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दिन बीतने लगा हम नए घर में शिफ्ट हो गए । पर पापा जिद्द लगाए बैठा था वो नए घर में नही जाएगा । अकेले ही रहेगा । जिस दिन गृह प्रवेश का पूजा था उस दिन सारे रिश्तेदार आए हुए थे और सभी ने पापा समझाया पर पापा नही समझे । मैंने भी बोहोत अनुरोध किया और बताया की नए घर के सामने मार्केट में मम्मी पार्लर खोलेगी और अपनी पसंद की दुकान खोल लेना । लेकिन नही अपनी बीवी की कमाई नही खायेगा ऐसा बोल कर माना कर दिया ।
कुछी दिनों में मम्मी ने पार्लर खोल ली । उन्होंने चार लड़कियां काम पर रख ली । धीरे धीरे मम्मी भी पार्लर का काम सीखने लगी । सब कुछ अच्छा चल रहा था । में कॉलेज से लौटते वक्त रोज पापा को देखने जाता और उनके लिए खाना बना के अपने नए घर आ जाता था ।
लेकिन वक्त ने खेल दिखा ही दिया । पापा की एक पैसे की कमाई नही थी और खुद खाना बना के खाना सजा लगने लगा । मुझसे परोक्ष रूप से हमारे साथ आने की बात करने लगा । तो मम्मी और में खुद उनके आगे छोटा हो के अनुरोध करते हुए नए घर ले के आया । मम्मी और मुझे उनकी हरकतों पर हसी आती थी ।
पापा को मम्मी के बगल में ही एक गिफ्ट और स्टेशनरी का दुकान खोल दिया हमने । और पापा भी काम में मन लगाने लगे क्यू की पैसा जो हाथ में आ रहा था। दिन भर तो ठीक ही रहते थे लेकिन शाम होते ही दुकान बंद कर के पीने जाते थे और देर रात लौट आते थे इसलिए उन्होंने खुद नीचे की फ्लोर का कमरा ले लिया ।
रविवार के दिन बंद रहता था । एक दिन की बात है । पापा हल में बैठ कर टीवी देख रहा था । वक्त दोपहर के 1 बज रहे थे । मम्मी किचन में खाना बना रही थी । में बाहर घूम फिर के आया और मम्मी के साथ मस्ती करने किचन में घुस गया ।
मम्मी वोही टॉप और टाइट लैगिंग्स में थी उनका खाना बनाना लगभग हो चुका था । में सीधा जा कर उनके चेहरे को पकड़ के किस करने के लिए हाथ आगे बढाया था की मम्मी पीछे हो के बोली " पागल हो गए हो क्या । तेरे पापा घर पे हे "
" तो । तो क्या हुआ वो टीवी देख रहे हे फिल्म देखने में व्यस्त हे " में बोला
" यहां आएगा तो "
" नही आएगा "
मैंने मम्मी को घुमाया और सेल्फ पर जबरदस्ती उठाने लगा मम्मी ना ना करने लगी " नही पागल नहीं। मरवाएगा खुद भी मुझे भी नही "
में मम्मी की जांघो के बीच खड़ा हो के उनके चेहरे को पकड़ के चूमने ही वाला था की तभी पापा " अरे ओ कितना देर लगाएगी खाना बनाने में अब । "
पापा के कदमों की आहट सुनाई देने लगी । मम्मी मुझे धक्का दे कर उतार गई और चूल्हे पर बन रही सब्जी देखने लगी में भी दूर खड़ा हो गया । पापा अंदर आए और मुझे देख के बोला " तू कब आया "
में बोला " अभी । ओह मे तो भूल ही गया मुझे दोस्त के घर जाना हे "
पापा ने पूछा " किसके घर कौन दोस्त । अभी तो आवारागर्दी कर के आए "
में कुछ नही बोला और निकल गया बाहर ।
कुछी दिनों में मम्मी ने पार्लर खोल ली । उन्होंने चार लड़कियां काम पर रख ली । धीरे धीरे मम्मी भी पार्लर का काम सीखने लगी । सब कुछ अच्छा चल रहा था । में कॉलेज से लौटते वक्त रोज पापा को देखने जाता और उनके लिए खाना बना के अपने नए घर आ जाता था ।
लेकिन वक्त ने खेल दिखा ही दिया । पापा की एक पैसे की कमाई नही थी और खुद खाना बना के खाना सजा लगने लगा । मुझसे परोक्ष रूप से हमारे साथ आने की बात करने लगा । तो मम्मी और में खुद उनके आगे छोटा हो के अनुरोध करते हुए नए घर ले के आया । मम्मी और मुझे उनकी हरकतों पर हसी आती थी ।
पापा को मम्मी के बगल में ही एक गिफ्ट और स्टेशनरी का दुकान खोल दिया हमने । और पापा भी काम में मन लगाने लगे क्यू की पैसा जो हाथ में आ रहा था। दिन भर तो ठीक ही रहते थे लेकिन शाम होते ही दुकान बंद कर के पीने जाते थे और देर रात लौट आते थे इसलिए उन्होंने खुद नीचे की फ्लोर का कमरा ले लिया ।
रविवार के दिन बंद रहता था । एक दिन की बात है । पापा हल में बैठ कर टीवी देख रहा था । वक्त दोपहर के 1 बज रहे थे । मम्मी किचन में खाना बना रही थी । में बाहर घूम फिर के आया और मम्मी के साथ मस्ती करने किचन में घुस गया ।
मम्मी वोही टॉप और टाइट लैगिंग्स में थी उनका खाना बनाना लगभग हो चुका था । में सीधा जा कर उनके चेहरे को पकड़ के किस करने के लिए हाथ आगे बढाया था की मम्मी पीछे हो के बोली " पागल हो गए हो क्या । तेरे पापा घर पे हे "
" तो । तो क्या हुआ वो टीवी देख रहे हे फिल्म देखने में व्यस्त हे " में बोला
" यहां आएगा तो "
" नही आएगा "
मैंने मम्मी को घुमाया और सेल्फ पर जबरदस्ती उठाने लगा मम्मी ना ना करने लगी " नही पागल नहीं। मरवाएगा खुद भी मुझे भी नही "
में मम्मी की जांघो के बीच खड़ा हो के उनके चेहरे को पकड़ के चूमने ही वाला था की तभी पापा " अरे ओ कितना देर लगाएगी खाना बनाने में अब । "
पापा के कदमों की आहट सुनाई देने लगी । मम्मी मुझे धक्का दे कर उतार गई और चूल्हे पर बन रही सब्जी देखने लगी में भी दूर खड़ा हो गया । पापा अंदर आए और मुझे देख के बोला " तू कब आया "
में बोला " अभी । ओह मे तो भूल ही गया मुझे दोस्त के घर जाना हे "
पापा ने पूछा " किसके घर कौन दोस्त । अभी तो आवारागर्दी कर के आए "
में कुछ नही बोला और निकल गया बाहर ।