Incest Paap ne Bachayaa written By S_Kumar

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Notes:- iss story ko maine nahi likha iss story ko s_kumar ji ne likha isliye iss story ka sabhi credit s_kumar ji ko jata hai.
 
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Update- 46

दोपहर को नीलम ने अपनी माँ से कहा- अम्मा शाम को कितने बजे निकलोगी नाना के घर जाने के लिए।

नीलम की माँ- अब आज कहाँ जाउंगी बेटी, तेरे बाबू को चोट जो लगी है, अब उन्हें आराम हो जाये तो मेरे मन को तसल्ली होगी तभी जाउंगी, आज तो मुश्किल है कल ही जाउंगी।

नीलम- अरे अम्मा फिर वो जामुन तो कल तक खराब हो जाएंगे न, इतनी मेहनत से तोड़ा है मैंने और बाबू ने।

मां- हाँ वो तो देखा है मैंने कितनी मेहनत से तोड़ा है तूने, हाँथ पैर तुड़वा के बैठ गयी, बोल रही थी की रहने दे जामुन मत तोड़ फिर भी, अब तो कल ही जाउंगी, जामुन को गीले सूत की बोरी में लपेट के रख दे, कल सुबह ही निकल जाउंगी, तब तक खराब नही होगा।

नीलम- अम्मा तू गुस्सा क्यों होती है, ठीक है तेरा मन कल है तो कल ही जाना, पर गुस्सा मत हो, हो गया जो होना था मैंने कोई जानबूझ के थोड़ी न किया, मुझे क्या पता था।

ये सुनकर नीलम की माँ का छोटा सा गुस्सा शांत हो गया- अरे नही मेरी बिटिया गुस्सा नही हो रही, पर चिंता तो होती है न, मैं चली गयी और पीठ पीछे कुछ दिक्कत हो तो मेरा मन भी तो नही लगेगा न वहां, इसलिए बोल रही थी कि तेरे बाबू को कल तक काफी आराम हो जाएगा तो कल चली जाउंगी सुबह।

नीलम ने भी ज्यादा जोर नही दिया, एक रात की ही तो बात थी, कर लेगी कैसे भी बर्दाश्त, काट लेगी एक रात करवट बदल बदल कर, जब इतनी रातें काटी हैं तो एक रात और सही, ज्यादा जोर देती तो उसकी माँ को भी शक होता, इसलिए उसने ज्यादा कुछ बोल नही।

दिन भर बिरजू खाट पर लेटा रहा, नीलम की माँ और नीलम घर का और बाहर का सारा काम करती रही, बिरजू लेटे लेटे उन्हें देखता रहा, नीलम काम से फुरसत निकाल कर अपने दीवाने बाबू के पास कभी कभी बीच बीच में आकर बैठ जाती और दोनों एक दूसरे को नीलम की माँ से नजर बचा कर निहारते, एक टक लगा कर एक दूसरे को देखते। नीलम अपनी माँ की नज़र बचा कर अपने बाबू की खाट पर बिल्कुल सटकर बैठ जाती, बिरजू उसके हाँथ को अपने हाँथ में ले लेता और नरम मुलायम उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा कर धीरे धीरे उसकी आँखों में देखता हुआ सहलाता, नीलम शर्मा जाती और मदहोशी में अपने बाबू के बदन की छुअन को महसूस कर आंखें बंद कर लेती।

ऐसे ही एक बार नीलम कोई काम करके दुबारा आयी और खाट पर बिरजू के बगल में झट से बैठ गयी, बिरजू ने हल्का सा सरककर उसको बैठने की जगह दी, बिरजू ने नीलम के हाँथ को अपने हाँथ में लिया और प्यार से सहलाने लगा और बोला- तेरी अम्मा कहाँ है?

नीलम- पीछे खेत में गयी है अम्मा, कुछ देर में आएंगी (नीलम ने ये बात जोर देकर कही), बाबू आपका दर्द कैसा है धीरे धीरे आराम हो रहा है न (नीलम बिरजू की आँखों में देखते हुए बोली)

बिरजू- अब मेरी प्यारी बिटिया मुझे बार बार आ के प्यार देगी और छुएगी तो धीरे धीरे तो आराम होगा ही।

नीलम- मेरा बस चलता तो आपका सारा दर्द एक चुटकी में गायब कर देती।

बिरजू- वो कैसे?

नीलम ने अपना चेहरा बिरजू पर झुकाया और धीरे से बोली- आपको पूरी तरह अच्छे से छूकर।

बिरजू- हाय, तो रोका किसने है मेरी बिटिया, मेरी जान।

नीलम- अभी तो फिलहाल अम्मा ने रोक रखा है (नीलम का अर्थ ये था कि अभी अम्मा घर पे हैं)

बिरजू- लेकिन वो तो पीछे खेत में गयी है न, तो फिर।

नीलम- कभी भी आ सकती है बाबू (फिर नीलम ने बहुत धीरे से बोला)- बेटी को बहुत तसल्ली से धीरे धीरे प्यार करना चाहिए, समझें बुध्धू राम, जल्दबाज़ी में नही। किसी चीज़ को जल्दबाज़ी में खाओगे तो पूरा मजा कैसे मिलेगा, बोलो, सही कहा न (और वो कहकर खिलखिला कर हंस दी)

बिरजू- ठीक है मैं अपनी बेटी की चिज्जी को धीरे धीरे ही खाऊंगा और बिरजू ने नीलम का हाँथ दबा दिया तो वो सिसक उठी फिर बोली- बेटी की चिज्जी?

बिरजू- हाँ, मेरी प्यारी बेटी की प्यारी सी चिज्जी।

नीलम का चेहरा शर्म से लाल हो गया यहां तक कि उसके कान भी लाल हो गए जोश में, शर्मा कर उसने अपना चेहरा हाँथ से छुपा लिया और मंद मंद मुस्कुराने लगी,बिरजू उसे शर्माते हुए देखता रहा, हालांकि नीलम रजनी के मुकाबले काफी बिंदास थी पर फिर भी अपने सगे बाबू के मुँह से ये सुनके न जाने क्यों उसे बहुत शर्म आयी और वो वासना से भर गई, बदन उसका सनसना गया, कुछ देर हाथों में चेहरा छुपाये बैठी रही फिर एकएक एक उंगली को हल्का सा साइड करके झरोखा बना के अपने बाबू को देखा तो वो मुस्कुराते हुए उसे ही देख रहे थे, फिर उसने हंसते हुए दुबारा अपने चेहरे को हांथों से छुपा लिया और एकाएक जब बिरजू ने नीलम के चेहरे से हाँथ हटाया तो वो झट अपने बाबू के ऊपर लेटकर गले से लग गयी और कान में बोली- धत्त!......पर ये चिज्जी है क्या बाबू? आपकी प्यारी सी बेटी की प्यारी सी कौन सी चिज्जी, और ये है कहाँ? (नीलम ने जानबूझकर सिसकते हुए पूछा)

बिरजू तो पहले नीलम के बाहों में आने से ही उसके गुदाज मखमली बदन से मदहोश हो गया फिर कुछ देर बाद बोला- नाभि के रास्ते नीचे की तरफ चलते जाओ कुछ दूर जाने पर एक घना जंगल आएगा, जैसे ही उस जंगल को पार करोगे चिज्जी वहीं मिलेगी, बहुत प्यारी सी होती है वो, मीठी मीठी, देखने में ही मदहोशी सी आ जाती है और खाने लगो तो जैसे जन्नत में पहुँच गए हों, मक्ख़न जैसी होती है बिल्कुल, नरम नरम।

नीलम की सांसें धौकनी की तरह चलने लगी ये सुनकर फिर भी वो उखड़ती सांसों से बोली- उसको खाते कैसे हैं बाबू? बताओ न?

बिरजू भी बदहवास सा हो गया ऐसी बातें करके फिर बोला- उसको पहले तो मुँह में भरकर खाते हैं फिर बड़े से मूसल से खाते हैं, उस मूसल को उसमे डाल के उसको अच्छे से खाते हैं।

नीलम- उसमे डालते हैं वो मूसल बाबू?

बिरजू- हाँ मेरी बेटी, मेरी रानी। पूरा अच्छे से अंदर तक डालकर उस चिज्जी को खाते हैं।

नीलम ने उखड़ती हुई भारी सी आवाज में कहा- कौन सा मूसल बाबू?, कैसा मूसल?

बिरजू जैसे ही नीलम का हाँथ पकड़कर अपने धोती में खड़े दहकते लंड की तरफ ले जाने लगा तो नीलम समझ गयी और सनसना कर चौकते हुए हाँथ वापिस खींच लिया और एक मुक्का अपने बाबू के सीने पर हल्का सा मारा और बोली- ईईईईईईईईशशशशशशशशश......धत्त....बाबू.....कोई देख लेगा.....अभी नही और हंसते हुए उनके सीने में मुँह छुपाकर लेट गयी।

बिरजू- तुमने ही तो पूछा था की मूसल क्या होता है, तो मैं तो बस वही दिखा रहा था।

नीलम- बहुत गन्दू होते जा रहे हो आप, जल्दी जल्दी, संभालो खुद को। बेटी की चिज्जी को चुपके चुपके खाते हैं, कोई देख लेगा तो?

नीलम शर्माते हुए अपने बाबू से लिपटी रही।
दोनों की सांसें बहुत तेज चलने लगी, बिरजू ने अपने खड़े लंड को ठीक किया।

फिर कुछ देर बाद नीलम उठकर बैठ गयी और अपने बाल ठीक करते हुए अपने बाबू की आंखों में देखते हुए बोली-बाबू अम्मा तो कल सुबह ही जाएगी नाना के यहां आज तो नही जाएंगी।

बिरजू- लो तुम तो बोल रही थी कि मैं कैसे भी करके आज ही भेजके रहूँगी, मेरी बिटिया रानी।

नीलम- मैंने बहुत कोशिश की पर वो नही मानी फिर मुझे लगा कि उन्हें शक होगा, इसलिए मैंने ज्यादा जोर नही दिया।

बिरजू- कोई बात नही बेटी, एक रात और सही, पर जामुन तो कल तक खराब हो जाएंगे तो तुम खिलाओगी कैसे?

नीलम मुस्कुराते हुए- अभी तक आप ये समझ रहे हैं कि जो बाल्टी में भरकर रखा है वो आपका जामुन है। (नीलम ने बड़े अचरज से पूछा)

बिरजू- हाँ, वही तो है जामुन न।

नीलम अपने बाबू के और नज़दीक आयी और फुसफुसाके बोली- अरे मेरे बुध्धू बाबू, आपका जामुन तो ये है, उससे भी बहुत मीठा।

और ऐसा कहते हुए नीलम ने बहुत शर्माते हुए आज पहली बार अपने बाबू बिरजू की बाएं हाँथ की तर्जनी उंगली को पकड़ा और धीरे से अपनी चोली में कसी हुई बड़ी ही उन्नत दायीं चूची के निप्पल पर रख दिया, दोनों को एकाएक मानो करंट सा लगा, बिरजू ने ऐसा सोचा भी नही था कि उसकी सगी शादीशुदा बेटी एकाएक ऐसा कर देगी और न ही नीलम ने सोचा था, ये तो बस न जाने कैसे वासना में होता चला गया, बिरजू बदहवास सा नीलम को अपनी दोनों उंगली से उसके निप्पल को पकड़े देखता रह गया और नीलम भी अपने बाबू का हाँथ पकड़े कुछ देर उन्हें देखती रही फिर बिरजू ने जोश में आकर नीलम के निप्पल को उंगलियों से मसल दिया तो वो तेज से चिहुँक कर सिसक पड़ी फिर अचानक पीछे मुड़कर देखी की कहीं अम्मा न आ जाएं।

बिरजू कुछ देर अपनी बेटी के मोटे जामुन जैसे बड़े बड़े निप्पल चोली के ऊपर से ही बावला सा होकर धीरे धीरे दबाता मसलता रहा। नीलम सिसकते हुए बोली- बाबू बस, जामुन फूट जाएंगे.....अभी बस करो....आआआ आआआआआआआहहहहहहह.......अम्मा आ जायेगी रुको न..........अम्मा को जाने दो फिर सब कर लेना अपनी सगी बेटी के साथ जो जी में आये...............मैं तो आपकी ही हूँ न.....रुको न बाबू बस करो।

वाकई में नीलम के निप्पल किसी जामुन जैसे ही बड़े बड़े थे और इस वक्त वासना में फूलकर सख्त हो चुके थे उनका आकार भी बड़ा हो गया था, बिरजू अपनी सगी बेटी के मोटे मोटे निप्पल को आज छूकर होशो हवास खो बैठा, जब निप्पल इतने बड़े बड़े हैं तो चूची कितनी मस्त होगी, जब वो उसे खोलकर देखेगा, तो कैसा लगेगा, कैसी होगी चूची मेरी सगी बेटी की और निप्पल कैसे रंग का होगा, काला या गुलाबी.....हाय, खोलकर दोनों चूची जब वो लेटेगी मेरे सामने तो उसके सीने पर गोल गोल उठी हुई विशाल चूचीयाँ देखकर कैसा लगेगा मुझे, कहीं मैं पागल न हो जाऊं, यही सब सोचते हुए बिरजू का लंड धोती में फिर टनटना गया और जैसे ही नीलम की चौड़ी गांड पर चुभा, नीलम भी लंड की छुवन से बौरा सी गयी पर उसने अपने आपको काबू करने की कोशिश की, कहीं अम्मा न आ जाये। बिरजू ने एकाएक अपनी सगी बेटी की बड़ी सी मादक फूली हुई चूची को अपनी हथेली में भरकर दबा दिया, नीलम थोड़ा जोर से सीत्कार उठी, बिरजू हल्का हल्का मस्ती में आंखें बंद किये अपनी ही सगी बेटी की मखमली चूची दबाने लगा, नीलम शर्माते हुए सिसकने लगी, दोनों ही इस वक्त आगे नही बढ़ना चाहते थे पर न जाने क्यों खुद पर काबू ही नही हो रहा था जैसे तैसे नीलम ने अपने बाबू को रोका और समझाया, बिरजू ने बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोका और संभलते हुए बोला- कल साड़ी पहनोगी?

नीलम- हाँ मेरे बाबू जरूर, आप बोलो और मैं न पहनूँ ऐसा हो नही सकता, किस रंग की पहनूँ बोलो?

बिरजू- लाल रंग की।

नीलम मुस्कुराते हुए- लाल जोड़े में महसूस करना है अपनी बेटी को?

बिरजू- हाँ, एक दुल्हन की तरह।

दोनों एक दूसरे को बड़े प्यार से देखने लगे।

फिर नीलम बोली- और वो किस रंग की।

बिरजू जानबूझकर अनजान बनते हुए- वो क्या?

नीलम ने धीरे से कान में झुककर कहा- वही आखिरी वस्त्र...........कच्छी..….वो किस रंग की पहनूँ बाबू (नीलम ये बोलकर गनगना गयी)

बिरजू सिरह गया- काले रंग की, चिज्जी को काले कपड़े में छुपाकर रखना।

नीलम शर्माते हुए मुस्कुरा दी और फिर से एक मुक्का हल्के से अपने बाबू के सीने पर दे मारा- बदमाश! काले कपड़े में चिज्जी चाहिए, पगलू को, ठीक है बाबू आपकी ख्वाहिश आपकी ये बिटिया जरूर पूरा करेगी, अब मुझे छोड़ो अम्मा आती होंगी, बहुत देर हो गयी है।

तभी सच में नीलम की माँ चारा लेके आ गयी, दोनों झट से अलग हो गए।

शाम को नीलम ने जल्दी ही खाना बना लिया था, बिरजू को एक बार फिर पट्टी बदल दी गयी अब तक उसे काफी आराम हो चुका था दर्द तो बिल्कुल गायब हो चुका था बस थोड़ी सूजन थी, नीलम की माँ बोली- कल तक ये हाँथ ठीक हो जाएगा।

नीलम बरामदे में सोती थी, बिरजू और नीलम की अम्मा बाहर द्वार पर अगल बगल खाट बिछा कर सोते थे।

खाना खाने के बाद नीलम की माँ और बिरजू अपनी अपनी खाट पर अगल बगल लेटे थे, नीलम बरामदे में अपनी खाट पर लेटी तड़प रही थी, बर्दाश्त तो बिरजू से भी नही हो रहा था, तभी नीलम को एक तरकीब सूझी, लालटेन हल्की रोशनी देते हुए जल रही थी, नीलम ने देखा कि अम्मा और बाबू की खाट अगल बगल है और बीच में जगह है अगर मैं दोनों खाट के बीच जाकर पटरा लेकर बैठ जाऊं तो बाबू मुझे छू सकते हैं, नीलम का इतना मन कर रहा था कि उससे अब बर्दाश्त नही हो रहा था।
नीलम ने अपनी खाट से उठकर तेल की शीशी ली और एक हाथ में पीढ़ा लिया और अपनी अम्मा के पास पहुँच गयी, दोनों खाट के बीच आ के खड़ी हो गयी, आते हुए लालटेन को थोड़ा और मद्धिम कर आई थी।

नीलम ने एक नजर अपने बाबू पर डाली तो वो बड़ी बेचैनी से उसे ही देख रहे थे, नीलम को बिल्कुल खाट के पास बैठता देख बिरजू का मन मयूर झूम उठा, वो समझ गया कि उसकी बेटी उसे छुप छुप कर मजे देने आयी है, उसकी बेटी अब उसकी हो चुकी है पूरी तरह और वो भी तड़प रही है मस्ती करने के लिए, बिरजू उसे देखकर मुस्कुरा उठा, नीलम ने इशारे से थोड़ा रुकने के लिए बोला फिर दोनों खाट के बीच अपने बाबू की तरफ पीठ करके और अपनी अम्मा की तरफ मुँह करके नीचे जमीन पर पटरा रखकर बैठ गयी और अपनी अम्मा से बोली- अम्मा ला तेरे सर पे तेल रख दूँ, आज तूने बहुत काम किया है दिन भर, बाबू के हिस्से का भी काम किया है न तूने, काफी थक गई होगी, ला तेल से मालिश कर दूं, कल तो चली ही जाएगी तू नाना के घर।

नीलम की माँ- हाँ मैं तो कल बनवास जा रही हूं न 14 बरस के लिए आऊँगी थोड़ी लौट के, परसों ही आ जाउंगी मैं, रुकूँगी थोड़ी वहां, और मैं थकी वकी नही हूँ, चल सो जा जाके तू भी, नींद आ रही है मुझे अब।

नीलम- अरे अम्मा गुस्सा क्यों होती है, ठीक है तू परसों ही चली आना, मत रुकना वहां पर तेल तो मालिश करवा लें सर पे, तू सोती रह मैं कर देती हूं मालिश, ला अपना सर इधर रख।

नीलम की माँ- अरे बेटी मैं गुस्सा नही हूँ, तेरे से भला गुस्सा क्यों होऊंगी, वो तो मुझे नींद लग गयी है न इसलिए बोल रही हूं, तू भी खामख्वाह परेशान हो रही है, जा सो जा जाके, तू भी तो मेरे साथ साथ दिन भर लगी थी, जा सो जा रहने दे।

नीलम- लो माँ की सेवा करने में क्या परेशानी, तू भी तो मेरे लिए ही कल इतनी दूर अकेले नाना के घर जाएगी न।

अचानक ही नीलम के मुँह से ये निकल गया, तो वो झट से चुप हो गयी, नीलम की माँ ने दबी आवाज में फुसफुसाके बोला- धीरे बोल पगली तेरे बाबू एकदम पास में ही तो हैं, सुन लेंगे तो फिर पूछने लगेंगे की क्या बात है, अभी कल ही पूछ रहे थे तो मैंने उन्हें नही बताया बात टाल दी, और तू है कि कुछ भी झट से बोल पड़ती है।

नीलम- अरे अम्मा मेरे मुँह से एकदम से निकल गया, तू भी तो नही मान रही है न मेरी बात, कब से बोल रही हूं इधर सर कर, पर माने तब न।

नीलम की माँ- अच्छा बाबा ले, तू मानेगी थोड़ी, जिद्दी तो बचपन से है तू। (इतना कहते हुए नीलम की माँ ने अपना सर घुमाकर किनारे कर लिया)

नीलम- हाँ तो, जब तू जानती है फिर भी बहस करती है मुझसे (इतना कहकर नीलम धीरे से हंस पड़ी)

बिरजू चुपचाप आंखें मूंदे ऐसे लेटा था जैसे पानी में मगरमच्छ चुपचाप पड़ा पड़ा सही वक्त आने के इंतजार करता है।

नीलम की माँ- हाँ दादी अम्मा तेरे से अब बहस भी नही कर सकती मैं, पहले लालटेन तो बुझा दे।

नीलम- हाँ अम्मा, ये तो मैं भूल ही गयी।

और नीलम ने जाकर लालटेन बुझा दी, फिर आकर बैठ गयी, ये तो अब और ही नीलम और बिरजू के मन का ही हो गया था, अब काफी अंधेरा हो गया, बिरजू ने आंखें खोल ली और नीलम की मदमस्त पीठ देखने लगा, नीलम की पीठ बस एक फुट दूर थी। नीलम ने एक बार अपने बाबू को पलटकर देखा और अंधेरे में दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए।

नीलम- अम्मा बाबू तो सो गए हैं, उन्होंने सुना नही होगा।

नीलम की माँ- चल अच्छा है नही सुना होगा तो, और तू अब बोल मत नींद आ रही है मुझे सोने दे, जल्दी से मालिश करके जा सो जा तू भी।

नीलम- ठीक है तू सो जा अम्मा, मैं मालिश करती हूं देख तुझे और भी अच्छी नींद आएगी।
 
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Update- 47

नीलम की माँ एक तो वैसे ही थकी थी ऊपर से नीलम की बेहतरीन सर की तेल मालिश से जल्द ही चली गयी वो तगड़े नींद की आगोश में।

बिरजू एक टक अपनी बेटी की पीठ को कुछ देर अंधेरे में देखता रहा, नीलम बस एक फुट की दूरी पर ही थी, बिरजू ने एक हाँथ से पीठ पर लहरा रहे बालों को हटाया और दूसरा हाँथ उसकी पीठ पर रख दिया, नीलम गुदगुदा गयी, धीरे धीरे बिरजू के हाँथ नीलम की पीठ को सहलाने लगे, नीलम और बिरजू की आंखें बंद हो गयी, बिरजू ने बाल को हटा के अपनी बेटी के नग्न पीठ को थोड़ा आगे होकर चूम लिया, अपने बाबू के होंठ आज पहली बार अपनी पीठ पर लगते ही नीलम सिसक उठी, मस्ती में आंखें बंद थी उसकी, बदन में उठी अजीब सी सनसनी और गनगनाहट से उसने अपनी जाँघे भीच ली। बिरजू धीरे धीरे हौले हौले एक के बाद एक कई गीले चुम्बन अपनी बेटी के पीठ पर कई जगह मदहोश होते हुए अंकित करता गया, और नीलम अपने होंठ दांतों में दबाए आंखें बंद किये बहुत मुश्किल से अपनी सिसकी दबाती चली गयी।

कुछ एक पल बाद नीलम ने अपना हाँथ पीछे ले जा के अपने बाबू का एक हाँथ पकड़ा और उसे आगे की तरफ लाते हुए धीरे से अपनी मखमली दायीं चूची पर रख दिया, बिरजू खुशी से भर गया कि उसकी बेटी वाकई में निडर है और कितनी उतावली हो रखी है। उसका लंड खड़ा होने लगा, अपनी बेटी की दाहिनी चूची को वो चोली के ऊपर से भर भर के दबाने और सहलाने लगा, नीलम की हालत खराब होने लगी उसके निप्पल सख्त होने लगे, बीच बीच में बिरजू द्वारा निप्पल को तेज मसल देने से उसके मुँह से सी-सी की आवाज न चाहते हुए भी हल्के हल्के निकल ही जा रही थी, लेकिन ये बहुत रिस्की था, पर क्या करें मन मान भी तो नही रहा था दोनों का।

आँख बंद किये वो अपने सगे बाबू से अपनी चूची दबवाने का असीम आनंद ले रही थी कुछ देर ऐसे ही चलता रहा, नीलम के निप्पल फूलकर किसी जामुन की भांति बड़े हो चुके थे और बिरजू का लंड धोती में लोहा बन चुका था।

बिरजू कुछ देर अपनी बेटी की पीठ को लगातार चूमते हुए उसकी दायीं चूची को मीजता, दबाता और सहलाता रहा, फिर उसने थोड़ा सही से लेटते हुए अपने दूसरे हाँथ को भी आगे ले जाकर नीलम की दूसरी चूची को भी अपने हांथों में भर लिया और अब दोनों चूचीयों को हांथों में भर भर के मदहोशी में दबाने लगा, नीलम के लिए बहुत मुश्किल हो रही थी क्योंकि माँ बिल्कुल पास ही थी और अति आनंद में निकल रही सिसकी को वो अब रोकने में खुद को असमर्थ पा रही थी, बार बार जाँघों को आपस में सिकोड़ ले रही थी क्योंकि गनगनाहट अब पूरे बदन में दौड़ रही थी, जाँघों के बीच जब उसे तेज सनसनाहट महसूस होती तब वो तेजी से अपनी जाँघे भींच लेती।

कुछ देर ऐसे ही दोनों बाप बेटी चुपके चुपके चूची मर्दन का आनंद लेते रहे फिर जब नीलम से अब बर्दाश्त नही हुआ तो उसने एक हाँथ से अपने बाबू के दोनों हांथों को पकड़ कर रुकने का इशारा किया, बिरजू रुक गया, कुछ देर के लिए उसने अपने हाँथ पीछे खींच लिए, नीलम की सांसें तेज चलने लगी थी।

बिरजू ने फिर से नीलम की पीठ को बेसब्री से चूमना शुरू कर दिया, पीठ का जितना भी खुला हिस्सा था वो बिरजू के थूक से भीग चुका था, नीलम सिरह सिरह जा रही थी।

एकाएक बिरजू ने अपने दोनों हाँथ नीलम के चहरे के सामने लाया नीलम अपने बाबू के हाँथ की उंगलियां आश्चर्य से देखने लगी की उसके बाबू क्या कर रहे हैं, बिरजू ने उल्टे हाँथ की तर्जनी उंगली और अंगूठे को मिलाकर गोल बनाया और सीधे हाँथ की तर्जनी उंगली को उस गोल छेद में डालकर अंदर बाहर करते हुए नीलम को दिखाकर ये इशारा किया कि लंड बूर चोदने के लिए बहुत तड़प रहा है।

नीलम ये देखते ही शर्म से पानी पानी हो गयी, मन में सोचने लगी उसके बाबू कितने बदमाश हो गए हैं, उनका चूत मारने का बहुत ही मन कर रहा है, ये इशारा देखकर मजा तो नीलम को भी बहुत आया पर वो शर्मा भी गयी, उसने पीछे पलटकर मुस्कुराते हुए अपने बाबू को देखा और फुसफुसाकर धीरे से बोली- बदमाश! सब्र करो, आज नही कल मिलेगी।

बिरजू- रहा नही जाता

नीलम- कैसे भी रहो, रहा तो मुझसे भी नही जा रहा, पर बर्दाश्त कर रही हूं न बाबू।

बिरजू- मुझे तेरे ऊपर लेटना है, चल न बरामदे में अपनी खाट पर।

नीलम- अम्मा जग जाएगी तो।

बिरजू- इतनी जल्दी नही जागेगी, गहरी नींद में है, चल न, बस एक बार, तेरे ऊपर लेटने का मन कर रहा है बहुत।

नीलम का भी मन डोल गया, उसे भी लगा मौका तो है, थोड़ा हिम्मत करें तो हो सकता है, वो फुसफुसाकर बोली- अच्छा बाबू ठीक है मैं जाती हूँ अपनी खाट पर तुम आना चुपके से।

और नीलम ने एक बार अपनी माँ को देखा तो वो सारे घोड़े सस्ते दाम पर बेंचकर सो रही थी, नीलम मुस्कुराई और धीरे से उठकर बरामदे में जाकर अपनी खाट पर लेट गयी।

थोड़ी देर बाद बिरजू धीरे से उठा और नीलम की खाट के पास जाने लगा, नीलम खाट पर चित लेटी बड़ी ही बेसब्री से अपने बाबू का इंतजार कर रही थी, नीलम को अपना इंतजार करता देख वासना से बिरजू की लार टपक गयी और वो धीरे से आआआआआआआआआआहहहहहहह.......मेरी बेटी बोलता हुआ उसके ऊपर चढ़ गया।

नीलम ने भी बाहें फैला के ओओओओहहहहहहहहह...........मेरे प्यारे बाबू......धीरे बोलो, बिरजू को अपनी बाहों में भर लिया।

आज पहली बार बिरजू अपनी सगी बेटी के ऊपर चढ़ा था वो भी शादीशुदा, नीलम को भी मानो होश नही था, शर्मो हया और वासना का मीठा मीठा मिश्रण पूरे बदन के रोएं खड़े कर दे रहा था, कैसा लग रहा था आज, एक शर्म, मर्यादा, लाज की एक आखिरी लकीर भी अब टूट चुकी थी, ये वही बाबू हैं जिनसे वो पैदा हुई है, जिस लंड से वो पैदा हुई है आज उसी बलशाली लंड को अपनी जिस्म की गहराई में अंदर तक महसूस करने के लिए तड़प गयी है, कैसी है यह वासना अपने ही सगे बाबू की हो चुकी है वो।

दोनों हल्का हल्का सिसकारी लेते हुए आंखें बंद किए एक दूसरे के बदन को महसूस कर अनंत आनंद में खोए रहे, बिरजू का लोहे समान दहाड़ता लंड नीलम की दोनों जाँघों के बीच घाघरे में छिपी बूर के ऊपर ठोकर मारने लगा तो नीलम अपने बाबू का मोटा लन्ड कपड़े के ऊपर से ही अपनी बूर पर महसूस कर व्याकुल हो गयी, मस्ती में आंखें बंद कर अपने होंठों को दांतों से दबा लेती।

आज अपनी ही सगी बेटी के ऊपर चढ़कर बिरजू सातवें आसमान में उड़ रहा था, कैसा होता है सगी बेटी का बदन ये आज उसे अच्छे से महसूस हो रहा था, अपनी ही सगी बेटी के साथ वासना का खेल खेलने में जो परम सुख मिलता है वो कहीं नही ये बात आज बिरजू को मतवाला कर दे रही थी, कितना मखमली बदन था नीलम का, कितना गुदाज, उसकी मोटी मोटी चूचीयाँ बिरजू के चौड़े सीने से दबी हुई थी।

नीलम और बिरजू ने एक बार सर घुमाकर बाहर थोड़ी दूर द्वार पर सो रही नीलम की माँ को देखा और फिर मदहोश आंखों से एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे, अंधेरा था इसलिए ज्यादा कुछ दिखाई नही दे रहा था, बिरजू ने धीरे से अपने होंठ आज पहली बार अपनी बेटी के होंठों पर रख दिये, नीलम ने तड़पकर अपने बाबू के होंठों का स्वागत करते हुए अपने होंठों में भर लिए और दोनों ही बाप बेटी एक दूसरे के होंठों को बेताहाशा चूमने लगे, बिरजू आज पहली बार अपनी सगी बेटी के होंठों को चूमकर बदहवास हो गया, क्या नरम नरम होंठ थे, बचपन से लेकर आज तक वो इन नरम नरम होंठों को देखता चला आ रहा था, जब नीलम बोलती थी तो कैसे उसके होंठ हिलते थे, जब हँसती थी तो कैसे उसके नरम नरम होंठ खुलकर फैलते थे। जिन होंठों को वो बचपन से देखता चला आ रहा है वो होंठ आज उसके होंठों में थे, दोनों के होंठ एक दूसरे को खा जाने वाली स्थिति में चूम और चाट रहे थे।

हल्की हल्की सिसकारियां और होंठ चूसने की चप चप आवाज़ें होने लगी तो नीलम धीरे से किसी तरह रुककर सिसकते हुए बोली- बाबू आवाज नही, बहुत धीरे धीरे।

बिरजू ने हंसते हुए उसके गालों को ताबड़तोड़ चूम लिया तो वो शर्मा गयी, बिरजू ने कपड़े के ऊपर से ही लंड से एक धक्का बूर पर मारा तो नीलम आआआआआहहहहह....बाबू कहते हुए मचल गयी, फिर बोली- बस बाबू, अभी नही, नही तो मैं बेकाबू हो जाउंगी, मेरे राजा।

और अपने दोनों पैर उठाकर बिरजू की कमर पर लपेट लिए कपड़े के ऊपर से ही बिरजू का दहाड़ता लंड नीलम की दहकती बूर पर रगड़ खाने लगा, नीलम अपने बाबू का लंबा मोटा लंड महसूस कर वासना से भर चुकी थी, जिस लंड को उसने कुछ दिन पहले देखा था और उसको पाने के लिए मिन्नतें की थी आज वही लंड सच में उसकी बूर में घुसने के लिए दहाड़ रहा था।

नीलम ने अपने को संभालते हुए बोला- बाबू, हाँथ की उंगलियों से क्या इशारा कर रहे थे उस वक्त?

बिरजू- मेरा चिज्जी खाने का मन कर रहा है बहुत, वही कह रहा था।

नीलम- ओओहह, बाबू, कल खा लेना चिज्जी, अच्छे से, अभी कैसे खिलाऊँ आपको चिज्जी, अम्मा है न।

बिरजू- तो फिर मुझे दिखा ही दो।

नीलम- चिज्जी को देखोगे भी कैसे बाबू, अंधेरा है न, कल दिन में दिखाउंगी अच्छे से, मान जाओ बाबू, मेरे प्यारे बाबू।

बिरजू ने फिर कहा- अच्छा तो फिर मुझे मेरे जामुन खिला दो, तुमने बोला था न कि आज जामुन खिलाऊंगी।

नीलम ने एक बार अपनी माँ की तरफ देखा फिर बोला- अच्छा ठीक है बाबू लो, धीरे धीरे खाना, आवाज मत करना।

और ऐसा कह कर नीलम अपनी चोली के बटन खोलने लगी और एक ही पल में सारे बटन खोल कर चोली के दोनों पल्लों को हटा कर इधर उधर कर दिया, ब्रा में उसकी कसी हुई बड़ी बड़ी दोनों चूचीयाँ दिखने लगी, बिरजू की अपनी सगी बेटी की इतनी बड़ी बड़ी चूचीयाँ ब्रा के ऊपर से ही देखकर आँखे फटी की फटी रह गयी।

नीलम ने हाथ पीछे लेजाकर ब्रा का हुक खोलकर ब्रा को ऊपर गर्दन की तरफ उठा कर अपनी कयामत ला देने वाली दोनों चूचीयों को अपने सगे बाबू के आगे निवस्त्र कर दिया, स्पॉन्ज की तरह दोनों गुदाज बड़ी बड़ी चूचीयाँ उछलकर बाहर आ गयी, अंधेरे में बस हल्का हल्का ही दिख रहा था फिर भी बिरजू आंखें फाड़े नीलम की दोनों चूचीयों को बदहवास सा देखता रह गया, वासना और जोश की वजह से दोनों चूचीयाँ किसी गोल गुब्बारे की तरह फूलकर सख्त हो गयी थी और उनकी गोलाइयाँ देखते ही बनती थी, आज पहली बार सगी बेटी की नंगी चूचीयाँ आंखों के सामने थी, दोनों की सांसें वासना में तेज तेज चल रही थी, तेज सांसें चलने से नीलम की दोनों उन्नत चूचीयाँ ऊपर नीचे हो रही थी, बिरजू ने धीरे से अपना बायां हाँथ उठाकर दायीं गोल चूची पर रखा तो नीलम थरथरा गयी आआआआआहहहहह....बाबू, आज पहली बार उसके बाबू ने उसकी नंगी चूची को अपने हांथों से छुआ था, क्या नरम नरम फूली हुई गोल गोल चूची थी नीलम की और उफ्फ उसपर वो जामुन के आकार का फूला हुआ सख्त निप्पल। नशे में बिरजू की आंखें बंद हो गयी, बिरजू ने दायीं चूची को हाथों में लिया और भर भर के दबाना शुरू कर दिया, नीलम हल्के हल्के सिसकने लगी फिर धीरे से कराहते हुए बोली- बाबू जल्दी से अपना जामुन थोड़ा सा खा लो, फिर कल अच्छे से खाना।

बिरजू ने ये सुनते ही दायीं चूची का जामुन जैसा मोटा सख्त निप्पल अपने मुँह में भर लिया और नीलम मस्ती में लहरा गयी, मुँह से उसके तेज से सिसकी निकली, बिरजू तेज तेज वासना में चूर होकर निप्पल पीने लगा और चूची को भी दबाने लगा, नीलम मस्ती में अपने दोनों पैरों को आपस में रगड़ने लगी जो उसने मोड़कर अपने बाबू की कमर से बांध रखे थे, मस्ती में भरकर उसकी आंखें बंद हो गयी और अपने हांथों से अपने बाबू के बालों को बडे प्यार से सहलाते हुए हल्के हल्के आआआहहह..........आआआ आआआहहहहह करने लगी।

बिरजू लपलपा कर अपनी सगी बेटी की चूची पिये जा रहा था, निप्पल चाटे और चूसे जा रहा था, कभी कभी दांतों से काट भी लेता तो नीलम दबी आवाज में कराहते हुए अपने नाखून पीठ को सहलाते हुए उसमे गड़ा देती, कैसे नीलम अपने सगे बाबू को अपनी चूची खोलकर पिला रही थी कितना मादक दृश्य था।

नीलम ने सिसकते हुए अपने दोनों हांथों से दोनों चूचीयों को पकड़ा और दोनों निप्पल को बिल्कुल पास पास कर दिया बिरजू ने दोनों निप्पल को एक साथ मुँह में भर लिया और नीलम कराह उठी, अपनी चूची को वैसे ही पकड़े रही और बिरजू एक साथ दोनों निप्पल मुँह में भरकर पीता रहा, नीलम दबी आवाज में सिसकती रही, एकाएक उसको लगा कि अम्मा करवट ले रही हैं तो उसने धीरे से बिरजू से कहा- बाबू बस, लगता है अम्मा उठेंगी।

और नीलम ने झट ब्रा को नीचे खींचकर दोनों चूची को ढक लिया और चोली के बटन लगाने लगी, दोनों बाप बेटी चुप करके एक दूसरे को बाहों में भरे नीलम की माँ की तरफ कुछ देर देखते रहे और जब ये आस्वस्त हो गए कि वो सो रही है तो बिरजू बोला- जामुन तो बहुत प्यारे और बहुत ही मीठे हैं मेरी बेटी के।

नीलम ने शर्माते हुए बिरजू की पीठ पर चिकोटी काट ली और बोली- बाबू सुन लेगी अम्मा जरूर, मीठे मीठे जामुन चुपचाप खा लेते हैं ज्यादा बोलते नही हैं पगलू।

बिरजू- नही सुनेगी मेरी रानी, वो सो रही है। अच्छा सुन

नीलम- हम्म, बोलो न बाबू

बिरजू- मुझे मेरी चिज्जी देखना है।

नीलम सिसकते हुए- कैसे देखोगे बाबू बहुत अंधेरा है, बत्ती जला नही सकते।

बिरजू- छू कर देखूंगा बस, जल्दी से

नीलम- ठीक है मेरे बदमाश बाबू, तुम मानोगे नही, तो छू लो थोड़ा सा।

और फिर बिरजू मुस्कुराते हुए नीलम के बगल में लेट गया और उसके तड़पते होंठों पर अपने होंठ रख दिये, नशे में फिर नीलम की आंखें बंद हो गयी, बिरजू ने लेटे लेटे अपने सीधे हाँथ से अपनी सगी बेटी के घाघरे को नीचे से उठाया और पैरों व मोटी मोटी जाँघों को सिसकते हुए सहलाने लगा, नीलम तड़प उठी, बिरजू आज पहली बार अपनी बेटी की मांसल जाँघों को छू और सहला रहा था, अपने बाबू के हाँथ अपनी जाँघों पर रेंगते हुए महसूस कर नीलम तड़प कर कराह उठी, कितनी मोटी मोटी मादक जांघे थी नीलम की, जाँघों को छूते और काफी देर सहलाने के बाद बिरजू ने पैंटी के ऊपर से ही अपनी बेटी नीलम की मखमली फूली हुई रसभरी महकती बूर को हथेली में भरकर दबोच लिया और नीलम कराह उठी, बड़ी मुश्किल से उसने अपनी आवाज को दबाया और
भारी सांसों से उसने बोला- बाबू जल्दी करो, छुओ न चिज्जी को,
इतना सुनते ही बिरजू ने नीलम की पैंटी की इलास्टिक को उठाते हुए हाँथ अंदर डाल दिया और अपनी शादीशुदा सगी बेटी की रस बहाती बूर पर हाँथ रख दिया, नीलम गनगना कर अपने बाबू से लिपट गयी और उनके सीने में शर्म से मुँह छिपा लिया, बिरजू धीरे से कान में बोला- यही है न चिज्जी?

नीलम शर्म के मारे कुछ नही बोली

तो फिर बिरजू ने दुबारा पूछा- बोल न, यही है न वो चिज्जी जिसको खाते हैं

इस बार नीलम ने बहुत शर्माते हुए धीरे से कान के पास मुँह ले जाकर बोला- हां मेरे बाबू यही है वो चिज्जी जिसको खाते हैं।

इतना सुनते ही बिरजू वासना में सिसक उठा और अपनी बेटी की बूर को हाँथ से सहलाने लगा, नीलम की बूर बिल्कुल पनिया गयी थी, वो अपने बाबू के सीने में मुँह छुपाये धीरे धीरे होंठों को भीचते हुए हाय हाय करने लगी, कितनी मोटी मोटी मखमली फांकें थी नीलम की बूर की, भगनासा कितना फूला हुआ और मुलायम सा था, हल्के हल्के बालों में छिपी अपनी बेटी की दहकती बूर को बिरजू मसलने लगा, नीलम से रहा नही जा रहा था तो उसने बिरजू का हाँथ पकड़ लिया और फुसफुसाके बोली- बाबू बस, अब बस करो, रहा नही जाता, अम्मा जग सकती है कभी भी, कल खूब प्यार कर लेना जी भरके, बस भी करो मेरे बाबू, मुझसे रहा नही जा रहा, बाकी की सारी चिज्जी कल खा लेना अच्छे से।

बिरजू ने तड़पते हुए अपनी बेटी को चूम लिया और बोला- ठीक है तू सो जा अब मैं अपनी खाट पर जाता हूँ, पर एक बार तो बता दे

नीलम - क्या बाबू?

बिरजू- इस चिज्जी को और क्या बोलते हैं।

नीलम पहले तो शर्मा गयी फिर कुछ देर बाद धीरे से कान में बोली - इसको...बूबूबूबूरररररर....बोलते हैं

और कहकर फिर शर्म से लाल हो गयी।

बिरजू- हाहाहाहाहाहायययययय.......….…..ऊऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़फ़फ़ मेरी जान, और क्या बोलते हैं?

नीलम- अच्छा जाओ सो जाओ बाबू, मुझे शर्म आती है, अब मुझे नही पता।

बिरजू- बता न, बस एक बार और फिर चला जाऊंगा, जल्दी से बोल दे। बोल न

नीलम फिर शर्माते हुए कान में धीरे से- इसको चूचूचूचूचूतततत.....भी बोलते है, अब खुश।

बिरजू- हाय मेरी जान।

और नीलम फिर शर्मा जाती है, बिरजू नीलम को कस के होंठों पर एक चुम्बन लेता है और अपनी खाट पर जाकर लेट जाता है, कुछ देर तक तो नीलम और बिरजू तड़पते हुए एक दूसरे को अंधेरे में देखते रहते हैं फिर धीरे धीरे सो जाते हैं।
 
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Update- 48

अगली सुबह वही अमावस्या की रात का दिन था, नीलम ने आज सुबह नहा कर गुलाबी रंग का सूट पहन लिया था, इसी दिन दोपहर में रजनी काकी के साथ बिरजू को देखने आयी थी और उधर घर पे उदयराज रजनी द्वारा छुपाया हुआ कागज ढूंढ रहा था, ये वही दिन था 7वां दिन, उधर आज की रात रजनी और उदयराज का रसीला मिलन कुल वृक्ष के नीचे हुआ और उसी रात इधर नीलम और बिरजू की भी रसीली चुदाई हुई थी, उधर रजनी और उदयराज महापाप का रसीला आनंद ले रहे थे और इधर नीलम और बिरजू भी महापाप के लज़्ज़त का भोग लगा रहे थे, ये वही दिन था, इसी रात इस गांव में महापाप की सिसकारियां दो जगह गूंजी थी।

नीलम की माँ करीब 12:30 तक नीलम के नाना के घर जाने वाली थी तभी रजनी और काकी आ गयी थी फिर वह उनसे काफी देर बातें करती रही और करीब 2 बजे अपने मायके जाने के लिए निकली थी, काकी ने नीलम की माँ से पूछा भी था कि क्या बात हो गयी अचानक कैसे तू अपने मायके जा रही है तो नीलम की माँ ने काकी को धीरे से सारी बातें बता दी थी, काकी ने भी अपनी सहमति जताई कि ठीक है करके देख ले, नीलम की कोख कब से सूनी है, क्या पता ईश्वर सुन लें।

नीलम की माँ 2 बजे तक थैले में जामुन लेके जा चुकी थी, बिरजू का हाँथ काफी हद तक ठीक हो गया था, काकी, नीलम, बिरजू और रजनी काफी देर बातें करते रहे, नीलम ने एक बार सोचा कि वो रजनी से अपनी मन की बात कहे पर न जाने क्यों कुछ सोच कर वो चुप ही रह गयी थी, उसने सोचा था कि बाद में कभी उससे पूछेगी, अभी तो उसे इतनी बेचैनी थी कि जैसे तैसे वो समय काट रही थी।

नीलम ने रजनी और काकी को खाना खिलाया और जामुन भी दिए खाने को, रजनी का मन तो लग नही रहा था इसलिए वो जल्दी आ गयी थी, काकी काफी देर तक बैठी थी नीलम से बातें करती रही, मन तो अब नीलम का भी नही लग रहा था वो और बिरजू सोच रहे थे कि काकी जल्दी जाए पर बोल भी नही सकते थे, खैर जैसे तैसे काकी भी चली गयी।

शाम हो चुकी थी अंधेरा हो गया था, नीलम ने घर के अंदर और बाहर लालटेन जला दी और जैसे ही बरामदे में खाट पर बैठे अपने बाबू के पास से उन्हें मुस्कुराते हुए देखकर घर में जाने के लिए उनके आगे से गुजरी कि बिरजू ने लपककर नीलम का हाँथ पकड़ लिया, नीलम ने मुड़कर मुस्कुराते हुए पलटकर देखा बिरजू ने नीलम को अपने ऊपर खींच लिया, नीलम आआआआहहहह करते हुए अपने बाबू के ऊपर गिरी और दोनों बाप बेटी खाट पर लेट गए।

बिरजू ने झट से नीलम के होंठों को अपने होंठों में भर लिया तो नीलम जोर से सिसक उठी, दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे, होंठों के मिलन की असीम लज़्ज़त में दोनों खो गए, बिरजू का लंड खड़ा होने लगा, नीलम की चूचीयाँ सख्त होने लगी, काफी देर दोनों अमरबेल की तरह एक दूसरे से लिपटे, एक दूसरे के होंठों को तन्मयता से चूमने चाटने लगे, नीलम का बदन मजे में सुलगने लगा, तन बदन में तरंगे उठने लगी, वासना का उठान जोर पकड़ने लगा, बिरजू ने काफी देर अपनी बेटी के होंठ चूसने के बाद होंठ अलग किये, नीलम के हल्के हल्के वासना में हिलते होंठों को वो देखने लगा, नीलम ने आंखें बंद की हुई थी एकाएक उसने भी आंखें खोलकर अपने बाबू को थोड़ी दूर जल रही लालटेन की हल्की रोशनी में देखा, तो बिरजू बोला- कितनी खूबसूरत है तू

नीलम अपने बाबू की आंखों में देखते हुए- आपकी बेटी की खूबसूरती सिर्फ आपके लिए है, सिर्फ आपके लिए।

नीलम ने भारी आवाज में कहा- मैं आपके लिए बहुत तरसी हूँ बाबू बहुत।

बिरजू- तो तूने मुझे पहले कभी इशारा क्यों नही किया।

नीलम- कैसे करती बहुत डरती थी, लोक लाज की वजह से, फिर ये सोचती थी कि आप अम्मा के हो मेरे कैसे हो सकते हो?

बिरजू- ओह! मेरी बिटिया, तेरी अम्मा से भी पहले मैं तेरा हूँ सिर्फ तेरा। सिर्फ अपनी बेटी का हूँ मैं।

नीलम- अपनी सगी बेटी को इतना चाहते हैं आप।

बिरजू- बहुत, बहुत मेरी बेटी बहुत।

नीलम- ओओओओहहहहह....मेरे बाबू, क्यों हम अब तक इतने दूर दूर थे।

बिरजू- अब तो पास आ गए न, अब तो मैं अपनी बेटी के अंदर समा ही जाऊंगा, बहुत अंदर तक।

नीलम- अपनी सगी बेटी के अंदर, बहुत अंदर

बिरजू- हां, अब रहा नही जाता।

नीलम- तो समा जाना आज रात, अब तो कोई भी नही है, हम दोनों ही है घर पे अकेले, किसी का कोई डर भी नही, किसी को पता भी नही चलेगा, बाबू....सुनो न (नीलम ने अपने बाबू के कान में धीरे से कहा)

बिरजू- बोल न

नीलम- अपनी सगी बेटी के ऊपर चढ़ो न, बगल में क्यों लेटे हो, अब तो किसी का डर नही।

इतना सुनते ही बिरजू नीलम के गालों पर ताबड़तोड़ चूमता हुआ उसके ऊपर धीरे धीरे चढ़ने लगा और नीलम भी सिसकते हुए अपने बाबू के नीचे आने लगी, बिरजू पूरी तरह चढ़ गया नीलम के ऊपर, दोनों ही कराह उठे, नीलम ने अपने पैर बिरजू की कमर पर उठाकर लपेट दिये, बिरजू नीलम को गालों, होंठों, गर्दन, कान के पास ताबड़तोड़ चूमने लगा, नीलम जोर जोर से सिसकने लगी और बोली- आप चूमते हो तो कितना अच्छा लगता है बाबू, बहुत मजा आता है।

बिरजू- अच्छा, ऐसा क्यों (बिरजू ने जानबूझ के पूछा)

नीलम ने शर्माते हुए कहा- क्योंकि आप बाबू हो और.....

बिरजू- और क्या?

नीलम ने धीरे से कहा- और..... मैं आपकी बेटी, वो भी सगी बेटी, आप मेरे बाबू हैं इसलिए बहुत शर्म भी आती है और असीम आनंद भी।

बिरजू- सच

नीलम- हाँ, बाबू बहुत अच्छा लगता है, जब आप मुझे चूमते और सहलाते हो, अजीब सी गुदगुदी होती है, तन बदन में झुरझुरी हो जाती है।

बिरजी का लंड अपनी ही सगी बेटी के मुँह से ये सुनके लोहा हो गया और सीधा नीलम की बूर पर कपड़े के ऊपर से ही बूर में धसने लगा, बिरजू हल्के हल्के लंड से बूर को रगड़ने लगा, नीलम ने तड़प के आंखें बंद कर ली, बिरजू लगातार उसे हर जगह चूमे जा रहा था।

अभी सिर्फ शाम के 7:30 ही हुए थे और दोनों बाप बेटी गुथे हुए थे, इतना जरूर था कि अंधेरा हो गया था, लालटेन हल्की रोशनी में जल रही थी, कोई घर पर आ भी सकता था पर अब दोनों को होश कहाँ था, इतनी गनीमत थी कि वो दोनों बरामदे में थे।

बिरजू नीलम को बेताहाशा चूमे जा रहा था नीलम की सांसें उखड़ने लगी, मदहोश होकर सिसकने लगी वो, हाँ बाबू ऐसे ही........और चूमो मुझे.........जी भरके चूमो बाबू अपनी सगी बेटी को.........आआआआआआआहहह हहह......हाहाहाहाहाहाययययय........अब तो अम्मा भी नही है........खूब प्यार करो अपनी बिटिया को.....बाबू......ऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़........हाहाहाहाहाहाययययय......अम्मा कितना अच्छा लग रहा है।

बिरजू लगातार मदहोशी में नीलम को चूमता जा रहा था नीलम का पूरा चेहरा, गर्दन, कान के आस पास का हिस्सा बिरजू के प्यार भरे चुम्बन से गीला हो चुका था जिसने नीलम की दहकती बूर में झनझनाहट पैदा कर दी और वो रिसने लगी।

नीलम- बाबू, ओ मेरे बाबू

बिरजू- हाँ मेरी रानी

नीलम- लालटेन बुझा देती हूं।

बिरजू रुककर नीलम को प्यार से देखने लगा

नीलम- बुझा देती हूं न, क्या पता कोई आ ही जाए इस वक्त, अभी ज्यादा रात नही हुई है न, थोड़ी देर अंधेरे में प्यार करके फिर जला दूंगी।

बिरजू - हाँ, जा बुझा दे।

नीलम जैसे ही उठने को हुई वहां शेरु और बीना न जाने कहाँ से द्वार पे भटकते भटकते आ गए, नीलम गर्भवती बीना को देखकर मुस्कुरा दी।

नीलम और बिरजू बरामदे में थे वहां से बाहर द्वार पर सब दिख रहा था। नीलम और बिरजू ने शेरु और बीना को देखा, तो बिरजू बोला- अरे इस वक्त ये दोनों कहाँ से आ गए, शायद भूखे हैं कुछ खाने को दे दे इनको।

नीलम- बाबू, जरा बीना को ध्यान से देखो।

बिरजू- क्या हुआ उसको? ये बाप बेटी भी हमेशा साथ साथ ही रहते हैं।

नीलम- अरे उसको देखो, देखो तो सही, आपको कुछ फर्क नही लग रहा।

बिरजू और नीलम ने एक दूसरे को अभी भी बाहों में भर रखा था, और बिरजू नीलम पर चढ़ा हुआ था, क्योंकि जैसे ही नीलम उठने को हुई थी वैसे ही शेरु और बीना आ गए थे तो वो दोनों फिर लेट गए।

बिरजू ने बीना को ध्यान से देखा फिर बोला- इसको क्या हुआ कुछ तो नही।

नीलम- अरे बहुत ध्यान से देखो उसका पेट फूला हुआ है (नीलम ने फिर बिरजू के कान में कहा) बाबू वो न गर्भवती है।

बिरजू- क्या......सच

नीलम- हाँ, और पता है उसको गर्भवती किसने किया है।

बिरजू- किसने

नीलम ने वासना में आंखें बंद कर भारी आवाज में अपने बाबू के कान में कहा- खुद उसके पिता ने, शेरु ने

बिरजू अवाक सा नीलम की आंखों में देखने लगा- सच

नीलम ने शर्मा कर हाँ में सर हिलाते हुए अपना चेहरा हाथ से छुपा लिया, तो बिरजू ने उसके हाँथ को हटा कर नीलम को शर्माते हुए देखा तो वो और शर्मा गयी, बिरजू बोला- तुझे कैसे पता?

नीलम ने धीरे से कहा- मैन शेरु को कई बार बीना को "वो" करते हुए देखा था।

बिरजू ने अपने लंड से एक झटका अपनी बेटी की बूर पर कपड़ों के ऊपर से मारा और बोला- वो क्या मेरी रानी।

नीलम जोर से सिसक उठी पर शर्मा कर चुप रही।

बिरजू ने फिर पूछा - बोल न

नीलम वासना में कंपते हुए- "बीना को चोदते हुए।"

और इतना कहकर नीलम अपने बाबू से सिसकारी लेते हुए चिपक गयी।

बिरजू ये जानकर थोड़ा हैरान हुआ फिर उसने अपनी बेटी नीलम के चेहरे को बड़े प्यार से देखा, नीलम की आंखें बंद थी बिरजू बोला- आंखें खोल न

नीलम ने आंखें खोल दी, उसकी आँखों में शर्मो हया साफ दिख रही थी

बिरजू- तूने इन दोनों की चुदाई देखी है

नीलम ने हम्म में सिर हिलाकर कहा फिर बोली- कई बार देखी है।

बिरजू नीलम को और नीलम बिरजू की आंखों में देखते रहे, फिर बिरजू बोला- अगर मेरी बेटी पैदा होगी तो वो बिल्कुल मेरी बेटी जैसी खूबसूरत होगी न।

नीलम ये सुनकर अपने बाबू का अर्थ समझते ही गनगना गयी और सिरहकर ओह बाबू कहते हुए अपने बाबू से फिर कसके लिपट गयी, उसकी सांसे तेज चलने लगी, काफी देर सांसों को काबू करने के बाद नीलम धीरे से बोली- और बाबू बेटा होगा तो बिल्कुल आपके जैसा बलशाली होगा न।

ये बोलकर नीलम सर उठा के अपने बाबू की आंखों में देखने लगी फिर बोली- आप मुझे बच्चा दोगे बाबू?

बिरजू बड़े प्यार से नीलम के बालों को सहलाता हुआ- क्यों नही मेरी बेटी, मेरी जान, क्यों नही, तेरी सूनी कोख अब सूनी नही रहेगी, किसी को पता भी नही चलेगा।

बिरजू ने आगे कहा- बछिया को बैल को तो दिखाना पड़ेगा न तभी तो उसको बच्चा होगा और फिर वो दूध देगी, और फिर मेरी सेहत बनेगी।

नीलम- ओह! मेरे बाबू, आप अपनी इस बछिया की कोख में बीज बो दीजिए, ताकि वो आपके बच्चे को जन्म दे और ढेर सारा दूध आपको पिलाये, मेरे बाबू अपनी इस बछिया के अरमान पूरे कर दीजिए। ये बछिया सिर्फ आपकी है।

बिरजू- जरूर मेरी बच्ची,

नीलम ने फिर बड़ी कामुकता से बिरजू के कान में कहा- बेटी से बेटी पैदा करोगे, बाबू?

बिरजू ने नीलम के कान में कहा- बेटी को चोदकर बेटी पैदा करूँगा।

नीलम सिसक उठी

बिरजू बोला- बोल न, एक बार धीरे से

नीलम ने बिरजू के कान में बोला- बेटी को चोद कर बेटी पैदा करना बाबू सच बहुत मजा आएगा, सगी बेटी को चोदकर।

बिरजू और नीलम कराह उठे ये बोलकर

बिरजू- मजा आयेगा न

नीलम सिरहते हुए- बहुत बाबू, बहुत, जैसे शेरु ने किया, बीना को बहुत मजा आया था।

बिरजू- चिंता न कर मेरी बिटिया तुझे भी पूरा मजा आएगा।

नीलम और बिरजू दोनों कस के लिपट गए और बिरजू ने लंड से एक सूखा घस्सा बूर पर मारा तो नीलम चिहुँक कर सिसक गयी और बोली- लालटेन बुझा देती हूं बाबू।

बिरजू- हाँ बुझा दे और इनको भी खाना दे दे।

नीलम- या तो बाबू पहले खाना बना लेती हूं, खाना भी तो बनाना है न।

बिरजू- हाँ ये भी तो करना ही है, तू खाना बना ले मैं जानवरों को चारा डाल देता हूँ। लेकिन तूने आज साड़ी क्यों नही पहनी?, कल वादा किया था न!

नीलम बिरजू की आंखों में देखते हुए- अब पहनूँगी न मेरे बाबू, दिन में अम्मा थी तो कैसे पहनती, अभी नहा के साड़ी पहनूँगी आपकी पसंद की और वो भी?

बिरजू- वो भी क्या?

नीलम- अरे भूल गए, कच्छी बाबू कच्छी, काले रंग की।

नीलम ये बोलकर मुस्कुरा उठी, बिरजू ने उसे चूम लिया।

बिरजू और नीलम उठे, बरामदे से बाहर आये तो देखा कि शेरु बीना की बूर सूंघ रहा था, नीलम और बिरजू उनको देखने लगे, बीना चुपचाप खड़ी होकर अपनी बूर शेरु को सुंघाने लगी, बिरजू ने ये देखकर नीलम को बाहों में भर लिया नीलम अपने बाबू की बाहों में आ गयी और दोनों बीना और शेरु को देखने लगे, बिरजू- कितना मजा आ रहा होगा शेरु को बूर सूंघने में।

नीलम ये सुनते ही शर्मा कर धत्त बोलते हुए घर में भाग गई और थोड़ी देर बाद कुछ खाना लेकर आई और दोनों को दिया, शेरु और बीना खाना खाने लगे, नीलम अपने बाबू को मुस्कुराकर देखते हुए इशारे से बोली- मैं नहाने जा रही हूँ और घर में चली गयी, बिरजू समझ गया इशारा, पहले तो वो जानवरों को चारा डाल के आया फिर घर में गया और गुसलखाने की तरफ बढ़ा, एक छोटा लालटेन आंगन में जल रहा था, गुसलखाने के दरवाजे पर पर्दा लगा था, अंदर पानी गिरने की आवाज आ रही थी, जिससे पता लग रहा था कि नीलम नहा रही है बिरजू ने गुसलखाने के दरवाजे पर जाके एक हाथ से पर्दा सरकाया तो देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गयी, नीलम ने अपना सूट उतार दिया था और ऊपर सिर्फ ब्रा पहन रखी थी, नीचे सलवार पहन रखी थी, पूरा बदन भीगा हुआ था, अभी नहाना उसने शुरू ही किया था, अपने बाबू को देखकर वो खड़ी हो गई।

बिरजू ने आगे बढ़कर उसे पीछे से बाहों में भर लिया।

बिरजू- कितनी खूबसूरत है तू बेटी, रहा नही जाता बिल्कुल अब

नीलम- आआआआआहहहहह........बाबू, रहा तो मुझसे भी नही जा रहा।

बिरजू- मुझे शेरु बनना है

नीलम अपने बाबू का इरादा समझ गयी और वासना में चूर होकर बोली- हाय, तो फिर मैं बीना बन जाती हूँ बाबू और इतना कहकर नीलम अपने दोनों हाँथ सिसकते हुए दीवार पर लगा कर पैरों को हल्का खोलते हुए भीगी सलवार में चौड़ी सी गांड को बाहर को उभारकर सिसकते हुए खड़ी हो गयी और बोली- लो बाबू सूँघो अपनी बेटी को....आआआहह, जैसे कल सुबह सूंघ रहे थे।

बिरजू नीचे बैठकर अपनी बेटी की चौड़ी गुदाज गांड को पहले तो जोर जोर से दबाने और भीचने लगा फिर एकाएक उसने नीलम की मखमली गांड को फैलाया और दोनों पाटों के बीच में सलवार के ऊपर से ही चूम लिया, नीलम जोर से कराह उठी, बिरजू ने एकाएक अपनी नाक गांड के छेद पर सलवार के ऊपर से ही लगा दी और मदहोश होकर मादक गंध को सूंघने लगा, दोनों हांथों से गांड को सहलाये जा रहा था, कुछ पल तक बिरजू अपनी सगी बेटी नीलम की गांड को कस कस के दबा दबा के सूंघता रहा कि तभी नीलम ने कराहते हुए सलवार का नाड़ा जल्दी से खोल दिया और गीली सलवार सरककर नीचे गिरने लगी, बिरजू ने अपना मुँह हटाकर सलवार को नीचे गिर जाने दिया और अब....अब तो नीलम सिर्फ पैंटी और ब्रा में खड़ी थी।

नीलम धीरे से सिसकते हुए बोली- बाबू सूँघो न, बहुत अच्छा लग रहा है।

बिरजू ने ये सुनते ही कराहते हुए दोनों हांथों से नीलम की चौड़ी विशाल गांड को अच्छे से फाड़कर पैंटी को साइड किया और साइड करते ही अपनी सगी बेटी के गांड का गुलाबी छेद और बूर की निचली फांकें हल्की रोशनी में देखकर नशे में मदहोश हो गया, क्या गांड थी नीलम की ऊऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़फ़फ़, और वो गांड का गुलाबी छेद उसके हल्के से नीचे गीली बूर का हल्के काले बालों से भरा निचला हिस्सा, और उसमे से निकलती गरम गरम पेशाब और काम रस की मिली जुली भीनी भीनी मादक सी महक बिरजू को पागल कर गयी। नीलम ने सिसकारते हुए फिर आग्रह किया- बाबू जल्दी सुंघों न छेद को, खाओ न उसको।

बिरजू भूखे भेड़िये की तरह नीलम की गांड के गुलाबी से छेद पर टूट पड़ा, अपनी नाक छेद पर भिड़ाकर बड़ी तेज से कराहते हुए सूँघा, एक मादक सी महक बिरजू के अंदर तक समाती चली गयी, नीलम भी मस्ती में अपने बाबू की नाक और उससे निकलती गरम गरम सांसें अपनी गांड की छेद पर महसूस कर मचलते हुए कराह उठी और उसने अपना एक हाथ पीछे लेजाकर अपने बाबू का सर और भी अपनी गांड की छेद पर दबा दिया, आआआआआआहहहहहहह.........अम्मा........ ओओओओहहह........बाबू........सूंघों न और अच्छे से मेरी गांड को सूंघों बाबू..............जैसे शेरु सूंघता है अपनी बेटी की बूर और गांड को....वैसे ही सूँघो..........इसकी खुशबू लो..........ऊऊऊईईईईईईई....….कितना मजा आ रहा है...........कैसा लग रहा है न बाबू...........कभी सोचा नही था कि आप मुझे नंगा करके मेरी गांड के छेद को सूंघेंगे............आआआआहहह......दैय्या.......हे भगवान.......मेरे बाबू.......ये सब करने में भी कितना मजा है न............करो न बाबू जोर जोर से चाटो छेद को........आआआआहहहह।


बिरजू- आआआआहहहह मेरी बेटी क्या महक है तेरी चौड़ी गांड की.......ऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़...... मजा ही आ गया........कितनी चौड़ी गांड है तेरी..........कितनी नरम और बड़ी है तेरी गांड........कितनी मोटी है........ये छेद कितना प्यारा है गांड का.......हाय।

बिरजू नीलम की गांड के छेद पर जीभ गोल गोल घुमाने लगा, जीभ से चाटने लगा।

नीलम- उफ़्फ़फ़फ़ हाय मेरे बाबू चाटो ऐसे ही अपनी बेटी की गांड.........हाय

पूरी गांड थूक से सन गयी, बिरजू कभी जीभ से चाटता कभी सूंघता, कभी उंगली से छेद को धीरे धीरे सहलाता, कभी चूमने लगता।

नीलम- बाबू.........आह, अपनी बेटी की बूर कब चटोगे मेरे राजा, गांड के छेद से बस थोड़ा सा ही नीचे है वो, उसको भी चाट लो न बाबू।

दरअसल बिरजू नीलम की गांड फाड़े खाली उसकी गांड के छेद को सूंघ रहा था, चाट चूम और सहला रहा था, गांड के छेद की गंध ने उसे मतवाला कर रखा था और जब नीलम ने बूर चाटने का आग्रह किया तब उसका ध्यान नीचे गया और उसने आंखें खोलकर देखा तो नीलम ने अपनी गांड को और ऊपर को उठाकर अपनी बूर को परोस रखा था, नीलम दोनों पैर फैलाये आंखे बंद किये खड़ी थी, गांड उसने पीछे को और उभार रखी थी, अपने एक हाँथ से वो बिरजू के सर को सहला रही थी और उसका दूसरा हाँथ से दीवार पर टेक लगाए हुए थी, बिरजू ने दोनों हांथों से नीलम की चौड़ी गांड को अच्छे से फाड़ रखा था। पहले तो उसने एक हाँथ से पैंटी को साइड किया हुआ था फिर नीलम के बूर चाटने के आग्रह पर बिरजू ने पैंटी को पकड़ा और उसको नीचे जाँघों तक एक ही झटके में नीचे खींचकर अपनी सगी बेटी की गांड को पूरा नंगा कर दिया, मोटी मोटी कसी हुई मखमली गांड के दोनों पाट उछलकर नंगे हो गए, कितना कसाव था गांड में, नीलम आह करके मचल उठी।

बिरजू ने अपनी बिटिया की मदमस्त गांड को दोनों हांथों से कस के फैला दिया, बूर की दोनों फांक हल्की सी खुल गयी, बिरजू ने अपनी प्यासी जीभ अपनी बेटी की प्यासी बूर के दोनों फाँकों के बीच घुसेड़ दी।

नीलम जोर से ऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़........बाबू करते हुए उछल पड़ी, बिरजू लप्प लप्प बूर को पीछे से चाटने लगा, नीलम अपनी गांड को और अच्छे से ऊपर को उठाकर हाय हाय करते हुए अपनी बूर को अपने बाबू की जीभ पर रगड़ने लगी।
नीलम- आआआहहहह........ऊऊऊईईईईईईई......अम्मा.........हाय बाबू लगता है आज आप मुझे नहाने नही दोगे.............सब कुछ यहीं कर लोगे क्या...........हाय बाबू............कितना अच्छा बूर चाटते हो आप...........मजा आ गया......ऐसे ही चाटो..........उफ़्फ़फ़फ़.........बूर चटवाने में कितना मजा आता है..........हाय...... चूत चटवाने में.............कितनी मस्त है आपकी जीभ...........सच में बहुत अच्छा लग रहा है..........ओह मेरे बाबू....

बिरजू लपलपा कर नीलम की पूरी बूर पर पीछे से जीभ लगा लगा के चाटने लगा, बूर से निकल रहे रस और पेशाब की मिली जुली गंध ने उसे पागल कर दिया था, अपनी ही सगी बेटी के पेशाब के गंध को सूंघ सूंघ कर वो बदहवास होता जा रहा था, पूरे गुसलखाने में चप्प चप्प की बूर चटाई की आवाज दोनों की सिसकियों के साथ गूंजने लगी, नीलम के पैर खड़े खड़े थरथराने लगे, वासना में वो हाय हाय करते हुए कांपने लगी।

बिरजू बड़ी ही तन्मयता से एक हाँथ से नीलम की गांड फैलाये और दूसरे हाँथ से अपनी ही सगी बेटी की मखमली बूर को फैला फैला कर सपड़ सपड़ जीभ से चाटे जा रहा था, नीलम बहुत गर्म हो चुकी थी ऐसी मस्त बूर चटाई वो भी पीछे से आज तक कभी नही हुई थी, वो भी सगे पिता की जीभ से, जब उससे बर्दाश्त नही हुआ तो उसने कराहते हुए बोला- बाबू अभी बस करो.......मुझे नहा लेने दो न..........फिर अपनी बेटी को अच्छे से सारी रात चोदकर एक बेटी पैदा करना, इसी बूर से निकलेगी वो, थोड़ा सब्र करो बाबू, मेरी बात मान लो न बाबू.....आआआआआहहहहह।

बिरजू बड़ी मुश्किल से रुका और नीलम के कान में बोला- आआआआआआहहहहहहहह.......बिटिया, तेरी बूर, कितनी खूबसूरत है, ये कितनी मादक है......कितनी दहक रही है..आआआआहहह.....मेरी बेटी.......इसको चोदकर चोदकर तुझे बच्चा दूंगा मेरी बेटी।

नीलम- हाय, हाँ बाबू मुझे आपसे ही बच्चा चाहिए, सिर्फ आपसे.........ओफ़फ़फ़.......मेरे बलमा सिर्फ आप ही हैं मेरे बाबू।

बिरजू ने धीरे से नीलम के कान में कहा- बूर

नीलम गनगना कर बिरजू से सीधी होकर लिपट गयी, पैंटी तो नीलम की नीचे जांघ तक सरकी ही हुई थी आगे से उसकी बूर बिल्कुल नंगी थी। बिरजू ने एक हाँथ में नीलम की पनियायी हुई बूर को भर लिया और फाँकों की दरार में उंगली चलाने लगा और दुबारा उसके कान में धीरे से बोला- बूर

नीलम जोर से सिरह गयी।

बिरजू ने फिर कान में बोला- बूर

नीलम ये सुनकर फिर गनगना गयी, बिरजू बूर को बराबर सहला रहा था।

नीलम समझ गयी की उसके बाबू उसके कान में बार बार बूर क्यों बोल रहे हैं, उसने बड़ी मादक आवाज में अपने बाबू के कान में सिसकते हुए बोला- लंड

बिरजू- बूर

नीलम- हाय बाबू....लंड

बिरजू- मेरी बेटी की बूर

नीलम- मेरे बाबू का लंड

नीलम और बिरजू दोनों बोल बोल कर और सुन सुनकर गनगना जा रहे थे। दोनों ने एक दूसरे को कस के बाहों में भरा हुआ था।

बिरजू- मेरी सगी बेटी को बूर

नीलम सिसकते हुए- हाय! मेरे सगे बाबू का लंड

इतने में बिरजू ने अपनी बेटी का हाँथ पकड़कर धोती में फौलाद हो चुके अपने 8 इंच लंबे, 3 इंच मोटे लन्ड पर रख दिया, नीलम के पूरे बदन में अपने बाबू का लन्ड छूते ही सनसनी दौड़ गयी, वह जोर से कराही, बिरजू नीलम की बूर को हल्का हल्का सहला ही रह था और अब नीलम भी अपने बाबू के विशाल लंड को धोती के ऊपर से ही पकड़ पकड़ कर सिसकते हुए मुआयना करने लगी, पूरे तने हुए लंड पर वो मचलते हुए अपना हाँथ फेरने लगी, कभी कभी नीचे मोटे मोटे दोनों आंड को भी मस्ती में भरकर सहलाने लगती। बिरजू की मस्ती में आंखें बंद हो गयी, सगी बेटी के नरम नरम हाथ अपने लन्ड पर महसूस कर बिरजू अनियंत्रित सा होने लगा। नीलम अपने सगे बाबू का लन्ड सहलाकर मस्त हो गयी।

दोनों बाप बेटी अब एक दूसरे का लंड और बूर सहला रहे थे।

बिरजू ने कराहते हुए कहा- मेरी बेटी की बूर में मेरा लंड।

नीलम ने सिरहते हुए कान में कहा- अपनी सगी बेटी नीलम की बूर में आपका मोटा सा मूसल जैसा लंड।

नीलम ने फिर धीरे से बिरजू के कान में सिसकते हुए कहा- बाबू...सगी बेटी को चोदने में बहुत मजा आएगा न, अम्मा से भी ज्यादा।

बिरजू- हाय.....हाँ मेरी प्यारी बिटिया, सगी बेटी को चोदने का मजा ही कुछ और है, बहुत रसीला मजा आएगा।

नीलम- आह....बाबू बस करो मैं नहा कर खाना बना लूं, फिर प्यार करेंगे सारी रात।

बिरजू- हाँ, ठीक है

और ऐसा कहते हुए उसने बूर पर से हाथ हटा लिया, नीलम के होंठों पर एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया और गुसलखाने से बाहर आ गया, नीलम ने अपनी पैंटी को निकाल कर ब्रा भी निकाल दिया और नहाया, बिरजू भी बाहर आकर लेट गया, नीलम ने नहा कर लाल साड़ी और ब्लॉउज पहना और अंदर काले रंग की ब्रा और पैंटी पहन ली, फिर वह जल्दी जल्दी खाना बनाने लगी, जल्दी ही उसने कुछ हल्का फुल्का बना लिया, बिरजू ने नीलम को आंगन में अपनी गोद में बैठाकर बड़े प्यार से अपने हांथों से खाना खिलाया, नीलम ने भी अपने बाबू की आंखों में देखते मुस्कुराते हुए खाना खाया और उन्हें भी अपने हाथों से खिलाया।

रात के 11:30 हो चुके थे, नीलम ने अपने बाबू से कहा- बाबू अब आप बरामदे में लेटो, थोड़ी देर में आना, 12 बजे तक, बिरजू अपनी बेटी को चूमकर जाकर बरामदे में खाट पर लेट गया। 12 बजने का इंतज़ार करने लगा, बाहर द्वार पर लालटेन बुझा दिया, जैसे ही बारह बजे वो घर में गया, नीलम को ढूंढने लगा, सारे कमरों का दरवाजा खुला था बस एक का पल्ला सटाया हुआ था और उसमे लालटेन जलने की रोशनी भी आ रही थी, बिरजू ने उस कमरे का दरवाजा खोला तो नीलम लाल साड़ी पहने दुल्हन की तरह सजी हुई पलंग पर बैठी थी, उसने घूंघट किया हुआ था, बिरजू पलंग के पास आकर बैठ गया और उसने नीलम का घूंघट धीरे से उठा दिया नीलम दुल्हन की तरह सजी हुई थी, उसकी आंखें बंद थी, बिरजू ने धीरे से उसके होंठों को चूमते हुए बोला- हाय..मेरी दुल्हन

नीलम सिसकते हुए- दुल्हन नही बाबू.......बेटी......सगी बेटी......सगी बेटी बोलो न......बेटी हूँ न आपकी

बिरजू- आह मेरी बेटी, मेरी सगी बेटी।

नीलम- हाय, मेरे बाबू, अब आया न मजा।

और दोनों बाप बेटी एक दूसरे की बाहों में समा गए, बिरजू ने नीलम को बाहों में उठा लिया और लालटेन बुझाते हुए उसको बाहों में उठाये उठाये बाहर आ गया और बरामदे में खाट पर लिटा दिया, अमावस्या की अंधेरी रात थी, गांव के सब लोग खर्राटे लेने लगे थे, बिरजू ने घर के सारे लालटेन बुझा दिए थे, बाहर का लालटेन भी बुझा दिया था, बाहर ठंडी ठंडी हवा चल रही थी जो बरामदे के अंदर तक आ रही थी, गुप्प अंधेरा था, बिरजू के घर के थोड़ी थोड़ी दूर पर कुछ और घर भी थे।
 
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Update- 49

बिरजू ने नीलम को बरामदे में खाट पर लिटाया और उसपर चढ़ गया, रात के अंधेरे में दोनों ने एक दूसरे को कस के बाहों में भर लिया और बेताहाशा चूमने लगे, दोनों एक दूसरे को बाहों में भरे पूरी पलंग पर दाएं और बाएं होने लगे, कभी बिरजू नीलम के ऊपर होता तो कभी नीलम बिरजू के ऊपर, दोनों एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे, बिरजू ने एकाएक अपने होंठ नीलम के होंठों पर रख दिये और दोनों बाप बेटी एक दूसरे के होंठों को मदहोशी में चूमने लगे, इस समय बिरजू ऊपर था और नीलम नीचे, अंधेरा था तो ज्यादा कुछ दिख नही रह था, काफी देर होंठों को चूसने के बाद नीलम बोली- बाबू देख देख के करते हैं न, कुछ दिख नही रहा मुझे मेरे पिता को देख देख के करना है?

बिरजू- पिता को देख देख के क्या करना है?

नीलम शर्मा गयी और बोली- बहुत कुछ और उसके बाद वो भी करना है।

बिरजू- क्या बहुत कुछ और उसके बाद क्या करना है?

नीलम धीरे से- मुझे अपने पिता को देख देख के अपनी चूची उनको पिलाना है, वो मेरी चूची से खेलेंगे तो मैं देखूंगी अपने बाबू को।

बिरजू- हाय! और? और क्या करना है

नीलम और शर्मा गयी फिर धीरे से बोली- फिर मुझे अपने पिता जी को अपनी बूर खोलके दिखाना है, फिर देखना है कि मेरे पिताजी अपनी सगी बेटी की बूर को कैसे देखेंगे, कैसे चाटेंगे और कैसे खाएंगे।

बिरजू- हाहाहाहाहाहाययययय.....मेरी बिटिया, उसके बाद क्या करना है और बता न, तेरे मुँह से सुनके मजा आ रहा है।

नीलम की आंखें मस्ती में बंद हो गयी बिरजू उसके ऊपर चढ़ा हुआ था, दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर रखा था, बिरजू का दहाड़ता लंड साड़ी के ऊपर से ही नीलम की महकती बूर पर ठोकर मार रहा था।

बिरजू ने फिर बोला- उसके बाद क्या करना है मेरी बिटिया को अपने बाबू के साथ रोशनी में देख देख कर।

नीलम ने बहुत धीरे से बिरजू के कान में कहा- चुदाई।

चुदाई शब्द बोलते ही दोनों बाप बेटी जोर से सिसक उठे, और बिरजू ने एक जोर का झटका अपने लंड से नीलम की बूर पर साड़ी के ऊपर से ही मारा, नीलम एकदम से कराह उठी- बाबू, धीरे, कितना मोटा तगड़ा है आपका, और दोनों एक दूसरे को ताबड़तोड़ चूमने लगे, बिरजू ने नीलम के निचले होंठों को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगा, नीलम ने भी मस्ती में आँखें बंद कर ली और अपने बाबू के होंठों का आनंद लेने लगी, कभी बिरजू नीचे वाले होंठों को चूसता तो कभी ऊपर वाले होंठों को चूसता, नीलम भी बेताहाशा सिसकने लगी और आआ आआआहहहह...........सी......आआ आआआहहहह.......सी......ओओओफ़फ़फ़फ़.......करने लगी,

बिरजू- बेटी, अपनी जीभ निकाल न।

नीलम ने अपनी जीभ बाहर निकाल कर नुकीली बना ली।

बिरजू ने भी अपनी जीभ नुकीली बनाई और अपनी जीभ के नोक को अपनी बेटी की जीभ के नोक से छुआने लगा (जैसे हम दो बिजली के तारों को छीलकर आपस में छुआते हैं और छूते ही उनमे चिंगारियां निकलती हैं), दोनों के जीभ के नोक आपस में छूने से बिरजू और नीलम के बदन में झनझनाहट सी होने लगी, नीलम ने अपनी जीभ और कस के बाहर निकाल ली, बिरजू अपनी जीभ को नीलम की जीभ के किनारे गोल गोल घुमाने लगा, नीलम का पूरा बदन मस्ती में झनझना जा रहा था, वो भी अपनी जीभ को अपने बाबू की जीभ से लड़ाने लगी, कभी बिरजू अपनी बेटी की जीभ को मुँह में भरकर चूसने लगता और फिर अपनी जीभ निकाल लेता और फिर नीलम अपने बाबू की जीभ को मुँह में भरकर चूसती, कभी दोनों जीभ लड़ाने लगते, माहौल बहुत गर्म होता जा रहा था, नीलम वासना से सराबोर होकर मस्ती में बहते हुए बेकाबू होती जा रही थी, उसका बदन बार बार गुदगुदा जाता, जीभ लड़ाने से बार बार उठने वाली गुदगुदी से पूरा बदन सनसना जाता, सिसकियां और कामुक सिसकारियां काफी तेज हो चुकी थी।

काफी देर ऐसे ही जीभ मिलन का खेल खेलने के बाद एकाएक बिरजू ने अपनी पूरी जीभ नीलम के मुँह में डाल दी और पूरे मुँह में हर तरफ गुमाते हुए अपनी बेटी के मुँह का चप्पा चप्पा जीभ से छूकर चूमने से लगा, नीलम का बदन गनगना गया, मस्ती में आँखें बंद कर वो तड़पते हुए अपने बदन को ऐंठकर अपने बाबू से लिपट गयी, जीभ चुसाई का खेल भी इतना मादक होगा इसका उसे आज से पहले आभास नही था, न ही ऐसा मजा पहले कभी आया था, वो बस अभी तक यही जानती थी कि संभोग का मतलब सिर्फ चूत में लंड डालना ही होता है, उसे क्या पता था कि शरीर के हर अंग के खेल का संभोग में अलग ही मजा है, और इन सबमे उसके बाबू इतने निपुड़ हैं, इस बात को सचकर ही वो वासना से गदगद हो गयी, समझ गयी कि अब जाकर उसे सही मर्द मिला है जो उसे अच्छे से चोदकर औरत बना देगा, एक अच्छे कलात्मक संभोग के बिना नारी कितनी अधूरी रहती है ये आज उसे पता चला था, वो संभोग ही क्या जिसमे औरत के जिस्म से अच्छे से खेला न गया हो, ये बात तो वो समझ ही गयी थी कि उसके बाबू के अंदर धैर्य बहुत है और औरत को एक अच्छी चुदाई के लिए कैसे तैयार किया जाता है ये उसके बाबू को बखुबी पता है।

काफी देर तक बिरजू नीलम के मुँह में अपनी जीभ डाले मस्ती करता रहा और नीलम अपने सगे बाबू की जीभ को मुँह में भरकर पीती रही फिर बिरजू ने अपनी जीभ बाहर निकाल ली तो नीलम ने अब अपनी जीभ अपने बाबू के मुँह में भरकर मस्ती करनी शुरू कर दी, अपनी बेटी की अत्यंत नरम नरम पूरी जीभ अपने मुँह में पाकर बिरजू भी गनगना गया, रसमलाई के समान अपनी ही सगी बेटी की नरम मुलायम जीभ को मुँह में भरकर बिरजू बड़ी तन्मयता से चूसने लगा, काफी देर तक चूसता रहा। नीलम झनझनाहट में थरथराती जा रही थी, अद्भुत आनंद में दोनों खो गए।

कुछ देर बाद बिरजू- बेटी

नीलम- हां बाबू

बिरजू- मुझे बूर दिखा न अपनी

नीलम- बाबू लालटेन जलाइए न,

बिरजू ने उठकर लालटेन जलाई और बरामदे में पलंग के बगल में एक चादर भी टांग दिया ताकि ओट हो जाये, क्योंकि लालटेन जलने से रोशनी हो गयी थी और बाहर द्वार तक भी रोशनी जा रही थी, पलंग के बगल में चादर टांगने से रोशनी बाहर जाना काफी हद तक बंद हो गयी, बिरजू अपनी बेटी के पास आया और लालटेन बिल्कुल बगल में रख लिया, नीलम पलंग पर चित लेटी हुई थी, दोनों लालटेन की रोशनी में एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा उठे, नीलम ने जैसे ही शर्मा कर अपने चेहरे को अपने दोनों हांथों से ढकने के लिए उठाया बिरजू की नजर अपनी सगी बेटी की कांख पर पड़ी, दोनों कांख पसीने से गीली हो गयी थी, कांख की जगह पर लाल ब्लॉउज गीला हो गया था और पसीने की बहुत मनमोहक महक आ रही थी, नीलम ने तो शरमा कर अपना चेहरा दोनों हांथों से ढक लिया पर उसे नही पता था कि उसके बाबू की नज़र कहाँ पर है।

बिरजू अपनी सगी बेटी की पसीने से भीगी कांख ब्लॉउज के ऊपर से देखकर बेकाबू हो गया और उसके ऊपर चढ़ने लगा, जैसे ही वो अब लालटेन की रोशनी में अपनी बेटी के ऊपर लेटा नीलम की जोर से आआआआआहहहहहह निकल गयी, बिरजू ने नीलम के चेहरे से बड़े प्यार से दोनों हाँथ हटाये तो नीलम मुस्कुरा कर अपने बाबू के चेहरे को बड़े प्यार से देखने लगी। बिरजू ने अपना मुँह जैसे ही अपनी बेटी के बाएं कंधे पर लगाया और फिर धीरे से दायीं कांख में मुँह घुसेड़ने लगा तो पहले तो नीलम समझ नही पाई फिर मुस्कुरा कर अपना हाथ उठा कर अपनी कांख खोल दी बिरजू ने नाक लगा कर अपनी सगी बेटी के मदहोश कर देने वाले पसीने को जोर से सुंघा तो नीलम भी सिसक पड़ी और अपने दूसरे हाँथ से उसने अपने बाबू के सर को सहलाते हुए अपनी कांख में दबा दिया, बिरजू ब्लॉउज के ऊपर से ही कांख को चाटने और सूंघने लगा, नीलम को गुदगुदी भी हो रही थी और मजा भी आ रहा था। वो धीरे धीरे आंखें बंद करती चली गयी और सिसकने लगी।

बिरजू अपनी सगी बेटी के पसीने की गंध को सूंघ सूंघ कर पागल होता गया, नीलम ने दूसरा हाँथ भी उठा लिया और बिरजू अपनी बेटी का इशारा समझ दूसरी कांख पर भी टूट पड़ा वो इतना मदहोश हो गया था कि उसने ब्लॉउज को पकड़कर फाड़ ही दिया और ऐसा फाड़ा की केवल कांख पर झरोखा सा बन गया काले काले हल्के हल्के बाल साफ दिखने लगे, चचरर्रर्रर्रर्रर की आवाज से ब्लॉउज फटा तो नीलम मादकता में और मदहोश हो गयी सिसकते हुए बोली- बाबू अपनी बेटी की इज़्ज़त लूटोगे क्या?

बिरजू- मन तो कर रहा है मेरी बेटी की तेरी इज्जत लूट लूं।

ये सुनकर नीलम और वासना में भर गई और बोली- हाय बाबू....सारे कपड़े फाड़ के अपनी सगी बेटी की इज़्ज़त को तार तार करोगे?

बिरजू- आह....हाँ मेरी बेटी, मन तो कर रहा है कि तेरे कपड़े फाड़ डालूं और तेरी इज़्ज़त को तार तार कर दूँ।

नीलम को अपने बाबू के मुँह से आज ये सब पहली बार सुन सुनके बहुत जोश चढ़ रहा था वासना की तरंगें पूरे बदन में दौड़ रही थी। नीलम जानबूझ के दिखाने के लिए सिसकते हुए बोलने लगी- नही बाबू, ये पाप है न, कोई पिता अपनी सगी बेटी की इज़्ज़त तार तार करता है क्या?.....आआआआआहहहह

ऐसा कहकर नीलम खुद भी सिसक गयी

बिरजू- मैं तेरी जवानी चखे बिना नही रह सकता अब मेरी बेटी, तेरी जवानी का मक्ख़न मुझे अब खाना है।

नीलम- हाय... बाबू....ऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़..... पर ये गलत है न, कोई जान जाएगा तो क्या कहेगा, की बाप बेटी आपस में करते है, मैं किसी को क्या मुँह दिखाउंगी, ये महापाप है न बाबू, महापाप (नीलम ने महापाप शब्द पर जोर देकर बोला)

तभी बिरजू ने कराहते हुए लंड से एक घस्सा बूर पर साड़ी के ऊपर से ही मारा तो नीलम वासना में कराह उठी फिर बोली- बाबू......मैं आपके बच्चे की माँ बन जाउंगी न, मेरी कोख में आपका बीज आ जायेगा, आआआआहह ह....बाबू, किसी को पता चलेगा तो, की मैं आपसे गर्भवती हुई हूँ तो मेरे बाबू........बेटी के साथ ये गलत काम मत करो बाबू........बाप बेटी का मिलन गलत है न बाबू........अपनी बेटी को बक्श दो, ये महापाप मत करो बाबू, अम्मा जान जाएगी तो, अनर्थ हो जाएगा बाबू।

नीलम वासना में बोले भी जा रही थी और बेताहाशा अपने बाबू को चूमे और सहलाये भी जा रही थी, बिरजू अपनी बेटी का ऐसा कामुक खेल सुनकर बहुत उत्तेजित हो गया, वो तो जीभ से बस नीलम की दोनों कांखों को बदल बदल कर चाटे जा रहा था, नीलम की कांख अपने बाबू के थूक से बिल्कुल भीग गयी, कांख पर हल्के हल्के बाल थूक से बिल्कुल सन गए थे, नीलम वासना में आंखें बंद किये ये सब बोले और सिसके जा रही थी, और अपने हांथों से अपने बाबू के सर को सहलाये जा रही थी। जब बिरजू दायीं कांख को चाटता तब नीलम बाएं हाँथ से बिरजू के सर को सहलाती और जब वो बायीं कांख को चाटता तब वो दाएं हाँथ से सर को सहलाती।

बिरजू ने रुककर नीलम को देखा तो वो भी अपने बाबू को वसन्तामयी आँखों से देखने लगी और अपनी कही गयी बातें सोचकर मुस्कुरा दी, बिरजू बोला- अपनी सगी बेटी की इज़्ज़त तो मैं लूटकर रहूंगा, चाहे जो हो।

नीलम- हाय.... बाबू....तो लूटिए न....आपकी बेटी तो सिर्फ आपकी है।

बिरजू- पाप का मजा कुछ और ही है, किसी को कैसे पता चलेगा, तेरी अम्मा को भी कैसे पता चलेगा मेरी बेटी, तेरी कोख में मेरा बच्चा होगा तो कितना मजा आएगा।

ऐसा कहकर बिरजू ने लंड को साड़ी के ऊपर से ही रगड़ने लगा तो नीलम तड़प गयी।

बिरजू नीलम को और ताबड़तोड़ चूमने लगा फिर से कांख को चाटने और चूमने लगा, कभी कभी गालों, होंठों और गर्दन पर चूमता, कान के नीचे गर्दन पर अपने होंठ रगड़ता, तो नीलम गनगना जाती और उसे बातों में रोमांच आ रहा था तो वो दुबारा सिसकते हुए बोलने लगी- हाँ बाबू, इस पाप का तो मजा ही कुछ और है, मुझे भी बहुत मजा आ रहा है, हम छुप छुप के ये पाप किया करेंगे किसी को क्या पता चलेगा आआआआआआआहहहह ........बाबू हाय...

बिरजू- हाँ मेरी बेटी हम ये पाप छुप छुप के करेंगे और इसका भरपूर आनंद लिया करेंगे।

नीलम- हाय मेरे बाबू, लंड और बूर का कोई रिश्ता नही होता न बाबू (नीलम बहुत वासना से नशे में हो चुकी थी)

बिरजू- हाँ मेरी बेटी, इन दोनों का कोई रिश्ता नही होता, ये तो बस होते ही मिलाने के लिए है, लंड और बूर एक दूसरे से मिलाने के लिए ही बने हैं

नीलम- हाहाहाहाहाहाययययययययययययय.........मेरे बाबू.......आपने तो मुझे मस्त कर दिया, कितना मजा आ रहा है गंदी बात करने में......आआआआआहहहहह.....इस गंदेपन में भी कितना मजा है।

बिरजू- बेटी

नीलम- हाँ मेरे बाबू

बिरजू- मुझे बूर दिखा न अपनी खोलके

नीलम- उठो फिर बाबू

बिरजू उसके ऊपर से उठा और पैर के पास बैठ गया नीलम ने अपनी लाल साड़ी को उठाकर सिर इतना ऊपर किया कि वो बस घुटनों तक ही रही पैर को उसने हल्का मोड़कर उठा लिया और फैला लिया अब साड़ी का एक गोल झरोखा से बन गया उस झरोखे के अंदर लालटेन की माध्यम रोशनी में अपनी सगी बेटी की मोटी मोटी मांसल केले के तने के समान सख्त जाँघे और जाँघों के जोड़ पर कसी हुई कच्छी देखकर बिरजू बौखला गया, आंखें फाड़े वो अपनी सगी बेटी की सुंदरता को देखता रह गया, काली रंग की कच्छी में कसी हुई फूली हुई बूर, आआआआआहहहहह, बिरजू एक टक अपनी बेटी की बूर को कच्छी के ऊपर से ही देखता रहा, तभी नीलम ने बड़ी अदा से सिसकते हुए अपना सीधा हाँथ बगल से लाकर अपनी कच्छी पर रखा और एक दो बार अपने बाबू को दिखाते हुए अपनी उंगली से अपनी बूर को कच्छी के ऊपर से ही सहलाया, बिरजू मदहोश हो गया।

नीलम ने सिसककर ये बोलते हुए की "देखो बाबू आपके लिए ये कितनी प्यासी है" महकती बूर के ऊपर से कच्छी को थोड़ा सा साइड करके अपनी प्यासी बूर को अपने बाबू की एक टक देखती आंखों के सामने खोल दिया, फिर उसने पैर को और अच्छे से फैलाया और कच्छी को और साइड करके पूरी बूर को अच्छे से अपने बाबू को दिखाया, यहां तक कि नीलम ने लालटेन को उठाकर अपने दाएं पैर के बिल्कुल बगल रख दिया, बिरजू तो एक अपनी सगी बेटी की दहकती महकती बूर को देखता रह गया, ऊऊऊऊऊऊफफफफ़फ़फ़फ़फ़ क्या कयामत बूर थी नीलम की, कितनी बड़ी और चौड़ी सी थी वो ऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़, और उसपर वो हल्के हल्के काले काले बाल लालटेन की रोशनी में बूर साफ दिख रही थी, नीलम के पैर फैला लेने को वजह से बूर की मोटी मोटी मदहोश कर देने वाली फांकें हल्की सी खुल गयी थी, पेशाब और कामरस की भीनी भीनी खुशबू फैलने लगी, रसभरी बूर की मखमली फांकों के बीच से लिसलिसा कामरस हल्का हल्का बह रहा था, क्या बूर थी नीलम की....हाय, दोनों मोटी मोटी फाँकों के बीच गुलाब की पंखुड़ियों के समान नरम नरम दो पतली पतली पंखुड़ियां थी और उसके बीच ऊपर के तरफ मदहोश कर देने वाला भगनासा, कैसे जोश में फूला हुआ था वो, कैसे बाहर आ चुका था फूलकर, खिलकर। साइड साइड बालों की वजह से हल्का सा काला सा था और फांकें खुलने की वजह से बीच में गुलाबी गुलाबी।

नीलम मदहोशी में मुस्कुराते हुए अपने बाबू को अपनी बूर एक टक आंखे फाड़े देखते हुए देखे जा रही थी, उसने दाएं हाथ से अपनी कच्छी को पकड़कर साइड खींच रखा था और पैर दोनों अच्छे से फैला रखे थे, लाल साड़ी में गोरी गोरी जाँघों के बीच काली कच्ची के अंदर हल्के हल्के काले काले बालों से घिरी नीलम की बूर ने उसके बाबू को सम्मोहित सा कर दिया, उसपर नीलम ने एक काम और किया कि अपने दाएं हाथ को अपनी बूर पर ले गयी और उंगलियों को पहले तो फांकों पर दो तीन बार रगड़ा फिर फांकों की दरार में कराहते हुए रगड़ा और फिर एकदम से दोनों फांकों को दो उंगलियों से फैला दिया, फांक फैलने से बीच की गुलाबी पंखुड़ी भी खुल गयी और छोटा सा बूर का छेद लाल लाल दिखने लगा, बिरजू बौखला गया, नीलम सिसकते हुए ये सब करते हुए अपने बाबू को कामांध होकर निहारे जा रही थी।

जैसे ही बिरजू पागलों की तरह फैली हुई बूर पर टूटा नीलम ने एकदम से बूर को हाँथ से ढक लिया बिरजू के होंठ एकदम से उसके हाँथ पर जाकर पड़े, बिरजू ने बदहवासी में एकदम से नीलम की ओर देखा तो वो वासना में अपने बाबू की ओर ही देख रही थी वो अत्यधिक वासना में भरकर बोली- बाबू, एक बार पहले हल्का सा बोर दीजिए मेरी बूर में, बहुत मन कर रहा है मेरा, रहा नही जा रहा अब।

नीलम ने आग्रह किया

बिरजू- क्या मेरी रानी बेटी, क्या बोर दूँ हल्का सा

नीलम ने सिसकते हुए अपने बाबू से कहा- अपना लंड, अपना लंड बाबू, मोटा सा लंड, एक बार अपनी सगी बेटी की पनियायी बूर में बोर दीजिए, बस एक बार हल्का सा डुबा दीजिए इसमें बाबू, फिर खूब चाटना बाद में, बहुत मन कर रहा है मेरा, थोड़ा सा बोरिये न मेरी बूर में अपना लंड, लंड के आगे का चिकना चिकना सा भाग खोलकर बूर पर रगडिये न बाबू. .......हाय।

नीलम ने इस अदा से निवेदन किया कि बिरजू अपनी बेटी की अदा पर कायल ही हो गया।

बिरजू- आआआआआहहहहहह......मेरी बेटी, तू अपने आप ही लंड खोलकर बूर में बोर ले न मेरी रानी, डुबो ले जितना तेरा मन करे, ये तो तेरी ही अमानत है मेरी बेटी।

इतना कहकर बिरजू अपने दोनों हाँथ नीलम की कमर के अगल बगल टिकाकर नीलम के ऊपर झुक सा गया और अपनी बेटी की आँखों में देखने लगा दोनों मुस्कुरा दिए और कई बार एक दूसरे के होंठों को चूमा।

नीलम ने अपने एक हाँथ से कच्छी को साइड खींचा हुआ था और दूसरे हाँथ से उसने अपने बाबू के लोहे के समान हो चुके सख्त लंड को धोती के ऊपर से पकड़ लिया, 8 इंच लंबे और 3 इंच मोटे विशाल लंड को पकड़कर नीलम गनगना गयी, वासना की मस्ती उसके नसों में दौड़ गयी, कितना बड़ा लन्ड था बिरजू का, उसके बाबू का, उसपर वो उभरी हुई नसें, नीलम की मस्ती में आआआआहहहह निकल गयी।


नीलम- ओह बाबू कितना सख्त हो रखा है आपका लंड, कितना मोटा है ये.......हाय........ कितना लंबा है.......ऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़


बिरजू- हाँ मेरी बेटी ये सिर्फ और सिर्फ अब तेरा है।


नीलम ने कुछ देर पूरे लन्ड को आँहें भरते हुए सहलाया फिर दूसरे हाँथ से कच्छी को छोड़कर हाँथ को पीछे कमर पर ले गयी और धोती को कमर पर से ढीला किया, बिरजू ने अपनी बेटी की आंखों में देखते हुए अपनी धोती को खोलने में मदद की, धोती काफी हद तक ढीली हो गयी थी बिरजू ने एक हाँथ से धोती खोलकर बगल रख दी, नीचे से वो पूरा नंगा हो गया ऊपर बनियान पहनी हुई थी, अपनी बेटी के ऊपर वो दुबारा झुक गया और उसकी आँखों में देखते हुए उसे चूम लिया, नीलम सिसकते हुए अपने बाबू के निचले नग्न शरीर पर हाँथ फेरने लगी, उसने जाँघों को छूते हुए बिरजू के लन्ड के ऊपर के घने बालों में हाँथ फेरा और फिर लंड को पकड़कर कराहते हुए सहलाने लगी, नीलम
लंड को मुट्ठी में पकड़कर पूरा पूरा सहलाने लगी, सिसकते हुए सहलाते सहलाते वो नीचे के दोनों बड़े बड़े आंड को भी हथेली में भरकर बड़े प्यार से दुलारने लगी और सहलाने लगी,
अपनी बेटी की नरम मुलायम हांथों की छुअन से बिरजू की नशे में आंखें बंद हो गयी।


नीलम ने सिसकते हुए अपने एक हाँथ से अपनी कच्छी को दुबारा साइड किया और दूसरे हाँथ से लंड को सहलाते हुए बड़े प्यार से उसकी आगे की चमड़ी को पीछे की तरफ खींचकर खोला, दो बार में उसने लन्ड की चमड़ी को उतारा, खुद ही तेजी से ऐसा करते हुए जोश में सिसक पड़ी, क्योंकि एक सगी बेटी के लिए अपने ही सगे पिता के लंड की चमड़ी खोलना बहुत ही वासना भरा होता है


पहली बार में तो उसने चमड़ी को सिसकते हुए खाली फूले हुए सुपाड़े तक ही उतारा और चिकने सुपाड़े पर बड़े प्यार से उंगलिया फेरते हुए कराहने लगी मानो 100 बोतलों का नशा चढ़ गया हो, दोनों बाप बेटी एक दूसरे की आंखों में नशे में देख रहे थे, बिरजू नीलम की कमर के दोनों तरफ अपना हाथ टिकाए उसके ऊपर झुका हुआ था और नीलम अपने दोनों पैर फैलाये साड़ी को कमर तक उठाये एक हाथ से अपनी कच्ची को साइड खींचें हुए, दूसरे हाँथ से अपने बाबू का लंड सहलाते हुए उसकी आगे की चमड़ी को पीछे को खींचकर उतार रही थी।


नीलम के मुलायम हाँथ अपने चिकने संवेदनशील सुपाड़े पर लगते ही बिरजू आँहें भरने लगा, अपने बाबू को मस्त होते देख नीलम और प्यार से उनके सुपाड़े को सहलाने और दबाने लगी, अपने अंगूठे से नीलम ने अपने बाबू के लंड के पेशाब के छेद को बाद प्यार से रगड़ा और सहलाया, उसकी भी मस्ती में बार बार आंखें बंद हो जा रही थी, बार बार सिरह जा रही थी वो, बदन उसका गनगना जा रहा था मस्ती में, फिर उसने अपने बाबू के लंड की चमड़ी को खींचकर पूरा पीछे कर दिया और अच्छे से अपने बाबू के पूरे लंड को अपने मुलायम हांथों से सहलाने लगी।


फिर काफी देर सहलाने के बाद नीलम ने एक हाँथ से अपनी कच्छी को साइड किया और अपने बाबू के लंड को अपनी बूर की रसीली फांकों के बीच रख दिया, जैसे ही नीलम ने बूर पे लंड रखा दोनों बाप बेटी मस्ती में जोर से सीत्कार उठे-


नीलम-आआआआआआआआआआआहहहहहहहहहह...........ईईईईईईईशशशशशशशशश..........हाहाहाहाहाहाहाहाहायययययय........बाबू....…...आआआआआआहहहहह


बिरजू- आआआआआआहहहहह.......मेरी बेटी.....कितनी नरम है तेरी बूबूबूबूररररर..........ऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़........मजा आ गया।


आज जीवन में पहली बार बिरजू के लंड ने अपनी सगी बेटी के बूर को छुआ था, इतना असीम आनंद मिलेगा कभी सपने में भी नही सोचा था, नीलम कराहते हुए अपने बाबू के लंड का सुपाड़ा अपनी दहकती बूर की फांक में रगड़ती जा रही थी, दोनों के नितम्ब हल्का हल्का मस्ती में थिरकने लगे, बिरजू हल्का हल्का लंड को बूर की फांक में खुद रगड़ने लगा, पूरे बदन में चिंगारियां सी दौड़ने लगी, बूर से निकलता लिसलिसा रस लंड के आगे के चिकने भाग को अच्छे से भिगोने लगा, नीलम ने एक हाँथ से कच्छी को साइड खींचा हुआ था पर अब उसने उसको छोड़कर वो हाँथ अपने बाबू के हल्के हल्के धक्का लगाते चूतड़ पर रख कर कराहते हुए सहलाने लगी, बीच बीच में हाँथ से उनके चूतड़ को अपनी बूर की तरफ मचलते हुए दबा देती, दहाड़ते लंड का मोटा सा सुपाड़ा मखमली बूर की फाँकों में ऊपर से नीचे तक रगड़ खाने लगा, बिरजू को इतना मजा आया कि वह धीरे धीरे अपनी सगी बेटी के ऊपर लेटता चला गया, नीलम अपने दोनों हांथों को वहां से हटा कर बड़े प्यार से अपने बाबू को अपनी बाहों में भरकर मस्ती में दुलारने लगी, अत्यंत नशे में दोनों की आंखें बंद थी।


बिरजू अपनी बेटी के बाहों में समाए, उसपर लेटे हुए अपनी आंखें बंद किये अपने लंड को बूर की फाँकों में रगड़ते हुए नरम नरम फांकों का आनंद लेने लगा। नीलम हल्का हल्का मस्ती में आंखें बंद किये आआआहहहह ह......आआआहहहहह करने लगी।


नीलम ने बड़ी मुश्किल से अपनी नशीली आंखें खोली और लालटेन को बुझा दिया, गुप्प अंधेरा हो गया, नीलम का सारा ध्यान सिर्फ अपने बाबू के मोटे दहकते लन्ड पर था जो कि लगातार धीरे धीरे उसकी सनसनाती बूर की रसीली फांकों में नीचे से ऊपर तक बार बार लगातार रगड़ रहा था, वो मुलायम चिकना सुपाड़ा बार बार जब नीलम की बूर के फांकों के बीच भागनाशे से टकराता तो नीलम का बदन जोर से झनझना जाता, पूरे बदन में सनसनाहट होने लगती।


नीलम ने कराहते हुए अपने दोनों पैर मोड़कर अच्छे से फैला रखे थे, बिरजू एक लय में अपने मोटे लंड को अपनी सगी बेटी की बूर की फांकों में रगड़ रहा था, नीलम भी मादक सिसकारियां लेते हुए धीरे धीरे अपनी गांड को अपने बाबू के लंड से ताल से ताल मिला के उठाने लगी और अपनी बूर को नीचे से उठा उठा के लंड से रगड़ने लगी।


नीलम की कच्छी का किनारा बार बार बिरजू के लंड से रगड़ रहा था तो बिरजू ने धीरे से नीलम के कान में बोला- बेटी


नीलम- हाँ मेरे बाबू


बिरजू- अपनी कच्छी पूरा उतार न, तब अच्छे से मजा आएगा।


नीलम- हाँ बाबू उठो जरा।


बिरजू नीलम के ऊपर से उठ जाता है उसका लंड भयंकर जोश में झटके लिए जा रहा, 8 इंच लंबा लंड पूरा खुला हुआ था, लोहे के समान सख्त और खड़ा था, नीलम ने कराहते हुए अपनी छोटी सी कच्छी निकाल फेंकी और जल्दी से अपनी साड़ी भी खोल कर अंधेरे में बगल में रख दी, अब नीलम के बदन पर सिर्फ ब्लॉउज रह गया था नीचे से वो बिल्कुल नंगी हो गयी थी।


अपनी सगी बेटी को इस तरह अपने बाप के सामने आज पूरी नंगी होते देख बिरजू वासना में कराह उठा, अंधेरा तो जरूर था पर फिर भी आंखें तो अब अभ्यस्त हो ही गयी थी काफी हद तक दिख रहा था, बिरजू अपनी सगी बेटी का पुर्णतया नग्न निचला हिस्सा देखकर बौरा गया, नीलम ने कच्छी और साड़ी उतारकर फिर से अपनी दोनों जांघें अच्छे से फैला लो और अपनी बूर को अंधेरे में अपने बाबू को परोस दिया, बिरजू एक पल तो अपनी बेटी की मादक सुंदरता को देखता रह गया, फिर एकएक कराहते हुए उसने अपनी सगी शादीशुदा बेटी के पैरों को एड़ी और तलवों से चाटना शुरू किया, नीलम तेजी से सिसक उठी,
दोनों पैरों की एड़ी, तलवों को अच्छे से चूमता चाटता वह आगे बढ़ा, घुटनों को चूमता हुआ वह जांघ तक पहुँचा, दोनों जाँघों को उसने काफी देर तक अच्छे से खाली चूमा ही नही बल्कि जीभ निकाल के किसी मलाई की तरह अच्छे से चाटा, नीलम वासना से गनगना गयी, बिरजू अपनी बेटी की अंदरूनी जांघों को अच्छे से चूम और चाट रहा था, नीलम रह रह कर झनझना जा रही थी।


जांघों को चाटते हुए वह महकती बूर की तरफ बढ़ा, बूर लगातार लिसलिसा काम रस बहा रही थी, बिरजू ने एकाएक बूर को मुँह में भर लिया और एक जोरदार रसीला चुम्बन अपनी सगी बेटी की बूर पर लिया, नीलम जोर से सिसकारते हुए चिंहुककर उछल सी पड़ी, बदन उसका पूरी तरह गनगना गया, कराहते हुए नीलम ने खुद ही एक हाँथ से अपनी महकती पनियायी बूर को चीर दिया और बिरजू मस्ती में आंखें बंद किये अपनी बेटी नीलम की बूर को लपा लप्प चाटने लगा, नीलम हाय हाय करने लगी, नीलम कभी अपनी बूर की फांकों को फैलाती तो कभी अपने बाबू के गाल को सहलाती, कभी जोश में झनझनाते हुए अपने बाबू की पीठ पर कस के नाखून गड़ा देती, नीलम के ऐसा करने से बिरजू को और भी जोश चढ़ जा रहा था और वो और तेज तेज बूर को चाटे जा रहा था।


नीलम जब अपनी उंगली से बूर की फांक को फैलाती तो बिरजू तेज तेज बूर की लाल लाल फांक में जीभ घुमा घुमा के चाटता, कभी फूले हुए भागनाशे को जीभ से छेड़ता कभी मुँह में भरकर चूसता, फिर कभी बेटी की बूर के छेद में जीभ डालता और जीभ को अंदर डाल के हल्का हल्का गोल गोल घुमाता।


नीलम वासना में पगला सी गयी, जोर जोर से सिसकने लगी, कराहने लगी, अपने बाबू के सर को कस कस के अपनी रसभरी बूर पर दबाने लगी, अपनी गांड को उछाल उछाल के अपनी बूर चटवाने लगी,


ओओओओहहहह..............बाबू...............हाय मेरी बूर...............कितना अच्छा लग रहा है बाबू................हाय आपकी जीभ................ऊऊफ्फफ................ चाटो ऐसे ही बाबू...................मेरी बरसों की प्यास बुझा दो....................आआआआआआहहहहह................मेरे बाबू..........मेरे राजा.............मेरी बूर की प्यास सिर्फ आपसे बुझेगी.......................सर्फ आपसे.....................ऐसे ही बूर को खोल खोल के चाटो मेरे बाबू........................अपनी बेटी की बूर को चाट चाट के मुझे मस्त कर दो...................ऊऊऊऊईईईईईई अम्मा..................... कितना मजा आ रहा है..............ऊऊऊऊऊफ़्फ़फ़फ़


काफी देर तक यही सब चलता रहा और जब नीलम से नही रहा गया तो उसने अपने बाबू को अपने ऊपर खींच लिया, बिरजू अपनी बेटी के ऊपर चढ़ गया, लन्ड एक बार फिर जाँघों के आस पास टकराता हुआ बूर पर आके लगा, लंड पहले से ही खुला हुआ था नीलम ने कराहते हुए लंड को पकड़ लिया और मस्ती में आंखें बंद कर अपनी बूर की फांकों को दुबारा फैला कर उसपे रगड़ने लगी।


नीलम ने जोर से सिसकते हुए अपने बाबू को अपनी बाहों में भर लिया और बिरजू अपने लंड को अपनी बेटी की बूर की फांक में तेज तेज रगड़ने लगा, जब झटके से लंड बूर की छेद पर भिड़ जाता और अंदर घुसने की कोशिश करता तो नीलम दर्द से चिहुँक जाती पर जल्द ही लन्ड उछलकर ऊपर आ जाता और भग्नासे से टकराता तब भी नीलम जोर से सिस्कार उठती।


नीलम ने अपने बाबू से सिसकते हुए बड़ी मादक अंदाज़ में कहा- बाबू...अच्छा लग रहा है सगी बेटी की बूर का स्वाद।


बिरजू- आह बेटी मत पूछ कितना मजा आ रहा है, कितनी नरम और रसीली बूर है मेरी बेटी की......हाय


नीलम अपने बाबू के मुँह से ये सुनकर शरमा ही गयी।


नीलम- बाबू


बिरजू- हाँ मेरी बेटी


नीलम- अब बोरिये न लंड अपना मेरी बूर में, रहा नही जाता अब, डुबाइये न अपना लंड मेरी बूर के रसीले छेद में।


बिरजू अपनी बेटी के मुँह से इतना कामुक आग्रह सुनकर वासना से पगला गया और उसने अपनी बेटी के दोनों पैरों को उठाकर फैलाकर अच्छे से अपनी कमर पर लपेट लिया, नीलम भी अच्छे से पैर फैलाकर लेट गयी और बिरजू ने अपने लंड का मोटा सुपाड़ा अपनी सगी शादीशुदा बेटी की रस बहाती महकती प्यासी बूर की छेद पर लगाया, नीलम की बूर बिल्कुल संकरी नही थी क्योंकि अक्सर वो अपने पति से चुदती रहती थी पर फिर भी पिछले दो महीने से वो चुदी नही थी और ऊपर से उसके बाबू का लंड उसके पति के लंड से डेढ़ गुना बड़ा और मोटा था। नीलम की बूर रस छोड़ छोड़ के बहुत रसीली हो चुकी थी, चिकनाहट भरपूर थी, बिरजू ने अपने विशाल लंड का दबाव अपनी बेटी की बूर की छेद में लगाना शुरू किया और अपने दोनों हाँथ नीचे ले जाकर अपनी बेटी की गांड को पकड़कर ऊपर को उठा लिया जिससे नीलम की बूर और ऊपर को उठ गई। नीलम से बर्दाश्त नही हो रहा था तो उसने कराहते हुए बोला- बाबू, डालिये न अपना मोटा लंड अपनी बेटी की बुरिया में, अब मत तड़पाओ बाबू।


बिरजू ने दहाड़ते हुए एक दो बार लंड को बूर के छेद पर फिरसे रगड़ा और एक हल्का सा धक्का मारा तो लंड फिसलकर ऊपर को चला गया, नीलम तेजी से वासना में चिहुँक उठी, हाहाहाहाहाहाहाहाहायययय .......अम्मा.......ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई,


बूर रस बहा बहा कर बहुत चिकनी हो गयी थी और उसका छेद बिरजू के लंड के सुपाड़े के हिसाब से काफी छोटा था, जैसे ही लंड फिसलकर ऊपर गया और तने हुए भागनाशे से टकराया नीलम तड़प कर मचल गयी आआआआआहहहह.......उई अम्मा, बिरजू ने जल्दी से बगल में रखा तकिया उठाया और नीलम की चौड़ी गांड के नीचे लगाने लगा, नीलम ने भी झट गांड को उठाकर तकिया लगाने में मदद की, तकिया लगने से अब नीलम की बूर खुलकर ऊपर को उठ गई थी, क्या रिस रही थी नीलम की बूर, तड़प तड़प के लंड मांग रही थी बस, नीलम फिर बोली- बाबू अब डालिये न, अब चला जायेगा, नही फिसलेगा, डालिये न बाबू, चोद दीजिए मुझे अब।


बिरजू ने जल्दी से लंड को दुबारा दहकती बूर के खुल चुके छेद पर लगाया और एक तेज धक्का दहाड़ते हुए मार, मोटा सा लंड कमसिन सी बूर के छेद को चीरता हुआ लगभग आधा मखमली बूर में समा गया, नीलम की जोर से चीख निकल गयी,


हाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाययययययय............बाबू..........आआआआहहहहहह............धीरे से बाबू...............फट गई मेरी बूर.............ओओओओओहहहहह बाबू............कितना मोटा है आपका.........बहुत दर्द हो रहा है बाबू...........ऊऊऊईईईईईईई.......अम्मा...............बस करो बाबू...........रुको जरा...............आआआआहहहहहह......कितना अंदर तक चला गया है एक ही बार में............आआआआहहहहहह


बिरजू की भी इतनी नरम कमसिन जवान बूर पा के मस्ती में आह निकल गयी,


बिरजू ने झट उसके मुँह पर हाथ रख दिया, नीलम का पूरा बदन ही ऐंठ गया, चार सालों से वो अपने पति से चुदवा रही थी लेकिन बूर उसकी आज जाके फटी थी, आज उसे पता चला था कि असली लंड क्या होता है, उसे अब असली मर्द मिला था और वो थे उसके अपने सगे पिता।


बिरजू ने झट से नीलम के मुँह को दबा लिया उसकी आवाज अंदर ही गूंजकर रह गयी, एक हांथ से बिरजू ने अंधेरे में ही नीलम का ब्लॉउज खोल डाला और ब्रा का बटन पीछे से खोलने लगा तो उससे खुल नही रहा था, नीलम ने दर्द से कराहते हुए ब्रा खोलकार अपने बाबू की मदद की और ब्लॉउज और ब्रा को निकालकर बगल रख दिया, बिरजू अपनी बेटी की इस वफाई पर कायल हो गया एक तो उसको काफी दर्द भी हो रहा था फिर भी वो अपने बाबू को अपना प्यार दे रही थी, ब्लॉउज और ब्रा खोलकर उसने खुद ही उतार दिया, इतना प्यार सिर्फ एक बेटी ही अपने पिता को दे सकती है, बिरजू ने बड़े प्यार से अपनी बेटी को चूम लिया।


नीलम की बड़ी बड़ी मादक तनी हुई विशाल चूचीयाँ उछलकर बाहर आ गयी, उन्हें देखकर बिरजू और पागल हो गया, निप्पल तो कब से फूलकर खड़े थे नीलम की चूची के, दोनों चूचीयों को देखकर बिरजू उनपर टूट पड़ा और मुँह में भर भरकर पीने लगा, दोनों हांथों से कस कस के दबाने लगा, कभी धीरे धीरे सहलाता कभी तेज तेज सहलाता, लगातार दोनों चूचीयों को पिये भी जा रहा था, निप्पल को बड़े प्यार से चूसे जा रहा था, लगतार अपने बाबू द्वारा चूची सहलाने, मीजने और चूमने, दबाने से नीलम का दर्द कम होने लगा और वो हल्का हल्का फिर सिसकने लगी, आह....सी......आह.... सी......ओह बाबू....ऐसे ही.....और चूसो......दबाओ इन्हें जोर से.........हाँ मेरे बाबू......पियो मेरी चूची को.........आह, बोलते हुए नीलम सिसकने लगी, उसका दर्द अब मस्ती में बदलने लगा, अपनी बेटी की मखमली रिसती बूर में अपना आधा लंड घुसाए बिरजू बदहवासी में उसे चूमे चाटे जा रहा था।


बिरजू ने नीलम के मुँह पर से हाँथ हटा लिया पर अभी भी वो दर्द से हल्का सा कराह दे रही थी, बिरजू ने उसे बाहों में भर लिया और नीलम भी अपने बाबू से मस्ती में कराहते हुए लिपट गयी, बिरजू नीलम को बेताहाशा चूमने लगा, नीलम की दर्द भरी कराहटें अब पूरी तरह मीठी सिसकियों में बदल रही थी, बिरजू अपनी बेटी के होंठों को अपने होंठों में भरकर चूसने लगा, नीलम ने भी मस्ती में अपने बाबू के चेहरे को बड़े प्यार से अपने हांथों में लिया और आंखें बंद कर उनका साथ देने लगी, बिरजू ने हल्का सा अपनी गांड को गोल गोल घुमाया तो लन्ड बूर की रस भरी दीवारों से घिसने लगा, नीलम को ये बहुत अच्छा लगा और वो अपने बाबू का मोटा सा मूसल जैसा लंड अपनी बूर में अच्छे से महसूस करने लगी, कितना अच्छा लग रहा था अब, नीलम की तो नशे में आंखें बंद हो गयी।


नीलम ने खुद ही अब नशे में अपना हाँथ अपने बाबू की गांड पर ले जाकर उसे हल्का सा आगे की तरफ दबा कर और लंड डालने का इशारा किया, बिरजू अपनी बेटी के इस आमंत्रण पर गदगद हो गया और उसे चूमते हुए एक जोरदार धक्का गच्च से मारा, इस बार बिरजू का 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड पूरा का पूरा नीलम की रस बहाती बूर में अत्यंत गहराई तक समा गया, नीलम की दर्द के मारे फिर से चीख निकल गयी पर इस बार उसने खुद ही अपना मुँह अपने बाबु के कंधों में लगाते हुए दर्द के मारे उनके कंधों पर दांत गड़ा दिए और उसके नाखून भी बिरजू की पीठ पर गड़ गए, बिरजू वासना में कराह उठा, एक बाप का लंड सगी बेटी की बूर की अत्यंत गहराई में उतर चुका था, पूरी बूर किसी इलास्टिक की तरह फैलकर लंड को जकड़े हुए थी।


बिरजू का लंड अपनी सगी बेटी की दहकती बूर के छेद की मखमली दीवारों को चीरकर उसे खोलता हुआ इतनी गहराई तक समा चुका था कि नीलम बहुत देर तक अपनी उखड़ती सांसों को संभालती रही, अपने बाबू के कंधों में मुँह गड़ाए काफी देर सिसकती रही और बीच बीच में गनगना कर कस के अपने बाबू से लिपट जाती और उनकी पीठ को दबोच कर दर्द से कराह जाती, बिरजू अपनी बेटी को बड़े प्यार से बार बार चूमने लगा, उसके पूरे बदन को वो बड़े प्यार से सहलाने लगा, कमर, जाँघे, पैर, बगलें, कंधे, गाल, गर्दन, और मस्त मस्त दोनों सख्त चूचीयाँ वो बार बार लगातार सहलाये जा रहा था साथ ही साथ लगातार उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसे जा रहा था।


नीलम को अपने बाबू का लंड अपनी बूर में इतनी गहराई तक महसूस हुआ कि वो दर्द के मारे एक पल के लिए दूसरी दुनियाँ में ही चली गयी, अभी तक जो लंड नीलम की बूर में जाता था वो बस इसका आधा ही जाता था और नीलम को लगता था कि बूर में बस इतनी ही जगह है पर आज उसे पता चल गया कि उसके बाबू के लंड ने उसकी मखमली बूर की अनछुई रसभरी गहराई को भेदकर, वहां तक अपना अधिकार स्थापित कर दिया है, उसकी बूर की अत्यंत गहराई में छुपे रसीले अनछुए रस को आज उसके बाबू का लंड वहाँ तक पहुंचकर बड़े अधिकार से उसपर विजय पताका फहरा कर बड़े प्यार से उसे अपना इनाम समझ कर पी रहा है और नीलम की मखमली बूर की रसभरी अंदरूनी दीवारें इस छोर से लेकर उस छोर तक पूरे 8 इंच लंबे 3 इंच मोटे लंड से पूरी तरह कसकर लिपटी हुई उस मेहमान का बड़े ही दुलार से चूम चूम के बूर के अंदर आने का जमकर स्वागत कर रही थी, पहले जो लंड आता था उससे खून का रिश्ता नही था पर आज जो लंड बूर में आया है उससे उनका खून का रिश्ता है, जैसे कोई राजकुमार कई वर्षों बाद अपने राजमहल में प्रवेश कर गया हो और हर तरफ खुशियां ही खुशियां, उत्साह ही उत्साह हो, दासियाँ उसपर फूल बरसा रही हो, क्यूंकि इतना आनंद तो खून के रिश्ते से ही आता है, ठीक उसी तरह बेटी की बूर की मखमली रसभरी अंदरूनी दीवारें उसके अंदर पूरी तरह घुसे हुए बाप के लंड से लिपटी उसे चूम चूम के उसका स्वागत कर रही थीं मानो कह रही हों कि अब तक कहाँ थे आप, कब से तरस गयीं थी हम आपको छूने और चूमने के लिए।


नीलम को ये सब महसूस कर दर्द के साथ साथ एक तरह से असीम आनंद भी होने लगा, बिरजू अपनी बेटी को उसकी बूर में अपना पूरा लंड ठूसे लगातार चूमे और सहलाये जा रहा था, वह नीलम के होंठों को अपने होंठों में भरकर पीने लगा, नीलम को अब फिर मजा आने लगा, दर्द सिसकियों में बदलना शुरू हो गया, लिपट गयी वो खुद ही अपने बाबू से अच्छी तरह और ताबड़तोड़ चूमने लगी बिरजू को, बिरजू समझ गया कि अब उसकी सगी बेटी तैयार है बूर चुदवाने के लिए, नीलम की बूर से लगातार रस बह रहा था।


काफी देर तक लंड बूर में पड़े रहने से बूर उसको अच्छे से लीलकर अभ्यस्त हो गयी थी।
बिरजू ने अपनी बेटी के पैरों को अपने कमर पर अच्छे से लपेटते हुए धीरे से लंड को थोड़ा बाहर खींचा और गच्च से दुबारा बूर की गहराई में उतार दिया, नीलम मीठे मीठे दर्द से सिरह उठी, बिरजू बार बार ऐसा ही करने लगा वह थोड़ा सा लंड को निकलता और दुबारा बूर में पेल देता, नीलम को ये सब बहुत अच्छा लग रहा था, बिरजू अपनी गांड को गोल गोल घुमा कर लंड को बूर की गहराई में अच्छे से रगड़ता तो नीलम मस्ती में कराह जाती, जोर जोर से उसकी सीत्कार निकलने लगी।


बिरजू अब पूरी तरह नीलम से लिपटते हुए धीरे धीरे लंड को बूर से बाहर निकाल निकाल के गच्च गच्च धक्के मारने लगा, उसने अपनी बेटी के होंठ अपने होंठों में भर लिए और चूसते हुए थोड़े तेज तेज अपनी बेटी को चोदने लगा।


नीलम का दर्द धीरे धीरे जाता गया और चुदाई के मीठे मीठे सुख ने उसकी जगह ले ली। नीलम को ऐसा लग रहा था कि आज उसकी बूर की बरसों की भूख मिट रही है, इतना आनंद आजतक उसे कभी नही आया था, मोटे से लंड की रगड़ बूर की गहराई तक हो रही थी, बिरजू का लंड अपनी ही सगी बेटी की बच्चेदानी के मुँह पर जाकर ठोकर मारने लगा जिससे नीलम का बदन बार बार वासना में थरथरा जा रहा था, एक असीम गहरे सुख में नीलम का बदन गनगना जा रहा था।


नीलम- आआआआआआहहहहह.......हाय बाबू.....चोदो मुझे........चोदो अपनी बेटी को.........कितना मजा आ रहा है, कितना प्यारा है आपका लंड........कितना मोटा और लम्बा है मेरे बाबू का लंड......... हाय बाबू.....ऐसे ही चोदते रहो अपनी सगी बेटी को.......हाय


बिरजु अब अपनी बेटी नीलम की रसभरी बूर में हचक हचक के थोड़ा और तेज तेज अपना मोटा लन्ड पेलने लगा, बूर बिल्कुल पनिया गयी थी, बहुत रसीली हो चुकी थी, लंड अब बहुत आसानी से बूर के अंदर बाहर होने लगा था, बिरजू ने अब और अच्छी पोजीशन बनाई और अपनी बेटी की चूचीयों को मसलते हुए उन्हें पीते हुए, निप्पल को मुँह में भर भरकर चूसते चाटते हुए कस कस के बूर में पूरा पूरा लंड हचक हचक कर पेलने लगा, बीच में बिरजू रुकता और अपनी गांड को गोल गोल घुमा कर अपने मोटे लंड को अपने बेटी की बूर की गहराई में किसी फिरकी की तरह घूमने की कोशिश करता जिससे लंड बूर की गहराई में अच्छे से उथल पुथल मचाता और रगड़ खाता, इससे नीलम मस्ती में हाय हाय करती हुई सीत्कार उठती।


दोनों की मादक सिसकारियां थोड़ी तेज तेज गूंजने लगी, नीलम लाख कोशिश करती की तेज सिसकी न निलके पर क्या करे मजा ही इतना असीम आ रहा था कि न चाहते हुए भी तेज सिसकियां निकल ही जा रही थी, बूर इतनी रसीली हो चुकी थी की बूर चोदने की फच्च फच्च आवाज़ आने लगी, एक लय में हो रही इस चुदाई की आवाज से दोनों बाप बेटी और मस्त होने लगे, नीलम तो अब मस्ती में नीचे से अपनी चौड़ी गांड उठा उठा के चुदाई में अपने बाबू का साथ देने लगी, 8 इंच लंबे लंड का रसीली प्यासी बूर में लगातार आवागमन नीलम को मस्ती के सागर में न जाने कहाँ बहा ले गया।


बिरजू अब नीलम को पूरी ताकत से हुमच हुमच कर जोर जोर चोदने लगा, पूरी पलंग उनकी चुदाई से चरमराने लगी, पलंग से हल्की हल्की चर्र चर्र की आवाज दोनों बाप बेटी की सिसकियों के साथ गूंजने लगी, साथ में चुदाई की फच्च फच्च आवाज भी आने लगी थी, माहौल बहुत गर्म हो चुका था, किसी को अब होश नही था, नीलम का पूरा बदन उसके बाबू के जोरदार धक्कों से हिल रहा था, बिरजू अपनी सगी बेटी पर चढ़ा हुआ उसे घचा घच्च लंबे लंबे धक्के लगाते हुए चोदे जा रहा था। बूर बिल्कुल खुल गयी थी अब, लंड एक बार पूरा बाहर आता और दहाड़ता हुआ बूर की गहराई में उतर जाता, हर बार तेज तेज धक्कों के साथ नीचे से अपनी गांड को उछाल उछाल के चुदाई में ताल से ताल मिलाते हुए नीलम सीत्कार उठती थी।


आह...........बाबू............हाय ऐसे ही चोदो मुझे............ऐसे ही चोदो अपनी बेटी को....
...........अपनी सगी बेटी को...............ऊऊऊऊउफ़्फ़फ़फ़................. ऊऊऊऊईईईईईई..............अम्मा.............फाड़ डालो बूर मेरी बाबू..............अच्छे से फाड़ो अपने लंड से मेरी बूर को बाबू...................आआआआआहहहहहहहह..........ये सिर्फ आपके मोटे लंड से ही फटेगी बाबू..........सिर्फ आपके लंड से............हाय......... चोदो मेरे बाबू और तेज तेज चोदो अपनी बेटी को..........हाय दैय्या........कितना मजा आ रहा है।


बिरजू भी मस्ती में करीब 20-25 मिनट तक लगातार नीलम की बूर में हचक हचक के लन्ड पेल पेल के चोदता रहा, नीलम और बिरजू के तन बदन में एक जोरदार सनसनाहट होने लगी, नीलम की बूर की गहराई में मानो चींटियां सी रेंगने लगी, लगातार अपने बाबू के जोरदार धक्कों से उसकी बूर में सनसनी सी होने लगी और एकाएक उसका बदन ऐंठता चला गया, गनगना कर वो चीखती हुई अपने नितम्ब को उठा कर अपने बाबू से लिपटकर झड़ने लगी,


आआआआआहहहहह...........बाबू मैं गयी...........आपकी बेटी झड़ रही है बाबू.............ओओओओहहहह ह........हाय....... मैं गयी बाबू........और तेज तेज चोदो बाबू..........कस कस के पेलो मेरी बूर........ऊऊऊऊईईईईई.......बाबू.........हाय मेरी बूर...…..….कितना अच्छा है आपका लंड.........आआआआआहहहहह


बिरजू का लंड तड़बतोड़ नीलम की बूर चोदे जा रहा था, नीलम सीत्कारते हुए जोर जोर हाय हाय करते हुए अपने बाबू से लिपटी झड़ने लगी, बिरजु को अपनी बेटी की बूर के अंदर हो रही हलचल साफ महसूस होने लगी, कैसे नीलम की बूर की अंदरूनी दीवारें बार बार सिकुड़ और फैल रही थी, काफी देर तक नीलम बदहवास सी सीत्कारते हुए अपने बाबू से लिपटी झड़ती रही।


बिरजु तेज तेज धक्के लगते हुए नीलम की बूर चोदे जा रहा था, वह बड़े प्यार से चोदते हुए अपनी बेटी को दुलारने लगा, इतना मजा आजतक जीवन में नीलम को कभी नही आया था, चरमसुख के असीम आनंद में वो खो गई, अब भी उसके बाबू का लंड तेज तेज उसकी बूर को चोदे जा रहा था, कभी कभी वो बीच बीच में तेजी से सिस्कार उठती, बूर झड़ने के बाद बहुत ही चिकनी हो गयी थी, बिरजू का लंड अपनी बेटी के रस से पूरा सन गया था, नीलम का बदन अब ढीला पड़ गया वो बस आंखें बंद किये हल्का हल्का सिसकते हुए चरमसुख के आनंद में डूबी हुई थी कि तभी बिरजू भी जोर से सिसकारते हुए एक तेज जबरदस्त धक्का अपनी सगी बेटी की बूर में मारते हुए झड़ने लगा, धक्का इतना तेज था कि नीलम जोर से चिहुँक पड़ी आह........ बाबू......... हाय
एक तेज मोटे गाढ़े वीर्य की पिचकारी उसके लंड से निकलकर नीलम की बूर की गहराई में जाकर लगी तो नीलम उस गरम गरम लावे को अपनी बूर की गहराई में महसूस कर गनगना गयी और तेजी से मचलकर सिसकारने लगी बड़े प्यार से उसने अपने बाबू को अपनी बाहों में कस लिया और उनके बालों को सहलाने लगी, प्यार से दुलारने लगी, बिरजू का मोटा लंड तेज तेज झटके खाता हुआ वीर्य की मोटी मोटी धार छोड़ते हुए अपनी बेटी की बूर को भरने लगा, अपनी सगी बेटी के गर्भ में उसका गाढ़ा गरम वीर्य भरने लगा, गरम गरम बिरजू का वीर्य नीलम की बूर से निकलकर गांड की दरार में बहने लगा और तकिए तक को भिगोने लगा, बिरजु काफी देर तक हाँफते हुए अपनी बेटी की बूर में झाड़ता रहा, कई वर्षों के बाद आज उसे एक जवान कमसिन मखमली बूर मिली थी और वो भी सगी बेटी की, बिरजू सच में अपनी सगी बेटी की बूर चोद कर निहाल हो चुका था, बिरजु और नीलम ने असीम चरमसुख का आनंद लेते हुए एक दूसरे को कस के बाहों में भर लिया और बड़े प्यार से एक दूसरे को चूमने लगे, और अपनी सांसों को काबू करते हुए एक दूसरे को बाहों में लिए लेटे रहे।
 
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