Erotica रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर

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बड़ी तेजी से अपने व्हीलचेयर को दौड़आते हुए मेरे जीजू बेडरूम से बाहर निकले और किचन में जाकर देखा मेरी दीदी चाय बना रही थी... ठाकुर साहब हॉल में सोफे पर बैठे हुए थे..
मैं सोया हुआ था.. झूठ मत ...
मेरे जीजू: अरे आप लोग सोए नहीं अभी तक?
ठाकुर साहब: मुझे नींद नहीं आ रही थी और चाय पीनी थी.. इसीलिए रूपाली को जगाया... चाय पीने के लिए..
मेरे जीजू: जी अच्छा....
मेरी रूपाली दीदी: आप सो जाइए... हम भी बस सोने ही वाले हैं चाय पीने के बाद...
मेरे जीजू को उन दोनों का व्यवहार कुछ अजीब लग रहा था... मेरी रूपाली दीदी ने भी अपनी साड़ी अपनी नाभि के बहुत नीचे बांध रखी थी.. ऐसा मेरे जीजू ने पहले कभी नहीं देखा था.. मेरी दीदी का व्यवहार भी कुछ बदला-बदला से लग रहा था उनको..
मेरी जूजू वही हाल में ही रहे.. वह मेरी दीदी और ठाकुर साहब से बातचीत करने के मूड में थे... ठाकुर साहब को मेरे जीजू की उपस्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही थी..
मेरे जीजू: रूपाली... कल सोनिया के स्कूल में पेरेंट्स टीचर मीटिंग है ना.. तुम चली जाना..
मेरी रूपाली दीदी: हां चली जाऊंगी.. पर सोनिया पूछ रही थी कि पापा क्यों नहीं जा सकते... उसे बुरा लग रहा था..
मेरे जीजू: मैं कैसे जाऊंगा.. तुम तो देख ही रही हो मेरी हालत..
मेरे जीजा जी का सिर झुक गया था..
मेरी रूपाली दीदी: बेचारी .. सोनिया का तो बस एक ही सपना था कि उसके पापा उसको स्कूल छोड़ने जाए और फिर स्कूल से लेने आए.. पर अब क्या कर सकते हैं.. कुछ नहीं कर सकते..
मेरी दीदी की बातें सुनकर जीजा जी का मुंह लटक गया था.. पर ठाकुर साहब को यह एक सुनहरा अवसर लग रहा था..
ठाकुर साहब: अगर मैं सोनिया का पापा बनके उसके स्कूल जाऊं तो... उसको भी अच्छा लगेगा ना.. क्या बोलते हो तुम लोग..


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मेरी दीदी हैरान थी ठाकुर साहब की बात सुनकर और उनकी तरफ बिल्कुल भी नहीं देख रही थी.. ठाकुर साहब मेरी बहन की तरफ भी देख रहे थे और कुटिल मुस्कान फेंक रहे थे.. मेरे जीजू तो बिल्कुल भी समझ नहीं पा रहे थे कि क्या जवाब दे ठाकुर साहब की बात का...
मेरी रूपाली दीदी: नहीं... मैं अकेली ही चली जाऊंगी..
ठाकुर साहब: क्या प्रॉब्लम है? आखिर सोनिया को भी तो अच्छा ही लगेगा.. बोलो विनोद...
मेरे जीजू: हां ठाकुर साहब ठीक कह रहे हैं रूपाली.. सोनिया को बहुत अच्छा लगेगा...
मेरी रूपाली दीदी: अरे आप क्या बोल रहे हो.. लोग क्या सोचेंगे हमारे बारे में..
मेरे जीजू: अरे लोगों की छोड़ो.. हमें अपने बच्चों के बारे में सोचना चाहिए... लोगों की बातों के बारे में नहीं..
ठाकुर साहब: बिल्कुल ठीक कह रहे हो विनोद... मैं और रूपाली कल सोनिया के स्कूल में उसके मम्मी पापा बनकर चले जाएंगे.. है ना रूपाली?
मेरी बहन ने कोई जवाब नहीं दिया तो ठाकुर साहब वहां से उठकर चले गए.. उनके चेहरे पर मायूसी थी....
मेरी रूपाली दीदी को एहसास हुआ कि शायद ठाकुर साहब नाराज हो कर चले गए हैं..
मेरी रूपाली दीदी ने बड़ी जल्दी से किचन का काम खत्म कर दिया.. उसके बाद जीजू को लेकर उनके बेडरूम में गई और उनको बेड पर सुलाने के बाद वह ठाकुर साहब के बेडरूम में गई.. मेरी बहन ने देखा ठाकुर साहब बेड के एक किनारे पर सोए हुए थे और सोनिया दूसरे किनारे पर लेटी हुई थी... बीच में खाली जगह थी.. दीदी समझ गई कि यह जगह किसके लिए है... मेरी रुपाली दीदी बीच में जाकर लेट गई.. ठाकुर साहब धीरे-धीरे उनके पास आने लगे.. ठाकुर साहब ने कंबल ले लिया दोनों के ऊपर.. दोनों अब बिल्कुल करीब आ चुके थे.
ठाकुर साहब: क्या प्रॉब्लम है तुम्हें अगर मैं सोनिया का पापा बन कर जाऊं तो?
मेरी रूपाली दीदी: लोग क्या सोचेंगे...
ठाकुर साहब: लोगों को क्या पता रूपाली.. मैं सोनिया का बाप हूं या तुम्हारा पति विनोद.. उनको कैसे पता चलेगा?
मेरी रूपाली दीदी: आपको तो कल सुबह जल्दी जाना है.. सुबह 6:00 बजे...
ठाकुर साहब: अगर सोनिया की खुशी के लिए थोड़ा लेट भी हो जाऊंगा तो क्या प्रॉब्लम है..


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ठाकुर साहब की बात सुनकर मेरी बहन पिघल गई और उनकी बाहों में समा गई.. ठाकुर साहब मेरी बहन के साथ लिपट गए थे.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन के पेट पर हाथ रख दिया और उनकी नाभि को ढूंढ निकाला अपनी उंगलियों से.. उन्होंने मेरी बहन के पेटीकोट का नाड़ा नाड़ा ढीला किया और नीचे खिसका दिया... अपने बीच वाली उंगली वह मेरी बहन की नाभि में गोल गोल घुमाने लगे.. मेरी रूपाली दीदी तड़पने लगी और उनके पास आ गई.. एक कामुक सिसकारी उनके मुंह से निकली...
ऊह्ह… अह्ह… मम्मी... रूपाली दीदी करने लगी थी..
ठाकुर साहब ने एक बार फिर मेरी रूपाली दीदी को पलंग पर ही पछाड़ दिया था और उनके ऊपर आकर मेरी बहन को पेलने की पूरी तैयारी कर चुके थे.. एक बार फिर.. साड़ी उठाके...
अचानक सोनिया जाग गई और रोने लगी.... मम्मी मम्मी करने लगी.. दोनों एक दूसरे से अलग हो गए... मेरे रूपाली दीदी ने सोनिया को अपनी बाहों में ले लिया और थपकी देते हुए उसको सुलाने की कोशिश करने लगी... ठाकुर साहब बगल में लेटे हुए देख रहे थे.. अब और कुछ भी कर पाना बहुत मुश्किल था.. वैसे भी आज ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी के साथ मिलकर खूब जम के मजा लिया था..
मेरी रूपाली दीदी उनकी फेंटेसी थी उनकी सपनों की सौदागर थी ..उनके सपनों की अप्सरा थी ..उनके ख्वाबों की मलिका थी ... और आज की रात ठाकुर साहब दो बार चोद चुके थे मेरी बहन को.. वह सो गया.
मेरी रुपाली दीदी भी सो गई.. और मैं भी सो गया बाहर हॉल में..
आज की तूफानी रात गुजर चुकी थी..
 
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अगली सुबह हम सब लोग काफी जल्दी जब चुके थे.. तैयार होने के बाद मेरी रूपाली दीदी, ठाकुर रणवीर सिंह और सोनी आई स्कूल के लिए चले गए थे.. मैं और जीजू उनको जाते हुए देख रहे थे बड़े भारी मन से ..
स्कूल में सारा प्रोग्राम बड़े सामान्य तरीके से हो रहा था.. सोनिया आज बहुत खुश लग रही थी... स्कूल में पूरे प्रोग्राम के दौरान ठाकुर साहब और मेरी रुपाली दीदी पति-पत्नी की तरह व्यवहार कर रहे थे.. ठाकुर साहब ने तो कई बार मेरी रूपाली दीदी की कमर में भी हाथ डाल दिया था सबके सामने... दोनों एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा भी रहे थे... सबसे बड़ी बात कि आज सोनिया बहुत उछल कूद मचा रही थी.. वह बहुत खुश थी.. आज सोनिया को खुश देख कर इतने दिनों के बाद मेरी दीदी भी संतुष्ट महसूस कर रही थी.. सब कुछ बड़ी आसानी से हो गया.. ठाकुर साहब की बड़ी स्कोडा गाड़ी में वह लोग वापस आ गए... जाने से पहले ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी को चूमने का प्रयास भी किया लेकिन मेरी दीदी ने उनको मौका नहीं दिया...
ठाकुर साहब जा चुके थे.. अगले 2 दिन तक हमारा परिवार बहुत खुश था खासकर मैं.. जिसे अपनी बहन की सिसकियां सुननी पड़ रही थी.. लेकिन मेरी रूपाली दीदी ना जाने क्यों ठाकुर साहब को मिस कर रही थी.. उस इंसान को जिसने उनको यह दिन दिखाया था...


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एक बात तो तय थी मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब के लंड की कमी को महसूस नहीं कर रही थी.. पर वह खुद जानना चाहती थी क्यूबा क्या ढूंढ रही है.. जाने से पहले मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को धन्यवाद देना चाहती थी.. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था.. कुछ देर के लिए सोनिया का पापा बनकर ठाकुर साहब मेरी बहन का दिल जीत गए थे.. और अब मेरी रूपाली दीदी उनका इंतजार कर रही थी.. उनको धन्यवाद देने के लिए..
इस दौरान ठाकुर साहब ने दो तीन बार मेरी रुपाली दीदी को फोन भी किया था... बड़े प्यार से बात कर रही थी.. मेरी बहन उनके साथ..
ठाकुर साहब भी बेहद खुश थे... मेरी रूपाली दीदी का व्यवहार देखकर उन्हें लग रहा था कि उनका संबंध अब अच्छी दिशा में बढ़ रहा है.. 2 दिन बड़ी तेजी से बीत चुके थे.. आज की रात ठाकुर साहब वापस आने वाले थे..
मेरे जीजू के रूम का एसी खराब हो गया था..
उन्होंने मेरी रूपाली दीदी को इसके बारे में बताया था..
मेरे जीजू: रूपाली... मेरे रूम कैसे खराब हो गया है.. बहुत गर्मी है..
मेरी रूपाली दीदी: मैं क्या करूं? अब तो ठाकुर साहब ही आकर देखेंगे.. आपके रूम का पंखा तो चल रहा है ना..
मेरे जीजू: पंखा तो पहले से ही खराब था रूपाली.. एसी चल रहा था तो किसी ने ध्यान ही नहीं दिया..
मेरी दीदी: ऐसा कीजिए.. आप हमारे बेडरूम में सो जाइए..
मेरे जीजू: फिर तुम कहां ?
मेरी रूपाली दीदी: मैं आपके बेडरूम में सो जाऊंगी..
बहुत रात हो चुकी थी.. हम सब लोग खाना खा चुके थे.. मेरी रूपाली दीदी ने जीजू को ठाकुर साहब के बेडरूम में सुला दिया था..
तकरीबन रात के 12:00 बजे ठाकुर साहब वापस लौटे थे.. उन्होंने अपने घर की घंटी बजाई.. मेरी रूपाली दीदी नहीं दरवाजा खोला था उनके लिए... मेरी बहन को देख ठाकुर साहब के मन में अरमान जागने लगे थे.. लाल रंग की पारदर्शी साड़ी में और लाल रंग की चोली में मेरी रूपाली दीदी कयामत लग रही थी... ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी को अपनी बाहों में लेने का प्रयास किया... दीदी ने मना कर दिया उनको...
कुछ देर बाद मेरी रूपाली दीदी ने ठाकुर साहब के लिए खाना लगाया. डिनर टेबल पर ठाकुर साहब खा रहे थे और मेरी बहन उनको परोस रही थी...
ठाकुर साहब: तुमने खाना खा लिया क्या..
मेरी रूपाली दीदी: जी हम लोग खा चुके हैं..
ठाकुर साहब के दिल के अरमान भड़क रहे थे मेरी दीदी को देखकर..
ठाकुर साहब को ऐसा लग रहा था तुम मेरी रूपाली दीदी उनकी पत्नी है.. उन्होंने बड़ी तेजी से अपना खाना खत्म किया और अपने बेडरूम की तरफ जाने लगे तुम मेरी दीदी ने उनको रोका..
मेरी रूपाली दीदी: ठाकुर साहब रुक जाइए.. मेरे पति आपके बेडरूम में सो रहे हैं.. उनके रूम का एसी खराब हो चुका है इसलिए.
ठाकुर साहब: तो फिर मैं कहां जाऊं..
मेरी रूपाली दीदी: आप मेरे पति के रूम में सो जाइए.. मैं भी कुछ देर में आती हूं आपके पास.. बर्तन साफ करने के बाद..
मेरे रूपाली दीदी की बात सुनकर ठाकुर साहब हैरान हो गया.. और मन ही मन बेहद खुश भी...


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मेरे रूपाली दीदी: मैंने पूरा बिस्तर तैयार कर दिया है... आप जाकर लेट जाइए बस.. मैं थोड़ी देर में आती हूं...
ठाकुर साहब का हथियार उनकी पैंट में खड़ा होकर तन गया था.. मेरी बहन की बात सुनकर... वह बिस्तर पर जाकर लेट गए और मेरी रूपाली दीदी का इंतजार करने लगे....
किचन का काम खत्म करने के बाद मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब के बेडरूम में गई.. दीदी ना बत्ती बुझा दी.. ठाकुर साहब जगे हुए थे और उनकी निगाहें मेरी बहन के ऊपर ही टिकी हुई थी.. उनके पजामे में टेंट बना हुआ था पहले से ही.. मेरी रूपाली दीदी थरथर कांपती हुई ठाकुर साहब के बिस्तर पर गई और उनके बगल में लेट गई... मेरे रूपाली दीदी अच्छी तरह समझ पा रही थी कि अब ठाकुर साहब उनके साथ क्या करेंगे.. ठुकाई.. ठुकाई... और रात भर बस ठुकाई...
और फिर वही हुआ जिसका उनको अंदाजा था... ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के ऊपर सवार हो गए थे... उन्होंने मेरी बहन के होठों को चूमना शुरू कर दिया था... मेरी रूपाली दीदी अपने होठों को ठाकुर साहब के होंठों के बीच एडजस्ट करने की कोशिश कर रही थी.. साड़ी का पल्लू हटाकर ठाकुर साहब मेरी बहन की दोनों चूचियों को मसलने लगे थे.. चुंबन चल रहा था साथ ही साथ..


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मेरी रूपाली दीदी: आआऽ उम्म्म्म… ओह्ह… ऊह्ह… अह्ह…
ठाकुर साहब: आमआआऽ उम्म्म्म…( चोली के ऊपर से ही चूची पीने की आवाज)
मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर साहब दोनों वासना की आग में पूरी तरह से पागल हो चुके थे.. पिछले दो दिनों की जुदाई में दोनों को एहसास हो गया था कि वह दूसरे को कितना मिस करने लगे थे.. पिछले दो दिनों की जुदाई के बाद चुदाई... मेरी बहन भी इंजॉय कर रही थी..
बिस्तर पर दोनों एक दूसरे के साथ लिपट लिपट के प्यार कर रहे थे..
आज की रात दोनों एक दूसरे के भीतर समा जाना चाहते थे... दूसरी तरफ अपने कमरे में मेरे जीजू बिस्तर पर लेटे हुए सोच रहे थे कि आखिर वह दोनों कहां सो रहे हैं... मेरे जीजू का व्हीलचेयर भी उनके बिस्तर से दूर था... इसलिए वह उठकर बाहर भी नहीं निकल सकते थे...
आज की रात सोने से पहले मेरी रूपाली दीदी ने जानबूझकर मेरे जीजू का व्हीलचेयर उनके बिस्तर से दूर कर दिया था.. ताकि रात में वह उनको डिस्टर्ब ना कर सके...
ठाकुर साहब ने अपना बनियान निकाल कर नीचे फेंक दिया.. वह ऊपर से नंगे हो चुके थे.. उनकी चौड़ी छाती पर सफेद बाल देखकर मेरी रुपाली दीदी शर्मआ रही थी.. ठाकुर साहब एक बार फिर मेरी बहन के ऊपर लेट कर उनको चूमने लगे थे.. उनकी चौड़ी मजबूत छाती के नीचे मेरी रूपाली दीदी के दोनों मासूम कबूतर बुरी तरह दबे हुए थे. बरसात होने लगी थी... बिजली भी कड़कने लगी थी.. और ठाकुर साहब भी पूरे जोश में आ गए थे..
यह तो बस इस तूफानी रात की तूफानी शुरुआत हुई थी..
मेरी रूपाली दीदी की चूत का भी तापमान बढ़ा हुआ था.. मेरी बहन की गरम चूत के ऊपर ठाकुर साहब ने अपना दबाव बढ़ा दिया था... वह मेरी बहन की चोली को खोलने लगे... दोनों की सांसें बुरी तरह उखड़ी हुई थी.. क्योंकि उन दोनों के बीच अभी-अभी एक बहुत ही लंबा और जबरदस्त चुंबन खत्म हुआ था..
ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी की चोली के सारे बटन खोल दिए.. और उनकी नाभि में अपनी उंगली से छेद और बड़ा करने की कोशिश करने लगे थे... मेरी बहन भी उत्तेजित होकर तड़प रही थी.. ठाकुर साहब अपना मोटा बांस लंड मेरी दीदी के पेटीकोट के ऊपर से उनके त्रिकोण के ऊपर रगड़ रहे थे... मेरी रूपाली दीदी का गुलाबी छेद पानी पानी होने लगा था... ठाकुर साहब आज पूरी मस्ती करने के मूड में थे..


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ठाकुर रणवीर सिंह ने मेरी रूपाली दीदी का पेटीकोट उठाकर उनकी जांघों से ऊपर उनकी कमर तक पहुंचा दिया था... मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी रंग की ब्रा में छुपी हुई उनकी दोनों चुचियों को देखकर ठाकुर साहब से बर्दाश्त नहीं हुआ.. उन्होंने बहन की एक चुचि को अपनी मुट्ठी में दबा अपनी पूरी ताकत से मसल दिया...
मेरी रूपाली दीदी: हाय मम्मी.. नहीं.... इतने जोर से नहीं.. ठाकुर साहब प्लीज..
ठाकुर रणवीर सिंह ने अपना बरमूडा उतार के नीचे फेंक दिया और बिल्कुल नंगे हो गए... उन्होंने मेरी बहन का दाया हाथ पकड़ लिया.. मेरी रुपाली दीदी के हाथ चूड़ियों से ढके हुए थे.. ठाकुर साहब ने मेरे रूपाली दीदी के हाथ में अपना लंड थमा दिया था.. मेरी बहन आनाकानी करने लगी थी.. ठाकुर साहब ने दो तीन बार प्रयास किया मेरी बहन के हाथ में अपना मुसल लंड देने का.. पर मेरी दीदी राजी नहीं हुई.. ठाकुर साहब ने अपना प्लान छोड़ दिया...
अब वह फिर से मेरी रूपाली दीदी के ऊपर आ गए थे.. उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की ब्रा का हुक खींच के अलग किया... और मेरी बहन के जोबन को नंगा कर दिया.. ब्रा निकाल कर उन्होंने नीचे जमीन पर फेंक दिया था.. मेरी रूपाली दीदी के दोनों पके हुए आम उनकी आंखों के सामने झूल रहे थे... उन दोनों आम को ठाकुर साहब ने जड़ से अपनी दोनों मजबूत हाथों में पकड़ लिया.. और चूसने लगे मेरी बहन की मदमस्त चुचियों को.. बारी बारी से.. कुछ ही देर में मेरी बहन की छातियों से दूध निकलने लगा.. ठाकुर साहब गट गट पीने लगे ... मेरी रूपाली दीदी तो सिसकारियां ले रही थी बस..
किसी दूसरे मर्द की बीवी को अपने बिस्तर पर लाकर जबरदस्ती उसकी चोली खोल के उसकी चूची से दूध पी कर ठाकुर साहब इस वक्त अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान मान रहे थे.. वह औरत और कोई नहीं बल्कि मेरी सगी बहन थी... मेरी रूपाली दीदी के गुलाबी निप्पल को बारी-बारी चूसते हुए ठाकुर साहब बहुत उत्तेजित हो चुके थे.. और मेरी बहन का दूध पीकर वह अपने आप को बहुत ताकतवर भी महसूस कर रहे थे... मेरी रूपाली दीदी तो बस उनके नीचे लेटी हुई तड़प रही थी.. सिसक रही थी... ठाकुर साहब चूसने के साथ साथ मेरी बहन की चूची पर काटने में लगे थे... मेरी बहन की दोनों छातिया गुलाबी से लाल हो चुकी थी.. दांत काट के उन्होंने मेरी बहन की चूची पर निशान बना दिया था..
पेट भर दूध पिया उन्होंने मेरी बहन की दोनों चूचियों से.. और फिर मेरी बहन का नाड़ा खींचकर उनके पेटीकोट को उनकी कमर से अलग कर दिया था..
बिना किसी चेतावनी के ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी की पेंटी फाड़ के दो टुकड़े कर दिय.. और मेरी बहन को नंगा कर दिया..
उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी बहन की गुलाबी छेद में डाल दिया.. और फिर उसी उंगली से चूत की अंदरुनी दीवालों को रगड़ रगड़ के पेल रहे थे मेरी बहन को... मेरी दीदी मस्त हो गई थी..
मेरी रूपाली दीदी का दूध पीते हुए ठाकुर साहब एक उंगली से मेरी बहन को मजा दे रहे थे.. मेरी दीदी मजा ले रही थी.. पर साथ ही साथ मेरी बहन को शर्म भी आ रही थी..
ठाकुर साहब ने मेरी बहन को नंगा करके बिस्तर पर चित कर दिया था और उनकी दोनों टांगों के बीच आ गए थे... मेरी दीदी की दोनों टांगों को फैला कर उन्होंने ऊपर की तरफ कर दिया.. और मेरी बहन के गुलाबी छेद के ऊपर अपना हथियार टीका दिया और घिसाई करने लगे... मेरी रूपाली दीदी की दरार से पानी निकलने लगा था... गुलाबी दरार ठाकुर साहब का मूसल झेलने के लिए तैयार हो चुकी थी... इस वक्त मेरी रूपाली दीदी के मुंह से तो बस कामुक तेज तेज सिसकियां और आहे ही निकल रही थी...
आश्चर्यजनक रूप से दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी चूत कुछ ज्यादा ही कसी हुई थी... इतने टाइट थी कि मेरे जीजू को भी लंड पेलने मैं तकलीफ होती थी... उन्हें भी लुब्रिकेंट का सहारा लेना पड़ता था मेरी बहन को पेलने के लिए...
ठाकुर साहब ने एक हाथ से अपने हथियार को थाम के बड़े प्यार से मेरी बहन की गुलाबी रसीली चूत में जबरदस्ती पेल दिया.. पूरा का पूरा.. मेरी रूपाली दीदी तड़पने लगी..
मेरी रूपाली दीदी: हाय मम्मी हाय मां... ठाकुर साहब प्लीज.. धीरे कीजिए ना... हाय मम्मी...आअहह….
मेरी बहन को थोड़ा दर्द तो हुआ था... उन्होंने अपनी आंखें बंद कर रखी थी... अपने होठों को अपने दांतों से काट रही थी.. ठाकुर साहब को और भी उत्तेजित कर रही थी... ठाकुर साहब ने अपना आधा हथियार बाहर निकाला फिर कस के बहुत जोर से मेरी बहन को पेल दिया... पूरा का पूरा लौड़ा उन्होंने मेरी बहन के भीतर डाल दिया था..


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Koi kahani pasand bhi aati hai to uski ma bahan kar dete hai dab
Bhai ji inna gussa na ho jab writer update likh lega tab update dega na ho sakta unko time na mil raha ho
 

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