है ।एक एक करके दोनो जीन्स पहन के देखती है बहुत अच्छी फिटिंग लगी उसको, उसने सोचा क्यों ना भैया को भी एक बार दिखा दूँ तो वो जीन्स पहने ही बहार आकर बोली भैया कैसी लग रही हैं।राहुल पलट के देखा तो वो देखता ही रह गया क्या मस्त फिटिंग थी जीन्स की उसकी जाँघ से बिल्कुल ही सट गयी थी।तभी आरोही पलट के अपना सबसे कीमती चीज़ दिखाती है जिसे देख राहुल के मुँह से आह्ह्ह ..निकल जाती है ।जीन्स इतनी लाइट थी की उसकी गांड की दरारों में फंसी हुई थी ।ये नज़ारा राहुल के लंड में आग लगा चुका था ।वो बस उसकी गांड ही घूरे जा रहा था की तभी आरोही बोली भैया पीछे से अच्छी नही लग रही हैं क्या बोलो ना ,राहुल नही नही बहुत अच्छी लग रही है। अब जीन्स को कहा या फिर उसकी गांड के उभार को पता नही । ये तो राहुल ही जाने।
आरोही दोनो जीन्स पसंद करके रख लेती है उसी दुकान से टॉप ले लेती है और फिर वो लैगिंग्स लेने की सोचती है पर उस दुकान में उसे अच्छी लैगिंग्स नही मिलती तो वो किसी और दुकान में जाते है ।वहा काफी अच्छी लैगिंग्स देख कर वो बारी बारी राहुल को पहन के दिखाती हैं जिसे देख राहुल का लोड़ा अब सर उठाने लगा था ।लैगिंग्स में उसके जाँघ के कटाव साफ दिखाई दे रहे थे।और सबसे बड़ी बात ये की लैगिंग्स की वजह से उसकी कच्छी साफ दिखाई पड़ रहा थी की वो कितना छोटा पहनी है।राहुल देख के आहे भरता हुआ मन में उफ्फ्फ्फ़..कितनी कामुक लग रही है आरोही और उसकी छोटी सी कच्छी जो आज तक राहुल ने नही देखी थी । आज वो अपनी ही बहन की गांड और जाँघ देख पगला गया था ।तभी आरोही उसको हिलाते हुए बोली भैया क्या हुआ आपको कब से बोल रही हूँ कैसी लगी बताओ आप कहाॅं खो गये हो ।वो एक दम से अपनी हवस की दुनिया से बहार आकर बोलता है।कुछ नही आरोही ,तो बताओ लैगिंग्स कैसी लगी । राहुल बोलता है अच्छी हैं बहुत अच्छी है आरोही ले ले ।आरोही भी मुस्कुरा जाती है उसे भी पता था की उसके राहुल भैया क्या देख खो गये थे ।दोस्तों सभी लड़कियों को पता होता है लड़के उनको छुप छुप के देखते है और क्या देखते है। वो अच्छे से जानती है।
इधर राहुल भी अपने लिए कुछ कपड़े ले चुका था और अब आरोही कुछ बोलती उसे पहले ही राहुल बोला की चलो तुम्हारे वो कपड़े भी ले ले ।ये सुन आरोही शर्मा जाती हैं ।काफी सारी ब्रा और पैंटी देखने के बाद उसे पसंद नही आ रही थी ।तभी राहुल बोला क्या यार कोई भी ले लो ना इसे कौन देखता है ।इस बात पे आरोही शर्मा के बोलती हैं भैया कोई तो होता ही है देखने वाला और हमे खुद भी तो अच्छा लगाना चाहिए ना तभी तो पहन ने में अच्छा लगेगा ।
राहुल तो एक काम करो सेट ले लो और वो एक दूसरी दुकान में जाते हैं जो बस ब्रा ,पैंटी और अंदर के कपड़ो की ही थी ।राहुल उसको दिखाता हैं ये लाल वाली कैसी है और ये काली वाली भी ।दोनो ही कमाल की ब्रा और पैंटी थी ।एक दम कामुक ,जो देखे देखता ही रह जाये ।आरोही देख के शर्मा गयी की उसके भैया उसकी जवानी ढकने के लिए ब्रा और पैंटी पसंद कर रहे हैं ।आरोही दोनो ही लेकर बोलती है भैया आप रहने दो आपको सा..साइज नही पता तभी राहुल को याद आता है अरे हाँ यार मुझे तो पता ही नही है मैं भी ना और मुस्कुरा जाता हैं।फिर आरोही उसी रंग की अपनी साइज की ले लेती है और जल्दी से अपनी कैरी बैग में डाल देती है ।तभी राहुल को एक बिकिनी पसंद आती है जिसे देख उसके बदन में झुरझुरी हो जाती हैं वो बिकिनी एक डमी को पहनाया गया था ।आरोही की नज़र जब राहुल पे जाती हैं।तो वो बिकिनी को ही देखे जा रहा था ।इतने मैं एक आवाज़ सुनाई देती है ।आरोही तुम यहाँ ? आरोही पलट के देखती है तो वहा निशा खड़ी थी।
आरोही - हेल्लों भाभी वो अचानक ही बोल देती है जिसे सुन निशा शर्मा जाती है।
और इधर राहुल भी थोड़ा घबरा जाता है की ये आरोही क्या बोल गयी ।
निशा - शर्म और मुस्कुराहट लिए बोली तुम भी ना पागल हो पुरी की पुरी ऐसा कुछ नही हैं।
आरोही - अच्छा जी कुछ नही हैं तो शर्म से चेहरा लाल क्यों हो गया आपका और हमेशा आप भैया के साथ ही क्यों रहती हो ।कोई और मर्द पसंद नही आता ना और वो हँसने लगती है ।निशा का चेहरा शर्म की लाली से लाल हो चुका था अब वो क्या बोलती सच तो यही था।
राहुल - आरोही क्या बोल रही है तु ,कुछ भी बोलती है निशा और मैं अच्छे दोस्त हैं।
आरोही - अब बस करो भैया कितना झूठ बोलोगे अपनी बहन से आपको प्यार ही नही है मुझसे वरना कब के मुझे मेरी भाभी से मिलवा देते वो मुँह बना के बोलती है ।
निशा भी उसकी इस अदा पे फ़िदा हो गयी थी ।उसने मन में बोला क्या बात है आरोही लगता है मेरी ननद ही मेरा पति मुझे देगी वरना ये बुद्दू राम तो कुछ बोले से रहे ।
राहुल - अरे मेरी आरोही ऐसा कुछ नही है और ये तेरा झूठ मुठ के रूठने का अंदाज़ अब पुराना हो चुका है चल अब घर चलते है ।
निशा - थोड़ी देर रुकों ना राहुल तभी आरोही बोली देखा ना भैया ,भाभी की तड़प बेचारी आप के साथ रहने के लिए कितना तड़प रही है और हँसने लगती है।इस बात पे दोनो ही शर्म से मुस्कुरा देते है आखिर दिल की बात दोनो ने नही बोली पर आरोही ने तो बोल दिया ना ।
राहुल और निशा दोनो एक दूसरे को देख मुस्कुरा रहे थे की तभी आरोही एक और बम फोड़ देती है अच्छा जी अब आँखों ही आँखों में इशारा हो गया ये दिल अब से तुम्हारा हो गया और फिर हँसने लगती है ।ये सुन दोनो ही झेंप जाते है ।कुछ समय तक कोई नही बोला तो आरोही बोली अब घर नही चलना क्या अब देर नही हो रही है ।
राहुल - मैं तो कब से बोल रहा था चल तु ही पता नही क्या क्या बोले जा रही है ।
आरोही - अच्छा जी चलो ठीक है और निशा जी क्या कर रही हो आप यहा ??
निशा - कुछ कपड़े लेने आयी थी ।और जब तुम्हे देखा तो चली आयी ।
आरोही - मेरे लिए चली आयी या किसी और के लिए और मुस्कुरा देती है।
ऐसे ही काफी देर हँसी मज़ाक होता है तीनो ही कैफ़े में बैठ के कुछ खाते पीते हैं।और अपने घर के लिए निकल जाते हैं।
इधर रामदास ,तिवारी के घर पे था ।तिवारी ये हैं कौन जो हमसे दोस्ती करना चाहता है ।
रामदास - पता नही तिवारी जी पर ये चिठ्ठी पे तो बस एक नंबर ही लिखा है ।
तिवारी- चल फोन कर इस नंबर पे पता तो चले ये हैं कौन ,जो उस मादरचोद राहुल से बदला लेना चाहता हैं।
रामदास कॉल लगता है थोड़ी ही रिंग के बाद कोई कॉल उठा के बोलता है ।हेल्लों रामदास क्या सोचा फिर तुमने ?
रामदास और तिवारी दोनो ही हैरान थे की उसे कैसे पता की कॉल रामदास ने किया हैं। तभी तिवारी बोला कौन हैं तु क्या चाहता है।
- मैं वही चाहता हूँ तिवारी जी जो तुम चाहते हो।
तिवारी - मैं तो उस मादरचोद राहुल की मौत चाहता हूँ और उसकी बहनो को धंधे पे बैठा ना चाहता हूँ।
- हाथ मिला लेते है जब अपना दुश्मन एक ही हैं तो।
तिवारी - वो सब तो ठीक हैं पर तुम हो कौन और तुम राहुल से बदला क्यों लेना चाहते हो ।
- मैं कौन हूँ मत पूछो पर इतना जान लो ।राहुल और उसके परिवार की बर्बादी ही मेरा मकसद हैं।
तभी रामदास बोला तो आओ मिल के बात करते है ।
- नही रामदास मैं किसी से नही मिलता मेरा आदमी तुम से मिल लेगा ।और कॉल कट हो जाता हैं।
तिवारी - ये बहनचोद हैं।कौन ? कुछ देर सोच के जो भी हो अपना क्या मुझे उस मादरचोद को मार के उसकी बहने चोदनी है बाद में सारा इल्ज़ाम इसपे ही डाल देंगे और हँसने लगता हैं।
रामदास- तिवारी जी थोड़ा सतर्क रहिये कही ये चंद्रभान की चाल ना हो वरना बुरा फंस जाएंगे ।
तिवारी - हम्म..तु ठीक कहता है रामदास हो सकता है ये कोई चाल हो मुझे फंसने की मान गया तेरा दिमाग़ भी कभी कभी काम करता है और दोनो हँसने लगते है । चल जाम पीते है और उस राहुल की बर्बादी का प्लान करते है अपने इस नये दोस्त और उस मादरचोद के पुराने दुश्मन के साथ मिलकर और जाम पीने लगते है।।
रामदास- मुझे तो लगता है वो भी उसकी बहने चोदना चाहता होगा तभी साला अपने से हाँथ मिला रहा हैं।
तिवारी - अरे क्यों ना कोई उनको चोदे साली क्या गजब की माल है रंडिया ।देख के ही लंड खड़ा होने लगा था ।पता नही उसकी रंडी बहनो के चक्कर में उसने कितने दुश्मन बना लिए है ।
रामदास- जितने भी हो अपने तो दोस्त ही है तिवारी जी और दोनो हँसने लगते है
दोनो नशे में चूर हो गये थे।तभी रामदास बोलता है वो निशा रंडी भी माल है साली उसको तो अपनी रखैल बनाऊगा ।
तिवारी - एक जोर का झापड़ उसके गालो पे दे मरता है
रामदास- ये मारा क्यों मुझे उस निशा के लिए ?
तिवारी- बहनचोद वो तेरी रखैल नही मेरी बीवी बनेगी ,साली को जब से देखा लंड टनटना गया ।और पूरे 10 बच्चे करूंगा उसकी कोख से पुरी चूत फाड़ दूँगा उसकी ,नशा तिवारी के सर चढ़ बोल रहा था ।वो फिर बोला रामदास कोई रंडी बुला यार कितने समय से कोई चूत नही मारी।
रामदास- ठीक हैं तिवारी जी और कॉल करके अपने दलाल से दो रंडी की बुकिंग कर देता हैं।
घर पे सबको आरोही अपने कपड़े दिखा रही थी तभी गरिमा बोली वाह आरोही कितनी मस्त लैगिंग्स ली हैं तूने ।
बरखा - कितनी खुश हैं मेरी बच्ची ,किसी को नज़र ना लगे इस घर की खुशियों की और उठकर चाय बनाने किचन में चली जाती हैं। तभी निधि भी जिम से आ जाती हैं आज निधि ने भी कमाल की लैगिंग्स पहनी थी जिसे देख राहुल की नज़र ही नही हट रही थी ।ये निधि देख लेती है और जानबूझ के पलट के अपनी गांड का उभार उसके सामने कर देती हैं ।और ये देख के राहुल सपकपा जाता हैं। और अपने मन में उफ़.. क्या गांड है दीदी खा जाऊं तेरे इन चुतरों को, इधर निधि झुक झुक के गांड को दिखा रही थी वो जानती थी की उसका भाई उसके नितंब देख रहा होगा ।और मन में बोली देख ले भाई अच्छे से मज़ा ले ले तेरे लिए ही हैं।तभी गरिमा और आरोही की नज़र राहुल पे जाती हैं जो निधि की ही गांड को घूर घूर के देख रहा था ।आरोही देख मुस्कुरा देती है। भैया निधि दीदी की भी,जबकी गरिमा भी शर्मा जाती है की उसका भाई कितना बेशर्म है सब के सामने अपनी ही बहन की गांड देख रहा हैं।तभी बरखा की आवाज़ आती हैं।निधि बैठ जा खड़ी क्यों है।ये सुन चारों ही अपनी ख्यालो की दुनिया से बहार आते हैं। बरखा चाय लेकर आती हैं और सब मिलकर चाय पीते हैं। आरोही देखो दीदी मेरे नये कपड़े वो बहुत खुश होकर दिखा रही थी ।निधि भी एक एक करके सारे कपड़े देखती हैं।तभी उसकी नज़र कैरी बैग पे जाती हैं जिसमे शायद कुछ था
उसे लगता हैं।वो उस बैग में हाँथ डालकर कुछ निकलती हैं तो उसके हाँथ में ब्रा पैंटी का एक सेट आ जाता हैं।जो लाल रंग का था जिसको देख सभी आचंभित हो जाते है और आरोही शर्म से लाल हो जाती हैं।
निधि ये क्या है वो खोलकर दिखती है क्या मस्त ब्रा और पैंटी थी दोनो ही लाल रंग की होने से वो और कामुक लग रही थी ।इतने में आरोही निधि से छिन के बैग उठकर जल्दी से अपने कमरे में भाग जाती हैं।और यहाँ सब के चेहरे पे मुस्कुराहट आ जाती है ये निधि ने जानबूझ के किया या अनजाने में ये तो वही जाने पर उसने राहुल के चेहरे को अच्छे से भांप लिया था की ब्रा और पैंटी देख के उसके चेहरे पे एक अलग ही चमक आ गयी थी ।
सब चाय पीकर अपने अपने काम में लग जाते हैं। निधि अभी थोड़ा आराम चाहती थी तो वो अपने कमरे में चली जाती हैं।राहुल के ज्यादा दोस्त नही थे वो अपने कमरे में जाने ही वाला होता हैं।की तभी बरखा उसे बाजार से कुछ समान लाने का बोल देती हैं। इधर आरोही अभी भी शर्म से लाल हुए जा रही थी सोच सोच के की उसकी ब्रा और पैंटी सब ने देख ली और भैया उफ़..क्या सोचेंगे वो अपने आप को मरते हुए तु भी ना आरोही संभाल के नही रख सकती थी। और ये दीदी भी ना कुछ समझती ही नही हैं।तभी उसे मॉल वाली बात याद आती है कैसे राहुल उसके लिए ब्रा और कच्छी पसंद कर रहा हैं और भैया के ही पसंद की ब्रा और पैंटी ही तो ली हैं और रंग भी वही ये सोच के वो मुस्कुरा जाती हैं। और एक दम से उसके मुँह से निकल जाता है बुद्दू भैया बहना के लिए ब्रा पैंटी पसंद कर ली ।तभी निधि जो उसके कमरे में आ चुकी थी वो बोली क्या ये ब्रा पैंटी का सेट भाई की पसंद का हैं।ये सुन आरोही चौंक जाती है और घबरा के बोलती है नही नही दीदी ऐसा कुछ नही है ये तो मैंने खुद पसंद की हैं।
निधि पर तु अभी बोली ना की भाई पसंद किया था साली अब झूठ भी बोलने लगी अपनी बहन से वो मुस्कुरा के बोलती हैं। आरोही शर्म से लाल हो जाती हैं फिर से उसको कुछ बोलता ना देख निधि फिर बोलती हैं।बोल ना आरोही भाई ने पसंद करके दी हैं क्या ?? आरोही कुछ बोलती नही हैं बस सर हिला के हम्म. कहती हैं।
निधि मुस्कुरा के क्या बात है आरोही इतना प्यार भाई और बहन में की भाई अपनी बहन के लिए ब्रा और पैंटी का सेट पसंद करता हैं। ये सुन आरोही भी मुस्कुरा देती और शर्म से लाली लिए हुए सर झुकाये बोलती हैं वो..वो.. दीदी पता नही क्यों पर अचानक ही भैया बोले की मुझे सेट ही लेना चाहिए और वही अपनी पसंद से लेकर दिये
निधि अच्छा जी मतलब भाई तुझे ऐसी ही ब्रा और पैंटी में देखना चाहता हैं।
आरोही सर निचे किये ही पता नही दीदी पर उनकी पसंद की ही हैं।निधि दिखा ना अपनी जवानी का समान ढकने वाली चीज़ को मुझसे क्या शर्माना यार थोड़ी देर बाद आरोही अपने हाँथ को निधि की तरफ बढ़ा के लो दीदी देख लो ।निधि इस बार काले रंग वाली निकल के कहती हैं।उफ्फ्फ..कितनी कामुक हैं यार, इसमें मस्त लगेगी तू बिल्कुल सनी लियॉन जैसे और हँसने लगती हैं।
आरोही और शर्मा जाती है और बोलती हैं क्या दीदी आप भी ना लाओ मुझे दो । निधि अभी पहन के सनी लियॉन बनेगी क्या और जोर जोर हँसने लगती हैं
आरोही अब क्या कहती बेचारी आज उसको शर्म और लाज़ का सही मतलब पता चला था की औरत के लिए शर्म कितनी ज़रूरी होती हैं।
निधि कुछ सोच के बोलती हैं।अच्छा एक काम करना आज ये पहन के भाई को दिखा ही देना की कैसी हैं उनकी पसंद और खिलखिला जाती हैं।आरोही थोड़ी हिम्मत करके दीदी आप बहुत मज़े ले रही हो आपको मैं बताउंगी मौका मिला तो, निधि अरे अब कुछ गलत कहा मैंने ,भाई ने अपनी पसंद की दिलवाई हैं तो उसको भी तो देखना होगा ना की तेरे पे ये रंग खिल रहा हैं की नही वरना उसे कही ये ना लगे की उसकी पसंद खराब हैं।
आरोही दीदी बस आपका हो गया ना अब जाओ अपने कमरे में तभी गरिमा आवाज़ लगती हैं आकर खाना खा लो महारानी साहिबा उतना सुनते ही दोनो खाना खाने निचे चली जाती हैं। खाना खाते समय निधि बोली मम्मी कल मैं भी दुकान पे चलूंगी ।बरखा निधि को देखते हुए ।तु कब से काम के प्रति जाग गयी है भैंस कही की जब देखो सोना और खाना गरिमा से सिख कुछ कितनी प्यारी हैं मेरी बच्ची कितना काम करती हैं।तभी गारिमा को अपनी चुदाई याद करने लगती हैं और मन में बोलती हैं,हाँ मम्मी मुझसे सीखेगी तो इसको पापा से चुदवाना सिखा दूंगी ।
निधि- मम्मी वही तो सिख रही हूँ काम करूंगी तभी तो सीखूंगी ना आप भी मुझे कुछ करने देंगी तब ना ।गरिमा ठीक हैं तुम भी चलना ।तभी बरखा बोली अरे ये भी चलेगी तो कॉलेज कब जाएगी ।इतने में निधि बोली मम्मी कल छुट्टी है रविवार है ।बरखा अच्छा अच्छा मैं तो भूल ही गयी थी पर तु दुकान चलेगी तो घर पे राहुल और आरोही का ध्यान कौन रखेगा ।
निधि मम्मी ये कोई बच्चे नही हैं जिनके लिए कोई नौकरानी चाहिए और राहुल आरोही का ध्यान रख लेगा और आरोही राहुल का ,गरिमा -सही बोली मम्मी निधि अब ये बड़े हो गये हैं खुद अपना ध्यान रख लेंगे ।खाना ख़तम हो गया और सब सोने चले गये ।
दूसरी तरफ तिवारी जोर जोर से अपना लंड पेल रहा था आह्ह्ह.. निशा रंडी साली तेरी चूत का भोसड़ा करू उफ्फ्फ..क्या चूत हैं तेरी भड़वी आह्ह्ह...
-आह्ह्ह तिवारी जी धीरे चोदो आह्ह..उफ्फ्फ..बहुत दर्द हो रहा है तिवारी जी
चुप साली धंधे वाली दो टके की रंडी दोनो ही चरमसुख के करीब पहुंच गये थे ।कुछ ही धक्कों के बाद तिवारी झड़ने लगता हैं आह्ह्ह..निशा.....और हांफ्ता हुआ बिस्तर पे गिर जाता हैं।
रामदास भी झाड़ के शांत हो चुका था ।नशा उसपे हावी हो गया था जिससे उसकी आँख बंद हो चली और कब सो गया पता ही नही चला।
तभी तिवारी बोला मज़ा आ गया निशा तुझे चोद के साली बहुत बनती थी ना रंडी तु । तभी एक आवाज़ आयी ये निशा कौन हैं तिवारी जी ?
तिवारी साली तु निशा हैं और पूछती हैं कौन हैं निशा ?
मैं निशा नही हूँ मैं तो ममता हूँ ।
तिवारी जैसे तैसे उठकर देखता हैं नशे के मारे वो भी अब पस्त हो चुका था ।तु कौन हैं बे साली ?
मैं ममता रांड हूँ अपने बुलाया था ना चोदने के लिए दीजिये मेरे पैसे ,तिवारी हट बहनचोद मुझे लगा निशा चुदवा रही हैं । तिवारी जी आज भी मुफ़्त में चोदोगें क्या कभी तो पैसा दे दीजिये ।
तिवारी -चल निकल साली रंडी तेरा धंधा बंद करवा दूंगा समझी ना चल निकल सोने दे बोलकर सो जाता हैं।
ममता रांड - साला भड़वा कही का जब देखो मुफ़्त की चूत चाहिए हरामी को, एक दिन तेरी बेटी तुझसे ना चुदवाया तो मेरा नाम भी ममता रांड नही बोलकर कपड़े पहनकर चली जाती हैं।
इधर राहुल आज के दृश्य को याद करके गरम हो चुका था पहले आरोही की गांड और बाद में निधि की गांड उफ़..मेरी ये बहने और लंड बहार निकाल के हिलाने लगता हैं।।आह्ह्ह...आरोही मेरी बहन कब देगी मुझे अपनी चूत आह्ह्ह.. आरोही ,ये सब दरवाजे पे कोई कान लगा के सुन रहा था तभी राहुल के मुँह से आवाज़ निकलतीं आह्ह्ह ..निधि दीदी तुम कब दोगी अपनी मस्तानी गांड कितना तड़पाओगी अपने भाई को आह्ह .. मेरी रंडी दीदी चुदवा लो अब रहा नही जाता और थोड़ी ही देर में लंड माल उगल देता हैं।
आरोही अपने कमरे में लेट कर सोच ही रही थी की आज उसके भैया कैसे उसकी गांड को खा जाने वाली नज़र से देख रहे थे वो मुस्कुरा जाती है सोच के तभी निधि उसके कमरे पे ठक ठक करती है ।आरोही कौन है ?
मैं हूँ आरोही खोल ना कुछ बात करनी है आरोही उठकर दरवाजा खोल देती है और दोनो बिस्तर पे बैठ के बाते करने लगती है ।निधि अच्छा सुन तूने भैया का मोबाइल फोन देखा की नही ?
आरोही - नही देखा दीदी एक बार कोशिश की थी पर फोन लॉक था तो नही दे पायी ।
निधि -अच्छा कोई बात नही सुबह कोशिश करना या अभी जाकर देख ले
आरोही अभी नही दीदी मुझे अब नींद आ रही है कल सुबह सुबह देखूंगी क्या हैं फोन में जो आप इतना कह रही हो ।
निधि - ठीक है और कल भाई को ब्रा और पैंटी पहन के दिखा देना
आरोही - आ..दीदी कितनी गंदी बातें करने लगी हो आप भैया को कैसे दिखा सकती हूँ ।
निधि - अरे नही दिखाएगी तो भाई को लगेगा की उसकी पसंद अच्छी नही है ।
आरोही - हम्म.. बात तो सही पर भैया को कैसे मुझे शर्म आएगी ।
निधि - शर्माएगी तो फिर कभी नही दिखा पायेगी और कल तुम दोनो के लिए ही तो मैं भी दुकान जा रही हूँ जो करना हैं कल कर लेना और हँसने लगती हैं आरोही शर्म से लाल होकर गर्दन निचे करके बोलती हैं दीदी आप भी ना बहुत हुआ अब आप जाओ अब वो इतना बोली ही थी की निधि बोली ठीक हैं मैं जा रहूँ हूँ और वो रूम से निकल के चली जाती हैं।
इधर निधि को रूम में ना देख गरिमा जल्दी से सुरेश को फोन करती हैं। 2 ही रिंग में सुरेश कॉल उठा कर बोलता हैं।
सुरेश - हेल्लों गरिमा डार्लिंग
गरिमा - हेल्लो पति परमेश्वर जी कैसे हो आप ठीक से पहुंच गये थे ना ।
सुरेश - हाँ जान पहुंच गया था तुम बताओ चूत की खुजली कैसे मिटा रही हो
गरिमा - खुजली किस से मिटवा लूं राजा जी आप तो हैं नही ये खुजली बढ़ती जा रही हैं।
ये बात कोई सुन रहा था पर कौन ??
सुरेश - आकर मिटा दूंगा डार्लिंग थोड़ा और इंतज़ार कर लो ।तभी सुरेश बोलता हैं बरखा का कॉल आ रहा है बाद में बात करता हूँ और कॉल कट करके बरखा का कॉल उठा कर बोलता हैं।
सुरेश - हेल्लों जान क्या कर रही हो।
बरखा - कहाॅं लगे हुए थे जब से गये हो ना कोई कॉल ना कोई खबर दिये हो
सुरेश - जान काम करने आया हूँ तो काम ही करूंगा ना
बरखा - जल्दी आ जाओ ना बूर में चुनचुनी हो रही हैं कितने दिनों से आप से चोदी नही हूँ ।
सुरेश - बिल्कुल मेरी जान जल्दी ही आता हूँ
इस तरह दोनो काफी देर बात करते हैं और कॉल कट करके सोने चल देते हैं अगली सुबह क्या लेकार आएगी पता नही ।