Incest सौतेला बाप(completed)

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Update 84

वो एकदम से खड़ा हुआ था...और काव्या का हाथ जब वहाँ टकराया तो हटा ही नही पाई उसको...पता नही क्या कशिश थी समीर के लंड में ...वो बंद आँखे किए हुए उसके लंड को दबाने लग गयी..और वो उसके बूब्स को
पर अचानक उसने उसे छोड़ दिया, क्योंकि अपनी चुदाई का समान वो खुद इकट्ठा करना नही चाहती थी आज के दिन...
समीर भी हंस दिया, वो जानता था की उसका 50/50 मन कर रहा है चुदाई का...
खैर, उसने तेल को उसके शरीर पर लगाना शुरू कर दिया...ख़ासकर उसके मुम्मों पर, उन्हे तेल भरे हाथों से मसलने पर अलग ही मज़ा मिल रहा था...आज वो जी भरकर उन्हे दबा पा रहा था...उनसे खेल रहा था..
और फिर धीरे-2 उसके हाथ रेंगते हुए नीचे की तरफ जाने लगे..
काव्या के पैर चौड़े हो गये, अपने आप ही , जैसे समीर का हाथ नही,बल्कि वो खुद उसके उपर लेटकर उसके अंदर घुस रहा हो...
समीर ने अपने हाथ नीचे लाते हुए उसकी जांघे पकड़ी और दोनो हाथों से बड़ी ही मजबूती से उन्हे रगड़ने लगा...
ऐसा मर्दानी मसाज पाकर सच मे उसकी थकान मिटने लगी थी...हर अंग में उसे नयी उर्जा महसूस हो रही थी..
पर जिसमें होनी चाहिए उसमे नही हो रही थी..
उसकी चूत में .
जो सुबह से ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी...उसके अंदर से एक बार फिर से पानी निकलवाना आज की डेट में थोड़ा मुश्किल काम था..
अब देखना ये था की समीर ये काम कर पाता है या नही.
समीर काफ़ी देर तक उसकी पूरी टाँग की मालिश करता रहा...वो उपर तक जाता पर चूत के करीब पहुँचते ही वापिस यू टर्न ले लेता..
काव्या बेचारी साँस रोके उस पल की प्रतीक्षा कर रही थी जब उसके हाथ उसकी चूत को रगडेंगे..
फिर समीर ने दूसरी टाँग पर भी 5 मिनट लगाए...उसे भी अच्छी तरह से मसाज देकर उसके गिल्लट निकाल दिए..
और फिर दोनो टाँगो पर उसने हाथ रखकर उपर की तरफ खिसकाना शुरू किया और एक ही झटके में उसने अपने तेल से सने हुए हाथ उसकी चूत के उभार पर रखकर उसे भींच दिया..
''आआआआआअहह ................... उम्म्म्ममममममममममममममममम ..... ओह पापा ............''
और फिर उसने उस अधखिले गुलाब की पंखड़ियों को फैलाया और अपनी उंगलियाँ अंदर घुसेड डाली...और दूसरे हाथ से तेल की शीशी उठा कर और तेल उड़ेल दिया सीधा उसकी चूत पर..
अंदर तो पहले से इतनी आग जल रही थी, इस तेल ने उसे और भी ज़्यादा भड़का दिया..
वो जल उठी..
''अहह हह ...ओह ... माय गॉड ...............'
और उसके हाथ फिर से एक बार अपने आप ही समीर के लंड पर जा चिपके और उसने उसके लंड को पकड़ कर ज़ोर से उमेठ दिया..
अब चीखने की बारी समीर की थी
''अहह ....... धीरे पकड़ो काव्या......दर्द होता है ....''
काव्या की भी हँसी निकल गयी उसका चेहरा देखकर और मज़ाक भरे स्वर में वो बोली : "अच्छा जी...मर्द को भी दर्द होता है...उम्म्म... ही ही ..''
समीर ने कुछ नही काया और अपनी उंगलियों को और अंदर खिसका कर सीधा उसकी क्लिट की मसाज करने लगा..
''ओह पापा........यू आर सो गुड ........... कहाँ से सिखी ये मसाज करनी आपने .....''
समीर : "ये तो तुम्हे देखकर अपने आप ही आ गयी.............''
काव्या (सिसकारी मारते हुए ) : "लायर..........''
और फिर से एक प्यारी सी हँसी देकर उसने आँखे बंद कर ली...
समीर ने अपनी उंगलियों का जादू उसकी चूत पर चलाना शुरू कर दिया..
एक तो माहौल इतना गर्म हो चुका था की काव्या को पता ही नही चला की कब उसने समीर के लंड को बाहर निकाला और उसे आगे-पीछे करना शुरू कर दिया...और कब उसके अंदर एक ओर्गास्म का निर्माण होना शुरू हो गया..
ये शायद उसके लिए एक रिकॉर्ड था...एक ही दिन में वो शायद पाँचवी बार झड़ने की तैयारी कर रही थी...और जब वो चुदाई करवानी शुरू कर देगी तो इस आँकड़े को भी पार कर लेगी एक ना एक दिन...
ये सोचते हुए उसके होंठ अपने आप गोल होते चले गये...और उसके हाथ की स्पीड भी तेज हो गयी..
समीर ने भी अपनी उंगलियों से उसकी चूत में पिस्टल की तरह चलना शुरू कर दिया...और लगभग एक ही समय पर दोनो बाप बेटी झड़ने लगे...
''आआआआआआआआआहह .... उम्म्म्ममममममममममममममम ......आई एम कमिंग पापा ..........''
पापा भी चिल्लाए : "मैं भी ................''
और समीर का सारा माल उसके दाँये मुम्मे पर पूरा बिखर गया....
दोनो गहरी साँसे लेने लगे ..
चुदाई ही रह गयी थी उनके बीच करनी अब...बाकी सब तो हो ही चुका था उनके बीच...
समीर : "चलो बेबी, अब तुम नहा कर कपड़े पहन लो....मैं नीचे जाकर देखता हू तुम्हारी माँ को ....''
उसका शायद अभी मन नहीं भरा था, रश्मि की चूत मारकर ही वो शांत होगा आज तो
काव्या ने मुस्कुरा कर हाँ में सिर हिलाया...और समीर टावल से हाथ पोंछता हुआ नीचे चल दिया..
और काव्या अपने शरीर पर मलाई लपेटे बाथरूम की तरफ..
पर वो शायद नही जानती थी की अगले एक घंटे मे क्या होने वाला है... समीर सीधा नीचे वाले बेडरूम में गया जहाँ रश्मि सो रही थी... उसने सोने से पहले एक महीन सा गाउन पहन लिया था और अंदर उसने कुछ भी नही पहना हुआ था, क्योंकि सोते हुए वो हमेशा ही फ्री होकर सोती थी..
समीर उसके पीछे जाकर लेट गया, और उसकी पीछे की तरफ निकल रही मोटी गांड पर अपना लंड लगाकर उसके जिस्म से चिपक गया..स्पून स्टाइल में ..
और अपना हाथ उसकी कमर पर रख दिया, जहाँ से उसका कटाव शुरू होता था.
रश्मि गहरी नींद में थी,पर शायद उसे समीर के पीछे आने का एहसास हो चुका था, इसलिए उसकी गहरी साँसे थोड़ी देर के लिए रुक गयी थी.
समीर का लंड उसकी गुदाज गाण्ड की गर्मी पाकर हरा भरा होने लगा..अभी कुछ देर पहले ही उसकी बेटी ने मलाई निकाली थी और अब वो उसकी माँ के पास आ पहुँचा था..
आने से पहले उसका ऐसा वैसा कोई इरादा नही था, क्योंकि एक बार झड़ने के बाद जो फीलिंग आती है की अब तो शायद कल या परसो ही करूँगा, वो आने लगी थी समीर को..पर रश्मि थी ही इतनी सेक्सी की उसके पास जाते ही वो भूल गया की वो अभी-2 झड़ कर आया है..
उसके हाथ हरकत में आ गये..और उसने धीरे-2 अपने हाथ उपर करके उसके मुम्मों तक ले गया..बड़े-2 मुम्मे हाथ में आते ही उसने उनपर होले से हाथ फेरा..और फिर उनके मैन पॉइंट यानी निप्पल पर लेजाकर वहाँ घिसाई करने लगा, वो निप्पल बिल्कुल अंदर धंसा हुआ था..यानी वो भी सो रहा था.....पर कुछ ही देर की घिसाई में जिन्न की तरह उसके मुम्मों के चिराग से उसका निप्पल निकल कर बाहर आ गया....
और तभी बेडरूम का दरवाजा खुला और काव्या अंदर आ गयी...उसने नहाने के बाद एक निक्कर और टी शर्ट पहन ली थी..और बाल अभी तक गीले थे..समीर ने उसकी तरफ देखा, वो हँसती हुई उसके पास आई और धीरे से बोली : "मैं आपको डिस्टर्ब तो नही कर रही ना पापा .......''
समीर उसके शरारत भरे चेहरे को देखकर समझ गया की वो पंगे लेने के लिए जानबूझकर उनके बेडरूम में आई है.. शायद वो जान चुकी थी समीर नीचे आकर उसकी माँ के साथ क्या करेगा..
और बात सही भी थी... नहाते हुए काव्या को अचानक वो सीन याद आ गया जब उसने और श्वेता ने छुपकर समीर और अपनी माँ की चुदाई देखी थी...और तब में और अब में उसके और समीर के बीच काफ़ी नज़दीकियाँ आ चुकी है, वो काम जो उसने उस दिन छुपकर किया था, उसे आज वो खुलकर करना चाहती थी...
समीर तो मना नही करेगा, बस माँ की फ़िक्र थी उसको...पर ट्राइ करने में क्या हर्ज है.. इसलिए वो जल्दी-2 नहाई और कपड़े पहन कर नीचे भाग आई...अंदर के कपड़े तो उसने पहने ही नही थे..
समीर ने उसे चुपचाप अपने पीछे लेटने के लिए कहा.. और काव्या ने ऐसा ही किया..वो समीर के पीछे लेट गयी और अपना शरीर चादर में छुपा लिया..कमरे में काफ़ी अंधेरा था... काव्या अंदर आते हुए बेडरूम का दरवाजा बंद करके आई थी..
और रश्मि को जैसे ही अपने शरीर पर रेंग रहे हाथों का एहसास हुआ, उसकी नींद टूट गयी..औरत चाहे जितनी भी गहरी नींद में हो, उसके शरीर के साथ जब खिलवाड़ होता है तो उसकी नींद खुल ही जाती है..रश्मि भी उठ गयी.. और उसे अपने पीछे चिपके हुए समीर का एहसास होता है...
''उम्म्म्ममममममममममम...... सोने दो ना समीर.......आज बहुत थक गयी हूँ ...''
समीर ने मन मे सोचा 'थकोगी कैसे नही....सुबह से स्वीमिंग पूल में नहा के... और बाद मे लोकेश से चुद के यही हाल होगा ना...'
और काव्या ने सोचा 'एक ही दिन मे 2-3 बार चुदाई कारवाओगी तो ऐसे ही टूट कर नींद आएगी ना माँ ..'
पर उनके मन की बात भला रश्मि तक कैसे पहुँचती... वो तो अपनी गांड मटकाती हुई समीर के खड़े हुए लंड को पीछे धकेलने का प्रयास कर रही थी..
पर अंदर ही अंदर उसकी चूत की परतों में फिर से वही कंपन महसूस होने लगा, जिसने सुबह से 2-3 बार उसकी चुदाई करवा दी थी..
और वो ये भी नही जानती थी की उसकी बेटी भी उन्हीके बिस्तर में दुबक कर वो सब सुन रही है ..
समीर ने भी थोड़ा और मज़े लेने की सोची... एक तीर से दो शिकार करना चाहता था वो आज...इसलिए वो शुरू हो गया.
समीर : "डार्लिंग....सुबह से बड़ा मन कर रहा है...''
अपना लंड फिर से उसकी गांड की दरार में फँसा कर वो बोला
रश्मि : "उम्म्म्मम......क्या करने का....''
समीर ने उसके कान को मुँह में लेकर ज़ोर से चूस लिया और फुसफुसाया : "तेरी चूत मारने का...''
अब रश्मि भी मस्ताने लगी थी... वो सिसक उठी समीर के गीले होंठों को महसूस करके और बोली : "कैसे मारोगे....''
अपने माँ बाप को ऐसी गंदी बातें करते देखकर काव्या के दिल की धड़कन तेज हो उठी... उसने तो सोचा भी नही था की ये दोनो ऐसी बातें करते होंगे चुदाई से पहले... और वैसे भी उसने आज तक यही सोचा था की शादीशुदा लोग सीधा अपने काम पर लग जाते होंगे... एक दूसरे को नंगा किया, चूमा चाटी करी, चूसा और चुस्वाया और सीधा चूत में लंड पेल दिया.. उन लोगो को ऐसी उत्तेजना से भरी बातें करने से भला क्या मिलेगा..
 
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Update 85

पर वो बेचारी अभी जवानी की दहलीज पर पहुँची थी... इसलिए वो नही समझ सकती थी की ये तरीका होता है एक दूसरे को उत्तेजना के उस शिखर पर पहुँचाने का , जहाँ की उँचाई पर पहुँचकर चुदाई करने का मज़ा दुगना हो जाता है..और यही शायद उसकी लाइफ का सबसे बड़ा सबक बन जाएगा आज..
रश्मि को जवाब देने के बदले समीर ने अपना पयज़ामा नीचे खिसका कर अपना लंड रश्मि के हाथ में पकड़ा दिया और बोला : "ये देख.... ये है तेरा पालतू लंड ...इसे डालूँगा तेरी चूत में ...अंदर तक... और चुदाई करूँगा तेरी ....''
रश्मि : "म्*म्म्ममममममममम ........... ये तो बहुत लंबा है........ मुझे दर्द होगा.........''
समीर : "धीरे-2 जाएगा ना अंदर... तब नही होगा..... बड़े आराम से डालूँगा....''
रश्मि : "उम्म्म्मममममम....... आराम से तो मज़ा भी नही आता...... ज़ोर से करोगे, तभी मज़ा मिलेगा...''
समीर : "साली...... मज़े भी लेने है.... लंबे लंड के दर्द से भी बचना है..... एक नंबर की चुद्दक्कड़ है तू....''
रश्मि : "चुद्दक्कड़ नही... रंडी हूँ मैं .....आपकी पर्सनल रंडी.....''
काव्या तो अपनी माँ के मुँह से ऐसी गंदी बातें करते देखकर हैरान होती जा रही थी... पर साथ ही साथ उसे अपनी चूत के अंदर भी चिंगारियाँ जलती महसूस हो रही थी... कमाल की बात थी, वो अभी-2 झड़ कर आई थी, फिर भी ऐसी बातें सुनकर ही उसकी फुददी फिर से भड़क उठी थी....उसे भी शायद ऐसी गंदी बातों का होने वाला असर समझ आ रहा था..
समीर ने रश्मि के गाउन को उपर कर दिया और उसके सिर से घुमा कर बाहर निकाल दिया...अब वो पूरी नंगी थी उसकी बाहों में ...
समीर ने भी अपनी टी शर्ट और पायजामा बड़ी फुर्ती से निकाल फेंका और नंगा हो गया....उसकी पीठ काव्या की तरफ थी, जो अपनी साँसे रोके अपने सौतेले बाप को नंगा होते देख रही थी...एक पल के लिए तो उसे यही लगा की समीर उसके लिए नंगा हो रहा है...और नंगा होते ही उसके भी कपड़े निकाल फेंकेगा और उसकी जबरदस्त चुदाई करेगा...
काव्या ने अपने हाथ आगे किए और समीर की नंगी पीठ से छुआ दिए...समीर सिहर उठा जब काव्या के हाथ रेंगते हुए उसके चूतड़ों तक आए और वो उन्हे बड़े ही प्यार से सहलाने लगी...
समीर ने रश्मि के शरीर को अपनी बगल में दबा रखा था..उसके दोनो हाथों को भी...ताकि वो उसकी पीठ की तरफ ना चले जाएँ, जहाँ उसकी बेटी काव्या चिपक कर मज़े ले रही थी..
ये तो समीर का सपना था , की एक साथ दोनो माँ बेटियों को एक ही पलंग पर नंगा करके चोदे ...
पर आज वो उस मूड में नही था, वो सिर्फ़ काव्या को ये सब दिखाकर उसे पूरी तरह उत्तेजित करना चाहता था, ताकि वो उसकी कलाकारी के जौहर देख कर खुलकर मज़े ले...वैसे भी पहली बार वो उसकी चुदाई आराम से और बिना किसी और की उपस्थिति के करना चाहता था...
समीर ने आगे बढ़कर रश्मि के एक स्तन के उपर अपने दाँत रखे और उन्हे चुभलाने लगा..
''आआआआआआआआआयईयुईीईईईईईई .... ओह मेरे राजा .............. चूस लो इन्हे ............... उम्म्म्मममममम....''
अपनी माँ की सेक्सी आवाज़ सुनकर काव्या को भी कुछ -2 होने लगा....उसने भी अपने होंठ गीले किए और उन्हे समीर की चिकनी पीठ से चिपका दिया और उसे चूम लिया...
अब सिसकने की बारी समीर की थी...गर्म होंठों से जख्म सा बन गया था उसकी पीठ पर...
और अपना निप्पल चुसवाने के बाद तो रश्मि बावली सी हो गयी...उसने समीर के सिर को पकड़ कर फिर से अपने दूध पर लगाया और उसके मुँह के अंदर ठूस दिया...
''ओह.....डार्लिंग ................... कितना तड़पाते हो तुम ................ अब और ना तरसाओ...............डाल दो अपना ये लंबा लंड मेरे अंदर.....''
और रश्मि ने अपने आप को आज़ाद कराया और एक ही झटके मे समीर के उपर सवार हो गयी......और समीर कुछ समझ पता, उससे पहले ही रश्मि ने समीर के लंड को अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पर लगाकर उसे अंदर निगल लिया..
और सीटियाँ मारती हुई वो उसके लंड पर फिसलती चली गयी...
''आआआआआआआआआआआआहह ....... उम्म्म्ममममममममममममममम .........''
एक ही पल में ये सब हुआ, ना तो समीर को और ना ही काव्या को संभलने का मौका मिला...पहले तो काव्या सोच रही थी की जब उनकी चुदाई शुरू होगी तो वो चुपके से खिसक कर बेड से नीचे उतर जाएगी...और अंधेरे में छुपकर उनकी चुदाई को देखेगी...पर अपनी माँ की फुर्ती देखकर वो दंग ही रह गयी...उसे कुछ सोचने समझने का मौका ही नही मिला...उसने झट से अपनी आँखे बंद कर ली और दम साधे सोने का नाटक करने लगी...
और समीर के लंड को अंदर निगलने के बाद जैसे ही रश्मि ने उसके उपर छलांगे लगानी शुरू की, तभी उसकी नज़र समीर की बगल में सो रही काव्या पर पड़ी... और वो चिल्लाई : "ये....ये कौन है....''
अंधेरा काफ़ी थी, पर फिर भी कोई वहाँ लेटा हुआ है इसका एहसास तो मिल ही रहा था रश्मि को....
उसने थोड़ा आगे होकर और घूरकर उस सोते हुए सांये के चेहरे को गौर से देखा और दबी हुई आवाज़ में चिल्लाई : "ये....ये तो काव्या है..... हे भगवान....ये यहाँ कैसे आ गयी....''
समीर और काव्या की सिट्टी पिट्टी गम हो गयी , ऐसे रश्मि के हाथों पकडे जाने पर. रश्मि ने घूर कर समीर की तरफ देखा, भले ही अंधेरा काफ़ी था पर फिर भी वो उसकी आँखो में आ रहे गुस्से को देख पा रहा था, वो शायद डर भी गयी थी की उसकी बेटी उसे ऐसे चुदाई करते देखेगी तो क्या सोचेगी...पर उससे भी ज़्यादा वो अभी ये सोच रही थी की ये काव्या वहाँ आई कैसे...
समीर : "तुम जब अंदर आकर सो गयी तो कुछ ही देर में काव्या ने भी कहा की वो भी सोने जा रही है...इसलिए ये भी यहाँ आकर सो गयी ...''
रश्मि (थोड़ा गुस्से में) : "तो इसका मतलब तुम जानते थे की ये यहाँ पर सो रही है...उसके बावजूद भी तुम शुरू हो गये...कुछ तो शरम करनी चाहिए थी आपको...''
समीर : "देखो...वैसे तो मेरा कोई इरादा नही था ऐसा कुछ करने का..तुम सो रही थी...और बेड के इस तरफ काव्या भी, मैं तो बस तुम्हारे पास कुछ देर के लिए लेटने के लिए आया था, मुझे क्या पता था की तुम एकदम से चुदाई के लिए तैयार हो जाओगी. और तुम तो जानती हो, मुझसे तो कभी भी करवा लो ये सब, और जब मेरा लंड खड़ा होता है तो मेरे आस पास कौन है ये मुझे याद नही रहता... ग़लती तो तुम्हारी है, जो बिना देखे ही तुम मेरे उपर सवार हो गयी नंगी होकर ...''
समीर ने उल्टा रश्मि को ही दोषी करार दे दिया इस सिचुएशन के लिए...
रश्मि के चेहरे पर अनेको भाव आ जा रहे थे...वो समीर की बातें सुनती रही...और उसे कहीं ना कहीं वो सब सही भी लगा, उसने अपना सिर झुका लिया..
पर समीर के लंड के उपर उसका थिरकना बंद नही हुआ....अभी भी वो उसके लंड को अंदर लेकर धीरे-2 आगे-पीछे हो रही थी..
समीर समझ चुका था की उसके उपर चुदासी चढ़ चुकी है, अब वो चाहकर भी रुक नही सकती...भले ही अपनी बेटी को अपने बेडरूम में पाकर थोड़ी देर के लिए वो रुक गयी थी, पर चुदने का ख़याल उसने अपने दिल से नही निकाला था अभी तक..
समीर ने पंगे लेने की सोची, और बोला : "चलो अब उतरो मेरे उपर से...तुम अगर ये समझती हो की काव्या उठ जाएगी और हमे ये सब करते देखेगी तो हमे अब ये सब यहीं रोक देना चाहिए...''
इतना कहकर समीर ने रश्मि की कमर में हाथ रखकर उसे पीछे की तरफ धकेला और रश्मि की चूत के रस से सना हुआ उसका लंड सरसराता हुआ सा बाहर निकल आया...
अपने अंदर एकदम से आए इस ख़ालीपन के अहसास को महसूस करते ही रश्मि तड़प उठी....और सिसकती हुई सी वो समीर की छाती के उपर अपनी ब्रेस्ट रखकर लेट गयी और बोली : "उम्म्म्मममममम ..... अब इतना कुछ हो गया है तो पूरा ही कर लेते है ना.... कोई बात नही, काव्या की फ़िक्र छोड़ो... वैसे भी उसकी नींद काफ़ी पक्की है... इसके सामने तो ढोल-नगाड़े भी बजा दो तब भी नही उठती ये, और आज तो वो सुबह से घूम-फिरकर काफ़ी तक भी गयी है... अब ये कल सुबह ही उठेगी...''
इतना कहते-2 रश्मि ने उसके घीस जैसे लंड को वापिस अपनी चूत के मुँह पर रखा और नीचे की तरफ खिसक कर उसे अंदर ग्रहण कर लिया...
समीर को और कुछ कहने का मौका ही नही मिला...बस वो भी रश्मि के साथ सिसक कर रह गया....
और उन दोनो के बीच जो चल रहा था उसे सुनकर और महसूस करके काव्या का क्या हाल हो रहा था उसकी तो कल्पना भी नही कर सकते थे वो दोनो...काव्या की चूत ने गाड़े रस की धार लगातार बहकर बाहर निकल रही थी...और बिस्तर को तर कर रही थी...
समीर तो ये बात अच्छी तरह से जानता था की सोने का नाटक कर रही काव्या असल में जाग रही है...और उनकी सेक्सी बातें सुनकर मस्त भी हो रही होगी...उसने थोड़ी और मस्ती देने की सोची उसे..
समीर (रश्मि से) : "पर ऐसे तुम कैसे कर सकती हो, तुम उसी बिस्तर पर चुदाई करवा रही हो जहाँ तुम्हारी बेटी भी सो रही है ...''
रश्मि : "मैने बोला ना, इसकी नींद नही खुलेगी ऐसे.... और वैसे भी मुझसे अब रहा नही जा रहा बिना काम पूरा करवाए.... अब जो होगा देखा जाएगा...''
और वो फिर से उसके लंड के उपर आगे-पीछे होने लगी...
समीर : "इसका मतलब इस वक़्त अगर काव्या की नींद खुल भी जाए और वो हमे ऐसे नंगे होकर चुदाई करते हुए देख ले तो तुम्हे कोई फ़र्क नही पड़ेगा...''
रश्मि तो चुदाई के पुर मूड में आ चुकी थी...वो बोली : "नही पड़ेगा.... अब तुम ये सब बातें बंद करो और मुझे चोदो ज़ोर से.... आआआआहह''
पर समीर भी बड़ा कंज़र था...वो रुका नही, उसने बेड के साइड में लगे बटन से कमरे में ज़ीरो वॉट का बल्ब जला दिया..पुरे कमरे में उजाला फ़ैल गया
रश्मि : "अब ये किसलिए ....''
समीर : "ताकि तुम्हारे सेक्सी बदन को देख सकूं ....''
उसने अपने हाथ उपर करके रश्मि के मुम्मे ज़ोर से दबा दिए...रश्मि अपना सिर उपर करके चीख पड़ी : "आआआआआहह .... धीरे दबाओ बाबा ............ ये तुम्हारे लिए ही है.....''
और उन्हे दबाते हुए समीर की नज़रें अपनी बगल में लेटी काव्या की तरफ गयी जो सोते हुए गहरी साँसे ले रही थी...और साँसे लेते हुए उसका सीना उपर नीचे हो रहा था...और सिर्फ़ टी शर्ट पहनने की वजह से उसकी छाती पर उसके नन्हे-2 निप्पल सॉफ चमक रहे थे..
समीर का मन तो का रहा था की अपना दूसरा हाथ आगे करे और उसमे काव्या की ब्रेस्ट को दबोच ले...यानी एक हाथ मे माँ की और दूसरे में बेटी की चुचियाँ...
 
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Update 86

पर अभी के लिए तो वो सिर्फ़ उसे देख ही सकता था.. दबा तो वो रहा ही था रश्मि की...
रश्मि ने उसके हाथ को पकड़ कर अपने मुँह की तरफ कर लिया और उसकी लंबी-2 उंगलियाँ चूसने लगी..
''ओह समीर..... कितना लंबा लंड है तुम्हारा...... उम्म्म्ममममम ..... अंदर तक महसूस हो रहा है मुझे..... ऐसा लग रहा है की मेरी नाभि तक घुसा है ये.....''
अपनी नाभि वाले हिस्से पर उसने समीर के दूसरे हाथ को रख दिया और ज़ोर से दबा दिया....और एक पल के लिए तो समीर को भी यही लगा की उसके लंड की हलचल उसने महसूस की नाभि वाली जगह के आस पास...
और फिर उसी हाथ को थोड़ा और नीचे करके उसने अपने अंगूठे से रश्मि की चूत के होंठ फेलाए और उसे अंदर घुसा कर वहाँ मसाज करने लगा..
''उम्म्म्ममममममममम ..... क्यो तडपा रहे हो मुझे ....... हम्म्म्म्म्म ......''
रश्मि की हालत देखने वाली थी इस वक़्त....और वो बुरी तरह से अपनी चुदाई में डूब चुकी थी...ये भी नही देखा उसने की उसकी बेटी काव्या कनखियो से,अपनी अधखुली आँखो से उसके चेहरे के हर इंप्रेशन देख रही है... उसने देखा की रश्मि अपना मुँह उपर करे हुए समीर द्वारा मिल रही चूत मसाज का मज़ा ले रही है...उसकी आँखे बुरी तरह से बंद थी...एक तो उसके लंबे लंड को अंदर लेकर और उपर से उसके अंगूठे से अपनी चूत के दरवाजे की रगड़ाई करवाकर...
और इसी बात का फायदा उठाकर समीर का दूसरा हाथ लहराकर काव्या की तरफ चल दिया और उसने अपने मन की इक्चा पूरी करते हुए उसके मुम्मे को दबोच लिया और ज़ोर से दबा भी दिया...
काव्या तो तड़प कर रह गयी... इतनी देर से अपनी माँ को ऐसे मज़े लेते देखकर उसका भी मन कर रहा था की उसका बाप उसके शरीर को भी ऐसे ही तोड़ मरोड़ डाले..मसल डाले उसे... और अपनी छाती को समीर के हाथो मसलता पाकर वो मचल उठी...पर अपनी माँ की वजह से वो उस सिसकारी को दबा गयी जो इस वक़्त उसके मुँह से निकलनी चाहिए थी...
समीर को तो ऐसा लगा की उसकी हथेली में छेद हो जाएगा काव्या के निप्पल से...इतना पेना हो चुका था वो इस वक़्त...बुरी तरह से अकड़ कर चुभ सा रहा था वो उसे...और उसकी ब्रेस्ट तो पत्थर की हो चुकी थी...अभी कुछ देर पहले भी वो इतनी कड़क नही थी जितनी अब हो रही थी...पर उसकी पारखी और दमदार उंगलियों ने उन पत्थरों को भी पिघला दिया और अपनी ताक़त से उन्हे भी भींच कर उसके शरीर मे जल रही आग और भी भड़का दी...
उधर रश्मि अपनी ही मस्ती मे समीर के लंड पर उछल रही थी...और इधर उसकी बेटी फ्री के मज़े ले रही थी..
काव्या ने समीर के हाथ को ज़बरदस्ती पकड़कर अपनी चूत की तरफ मोड़ा और वहाँ लेजाकर ज़ोर से अपनी चूत उसके हाथ पर दे मारी...और ऐसा करते हुए उसकी कमर हवा में 4 इंच उपर उठ गयी, मानो वो अपनी चूत को उसके हाथ के अंदर झोंक देना चाहती हो...और चूत भी कैसी...अपने ही रस में डूबी हुई...सनी हुई....गीली सी..
समीर की पूरी हथेली गीली हो गयी....
और तभी रश्मि ने आँखे खोल दी...समीर ने झट से अपना हाथ वापिस खींच लिया और काव्या भी अपनी सोने वाली मुद्रा में आ गयी...
रश्मि : "आआआआअहह ........... समीर.......आज तो मन कर रहा है की ऐसे ही बैठी रहूँ .....बट मैं अब कभी भी झड़ सकती हू..... आई एम लविंग इट....''
समीर : "रूको ....अभी मत झड़ना तुम ......''
और इतना कहकर उसने एक पलटी मारकर रश्मि को नीचे गिरा दिया, काव्या की बगल में, और खुद उपर की तरफ आ गया...
अब समीर उसकी जांघों के बीच बैठा था....उसने अपना वो हाथ जिसपर काव्या की चूत का रस लगा हुआ था, सीधा लेजाकर रश्मि की चूत के उपर लगाया और ज़ोर से मसल दिया...और ऐसा करते हुए वो सारा शहद जो उसने काव्या की चूत के छत्ते से इकट्ठा किया था, उसे रश्मि की चूत से निकल रहे रस के साथ मिला दिया...और फिर उस रसीली हथेली को चाट लिया...
''उम्म्म्ममममममममम ........कितना मीठा है ये....''
वो एक तीर से दो निशाने लगा रहा था....अपनी बेटी और पत्नी को एक ही डायलॉग से खुश करके ..
दोनो यही समझ रही थी की उसके प्रॉडक्ट की तारीफ हो रही है..
काव्या तो बेबस थी पर रश्मि नही, उसने अपनी चूत के रस की तारीफ सुनी और समीर के सिर को पकड़ कर अपनी टाँगो के बीच खींच लिया...और चिल्लाई : "उम्म्म्मम...... तो और चाटो इसको....और पूरे मज़े लो....''
समीर को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...उसने अपना मुँह खोला और रश्मि की चूत के उपर अपने होंठ लगाकर जोरों से सकक्क करने लगा...
सपड़ -2 की आवाज़ सुनकर काव्या की चूत में भी चींटियाँ रेंगने लगी...उसने फिर से अपनी आँखे खोली और अपनी माँ को आँखे बंद करके तकिया पकड़कर मज़े लेते देखा...और समीर तो दिख ही नही रहा था उसे, वो लगा हुआ था अपनी बीबी की गुफा की सफाई करने में ..
और काव्या का हाथ फिर से अपनी चूत की तरफ रेंग गया...और पायजामे के उपर से ही उसने उसे मसलना शुरू कर दिया...मन तो उसका भी कर रहा था की ज़ोर से सिसके...चीखे मारे...पर आज उसका दिन नहीं था...वो तो चोरी के मज़े ले रही थी...और ऐसे मे चीखे मारना बिल्कुल मना होता है, वरना चोरी पकड़ी जाती है..
कुछ देर की चुसाई के बाद समीर उपर उठा और अपने लंड को लेकर थोड़ा आगे खिसक आया...और फिर रश्मि की आँखो मे देखते हुए उसने अपना लंड एक बार फिर से उसकी गहरी और गर्म चूत में पेल दिया..
''आआआआआआआआअहह समीईईर्...... हर बार ऐसा लगता है की पहली बार जा रहा है.... कितना मोटा है तुम्हारा...... उम्म्म्मममममम....''
समीर भी मुस्कुरा दिया, अपने पार्ट्नर से ऐसी कॉमेंट्स सुनकर मर्द का सीना और चोडा जो हो जाता है..
और धीरे-2 समीर ने अपने धक्कों की स्पीड बड़ा दी...और कुछ ही देर मे उसकी रेलगाड़ी ने स्पीड पकड़ ली और वो पूरी रफ़्तार से रश्मि की चुदाई करने लगा...
हर झटके से रश्मि के मुम्मे उपर तक उछलते और उसकी ठोडी से टकराते...और साथ ही पूरा पलंग भी ऐसे झटकों से हिल रहा था..
और पलंग के हिलने की वजह से रश्मि की बगल में सो रह काव्या का शरीर भी उपर नीचे हिचकोले खा रहा था..और जो झटके समीर रश्मि को मार रहा था वही झटके काव्या को भी लग रहे थे और उसके मुम्मे भी उपर नीचे हो रहे थे, भले ही वो टी शर्ट में थे, पर उसके और उसकी माँ के मुम्मे एक ही लय में उपर नीचे हो रहे थे...और ये सीन बड़ा ही सेक्सी लग रहा था समीर को..
समीर चोद तो रश्मि को रहा था पर उसकी नज़र काव्या के मुम्मों पर थी...और वो ये तो जानता ही था की वो जाग रही है,बस आँखे बंद किए वो झटके ले रही है...एक तरह से ऐसा लग रहा था की वो भी अपनी माँ की बगल में लेट कर चुद रही है... एक ना दिखाई दे रहे इंसान से..और उसके चेहरे के एक्सप्रेशन भी वो सॉफ देख पा रहा था... जिस तरह से अपनी आँखे मूंदे रश्मि अपनी चुदाई के मज़े ले रही थी ठीक वैसे ही काव्या भी अपनी आँखे बंद किए उन झटकों से मिल रहे आनंद को अंदर तक महसूस कर रही थी.
अचानक काव्या ने फिर से आँखे खोली और इस बार समीर और काव्या की आँखे चार हो गयी...दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए..और काव्या ने अपने होंठों को गोल करके एक किस्स उछाल दी समीर की तरफ, जिसे उसने अपना हाथ आगे करके कॅच किया और अपने होंठों पर चिपका लिया..
और इन सबसे बेख़बर रश्मि एक बार फिर से झड़ने के करीब पहुँच गयी..
और वो चिल्लाने लगी
''अहह समीर....उफफफफ्फ़..उम्म्म्म अहह अहह ऊगगगगगगग और ज़ोर से ....और तेज ... और अंदर ....ह उम्म्म्मम ....''
समीर समझ गया को वो अब किसी भी वक़्त झड़ सकती है...इसलिए उसने अपना लंड एक बार फिर से बाहर खींच लिया..
रश्मि ने चोंक कर अपनी आँखे खोल ली और चिल्लाई : "अभी क्यो निकाल लिया......मेरा बस होने ही वाला था....''
पर समीर के दिमाग़ मे एक और शरारत जन्म ले चुकी थी... उसने रश्मि की कमर पकड़ कर उसे घुमा दिया...रश्मि भी समझ गयी की समीर उसकी डोगी स्टाइल में मारना चाहता है...वैसे तो ये पोज़ उसका भी फेवरेट था, इसलिए वो भी बिना आना कानी के पलटी और अपनी गांड उपर की तरफ उभार कर लेट गयी...और बोली : "जल्दी डालो ना.... अब सहन नही होता मुझसे......''
समीर ने अपना लंड ठीक निशाने पर लगाया और उसकी चौड़ी गांड के स्टेयरिंग को पकड़ कर अपना ट्रक उसके फिसलन भरे हाइवे में पहुँचा दिया..
और फिर एक्सीलेटर देकर अपनी स्पीड एक बार फिर से बड़ा दी...
एक बार फिर से उसके झटकों से पलंग और उन दोनो के शरीर हिचकोले खाने लगे..
और अब वक़्त था समीर के दिमाग़ में आई खुराफात का..
उसने एक-2 झटके ऐसे मारे की रश्मि का सिर आगे की तरफ खिसक आया और वो पलंग की बेक से आ टकराया..
रश्मि ने चुदाई करवाते हुए गुज़ारिश की : "रूको समीर, मुझे सिर के उपर ये पलंग का हिस्सा लग रहा है, मुझे थोड़ा पीछे होने दो बस...''
और समीर ने उसे पीछे होने की जगह तो दी नही बल्कि धक्के मारकर उसका स्टेयरिंग काव्या की तरफ घुमा दिया...और अब रश्मि का चेहरा उसकी बेटी की तरफ घूम गया..और फिर एक-2 और झटके मारकर उसने रश्मि को अपनी ही बेटी के चेहरे के बिल्कुल करीब पहुँचा दिया..
अपनी चूत में लंड ले रही रश्मि के लिए ये पहला मौका था की जब वो किसी की उपस्थिति में चुदाई करवा रही थी...और वो भी अपनी जवान हो चुकी बेटी के सामने...
रश्मि का चेहरा हर झटके से खिसक कर काव्या के चेहरे के और नज़दीक जा रहा था, और ये काम समीर जान बूझकर ही कर रहा था...
रश्मि अब बार-2 शिकायत करके समीर की तंद्रा नही तोड़ना चाहती थी...उसे भी पता था की ऐसे चुदाई मे बार-2 टोकने से मर्द को कितना गुस्सा चड़ता है..इसलिए वो चुप रही...और एक वक़्त ऐसा आया जब उसके मुँह से निकल रही गर्म साँसे सीधा उसकी बेटी काव्या के चेहरे से टकराने लगी..
रश्मि तो सोच रही थी की उसकी बेटी गहरी नींद में सो रही है...और ऐसे में उसे महसूस हो रहे झटकों से वो उठने वाली तो है नही, और वैसे भी अब उनका खेल 5 मिनट का ही रह गया था...अपनी चूत के अंदर से मिल रही तरंगो से ये एहसास हो चुका था उसे,वो अब 1-2 मिनट में ही झड़ने वाली थी ..और समीर की स्पीड भी बता रही थी की वो भी अब कभी भी झड़ सकता है..
रश्मि का चेहरा काव्या के उपर था और रश्मि के सामने उसकी बेटी के लरज रहे होंठ थे...जिन्हे अभी कुछ देर पहले ही काव्या ने अपनी जीभ से गीला किया था...आज रश्मि ने इतने गोर से और इतने करीब से उन्हे पहली बार देखा था..वो बड़े ही टेंप्टिंग से लग रहे थे...उन्हे देखकर वो मंत्रमुग्ध सी हो गयी...उन दोनो के होंठ में सिर्फ़ 2 इंच का फासला था..और तभी समीर के और और झटके ने उस 2 इंच के फ़ासले को भी ख़त्म कर दिया और रश्मि के खुले हुए होंठ अपनी बेटी के रस भरे होंठों से जा चिपके..
रश्मि ने पीछे होना चाहा पर समीर ने थोड़ा और आगे होकर उसके सिर को और दबा दिया, बेचारी अपना सिर ना तो पीछे कर पाई और ना ही उपर...उसे लग रहा था की समीर को शायद पता नही है की उसके और काव्या के होंठ मिल चुके हैं, वो अपनी ही मस्ती में उसकी चूत मारता हुआ उसके बालों को घोड़ी की लगाम समझ कर उसकी चूत मार रहा है..पर उसे क्या पता था की ये तो समीर की चाल थी, उसने जान बूझकर उसे ऐसी पोज़िशन में पहुँचाया और धीरे-2 ख्सिका कर उसे काव्या के होंठो तक भी...
अब वैसे भी सिर्फ़ एक मिनट का खेल रह गया था...इसलिए रश्मि ने भी पीछे की तरफ वापिस जाने का दबाव बनाना छोड़ दिया..और वैसे भी काव्या के होंठों पर रगड़ खा रहे उसके होंठ उसे एक अलग ही एहसास दे रहे थे...और ना जाने क्या कशिश थी काव्या के रसीले होंठों मे, रश्मि ने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए...पहले तो धीरे-2 और फिर अपने हाथ से उसके चेहरे को पकड़ कर ज़ोर -2 से स्मूच..
ऐसा लग रहा था की जैसे बरसों से बिछड़े दो प्रेमी आपस में स्मूच कर रहे हैं... और काव्या का तो शॉक के मारे बुरा हाल था...जब उसे पहली बार अपनी माँ की गर्म साँसे अपने चेहरे पर महसूस हुई तो उसके सारे शरीर के रोंगटे खड़े हो गये...और फिर धीरे-2 जब उनके होंठ उससे टकराए और फिर उन्होने उसे चूसना शुरू किया तो वो पागल सी हो गयी...अपनी माँ के हिसाब से तो उसकी नींद इतनी पक्की थी की ऐसा सब करने के बाद भी वो उठने वाली नही थी...पर वो उठी तो पहले से हुई थी और अब अपने उपर ऐसे हमले होते देखकर पहले से ज़्यादा बहने लगी थी उसकी चूत ....
 
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Update 87

रश्मि ने आवेश में आकर उसके स्तनों पर अपना हाथ रख दिया और उन्हे भी दबाने लगी...अब तो काव्या से रहा नही गया और उसने अपने हाथ उपर करते हुए अपनी माँ के सिर को दबोचा और अपनी तरफ करते हुए उन्हे ज़ोर-2 से किस्स और स्मूच करने लगी..
और उसके हरकत में आते ही रश्मि की गांड फट कर हाथ में आ गयी... क्योंकि वो जिस हालत में थी उसे देखकर काव्या उसके बारे मे क्या सोचेगी यही उसके जहन में एकदम से आ गया..
पर काव्या भी बड़ी चालाक निकली, उसने सोते हुए होने का दिखावा करते हुए धीरे से कहा : "ओह विक्की ...... मुआआअह ...... आई लव यु ...... करो ना ....ऐसे ही ... क़िस्स्स मी ....''
और उसे ऐसे बोलता देखकर रश्मि की जान मे जान आई और वो बुदबुदाई : "शुक्र है....नींद मे है अभी तक....बेचारी सोच रही है की विक्की उसके साथ ये सब कर रहा है....ही ही .......''
और फिर उसने अपने होंठों को एक बार फिर से काव्या के हवाले कर दिया और वो अब दुगने जोश के साथ अपनी माँ को स्मूच करने लगी..
काव्या ने आज से पहले अपनी सहेली श्वेता के साथ कई बार स्मूच किया था पर आज जो मज़ा और नरमपन उसे महसूस हो रहा था वो अलग ही था....एक अलग ही रस निकल रहा था रश्मि के होंठों से...और रश्मि भी अपनी जवान बेटी के नर्म होंठ चूसते हुए यही सोच रही थी की इन जवान लड़कियों के होंठों में ये अलग ही तरह की मिठास आती कहाँ से है...
और उन दोनो को ऐसे एक दूसरे के होंठ चूसता देखकर समीर को अपना मिशन पूरा होता दिखाई दिया और उसके लंड का पारा उपर तक चढ़ गया और आख़िरी के 2-4 झटके ज़ोर से लगाता हुआ वो चिल्ला-चिल्लाकर झड़ने लगा..
''अहह ...... ओह रश्मि ........... ओह ...... मज़ा आ गया............ आआआआहह ......''
और अपनी चूत की सुरंग में गर्म पानी का बहाव महसूस करते हुए और रश्मि भी भरभराकर झड़ने लगी...और झड़ते हुए उसने इतनी ज़ोर-2 से काव्या के होंठ चूसे की उसे भी दर्द होने लगा...पर बेचारी काव्या कोई शिकायत भी नही कर सकती थी...वो तो गहरी नींद में सो रही थी ना...
पर एक करिश्मा हुआ काव्या के साथ भी...आज पहली बार वो भी बिना अपनी चूत पर हाथ लगे बिना झड़ चुकी थी...जिस वक़्त उसका सोतेला बाप चीख रहा था और अपना माल उसकी माँ की चूत में उडेल रहा था उसी वक़्त उसे ये एहसास हुआ की जैसे वो रश्मि की चूत में नही बल्कि उसकी चूत में झड़ रहा है... और यही एहसास बहुत था उसके रुके हुए बाँध को निकालने के लिए...ऐसा आज से पहले कभी नही हुआ था, वो हमेशा किसी के हाथों या मुँह से या फिर खुद मास्टरबेट करके झड़ी थी...आज तो बिना हाथ लगाए ही वो झड़ गयी थी...
शायद जो एरॉटिक सीन इतनी देर से उसकी बंद आँखो के सामने चल रहा था उसका ही असर था ये..
और धीरे-2 घोड़ी बनी रश्मि का शरीर उसके उपर से हट गया और वो उसकी बगल मे लेटकर गहरी साँसे लेने लगी...
समीर भी उसके दूसरी तरफ गहरी साँसे लेता हुआ आ गिरा और उसके चेहरे को अपनी तरफ करके उसके नंगे जिस्म से लिपट गया...
आज जो एहसास इन तीनो ने महसूस किया था वो आगे चलकर क्या रंग लेगा, ये उनमे से किसी ने भी नही सोचा था..
कुछ ही देर में काव्या को वहीं सोता छोड़कर रश्मि और समीर एक साथ नहाने के लिए बाथरूम में चले गये..एक बार और चुदाई की हिम्मत तो अब उन दोनो में ही नही थी...पर फिर भी एक दूसरे के नंगे जिस्मों पर साबुन लगाते हुए जो चूमा चाटी उन लोगो ने की थी,वो भी किसी चुदाई से कम नही थी..
नहाने के बाद रश्मि ने सिर्फ़ एक गाउन ही पहन लिया और किचन में जाकर वहाँ का काम देखने लगी..समीर भी अपनी सोफे पर व्हिस्की का ग्लास लेकर बैठ गया और क्रिकेट मैच देखते हुए दारू पीने लगा..
काव्या से भी ज़्यादा देर तक वहाँ लेटा नही गया...उसकी चूत बुरी तरह से भीगी पड़ी थी...वो भी उठकर बाथरूम में गयी और नहाकर ही बाहर निकली, और एक केप्री और टी शर्ट पहन कर वो समीर के पास जाकर बैठ गयी.
समीर ने उसे अपने से चिपका कर बिठा लिया और वो भी थोड़ा झुककर उसके कंधे पर सर रखकर टीवी देखने लगी.
समीर : "आज का दिन तो शायद तुम कभी नही भूलोगी...इतना एडवेंचर पहले कभी फील किया है क्या तुमने..?''
जवाब में काव्या मुस्कुरा दी और उसने अपना मुँह उपर करते हुए समीर के होंठों को चूम लिया और धीरे से बोली : "सच में पापा, ये दिन मुझे हमेशा याद रहेगा...आज जो मैने देखा है और फील किया है ऐसा कभी नही किया...बस एक ही चीज़ की कमी रह गयी वरना सब कुछ हो चुका है मेरे साथ...''
समीर समझ गया की वो एक चीज़ उसकी चुदाई है.. वो भी अपनी ''भोली'' सी बेटी की बात सुनकर मुस्कुरा दिया और उसने भी अपना मुँह नीचे करके उसके होंठों को होले से चूम लिया...
तभी उन्हे रश्मि के कदमों की आहट उनकी तरफ आती सुनाई दी... समीर ने झट से अपना सिर सीधा कर लिया और ग्लास उठाकर सीप करने लगा..पर उसकी आशा के विपरीत काव्या वैसे ही अधलेटी अवस्था में उसके सीने पर सिर रखकर लेटी रही..समीर कुछ नही कर पाया क्योंकि तब तक रश्मि वहाँ पहुँच चुकी थी... उसके हाथ मे स्नैक्स आइटम थे जो वो समीर के लिए लाई थी... काव्या को ऐसे समीर के पहलू में बैठा देखकर उसे थोड़ा अजीब ज़रूर लगा पर उसने टोकना सही नही समझा...वैसे भी पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से दोनो के रिश्तों में सुधार आया है वो कोई टोका टाकी करके उसे बिगाड़ना नही चाहती थी.
रश्मि भी समीर के दूसरी तरफ आकर बैठ गयी और उससे बातें करने लगी...समीर का एक हाथ रश्मि की जाँघ पर रेंग रहा था और दूसरे से वो काव्या की लचीली कमर को सहला रहा था...उसकी टी शर्ट और केप्री के बीच वाला हिस्सा नंगा था जिसपर समीर के हाथ फिसल रहे थे...
थोड़ी देर बाद ही खाना लग गया और सबने मिलकर खाना खाया..फिर काव्या उठकर अपने रूम में चली गयी...आज उसने श्वेता को भी वो सब बताना था जो उसके साथ हुआ था दिन भर.
फोन लगाकर उसने जब एक-2 करके सारी बातें श्वेता को बतानी शुरू की तो दोनो तरफ की चूतों पर उंगलियाँ थिरकने लगी..वैसे भी काव्या कुछ ज़्यादा ही मसाला लगा-लगाकर हर बात उसे बता रही थी...श्वेता के साथ उस व्क़्त नितिन नही था, वरना वो वहीं के वहीं उसके लंड को अंदर लेकर चुदवा लेती.. पर फिर भी काव्या की रसीली बातों को सुनकर वो जल्द ही झड़ गयी ..... और शायद वो यही सोच रही थी की आज वो काव्या की जगह क्यों नही थी.
उन्हे ये बातें करते-2 एक घंटा हो चुका था, तभी काव्या के रूम का दरवाजा खुला...काव्या ने समझा की शायद समीर उसे गुड नाइट किस्स करने आया है, इसलिए उसने जल्दी से फोन को डिसकनेक्ट करके साइड में रख दिया..पर आने वाला उसके प्यारे पापा नही बल्कि उसकी माँ रश्मि थी..जो शायद ये देखने आई थी की काव्या सही से सो गयी है या नही..
काव्या ने उन्हे देखकर झट से आँख बंद कर ली...और एक बार फिर से सोने का नाटक करने लगी. रश्मि हमेशा से ही काव्या को जल्दी सोने की सलाह देती थी, इसलिए उनके सामने जागते रहकर वो इस समय उनका कोई भाषण नही सुनना चाहती थी.
रश्मि बेड के करीब आई...और इधर-उधर बिखरे पिल्लो को उठाकर सही से लगा दिया...उसकी बुक्स को सही किया...और फिर वो उसकी बगल मे बैठकर उसे निहारने लगी.
काव्या की आँखे बंद थी पर फिर भी उसे महसूस हो रहा था की रश्मि की नज़रें उसके चेहरे पर ही है...वो चुपचाप सोने का नाटक करती रही..
रश्मि भी बैठकर अपनी जवान हो चुकी बेटी की सुंदरता को निहार रही थी..वो कितनी ''पक'' चुकी है उसका अंदाज़ा तो रश्मि ने शाम को ही लगा लिया था..उसके रसीले होंठों की मिठास को महसूस करके..ऐसी मिठास लड़की के अंदर तभी आती है जब वो चुदने के लिए तैयार हो चुकी होती है..रश्मि ये भी नोट कर रही थी की पिछले कुछ महीनो में उसकी बेटी के शरीर मे कितने बदलाव आए हैं,उसके कूल्हे भी भर गये थे और उसकी ब्रेस्ट भी अब पहले से काफ़ी बड़ी और दिलकश हो गयी थी..
शायद अपनी बेटी की उस सुंदरता को नंगा देखने का लालच ही उसे वहां ले आया था, जो उसने आधी अधूरी महसूस की थी शाम को.
वो धीरे-2 उसके सिर पर हाथ रखकर उसे सहलाने लगी..पर आज उसके सहलाने में एक माँ का स्नेह भरा अंदाज नही बल्कि एक कामुकता थी, एक ऐसी लिप्सा जो उसे ऐसा करने का आदेश दे रही थी. रश्मि की उंगलियाँ फिसलकर उसके पूरे चेहरे को महसूस करने लगी..
ऐसा आज से पहले कभी नही किया था रश्मि ने इसलिए काव्या को भी थोड़ा अजीब लग रहा था.शाम की बात और थी, उस वक़्त तो उसकी माँ चुदाई के मूड में थी और इसलिए उसने उसे सोता हुआ समझकर अपने होंठ उसपर रख दिए थे...पर अब क्या प्राब्लम है माँ को जो वो ऐसा बर्ताव कर रही है उसके साथ...
और अचानक रश्मि ने झुककर उसके माथे को चूम लिया...शायद कुछ ज़्यादा ही लाड आ रहा था उसे अपनी बेटी पर आज...और ऐसा करते हुए रश्मि के गाउन के अंदर लटक रही ब्रेस्ट उसके चेहरे पर आकर टिक गयी..एक पल के लिए तो काव्या को लगा की उसकी साँसे रुक सी गयी है, इतनी बड़ी और भारी जो थी उसकी माँ की ब्रेस्ट...और जब रश्मि ने धीरे-2 नीचे खिसकर उसके गालों को चूमा तब जाकर उसकी साँस में साँस आई..पर तभी काव्या को एक और शॉक मिला, उसकी माँ वहीं पर नही रुकी और उसने चूमते-2 अपने होंठ काव्या के होंठो पर रख दिए और उन्हे चूसने लगी.
अब काव्या की समझ में आया की वो वहाँ क्या करने आई थी...शायद उसकी माँ को उसके रसीले होंठो का चस्का लग गया था इसलिए उन्हे एक बार फिर से उन्हें टेस्ट करने के लिए वो उसके कमरे में आई थी.
एक बेटी के लिए ये सब फील करना किसी शॉक से कम नही था.. और दूसरी तरफ रश्मि को भी ये समझ नही आ रहा था की वो ऐसा क्यों कर रही है...समीर के सोने के बाद पता नही किस सम्मोहन में बँधकर वो वहाँ तक चली आई और अपनी बेटी को ऐसे चूमना शुरू कर दिया...और फिर ऐसा करते-2 वो अजीब-2 सी आवाज़ें भी निकालने लगी अपने मुँह से..
''अहह ..... पुच्चहssssssssssssss ....उम्म्म्मममम ...मेरी बेटी .....मेरी जान. ....... अहह ....ओह''
काव्या भी आज देखना चाहती थी की उसकी माँ किस हद तक जा सकती है...इसलिए वो भी ढीठ बनकर सोने का नाटक करती रही.
और जल्द ही काव्या को ये एहसास हो गया की ये जो उसकी माँ उसके साथ कर रही है वो कुछ ज़्यादा ही हो रहा है..क्योंकि रश्मि ने उसकी दोनो ब्रेस्ट को भी पकड़कर मसलना शुरू कर दिया था..
और फिर उसने एक ही झटके मे काव्या की टी शर्ट को उपर खिसका के उसे नंगा कर दिया और उसकी कसी हुई चुचियों को भी उतना ही प्यार करने लगी जितना उसने उसके होंठों पर किया था..उसकी बड़ी हो चुकी चूचियों की सुंदरता देखकर वो दंग रह गयी, वो ठीक वैसी ही थी जैसी उसकी खुद की थी उस उम्र में,रश्मि ने अपनी सो रही बेटी के उभरे हुए निप्पल को पकड़ कर जोर से दबा दिया, काव्य ने बड़ी मुश्किल से अपने मुंह से आह निकलने से बचाई
अपने गीले और नर्म होंठों से उसने काव्या की छातियों को तर कर दिया..ऐसा लग रहा था जैसे रश्मि अपनी जीभ के ब्रश से उसकी छातियों को पैंट कर रही है..कभी वो उन्हे चाटती और कभी उन्हे मुँह में लेकर चुभलाती.. उसके बड़े-2 निप्पलों को मुँह में लेकर वो ऐसे चूस रही थी जैसे अपनी ममता का कर्ज़ वसूल कर रही हो और उसे पिलाया हुआ दूध उसकी छातियों से वापिस निकलवा रही हो.
काव्या का मन तो बहुत कर रहा था की अपनी आँखे खोल दे और वो भी डूब जाए इस खेल में पर अभी वो कोई रिस्क नही लेना चाहती थी,क्योंकि अब तक वो भी काफ़ी गर्म हो चुकी थी..और पूरे मज़े लेने के मूड में थी वो..उसे उठता देखकर कहीं ऐसा ना हो की उसकी माँ घबरा कर उसे छोड़कर बाहर निकल जाए... इसलिए वो सही वक़्त का इंतजार कर रही थी.
और रश्मि तो अपनी बेटी के गहरी नींद में सोने का पूरा फायदा उठा रही थी...उसके बूब्स चूसते-2 अचानक उसका एक हाथ काव्या की चूत पर चला गया..और वहाँ से निकल रही नमी को महसूस करते ही उसके हाथ जल से गये... किसी भट्टी की तरह सुलग रही थी वो जगह...एक पल के लिए वो रुक सी गयी और काव्या के चेहरे को गोर से देखने लगी, उसे शायद ये लग रहा था की कहीं वो उठ तो नही गयी क्योंकि इस तरह से चूत के गर्म होने का सॉफ मतलब था की वो भी पूरी तरह से गर्म थी इस वक़्त... पर शायद उसके शरीर के साथ जो हो रहा है उसकी वजह से वो फिर से अपने बाय्फ्रेंड विक्की के बारे में सोचकर ऐसे अपनी चूत का रस निकाल रही होगी..
पर उसकी चूत से निकल रहे खट्टे-मीठे रस की सुगंध उसे बड़ा ही ललचा रही थी...इसलिए वो उसे चूमते-2 नीचे तक आई और उसकी केप्री को खींचकर उसने घुटनों से नीचे खिसका दिया..
ये शायद पहला मौका था जब जवान होने के बाद काव्या इस तरह से नंगी सी होकर अपनी माँ की आँखो के सामने थी... और कोई मौका होता तो वो ऐसा कभी ना करती..पर अभी तो वो अपनी नींद मे होने के नाटक को ऐसे एकदम से ख़त्म नही करना चाहती थी..और वैसे भी अब उसने भी सोच लिया था की कुछ ही देर की बात है,बाद में तो वो खुद भी उसी खेल में उतरने वाली है..
रश्मि ने जब अपनी बेटी की कुँवारी और सफाचट चूत देखी तो वो उसे देखती ही रह गयी... शायद उसे अपनी जवानी के दिन याद आ रहे थे जब उसकी खुद की चूत भी बिल्कुल वैसी ही थी...बिल्कुल सफाचत... चिकनी सी.... गोरी-2 सी... सिर्फ़ एक लंबा सा चीरा ही दिख रहा था उसकी चूत के बीच जिसके अंदर से गाड़ा और मीठा रस रिस-रिसकर बाहर आ रहा था..
रश्मि से रहा नही गया और उसने झुक कर अपनी जीभ से उस बहते हुए रस को चाट लिया... कुछ देर रुकी और फिर जैसे ही उसके रस की मिठास को महसूस किया वो पागलों की तरह टूट पड़ी उसकी चूत पर... जो स्मूचें उसने उपर के होंठों पर की थी वही स्मूच अब उसके निचले होंठों को करके उसका रस पी रही थी... जो एहसास और मीठापन उसे उपर मिला था वही एहसास उसे नीचे मिल रहा था और वो भी दबा कर..
काव्या की सुलग रही जवानी भी अब भड़ककर आग का शोला बन चुकी थी...उसने भी अपनी टांगे मोड़कर फेला ली और धीरे-2 बुदबुदाने लगी, ''उम्म्म्मममममममम ...... अहह .... ओहोह ..... यसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....''
अब रश्मि को उसके बुदबुदाने से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था, उसके हिसाब से तो वो गहरी नींद में थी और शायद कोई सपना देख कर ऐसा कर रही थी..
रश्मि कुछ देर के लिए रुकी और उसने अपना गाउन उतारकर नीचे फेंक दिया... और फिर थोड़ा उपर होकर काव्या की टी शर्ट भी उतार फेंकी... काव्या सोच ही रही थी की अब यही वक़्त है उठने का...नींद से जागने का... ताकि वो भी अपनी माँ की तरह मज़े ले सके...पर वो ये सोच ही रही थी की उसकी माँ ने घूमकर अपनी टांगे उसके सिर के दोनो तरफ कर ली और खुद उसकी चूत के उपर झुककर उसे निगल लिया... और साथ ही साथ अपनी गीली चूत को उसके चेहरे के उपर रखकर ज़ोर से दबा दिया..69 की पोज़िशन में.
और अपनी माँ की चूत को अपने मुँह पर लगते ही काव्या ने भी बिना झिझक के अपना मुँह खोला और उसे चाटने लगी... और यही काम उसकी माँ भी कर रही थी उसके साथ....रश्मि का वजन थोड़ा अधिक था इसलिए वो साइड में लूड़क गयी और उसने बिना अपनी पोज़िशन छोड़े काव्या को पलटाकर अपने उपर कर लिया.. और आराम से अपनी फूल जैसी बेटी के शरीर को अपने उपर रखकर चूसने लगी..
रश्मि ने उसकी चूत की परतें खोलकर उसकी उत्तेजित क्लिट को देखा तो उससे रहा नही गया और उसने अपने होंठों से उसे पकड़कर ज़ोर से उमेठ दिया..
और ऐसा होते ही काव्या ज़ोर से चिल्लाई, ''ऊऊऊऊओह माँ आआआआआआ ......धीरे करो ना ...........''
इतना सुनते ही रश्मि ने झटककर काव्या को अपने उपर से नीचे उतार दिया और घबराकर खड़ी हो गयी..
''तुमम्म्म ..... तुमम्म्मम जाग रही थी...... ''
काव्या ने अपनी माँ का हाथ पकड़ा और बड़े ही प्यार से बोली : "हाँ माँ ....मैं जाग रही थी... और जो भी आप मेरे साथ कर रही थी वो भी मुझे काफ़ी अच्छा लगा..''
रश्मि का चेहरा आश्चर्य से भर गया... उसे तो अपने पर ग्लानि सी हो रही थी की ऐसे रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद उसकी बेटी उसके बारे में क्या सोचेगी... पर ऐसा कुछ भी नही था... वो तो खुद इसे एंजाय कर रही थी..पर फिर भी वो अपनी बेटी से नज़रें नही मिला पा रही थी..
रश्मि उसके मन की दुविधा समझ गयी, वो उठी और अपनी माँ का हाथ पकड़कर बड़े ही प्यार से उसे बेड पर बिठाया और फिर खुद जाकर अपनी नंगी माँ की गोद में बैठ गयी..और उसके गले में बाहें डालकर उससे लिपट गयी.
''माँ , मैं जानती हूँ की आप इस समय क्या सोच रही है... पर आपने जो भी किया उससे मुझे बिल्कुल भी बुरा नही लगा...इन्फेक्ट मुझे काफ़ी मज़ा आया.... मैने पहले भी श्वेता के साथ ऐसे नंगे होकर मज़े लिए हैं पर जो मज़ा मुझे आज मिला वो पहले कभी नही मिला... आज शाम को भी जब आपने पापा के साथ सेक्स करते हुए मुझे स्मूच किया था, तब भी मैं जाग रही थी... पर उस वक़्त मैं आपको एम्बेरस नही करना चाहती थी इसलिए सोने का नाटक करती रही... और अभी भी मैने बहुत कंट्रोल किया पर ऐसी सिचुएशन में आकर आप तो समझ सकती है न की क्या-2 फील होता है...''
अपनी बेटी के मुँह से शाम वाली बात सुनकर रश्मि एक बार फिर से शरमा गयी... यानी काव्या ने वो सब देख लिया था... और ये ख़याल आते ही सबसे पहले उसे समीर के नंगे लंड का ध्यान आया... कहीं उसने समीर यानी अपने बाप को भी तो नंगा नही देख लिया...
पर ये बात वो उससे डाइरेक्ट्ली पूछ भी तो नही सकती थी ना... वो चुपचाप मुँह नीचे किए बैठी रही... अपनी माँ को ऐसे चुपचाप बैठा देखकर काव्या समझ गयी की अब उसे ही कुछ करना होगा... और उसने धीरे से अपनी माँ की ठोडी के नीचे हाथ रखा और उसे उपर किया और बोली \: "माँ , प्लीज़ जो शुरू किया है उसे कंप्लीट भी करो ना.... मुझे ये सब बहुत अच्छा लग रहा है..''
और फिर अपने होंठ नीचे करते हुए उनके होंठों को मुँह मे लेकर चूसने लगी..
रश्मि भी काफ़ी गर्म हो चुकी थी... उसने भी सोच लिया की जब उसकी पोल खुल ही चुकी है और काव्या को भी कोई एतराज नही है तो वो भला क्यों खुद को रोके... उसने भी काव्या का साथ देते हुए उसे चूमना शुरू कर दिया और साथ ही साथ उसकी छातियों को भी ज़ोर-2 से दबाने लगी..
तभी दरवाजे के पास से आवाज़ आई: "बड़ा प्यार हो रहा है माँ बेटी के बीच...''
और अंधेरे से निकलकर समीर अंदर आ गया, जो शायद काफी देर से वहां खड़ा होकर उनकी रासलीला देख रहा था. समीर को देखते ही रश्मि को साँप सूंघ गया, उसने तो सोचा भी नही था की समीर वहाँ आ जाएगा, वो काफ़ी थका हुआ था और गहरी नींद में था जब वो काव्या के कमरे में आई थी... और अब समीर वहाँ आ गया, ऐसे मौके पर की वो रंगे हाथो पकड़ी गयी, उसने तो सोचा भी नही था..
सुबह से ना जाने उसने कितनी हदें पार की थी आज... पहले विक्की के साथ और फिर समीर के दोस्त लोकेश के साथ... और अब शायद अपनी बेटी के साथ मज़े लेते हुए भी वो यही सोच रही थी की वो पकड़ी नही जाएगी. वैसे भी ये तो इंसान की फ़ितरत है, सिर्फ़ पहला ग़लत काम करने में वो घबराता है, उसके बाद तो उस काम को इतने स्मूथली करता चला जाता है जैसे बरसों से करता आ रहा हो वो..
पर अपने साथ-2 उसने काव्या को भी फँसा दिया था ... समीर उसका बाप है अब, वो भला क्या सोचेगा उसके बारे मे... और रश्मि ने देखा की समीर की नज़रें उसकी बेटी के नंगे जिस्म को ही देख रही है..
उसने तुरंत एक चादर उठा कर काव्या के उपर डाल दी और दूसरी से खुद को ढक कर वो समीर की तरफ आई और बोली: "समीर .....मुझे माफ़ कर दो... प्लीज़ ....ये सब बस....मुझे नही पता की कैसे होता चला गया.... प्लीज़ अपने कमरे में चलो, मैं सब बताती हू आपको ....''
समीर ने उसका हाथ झटक दिया और बोला: "जो बोलना और समझना है, यहीं समझाओ...''
और इतना कहते-2 उसने रश्मि के शरीर पर लिपटी चादर को निकाल फेंका और उसे फिर से नंगा कर दिया..
अपने पति के सामने तो वो पहले भी कई बार नंगी हो चुकी थी..पर ऐसे नही जब उसकी खुद की बेटी भी सामने खड़ी हो.. उसे सच में काफ़ी शर्म आ रही थी.. पर उसकी फिर से हिम्मत नही हुई की वो चादर उठा कर अपने शरीर पर डाल सके.
समीर : "हाँ, अब बताओ मुझे... क्या चल रहा था तुम दोनो के बीच...''
रश्मि कुछ ना बोल पाई... अपने पैरों के नाख़ून से ज़मीन कुरेदने लगी बस..
समीर उसके करीब आ गया और धीरे से बोला: "बोलो ना...क्या चल रहा था ये सब... लंड से चुदाई करवाने में अब मज़ा नही आता क्या जो लेस्बियन रिलेशन की तरफ चल पड़ी हो तुम.... हम्म्म .. बोलो ''
उसने एकदम से नज़रें उठा कर समीर की तरफ देखा पर उसके गुस्से से भरे चेहरे को देखकर उसकी कुछ भी बोलने की हिम्मत ही नही हुई..
समीर धीरे-2 चलता हुआ काव्या के पास आया और उसकी भी चादर निकाल फेंकी ...वो भी अपनी माँ की तरह नंगी खड़ी थी उसके सामने..
रश्मि ने कुछ बोलना चाहा पर समीर ने उसे उंगली दिखा कर खामोश करवा दिया..
अब वो काव्या के नंगे बदन को घूर-2 कर देख रहा था. और अपनी माँ की तरह काव्या घबरा नही रही थी बल्कि मंद -2 मुस्कुरा रही थी.. उसके खड़े हो चुके निप्पल अपने पापा को देखकर कुलबुला रहे थे.. उनके मुँह में जाने के लिए छटपटा से रहे थे.. पर अभी उसका टाइम नही आया था..
रश्मि ने जब देखा की अब तो बात हदद से आगे निकल रही है क्योंकि समीर उसकी नंगी बेटी के शरीर को आँखे फाड़-2 कर देख रहा था..
रश्मि ने हिम्मत करते हुए कहा: "देखिए....ये ग़लत है...ये आपकी बेटी है...''
समीर उसकी तरफ पलटा, आज तो उसके पास उसकी हर बात का जवाब था, वो पूरी तरह से बहस करने के मूड में आ चुका था... वो बोला : "मुझसे ज़्यादा तो ये तुम्हारी बेटी है... तुम जब इसके साथ लेस्बियन सेक्स करने के लिए तैयार हो गयी तो मुझे ऐसा करने में क्या प्राब्लम है...''
इतना कहते हुए समीर ने अपने एक हाथ से काव्या के स्तन को पकड़कर ज़ोर से भींच दिया..
काव्या दर्द और मज़े के मिश्रण से कराह उठी ..''आआआआआआआआआहह उम्म्म्मममममममम''
अपनी ही आँखो के सामने अपनी बेटी के उपर ऐसा ''अत्याचार'' होते देखकर रश्मि बोखला सी गयी और समीर और काव्या के बीच आकर खड़ी हो गयी.
रश्मि : "आप अपनी हद में रहिए...मेरी बेटी को हाथ लगाने की कोई ज़रूरत नही है...''
वो कुछ और बोलना चाहती थी की उसके कंधे पर काव्या का हाथ आकर लगा और वो बोली: "माँ, आप ऐसा क्यो रिएक्ट कर रही हो... जब आप मेरे बाय्फ्रेंड के साथ मज़े ले रही थी तो मैने क्या आपको कुछ कहा... फिर आप क्यों बीच में आ रही है जब आपके पति मेरे साथ वही मज़े लेना चाहते हैं''
उसकी ये बात तो जैसे रश्मि के कानो में पिघले हुए शीशे जैसी गयी... उसकी खुद की बेटी उसे ऐसा कहेगी उसने तो ये सोचा भी नही था... पर उसे कैसे पता चला की उसकी माँ ने आज सुबह उसके बाय्फ्रेंड के साथ जमकर चुदाई की थी... वो तो वहाँ थी ही नही..
वो भड़कती हुई उसकी तरफ पलटी और चिल्लाई: "ये क्या बकवास कर रही हो काव्या... शरम नही आती तुम्हे अपनी माँ के सामने ऐसी घिनोनी बात करते हुए...''
काव्या अपनी नंगी गांड मटकाती हुई टेबल तक गयी और अपना फोन उठा कर लाई और वही वीडियो चला कर रश्मि की आँखो के सामने लहरा दिया जिसमे वो और विक्की रिसोर्ट के कमरे मे वासना के नंगे नाच में डूबे हुए थे..
काव्या : "क्या आपको शरम आ रही थी आज सुबह, जब आप विक्की के लंड को अपने अंदर लेकर ऐसे कूद रही थी...''
रश्मि की तो हालत खराब हो गयी उस वीडियो को देखकर... जिसमे वो बड़ी ही बेशर्मी से विक्की के लंड को अपनी चूत से रोंद कर उस पर उछल रही थी और ज़ोर-2 से चिल्ला भी रही थी..
यानी उस वक़्त काव्या ने छुप कर उसका ये वीडियो बना लिया था... और अब उसे दिखा भी रही थी. वो भी ऐसे मौके पर जब वो पहले से ही फंसी हुई थी अपनी बेटी के साथ लेस्बियन सेक्स करने के चक्कर में ..
रश्मि ने देखा की समीर भी बड़े गौर से उस वीडियो को देख रहा था... और उसके चेहरे पर आ रहा गुस्सा भी वो साफ़ महसूस कर रही थी.(जो की उसे पता नहीं था की नकली है)
रश्मि एकदम से समीर के कदमों में गिर पड़ी और रोने लगी
रश्मि: "समीर , मुझे माफ़ कर दो... ये जो भी हुआ आज सुबह उसमे मेरा कोई दोष नही था... विक्की के जाल में फँस चुकी थी मैं ... इन दोनो ने मिलकर ऐसा किया है... मुझे फँसाने के लिए.... तुम्हारी नज़रों में गिराने के लिए...''
खुद की शादी बचाने के लिए अब रश्मि अपनी ही बेटी की उस साजिश में शामिल होने की बात कर रही थी.
अब समीर की बारी थी, उसने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और वो वीडियो चला कर उसके सामने कर दिया जिसमे वो और उसका दोस्त लोकेश दत्त ड्रॉयिंग रूम में खड़े हो कर जंगली जानवरों की तरह चुदाई कर रहे थे... और रश्मि तो ऐसे सेक्स कर रही थी उसके साथ जैसे आज से पहले लंड देखा ही नही था उसने किसी का... उसे अंदर लेते हुए वो उहह आह की ऐसी आवाज़ें निकाल रही थी जिसे फोन में दोबारा सुनकर वो शर्म से पानी-2 हो गयी.
अब तो उसके पास बोलने को कुछ बचा ही नही था... पहले उसकी बेटी ने उसका वीडियो बनाया और घर पर उसके पति ने भी...
अब वो यही सोचने मे लगी थी की इन दोनो ने ऐसा क्यो किया... कहीं दोनो ही मिलीभगत तो नही है ना ये की उसका एम एम एस बना कर बाद में उसे दबा कर रखा जाए... और वो दोनो आपस मे मस्ती करे.. पर ये बात खुलकर पूछने की उसकी हिम्मत ही नही हुई... अपने कांड सामने देखकर वो नज़रें नीचे किए बस समीर की बातें सुनती रही.
समीर: "अब बोलो, ज़ुबान पर ताले क्यो लग गये तुम्हारी..... ये वीडियो मैं तुम्हे सिर्फ़ इसलिए दिखा रहा हूँ ताकि तुम जो उंगली मुझ पर या काव्या पर उठा रही हो वो पहले खुद पर भी तो उठाओ. मुझे तुम्हारे ऐसे मज़े लेने में कोई प्राब्लम नही है... और ना ही कभी होगी. पर साथ ही साथ मैं ये भी चाहता हूँ की तुम मेरे उपर भी किसी भी तरह की रोक टोक ना करो. और ना ही काव्या पर..''
इतना कहते-२ समीर ने काव्या की कमर पर हाथ रखकर उसके नंगे जिस्म को अपनी तरफ खींच लिय। और काव्य भी बड़े प्यार से अपने प्यारे पापा के साथ मिलकर खड़ी हो गयी
और समीर की ये बात सुन कर रश्मि आश्चर्यचकित रह गयी... उसका खुद का पति उसे पूरी छूट दे रहा था... यानी देखा जाए तो उसका वीडियो बना कर उसने रश्मि को फँसा लिया था अपनी हर बात मनवाने के लिए... और वो बेचारी अब कोई विरोध भी नही कर सकती थी..
पर समीर की ये बात सुनकर अंदर ही अंदर उसकी चूत में खुशी की एक बूँद और छलक आई, ये सोच कर की अब वो विक्की और लोकेश के साथ खुल कर मज़े ले पाएगी..वो ये बात तो जानती थी की उसका पति खुले विचारों का है पर इतने खुले विचार है उसके की वो अपनी पत्नी को खुद के फ्रेंड के साथ और उसकी बेटी के बाय्फ्रेंड के साथ चुदने की इजाज़त दे रहा है, ये उसने नही सोचा था..
पर साथ ही साथ वो ये भी जान गयी थी की ये सब करके वो अपना रास्ता भी तो साफ़ कर रहा है. उसकी बेटी को भी तो वो उसके सामने ही चोदा करेगा हमेशा से अब... एक तरह से देखा जाए तो उसकी बेटी अब उसकी खुद की सौतन बनकर सामने आ चुकी थी क्योंकि जिस तरह से वो खुद समीर की तरह बातें करते हुए उसे वो वीडियो दिखा रही थी, ये बात साफ़ थी की वो भी समीर के साथ मज़े लेना चाहती है..
सारे तार उसे जुड़ते हुए दिख गये एक साथ... पर इन सबमें उसकी सबसे बड़ी ग़लती थी... अगर वो ना बहकति तो ऐसा कभी ना होता..पर अब तो सब कुछ हो ही चुका था..अब तो उसे भी बहते हुए पानी के साथ ही बहना था..
उसने उन दोनों के आगे घुटने टेक दिए और धीरे से बोली: "आप सही कह रहे हैं... मैने अपनी हवस की आग में जल कर ये नही सोचा की मेरी जिंदगी पर इसका क्या असर होगा... मेरी बेटी ... मेरे पति की जिंदगी पर क्या इफ्फेकट आएँगे... ये मेरी ही ग़लती है... और मुझे इसकी सज़ा ऐसे ही मिलनी चाहिए...''
 
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Update 88

और वो सुबकने लगी..
काव्या एकदम से उसके करीब आई और अपनी माँ से लिपट गयी..
काव्या: "नही माँ ... ऐसा मत बोलो ...ये जो कुछ भी आज हुआ है ये सब हमारे बीच ही रहेगा.. और हम सभी को अपनी हर इच्छा पूरी करने का हक़ है... आपने कोई ग़लती नही की..आप ये ना सोचिए की हमने आपको फँसा कर ये सब करने के लिए राज़ी करवाया है, पर जब वो सब करते हुए आपको ग़लत नही लगा तो मुझे और पापा को भी नही लगेगा... वी आर फेमिली ... और हम हमेशा एक साथ ऐसे ही खुशी-2 रहेंगे...''
उसकी समझदारी भरी बात सुनकर रश्मि भी चुप हो गयी...
उन दोनो माँ बेटियों को ऐसे नंगे लिपटे देखकर समीर का लंड खड़ा होने लगा. और उसने भी अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए.
रश्मि: "मुझे अब अपने कमरे मे जाना चाहिए... आप दोनो को जो करना है, कर लीजिए...''
इतना कह कर वो नंगी ही अपने कमरे की तरफ जाने लगी..
काव्या बड़े ही प्यार से बोली: "नही माँ ... आप यहीं रूको... आज मैं आपके सामने अपना कुँवारापन खोना चाहती हू... आप यहाँ रहेंगी तो मुझे भी हिम्मत मिलेगी..''
बेड पर बैठी हुई काव्या ने बड़े ही प्यार से अपनी माँ से रिकवेस्ट की
उसकी ये बात सुनकर समीर भी चोंक गया पर अंदर ही अंदर खुश भी हो गया कुछ सोच कर..
रश्मि: "नही बेटा...ऐसा नही हो सकता... मुझसे ये सब नही देखा जाएगा... मैं चलती हूँ ..''
अब समीर भी बोला: "नही रश्मि... तुम्हे यहीं रुकना पड़ेगा... अपनी बेटी के जीवन के इतने बड़े दिन तुम उसको छोड़ कर नही जा सकती... तुम रूकोगी तो उसको हिम्मत मिलेगी..''
वैसे तो अंदर ही अंदर रश्मि भी यही चाहती थी की वो वहीं रुक जाए, उसकी बेटी को जो पहली चुदाई का दर्द होगा उसे सहन करने की हिम्मत दे सकेगी वो उसे... और उन दोनो के कहने पर वो चुप सी होकर वहीं सोफे पर बैठ गयी... उनका खेल देखने के लिए...
और खुशी से उछलती हुई काव्या चल दी अपने प्यारे पापा की तरफ.... कली से फूल बनने के लिए.. समीर ने जो सपना संजोया हुआ था इतने समय से, वो सच हो रहा था ... एक ही कमरे में उसकी बीबी और बेटी नंगे थे. और काव्या को उसकी माँ के सामने चोदने के ख़याल भर से ही उसका लंड फटने वाली हालत में आ चुका था..
काव्या नंगी भागती हुई आई और अपनी दोनो बाहें उसने समीर के गले में डाल दी और उसे बुरी तरह से चूमने लगी..
और अपनी बेटी को ऐसे बिना झिझक समीर को चूमते देखकर उसका दिमाग़ झन्ना गया, और उसे ये समझते देर नही लगी की ये उनका पहली बार नही है...
रश्मि तो समझी थी की नयी नवेली लड़की की तरह वो थोड़ा शरमाएगी, सकूचाएगी और फिर कुछ करेगी.. पर ये तो ऐसे कर रही थी जैसे इसका रोज का काम है समीर के साथ... अब तो उसे ये भी शक होने लग गया था की वो कुँवारी भी है या नही... और ये भी बस थोड़ी ही देर मे पता चलने वाला था..
पर समीर के माइंड मे कुछ अलग ही चल रहा था... वो कुछ देर तक तो अपनी बेटी के होंठों का शहद पीता रहा और फिर अलग होते हुए बोला: "पहले मुझे वो सब देखना है जो मेरे आने से पहले यहाँ चल रहा था...''
ऐसा कहते-2 उसने अपनी बीबी रश्मि की तरफ देखा, जो नंगी बैठी उनकी स्मूच को देखकर गर्म हो रही थी.
काव्या ने कुछ नही बोला पर रश्मि ने कहा: "अब आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हो समीर... तुम वो सब छोड़ो और वो करो जो शुरू किया है अभी...''
बेचारी अभी तक अपनी बेटी की चुदाई की बात खुल कर नही बोल पा रही थी.
शायद रश्मि को अब खुल कर अपने पति और बेटी के सामने वो सब करने मे शरम आ रही थी जो वो कुछ देर पहले काव्या को नींद मे सोता हुआ समझ के कर रही थी.
समीर: "नही.... वो करके तुम काव्या को ज़्यादा अच्छी तरह से तैयार कर सकती हो नही तो इसे काफ़ी दर्द होगा मेरा लंड अंदर लेते हुए... तुम इसकी चूत चूस्कर अच्छी तरह से अंदर तक गीला कर दो इसे, ताकि इसे ज़्यादा तकलीफ़ ना हो...''
उसकी बात सुनकर रश्मि शर्म से गड़ी जा रही थी, उसका खुद का पति उसे अपनी बेटी की चूत चूसने के लिए कह रहा था ताकि उसे चुदाई करने में ज़्यादा परेशानी ना हो...
वो धीरे से बोली: "आप ये सब क्यो कर रहे है मेरे साथ समीर... आप खुद ही कर लो ना ये भी... मेरी क्या ज़रूरत है आपको...''
समीर: "तुम मुझे अब किसी भी बात के लिए मना नही कर सकती... समझी... अपने यारों से चुदवाने से पहले अगर मुझे बताया होता तो मैं शायद ये दबाव तुम पर नही डालता,पर अब तू मेरी गुलाम है और तू हर वो काम करेगी जो मैं कहूँगा... चल शुरू हो जा... चूस इसकी चूत को...''
समीर को ऐसे गुस्से में आता देखकर रश्मि के साथ-2 काव्या भी सहम गयी. उसका ये रूप उन दोनो ने पहली बार देखा था. रश्मि तो अंदर तक काँप गयी उसकी बात सुनकर. अगर बाद में समीर उसे किसी और के साथ सेक्स करने के लिए कहेगा तो वो भी उसे करना पड़ेगा. ये तो उसे एक रंडी जैसा बना देगा..खुद अपनी ही बीबी को...
अपनी माँ को ऐसे सहम कर खड़ा हुआ देखकर काव्या उसके पास आई और बोली : "चलो ना माँ ..पापा ठीक ही कह रहे हैं... मुझे कम पैन होगा तो अच्छा ही है ना... और वैसे भी पापा के आने से पहले जो भी आप कर रहे थे उसमे मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था, मैं जागी हुई थी और सब महसूस कर रही थी.. अब वो सब दोबारा फील करने का मौका मिले तो मैं भला कैसे मना करू... चलो ना... आओ यहाँ ...''
और उसने बड़े ही लाड से अपनी माँ का हाथ पकड़ा और बेड तक ले आई और उसे वहाँ लिटा दिया.
काव्या : "पहले तो मैं वो जगह देखना चाहती हू जहाँ से मैं इस दुनिया में आई थी...''
और इतना कहते-2 वो अपनी माँ की पनिया रही चूत के उपर झुक गयी... लश्कारे मार रही थी रश्मि की चूत, अपने ही रस मे डूबकर... काव्या कुछ पल तक उसे निहारती रही और अपनी हथेलियो से उस जगह को सहलाती रही..
और फिर धीरे से झुककर उसने वहाँ चूम लिया...
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ..... आआआआआअ .....''
रश्मि की सिसकी जब काव्या के कानो में पड़ी और उसकी चूत का स्वाद उसके अंदर गया तो उसे काफ़ी मज़ा आया, अगले ही पल उसने अपने मुँह को खोलकर सीधा अपनी माँ की चूत के उपर पूरा चिपका दिया और ज़ोर-2 से सक्क करने लगी,जैसे अंदर से कोई खजाना निकालकर पा लेना चाहती हो..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊहह! काव्य्ाआआआआआआ..., म्म्ममममममममममम''
रश्मि ने उसके रेशमी बालों को पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया और अपनी दोनो टाँगों से उसे ऐसे दबोच लिया जैसे कोई जानवर अपने शिकार को दबोचता है...पर यहाँ उसका शिकार बिलबिला नही रहा था बल्कि उसके अमृत को पीकर और अंदर घुसकर मज़े ले रहा था...
काव्या ने तो सोचा भी नही था की चूत से निकलने वाला पानी इतना मीठा भी हो सकता है...उसने सिर्फ़ श्वेता की ही चूत चूसी थी आज से पहले पर उसका स्वाद थोड़ा कसेला था...पर अपनी माँ को चूस्कर उसने जाना की ये चूतें मीठी भी होती है..
उनकी कुश्ती देखकर समीर पूरी तरह से गरमा चुका था...उसने भी अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए...और कुछ ही देर में वो भी पूरा नंगा होकर सोफे पर बैठा था , अपने लंड को मसलता हुआ वो उनका खेल देखने लगा..
काव्या को तो अपनी माँ की चूत का स्वाद इतना भाया की उसने चूस चूस्कर वहाँ का सारा रस पी लिया और रश्मि की चूत को पूरी तरह से सूखा दिया...
वो कुछ देर के लिए रुकी और अपने मूँह से थूक निकाल कर उस जगह को थोड़ा गीला किया ताकि चूत से निकल रही चिकनाई बनी रहे...
और फिर से उसे चूस्कर मिला जुला रस निकालने लगी अपने मुँह से..
रश्मि ने शायद सोचा भी नही था की ऐसा दिन भी आएगा जब उसकी इसी चूत से निकली उसकी बेटी वहाँ मुँह लगाकर चूस रही होगी... आज से पहले उसने उसके होंठों को सिर्फ़ अपने स्तनों पर ही महसूस किया था जब वो बचपन मे उसे दूध पिलाया करती थी, तब भी वो शरारत में भरकर उसके निप्पल को काट लिया करती थी... और आज वही काम वो उसकी चूत के साथ भी कर रही है, और अपनी शरारत के अनुसार काव्या ने अपने दाँत से उसकी चूत के रबड़ जैसे होंठों को काट लिया और रश्मि चिल्ला उठी..
''आआआआआआआआअहह नूऊऊऊऊऊऊऊओ बेटा ..............दाँत नही मारो ............. ममा को दर्द होता है.....''
और एक आज्ञाकारी बच्ची की तरह काव्या सिर्फ़ इतना ही बोली : "जी ममा...अब ध्यान रखूँगी .... ''
और एक बार फिर से वो अपने होंठों और जीभ से अपनी माँ की सेवा करने लगी..
अपनी बेटी को इतने प्यार से अपनी चूत चाट्ता हुआ देखकर रश्मि को उसपर बड़ा ही प्यार आया और वो बोली: "बस काव्या ......अब तुम उपर आओ.... मुझे भी टेस्ट करना है तुम्हे .... और तैयार भी करना है तुम्हे ताकि दर्द काम हो बाद में ''
उसने ये बात समीर की तरफ देखकर बोली थी ताकि वो बता सके की उसकी पत्नी कितनी आज्ञाकारी है
काव्या तो कब से तरस रही थी अपनी माँ की इस ''ममता'' के लिए... वो झट से बेड की बेक पर अपनी पीठ लगा कर बैठ गयी... और रश्मि उसकी टाँगो के बीच आकर लेट गयी और धीरे से उसने उसकी चूत की परतों को फेलाया और अपनी गर्म और तजुर्बेकार जीभ से उसके गुलाबी भाग को सहला दिया..
''ऊऊऊऊऊऊऊहह माआआआआआअ उउउम्म्म्मममम .... बड़ी गुदगुदी हो रही है .....''
अब ये उसका पहला मौका तो नही था अपनी चूत चुसवाने का... पर अपनी माँ के कोमल स्पर्श का एहसास कुछ अलग ही था... वो बेचारी सिर्फ़ अपने होंठों को गोल करके लंबी-2 सिसकारियाँ लेती रही... और नीचे लेटी हुई रश्मि उसकी चूत में से निकल रही चाशनी को अपनी जीभ से समेट कर पीने में लगी थी.
रश्मि के लिए भी नया अनुभव था ये... उसने नोट किया की जवान और कमसिन होने की वजह से काव्या की चूत से जो रस निकल रहा है उसका प्रेशर कुछ ज़्यादा ही है... वो तो पूरी कोशिश कर रही थी की उसकी चूत से निकलने वाले रस को नीचे ना गिरने दे, पर पतली-2 धार बनकर वो इधर-उधर से होता हुआ नीचे के बिस्तर को भिगो ही रहा था...
काव्या थोड़ा आगे सरक आई और उसने अपनी माँ के उठे हुए कुल्हों पर हाथ रखकर उन्हे अपनी तरफ दबा लिया, ताकि वो और अच्छी तरह से अंदर तक दबाव बनाकर उसकी चूत को चूस सके...और ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर आ रही मुस्कान देखते ही बनती थी, जो सामने बैठा समीर अपना लंड मसलते हुए साफ़ देख पा रहा था.
जब काव्या की नज़रें अपने बाप पर पड़ी और उसके हाथों में वो लंड देखा जो कुछ ही देर मे उसकी चूत के अंदर जाकर धमाल मचाने वाला था तो उसकी हँसी और गहरी हो गयी... आज की रात उसकी जिंदगी की सबसे खूबसूरत रात थी... वो हर तरह से इसे महसूस करके जीना चाहती थी.
उसने अपनी माँ की कमर को पकड़ कर उन्हे नीचे की तरफ लिटा दिया और उनके मुँह के उपर सवार हो गयी... और अपने मुम्मे मसलते हुए अपनी गांड को हिला-हिलाकर अपनी चूत को रश्मि के मुँह पर रगड़ने लगी..
ऐसा करते हुए उसकी नितंबो का कंपन दूर बैठे समीर को ललचा रहा था, उसे तो शुरू से ही काव्या की गोल मटोल और हष्ट-पुष्ट गांड पसंद थी, जिसे वो अपने हाथों की उंगलियों से दबाकर उनकी अकड़ निकालना चाहता था...और शायद एक दिन उसकी गांड भी मारने को मिल ही जाएगी उसे, उस दिन सही मायनों में वो उसको भोगेगा..
रश्मि भी बड़े मज़े ले-लेकर काव्या की चूत को चाट रही थी और साथ ही साथ अपनी चूत की परतों में फंसी शहद की बूंदे इकट्ठा करके उससे अपनी चूत की मसाज कर रही थी.
रश्मि को काव्या की चूत बड़ी स्वादिष्ट लग रही थी..
वो उसके होंठों को अपने दांतो से कचोटती....और फिर अपनी जीभ से उसका टपक रहा रस निगल जाती और एक जोरदार चुंबन करके उसकी चूत को पूरा अपने मुँह के अंदर निगल जाती...
ऐसा करते ही काव्या का शरीर पूरा अकड़ सा गया और वो मस्ती मे सराबोर होकर अपनी माँ के मुँह की घुड़सवारी करने लगी..
''आआआआआअहह माआआआआआआअ .... एसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ..... ज़ोर से काटो....... अहह ...चूसो .....अंदर तक ...................... ओह ...... बाइट मी ..... ना .माँ आ ......आआआआआआहह ...सक्क मी हार्डरर .................. ...और ज़ोर से .................. करो ना माँआआआआअ ..... उम्म्म्ममममममममममम ...''
उसकी बेटी ऐसी जंगली भी हो सकती है ये शायद रश्मि को आज ही पता चला था.
कुछ देर तक ऐसे ही उछलती रहने के बाद काव्या को भी तलब उठी अपनी माँ की चूत को दोबारा चाटने की... और वो उसके मुँह से उतर कर फिर से नीचे की तरफ खिसकने लगी..
रश्मि के पूरे शरीर पर अपनी गीली चूत के निशान छोड़ती हुई वो नीचे तक जा रही थी..
और बीच में रुककर काव्या ने रश्मि के मम्मों से भी खेलना शुरू कर दिया.. उन्हे दबाया, सहलाया.. और फिर ज़ोर-2 से चूस्कर उसका दूध भी पिया...
भले ही अब रश्मि की छातियों से दूध नही निकल रहा था पर काव्या की चूसने की ताक़त पहले से काफ़ी बड़ चुकी थी... ऐसे में वो सिर्फ़ उसके बालों में उंगलियाँ फेरने के कुछ नही कर पाई...
और धीरे-2 खिसकते हुए वो नीचे तक पहुँच गयी.. और रश्मि की गीली चूत को चूम लिया..
और कुछ देर तक उसे अच्छी तरह से चूसने के बाद वहाँ से निकला ताज़ा रस फिर एकबार पी लिया..
और फिर अपनी लंबी टांगे घुमा कर उसने रश्मि के सिर की तरफ अपनी चूत कर दी...
और धीरे-2 अपनी सेट्टिंग बिठा कर वो 69 की पोज़िशन में आ गयी...और अपनी चूत को माँ के मुंह के हवाले करके और अपनी माँ की चूत पर अपना मुँह लगाकर वो दोनो एकसाथ मज़े लेने लगे.. अब तो आनंद की सीमा था ये आसन.. दोनो एक दूसरे की शहद की डिबिया को चाट कर अमृत का मज़ा ले रहे थे. और दोनो के मुँह से आनंद भरी सिसकारियाँ निकल रही थी..
 
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Update 89

''ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओह माआआआआआआअ ...... कितनी टेस्टी हो आप ................... उम्म्म्ममममममममममम .... .......... मन करता है बस आपको सक करती रहूँ दिन रात ...........''
रश्मि ने भी बड़ी मुश्किल से अपना मुँह उसकी रसीली चूत से निकाला और बोली : "तो कर लिया कर ना अब.... किसने रोका है ....''
और उन दोनो की ये बात सुनकर समीर पूरी तरह से उत्तेजित होकर उन दोनो के आने वाले दिनों के बारे में सोचने लगा जब वो बिना रोक-टोक के पूरे घर में कहीं भी एक दूसरे की चूतें चूस रही होंगी और ऐसे में उसके कितने मज़े होने वाले थे ये बताने की तो ज़रूरत ही नही थी..
अब दोनो ही झड़ने के बिल्कुल करीब आ चुकी थी...
काव्या ने 69 का आसान तोड़ दिया और वापिस पलट कर अपनी माँ के उपर आ गयी...और अपनी चूत से उनकी चूत को ज़ोर-2 से रगड़ने लगी...
ऐसे घर्षण से जो आग बीच में से निकल रही थी उसमे सुलग कर दोनो के जिस्म बुरी तरह से हिचकोले खाने लगे...
काव्या कभी अपनी उंगली से और कभी अपनी चूत से रश्मि की चूत की रगदाई करके अपने और उनके ऑर्गॅज़म के निकट पहुँच रही थी..
और एक पल ऐसा आया जब दोनो बिलखती हुई एक दूसरे के शरीर से घिसाई करते हुए झड़ने लगी..
''आआआआआआआआआआआआआआआअहह माआआआआआआअ आई एम कमिंग ................''
''मैं भी आई मेरी बिटिया ..................मैं भी आई ................''
और दोनो एक साथ झड़ते हुए आनंद सागर में गोते लगाने लगे..
और अंत मे जब दोनो एक दूसरे के होंठ चूम रहे थे तो अचानक समीर उठा और उसने अपने खड़े हुए लंड को उन दोनो के होंठों के बीच फँसा दिया..
और ये तरीका था उसका, ये बताने का की चलो, बहुत हुआ तुम माँ-बेटी का... अब मेरी बारी है.. अपनी प्यारी काव्या की चूत मारने की.
और अपने होंठों पर अपने बाप के लंड का एहसास मिलते ही काव्या का पूरा शरीर झनझना उठा, क्योंकि ठीक उस लंड के पीछे थे उसकी माँ के नर्म और मुलायम होंठ... एक ही पल में उसे ये एहसास उत्तेजित कर गया की वो अपने माँ और बाप के अंगो को एक साथ चूम रही है...
अब रश्मि ने बीच मे से निकल जाना ही सही समझा... क्योंकि अब उसकी बेटी का नंबर था... जिसे वो अपने पति के कहने पर अच्छी तरह से तैयार कर चुकी थी..
उसके निकलने के साथ ही अब समीर के लंड पर सिर्फ़ काव्या का कब्जा रह गया...उसने अपने प्यारे पापा को पलंग पर खींचा और उन्हे लिटा दिया..और फिर उनके हथियार पर थूक लगा कर उसे अच्छी तरह से लुब्रीकेट कर दिया..और फिर बड़े ही प्यार से उनकी आँखो मे देखते-2 उसने वो 8 इंची लंड अपने मुँह के अंदर निगलना शुरू कर दिया.
जैसे-2 वो माँस का टावर काव्या के मुँह में जा रहा था, समीर की साँसे उसके अंदर से निकलनी मुश्किल हो रही थी, ऐसा लग रहा था की उसके दिल की धड़कन रेल की गति सी भागती चली जा रही है..
काव्या ने समीर की बॉल्स पर अपना पंजा सही से जमाया ताकि लंड चूसते वक़्त नीचे का बैस स्थिर रहे..और फिर उसने अपने होंठों से उसकी लंबाई नापनी शुरू कर दी..
काव्या ने एक ही झटके मे अपने बाप का पूरा का पूरा लंड निगल लिया..और बार-2 निगलती रही उतनी ही तेज़ी से... दूर बैठी रश्मि भी अपनी बेटी की कलाकारी देखकर अचंबित थी. वो समझ गयी की ये उसका पहली बार नही है जब वो इतना लंबा लंड चूस रही है, आज उसे अपनी बेटी के बारे में क्या-2 पता चल रहा था.
और समीर तो सातवें आसमान पर था, उसकी गांड हवा में उठी हुई थी, वो ज़्यादा से ज़्यादा अपने लंड को काव्या के मुँह के अंदर घुसेड रहा था... इतना अंदर तो शायद ही वो किसी के मुँह मे घुसा होगा... उसका बस चलता तो वो अपनी बॉल्स भी डाल देता उसके छोटे से मुँह में, पर अभी के लिए उसे जो मिल रहा था वो उससे ही संतुष्ट था.
हालाँकि आज उसके लंड ने रिकॉर्ड तोड़ चुदाई की थी, पर कुछ देर पहले माँ-बेटी के सेक्स को देखकर और अब काव्या द्वारा उसके लंड के चूसे जाने के बाद वो जल्द ही एक बार फिर से झड़ने के करीब पहुँच गया... और वो ऐसा अभी के लिए तो हरगिज़ नही चाहता था. उसने तुरंत अपना लंबा लंड उसके मुँह से बाहर खींच लिया और उसके चेहरे को पकड़ कर अपने मुँह से लगाया और बेतहाशा स्मूच करने लगा..
उसके गीले मुँह से उसे अपने लंड की महक आ रही थी... पर उससे भी ज़्यादा समीर को काव्या का मीठापन महसूस हो रहा था जिसे वो चूसता चला गया.
उसकी उंगलियों ने सीधा जाकर काव्या की टाइट चूत को टटोला, जो काफ़ी गीली थी पर उंगली अभी भी अंदर नही जा रही थी... उसे पता था की थोड़ा और गीला करने के लिए उसे क्या करना होगा.
समीर ने बड़े ही रफ़ तरीके से काव्या को बेड पर धक्का दिया और उसकी टांगे फेला कर उनके बीच लेट गया और लगा दी अपनी दहकति हुई जीभ उस नन्ही सी काव्या की गर्म चूत पर, और बेचारी बिलख उठी वो अपने बाप के इस प्रहार से..
''आआआआआआअहह ओह पापा ..................... उम्म्म्ममममममममममम .........''
और ये एक सिसकारी थी जिसे सुनकर उसकी माँ अंदर तक हिल गयी.... उसे शायद अपनी बेटी की चिंता सताने लगी थी... वो सोचने लगी की अभी तो समीर ने सिर्फ़ अपनी 3 इंच की जीभ डाली है उसकी चूत में ... जब 8 इंची लंड जाएगा तो क्या हाल होगा उसका... वो मन ही मन उपर वाले से उसे शक्ति देने की प्रार्थना करने लगी.
पर वो नादान भला क्या जाने की काव्या का बिलखना दर्द भरा नही बल्कि मस्ती भरा था... अपनी ही माँ के सामने वो उसके पति से अपनी चूत चुसवा रही थी ये एहसास ही उसकी चूत में पानी का बाँध छोड़ने के लिए काफ़ी था...
और प्रेम रस में डूबकियां लगाती हुई काव्या के मुँह से गुनगुनाती हुई सिसकारियाँ निकलने लगी: ''ओह पापा ...............सक्क मी ...............एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .....और अंदर .............. ओह फककक .....मी डियर पापा ............ उम्म्म्मममममममममम...''
और अपनी जीभ पर उसके रस को महसूस करते ही समीर समझ गया की वो घड़ी आ चुकी है जिसका उसे कब से इंतजार था..
वो बेड के किनारे पर खड़ा हुआ और काव्या की टाँगो को फेला कर अपने लंड को उसकी चिकनी चूत पर लगा दिया...
लंड का गर्म हिस्सा उसके अंदर तक सिहरन दौड़ा गया और वो बेड पर बिन पानी मछली की तरह मचल उठी..
उसकी नज़रें सीधा दूर बैठी अपनी माँ की तरफ चली गयी और दोनो ने आँखो ही आँखो मे एक दूसरे को प्यार से देखा..
और अचानक काव्या को अपनी चूत पर लंड का दबाव महसूस होने लगा और उसने बेड की चादर पकड़ ली. और अपने दाँत भींच लिए..
और समीर ने बड़े ही प्यार से धीरे-2 अपना लंड उसकी गर्म और गीली चूत के अंदर डालना शुरू कर दिया.
अपने अंदर एक नयी तरह की चीज़ आती महसूस करती हुई काव्या का मुँह गोल होता चला गया: ''आआआआआआहह ............... ओह गॉड .......................... उफफफफफफ ... मम्मी ..... दर्द हो रहा है ....... अहह ...... नूऊऊऊऊऊऊऊ ...''
रश्मि के चेहरे पर चिंता की लकीरे आ गयी, वो तुरंत खड़ी होकर अपनी बेटी के पास पहुँच गयी और उसके चेहरे पर हाथ फेरते हुए दिलासा देने लगी... और समीर से बोली : "प्लीज़ समीर ..... थोड़ा धीरे करो ना ... देखो बेचारी को दर्द हो रहा है ....''
उसने तो आज से पहले ऐसी कुँवारी और टाइट चूत मारी ही नही थी... ये एहसास अलग ही था.... एकदम टाइट चूत के अंदर जाता हुआ उसका लंड ऐसे लग रहा था की वो वापिस भी आ पाएगा या नही... और अचानक उसे काव्या की चूत का अवरोध यानी उसकी सील महसूस हुई ... और उसने एक जोरदार झटके से अपना बचा हुआ लंड अंदर डालते हुए उस अवरोध को भी पार कर लिया... और काव्या बेचारी एक बार फिर दर्द से बिलबिला उठी..
''आआआआआआआआहह ....ओह ... नूऊऊऊऊऊओ ....पापा ... धीरे करो ना प्लीज़......''
समीर थोड़ी देर के लिए रुका और फिर धीरे-2 झटके देने लगा... यही तरीका होता है पहली चुदाई के बाद का...
ऐसा नही था की उसने आज से पहले कुँवारी चूत मारी ही नही थी पर इतनी टाइट नही मारी थी, ये बात पक्की थी...
उसके हर झटके से उसके छोटे-2 मम्मे उपर उछल जाते और उसके मुँह की गर्म हवा उसके चेहरे से टकरा जाती...
अब काव्या भी शांत हो गयी... उसका दर्द कम हो चुका था... और धीरे-2 उस दर्द ने कब आनंद का रूप ले लिया, उसे भी पता नही चला..
अब रश्मि भी वापिस सोफे पर जाकर बैठ गयी... उसकी आँखो मे खुशी के आँसू भी थे, अपनी बेटी की जिंदगी की पहली चुदाई में वो उसके साथ रहेगी ये शायद उसने भी नही सोचा था... हर माँ को ये खुशी देखनी नसीब नही होती. शायद इसलिए उसकी आँखे छलक आई थी.
साइड मे बैठकर वो अपने पति द्वारा अपनी बेटी की चुदाई का सीन देखने लगी...
काव्या के चेहरे के भाव अब बदल चुके थे, वो बड़े ही प्यार से अपने प्यारे पापा को देखते हुए अपनी चुदाई करवा रही थी... उसके हिलते हुए मम्मे देखकर रश्मि का मन किया की वो जाकर उन्हे चूस ले पर अभी वो उन्हे डिस्टर्ब नही करना चाहती थी..
काव्या का सेक्स से भरा चेहरा देखकर समीर भी काफ़ी उत्तेजित हो रहा था... वो अपने सेक्सी लिप्स को अपने दांतो के बीच दबाती और उन्हे खुद ही चूस्कर छोड़ देती... कभी दर्द से कराहती और कभी मज़े से हंस पड़ती. एक के बाद एक एक्सप्रेशन आ रहे थे उसके सेक्सी से चेहरे पर..
काव्या का दर्द तो कब का जा चुका था, अब वो पूरी तरह मज़े लेने के मूड में आ चुकी थी.
और उसे पता था की मज़े कैसे लिए जाते हैं.. वो चिल्ला-2 कर अपने मज़े को व्यक्त करने लगी.
''आआआआआआआआआअहह पापा ................... वाव .................. उम्म्म्ममममम ..... अब मज़ा आ रहा है ,.................ओह्ह्ह्ह माय गॉड ...............ये फक्किंग इतनी मजेदार होती है ..... मज़ा आ गया ..............और आपका ये लंबा लंड ...................मुझे ऐसे लग रहा है जैसे .......अहह मेरे पेट तक जा रहा है ............... अहह ओह ...उम्म्म्ममममम ...और ज़ोर से करो पापा ......और अंदर तक करो .......''
और वो बेड पर लेटी हुई अपनी कमर लहरा कर समीर के लंड को अंदर बाहर करने लगी...
उसकी माँ भी समझ गयी की उस पर चुदसी अब पूरी तरह से चढ़ चुकी है ...
उसे एक और खुशी भी हो रही थी की काव्या की पहली चुदाई समीर ने की क्योंकि जिस तरह से प्यार-2 से उसने ये सब किया था वो एक समझदार इंसान ही कर सकता था...
समीर भी अब खड़ा-2 थक चुका था.
वो बेड पर लेट गया और उसने काव्या को अपने उपर खींच लिया.... और एक ही झटके में वो उसके उपर बैठ कर उसके लंड को निगल गयी अपनी चूत के अंदर, और नीचे मुँह करके चूत और लंड के मिलन को देखते हुए अपनी गांड मटकाते हुए चुदाई करवाने लगी..
''ओह पापा ......ऐसे तो और भी डीप जा रहा है ......उम्म्म्ममममममममममम .... येएस्स पापा ......और झटके मारो ...... ओफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ....... एसस्स्स्स्स्स्सस्स .... उम्म्म्मममममममम....''
समीर तो पुराना खिलाड़ी था .... वो एक ही झटके में उठकर बैठ गया और अपने उपर बैठी हुई काव्या की टाँगो को अपनी कमर के चारों तरफ लपेट कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया... और ऐसा करते हुए जो डीपनेस काव्या को महसूस हुई उसे बताने के लिए उस बेचारी का मुँह खुल ही नही पाया... क्योंकि समीर ने उसके बाल पकड़ कर उसे अपनी छाती से भींच लिया था... और नीचे से जोरदार झटके मारकर उसे चाँद की तरफ उछल रहा था...
नीचे से मिल रहे हर झटके से उसकी चूत का बेंड बज उठता..और एक उन्माद भरी चीख निकल जाती उसके मुँह से...
''ओह यएसस्स पापा ..................ओह येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स.... उम्म्म्मममममम... अहह ...ओह..... ''
कुछ देर तक उसे इसी आसन में चोदता हुआ वो उसे मज़े देता रहा
पर काव्या के शरीर की हरकतों से और अपने लंड की अकड़न से उसे पता चल चुका था की दोनो तरफ जल्द ही बारिश होने वाली है...
और जल्द ही उसके लंड से माल निकलने का टाइम आ गया... उसने काव्या को वापिस बेड पर पटका और तिरछा करके उसकी चूत मारने लगा
और उसने आख़िरी वक़्त में अपना लंड बाहर निकाल लिया... वो पहली ही बार मे उसे प्रेगनेन्ट नही करना चाहता था..
पर तभी काव्या चिल्ला उठी...
''नूओsssssssssssssssssss पापा .....अंदर ही करो .......मुझे आपको अंदर ही फील करना है ......मैने टॅबलेट ले रखी है .....''
उसकी माँ भी ये बात सुनकर चोंक गयी.... यानी उसे पता था की आज वो चुद कर रहेगी... इसलिए उसने पहले से ही टेबलेट ले ली ताकि वो अपने बाप के स्पर्म को अपनी चूत के अंदर महसूस कर सके... अब तो रश्मि को सॉफ पता चल गया था की ये उन दोनो की एक चाल थी... पर अब हो भी क्या सकता था... जो होना था वो तो हो ही चुका था.
समीर का लंड फिसल कर बाहर आ चुका था... उसने उसे पकड़ कर फिर से उसकी रसीली चूत के अंदर डाल दिया... और अंदर जाते ही उसके लंड ने पानी छोड़ दिया... और एक बार फिर से वो फिसल कर बाहर आ गया....
और पीछे-2 उसके लंड का पानी भी काव्या की नयी चुदी चूत से बाहर निकलने लगा..
उसके चेहरे पर आ रहे संतुष्टि के भाव देख कर समीर काफ़ी खुश था...
वो भी हांफता हुआ उसके उपर गिर पड़ा..
और काव्या ने उसे अपनी बाहों के घेरे मे लेकर चूम लिया..
और उसके कान मे फुसफुसाई
''थॅंक यू पापा''
 
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Update 90

दोनो के शरीर पर पसीने की बूंदे चमक रही थी...और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था..और ये सिर्फ़ उन दोनों की ही साँसे नही थी, उनमे छुपी हुई सी रश्मि की साँसे भी थी. जो उन्हे पागलो की तरहा चुदाई करते देखकर एक बार खुद ब खुद झड़ चुकी थी.
काव्या का तो मन ही नही कर रहा था उठकर अपनी चूत धोने का..वो ऐसे ही लिपट कर लेटी रही अपने पापा से...समीर ने इशारा करके रश्मि को भी बेड पर ही आने को कहा और वो भी आकर उसकी दूसरी बाजू पर लेट गयी. और समीर ने उन दोनो को अपनी तरफ करते हुए उन्हे अपने से लिपटा लिया .
ये था समीर के जीवन सबसे बड़ा और सुखद पल, जिसके बारे में उसने ना जाने कितनी बार सोचा था और जो आज पूरा हो चुका था...उसने काव्या की चूत उसकी ही माँ के सामने मार कर और अब उन दोनो माँ बेटियों के नंगे शरीर को अपने से लिपटा कर सुलाया हुआ था..एक अलग ही तरह का गर्व सा महसूस हो रहा था उसे अपने आप पर.
और कब उनके नंगे जिस्मों से लिपटे हुए उसे नींद आ गयी उसे भी पता नही चला.
सुबह जब उसकी नींद खुली तो सारे आसन बदल चुके थे... वो उकड़ू सा होकर काव्या की गांड से चिपका हुआ था और पीछे से हमेशा की तरह उसकी बीबी रश्मि अपनी मोटी छातियाँ उसकी पीठ पर गड़ा कर उससे लिपटी हुई सो रही थी..
समीर का लंड काव्या की गांड के बीच फँसा हुआ था..और वहाँ से मिल रही गर्मी से जल्द ही वो खड़ा भी हो गया..उसके हाथ भी हरकत में आ गये और आगे की तरफ लटक रहे फलों को उसने पकड़ लिया और होले -2 दबाने लगा. जल्द ही नींद में कसमसाती हुई सी काव्या उठ गयी और धीरे-2 उसे रात की बात याद आई और अपने पीछे पापा और टाँगो के बीच पापा के बेटे को महसूस करते ही उसके चेहरे पर मुस्कान दौड़ गयी..
काव्या : "उम्म्म्मममममममम ... गुड मॉर्निंग पापा ...मुआााआअहह''
उसने पापा के हाथ पर ही चूम लिया, जो उसकी ब्रेस्ट को मसल रहे थे...
समीर : "ये भी कोई जगह होती है किस्स करने की...''
काव्या उसकी बात का मतलब समझ गयी और मुस्कुराती हुई वो उनकी तरफ मुँह करके पलट गयी और अपनी बाहें उनके गले मे डालकर अपने गरमा गरम होंठ उसके होंठो पर लगा दिए और ज़ोर से स्मूच करने के बाद बोली
"मुउआआआआआआअह्ह गुड मॉर्निंग पापा.... अब ठीक है ...''
जवाब में समीर ने भी उसके चेहरे पर चुंबनों की बारिश कर दी..कभी उसके होंठ और कभी उसके गाल, कभी उसकी आँखे और कभी उसकी गर्दन...वो हर किस्स से खिलखिलाकर हंस पड़ती...आज तो काव्या को ऐसा लग रहा था की उसकी शादी हो चुकी है और सुहागरात के बाद की पहली सुबह है उसकी जिंदगी की...
तभी पीछे से रश्मि की आवाज़ आई : "अब बेटी मिल गयी तो माँ को भूल गये हो तुम तो...''
रश्मि का लहज़ा भले ही शिकायत भरा था पर उसके चेहरे पर हँसी थी....समीर ने उसे अपने शरीर पर खींच लिया और उसका नंगा शरीर आधा समीर पर और आधा काव्या पर आकर टिक गया...और समीर ने उपर मुँह करते हुए उसके होंठों को भी ठीक वैसे ही चूमा और चूसा जैसे उसने काव्या के होंठों को चूमा था और जैसा वो रोज सुबह रश्मि के होंठों को चूमता ही था.
और उन दोनो की किस्स के बीच काव्या ने अपनी चोंच घुसा दी...यानी अपने होंठ भी उसने उन दोनो के बीच में घुसा दिए और अगले ही पल तीनो के होंठों के बीच गुत्थम गुत्था होने लगी..और समीर कभी रश्मि और कभी काव्या के होंठों को चूमने लगा..और काव्या भी कभी अपने पापा और कभी अपनी मम्मी के होंठों को चूमती...ऐसा काफ़ी देर तक चलता रहा और तीनो एक सुखी पारीवार की तरह हंसते-खेलते हुए बेड से उठे.
और बताने की ज़रूरत नही थी, तीनो एक साथ बाथरूम में घुस गये , तीनों एक दूसरे के शरीर पर साबुन लगा रहे थे, बेतहाशा चूम रहे थे...चाट रहे थे...चूस रहे थे...समीर के हाथ सीधा काव्या की नयी चुदी चूत के उपर पहुँच गये और उसने अपनी 2 उंगलियाँ एक ही बार में अंदर घुसेड दी... और पिछली रात जोरदार चुदाई की वजह से जो सूजन उसकी चूत पर आई थी, वो समीर की उंगलियाँ लगते ही उसे महसूस हुई और वो ज़ोर से चीख पड़ी
''आआआआआआआआईयईईईईईईईईईईईई मम्मी ....................... उन्हु दर्द हो रहा है..... प्लीज़ पापा ....निकालो अपनी फिंगर्स .....''
अपनी बेटी की करुण पुकार सुनकर रश्मि भी चिंतित हो गयी और वो काव्या से लिपट कर उसे दिलासा देने लगी और अपनी नर्म हथेलियों से बड़े ही प्यार से उसकी चूत को भी सहलाने लगी...
''समीर, आप भी ना, पता है ना आपको की कल इसका फर्स्ट टाइम था.... अब 1-2 दिन के लिए प्लीज़ इसको कुछ मत करना ....''
समीर ने रश्मि को साइड में किया और खुद काव्या को अपने गले से लगाकर प्यार करने लगा... काव्या भी समीर के गले से लिपट कर एक ही पल मे अपना दर्द भूल गयी..
समीर का लंड अभी भी खड़ा था, और रश्मि की नज़रें उसपर ही लगी हुई थी...अब तो उसे पक्का विश्वास हो चुका था की आज सुबह की पहली चुदाई उसके नाम ही लिखी है... वो आगे बड़ी ही थी की मैन गेट की बेल बज उठी.. रश्मि भी सोचने लगी की ऐसे मौके पर कौन आ मरा...
समीर ने रश्मि की तरफ देखा और बोला : "वो लोकेश आया होगा....हम दोनो ने आज एक साथ कोर्ट जाना है, हमारी नयी कंपनी का रेजिस्ट्रेशन करवाने के लिए, जो मैने काव्या के नाम से स्टार्ट की है..''
ये बात सुनकर दोनो माँ -बेटियाँ बहुत खुश हुई... रश्मि ये सोचकर की चलो अच्छा है, समीर ने काव्या को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाकर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है और इस तरह से उसका भविश्ये भी सुरक्षित हो गया... और काव्या ये सोचकर ही खुश हो गयी की अब उसके नाम की भी कंपनी खुलेगी... अपनी सहेलियो पर वो इस बात का रोब दिखा सकेगी.
और काव्या ने भाव विभोर होकर समीर के लंड को हाथ में लेकर ज़ोर-2 से हिलाना शुरू कर दिया और अपने नर्म होंठों से उसके होंठों को चूमने लगी..
समीर ने मुस्कुराते हुए रश्मि से कहा : "तुम जाओ ज़रा... लोकेश की थोड़ी बहुत ''तिमारदारी'' करो ... तब तक मैं काव्या के साथ नहाकर आता हूँ ...''
शायद समीर को लग रहा था की अभी भी अगर थोड़ी बहुत मेहनत की जाए तो वो काव्या की चूत मार ही सकता है...पर इसके लिए वो उसकी माँ को बाहर भेजना चाहता था ताकि वो अपनी बेटी की ढाल बनकर उसे चुदाई से ना रोक दे...
और समीर ने जिस अंदाज में ''तिमारदारी'' कहा था उससे रश्मि समझ गयी की वो क्या कहना चाहता है... उसने अपना हाथ टॉवल की तरफ बढाया तो समीर फिर से बोला : "अब ऐसे ही चली जाओ.... उसके लिए कुछ नया थोड़े ही होगा तुम्हे ऐसे देखना ...''
यानी वो खुलकर अपनी बीबी को अपने दोस्त से चुदाई के लिए परमिशन दे रहा था.... और जो कुछ भी उनके घर में कल से चल रहा था, उसके बाद तो रश्मि भी थोड़ी बहुत बेशरम हो गयी थी... समीर ने कल भी उसकी और लोकेश की चुदाई देखी थी, और उसका ही फायदा उठा कर समीर ने काव्या को चोदा था..
रश्मि भी अपनी मोटी गांड मटकाती हुई बाहर की तरफ चल दी... और समीर और काव्या एक गहरी स्मूच में डूब गये.
रश्मि की चूत धड़क रही थी बाहर जाते हुए, अपने बाथरूम से निकल कर वो सीडियां उतरकर नंगी ही दरवाजे तक आई... और उसने धीरे से दरवाजा खोल दिया और दरवाजे के पीछे छिप गयी.
बाहर लोकेश दत्त ही था. उसे सामने कोई नही दिखा जिसने दरवाजा खोला था इसलिए वो थोड़ा हैरान हुआ और बाहर ही खड़ा रहा.
तभी दरवाजे के पीछे से आवाज़ आई : "लोकेश जी, आप अंदर आइए ना जल्दी... मेरी हालत खराब हो रही है ऐसे खड़े हुए...''
रश्मि की थरथराती हुई आवाज़ सुनकर लोकेश भी चोंक गया और वो जल्दी से अंदर आया... और जैसे ही उसने दरवाजे के पीछे खड़ी हुई रश्मि को देखा तो उसके होश उड़ गये... वो एकदम नंगी थी... पानी की बूंदे उसके शरीर से फिसलकर नीचे गिर रही थी...उसके अंदर आते ही रश्मि ने झट से दरवाजा बंद कर लिया और धीरे-2 वो लोकेश की तरफ पलटी... उसकी नज़रें नीचे ज़मीन पर ही थी..
और लोकेश ने उस सुंदरता की मूरत को ऐसे नंगा खड़े देखा तो उसके हाथ से ब्रीफ़केस छूटकर नीचे गिर गया और उसके मुँह से हकलाते हुए बस यही निकला : "अरे ....भ....भाभी....आप ऐसे....मेरा मतलब.... समीर ...काव्या... घर नही है क्या....''
रश्मि ने शरबती नज़रों से उसे देखा और उसकी तरफ चलना शुरू कर दिया. उसके हर कदम से पानी की बूंदे थिरक कर नीचे गिरती जा रही थी और लोकेश के होंठ उन मोतियों को नीचे गिरते देखकर सूख रहे थे..
वो उसके बिल्कुल पास आ गयी और अपनी बाहें उसके गले मे डाल दी और बोली : "वो दोनो भी घर पर ही हैं... और दोनो अपने में मस्त हैं... और तुम्हारे दोस्त समीर ने ही मुझे भेजा है तुम्हारी ''तिमारदारी'' करने के लिए. वो दोनों ऊपर के बाथरूम में बिज़ी है... हम यहाँ हो जाते हैं... क्यों, क्या ख़याल है...??''
ये बात सुनते ही उसका वक़ील वाला दिमाग़ सब समझ गया... वो समझ गया की उनके घर में क्या चल रहा है... वैसे भी उसने और समीर ने मिलकर ना जाने कितनी रंडियाँ चोदी थी. इसलिए वो उसकी फ़ितरत जानता था, वो सेक्स के बारे में काफ़ी खुले विचारो वाला आदमी था, इसलिए ये बात भी उसे पता थी की एक ना एक दिन वो रश्मि की बेटी की चूत मारकर ही रहेगा... और आज उसने वो कर ही दिखाया था... और इसलिए उसने शायद रश्मि को भी ये छूट दे दी थी की वो भी खुलकर सेक्स के मज़े ले..
जब सामने से ही ऐसा ऑफर आ रहा हो तो वो भला क्यों मना करे... उसने भी अपनी बाहें रश्मि के नंगे जिस्म के चारों तरफ लपेटते हुए उसे दबोच लिया और अगले ही पल दोनो प्यासे जानवरों की तरह एक दूसरे को पी रहे थे...
एक दूसरे को अच्छी तरह से चूसने के बाद लोकेश ने उसे रिक्लाईनिंग चेयर पर लिटा दिया और उसकी दोनो टांगे दोनो दिशाओं में फेला कर उसकी नंगी चूत को कुछ देर तक देखा और फिर अपनी लपलपाती हुई जीभ उसकी चूत के अंदर डाल दी..
''आआआआआआआआआअहह....................उम्म्म्मम ..... याअआआआआआआ सक्क मिईई..............''
रश्मि ने लोकेश के सिर पर हाथ फेरते हुए उसे अपनी चूत के अंदर की तरफ और ज़ोर से धकेला..और वो भी बड़े ही चाव से अंदर की मलाई अपनी जीभ की चम्मच से लपेट कर ख़ाता चला गया...
लोकेश के लंड की तरह उसकी जीभ भी काफ़ी लंबी थी...और रश्मि को तो ऐसा लग रहा था की जैसे वो किसी छोटे-मोटे लंड से ही चुद रही है इस वक़्त...क्योंकि लोकेश काफ़ी तेज झटके मार रहा था उसकी चूत पर अपने मुँह से...जीभ तो उसके अंदर तक जा रही थी और उसकी नाक हर बार उसकी क्लिट से टकरा रही थी...और उसमें से निकल रही गर्म साँसे उसकी चूत पर जमे रस को पिघला कर और ज़्यादा मात्रा में बाहर निकाल रही थी...
''उम्म्म्ममममममममममममम..... .बड़ा मज़ा आ रहा है,.......अहह ...ऐसे ही चूसो...नाआ....अहह..... ऐसा मज़ा आज से पहले कभी नही आया.....''
लोकेश ने भी मन में सोचा ' ये मज़ा आज इसलिए भी आ रहा है क्योंकि इसमे वो रोमांच भी छुपा है जो रश्मि को अभी महसूस हो रहा है, उसके खुद के पति ने जब उसे अपने दोस्त से मरवाने की परमिशन दे डाली है तो ये खुशी कहीं ना कहीं से तो निकलेगी ही ना...'
और यही खुशी महसूस करते हुए वो अपनी चूत को और तेज़ी से उसकी जीभ पर रगड़ने लगी..
अब एक बार फिर से रश्मि का मुँह सूखने लगा...
और उसे पता था की उसका मुँह कैसे गीला होगा...
उसने लोकेश को पकड़कर उपर की तरफ खींचा और चेयर पर लेटे -2 ही उसकी पेंट उतार दी और उसके लहराते हुए लंड को पकड़कर सीधा अपने मुँह का रास्ता दिखाया..
और ज़ोर-2 से चूसने लगी..
उसका गीला बदन देखते हुए और गीले मुँह का एहसास लेते हुए लोकेश भी उसका मुख चोदन करने लगा....
लोकेश का लंड काफ़ी लंबा था, और वैसे भी अपने दोस्त की बीबी की चूत मारने का मौका मिले तो अपनी औकात से ज़्यादा लंबा हो जाता है ये लंड ...वही हाल हो रहा था उसका अभी..
उसने अपना लंड उसे चुस्वाते-2 ही अपने बाकी के बचे कपड़े उतार कर नीचे फेंक दिए और एक मिनट में ही पूरी तरह से नंगा होकर वो अपना लंड चुस्वा रहा था रश्मि से..
और लगभग 5 मिनट तक उसके लंड की ''तिमारदारी'' करने के बाद रश्मि की चूत में खुरक होने लगी... वो उठ खड़ी हुई और वो लोकेश के लंड को पकड़कर सोफे की तरफ चल दी और लेट गयी वहां जाकर ... और अपनी दोनो टांगे फेला कर अपनी सुरंग लोकेश को दिखाई और ज़ोर से चिल्लाई : "अब डाल दो अंदर, लोकेश.... बर्दाश्त नही हो रहा मुझसे.... प्लीज़......''
 
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Update 91

लोकेश ने भी कोई बदमाशी नही की और सीधा अपना लंड उसकी गर्म चूत के अंदर पेल कर उसके उपर ओंधा गिर गया..
और अच्छी तरह से अड्जस्ट होने के बाद वो अपनी स्पीड पर आ गया... और हुमच-2 कर उसकी चुदाई करने लगा..
''ओह ..... अहह ....उम्म्म्ममममममममममम ....येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स.... ऐसे ही ................अहह ...और ज़ोर से .................. येसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...ऐसे ..... ही अहह ....उम्म्म्ममममममममम ......''
रश्मि की हमेशा से ही आदत रही थी की वो चुदाई के समय काफ़ी चिल्लाती थी...पर आज वो ज़्यादा ज़ोर से इसलिए भी चिल्ला रही थी की वो उपर के बाथरूम में नहा रहे अपने पति समीर को ये बता देना चाहती थी की उसकी दरियादिली की वजह से जो उसकी चुदाई हो रही है, वो उससे कितनी खुश है...
पर वो ये नही जानती थी की ऐसे चिल्ला कर वो किस मुसीबत को बुला रही है...
रश्मि के नीचे चले जाने के बाद समीर और काव्या काफ़ी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे...नहाते रहे...पर जब एक बार फिर से समीर ने उसकी चूत में उंगली डाली तो वो फिर से चिल्ला पड़ी..और इस बार तो उसकी आँखो मे आँसू भी थे...वो बड़े ही प्यार से,रिक्वेस्ट भरे स्वर में बोली : ''पापा प्लीज़.....आज शायद नही कर पाऊँगी कुछ भी....काफ़ी पैन हो रहा है मुझे...पर मेरा यकीन मानिए,मन तो मेरा भी बहुत कर रहा है...और आपकी ये हालत मैं नही देख सकती...मैं आपको सक्क करके फ्री कर देती हूँ ...''
और इतना कहते-2 वो नीचे बैठ गयी और बड़े ही प्यार से अपने प्यारे पापा के लंड को मुँह में लेकर उसे चूसने लगी..उनकी बॉल्स को अपनी जीभ से सहलाने लगी.
समीर भी अपनी आँखे बंद किए अपने लंड और बाल्स चुसवाने का मज़ा लेता रहा...पर एक बार जब चूत मारने की इच्छा हो जाए तो ऐसे लंड चुसवाने से कुछ नही मिलता....और तभी उसके कानों में नीचे से उसकी बीबी रश्मि की मदमस्त चीखों की आवाज़ आने लगी...और वो समझ गया की लोकेश उसे किस तरीके से चोद रहा होगा और वो भी काफ़ी मज़े ले रही होगी...
और अगले ही पल उसके मन में एक विचार आ गया...क्यों ना वो नीचे जाकर अपने दोस्त के साथ मिलकर रश्मि की बजाए... जैसा की दोनो दोस्त अक्सर किया करते थे... एक आगे से और दूसरा पीछे से.... ऐसा करने में दोनों को काफ़ी मज़ा भी आता था और उनसे मज़े लेने वाली भी खुश हो जाया करती थी..
और आज वो मजा वो रश्मि को देना चाहता था, जब इतना कुछ हो रहा है तो ये भी सही
और वैसे भी समीर को इस वक़्त नीचे वाला छेद ही चाहिए था, उपर वाला नही...जो उसे इस वक़्त रश्मि ही दे सकती थी... उसकी बेटी काव्या नही...
और उसने काव्या को उपर उठाते हुए कहा: "सुनो काव्या, तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो... मैं नीचे जाकर तुम्हारी माँ के साथ ही कर लूँगा...''
अपने पापा की केयरिंग देखकर काव्या गदगद हो उठी और बोली: "ओहो... थॅंकयु पापा....मैं तो सोच रही थी की आपको कैसे मना करू... बट आप सच में काफ़ी केयरिंग हो... थॅंक्स अ लॉट...मैं टेबलेट लेकर अपने रूम में सो जाउंगी ..आप सब लोग नीचे एंजाय करो...''
और वो ऐसे ही नंगी भागती हुई अपने रूम में चली गयी..
और समीर अपने लंड को लहराता हुआ नीचे की तरफ़.. सीडियों से नीचे उतरते हुए समीर उन दोनो के जंगली प्यार को देखने लगा... रश्मि को सोफे पर ओंधा लिटाकर वो उसकी चूत की कुटाई अपने मूसल जैसे लंड से कर रहा था. अपनी बीबी को अपने ही दोस्त से चुदते हुए देखकर समीर का लंड हुंकारने लगा.. ऐसी दरियादिली हर पति में नही होती.
समीर ने देखा की रश्मि की चूत में आ-जा रहा लोकेश का लंड उसकी चूत के रस में डूब कर कितनी बुरी तरह से चमक रहा है... उसकी चूत से लगातार बह रहा पानी उसकी जांघों से होता हुआ नीचे गिर रहा था और चूत में ज़्यादा कीचड़ हो जाने की वजह से फच-2 की आवाज़ों से पूरा ड्रॉयिंग रूम गूँज रहा था..
और उन फच्च-2 की आवाज़ों को संगीत से सज़ा रही थी सुरो की मल्लिका रश्मि, जो अपनी उहह-आह के संगीत को लोकेश की तालों से मिलाकर एक अलग ही नगमा पेश कर रही थी..
''आआअहह उम्म्म्मम आआआआहह सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... ओह माय गॉड ...... उम्म्म्ममममम अहह ऐसे ही .......आआआआहह मर गयी रे...''
और तभी लोकेश की नज़रें समीर की तरफ चली गयी... और कुछ देर तक दोनो ने एक दूसरे को देखा और दोनों के चेहरे पर ही वही कुटिल मुस्कान आ गयी जो अक्सर किसी रंडी की एक साथ चुदाई करते हुए आया करती थी... और समीर ने उसे चुप रहने का इशारा करते हुए अपनी बीबी की चूत मारते रहने को कहा..
और खुद वो अपने लंड को मसलता हुआ उन दोनो के करीब जाकर खड़ा हो गया.
और समीर के कहने पर एकदम से लोकेश ने आगे की तरफ झुककर रश्मि के बाल उपर की तरफ खींचे और समीर ने भी बिना कोई देरी किए उसके खुले हुए गीले मुँह में अपना लंड पेल दिया..
रश्मि तो समझ रही थी की लोकेश उसके साथ रफ़ सेक्स करने की चाह में उसके बाल खींच रहा है...पर जैसे ही उपर मुँह करते हुए उसके होंठों के बीच समीर का लंड फँसा, उसने चौंकते हुए अपनी आँखे खोल दी...
अब और कोई मौका होता तो वो डर के मारे नंगी ही घर से बाहर भाग जाती, क्योंकि वो अपने पति के दोस्त से चुदवा रही थी, पर यहाँ सब कुछ उसके पति का ही रचाया हुआ था. ऐसे में वो खुद आकर उनके साथ जाय्न करना चाहे तो वो भला कैसे मना कर सकती थी.. पर अंदर ही अंदर ये सब करते हुए वो खुद को किसी रंडी से कम नही समझ रही थी जो इस वक़्त 2-2 लंड से मज़े ले रही थी और उन्हे मज़े दे भी रही थी...
रश्मि ने भी खुद को उनके हवाले छोड़ दिया, वो समझ गयी थी की उसका पति यही चाहता है की वो और उसका दोस्त मिलकर उसकी चुदाई करे, और आप तो जानते ही है की रश्मि कितनी पतिव्रता स्त्री है, वो अपने पति को किसी भी बात के लिए मना कर ही नही सकती...
उसने समीर के लंड को अपने मुँह में रखा और उसकी आँखो में देखते-2 उसकी सेवा करनी शुरू कर दी. वो आज जिस तरीके से अपने पति का लंड चूस रही थी उससे साफ़ पता चल रहा था की वो उसे इसके माध्यम से थेंक यू बोल रही है...
दोनो दोस्तों के चेहरे एक दूसरे की तरफ थे, लोकेश रश्मि को घोड़ी बनाकर उसकी चूत मार रहा था तो समीर उसके मुँह में अपना लंड डालकर उसका मुँह चोद रहा था..
और आदत के अनुसार दोनो दोस्तों ने अपना हाथ एक दूसरे के हाथ पर मारते हुए एक दूसरे को हाइ फाइव किया जिसका मतलब था की वो जो भी कर रहे हैं, उसमे मज़ा आ रहा है. यही उनका हमेशा का स्टाइल था जब भी वो मिलकर किसी को चोदते थे.
पर आज कोई बाहर वाली रंडी नही बल्कि घर वाली रश्मि चुद रही थी, किसी रंडी की तरह... और उसे ऐसे चुदाई करवाने में मज़ा भी आ रहा था.
रश्मि अब घोड़ी बने हुए थक सी चुकी थी, उसने एंगल चेंज करते हुए अपने आप को पीठ के बल लिटा लिया.. और समीर के लंड को चूसना चालू रखा...
लोकेश का लंड फिसल कर बाहर निकल आया था, जिसे वो उसकी चूत की दरारों पर ज़ोर-2 से रगड़ने लगा... ये रगड़ाहट उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी, क्योंकि उसे अंदर लेने की लालसा उसे और भी ज़्यादा तडपा रही थी.
लोकेश ने उसकी चूत के उपर की तरफ उंगली और अंगूठे का दबाव बनाकर उसकी चूत को भींच दिया और उसके होंठों के बीच अपने लंड को उपर नीचे करने लगा..
रश्मि चीख पड़ी अपने देवर पर..
''आआआआआआआअहह लोकेश ................ मत तरसाओ ना............... डालो अंदर.............. पहले की तरह ..............प्लीज़..........''
पर वो कमीना नही माना, वो उसी तरह से अपने लंड के ज़रिए उसकी रसीली चूत से खेलता रहा.
रश्मि ने अपने पति से शिकायत की: "देखिए ना.... समझाइये अपने दोस्त को...... कैसे तडपा रहा है मुझे .......प्लीज़ उसको बोलिए की अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाले...ऐसे बाहर से ही रगदाई ना करे....प्लीज़ बोलिए ना....''
पर समीर भी कुछ नही बोला, वो अपनी बीबी की बात सुनकर मुस्कुराने लगा..
तभी नीचे की तरफ मज़े लेता हुआ लोकेश बोला: "अरे भाभी ....आप चिंता मत करिए....बस हमारा खेल देखते रहिए..''
इतना कहते-2 लोकेश ने रश्मि को खड़ा किया और खुद सोफे पर लेट गया और रश्मि को अपने उपर खींचते हुए अपना लंड उसकी चूत पर टीका दिया, वो तो पहले से ही कुलबुला रही थी उसे अंदर लेने के लिए इसलिए जैसे ही उसे अपने दरवाजे पर उसके लंड का एहसास हुआ, वो झटका मार कर एक ही बार में उसे अंदर निगल गयी...
''आआआआआआआअहह ...... उम्म्म्ममममममममममममम .......... बस अब कोई शरारत मत करना... चोदो मुझे जैसे पहले चोद रहे थे....''
लोकेश ने भी अपनी भाभी को ज़्यादा नाराज़ करना उचित नही समझा और नीचे से उसकी चूत के अंदर अपना रॉकेट दागने लगा... लगातार... बार-बार...
और तभी उसे पीछे की तरफ से अपनी गांड के छेद पर एक दस्तक सुनाई दी जो समीर के लंड ने दी थी... वो कुछ समझ पाती उससे पहले ही समीर ने अपना पूरा दम लगा कर अपने पहलवान को उसकी गांड के अखाड़े में उतार दिया...
''आआआआआआआआआआहह................... ओहsssssssssssssssss माय गॉड ...................... नोओओओओओओओऊऊऊ ...... उम्म्म्मममममममममममम ......... नूऊऊऊऊऊऊऊऊओ समीरsssssssssssssssssss .....................''
पर समीर उसकी कहा सुनने वाला था, वो अपने लंड को उसकी गांड के अंदर पहुचा कर लोकेश के झटकों के साथ लय मिलाने लगा..
आज रश्मि के जीवन का ये पहला मौका था जब वो पूरी तरह से भर गयी थी... आगे से भी और पीछे से भी...
एक अजीब से रोमांच का एहसास हो रहा था उसे... वैसे भी आज से पहले जितनी बार भी समीर ने उसकी गांड मारी थी वो उसे उतना ही एंजाय करती थी जितना चूत मरवाते हुए... पर आज एक साथ दोनो के अंदर लेने के बाद उसे पता चला की जब दुगने मज़े का एहसास होता है तो कैसा फील होता है...
वो शायद अपने शब्दों मे इस मज़े को कभी बयान नही कर पाएगी पर जो भी हो रहा था उसके साथ इस वक़्त, वो उसे उत्तेजना के एक नये शिखर पर ले जा रहा था...
और अपनी आदत के अनुसार उसने चीखना चिल्लाना शुरू कर दिया फिर से... और इस बार दर्द या शिकायत से नही, बल्कि खुशी के मारे..
''आआआआआहह ओह समईईईर .... आई एम लविंग इट ............... येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स...फक्क माय एस होल ...... ओ माय गॉड .............ऐसा मज़ा तो कभी नही मिला.............. अहह .....ओह लोकेश ............योउ आर फकिंग मी रियली गुड ...............फक्क मी ..........विद युअर कॉक ............अहहsssssssssssssssssssss .....चोदो मुझे ..............मारो मेरी गांड ..............अहह... ऊऊऊओह''
दोनो ने लय ऐसे बना रखी थी की जब लोकेश का लंड अंदर जाता तो समीर का बाहर आता और जब समीर का अंदर जाता तो लोकेश का बाहर आता...
और अंदर-बाहर के इस एहसास को रश्मि अपने उत्तेजक शब्दों मे पिरोकार उन्हे सुना रही थी... जिसकी वजह से वो और तेज़ी से उसकी गांड और चूत बजा रहे थे...
अचानक समीर ने अपना लंड उसकी गांड से निकाल लिया और थोड़ा सा नीचे करते हुए उसे उसकी चूत के दरवाजे पर लगा दिया, जहाँ पहले से ही लोकेश का लंड फँसा हुआ था...रश्मि समझ गयी की वो क्या करने वाला है, वो एक ही म्यान में दो तलवारें डालने की कोशिश कर रहा था...
 
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Update 92

वो चीख पड़ी : "नूऊऊऊऊओ... समीईर.... ऐसा मत करना.... फट जाएगी मेरी ..... प्लीज़ समीर... एक साथ मत डालो दोनो....''
पर समीर कहाँ मानने वाला था, उसने थोड़ा सा ज़ोर लगाया और लोकेश के लंड के साथ-2 अपने लंड को भी उसकी चूत में डाल दिया... और रश्मि बेचारी अपना मुँह फाड़े हुए दूसरे लंड को भी अपनी चूत में दाखिल होते हुए महसूस करने लगी... उसे तो लगा था की वो फट ही जाएगी पर उसकी चूत बड़े आशचर्यजनक रूप से रबड़ की तरह लचीली निकली और उसने धीरे-2 करते हुए समीर को भी अंदर निगल लिया...
और अब दोनो एक साथ एक ही छेद के अंदर अपना लंड पेल रहे थे.. इन दोनो की कलाकारी देखकर वो हैरान रह गयी.. बस अपना मुँह खोले वो उनसे चुदवाती रही..
पर दर्द भी हो रहा था, इसलिए उसकी रीक़ुएस्ट पर वो दोनो फिर से अपने उसी पोज़ में आ गये, यानी समीर ने फिर से उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया और पहले की तरह चोदने लगा..
और तीनो के शरीर जिस तरह की कड़ी मेहनत कर रहे थे, उनमे से पसीना निकलने लगा... तीनो के शरीर पसीने में लथपथ हो चले थे... पर चुदाई में कोई कमी नही आ रही थी...
गीली चूत और रसीली गांड के अंदर लण्डों की धकापेल चल रही थी..
और रश्मि अपना मुम्मा लोकेश से चुस्वाते हुए, अपने पति के लंड को देखते हुए मज़े ले रही थी..
लोकेश और समीर जब भी मिलकर किसी को चोदते तो हमेशा आसन बदल-2 कर, इससे चुदवाने वाली को भी मज़ा आता था और वो दोनो भी काफ़ी देर तक झड़ने से दूर रहते थे..
और इसलिए अब आसान चेंज करने का वक़्त आ गया था.
समीर उठ खड़ा हुआ और उसने रश्मि को पकड़कर अपनी गोद में उठा लिया...और इस बार उसने अपना लंड उसकी चूत में डाला, यानी गाण्ड मारने का मौका इस बार लोकेश का था... उसने भी पीछे से आकर समीर की गोद में झूल रही रश्मि की गांड पर अपना लंड टीकाया और अपने पंजे उचका कर उसे उपर की तरफ करते हुए उसके अंदर पहुँचा दिया...
और इस तरह से एक और नये तरीके से चुदाई करवाते हुए रश्मि निहाल सी हो गयी...
उसकी बाहें अपने पति समीर की गर्दन में थी और उसने अपनी टाँगे उसकी कमर से लपेटी हुई थी और दोनो के लंड एक ही बार मे उसके अंदर बाहर हो रहे थे..
जब औरत को अंदर से मज़ा आना शुरू हो जाता है तो उसे अपने पार्टनर पर बड़ा प्यार आता है और यही इस वक़्त रश्मि के साथ भी हो रहा था... पर प्राब्लम ये थी की उसके दो पार्ट्नर थे इस वक़्त... अब वो पीछे मुड़कर लोकेश को तो अपना प्यार दिखा नही सकती थी, इसलिए उसने अपने पति को अपनी बाहों में भींचकर उसके होंठों को अपने मुँह में लिया और अपना रसीला रस उसे पिलाने लगी..
समीर भी बड़े चाव से उसके मोटे मुममे दबाता हुआ, उसके होंठों का रस पीने लगा...
रश्मि थोड़े भारी शरीर की थी इसलिए दोनो जल्द ही थक गये, वैसे भी अगले आसान का वक़्त आ चुका था... इसलिए समीर उसे ऐसे ही अपनी गोद में लेकर नीचे बने बेडरूम की तरफ चल दिया... लोकेश अपना लंड निकाल चुका था और उनके पीछे-2 अपना लंड मसलता हुआ वो भी बेडरूम में आ गया...
तब तक समीर ने रश्मि को बेड पर लिटा दिया था और एक बार फिर से उसके पीछे जाकर उसकी गांद में दाखिल हो गया, यानी अब लोकेश के आगे आने की बारी थी..
रश्मि उनकी जुगलबंदी देखकर समझ चुकी थी की ये इन दोनो का पहला मौका नही है जब दोनो मिल कर किसी के साथ सेक्स कर रहे हैं, क्योंकि बिना कुछ बोले दोनो एक दूसरे की बातें समझ रहे थे और खुल कर एक दूसरे के सामने ही चुदाई भी कर रहे थे, ऐसा पहली ही बार में कोई नही कर सकता...
पर अभी इन बातों को समझने का नही, बल्कि मज़े लेने का वक़्त था, इसलिए वो सामने से आ रहे लोकेश के लंड को अपनी चूत के अंदर खिसकाते हुए, पीछे से मिल रहे समीर के झटकों को अपनी गांड में लेते हुए फिर से चिल्लाने लगी..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊओह समीईईईईर..... पहले क्यो नही किया ऐसे...............अहह ये मज़ा आज जाकर मिला...................सच में ................दोनो का एक साथ लेने मे काफ़ी मज़ा आ रहा है..............आई लव यू समीर.......''
और इतना कहते-2 उसने पीछे हाथ करके बड़े ही प्यार से अपने पति के बालों को सहलाना शुरू कर दिया..
और दोनो दोस्तों ने उसे सेंडविच बनाकर आगे-पीछे से उसकी बजानी शुरू कर दी...
उन्हे चुदाई करते-2 आधा घंटे से ज़्यादा हो चुका था... इसलिए अब दोनो झड़ने के काफ़ी करीब थे..
रश्मि तो 2 बार झाड़ चुकी थी और एक और ज्वालामुखी उसके अंदर निर्मित हो रहा था..
और आख़िरकार उसकी चूत से वो ज्वालामुखी फटकर बाहर निकल ही पड़ा, जिसके बाद उसके शरीर में कोई ताक़त बची ही नही...
ढेर सारा शहद उसकी चूत से निकलकर बेड पर गिरने लगा और वो भरभरा कर झड़ गयी..
''आआआआहह समीईईईईईर......ऊऊऊऊऊऊऊऊहह लोकेश ................आई एम कमिंग...............''
और इस बार उसने अपने सामने लेटे हुए लोकेश को ज़ोर-2 से फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया...
और उसकी थरथराहर और चीखे बहुत थी, समीर और लोकेश के लंड का पानी निकालने के लिए.... और हमेशा की तरहा दोनो ने एक साथ इशारा करते हुए अपना-2 लंड उसकी टनल से बाहर निकाला और उसके सेक्सी से चेहरे के उपर ले जाकर लहरा दिया...
और रश्मि ने बड़े ही प्यार से उन दोनो के लंड को हाथ में लिया और एक साथ चूसते हुए उसे हिलाने भी लगी.. और एक ही मिनट के अंदर-2 दोनो के नल से पानी निकलकर उसके मुँह को तर करने लगा.... और वो बड़े ही चाव से उन दोनो दोस्तों की दोस्ती की निशानी को अपने मुँह में ले जाते हुए निगल गयी...
और ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर जो संतुष्टि के भाव थे वो देखते ही बनते थे..
और उन दोनो के हमले से पस्त होकर वो वहीं ढेर हो गई..
और उसके बाद दोनो एक-2 करके नहाने गये और तैयार होकर कोर्ट की तरफ निकल गये अपना काम करने के लिए
और रश्मि वहीं पड़ी रही बेड पर... ऐसे ही .... नंगी...
नीचे रश्मि नंगी पड़ी थी और उपर वाले कमरे में उसकी बेटी काव्या.. वो भी नंगी
दोनो ही अपने -2 मज़े को सोच कर मुस्कुरा रही थी...
और आने वाले समय में क्या-2 होगा, उसका अंदाज़ा लगा रही थी..
काव्या ने पैन किल्लर की टेबलेट ले ली थी, और उसका जादुई असर हो भी गया..रात तक वो फिर से पहले की तरह चलने-फिरने लगी थी... अपनी माँ के साथ मिलकर वो काफ़ी देर तक बातें करती रही..प र चुदाई के बारे में उन्होने कोई बात नही की लेकिंग पहले से ज़्यादा प्यार आ चुका था दोनो के बीच..
समीर अपने ऑफीस से सीधा एक पार्टी में चला गया, इसलिए देर से लौटा, तब तक काव्या सो चुकी थी वरना मन तो उसका काफ़ी कर रहा था उसकी एक बार और लेने का.
अगली सुबह काव्या की नींद उसके मोबाइल की वजह से खुली, टाइम देखा तो 8 ही बजे थे, उसने मोबाइल उठाया तो देखा उसकी बेस्ट फ्रेंड श्वेता का फोन था, वो तो खुद उसे फोन करके कल की बातें बताना चाहती थी.
काव्या : "हेलो मेरी जान....कैसी है तू...''
श्वेता : "मैं तो ठीक हूँ, तू कहाँ गायब है, 2 दिनों से फोन ही नही आया तेरा...''
काव्या : "वो मैं तुझे फोन करने ही वाली थी और तुझे कुछ खास भी बताना था...''
श्वेता : "ओहो ..... चल फिर एक काम कर, तू मेरे घर आजा, यही बता दियो, वैसे भी नितिन तेरे बारे में कई दिनों से पूछ रहा है...''
नितिन का नाम सुनते ही काव्या की चूत धड़कने लगी.... अब तो वो चुद ही चुकी थी, और एक बार चूत का रास्ता खुलने के बाद वो अब रुकना नही चाहती थी. वैसे भी नितिन से पिछली बार अपनी चूत की चुसाई करवा कर जो आधा अधूरा मज़ा उसने लिया था वो आज उसे पूरे मज़े में बदलना चाहती थी... इसलिए श्वेता को उसने हाँ बोल दिया और झट से तैयार होकर उसके घर के लिए निकल गयी.
उसने एक वाइट कलर की टी शर्ट और जीन्स पहनी हुई थी, और खुशी-2 अपनी कार से श्वेता के घर की तरफ जा रही थी. पर तभी उसने देखा की चारों तरफ लोग एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं..ओर तब उसे याद आया की आज तो होली है...
ओह्ह्ह शिटsssssssssssssssssssss ..
उसे तो होली के बारे में याद ही नही था... उसे होली बिल्कुल भी अच्छी नही लगती थी और हमेशा रंगो और पानी से बचती फिरती थी. पर अब कुछ नही हो सकता था, वैसे भी श्वेता का घर पास में ही था, जब तक वो वापिस जाने का सोचती वो उसके घर पहुँच भी चुकी थी.. और अंदर जाते हुए वो बस यही प्रार्थना कर रही थी की बीच में कोई उसे पकड़ कर रंग ना लगा दे..
वो धड़कते दिल से श्वेता के घर तक पहुँची, दरवाजा खुला हुआ था और वो सीधा अंदर चली गयी, पर घर मे उसे कोई नही दिखाई दिया, वो घर के पीछे की तरफ बने गार्डन में गयी तो उसे श्वेता एक चेयर पर बैठी नज़र आई, पर जैसे ही वो उसकी तरफ बड़ी, पीछे से आकर नितिन ने उसके गोरे गालों को रगड़ डाला
और ज़ोर से चिल्लाया, "होली है............''
और साथ ही साथ उसने रंगीन पानी की एक बाल्टी लेकर उसके सिर पर डाल दी और वो उपर से नीचे तक गुलाबी पानी में नहा गयी... उसकी सफेद टी शर्ट पूरी भीग कर पारदर्शी हो गयी और उसकी ब्रा में क़ैद नन्हे मुन्ने बूब्स सॉफ नज़र आने लगे..
उसकी हालत देखकर श्वेता भी भागती हुई वहाँ आई और अपने भाई के साथ मिलकर उसे रंग लगाने लगी और साथ -2 चिल्लाती भी रही, "होली है जी होली है, बुरा ना मानो होली है...''
श्वेता ने भी अपने हाथों में ढेर सारा गीला रंग लेकर उसके चेहरे को लाल कर दिया... और टी शर्ट के उपर से ही उसने उसकी ब्रेस्ट को भी मसल दिया. नितिन ने भी अपने हाथ सेंक लिए उसकी छातियों पर रंग लगाकर
बेचारी काव्या कुछ नही कर पा रही थी... लेकिन एक बार रंग लगने के बाद और पूरी गीली होने के बाद उसके अंदर का डर निकल चुका था... उसने सोचा की अब इससे बुरा तो कुछ और हो नही सकता, इसलिए रंग मे भंग ना डालते हुए वो भी मस्ती में आ गयी और उन दोनो के उपर रंग फेंकने लगी.
श्वेता जानती थी की काव्या को होली खेलना पसंद नही है, इसलिए उसने और नितिन ने उसे अपने घर पर लाकर रंगने का प्रोग्राम बनाया था, लेकिन शुरू में डरने के बाद वो जब मस्ती पर उतर आई तो उसे भी अच्छा लगा की चलो उसने बुरा नही माना किसी बात का..
और ऐसे ही कुछ देर तक होली खेलने के बाद वो तीनो गार्डेन में जाकर बैठ गये. नितिन बाहर का दरवाजा बंद कर आया और आते हुए वो वोड्का की बोटल और ग्लास ले आया..
तब तक श्वेता ने उसे बता दिया की आज वो पूरा दिन घर पर अकेले हैं, और उनके मम्मी पापा रिश्तेदारों के घर गये हैं, होली खेलने.. और तभी उन्होने काव्या को घर पर बुलाया था ताकि वो सब भी मिल कर मज़े ले सके, यानी सेक्स के मजे
श्वेता जानती थी की उपर के मज़े तो काव्या ले लेगी पर अपनी चुदाई नही करवाएगी... पर वो ये नही जानती थी की आज काव्या पूरे मज़े लेने के मूड में ही वहाँ आई थी.
 
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Update 93

सभी ने वोडका के 3-3 पेग पी लिए और उसका असर जल्द ही दिखने लगा तीनों पर. श्वेता तो सीधा जाकर नितिन की गोद में बैठ गयी और उसे चूमने लगी... नितिन के हाथ उसकी ब्रेस्ट पर घूम रहे थे और वो उन्हे पंप करता हुआ अपनी बहन के होंठ चूस रहा था.
ऐसा कामुक दृश्य देखकर काव्या से रुका नही गया और उठकर उनके पास गयी और अपनी नर्म उंगलियों से नितिन के शरीर को सहलाती हुई वो उसकी दूसरी टाँग पर बैठ गयी और अपने चेहरे को भी उसने उन दोनो के बीच झोंक दिया..
अपने चेहरे पर लगे रंग को वो सॉफ कर ही चुके थे, इसलिए उन्हे चाटने मे कोई परहेज नही था उन्हे. काव्या के पास आते ही नितिन ने अपनी बहन को छोड़कर उसे चूमना शुरू कर दिया... आख़िर उसकी पहली पसंद तो वही थी ना. और साथ ही साथ वो उसकी गीली टी शर्ट के अंदर फँसे कबूतरों को भी मसलने में लगा रहा.
नितिन तो इस वक़्त राजा बना बैठा था कुर्सी पर, उसकी दोनो जांघों पर मस्त जवानियाँ सवार थी जो उसे चूमने में लगी थी, ऐसी किस्मत हर किसी की नही होती..
एक तो होली का मौका और उपर से वोड्का का नशा और उससे भी उपर जवानी का नशा, तीनो मिलकर धमाल मचा रहे थे..
काव्या के हाथ फिसलकर नितिन के लंड पर पहुँच गये और उसने उसकी जीन्स की चैन खोल कर उसके लंड को आज़ाद करा दिया... कल जब उसने अपने प्यारे पापा का लंड चूसा था तब भी उसने उसे नितिन के लंड से कम्पेयर किया था, जवान लंड में कुछ तो खास होता ही है, वो उसे हाथ में लेते ही वो फिर से समझ चुकी थी. उसकी गर्माहट और उभरी हुई नसें काव्या की हथेलियों को झुलसा रही थी, वो तो पागल सी हो गयी और उसके लंड को ज़ोर-2 से मसलते हुए नितिन को और भी जोरों से स्मूच करने लगी...
''आआआहह काव्य्ाआआआआअ...... उम्म्म्ममममममममममम धीरे करो बेबी .....''
पर बेचारे नितिन को क्या पता था की आज उसके साथ क्या होने वाला है... काव्या का पूरा शरीर सुलग उठा था... उसकी चूत से गर्म पानी निकलकर बाहर आने लगा था और उसकी ब्रेस्ट में दर्द सा होने लगा, निप्पलों में भयंकर खुजली होने लगी, वो तो बस चाह रही थी की उसके निप्पल्स को कोई ज़ोर से चूस ले, निचोड़ दे, काट ले...
और उसने खुद ही अपनी टी शर्ट को उतार फेंका और अपनी ब्रा को नीचे खिसका कर अपनी दाँयी ब्रेस्ट नितिन के मुँह मे ठूस दी और उसके बालों को पकड़ कर ज़ोर से अपनी छाती में दबा लिया..
''आआआआहह उम्म्म्मममममममममममम..... ओह नितिन ..............प्लीज़ सकक्क मी .......खा जाओ मुझे .......काटो इन्हे ज़ोर से.......उम्म्म्मममममममममम और ज़ोर से................ येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ....अहह ....''
और एक एक करते हुए उसने बारी -2 से अपनी दोनो छातियाँ उसके पैने दाँतों से कटवाई, उसके गर्म होंठों से चुस्वाई...तब जाकर उसे कुछ आराम आया...
और उसकी देखा देखी श्वेता ने भी अपना टॉप उतार दिया , उसने तो ब्रा भी नही पहनी हुई थी...और उसकी गोल मटोल ब्रेस्ट देखकर काव्या के मुँह में पानी आ गया और उसने अपना मुँह उसकी छाती पर लगा कर वहाँ का दूध पीने लगी...
अब वो श्वेता की ब्रेस्ट चूस रही थी और नितिन उसकी...साथ ही साथ दोनो के हाथ नितिन के लंड को भी सहला रहे थे...नितिन अपने दोनो हाथों से उन दोनो की मोटी गांड को मसल रहा था...
काव्या और श्वेता की चूत से निकल रही गर्मी से नितिन की जांघे जल रही थी. नितिन को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी दोनो टाँगों पर जलते हुए कोयले रख दिए हो ... उसने दोनो को उठाया और अपने सामने खड़ा कर दिया, दोनों एक दूसरे को चूमती रही और नितिन उनकी जीन्स को उतारता रहा, और 2 मिनट के अंदर ही दोनो पूरी नंगी खड़ी थी उसके सामने... होली के रंग उन दोनो के अंदर तक जा चुके थे, दोनो के बदन गुलबीपन लिए हुए थे इस वक़्त, पर उन्हे साफ़ करने का टाइम नही था अभी... वो भी उपर उठा और उन दोनो की ब्रेस्ट चाटता हुआ अपनी पेंट उतारने लगा. और फिर वो भी नंगा हो गया उन दोनो की तरह.
अब माहोल ये था की नशे में झूमते हुए उन दोनो के नशीले जिस्म नितिन की गिरफ़्त में थे, जिन्हे वो अपनी बाहों में भरकर बुरी तरह से चूम रहा था, उसका ज़्यादा ध्यान काव्या की तरफ ही था क्योंकि अपनी बहन श्वेता को तो वो पिछले 10 दिनों से लगातार चोद ही रहा था..
काव्या और श्वेता भी पूरे रंग में आ चुकी थी...वो दोनो नितिन के सामने बैठ गयी और उसके लंड से खेलने लगी. काव्या ने उसके लंड को मुँह में ले लिया तो श्वेता ने उसकी बाल्स को अंदर लेकर चुभलाना शुरू कर दिया..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊऊहह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...काव्या ................सक्क मी ....... य्ाआआआअ...... ऑश माय सिस्टर..... श्वेता.... सक माय बॉल्स .................उम्म्म्मममम य्ाआआआआअ...''
दोनो भूखी लोमड़ियों की तरह उसके माँस के टुकड़े को नोच रही थी... कभी उसकी गोटियों तो कभी उसके हथियार पर उन दोनो के तेज नाख़ून और दाँतों का हमला हो रहा था और वो उसे एंजाय भी कर रहा था..ऐसा वाइल्ड तरीके का सेक्स बड़ा मज़ा दे रहा था उसे.. उसके अंदर के जानवर को जगा रहा था... उस जानवर को जो आज इन दोनो चूतों के चिथड़े उड़ा देने वाला था..
उत्तेजना के चरम पर पहुँचकर नितिन ने उन दोनो को वहीं घास पर धक्का देकर लिटा दिया और दोनो के नंगे जिस्म ज़मीन पर नागिन की तरह लहरा रहे थे... नितिन ने दोनो की टाँगों का इंडिया गेट बनाया और एक-2 करके उन दोनों की रसीली चूतों का मीठा अमृत पीने लगा...दोनो के अंदर ऐसी आग लग चुकी थी की जब भी नितिन का मुँह उनकी चूत पर आता तो बड़ी मुश्किल से वो उसे दूसरी तरफ जाने देती.. आख़िर मज़ा ही इतना अधिक आ रहा था दोनो को... दोनो एक दूसरे के होंठों को चूस रही थी और अपनी-2 चूटें नितिन से चुस्वा रही थी...
आख़िर नितिन से सब्र नही हुआ और उसके लंड ने चूत की डिमांड करनी शुरू कर दी...
नितिन जानता था की काव्या नही चुदवायेगी ,इसलिए मन मारकर वो अपनी बहन श्वेता की टाँगों के बीच पहुँचा और जैसे ही उसकी चूत के अंदर लंड डालने लगा तो काव्या की सिसकारी भरी याचना उसे सुनाई दी..
''नितिन.......................प्लीज़ .........पहले मुझे चोदो ...........''
काव्या के मुँह से ये शब्द सुनकर दोनो भाई-बहन चोंक गये.... नितिन का लंड तो खुशी के मारे रो पड़ा... और श्वेता भी रहस्यमयी मुस्कान से उसे देखने लगी.... और फिर धीरे से उससे बोली: "तो इसका मतलब तुम्हारा टारगेट पूरा हो गया.... यानी तुमने कल अपने पापा से...''
नितिन वो सब नही सुन पा रहा था, पर श्वेता की बात सुनकर काव्या ने मंद-2 मुस्काते हुए हन मे सिर हिला दिया और बोली: "हाँ , यही बात तो तुझे बतानी थी पागल ''
श्वेता: "ऊऊऊऊओ माय बिच ... तो तुमने कर दिखाया.... आई एम सो हैप्पी फॉर यू .....''
और फिर से दोनो सहेलियाँ एक गहरी स्मूच में डूब गयी..
और इसी बीच नितिन भी अपना पाला बदल कर काव्या की टाँगों के बीच आ पहुँचा... और अपने लंड को उसकी गर्म चूत के मुँह पर लगाकर धीरे से धक्का दिया और उसके लंड का टोपा अंदर घुस गया..
एक तो इतना मोटा लंड और उपर से सिर्फ़ एक दिन पहले चुदी हुई चूत, दर्द तो होना स्वाभाविक ही था...
श्वेता के मुँह मे अपने होंठ फँसे होने के बावजूद वो चिल्ला उठी ..
''आआआआआआआहह उफफफफफफफफफफफफफ्फ़....... धीरे करो नितिन..... प्लीज़...........अहह''
पर नितिन को तो जैसे खजाना मिल गतहा, कच्ची चूत के अंदर लंड डालने के एहसास ने उसके जानवर को पूरी तरह से जिंदा कर दिया था और काव्या की याचना को नरंदाज करते हुए उसने अपने लंड का एक जोरदार झटका फिर से मारा और अगले ही पल वो पूरा का पूरा उसकी चूत के अंदर घुसता चला गया...
''आआआआ आआआयययययययीीईईईईईईईईईईईईईई..........ओह मॅरररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र् गयी ......''
काव्या को एक बार फिर कल वाली चुदाई का दर्द महसूस होने लगा..पर कल से तो कम ही था ये... और साथ ही साथ एक मसती भरी तरंग भी महसूस हो रही थी उसे..
और अपनी सहेली के दर्द को देखते हुए श्वेता ने अपने होंठों के मरहम को उसके चेहरे पर लगाना शुरू कर दिया... उसे चूमते-2 वो उसकी ब्रेस्ट तक पहुँच गयी... उन्हे बुरी तरह से चूस और फिर तोड़ा और नीचे खिसककर वो लंड और चूत के मिलन स्थल तक भी पहुँच गयी ताकि वहाँ चल रहे कार्यकरम का आँखो देखा हाल जान सके ..
और इतने करीब से अपने भाई के लंड को अपनी प्यारी सहेली की चूत में जाता हुआ देखकर वो भी पूरी तरह से उत्तेजित हो गयी और भाव विभोर होकर उसने उन दोनों के मिलन स्थल को चूम लिया, जिसमे एक ही बार में नितिन को अपने लंड और काव्या को अपनी चूत पर श्वेता के गीले होंठ महसूस हुए.
और तभी नितिन ने धीरे से अपना लंड बाहर खींचा, जो काव्या की अंदरुनी दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ और श्वेता की जीभ को किस्स करता हुआ बाहर आया... और दोनो घोड़ियां उसकी थिरकन को महसूस करके हिनहीना उठी..
और फिर तो नितिन रुका ही नही, दे दनादन उसने जोरों के धक्के मारकर अपने लंड को काव्या की चूत के हर कोने तक पहुँचा दिया... और वो भी अपनी कोहनियों के बल आधी लेटी हुई उसके लंड को अपने अंदर जाता हुआ देखकर चिल्ला रही थी...
''अहह ऊओह येसस्स नितिन ................. उम्म्म्ममममममममममम सच में .............तुम काफ़ी जानदार हो .....ऐसे ही चोदो मुझे ............जोरों से.................... और ज़ोर से.................... अहह........ओफsssssssssss नितिन .....फककक मी हार्डर......''
नितिन तो पहले से ही अपनी पूरी ताक़त से उसे चोद रहा था, ऐसा फरमान मिलते ही उसने अपनी रही सही ताक़त भी लगा दी.... झटके इतने तेज आ रहे थे की श्वेता ने अपना चेहरा वहाँ से दूर कर लिया की कहीं वो ना पीस जाए उनकी चक्की के बीच..
अचानक एक लंबा झटका मारने के बाद नितिन का लंड फिसलकर बाहर आ गया, श्वेता तो जैसे इसी मौके के इंतजार में थी, उसने झट से उसे पकड़ कर अपनी टाँगों की तरफ खींच लिया और खुद की चूत के अंदर घुसा लिया...
काव्या को भी साँस लेने का मौका मिल गया, कुछ देर बाद जब वो सामान्य हुई तो जो हाल नितिन ने उसका किया हुआ था वो अब अपनी बहन का कर रहा था.. जानवर की तरह चुदाई कर रहा था वो बड़े ही रफ़ तरीके से..
श्वेता: "आआआआआहह ओह नितिन .......ये क्या हो गया है तुझे आज्ज...... आआआआहह ....इतने वाइल्ड तरीके से .....अहह तो पहले कभी नही किया................ अहह ....पर जो भी है ..... मज़ा बहुत आ रहा है .....मेरे भाई ....................उ म्*म्म्ममममममममम ऐसे ही .....करता रह .........आहह...ज़ोर से ..........येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... और ज़ोर से .....''
काव्या भी तब तक पूरे होश में आ गयी थी और वो श्वेता के चेहरे पर सवार हो गयी और उसने अपना चेहरा नितिन की तरफ रखा, ताकि उसे भी चूम सके...और जैसे ही दोनो के होंठ आपस मे मिले, नितिन के झटको की स्पीड भी कम हो गयी, अब वो बड़े ही आराम से, अपना पूरा लंड बाहर निकालता, फिर अंदर डालता, ऐसा करने में श्वेता को भी एक अलग एहसास मिल रहा था, जिसे वो काव्या की चूत को चूस्कर बाँट रही थी....
और ऐसे ही धीरे-2 झटके लेकर श्वेता की चूत से गर्म पानी बाहर निकलने लगा और वो बुरी तरह से झड़ती हुई चिल्ला पड़ी..
''आआआआआहह उम्म्म्ममममममममममममम येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स आई एम कमिंग....''
नितिन ने अपना लंड फ़ौरन बाहर निकाल लिया, और काव्या ने भी अपना प्यासा मुँह नीचे की तरफ करते हुए उसकी चूत पर लगाया और अंदर से आ रही सारी चाशनी चाट गयी... दोनो सहेलियाँ इस वक़्त 69 की मुद्रा में थी...और एक दूसरे की चूतें चाट रही थी.
नितिन खड़ा हुआ और घूमकर दूसरी तरफ चला गया, जहाँ उसकी बहन का सिर था और काव्या की चूत, जिसे श्वेता बड़े ही दिल लगा कर चूस रही थी. नितिन ने अपनी बहन के होंठों की परवाह ना करते हुए अपना भी लंड बीच में घुसा दिया और एक झटका देकर उसे काव्या की चूत में भी उतार दिया... झटका एकदम से लगा था, इसलिए श्वेता को अपने होंठ बाहर निकालने का मौका भी नही मिल पाया, बेचारी का ऊपर वाला होंठ अंदर ही फँसा रह गया, दोनो भाई बहन ने एक दूसरे को देखा और दोनो की हँसी निकल गयी... नितिन ने अपना पूरा लंड अंदर तक डाला और फिर जब वापिस खींचा तो श्वेता का वो होंठ उसकी गिरफ़्त से आज़ाद हुआ...
और फिर नितिन ने अपने लंड के धक्के काव्या की चूत पर जोरों से दे मारे... और नीचे की तरफ़ लेटी हुई श्वेता उसकी चूत का बाहरी हिस्सा अपनी जीभ से चाट रही थी.....
काव्या भी झुकी हुई, श्वेता की चूत चुस्ती हुई, अपने मज़े को महसूस करती हुई, नितिन के लंड से चुदवा रही थी..
और फिर नितिन के लंड ने भी जवाब दे दिया, और उसने अपने लंड को जैसे ही बाहर खींचना चाहा, काव्या ने रोक दिया और बोली, ''अंदर ही निकालो नितिन... अंदर ही ... मैने टेबलेट ली हुई है.....''
नितिन को और क्या चाहिए था, उसके तो मज़े हो गये, उसने उसके गोल मटोल कुल्हों पर हाथ रखकर जोरों से झटके मारे और अपनी मेहनत की एक-2 बूँद काव्या की नायाब चूत की गुल्लक में डाल दी...
और उसकी गुल्लक में भी वो मेहनत टिक नही पाई और बूँद-2 बनकर वो बाहर निकलने लगी, जिसे नीचे की तरफ लेटी हुई श्वेता ने अपनी जीभ पर ग्रहण कर लिया और फिर चूत के अंदर उंगलियाँ दे - देकर बाकी की बची हुई मलाई भी खुरच खाई...
और फिर नितिन भी वहीं गहरी साँसें लेता हुआ लेट गया...
 

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