Incest संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां। अंदर छुपी हवस जब सामने आयी

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Update 27.

दोस्तों आज बड़े ही रोमांटिक मूड में लिखना शुरु कर रहा हूं ।
आशा करता हूं आप सब लोग भी खुश होंगे और इंतजार कर रहे होंगे मेरी अपडेट का तो चलिए शुरू करते हैं आगे की कहानी लेकिन इस romantic मूड में मेरी एक शायरी तो बनती है। तो चलिए इस शायरी के साथ शुरू करते हैं अपनी आगे की कहानी।


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यह कहानी है मेरी चुदाई की भाषा ,
यह कहानी है मेरी चुदाई की भाषा,
लिखता हूँ मैं इसको रोज जरा सा।
****** के इन कोरे कागजों पर,
लिखता हूँ मैं बेहिचक ये खुलासा ।।
*********

दोस्तों पूरी रात चुदकर पूजा सो गई ।

अब चलते हैं सोमनाथ और उपासना की तरफ तरफ

आपने पीछे पढ़ा - उस लज्जत भरी चीख के बाद उपासना ने दर्द को सहन करते हुए कहा - अपनी बेटी की चूत फाड़ कर रखने की कसम खाकर आए हो क्या पापा ।
*******

अब आगे ---

अब सोमनाथ और उपासना की आंखों का कनेक्शन भी टूट चुका था ।
जैसे ही उपासना के मुंह से चीख निकली सोमनाथ एक कुटिल मुस्कान के साथ मुस्कुराता हुआ उसकी आंखों में देख कर बोला ।

सोमनाथ - अभी तो तुमने मुंह खोला है इतनी देर से तुम्हारे इशारे की प्रतीक्षा कर रहा था । लेकिन तुमने कुछ बोला ही नहीं इसलिए मुझे डालना पड़ा ।

उपासना ने अपना चेहरा दूसरी तरफ मोड़ लिया और सारा दर्द भूल कर एक बहुत ही प्यारी मुस्कान के साथ बहुत धीरे से बोली।


उपासना- मैं तो देख रही थी कि अपनी बेटी की चूत के लिए कितने उतावले हो रहे हैं आप।


सोमनाथ - अगर दुनिया में हर किसी की बेटी की चूत तेरे जैसी होगी तो उतावला तो होगा ही । देख ले आधा लंड ही गया है तेरी चूत में अभी ।

उपासना ने अभी तक चेहरा सोमनाथ की तरफ नहीं किया था।
अपने चेहरे को दूसरी तरफ ऐसे ही मोड़े हुए हुए बोली ।

उपासना - मुझे नहीं देखना।

सोमनाथ - अगर नहीं देखोगी तो मैं आगे नहीं बढूंगा ऐसे ही रुका रहूंगा।


उपासना अभी भी कुछ नहीं बोली बस धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी ।

जब उपासना की तरफ से कोई आवाज नहीं आई तो सोमनाथ ने उसके ऊपर झुके हुए ही आधा लंड उसकी चूत में फंसाए रखा और अपना हाथ उसके कूल्हों पर ले जाकर उसकी गांड के छेद को कुरेदने लगा ।

अपनी गांड के छेद पर अपने बाप की उंगली महसूस करके गनगना उठी उपासना।

उसने एक साथ सोमनाथ की नजरों में देखा (बड़ी ही सवालिया दृष्टि से)।
उपासना के चेहरे पर हैरानी के भाव से देखकर अब सोमनाथ ने उसकी आंखों में देखते हुए अपना लोड़ा सुपाड़े तक बाहर खींचा और फिर धीरे से मुस्कुरा कर बोला- तैयार है क्या मेरी बेटी ।

उपासना उसकी आंखों में सवालिया नजरों से देखते हुए बोली- किसके लिए तैयार होना पड़ेगा मुझे ।

सोमनाथ- दूसरे झटके के लिए ।

उपासना - तैयार तो मैं पहले झटके के लिए भी नहीं थी लेकिन आपने वह भी लगाया ना, तो दूसरे के लिए क्यों पूछ रहे हैं ।

सोमनाथ- इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि पहले झटके में ही तुम कुत्तिया की तरह गला फाड़कर चिल्लाई हो ।

यह सुनकर उपासना बुरी तरह से शर्मा गई और अपना चेहरा सोमनाथ के चेहरे की तरफ से मोड़ लिया और शर्माते और मुस्कुराते हुए बोली- आप मेरी चिंता ना कीजिए, मैं कितनी भी चीखू या चिल्लाऊं लेकिन अब आप अपनी पूरी ताकत लगा दीजिए अपनी बेटी को चोदने में ।

यह कहकर शर्माती हुई उपासना ने अपनी आंखें बंद कर लीं ।

सोमनाथ ने उपासना से कहां अपना चेहरा मेरी तरफ करो।
उपासना फिर सवालिया नजरों से सोमनाथ को देखने लगी और अपना चेहरा सोमनाथ की तरफ कर दिया।


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सोमनाथ - अब अपना मुंह खोलो ।

उपासना को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि लंड का सुपाड़ा तो उसकी चूत में था फिर अब सोमनाथ मुंह क्यों खुलवा रहा है, लेकिन उसने सोचते हुए मुंह खोल दिया ।

सोमनाथ ने उपासना के खुले हुए होठों को अपने मुंह में भर लिया और सोमनाथ ने अपने चूतड़ों में अपनी जान इकट्ठी करके पूरी ताकत से एक जोरदार झटका मारा। झटका इतना तगड़ा था कि सोमनाथ की जांघें उपासना की जांघो से मिल गई ।सोमनाथ के लटके हुए टट्टे उपासना की गांड की लकीर से मिल गए ।
कहने का मतलब है दोस्तों सोमनाथ ने अपनी बेटी की चूत में अपना लंबा लौड़ा जड़ तक ठोक दिया था और जैसे ही यह झटका लगा उपासना का मुह जो अभी सोमनाथ के मुंह में था। उपासना के मुंह से इतनी तेज चीख निकली लेकिन उपासना के होंठ सोमनाथ के मुंह में होने की वजह से चीख सोमनाथ के मुंह में ही घुट कर रह गई ।
सोमनाथ को महसूस हो रहा था की उपासना कितनी जोर जोर से हांफ रही है और उसकी मुंह से निकलती हुई उसकी सांसें सोमनाथ के मुंह में भर रही हैं ।

ऐसे ही जड़ तक चूत में लंड को ठोके हुए सोमनाथ ने उपासना की आंखों में
झांका तो पाया की उपासना की आंखों से आंसू निकल रहे हैं .।

सोमनाथ ने अब देर करना उचित नहीं समझा और उपासना के मुंह को अपने मुंह में भरे हुए दो तीन झटके उपासना की चूत में चेंप दिए ।
अब दर्द तो उपासना को असहनीय हो रहा था लेकिन कर भी क्या सकती थी उपासना का मुंह तो सोमनाथ के मुंह में था चूत लोड़े के नीचे थी और उपासना को जकड़ा हुआ था सोमनाथ ने। ऐसे ही दबी दबी अपने हालातों से समझौता करने लगी उपासना।


उपासना के साथ कुछ ऐसा सीन हो गया था कि उसकी चौड़ी गांड बेड के गद्दे में धस गई थी और उसका बाप सोमनाथ उसके ऊपर चढ़ा हुआ था।
सोमनाथ का लंड उपासना की चूत में गहराई तक बैठा हुआ था और उपासना का मुंह सोमनाथ के मुंह में अगर आवाज आ रही थी तो गों गों गों और दोनों को एकदूसरे की सांसो की आवाज आ रही थी।


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अब सोमनाथ ने अपने एक हाथ से उपासना की आंखों से बहते आंसुओं को पूछा और अपने मुंह से उपासना के होंठो को छोड़ते हुए अपना चेहरा अलग कर लिया ।

जब सोमनाथ ने अपने मुंह से उपासना का मुंह दूर किया तो उपासना और सोमनाथ के मुंह के बीच में दोनों के थूक की लार खिंचने लगी ।

सोमनाथ ने अपना मुंह बिना साफ किए ही अपने थूक लगे होठों से मुस्कुरा कर कहा - मेरी बेटी का मुंह तो बड़ा मीठा है ।

दूसरी तरफ उपासना ने भी अपने मुंह को साफ करने की कोई पहल नहीं की।
उपासना ने तो बस सोमनाथ के थूक में सने हुए मुंह को एक तरफ किया और बड़ी ही मादक आवाज में धीरे से मुस्कुरा कर बोली - चूत मीठी नहीं लगी क्या अपनी बेटी की ।


उपासना के इस अंदाज से भनभना गया सोमनाथ का लोड़ा और चुदास का पागलपन सोमनाथ के चेहरे पर ऐसा छाया कि उसने अपनी पूरी ताकत से 10 12 धक्के उपासना की चूत में पेल दिए ।

धक्के इतनी ताकत और स्पीड से मारे गए थे की उपासना इन धक्कों की वजह से सांस नहीं ले पाई उसका मुंह बस पूरा खुला हुआ था और अपने बाप के लंबे लोड़े के तगड़े तगड़े झटके अपना मुंह खोलो हुए ही अपनी चूत में लील गई ।

ऐसा नहीं है कि उपासना को दर्द नहीं हुआ था, दर्द तो उपासना को हुआ था लेकिन सोमनाथ की लौड़ा बजाने की स्पीड ने उपासना को दहाड़ने या गला फाड़ने का मौका का ही नहीं दिया । बस उसकी तो चूत में लंड सुपाड़े तक आता और जड़ तक बैठ जाता ।

धक्के लगाने के बाद सोमनाथ ने फिर अपना लौड़ा जड़ तक उपासना की चूत में बिठाकर रुक गया और फिर मुस्कुरा पड़ा उपासना के चेहरे को देखकर ।

अब उपासना ने अपना खुला हुआ मुंह बंद किया और उस लज्जत के एहसास से अपना चेहरा दूसरी तरफ मोड़ा और मुस्कुरा कर धीरे से बोली- आज मौका है अपनी बेटी को इस बिस्तर में रगड़ लीजिए जितना मन करे। मैं पीछे नहीं हटूंगी।
फिर अपने होठों से मुस्कुरा पड़ी उपासना और फिर मुस्कुराते हुए बोली- काश मुझे पहले पता होता मेरा बाप इस तरह रौंदता है किसी को बिस्तर में , इस तरह की गांड से गांड मिला देता है झटके मारते हुए तो मैं तो पता नहीं अब तक कितनी बार अपने बाप के नीचे लेट जाती ।

सोमनाथ गर्म होने लगा था उपासना की इन बातों से क्योंकि वो बेहद ही गरम बातें उपासना कर रही थी और ऊपर से ऐसे शर्मा भी रही थी जैसे किसी को बहकाकर चोदा जा रहा हो जबकि उपासना चुद अपनी मर्जी से ही रही थी।
अपने चेहरे पर शर्मो हया और लज्जा का मुखौटा पहने हुए किसी सस्ती रांड से भी ज्यादा गरम बातें उपासना कर रही थी मुस्कुराते मुस्कुराते।

उपासना के इसी अंदाज पर तो मर मिटा था सोमनाथ ।
लोड़ा अपनी बेटी की चूत में उतारने का एहसास करके और लंबा होता जा रहा था । सोमनाथ का दिल अपनी गदरायी हुई बेटी के ऊपर चढ़कर स्वर्ग में महसूस कर रहा था मानो जैसे वही दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान है।


अब सोमनाथ ने उपासना की टांगों को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया और झुक गया। फिर उपासना के चेहरे की तरफ देखने लगा ।
जब सोमनाथ अपने कंधे पर उपासना की टांगे रखकर उसके चेहरे पर झुका उसके चेहरे पर झुका तो उपासना की टांगे भी उसके चेहरे की तरफ मिलने लगी और नीचे से उपासना की गांड ऐसे खुल गई जैसे उसके कोई चूतड़ नहीं बल्कि तबले हो । मोटी और भारी भारी गांड बिल्कुल उभर कर आ गई थी लेकिन दबी हुई थी सोमनाथ के तगड़े तंदुरुस्त शरीर के नीचे और उपासना की चूत में भरा हुआ था सोमनाथ का लंबा सा लोड़ा ।

इस पोजीशन में करके जब सोमनाथ ने उपासना को जकड़ कर एक तगड़ा झटका मारा तो इस बार तो कुछ अनोखा हुआ।
हां दोस्तों अनोखा यह हुआ क्योंकि उपासना की गांड उठकर फैल गई थी जिस वजह से जैसे ही सोमनाथ ने झटका मारा तो एक फट्ट की आवाज बहुत तेज हुई। सोमनाथ को मजा आया उसने दो तीन झटके लगातार मारे आवाज तो बहुत तेज होती पट पट पट लेकिन अब उस आवाज में उपासना की लज्जत भरी चीखें थी ।

आज अपनी बेटी का मर्दन कर रहा था एक बाप उसकी जवानी के ऊपर चढ़कर । उसकी गांड से अपनी झांटों को मिलाकर ,जड़ तक उसकी चूत में लंड को चेंप रहा था ।
अब सोमनाथ ने तीन चार झटके लगाए तो उपासना की चूत ने चिकने चिकने पानी से सोमनाथ के लंड को नहलाना शुरू कर दिया । लोड़ा चमकने लगा उपासना की चूत के पानी से ।
बाहर आता तो चमकने लगता फच्च की आवाज से वापस चूत की गहराई में चला जाता और इस फच्च की आवाज के साथ साथ एक और आवाज होती जो सोमनाथ और उपासना की जांघों के मिलने से फट की आवाज होती थी ।

अपने बाप के नीचे आधे घंटे तक ऐसे ही चुदने के बाद जब उपासना दो बार झड़ गई पर अब भी उपासना अपनी गर्मी निकलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी । अभी कोई ऐसा भाव उसके चेहरे पर नहीं था जिससे पता लगे की उपासना अपने बाप को अपने ऊपर से हटाना चाहती है ।

उपासना के चुदाई भरे चेहरे को देखकर यही कहा जा सकता था कि ऐसी घोड़ी पर तो चढ़े रहो इतनी आसानी से ठंडी नहीं होती यह घोड़ी ।


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इसी अंदाज में आधे घंटे तक चोदने के बाद अब सोमनाथ ने उपासना की चूत से अपना लौड़ा बाहर किया तो उपासना को अपनी चूत बिल्कुल खाली खाली लगने लगी । चूत का छेद अब पहले की तरह बंद नहीं हो रहा था खुला हुआ छेद अंदर तक दिख रहा था जिसमें ध्यान से देखने पर अंदर सिर्फ अंधेरा ही देख रहा था ।

अपनी चूत पर इस तरह बेरहमी से लंड बजवा कर भी उपासना अभी ठंडी नहीं हुई थी अब सोमनाथ बेड पर सीधा लेट गया उपासना शर्माते और मुस्कुराते हुए बराबर में बैठी हुई थी ।

उपासना को सोमनाथ ने इशारा किया कि आकर मेरे लंड पर बैठ।
सोमनाथ की तरफ से यह इशारा देखकर उपासना शर्मा दी और मुस्कुराती हुई बोली - अब मैं अपने बाप के ऊपर चढूं क्या ?

सोमनाथ - जब बाप बेटी के ऊपर चढ़ा हुआ था तब तो तुम्हें कोई प्रॉब्लम नहीं थी । तो तुम क्यों नहीं चढ़ सकती।

इसका कोई जवाब उपासना के पास नहीं था लेकिन फिर भी बोली- वह तो आप चढ़े हुए थे मेरे ऊपर , मैं कैसे मना करती।

सोमनाथ- ऐसे ही तुम चढ़ जाओ, मैं भी अपनी बेटी को चढ़ने के लिए मना नहीं करूंगा ।

उपासना ने एक बार लंड पर नजर डाली उसके बाप का लंड खड़ा हुआ था।
उपासना को सबर नहीं हुआ और आव देखा न ताव सोमनाथ के ऊपर लेट गई और अपने होठों से सोमनाथ की गर्दन पर चूम लिया है।
लेकिन लोड़ा तो चूत में घुसा ही नहीं था जब सोमनाथ ने देखा उसकी बेटी उसके ऊपर चढ़ गई है लेकिन लंड चूत में अभी तक नहीं उतरा तो उसकी पानी छोड़ती हुई चूत पर लंड को ऐसे ही रगड़ा और अपने हाथ से अपने लंड को उपासना की खुली हुई चूत का रास्ता दिखा दिया।


आधा लंड तो बिना किसी मेहनत के आराम से उतर गया उपासना की चूत में।
अब सोमनाथ ने चौड़े चौड़े नितंबों पर अपना हाथ रखा और नीचे से अपनी गांड उठा दी । इस तरह से गांड उठी तो उपासना की चूत में लौड़ा पूरा सरक गया । एक दबी हुई सिसकारी उपासना के मुंह से निकली लेकिन शर्मा कर सिसकारी दबा ली उपासना ने ।

सोमनाथ कहां कम था बेशर्मी से बोला- ले गई पूरा लौड़ा अपनी चूत में।

उपासना- जब बेटी को अपने ऊपर चढ़ा कर उसकी चूत में लंड डाला जाएगा या बेटी के ऊपर चढ़कर उसकी चूत को अपने लंड से भरा जाएगा तो लंड चूत की जगह कहीं और तो जाएगा नहीं पापा । चूत में ही जाएगा ना।


सोमनाथ- समझदार हो गई है तो मेरी बेटी अब।


उपासना - समझदार नहीं, लंडो की दीवानी हो गई है , लंडो से ठंडी होना सीख लिया है आपकी बेटी ने ।


सोमनाथ- तो अब मैं आगे का क्या समझूं , ऐसे ही ठंडी करता रहूंगा क्या मैं अपनी बेटी को, क्या मेरी बेटी मुझसे ठंडी होना चाहेगी ।


उपासना - आपको पूरा हक है पापा । मैं आपकी ही तो बेटी हूं । जब भी आप देखो कि आपकी बेटी ज्यादा ठुमक ठुमक कर चूतड़ों को हिला हिला कर चल रही है तो पूछना मत पटक कर अपना लौड़ा उसकी चूत में पेल देना और उसकी चूत को ऐसे रगड़ना , ऐसे रगड़ना कि ठंडी हो जाए आपकी बेटी। और मटक कर चलने की जगह लंगड़ा कर चलने लगे आपकी बेटी ।



सोमनाथ - लगता है मेरी बेटी के अंदर लोड़े की भूख कुछ ज्यादा ही जग गई है ।

उपासना- आपने मेरी मां को चोद कर ऐसी बेटी पैदा की है कि जिसकी आग ठंडी करने के लिए रात भर दौड़ा-दौड़ा कर चोदा जाए तब कहीं जाकर ठंडी होती है आपकी बेटी ।


सोमनाथ- तो अब क्या कमी है । अब तो ससुर और बाप दोनों ही हैं अपनी प्यारी सी उपासना बेटी के लिए । हमारी बेटी जब चाहे चढ़ा सकती है अपने ऊपर ।

उपासना - इसमे चाहने वाली क्या बात है पापा आपकी बेटी तो चाहती है आप उसे नंगी करके लंड पर नचाते रहो और मैं नाचती रहूं । अपनी गांड को घुमा घुमा कर अपनी चूत को भींच भींचकर कर अपने होठों को चुसवा चुसवा कर ।


सोमनाथ को उपासना की बातों से इतनी इतनी गर्मी चढ़ी कि नीचे से लौड़ा चार पांच बार उसकी चूत में कसकर पेला।

अब उपासना को बेड पर एक साइड में धकेल दिया फिर उपासना को उसने कुतिया बनाया और खुद उसके पीछे खड़ा होकर अपने लंड को उसकी चूत से रगड़ने लगा ।
उपासना भी इतनी गरम हो चुकी थी कि मूतने को तैयार थी कुतिया बनकर, अपनी गांड को हिलाने लगी थी मस्ती से उपासना।

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सोमनाथ ने उपासना की जांघों पर हाथ फेरते हुए उसकी चूत पर अपना पूरा हाथ रख दिया । उपासना की गीली चूत पर हाथ रखते ही सोमनाथ का हाथ भीग गया। दूसरी तरफ उपासना भी मद भरी सिसकारियां भरने लगी। सोमनाथ ने दो तीन बार उसकी चूत पर हाथ फेरा और फिर अपने लंड को उसकी चूत पर रखकर उपासना की कमर को पकड़ा और फिर क्या था---- मिला दी सोमनाथ ने अपनी जांघे अपनी बेटी की जांघों से और बिठा दिया पूरा लौड़ा उसकी चूत में ।
उपासना आगे को गिरने को हुई लेकिन सोमनाथ ने उसकी कमर पकड़ी हुई थी । इस पोजीसन में गचागच लंड अंदर बाहर करते हुए बोला।

सोमनाथ- बेटी जब किसी गाय के ऊपर कोई सांड चढ़ता है तो वह ऐसे ही चढ़ता है जैसे मैं तेरे ऊपर चढ़ा हुआ हूं।


उपासना - वैसे भी आपकी बेटी को सांड की ही जरूरत है पापा । मैं तो चाहती हूं आप जैसा कोई सांड मेरे ऊपर चढ़े और मुझे इतनी ठोके की मैं निखर जाऊं ।


अब सोमनाथ ने उपासना के बाल पकड़े और पीछे की तरफ खींचते हुए कुत्तिया बनी हुई उपासना की चूत में धक्के लगाने लगा ।
इस तरह की चुदाई को ज्यादा नहीं सह पाई उपासना और किसी घोड़ी की तरह हिनहिनाने लगी ।

जब सोमनाथ ने देखा की उपासना झड़ने के करीब आ गई है, पूरी मस्ती में चुदासी कुत्तिया की तरह टूट कर चुदवा रही है तो सोमनाथ ने उसके बालों को छोड़कर उपासना के मुंह में अपने दोनों हाथों की दो दो उंगलियां डाल दीं। और उपासना मुंह को चौड़ाते हुए पीछे से उपासना की चूत में लौड़ा पेलना शुरू कर दिया ।

नजारा कुछ ऐसा था की सोमनाथ ने उपासना का मुह अपने हाथों से खोला हुआ था और उपासना अपनी चूत पर मर्दानगी भरे झटके झेल रही थी।

चुदासी उपासना किसी कुत्तिया की तरह गला फाड़कर , हाफ हाफ कर चुद रही थी ।

सोमनाथ ने उसके मुंह को और खोलते हुए उपासना की चूत में अपने पूरे जोश से धक्के लगाने शुरू किये ।


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उपासना का बदन अकड़ने लगा और अपने बाप के लौड़े के झटकों पर उपासना झड़ने लगी । जैसे-जैसे उपासना झड़ रही थी वैसे वैसे ही उसके खुले मुंह से उपासने की जीभ बाहर की तरफ लटकती जा रही थी। अपना मुंह फाड़े हुए और जीभ को बाहर निकालकर उपासना की चूत ने पानी को बाहर निकालकर उड़ेल दिया सोमनाथ के लंड पर ।


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अपनी बेटी की चूत में पानी भरे होने का एहसास जब सोमनाथ को हुआ तो उसकी मस्ती और बढ़ गई और उसने और तेज धक्के लगाने शुरू किये।

नतीजा यह हुआ की उपासना की पानी भरी चूत में जब लंडो जा रहा था तो पच पच की आवाज बहुत तेज होने लगी और साथ में उपासना का पानी सोमनाथ के लंड पर लगकर झाग बनाने लगा ।


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जब उपासना पूरी तरह से चुदकर ठंडी हो गई तो वह अपना मुंह इधर उधर करने लगी करने लगी तब सोमनाथ बोला।

सोमनाथ- अब तो मेरी जान तुझे चोदने में मजा ही आएगा इधर उधर मत भाग , चुप लौड़ा खाती रह मेरा ।

उपासना को बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था और दूसरी तरफ सोमनाथ ना आव देख रहा था ना ताव देख रहा था । सोमनाथ तो बस उपासना के मुंह में अपने दोनों हाथ की उंगलियां डालकर उसकी चूत पर लंड बजा रहा था


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उपासना झटपटाने लगी , दर्द से कराहने लगी लेकिन सोमनाथ को कोई रहम नहीं आया उसने उसी बर्बरता से चूत का चबूतरा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।

अब सोमनाथ को लगने लगा कि वह भी झड़ने वाला है ।
सोमनाथ का बदन भी अकड़ने लगा। सोमनाथ ने अपनी जान इकट्ठे करके करके पूरी जान से उपासना की चूत में धक्का मारा और इस बार धक्का इतना जोरदार था कि उपासना के लिए संभलना मुश्किल हो गया और उपासना आगे को जा गिरी साथ में सोमनाथ भी उपासना के साथ ही उसके ऊपर गिर गया ।
जब उपासना जैसी घोड़ी के ऊपर सोमनाथ जैसा सांड गिरा चूत में लौड़ा फंसा होने की वजह से उपासना की चीख निकल गई ।


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सोमनाथ इस तरह नीचे दबी हुई उपासना की चूत में झड़ने लगा ।
सोमनाथ के लोड़े ने अपना पानी एक पिचकारी के रूप में उपासना की चूत में छोड़ा तो सोमनाथ का वीर्य उपासना को उपासना को सीधा अपनी बच्चादानी बच्चादानी पर महसूस हुआ ।

पूरा झलझला कर झड़ा था सोमनाथ । कम से कम 1 मिनट तक तक तक कम 1 मिनट तक तक 1 मिनट तक तक सोमनाथ के लोड़े से सफेद गरम वीर्य उपासना की चूत में जाता रहा।
कहां तक भरती उपासना की चूत उस वीर्य को को, कैसे संभालती ।

जब सोमनाथ ने देखा की उपासना की चूत में पूरा वीर्य भर गया है तो उसने उसके ऊपर लेटे लेटे अपना लौड़ा चूत के बाहर के बाहर अपना लौड़ा चूत के बाहर के बाहर कर दिया।
लंड बाहर निकलते ही उपासना की चूत से वीर्य बह निकला ।

सोमनाथ- अब इस अनमोल वीर्य को को क्यों बहा रही है है पानी की तरह मेरी कुतिया।

उपासना - पापा आपने इतना वीर्य मेरी चूत में छोड़ा है मेरी चूत में छोड़ा है मेरी चूत संभाल नहीं पा रही ।

सोमनाथ बोला - ऐसी ही चुदाई की तो जरूरत थी तुझे बेटी , अब हुई है तू ठंडी ।

उपासना- हां पापा आपने तो मेरी चूत का भोसड़ा बना के रख दिया अपनी बेटी के अंदर उतर गए आज आप ,अपनी बेटी की चूत ले ली आपने आज, अपनी बेटी को अपने लंड पर खूब नचाया है आज आपने पापा ।

********
दोस्तों फिर सोमनाथ और उपासना ने एक दूसरे के होठों को चूम कर गुड नाईट बोल कर सो गए सो गए कर सो गए सो गए बोल कर सो गए सो गए के होठों को चूम कर गुड नाईट बोल कर सो गए सो गए कर सो गए सो गए बोल कर सो गए सो गए बोल कर सो गए सो गए ।
सुबह 9:00 बजे सबकी आंखें खुली
सुबह उठकर सोमनाथ ने एक बार दोबारा से उपासना को चोदा और दूसरी तरफ धरमवीर भी भी कहां कम था । उसने भी उठते ही पूजा को रगड़ दिया।
और फिर सब हॉल में आने लगे।


उपासना और पूजा चुदाई की रंगत रंगत से खुश थी लेकिन उनका बदन बुरी तरह से दुख रहा था ।
उपासना ने जैसे ही बेड से नीचे कदम रखा तो उसके लिए चलना मुश्किल हो गया दूसरी तरफ पूजा का भी यही हाल था ।

धर्मवीर और पूजा ने सोचा की उपासना ने नीचे नाश्ता तैयार कर दिया होगा तो चलो नाश्ता ही कर लिया जाए।
लेकिन धर्मवीर को कहां पता था कि उसकी बहू उपासना उपासना पूरी रात लंड से खेली है जैसे पूजा की चूत को को रात भर रगड़ा है धर्मवीर ने वैसे ही सोमनाथ ने भी उपासना की चूत का बाजा पूरी रात बजाया है ।

सोमनाथ और पूजा हॉल में आए तो पूजा सीधा सीधा नहीं चल पा रही थी।
अपनी टांगों को थोड़ी फैलाकर धीरे धीरे चल रही थी ।

दूसरी तरफ से सोमनाथ और उपासना भी हॉल में आए तो उपासना भी सीधा नहीं चल पा रही थी , थोड़ा लंगड़ापन उसकी चाल में भी था ।

जैसे ही सोमनाथ और धर्मवीर की नजर एक दूसरे से मिली मिली से मिली दूसरे से मिली मिली एक दूसरे से मिली मिली से मिली दूसरे से मिली मिली से मिली दोनों एक कुटिल मुस्कान से मुस्कुरा पड़े लेकिन पूजा और उपासना ने अपने चेहरे झुका लिया लिया, शरमा गई दोनों ।


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तभी धर्मवीर बोला- सोमनाथ जी बहू को क्या हुआ ऐसे क्यों चल रही है ? तुम ठीक तो हो बहू ?

धर्मवीर के सवाल से लाल पड़ गई उपासना उपासना उसके पास इसका कोई जवाब नहीं था। लेकिन सोमनाथ ने इसका जवाब देते हुए कहा जवाब देते हुए कहा ।

सोमनाथ - अभी बाहर आते हुए उपासना बेटी गिर गई थी जिस वजह से थोड़ा उसके पैर में दर्द हो रहा है लेकिन मैं देख रहा हूं समधी जी की पूजा भी सीधी नहीं चल पा रही है , पूजा को क्या हुआ ?


अब शर्माने की बारी थी पूजा की अपनी आंखें झुका कर बहुत ही धीमी मुस्कान के साथ अपना चेहरा उसने दूसरी तरफ मोड़ दिया ।

(दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं धर्मवीर का किरदार जो अपने किरदार के अनुसार ही धर्मवीर बोला )

धर्मवीर - मुझे क्या पता यह तो आपकी शरीफ और संस्कारी बेटी ही बता सकती है कि वह क्यों सीधी नहीं चल पा रही ।
अब तो पूजा की हालत ऐसी हो गई जैसे उसे सांप सूंघ गया हो। एक बार उसने अपना चेहरा घुमा कर धर्मवीर की तरफ सवालिया धर्मवीर की तरफ सवालिया की तरफ सवालिया नजरों से देखा लेकिन फिर अपनी नजरें झुका कर जमीन की तरफ देखने लगी ।


सोमनाथ - बोलो पूजा बेटी क्या बात है. तुम सीधी क्यों नहीं चल पा रही हो?


पूजा नीचे जमीन की तरफ देखते हुए बहुत धीरे से हकलाते हुए बोली - क-क-कुछ नहीं पापा जी रात से मेरे पैरों में दर्द हो रहा है इस वजह से मुझे चलने में तकलीफ हो रही है ।

धर्मवीर- छोड़ो इन बातों को सोमनाथ जी, बताइए रात कैसी नींद आई?


सोमनाथ - समधी जी एकदम मस्त नींद आए रात रात . मेरी तो आंखें अभी खुली है। आप बताइए आपको कैसी नींद आई ।


धर्मवीर - समधी जी मैं तो सो ही नहीं पाया पूरी रात । बस 1 घंटे घंटे के लिए ही सो पाया हूं ।

सोमनाथ - आपने क्या किया पूरी रात जो आप सोए नहीं ।


दोस्तों धर्मवीर और सोमनाथ को दोनों को पता था कि रात भर दोनों ने इन घोड़ियों को चोदा है है चोदा है लेकिन वह पूजा और उपासना को भी खोलना चाहते थे। इस वजह से ऐसी बातें कर रहे थे ।


धर्मवीर ने फिर पूजा पर बात डालते हुए कहा - हां मैं पूरी रात नहीं सो पाया और यह मुझसे क्या पूछते हो। अपनी पूजा बेटी से पूछो कि भी रात भर क्यों नहीं सो पाया।

अब तो पूजा के लिए हालत असामान्य हो गई ।
पूजा बुरी तरह से जीत पर वह क्या कहती है अपने बाप के सामने कि वह रात भर चुदी है । वह अपने बाप के सामने कैसे कहती है कि उसकी बहन के ससुर ने उसकी चूत में रात भर लौड़ा उतारा है है उतारा है है लौड़ा उतारा है है उतारा है है।


सोमनाथ - बताओ पूजा बेटी समधी जी रात भर क्यों नहीं सो पाए।


पूजा हकलाते हुए - ज-जी जी पापा वो । वो मुझे नहीं पता इतना ही कह सकी पूजा ।

उपासना ने बात को संभालते हुए कहा- रात उनका टीवी खराब हो गया था, हो सकता है दोनों ने बातें की हों ।

तभी पूजा एक साथ साथ बोली- हां हां हम दोनों बातें ही कर रहे थे, कब रात निकल गई पता ही नहीं चला पता ही नहीं चला ।

सोमनाथ - अच्छा यह बात है तो ।


धर्मवीर- सोमनाथ जी जरा अपनी बेटी से यह तो पूछो कि वह मुझसे कौन सी सी कौन सी सी बातें कर रही थी ।

पूजा को जलील जलील करने में धर्मवीर भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा था था पर पूजा ने भी ऐसी शर्मिंदगी कभी महसूस नहीं की थी जितनी आज कर रही थी थी रही थी थी।


सोमनाथ - कौन सी बातें की थी बातें की थी पूजा बेटी हमें भी तो बताओ ।


पूजा - कु-कुछ नहीं पापा बस ऐसे ही ।


धर्मवीर - सोमनाथ जी वैसे आपकी पूजा बेटी में वजन बहुत है बहुत भारी है पूजा ।

सोमनाथ- आपको कैसे पता समधी जी।

धर्मवीर ने फिर कहा वही - पूजा से ही पूछ लो ।

पूजा को गुस्सा और शर्मिंदगी दोनों का सामना करना पड़ रहा था ।

सोमनाथ - पूजा बताओ बेटी ।


पूजा के पास इसका कोई जवाब नहीं था बस इतना ही कहीं सकी- जी वह मैं इनके इनके ऊपर गिर गई थी रात ।


सोमनाथ- अच्छा , धर्मवीर जी तो तो नहीं गिरे थे ना तुम्हारे ऊपर बेटी।


पूजा के लिए यह फिर एकदम यह फिर एकदम बम फूटा क्योंकि अब इसका क्या जवाब क्या जवाब इसका क्या जवाब देती। पूजा सोचने लगी यदि मैं मैं मना करती हूं तो धर्मवीर सब कुछ बता देगा उससे अच्छा है मैं हां कह दूं ।

पूजा- जी पापा , यह भी मेरे ऊपर मेरे ऊपर गिर गए थे ।


सोमनाथ - कैसे गिरे थे समधी जी, तुम उस वक्त सीधी लेटी थी या उल्टी लेटी थी थी या उल्टी लेटी थी थी या उल्टी लेटी थी थी थी या उल्टी लेटी थी थी पूजा ।


सोमनाथ की तरफ से होने वाले किसी भी सवाल का जवाब पूजा के पास नहीं था लेकिन वह फिर भी जवाब दे रही थी ।


पूजा - जी एक बार तब गिरे थे जब मैं सीधी लेटी थी , एक बार तब गिरे थे जब मैं उल्टी लेटी थी ।


धर्मवीर - वैसे कुछ भी हो सोमनाथ जी आपकी बेटी मेरा वजन आराम से संभाल लेती है ,अभी मर्दों के वजन संभालने लायक हो गई है आपकी बेटी ।


पूजा फिर से लजा कर रह गई ।

सोमनाथ सवालिया नजरों से पूजा की तरफ देखते हुए - तुमने रात कुछ और तो नहीं किया ना बेटी ।

पूजा के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था और धर्मवीर को भी ये खेल लंबा सा लगने लगा ।

पूजा कुछ बोलने की कोशिश ही कर रही थी रही थी कर रही थी कि तभी अपनी गांड पर धर्मवीर का एक तेज थप्पड़ उसे थप्पड़ उसे महसूस हुआ और पूरे कमरे में आवाज गूंजी गूंजी गूंजी धर्मवीर की ।

धर्मवीर - बता दे ना पूरी रात चुदी हूँ । क्यों शर्मा रही है ऐसे । बोल दे पूरी रात लौड़ा बजा है मेरी चूत पर ।
ऐसा कहकर धर्मवीर ने दूसरा थप्पड़ पूजा की गांड पर लगाया ।

बाप के सामने इतना जलील सामने इतना जलील पहले कभी नहीं हुई थी पूजा। वह बस जमीन की तरफ देखते हुए जमीन की तरफ देखते हुए देखते हुए दोनों बार आउच कर गई ।

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धर्मवीर और जो मेरे सामने इतनी भोली बन रही है मेरी उपासना बहू यह भी तो रात भर लौड़ा खाकर लौड़ा खाकर खाकर बाहर निकली है ,और यहां देखो साली सीता बन रही है
चल बहन की लोड़ी घोड़ियों नाश्ता लगा दो हमारे लिए।
सोमनाथ ने भी उपासना की गांड पर एक थप्पड़ मार दिया और दोनों को किचन में भेज दिया ।

शर्माती हुई धीरे-धीरे चलती हुई जलील होकर दोनों बहने किचन में आकर नाश्ता बनाने लगीं ।
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दोस्तों कहानी कैसी चल रही है बताना जरूर।
आपका अपना प्यारा सा भाई और लड़कियों का शोना बाबू - रचित ।
 
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Update 28.

Hi दोस्तों माफी चाहता चाहता हूं बहुत इंतजार कराया अपडेट के लिए लेकिन तैयार है आपके लिए आगे की कहानी।
लौड़ों के राजाओं से और चूत की रानियों से निवेदन है कि यह कहानी पढ़ते हुए आनंद के सागर में गोते लगाए ।
कहानी को ले चलते हैं वहां पर जब बालवीर ने घूमने का प्लान बनाया था , शालिनी और आरती बलवीर के साथ घूमने को राजी हो गए थे-

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यह सुनते ही आरती खुश हो गई और एक साथ चहकते हुए बोली भैया आप चिंता क्यों करते हो मैं हूं ना । हम दोनों भाई बहन चलते हैं घूमने ।
तभी बलवीर ने शालीनी से भी पूछा शालीनी ने पता नही क्या सोचकर हां करदी ।

आरती , शालीनी और बलवीर का प्लान फिक्स हो चुका था ।
अगले दिन सुबह को बलवीर, शालीनी और आरती अपने 6 दिन के टूर के लिए रवाना हो चुके थे ।
ड्राइवर उनको सुबह 7 बजे एयरपोर्ट लेकर पहुंच चुका था ।


सबसे पहले बलवीर शालिनी और गोवा जाने का फैसला किया ।
सुबह के 11 बजे तीनो गोवा पहुंच चुके थे ।

बलवीर साइड में खड़ा होकर होटेल में रूम बुक करने लगा । उसने सोचा दोनों से पूछ लूं कि कितने दिन के लिए होटेल बुक करूँ ।

बलवीर (शालिनि और आरती की तरफ आते हुए) - आरती कितने दिन तक रुकने वाले है हम यहां ।

आरती - भइया जब तक आप घूमना चाहे। वैसे भी हम दोनों को तो घूमने में मजा आता है ।

बलवीर - ठीक है दो दिन तक हम लोग गोवा में घूम लेते है फिर 2 दिन के लिए कश्मीर चलेंगे ।

शालिनि - ग्रेट चाचाजी ।

बलवीर रूम बुक करने लगा । उसने 2 रूम बुक किये एक शालिनि और आरती के लिए, एक अपने लिए ।

तीनो होटेल पहुंचे जाकर देखा तो पता लगा कि जो रूम उसने बुक किया था वो तभी कैंसिल हो गया था ।

रिसेप्शनिस्ट- यस सर , how may I help you ?

Balbir - भाई अंग्रेजी से तो मैं परेशान हो गया हूं भारत मे तो कम से कम हिंदी बोलो ।

रिसेप्शनिस्ट- जी सर मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूं ?

बलवीर - मैंने अभी दो रूम बुक किए थे , लेकिन अभी होटल आकर मैंने देखा तो मुझे पता चला कि मेरे रूम कैंसिल हो गया ।

रिसेप्शनिस्ट - हां जी सर माफी चाहता हूं मैं उसके उसके लिए । मैं आपको बताना चाहता हूं कि अब एक रूम खाली है यदि आप चाहते हैं तो उसमें आप रुक सकते हैं ।

बलबीर - लेकिन हम तीन लोग हैं।

तभी आरती ने बोला हां भैया कोई बात नहीं हम कोई दूसरे होटल में रुक जाएंगे ।


तभी रिसेप्शनिस्ट ने बोला - माफ कीजिएगा । मैं यहां पर आसपास में कोई होटल अवेलेबल नहीं मिलेगा। इस मौसम में काफी लोग गोवा घूमने आते हैं जिस वजह से आसानी से नहीं मिल पाता है होटल ।


तभी आरती सवालिया नजरों से बलवीर की तरफ देखते हुए - तो फिर कैसे करेंगे भैया ।

बलवीर एक मिनट तक कुछ सोचा फिर बोला - आरती ऐसा करते हैं बेड पर तुम दोनों सो जाना मैं सोफे पर सो जाऊंगा।


शालिनी- हां चाचा जी यह ठीक रहेगा ।

तभी रिसेप्शनिस्ट ने एक वेटर को कहा- तुम जाकर साहब को कमरा दिखाओ ।


बलवीर आरती और शालिनि से बोला - कि हां तुम इस लड़के के साथ जाकर रूम में पहुंचो, मैं पेमेंट करके आता हूं ।


आरती और शालिनी उस लड़के के साथ रूम की तरफ चल दी ।
बलवीर ने पेमेंट किया लेकिन जैसे ही बलवीर ने रिसेप्शनिस्ट की तरफ देखा तो वह सामने की तरफ कुछ देख रहा था ।
उसकी नजरों का पीछा करते हुए बलवीर ने देखा तो पाया रिसेप्शनिस्ट आरती और शालिनी को जाते हुए घूर रहा था ।


यह पहला मौका था जब बालवीर ने आरती और शालिनी को पीछे से इस तरह चलते हुए देखा था ।
दोनों की गांड चलते हुए काफी हिल रही थी जिसे उनके पीछे चलने वाला लड़का देख रहा था । हालांकि सूट पहना हुआ था शालिनी और आरती ने लेकिन उसमें भी चलती हुई किसी बोंब की तरह लग रही थी दोनों ।


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बलवीर ने पेमेंट किया और बलवीर भी उनकी उनकी तरफ चलने लगा।

लड़के ने रूम में पहुंचकर कहा- मैम यह है आपका कमरा । अगर किसी भी चीज की जरूरत हो तो आप कॉल कीजिएगा ।

ऐसा कहकर वह लड़का बाहर चला गया ।

आरती और शालिनी ने जाकर सामान रखा और सोफे पर बैठ गई ।

आरती- भैया भूख भी लग रही है पहले कुछ खा लेते हैं फिर थोड़ा आराम करने का भी मन है ।

शालिनी उसका साथ देते हुए- हां चाचा जी मुझे भूख लग रही है ।

बलवीर - अच्छा जब तुम दोनों को भूख लग रही है तो पहले चलो कुछ खा लेते हैं । मैं खाना ऑर्डर कर देता हूं ।

बलवीर खाना ऑर्डर करने लगा ।

शालिनी बोली- जी चाचाजी आप खाना ऑर्डर कीजिए तब तक मैं नहा लेती हूं ।

ऐसा कहकर शालिनी ने अपने कपड़े निकाले बैग में से और बाथरूम में घुस गई ।

अब कमरे में बलवीर और आरती थे ।

आरती को सलमान का मैसेज रिसीव हुआ तो आरती अपना फोन उठाकर बाहर गिरिल पर जाकर खड़ी हो गई और सलमान से बातें करने लगी ।


उधर शालिनी बाथरूम में नहाने के लिए गई हुई थी लेकिन उसका फोन वहीं सोफे पर रखा था ।
तभी उसके फोन पर उसकी बेस्ट फ्रेंड नाज़नीन (Najneen) का फोन आया।

नाज़नीन के बारे में आपको बता दें कि यह एक मुस्लिम शादीशुदा औरत है।
नाज़नीन की शादी को अभी 1 साल हुआ है । नाज़नीन पर्दे में रहने वाली औरत है यह मोहतरमा अगर घर से बाहर निकलती हैं तो अपने आप को बुर्के से ढककर ही घर से बाहर जाती हैं ।


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इनकी आंखें बिल्कुल कटीली हैं लेकिन चुदाई के मामले में इन्हें देखकर कोई नहीं कह सकता कि यह एक शरीफ पाकीजा मुस्लिम औरत है ।
अपने शौहर से चुदवाते समय यह दिखाती है कि मैं कितनी बड़ी लंडखोर औरत हूं।


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हां दोस्तों जब यह मोहतरमा अपने शौहर के नीचे बिछती हैं तो कोई शरीफ पाक औरत नहीं बल्कि सस्ती और चुडक्कड़ रांड बन जाती हैं ।



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बलवीर ने जैसे ही देखा कि किसी नाज़नीन नाम से फोन आ रहा है तो उसने सोचा शालिनी की सहेली होगी । बता देता हूँ कि वो नहा रही है।

यह सोचकर बलवीर ने फोन उठा लिया ।


जैसे ही बलवीर ने फोन अपने कान से लगाया दूसरी तरफ से आवाज आई।

नाजनीन- क्या हाल हैं मेरी चुदक्कड़ रानी के । अब तो अपने भैया को मार कर अपने चाचा को मारने का प्लान है क्या, लेकिन याद रखना वह तेरा भाई राकेश नहीं है। वह तेरा चाचा बलवीर है लाडो रानी कहीं ऐसा ना हो कि चाचा को रिझाने के चक्कर में अपनी चूत का चबूतरा बनवा लो । वह तो बेचारा सीधा साधा राकेश था जो तेरे जैसी घोड़ी को देखकर तुझ पर चढ़ने के लिए बेताब हो गया था। वैसे तुझे चुदने के बाद मारना चाहिए था राकेश को पर तूने बेचारे को तेरी चूत भी नहीं लेने दी और तूने पहले ही मार दिया उसको । अब बोलती क्यों नहीं कुछ मैं इतनी देर से बकबक किए जा रही हूं।


बलवीर को कुछ समझ नहीं आया ।
उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया ।
परेशान हो गया बलबीर ।
उसकी आंखों से गुस्सा और आंस दोनों साफ झलक रहे थे ।


बलवीर ने फोन डिस्कनेक्ट किया और सोफे पर गिर पड़ा।
सोफे पर बैठे बैठे उसके दिमाग में यह भूचाल चल ही रहा था कि शालिनी ने ने राकेश को क्यों मारा ?
क्या शालिनी ने ही राकेश को मारा है ?
क्या राकेश की हत्या की गई है ?
क्या राकेश शालिनी को चोदना चाहता था?
क्या शालिनी चुदक्कड़ है जो अपनी चूत अबसे पहले फड़वा चुकी है ।

यह सोचते हुए बलवीर काफी परेशान सोफे पर बैठा था कि तभी शालिनी नहा कर आगयी।

शालिनी ने जींस पहनी हुई थी और उसके ऊपर टॉप डाला हुआ था ।
अपनी उम्र के हिसाब से शालिनी का शरीर ज्यादा ही बड़ा लगता था ।
देखने से भी शालिनी कुंवारी नहीं लगती थी ऐसी लगती थी जैसे उसके रोम-रोम में वासना भरी हो ।

अपनी भतीजी की मोटी मोटी गदराई हुई जांघों को देखकर बलवीर समझ गया कि उसकी भतीजी अब बच्ची नहीं है । वह एक खेलीखाई लड़की है जो अपने भाई को मार चुकी है ।


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शालिनी के भरे हुए बदन और खूबसूरती के साथ-साथ उसमें एक शातिर दिमाग भी है यह समझ चुका था बलवीर ।
तभी बलवीर के दिमाग में एक विचार कौंधा कि जिस सहेली का अभी फोन आया है वह दोबारा शालिनी को फोन करेगी और शालिनी को पता चल जाएगा की फोन पर मैंने उसकी सहेली की बात सुन ली है ।
इसका मतलब मेरी पोल खुल जाएगी । मेरी पोल खुले उससे पहले ही मुझे कुछ करना होगा ।

तभी रूम में वेटर की एंट्री होती है जो खाना लेकर आया था उसने खाना टेबल पर रखा और बाहर की तरफ निकल गया ।

बलवीर भी उस लड़के के पीछे चला गया ।
कमरे से बाहर जाकर बलवीर ने उसे रोका और कहां एक काम कर सकते हो ।

लड़के ने सवालिया नजरों से बलवीर की ओर देखा और पूछा- कैसा काम ?

बलवीर- यार वह क्या है ना मुझे थोड़ा प्राइवेसी चाहिए ।
अपनी गर्लफ्रेंड से मुझे मिलना है और वह देखो मेरी बहन मेरे साथ ही है।
आरती की तरफ इशारा करते हुए बलवीर ने कहा । तो मैं चाहता हूं कि तुम उसे बातों में लगा लो या कुछ ऐसा करो एक-दो घंटे के लिए वह कमरे में ना आ पाए ।

लड़का - बदले में मुझे क्या मिलेगा ।

बलवीर ने लड़के की तरफ़ पचास हजार का एक नोट बढ़ाते हुए कहा - यह लो उस काम की कीमत ।


लड़के की आंखों में 50000 का नोट देखकर चमक आ गई और उसने वह नोट जल्दी से अपनी जेब में रख लिया और बोला - आज आप चिंता मत कीजिए समझ लीजिए आपका काम हो गया। हमारे यहां पर आज एक बर्थडे पार्टी है तो मैम साहब को मैं वहां बुला लेता हूं ।


बलवीर को ये आईडिया जच गया और उसने कहा - ठीक है तुम मेरे रूम में इनविटेशन कार्ड लेकर आना मैं उसे तुम्हारे साथ भेज दूंगा ।

लड़का - ठीक है साहब में 10 मिनट में आता हूं।
ऐसा बोलकर लड़का चला गया ।

आरती को इस बारे में भनक तक नहीं की वह तो बस धर्मवीर यानी सलमान से चैटिंग कर रही थी ।

बलवीर वापस कमरे में आया और आके शालिनी से बोला- मुझे तुमसे कुछ बात करनी है शालिनी ।


सवालिया नजरों शालिनी बोली- बोलिये चाचा जी ।


बलवीर- अभी आरती बाहर एक बर्थडे पार्टी में जाएगी जो होटल वालों ने रखी है, तो तुम मत जाना उसके साथ।

शालिनी सवालिया नजरों से बलवीर को देखते हुए - हां चाचा जी वह तो ठीक है लेकिन यह तो बता दीजिए बात किस बारे में करनी है ।

बलबीर ने सोचा कि अभी मैं इसे कोई हिंट दूंगा तो कहानी खराब हो सकती है इसलिए उसने झट से कहा - मैं सोच रहा हूं गोवा में हम लोग अपनी कंपनी की एक नई ब्रांच खोलें तो उसी के बारे में बात करनी थी । लेकिन बात सिर्फ तुमसे ही करनी थी । तो सोच रहा हूं आरती चली जाएगी तब इस बारे में बात करते हैं ।


शालिनी यह सुनकर खुश हुई क्योंकि उसने सोचा कि हो सकता है बलवीर चाचा वह ब्रांच मेरे नाम से शुरू करें। ऐसा सोच कर वह चहकते हुए बोली - हां चाचा जी बिल्कुल जब आरती बुआ चली जाएंगी हम तब बात कर लेंगे।
लेकिन चाचा मुझे भूख लग रही है चलो खाना खा लेते हैं ।

तभी आरती अंदर आ गई आरती बोली- भैया मुझे भी भूख लग रही है।

बलवीर - तो चलो आ जाओ पहले खाना खाते हैं ।
तीनो लोग बैठे ही थे कि तभी वह लड़का अंदर आया जिससे बलवीर ने सारा प्लान फिक्स किया था ।


लड़का - सर हमारे होटल में आज एक छोटी सी पार्टी है आप से रिक्वेस्ट है की पार्टी में आकर पार्टी की शोभा बढ़ाएं ।


बलवीर - बहुत खुशी की बात है यह तो लेकिन मुझे बड़े दुख के साथ मना करना पड़ेगा क्योंकि मुझे अभी ऑफिस का काम है ।
एक काम करो शालिनी और आरती तुम दोनों चली जाओ ऐसा कहते हुए बलवीर अपने फोन को चलाने लगा ।


आरती - चलो कम से कम पार्टी तो मिलेगी। चलो हम दोनों चलते हैं शालिनि, भैया अपने ऑफिस का काम कर लेंगे ।

शालिनी मुंह बनाते हुए - लेकिन मेरे तो सर में दर्द हो गया है सफर की वजह से । मेरा थोड़ा आराम करने का मन है अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं आराम कर लूं और आप पार्टी में चली जाओ बुआ।


आरती ने अपने मन में सोचा- चलो अच्छा है सलमान से चैटिंग करने का भी मौका मिलेगा और वैसे भी शालिनि के सर में दर्द है तो वह आराम कर लेगी


यह सोच कर आरती बोली - कोई बात नहीं मैं चली जाती हूं इनको भी बुरा नहीं लगेगा और मैं जल्दी आ जाऊंगी ।

बलवीर - हां आरती ये ठीक रहेगा तुम पार्टी में चली जाओ मैं और शालिनी यह खाना पेट भर कर खाएंगे hahaha हंसते हुए बलवीर बोला । वैसे भी तुम्हें डांस करने का बहुत शौक है तो आज तुम्हें डांस करने का मौका भी मिल जाएगा ।

शालिनी- हां चाचा जी डांस तो वाकई में बहुत अच्छा करती हैं बुआ।

आरती - तुम दोनों मेरी क्यों हंसी उड़ा रहे हो , ऐसा कुछ नहीं है ।


बलवीर - शालिनी देखो आज हमारी आरती इतना अच्छा डांस करेगी कि-
कर देगी फेल शकीरा को तोड़ेगी ये रिकॉर्ड माईकल के ,
कर देगी फेल शकीरा को तोड़ेगी ये रिकॉर्ड माईकल के ,
ऐसे कमर घुमाकर नाचेगी जैसे पैडल घूमते है साईकिल के ।

यह सुनकर शरमा गई आरती।

आरती - ओके भैया ।

ऐसा बोलकर आरती उस लड़के के साथ चली गई अब कमरे में शालिनी और बलबीर बचे थे ।

दोस्तों बलवीर और धर्मवीर दोनों भाइयों के स्वभाव में कोई ज्यादा बड़ा अंतर नहीं था जैसा शातिर दिमाग धर्मवीर का था वैसा ही शातिर दिमाग और भैंसे जैसा तगड़ा शरीर बलवीर का भी था ।

शालिनी को इस बात के बारे में कोई भनक नहीं थी कि बलवीर क्या सोच रहा है । वह तो बस अपनी मस्ती में मस्त थी ।

अब बलवीर ने उठकर गेट लॉक किया और सोफे पर बैठ गया ।
शालिनी अपने फोन में कुछ देख रही थी ।
बलवीर की आवाज तभी उसके कानों में पड़ी ।

बलवीर - शालिनी हम जो गोवा में नई कंपनी खोल रहे हैं मैं सोच रहा हूं कि उसे तुम्हारे नाम कर दूं ।

शालिनी खुश होते हुए - दिल से धन्यवाद चाचा जी। आज मुझे एहसास हुआ कि आप मुझे अपनी सगी बेटी की तरह ही प्यार करते हैं ।

बलवीर - हां बेटी तुम मेरी अपनी ही हो । लेकिन मैं सोच रहा हूं इसके बदले में तुम्हें भी कुछ मेरे लिए करना चाहिए ।

शालिनी - हां चाचा जी बिल्कुल । बोलिए क्या करे यह शालिनी आपके लिए। मैं तो अपनी फैमिली के लिए अपनी जान भी दे दूं ।

बलवीर अपने चेहरे पर पर कुटिल मुस्कान लाते हुए- मुझे तुम्हारी जान नहीं कुछ और चाहिए ।

शालिनी अभी भी खुशी में ही मग्न थी । उसे आने वाले समय के बारे में कोई भनक नहीं थी और ना ही वह बलवीर की बातों का सही अर्थ समझ पा रही थी ।


शालिनी ने चहकते हुए कहा - आप कहिए तो चाचा जी आपके मुंह से वह ख्वाहिश निकलने से पहले ही मैं उसे पूरी कर दूंगी ।


बलवीर - हां शालिनी यह तो मुझे भी लग रहा है तुम्हारा यह भरा हुआ जवान मदमस्त गदराया हुआ शरीर देखकर कि अब तुम मर्दों की ख्वाहिश पूरी करने लायक हो गई हो ।


बलवीर की यह बात शालिनी के कानों में पड़ते ही उसे झटका लगा ।
उसके चेहरे की खुशी और मुस्कान एक पल में गायब हो गई ।
उसकी आंखें बड़ी हो गई और माथे में एक साथ कई सिलवटें आगयीं।

शालिनी अपने इस चेहरे से हैरानी से बलवीर को देखते हुए बोली- क-क्या मतलब चाचा जी । मैं-मैं कुछ समझी नहीं ।


बलवीर - अरे बेटी तुम गलत समझ रही हो मेरा मतलब है कि मैं काफी दिनों से इंडिया नहीं आया हूं इसलिए मुझे लगता था कि तुम अभी छोटी ही होगी, लेकिन तुम तो बहुत बड़ी हो गई हो ।
बात को संभालते हुए बलवीर बोला


शालिनी- अच्छा वह तो ठीक है चाचा जी लेकिन आपने ऐसे वर्ड्स यूज़ किये हैं जिसे सुनकर मुझे अच्छा नहीं लगा ।

बलवीर हंसते हुए- सॉरी बेटी मेरे मुंह से निकल गया मेरा मतलब यही था कि तुम अब बड़ी हो गई हो ।

शालिनी- इट्स ओके चाचा जी। हां बताइए आपको क्या चाहिए उसके बदले में जो गिफ्ट आपने मुझे दिया है ।

बलवीर - मैं चाहता हूं मेरी बेटी मुझे गले से लगाकर प्यार से धन्यवाद बोले। कम से कम हमें भी तो लगना चाहिए कि शालिनी भी हमें अपना मानती है।

शालिनी खुश होते हुए - ओह चाचूजी जी आई लव माई फैमिली । लेकिन चाचा जी मैं आप को गले लगाकर धन्यवाद बोलूंगी तो आप भी मुझे गले से लगाकर मेरे कान में शुक्रिया बोलना, आखिर हम भी आपकी बेटी हैं । बदला तो ले ही लूंगी हा हा हा हा ।


बलवीर अपनी बाहों को फैलाते हुए- जैसा मेरी बेटी चाहे ।


शालिनी खुशी और प्यार से बलवीर के सीने से लग गई ।
अब बलवीर को उसके कान में शुक्रिया बोलना था ।

जैसे ही शालिनी खुशी से बलवीर के गले से लगी तो बलवीर ने अपने दोनों हाथ शालिनी के भारी कूल्हों पर रखकर उसके कान में कहा - यह एक बार मिल जाए तो मैं तो जीते जी स्वर्ग में पहुंच जाऊंगा , शुक्रिया बेटी ।


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शालिनी में जब अपनी गांड पर बलवीर के हाथ महसूस करते हुए अपने कान में यह बात सुनी तो उसे दोबारा से झटका लगा और वह एक साथ उछल कर बलवीर के सीने से दूर हो गई ।


शालिनी हकलाते हुए - क-क-क्या मतलब है आपका ।


बलवीर- अरे बेटी मेरा मतलब है कि तुम्हारी या जादू की झप्पी मुझे एक बार मिल जाती है तो मैं जीते जी स्वर्ग में पहुंच जाता हूं । कितने प्यार से गले लगाती है मेरी प्यारी भतीजी , यह बोला मैंने तो शालिनी , तो बताओ क्या गलत बोला ।


शालिनी अब कंफ्यूज हो चुकी थी अपनी ही सोच से ।
शालिनी को समझ नहीं आ रहा था बलवीर सच में उसे बेटी की तरह बहुत प्यार करता है या बलवीर उससे कुछ और मांगना चाहता है क्योंकि बलवीर की बातें बिल्कुल नहीं लग रही थी कि वह अपनी भतीजी के बारे में गलत सोच सकता है लेकिन बलवीर की हरकतें शालिनी को सोचने पर मजबूर कर रही थी ।


शालिनी नॉर्मल होते हुए और चाची जी- आपने मेरे पीछे क्यों हाथ रखा था बैक पर।


बलवीर- अरे बेटी अपनी बेटी को हाथ लगाने में भी सोचना कैसा। लग गया होगा मेरा हाथ हो सकता है कहीं गलत जगह पर । माफ कीजिए उसके लिए।


बलवीर की इन बातों से शालिनी के दिल में बलवीर की एक इज्जतदार छवि दोबारा से बन गई । गलत बातें अपने दिमाग से निकालती हुई शालिनी बोली- अब तो खुश हो गए ना आपको जादू की झप्पी भी मिल गई ।


बलवीर - हां अब तो मैं खुश हूं बहुत । मैं चाहता हूं कि मेरी बेटी मुझे एक बार और जादू की झप्पी दे फिर हम आराम करते हैं ।


शालिनी - हां हां चाचा जी क्यों नहीं मैं तो थक भी गई हूं। मैं भी आराम करूंगी चलो एक और आपको जादू की झप्पी देती हूं।


बलवीर बोला - ठीक है मैं तुम्हारे कान में शुक्रिया कहूंगा ।
इस बार शालिनी ने नहीं कहा था बलबीर से कि तुम मुझे शुक्रिया बोलना कान में लेकिन फिर भी अब बलबीर ने अपनी तरफ से बोला , क्योंकि बलवीर के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था ।


शालिनी - ओके चाचा जी शालिनी दोबारा से खुश होते हुए और चहकते हुए प्यार से बलवीर के सीने से लगी ।


बलवीर ने इस बार शालिनी के चूतड़ों को अपने हाथों से हल्का सा दबाते हुए शालिनि के कान में कहा- यही तो कहा था मैंने पहले भी शालिनी कि इस गांड पर एक बार मुझे चढ़ा ले वादा करता हूं सुबह को ठीक से हग भी नहीं पाएगी । तेरी गांड मेरा लौड़ा संभालने के लायक हो गई है । इतनी भारी गांड ही टिक सकती है मेरे नीचे , शुक्रिया मेरी चुदक्कड़ बिटिया ।


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दोस्तों जैसे ही शालिनी के कानों में यह शब्द पड़े शालिनी की हैरानी की सीमा न रही ।
ऐसा लगा जैसे 440 वोल्ट का झटका उसे लगा हो। उछलकर बलवीर से बहुत दूर खड़ी हो गई शालिनि और गुस्से से बलवीर को देखते हुए बोली


शालिनि - तो यह है तेरा असली रूप इतनी देर से मैं जिसे तेरा प्यार समझ रही थी वह प्यार नहीं अपनी बेटी जैसी भतीजी के लिए तेरी आँखों मे हवस थी। कुत्ते डूब के मर जाना चाहिए तेरे जैसे चाचा को जो अपनी ही बेटी जैसी भतीजी की इज्जत नहीं कर सका । तेरी मुझसे यह बोलने की हिम्मत कैसे हुई । तुझे क्या लगता है तू मेरे नाम एक कंपनी करेगा तो मैं तेरी हवस शांत करूंगी । छि कितना गिर गया है तू चाचा । मैं थूकती हूं तेरी कंपनी पर और थूकती हूं तुझ जैसे घटिया आदमी पर ।

ऐसा बोलते हुए शालिनी को पारा चढ़ गया । गुस्सा उसके चेहरे पर तांडव कर रहा था ।
शालिनी ने बोलते हुए आगे बढ़कर बलवीर के मुंह पर तमाचा मारा । तमाचा भी पूरी जान से मारा था शालिनी ने बलवीर को तो दिन में ही तारे दिख गए। बलवीर की आंखों के आगे अंधेरा सा छा गया था कुछ पल के लिए शालिनी का यह रूप देख कर ।

लेकिन बलवीर भी धर्मवीर की तरह सुलझा हुआ आदमी था ।
उसे पता था की बाजी उसके हाथ में हमेशा रहेगी ।

शालिनी ने फिर दूसरा थप्पड़ बलवीर के दूसरे गाल पर मारा ।

यह थप्पड़ भी पहले थप्पड़ जैसा ही तगड़ा था दोनों गालों पर थप्पड़ मार कर शालिनी ने बलवीर के मुंह पर थूक दिया और बाहर की तरफ जाते हुए बोली - अभी बोलती हूं धर्मवीर भैया को जाकर कि उन्होंने अपने घर में कैसा आस्तीन का सांप पाला है । घटिया इंसान हाट्ट । इस तरह से गुस्से से अपना हाथ झटककर शालिनी गेट पर पहुंची ही थी कि तभी उसके कानों में बलवीर की आवाज पड़ी । जो आवाज ज्यादा तेज नहीं थी बड़े ही धीमे से बोला था बलबीर ने ।


बलवीर - मैंने तो सिर्फ बोला ही है लेकिन अपने धर्मवीर भैया को जा कर यह भी बताना कि तुमने क्या किया है उन्हें जाकर बताना कि उनके बेटे का और अपने भाई की हत्या मैंने की है ।


दोस्तों कमरे का माहौल बदल गया ।
एक सन्नाटा सा कमरे में छा गया।
शालिनी जो अभी शेरनी जैसी फीलिंग ले रही थी अब उसकी फीलिंग कैसे बताऊं दोस्तों । अब तो यही कहना उचित होगा कि अब वह कोई फीलिंग ले ही नहीं रही थी, हा हा हा हा ।


शालिनी का दिमाग एकदम सुनना हो गया ।
उसे इतनी हैरानी और इतना तगड़ा दिमागी झटका जिंदगी में पहली बार लगा था ।

शालिनी अपनी आंखों को फैला कर देखते हुए बलवीर की तरफ मुड़ी और बोली हकलाते हुए - क-क्या मतलब है तुम्हारा। मैं कुछ समझी नहीं ।


बलवीर - सोफे पर बैठते हुए मतलब भी समझ गई है तू तो यह हकलाने का नाटक कैसा । इतना अनजान बनने का नाटक पसंद आया मुझे। लेकिन मतलब तो मेरा समझ ही गई है ना कि मैं जानता हूं । बल्कि मेरे पास वीडियो भी है जहां तू ने राकेश को मारा है ।


दोस्तों अब तो शालिनी की बिल्कुल फट गई
अब तो शालिनी की हालत क्या बताऊं बिल्कुल ऐसी हो गई जैसे उसका सब कुछ लुट गया हो।
शालिनि अपने मन में सोचने लगी कि हो सकता है उस होटल के मालिक ने हमारा वीडियो बना लिया । हो सकता है उसके कमरे में सीसीटीवी कैमरे लगे हो देखने के लिए कि कपल क्या कर रहे हैं और राकेश की हत्या भी उसमें रिकॉर्ड हो गई हो । और वह फिर बलवीर ने वीडियो हासिल कर ली हो।


शालिनी ये सोचते हुए बड़े असमंजस में बोली धीरे से- तो तुम बदले में क्या चाहते हो । अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें अपना बिजनेस पाटनर बना सकती हूं। जिसमें मैं तुम्हें 1500 करोड़ रुपए का हिस्सेदार बनाऊंगी ।

शालिनी के यह शब्द सुनकर तो बलवीर का दिमाग भी हिल गया।
बलवीर ने अपने मन में सोचा आखिर इस लड़की का प्लान क्या है ।
इतनी दौलत उसके पास कहां से आई और यह क्या करना चाहती हैं ।
यह सब क्या चल रहा है बलवीर ने शालिनी से पूछना चाहा लेकिन बलवीर ने अपने मन में सोचा अगर मैं अभी पूछता हूं तो बात खराब हो सकती है ।
अब तो चिड़िया जाल में फंस चुकी है धीरे-धीरे सब उगलवा लूंगा ।
पहले इसको देखू कि कितने पानी में है ।
जब यह इतनी शातिर है ,
अपने परिवार के लिए इतनी घातक है ,
इतनी खतरनाक है तो जाहिर सी बात है ये बेटी तो हो नहीं सकती ।
घर की बेटियां तो ऐसा काम नहीं करती।
तो मैं ही इसे बेटी क्यों समझूँ । पहले मैं भी उसकी जवानी का मजा लूं। उसके बाद देखते हैं क्या होता है ।


बलवीर- हां मुझे तुम्हारा सौदा मंजूर हैम मैं इस राज को राज ही रखूंगा और उस ओरिजिनल वीडियो को भी तुम्हें दे दूंगा । लेकिन इसका क्या जो अभी तुमने मेरे साथ किया है । तुमने मुझे थप्पड़ मारा है। तुमने मेरे मुंह पर थूका है । इसका बदला मैं अलग से लूंगा । मंजूर है तो बोलो ।


शालिनी अब ना करने की हालत में थी ही नहीं ।
उसके हालात ऐसे नहीं थे कि वह ना कर सके क्योंकि बलवीर सब कुछ जान चुका था ।


शालिनी- तो उसके लिए माफ तो कर सकते हैं। मैंने तुम्हें इतना बड़ा ऑफर दिया है सोचो 1500 करोड़ रुपए तुम्हें बैठे-बिठाए मिल गए । तो क्या यह छोटा सा गुस्सा माफ नहीं कर सकते ।


बलवीर - आज की दुनिया में दो ही चीजें ऐसी हैं जिन्हें इंसान भूल नहीं सकता। एक इज्जत और दूसरी बेइज्जती । तुमने मेरी बेइज्जती की है और इस बेइज्जती का बदला तो लेना चाहिए ।


शालिनी- तो क्या चाहते हो तुम ।

बलवीर अब समझ चुका था की बाजी पूरी तरह मेरे हाथ में है ।
अब मैं आगे बढ़ सकता हूं ।
बलवीर ने नाज़नीन की बातों को बातों को याद करते हुए कहना शुरू किया।


बलवीर- तुम यह मत सोचो कि मुझे सिर्फ राकेश की हत्या के बारे में ही पता है । अगर तुम यह सोचती हो तो यह तुम्हारी गलतफहमी है । फिर तुम बलवीर को नहीं समझी हो अच्छे से कि बलवीर क्या चीज है । शालिनी मुझे यह भी पता है कि तुम ने राकेश की हत्या की है और कैसे की है । मेरे पास उसका वीडियो भी है । मेरे पास तुम्हारे हर करतूत का सबूत है कि तुमने राकेश को कैसे रिझाया । तुमने पहले राकेश को हरी झंडी दी चोदने के लिए और फिर बिना चुदे ही उसे मार दिया ।


यह सुनकर तो शालिनी बिल्कुल बेहोश होने से बची। उसे सदमा से लगा क्योंकि यही तो किया था शालिनी ने । अब तो उसे पक्का यकीन हो गया कि उस कमरे में वीडियो बनी है और वह बलवीर के पास है । जबकि असलियत यह थी दोस्तों की बलवीर को नाज़नीन ने ऐसा ही बोला था फोन पर की बिचारा बिना चूत लिए ही मर गया और तूने मारा है उसे शालिनी ।
नाज़नीन कि इन बातों को याद करते हुए बलवीर बोला था ।



शालिनी- तो अब क्या चाहते हो तुम इस बात को राज रखने के लिए । मैं चाहती हूं यह बात राज ही रहे ।


बलवीर - कोई बात नहीं राज ही रहेगी यह बात मेरी जान लेकिन मैं चाहता हूं जिस काम को राकेश नहीं कर पाया मैं उसे करूं ।


शालिनी इन बातों का मतलब साफ समझ रही थी और बलवीर के इस तरह खुलेपन से बात करने से शालिनी समझ गई थी बलवीर उसे चोदने की प्लानिंग कर चुका है ।

लेकिन फिर भी हालात को समझते हुए शालिनि बोली - अगर मैं मना कर दूं तो ।


बलवीर - तो मैं कौन सा तुझसे विनती कर रहा हूं की तू हां ही कर । मत कर तेरी मर्जी है । लेकिन उस वक्त के बारे में सोच लेना कि जब मैं उस वीडियो को तेरे बाप धर्मवीर और पुलिस को सौंप दूंगा और तेरा बाप तुझे घर से बेदखल करके लात मारकर भगा देगा जेल में सड़ने के लिये।

अब तो शालिनी बुरी तरह से फंस चुकी थी अब उसे समझ नहीं आ रहा था वह क्या बोले और क्या सुने । अब तो उसे हर हालत में बलवीर की ही बात बात माननी थी ।


शालिनी - और अगर मैं हां करूं तो ?


बलवीर - हां करेगी तो उसमें तेरा ही फायदा है । तेरा बिजनेस पाटनर भी बन जाऊंगा । यह बात राज ही रखूंगा । तू जेल जाने से बचेगी और तू बेदखल होने से बचेगी अपने घर से ।


शालिनी - ओके लेकिन यह हमारे बीच सिर्फ एक बार ही होगा। उसके बाद तुम अपने रास्ते मैं अपने रास्ते ।
अभी भी बड़े एटीट्यूड में बोली थी शालिनी ।


बलवीर- नहीं फिर मुझे तुम्हारा सौदा मंजूर नहीं है तुम जा सकती हो।


शालिनी का सारा एटीट्यूड झड़ गया यह सुनकर ।


शालिनी - तो क्या चाहते हो तुम साफ-साफ बोलो ।


बलवीर अगर साफ-साफ ही सुनना है तो मुझे जो सौदा करना है उसमें चाहे तुम मुझे 1500 करोड़ दो या मत दो वह तुम्हारी मर्जी है क्योंकि पैसे की मेरे पास कमी नहीं है लेकिन मेरा जो सौदा है वह कुछ अलग किस्म का है । अगर तुम्हें मंजूर है तो हां करो वरना तैयार रहो जेल जाने के लिए ।
 
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शालिनी- बोलो क्या सौदा है तुम्हारा ।

बलवीर- बताया तो था तुम्हारे कान में कि तुम्हारी गांड मारनी है क्योंकि चूत तो तुम पहले ही फ़ड़वा चुकी हो । मैं जब चाहूं तुम्हें अपने लंड के नीचे रख सकूं । मैं चाहता हूं कि जब मैं चाहूं तब तुम आकर अपनी मूतती हुई चूत को मेरे लंड पर रखो ।


बलवीर के मुंह से इतनी खुल्लम खुल्ला और गंदी जुबान सुनकर शालिनी शरमा गई और साथ में उसे गुस्सा भी आया ।

अपना चेहरा दूसरी तरफ करके गुस्से से अपनी मुट्ठियों को भींचते हुए बोली- तुम्हें अपने बेटी के साथ यह सब करते हुए अच्छा लगेगा क्या ।


बलवीर की आवाज में अब रोब पैदा होने लगा । अपनी रौबदार आवाज में बोला- जब बहन अपनी चूत के सपने दिखा कर अपने भाई को मारने में कोई बुराई महसूस नहीं करती तो फिर मैं ही क्यों बुराई महसूस करूँ। मुझे तो अच्छा ही लगेगा । अब तुम बताओ तुम हां कर रही हो या ना कर रही हो।


बलवीर की आवाज में कोई विनती नजर नहीं आ रही थी शालिनी को। बलवीर तो शौक से पूछ रहा पूछ रहा था कि हां करो या ना करो और शालिनी को ना करने की तो हिम्मत ही नहीं रह गई थी ।


शालिनी अपने दांतो को पीसते हुए गुस्से में बोली - ठीक है मंजूर है मुझे ।

बलवीर - इतना गुस्सा क्यों दिखा रही है मेरी जान । चुदना ही तो है और बदले में तुझे भी तो मेरा लौड़ा मिलेगा अपनी इस भारी भारी गांड में लेने के लिए ।


शालिनी गुस्से से अपनी आंखें लाल कर चुकी थी उसने पूरी जान से अपनी मुट्ठियाँ भींच रखी थी और गुस्से से दातों को पीसते हुए एटीट्यूड में बोली- मुझे इन बेहूदी बातों में कोई दिलचस्पी नहीं है जो करना है जल्दी कर लो।


बलवीर - मेरी जान यह बेहूदगी तो अब झेलनी पड़ेगी और इतनी जल्दी करने की भी क्या पड़ी है । आराम से चुदना। आज तो आरती है हमारे साथ
आने ही वाली होगी वह भी पार्टी से तो आज तो तुझे चोद नहीं पाऊंगा मैं लेकिन घर चल कर मेरे कमरे में आना और रात भर तुझे चोदूंगा मैं । बोल अगर सौदा मंजूर है तो ।


शालिनी अभी भी अपने एटीट्यूड में ही थी गुस्से से अपने हाथों को झटक ते हुए बोली - ठीक है घर चल कर आपका काम हो जाएगा लेकिन तब तक हमारे बीच कोई ऐसी बात नहीं है होगी ।


बलवीर को शालिनी की इस बात पर गुस्सा आ गया उसने सोचा कि उसका सारा चिट्ठा तो मैं खोल चुका हूं लेकिन फिर भी यह मुझे घमंड दिखा रही है। इसको अभी लाइन पर लाता हूं ।

ऐसा सोचते हुए राकेश अपना फोन हाथ में लेते हुए बोला - ठीक है शालिनी तुम अपने एटीट्यूड में ही रहो देखो मैं भी क्या करता हूं । मैं अभी भैया को फोन लगाता हूं और मैं सब कुछ बता रहा हूं । मुझे नहीं करना तुम्हारे साथ कोई सौदा ।

ऐसा कहकर धर्मवीर का नंबर मिलाने लगा बलवीर अपने मोबाइल में ।

यह देख कर तो शालिनी के पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई ।

उसने जल्दी से बलबीर की तरफ देखकर बोला - नहीं नहीं ऐसा मत करना। मैं तैयार हूं मैंने कब मना किया है तुमको ।


बलवीर अपना मोबाइल सोफे पर रखते हुए- तो इतनी देर से किस चीज का एटीट्यूड दिखा रही है मुझे । जो तुझे बोल दिया कि तुझे चोदना है तो तुझे नहीं पता कैसे चोदा जाता है । तो इस तरह एटीट्यूट दिखाएगी तू तो मुझे तेरा यह सौदा नहीं मानना। मैं भैया को बता दूंगा और पुलिस को भी बता दूंगा। अगर तुझे मेरी बात मंजूर है तो बिना किसी घमंड के बोल ।


शालिनी अब मजबूर हो गई थी पूरी तरह से । उसके सामने कोई ऑप्शन ही नहीं बचा था। वह जमीन की तरफ देखते हुए बोली- मुझे आप का सौदा मंजूर है ।


बलवीर- ठीक है तो फिर मेरे पास आओ ।


शालिनी धीरे धीरे चलती हुई चलती बलवीर के पास आई ।
बलवीर सोफे पर बैठा था शालिनी बलवीर के सामने आकर खड़ी हो गई।


बलवीर - ऐसे क्या खड़ी है अपना चेहरा मेरे चेहरे के करीब ला ।


शालिनी ने झुक कर अपना चेहरा बलवीर के चेहरे के पास किया कि तभी अचानक बलबीर ने अपने भारी भरकम हाथ से शालिनी के दोनों गालों पर एक एक थप्पड़ मारा । थप्पड़ इतना तेज था कि शालिनी गिरने से बची । शालिनि के बाल जो खुले हुए थे वह उड़कर उसके चेहरे पर आ गए।
इतना तेज थप्पड़ मारा था बलवीर ने ।


थप्पड़ मारकर बलवीर बोला - अब बता कैसा लगा तूने भी मुझे ऐसे ही थप्पड़ मारा था ना । अब पता लगा ना जब थप्पड़ लगता है तो कैसा लगता है । मुझे भी ऐसा ही लगा था । अब जो तूने मेरे चेहरे पर थूका है उसे चाट कर साफ कर ।


शालिनी की हालत अब शब्दों में बयां नहीं की जा सकती दोस्तों ।

शालिनी बलवीर के चेहरे को देख ही रही थी ।
बलवीर के चेहरे पर शालिनी ने जो थूका था वह उसके गालों से होते हुए उसके होठों तक आ गया था और उसे चाट कर साफ़ करने को बोला था बलवीर ने।


शालिनी बलवीर के चेहरे को देख ही रही थी बलवीर फिर रौबदार आवाज में बोला - आवाज नहीं आई क्या तुझे । मैंने बोला है जो तूने मेरे मुंह पर थूका है उसे चाट कर साफ़ कर । और यह बातें मैं बार-बार नहीं कहूंगा याद रखना ।
मैं तेरा नौकर नहीं हूं अगर इस बार कोई भी बात मानने में देर की तो समझ लेना क्योंकि मैं तेरी एक नहीं सुनूंगा । चल चाटकर साफ कर मेरा मुंह ।


शालिनी ने जैसे ही यह सुना उसने देर करना उचित नहीं समझा और वह धर्मवीर के चेहरे पर झुक गयी । दोनों की सांसें एक दूसरों की सांसो से मिल गई । दोनों की आंखें मिल गई एक दूसरे की आंखों से ।

तभी शालिनी ने अपनी जीभ निकाली और अपनी आंखें बंद कर लीं।


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अपनी आंखें बंद करके शालिनी ने अपनी जीभ से बलवीर के चेहरे को चाटना को चाटना शुरू किया।

शालिनी ने अपनी जीभ से चाटकर बलवीर के गाल को साफ कर दिया और बलवीर के होठों पर भी जीभ से चाटकर लगा थूक साफ कर दिया और फिर खड़ी हो गई ।


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बलवीर - मैंने तुझे खड़ी होने को कहा जो तू खड़ी हो गई । साली तूने मेरे मुंह पर थूका था मैं भी तेरे मुंह पर थूकुंगा । चल अपना चेहरा मेरे चेहरे के पास ला।

शालिनि अब कुछ बोलने की हालत में नहीं थी शालिनी ने अपना मुंह बलवीर के मुंह पर झुका दिया ।
बलवीर ने अपने हाथों से शालिनी के चेहरे पर से बालों को हटाया और बालों को हाथ से पकड़के पीछे की तरफ पकड़ लिया ।


शालिनी ने अपनी आंखें बंद कर लीं ।
दोस्तों शालिनी बहुत खूबसूरत लड़की थी और इस तरह की खूबसूरत लड़की इस तरह जींस में अपने कूल्हों को फंसा कर अपना चेहरा पास लाकर आंखें बंद कर ले तो आपका भी ईमान डोल जाएगा ।

ऐसी हालत ही बलवीर की थी ।
एक फोन कॉल की वजह से शालिनी जैसी गदरायी हुई भतीजी अपने मुंह पर थूकवाने के लिए झुकी हुई थी ।


बलवीर बोला- मैं तभी थूकूंगा जब तू अपनी जुबान से बोलेगी कि चाचा जी अपनी बेटी के मुंह पर थूक दो ।

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अब तो शालिनी की इतनी ज्यादा जलालत की थी बलवीर ने कि शालिनी को भी शर्म आने लगी थी ।

शालिनी अपनी आंखों को बंद किए हुए धीरे से बोली - अब थूक भी दीजिए ना अपनई भतीजी के मुंह पर ।


बलबीर ने अपने मुंह में थूक इकट्ठा किया और शालिनी के मुंह पर थूक दिया।
बलबीर ने ज्यादा थूका था इसलिए शालिनी के दोनों गालों पर होठों पर और आंखों पर बलवीर का थूक फैल गया।
थूक में सना हुआ शालिनी का चेहरा बड़ा ही मादक लग रहा था बलवीर को।

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बलवीर बोला - अब बोल चाचा जी मेरे भी चेहरे को चाट कर साफ़ कर दीजिए ।


शालिनी ने अपनी आंखें अपनी आंखें बंद किए हुए बोला - चाचा जी अपनी बेटी के चेहरे से यह थूक तो साफ कीजिए जो आपने थूका है ।


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बलबीर ने अपनी जीभ बाहर निकली और शालिनि के चेहरे को चाटना शुरू कर दिया। पूरे चेहरे पर से थूक को चाट कर शालिनि के होठों पर जीभ फिराने लगा बलवीर ।


बलवीर - अच्छा दिखा तो दे कैसी दिखती है अंदर से मेरी भतीजी ।
अपनी चूत किस तरह सजा कर रखी है । अपने इस मोटे पिछवाड़े को खोल कर तो दिखा । मैं भी तो देखूं कैसी दिखती है अंदर से ।


शालिनी ने जैसे ही यह सुना उसने सोचा अगर देर की तो बलवीर फोन कर देगा और मेरा सौदा ठुकरा देगा । शालिनी ने जल्दी से बलवीर की तरफ अपनी पीठ की और जींस का हुक खोलने लगी ।

शालिनी ने अपनी जींस का हुक खोल दिया और दोनों साइड में अपने अंगूठे को फंसाकर अपनी जींस उतारने लगी । इतनी टाइट थी जीन्स कि उसकी गांड से नीचे की तरफ सरक ही नहीं रही थी ।
शालिनी ने जान लगाकर अपनी जींस अपने चूतड़ों से नीचे की ।


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जैसे ही जींस नीचे हुई शालिनी के चौड़े चौड़े चूतड़ उछल कर बाहर आ गए।
पेंटी तो दिखी ही नहीं रही थी चूतड़ों के बीच में गायब हो गई थी ।

बलवीर में अपने दोनों हाथ चूतड़ों पर रखें और हल्के हल्के दबाने लगा दबाने लगा फिर चूतड़ों पर पर एक थप्पड़ लगाया और बोला।

बलवीर - मेरी भतीजी ने गांड तो अच्छी खासी बना रखी है। शालिनी तुम्हारी गांड तो लड़कियों की तरह नहीं बल्कि औरतों की तरह चौड़ी है फिर बलवीर ने एक और थप्पड़ उसकी गांड पर लगाया ।

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थप्पड़ लगते ही शालिनि के गोल गोल चूतड़ हिलने लगते और शालिनि के मुंह से आउच निकलता

अब बलवीर ने कहा- घूम मेरी तरफ ।


शालिनि के लिए यह बेहद शर्म वाली बात थी क्योंकि बलवीर उसे उसकी चूत देखने की बात कर रहा था लेकिन शालिनी ने अपनी आंखें बंद अपनी आंखें बंद बंद किए हुए बलवीर की तरफ घूम गई ।


बलवीर के तो होश ही उड़ गए शालिनी को देखकर देखकर क्योंकि चूत तो उसे दिख ही ही ही नहीं रही थी उसे तो काली काली झांटे दिख रही थी जिन्होंने चूत को छुपा रखा था। गोरी गोरी मोटी मोटी जांघों के बीच में काली झांटें शालिनी की मादकता में चार चांद लगा रही है ।

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अब बलवीर ने शालिनी की जींस को को और नीचे घुटनों तक करना चाहा लेकिन जींस जांघों में बुरी तरह फंसी हुई थी ।
बलवीर ने थोड़ा सा जोर लगा कर थोड़ा सा जोर लगा कर जीन्स नीचे करदी ।

अब बलवीर शालिनि के बिल्कुल सामने सोफे पर बैठा था और शालिनी खड़ी थी खड़ी थी


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बलवीर ने अपने दोनों हाथ शालिनी की गांड पर रखें पर रखें गांड पर रखें पर रखें और शालिनी को अपनी तरफ खींचा ।
जैसे ही बलवीर ने अपनी तरफ खींचा तो शालिनी की चूत बलवीर के बिल्कुल मुंह के सामने आ गई गई सामने आ गई गई के सामने आ गई गई सामने आ गई ।


बलवीर बोला- अपनी आंखें खोल खोल ।

शालिनी ने धीरे-धीरे अपनी आंखे खोलीं तो बलवीर बिल्कुल बिल्कुल उसके सामने बैठा था और उसकी आंखों में झांक रहा था ।

फिर बलवीर बोला बोला - अपनी आंखें खोल कर कर कर देख मुझे ।

शालिनी बलवीर के चेहरे को देखने लगी ।

अब बलवीर ने दोबारा से सालीनी की चूत को निहारा और उसके चूतड़ों को हाथों से मसलते हुए अपनी नाक शालिनी की चूत चूत पर लगा दी। बलवीर की पूरी नाक शालिनि की झांटों में घुस गई ।
शालिनि देख रही थी बलवीर का चेहरा अपनी चूत पर लगे हुए।

बलवीर ने अपनी नाक झांटों में घुसा कर एक लंबी सांस खींची और उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए बोला- चुदने लायक है बिल्कुल । तेरी चूत की खुशबू बता रही है कि तू मेरा लंड आराम से लील लेगी ।


चल बोल अब चाचा जी मेरी चूत को सूंघ लो ।

शालिनी गुस्से से बोली - चाचा जी मेरी चूत को सूंघ लो ।

बलवीर ने दोबारा से अपनी नाक शालिनि की चूत में घुसा दी और फिर लंबी लंबी सांसे लंबी सांसे खींचने लगा और गांड पर थप्पड़ मार कर बोला - तेरा यह गुस्सा लोड़े के नीचे आकर खत्म हो जाएगा खत्म हो जाएगा क्योंकि तेरी चूत की महक बता रही है की चोदने में तू बड़ा मजा देगी ।

बलवीर बोल ही रहा था कि तभी गेट पर दस्तक के साथ आरती की तेज आवाज आई- भैया सो गए क्या ।

बलवीर शालिनी के कूल्हों पर थप्पड़ मारता हुआ बोला- चल तुझे अब मैं मैं घर चल कर ही चोदूंगा। तब तक बचा ले अपनी चूत को फिर तो इसमें अपने लंड से बीज डाल दूंगा मैं । चल बहन-की-लौड़ी दरवाजा खोल और ऐसा बोल कर बलवीर ने शालिनि की गांड पर लात मारी ।

दरवाजे की तरफ चलदी शालिनी लात खा करम
दरवाजे के पास जाकर शालिनी ने जल्दी से अपनी जींस पहनी और गेट खोला ।


आरती अंदर आते हुए आते हुए- भैया आप अभी तक सोए नहीं । पार्टी में तो आज बहुत मजा आया।


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बलवीर - चलो तुमने तो पार्टी कर ली । हम लोग भी कल मिलकर पार्टी करते हैं ।

आरती - हां हां भैया क्यों नहीं .. लेकिन भैया शालिनी क्यों चुप चुप लग रही है ।

शालिनी अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए- बुआ जी सर में दर्द हो रहा था इसलिए मैं आराम कर रही थी और भैया भी अपना अपना अपने लैपटॉप पर काम कर रहे थे। इस वजह से मैं लेटे लेटे बोर हो रही थी ।


आरती- अच्छा कोई बात नहीं अब मैं आ गयी अब हम लोग गपशप गपशप करेंगे।

दोस्तों रात के 11:00 बजे तक आरती और शालिनी ने टीवी टीवी देखा और फिर सोने लगे लेकिन शालिनी के लिए तो जैसे समय गुजर ही नहीं रहा था था।

शालिनी लेटे-लेटे सोचने लगी कि अब क्या होगा ? चाचा तो बड़ा शातिर है। मेरी वीडियो भी रख ली और अब यह जब मुझे चाहेगा तब चोदेगा । मैं क्या करूं कि मैं इसके इसके चंगुल से निकल सकूं।
ऐसा सोच ही रही थी शालिनी और सोचते-सोचते सो गई गई ।
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Update - 29.

Hi दोस्तों । माफी चाहता हूं काफी इंतजार कराया । छोटा भाई समझकर माफ करना और इस update का लुफ्त और आनंद लेना ।
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अगले दिन शालिनि , आरती और बलवीर दिन में खूब जगहों पर घूमे । ढेर सारी शॉपिंग की उन्होंने ।
बलवीर ने आरती के सामने ऐसी कोई भी प्रितिक्रिया नही दी जिससे आरती को शक हो कि बलवीर और उसकी भतीजी शालिनि के बीच कोई खिचड़ी पक रही है । लेकिन अंदर ही अंदर बलवीर सोच में डूबा था कि शालिनि ने आखिर अपने भाई को क्यों मारा , इसके पीछे क्या वजह है ।

उधर शालिनि भी सोचों में डूबी हुई थी लेकिन वो ये सोच रही थी कि आखिर बलवीर को कैसे रास्ते से हटाया जाए ।
हां दोस्तो शालिनि अपने चाचा बलवीर को भी अपने भाई राकेश की तरह भगवान को प्यारा करने की योजना पर मन ही मन मे मंथन करने लगी थी ।

डिनर करने के बाद सब सोने की तैयारी कर रहे थे ।
आरती अपने मोबाइल में घुसी पड़ी थी क्योंकि वो सलमान से चैटिंग कर रही थी मैसेज द्वारा ।
शालिनि लैपटॉप में कोई गेम खेल रही थी ।
बलवीर अपने लैपटॉप में कुछ ऑफिसियल वर्क कर रहा था ।

तकरीबन आधे घंटे बाद आरती वाशरूम जाने के लिए उठी तभी बलवीर की नजर आरती के चहरे पर पड़ी ।
बलवीर को कुछ अटपटा सा लगा क्योंकि आरती मुस्कुराती हुई मोबाइल हाथ मे लेकर उठी थी ।

बलवीर सोच रहा था कि आखिर ऐसी क्या बात हो सकती है जो आरती का चेहरा इतना खिला हुआ है । क्या आरती का कोई बॉयफ्रेंड है ।
--- नही नही आती ऐसी नही है । और वैसे भी मेरी आरती बहन विधवा है ।

अपने दिमाग को झटकते हुए बलवीर ने सोचा ।

------ वक्त था रात के 1 बजे --------
सब सो चुके थे । तभी बलवीर की आंखे खुली । दोस्तो बलवीर की आंखे कोई नींद से नही खुली थी बल्कि बलवीर ने आंखे बिल्कुल ऐसे खोली थी जैसे कोई आंख बंद करके सोने का बहाना कर रहा हो और फिर अचानक से अपनी आंखों को खोल ले । जैसे मूवी में जब विलेन मरने का नाटक करता है और फिर एकदम से आंखे खोल लेता है, बिल्कुल इसी तरह आंखे खोली थी बलवीर सिंह ने ।

बलवीर ने फिर एक नजर आरती और शालिनि पर डाली । दोनों सो रही थीं गहरी नींद में ।
बलवीर धीरे से आरती के पास आया और कुछ ढूंढने लगा । तभी उसने तकिया के नीचे हाथ डाला तो उसके हाथ मे आरती का मोबाइल आगया ।

बलवीर ने मोबाइल हाथ मे लिया और चुपके से वापस अपनी जगह पर लेट गया । बलवीर मोबाइल का लॉक खोलने की कोशिश करने लगा । कई पैटर्न डालने के बाद भी जब लॉक नही खुला तो हताश सा हो गया बलवीर । फिर अचानक उसके मन मे एक आईडिया आया और उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान फैल गयी ।

बलवीर धीरे से उठकर दोबारा आरती के पास गया । उसने धीरे से मोबाइल के फिंगरप्रिंट सेंसर को आरती की उंगली से लगाया ,
बलवीर फिर उदास हो गया क्योंकि मोबाइल नही खुला ।
बलवीर ने फिर से दूसरी उंगली से लगाया तब भी नही खुला ।
फिर बलवीर ने लास्ट वाली सबसे छोटी उंगली से लगाया अचानक से मोबाइल अनलॉक हो गया ।
बलवीर का चेहरा ख़ुसी और प्रसन्नता के भावों से भर गया ।

बलवीर फिर वापस अपनी जगह पर आकर लेट गया ।
बलवीर ने सबसे पहले गैलरी खोली उसे कुछ नही मिला, बस आरती के फोटोज और कुछ वीडियो पड़ी हुई थीं । फिर उसने कॉल लॉग खोला उसे तब भी कुछ नही मिला ।
फिर उसने व्हाट्सएप खोला उसे वहाँ भी कुछ नही मिला ।

फिर बलवीर के मन मे पता नही क्या आया उसने मोबाइल का इनबॉक्स यानी मैसेज एप्प खोल लिया ।
बलवीर की नजर एक नाम पर पड़ी जो था - सलमान ।

बलवीर ने मैसेज खोली तो उसकी आंखें खुली की खुली रह गयीं , क्योंकि सलमान के साथ एक लंबी कन्वर्सेशन थी उसमे ।
बलवीर आज की चैट पढ़ने लगा ।

सलमान - hi

आरती - hi

सलमान- कैसी हो आरती जी आप । लगता है कि आप हमें भूल गयी हो ।

आरती - ऐसा कुछ नही ह सल्लू मियां । मैंने बताया था ना आपको भईया के साथ घूमने आई हूँ ।

सलमान - हम्म बताया था तुमने । और बताओ वापस कब आरही हो ।

आरती - एक दो दिन और लगेंगे अभी । वैसे तुमको क्या करना है मुझे बुलाकर ।

सलमान - करना तो कुछ नही है बस मिलने का मन था आपसे ।

आरती - ना बाबा ना । मुझे नही मिलना आपसे ।

सलमान - क्यों ।

आरती - क्योंकि मुझे डर लगता है आपसे ।

सलमान- डर hahaha और वो भी तुम्हे ।

आरती - इसमे हसने वाली क्या बात है ?

सलमान- रहने दो ,अब नहीं बता रहा वरना तुम फिर बोलोगी की मैं बदतमीजी करता हूँ ।

आरती - बदतमीजी में तो आपने पीएचडी की हुई है , तो बदतमीजी करने से आप वैसे भी बाज नही आते । पर मैं ये जानना चाहती हूं कि मुझे तुमसे मिलने में डर क्यों नही लग सकता ।

सलमान - आरती जी वो इसलिए क्योंकि अगर तुम्हारे जैसे फिगर की औरत भी डरने लगी तो बाकी स्लिम लड़कियों का क्या होगा ।


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आरती - अब डर से फिगर का क्या कनेक्शन सलमान जी ।

सलमान - कनेक्शन है तभी तो बोला है आरती जी । तुम क्या चाहती हो कि तुमसे कोई दुबला पतला इंसान मिले ।

आरती - नही ऐसा नही चाहती मैं ।

सलमान - तो बताओ फिर क्या चाहती हो ?

आरती की तरफ से फिर 3 मिनट तक कोई रिप्लाई नही किया गया । फिर कुछ देर बाद आरती ने रिप्लाई किया । शायद आरती हिम्मत जुटा रही होगी कुछ बोलने के लिए । लेकिन आरती तो अपनी भावनाएं अपने एक दोस्त सलमान के सामने रख रही थी । आरती को क्या पता था कि सलमान कोई और नही बल्कि उसका बड़ा भाई धर्मवीर ही सलमान बना बैठा है ।

आरती - दुबला पतला क्यों चाहूंगी मैं तो हट्टा-कट्टा तगड़ा तंदरुस्त दोस्त चाहती हूं ।

सलमान - क्यों चाहती हो हट्टा-कट्टा तगड़ा तंदरुस्त दोस्त।

आरती - ये भी कोई पूछने वाली बात है ।

सलमान - क्यों मुझसे पूछो की तुम क्यों चाहती हो हट्टा-कट्टा तगड़ा तंदरुस्त दोस्त । मैं बता सकता हूँ ।

आरती - अच्छा साहब । चलो तुम ही बताओ ।

सलमान - फिर ये मत कहना कि बदतमीजी पर उतर आए ।

आरती - अच्छा बाबा नही कहूंगी ।

सलमान - तो सुनो , तुम इसलिए चाहती हो हट्टा-कट्टा तगड़ा तंदरुस्त दोस्त ताकि वो तुम्हे अच्छे से संतुष्ट कर सके । दुबले पतले मर्द के बसकी बात नही है तुम जैसी घोड़ी की सवारी करना ।

आरती - shutup .... मैं तुम्हे घोड़ी नजर आती हूं क्या ?

सलमान - और नही तो क्या । तुम जैसी घोड़ी को लगाम डालने के लिए मेरे जैसे हट्टा-कट्टा तगड़ा तंदरुस्त मर्द की ही जरूरत पड़ेगी ।

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आरती - अच्छा जी आपको तो बहुत पता है । और फिर तो तुम भी घोड़ा हो ।

सलमान - हां मैं तू हूं घोड़ा कब मना किया मैंने ।

आरती - अच्छा घोड़े जी ।

सलमान - हम्म घोड़ी जी । अब बताओ ना कब मिल रही हो ।

आरती - जब आप चाहो ।

सलमान - संडे को फ्री हो ।

आरती - ओके डन ।

सलमान - ठीक है तो मिलते है संडे दोपहर 12 बजे ।

आरती - दोपहर को नही शाम को । एक रात के लिए।

सलमान - ओह मेरी घोड़ी चाहती है कि रात भर मेरा बाजा बजे ।

आरती - छी कितने गंदे हो तुम ।

सलमान - तो रात में क्या पूजा पाठ करोगी ।

आरती - तुमसे कोई नही जीत सकता ।

सलमान - अच्छा बताओ क्या करोगी रात को ।

आरती - मुझे नही पता ।

सलमान - तुम्हे मेरी कसम है अगर तुमने अपने दिल की बात नही बोली तो ।

फिर आरती की तरफ से फिर 3 मिनट तक कोई रिप्लाई नही किया गया । फिर कुछ देर बाद आरती ने रिप्लाई किया । शायद आरती हिम्मत जुटा रही होगी कुछ बोलने के लिए ।


आरती - कसम मत दो मुझे ।

सलमान - बोला ना । अगर कुछ मानती ही तो दिल की बात बोलो । मेरी कसम है आपको ।

आरती - चुदने आऊंगी अपने घोड़े से रात भर के लिए ----- अब खुश ।

सलमान - haye तेरी चूत का भोसड़ा नही बनाया तो मैं भी सलमान नही ।

आरती - हट्ट गंदे इंसान । bye पगले ।

सलमान - bye मेरी चुदक्कड़ घोड़ी ।

आरती - ओके bye मेरे चोदू घोड़े ।


बलवीर की आंखे चौड़ी हो गयी यह कन्वर्सेशन पढ़कर । बलवीर ने जल्दी से सलमान का नंबर निकाला और अपने मोबाइल में सर्च मिशन के नाम से सेव कर लिया , और आरती का मोबाइल उसके तकिए के निचे रखकर वापस अपनी जगह पर आकर लेट गया ।

बलवीर की आंखों में नींद दूर दूर तक नही थी । वह सोच में डूबा हुआ था कि पहले तो उसकी भतीजी शालिनि एक शातिर और चालाक निकली और अब उसकी सगी बहन आरती जो एक विधवा है , वो भी no नो नो ---- ये क्या हो गया है मेरे परिवार को । अंदर ही अंदर क्या चल रहा है मेरे परिवार में । अगर आरती धर्मवीर भइया को बोलती तो क्या वो इसकी दूसरी शादी नही करा सकते थे । लेकिन आरती ने बोला क्यों नही । और अगर नही भी बोला तो ये किसी सलमान से इतनी गंदी बाते करने की क्या जरूरत है ।
मैं मानता हूं कि आरती की body की भी कुछ जरूरतें है लेकिन अगर वो बोलती तो क्या हम उसकी दूसरी शादी नही करते । इस तरह रंडपना करने की क्या जरूरत थी ।
क्या आरती जैसी संस्कारी विधवा के पीछे एक रंडी छुपी हुई है । नही ऐसा नही हो सकता । मैं अपनी बहन को किसी गैर इंसान के नीचे नही लेटने दूंगा ।


ये सब सोच ही रहा था बलवीर की तभी उसके दिमाग मे पता नही क्या आया बलवीर चुपचाप उठा और आरती के पास आकर आरती को देखने लगा ।

सुंदरता की मूरत लग रही थी बलवीर की छोटी बहन आरती इस वक्त ।
आंखे बंद थी चेहरे पर बालों की कुछ लटे बिखरी पड़ी थी ।
सीने पर सूट में फसे चूचे नीचे सपाट पेट । पेट से नीचे दोनों जांघो का फैलाव । बलवीर ने देखा कि आरती की जांघो का फैलाव कुछ ज्यादा ही है जिसका मतलब है कि उसकी बहन की जांघे खूब मोटी मोटी हैं । बलवीर का आरती को देखने का नजरिया बिल्कुल बदल गया । अब उसे आरती अपनी बहन नही बल्कि गदराई हुई एक प्यासी छिनाल नजर आरही थी ।


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फिर बलवीर से जब रहा नही गया तो उसने आरती की जांघों पर से उसका सूट ऊपर की तरफ उठा दिया ।

सामने का नजारा देखकर तो बलवीर के लंड ने एक उछाल मारी और बलवीर का थूक उसके हलक में अटक गया । क्योंकि आरती ने नीचे तंग पजामी पहनी हुई थी और उसकी मोटी मोटी जांघे वास्तव में कितनी गदरायी हुई , कितनी मोटी लग रही थी । और दोनों जांघो के बीच मे चूत के पास कितना उठान था जैसे कोई वी शेप का पकोड़ा रखा हो । बलवीर से अब इन्जार करना मुश्किल हो रहा था ।


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बलवीर ने दो मिनट तक इस दृश्य से अपनी आंखें सेकी । फिर अचानक से उसने आरती के हाथ को पकड़कर हिलाया ।

आरती हड़बड़ाकर उठी आरती ने देखा तो बलवीर खड़ा हुआ था । आरती को कुछ समझ नही आया उसने जल्दी से अपना सूट ठीक किया । नाईट बल्ब के अंधेरे में बलवीर का चेहरा भी साफ नही दिख रहा था आरती को ।
आरती ने सवालिया नजरों से बलवीर की तरफ देखा ।

बलवीर ने अपने होठों पर उंगली रखी और आरती के कान के पास अपना मुह लाकर धीरे से बोला - जरा एक मिनट के लिए बाहर आओ ।

आरती को अब तक कुछ समझ नही आया था । आरती चुपके से उठी और चली गयी बलवीर के पीछे पीछे ।
बलवीर बाहर गैलरी पर आकर रुक गया । आरती भी बाहर आकर रुक गयी ।

आरती (चहकती हुई आवाज में भोली सी सूरत बनाकर )- क्या हुआ भईया इतनी रात में सब ठीक तो है ना ।

बलवीर - आरती मैं सोच रहा हूँ तुम्हारी शादी कर देनी चाहिए ।

आरती ( इसबार गुस्से वाला मुह बनाकर ) - भइया आधी रात को अपने मुझे ये बात करने के लिये उठाया है । दिमाग तो ठीक है आपका । और मैंने पहले ही कहा है कि मुझे नही करनी शादी ।

बलवीर - तो चाहती क्या हो तुम आरती । जिंदगी भर बिना शादी के ही रहोगी क्या यूं विधवा बनकर ।

आरती - भईया ये क्या हो गया है आपको । क्यों ऐसी अटपटी बातें कर रहे हैं । और हां मैं अपनी बाकी की जिंदगी अपने पति की यादों में गुजरना चाहती हूं ।


बलवीर - अच्छा चली जैसी आपकी मर्जी ।

आरती ने सोचा हो सकता है किसी ने भईया को ज्यादा force किया हो या भईया को अभी कुछ पता चला हो । ऐसा सोचते हुए आरती बोली - वैसे कौन है वो जिससे आप मेरी शादी करना चाहते है ।

बलवीर - मैं खुद हूँ वो ।

ये सुनते ही आरती हैरान रह गयी । वो गुस्से से एकटक बलवीर को देखने लगी । तभी ऊंची आवाज में बोली ।

आरती - छी कितने गंदे इंसान हो आप । मैं सोच भी नही सकती थी । मैं अभी धर्मवीर भईया को फोन लगाती हूं देखना वो आपको जिंदा नही छोड़ेंगे । और वैसे भी कोई हक नही है इतनी गंदी नजर वालों को जीने का ।

आरती जैसे ही मुड़ी तुरंत बलवीर बोला ।

बलवीर - हां धर्मवीर भैया को ये भी बता देना कि मैं सलमान से चुदने का वादा कर चुकी हूं । यही है ना सलमान का नम्बर, अपने मोबाइल में सलमान का नम्बर दिखाते हुए बलवीर बोला ।

इतना सुनते ही आरती खड़ी की खड़ी रह गयी । उसे यह समझ नहीं आया की बलवीर को उसके और सलमान के बारे में कैसे पता चला , जबकि आरती का मोबाइल भी उसी जगह रखा था जहां वो रखकर सोई थी । आरती को कुछ भी समझ नही आरहा था । आरती भोलेपन का नाटक करते हुए बोली जैसे उसे कुछ पता ही ना हो ।

आरती - क-कौन सलमान । मैं किसी सलमान को नही जानती ।

अब बलवीर के लिए ये एक उल्टा पासा फेंका आरती ने ।

बलवीर ने मन ही मन सोचा यदि मैंने इसको ये बताया कि तेरा मोबाइल चेक किया है मैंने तो ये मुझे हल्के में लेगी ।

इसलिए बलवीर ने अपना दिमाग चलाते हुए कहा- वाह अब तुम किसी सलमान को जानती नहीं हो । तुम क्या समझती हो मैं पागल हूं । जिस दिन सलमान ने तुमसे पहली बार बात की थी मुझे उसी दिन से पता है, और अब यह बात मैं धर्मवीर भैया को बताऊंगा सबूत के साथ। तुम नहीं जानती हो ना किसी सलमान को, कोई बात नहीं । जाकर सो जाओ ।

इतना कहकर बलवीर ने अपनी जेब से सिगरेट निकाली और सिगरेट पीने लगा ।
आरती के लिए अब आगे कुआं पीछे खाई जैसी स्थिति हो गई थी , क्योंकि आरती जानती थी अगर बलबीर ने धर्मवीर भैया को बताया तो धर्मवीर अपने गुस्से में कुछ भी कर सकता है । जो धर्मवीर उसकी इतनी इज्जत करता है वही धर्मवीर भैया उसे घर से निकाल देंगे। इतना सोचते ही कांप गई आरती ।
आरती को क्या पता था कि सलमान कोई और नहीं धर्मवीर ही है । वह तो बस फंस चुकी थी और बलवीर उसे ब्लैकमेल करने की पूरी कोशिश कर रहा था । आरती 1 मिनट तक वहीं चुपचाप चुपचाप खड़ी रही । 1 मिनट बाद उसके मुंह से निकला।

आरती - तुम क्या चाहते हो ।

बलवीर - मैं चाहता हूं यह जानना कि तुमने ऐसा क्यों किया ।

आरती - मुझे इस बारे में कुछ बात नहीं करनी। मुझे कुछ नहीं पता ।

बलवीर - तो मैंने कब कहा तुम्हें पता है । मैंने तो कह दिया पहले ही जाकर सो जाओ । धर्मवीर भैया जब पूछेंगे तब तुम्हें सब कुछ पता होगा। चलो जाओ सो जाओ ।

इतना बोल कर बलबीर फिर सिगरेट पीने में मगन हो गया ।


आरती - भैया मुझसे गलती हो गई मुझे माफ कर दो । प्लीज धर्मवीर भैया को इसबारे में कुछ मत बताना।

बलवीर - आ गई ना लाइन पर । तूने क्या सोचा था मैं तेरी खुशामद करूंगा। मैं क्यों करूं खुशामद । खुशामद तो तुझे करनी पड़ेगी मेरी। ठीक है नहीं बताऊंगा लेकिन बदले में मुझे कुछ चाहिए ।

आरती- बोलो क्या चाहिए तुम्हें ।

बलवीर - यहां से जाकर सीधे बाथरूम में चलो मैं वहीं आता हूं ।

आरती इतना सुनकर सवालिया नजरों से बलवीर की तरफ देखने लगी और बोली - बाथरूम में क्या बात करनी है आपको । यहीं पर कर लो ।


बलबीर - यहां पर बाहर से कोई हमें खड़े हुए देख सकता है और हर कोई यही सोचेगा यह लोग पता नहीं इस वक्त क्या बात कर रहे हैं । इसलिए बाथरूम में बात करनी है ।

अब आरती को बलवीर की बातें अटपटी लगने लगी थी । उसने फिर बलवीर की तरफ सवालिया नजरों से देखा और बोला ।


आरती - तो बाथरूम में अब बात ही क्या करनी है ।

बलवीर थोड़ा सा गुस्से में- अब तू मुझसे सुनना ही चाहती है तो सुन । तुझे चेक करना है , मैं भी तो देखूं मेरी जो बहन इतनी सीधी साधी और संस्कारी बनती है आखिर वह दिखती कैसी है। तेरी गांड की इस चौड़ाई को नाप कर देखना ही पड़ेगा ।

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बलवीर के मुंह से ऐसी खुल्लम-खुल्ला बातें सुनकर आरती डर गई , साथ में शर्म से भी दोहरी हो गई ।


आरती - जरा तमीज से बात कीजिए ।

बलवीर - तमीज से और वह भी तुझसे जो दूसरों के नीचे लेटने के लिए मरी जा रही है । पता नहीं किस सलमान से अपनी चूत को ठंडा करना चाहती है। अब अगर एक भी शब्द फालतू बोली तो इसी वक्त अपना बैग उठाकर धर्मवीर भैया के पास चला जाऊंगा, फिर अपनी मां चुदाती रहना, इसलिए अगर चाहती है कि सब कुछ ठीक रहे तो चुपचाप बाथरूम में मिल । मैं सिगरेट खत्म करके आता हूं ।


अब आरती के पास कोई ऑप्शन नहीं बचा था। आरती 1 मिनट तक चुप खड़ी रही फिर गुस्से से कमरे में घुस गई ।
अपनी सिगरेट खत्म करने के बाद बलवीर कमरे में आया तो शालिनी सोई हुई थी और आरती बेड पर नहीं थी । बलवीर समझ गया की आरती बाथरूम में पहुंच गई है ।

बलवीर ने बाथरूम का दरवाजा देखा जो लॉक नहीं था । बलवीर बाथरूम का दरवाजा खोल कर अंदर घुसा और दरवाजा लॉक कर दिया।

दोस्तों बाथरूम बहुत बड़ा था लेकिन उसमें अंधेरा ही अंधेरा था क्योंकि आरती ने लाइट ऑन नहीं की थी । बलवीर ने बाथरूम की लाइट ऑन की की तो आरती बाथरूम की दीवार के पास दरवाजे की तरफ पीठ करके खड़ी थी बिल्कुल चुपचाप ।

बलवीर धीरे से आरती के पास गया और उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा आरती को जैसे झटका सा लगा ।
आरती कुछ नहीं बोली चुपचाप खड़ी रही लेकिन बलवीर कहां चुप रहने वाला था ।

बलवीर - गांड तो तूने अच्छी खासी रौंदने लायक बना रखी है। तुझ पर चढ़ना मामूली बात नहीं है। तू तो पूरा निचोड़ देगी ।

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आरती ने अपनी आंखें खोली और तिरछी नजर से आंखों में गुस्सा भरते हुए बलवीर को घूरा । लेकिन बलवीर ने तभी बदले में बदले मुस्कुराते हुए आरती की गांड में पजामी के ऊपर से ही उंगली घुसा दी ।

जो आरती अभी गुस्से से बलवीर को घूर रही थी उसका मुंह हल्का सा खुला और हल्की सी सिसकारी निकल गई --- आह ,
अपने सगे भाई की उंगली अपने चूतड़ों के बीच से होते हुए अपनी गांड के छेद पर महसूस की आरती ने।


बलवीर- कितने गहरे चूतड़ हैं तेरे । कैसे बनाए हैं तूने इतने गहरे चूतड़। तेरी तो चूत भी गहरी खाई में होगी। तेरे जैसी को तो संतुष्ट करने के लिए दो-तीन दिन भी कम पड़ेंगे । चल अपने सूट को ऊपर उठा ।

आरती ने अपना सूट ऊपर नहीं उठाया चुपचाप खड़ी रही, तभी बलवीर का एक जोरदार चांटा उसकी गांड पर पड़ा ।

बलवीर - सुनाई नहीं दिया क्या या मुंह में लंड डालकर बताऊं कि सूट ऊपर कैसे उठाते हैं ।
अपनी भारी-भरकम गांड पर चांटा पड़ते ही आरती की गांड हिलने लगी ।शर्म से पानी पानी होकर होकर आरती ने अपनी हिलती हुई गांड पर अपने दोनों हाथ रख लिए, जिससे कि उसकी गांड हिलना बंद कर दे । चूतड़ तो हिलना बंद कर दिए लेकिन बलवीर कहां पीछे रहने वाला था ।
बलबीर ने आरती के बालों को पकड़ा और उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाते हुए उसकी आंखों में देखने लगा । आरती भी बलवीर को घूरे जा रही थी।


बलवीर- कब तक यह शर्म का चोला पहनकर रहेगी। उतार कर फेंक दे इस शर्म के चोले को । मुझे पता है तू लंड की बहुत प्यासी है और तू है कि शर्म ही नहीं छोड़ रही ।
आरती कुछ नहीं बोली बलवीर को घूरते रही ।
तभी बलवीर ने उसके चेहरे को अपनी तरफ को दबाते हुए अपने मोटे मोटे होठों से उसके होठों को भींच लिया ।

यह आरती के लिए बिल्कुल नया था । आरती और बलवीर दोनों की आंखें खुली हुई थी और दोनों एक दूसरे की आंखों में देखे जा रहे थे । तकरीबन 1 मिनट तक बलवीर ने अपने होठों में आरती के होठों को दबाए रखा और एक दूसरे को देखते रहे ।
जब आरती की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिला तो बलबीर ने अपने मुंह को और चौड़ा खोला और आरती के होठों को मुंह में भर कर चबाने लग गया । दोनों की सांसें एक दूसरे की सांसो से बुरी तरह टकरा रही थी ।

तकरीबन 1 मिनट तक आरती के होठों को चूसते हुए बलवीर आरती की आंखों में देखे जा रहा था ।
1 मिनट बाद आरती के बालों को पकड़े हुए बलवीर ने आरती के मुंह को पीछे की तरफ झटका जिससे कि बहुत ही तेजी से दोनों के मुंह एक दूसरे से अलग हो गए ।

दृश्य कुछ ऐसा हो गया था कमरे का की आरती बलवीर के सामने खड़ी हुई बलवीर की आंखों में घूरती हुई हांफ रही थी । दोनों की सांसें तेज चल रही थी । तभी बलवीर बोला ।


बलवीर - अब उठा अपने सूट को ऊपर चल ।

लेकिन आरती ने फिर भी कोई रिस्पांस नहीं दिया ना ही अपना सूट ऊपर उठाया ।

अब तो बलवीर को गुस्सा भी आने लगा बलवीर अपने मन में सोचने लगा कितनी ज्यादा हेकड़ी दिखा रही है । मेरे कहने का जैसे इस पर कुछ असर ही ना हो रहा हो । कितनी शरीफ बन रही है मेरे सामने। इसकी गांड की सारी मस्ती अभी झाड़ता हूं ।


बलवीर - तुझे सुनाई नहीं दे रहा ना। तू क्या समझती है कि तेरा सूट मैं ऊपर नहीं उठा सकता , जब मैं तेरे होठों को चूस सकता हूं , जब मैं तेरी गांड पर थप्पड़ मार सकता हूं, जब मैं तेरी गांड में उंगली कर सकता हूं , तो क्या मैं तेरा सूट नहीं उठा सकता । मैं तेरा सूट भी उठा सकता हूं लेकिन मैं नहीं उठाऊंगा क्योंकि अब मेरे सामने अपना सूट तू खुद उठाएगी और अगर तूने 1 मिनट के अंदर अपना सूट नहीं ऊपर किया , तो फिर दो काम होंगे या तो तुझे अभी कमरे में ले जाकर शालिनी के सामने ही नंगी करके पूरे कमरे में दौड़ा-दौड़ा कर चोदूंगा या फिर अपना बैग उठाकर सीधा धर्मवीर भैया के पास चला जाऊंगा । इनमें से जो मेरे मन में आया वह काम मैं करूँगा । अब फैसला तुझे करना है कि तुझे सूट ऊपर करना है या नहीं। ये ले मैं बैठ गया तेरे सामने ।

ऐसा कह कर बलवीर आरती के सामने घुटनों के बल बैठ गया और बलवीर का चेहरा आरती की जांघों के बिल्कुल सामने आ गया। बीच में था तो बस आरती का सूट । आरती अभी भी चुपचाप खड़ी थी तभी अपनी सोच से निकलकर आरती ने अपना चेहरा छत की तरफ उठा दिया और छत की तरफ देखते हुए अपनी आंखें बंद कर लीं जैसे भगवान से कोई गुहार लगा रही हो । 1 मिनट का समय होने वाला था कि तभी बलवीर की तरफ से कुछ हरकत महसूस हुई आरती समझ गई बलवीर अब अपना काम करने वाला है । तभी बिजली की फुर्ती से आरती ने गर्दन नीचे करके बलवीर की तरफ देखा और बोली ।

आरती - रुको क्या चाहते हो तुम कि तुम्हारी बहन तुम्हारे सामने अपना सूट ऊपर उठाये । जितनी गंदी जबान तुमने इस्तेमाल की है शायद ही दुनिया में कोई भाई अपनी बहन के सामने इतनी गंदी जुबान इस्तेमाल कर सकता है । लेकिन जब तुमने अपनी यह गंदी जबान इस्तेमाल कर ही दी है और तुम क्या समझते हो कि मुझे पता नहीं है कि तुम मेरा सूट ऊपर क्यों उठाना चाहते हो , तो यह तुम्हारी गलतफहमी है । मुझे पता है तुम मेरा सूट ऊपर इसलिए उठवाना चाहते हो ताकि तुम मेरी जांघों के बीच मेरी चूत को देख सको । अगर किस्मत को यही मंजूर है तो ले देख अपनी बहन की चूत ।


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ऐसा कहकर आरती ने अपना सूट बिल्कुल अपना नाभि से ऊपर उठा दिया और बलवीर के आगे खड़ी हो गई ।

बलवीर को पहले तो कुछ समझ नहीं आया लेकिन जैसे ही आरती ने सूट उठाया तो उसकी आंखें चुंधिया गई सामने का नजारा देखकर ।

पजामी में कसी हुई मोटी मोटी जांघें और उसके बीच चूत का हिस्सा जो कि काफी मोटा लग रहा था । और हल्का सा आरती का पेट के नीचे वाला पेड़ू भी उभरा हुआ था । बलबीर बहुत ही मंझा हुआ खिलाड़ी था । बलवीर समझ गया कि पेड़ू उन्हीं लड़कियों का उभरा हुआ होता है जिन की चूत बड़े और मोटे लोड़े की मांग करती है । बलवीर को आरती की मोटी मोटी जांघों को निहारते हुए जब 1 मिनट हो गई । तो उसने फुर्ती से अपने दोनों हाथों को आरती की गांड से लगाया और आरती को अपनी तरफ खींच लिया और अपना मुंह आरती की भारी भारी मोटी मोटी जांघो के बीच बिल्कुल चूत पर लगा दिया ।

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कहानी आगे जारी रहेगी । दोस्तो बताना जरूर कहानी सही दिशा में जा रही है या नही ।
 
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पजामी में कसी हुई मोटी मोटी जांघें और उसके बीच चूत का हिस्सा जो कि काफी मोटा लग रहा था । और हल्का सा आरती का पेट के नीचे वाला पेड़ू भी उभरा हुआ था । बलबीर बहुत ही मंझा हुआ खिलाड़ी था । बलवीर समझ गया कि पेड़ू उन्हीं लड़कियों का उभरा हुआ होता है जिन की चूत बड़े और मोटे लोड़े की मांग करती है । बलवीर को आरती की मोटी मोटी जांघों को निहारते हुए जब 1 मिनट हो गई । तो उसने फुर्ती से अपने दोनों हाथों को आरती की गांड से लगाया और आरती को अपनी तरफ खींच लिया और अपना मुंह आरती की भारी भारी मोटी मोटी जांघो के बीच बिल्कुल चूत पर लगा दिया ।

******** अब आगे *******


चूत पर मुंह लगते ही आरती सिसिया उठी । उसका मुंह खुला का खुला रह गया । बलवीर अपनी नाक से आरती की चूत के दाने को सहलाने लगा जब आरती को बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसके मुंह से निकला।


आरती - भैया छोड़ दो मुझे, मैं आपके हाथ जोड़ती हूं ।


बलवीर बिना कुछ सुने उसकी चूत से खेले जा रहा था कभी वह अपनी नाक रगड़ता तो कभी होठों से उसकी चूत को चूम लेता ।
कुछ देर उसकी चूत से खेलने के बाद बलवीर खड़ा हुआ और आरती की आंखों में देखने लगा ।


आरती को बलवीर की लाल आंखों में वासना तैरती हुई साफ दिख रही थी । आरती तो बस बलवीर की आंखों में देख रही थी लेकिन तभी उसे एहसास हुआ कि बलवीर का हाथ उसकी चूत पर है और अपनी उंगलियों से आरती की चूत के दाने को टटोलना शुरू कर दिया।

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बलवीर के इस तरह के हमले से आरती के अंदर एक जोश भर गया , लेकिन वो अपने बलवीर भैया के सामने शर्म से पानी पानी हो रही थी ।


तभी बलवीर ने आरती की चूत में अपनी उंगली उतार दी। बलवीर की उंगली गच्च से चूत में समा गई । बलवीर को ऐसा लगा जैसे उसकी उंगली चिकनी चूत में घुस गई हो।
उंगली को दो-तीन बार अंदर बाहर करने के बाद बलवीर उसकी पूरी चूत पर अपना हाथ घुमाने लगा और आरती सिसीया रही थी और ना ही कुछ बोल पा रही थी । आरती का तो बस मुंह खुला का खुला ही रह गया और यह देखकर बलवीर ने सीधा आरती के मुंह में थूक दिया। जैसे ही बलवीर का थूक आरती के मुंह में गया आरती ने तुरंत अपना मुंह बंद कर लिया ।

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आरती ने शर्म से अपना मुंह बंद किया था लेकिन बलबीर ने इसका मतलब कुछ और ही निकाला।


बलबीर बोला- देखा कितनी गर्म है मेरी बहन। मेरा थूक मुंह में लेकर मुझे घूर रही है ।


आरती ने मुंह बंद किया हुआ था बलवीर उसे घूरे जा रहा था।
बलवीर ने भी आरती को घूरते हुए आरती की चूत में पूरी उंगली घुसा दी । जैसे ही आरती की चूत में उंगली घुसी आरती का मुंह फिर से खुल गया और जो बलवीर ने उसके में थूका था आरती ने उसे गटक लिया ।
जो बलवीर उसे घूरे जा रहा था जैसे ही उसने देखा कि उसकी बहन उसके थूक को बाहर भी थूक सकती थी लेकिन चूत में उंगली लेते ही मेरा थूक भी गटक लिया , यह तो बड़ी ही गर्म चीज है । बिस्तर की रांड बनने लायक है यह तो। साला वैसे किसी ने सही कहा है जो जितनी सीधी और संस्कारी दिखेगी वही लड़की या औरत से अंदर से भूखी कुतिया की तरह चुदासी रहेगी एक मोटे से लंड की जो उसे पटक पटक कर चोदे।


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ऐसा सोचते हुए बालवीर आरती के पीछे आया और घुटने के बल बैठ गया । सामने थी तो आरती की मोटी गांड । चूतड़ों का फैलाव और उनका चौड़े होने के साथ गोल होना सच में कुदरत का कोई अनोखा ही करिश्मा था। अपनी विधवा बहन की गांड के पीछे बैठने का ख्याल दिमाग में आते ही बलवीर के लंड में आग सी लग गई । और उस आग में बलवीर का लंड ऐसे जलने लगा जैसे रॉकेट के उड़ने से पहले उसमें आग लगती है , ठीक वैसे ही बलवीर का लंड भी आग में जलकर अब रॉकेट की तरह उड़कर आरती की गांड में घुसने को तैयार था।


(( hahaha दोस्तों यह लाइन लिखते ही मुझे सच में हंसी आ गई । पता नहीं आप को हंसी आई होगी या नहीं आई होगी । शायद आप में से कुछ लोग कह रहे होंगे बड़ा ही चुतिया राइटर है । बात बिल्कुल कांटे की चल रही होती है और यह भोसड़ी का बीच में कॉमेडी कर देता है । चलो कोई नहीं sorry । हा हा हा हा अब क्या कह रहे हो भोसड़ी के बकचोदी मत कर आगे लिख दे । तो चलो पढ़ो आगे । मूड की चिंता ना करो दो मिनट में बना दूंगा ।))


आरती की गांड को देखते हुए बलवीर ने आरती के चूतड़ों को हाथों से फैला दिया ।आरती की तो सांसे ही रुक गई ।
बलवीर ने चूतड़ों को फैलाकर अपने मुंह से थूक दिया और बलवीर का थूक सीधा आरती की गांड के छेद पर पड़ा ।


आरती अपनी गांड के छेद पर थूक का एहसास होते ही अजीब सा सुख महसूस करते हुए शर्म से पानी पानी हो गई ।
सोचिए उस बहन की फीलिंग क्या होगी जिसका खुद का सगा भाई उसकी गांड के पीछे बैठकर अपने हाथों से उसकी गांड को फैला कर उस पर थूक रहा हो ।
गांड के छेद पर बलवीर का थूक पड़ते ही आरती के जिस्म में एक सिरहन सी दौड़ गई । अब बलवीर खड़ा हुआ और अपनी एक उंगली से आरती की गांड के छेद को कुरेदते हुए बोला ।

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बलवीर - सच मे तू तो बड़ी गर्म है ।


आरती - भईया शालिनी जाग जायेगी अब छोड़ दो ।


बलवीर - छोड़ दूंगा अभी तो तुझे चैक किया है बस । और चैक करके पता भी चल गया है की आरती उस घोड़ी का नाम है जो हिनहिनाते हुए चुदेगी ।


आरती - भईया आपको क्या हो गया है , ऐसी अश्लील बाते कर रहे है ।


जैसे ही आरती ने ऐसा कहा बलवीर ने अपनी उंगली आरती की गांड में घुसा दी । जो थूक के कारण आसानी से आरती की गांड में चली गई । उंगली घुसते ही आरती पंजों पर ही उचक गई ।


बलवीर - अश्लील बाते मै कर रहा हूं और तू जो लंड के लिए पागल कुतिया की इधर उधर मुंह मार रही है उसका क्या ।


आरती चुप रही क्युकी बलवीर की उंगली अब कमाल दिखाने लगी थी उसकी गांड में।


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बलवीर - बोल ना अब चुप क्यों हो गई कुतिया लोड़े की जरूरत पड़ती है ना तुझको । लंड मांगती है ना तेरी चूत ।


ऐसा कहकर बलवीर ने आरती की गांड में से उंगली निकालकर और उसके चूतड़ों पर एक थप्पड़ मारा और बोला।


बलवीर - देख कुत्तिया अपनी गांड को। ऐसी चौड़ी गांड को लेकर तू घर में फिरती है लेकिन चुदेगी किसी सलमान से ही । इस पानी टपकाती हुई चूत को तू घर में लेकर बैठी रहती है लेकिन चुदेगी किसी सलमान से ही ।क्या कभी सोचा है तूने कि तेरे दो भाई हैं और दोनों ही भाई हटेकट्टे पहलवान जैसे हैं , और तू भी कम नहीं है घोड़ी की तरह हिनाहिनाती हुई चलती है , लेकिन फिर भी तुझे लंड बाहर का चाहिए । कभी सोचा तूने दुनिया क्या कहेगी ? दुनिया यह कहेगी कि या तो इसके भाइयों के लोड़े खड़े नहीं होते या फिर यह इतनी बड़ी रंडी है जो बाहर चुदने की भी जरूरत पड़ गई ।

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बलवीर - क्या यह हम दोनों भाइयों की बेजती नहीं होगी लेकिन तेरे जैसी रंडी बहन हर किसी की होती है और हर किसी की बहन यही सोचती है कि बाहर किसी चूतिए से लड़के से चुद लूंगी लेकिन अपने भाई के नीचे नहीं लेटूंगी । बाहर किसी की जरा सी बाबू सोना करने से उसके आगे चूत फैला देती हैं लेकिन कभी यह नहीं सोचती कि उनका भाई उन्हें कितना प्यार करता है लेकिन बहनकीलोड़ी घर में लड़ती रहेंगी भाइयों से । घर में ये दिखा देंगी अपने भाई को तो बिलकुल कि उनकी बहन कितनी सुधरी हुई है , उनकी बहन को बस अपने काम से मतलब है । उनकी बहन किसी से फालतू बात करना पसंद नहीं करती । उनकी बहन के पास फालतू चीजों के लिए टाइम नहीं है । बोल सही कह रहा हूं ना मैंं।

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ये सुनकर आरती ने गर्दन झुका ली ।

बलवीर - एक बात कहूं आरती तेरे जैसी रंडी बहनों को कुछ भाई समझ नहीं पाते या असली चेहरा नहीं देख पाते उनका । अगर उन्हें पता चल जाए कि यह मेरी बहन ऐसी है कि बाहर इसे कोई प्यार से बाबू सोना करे तो उससे मेरी बहन रात भर बात करेगी फोन पर और दिन में होटल में रूम लेकर उसके लोड़े की नीचे लेटकर घर आएगी और घर आकर बोल देगी मम्मी लेट हो गई थी फ्रेंड के साथ घूमने में टाइम निकल गया । और घर वाले यह कभी नहीं समझ पाते कि अभी यह बाहर चुदकर आई है । वह कभी यह नहीं सोचते कि उनकी बहन बेटी का पिछवाड़ा दिन प्रतिदिन कैसे भारी होता जा रहा है । कैसे उसके चूतड़ों ने मटकना शुरू कर दिया है। बिना लंड के तो ऐसा होता नहीं ।

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बलवीर - अगर दुनिया का हर भाई या बाप इतना दिमाग पर जोर डाल ले तो तेरे जैसी गदरायी बहनों को घर में कपड़े पहनने की इजाजत ना दे , तेरे जैसी कुतियाओं को तेरे जैसी रंडी बहन बेटियों को जब दिल में आए तब पटक कर चोद दे । मिटा दे रंडियों की गर्मी अगर दुनिया का हर भाई यह सोच ले तो किसी की बहन तेरी तरह रात को किसी सलमान से लंड से चुदने के सपने नही देखेगी । लेकिन एक बात कहूं आरती तेरा भाई ऐसा नहीं है जो तेरे जैसी रंडियों की नस्ल ना पहचान सके ।
और तेरे जैसी गरम रंडी बहनों की वजह से आजकल के भाई बाहर मुंह मारते फिरते हैं क्योंकि उनके खुद के घर में तेरे जैसी घोड़ी होती है एक चुदक्कड़ गरम बहन होती है लेकिन वह बहन बाहर किसी और चूतिए से सैट होती है और उनके भाई अपने दोस्तों से यह कहते रहते हैं कि भाई किसी से सेटिंग करा देना ।

ऐसा कहकर बलवीर हंस पड़ा लेकिन आरती को हंसी नहीं आ रही थी आरती तो हैरान थी कि जिस बलवीर भाई के लिए उसके दिल में इतनी इज्जत थी आज वही भाई उसकी इज्जत की धज्जियां उड़ा रहा था ।


आरती को अब बलवीर का भाषण कहीं ना कहीं सही भी लग रहा था , क्योंकि वह किसी बाहर के सलमान से बात करके अपने परिवार को धोखा ही दे रही थी एक तरह से ।
आरती को यह बातें बलवीर की सही लगी लेकिन बलवीर का बात करने का लहजा और बलवीर के शब्द आरती को अच्छे नहीं लगे। इतनी गंदी भाषा उसने पहली बार सुनी थी । आरती ये सोच ही रही थी की तभी बाहर मोबाइल की रिंग बजी । रिंग बजते ही आरती और बलबीर दोनों जैसे हड़बड़ा गए ।


आरती और बालवीर दोनों का दिल धक धक करने लगा क्योंकि बाहर कमरे में शालिनी सो रही थी ।
तभी दोनों का दिल एक बार फिर से दहल गया क्योंकि अभी शालिनी के खांसने की आवाज उनके कानों में पड़ी जिसका मतलब था कि शालिनी जाग गई है । लेकिन कुछ देर कोई भी आवाज ना होने पर बलवीर ने आरती के कान के पास अपने होंठ ले जाकर कहा ।


बलवीर - शालिनी जाग गई तो बात खराब हो जाएगी तू धीरे से निकल जा । तुझे घर चल कर तेरे ही बिस्तर में चोदूंगा और मुझे पता है कि तू भी अपनी गांड उठा उठाकर मुझसे चुदेगी। चल जा सो जा अब ।


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ऐसा कहकर बलवीर पीछे हट गया । आरती के तो मानो कानों को सुनाई नहीं दे रहा था और आंखों को दिखाई नहीं दे रहा था । वह बस मौन थी तभी बलवीर ने दोबारा कहा ।


बलवीर - तुझे घर चल कर आराम से चोदूंगा या अभी चूत में बिना लिए नहीं जाएगी। पता है तू लौड़े की भूखी है पर अभी इंतजार कर मेरी गरम बहन ।


आरती तो यह सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और चुपचाप अपने कपड़े ठीक कर के बाहर कमरे में चली गई ।
कुछ देर बाद बलवीर भी बाथरूम से निकलकर कमरे में आया और सोने के लिए अपने बेड पर बैठ गया ।
तभी उसकी नजर आरती और शालिनी पर पड़ी जिन्हें देखकर उसका लंड फिर से तंबू बन गया क्योंकि शालिनी तो सच में सो रही थी लेकिन आरती बस आंख बंद करके सोने का बहाना कर रही थी।
दोनों ही एक दूसरे के विपरीत करवट लेकर लेटी थी जिससे दोनों की गांड मानो आपस में बहस कर रही हो कि मैं ज्यादा गडरायी हुई हूं या तू ज्यादा गदराई हुई है । चुदने को बेताब अपनी बहन और भतीजी को लंड की प्यास में सोती देखकर बलवीर की आंखों में वासना के डोरे तैर गए।
फिर भी बलवीर ने कंट्रोल किया और मन ही मन बोला- तुम जैसी घोड़ियों को मेरा लंड ही ठंडा कर सकता है वरना हल्के मोटे आदमी को तो तुम अपनी जांघों में ही दबाकर झाड़ दोगी रंडियों ।तुम दोनों की ऐसी ताबड़तोड़ चुदाई करूंगा कि तुम्हारी चूतों को एक फटे हुए भोसड़े की उपाधि मिल जाएगी ।।।

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कहानी आगे जारी रहेगी ---
साथ बने रहने के लिए धन्यवाद ।
आपका अपना प्यारा सा भाई
 
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Update - 31

सुबह के 5:00 बज रहे थे आरती और शालिनी गहरी नींद में सोई हुई थी ।
तभी अचानक बलवीर का फोन बजता है बलवीर की आंख खुल गई बलवीर ने फोन उठाया तो देखा धर्मवीर पर फोन आ रहा था । बलवीर ने सोचा पता नहीं क्या बात हो गई जो भैया इतनी सुबह सुबह फोन कर रहे हैं । । बलवीर ने जल्दी से फोन उठाया और कॉल आंसर की ।

बलवीर - हेलो भैया इतनी सुबह सुबह कैसे फोन किया, सब ठीक तो है ना ।

धर्मवीर : ठीक नहीं है इसीलिए किया और हंस पड़ा धर्मवीर ऐसा कहकर ।

बलवीर नहीं सोचा यदि सब ठीक नहीं है तो हंसने वाली क्या बात है, लेकिन फिर भी उसने पूछा ।

बलवीर : भैया क्या बात है बताओ कैसे याद किया अपने छोटे भाई को ।

धर्मवीर : अरे बलवीर माफ करना , तुम इंजॉय कर रहे हो और मैंने तुम्हें सुबह सुबह परेशान कर दिया । दरअसल बात यह है की हमारी कंपनी को एक कॉन्ट्रैक्ट मिल रहा था जिसका मेल अभी मुझे रिसीव हुआ है । आज 10:00 बजे प्रेजेंटेशन देनी है और मैं चाहता हूं कि यह सब कुछ मेरा अकेला ही नहीं है तुम भी बराबर के हिस्सेदार हो, क्योंकि तुम मेरे भाई हो और छोटे भाई का हिस्सा हर चीज में होता है ।

यह सुनकर बलबीर बोला : भैया कैसी बात कर रहे हैं । मैंने आपको हमेशा एक पिता की नजर से देखा है और बड़ा भाई तो वैसे भी पिता समान होता है । आप आदेश कीजिए मेरे लिए क्या काम है।

धर्मवीर : बलवीर काम कुछ नहीं है , लेकिन 10:00 बजे तुम्हें मेरे साथ चलना है क्योंकि यह बहुत बड़ा कॉन्ट्रैक्ट है । अब भगवान की कृपा से हमें मिला है अगर यह डील फाइनल हो जाती है तो हमें करोड़ों का फायदा होगा ।


बलवीर : जी भैया जैसा आप कहते हैं । मैं अभी निकल लेता हूं यहां से ।

ऐसा सुनकर धर्मवीर ने फोन रख दिया ।
धर्मवीर आज बहुत खुश था क्योंकि जितनी मेहनत उसने की थी एक तरह से ये उसका ही फल था जो उसकी कंपनी इतनी ऊंचाइयों पर पहुंची थी । बस इस खुशी के माहौल में भी धर्मवीर की आंखें नम हो गई ।
और आंखों के नम होने की वजह की धर्मवीर का बेटा राकेश । धर्मवीर मन ही मन दुखी हो गया ।
उसका एक ही बेटा था राकेश जो उसे भगवान की तरह पूजता था । बहुत अच्छा लड़का था राकेश । मेरा बेटा आज होता तो बहुत खुश होता । धर्मवीर इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था । तभी उसकी नजर अपनी बहू उपासना की बहन पूजा पर पड़ी जो पूरी रात चुदकर बैठी थी ।जिस दिन से बलवीर आरती और शालिनी घर से घूमने गए थे उसी दिन से उपासना और पूजा को धर्मवीर और सोमनाथ पूरे दिन रात चोद रहे थे ।
कभी सोमनाथ अपनी बेटी उपासना पर चढ़े रहते हैं तो कभी अपनी छोटी बेटी पूजा पर धर्मवीर चढ़ा रहता था । वह कभी अपनी बहू उपासना के मुंह में लंड रखता तो कभी उसकी बहन पूजा को अपने नीचे दबाए पड़ा रहता।
कहने का मतलब पूजा और उपासना को चुदाई का पूरा सुख मिल रहा था । उनकी सिर्फ चुदाई होती थी, चुदाई और सिर्फ चुदाई ।


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किसी लड़की के लिए या किसी औरत के लिए यह पल भी बड़े मनमोहक होते हैं क्योंकि आजकल हर किसी की जिंदगी में इतना वक्त नहीं होता की दो-चार दिन लगातार चुदाई कर सके । किसी की जिंदगी में इतना वक्त नहीं होता तो किसी की जिंदगी में मौका नहीं होता , किसी का लाइफ पार्टनर ऐसा नहीं होता बहुत सारे कारण हो सकते हैं । और जब किसी लड़की या औरत को दो-चार दिन तक सिर्फ चुदना ही पड़े , सिर्फ नंगी होकर किसी से लिपटना पड़े और दिल खोलकर चुदाई करें लगातार जब तक उसका दिल ना भर जाए । बस किसी के नीचे टांगे फैलाए पड़ी रहे या किसी की गोद में बैठकर उसके खड़े लोड़े पर बैठी रहे और घंटो बातें करें । इन पलों की तमन्ना दुनिया की हर लड़की या औरत करती है । यह सब बताने का मेरा इतना ही मतलब था कि जब लगातार दो-चार दिन से चुदाई की चुदाई हो रही हो तो वह दिन ही किसी के लिए गोल्डन डे बन जाते हैं उसकी लाइफ के । और यही हो रहा था पूजा और उपासना के साथ । वह बस चुद रही थी खुलके। अपने बाप और ससुर के लौड़ों से खेल रही थी और चुतों में सोमनाथ और धर्मवीर का वीर्य इकट्ठा कर रही थी।


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जैसे ही धर्मवीर की नजर पूजा पर पड़ी उसकी आंखों में एक गुस्सा सा आ गया। वह गुस्सा के भाव इसलिए आए थे क्योंकि अभी वह अपने बेटे राकेश को याद कर रहा था और उसने उपासना से राकेश की शादी इसलिए की थी क्योंकि उपासना उसे बहुत ही सुशील संस्कारी और सुंदर लगी थी, लेकिन जो रंडीपना उन दोनों बहनों के अंदर था यह तो राकेश संभाल ही नहीं पाता । राकेश इतना तगड़ा तंदुरुस्त भी नहीं था की उपासना जैसी घोड़ी को अच्छे से ठोक पा । राकेश के पास इतना टाइम भी नहीं था कि वह उपासना की चूत में लंड बजाकर उसे ठंडी रख पाता । तो इसका मतलब मैंने राकेश के लिए एक सही जीवनसाथी नहीं चुनी थी मेरा बेटा राकेश उपासना के काबिल नहीं था या उपासना राकेश के काबिल नहीं थी । इन दोनों में से एक बात तो जरूर है ।

तभी वह पूजा को देखते-देखते सोचने लगा कि अकेली उपासना ही नहीं , उसकी बहन पूजा भी तो लोड़ा निचोड़ लेती है पूरा अपनी चूत में । ईसका मतलब गलती उपासना की भी नहीं थी क्योंकि हर औरत या लड़की जब जवान होती है तो उसकी चूत लंड मांगने लगती है । और मेरा बेटा उपासना की लंड की मांग को पूरा नहीं कर पा रहा था , तो इसका मतलब कमी उपासना बहू में नहीं मेरे बेटे राकेश में थी ।

यह सोचते ही धर्मवीर की आंखों में फिर से गुस्सा सा आ गया क्योंकि बेशक उपासना उसकी बहू हो लेकिन राकेश भी उसका बेटा था । अपनी उस उधेड़बुन के बाद आए गुस्से मैं राकेश ने अपने आप से कहा : मेरे बेटे में ही तो कमी थी अब इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि उसके घर के हर मर्द में कमी हो। ऐसा बिल्कुल नहीं है और इस घर में भी मर्द हैं । और मर्द होने का एहसास कराना चाहिए तुम दोनों बहनों को । मैं बताऊंगा मर्द कैसे होते हैं । मैं बताऊंगा कि मर्द बाहर किसी के सामने बेशक तुम्हें अपने से ज्यादा इज्जत दे बेशक तुम्हें एक देवी की तरह तवज्जो दे, बेशक तुम्हारी गुलामी करें जैसे तुम कोई शहजादी हो , मर्द वो है जिसके संपर्क में आओ तो तुम्हारी चूत उसे देखकर कुलमुलाना शुरू करदे और वह तुम्हें शहजादी से रंडी तक का सफर कराए । तुम्हें देवी से एक गरम कुत्तिया तक का सफर तय करा दे तो समझो उससे ज्यादा प्यार करने वाला इंसान तुम्हें दुनिया में तो क्या अपने सपनों में भी नहीं मिल सकता । मेरा बेटा राकेश ऐसा नहीं था वह तो बस दिन में अपनी कंपनी के लिए भागदौड़ करता रहता था और रात में भी एक प्रोफेशनल इंसान की तरह आराम से एक दो बार तुम्हें चोदता था और फिर एक अच्छे पति की तरह सो जाता था । लेकिन तुम्हें ऐसा नहीं चाहिए था तुम्हें तो ऐसा चाहिए था कि जी भर के तुझे अपनी बाहों में और बड़ी धीमी धीमी आवाज में तुझसे खुल के तेरी चूत का हाल पूछता, तुझसे बहुत सारी प्यारी प्यारी बातें करने के बाद तुझे बिस्तर में गंदे तरीके से रौंद सकता हो , तुझे ढीली कर सकता चोद चोद कर । ऐसा ही चाहिए था ना तो मैं हूं वैसा और अब कमी की बात भी क्या है तुझे चुदाई की भूख थी मुझे समझ आ गया, लेकिन अपने बाप से ही चुद गई बहन की लोड़ी । इसे चुदाई की भूख नहीं इसे तो वेश्यावृत्ति , रंडीपना कहते हैं । अगर तुझ में चुदाई की आग होती तो तू दूसरी जगह चुदने जाती और अपनी चुदाई की आग को शांत करती लेकिन बहन की लोड़ी तूने रिश्तों तक का ख्याल नही किया । एक बार चुदकर तो 2 दिन तक लंगड़ाई थी फिर भी तुझे अपने सगे बाप के लंड की जरूरत पड़ गई , अपने बाप के लंड के नीचे ही लेट गई मतलब उसका यही हुआ कि तुझे एक तगड़ा तंदुरुस्त लंड नहीं चाहिए तुझे तो अपनी चूत में हर आता जाता लंड चाहिए लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगा । मेरे इस संस्कार भरे घर मैं जो तुम दोनों बहनों ने आग लगाई है यह मैं कभी नहीं भूल सकता । मेरे घर में तो इतनी गंदी सोच तक भी नहीं थी बड़ा प्यारा परिवार था मेरा, लेकिन जब तू लंड की भूख में अपने पति से फिर उसके बाप से और फिर अपने बाप से चुद सकती है तो इसकी क्या गारंटी है किसी चौथे से तू नहीं चुदेगी । ऐसा सोच कर धर्मवीर की आंखें लाल हो गई और वह कसरत करने चला गया ।


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धर्मवीर जैसे ही कमरे से गेट बंद करके निकला तो गेट बंद होने की आवाज से पूजा की आंखें खुल गई उसने अपनी आंखें अपने हाथों से मलते हुए अपनी गर्दन घुमाई तो देखा धर्मवीर जा चुका था पूजा सोचने लगी पता नहीं मौसा जी सुबह-सुबह कहां चले गए इतनी सुबह तो नहीं उठते हैं । हो सकता है वॉशरूम गए हो टॉयलेट करने गए हो । लेकिन तभी उसकी नजर टेबल पर पड़ी एक फाइल पर गई जो बैड के बिल्कुल आगे रखी थी ।

जिसका मतलब बिल्कुल साफ था कि धर्मवीर अभी उसे पढ़कर गया था पता नहीं पूजा के मन में क्या आया अचानक उसने वह फाइल उठाई और जैसे ही उसने देखा कि करोड़ों का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया है कंपनी को । उसकी आंखों से नींद एकदम गायब हो गई वह खुशी से खड़ी हुई और जल्दी एक जींस टॉप पहनकर उपासना के कमरे की तरफ दौड़ी । लेकिन उपासना और सोमनाथ अभी नहीं उठे थे उनका गेट अंदर से लॉक था ।

एक सेकेंड के लिए तो पूजा रुकी लेकिन उसके मन में फिर पता नहीं क्या आया उसने गेट खटखटा दिया : दीदी दीदी गेट खोलो ।


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उपासना की आंखें खुली इतनी सुबह सुबह उसकी छोटी बहन क्यों चिल्ला रही है गेट पर । यह सोचते हुए उपासना उठी उसने भी जल्दी से कपड़े पहने और एक नजर बेड की तरफ डाली तो शर्मा गई क्योंकि उसका बाप सोमनाथ बिल्कुल मादरजात नंगा सो रहा था और उसका काला लंड भी सोया हुआ लटक रहा था । यह देखकर उपासना ने जल्दी से एक चादर ली और सोमनाथ के ऊपर डाल दी और दरवाजा खोल दिया ।


सामने अपनी छोटी बहन पूजा को देखकर उपासना ने पूछा।

उपासना : तुझे क्या हुआ सुबह-सुबह इतनी खुश है पूजा दीदी हमारी कंपनी ने करोड़ों का कॉन्ट्रैक्ट लिया है ।

सुनकर उपासना भी खुश हुई क्योंकि काम के प्रति उसकी भी लग्न थी । यह सुनकर उपासना ने पूजा से कहा ।

उपासना : अच्छा तो फिर तो आज बड़ा खुशी का दिन है लेकिन पापा जी तो अभी सोए हुए हैं ।


पूजा : हां दीदी लेकिन मौसा जी अभी-अभी उठ कर नीचे गए हैं । उपासना चल ठीक है तो आज हम ही नाश्ता बनाते हैं सुबह का अपने हाथों से ।


पूजा बोली : हां दीदी और पापा जी को भी उठा दो या मैं ही उठा देती हूं । यह कहकर जैसे ही पूजा बेड की तरफ चली सभी उपासना ने पूजा का हाथ पकड़ लिया और बोली ।


उपासना : मैं उठा देती हूं ना चल तू किचन में । मैं आती हूं ।

यह पूजा को कुछ अटपटा लगा पूजा बोली ।

पूजा : क्या हुआ दीदी आप उठाओ या मैं उठाऊं आखिर हम दोनो ही उनकी बेटियां है । बात तो एक ही है और उठाना क्या लो मैं अभी आवाज लगा देती हूं , आवाज से उठ जाएंगे ।


ऐसा कह कर पूजा ने जोर से आवाज लगाई पापा जी पापाजी । यह सुनकर उपासना थोड़ी शर्मा गई । लेकिन फिर भी अपनी सफाई दिखाने के लिए अपनी चतुराई दिखाने के लिए या अपना त्रिया चरित्र दिखाने के लिए बोली ।

पूजा : पूजा क्या बच्चों की तरह करती है । और एक 2 मिनट सो लेंगे या नाश्ता करके उठा लेंगे । तब तक पापा जी आ जाएंगे चल चलते हैं ।

उपासना जैसे ही पूजा का हाथ पकड़ कर किचन की तरफ चलने लगी तो पूजा को एक जिद्दी सी चढ़ गई । बोली ।


पूजा : दीदी अब तो मैं ही उठाऊंगी। यह भी कोई बात हुई क्या । पापा जी को जगाने नहीं दे रही हो सब तो जाग गए हैं । दिन में कर लेंगे नींद पूरी । मैं जगा देती हूं जब तक हम नाश्ता तैयार करेंगे तब तक फ्रेश हो लेंगे ।

ऐसा कहकर पूजा मैं बैड के पास जाकर जैसे ही चादर खींचते हुए चिल्लाई पापा जी ।
जैसे ही चादर अलग हुई तो बेड पर सोमनाथ बिल्कुल नंगा सो रहा था और नीचे बिछी सफेद बेडशीट पर जगह जगह गंदे धब्बे बने हुए थे । जो इस बात की ओर साफ साफ इशारा कर रहे थे की रात में उसके नंगे बाप ने अपनी बड़ी बेटी उपासना को बड़े गंदे तरीके से रौंदा है बिस्तर में और वही बेटी उपासना पूरी रात उस लंड से चुदी है ।

यह देखते ही पूजा ने धीरे से मुस्कुराते हुए उपासना की तरफ देखा और उसने अपनी नजरें झुका लीं ।

अगले ही पल अपनी आंखें नचाते हुए पूजा से उपासना बोली ।

उपासना : तू ना बिल्कुल बदमाश हो गई है । तुझे मना किया था ना लेकिन नहीं मानी ।


पूजा ने मुस्कुराते हुए चादर उठाई और दोबारा से सोमनाथ के ऊपर डाल दी और धीरे से उपासना के पास आकर बोली ।


पूजा : तो दीदी बता भी तो सकती थी ना कि अपने नंगे बाप से लिपट कर सो रही थी ।

उपासना : अच्छा तू तो ऐसे कह रही है जैसे तुझे पता ही नहीं हो कि पापा यहां क्यों सोए हैं । और तू क्यों धर्मवीर पापा जी के पास रहती है दिन रात ।

इस बात पर पूजा भी थोड़ी सी शर्मा गई और बोली।

पूजा: दिन रात कहां दीदी कभी-कभी तो पापा जी के साथ भी रहती हूं कमरे में । मानती हूं कि मैं धर्मवीर मौसा जी के साथ ही सोती हूं रात में लेकिन दिन में तो कभी भी पापा जी भी बुला लेते हैं कमरे में।
लेकिन अपनी उपासना दीदी को मैं अकेला नहीं रहने देती मैं उनके पास धर्मवीर मौसा जी को भेज देती हूं , जो कमरे में अपनी बहू उपासना को नंगा करके उनके साथ खूब टाइम स्पेंड करते हैं ।


इस बात से उपासना थोड़ी और ज्यादा शर्मा लेकिन फिर भी वह उसकी छोटी बहन थी जो उसे खुले माहौल का एहसास करा रही थी। अब उपासना भी थोड़ी-थोड़ी गर्म होने लगी थी उपासना बोली।

उपासना : हां चल अब ज्यादा जब बातें मत बना किचन में चलते हैं वरना फिर कोई ना कोई बुला लेगा तुझे मुझे नंगी करने के लिए ।

ऐसा बोलकर उपासना पूजा ने एक दूसरे की आंखों में देखा और हंसते हुए किचन की तरफ चल दी ।


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उधर दूसरी तरफ शालिनी और उपासना को जगाने के लिए जैसे ही बलवीर उनकी तरफ मुड़ा तो दोनों बुआ भतीजी एक दूसरे की तरफ मुंह करके सो रही थी । बलवीर जोकि उन दोनो की चूतों को चैक कर चुका था उंगली से वो उठा और उन्हें सोती हुई देखकर बलवीर की आंखें में वासना नाचने लगी , और वासना नाचती भी क्यों ना दोनों की चूतों की महक जो ले चुका था बलवीर।

बलवीर दोनों को बड़ी गौर से देख रहा था आरती के शरीर में थोड़ा भारीपन ज्यादा था लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि शालिनी आरती के सामने पतली लगती थी ।
शालिनी भी किसी मस्त हथनी की तरह अपनी गांड निकाले सो रही थी ।

बलवीर धीरे-धीरे आरती और शालिनी के पास गया । और झुक कर अपना मुंह आरती की गांड के पास लाया । कपड़ों में से ही सही लेकिन थोड़ी-थोड़ी चूत की महक बलवीर को आ रही थी बलवीर ने और हल्की सी नाक अंदर की तरफ घुसाई और एक गहरी सांस खींची उसके अंदर अपनी गदराई बहन की चूत की खुशबू महसूस होते हैं बलवीर के लिए कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। फिर वह घूम कर शालिनी की तरफ गया हर इसी तरह से अपने नाक शालिनी की गांड पर लगा कर मुंह जांघों के बीच में डालकर एक गहरी सांस खींची दोनों की चूतों की खुशबू बिल्कुल एक जैसी तो नहीं थी लेकिन मिली जुली थी । यह खुशबू वैसे ही नहीं थी जैसी किसी लड़की की चूत से आती है यह खुशबू तो उसी चूत से आती है जो लोड़े की याद में पानी छोड़ती रहती हो । जिससे अपनी जवानी संभाली नहीं जा रही है । उन्हीं चूतों से ऐसी मादक खुशबू आती है जो नाक में भरते ही अंदर तक झुर्झुरी पैदा कर देती है ।


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(दोस्तों ऐसा सबके साथ होता है । क्योंकि सबके घर में मां बहन बेटी होती हैं । कोई कोई तो तीन बहनों में अकेला भाई होता है । हर घर में लड़की होती है और हर जवान लड़की में लंड की भूख भी होती है । तो ये विचार दिमाग में आ ही जाते हैं । जब भी घर में अपनी बहन की मटकती गांड को देखते हैं तो चोर नज़रों से उसके पिछवाड़े को हर कोई देखता है । लड़कियों का तो मुझे पता नहीं क्या सोचती हैं क्या नहीं लेकिन लड़के जब भी अपने घर में अपनी बहन का भारी पिछवाड़ा देखते है तो उनके मन में ये विचार जरूर आता है कि बहन की शादी कर देनी चाहिए वो शादी लायक हो गई । उसकी मटकते चूतड़ों को देखकर विचार आता है कि ये भी लंड लेने लायक हो गई है पूरा ले जायेगी एक बार में लेकिन वो ये नहीं जानते हैं कि उनकी बहन पता नही कितनी बार चुद चुकी है । जो इसका पिछवाड़ा इतना भारी है ये अपने आप नही हुआ किसी ने तबियत से चूत फाड़ी है उसकी । जब घर में कोई गदराई हुई घोड़ी सो रही होती है और नजर पड़ जाए तो एकबार जी भरके देखने से कोई नहीं चूकता । कोई बाप जब बेटी का भारी पिछवाड़ा देखता है तो वो भी सोचता है कि उसकी बेटी की गांड बाहर क्यों निकलने लगी लेकिन फिर मन में विचार आता है नही नही वो बेटी है मेरी । ये विचार आते ही भारतीय लोगो की सारी वासना की मां चुद जाती है क्योंकि जब मन में आए कि बेटी है मेरी तो चाहे उसकी बेटी रण्डी ही क्यों ना हो लेकिन उसे उसमे वही हंसती खेलती नटखट बच्ची ही दिखेगी लेकिन वो ये नहीं जानता कि उसकी बेटी रोज अपनी चूत होटल में फड़वाके आती है और रात भर किसी से जानू जानू करके उसे चुम्मियां देती है । आखिर हम भारतीय जो ठहरे घर में रण्डी बहन भी हो तब भी ही उसमे एक प्यारी सी ही वक्त लड़ने वाली बहन दिखती है ऊपर से घरवालों के डायलॉग ये दूसरे घर चली जायेगी फिर किससे लड़ेगा ये हमेशा तेरे पास नही बैठी रहेगी । शायद यही बात हम भारतीयों को सबसे अलग बनाती है । चलो रिश्तों पर बहुत ज्ञान पेल लिया अब कहानी पर चलते हैं)

वैसा ही हाल बलवीर का था लेकिन बलवीर को अचानक याद आया कि उसे तो तुरंत निकलना है ।


उसने धीरे से शालिनी का हाथ पकड़ा और उसे हिलाने लगा शालिनी की आंख खुल गई शालिनी ने जैसे ही बलवीर को अपने सामने खड़ा पाया तो एक साथ उसकी आंखों में गुस्सा और शर्म के मिले-जुले भाव आ गए पहले दिन को याद करके और उसने अपनी आंखें झुका ली।


बलवीर : हमें अभी निकलना है । धर्मवीर भैया का फोन आया है अभी जरूरी काम से जाना होगा ।

शालिनी यह सुनकर आरती को जगाने के लिए जैसे ही अपना हाथ बढ़ाने लगी तुरंत बलबीर ने उसका हाथ रोक दिया ।


शालिनी कुछ समझ नहीं पाई और बलबीर ने उसके कान के पास अपने होंठ लाकर धीरे से उसके कान में कहा ।


बलवीर : घर चलते तेरी कसी हुई चूत में अपना लंड डालकर उसे फाडूंगा मैं ।


यह सुनते ही शालिनी शरीर में झुनझुनी हो गई और उसने गुस्से से अपने चाचा को घूरते हुए आरती को जगा दिया ।


आरती भी बलवीर को आगे देखकर पहले तो चौकी फिर मामला जब समझ आया वह भी सामान्य होकर जल्दी से तैयार हो गई और चारों निकल लिए घर की तरफ ।


दूसरी तरफ उपासना और पूजा नाश्ता तैयार कर चुकी थी और काफी खुश नजर आ रही थी लेकिन इन सबके खुश होते हुए किसी को धर्मवीर का गुस्सा दिखाई नहीं दे रहा था ।

किसी को यह अंदाजा नहीं था की धर्मवीर अभी कितने गुस्से में बाहर गया है।
बाहर बैठा हुआ धर्मवीर बस यही सोच रहा था कि ये लंड भी क्या चीज है अगर औरत को दीवानी बना दे तो फिर वह औरत नहीं कुतिया बन जाती है और यही कुतीयापना मेरी बहू कर रही है अपनी बहन के साथ मिलकर ।


दोस्तों धर्मवीर को भी अंदाजा नहीं था की वही रंडीपना उसकी बहन आरती और बेटी शालिनी में भी है ।
धर्मवीर तो बस गुस्से में था अपने बेटे राकेश को याद करके और अपनी बहू उपासना के अंदर लंड की भूख देखकर ।


पूजा और उपासना नाश्ता लगाकर एक दूसरे से बात करने लगे तभी उपासना उठकर अपने कमरे की तरफ चली गई अपने बाप सोमनाथ को जगाने के लिए। जैसे ही वह कमरे में पहुंची तो सोमनाथ अभी भी सोया पड़ा था ।

उपासना ने सोमनाथ को जगाया और बताया कि आज कितना खुशी का दिन है उसकी कंपनी को तरक्की मिली है ।

उधर धर्मवीर का गुस्सा हर पल बढ़ता जा रहा था।
धरमवीर घर की तरफ आया और घर के मेन गेट पर आकर उसने हॉल में शालिनी को बैठे देखा ।
जैसे ही गेट पर लॉक लगाया धर्मवीर ने तो उसकी आवाज से पूजा ने गेट की तरफ देखा तो धर्मवीर खड़ा था

पूजा को कुछ पता नहीं था कि धर्मवीर कितना गुस्से में है । वह तो बस यही सोच रही थी कि रात भर चोदकर सुबह फ्रेश मूड से उठकर बाहर गया है ।

धर्मवीर गेट पर खड़ा होकर पूजा को घूरने लगा । अपनी तरफ इस तरह घूरता देख कर पूजा कुछ असामान्य महसूस करने लगी तो उसने नजरें झुका कर शर्मा कर धीरे से कहा ।


पूजा : मौसा जी गेट पर क्यों खड़े हो अंदर आजाइए ना।

लेकिन धर्मवीर पर इसका कुछ असर नहीं हुआ वह तो बस घूरे जा रहा था पूजा को ।
पूजा खड़ी होकर टेबल पर नाश्ते का सामान लगाने लगी और बोलने लगी ।

पूजा : मौसाजी दीदी और पापा जी भी आने वाले हैं, आप भी आ जाइए नाश्ता कर लेते हैं ।

ऐसा कहकर उसने फिर एक बार धर्मवीर की तरफ देखा जो अभी भी उसे घूर रहा था और उसने फिर मुस्कुरा कर अपनी नजर नीचे झुका ली ।

धर्मवीर उसे घूरते हुए अपनी शर्ट उतारने लगा शर्ट के साथ-साथ उसने अपनी बनियान भी उतार दी ।
नीचे धर्मवीर ने एक लूंगी पहन रखी थी और वह घूरे जा रहा था पूजा को ।

जब पूजा ने देखा कि धर्म गेट पर नंगा हो रहा है तो उस के शरीर में एक झुर्झुरी सी हो गई और दोस्तों पूजा के शरीर में ही क्या दुनिया की हर लड़की या हर औरत जिसे पता हो कि उसे चोदने वाला यार उसके दरवाजे पर खड़ा है उसके सामने तो उसके दिल में जो फीलिंग होती है वह एक लड़की ही समझ सकती है । वह शर्मा रही होती है और साथ में बौखला रही होती है एक लंड लेने के लिए वह मुस्कुरा रही होती है , और चूत को तैयार कर रही होती है एक लंड खाने के लिए ।

यही हाल कुछ पूजा का था वह कभी मुस्कुराती तो कभी शर्मा कर नजरें झुका लेती , कभी नजरें मिलाती तो कभी धर्मवीर के तगड़े शरीर को देखने लगती जो हट्टा कट्टा था । पहलवानों से भी ज्यादा सॉलिड शरीर था धर्मवीर का । पूजा कभी मुस्कुरा कर अपनी उंगलियों से अपने बालों को संभालते हुए खाना लगा रही थी । धर्मवीर की आंखें लाल होने लगी और वजह थी पूजा की गांड जो सच में इतनी मेंटेन थी कि मन करता उसकी गांड पर चढ़े ही रहो ।


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धर्मवीर पूजा के पास आने लगा जैसे-जैसे वे करीब आने लगा पूजा की धड़कन बढ़ने लगी ।
कोई भी जब नंगा मर्द सिर्फ लुंगी पहने इस तरह किसी लड़की की तरफ या किसी औरत की तरफ बढ़ेगा तो जाहिर सी बात है उसकी चूत ठंडी करके ही वापस जाएगा । और अब धर्मवीर बिल्कुल करीब आ चुका था पूजा के । पूजा ने अपने नजरें झुका ली और धीरे से बोली ।

पूजा : मौसा जी कमरे में चलते हैं ।

धर्मवीर कुछ नहीं बोला बस ऐसे ही घूरता रहा कभी उसकी मोटी मोटी जांघों को तो कभी इसके मोटे-मोटे चूचों को, कभी उसके होठों को जिन पर भी वह अपना लंड रखने वाला था ।


धर्मवीर पूजा के सामने खड़ा था।
धर्मवीर ने पूजा के चेहरे को घूरा पूजा ने अपनी नजरें झुका ली । धर्मवीर ने पूजा के चेहरे पर थूक दिया ।
चेहरे पर धर्मवीर का थूक पड़ते ही पूजा पानी पानी हो गई ।


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पूजा बोली : मौसा जी चलिए ना कमरे में चलते हैं ।

धर्मवीर ने पूजा के मुंह पर थप्पड़ मारा पूजा का मुंह खुल गया ।
धर्मवीर ने तुरंत उसकी गर्दन पकड़ कर उसके खुले मुंह में थूक दिया। पूजा के मुंह में अपना थूक डालने के बाद धर्मवीर ने अपनी लूंगी खोल दी ।

फनफनाता हुआ लौड़ा हवा में लहराने लगा । जैसा कि आप जानते हैं धर्मवीर का लंड एक लंड नहीं पूरा हल्लबी लौड़ा था लेकिन यह लोड़ा भी झेल चुकी थी पूजा ।

धर्मवीर ने पूजा के बालों को पकड़ा और लौड़े को मुंह के सामने कर दिया । पूजा को कुछ समझ नहीं आया तो उसने अपनी नजरें उठाकर धर्मवीर के चेहरे की तरफ देखा । लेकिन धर्मवीर लगातार उसे घूर रहा था पूजा ने फिर से अपनी नजरें झुका ली और लंड के स्वागत के लिए अपना मुंह खोल लिया ।

मुंह खुलते ही धर्मवीर ने एक ही बार में पूरा झटका लगाकर लंड घुसाने की कोशिश की लेकिन आधा लंड ही पूजा के मुंह में जा सका और पूजा गूं_गूं_गूं करने लगी । धर्मवीर को पता नहीं क्या सूझा उसने पूजा के सर में 2, 3 घूंसे मारे और ठूंस दिया पूरा लंड उसके हलक तक । पूजा की तो आंखें बाहर आ गई । आंखों से आंसू आने लगे , उसकी सांसे तक रुकने लगी थी ।


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एक मिनट तक लंड को हलक में रखने के बाद तो पूजा झटपटाने लगी अपने हाथ पैर इधर-उधर झटकने लगी, तब जाकर धर्मवीर ने लंड मुंह से बाहर निकाला ।
लोड़ा बाहर आते ही पूजा के मुंह से ढेर सारा थूक बाहर आया। उसकी खांसी रुकने का नाम नहीं ले रही थी वह बस खांसती जा रही थी लंबी लंबी सांसे लेते हुए । कुछ देर में नॉर्मल होते हुए धीरे से बोली ।


पूजा : बोली मौसा जी आप जानवर हैं क्या ।


धर्मवीर ने जब यह सुना तो उसने दोबारा से पूजा के बालों को पकड़ा और लंड से उसके गालों को पीटने लगा । गालों को लंड से पीटते हुए बोला।


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धर्मवीर : तुम दोनों बहन अव्वल दर्जे की रंडी हो । मेरा लंड हर औरत के बस की बात नहीं है लेकिन तू मेरे लोड़े से पूरी रात चुदी है तो सोच ले तू कितनी गर्म है । पूरा लंड तूने एक बार में लील लिया तो सोच ले तू आने वाले समय में कितनी बड़ी मर्दखोर रंडी बनेगी और ये मैं नहीं कह रहा । यह सब तेरे मोटी चूची , बाहर को निकलती हुई चौड़ी गांड और मोटी मोटी जांघें कह रही हैं कि तुझे लंड चाहिए सिर्फ लंड । ले कुतिया खेल मेरे लंड से ।


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ऐसा कहकर धर्मवीर ने अपने लंड को उसके मुंह के चारों तरफ घुमाया , कभी उसके गालों पर लंड मारता तो कभी उसके होठों पर , तो कभी उसके माथे पर लंड रख देता ।


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धर्मवीर ने फिर मुंह खोलने के लिए कहा पूजा जानती थी कि धर्मवीर का लंड मुंह के मुकाबले ज्यादा बड़ा है। लेकिन फिर भी उसने डरते डरते मुंह खोला ।

धर्मवीर ने फिर से उसके मुंह में लंड डाल कर अपने चूतड़ों को आगे धकेला । पूरा लंड फिर उसके मुंह में चला गया । पूरा लंड मुंह में समाने के बाद धर्मवीर धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
जब धर्मवीर लंड बाहर लाता हूं तो पूजा को सांस लेने का मौका मिलता । लेकिन यह ज्यादा देर नहीं चलने वाला था क्योंकि अपनी रफ्तार बढ़ाने लगा था धर्मवीर ।

धर्मवीर ने पूजा के सर को पकड़ा और पूरी जान से लोड़े को अंदर-बाहर करने लगा । पूरा जड़ तक लंड उसके मुंह में ठूंसकर बाहर निकाल लेता । उसके मुंह की ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा । पूजा के मुंह से बस दो ही चीज है बाहर आ रही थी घोंघोंघों घप्प घाप्प की आवाज और दूसरा उसके थूक की लार बह रही थी ।


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लगातार मुंह में लौड़ा अंदर बाहर ले रही थी पूजा । वह इसी रफ्तार से चोदने के बाद धर्मवीर ने अचानक से लंड मुंह से बाहर निकाला और उसके बालों को खींच कर पकड़ा । पूजा का मुंह उपर उठ गया धर्मवीर ने अपने लंड हिलाते हुए तो झटके से उसके मुंह में लंड डाल दिया।
आधा लंड बड़े आराम से ले गई पूजा लेकिन आधा अभी बाकी था ।
धर्मवीर ने फिर से उसके बालों को पकड़ा और जान लगाई लेकिन फिर भी एक तिहाई लंड ही मुंह में जा सका । उसके गरम-गरम मुंह में अपना लौड़ा डालने के बाद अनियंत्रित हो चुका था धर्मवीर । उसकी आंखें बासना में लाल हो चुकी थी ।
धर्मवीर ने दोबारा से पूजा के सर में 2 , 3 घूंसे मारे और पूरा लंड ठूंस दिया उसके मुंह में । फिर से पूजा की आंखें बाहर आ गई धर्मवीर की जांघों पर थप्पड़ मारने लगी पूजा लेकिन धर्मवीर ने बुरी तरह से पूरी ताकत से उसके सर को दबोच रखा था । जब पूजा के लिए बर्दाश्त से बाहर हुआ तो वह अपने हाथ पैरों को पटकने लगी । अचानक उसका पैर एक टेबल पर लगा । मेज पर रखा हुआ गुलदस्ता फर्श पर गिरा पूरे घर में आवाज गूंजी । यह आवाज सुनकर सोमनाथ और उपासना बाहर आए तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गई ।

धर्मवीर ने पूरी ताकत से अपना लंड पूजा के मुंह में ठूंस रखा था और यह बात अच्छे से जानती थी उपासना कि धर्मवीर का लोड़ा मुंह में लेना हर औरत के बस की बात नहीं है और पूजा तो फिर भी उसकी छोटी बहन थी ।

सोमनाथ और उपासना लगभग भागते हुए उनके पास आए ।


सोमनाथ : समधी जी यह क्या कर रहे हैं आप।


उपासना : देखो ना पापा पूजा की हालत।

धर्मवीर गुर्राते हुए बोला : पूरी रात चुदी है ये । यह बहुत गर्म है साली ।

जब पूजा की यह हालत देखी तो सोमनाथ और उपासना ने धर्मवीर की बाजुओं को पकड़कर खींचना शुरू किया।
यह देखकर धर्मवीर को गुस्सा आया । उसने एक साथ पूजा के बालों को पकड़कर खींचा और लोड़ा मुंह से बाहर कर दिया लेकिन तभी उसने उपासना के बालों को खींचकर पकड़ा और लोड़े के पास उसका मुंह लाया । ।

उपासना का मुंह तो हैरानी से खुला हुआ था और इसी बात का फायदा उठाते हुए धर्मवीर ने पूरा लंड उसके मुंह में उतार दिया ।
उपासना को इसकी उम्मीद भी नहीं थी कि अपने बाप के सामने ही उसका ससुर उसके मुंह में लंड डाल देगा ।

सोचकर देखिए कि ये एक लड़की के लिए कैसा अनुभव होगा । अपनी ससुराल में अपने बाप के सामने उसके ससुर का लंड उसके मुंह में हो ।



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उपासना अभी समझने की कोशिश कर रही थी कि यह हो क्या रहा है कि तभी उसके मुंह में लंड का दबाव बढ़ाते हुए धर्मवीर ने उसके सर में भी दो-तीन घूंसे मुक्के जड़ दिए और उतार दिया लंड अपनी बहु के हलक तक ।

वही हालत उपासना की भी होने लगी उसका लौड़ा लेना इतनी आसान बात नहीं थी लेकिन उपासना फिर भी प्रयास करती हुई उसके लंड को मुंह में लिए बैठी रही ।

एक मिनट हो गई उधर पूजा की खांसी बंद नहीं हो रही थी । पूजा के मुंह से थूक की लार लगातार बहे जा रही थी और वह खांसती जा रही थी ।

सोमनाथ उसे अपने सीने से लगा कर रिलैक्स कराने की कोशिश कर रहा था ।

उधर धर्मवीर ने भी लंड को झटके देना शुरू किया और अपनी रफ्तार इतनी बढ़ा दी कि जैसे उसकी चूत फाड़ रहा हो । यह देखकर पूजा और सोमनाथ की आंखे फटी जा रही थी । सोमनाथ के सामने ही उसकी बड़ी बेटी के मुंह में लंड बजाया जा रहा था ।


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उपासना के मुंह को इतनी रफ्तार से चोदने के बाद जैसे ही धर्मवीर झड़ने लगा उसने तुरंत लंड बाहर निकाल लिया और उपासना के मुंह पर अपना वीर्य उड़ेलने लगा ।
उपासना का पूरा मुंह उसके वीर्य से सन गया ।


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तभी बाहर से गाड़ी के हॉर्न की आवाज आई । सभी समझ गए कि बलवीर शालिनी और आरती आगये हैं ।।

**** दोस्तों आगे कहानी जारी रहेगी ****
 

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