Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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राजीव उसके कंधे और गले को चूमने लगा और उसका हाथ उसकी गदराई हुई बाहों से होता हुआ उसके पेट और नाभि पर आ गए थे। सरला ने अपना मुँह घुमाया और राजीव उसके होंठ चूसने लगा। अब वो अपनी जीभ उसके मुँह में डाला और सरला उसकी जीभ ऐसे चूसने लगी मानो उसका लंड चूस रही हो।
( शिवा कार चलाते हुए पूछा: मालिनी क्या चल रहा है ।
मालिनी मोबाइल देखते हुए बोली: उफफफ मम्मी आकर पापा के खड़े लंड पर बैठ गयी हैं । और अब वो उनकी जीभ चूस रही हैं । आऽऽऽऽह मम्मी भी बहुत गरम चीज़ हैं । मालिनी अपनी सलवार के ऊपर से बुर खुजाकर बोली।
उसकी निगाह शिवा के पैंट के उभार पर थी । शिवा ने उसे दबाकर कहा: मम्मी मस्त चुदवाती हैं । उस रात को बहुत मज़ा दिया था उन्होंने। )

अब राजीव ने उसके पेटिकोट का नाड़ा खोला और उसके अंदर हाथ डालकर उसकी जाँघ सहलाने लगा और फिर उसका हाथ उसकी बुर के ऊपर घूमने लगा। सरला आऽऽऽह कर उठी। फिर उसका हाथ ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों पर आ गया और वो बोला: रानी ये तो और बड़े हो गए हैं।

सरला: आपका वहम है । मैं अभी भी ब्रा उसी साइज़ की पहनती हूँ। अब राजीव ने पीछे से उसका हुक खोला और सरला ने बाँह उठाकर अपनी ब्रा निकालने में मदद की। राजीव उसकी उठी बाँह में से उसकी चिकनी बग़ल देखा और वहाँ नाक ले जाकर सूँघने लगा। वो वहाँ जीभ से चाटने भी लगा। वो बोला: उफफफ रानी क्या मस्त गंध है तुम्हारी बग़लों की। अब वो उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को दबाने लगा। सरला आऽऽऽऽह करने लगी। अब वो उसके निप्पल भी ऐंठने लगा और वो सिसकारियाँ भरने लगी। सरला अपनी गाँड़ हिलाकर उसके पूरे खड़े लंड को महसूस करने लगी। अब राजीव बोला: रानी खड़ी होकर पेटिकोट निकाल दो ना। सरला खड़ी हुई और पेटिकोट को निकालकर अलग कर दी। अब उसके विशाल नितम्ब राजीव के सामने थे । वो उनको दबाने लगा और उन पर चुंबनों की वर्षा करने लगा। वो उसके मांसल चूतरों को दाँतों से हल्के से काटने भी लगा। सरला हाऽऽऽऽऽऽय्य कर उठी। अब वो उसको पलटा और उसकी बुर उसके सामने आ गयी थी। वो उसकी एक टाँग को अपने कंधे पर रखा और उसकी खुली बुर को सूँघा और फिर ह्म्म्म्म्म कहकर चूमने लगा। अब उसकी जीभ उसकी बुर में मज़े से अंदर बाहर हो रही थी। उसके हाथ उसके गोल गोल चूतरों पर थे । वो एक टाँग पर खड़ी थी और उसके हाथ राजीव के सिर पर थे और वो अपनी गाँड़ हिलाकर अपनी बुर उसके मुँह पर दबा कर उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ चिल्ला रही थी।

( शिवा की कार सिगनल पर रुकी तो मालिनी अपनी बुर खुजाते हुए बोली: उफफफ देखो क्या नज़ारा है। मम्मी कैसी अपनी एक टाँग उठाके पापा से मज़ा लेकर बुर चूसवा रही हैं।
शिवा भी मोबाइल देखा और बोला: आऽऽऽह क्या मज़ा ले रहें है दोनों ? वो अपना लण्ड दबाकर मस्ती से भरने लगा ।
मालिनी: हम जब पहुँचेंगे तो दोनों चुदाई चालू कर चुके होंगे ना?
शिवा: हाँ हमको चुदाई के दौरान ही पहुँचना है। यही तय हुआ है पापा के साथ। वो आँख मार कर बोला।
मालिनी थोड़ी से परेशान होकर: पता नहीं मम्मी के सामने कैसे मैं इतना खुल पाऊँगी? आख़िर में मेरी मम्मी है वो।
शिवा: अरे मैं भी तो अपने पापा के सामने पूरा खुल चुका हूँ।)

उधर सरला उइइइइइइइ कहकर अपनी बुर रगड़े जा रही थी राजीव के मुँह पर। वो बोली: आऽऽऽऽह अब चोदिए ना वरना मैं झड़ जाऊँगी।

राजीव उठा और उसके पेटिकोट और ब्रा को भी आलमारी में रख कर बिस्तर पर वापस आया। वह अपनी चड्डी भी उतार दिया।

राजीव ने अपना गीला मुँह पोंछते हुए कहा: आओ मेरे ऊपर आ जाओ। पर थोड़ा लौड़ा भी तो चूस दो मेरी जान।

सरला हँसी और नीचे बैठी और उसके लौड़े को प्यार से चाटी और फिर चूसने लगी। वो बोली: आऽऽऽह क्या मस्त लौड़ा है आपका। म्म्म्म्म्म्म्म । वो अब डीप थ्रोट देने लगी। अब राजीव की आऽऽऽऽऽऽह करने की बारी थी। वो उसके सिर को अपने लौड़े पर दबाए जा रहा था। थोड़ी देर बाद वो बोला: आओ मेरी जान अब चढ़ो मेरे लंड पर।

अब सरला उठी और एक एक पैर दोनों तरफ़ करके उसके लौड़े को पकड़कर अपनी बुर के मुँह में लगायी और नीचे होती हुई पूरा लंड अंदर करने लगी। उसकी सिसकारियाँ निकली जा रहीं थीं। उम्म्म्म्म्म्म्म कहकर वो पूरा लौड़ा निगल ली। अब वो अपनी कमर हिलाकर उसकी लम्बाई और मोटाई को अपने अंदर महसूस की और हाऽऽऽऽऽऽययय कहकर अपनी गाँड़ उछालकर चुदाई करने लगी। राजीव उसकी चूचियों को दबाकर मज़े से एक एक करके चूसने लगा। सरला आऽऽऽहहह उफ़्फ़्फ़्फ़् कहकर उछली जा रही थी। अब राजीव ने उसे अपने ऊपर करके अपने से पूरा चिपका लिया और पास रखे मोबाइल से शिवा को मिस्ड कॉल दी। अब राजीव के हाथ उसके पीठ और गाँड़ पर घूम रहे थे और सरला अब उसके होंठ चूस रही थी। चुदाई पूरे शबाब पर थी। और राजीव फिर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। वो उठकर बैठी और अब पूरी ताक़त से अपनी गाँड़ उछालकर चुदाई में लग गयी। वो चिल्ला रही थी: उन्न्न्न्न्न्न आऽऽऽऽऽह उफफफ । राजीव भी ह्न्म्म्म किए जा रहा था। कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ भी गूँज रही थी।
उधर अब शिवा और मालिनी घर के सामने ही थे जब उसे पापा की मिस्ड कॉल आयी। वो दोनों अंदर आए मालिनी की चाबी से । अब मालिनी के पैर काँपने लगे। उफफफ मैं ऐसी हालत में मम्मी के सामने कैसे जाऊँगी वो सोची। पर शिवा उसको पीछे से धक्का देकर आगे बढ़ाए जा रहा था। अब वो दोनों पापा के बेडरूम के सामने थे और अंदर से मम्मी की सिसकारियाँ सुनाई दे रही थीं। साथ ही पलंग की चूँ चूँ और फ़च फ़च की आवाज़ बता रही थी कि चुदाई ज़ोरों पर है।
तभी शिवा ने दरवाज़ा खोला और उनके सामने मम्मी पूरी नंगी होकर पूरे नंगे पापा के ऊपर बैठी हुई पूरी ताक़त से चुदाई में मस्त थीं। राजीव ने शिवा को देखा और हैरानी का नाटक किया और बोला: अरे तुम लोग यहाँ कैसे?

राजीव के लौड़े पर बैठी सरला ने सिर घुमाया और पीछे मुड़कर देखी और हक्की बक्की रह गयी। जब उसको समझ में आया कि उसकी बेटी और दामाद अचानक कमरे में आ गए हैं तो वो हड़बड़ा कर नंगी उठी और कुछ चादर या कपड़ा खोजने लगी। पर राजीव की योजना के अनुसार वहाँ कुछ नहीं पाकर वो बिस्तर पर अपनी टाँगें जोड़कर बैठ गयी और अपनी विशाल चूचियों को अपने हाथ से छुपाने का असफल प्रयास करने लगी। उसकी आँखें अपनी बेटी और दामाद पर थी। राजीव अब उठकर बैठ गया और उसने अपना खड़ा और पूरा गीला लौड़ा छुपाने का कोई प्रयास नहीं किया। उसका लौड़ा अधूरी चुदाई से ऊपर नीचे हो रहा था। सरला कभी उसके लौड़े को और कभी अपनी बेटी को देखती। उसने नोटिस किया कि मालिनी को राजीव के नगेपन से मानो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा था। वो तो बस अपनी मम्मी को हैरानी से देखी जा रही थी।

राजीव: अरे तुम दोनों कैसे वापस आ गए?

शिवा: पापा वहाँ रिज़ॉर्ट में बहुत गड़बड़ हो गयी है कुछ पुलिस का लफड़ा हो गया है तो वहाँ से फ़ोन आया कि हम ना आएँ। तो हम घर वापस आ गए। पर मम्मी यहाँ क्या कर रहीं हैं। वह नंगी सरला की तरफ़ इशारा करके बोला।

राजीव: देखो बेटा तुम लोग नहीं रहोगे सोचकर मैंने सरला को यहाँ मज़ा करने के लिए बुला क्या था। मुझे क्या पता था कि तुम दोनों वापस आ जाओगे।

सरला के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था। मालिनी भी शर्म से अपना चेहरा झुकाए हुए खड़ी थी।

सरला: चलो तुम दोनों बाहर जाओ। फिर वो राजीव से पूछी: मेरे कपड़े कहाँ हैं ?

राजीव: अरे जानू क्यों परेशान हो रही हो। अब जब इनको मालूम हो ही गया है तो क्या फ़र्क़ पड़ता है। क्यों शिवा क्या कहते हो?

शिवा मुस्कुराया और आकर सरला के पास आकर बैठा और बोला: मम्मी आपको मैं पहली बार तो नंगी नहीं देख रहा हूँ। हम तो पहले भी मज़े ले चुके हैं । और मालिनी को भी पता चल गया है ये सब ।

सरला बहुत हैरानी से मालिनी को देखी और वो अब भी चुपचाप शर्मिंदा सी खड़ी थी। अब शिवा ने सरला की बाँह सहलाकर कहा: मम्मी आप तो और सुंदर हो गयी हो। पापा आप समझाइए ना इनको कि हमारे आने से कोई परेशानी की बात नहीं है।

सरला: बेटा क्या बोले जा रहे हो। कुछ तो शर्म करो।

शिवा: मम्मी आप क्यों परेशान हो रही हो। आप पापा से चुदवा रही थीं और मुझसे भी चुदवा ही चुकीं हैं। तो अब शर्म किस बात की।

राजीव: अरे बेटा शायद इसे अपनी बेटी के सामने शर्म आ रही है। तो चलो वो परेशानी भी ख़त्म कर देते है। फिर वो मालिनी से बोला: बेटी आओ मेरी गोद में बैठो।

मालिनी ने देखा कि पापा का लंड अब भी खड़ा था और वो उसे बेशर्मी से अपने गोद में बैठने को बोल रहे थे। वो मम्मी के सामने बहुत अजीब सा अनुभव कर रही थी। वो शिवा की तरफ़ देखी तो वो उसको आँख मारकर पापा की गोद में बैठने का इशारा किया। मालिनी आगे बढ़ी और बिस्तर पर चढ़ी। राजीव ने उसकी चुन्नी निकाल दी और वो क़ुर्ती से अपनी क्लीवेज़ दिखाती राजीव के लौड़े पर बैठ गयी। सरला सन्न रह गयी। ये क्या हो रहा है? हे भगवान।

शिवा मुस्कुराता हुआ बोला: देखो मम्मी आपकी बेटी कितने प्यार से पापा के लंड पर बैठी है। क्यों जानू पापा का लंड मस्त लग रहा है ना तुम्हारी गाँड़ के नीचे?

सरला हैरानी से शिवा को देखी मानो पूछ रही हो कि ये क्या बोले जा रहे हो? उधर शिवा ने सरला की जाँघ सहलाना शुरू किया। सरला ने उसके हाथ को हटाने की कोशिश की पर शिवा फिर से अपना हाथ उसकी जाँघ पर रखा। अब सरला ने देखा कि राजीव मालिनी के क़ुर्ती के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबा रहा था और वो बोला: देखो सरला कितनी बड़ी हो गयी हैं तुम्हारी बेटी की चूचियाँ । मालिनी का चेहरा शर्म से लाल हुआ जा रहा था ।

शिवा: पापा ये तो शर्माते ही जा रही है। इसका कोई इलाज करो ना।

राजीव : हाँ सही कहा। अच्छा बेटी चलो पापा का लंड चूसो। वो उसे गोद से उठाते हुए बोला।

सरला की जैसे साँस ही रुक गयी। हे भगवान इसका क्या मतलब है? याने कि मालिनी का ससुर उसको उसके पति की जानकारी में उसके साथ ये सब कर रहा है? उफफफफ ।

अब मालिनी राजीव के लंड को मूठ्ठी में भरकर सहलायी और फिर राजीव ने उसका सिर अपने लौड़े पर दबाया और मालिनी का मुँह अपने आप खुल गया और वो उसे चूसने लगी। सरला की आँखें मानो उसके सॉकट से बाहर ही आ रही थीं। उसकी बेटी उसके और अपने पति के सामने अपने ससुर का लंड चूस रही है।
अचानक सरला चौंकी क्योंकि शिवा ने उसका हाथ हटाके उसकी चूचियाँ दबानी शुरू कर दी थी। राजीव भी अपना हाथ सरला की जाँघों के बीच डाल रहा था । वह फिर से मालिनी के सिर को देखी जो कि लौड़ा चूसते हुए ऊपर नीचे हो रहा था । सरला अब गरम होने लगी और उसकी जाँघ अलग हो गयी। राजीव का हाथ सरला की बुर में पहुँच गया और वो उसमें तीन उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करने लगा । सरला जैसे किसी मेजिक स्पेल में थी । उसकी आँख मालिनी पर ही थी और शिवा और उसका पापा उसकी चूचियाँ और बुर से खेल रहे थे।

अचानक मालिनी रुकी और सिर उठाई और मम्मी को देखी अब वो सन्न रह गयी थी। उफफफ मम्मी रँडी की तरह दो मर्दों से मज़ा ले रही थी। और वो दोनों बाप बेटा थे ।अब सरला की आऽऽऽऽऽऽऽह निकलने लगी थी। अब उसकी गाँड़ हिलने लगी थी राजीव कि उँगलयों के साथ साथ। शिवा भी उसकी निपल्ज़ को मसलते हुए उसको मज़े से भर गया था।

अब राजीव बोला: बेटी चलो अपने कपड़े उतारो । अब तुम्हारी चुदाई करते हैं। मैं तुमको चोदूंग़ा। और शिवा तुम्हारी मम्मी को चोदेगा।

सरला और मालिनी जैसे शर्म से भर गयीं। ये सब क्या हो रहा है?
 
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मालिनी राजीव की बात सुनकर थोड़ी सी घबराई सी थी क्योंकि राजीव ने उसे कपड़े उतारने को कहा था। अब उसकी हिचकिचाहट देख कर राजीव उसको अपने पास खिंचा और उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिया। सरला अब भी अपनी बेटी को देखे जा रही थी।शिवा अब भी उसकी एक चूचि दबा रहा था और उसकी बुर में अब वो ऊँगली भी करने लगा था।
अब राजीव मालिनी की क़ुर्ती उतारने लगा। मालिनी ने भी हाथ उठाके उसकी मदद की। अब वो ब्रा में थी और राजीव ने ब्रा से झाँक रहे उसके गोरे चूचे चूम लिए। अब वो उसकी सलवार का नाड़ा खोला और मालिनी ने अपनी गाँड़ उठाकर सलवार उतारने में उसकी मदद की। वो अब सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में आ गयी थी। नंगे राजीव की गोद में ब्रा और पैंटी में बैठी मालिनी को देख कर सरला धीरे से बोली: शिवा ये सब तुम्हारी मर्ज़ी से हो रहा है क्या? तुम्हारी बीवी कैसे अपने ससुर के गोद में बैठी है। तुमको बुरा नहीं लगता?

शिवा: अरे मम्मी इसमें बुरा लगने का क्या है? यह तो ख़ुशी की बात है कि आपकी बेटी अपने पति और ससुर को ख़ुश कर रही है। जैसे आप मुझे और मेरे पापा को ख़ुश कर रहे हो। यह कहते हुए उसने ३ उँगलियाँ उसकी बुर में डालीं और उँगलियाँ निकालकर उनका गीलापन सरला को दिखाकर और चूसते हुए बोला: देखो मम्मी आप कितनी गरम हो चुकी हो।चलो अब चुदवा लो आप।

उधर राजीव अब मालिनी की ब्रा भी खोल चुका था और अब वो उसकी चूचियाँ दबाते हुए चूसने लगा था। मालिनी ने सरला से निगाह चुराते हुए उसका सिर अपनी चूचि पर दबाया और आऽऽऽऽऽह कर उठी। अब राजीव उसे लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ और चूचियाँ चूसने लगा।

शिवा भी सरला को लिटाकर उसके ऊपर आ गया और वो भी उसकी चूचियाँ चूसने लगा। वो भी हाऽऽऽऽय कर उठी।
सरला ने मुँह घुमाकर मालिनी को देखा तो पाया कि राजीव अब उसकी पैंटी उतार रहा था और फिर उसने वहाँ उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया। अब मालिनी आऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽपा चिल्ला उठी ।
तभी सरला की बुर में शिवा ने भी अपना मुँह घुसेड़ा और जीभ से उसकी बुर चाटने लगा। अब सरला भी आऽऽऽऽह शिवाऽऽऽऽऽ चिल्लाई। मालिनी चौकी और सरला को देखी और अपने पति को अपनी माँ की बुर चाटते देखकर उत्तेजित हो उठी। उफफफफ ये कितना मादक दृश्य है । तभी राजीव ने उसकी क्लिट को जीभ से कुरेदा और वह गाँड़ उछालकर चिल्लाई : उफफफफ पाआऽऽऽऽऽऽऽपा।
सरला चौंक कर देखी और अपनी बेटी की बुर को समधी से चटवाते हुए देखी और समझ गयी कि वो उसकी क्लिट पर हमला किए हैं तभी बेटी ऐसे चिल्ला रही है।
तभी सरला की बुर चाट रहे शिवा ने भी उसकी क्लिट को जीभ से छेड़ा और वी भी अपनी गाँड़ उठाकर चिल्लाई: आऽऽऽऽऽहहह बेएएएएएएएएएएटा।

उधर मालिनी : आऽऽऽऽहहह पाआऽऽऽऽऽपा।

अब शिवा ने सरला की दोनों टाँगे उठाकर अपने कंधे में रखी और उसकी बुर में अपना लौड़ा घुसाया और सरला की बुर में दबाता चला गया। जब पूरा लंड अंदर समा गया तो वह उसके ऊपर आकर उसकी चूचियाँ दबाकर उसके होंठ चूसने लगा और अपनी जीभ सरला के मुँह में घुसेड़ दी। सरला गरम होकर उसे चूसने लगी। अब शिवा ने चुदाई चालू की। और सरला मस्ती से चुदवाने लगी। अब वो अपनी गाँड़ उछालकर चुदवा रही थी। वह चिल्ला रही थी: आऽऽऽऽऽऽऽह बेएएएएएएएएएएटा और जोओओओओओओओओओर से चोओओओओओदो। वो भूल गयी थी कि बग़ल में उसकी बेटी अपने ससुर से चुदवा रही है।

राजीव भी मालिनी की टाँगें मोड़कर फैलाया और अपना लौड़ा उसकी गीली बुर में घुसेड़ता चला गया। अब मालिनी भी चुदवाते हुए चिलाने लगी: आऽऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽपा फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओओ मेरीइइइइइइइ बुउउउउउउउउर कोओओओओओओओओओ। उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ मज़ाआऽऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ गयाआऽऽऽऽऽ।
सरला चौंक कर फिर से अपनी बेटी को देखी और सोची कि उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्ती से चुदवा रही है अपने ससुर से। पक्की चुदक्कड बना दिया है इसके ससुरे ने इसे। तभी शिवा के ज़ोरदार धक्कों से मस्त होकर वो भी आऽऽऽऽऽऽऽऽह कर उठी।

राजीव : बेटा मज़ा आ रहा है ना?

शिवा: हाँ पापा बहुत मज़ा आ रहा है। क्या मस्त बुर है मम्मी की। और चूचियाँ भी बहुत दमदार है। वो उनको मसलते हुए बोला।

राजीव: आऽऽऽह बेटा , बहु भी बहुत मस्ती से चुदवाती है। मस्त बुर है इसकी भी। वो और ज़ोर से चोदते हुए बोला: बेटी मज़ा आ रहा है ना?

मालिनी: आऽऽऽऽह पाआऽऽऽपा बहुत मज़ाआऽऽऽऽ आऽऽऽ रहाऽऽऽ है। वो नीचे से गाँड़ उछालते हुए बोली।

शिवा: आऽऽऽहब मम्मी आपको भी मज़ा आ रहा है ना?

सरला: आऽऽऽऽऽऽह हाँआऽऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽ है बेएएएएएएएटा। और चोओओओओओओदो ।हाऽऽय्य ।

अब पूरा पलंग हिले जा रहा था और चुदाई पूरे ज़ोरों पर थीं । फ़च फ़च की आवाज़ से और चुदाई की गंध से कमरा महक उठा था। तभी मालिनी चिल्लाई: पाआऽऽऽऽऽपा मैं गयीइइइइइइइइ। और वो कमर उछालकर झड़ने लगी। राजीव अभी भी झड़ने के क़रीब नहीं था। सो वो धक्के मारे जा रहा था।

तभी शिवा आऽऽऽऽऽऽह् मम्मी मैं भी गयाआऽऽऽऽऽऽ। कहकर झड़ने लगा। अब तक सरला एक बार झड़ चुकी थी पर उसका ऑर्गैज़म फिर से तय्यार होने लगा था। तभी शिवा उसके ऊपर से हट गया। राजीव समझ गया कि सरला एक बार और झड़ना चाहती है। वो उठा और सरला के ऊपर आकर उसकी टाँगे फैलाया । वहाँ शिवा का रस उसे साफ़ नज़र आया। उसने मालिनी की पैंटी से सरला की बुर साफ़ की और फिर अपना लौड़ा अंदर उसकी बुर में पेल दिया। सरला की आऽऽऽह निकली मगर वह मज़े से भरकर राजीव के होंठ चूसने लगी और नीचे से गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। शिवा उनकी ओर करवट लेकर उनकी चुदाई देख रहा था। अब मालिनी भी उठकर बैठी और अपनी माँ को अपने ससुर से चुदवाते देखने लगी। उफफफफ क्या चुदाई हो रही थी। कमरा फ़च फ़च की आवाज़ से भर गया था। पापा की कमर पिस्टन की तरह आगे पीछे हो रही थी और मम्मी भी नीचे से अपनी गाँड़ उछालकर चिल्ला रही थी: आऽऽऽऽऽऽऽऽऽह फ़ाआऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओओ मेंएएएएएएएएएरी चूउउउउउउउउत।
राजीव: ह्म्म्म्म्म्म हूँन्न्न्न्न्न कहकर झड़ने लगा और मालिनी भी उइइइइइइइइइइ कहकर अपना पानी छोड़ने लगी। थोड़ी देर में दोनों हाँफते हुए अग़ल बग़ल ढेर हो गए।

मालिनी ने देखा कि पापा का रस अब भी उसकी माँ की बुर से बाहर आए जा रहा था।

शिवा मालिनी को सरला की बुर की ओर देखता हुआ देखा और मुस्कुराया और बोला: जानू देखो मम्मी की बुर से पापा का रस बाहर आ रहा है। यहीं से कभी तुम २२ साल पहले बाहर आयी थी।

मालिनी ने धत्त कहकर उसे एक मुक्का मारा। और सब उसकी बात सुनकर हँसने लगे।

अब सरला मुस्कुरा कर बोली: बेटी तू भी इसका जवाब दे ना। वो अपनी बुर में दो ऊँगली डालकर राजीव का वीर्य निकाली और बोली: देख शिवा, ऐसी ही एक बूँद से तेरे पापा के वीर्य से तू पैदा हुआ है।
अब सब हँसने लगे।
राजीव: सरला इसको चाटो ना। और एक ऊँगली बहु को भी दो चाटने के लिए।

सरला पल भर को झिझकी फिर एक ऊँगली चाटकर उसका वीर्य पी गई। अब वो अपनी दूसरी ऊँगली मालिनी की ओर बढ़ाई जिसे मालिनी ने थोड़ा शर्माते हुए चाट ली। शिवा और राजीव ताली बजाकर बोले: wwwwwwoooowww।
कमरा सेक्स की महक से भर उठा था । अब रिश्तों का कोई महत्व नहीं रह गया था। अब वहाँ कोई माँ या बेटी नहीं थी और ना ही कोई बाप या बेटा था । बस थे तो मर्द और औरत जो बस एक दूसरे में समाकर अपनी हवस की आग शांत करना चाहते थे। मतलब बस चुदाई का पूरा मज़ा लेना चाहते थे।
फिर सब बाथरूम जाकर फ़्रेश होकर आए और मालिनी बोली: पापा हम तो खाना खा कर आए हैं और आप दोनों के लिए खाना पैक करवा कर लाएँ हैं। आप लोग अब खाना खा लो।

सरला ने अपने कपड़े माँगे और कहा: मालिनी मेरे कपड़े आलमारी से निकाल दे बेटी ज़रा।

राजीव ने उसकी चूचियाँ सहलाकर कहा: अब तुम कपड़े कल सुबह ही पहनोगी जब कामवाली बाई आएगी। अभी रात भर हम सब नंगे ही रहेंगे। क्यों शिवा ठीक है ना?

शिवा भी उसकी एक चूचि दबाकर बोला: बिलकुल पापा सही कहा आपने। वैसे भी मालिनी और हम दोनों कल भी रात भर नंगे ही रहे हैं।

सरला हैरानी से मालिनी को देखी और सोची कि मेरी छोटी सी बेटी में कितना बदलाव आ गया है। बिलकुल चुदक्कड हो गयी है। वो चुपचाप उठी और सबके साथ ड्रॉइंग रूम में पहुँची। राजीव: उफफफ शिवा देखो तुम्हारी सास की गाँड़ कैसे हिल रही है। क्या मोटी मस्त गाँड़ है। मैं तो अभी इसकी गाँड़ ही मारूँगा। वो आगे बढ़ा और उसके दोनों चूतरों को अपने पंजों में भरने का असफल प्रयास करने लगा।

सरला हँसने लगी और बोली: आऽऽऽह खाना तो खा लीजिए।
अब शिवा भी बोला: सच में पापा , मम्मी की गाँड़ बहुत मस्त है। मैं भी इनकी गाँड़ मारूँगा।

मालिनी किचन में जाती हुई बोली: बेचारी मम्मी दोनों बाप बेटा आपकी गाँड़ के पीछे पड़े हैं।

सब हँसने लगे। सरला और मालिनी अब परस्तिथि से समझौता करने लगे थे।
मालिनी ने सबको खाना खिलाया और सरला और मालिनी को नंगी हालत में देखकर दोनों बाप बेटा फिर से गरम होने लगे थे। सरला की चूचियाँ टेबल पर ऐसे पड़ी थीं मानो वो भी कोई खाने की चीज़ हो। कभी शिवा और कभी राजीव उनको मसल देते थे। मालिनी ये सब देखकर गरम हो रही थी। सरला भी खाना खाकर वापस आकर बैठी और अब उसका हाथ राजीव के लौड़े पर चला गया और वो उसे सहलाने लगी। सरला के हाथ लगते ही उसका लंड खड़ा होने लगा। राजीव ने उसकी चूचि दबायी और बोला: सरला अब मैं तुम्हारी गाँड़ मारूँगा। सच बहुत दिन हो गए तुम्हारी गाँड़ मारे हुए।

सरला उसके लंड को सहलाते हुए बोली: मार लीजिएगा , मैंने कौन सा मना किया है।

शिवा: मम्मी , आपको पता है पापा ने तो मालिनी की भी गाँड़ मारकर खोल दी है।

सरला: आपने मालिनी को इस सबमे क्यों शामिल कर लिया? ये सब कबसे चल रहा है?

राजीव: अरे बहुत दिनों से मैं मालिनी को पटा रहा था पर ये बहुत समय लगायी पटने में। है ना बहु रानी?

मालिनी: समय लगा पर आपने मुझे फ़ंसा ही लिया अपने चक्कर में।

शिवा: मैं तो बहुत ख़ुश हूँ मम्मी। मेरे को तो बस ऐसी ही पारिवारिक चुदाई बहुत अच्छी लगती है।

मालिनी: तो इसे परिवार में ही रखिए ना? बाहर वालों जैसे आयशा और असलम का चक्कर क्यों चला रहे हैं?

सरला चौंक कर: ये दोनों कौन है?
 

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