Adultery पत्नी खुश तो पति भी खुश (लघु कथा)(completed)

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सरत बाबू के पास भले ही ताकत नही लेकिन उसके पास पैसे की ताकत था । और इतनी अपमान से उसका दिमाग भी खुल गया था । किसी को बिना पता चले खुफिया तरीके से उसने एक बोट और एक पायलट पैसों से खरीद लिया । और रातों रातों अपनी धरम पत्नी को ले के निकल पड़े ।




दोनो उस श्रापित आइलैंड से सुभाग्यवास वाहा से निकल गए । 4 दिन सफर से दोनो घर पोहोच गए । दोनो राहत की सांस ले रहे थे । सरत बाबू कसम खाता की वो दुबारा ऐसा काम नही करेंगे ।




लेकिन उनके रिश्तों में काफी डरारे आ चुके थे । जहा एक वक्त तक गुंजन अपने पति के माफी के लिए तरस तरस के बेचैन जिंदगी जी रही थी । अब वो जिंदगी सरत बाबू की बन गई थी ।



गुंजन सरत बाबू के लिए हर वो काम करती जो पत्नी धर्म की दायरे में आती थी । लेकिन वो प्यार जो अपने पति के लिए महसूस करती थी वो अब जरा भी मेहसूस नही होती थी उसे । उसकी मुस्कान के पीछे एक सफेद जूठ थी । जो सरत बाबू समझ पा रहे थे । और वो हर वो काम करता था जिससे गुंजन खुश हो जाए । लेकिन जितना भी करे पहले की तरह गुंजन की मुस्कान में वो बात नही थी । सरत बाबू हर रात अपनी गलती याद कर के पछताता था




एक दिन गुंजन अकेले ही सॉपिंग करने निकली । बोहोत दिनों बाद वो घर से बाहर निकल रही थी । जब स्कूल में जॉब करती थी तब उसके पास कोई सेहेली हुआ करती थी लेकिन जब स्कूल जॉब छोड़ तब उसकी सेहेली कभी कवर ही एक दो मैसेजेस किया करती थी ।



वो अपनी धुन में शॉपिंग कर रही थी एक मॉल में अचानक वो किसी से टकरा गए । लेकिन फिल्मों की तरफ उसकी हाथ से शॉपिंग के बेग नही गिरे जमीन पे । गुंजन उस सक्स को खुशी से उछलना चाहती थी लेकिन खुद को किसी तरह काबू कर के साधारण तरीके से मिली ।



सामने कारेल मिया खड़ा था । वो गुंजन को देख कर मुस्कुराई जा रहा था " आप यहां । बोहोत दिनों बाद आपसे मुलाकात हो रही है ।"

गुंजन भी मुस्कुरा के बोली " हा बड़े दिनों बाद । आप भी शॉपिंग करने आएं है "

" हा पर सुना था सेल लगी हुई हे लेकिन यहां तो सेलस के नाम पे भी कायदे से कस्टमर को बेवकूफ बना के बेच रहे है । तो बस ऐसे ही घूम रह था "

" ही ही । अच्छा । और बताइए परिवार में सब कुशल मंगल "


" हा सब ठीक चल रहा है बस । आप की शॉपिंग हो गई "

" हा हो गई । में बस एक्सिड लेने वाली थी "
 
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" ओह अच्छा । आप अपनी कार ले के आई है "

" जी नही । आधे पैदल ही चल कर आई हूं और आधे ऑटो से "

" तो आइए में आपको छोड़ दूंगा "

" अरे नेही । में चली जाऊंगी "
" ये क्या बात हुई इतने दिनो बाद मिले हे आप । कुछ सेवा का मौका तो दीजिए । अब आपकी खबर भी नेही मिल पाता है सरत बाबू से "

" क्यू । में कुछ समझी नही "

" आइए गाड़ी में चल के कर आपको सब बता दूंगा "


गुंजन सोच रही थी उसके साथ जाए या ना जाए लेकिन उसकी जानने का मन रही थी की आखिर बात क्या हे और उसने फैसला किया की वो कारेल मिया के साथ कार में जायेगी ।



करेल मिया गुंजन की कार में बिठा के ड्राइव करने लगे ।

" आपको कुछ पता नही है ना "

" क्या नही पता हे मुझे "

" यही की अब में सरत बाबू के साथ काम नही करता हूं । "

" क्या । क्यू कोई जगरा हुआ " गुंजन को सब बाते याद आने लगा सब यादें ताजा होने लगे और वो अपनी नजरे झुका ली ।



" सॉरी आपको में दुखी नेही करना चाहता था । हमारा जगरा तो नेही हुआ लेकिन उससे कुछ कम भी नहीं था । जब उस रात मैंने नशे में गलती से कुछ बात कह दी और सरत बाबू ने बाद में सब उगलवा लिया मेरे मुंह से मेरे नशे की हालत का फायदा उठा । फिर तीन बाद बोले की अब मुझे उसको जरूरत नही हे । पहले मुझे बोहोत बुरा लगा लेकिन दूसरा कोई होता तो मेरे साथ बोहोत कुछ करता अपने पावर से लेकिन सराट बाबू ने मुझे बिना छोट पोहचाय जाने दिया । तो मैंने भी उसी दिन सरत बाबू की नौकरी छोड़ दी लेकिन दोस्ती नही तोड़ा । आज भी अगर मुझे बुलाएंगे तो के उनके पास चला जाऊंगा । मेरी वजह से आप दोनो की बोहोत लड़ाई हुई होगी । सरत बाबू ने आपके साथ मार पीट तो नही की । में बस आपसे माफी मांगना चाहता था ।



गुंजन धीरे से बोली " थोरी बोहोत । में उनके जगह होती तो में भी करती । उनका हक था वो करने का । लेकिन उसने एक साल बाद मुझे माफ कर दिए थे ।"

" शुक्र है । में कभी कबर सरत बाबू के खबर लेता था हाल साल जानने के लिए । सुना हे आप दोनों किसी आइलैंड में घूमने गए थे । "
 
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गुंजन ने फिकी मुस्कान दी । और मन में बोली " हुह्ह्ह आपको नही पता वहा हुआ क्या है "

दोनो उधर उधर की बाते करने लगे एक दूसरे की हाल चाल के बारे में जानने लगे । गुंजन ने ध्यान दिया की कारेल मिया ने जान बूझ के लॉन्ग रोड से कार ड्राइव करने लगे । जहा आधे घंटे में पोहोचना था घर लेकिन अब 2 घंटे लगेंगे । फिर भी गुंजन ने कुछ नही बोला ।


" एक बात पूछूं आपसे "

" हा पूछो "

" कुछ महीने पहले मेरे पास कुछ गुंडे टाइप लोग आए थे । वो लोग चाहते थे एक पैसों से भरा हुआ बेग में उन तक पोहोचा दू । लेकिन जब मैंने बोला की में उनके लिए काम नही करता तो वो लोग चले गए बेग ले के बापच ।"



गुंजन कारेल मिया के साथ मिल के दुबारा कमजोर पर रही थी । एक वही था जो वो अपने पति के बाद सन्न लम्हे बीता के खुश हुई थी । और उसका दिल पिघल गया । वो सब बातें एक एक कर के बताने लगी । और अपनी आप बीती बताते हुए रोने लगी ।



कारेल मिया कार सुनसान सड़क के किनारे रोक के गुंजन अपनी सीने से लगा के चुप कराने लगा " ओके ओके । रो मत । चुप हो जाओ रोने से कुछ नेही हो । हिम्मत रखो । "


गुंजन उसके छाती में कुछ देर सुबक सुबक बाद में चुप हो गई । कारेल मिया उसकी गाल से आसू चूम के शरारत करते हुए बोला " फिर से ड्राइविंग सीखना चाहोगी "


गुंजन मुस्कुराते हुए मासूमियत से जवाब दी । " हा " और खुद जा के कारेल मिया की गोद में जा के बैठ गई ।


कारेल मिया जैसे सालो से वासना में डूब के भूखे4 शेर की तरह घूम रहा था और आज उसे एक शिकार मिल गई तो झपट पड़े शिकार के ऊपर ।
 
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गुंजन ने सारी ब्लाउज पहनी हुई थी । उसकी ब्लाउज स्लीवल्स थी और पीठ बोहोत दीप थी । कारेल मिया उसकी खुली पीठ पे नाक रगड़ते हुए उसकी खुशबू सूंघ के बोला " हेड लाइट दबाने का मन कर रहा है "

गुंजन मुस्कुरा कर बोली " हेड दबाया नही जलाया जाता है "

" पर तुम्हारी हेड लाइट दबाने पर ही जलेगी । " और गुंजन की चूचे जोर जोर से मसलने लगे ।


" आउच , आह , उभभभभ " गुंजन बुरी तरह आनंद में हिरनी की तरह हिनहिनाने लगी । अपनी होंठ सबा के खाने लगी ।


कारेल मिया कार से उतरे और अपनी 7 सीटर एसयूवी के थर्ड रॉ की सीट रिक्लाइन कर के डिक्की में जगह बनाई अपनी कार्यक्रम के लिए । गुंजन को ले के डिक्की में बंद हो गए ।


गुंजन की सांस तेज़ चल रही और वो रुक रुक के बोली " प्लीज कपरे मत उतारो । रिस्क हो जायेगा मेरे लिए ऐसे ही कारो । "


कारेल मिया को भी ठीक लगा । और उसने गुंजन की जिस्म को कपरो के ऊपर से ही मसला चाटा और चूमा । और सारी उठा के अपनी पेंट जीप खोल के चढ़ गए गुंजन की शरीर पे । दोनो जंगली जानवर की तरह एक दूसरे पे टूट पड़े ।


" गुंजन मेरे साथ चल । छोड़ दे अपने नल्ले पति को "

" आह्ह्ह नही । उह्ह्ह मेरे बच्चे है । ओह आपकी भी है आह्ह्ह्ह्ह । हम ऐसे ही मिलेंगे और प्यार करेंगे । उन्न्ह्ह्ह उसने अब प्यार नही करती । आह्ह्ह्ह आपसे करूंगी । आह्ह्ह खूब चोदो मुझे "




कारेल मिया बरसों की हवास आज ही मिटना चाहते है । गुंजन को कस कस के चोद के बुरी तरह थका दिया और जी भर के उसकी जिस्म के साथ खेल के उसे घर पोहोचा दिया दूसरी मुलाकाद शानदार बनाने की इंतजार में । गुंजन भी बोहोत खुश थी ।
 
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सरत मिया शाम को घर लौटे । रात को उसका मन रोमासिट हो गया और अपनी धरम पत्नी के उपर चढ़ गए । गुंजन ने भी चढ़ने दी ।

लेकिन जब सरत बाबु की नजर अपनी धरम पत्नी की मोटे चूचे पे दात के लाल निशान देखे तो उसे समझाने में देर नहीं लगा और गुस्सा हो कर चिल्लाए " तुम फिर से इस कुत्ते साथ । "

गुंजन एक पल के लिए दर गई अगले ही पल उसे नजाने कहा से इतनी हिम्मत मिली और वो दत्त के बोली " बोहोत हो गया आपका । अब बस । अब में आपके एक बात नेही सुनूंगी और ना ही करूंगी । में अपने मन की करूंगी । मैंने फैसला किया है में उसके साथ भी रहूंगी चाहे आपको मंजूर हो या ना हो "


सरत बाबू के माथा जंजना गए गुस्से में नाग की तराह फंफनाने लगे । और गुंजन के गाल पे एक उल्टे हाथ का झड़ दिया " ऐसा क्या है जो मेरे पास नही । क्या में तुझसे प्यार नही करता हूं ।"


गुंजन हस्ते हुए अपनी पति की मजाक उड़ाते हुए बोली " हा हा हा हा । फुद्दू कही का । उसके पास वो जो है ना आपसे दो गुना बड़ा है । जब वो मैरी गहराई में जाता हे ना तो आपसे कही ज्यादा मेजा आता है । और आपकी तरह नही जो दो धक्कों में ढेर हो जाए । 30 से 40 मिनट तक मुझे खुश करता है । उसके हथियार में भी और कमर में भी आपसे चार गुना ताकत हे । विश्वास ना हो तो बोलना घर में बुला के आपके आखों के सामने कर के दिखाएगा कितना ज्यादा मर्द है आपसे । "




सरत मिया आंखे शर्म से झुक गया और गुंजन दो और थप्पड़ लगा के कमरे से बाहर निकाल गए । गुंजन हस्ती रही । उसे ऐसा महसूस होने लगा निर्दय और बेवफा बन के जैसे वो आजाद पंछी की तरह खुले आसमान में उड़ने लगी ।





सरत मिया पूरी तरह से टूट गए । अक्सर शराब खाने रात भर पड़े रहने लगे और घर में उसकी धरम पत्नी के साथ एक पराए मर्द आ के बिस्तर गर्म कर के चले जाते थे ।



बहकना और बेकाबू दोनो ही असबधान की पहली लक्षण है । चाहे कुछ भी हो संतुलन कभी नही खोना चाहिए ।







समाप्त
 
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