- 455
- 131
- 28
Update 84
वो एकदम से खड़ा हुआ था...और काव्या का हाथ जब वहाँ टकराया तो हटा ही नही पाई उसको...पता नही क्या कशिश थी समीर के लंड में ...वो बंद आँखे किए हुए उसके लंड को दबाने लग गयी..और वो उसके बूब्स को
पर अचानक उसने उसे छोड़ दिया, क्योंकि अपनी चुदाई का समान वो खुद इकट्ठा करना नही चाहती थी आज के दिन...
समीर भी हंस दिया, वो जानता था की उसका 50/50 मन कर रहा है चुदाई का...
खैर, उसने तेल को उसके शरीर पर लगाना शुरू कर दिया...ख़ासकर उसके मुम्मों पर, उन्हे तेल भरे हाथों से मसलने पर अलग ही मज़ा मिल रहा था...आज वो जी भरकर उन्हे दबा पा रहा था...उनसे खेल रहा था..
और फिर धीरे-2 उसके हाथ रेंगते हुए नीचे की तरफ जाने लगे..
काव्या के पैर चौड़े हो गये, अपने आप ही , जैसे समीर का हाथ नही,बल्कि वो खुद उसके उपर लेटकर उसके अंदर घुस रहा हो...
समीर ने अपने हाथ नीचे लाते हुए उसकी जांघे पकड़ी और दोनो हाथों से बड़ी ही मजबूती से उन्हे रगड़ने लगा...
ऐसा मर्दानी मसाज पाकर सच मे उसकी थकान मिटने लगी थी...हर अंग में उसे नयी उर्जा महसूस हो रही थी..
पर जिसमें होनी चाहिए उसमे नही हो रही थी..
उसकी चूत में .
जो सुबह से ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी...उसके अंदर से एक बार फिर से पानी निकलवाना आज की डेट में थोड़ा मुश्किल काम था..
अब देखना ये था की समीर ये काम कर पाता है या नही.
समीर काफ़ी देर तक उसकी पूरी टाँग की मालिश करता रहा...वो उपर तक जाता पर चूत के करीब पहुँचते ही वापिस यू टर्न ले लेता..
काव्या बेचारी साँस रोके उस पल की प्रतीक्षा कर रही थी जब उसके हाथ उसकी चूत को रगडेंगे..
फिर समीर ने दूसरी टाँग पर भी 5 मिनट लगाए...उसे भी अच्छी तरह से मसाज देकर उसके गिल्लट निकाल दिए..
और फिर दोनो टाँगो पर उसने हाथ रखकर उपर की तरफ खिसकाना शुरू किया और एक ही झटके में उसने अपने तेल से सने हुए हाथ उसकी चूत के उभार पर रखकर उसे भींच दिया..
''आआआआआअहह ................... उम्म्म्ममममममममममममममममम ..... ओह पापा ............''
और फिर उसने उस अधखिले गुलाब की पंखड़ियों को फैलाया और अपनी उंगलियाँ अंदर घुसेड डाली...और दूसरे हाथ से तेल की शीशी उठा कर और तेल उड़ेल दिया सीधा उसकी चूत पर..
अंदर तो पहले से इतनी आग जल रही थी, इस तेल ने उसे और भी ज़्यादा भड़का दिया..
वो जल उठी..
''अहह हह ...ओह ... माय गॉड ...............'
और उसके हाथ फिर से एक बार अपने आप ही समीर के लंड पर जा चिपके और उसने उसके लंड को पकड़ कर ज़ोर से उमेठ दिया..
अब चीखने की बारी समीर की थी
''अहह ....... धीरे पकड़ो काव्या......दर्द होता है ....''
काव्या की भी हँसी निकल गयी उसका चेहरा देखकर और मज़ाक भरे स्वर में वो बोली : "अच्छा जी...मर्द को भी दर्द होता है...उम्म्म... ही ही ..''
समीर ने कुछ नही काया और अपनी उंगलियों को और अंदर खिसका कर सीधा उसकी क्लिट की मसाज करने लगा..
''ओह पापा........यू आर सो गुड ........... कहाँ से सिखी ये मसाज करनी आपने .....''
समीर : "ये तो तुम्हे देखकर अपने आप ही आ गयी.............''
काव्या (सिसकारी मारते हुए ) : "लायर..........''
और फिर से एक प्यारी सी हँसी देकर उसने आँखे बंद कर ली...
समीर ने अपनी उंगलियों का जादू उसकी चूत पर चलाना शुरू कर दिया..
एक तो माहौल इतना गर्म हो चुका था की काव्या को पता ही नही चला की कब उसने समीर के लंड को बाहर निकाला और उसे आगे-पीछे करना शुरू कर दिया...और कब उसके अंदर एक ओर्गास्म का निर्माण होना शुरू हो गया..
ये शायद उसके लिए एक रिकॉर्ड था...एक ही दिन में वो शायद पाँचवी बार झड़ने की तैयारी कर रही थी...और जब वो चुदाई करवानी शुरू कर देगी तो इस आँकड़े को भी पार कर लेगी एक ना एक दिन...
ये सोचते हुए उसके होंठ अपने आप गोल होते चले गये...और उसके हाथ की स्पीड भी तेज हो गयी..
समीर ने भी अपनी उंगलियों से उसकी चूत में पिस्टल की तरह चलना शुरू कर दिया...और लगभग एक ही समय पर दोनो बाप बेटी झड़ने लगे...
''आआआआआआआआआहह .... उम्म्म्ममममममममममममममम ......आई एम कमिंग पापा ..........''
पापा भी चिल्लाए : "मैं भी ................''
और समीर का सारा माल उसके दाँये मुम्मे पर पूरा बिखर गया....
दोनो गहरी साँसे लेने लगे ..
चुदाई ही रह गयी थी उनके बीच करनी अब...बाकी सब तो हो ही चुका था उनके बीच...
समीर : "चलो बेबी, अब तुम नहा कर कपड़े पहन लो....मैं नीचे जाकर देखता हू तुम्हारी माँ को ....''
उसका शायद अभी मन नहीं भरा था, रश्मि की चूत मारकर ही वो शांत होगा आज तो
काव्या ने मुस्कुरा कर हाँ में सिर हिलाया...और समीर टावल से हाथ पोंछता हुआ नीचे चल दिया..
और काव्या अपने शरीर पर मलाई लपेटे बाथरूम की तरफ..
पर वो शायद नही जानती थी की अगले एक घंटे मे क्या होने वाला है... समीर सीधा नीचे वाले बेडरूम में गया जहाँ रश्मि सो रही थी... उसने सोने से पहले एक महीन सा गाउन पहन लिया था और अंदर उसने कुछ भी नही पहना हुआ था, क्योंकि सोते हुए वो हमेशा ही फ्री होकर सोती थी..
समीर उसके पीछे जाकर लेट गया, और उसकी पीछे की तरफ निकल रही मोटी गांड पर अपना लंड लगाकर उसके जिस्म से चिपक गया..स्पून स्टाइल में ..
और अपना हाथ उसकी कमर पर रख दिया, जहाँ से उसका कटाव शुरू होता था.
रश्मि गहरी नींद में थी,पर शायद उसे समीर के पीछे आने का एहसास हो चुका था, इसलिए उसकी गहरी साँसे थोड़ी देर के लिए रुक गयी थी.
समीर का लंड उसकी गुदाज गाण्ड की गर्मी पाकर हरा भरा होने लगा..अभी कुछ देर पहले ही उसकी बेटी ने मलाई निकाली थी और अब वो उसकी माँ के पास आ पहुँचा था..
आने से पहले उसका ऐसा वैसा कोई इरादा नही था, क्योंकि एक बार झड़ने के बाद जो फीलिंग आती है की अब तो शायद कल या परसो ही करूँगा, वो आने लगी थी समीर को..पर रश्मि थी ही इतनी सेक्सी की उसके पास जाते ही वो भूल गया की वो अभी-2 झड़ कर आया है..
उसके हाथ हरकत में आ गये..और उसने धीरे-2 अपने हाथ उपर करके उसके मुम्मों तक ले गया..बड़े-2 मुम्मे हाथ में आते ही उसने उनपर होले से हाथ फेरा..और फिर उनके मैन पॉइंट यानी निप्पल पर लेजाकर वहाँ घिसाई करने लगा, वो निप्पल बिल्कुल अंदर धंसा हुआ था..यानी वो भी सो रहा था.....पर कुछ ही देर की घिसाई में जिन्न की तरह उसके मुम्मों के चिराग से उसका निप्पल निकल कर बाहर आ गया....
और तभी बेडरूम का दरवाजा खुला और काव्या अंदर आ गयी...उसने नहाने के बाद एक निक्कर और टी शर्ट पहन ली थी..और बाल अभी तक गीले थे..समीर ने उसकी तरफ देखा, वो हँसती हुई उसके पास आई और धीरे से बोली : "मैं आपको डिस्टर्ब तो नही कर रही ना पापा .......''
समीर उसके शरारत भरे चेहरे को देखकर समझ गया की वो पंगे लेने के लिए जानबूझकर उनके बेडरूम में आई है.. शायद वो जान चुकी थी समीर नीचे आकर उसकी माँ के साथ क्या करेगा..
और बात सही भी थी... नहाते हुए काव्या को अचानक वो सीन याद आ गया जब उसने और श्वेता ने छुपकर समीर और अपनी माँ की चुदाई देखी थी...और तब में और अब में उसके और समीर के बीच काफ़ी नज़दीकियाँ आ चुकी है, वो काम जो उसने उस दिन छुपकर किया था, उसे आज वो खुलकर करना चाहती थी...
समीर तो मना नही करेगा, बस माँ की फ़िक्र थी उसको...पर ट्राइ करने में क्या हर्ज है.. इसलिए वो जल्दी-2 नहाई और कपड़े पहन कर नीचे भाग आई...अंदर के कपड़े तो उसने पहने ही नही थे..
समीर ने उसे चुपचाप अपने पीछे लेटने के लिए कहा.. और काव्या ने ऐसा ही किया..वो समीर के पीछे लेट गयी और अपना शरीर चादर में छुपा लिया..कमरे में काफ़ी अंधेरा था... काव्या अंदर आते हुए बेडरूम का दरवाजा बंद करके आई थी..
और रश्मि को जैसे ही अपने शरीर पर रेंग रहे हाथों का एहसास हुआ, उसकी नींद टूट गयी..औरत चाहे जितनी भी गहरी नींद में हो, उसके शरीर के साथ जब खिलवाड़ होता है तो उसकी नींद खुल ही जाती है..रश्मि भी उठ गयी.. और उसे अपने पीछे चिपके हुए समीर का एहसास होता है...
''उम्म्म्ममममममममममम...... सोने दो ना समीर.......आज बहुत थक गयी हूँ ...''
समीर ने मन मे सोचा 'थकोगी कैसे नही....सुबह से स्वीमिंग पूल में नहा के... और बाद मे लोकेश से चुद के यही हाल होगा ना...'
और काव्या ने सोचा 'एक ही दिन मे 2-3 बार चुदाई कारवाओगी तो ऐसे ही टूट कर नींद आएगी ना माँ ..'
पर उनके मन की बात भला रश्मि तक कैसे पहुँचती... वो तो अपनी गांड मटकाती हुई समीर के खड़े हुए लंड को पीछे धकेलने का प्रयास कर रही थी..
पर अंदर ही अंदर उसकी चूत की परतों में फिर से वही कंपन महसूस होने लगा, जिसने सुबह से 2-3 बार उसकी चुदाई करवा दी थी..
और वो ये भी नही जानती थी की उसकी बेटी भी उन्हीके बिस्तर में दुबक कर वो सब सुन रही है ..
समीर ने भी थोड़ा और मज़े लेने की सोची... एक तीर से दो शिकार करना चाहता था वो आज...इसलिए वो शुरू हो गया.
समीर : "डार्लिंग....सुबह से बड़ा मन कर रहा है...''
अपना लंड फिर से उसकी गांड की दरार में फँसा कर वो बोला
रश्मि : "उम्म्म्मम......क्या करने का....''
समीर ने उसके कान को मुँह में लेकर ज़ोर से चूस लिया और फुसफुसाया : "तेरी चूत मारने का...''
अब रश्मि भी मस्ताने लगी थी... वो सिसक उठी समीर के गीले होंठों को महसूस करके और बोली : "कैसे मारोगे....''
अपने माँ बाप को ऐसी गंदी बातें करते देखकर काव्या के दिल की धड़कन तेज हो उठी... उसने तो सोचा भी नही था की ये दोनो ऐसी बातें करते होंगे चुदाई से पहले... और वैसे भी उसने आज तक यही सोचा था की शादीशुदा लोग सीधा अपने काम पर लग जाते होंगे... एक दूसरे को नंगा किया, चूमा चाटी करी, चूसा और चुस्वाया और सीधा चूत में लंड पेल दिया.. उन लोगो को ऐसी उत्तेजना से भरी बातें करने से भला क्या मिलेगा..