राजीव ने बुर में ३ ऊँगली डालकर उसे उँगलियों से चोदता हुआ बोला: तब डॉली बड़े गर्व से बोली कि बाबूजी पूरे स्कूल में सभी लड़कियाँ बोलती हैं कि मेरे दूध सबसे बड़े हैं। तब माँ बोली कि वो तो होंगे ही आख़िर रोज़ अपने बाबूजी से दबवाती जो है। अब बाबूजी ने उसको अपनी गोद से उतारा और उसके टॉप और ब्रा को उतार दिए और उसकी चूचि पीने लगे। उफ़्फ़ क्या नज़ारा था। मैं तो जैसे पागल ही हो गया था। फिर बाबूजी ने उसकी स्कर्ट ऊपर की और उसको दीवान में लिटा दिया और अपनी लूँगी खोल दी और अपना मोटा लम्बा लौड़ा उसकी बुर में उतार दिया और उसकी ज़बरदस्त चुदाई करने लगे।
मालिनी: आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह माँ के सामने? और वो बच्ची उनका मोटा वाला ले ली?
राजीव ने अब अपने लौड़े को उसकी गाँड़ पर हिलाते हुए अपनी उँगलियाँ तेज़ी से चलानी शुरू कीं और मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी।
राजीव: हाँ माँ के सामने बाबूजी उसकी बेटी को चोद रहे थे और तभी माँ उठी और आकर बाबूजी के बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहलाने लगी। अब बाप बेटी दोनों ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगे और झड़ने लगे।
और तभी मालिनी भी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पापाआऽऽऽऽऽऽ जीइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी ।राजीव भी उत्तेजित हो चुका था और वह भी उसकी गाँड़ में उसके स्कर्ट के ऊपर अपना रस गिराने लगा।
थोड़ी देर कमरे में दोनों की तेज़ साँसों की आवाज़ के अलावा सन्नाटा था। अब राजीव ने अपनी उँगलियाँ उसकी बुर से निकाली और उनको चूसने लगा। मालिनी थकी सी उसकी गोद में बैठी थी। राजीव: सॉरी बेटी, तुम्हारी स्कर्ट गंदी कर दी मैंने। मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया था उन पलों को याद करके। इसलिए मैं भी झड़ गया।
मालिनी: आऽऽह पापा जी, मेरा इतना ज़बरदस्त ऑर्गैज़म इसके पहले कभी नहीं हुआ, पता नहीं मुझे क्या हो गया था। ये कहते हुए वह खड़ी हुई और ज़मीन पर पड़ी अपनी पैंटी उठाई। जब वो खड़ी हुई तो राजीव उसके सामने घुटने के बल बैठ गया और बोल: बेटी, आज एक इच्छा पूरी कर दो ना। प्लीज़ अपनी बुर के एक बार दर्शन करा दो।
मालिनी शर्मीली हँसी हंस कर बोली: पापा जी जेसी सबकी होती है वैसे ही मेरी भी है। उसमें ख़ास क्या है?
राजीव ने स्कर्ट उठाया और उसकी बुर उसके सामने थी । वह मस्त हो गया उस फूली हुई कचौरी को देखकर। वह अपना सिर वहाँ घुसाया और उसे चूम लिया।
मालिनी हँसकर: सिर्फ़ देखने की बात हुई थी चूमने की नहीं।
फिर वह उसका सिर हटाई और अपने कमरे में चली गयी। वह सीधे बाथरूम में जाकर अपनी स्कर्ट उतारी और वहाँ सफ़ेद वीर्य का दाग़ देखी तो उसको नाक के पास लाकर सूंघी और फिर जीभ से चाटी। अब वह अपने आप को शीशे में देखी और सोची कि उसे ये क्या हो रहा है। वह कैसे इतनी बदल रही है। उसने आज पापा जी से दो बार अपनी बुर में ऊँगली करवा ली और उनको अपनी बुर भी दिखा दी और उसे चूमने भी दी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ये सब क्या हो रहा है। वो ऐसे कैसे शिवा को धोका दे सकती है। नहीं नहीं उसे संभलना होगा। ये सब बन्द होना चाहिए। फिर वह सोचने लगी कि शिवा के दादाजी अपनी ही बेटी और बहन को चोदते थे। और उसकी दादी भी अपने भाई से चुदवाती थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या ऐसे परिवार भी होते हैं। ये तो सरासर पागलपन है। फिर वह सोची कि अगर ये ग़लत है तो उसे ख़ुद को ये कहानी सुनने में इतना मज़ा क्यों आया? क्यों वह आख़री तक उसे सुनती रही और पापा जी से भी मज़ा लेती रही। उसका सिर घूमने लगा। वह अब कपड़े बदल कर लेट गई और शिवा का इंतज़ार करने लगी।
उधर राजीव अपने कमरे में अपनी आज की सफलता पर बहुत ख़ुश था। उसका कमीना दिमाग़ कह रहा था कि आज उसने बहु के बुर की चुम्मी ली है जल्द ही वह बुर भी लेगा। वह कमिनी मुस्कान के साथ लेटा और फिर सो गया।
मालिनी की आँख खुली तो शाम के ८ बज गए थे, उसने शिवा को फ़ोन किया तो वो बोला कि थोड़ी देर होगी। तभी उसे रीमा की याद आइ ,उसने रीमा को फ़ोन लगाया: हाय रीमा, मैं मिसेस शिवा बोल रही हूँ।
रीमा: ओह, हाँ जी बोलिए। नमस्ते।
मालिनी: नमस्ते। अभी फ़्री हो या बिज़ी हो?
रीमा: नहीं बिज़ी नहीं हूँ, कहिए।
मालिनी: देखो रीमा, आज मुझे शिवा ने सब कुछ बताया जो मुझे काफ़ी परेशान कर गया। क्या सच में तुम्हारे ससुर ने तुमसे ज़बरदस्ती की है?
रीमा: हाँ जी रात भर मेरे साथ बुरा काम किया।
मालिनी: तो तुम पुलिस में इस लिए नहीं जा रही हो कि वो तुमको घर से निकाल देगा और उसकी पेन्शन की रक़म भी नहीं मिलेगी। पर तुम आगे क्या करोगी?
रीमा: मैं क्या कर सकती हूँ। उनको भी नहीं बता सकती हूँ। अब तो ससुर जी अपनी मर्ज़ी करेंगे। और मुझे सहना पड़ेगा।
मालिनी: पर कोई तो रास्ता होगा।
रीमा: मैंने बहुत सोचा पर मुझे कोई रास्ता नहीं दिखा ।
मालिनी: ओह चलो मैं सोचती हूँ फिर बताऊँगी।
फिर मालिनी ने फ़ोन काट दिया। अचानक वो अपनी स्तिथि से उसकी तुलना की और सोची कि उसके ससुर भी तो यही कर रहे हैं। उसकी मजबूरी का फ़ायदा ही तो उठा रहे हैं। पर एक बात है कि वो ज़बरदस्ती बिलकुल नहीं करते। बल्कि उसका ख़याल भी रखते हैं। वो फिर से भ्रम की स्तिथि में आ गयी ।
तभी शिवा आया और वो दोनों बातें करने लगे।
शिवा: जानती हो आज रीमा के बारे में एक नई बात पता चली।
मालिनी: वो क्या? मैं तो अभी उससे बात की है। वो अपने ससुर की शिकायत के लिए तय्यार नहीं हो रही है।
शिवा: अब सुनो एक अजीब बात। थोड़ी देर पहने शीला जो कि रीमा की पक्की सहेली है मेरे पास आइ और बोली: सर आपसे एक प्रार्थना है कि रीमा की बात को यहीं ख़त्म कर दीजिए। मैंने पूछा वो क्यों। वो बोली कि असल में आज वो आवेश में आकर आपको सब बता दी। सच ये है कि उसका ससुर उसे कई दिनों से सिडयूस कर रहा था और वह ख़ुद ही मन ही मन उसे प्यार करने लगी । फिर रात को जब उसने उसे चोद लिया तो वह ग़िल्ट में आकर आपको बोल बैठी कि उसके साथ ज़बरदस्ती हुई है। सच तो ये है कि उसने समर्पण किया है। वो अपने ससुर से भी प्यार करने लगी है और अब वह उसके बिना भी नहीं रह सकती। सिर्फ़ अपराध भावना के वश में उसने आपसे ससुर की शिकायत कर दी थी। तब मैंने भी कह दिया कि वो एक वयस्क महिला है मुझे क्या करना है इन सबसे। चलो अब इस चैप्टर को बंद कर दिया जाए।
शिवा की बात सुनकर मालिनी को लगा कि जैसे ये तो क़रीब उसकी ख़ुद की कहानी हो।उसका सिर चकराने लगा। तो क्या ये सब भी घर घर की दास्ताँ है। क्या जहाँ मौक़ा मिले ससुर बहु के साथ ये सब करता है। और वो पापा जो आज बताए कि बाप बेटी और भाई बहन का रिश्ता भी अब पवित्र नहीं रहा। और आख़िर में रीमा की यह कहानी कि उसे अब ससुर से भी लगाव हो गया है। वो अब दो नावों में सवार है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या सही है और क्या ग़लत, कोई कैसे फ़ैसला करे।
शिवा: अरे मेरी जान, किस ख़याल में डूब गयी। क्या आज शाम की खुराक नहीं मिलेगी?
मालिनी: आज रात में ही कर लेना। अभी मूड नहीं है। प्लीज़। बुरा तो नहीं मानोगे?
मालिनी आज दो बार पापा की उँगलियों से झड़ चुकी थी।
शिवा उसको प्यार करते हुए: अरे कोई नहीं रात को सही ऐसा भी क्या है। रात में दो राउंड चुदवा लेना , ठीक है ना?
मालिनी हँसती हुई: चाहो तो तीन राउंड कर लीजिएगा।
दोनों हँसने लगे।
रात को खाना खाते हुए सब बातें कर रहे थे । मालिनी ने नोटिस किया कि पापा जी के किसी भी हाव भाव से कोई नहीं कह सकता कि वो आज दिन भर सेक्स में लिप्त थे। पहले नूरी की चुदाई और फिर मेरे साथ दो बार गंदी हरकतें और उससे भी ज़्यादा गंदी बातें की थी उन्होंने। शिवा भी अपनी दुकान की बातें कर रहा था।
कमरे में आकर शिवा ने आज भी उसकी दो राउंड चुदाई की। जिसमें एक बार उसने मालिनी को चौपाया बना कर पीछे से चोदा। फिर दोनों लिपट कर सो गए।
अगले दिन वो ब्रा और नायटी में किचन में चाय बनाई और राजीव को आवाज़ दी । राजीव अपने कमरे में नहीं था। तभी वह बाहर से वॉक करके आया। और आज फिर वो उसके लिए जलेबी लाया था। उसने मालिनी को पकड़ कर चूमा और गुड मॉर्निंग बोलकर उसके मुँह में एक गरम जलेबी डाल दिया। मालिनी हँसती हुई बोली: क्या बात है पापा जी, आज कल मेरे लिए रोज़ जलेबी लायी जा रही है।
राजीव भी हँसकर: अरे मेरी प्यारी बेटी, तुम मेरा इतना ख़याल रखती हो तो मैं क्या इतना सा भी नहीं कर सकता।
चाय पीकर वह अपने कमरे में चला गया। थोड़ी देर बाद कमला और वो किचन में लगी रहीं। फिर उसने शिवा को उठाया। शिवा बाद में जब दुकान चला गया तब वो पेपर पढ़ रही थी, तभी राजीव नहा कर बाहर आया और उसके पास आकर बैठा और बोला: बेटी, एक ख़ुशख़बरी है।
मालिनी: क्या पापा जी?
राजीव: कल मुझे एक sms आया है कि मुझे बैंक जाना है, और मेरी एक सेविंग का समय समाप्त हो गया है और आज मेर अकाउंट में २० लाख ट्रान्स्फ़र होंगे । मैं तुमको और शिवा को कोई उपहार देना चाहता हूँ।बोलो क्या चाहिए?
मालिनी का मुँह इतनी बड़ी धन राशि का सुनकर खुला ही रह गया। वो बोली: पापा जी मैं क्या बोलूँ? आपको जैसा ठीक लगे वैसा करिए।
राजीव: अरे मैं तो ,तुमको कुछ चाहिए क्या सिर्फ़ ये पूछ रहा हूँ। और जहाँ तक ये पैसों का सवाल है वो मैं अपने पोते और पोती के लिए रखूँगा जो कि तुम यहाँ से पैदा करके हमें दोगी। ये कहते हुए उसने उसके पेट को नायटी के ऊपर से सहला दिया।
मालिनी शर्मा कर हँसी: तो आप सब कुछ अपने पोतों के लिए रख देंगे और हमको कुछ नहीं देंगे।
राजीव: बेटी, इतनी देर से और क्या बोल रहा हूँ, कि बताओ क्या चाहिए? तुम तो कुछ बोल ही नहीं रही हो ।
मालिनी: पापा जी मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस इनको दुकान के लिए जब भी कुछ चाहिए होगा उतना कर दीजिएगा, मेरे लिए इतना ही बहुत है।
राजीव उसको चूमते हुए बोला: अच्छा बेटी ये तो बताओ की तुम लोगों ने मेरे पोते की क्या प्लानिंग की है?
मालिनी शर्माकर: कैसी प्लानिंग पापा जी? हमने तो कोई प्लानिंग नहीं की है।
राजीव हैरानी से: मतलब तुम लोग कोई फ़ैमिली प्लानिंग नहीं कर रहे हो?
मालिनी: नहीं पापा जी हम कुछ नहीं कर रहे हैं।
राजीव: अरे बेटी, तो तुम्हारी शादी को क़रीब ६/७ महीने हो गए हैं। अगर तुम लोग प्लानिंग नहीं कर रहे हो तो अब तक तो तुमको प्रेगनेंट हो जाना चाहिए था। जानती ही महक हमारी शादी के दो महीने बाद ही सविता याने तुम्हारी सास के गर्भ में आ गयी थी। मैं तो आज तक सोच रहा था कि तुम लोग प्लानिंग कर रहे होगे इसलिए अब तक तुम प्रेगनेंट नहीं हुई हो। अगर ऐसा नहीं है तो यह चिंता का विषय है, मेरी प्यारी बेटी। ५/६ महीने में तो तुमको ख़ुशख़बरी देनी ही चाहिए थी।
मालिनी: पर पापा जी लोगों के तो ४/५ साल भी बच्चे होते है?
राजीव: अरे बेटी, फ़ैमिली प्लानिंग करोगे तो ज़ाहिर सी बात है बाद में ही होंगे। पर अगर प्लानिंग नहीं कर रहे हो तो फिर तो समय पर हो जाना चाहिए। चलो मैं शिवा से भी बात करता हूँ।
मालिनी: पापा जी क्या ये सचमुच चिंता का विषय है?
राजीव उसे प्यार से देखते हुए कहा: अरे बेटी, हर समस्या का हल होता है। हम भी इसका हल निकाल लेंगे। अभी तुम दोनों जवान हो चिंता की कोई बात नहीं है। वह उसका गाल सहला कर बोला : चलो तुम नहा लो और मैं बैंक होकर आता हूँ।तुमने बताया नहीं कि क्या लाना है तुम्हारे लिए?
मालिनी हँसकर: आपको जो लाना हो ले आयिएगा।
राजीव : ठीक है पर बाद में नाराज़ नहीं होना, ठीक है। हा हा। वह हँसते हुए बाहर चला गया।
मालिनी अपने कमरे में जाकर नहाने का इंतज़ाम करने लगी और फिर सोची कि पापा ने ये क्यों कहा कि अब तक बच्चा हो जाना चाहिए था। क्या उन दोनों में कोई गड़बड़ है । वो सोची कि शिवा से इसके बारे में बात करेगी ।फिर वह नहाकर बाहर आयी और सलवार कुर्ता डालकर शिवा को फ़ोन किया: सुनो पापा जी आज बहुत ख़ुश हैं । उनको आज उनकी कोई पुरानी सेविंग से २० लाख रुपए मिले हैं ।
शिवा: हाँ पापा का फ़ोन आया था बहुत ख़ुश थे, मुझसे पूछे तुमको क्या चाहिए, मैं बोला कि मेरी कार बदल दीजिए। वह मान गए।
मालिनी: वाह आपने तो ले लिया और मैं बोल बैठी कि मुझे कुछ नहीं चाहिए। बेवक़ूफ़ हूँ मैं।
शिवा हँसने लगा और बोला: जानू ग्राहक ज़्यादा हैं, बाद में फ़ोन करूँगा। फिर उसने फ़ोन काट दिया।