Incest Paap ne Bachayaa written By S_Kumar

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Update-1

बात बहुत पहले की है उत्तर प्रदेश में कहीं दूर-दराज एक बहुत ही पिछड़ा हुआ गांव था-विक्रमपुर। बहुत ही पिछड़ा हुआ इशलिये क्योंकि यह एक बहुत बड़ी नदी के दूसरी तरफ था। शहर से इसका कोई खास लेना देना नही था। कुल मिलाकर 100-200 घर होंगे वो भी काफी दूर-दूर थे।

नदी के किनारे होने की वजह से गांव बहुत ही हरा भरा था। यह गांव बहुत बड़े जंगल से चारों तरफ से घिरा हुआ था। यह गांव कई दशकों पहले और भी बड़ा हुआ करता था, आज जो इस गांव में सिर्फ 100-200 घर है वहीं एक वक्त इस गांव में 1000-1500 घर हुआ करते थे, जो कि आज के वक्त में सिमटकर केवल 100-200 घर ही रह गए थे।

लेकिन ऐसा क्यों? आखिर क्या ऐसा हो रहा था
इस गांव में जो परिवार के परिवार धीरे धीरे खत्म हो रहे थे। बहुत तेजी से नही बल्कि बहुत धीरे धीरे, एक बार को अचानक से देखने में नही लगेगा परंतु जब कोई गांव का बाहरी इंसान गौर से इस गांव की दशकों पुरानी हिस्ट्री से दूसरी जगहों की तुलना करता तो वो भी सोच में पड़ जाता कि आखिर ऐसा क्यों?

माना कि मौत हर जगह होती है, जो इस दुनियां में आया है उसे जाना ही है, लेकिन हर जगह एक balance maintain है। लोग मर रहे हैं तो बच्चे पैदा भी हो रहे हैं। एक पीढ़ी गुजर रही है तो नई पीढ़ी आ भी रही है।

परंतु इस गांव में मृत्यु दर बहुत ज्यादा थी और जन्म दर नाम मात्र।

देखने में लोग बिकुल स्वस्थ रहते, न जाने कब कैसे धीरे धीरे बीमार पड़ते और चले जाते, इस गांव के लोग जब बाहरी दुनिया में इलाज कराने जाते तो report में कहीं कुछ नही आता। वैसे तो जल्दी इलाज़ के लिए जाते नही थे क्योंकि इस गांव के लोग थे- रूढ़िवादी, अन्धविश्वासी और वो झाड़ फूंक, में ज्यादा विश्वास रखते थे।

इस गांव के लोगों ने जानबूझ के भी अपने आप को दीन दुनियां से अलग कर रखा था। इसका पहला कारण तो ये ही था कि यह गांव चारों तरफ जंगल से घिरा हुआ था, नदी के दूसरी छोर पर था और.....और... इस गांव के लोगों को सबसे ज्यादा नफरत थी- गलत चीजों से, जैसे- गलत काम करना, झूठ बोलना, किसी का दिल दुखाना, बेईमानी करना, कोई भी गलत काम, गलत सोच, गलत विचार, भावना किसी के मन में नही थी, जैसे कोई जानता ही नही था इन सब चीजों को। यही main वजह थी जो इस गांव के लोग बाहरी दुनिया से ज्यादा मेल जोल नही रखना चाहते थे क्योंकि उस गांव के अलावा हर जगह गलत चीज़ें थी, गलत काम था, गलत सोच थी, गलत भावना थी। यूँ समझ लीजिये हर जगह कलयुग था और इस गांव में सतयुग था।

लेकिन सोचने वाली बात ये है कि ऐसा गांव में क्या था कि परिवार के परिवार धीरे धीरे खत्म हो रहे थे, न कोई महामारी, न कोई रोग, न कोई आक्रमण, न कोई दंगा फसाद, फिर ऐसा क्या था? ऐसा नही है कि गांव के लोग इससे अनजान थे वो जानते थे कि कुछ तो इस गांव में गड़बड़ है, परंतु उनके पास इसका कोई इलाज नही था, उनके पास कोई रास्ता नही था इससे बाहर निकलने का, इसलिये गांव के लोगों के मन में कहीं न कहीं किसी कोने में एक उदासी सी रहती थी।


परंतु ऐसा क्या था, जिसकी वजह से ऐसा हो रहा था, वो आपको आगे इस कहानी में पता चलेगा---
Nice update
 

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