Erotica रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर

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मेरे जीजू: अरे रूपाली.. कल रात तुम्हारे बेडरूम का दरवाजा क्यों बंद था... मेरी दीदी घबरा गई पर खुद को संभाला..
मेरी रूपाली दीदी: वह कल रात हॉल से अजीब अजीब गाने की आवाज आ रही थी इसलिए.. सोनिया ठीक से सो नहीं पा रही थी..
मेरे जीजू: हां रूपाली.. कल रात को ही हॉल में गंदे गंदे भोजपुरी गाने बजा रहा था.. तुम्हारा भाई सेंडी तो नहीं था..
मेरी रूपाली दीदी: सैंडी नहीं रोहन होगा... सैंडी को तो पता भी नहीं होगा इन सब गानों के बारे में ...
जीजू: तुम ठीक कह रही हो.. रोहन अच्छा लड़का नहीं है..
मेरी रुपाली दीदी: खैर छोड़ो बच्चों को... आप तो ठीक हो ना.
मेरे जीजू: हां मेरी जान आई लव यू..
लव यू टू अनूप... मेरी दीदी बोली...
मेरी रूपाली दीदी: मैं नाश्ता बनाने जा रही हूं.. आप ठीक तो हो ना? कल रात को अच्छे से नींद तो आई आपको.. आज डॉक्टर साहब आने वाले हैं आपके चेकअप के लिए..
मेरे जीजा: हा रूपाली.. मैं बिल्कुल ठीक से सोया.. कल रात में ठाकुर साहब को कुछ तकलीफ तो नहीं हुई.
मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोच रही थी कि तकलीफ कैसे होगी.. ठाकुर साहब को... कल रात को तो वह आपकी पत्नी की इज्जत लूटने वाले थे.. आपको कुछ पता भी है..
मेरी रूपाली दीदी किचन में घुस गई और कंचन के साथ मिलकर सोनिया के लिए नाश्ता तैयार करने लगी.



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कंचन: कल रात कैसी गुजरी दीदी..
मेरी बहन कंचन का सवाल सुन कर हैरान हो गई थी और उसकी तरफ देखने लगी थी.
मेरी रूपाली दीदी कंचन के सवाल का जवाब दे पाती इसके पहले ठाकुर साहब किचन के अंदर मौजूद थे.. उन्होंने कंचन को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया था और उसकी गर्दन को चूम रहे थे... मेरी रूपानी दीदी बगल में खड़ी होकर सब कुछ देख रही थी..
कंचन की गांड पर अपना दबाव बढ़ाते हुए ठाकुर साहब मेरी बहन को घूरे जा रहे थे..
ठाकुर साहब: आई लव यू रूपाली.. आई लव यू मेरी जान.
ठाकुर साहब कंचन को पीछे से दबोच कर उसको प्यार कर रहे थे.. उन्होंने अपना हाथ मेरी रूपाली दीदी की तरफ बढ़ाया.. मेरी रूपाली दीदी उनकी पहुंच से दूर होने लगी थी.. कंचन मुड़ गई और ठाकुर साहब से लिपट गई... कंचन और ठाकुर साहब के बीच का प्यार देखकर मेरी रुपाली दीदी की छाती ऊपर नीचे हो रही थी.. उनकी चूचियां टाइट होने लगी थी .. ठाकुर साहब की नजर मेरी रुपाली दीदी की उठती गिरती हुई चुचियों पर ही टिके हुई थी... और कंचन लिपटी हुई थी उनके चौड़े सीने से..
ठाकुर साहब: आई लव यू रूपाली... तुम भी कंचन की तरह मुझसे चिपक जाओ ना..
मेरी दीदी: नहीं... आप यहां से जाइए... मुझे मेरी बेटी के लिए नाश्ता तैयार करना है..
ठाकुर साहब: कल रात के लिए माफी चाहता हूं रूपाली.. कुछ ज्यादा ही हो गया तुम्हारे साथ.. लेकिन इसका मतलब यह मत समझ लेना कि मैं तुमको इतनी आसानी से जाने दूंगा.. तुम्हारी लेकर रहूंगा चाहे कुछ भी हो जाए... समझी मेरी जान... कंचन ने ठाकुर साहब का लौड़ा पकड़ लिया था... उनकी पैंट के ऊपर से...
मेरी रूपाली दीदी घबरा रही थी कि यह क्या हो रहा है ..उनकी आंखों के सामने ठाकुर साहब और कंचन एक दूसरे के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे.. बुरी तरह चुम्मा चाटी करने लगे थे दोनों.. मेरी रूपाली दीदी काफी गंभीर हो चुकी थी..
ठाकुर साहब: तुम्हें नहीं पता तुम क्या चीज हो रूपाली.. मेरा यह सब कुछ तुम्हारे लिए ही है.. तुम जैसे चाहो मेरे साथ रह सकती हो.. कुछ भी खरीद सकती हो..
मेरी रूपाली दीदी: आपका दिमाग तो ठीक है ना ठाकुर साहब? मैं आपको बिल्कुल पसंद नहीं करती हूं.. प्यार करना तो दूर की बात है.. प्लीज आप लोग मेरे सामने यह मत कीजिए..
ठाकुर साहब ने कंचन को आजाद कर दिया.. वह मेरी रूपाली दीदी के बिल्कुल पास गय और अपने घुटनों के बल बैठ गय. उन्होंने मेरी बहन की साड़ी का आंचल उनके सीने से हटा दिया.. आप मेरी बहन का नंगा पेट ठाकुर साहब की आंखों के सामने था.. उन्होंने मेरी दीदी की गोल गहरी नाभि पर चुम्मा लिया उनकी कमर के इर्द-गिर्द अपना हाथ डालकर..


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ठाकुर साहब: आज तो बस इसी छेद पर चुम्मा ले रहा हूं.. तुम्हारे हर छेद भी इसी तरह चुम्मा लूंगा रूपाली... समझ गई ना मेरी जान..
कंचन अपने सामने यह कामुक नजारा देख रही थी..
मेरी रुपाली दीदी : ठाकुर साहब... मुझे नहीं पता था कि आप इतने गिरे हुए इंसान हैं..
ठाकुर साहब: रूपाली अभी तो तुम्हें कुछ भी पता नहीं चला.. मैं बहुत गंदा आदमी हूं.. अभी तक तो मैं शराफत से काम ले रहा था.
मेरी रूपाली दीदी : यह कैसी शराफत है ठाकुर साहब.. आपकी शराफत तो कल रात ही मैंने देख ली थी..
ठाकुर साहब: जो भी है... अभी मुझे कुछ काम से बाहर जाना है.. मेरे लिए नाश्ता तैयार कर दो तुम ..
मेरी रूपाली दीदी: मैं आपकी बीवी नहीं हूं जो आप मुझे इस तरह से आर्डर दे रहे हैं..
ठाकुर साहब: बीवी बन जाओगी तो मेरा आर्डर ले लोगी?( ठाकुर साहब की आंखों में बस प्यास थी मेरी बहन के लिए)..
मेरी दीदी अजीब सा महसूस करने लगी थी उनकी बात सुनकर..

ठाकुर साहब: डरो मत रुपाली... मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती नहीं करूंगा.. तुमसे शादी करूंगा और फिर तुम को सुख दूंगा..
मेरी रुपाली दीदी: आपके बदतमीजी का जवाब नहीं ठाकुर साहब.. आप एक अकेली औरत को अपने घर में लाकर उसकी मजबूरी का फायदा उठाना चाहते हैं.. अगर मेरे पति अनूप ठीक होते तो आपकी हिम्मत भी नहीं होती..
ठाकुर साहब: तेरा पति? हा हा हा? अगर तुम्हारा पति ठीक भी होता तो मैं तो उसको एक हाथ से उठाकर पटक देता..
मेरी रूपाली दीदी मन ही मन जानते थे कि ठाकुर साहब बिल्कुल सच कह रहे हैं... ठाकुर साहब की मर्दानगी के आगे मेरा जीजा बिल्कुल चूहे की तरह था.. अगर ठाकुर साहब चाहे मेरे जीजाजी की हड्डी पसली एक कर सकते थे.. ठाकुर साहब के मुसल का एहसास मेरी बहन को चुका था.. कोई बराबरी नहीं थी ठाकुर साहब और मेरे जीजाजी में..


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कल रात को मेरी रूपाली दीदी ने ठाकुर साहब के औजार की मोटाई और लंबाई का एहसास करके उनको पीछे धक्का दिया था.. दीदी को अच्छी तरह पता था कि ठाकुर साहब के पास क्या चीज है.. मेरी रूपाली दीदी अपने छोटे छेद के बारे में सोच रही थी.. ठाकुर साहब बाहर निकल गय..
कंचन: क्या दीदी... आपने तो ठाकुर साहब को नाराज कर दिया... मैं तो समझ रही थी कि ठाकुर साहब ने कल रात को आपका बाजा बजा दिया.. लेकिन वह तो आपसे प्यार करने लगे है..
मेरी रुपाली दीदी: चुप करो कुछ भी बोलती हो तुम...
कंचन: अच्छा दीदी मैं तो कुछ नहीं बोलती .. आज की रात ठाकुर साहब आपकी जरूर लेंगे...
मेरी दीदी : तुमको कैसे पता..
कंचन: मुझे सब पता है दीदी ठाकुर साहब के बारे में.. जब वह मुझे इस घर में पहली बार लेकर आए थे तभी मुझे समझ आ गया था..
मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह जानती थी कंचन क्या कह रही है.. दीदी किचन से निकलकर बाहर आ गई.. मैं और रोहन हॉल में बैठकर टीवी देख रहे थे.. ठाकुर साहब हॉल में खड़े मेरे रुपाली दीदी के सामने थे..
ठाकुर साहब: मैं नहाने जा रहा हूं रूपाली... मुझे बाहर जाना है बहुत सारा काम है.. मैं तुम्हारे पति की तरह निकम्मा नहीं हूं.. जब मैं नहा कर आऊंगा तो मेरा नाश्ता तैयार रखना..
मेरी रूपाली दीदी: मेरे पति की हालत पर कुछ तो तरस खाइए ठाकुर साहब..
ठाकुर साहब: उसका हाथ तो ठीक है.. आजकल इंटरनेट पर कितने सारे काम होते हैं.. कुछ भी कर सकता है.. पर करना ही नहीं चाहता अनूप..
मैं और रोहन चुपचाप मेरी दीदी और ठाकुर साहब के बीच होने वाली बातचीत को सुन रहे थे...


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ठाकुर साहब: वह तो बस तुमसे काम करवाना चाहता है.. खुद्दार पति की पत्नी होने का सुख तुम्हें कभी नहीं मिलेगा अनूप से..
मेरी रूपाली दीदी और मैं भी अच्छी तरह जानता था कि ठाकुर साहब की बातों में कुछ तो सच्चाई है.. रोहन मुस्कुरा रहा था... कंचन भी किचन से बाहर आकर उन दोनों के बीच की बातचीत सुन रही थी.
ठाकुर साहब: देखो रूपाली मुझे बाहर जाना है किसी काम से.. आज डॉक्टर आने वाला है तुम्हारे पति का चेकअप करने के लिए.. मैंने पैसे रख दिय टेबल पर... डॉक्टर को दे देना जाने के समय... चेकअप के बाद... समझ गई ना..
मेरी रूपाली दीदी सर झुका के ठाकुर साहब के सामने खड़ी थी...
तुम दोनों बाहर जाओ.. ठाकुर साहब ने मुझे और रोहन को कहा.. हम दोनों बड़ी तेजी से बाहर निकल गए घर से..
ठाकुर साहब: देखो रूपाली.. मुझे माफ कर दो मैंने आज तुम्हारे साथ बहुत बदतमीजी के साथ बात की..
उन्होंने मेरी दीदी का चेहरा अपने हाथों में ले उनको चुम्मा लेने की कोशिश की.. दीदी दूर हो गई ठाकुर साहब से..
मेरी रूपाली दीदी: क्या आप मेरे पति के लिए एक व्हीलचेयर का इंतजाम कर सकते हैं?
ठाकुर साहब: व्हीलचेयर? वह किसलिए रूपाली? जब रात में मैं तुम्हारी लूंगा तो तुम्हारा पति व्हील चेयर पर आकर देखेगा सब कुछ.. इसलिए?
मेरी रूपाली दीदी शर्मिंदा होकर चुपचाप नीचे की तरफ देखने लगी थी..
ठाकुर साहब: ठीक है रुपाली.. व्हीलचेयर का इंतजाम हो जाएगा..
मैं कुछ और पैसे रख दूंगा.. व्हीलचेयर की खातिर कम से कम एक चुम्मा तो दे दो.. मेरी रानी..
रूपाली दीदी: बस कीजिए अपनी बकवास... कुछ भी बोलते हैं आप.. मैं नहीं करूंगी आपके साथ यह सब..
ठाकुर साहब: तुम नहीं सुधरने वाली... मैं नहाने जा रहा हूं मेरा नाश्ता तैयार रखना... बोलते हुए ठाकुर साहब वॉशरूम में घुस गय..
इसके बाद कुछ खास नहीं हुआ.. ठाकुर साहब नहाने के बाद नाश्ता किय और फिर चले गए घर से बाहर अपने काम के लिए..
मेरी रूपाली दीदी ने भी सोनिया को स्कूल छोड़ दिया और वापस घर आकर अपनी छोटी बेटी नूपुर को अपना दूध पिला बिस्तर पर लेटी हुई सोच रही थी.... यह कंचन क्या चीज है... मुझे कंचन की तरह ठाकुर साहब के रंडी नहीं बनना है... मेरी दीदी ने जीजू को खाना खिलाया... फिर मुझे और रोहन को भी... कंचन की निगाहें मेरे रूपाली दीदी पर टिकी हुई थी.. मेरी दीदी अपने बेडरूम में गई यानी कि ठाकुर साहब के बेडरूम में उनके बिस्तर पर लेट कर अपने आने वाले भविष्य के बारे में सोचने लगी... मेरी दीदी को नींद आ गई..
ठाकुर साहब ने मेरी बहन के साथ जो कुछ भी किया था वह किसी भी तरह से ठीक नहीं था.. लेकिन साथ ही साथ वह हमारे घर की आर्थिक स्थिति को भी संभाल रहे थे... मेरी रुपाली दीदी ठाकुर साहब के ही ख्यालों में खोई हुई थी.. व्हीलचेयर..?
मेरी बहन का पति दूसरे कमरे में सो रहा था.. और मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब के साथ उनके बिस्तर पर.. ठाकुर साहब की उम्र कुछ ज्यादा ही थी.. मेरी रुपाली दीदी की तुलना में.. ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के साथ कुछ मौज मस्ती करना चाहते थे.. इस बात में तो कोई शक नहीं..
मेरी रूपाली दीदी किसी भी कीमत पर नहीं चाहती थी.. उन्होंने मन ही मन फैसला किया कि वह ठाकुर साहब को बोलेगी कि कोई नौकरी दिला दें.. ताकि वह ठाकुर साहब का उधार चुका सकें... पर ठाकुर साहब ... उनका तो इरादा कुछ और ही था.. मेरी बहन की लेने का... बिना कंडोम के..


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मेरी बहन को नींद आ गई.. शाम को डॉक्टर साहब आए.. उन्होंने मेरे जीजाजी का चेकअप किया.. डॉक्टर साहब ने सुझाव दिया कि मेरे जीजाजी को एक व्हीलचेयर की जरूरत है... मेरी दीदी उनकी बात सुनकर हैरान थी.. ठाकुर साहब ने भी तो यही कहा था..
ठाकुर साहब के पर्स में से पैसा निकाल कर मेरी रूपाली दीदी ने डॉक्टर को दिया और उनको जाने दिया... डॉक्टर साहब के जाने के बाद मेरी रूपाली दीदी और मेरे जीजा जी ने एक साथ लंच किया.. मेरी दीदी अच्छा महसूस कर रही थी.. सब कुछ अच्छा हो रहा था...
मैं और रोहन अब एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन चुके थे..
 
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दोपहर के बाद डॉक्टर साहब आए... उन्होंने मेरे जीजाजी का फुल चेकअप किया... और कुछ दवाइयां और हिदायत भी दी साथ में... उन्होंने मेरी दीदी को सलाह दी कि हो सकता है तो एक व्हीलचेयर का इंतजाम इनके लिए कर दीजिए आप... दीदी उनकी बात सुनकर खुश हुई.. मेरे जीजू भी अच्छा महसूस कर रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी ने पैसे लाकर डॉक्टर साहब के हाथ में पकड़ा दिया, जो पैसे ठाकुर साहब उनको घर से निकलने से पहले देकर गए थे... एक व्हीलचेयर शाम को हमारे घर पहुंच गया था... मैंने और रोहन ने मिलकर बड़ी मुश्किल से मेरे जीजाजी को व्हीलचेयर के ऊपर बैठाया...
व्हीलचेयर के ऊपर बैठकर मेरे जीजाजी बेहद खुश लग रहे थे... वह बार-बार मुझे और रोहन को बता रहे थे कि ठाकुर साहब कितने अच्छे और दयालु इंसान हैं... मेरे भोले जीजा जी को इस बात की जरा भी भनक नहीं थी इसके बदले वह उनकी बीवी यानी मेरी रूपाली दीदी को अपने बिस्तर की रानी बनाना चाहते थे.. मुझे मन ही मन इस बात का अंदाजा हो चुका था पर उस समय मैं कुछ भी करने की हालत में नहीं था..

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हमारे घर की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से खराब हो चुकी थी.. मेरे जीजाजी भी अपाहिज हो चुके थे.. हमारा परिवार शरणार्थी की तरह ठाकुर साहब के फ्लैट में रह रहा था.. मेरे स्कूल की फीस भी ठाकुर साहब के पैसों से भरी जा रही थी... ऐसी हालत में मैं अपने जीजा जी को कैसे बताता ठाकुर साहब की नियत मेरी रूपाली दीदी के लिए ठीक नहीं है.. ऐसी बात जानकर मेरे जीजाजी की हालत और भी खराब हो सकती थी.. मेरी उम्र भी उस वक्त कम थी और मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए.. मैंने चुप रहना ही ठीक समझा.
रात को ठाकुर साहब घर वापस आए... उन्होंने मेरे जीजाजी की हालत का जायजा लिया... मेरे जीजू को व्हील चेयर पर देखकर उनको भी अच्छा लगा... जीजू ने ठाकुर साहब को धन्यवाद दिया...
जीजू: आपका एहसान मैं जिंदगी भर नहीं चुका सकता.. ठाकुर साहब हमारी इस परिस्थिति में आपने जो मदद की है उसके लिए हमारा परिवार पूरी जिंदगी आपका कर्जदार रहेगा..
ठाकुर साहब ने मेरे जीजाजी की बात पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया.. ठाकुर साहब की निगाहें तो मेरी रुपाली दीदी पर टिकी हुई थी, अपने सपनों की रानी पर..
मेरी रूपाली दीदी भी ठाकुर साहब के साथ अच्छा व्यवहार कर रही थी..
मेरी दीदी आज बहुत खुश लग रही थी..
लाल रंग की साड़ी और काले रंग की चोली में जब मेरी दीदी किचन में काम कर रही थी उसी वक्त ठाकुर साहब ठीक उनके पीछे जाकर खड़े हो गए.. साड़ी में लिपटी हुई मेरी बहन की उभरी हुई हसीन गांड देखकर ठाकुर साहब का लंड तुरंत खड़ा हो गया.. मेरी दीदी खाना बना रही थी और बगल से उनका पेट ठाकुर साहब को साफ साफ दिखाई दे रहा था.. चिकना सपाट पेट गहरी नाभि देखकर ठाकुर साहब से रहा नहीं गया.. उन्होंने अपना एक हाथ में मेरी रूपाली दीदी की चिकनी कमर पर रख दिया... ठाकुर साहब अच्छी तरह जानते थे कि यह ठीक समय नहीं है.. इसीलिए वह मेरी बहन की कमर को थामे हुए कुछ दूरी बनाए हुए खड़े थे ताकि उनका हथियार मेरी बहन की गांड को टच ना कर सके..
मेरी रूपाली दीदी ने महसूस किया कि ठाकुर साहब का मजबूत कठोर हाथ उनकी कमर पर फिसल रहा है... मेरी बहन इस वक्त कोई भी सीन खड़ा नहीं करना चाहते थे... वाह ठाकुर साहब की पहुंच से दूर होकर खड़ी हो गई.. फिर उनकी तरफ तरफ मुड़ कर ठाकुर साहब को देखने लगी...


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मेरी रूपाली दीदी: ठाकुर साहब आप मेरे लिए एक जॉब ढूंढ दीजिए..
ठाकुर साहब: तुम्हें जॉब करने की क्या जरूरत है रुपाली..
मेरी रूपाली दीदी: आपने जो हमारी इतनी मदद की है मैं उसे चुकाना चाहती हूं..
ठाकुर साहब: 1- 2 जॉब तो है.. पर बहुत दूर जाना होगा और काम भी करना पड़ेगा... तुम्हारी दो छोटी बेटियां हैं... कैसे कर पाओगी यह सब... तुम्हारे अपाहिज पति की देखभाल कौन करेगा...
मेरी रूपाली दीदी: मैं कोशिश करूंगी.. नहीं तो आपके पैसे कैसे चुका पाऊंगा...
ठाकुर साहब: वह तो तुम चुका सकती हो...
मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब की बात समझ गई और शर्मा गई.. मेरी बहन चुप हो गई... इस वक्त ठाकुर साहब ने भी ज्यादा दबाव डालना ठीक नहीं समझा..
ठाकुर साहब: देखो रुपाली मैं कोशिश करूंगा जॉब का इंतजाम करने की... लेकिन तुम समझ लो कि मिलना बहुत मुश्किल है. अच्छा बताओ आज खाने में क्या बना हुआ है...
मेरी रूपाली दीदी: दाल रोटी और सब्जी...
ठाकुर साहब: मटन नहीं बनाई हो क्या... चलो कोई बात नहीं जल्दी से खाना लगा दो मुझे बहुत भूख लगी है...
उसके बाद हम सब ने मिलकर एक साथ खाना खाया.. खाना खाने के बाद ठाकुर साहब तो सिगरेट पीने के लिए बाहर चले गए... मेरी रूपाली दीदी ने मेरे जीजाजी को बेड पर सुलाया और फिर सोनिया को गोद में लेकर ठाकुर साहब के बेडरूम में चली गई... मैं और रोहन कल की तरह ही हॉल में सो रहे थे... कंचन किचन में सो रही थी... मेरी बहन ने नूपुर को अपना दूध पिलाया और उसको सुला दी पालने में... फिर दीदी ने सोनिया को भी सुला दिया अपने बिस्तर पर..
सोनिया को बिस्तर पर सुलाने के बाद मेरी रूपाली दीदी अपनी साड़ी चेंज करने लगी थी... ठीक उसी वक्त ठाकुर साहब अपने बेडरूम में गय.. उनकी आंखों के सामने मेरी रूपाली दीदी लाल रंग के पेटीकोट और काले रंग की चोली में खड़ी थी.. मैं और रोहन अभी भी जगे हुए थे.. हमें ठाकुर साहब को बेडरूम में जाते हुए देखा था.. पर जानबूझकर डर के मारे अपनी आंखें बंद कर रखी थी.. जब ठाकुर साहब बेडरूम के अंदर घुस गय तब मैंने रोहन की तरफ देखा... उसकी आंखों में कुटिल मुस्कान थी.. मुझे अच्छी तरह समझ में आ रहा था कि आंखों आंखों में ही वह मुझे क्या कह रहा है..
ठाकुर साहब आज तेरी बहन को भी पेलने जा रहे हैं....


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मैंने अपनी नजर एक नीचे झुका ली थी.. अंदर ठाकुर साहब के बेडरूम में मेरी दीदी उनके सामने खड़ी थी...
सपाट चिकने पेट पर गहरी नाभि.. बड़े बड़े मस्त दुधारू चूची चोली के अंदर देखकर ठाकुर साहब देखते ही रह गया.. मेरी रूपाली दीदी को एहसास हुआ कि ठाकुर साहब उनके बदन को निहार रहे हैं..
मेरी रुपाली दीदी शर्मिंदा महसूस करने लगी और जल्दी जल्दी अपनी साड़ी लपेटने लगी थी.. ठाकुर साहब मेरी दीदी के पास आए और उन्होंने मेरी बहन का हाथ पकड़ लिया.. मेरी दीदी घबराने और शर्मआने लगी थी.
ठाकुर साहब के मुंह से शराब और सिगरेट की बदबू आ रही थी... अब मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर साहब एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे..
इतना ही काफी था ठाकुर साहब का लंड खड़ा करने के लिए..
उनका खड़ा लंड मेरी बहन की नाभि के आसपास की जगह पर दस्तक देने लगा था... जब ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी के होठों को चूमने के लिए नीचे की तरफ झुके..
मेरी बहन ने अपनी आंखें बंद कर ली और अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा दिया..
ठाकुर साहब ने मेरी बहन को अपनी गोद में उठा लिया और अपने बिस्तर पर लेटा दिया.. फिर उन्होंने सोनिया को उठाकर अलग कर दिया और खुद मेरी बहन के पास आ गए... आज मेरी बहन कल रात की तरह कुछ खास ज्यादा विरोध नहीं कर रही थी... मेरी दीदी दीवार की तरफ देखने लगी ठाकुर साहब से दूर होते हुए.. ठाकुर साहब मेरी बहन के पास आए और करवट लेती हुई मेरी बहन के ऊपर अपनी टांग उठा कर लेट गया.. उनका मोटा लंबा खूंखार हथियार मेरी दीदी के पेटीकोट के ऊपर से उनकी गांड पर दस्तक दे रहा था... मेरी दीदी परेशान हो गई थी.
मेरी बहन के मुंह से सिसकी भी निकल गई थी जब उन्होंने महसूस किया था अपनी गांड पर ठाकुर साहब का मजबूत हथियार.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन को अपनी बाहों में भर लिया था... और उनकी गांड पर अपना हथियार घिसाई कर रहे थे... मेरी दीदी को समझ नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें...
ठाकुर साहब ने अपनी टी-शर्ट निकालकर नीचे फेंक दि.. और मेरी बहन की पीठ को चूमने लगे चोली के ऊपर से... उनका हाथ मेरी बहन के पेट पर था.. नाभि में उनकी उंगलियां थी..

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मेरी रूपाली दीदी को अपने बदन में एक अजीब से करंट का एहसास हुआ.. ठाकुर साहब अपना हाथ मेरी बहन की चूची के ऊपर ले जाना चाहते थे... पर मेरी रूपाली दीदी ने उनका हाथ पकड़ के नीचे हटा दिया.
ठाकुर साहब आज बिल्कुल भी जोर जबरदस्ती नहीं कर रहे थे मेरी बहन के साथ... जितना मौका उनको मिल रहा था आज इतने से ही खुश हो रहे थे ठाकुर रणवीर सिंह...
ठाकुर साहब मेरी बहन की टांग पर अपने टांग रगड़ रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी की गांड के नीचे दोनों जांघों के बीच अपने मुसल लंड को सटाए ठाकुर साहब मेरी बहन के साथ प्यार करने की कोशिश कर रहे थे... मेरी बहन ठाकुर साहब के हथियार की लंबाई और मोटाई का ठीक से अंदाजा लगा रख पा रही थी... मेरी रुपाली दीदी डरी हुई थी...
ठाकुर साहब पीछे से तो ऐसे धक्का दे रहे थे जैसे मानो मेरी रूपाली दीदी की गांड मार रहे हो.. मेरी दीदी घबराकर बोल पड़ी..
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब... कंबल तो डाल लीजिए.. अगर सोनिया जाग गई तो सब कुछ देख लेगी..
ठाकुर साहब ने कंबल ले लिया..मेरी बहन और ठाकुर साहब दोनों कंबल के नीचे आ गए थे.. वह मेरी दीदी की गाल और गर्दन को चूमने लगे थे.
ठाकुर साहब को एहसास हुआ कि मेरी रूपाली दीदी भी शारीरिक संबंध के लिए तैयार हो चुकी है.. उन्होंने मेरी बहन का चेहरा अपनी तरफ घुमाया और फिर अपने दोनों मजबूत हाथों में मेरी बहन की दोनों चूचियां थाम के दबाने लगे... मसल के बुरी तरह से निचोड़ डाला उन्होंने चोली के ऊपर से मेरी बहन के दोनों पहाड़ को... मेरी दीदी कराह उठी.

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ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी की दोनों दुधारू चुचियों को दबाते हुए मेरी बहन की आंखों में देख रहे थे... ठाकुर साहब ऐसा पहले भी मेरी बहन के साथ कर चुके थे... पर आज उन्हें कुछ अलग लग रहा था..
उन्हें तो ऐसा लग रहा था जैसा वह यह पहली बार कर रहे हैं..
मेरी रूपाली दीदी उनकी आंखों में ज्यादा देर तक देख नहीं पाई और शर्म और हया के मारे बेहाल हो गई... उनका पति बगल के कमरे में सो रहा था... उनका भाई बाहर हॉल में सो रहा था... और मेरी दीदी ठाकुर साहब के बिस्तर पर उनके नीचे लेटी हुई अपनी चूचियां उनके हवाले किए हुए लेटी हुई थी... अगल बगल में ही उनकी दोनों बेटियां सोई हुई थी.
ठाकुर साहब अपने होठ मेरी रुपाली दीदी के लाल होठों पर टिका चूसने लगे... बिना लिपस्टिक के भी मेरी दीदी के होठ चूसते हुए ठाकुर साहब को बड़ा मजा आ रहा था और टेस्ट भी... यह उन दोनों का पहला चुंबन था..
मेरी रूपाली दीदी धीरे-धीरे ठाकुर साहब का सहयोग करने लगी थी.. चुंबन में... दीदी की सांसे भारी होने लगी थी.. ठाकुर साहब मेरी बहन के ऊपर दबाव बनाने लगे थे.. सब कुछ बड़े प्यार से हो रहा था..
ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के ऊपर सवार हो चुके थे... उनका तगड़ा हथियार मेरी बहन की जांघों के बीच के त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था... और मेरी बहन गीली हुई जा रही थी... चूचियां छोड़कर ठाकुर साहब ने अपना हाथ नीचे किया और मेरी बहन की गांड को अपने हाथों में दबोच लिया... अब उनका चेहरा मेरी बहन की छाती पर था.. मेरी दीदी तड़प रही थी.. मचल रही थी ..सिसक रही थी...
पेटीकोट के ऊपर से ठाकुर साहब मेरी बहन की गांड को दबाने लगे... मेरी दीदी जोर-जोर से आहें भरने लगी.. वह मेरी बहन की गर्दन को चाट रहे थे... मेरी दीदी के गालों को चूम रहे थे...
मेरी बहन अब पूरी तरह से गीली होने लगी थी... ठाकुर साहब को मेरी रुपाली दीदी की स्थिति का एहसास हो चुका था...

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ठाकुर साहब आज कोई जल्दी बाजी नहीं करना चाहते थे.. उन्होंने धीरे धीरे मेरे रूपाली दीदी की काले रंग की चोली को खोलना शुरू कर दिया.
इसी बीच में रूपाली दीदी सोनिया की तरफ देख रही थी... सोनिया गहरी नींद में सोई हुई थी.. दीदी को मन में राहत का अहसास हुआ..
ठाकुर साहब इतनी देर में ही मेरी बहन की चोली खोल चुके थे.. एक झटके में ही उन्होंने मेरी बहन की ब्रा का हुक भी खोल दिया... मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को रोकना चाहती थी पर रोक नहीं पाई... ठाकुर साहब बेहद अनुभवी थे इस काम को करने में..
ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी के कांधे से खींच कर उनकी ब्रा को अलग किया... दोनों मदमस्त उभरे हुए पहाड़ ठाकुर साहब की आंखों के सामने थे... मेरी बहन की दोनों चूची नंगी हो चुकी थी... ठाकुर साहब मेरी बहन की छाती को दबाते हुए दूध निकालने लगे और मेरी बहन को चूमने लगे ... दोनों एक दूसरे को चूमने लगे... फ्रेंच किस....
ठाकुर साहब बेहद भारी और मजबूत इंसान थे.. वह खुद को संयम नहीं कर पाए.. उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की एक चूची को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगे... दूध पीने लगे मेरी बहन का...
मेरी बहन के मुंह से एक तेज कराह निकली..
मेरी रूपाली दीदी का एक हाथ ठाकुर साहब के सर पर था और उनकी बालों में घूम रहा था... वह मेरी बहन का दूध पी रहे थे.. बड़े प्यार से मेरी बहना का चूस रहे थे... मेरी दीदी के एक निप्पल पर जीभ फिर आते हुए वह दूसरे निप्पल को अपनी चुटकी में लेकर मसल रहे थे... दीदी बेहाल थी परेशान थी... तड़प तड़प के पागल हो रही थी..


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तकरीबन 10 मिनट तक उन्होंने मेरी रुपाली दीदी की एक चूची से दूध पिया... फिर उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में दबोच लिया... और बारी बारी से उनका दूध पीने लगे..
आअममममममम... की आवाज कमरे में गूंजने लगी थी..
दोनों प्रेमी युगल कामवासना की दुनिया में खोए हुए थे.. ठाकुर साहब ने एक हाथ मेरी रूपाली दीदी का पेटीकोट उनके कमर के ऊपर तक उठा दिया.. और उसी हाथ से मेरी दीदी की गांड पकड़कर दबाने लगे.. सब कुछ काबू से बाहर होता जा रहा था... मेरी बहन को एहसास हो चुका था कि अब रोकना पड़ेगा... पर कैसे रोके समझ नहीं आ रहा था उनको...
मेरी रूपाली दीदी: आआई मम्माममआ ईईईईऊ आया ऊ ईईई... प्लीज ठाकुर साहब... अब रुक जाइए अब और नहीं..
ठाकुर साहब: मेरी जान.. बस एक बार गुस्सा लेने दो अपने अंदर... प्लीज आज मुझे मत रोको... रूपाली..
मेरी रूपाली दीदी: ऊ ईईई ... नहीं मेरी इज्जत मत...ठाकुर साहब..
ठाकुर साहब रुकने के मूड में नहीं थे... वह मेरी रुपाली दीदी की सूखी
चुदाई करने लगे थे जो कपड़े के ऊपर से होती है...
ठाकुर साहब नीचे झुककर मेरी बहन की नाभि को चूम रहे थे.. उनके पेट को चाट रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी भी उत्तेजित होकर अपनी गांड उठा रही थी .. ठाकुर साहब लंड को बार-बार मेरे रूपाली दीदी की चुनमुनिया के ऊपर घीसे जा रहे थे... मेरी बहन को तड़पा रहे थे..
सब कुछ कपड़े के ऊपर से ही हो रहा था....

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दोनों ने अब एक दूसरे को अपनी बाहों में जकड़ रखा था.. ठाकुर साहब अपने लंड को मेरी दीदी की पैंटी के ऊपर से रगड़ रहे थे.. कंबल के अंदर उन दोनों की गांड हिल रही थी... ठाकुर साहब ने अपना एक हाथ नीचे किया और मेरी रूपाली दीदी की पेंटी के अंदर में डाल दिया... बहुत ही गर्म गीली रसीली छेद का एहसास उनको हुआ.. उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी बहन के छेद में डाल दिया... मेरी दीदी तड़प तड़पकर कसमसआने लगी... ठाकुर साहब की मोटी लंबी उंगली का एहसास अपने छेद में पाकर मेरी दीदी चीखने लगी.. बड़ी तेज रफ्तार से ठाकुर साहब उस उंगली से ही मेरी रूपाली दीदी की मदमस्त गुलाबी रसीली चूत चोदने लगे थे... मेरी दीदी दर्द के मारे उछलने लगी.. ठाकुर साहब की उंगली बहुत मोटी थी.. ठाकुर साहब ने अपनी उंगली की रफ्तार तेज कर दी थी ...फल स्वरुप मेरी बहन ने भी उनके कंधे पर अपने दांतों से काट लिया.. ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी के होठों को चुम्मा लिया और फिर अपनी जीभ उसके मुंह में डाल चूसने लगे थे..
नीचे अपनी उंगली से ही वह मेरी बहन की चूत चोदने मे लगे हुए थे..
बेहद नरम चूत थी मेरी बहन की... उनसे अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ... उन्होंने मेरी बहन की पेंटी को नीचे खींच दिया... उसके बाद उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की दोनों टांगों को चौड़ा किया... मेरी रूपाली दीदी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और अच्छी तरह जानती थी कि आगे क्या होने वाला है... मेरी बहन खुद ही उनको ऐसा करने दे रही थी..
मेरी रूपाली दीदी: आआआह्ह्ह्ह... ठाकुर साहब... यह ठीक नहीं है..
ठाकुर साहब के पास समय नहीं था मेरी बहन को उत्तर देने के लिए...
उन्होंने मेरी बहन की गुलाबी गीले त्रिकोण के ऊपर अपना हथियार रख घिसना शुरू कर दिया... ठाकुर साहब ने अपने औजार को मेरी बहन के छेद के मुहाने पर टिका दिया... मेरी दीदी हो वासना की आग में पागल हुई जा रही थी... ऐसा पहली बार हो रहा था उनके साथ... मेरे जीजा जी ने तो कभी भी उनको ऐसा सुख नहीं दिया था...
आज मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को बिल्कुल भी रोकने का प्रयास नहीं कर रही थी ... ठाकुर साहब ने ऊपर से दबाव बनाया और फिर एक झटका दिया मेरी बहन की प्यासी गीली चूत के अंदर... ठाकुर साहब के लोड़े का सुपड़ा मेरी बहन की टाइट चूत को चीरता अंदर समा गया..



900-1000 मेरी दीदी की आंखें बड़ी हो गई... उन्होंने अपना हाथ ठाकुर साहब के पेट पर रख के उन को पीछे धकेलने की कोशिश की.. मेरी दीदी उनको रोकने का प्रयास कर रही थी.. ठाकुर साहब का बहुत बड़ा औजार था... मेरी दीदी दर्द में थी.. ठाकुर साहब ने कोई परवाह नहीं की और उन्होंने एक और झटका मारा... अब उनका आधा हथियार मेरी रूपाली दीदी के छेद में जाकर फस गया था... दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी के पसीने निकाल दिए थे.. अपने लोड़े के दम पर...
मेरी रूपाली दीदी: आआअह्हह्हह्ह... ठाकुर साहब..आआअह्हह्हह्ह ...नहीं.. बाहर निकाल लीजिए..आआअह्हह्हह्ह.. प्लीज बहुत दर्द हो रहा है..
ठाकुर साहब ने मेरी दीदी की एक नहीं सुनी... और उन्होंने एक जोरदार झटका दिया फाइनल.. पूरा का पूरा उन्होंने मेरी बहन की छेद में उतार दिया... मेरी रुपाली दीदी की कोख में ठाकुर साहब का हथियार लगा हुआ था... उन्होंने धीरे-धीरे अपना लंड बाहर निकाला और फिर से मेरी दीदी के अंदर पेल दिया..
मेरी बहन दर्द के मारे रोने लगी... अब ठाकुर साहब धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे.. उन्होंने मेरी बहन के दोनों हाथ को पकड़ के दोनों तरफ अलग कर दिया और बड़ी तेज रफ्तार से मेरी बहन को पेलने लगे... कमरे के अंदर ठाकुर साहब का पलंग चर चर चर की आवाज कर रहा था.. आज ठाकुर साहब का सपना पूरा हो रहा था..
अपने बिस्तर पर लाकर मेरी रूपाली दीदी का ढोल बजाना... आज ठाकुर साहब का सपना सच में साकार हो गया था.. मेरी दीदी का ढोल बज रहा था.. मैं और रोहन बाहर हॉल में जगे हुए.. और एक दूसरे की तरफ देख रहे थे.. हम दोनों को अच्छी तरह पता था कि ठाकुर साहब मेरी दीदी के साथ अपने बेडरूम में क्या कर रहे हैं... रोहन का लंड खड़ा था.. वह मेरी तरफ देखते हुए अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही मसल रहा था.. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उसको क्या बोलूं..
अंदर ठाकुर साहब के बेडरूम में.... ठाकुर साहब अपनी पूरी रफ्तार से मेरी रूपाली दीदी की चूत का बाजा बजा रहे थे... मेरी बहन की चूत गीली हो चुकी थी... इसीलिए ठाकुर साहब को आसानी हो रही थी.
दोनों के मुंह से कामुक आवाज साफ-साफ सुनाई दे रही थी... इतनी तेज कि अगर मेरा जीजा जगा हुआ हो तो उनको भी सुनाई दे दे...
ठाकुर साहब मेरी बहन की एक चूची को मुंह में लेकर दूध पीने लगे.. मेरी रूपाली दीदी ने अपनी दोनों टांगे ठाकुर साहब की कमर में लपेट दी थी..

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मेरी रुपाली दीदी की चूड़ी और पायल की खन खन की आवाज पूरे माहौल को और भी कामुक बना रही थी.. यह मेरी बहन की सर्वश्रेष्ठ ठुकाई थी... आज तक मेरे जीजाजी ने मेरी बहन को ऐसे नहीं ठोका था.
ठाकुर साहब पूरे जंगली अंदाज में मेरी बहन का ढोल बजा रहे थे... हर धक्के के साथ उनकी रफ्तार बढ़ती जा रही थी... अगले 15 मिनट तक मेरी बहन इसी प्रकार से लेटी हुई ठाकुर साहब के धक्के बर्दाश्त करती रही..
मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह जानती थी कि आज यह गुंडा उनकी चूत को चीर के रख देगा, फाड़ कर रख देगा .. मखमली गुलाबी सुरंग में अन्दर तक जाकर धंस जायेगा ..लगातार ठोकरे ..दे दनादन ठोकरे मरेगा.. सटासट उसका मुसल लंड उसकी मखमली चूत की संकरी सुरंग को चीरता हुआ उसके अनगिनत फेरे लगाएगा और तब तक उसे चीर चीर कर फैलाता रहेगा जब तक पूरा का पूरा उसके अन्दर तक धंस न जाये.. फिर शुरू होगा सरपट अन्धी सुरंग में रेस लगाने का सिलसिला और ये चुदाई और ठुकाई तब तक नहीं रुकेगी जब तक उस मुसल लंड से उसके सफ़ेद लावे की लपटे न निकलने लगे..
अचानक ठाकुर साहब का चेहरा लाल हो गया.. वह मेरी रूपाली दीदी की मखमली गुलाबी सुरंग में अपना वीर्य गिराने लगे.. मेरी बहन की मखमली छेद को उन्होंने अपने मलाई से भर दिया... मेरी दीदी भी पागलों की तरह अपने टांगो से ठाकुर साहब की गांड के ऊपर मारने लगी थी.. मेरी दीदी भी झड़ रही थी.. दोनों झड़ गए थे... ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी को जन्नत का सुख दिया था अपनी लोड़े से.. जो मेरा जीजा कभी भी नहीं दे पाया था...
मेरी रूपाली दीदी की गांड के नीचे का बेडशीट का हिस्सा पूरी तरह गीला हो चुका था... मेरी बहन के छेद से टपकता हुआ ठाकुर साहब का वीर्य बेडशीट को गीला कर रहा था.. मेरी रूपाली दीदी की आंखें बंद थी और गहरी गहरी सांसे ले रही थी.. बहुत ही कामुक और उत्तेजक दृश्य था.. वासना की आग से मेरी दीदी बाहर निकलने लगी थी.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन को चूमने का प्रयास किया पर उन्होंने अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लिया और रोने लगी..
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ठाकुर साहब को स्थिति का अंदाजा हो चुका था.. वह मेरी बहन के ऊपर से उतर गय.. मेरी रूपाली दीदी उठ कर खड़ी हो गई और अपने कपड़े जो इधर-उधर बिखरे पड़े थे उनको ढूंढने लगी.. ठाकुर साहब के गांड के नीचे मेरी बहन की पेंटी दबी हुई थी, जब उन्होंने निकाल कर मेरी बहन के हाथ में थमाई तो मेरी दीदी बिल्कुल शर्म से लाल हो गई थी.. मेरी दीदी बाथरूम के अंदर घुस गई थी.. ठाकुर साहब सिगरेट पीने के लिए बाहर निकल गय था..
बाथरूम के अंदर मेरी रूपाली दीदी अपने बदन को अच्छी तरह साफ करने लगी थी... जब मेरी दीदी बाथरूम से बाहर निकली तब उन्होंने नई साड़ी पहन रखी थी.. ठाकुर साहब भी एक बार फिर वापस बेडरूम में आ चुके थे.. मेरी दीदी बिना उनकी तरफ देखे ही बिस्तर के ऊपर चढ़ गई और अपने हिस्से पर जाकर सो गई... बीच में सोनिया और दूसरी तरफ ठाकुर साहब... दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हो रही थी... आज की रात बेहद तूफानी गुजरी थी दोनों के लिए..
ठाकुर साहब देख पा रहे थे कि मेरी रूपाली दीदी की आंखें सूज कर लाल हो गई है.. शायद मेरी दीदी बाथरूम के अंदर रो रही थी.. पर ठाकुर साहब ने इस वक्त मेरी रूपाली दीदी के साथ कुछ बात करना जरूरी नहीं समझा.. वह जो कुछ भी हासिल करना चाहते थे हासिल कर चुके थे.. पर उनका मन नहीं भरा था.. वह मेरी बहन के साथ और करना चाहते थे... पता नहीं क्यों... नींद तो मेरे ऊपर ही दीदी की आंखों से कोसों दूर हो चुकी थी... उनकी दोनों जांघों के जोड़ के बीच में दर्द भी हो रहा था.. शायद मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी फुलझड़ी भी सूज गई थी... आज बहुत दिनों के बाद मेरी बहन चुदी थी.. वह भी किसी गैर मर्द से..

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16947317-5fa9-4a4e-ab84-da39e94db584 मेरी दीदी दीवार की तरफ देख रही थी... दोनों को ही पता नहीं चला कब उनकी आंख लगी..
सुबह जब ठाकुर साहब की आंख खुली तो उन्होंने खुद को बिस्तर पर अकेला पाया...
ठाकुर साहब अपने बेडरूम से बाहर निकले... उन्होंने मुझे और रोहन को अपनी गाड़ी साफ करने के लिए बाहर भेज दिया.. ठाकुर साहब ने देखा कि मेरी रुपाली दीदी किचन में काम कर रही है कंचन के साथ..
ठाकुर साहब ने कंचन को अपना बेडरूम साफ करने का आदेश दिया... कंचन चुपचाप ठाकुर साहब के बेडरूम में चली गई सफाई करने के लिए.. ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी के पास आकर बोले..
ठाकुर साहब: सोनिया स्कूल चली गई क्या.
मेरी रूपाली दीदी ने हां में सर हिलाया.
ठाकुर साहब: देखो रूपाली कल रात जो कुछ भी..
मेरे रूपाली दीदी( उनकी बात को काटते हुए): कल रात जो कुछ भी हुआ वह मेरी जिंदगी का सबसे घिनौना काम था.
ठाकुर साहब: कल रात बिस्तर में मेरे साथ उछलते हुए तो ऐसा नहीं लग रहा था रूपाली..
मेरी रूपाली दीदी की आंखों में अंगारे बरसने लगे थे... गुस्से के मारे उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह ठाकुर साहब को क्या जवाब दें..
मेरी रूपाली दीदी के गुस्से पर भी ठाकुर साहब को प्यार आ रहा था.. वह मेरी दीदी के बदन को निहार रहे थे.. मेरी बहन के उतार चढ़ाव उनके कटीले बदन का अपनी हवस भरी आंखों से जायजा ले रहे थे.. 2 बच्चे पैदा करने के बाद भी इस छम्मक छल्लो का बदन इतना कसा हुआ इतना मदमस्त कैसे हो सकता है.. भगवान की बड़ी कृपा है इसके रूप रंग, इसके हुस्न और जवानी पर... क्या खूब चीज बनाई है कुदरत ने.. ठाकुर साहब मेरी दीदी के बदन को निहारते हुए अपने ख्यालों में गुम थे.. ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के पेट और कमर के हिस्से को अपनी आंखों से घूर घूर के देख रहे थे... जब मेरी दीदी को एहसास हुआ तो उन्होंने अपनी साड़ी से अपने खुले हिस्से को ढक लिया... तब जाकर ठाकुर साहब को होश आया.. मेरी दीदी एक बार फिर किचन में काम करने लगी थी..
ठाकुर साहब ने जब मेरी दीदी की उभरी हुई गांड साड़ी में लिपटी हुई देखी ...उनको दबाने के लिए आगे की तरफ बढ़ने लगे ..

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अचानक किचन के दरवाजे पर मेरे जीजा जी प्रकट हो गय...
मेरे जीजू: देखो रूपाली.. यह व्हीलचेयर कितना अच्छा है... मैं अपने आप ही अपने रूम से यहां तक आ गया...
मेरी रूपाली दीदी ने महसूस किया कि ठाकुर साहब बिल्कुल उनके पास खड़े हैं..मेरी बहन ठाकुर साहब से दूर हट कर खड़ी हो गई.
मेरी रूपाली दीदी: इसके लिए आपको इनको धन्यवाद देना चाहिए.. इनके कारण यह सब हो पाया..
मेरे जीजू: ( हाथ जोड़कर) बहुत-बहुत धन्यवाद ठाकुर साहब.. आप के कारण ही हमारे परिवार की स्थिति अब सुधरने लगी है..
ठाकुर रणवीर सिंह ने मेरे जीजा जी की बात पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया और फोन पर किसी से बात करने लगे.. जीजू को शर्मिंदगी महसूस हुई... ठाकुर साहब फोन पर बात करते हुए किचन से बाहर निकल गय और अपने बेडरूम में चले गए थे..
थोड़ी देर बाद ठाकुर साहब ने अपने बेडरूम से मेरे रूपाली दीदी को पुकारा..
ठाकुर साहब: रूपाली.. टॉवल कहां है..
मेरी बहन हैरान रह गई सुनकर, जिस अधिकार से ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी को पुकारा था.. मेरी जीजू को भी अजीब लगा था.. मेरी रूपाली दीदी घबराते हुए मेरे जीजू की तरफ देख कर मुस्कुरा ठाकुर साहब के बेडरूम की तरफ चल पड़ी.. मेरी जीजू हैरान परेशान होकर देख रहे थे... उन्हें बुरा तो लगा पर फिर उन्हें लगा कि यह एक आम बात है.. फिर उन्होंने इस बात पर कुछ खास ज्यादा ध्यान नहीं दिया..
ठाकुर साहब के बेडरूम में पहुंचकर...
मेरी रुपाली दीदी: आप मुझे मेरे पति के सामने इस तरह से कैसे बुला सकते हैं..
ठाकुर साहब: देखो रूपाली.. मैंने तुमको बहुत इज्जत से रखा हुआ है.. तुम मेरे साथ तमीज में रहकर बात करो..

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मेरी रूपाली दीदी के हाथ पैर ढीले हो गय.
मेरी रूपाली दीदी: आप प्लीज मेरे उनके सामने मुझसे इस तरह बात मत किया कीजिए.. वह क्या सोचेंगे..
ठाकुर साहब: मुझे उससे क्या? घर मेरा है ना.. तुम मेरे बेडरूम में हो.. मेरा टॉवल कहां है पूछ लिया तो क्या बुरा किया.. क्या हम दोनों पति पत्नी बन गय?
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब आप ऐसी बात मत कीजिए..
ठाकुर साहब: देखो रूपाली.. यह मेरा घर है.. और इस घर में क्या करना है क्या नहीं करना है वह मैं डिसाइड करता हूं... कोई जोर जबरदस्ती नहीं है तुम्हारे साथ... कल रात भी पहले तुमने ही अपनी टांगे फैलाई थी..
मेरी दीदी ठाकुर साहब की बात सुनकर झटका खा गई..
मेरी रूपाली दीदी: आप यह क्या बोल रहे हैं.. मेरे पति सुन लेंगे तो क्या सोचेंगे... मेरी दीदी गुहार लगाने लगी.
ठाकुर साहब मुस्कुराने लगे..
ठाकुर साहब: किचन में तुम्हारा पेट ही तो देख रहा था... तुमने अपनी साड़ी से क्यों ढक लिया..
मेरी रूपाली दीदी: जी वो मैं....
ठाकुर साहब: कसम से रूपाली.. अगर तेरा पति इस वक्त घर पर नहीं होता तो मैं तुझे अभी यहीं इसी वक्त पटक के...( अपने एक हाथ की दो उंगलियों से गोल छेद बनाकर दूसरे हाथ की बीच वाली उंगली को अंदर बाहर करते हुए मेरी बहन को चूत चुदाई का इशारा करने लगे)...
मेरी रूपाली दीदी शर्म से पानी पानी हो गई..
मेरी रूपाली दीदी: क्या मतलब है आपका? आपके घर में रह रही हूं तो कुछ भी बोलेंगे क्या आप मुझको...

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ठाकुर साहब( हंसते हुए): चलो कोई बात नहीं... अभी मुझे बाहर जाना है..
मेरी दीदी निस्सहाय होकर कमरे से बाहर निकल गई .. पूरा दिन निकल गया.. मेरे जीजा जी व्हीलचेयर के साथ बेहद रोमांचित थे.. वे अपने दोनों बच्चों के साथ दिनभर खेल रहे थे....
रात में मेरी रूपाली दीदी ने डिनर तैयार किया... क्योंकि आज कंचन अपने घर चली गई थी.. उसके पिताजी की तबीयत ठीक नहीं थी.. रोहन भी साथ में गया था.. मैंने तो पहले ही डिनर कर लिया.. मेरी रूपाली दीदी और जीजाजी ठाकुर साहब का इंतजार कर रहे थे.. ठाकुर साहब काफी देर रात लौटे थे... उन तीनों ने एक साथ मिलकर डिनर किया.. मेरे जीजा जी ठाकुर साहब से बातचीत करने की कोशिश कर रहे थे, परंतु ठाकुर साहब ने उन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया.. उनकी निगाहें तो मेरी रुपाली दीदी के ऊपर टिकी हुई थी..
मेरे जीजू को बुरा लग रहा था.. नहीं लग रहा था कि ठाकुर साहब किसी बात से उनसे नाराज है.. डिनर के बाद..
मेरे रूपाली दीदी: विनोद.. आज मैं आपके साथ सोऊंगी..
मेरी जीजू: क्यों आज क्या हुआ..?
मेरी रूपाली दीदी: बस ऐसे ही..
ठाकुर साहब: लेकिन वह बेड तो बहुत छोटा है..
मेरी रूपाली दीदी: कोई बात नहीं मैं एडजस्ट कर लूंगी..

मेरे जीजा जी: ठीक है..
ठाकुर साहब ने मन ही मन मेरी जीजू को बहुत सारी गालियां दी.. और अपने बेडरूम में चले गय..
मेरे जीजा जी के छोटे से बिस्तर पर मेरे रूपाली दीदी लेटने का प्रयास करने लगी थी.. पर मेरी दीदी उसके ऊपर एडजेस्ट नहीं हो पा रही थी.. वह बिस्तर वाकई में सिर्फ एक के लिए बना था.
मेरी रूपाली दीदी: मैं नीचे सो जाती हूं..
मेरी जीजा जी: अरे रूपाली इतनी ठंड है कैसे नीचे सो पाओगी.. तुम ठाकुर साहब के पास चली जाओ ना..
मेरी दीदी: आप क्या बोल रहे हो कुछ सोच भी रहे हो क्या..
मेरे जीजू: क्या हुआ उनकी उम्र तो कितनी ज्यादा है.. वैसे भी सोनिया बीच में सोती है ना..
मेरी रूपाली दीदी: आप भी ना.. बिल्कुल नहीं समझते कुछ भी..
मेरे जीजू: प्लीज चले जाओ ना... नूपुर यहां ठंड में नीचे तुम्हारे साथ कैसे सोएगी..
मेरी रूपाली दीदी ने अपने दोनों सोए हुए बच्चे को अपनी गोद में उठाया.. और ठाकुर साहब के बेडरूम के अंदर चली गई.. उन्होंने नूपुर को पालने में सुला दिया और सोनिया को बेड पर.. ठाकुर साहब जगे हुए थे और देख रहे थे..
मेरी बहन को एक बार फिर अपने बेडरूम में पाकर ठाकुर साहब खुश हो गए थे.. मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को नजरअंदाज करने का प्रयास कर रही थी.. वह उनके बिस्तर पर नहीं जाना चाह रही थी..

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मेरी रूपाली दीदी खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई और बाहर की तरफ देखने लगी.. ठाकुर साहब बड़ी तेजी के साथ उठ कर आय और मेरी बहन के पास आकर खड़े हो गए...
ठाकुर साहब: क्या हुआ रूपाली.. आज सोना नहीं है क्या.
मेरी दीदी: आप सो जाइए..
ठाकुर साहब: तुम्हें क्या हुआ है आज..
मेरी रूपाली दीदी: मुझे अभी नींद नहीं आ रही है...
ठाकुर साहब: मुझे भी नींद नहीं आ रही है.. तुम्हारे बिना..
मेरी रुपाली दीदी : नहीं मुझे नहीं जाना आपके साथ..
ठाकुर साहब ने मारी रूपाली दीदी की कमर को थाम लिया और अपनी तरफ घुमा के बोलने लगे..
ठाकुर साहब: रूपाली... यह क्या हो जाता है मुझको.. रात में.. तुमको अपने पास पाकर..
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज हट जाइए ठाकुर साहब... मेरे पति और मेरे भाई को भी दिख रहा होगा... दरवाजा खुला हुआ है..
ठाकुर साहब: ठीक है दरवाजा बंद कर देता हूं.. तुम्हें मैं अपने घर की रानी बनाना चाहता हूं.. उन्होंने बंद कर दिया दरवाजा...
मेरी रूपाली दीदी: नहीं... नहीं ठाकुर साहब.. यह सब ठीक नहीं है... मैं अपने पति को धोखा नहीं दे सकती..
ठाकुर साहब मेरे रूपाली दीदी के पास आए और उन्होंने मेरी बहन की एक चूची को अपने हाथ में पकड़ कर जोर से मसल दिया..
मेरी रूपाली दीदी के मुंह से एक जोरदार चीख निकल गई...ऊई माँ ! अह्ह्ह !
ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी की गर्दन में अपना चेहरा घुसा के चूमने लगे चाटने लगे... मेरी बहन की मादक खुशबू को अपनी नाक में उतारने लगे थे...
ठाकुर साहब का मुसल लंड मेरी रूपाली दीदी की नाभि को टच कर रहा था...
मेरी रूपाली दीदी: नहीं ठाकुर साहब... आज नहीं.. प्लीज..
ठाकुर साहब: क्यों... आज क्यों नहीं रूपाली...
उन्होंने मेरी रुपाली दीदी को अपनी गोद में उठाया... और बेडरूम के दरवाजे के पास लेकर नीचे उतार दिया... बड़ी तेजी से ठाकुर साहब ने अपना टीशर्ट और अपना बरमूडा उतार दिया ...

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ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के आगे नंगे खड़े थे.. आज पहली बार मेरी दीदी ने उनके तने लण्ड का दर्शन किया था... मेरी दीदी बेहद घबरा उठी थी ठाकुर साहब का औजार देखकर... एकदम काला... मोटा लंबा तना हुआ लण्ड मेरी दीदी की आंखों के सामने था.. कल रात इसी लण्ड से उन्होंने मेरी बहन का उद्घाटन किया था.... पर दीदी उनका औजार देख नहीं पाई थी... आज पहली बार देख रही थी.. तकरीबन 8 इंच लंबा 3 इंच मोटाई होगी उस खतरनाक लोड़े की... मेरी दीदी सहम गई थी..
मेरी बहन ने महसूस किया कि यह ठीक नहीं हो रहा है.. वह दरवाजे की तरफ भागने लगी.. पर भाग कर जाती कहां आखिर..
ठाकुर साहब ने मेरे रूपाली दीदी की साड़ी का पल्लू पकड़ लिया.. साड़ी का पल्लू उन्होंने मेरी बहन के सीने से अलग कर दिया..
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब... मुझे जाने दीजिए.. मत कीजिए मेरे साथ ऐसा...
ठाकुर साहब अब बिल्कुल भी बोलने के मूड में नहीं थे.. उन्होंने मेरी बहन को अपनी बाहों में खींचा और मेरी दीदी की छाती के ऊपरी हिस्से पर अपना दांत बढ़ा दिया.. मेरी रूपाली दीदी के मुंह से एक चीख निकल गई.. उनकी आंखों से आंसू बहने लगे.. ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी का पेटीकोट उठाने लगे थे... वह मेरी बहन की पेंटी को नीचे करने की कोशिश कर रहे थे... मेरी दीदी भागने का प्रयास करने लगी.. ठाकुर साहब के हाथ में ही उनकी पैंटी थी... मेरी बहन की पेंटी फट गई... एक झटके में ही दो टुकड़े हो गए थे.. मेरी बहन की पेंटी अब नीचे जमीन पर पड़ी हुई थी... मेरी रूपाली दीदी भागने लगी ...ठाकुर साहब ने एक बार फिर उनको पकड़ लिया और अपनी गोद में उठा लिया... उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की दोनों टांगों को अपनी कमर के इर्द-गिर्द लपेट लिया और मेरी बहन की पतली कमर को थाम के खड़े थे दीवार के सहारे.. निर्दई ठाकुर साहब..


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मेरी रूपाली दीदी: क्यों आप जबरदस्ती करना चाहते हो मेरे साथ.
ठाकुर साहब: क्योंकि तुम मेरे साथ सेक्स नहीं कर रही हो.
मेरी रूपाली दीदी: मैं आपकी नहीं हूं..
ठाकुर साहब: बन जाओ ना मेरी..
मेरी रूपाली दीदी: मैं आपसे प्यार नहीं करती हूं.
ठाकुर साहब ने मेरी बहन की चोली को फाड़ दिया.. और मेरी बहन की दुधारी सफेद चूचियों को ब्रा के ऊपर से चूमने लगे...
ठाकुर साहब बहुत धीरे-धीरे बोल रहे थे... आई लव यू रूपाली.. आई लव यू मेरी जान... तुम मेरी सब कुछ हो..
मेरी रूपाली दीदी की फटी हुई चोली उनके दोनों कंधों के ऊपर लटक के झूल रही थी... मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब की गोद से उतरने में नाकाम साबित हो रही थी.. उन्होंने मेरी बहन को मजबूती से जकड़ रखा था...
मेरी रूपाली दीदी ने महसूस किया कि ठाकुर साहब का मोटा लौड़ा झटके मार रहा है... ठाकुर साहब का मोटा सुपाड़ा मेरी बहन के प्रेम छिद्र पर सटा हुआ था.. मेरी बहन अभी भी सूखी थी...
ठाकुर साहब: बस एक बार ... रूपाली.. घुसा लेने दो ना... मैं पागल हुआ रहता हूं दिनभर तुम्हारे लिए..
मेरी रूपाली दीदी: नहीं प्लीज... ठाकुर साहब नहीं...
ठाकुर साहब अपना दाया हाथ नहीं ले गए और अपने लोड़े को पकड़कर मेरी बहन की नाज़ुक चूत का रास्ता दिखाने लगे... मंजिल मिलते ही उन्होंने अपने मुसल को मेरी दीदी के छेद पर घिसाई करना शुरू कर दिया.. मेरी बहन बेचैन होकर तड़पने लगी...
6 फुट लंबे चौड़े राक्षस की तरह दिखने वाले ठाकुर रणवीर सिंह ने मेरी रूपाली दीदी, नाजुक मुलायम हाउसवाइफ, को अपनी गोद में उठा रखा था.. और मेरी बहन की इज्जत लूटने की कोशिश कर रहा था वह गुंडा.. मेरी दीदी तड़प तड़प के पागल हुई जा रही थी...



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मेरी रूपाली दीदी अपनी सारी ताकत लगाकर ठाकुर साहब का विरोध करना चाहती थी पर कुछ कर नहीं पा रही थी.. वह सोच रही थी कैसे मैं इस गुंडे को मनमानी करने दे रही हूं अपने बदन के साथ.. मेरी दीदी निराश होने लगी थी... अपने गुलाबी चुनमुनिया पर ठाकुर साहब का मोटा लण्ड और ऊपर से घिसाई... मेरी दीदी बेहाल होकर तड़प रही थी.. मेरी दीदी ने पुरजोर विरोध किया इसके बावजूद ठाकुर साहब ने अपने हथियार का सुपाड़ा मेरी बहन के छेद में घुसा ही दिया...
मेरी रूपाली दीदी: हाय ... मर गई मां..
ठाकुर साहब को तना हुआ लंड मेरी रूपाली दीदी की कसी हुई गुलाबी मखमली चूत दीवारों को चीरता हुआ अंदर तक धंस गया था.. बिना देर किए अब ठाकुर साहब मेरी बहन को झटके देने लगे. वह मेरी दीदी को अपने लोड़े पर उछाल रहे थे...

थप थप थप थप थप... की आवाज कमरे में गूंजने लगी थी.. दोनों के बदन एक दूसरे से टकरा रहे थे...
मेरी रूपाली दीदी की गांड दीवार से रगड़ खा रही थी... आगे से ठाकुर साहब मेरी बहन की ठुकाई कर रहे थे... बहुत ही अजीब दृश्य था..
मेरी बहन के मुंह से निकलने वाली कामुक सिसकारियां ठाकुर साहब को और भी पागल बना रही थी.. मेरी बहन की एक चूची को मुंह में लेकर दूध पीते हुए ठाकुर साहब अपनी दोनों टांगों पर खड़े होकर मेरी नाजुक सगी बहन का ढोल बजा रहे थे. मेरी रूपाली दीदी की चूची का मीठा दूध पीकर ठाकुर साहब अपने आपको बेहद ताकतवर महसूस कर रहे थे.. वह अपनी पूरी शक्ति से मेरी दीदी का बैंड बजा रहे थे..
मेरी रूपाली दीदी ने भी खुद को ठाकुर साहब से लिपटा लिया था.. वह इस युद्ध में हार चुकी थी... अब वह ठाकुर साहब के हवाले उनकी मर्जी पर थी.. मेरी बहन के मुंह से आआह्ह्ह्ह...आआह्ह्ह्ह.. की मधुर ध्वनि रुक रुक के निकल रही थी..

मेरी रूपाली दीदी की चूत परपरा रही थी , दर्द से फटी जा रही थी ,आँख में आंसू तैर रहे थे... पर ठाकुर साहब रुकने का नाम नहीं ले रहे थे..



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दोनों के प्यासे होठ मिलकर एक हो गए थे... ठाकुर साहब ने मेरी बहन की गांड को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाते हुए मेरी बहन को अपनी लोड़े पर उछलने लगे... मेरी रूपाली दीदी झड़ गई... दीदी की मस्तानी रसीली मुनिया से सफेद लावा निकलकर उनके प्रेमी के औजार को और भी गीला कर दिया.. ठाकुर साहब आपने पूरी रफ्तार और ताकत से मेरी बहन का ढोल बजाने में लगे हुए थे...
मेरी बहन के अंदर अपना लंड पेलते ठाकुर साहब के मुंह से शेर की तरह दहाड़ निकल रही थी... मैं अभी भी सारी आवाजें सुन रहा था... मुझे अच्छी तरह पता था कि ठाकुर साहब मेरी बहन के साथ क्या कर रहे हैं अपने बेडरूम में... मैं सोने की कोशिश कर रहा था.. लेकिन कैसे सो पाता..
वह दोनों अपनी ही दुनिया में खोए हुए थे... कोई रोकने टोकने वाला नहीं था.. तकरीबन 15 मिनट तक इसी प्रकार से ठाकुर साहब ने मेरी बहन का ढोल पीटा.. और उनको अपनी बाहों में लिए हुए ही बिस्तर पर गिर गया.. मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी मुनिया में उन्होंने अपना मक्खन डाल दिया था... और मेरी दीदी के ऊपर लेट कर अभी भी झटका दे रहे थे..
ठाकुर साहब बुरी तरह पसीने से भीगे हुए थे.. अभी-अभी उन्होंने मेरी बहन को खड़े-खड़े ही पेलकर अपनी प्यास बुझाई थी... और मेरी दीदी की प्यास भी... वैसे तो ठाकुर साहब ने आज मेरी बहन के साथ जबरदस्ती किया था..
एक मोटी सफेद मलाई की धारा दीदी की चूत से फूट पड़ी थी और उनकी मोटी मोटी जांघो पर से बहती हुई नीचे बिस्तर पर जाकर के गिरने लगी थी...
कुछ देर बाद मेरी रूपाली दीदी ने अपने आप को कंबल से ढक लिया था.. ठाकुर साहब एक बार फिर कंबल के अंदर घुस गए थे और मेरी बहन को चूमने का प्रयास करने लगे..


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मेरी रूपाली दीदी: नहीं ठाकुर साहब प्लीज.. अब अब मत कीजिए..
ठाकुर साहब: क्यों क्या हुआ..
मेरी रूपाली दीदी: मेरी दोनों बेटियां यहीं पर सोई हुई है.. मेरा भाई हॉल में है...
ठाकुर साहब: तो क्या हुआ.. तुमको बाथरूम के अंदर ले जाऊं क्या..
मेरे रूपाली दीदी : नहीं प्लीज अब मत कीजिए.. मेरे कपड़े क्यों उतार रहे हैं.
ठाकुर साहब कंबल के अंदर मेरी दीदी के बदन के साथ छेड़खानी कर रहे थे... अचानक बगल में लेटी हुई सोनिया जाग गई.... और रोने लगी..
मेरी रूपाली दीदी: क्या हुआ बेटा रो क्यों रही हो...
सोनिया: मम्मी मेरे पेट में दर्द हो रहा है..
मेरी रूपाली दीदी घबरा गई.. और कंबल से बाहर निकल गई.. मेरी दीदी ने महसूस किया कि उनके बदन पर तो कपड़े ही नहीं है.. मेरी दीदी नंगी थी... उन्होंने भगवान का लाख-लाख शुक्र बनाया कि कमरे की लाइट बंद थी.. दीदी ने अपनी साड़ी उठाकर अपने बदन पर लपेट ली और कमरे की लाइट जला कर सोनिया के लिए दवाई ढूंढने लगी थी..
मेरी रूपाली दीदी ने सोनिया को पेट दर्द की एक गोली दी.. और सोनिया को अपनी गोद में लेकर थपकी देकर सुलाने की कोशिश करने लगी थी.
ठाकुर साहब को तो गुस्सा आ रहा था.. वह मेरी बहन की तरफ देख रहे थे.. उनका मूड तो कुछ और ही था..
ठाकुर साहब: सो गई क्या?
मेरी रूपाली दीदी: नहीं.
ठाकुर साहब: तो सुला दो ना इसको.. अपना दूध पिला दो..
मेरी रूपाली दीदी समझ रही थी कि ठाकुर साहब और क्या चाह रहे हैं.



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मेरी रूपाली दीदी: नहीं ठाकुर साहब अब और नहीं..
ठाकुर साहब गुस्से में कंबल से बाहर निकल गय.. उन्होंने अपने बरमूडा पहन लिया था कंबल के अंदर ही.. वह कमरे से बाहर निकल गया..
मैंने देखा ठाकुर साहब अपने बेडरूम से बरमूडा पहन के किचन में गय... वहां पर दो तीन पैग लगाने के बाद सिगरेट पीने के लिए ठाकुर साहब बालकनी में चले गए..उनका अभी भी मूड बना हुआ था..
ठाकुर साहब एक बार फिर किचन के अंदर गय और शराब पीने लगे..
कमरे के अंदर मेरी दीदी ने अपनी एक चूची सोनिया के मुंह में देकर उसको अपना दूध पिलाने लगी... दूध पीने के बाद सोनिया सो गई..
तकरीबन 5 मिनट के बाद मेरी रूपाली दीदी अपने कमरे से बाहर निकली... उन्हें लग रहा था कि मैं सोया हुआ हूं .. पर मैं जगा हुआ था और सब कुछ देख रहा था..
मेरी रूपाली दीदी ने पीले रंग की साड़ी और चोली पहन रखी थी.. उन्होंने अपने चेहरे पर हल्का मेकअप भी कर रखा था... स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी मेरी बहन.. मेरी दीदी बालकनी में चली गई..
ठाकुर साहब ने देखा मेरी बहन को बालकनी में जाते .. 2-3 घूंट पीकर ठाकुर साहब बालकनी में आ गए... मेरी रूपाली दीदी के पास.. बिल्कुल पास... पीछे से आकर उन्होंने मेरी दीदी की कमर पर अपना हाथ रख दिया... मेरी रूपाली दीदी ने भी कोई विरोध नहीं किया..
ठाकुर साहब: क्या देख रही हो मेरी जान.
मेरी दीदी: कुछ नहीं... प्लीज मुझे छोड़ दीजिए..
ठाकुर साहब: क्या हुआ मेरी छम्मक छल्लो..
मेरे रूपाली दीदी: मेरा छोटा भाई हॉल में सोया हुआ है... जग गया तो देख लेगा...
ठाकुर साहब: देखने दो उसको भी..
मेरी रूपाली दीदी: नहीं प्लीज ऐसा मत कीजिए..
ठाकुर साहब: चलो फिर अंदर बेडरूम में चलते हैं..


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मेरी रूपाली दीदी को ठाकुर साहब के मुंह से शराब की बदबू आई.. मेरी बहन को बुरा नहीं लगा.. वह थोड़ी बहुत ठाकुर साहब की मर्दानगी का कायल होने लगी थी... शराब की बदबू में उन्हें ठाकुर साहब की मर्दानगी का एहसास हो रहा था.. ठाकुर साहब मेरी बहन को चूमने का प्रयास करने लगे.. मेरी दीदी विरोध करने लगी..
मेरी दीदी: प्लीज ठाकुर साहब मुझे अंदर ले चलिए...
ठाकुर साहब: ठीक है मेरी जान..
ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी को अपनी गोद में उठा लिया और मेरे सामने मेरे बिस्तर के पास से गुजरते हुए उनको अपने बेडरूम में ले गय..
मैं सब कुछ देख रहा था... झूठ मूठ का सोने का नाटक करते हुए..
ठाकुर साहब मेरी बहन को अपने बेडरूम के बाथरूम के अंदर ले गय.. अंदर से उन्होंने बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया.. सोनिया उसी बेडरूम में सोई हुई थी...

बाथरूम के अंदर ले जाकर ठाकुर साहब ने तो सबसे पहले सावर ऑन किया... मेरी दीदी और ठाकुर साहब दोनों भीग गय.. उन्होंने मेरी रूपाली दीदी के बदन से हर कपड़ा उतार लिया... मेरी रूपाली दीदी को नंगा कर दिया... और खुद भी नंगे होकर मेरी दीदी के साथ नहाने लगे..

मेरी रूपाली दीदी के बड़े-बड़े हाहाकारी तने हुए स्तनों को और उसके ऊपर की नुकीली चूचियां को देख कर के ठाकुर रणवीर सिंह पागल सा हो गया था इतने सुडौल पुष्ट और मांसल और तने हुए स्तन उसने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखे थे ऊपर से गोरा रंग तो जैसे क़यामत था उसके अंदर का जवान खून उबाल मारने लगा उसकी सांसे तेज होने लगी .... ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी को बाथरूम के फर्श पर पटक दिया और उनकी दोनों टांगों को चौड़ा करके दीदी की चूत को चाटने लगा..
मेरी दीदी की चूत के हर हिस्से को ठाकुर साहब मैं अपनी जीभ से चाट चाट कर गीला कर दिया... पहली बार आज कोई मेरी रूपाली दीदी की चूत चाट रहा था.
मेरी रूपाली दीदी के लिए यह पहला अनुभव था अपने गुलाबी रसभरी छेद को किसी मर्द के जीव के हवाले कर देने का... ठाकुर साहब पागलों की तरह मेरी बहन का चाट रहे थे... मेरे जीजा जी ने भी कभी नहीं किया था ऐसा मेरी बहन के साथ... मेरी रूपाली दीदी स्वर्ग में थी...
अचानक बाथरूम के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी.. दोनों घबरा कर रुक गए... बाथरूम के दरवाजे के बाहर सोनिया खड़ी थी और दरवाजा पीट रही थी..
सोनिया: मम्मा... आप अंदर हो क्या..
मेरी रूपाली दीदी: हां बेटा... सो जाओ.... मैं 5 मिनट में आ रही ...आह्ह्ह्ह..



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सोनिया: ठीक है मम्मी..
सोनिया बेड के ऊपर चली गई और लेट गई बिस्तर पर..
इसी दरमियान मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को इस कार्यक्रम को रोकने के लिए बोलने ही वाली थी कि उनको एहसास हुआ कि ठाकुर साहब ने बड़ी चालाकी से मेरी बहन को बाथरूम के फर्श पर लेटा कर खुद उनके ऊपर सवार हो गए थे और उनकी गुलाबी मुलायम चिकनी छेद के ऊपर अपना मोटा मुसल एक हाथ से पकड़ कर घिसने लगे थे..
बिना देर किए ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी को अपनी आगोश में भर लिया और मेरी बहन की दोनों जांघों को फैलाते हुए उनकी कमसिन गुलाबी ,(पहले से ही लंड रस से सनी हुई),चूत में अपने लंड को सटाकर के अपना मुसल लोड़ा घुसा दिया था..

एक बार फिर ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी को पेल रहे थे.. मेरी बहन के मुंह से कामुक सिसकियां निकलने लगी थी... मेरी दीदी उन सिसकियों को जितना दबाने की कोशिश कर रही थी उतनी ही ज्यादा उनके मुंह से निकलने लगी थी... ठाकुर साहब इन बातों से बेपरवाह होकर मेरी बहन की ठुकाई करने में लगे हुए थे..पेल..पेल कर उन्होंने अपने मुसल से मेरी बहन की छेद की दीवारों को बुरी तरह चौड़ा कर दिया था.. ऐसा लग रहा था कि आज ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी की बुर फाड़ के दम लेना चाह रहे हैं..
मेरी रूपाली दीदी: आह... ठाकुर साहब ...प्लीज हा .. नहीं ... मेरी बेटी जगी हुई है...आह...आह.. धीरे हाय मम्मी..आह...


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मेरी रूपाली दीदी के लिए, ठाकुर साहब का यह औजार कुछ ज्यादा ही भारी पड़ रहा था... मेरी बहन की कसी हुई गुलाबी चूत को चीरता हुआ ठाकुर साहब का मूसल घमासान युद्ध कर रहा था.. और मेरी दीदी इस युद्ध में हार कर ठाकुर साहब के नीचे पड़ी हुई थी...
लेकिन जैसा आप सब लोग जानते होंगे...जैसे ही एक मोटा तगड़ा लंड औरत की चूत के छेद में घुसता है उसका मुहँ का छेद अपने आप खुल जाता है ...ये नैसर्गिक है मेरी रूपाली दीदी इसको कब तक रोक सकती थी.. मेरी रूपाली दीदी मदहोश होने लगी थी...
कब तक ठाकुर साहब की जोरदार ठोकरों को मेरी बहन खामोश लबो से बर्दाश्त कर पाती .... कब तक उन मादक कराहों को, उन कामुक सिसकारियां को अपने मुंह में घुट के रख पाती..
ठाकुर साहब मेरी बहन को अपनी पूरी ताकत से बजा रहे थे..
बिना कुछ बोले हुए, दूसरी तरफ मेरी दीदी का बुरा हाल था..
मेरी रूपाली दीदी: आ अहह आ अहह आ आहह आ अहह उई ईईई मा आआ ओफ फफ्फ़ ओफ फफ्फ़ ओफ फफ्फ़... धीरे ठाकुर साहब...
ठाकुर साहब: ...उह्ह… उह्ह… उह्ह्ह… रूपाली.. ले और ले मेरा..
अब ठाकुर साहब अपनी पूरी ताकत के साथ मेरी बहन की उन्नत नुकीली पहाड़ियों को मसलते हुए अपना मुसल लंड उनकी गुलाबी कसी चूत में पेल रहे थे... आज रात के रोमांचक माहौल ने पागल बना दिया था... ठाकुर साहब को..
ठाकुर साहब शराब के नशे में थे.. उनको बड़ा मजा आ रहा था... उनका हथियार भी दुगना टाइट हो गया था आज.. और उसी हथियार से वह मेरी बहन का बैंड बजा रहे थे... खूब कस कस के पेला उन्होंने मेरी बहन को... बिना किसी रहमों करम के... अपने बाथरूम की फर्श पर चारों खाने चित लेटा कर मेरी बहन को ढोल की तरह बजाते रहे पूरी बेदर्दी के साथ...
तकरीबन 3 बार मेरी बहन झड़ चुकी थी.. पर ठाकुर साहब तो लगे हुए थे... पहली बार किसी ने मेरी बहन को तीन बार झाड़ा था एक ही ठुकाई में... मेरी दीदी बुरी तरह थक कर परास्त हो चुकी थी... ठाकुर साहब भी अपनी चरम पर पहुंच रहे थे.. उनका माल निकलने वाला था.. वह बुरी तरह उत्तेजना में कुत्ते की तरह लगे हुए थे...
एक रात में ही यह मेरी रूपाली दीदी की दूसरी चुदाई थी... मेरी बहन हैरान थी ठाकुर साहब की स्टेमिना और ताकत पर इस उमर में भी.. उन दोनों की चुदाई अब क्लाइमैक्स की तरफ बढ़ रही थी.. और फिर वह समय आ गया... ठाकुर साहब ने मेरी दीदी की कोख में अपना गरम गरम बीज डाल दिया...
मेरी दीदी भी उनके साथ एक बार फिर झड़ गई थी.. ठाकुर साहब शेर की तरह दहाड़ मारते हुए मेरी बहन की कोख में समा गए थे.. मेरी दीदी भी हिरनी की तरह उनसे लिपट के उनके मक्खन को अपनी गुलाबी छेद में ले रही थी... और कामुक अंगड़ाइयां ले रहे रही थी..
एक बार फिर काम ज्वाला की अग्नि शांत होने के बाद मेरी रूपाली दीदी की आंखों में आंसू थे... मन ही मन रो रही थी मेरी बहन..
ठाकुर साहब संतुष्ट लग रहे थे.. उनका एक ख्वाब पूरा हुआ था..
दोनों उठकर खड़े हो गए थे और बाथरूम के अंदर अपने कपड़े ढूंढने का प्रयास कर रहे थे... जो बुरी तरह भीग चुके थे...


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मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर.​




भगवान का लाख-लाख शुक्र है कि जब मेरी रुपाली दीदी बाथरूम से बाहर निकली सोनिया ने उनको नहीं देखा... दीदी बुरी हालत में थी... लाइट ऑफ करके उन्होंने जैसे तैसे अपने कपड़े उतारे और फिर नई साड़ी पहन ली..

ठाकुर साहब अभी भी बाथरूम के अंदर ही थे.. सोनिया एक बार फिर सो चुकी थी.. मैंने देखा कि मेरी रुपाली दीदी अपने बेडरूम से बाहर निकलकर किचन में गई है और पानी पी रही है... थोड़ी देर के बाद उसी बेडरूम से ठाकुर साहब भी बाहर निकले.. और किचन में मेरी बहन के पास गय.. मैं अभी भी सोया नहीं था और उनकी बातें सुन रहा था.. किचन के अंदर दोनों बात कर रहे थे...

ठाकुर साहब: आओ ना रुपाली कुछ देर बात करते हैं..

मेरी रूपाली दीदी: नहीं मुझे सोनिया के पास जाना है..

ठाकुर साहब: चली जाना.. इतनी भी क्या जल्दी है.

मेरी रूपाली दीदी: नहीं प्लीज ठाकुर साहब.. अब और नहीं...

ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी को छोड़ दिया... और खुद हॉल के अंदर आकर सोफे के ऊपर बैठ गया.. बिल्कुल मेरे बेड के पास.. जिसके ऊपर मैं सोने का नाटक कर रहा था.. मेरी रूपाली दीदी किचन से बाहर निकली और बेडरूम के अंदर जाने लगी थी... फिर न जाने
क्या सोचकर वापस मुड़कर आई और ठाकुर साहब के पास बैठ गई सोफे पर.. मैंने अपनी आंखें जोर से बंद कर रखी थी...
ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी को बड़े प्यार से अपनी बाहों में ले रखा था और उनके गाल को चूम रहे थे..

ठाकुर साहब: कल सुबह में 2 दिनों के लिए बाहर जा रहा हूं..

मेरी रूपाली दीदी: अच्छा..

ठाकुर साहब: तुम्हें कितने पैसे देकर जाऊं? तुम्हें घर चलाना होगा ना.

मेरी रूपाली दीदी: जितना ठीक लगे दे दीजिए..

ठाकुर साहब: मैंने कपबोर्ड मैं ₹10000 रख दिय है... जितना मर्जी हो उतना खर्च करना..

मेरी दीदी: जी अच्छा..

ठाकुर साहब: कैसा लगा..?

मेरी दीदी: क्या?

ठाकुर साहब: वही जो हम दोनों के बीच में हुआ..

मेरी रूपाली दीदी: देखिए आप मुझसे ऐसी बातें मत कीजिए.. जो भी हुआ बहुत गलत किया आपने.. मैं विनोद की बीवी हूं.. उनके दो बच्चों की मां हूं..

ठाकुर साहब: और मेरी क्या हो?

मेरी रूपाली दीदी: देखिए ऐसी बातें हमें शोभा नहीं देती है.. प्लीज मुझे छोड़ दीजिए.. हां ... मेरा भाई यहीं पर सोया हुआ.. अगर जाग गया तो क्या सोचेगा..?

ठाकुर साहब मेरी बहन के होंठों को चूमने का प्रयास करने लगे.

मेरी रूपाली दीदी: नहीं प्लीज ठाकुर साहब... मैं आपकी बेटी की उम्र की हूं.. मेरे पति आपको अपने पापा की तरह समझते हैं..

ठाकुर साहब: और तुम क्या समझती हो रूपाली..

मेरी रूपाली दीदी: कुछ नहीं..

ठाकुर साहब: तुम्हारे लिए क्या लेकर आऊं? मंगलसूत्र लाऊंगा तो पहन लोगी क्या मेरे लिए...

मेरी दीदी: यह आप क्या बोल रहे हैं..

ठाकुर साहब ने अपना एक हाथ मेरी रूपाली दीदी की साड़ी के अंदर घुसा दिया और चोली के ऊपर से उनकी एक चूची को जोर से मसल दिया... आज फिर मेरी बहन ने ब्रा नहीं पहन रखी थी... मेरी दीदी के नर्म मुलायम चूची को ठाकुर साहब अच्छी तरह महसूस करने लगे.. मेरी बहन के मुंह से एक हल्की मीठी सिसकारी निकल गई..ओहहहहह... दीदी के मुंह से बस इतना ही निकला..

ठाकुर साहब: कितने प्यारे मीठे दोनों मीठे आम है तुम्हारे रूपाली.. कसम से... क्या करूं.. हमेशा दबाने का मन करता है.. और मुंह में लेकर चूसने का मन करता है... तब तक चूसने का मन करता है जब तक कि इनमें से दूध ना निकलने लगे ..

ठाकुर साहब की बातें सुनकर मेरे रुपाली दीदी शर्म से पानी पानी हो गई.. उनका चेहरा लाल हो गया था शर्म के मारे...

मैं भी अपनी आंखें बंद किए हुए चुपचाप ठाकुर साहब की कामुक बातें सुन रहा था .. मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि ठाकुर साहब इतने कामुक और रोमांटिक भी हो सकते हैं...

मेरी रुपाली दीदी: नहीं ठाकुर साहब प्लीज... ऐसी बातें मत कीजिए.. प्लीज अब यह सब कुछ बंद हो जाना चाहिए.
 
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ठाकुर साहब मेरी बहन की उस चूची को और जोर से मसलने लगे और मेरी दीदी के पास आकर उन्होंने मेरी बहन के होठों पर एक चुम्मा लिया. दोनों अब एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे..
मेरी रूपाली दीदी: आअहह!"ओह्ह्ह्ह.. नहीं ठाकुर साहब.
ठाकुर साहब: प्लीज रूपाली... कल मैं जा रहा हूं.. एक बार और कर लेने दो ना..
मेरी रूपाली दीदी: नहीं ठाकुर साहब..आअहह!"ओह्ह्ह्ह..आअहह! नहीं अब और नहीं...
ठाकुर साहब जीभ निकालकर मेरी बहन की गर्दन को चाटने लगे थे..
अचानक मेरे जीजा जी के बेडरूम के दरवाजे के खुलने की आवाज मुझे सुनाई पड़ी..
ठाकुर साहब ने बड़ी तेजी से मेरी रूपाली दीदी को अपनी गोद में उठा लिया और उनको लेकर बालकनी में चले गए.. ठाकुर साहब नहीं चाहते थे कि मेरे जीजा उनको कितनी संदिग्ध हालत में देख ले... क्योंकि मेरी बहन की साड़ी का पल्लू उनके सीने से हटा हुआ था और ठाकुर साहब ने अपने पजामे का नाडा भी ढीला कर लिया था..
कुछ क्षणों के बाद मेरे अपाहिज जीजू अपने व्हीलचेयर पर बेडरूम से बाहर निकल कर आए.. उन्होंने बेड पर मुझे सोता हुआ पाया.. उन्होंने देखा कि ठाकुर साहब के बेडरूम का दरवाजा खुला हुआ है... वह ठाकुर साहब के बेडरूम में घुस गए.. सोनिया बेड पर सोई हुई थी... और नूपुर पालने में सोई हुई थी.. मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर रणवीर सिंह दोनों ही गायब थे... मेरी जीजू को बहुत अजीब लगा... वह उस बेडरूम के बाथरूम में गय.. लाइट जला कर उन्होंने देखा वहां कोई नहीं था.. उन्होंने मन ही मन सोचा कि शायद मेरी रूपाली दीदी किचन में होगी.. वह बाथरूम से निकल रहे थे कि उनके पैरों के ऊपर चिपचिपा सा पदार्थ लगा हुआ था... उनको हैरानी हुई देखकर...
मेरी जीजू अपनी उंगलियों से उठाकर उस पदार्थ को अपने नाक के पास लेकर गय... नाक के पास ले जाते ही उन्हें एहसास हो गया कि यह क्या चीज है... किसी मर्द का ताजा विर्य.. जो अभी अभी निकला था.. मेरे जीजू का दिल और दिमाग दोनों बैठ गया..
 

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