Adultery पत्नी खुश तो पति भी खुश (लघु कथा)(completed)

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सरत मिया शाम को घर लौटे । रात को उसका मन रोमासिट हो गया और अपनी धरम पत्नी के उपर चढ़ गए । गुंजन ने भी चढ़ने दी ।

लेकिन जब सरत बाबु की नजर अपनी धरम पत्नी की मोटे चूचे पे दात के लाल निशान देखे तो उसे समझाने में देर नहीं लगा और गुस्सा हो कर चिल्लाए " तुम फिर से इस कुत्ते साथ । "

गुंजन एक पल के लिए दर गई अगले ही पल उसे नजाने कहा से इतनी हिम्मत मिली और वो दत्त के बोली " बोहोत हो गया आपका । अब बस । अब में आपके एक बात नेही सुनूंगी और ना ही करूंगी । में अपने मन की करूंगी । मैंने फैसला किया है में उसके साथ भी रहूंगी चाहे आपको मंजूर हो या ना हो "


सरत बाबू के माथा जंजना गए गुस्से में नाग की तराह फंफनाने लगे । और गुंजन के गाल पे एक उल्टे हाथ का झड़ दिया " ऐसा क्या है जो मेरे पास नही । क्या में तुझसे प्यार नही करता हूं ।"


गुंजन हस्ते हुए अपनी पति की मजाक उड़ाते हुए बोली " हा हा हा हा । फुद्दू कही का । उसके पास वो जो है ना आपसे दो गुना बड़ा है । जब वो मैरी गहराई में जाता हे ना तो आपसे कही ज्यादा मेजा आता है । और आपकी तरह नही जो दो धक्कों में ढेर हो जाए । 30 से 40 मिनट तक मुझे खुश करता है । उसके हथियार में भी और कमर में भी आपसे चार गुना ताकत हे । विश्वास ना हो तो बोलना घर में बुला के आपके आखों के सामने कर के दिखाएगा कितना ज्यादा मर्द है आपसे । "




सरत मिया आंखे शर्म से झुक गया और गुंजन दो और थप्पड़ लगा के कमरे से बाहर निकाल गए । गुंजन हस्ती रही । उसे ऐसा महसूस होने लगा निर्दय और बेवफा बन के जैसे वो आजाद पंछी की तरह खुले आसमान में उड़ने लगी ।





सरत मिया पूरी तरह से टूट गए । अक्सर शराब खाने रात भर पड़े रहने लगे और घर में उसकी धरम पत्नी के साथ एक पराए मर्द आ के बिस्तर गर्म कर के चले जाते थे ।



बहकना और बेकाबू दोनो ही असबधान की पहली लक्षण है । चाहे कुछ भी हो संतुलन कभी नही खोना चाहिए ।







समाप्त
 
Last edited:
कहानी में काफी त्रुटियाँ हें पर फिर भी कहानी बहुत अच्छी हे इसे और भी बेहतर बनाया जा सकता था फिर भी काफी अच्छी लगी अब में एक बार इसे सम्पूर्ण रूप से पढूंगा
 
सरत बाबू के पास भले ही ताकत नही लेकिन उसके पास पैसे की ताकत था । और इतनी अपमान से उसका दिमाग भी खुल गया था । किसी को बिना पता चले खुफिया तरीके से उसने एक बोट और एक पायलट पैसों से खरीद लिया । और रातों रातों अपनी धरम पत्नी को ले के निकल पड़े ।




दोनो उस श्रापित आइलैंड से सुभाग्यवास वाहा से निकल गए । 4 दिन सफर से दोनो घर पोहोच गए । दोनो राहत की सांस ले रहे थे । सरत बाबू कसम खाता की वो दुबारा ऐसा काम नही करेंगे ।




लेकिन उनके रिश्तों में काफी डरारे आ चुके थे । जहा एक वक्त तक गुंजन अपने पति के माफी के लिए तरस तरस के बेचैन जिंदगी जी रही थी । अब वो जिंदगी सरत बाबू की बन गई थी ।



गुंजन सरत बाबू के लिए हर वो काम करती जो पत्नी धर्म की दायरे में आती थी । लेकिन वो प्यार जो अपने पति के लिए महसूस करती थी वो अब जरा भी मेहसूस नही होती थी उसे । उसकी मुस्कान के पीछे एक सफेद जूठ थी । जो सरत बाबू समझ पा रहे थे । और वो हर वो काम करता था जिससे गुंजन खुश हो जाए । लेकिन जितना भी करे पहले की तरह गुंजन की मुस्कान में वो बात नही थी । सरत बाबू हर रात अपनी गलती याद कर के पछताता था




एक दिन गुंजन अकेले ही सॉपिंग करने निकली । बोहोत दिनों बाद वो घर से बाहर निकल रही थी । जब स्कूल में जॉब करती थी तब उसके पास कोई सेहेली हुआ करती थी लेकिन जब स्कूल जॉब छोड़ तब उसकी सेहेली कभी कवर ही एक दो मैसेजेस किया करती थी ।



वो अपनी धुन में शॉपिंग कर रही थी एक मॉल में अचानक वो किसी से टकरा गए । लेकिन फिल्मों की तरफ उसकी हाथ से शॉपिंग के बेग नही गिरे जमीन पे । गुंजन उस सक्स को खुशी से उछलना चाहती थी लेकिन खुद को किसी तरह काबू कर के साधारण तरीके से मिली ।



सामने कारेल मिया खड़ा था । वो गुंजन को देख कर मुस्कुराई जा रहा था " आप यहां । बोहोत दिनों बाद आपसे मुलाकात हो रही है ।"

गुंजन भी मुस्कुरा के बोली " हा बड़े दिनों बाद । आप भी शॉपिंग करने आएं है "

" हा पर सुना था सेल लगी हुई हे लेकिन यहां तो सेलस के नाम पे भी कायदे से कस्टमर को बेवकूफ बना के बेच रहे है । तो बस ऐसे ही घूम रह था "

" ही ही । अच्छा । और बताइए परिवार में सब कुशल मंगल "


" हा सब ठीक चल रहा है बस । आप की शॉपिंग हो गई "

" हा हो गई । में बस एक्सिड लेने वाली थी "
कहानी का शीर्षक कहानी से मेल नहीं खाता बेब्फाई तो बीबी ने की तो पति खुश केसे हुआ
 

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