Incest ससुर कमीना और बहू नगीना (Completed)

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राजीव झुका और उसके गाल को चूमकर बोला: बेटी, मुझे तो तुमसे एक ही चीज़ चाहिए और वो है ये। यह कहकर वो उसकी बुर पर सलवार के ऊपर से सहला दिया।

मालिनी: उफफफफ पापा जी अभी तो इसको चूसा है आपने। अब फिर से वही चाहिए।

राजीव: बेटी, चूसने और चोदने में बहुत फ़र्क़ है। जैसे चूसवाने में मज़ा आया है ना , वैसे ही एक बार चुदवा कर देख लो और भी ज़्यादा मज़ा आएगा मेरी रानी बेटी। वह अब भी उसकी बुर सहला रहा था।

अब मालिनी उठी और बोली: पापा जी मुझे समय चाहिए प्लीज़ । मैं अभी भी मानसिक रूप से इसके लिए तय्यार नहीं हूँ। नूरी का पति उसको सेक्स का सुख नहीं देता और उसका वो भी पतला है और ना ही उसको माँ भी बना पाता है। इसलिए उसके पास कारण है पति से बात छिपाने का और उसे धोका देने का। पर पापा जी आप ही बताइए कि मेरे पास क्या कारण है शिवा को धोका देने का। वो तो मुझे पूरी तरह से संतुष्ट करते हैं ,उनका भी आपके जैसा ही बड़ा भी है, फिर क्यों धोका दूँ मैं उनको? सच में मैं बहुत ही उलझन में हूँ। प्लीज़ पापा जी अभी भी मैं तय्यार नहीं हूँ इसके लिए।

राजीव: अच्छा एक बात बताओ , कि तुम मुझसे बुर चूसवाने का और मेरा लौड़ा चूसने का कार्यक्रम तो बंद नहीं करोगी। या यह भी बन्द कर दोगी?

मालिनी: उफफफ पापा जी आप भी कैसे कैसे सवाल पूछते हैं।

राजीव: बेटी, और क्या पूछूँ ? चुदवाने को तो तुम अब भी तय्यार नहीं हो तो यही सही?

मालिनी: ठीक है पापा जी ये सब हम आगे भी करते रहेंगे। पर आप लिमिट क्रॉस नहीं करेंगे? ठीक है ना?

राजीव: ठीक है बेटी, पर एक बात और है कि मैंने अब तेरी चूचियाँ नहीं देखी हैं। एक बार उनको दिखा दे और चुसवा ले।

मालिनी: पापा जी वो बिलकुल नहीं हो सकता। असल में मेरी छातियाँ मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी है। अगर वो आपने नंगी करके दबायीं और चूसीं तो मैं इतना गरम हो जाऊँगी कि बिना चुदवाए रह ही नहीं पाऊँगी। और वो अभी मैं नहीं चाहती इस समय।इसलिए प्लीज़ आप मुझे इसके लिए मजबूर नहीं करिएगा।

राजीव: ठीक है जैसा तुम चाहोगी बेटी वैसा ही होगा। पर इनको इस तरह से कपड़ों के ऊपर से तो सहला सकता हूँ ना? वो उसकी चूची दबाकर बोला ।

मालिनी अब मुस्कुरा कर बोली: ये तो आप करते है ही रहते हैं । चलिए अब चाय बनाती हूँ। मुझे उठने दीजिए ना।

राजीव ने उसे छोड़ दिया और बोला: सच में बेटी, अब चाय पीने की बड़ी इच्छा हो रही है। चलो मैं भी तुम्हारी मदद करता हूँ।

मालिनी हँसी और बोली: आप किचन में आए तो मुझे सब जगह से दबाएँगे। चाय तो बनाने नहीं देंगे। आप सोफ़े पर बैठिए मैं अभी चाय बनाकर लाती हूँ।

राजीव हँसते हुए सोफ़े पर बैठा और चाय का इंतज़ार करने लगा। उसे लगा कि बात सही दिशा में जा रही है लगता है जल्दी ही काम बन जाएगा।

उधर मालिनी चाय बनाते हुए सोच रही थी कि पापा जी को आज उसने जो छूट दी है उसका अंत क्या होगा? वो सोचने लगी कि वो क्या करे ? अगर पापा जी को चूस कर भी शांत नहीं किया तो वो फिर से दूसरी शादी की बात करेंगे। और वो ऐसा किसी भी क़ीमत पर होने नहीं दे सकती थी। उसका बदन भी पापा जी से मिलन के लिए लगभग तय्यार ही था बस उसकी अपराध भावना उसे चुदवाने से रोक रही थी। वो चाय बनाई और लेकर ड्रॉइंग रूम में आयी जहाँ उसका ससुर या आशिक़ उसका इंतज़ार कर रहा था।

मालिनी चाय लेकर आयी और राजीव को दी। दोनों आमने सामने बैठ कर चाय पीने लगे।
राजीव: बेटी, नूरी तो लगता है कि तीन दिन में चली जाएगी। अब तक तो तुमको मैं मना नहीं पाया हूँ चुदवाने के लिए। अब क्या मैं तुम्हारी मम्मी सरला को बोल दूँ तीन दिनों के बाद जब भी सुविधा हो आ जाए एक हफ़्ते के लिए । क्या कहती हो?

मालिनी सब समझ रही थी कि ये भी उसके ऊपर दबाव डालने का एक तरीक़ा है पापा जी का । पर वह सामने से बोली: आप देख लीजिए। ये तो आप दोनों के बीच की बात है । इसमें मैं भला क्या कह सकती हूँ।

राजीव: पर अगर वो आ गयी तो मैं जो तुमसे अभी ओरल सेक्स कर रहा हूँ वो भी बंद हो जाएगा।

मालिनी: तो क्या हुआ । मम्मी तो आपको ओरल के अलावा टोटल सेक्स भी देगी। आपको क्या फ़र्क़ पड़ेगा?

राजीव: और तुमको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा?

मालिनी: पापा जी मेरे लिए शिवा है ना। आप क्यों उनको भूल जाते है।

राजीव: हाँ है तो। पर तुम कहती हो ना कि मैं ही तुम्हारी बुर सबसे अच्छी चूसता हूँ। फिर क्या करोगी?

मालिनी मुस्कुराकर: इंतज़ार करूँगी मम्मी के वापस जाने का।

राजीव भी मुस्कुरा कर बोला: बड़ी बदमाश हो गयी हो। फिर से प्यार आ रहा है तुम पर।

मालिनी हँसती हुई: आपका बस चले तो मुझे दिन भर ही प्यार करते रहें। पर मुझे बहुत काम है और अभी बाई आएगी और खाना भी बनाना है। ये कहकर वो किचन में चली गयी।

उस शाम या रात को और कुछ ख़ास नहीं हुआ। रात को सामान्य चुदाई के बाद शिवा और मालिनी सो गए।

सुबह उठकर मालिनी ने ब्रा पहनी और एक नयी स्लीवलेस नायटी पहनी। पेटिकोट उठाई पहनने के लिए , फिर शरारत से मन ही मन मुस्करायी और उसे नहीं पहनी। पैंटी तो मानो उसने पहनना ही छोड़ दिया था। उसने शीशे में अपने आप को देखा तो वह ख़ुद ही अपने रूप पर मुग्ध हो गयी। एक तो वैसे ही दूधिया गोरा बदन और उस पर से स्लीवलेस नायटी से उसकी गदराई बाँहें जैसे क़यामत ढा रही थीं। और इस नायटी से थोड़ा सा कलिवेज भी दिख रहा था। गोरे गोरे गोलाइयों की झलक बहुत ही कामुक दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। वह सोची कि बेचारे पापा जी का आज क्या होगा?

वो एक बार फिर से वाशरूम गयी और मूत कर अपनी बुर और गाँड़ को अच्छी तरह से धोयी। फिर उसे सुखाकर वह बाहर आकर किचन में जाकर चाय बनाई।

चाय बनाकर वह आवाज़ दी: पापाजी आइए चाय बन गयी है।

राजीव: बेटी, चाय आज यहीं दे दो। थोड़ा पैर में चोट लग गयी है।

मालिनी चाय लाकर: क्या हुआ पापा जी ? चोट कैसे लगी?

राजीव अभी ट्रैक सूट में ही था। वो बोला: बेटी, वॉक पर एक ऊँची नीची जगह में ठोकर लगी और गिर गया हूँ। थोड़ी सी छिल गयी है चमड़ी और कुछ नहीं।

मालिनी हँसते हुए: ज़रूर लड़कियों को देख रहे होंगे इसलिए रास्ते से ध्यान हट गया होगा।

राजीव: अरे बेटी, जिसके घर में तुमसी हसीन लड़की हो उसे बाहर देखने की क्या ज़रूरत है। वैसे आज ये नायटी तुम पर बहुत फ़ब रही है। वह उसकी नंगी बाँह सहला कर बोला।

मालिनी: मैं डेटोल लाती हूँ आप बताइए कहाँ खरोंच लगी है।

वह डेटोल लायी तब तक उसने अपनी क़मीज़ उतार दी थी और उसकी नंगी चौड़ी छाती उसके सामने थी जिसमें बाँह पर कुछ चोट के निशान थे। फिर उसने अपनी पैंट उतारी और अपनी चड्डी में आ गया। उसकी जाँघ और नीचे पिंडली पर भी चोट के
निशान थे।
राजीव अब चड्डी में था और चड्डी में से उसके बड़े बॉल्ज़ और आधा खड़ा लौंडा काफ़ी भरा हुआ से दिख रहा था और उसने रुई में डेटोल लिया और उसकी बाँह में लगाने लगी। वह बिस्तर पर बैठे हुए था। उसने हाथ बढ़ाकर मालिनी के मस्त चुतरों को सहलाया और बोला: बेटी , आज पेटिकोट नहीं पहना है इसलिए मस्त लग रहा है तुम्हारा पिछवाड़ा। उफफफ क्या नरम गाँड़ है। वह अब उसकी गाँड़ के छेद में ऊँगली डाल नायटी के ऊपर से बहुत ज़्यादा मस्त हो गया।

मालिनी चुपचाप अपनी गाँड़ में ऊँगली करवा रही थी और अब उसकी जाँघ में भी दवाई लगाई और अब तो उसकी चड्डी में से उसका लौंडा खड़ा होकर अचानक उसकी चड्डी से बाहर आ गया। मोटा सुपाड़ा बाहर आकर बाहर झाँक रहा था और उसके छेद से एक बूँद प्रीकम भी दिख रहा था। अब मालिनी की बुर भी गीली होने लगी।

राजीव: बेटी, जल रहा है, फूँक मारो ना।

मालिनी हँसकर : क्या पापा जी आप भी बच्चों जैसे हल्ला मचा रहे हैं। वो फूँक मारने लगी। अब वो नीचे बैठी और उसकी पिंडलियों में दवाई लगाई और तभी नीचे बैठी मालिनी की छातियाँ बैठने के कारण उसके घुटनों में दबी और काफ़ी सारी छाती का गोरा मांसल हिस्सा बाहर झाँक रहा था। अब राजीव हाथ बढ़ाकर उसके छातियों के नंगे हिस्से को सहलाने लगा। वह उनको दबा भी दिया। मालिनी अब गरम होने लगी। वह झट से खड़ी हुई और अब राजीव ने उसका हाथ अपने लौंडे पर रख दिया। मालिनी भी मज़े से सुपाड़े को दबायी और उसकी प्रीकम को उसके सुपाड़े पर मलने लगी। फिर वह उसको अपनी गोद में खिंचा और उसकी छातियाँ दबाकर उसको चूम लिया। मालिनी हँसकर बोली: पापा जी ये क्या सुबह सुबह ही चालू हो गए। चलिए अभी छोड़िए ना, शिवा को भी उठाना है। प्लीज़ ।

राजीव : बाद में तो मज़ा दोगी ना?

मालिनी: अच्छा अगर मैं नहीं दूँगी मज़ा ,बोलती हूँ तो आप क्या मानोगे।

फिर वह हँसती हुई बोली: अच्छा अभी तो जाने दीजिए ना प्लीज़।

राजीव : ठीक है बेटी, चलो जाओ पर आज थोड़ी मस्ती करेंगे ठीक है ना, शिवा के जाने के बाद।

मालिनी बाहर जाते हुए बोली: वो तो आप करेंगे ही हा हा।

अब मालिनी शिवा को चाय देकर उसको भी उठाई। वो पेट के बल लेटे हुए था। मालिनी के उठाने से वो सीधा हुआ और मालिनी के सामने उसका खड़ा लौंडा था।

मालिनी: उसके लौंडे को दबा कर बोली: ये मॉर्निंग इरेक्शन है या सपने में किसी को चोद रहे थे?

शिवा उसको अपने ऊपर खींच कर गिरा दिया और बोला: अरे जागते हुए और सपने में भी सिर्फ़ तुमको ही चोदता हूँ।
अब दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। फिर मालिनी हँसकर बोली: चलो अब उठो और नहाओ।

शिवा: चलो ना साथ में नहाते हैं।

मालिनी: इतवार को हम साथ में नहा लेंगे। आपकी छुट्टी के दिन। ठीक है चलिए अब आप तय्यार हो जाओ।

शिवा उठके बाथरूम में चला गया। मालिनी किचन में जाकर बाई से काम करवाने लगी और नाश्ते की तय्यारी में लग गई।

शिवा के जाने के बाद बाई भी काम करके चली गई और मालिनी भी एक तौलिए से अपना पसीना पोंछने लगी। तभी राजीव लूँगी और बनयान में आया तो वह थोड़ा सा लँगड़ा रहा था । वह बोला: बेटी, कोई दर्द कम करने की दवाई दो। पैर दुःख रहा है।

मालिनी उठकर दवाई और पानी लाकर उसे दी जो वह खा लिया और मालिनी बोली: पापा जी डॉक्टर को दिखा दीजिए ना।

राजीव: बेटी, ज़रा सरसों का तेल गरम कर दो ना। जाँघ में मालिश करना पड़ेगा।

मालिनी तेल गरम करके लायी और नीचे ज़मीन पर बैठ गयी। उसने राजीव की लूँगी हटाई और उसकी जाँघ में तेल लगाने लगी। अब राजीव ने कहा: बेटी, लूँगी उतार देता हूँ वरना तेल लग जाएगा। यह कहकर उसने लूँगी निकाल दिया।
 
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अब वो नंगा सोफ़े पर बैठा था। मालिनी उसकी जाँघ में तेल मलने लगी। उसकी बालों से भरी पुष्ट जाँघ को वो सहला रही थी और मज़े से भर रही थी। उफफफफ क्या मर्दाना बदन है पापा का।

राजीव का लौंडा मालिनी के नरम स्पर्श से गरम होकर सिर उठाने लगा। अब मालिनी को भी मज़ा आने लगा था।

राजीव: बेटी, बहुत अच्छा लग रहा है । आराम मिल रहा है बहुत।

मालिनी: पापा आपको अच्छा लग रहा है ये तो मुझे भी दिख रहा है। वो उसके खड़े होते हुए लौंडे को देखकर मुस्कुराकर बोली।

राजीव हँसकर: बड़ी शरारती हो गयी हो तुम मेरी प्यारी बेटी। ज़रा इसकी भी मालिश कर देना।

वो आँख मारकर बोली: पापा ठीक है मैं तेल मल देती हूँ। अब मालिनी गरम हो गयी थी और उसकी इच्छा हो रही थी कि बुर को खुजा दे पर हाथ में तेल लगे होने के कारण वह अपनी जाँघें रगड़ कर ख़ुद को शान्त की। अब राजीव भी मस्ती में आकर अपने पैर फैला दिया और उसका खड़ा लौड़ा मालिनी की आँखों के सामने हिले जा रहा था। उसके बड़े बॉल्ज़ को देख कर मालिनी मस्त हो गई।

वो बोली: पापा आप सोफ़े पर बैठे रहेंगे तो वो तेल से गन्दा हो जाएगा। मैं एक चादर लाती हूँ आप उस पर बैठिएगा।

वह उठके एक पुरानी चादर लायी और सोफ़े पर बिछा दी। अब वो फिर से उसपर बैठ गया और अपनी कमर को हिला कर ऐसे बैठा कि उसके बॉल्ज़ एकदम सोफ़े के किनारे पर आ गए थे।
अब मालिनी ने तेल अपने हाथ में लिया और उसको लौडे पर मला। अब वो उसकी मालिश करने लगी। अब उसने सुपाड़े पर भी तेल मला और उसकी भी मालिश करने लगी। उफफफफ क्या मज़ा आ रहा था। अब वो उसके बॉल्ज़ को भी तेल लगाकर मालिश करने लगी। राजीव की आँखें मज़े से बंद हो रही थीं। वह अब हाथ बढ़ाकर उसकी छातियाँ दबाने लगा। मालिनी की बुर पनिया गई थी। वो लौड़ा सहलाते हुए सीइइइइइइइ कर उठी।

अब मालिनी ने उसके लौडे को मूठीयाने लगी। और दूसरे हाथ से उसके बॉल्ज़ को सहलाने लगी। राजीव अब अपनी कमर हिलाकर मज़े लेने लगा। राजीव अब आऽऽऽऽऽऽहहह बेटीइइइइइइइ क्या मस्त लग रहा है। और जोओओओओओओओर से करोओओओओओओओओ। मैं गयाआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ। अब वो सफ़ेद गाढ़ा वीर्य मालिनी की नायटी पर छोड़ने लगा। फिर मस्ती से मालिनी ने भी उसकी दिशा अपने मुँह की ओर कर दिया और कुछ रस उसके मुँह में भी गिर गया। वह चाटकर मस्ती से भरने लगी। जब राजीव झड़कर शान्त हो गया तो वो वहीं लुढ़ककर लेट गया। मालिनी उठी और बाथरूम में जाकर हाथ मुँह धोकर किचन में जाते हुए बोली: पापा जूस पिएँगे ?

राजीव आँख मारते हुए: तुम्हारी बुर का?

मालिनी: नहीं संतरे का?

राजीव: अरे तुम्हारे संतरे का ?

मालिनी मुस्कुरा कर: मेरे नहीं असली संतरे का।

राजीव: चलो पी लेंगे बेटी।

मालिनी थोड़ी देर में जूस बना कर लाई और राजीव को भी दी। राजीव उसे पकड़कर गोद में बिठा लिया और बोला: बेटी इसे मीठा कर दो ना।

मालिनी हंस कर: अच्छा लायिए , मैं पहले पी लेती हूँ। वो उसमें से एक घूँट पी ली और फिर राजीव उसको पीने लगा। वो बोला: सच में मीठा हो गया है अब वो उसके गाल चूमा और बोला: बेटी बहुत मीठी हो तुम।

मालिनी: पापा अब मैं नहा लूँ? आप तो नहा लिए हैं।

राजीव : बेटी मैं नहला दूँ?

मालिनी: आज क्या हुआ है जो बाप बेटा दोनों साथ में ही नहाने को बोल रहे हैं।

राजीव: क्या शिवा भी यही बोला था?

मालिनी: हाँ पर मैंने कहा इतवार को नहा लीजिएगा। हा हा ।

राजीव: आज मेरे साथ नहा लो और इतवार को उसके साथ नहा लेना।

मालिनी: मैं उनके साथ नहाती हूँ तो पूरा कार्यक्रम हो जाता है। आपके साथ नहाऊँगी तो भी वही होगा।

राजीव: अरे बेटी, मैं नहीं चोदूँगा बस नहा लेना मेरे साथ।

मालिनी: आप नहीं करेंगे तो मैं ख़ुद करवा लूँगी। मैं बहुत उत्तेजित हो जाती हूँ साथ नहाने पर।

राजीव उसकी छाती मसल कर बोला: तो ठीक है चुदवा लेना। इसमें क्या समस्या है।

मालिनी : अच्छा अब जाती हूँ नहाने। बहुत पसीना आया था किचन में।

राजीव: सच पसीना आया था? देखूँ तो कैसी गंध है तुम्हारे पसीने की? वो उसकी बाँह उठाया और और अपनी नाक उसकी बग़ल में ले जाकर वहाँ सूँघने लगा। आऽऽऽह बेटी क्या मादक गंध है, सच में बहुत कामुक लग रही है । फिर उसने दूसरे हाथ के साथ भी वही किया । फिर उसको बोला: सच बेटी मस्त गंध है। और एक बात बताऊँ तुम्हारी बुर और गाँड़ की गंध भी बहुत मस्त है।

यह कहते हुए वह बोला: सच में बेटी, एक बार तुम्हारी बुर सूँघना है। वह अब नीचे बैठा और उसे खड़ा करके उसकी नायटी उठा कर उसकी बुर को देखा और वहीं नाक ले जाकर वह उसे सूँघने लगा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मालिनी को लगा कि वह अभी झड़ जाएगी। वह थोड़ी देर सूँघा और बोला: आऽऽऽन्भ्ह्ह्ह क्या मस्त गंध है। अब वह बुर चूमने लगा। फिर वह उसे घुमाया और अब उसके चूतरों को फैलाया और उसकी गाँड़ में अपनी नाक लगाया और बोला: हम्म कितनी मादक गंध है बेटी। पागल हो रहा हूँ इनको सूंघ कर। आऽऽऽऽऽऽऽहहहह। फिर उसने जीभ से उसकी गाँड़ चाटी। अब मालिनी उसको हटाई और बोली: पापा हटिए ना, उफफफफ क्या कर रहे हैं ? छोड़िए ना। मुझे नहाना है अभी । प्लीज़ ।

राजीव : चलो जाओ नहा लो। बेटी, तुम्हारी झाँटें बढ़ गयीं हैं , लगता है कई दिन से काटी नहीं हैं । मैं साफ़ कर दूँ?

मालिनी: मैं ख़ुद साफ़ कर लूँगी। अब चलती हूँ।

मालिनी ने अपनी नायटी नीचे की और अपने कमरे में चली गयी। उफफफ पापा भी कितने हॉट हैं। हर समय उसकी बुर को गीला कर देते हैं। फिर वो नहाने के लिए गयी और अपनी बुर को चेक की, सच में थोड़े बाल आ गए थे। उसने वीट क्रीम ली और वहाँ लगाकर सफ़ाई कर दी। फिर नहा के साड़ी और स्लीव्लेस ब्लाउस में बाहर आयी। पापा अपने कमरे में जा चुके थे। अब वो टी वी देखने लगी। थोड़ी देर बाद उसने खाने के लिए पापा को आवाज़ दी।
वो: बेटी आज मैं बेड पर ही खाऊँगा। पैर मैं अभी भी दर्द है।

मालिनी कमरे में जाकर उसको बिस्तर पर लेटे हुए देखी तो उसके पास जाकर बिस्तर पर बैठी और पूछी: पापा क्या बहुत दर्द हो रहा है?

राजीव: नहीं ज़्यादा तो नहीं पर हो रहा है। वह अब उसकी नंगी बाहों को सहला कर बोला: बेटी बहुत प्यारी लग रही हो इस साड़ी में।अब तक दर्द हो रहा था पर अब तुमको देख कर दर्द भाग गया है।

मालिनी: तो खाना यहाँ लगा दूँ?

राजीव: हाँ बेटी यहाँ ही लगा दो। वह अपनी जाँघ दबा कर बोला।

मालिनी: पापा आज नूरी की कैसे लोगे फिर ?

राजीव उसकी साड़ी को एक तरफ़ करके उसके चिकने पेट को सहलाया और फिर नाभि में एक ऊँगली डाल कर उसकी गहरी नाभि को छेड़ने लगा। फिर वह अपने हाथ उसके साड़ी के अंदर डालने की कोशिश किया और बोला: नूरी को आज अपने ऊपर चढ़ा लूँगा बेटी। तुम भी तो ऊपर चढ़ कर शिवा को चोदते होगी।

वो मज़े से हंस कर उठ खड़ी हुई और बोली: पापा मैं खाना लाती हूँ। आपकी बातों का कोई अंत नहीं है।

राजीव: ठीक है चलो अब खाना लगा दो।

मालिनी थोड़ी देर में उसे खाना निकाल कर दे गयी।

क़रीब एक घंटे के बाद नूरी आ गयी। मालिनी उसे पापा की चोट का बतायी। वो पापा के कमरे में गयी। फिर बाहर आकर वो हँसकर बोली: ज़्यादा चोट नहीं है। बोले हैं आज मैं ऊपर रहकर उनको चोदूँगी। मैं बोली वैसे भी आधे समय तो मैं ही ऊपर रहती हूँ। हा हा ।

मालिनी शर्मा कर: दीदी आप भी ना कुछ भी बोलते हो। चलो आप जाओ जो करना है करो। मैं इसको सुला देती हूँ।

नूरी राजीव के कमरे में घुस गयी। राजीव उसको दरवाज़ा खुला रखने को बोला। वो चाहता था कि मालिनी को आवाज़ें सुनाई दें और वो चाहे तो सब कुछ देख भी ले और गरम हो जाए।

थोड़ी देर में वहाँ से आवाज़ें आने लगीं। सिसकियाँ और आऽऽह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वग़ैरह। मालिनी उतसुक़्ता से वहाँ देखी और उसे दरवाज़े से साफ़ साफ़ नूरी पापा के ऊपर चढ़ी नज़र आयी और उसकी गाँड़ ऊपर नीचे हो रही थी और पापा के बड़े बॉल्ज़ साफ़ साफ़ दिख रहे थे जो कि उसकी गाँड़ को ठोकर मार रहे थे। वो अब मज़े से भरने लगी। जल्दी ही नूरी की आऽऽऽहहहह हाऽऽऽऽय्य और उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ सुनाई दी। और वो कुछ बोली। राजीव अब उसके ऊपर आ गया और उसे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। जल्दी ही उन दोनों के क्लाइमेक्स आ गए और वो झड़ गए। मालिनी की बुर गीली होने लगी।

वो किचन में जाकर पानी पी कर ख़ुद को शांत करी। नूरी बाहर आयी और बोली: आज अंकल बोले है कि एक राउंड ही करेंगे। मुझे भी कुछ काम है, मैं चलती हूँ। तुम अंकल का ख़याल रखना। यह कर वह आँख मारकर मुस्कुराई।

फिर वो चली गयी। पीछे रह गयी अशांत मालिनी। फिर वो दोनों अपने अपने कमरे में आराम करने लगे।

शाम को जब उसने चाय के लिए पापा को आवाज़ दी और बोली: पापा आइए चाय पी लीजिए।

राजीव: बेटी चाय भी यहीं दे दो। अब मालिनी को चिंता हुई किकहीं पापा को ज़्यादा चोट तो नहीं लग गयी। वो चाय लाकर बोली: पापा आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

यह कहते हुए मालिनी ने उसकी लूँगी जाँघ से हटाई और उस जगह को हल्के से दबाया। वह धीरे से उफफफफ कर उठा। अब उसका सोया हुआ लौड़ा लूँगी से दिखाई दे रहा था। अब मालिनी बोली: पापा और तेल लगा दूँ।

राजीव: हाँ बेटी, प्लीज़ लगा दो। वो बाहर जाकर तेल गरम की और वापस आइ और उसकी जाँघ में तेल लगाने लगी। राजीव बग़ल में बैठी अपनी जवान बहु की कमर सहलाने लगा। फिर उसके नंगे पेट को भी दबाया।

मालिनी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की तो राजीव का हौसला बाधा और अब वो उसकी साड़ी को हटाकर उसके ब्लाउस के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। मालिनी अब गरम होने लगी। राजीव ने कहा: बेटी, झाँटे साफ़ की?

मालिनी ने शर्मा कर हाँ में सिर हिलाया। वह मस्ती से भर गया और बोला: बेटी फिर एक काम करो ना ? मेरे मुँह पर बैठो ना। मुझे बहुत अच्छा लगता है जब कोई जवान लड़की अपनी बुर मेरे मुँह में रखकर बैठती है। प्लीज़ ।
 
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मालिनी ने चुप चाप उसकी तरफ़ देखा ।उसकी उत्तेजना भी अब चरम सीमा पर थी और वह जैसे रोबॉट की तरह बिस्तर पर खड़ी हुई और अपनी साड़ी और पेटिकोट एक साथ उठाई और अपनी बुर को राजीव के मुँह पर रख कर बैठ गयी। उसकी दोनों जाँघें उसकी एक एक कान को छू रहीं थीं।

राजीव ने कभी सोचा भी नहीं था कि बहु एकदम से उसके लिए मान जाएगी। वह हैरानी से उसके चिकने खुले हुए बुर को देखा और बोला: आऽऽऽह बेटी क्या मस्त चिकनी बुर है अच्छे से साफ़ किया है। झाँट का नामोंनिशान नहीं है। फिर वह उसकी कमर को पकड़कर उसकी बुर को अपने मुँह पर रखा और उसे नीचे से चूमने लगा। मालिनी ने बेड का हेड रेस्ट पकड़ा हुआ था और अब वो अपनी कमर हिलाकर बुर को उसके मुँह पर रगड़ रही थी। राजीव के होंठ उसकी बुर से जैसे चिपक गए थे। वह खुली हुई बुर में जीभ डालकर मानो उसे चोद रहा था।

अब मालिनी की आऽऽऽह हाय्यय पापाआऽऽऽऽऽ जैसी आवाज़ें निकल रही थीं। जल्दी ही वह अपनी कमर को जोर ज़ोर से हिलाकर अपनी ऑर्गैज़म की तरफ़ बढ़ने लगी। राजीव भी उसके बड़े चूतरों को दबाकर उसकी गाँड़ में भी ऊँगली करने लगा। मालिनी दोहरे मज़े से भर गयी और अब आऽऽऽह्ब्ब्ब्ब पाआऽऽऽऽऽऽऽऽपा कहकर झड़ने लगी। राजीव भी मज़े में उसकी बुर को चूस कर उसका पानी पीने लगा।

अब मालिनी उसके ऊपर से उठी और उसके बाथरूम में मूतने गयी। बाहर आकर वो बोली: पापा आपके इस कड़क हथियार का अब क्या होगा?

राजीव : बेटी इसे अकेले रहने की आदत है। कोई बात नहीं। शांत हो जाएगा। पर आज तुम्हारी बुर चूसने में बहुत मज़ा आया।

मालिनी: पापा सच में आप मस्त मज़ा देते है। मुझे भी मज़ा आ गया। अब चलती हूँ।

राजीव: बेटी, एक बार अपने चूतर तो दिखा दो साड़ी उठाके।

मालिनी हँसी और बोली: लो देख लो । आप भी क्या याद करोगे?
यह कहते हुए उसके दरवाज़े के पास से अपनी साड़ी और पेटिकोट उठाकर अपने चूतर दिखाए ।

राजीव: आऽऽऽऽह बेटी, अब चूतरों को अलग करके अपनी गाँड़ भी दिखाओ ना।

मालिनी ने वो भी किया और अपने छेद को दिखाई और बोली: बस अब जाऊँ?

राजीव: बेटी, आगे की ओर झुको और बुर भी दिखाओ।

मालिनी ने हँसते हुए आगे की ओर झुक कर बोली: पापा कई बार तो देख चुके हो। अभी चूसे भी हो।वही है कोई बदल नहीं गयी है। हा हा । फिर वो साड़ी नीचे करके चली गयी।

राजीव अपने लौड़े को सहलाता हुआ सोचा कि वाह रे मेरी संस्कारी बहु । आज अपने चूतर फैलाकर अपनी गाँड़ और बुर दिखा रही है। जल्दी ही अब मुझसे चुदवाएगी भी।
वह कमीनी मुस्कान के साथ अपने लौड़े को हिलाकर अपना रस गिरा दिया।

मालिनी भी अपने कमरे में आकर सोची कि हाय आज उसे क्या हो गया था जो वो पापा की हर बात मानते चली गई? वह अब पापा के गिरफ़्त में आ रही थी। उसे लगा कि वो अब एक क़दम ही दूर थी शिवा को धोका देने से । वह सोच रही थी कि क्या अपनी वासना के आगे सम्पर्ण कर दे या शिवा के प्यार का सम्मान करे । आज सच में उसकी बहुत इच्छा हो रही थी कि अभी जाए और पापा को बोले कि मुझे चोद दो। फिर वो सोची कि पता नहीं क्या सही है और क्या ग़लत?????

अगले दो दिन कुछ नया नहीं हुआ ।नूरी आती चुदवा कर चली जाती और राजीव मालिनी के साथ ओरल सेक्स करते रहा। फिर नूरी वापस दिल्ली चली गयी। राजीव सोच रहा था कि बात आगे नहीं बढ़ रही थी। मालिनी अभी भी वही राग दुहरा रही थी कि जब शिवा उसके प्रति वफ़ादार है तो वो उससे बेवफ़ाई कैसे कर सकती है।राजीव बोलता था कि शिवा तब तक ही वफ़ादार है जब तक उसे कोई हॉट माल नहीं मिलता। गरम माल मिलेगा तो वो भी उसको छोड़ेगा नहीं। पर मालिनी उसकी बात मानने को तय्यार ही नहीं थी।

अचानक राजीव के दिमाग़ में एक बात आयी और वो सोचा कि शिवा की वफ़ादारी से मालिनी का विश्वास हट गया तो मालिनी को उसकी बाहों में आने में वक़्त नहीं लगेगा। पर ये काम किया कैसे जाए? वो सोचने लगा और एक दिन उसके दिमाग़ की बत्ती जली । वह सरला यानी शिवा की सास को क्यों ना यूज़ करे शिवा को जाल में फँसाने के लिए। वह मुस्कुराया और सरला को फ़ोन किया।

सरला: हाय समधी जी आज कैसे याद आइ हमारी?

राजीव: अरे हम तो रोज़ आपको याद करते हैं आपको ही हमारी याद नहीं आती।

सरला: मैं भी आपको बहुत याद करती हूँ।

राजीव: अरे आपको तो श्याम मिला हुआ है , आप मुझे क्यों याद करोगी।

सरला: वो अपनी जगह हैं और आप अपनी जगह। आप तुलना क्यों करते हैं ?

राजीव: अरे मैं तो मज़ाक़ कर रहा था। और सब परिवार में मस्त ?

सरला: हाँ जी सब बढ़िया। और मालिनी और दामाद कैसे हैं?

राजीव : वो भी मस्त है और जवानी के मज़े लूट रहे हैं। दोनों बहुत ख़ुश रहते हैं। मालिनी तो मस्त भर गयी है सब जगह से ।

सरला: छी क्या बोलते हो आप भी? आपकी बहू है वो उसे इस तरह से देखते हो क्या आप?

राजीव: मैं क्या करूँ? वो तो मेरे सामने दिन भर रहती है। और उसके उभार को मैं कैसे नज़र अन्दाज़ करूँ? उफफफ क्या जवानी उभरी है उसकी। लगता है शिवा का रस उसे बहुत रास आ रहा है।

सरला: छी आप भी ना? कोई अपने बच्चों के बारे में भी ऐसी बातें करता है।

राजीव: अब क्या करूँ ? दिन भर उसकी मस्त जवानी को देखकर सिवाय मूठ्ठ मारने के और क्या कर सकता हूँ।
उसने जानबूझकर उसको अपने और मालिनी की सेक्स गतिविधियों के बारे में नहीं बताया।

सरला: ओह ये तो बहुत चिंता की बात है।

राजीव: मैं तुम्हारी बेटी का बलात्कार नहीं करने वाला हूँ, चिंता मत करो। इसीलिए अब मैंने फ़ैसला किया है कि मैं जल्दी ही एक मस्त जवान लड़की से शादी करूँगा, चाहे वो बहु से उम्र में छोटी ही क्यों ना हो।

सरला: ये क्या कह रहे हैं आप? उफ़्फ़ आप ऐसा कैसे कर सकते हैं।

राजीव: अच्छा चलो नहीं करता तो तुम मुझसे शादी कर लो।

सरला: हे भगवान ये क्या बोल रहे हैं आप? ये बिलकुल नहीं हो सकता। कुछ तो सोचिए आप बोलने से पहले।

राजीव: ठीक है अगर तुम शादी के लिए तय्यार नहीं हो तो मैं अब दूसरी शादी ही कर लेता हूँ। मालिनी को भी एक सहेली मिल जाएगी हालाँकि वो उसकी सास होगी।

सरला: मैं तो बस यही कह सकती हूँ कि आप प्लीज़ ऐसा ना करें। नहीं तो घर में बहुत माहोल ख़राब हो जाएगा।

राजीव का काम हो चुका था। वह सोचा कि आज के लिए इतना ही काफ़ी है। वो बाई कहकर फ़ोन काट दिया।

सरला एकदम से सकते में आ गयी थी। उसकी बेटी को उसका ससुर गंदी नज़र से देखता है और वो अब दूसरी शादी की बात भी कर रहा है। उसका माथा घूमने लगा। उसने मालिनी की फ़ोन लगाया।

मालिनी: हाँ मम्मी बोलो क्या हाल?

सरला: अरे बेटी मैं तो ठीक हूँ पर तेरे ससुर को क्या हो गया है?

मालिनी: क्यों मम्मी उनको क्या हुआ? वो तो भले चंगे है। फिर वो सोची कि अभी तो एक घंटे पहले हमने ओरल सेक्स किया है।

सरला: अरे वो मुझे बोले कि मैं उनसे शादी कर लूँ? जब मैंने मना किया तो अब कहते हैं कि वो एक जवान लड़की से शादी करेंगे। बताओ भला ऐसा भी कोई इस उम्र में करता है?

मालिनी सोचने लगी कि ये भी क्या पापा की कोई सोची समझी चाल है? वो मम्मी को दबाव में डालकर मुझे पाना चाहते है। पता नहीं क्या चल रहा है उनके मन में? वो बोली: मम्मी वो पहले मुझे भी बोले थे दूसरी शादी का। पर बाद में मान गए थे। पता नहीं लगता है फिर से भूत सवार हो गया है। बात करती हूँ उनसे।

सरला: हाँ बेटी बात करो और उनको समझाओ कि ये ग़लत है।

मालिनी: ठीक है मम्मी।

सरला: एक बात और बताओ कि क्या वो तुमको भी ग़लत नज़रों से देखते हैं?

मालिनी क्या कहती, कि वो दोनों क्या क्या करते हैं आपस में। सिर्फ़ चुदाई छोड़कर सब कुछ तो कर ही लिए हैं। वो बोली: मम्मी मैंने ध्यान नहीं दिया और शायद ऐसा कुछ नहीं है। वो जानती थी कि वो सफ़ेद झूठ बोल रही है।

सरला: मैं तो बहुत परेशान हूँ बेटी तेरे लिए। अगर ये शादी कर लिए तो शिवा का हिस्सा भी बँट जाएगा। हैं ना?

मालिनी: हाँ मम्मी वो तो होगा ही। दूसरी शादी से बच्चे भी हक़ माँगेंगे ही।

सरला: ठीक है बेटी अभी रखती हूँ। पता नहीं क्या होने वाला है। फिर उसने फ़ोन काट दिया।

सरला श्याम से भी इसके बारे में बात की। पर उसे भी कुछ रास्ता दिखाई नहीं दिया।उधर मालिनी भी राजीव से बात की और पूछी: पापा आप मम्मी से शादी की बात किए थे क्या?

राजीव : हाँ मज़ाक़ किया था बेटी। पर हाँ मैंने उसको ये बताया कि मैं फिर से शादी का सोच रहा हूँ।

मालिनी: आपने ये विचार तो त्याग दिया था ना, फिर अब ये सब क्यों?

राजीव: बेटी तुम अभी भी पूरी हमारी कहाँ हुई हो? इसीलिए रह रह कर शादी की उमंग उठती है जान।

मालिनी: ओह चलो आपके जो मन में आए वह करो। वह बुरा सा मुँह बना कर वहाँ से चली गयी।

अगले दिन सरला दिन भर बेचैन रही और शाम को राजीव को फ़ोन लगायी।

राजीव उसके फ़ोन का रास्ता ही देख रहा था सो वह कुटीलता से मुस्कुराया: हाय सरला कैसी हो? मेरी बात पर विचार किया क्या? करोगी मुझसे शादी?

सरला: बस भी करिए आप। वो नहीं हो सकता। मैं तो आपसे बस इसके लिए फ़ोन की हूँ कि आप रानी जैसी एक जवान नौकरानी रख लीजिए और उससे मज़ा कीजिए। मैं मालिनी को समझा दूँगी कि पिछली बार की तरह समस्या नहीं खड़ी करेगी।

राजीव: अरे जब रानी से भी जवान लौंडियां मिल जाएगी तो क्या ज़रूरत है नौकरानी की। हाँ तुम अगर मान जाओ तो ठीक होगा । बोलो शादी करोगी ना मुझसे ?

सरला: आप भी ना , आपको पता ही है कि ये हो नहीं सकता। मैं आपको ये बोलने को फ़ोन की हूँ कि आप शादी का विचार छोड़ दो वरना आपके घर की शांति भंग हो जाएगी।

राजीव: अब मैं घर की शांति का सोचूँ या अपने लौडे की शांति का सोचूँ? तुम ही बोलो। मालिनी पूरे दिन अपनी जवानी लहराती हुए मेरे सामने घूमती रहती है, आख़िर मैं क्या करूँ?

सरला: हे भगवान आप भी अपनी बहू पर बुरी नज़र रखें हैं। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए।

राजीव: क्यों श्याम भी तुमको पटाने में सफल रहा था जबकि वो तुम्हारा ज़ेठ था। देखो जानू, जब लौड़ा खड़ा होता है या बुर खुजाती है ना तो बस चुदाई ही दिखाई देती है और कुछ नहीं। समझी मेरी जान? अब हम दोनों भी तो समधी समधन है और चुदाई करते हैं। बोलो करते हैं ना?

सरला: देखिए आपकी और मेरी बात दूसरी है। मेरे तो पति भी है नहीं। और आपकी पत्नी नहीं है तो कम से कम हम किसी को धोका तो नहीं ना से रहे हैं।

राजीव: अरे किसी और से मज़ा लेना धोका थोड़ी है। अगर हम अपने जीवन को रंगीन बनाना चाहते हैं तो इसने कोई बुराई नहीं है।

सरला: पर आपको अपनी बहू को कम से कम बक्श देना चाहिए।

राजीव: देखो मुझे लगता है मालिनी भी अब मेरी ओर आकर्षित हो रही है। पर उसके मन में एक भावना है कि वो शिवा को धोका नहीं देना चाहती।

सरला: एकदम सही भावना है। इसमें ग़लत क्या है?

राजीव: देखो मैं तुमको चैलेंज करता हूँ कि अगर शिवा को भी ऐसा अवसर मिले जिसमें उसे कोई हसीन औरत उससे चुदावने को तय्यार हो तो वो भी इस मज़े से नहीं चूकेगा। तब क्या वो मालिनी के प्रति उसकी बेवफ़ाई नहीं होगी?

सरला: आप अपने बेटे के बारे में भी ऐसा कैसे बोल देते हो?

राजीव: अरे बेटा है तो क्या हुआ ? है तो भी एक आदमी और उसके पास भी एक लौड़ा है ना। क्या करेगा वो भी?

सरला: जहाँ तक मैंने देखा है शिवा एक पत्नीव्रत आदमी है और वो दूसरी औरत के चक्कर में नहीं पड़ेगा।

राजीव: अरे जाने दो वो भी एक आम इंसान है। मैंने उस दिन पार्टी में तुम्हारी ब्लाउस से झाँक रहे मोटे दूध को घूरते देखा था।

सरला: ओह आप भी ना। छी मैं उसकी मॉ जैसे हूँ।

राजीव: माँ जैसी होना और माँ होने में बहुत फ़र्क़ है। अब सुनो अगर तुम मेरी शादी रोकना चाहती हो तो एक आख़री उपाय है?

सरला: हाँ हाँ बोलिए ना। मैं पूरी कोशिश करूँगी।

राजीव: देखो मैं जो भी बोलूँगा उस पर अच्छी तरह से सोचना। एकदम से मत नकार देना।

सरला: ठीक है बोलिए।

राजीव: मैं चाहता हूँ कि तुम शिवा को सिड्यूस करो यानी अपनी ओर आकर्षित करो। फिर जब वो तुम्हारे बस में आ जाए तो तुम उससे चुदवा लेना और मैं ये मालिनी को दिखाऊँगा और वो मुझसे चुदवा लेगी। जब उसका पति बेवफ़ा है तो वो ख़ुद भी बेवफ़ाई करने के लिए तय्यार हो जाएगी। यह है मेरी शर्त शादी ना करने की। बोलो क्या कहती हो?
 
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सरला एकदम से भौनचक्की रह गयी और बोली: ये आप क्या बोल रहे है ? मैं शिवा को अपने बेटे जैसा समझती हूँ । मैं उसके साथ ये सब कैसे कर सकती हूँ?

राजीव: सोच लो। अगर अपनी बेटी जा घर बचाना है तो तुम्हें ये करना ही पड़ेगा।

सरला: पर इस सबसे मालिनी का क्या लेना देना?

राजीव: अरे वो मुझसे चुदावने को इसी लिए राज़ी नहीं हो रही है क्योंकि वो शिवा से बेवफ़ाई नहीं करना चाहती। पर अगर शिवा ही बेवफ़ाई करेगा तो वो मेरी बाहों में आ जाएगी।

सरला को अब समझ में आया और वो स्तब्ध रह गयी और बोली: तो ये सब आप मालिनी को पाने के लिए कर रहे हैं?

राजीव: अरे इसमें बुराई क्या है? वो दिन में मुझसे मज़े करेगी और रात में शिवा उसको मज़े देगा। एक साथ दो दो मर्द उसके ग़ुलाम रहेंगे।

सरला: साफ़ साफ़ कहिए ना कि वो दो दो मर्दों की ,जो कि बाप बेटे हैं, जोरू बन जाएगी। कैसी अजीब सोच है आपकी? और आप इसमें मुझे भी शामिल कर रहे हो। मुझे तो सोच कर भी अजीब लग रहा है।

राजीव: मेरी जान अच्छी तरह से सोच लो। या तो ये करो और या फिर अपनी बेटी के सास की आने की तय्यारी करो।
कल तक बता देना जो भी करना है। क्योंकि पंडित जी मेरे पीछे पड़ा है शादी के लिए। गाँव की लड़की है १८/१९ साल की। मस्त कड़क जवानी है। ऐसा वो बोल रहा था।

सरला कांप उठी और बोली: ठीक है कल बताती हूँ। और फ़ोन काट दिया।

राजीव भी सोचा कि अब उसने अपने पूरे पत्ते दिखा दिए हैं। देखें वो क्या करती है? तभी मालिनी अंदर आयी और बोली: पापा मैं बाज़ार जा रही हूँ। आपको कुछ चाहिए क्या?

राजीव उसे खींच लिया और अपनी गोद में बिठा लिया और उसके गाल को चूमकर बोला: मुझे तो बेटी बस तुम चाहिए। और कुछ नहीं चाहिए। वह अब उसकी क़ुर्ती के ऊपर से उसकी चुचि दबाने लगा जो कि क़ुर्ती ने से आधी नंगी थी और मानो बाहर आने को फड़फड़ा रही थीं।

मालिनी: उफफफ पापा। अभी छोड़िए ना। मुझे बहुत सा राशन का सामान लाना है।

राजीव: तो चलो मैं भी चलता हूँ । मेरी नाज़ुक सी बहू इतना सामान कैसे उठाएगी? एक नौकर तो चाहिए। सो बंदा हाज़िर है।

मालिनी ख़ुश होकर बड़े से प्यार से उसको देखी और फिर अपने होंठ से उसके गाल चूमती हुए बोली: पापा आप बहुत अच्छे हो। तो चलो साथ में थैला उठाने के लिए।

राजीव ख़ुश होकर उसको अपने ऊपर से उठाया और पैंट और टी शर्ट आलमारी से निकाला । अब वो मालिनी के सामने ही अपनी टी शर्ट पहना और फिर लूँगी खोलकर पूरा नंगा हो गया। उसका लम्बा लौड़ा लटका हुआ भी बहुत हसीन लग रहा था। उसके बड़े बॉल्ज़ तो मालिनी की कमज़ोरी थे ही। अब वह उसको हिलाकर मालिनी से बोला: बेटी इसको कब तक प्यासा रखोगी?

मालिनी हँसकर: फ़ालतू बात ना करो और आप जल्दी से तय्यार हो जाओ। अब राजीव ने चड्डी पहनी और पैंट भी पहनकर तय्यार होने लगा।

मालिनी और वो बाहर को निकले तो उसने पीछे से उसके पिछवाड़े को सहला कर कहा: बेटी ये सलवार मस्त फ़िट है तुम्हारी गाँड़ पर। गोल गोल चूतर बहुत सेक्सी दिख रहे हैं। वो उनको सहलाते हुए बोला। मालिनी सिर्फ़ मुस्कुरा दी। वो कार से बाज़ार पहुँचे। सब सामान लेने के बाद वो मालिनी को बोला: चलो काफ़ी पीते हैं।
वो कार पार्क किया और मालिनी को बोला: बेटी चुन्नी को यहीं छोड़ दो कार के अंदर।

मालिनी: क्यों पापा?

राजीव: अरे बेटी तुम्हारी क्लिवेज़ आज ग़ज़ब ढा राही है। इसे ऐसे ही रहने दो।

मालिनी मुस्कुराकर अपनी चुन्नी वहीं कार में छोड़कर बाहर आकर बोली: पापा आजकल आप बहुत मस्ती में रहते है । मैं देख रही हूँ।

राजीव: बेटी जिसके घर में तुम्हारी जैसे मस्त बहू हो वो कैसे मस्ती में ना रहे। अच्छा मेरे आगे आगे चलो क्योंकि मुझे तुम्हारी मटकती हुई गाँड़ देखनी है।

मालिनी हँसते हुए आगे चलने लगी। वो उसकी मटकती गाँड़ देखकर मस्ती से भर गया। जब दोनों लिफ़्ट में अकेले थे तो राजीव बोला: बेटी,मस्त मटक रही है तुम्हारी गाँड़ आज।पैंटी नहीं पहनी हो क्या? वो उसकी गाँड़ पर हाथ फेरा और पैंटी की साइड ढूँढने लगा पर उसे नहीं मिली।

मालिनी हँसकर: आप चेक कर लिए ना कि मैं पैंटी नहीं पहनी हूँ। असल में आपने मेरी आदत ही छुड़वा दी, पैंटी पहनने की। अब मैं सिर्फ़ जींस और स्कर्ट के नीचे ही पहनती हूँ।
रेस्तराँ में जाकर वो बैठे और वहाँ काफ़ी पीते हुए वह बोला: बेटी, आज तुम बला की ख़ूबसूरत लग रही हो।देखो वो दोनों लड़के तुमको कैसे घूर रहे हैं मानो खा ही जाएँगे।

मालिनी ने अपना सिर घुमाया और देखा कि सच में दो लड़के उसको बुरी तरह से घूर रहे थे। वो उसकी क्लिवेज़ ही देखे जा रहे थे। वो बोली: पापा आप ठीक कह रहे हो। वो तो मुझे ऐसा देख रहे हैं कि अगर मैं उनको अकेले में मिल गयी तो मेरा रेप ही कर देंगे।

राजीव : वो दूसरी तरफ़ देखो। वो जो एक अधेड़ जोड़ी बैठी है। वो भी तुमको घूर रहे हैं।

मालिनी ने उनको भी देखा और हैरान रह गयी कि वो दोनों यानी क़रीब ४५ साल का आदमी और क़रीब ४० साल की औरत उसे घूरे जा रहे थे।

राजीव: बेटी ये आदमी तो ठरकी लगता है पर औरत भी नूरी की सास की तरह बाइसेक्शूअल लग रही है। वैसे आज तुम्हारी चूचियाँ बहुत ग़ज़ब ढा रही हैं। वो क़ुर्ती से झाँकती उसकी आधी नंगी चूचियों को घूरते हुए बोला।

काफ़ी पीने के बाद वो दोनों उठे और लिफ़्ट में एक बार फिर राजीव उसकी चूचियों को जो बाहर झाँक रहीं थी झुककर चूमने लगा। उसके हाथ अब भी उसकी गाँड़ पर ही घूम रहे थे। लिफ़्ट से बाहर आकर दोनों कार में बैठे और घर की ओर चल पड़े।

रास्ते में मालिनी बोली: पापा आज बहुत मस्ती में हो आप? कोई ख़ास वजह?

राजीव: अरे बस तुम साथ हो तो और क्या चाहिए। अचानक उसने कार एक दुकान पर रोक दी और मालिनी को उतरने को बोला। सामने एक शानदार ब्रानडेड कपड़ों की दुकान थी। दोनों दुकान पर पहुँचे तो राजीव उसे लेकर एक लेडीज़ शॉप में गया और उसने मालिनी से कुछ बढ़िया ड्रेस ख़रीदने को कहा। मालिनी बोली: पापा मैं ये सब कब पहनूँगी?

राजीव: अरे ले लो । पहनने के कई अवसर आएँगे। और कोई नहीं भी हुआ अवसर तो मुझे ही पहन कर दिखा देना। अब उसने सेल्ज़्गर्ल को कहा: इनके लिए सुंदर सी सेक्सी ड्रेस दिखाओ।

वो मुस्कुराती हुई बोली: जी सर अभी दिखाती हूँ। फिर उसने कई ड्रेस दिखाए जिनमे छिपता कम था और दिखता ज़्यादा था। मालिनी बोली: पापा ऐसी ड्रेस थोड़ी पहनूँगी। आधी नंगी दिखूँगी।

राजीव ने इधर उधर देखा तो आसपास कोई नहीं था। उसने अपना हाथ उसकी जाँघ पर रखा और बोला: बेटी, अरे इसी में तो मज़ा है और जब तुम सेक्सी दिखोगी तो शिवा भी तुमको ज़ोर से चोदेगा। और मुझे पहन के दिखाओगी तो मैं भी फाड़ दूँगा तुम्हारी । ये कहते हुए उसने उसकी सलवार के ऊपर से बुर को सहला दिया। मालिनी सिहर उठी। उसने कहा: पापा हाथ हटाओ ना प्लीज़। उफफफफ गीली होने लगेगी और मैंने पैंटी भी नहीं पहनी है।

राजीव ने नोटिस किया कि आजकल वो उसे पापा जी नहीं बोलती है बल्कि पापा बोलती है। और अब कहिए या जाइए भी नहीं बोलती बल्कि जाओ या कहो बोलती है। इसका मतलब वो उसके अंतरंग हो रही है। वह यह सोचकर ख़ुश हो गया और बोला: बेटी ये ड्रेस पहन कर देखो।

मालिनी शर्मीली मुस्कान के साथ ट्राइयल रूम में गयी और ड्रेस पहन कर शीशे ने ख़ुद को देखकर शर्मा गयी। उसकी आधी कमर,आधे दूध ,पूरे कंधे और आधी जाँघें ऊपर से भी नंगी दिखाई दे रही थी।

राजीव : अरे बाहर आओ ना।

मालिनी: पापा मैं बाहर नहीं आ सकती । आप अंदर आ जाओ।

राजीव अंदर छोटे से ट्राइयल रूम में गया और मालिनी को इस रूप में देखकर मस्त हो गया। वो बोला: बेटी उफफफफ क्या माल दिख रही हो। वो उसकी कमर और जाँघ को सहला कर मस्ती से भर गया। फिर उसके दूध को ऊपर से चूमा और बोला: आऽऽऽह बेटी आज तो चुदाई बनती है। देखो कैसे खड़ा हो गया है मेरा? वो उसका हाथ अपने पैंट के ऊपर रख कर बोला। मालिनी भी मज़े से दबाई और बोली: फिर ये ड्रेस ले लूँ?

राजीव: हाँ हाँ बेटी ले लो। जब मेरे साथ सुहाग रात मनाओगी तो यही पहनना। वह उसे चूमते हुए बोला। वह हँसकर बोली: अभी तो यहाँ से चलें।

फिर दोनों घर पहुँचे और जैसे ही वो घर के अंदर आए राजीव उसको गोद में उठा लिया और अपने बिस्तर पर लिटाया और पागलों की तरह चूमने लगा जल्दी ही दोनों गरम हो गए। राजीव ने अपने कपड़े खोले और फिर मालिनी की भी सलवार खोल दी। फिर दोनों ६९ की पोज़ीशन में आए और मालिनी को उसने अपने ऊपर खींच लिया था। अब मालिनी भी उसका लौड़ा बॉल्ज़ चाटी और अब चूसने भी लगी। उधर राजीव भी उसकी बुर को चूमकर चाटने और जीभ से चोदने लगा। उफफफ क्या मस्त बुर है वो और ज़ोर से चूसने लगा। जल्दी ही दोनों एक दूसरे के मुँह में अपना अपना कामरस छोड़ने लगे और पूरा का पूरा पी भी गए।

थोड़ी देर बाद वो अपने अपने कमरे में आराम कर रहे थे। राजीव सोच रहा था कि देखो कल सरला का क्या जवाब आता है।
 
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उधर सरला की रात करवट लेते हुए बीत गयी थीं। वो सोच रही थी कि क्या जवाब दे वो राजीव को? अगर मना करती है तो वो शादी करेगा और मालिनी की ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी। और अगर मान जाती है तो वो शिवा के साथ ये सब कैसे कर सकती है। क्या मुसीबत है इधर कुआँ और उधर खाई? वो करे तो क्या करे?

सुबह चाय पीते हुए मालिनी बोली: पापा आपने मम्मी को फ़ालतू टेन्शन में डाला है अपनी दूसरी शादी का बोल कर।

राजीव ने सिर उठाया और देखा कि वो एक काली नायटी में बहुत ही सुंदर दिख रही थी। वह बोला: देखो बेटी ज़रा शीशे में अपने आप को। काली नायटी में तुम्हारा दूधिया और जवान बदन कैसे दमक रहा है। उफफफफ ऐसी मस्त खिली जवानी देखकर कोई कैसे शांत रह सकता है। अब तुम तो अपनी देती नहीं हो तो मैं और क्या करूँ? अच्छा ये बताओ मम्मी से क्या बात हुई?

मालिनी: बस आपकी शादी का बोल रही थीं और मेरे लिए चिंता कर रहीं थीं।

राजीव : और कोई बात हुई?

मालिनी: नहीं बस यही हुई।

राजीव सोचा कि शिवा को फाँसने वाली बात सरला मालिनी को नहीं बताई है। चलो ठीक ही है। चाय के ख़ाली प्याले लेकर मालिनी जब वापस गयी किचन में, तो वो उसके पीछे ही किचन में जा पहुँचा। वह बोला: बेटी नूरी से कोई बात हुई क्या?

मालिनी: हाँ जी बात हुई थी , वो आज पेशाब का टेस्ट कराएगी और उसका महीना चार दिन ऊपर हो गया है। अब मालिनी ने मस्ती करते हुए लूँगी के ऊपर से उसके लौड़े को दबाकर कहा: बहुत ही तगड़ा है ये , देखो ना एक और लड़की को माँ बना दिया।

राजीव उसके गाल को चूमकर उसकी बुर को नायटी के ऊपर से दबोच कर बोला: बेटी, ये दे दो और देखो तुम भी माँ बन जाओगी।

मालिनी उसके लौड़े को दबाकर बोली: पापा ,क्या सच में हमारी शादी को अब तो कई महीने हो गए और मैं अब तक माँ नहीं बनी। कहीं मुझमें कोई गड़बड़ तो नहीं?

राजीव अब उसे अपने से चिपका लिया और उसकी गरदन और कंधे चूमकर बोला: अरे बेटी, कोई गड़बड़ नहीं होगी तुममें । वो क्या है ना शायद तुमको भी भगवान मेरे इस हथियार से ही माँ बनाना चाहते हैं। हा हा ।

मालिनी प्यार से उसकी छाती पर दो मुक्के मारी और बोली : उफफफफ पापा आप भी ना, मुझे शिवा के बेटे की माँ बनना है। आप तो उसके दादा होंगे।

राजीव: अरे मैं दादा हूँ या बाप उससे क्या फ़र्क़ पड़ता है, माँ तो तुम्हीं होगी ना। यह कहकर वो झुका और अपनी मस्त गदराई हुई जवान बहु के होंठ चूम लिया।

अब मालिनी की बुर गरम होने लगी थी सो वो बोली: पापा अब मुझे शिवा को चाय देना है और उसे उठाना भी है। छोड़िए मुझे।

राजीव पीछे हटा और बोला: बेटी एक चुम्बन तो बनता है।

मालिनी अपने गाल आगे करके बोली: ले लो।

वह उसे चूमा और बोला: बेटी गाल के साथ बुर को भी चूमना है। वो ये कहकर नीचे घुटनो के बल बैठ गया। मालिनी नीचे देखी और बोली: पापा जो करना है जल्दी से करो।

राजीव मज़े से मुस्कुराया और बोला: बेटी, तुम अपनी नायटी उठाओ ना । मैं उठाऊँगा तो वो मज़ा नहीं आएगा जो कि तुम ख़ुद उठाओगी तो आएगा।

मालिनी मुस्कुराती हुई बोली: ओह पापा आप बहुत नॉटी हो। ठीक है लो उठायी पर जल्दी से करो। ये कहकर वो अपनी नायटी कमर से ऊपर तक उठा दी और अपनी बुर का पूरा दर्शन उसको करा दी। राजीव थोड़ी देर मंत्रमुग्ध सा उसकी बुर की ख़ूबसूरती को देखता रहा फिर उस पर हाथ फिराया और उसके गीलेपन और चिकनेपन का अहसास किया और फिर धीरे से उसकी जाँघ को चूमता हुआ उसकी बुर को चूमने लगा। फिर जीभ से चाटकर मस्ती से भर उठा।

मालिनी: आऽऽऽऽह पापा अब छोड़ो। बस करो। शिवा के जाने के बाद कर लेना।

राजीव ने उसको घुमाया और उसकी कमर को साइड से चूमते हुए अब उसके बड़े चूतरों को सहलाया और फिर वहाँ भी चुंबनों की झड़ी लगा दी। फिर उसने उसके चूतरों को फैलाया और उसकी गाँड़ केछेद में अँगूठा फिराया और वहाँ भी चूम लिया। अब मालिनी हाऽऽऽऽऽऽय्य करके पीछे हटी और बोली: उफफफफ पापा मार ही डालोगे क्या? पूरी गीली हो गयी हूँ मैं। वह नायटी से अपने बुर को पोंछते हुए बोली।

राजीव हँसकर खड़ा हुआ और उसका अकड़ा हुआ लौड़ा भी लूँगी से साफ़ उठा हुआ दिख रहा था। वह बोला: अरे एक बार उसे दे दो मस्त कर दूँगा जान। वह उसकी बुर की ओर इशारा किया।

मालिनी अब चाय बनाती हुई बोली: अब आप जाओ मुझे काम करने दो। शिवा के लिए चाय लेकर जा रही हूँ।

वह अपने कमरे में पहुँची तो शिवा एक चादर ओढ़े सो रहा था। उसका लौड़ा खड़ा था जो कि चादर को उस जगह से उठा रखा था। वो उसकी हालत देखकर मुस्करायी और अपनी बुर खुजायी। फिर उसने चादर उतार दी और नीचे शिवा पूरा नंगा अपने मोर्निंग इरेक्शन के साथ सोया हुआ था। वो अब अपनी नायटी एक झटके में उतारी और अब वो सिर्फ़ ब्रा में थी। उसकी बुर में जैसे आग लगी थी। वो उसके लौड़े को सहलाई और फिर उसे चूसने लगी ताकि ख़ूब सा थूक लग जाए। अब शिवा उठ गया और हैरानी से मालिनी को देखने लगा। इसके पहले कि वो कुछ बोल पाता मालिनी उसके ऊपर आकर बैठी और उसके लौड़े को अपनी मूठ्ठी में लेकर अपनी बुर पर लगाई और नीचे होकर उसे अंदर डालने लगी।

जब तक शिवा की पूरी नींद खुली तब तक उसका लौड़ा उसकी बुर में पूरा समा गया था। शिवा: आऽऽऽऽह क्या हो गया जान। आज सुबह सुबह। आऽऽऽहहह ।

मालिनी: आऽऽऽऽह चुप रहो और काम करो। ये कहकर उसने अपनी ब्रा का हुक खोला और अपने मस्त चूचियों को नंगा की और उसके दोनों हाथ पकड़कर अपनी छातियों पर रख दी और उसे दबाने का इशारा की। अब तक शिवा भी चुदाई के लय में आ चुका था। उसने उसकी चूचियाँ दबाते हुए नीचे से अपनी कमर उछालना शुरू किया। अब मालिनी की मस्ती भरी सिसकारियाँ निकलने लगी। वो भी ऊपर नीचे हो कर मज़े से चुदवा रही थी। जल्दी ही चुदाई पूरे शबाब पर आ गई और पलंग बुरी तरह से हिलने लगा। मालिनी: उइइइइइइइ मॉआऽऽऽऽऽ क्याआऽऽऽऽऽ मज़ाआऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽ है मेरेएएएएएए राऽऽऽऽऽऽऽऽजा । और जोओओओओओओओर से चोओओओओओओओओदो।

शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर मालिनी के साथ ही झड़ गया क़रीब १५ मिनट की चुदाई के बाद।

मालिनी उठी और अपनी ब्रा और नायटी लेकर बाथरूम में जाकर फ़्रेश होकर वापस आयी। शिवा वैसे ही अलसाया हुआ लेता था और उसका सोया हुआ लौड़ा उसकी जाँघ पर सांप के जैसे पड़ा हुआ था। वह बोला: क्या हुआ जान आज इतनी गरम कैसे हो गयी सुबह सुबह?

मालिनी हँसकर: आपने रात को एक बार ही किया था ना इसलिए सुबह सुबह ही गरम हो गयी। चलो उठो चाय फिर से गरम कर लाती हूँ। वह सोची कि आपको क्या बताऊँ कि आपके पापा ने ही मुझे इतना गरम कर दिया था कि आपसे चुदवाना ही पड़ा। अब वो शांत थी और एक गाना गुनगुना रही थी। तभी राजीव आकर बोला: क्या बात है बहुत ख़ुश हो? कुछ ख़ास बात है क्या?

मालिनी शरारत से बोली: गेस करिए क्या बात हो सकती है?

राजीव: ह्म्म्म्म्म नहीं मैं हार गया । बताओ ना क्या हुआ?

मालिनी शरारत से बोली: आपने इतना गरम कर दिया था कि अभी जाकर आपके बेटे का रेप करके आ रही हूँ। और वो खिलखिला कर हँसने लगी।

राजीव हतप्रभ होकर बोला: वाह बेटी तुमने तो कमाल कर दिया। शिवा पूछा नहीं कि इतनी गरम क्यों हो गयी?

मालिनी: पूछने पर मैंने कहा कि आप कल रात को एक ही राउंड किए थे तो मैंने दूसरा अभी कर लिया। अब उनको ये तो नहीं बोल सकती थी कि तुम्हारे पापा ने मेरी आग सुबह सुबह भड़का दी है। हा हा ।

राजीव उसको बाँहों में भरकर चूमा और बोला: शाबाश बेटी , बिलकुल मुझ पर जा रही हो।

मालिनी अपने आप को छुड़ाते हुए बोली: पापा वो उठ गए हैं और कभी भी बाहर आ सकते हैं।

राजीव ने उसको छोड़ दिया और हँसते हुए अपने कमरे में चला गया।

जब वो शिवा के जाने के बाद अपने कमरे में बैठा दुकान का हिसाब चेक कर रहा था। तभी सरला का फ़ोन आया: हेलो।

राजीव: हेलो कैसी हो मेरी जान।

सरला: बहुत बुरी हालत में हूँ । रात भर सो नहीं पाई हूँ।

राजीव: लगता है श्याम रात भर चुदाई किया है , है ना?

सरला: मज़ाक़ मत करिए श्याम के कारण नहीं, आपके कारण नींद उड़ी हुई है।

राजीव: अरे तो मैं सपने में आकर चोद गया था क्या?

सरला रुआंसी होकर : बस करिए ना मज़ाक़। आप बतायिए शादी का इरादा छोड़ दिया है ना? या अभी भी पागलपन सवार है आप पर।

राजीव: अरे अभी पंडित का फ़ोन आया था कि लड़की वाले जल्दी मचा रहे हैं शादी की। उनको पैसे जो मिलने वाले हैं बहुत सारे।

सरला: प्लीज़ ऐसा मत करिए । सबकी ज़िंदगी ख़राब हो जाएगी।

राजीव : देखो सरला, अब सब तुम्हारे हाथ में है? अगर तुम चाहो तो सब कुछ ठीक हो सकता है। बस शिवा को पटा लो।

सरला: आप समझते क्यों नहीं है वो मेरे बेटे जैसा है। अच्छा एक बात बताओ आप क्यों नहीं किसी लड़की को पैसा देकर शिवा को फाँस लो ना। मुझे क्यों इसमें घसीट रहे हो?

राजीव: अरे जब वो किसी भी लड़की के साथ चुदाई करेगा तो मालिनी को वो भावना नहीं आएगी जो उसे तुम्हारे साथ देखकर आएगी। तुम भी शिवा की रिश्तेदार हो और अगर उससे चुदवाती हो तो वो भी अपने एक रिश्तेदार याने ससुर से चुदवाने में कोई संकोच नहीं करेगी। ठीक कहा ना?

सरला: आप मेरे माध्यम से, ना सिर्फ़ मुझे अपने दामाद से ग़लत काम करने को कह रहे हैं ,बल्कि अपनी बहु से भी ग़लत काम करने जा रहे हैं। उफफफ मैं क्या करूँ? वो रोने लगी।

राजीव: देखो सरला रोने से कोई हल नहीं निकलेगा। तुमको शिवा को अपने जाल में फँसाना ही होगा। वरना मेरा शादी का फ़ैसला नहीं बदलेगा।

सरला ने रोते हुए फ़ोन काट दिया।

राजीव अब सोचने लगा कि पता नहीं सरला मानेगी या नहीं?

उसी दिन शाम को फिर से सरला का फ़ोन आया। वो बोली: मैंने बहुत सोचा है और मैं समझ गयीं हूँ कि मेरे पास सिवाय आपकी बात मानने के अलावा कोई और चारा नहीं है।

राजीव ख़ुश होकर: वाह सरला वाह आज तुमने दिल ख़ुश कर दिया। बस अब लग जाओ काम में। शिवा को अपने क़ाबू में कर लो।

सरला: पर मैं हूँ यहाँ और शिवा है वहाँ आपके शहर में। ये सब कैसे होगा?

राजीव: अरे फ़ोन किस लिए बनाया गया है। उसी से शुरू करो। फिर आगे का रास्ता अपने आप खुलता जाएगा तुम्हारा शहर कौन सा बहुत दूर है सिर्फ़ २ घंटे का तो सफ़र है ।प्यार में लोग समुन्दर पार कर लेते हैं, तुमको और शिवा को तो बस दो घंटे का सफ़र तय करना है।

सरला: ठीक है कोशिश करती हूँ। पर एक बार फिर से आपको बोलती हूँ कि ये सब बहुत ग़लत है। एक बात और सोच लीजिए।

राजीव: सोच लिया है जान । बस अब काम में लग जाओ।

सरला अब सोच में पड़ गयी कि ये काम कैसे शुरू करे। उसने अपना फ़ोन चार्जिंग में लगाया और जब श्याम उसके पास किसी काम से आया तो वो बोली: कई दिन हो गए , मालिनी और शिवा से बात ही नहीं हुई। मेरा फ़ोन चार्जिंग में है आप लगाओ ना शिवा को । उसका हाल पूछते हैं।

श्याम फ़ोन लगाया और बोला: बेटा क्या हाल है?

शिवा: ताऊ जी सब बढ़िया । आप लोग सब ठीक हैं ना?

श्याम: लो अपनी मम्मी से बात करो।

सरला: हेलो बेटा कैसे हो? कई दिन से कोई ख़बर नहीं मिली।

शिवा: मम्मी जी सब ठीक है। बस ऐसे ही दुकान में कुछ काम ज़्यादा था। आप तो कई दिनों से यहाँ आयीं ही नहीं? प्रोग्राम बनाइए ना।

सरला: वाह बेटा, मैं तो कई बार आयी हूँ पर तुम लोग तो कभी प्रोग्राम ही नहीं बनाते। इस इतवार को क्या कर रहे हो? आओ ना आप सब ।

शिवा: जी मम्मी जी मैं मालिनी से बात करके प्रोग्राम बनाता हूँ।
सरला: चलो फिर रखती हूँ। बाई।

अब सरला मालिनी को फ़ोन की : कैसी है मेरी बेटी?

मालिनी: ठीक हूँ आज अपनी बेटी की कैसे याद आइ मम्मी जी?

सरला: बेटी हम सब तो तुमको बहुत याद करते हैं। अभी श्याम जी और मैंने दामाद से बात की और बोला है कि तुम सब इतवार को यहाँ आने का प्रोग्राम बनाओ।

मालिनी: ओह ठीक है मम्मी जी बनाते हैं। फिर आपको बताएँगे। फिर कुछ देर इधर उधर की बातें की और फ़ोन रख दिया ।

खाना खाते हुए मालिनी राजीव से बोली: मम्मी का फ़ोन आया था । वो हम सबको इतवार को आने को बोल रही थी।

राजीव: ओह तो जा रहे हो तुम लोग?

मालिनी: आप नहीं जाएँगे?

राजीव : अरे तुम लोग हो आओ। मैं चला गया तो श्याम के साथ मिलकर तुम्हारी माँ की चुदाई में लग जाऊँगा। तुम लोग उस बेचारी से मिल भी नहीं पाओगे। हा हा ।

मालिनी: छि आप तो बस हर समय चुदाई की ही बात करते रहते हैं। अच्छा आप मत जायिएगा।

राजीव: अरे बेटी, ग़ुस्सा क्यों करती हो। मैं तो मज़ाक़ कर रहा था। वैसे भी इतवार को मेरे दोस्तों ने एक पार्टी रखी है। मैं वहाँ जाऊँगा।

राजीव का बस चलता तो वो मालिनी को भी ना जाने देता ताकि सरला आपका काम आराम से कर ले पर वो शायद सम्भव नहीं था ।

उस दिन शिवा रात को मालिनी को बोला: मम्मी का फ़ोन आया था । इतवार को बुलाई हैं। चलें क्या?

मालिनी: हाँ चलते हैं । बहुत दिन हो गए मैं भी वहाँ नहीं गयी हूँ।
इस तरह इतवार को जाने का प्रोग्राम तय हुआ। अगले दिन शिवा ने सरला को फ़ोन किया: मम्मी जी हम परसों यानी इतवार को आ रहे हैं।

सरला: बेटा ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है। आपके पापा भी आएँगे?

शिवा: नहीं वो नहीं आ पाएँगे।

सरला ने चैन की साँस ली और बोली: ठीक है बेटा क्या बनाऊँ तुम्हारे लिए स्पेशल?

शिया : अरे मम्मी आपको जो पसंद हो बना लेना। वैसे आपको कौन सी सब्ज़ी पसंद है।

सरला बेटा, मुझे तो कच्चे केले और बैगन पसंद हैं। कहो तो इनकी सब्ज़ी बना दूँ ?
 
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शिवा थोड़ा चौंका । उसे याद आया कि एक ब्लू फ़िल्म में भाभी बोलती है कि उसे बैगन और केला अच्छा लगता है और उसका देवर बोलता है कि उसको भी संतरें और फूली हुई कचौरी पसंद है उफफफ वो क्या क्या सोच गया। उसे अपने आप पर शर्म आयी। वो बोला: ठीक है मम्मी आप वही बना लो।

सरला:अरे तुम भी बोलो ना तुमको क्या पसंद हैं?

शिवा: जी मैं तो सब खा लेता हूँ।

सरला:: अरे शिवा बेटा श्याम को तो आम और फूली हुई कचौरी पसंद है। तुमको भी पसंद है ना ?

शिवा अब सन्न रह गया । हे भगवान ये क्या बोल रही है मम्मी? क्या वो उसे कुछ इशारा कर रही है या यह एक महज़ इत्तिफ़ाक़ है कि जो उसने ब्लू फ़िल्म में देखा था वही मम्मी भी बोल रही है। बस संतरे की जगह आम बोली है।

शिवा: जी मम्मी मुझे भी पसंद है, पर आप तो सब्ज़ियों की बात करते करते फल और नाश्ते पर आ गयीं।

सरला: बेटा, सिर्फ़ सब्ज़ी ही खाओगे और नाश्ता और फल नहीं खाओगे?

शिवा हँसकर: जी सब खाऊँगा ।

सरला: बेटा तुम्हारी दुकान में मेरी कुछ सहेलियाँ आना चाहती हैं , कपड़े ख़रीदने के लिए। वो पूछ रहीं थीं कि तुम क्या क्या रखते हो। मुझे जो याद था मैंने बता दिया। कल मेरी एक सहेली आएगी तो उसे बता देना कि क्या क्या रखते हो , ठीक है?

शिवा: ठीक है मम्मी जी।

सरला: चलो बाई।

शिवा: बाई।

शिवा फिर से सोचने लगा कि मम्मी ने बैगन केला आम और कचौरी की बात क्यों की? क्या वो उसे कुछ इशारा कर रही थी? छी ये क्या सोच रहा है वो? ऐसा भी हो सकता है कि ये एक संयोग ही हो। फिर वो सोचा कि क्या इतना बड़ा संयोग भी सम्भव है? पता नहीं क्या सच है क्या ग़लत? उसने अपना सिर झटका और अपने काम में लग गया।

अगले दिन सरला का फ़ोन शिवा को ११ बजे के क़रीब आया।

शिवा: नमस्ते मम्मी जी।

सरला: नमस्ते बेटा। ये मेरी सहेली अंजु है वो तुमसे दुकान के कपड़े के बारे में पूछेगी और फिर वो सब आएँगी तुम्हारे यहाँ सामान ख़रीदने के लिए।

शिवा: जी मम्मी जी बात करवाइए।

अंजु: हेलो बेटा, मेरी बेटी की शादी है अगले महीने । मैं चाहती हूँ कि उसके लिए कपड़े आपकी दुकान से ही लूँ। आप डिस्काउंट दोगे ना?

शिवा: हाँ हाँ क्यों नहीं देंगे। हमारे यहाँ सब तरह के कपड़े मिलते हैं।

अंजु: ज़रा बताओ ना क्या क्या मिलता है?

शिवा: आंटी, सब मिलता है जैसे साड़ी, सलवार मैक्सी वग़ैरह।

अंजु: और स्कर्ट, नायटी और गाउन वग़ैरह ? देखो हम कुछ अपने लिए भी लेंगे ना?

शिवा : हाँ जी वो भी। जींस भी। टॉप और टी शर्ट भी।

अंजु: और वो वो अंडर्गार्मेंट्स?

शिवा: जी हाँ बिलकुल। सब हैं हमारे यहाँ।

अंजु: वो बेटा, कुछ ख़ास क़िस्म के भी होंगे ना? मेरा मतलब समझ रहे हो ना।

शिवा: जी आंटी सब तरह की ब्रा और पैंटी मिल जाएँगी। आप शायद नॉटी तरह की ब्रा और पैंटी की बात कर रही हैं तो वो भी मिल जाएँगी। फ़्रिल या नेट वाली भी। वो हँसते हुए बोला।

अंजु: लिंगरी वगिरह?

शिवा हँसकर: आंटी जी आप आइए तो सही एक से एक सेक्सी लिंगरी और नाइट गाउन मिलेंगे। और बढ़िया से बढ़िया सेक्सी ब्रा और पैंटी भी मिलेगी। सच कहता हूँ।

रंजू: ठीक है बेटा, हम कल आएँगे। लो अपनी मम्मी से बात करो।

सरला: ठीक है बेटा मेरी सहेलियाँ आएँगी तेरी दुकान में। उनको डिस्काउंट दे देना।

शिवा: मम्मी आप भी आ जाओ ना इनके साथ।

अंजु की आवाज़ आइ: हाँ चल ना यार । तू भी चल ।

सरला: ठीक है मैं भी आती हूँ इनके साथ।

शिवा: बढ़िया मम्मी आप भी आ जाओ। फिर सरला ने अगले दिन आने का कहकर फ़ोन रख दिया। अब शिवा सोचने लगा कि कैसी सहेली है मम्मी की जो कैसे अजीब अजीब कपड़ों की बातें कर रही थीं। वो भी इस उम्र में। वो सोचने लगा कि क्या हो रहा है ये सब ? पहले बैगन केला और अब सेक्सी पैंटी ब्रा और लिंगरी। क्या सब ठीक है ना?

उधर सरला और रंजू बातें कर रही थीं।
रंजू बोली: मैं कल कार लाती हूँ फिर हम दोनों चलेंगे और देख लेंगे कि कैसा कलेक्शन है उसके पास। कुछ सामान अपने लिए ले लेंगे और बेटी को अगली बार लेज़ाकर और कपड़े ले आएँगे। और सहेलियाँ फिर किसी दिन आ जाएँगी।

सरला: हाँ घर की बात है। चलो कल १० बजे निकल जाएँगे।

रात को शिवा मालिनी को बताया कि उसकी मम्मी और उसकी सहेली कल आएगी । मालिनी बोली: अच्छा मुझे तो मम्मी ने बताया नहीं।चलो ठीक है। हमारे घर भी आएँगी क्या? वो सोचने लगी कि यहाँ आएँगी तो पापा उनके पीछे पड़ें बिना रहेंगे नहीं।

शिवा: अभी कुछ पक्का नहीं है। तुम दुकान आकर उनसे मिल लेना।

मालिनी: हाँ ये ज़्यादा अच्छा रहेगा । वो सोची कि इस तरह वो पापा से दूर रहेंगी।

शिवा के जाने के बाद राजीव मालिनी के पास आया और बोला: बेटी, बाज़ार जा रहा हूँ, कुछ चाहिए क्या?

मालिनी: नहीं पापा कुछ नहीं चाहिए। आप कब तक वापस आओगे?

राजीव : क्यों हमारे बिना दिल नहीं लगता क्या? वह उसको बाहों में लेकर उसको चूमते हुए बोला।

मालिनी हँसकर: पापा इतने बड़े घर में आप भी ना हो तो मैं तो बिलकुल अकेली हो जाऊँगी। और मुझे अकेले में डर लगता है। बस यही बात है।

राजीव उसकी साड़ी के पल्लू को गिराकर उसकी नंगी चूचियों को चूमकर बोला: उफफफ क्या माल हो तुम ! अब बाज़ार जाने का मूड नहीं हो रहा ।वह ब्लाउस के ऊपर से उसकी मस्त चूचियों को दबाया। फिर वह उसकी नंगी कमर को सहला कर मस्त हो गया। दिर उसके हाथ उसके पेट पर घूमने लगे और नाभि में ऊँगली डालने लगा। वह उसके चूतरों को दबाकर उसके बदन को अपने बदन से चिपका लिया। वह उसकी गरदन और नंगे कंधे को भी चूमा। मालिनी भी अब गरम हो गयी थी। उसका हाथ अब राजीव की छाती पर घूमने लगा। दूसरा हाथ वो नीचे लाकर उसकी लूँगी के अंदर डाल दी। अब उसके मूठ्ठी में उसके ससुर का लौड़ा आ गया। वह उसके लौड़े को मूठियाने लगी। राजीव भी मस्ती से भर गया और उसकी चूचि को ब्लाउस के ऊपर से सहलाने लगा।

अचानक मालिनी नीचे ज़मीन में बैठी और उसकी लूँगी खींच कर उतार दी। अब उसके सामने ससुर का लौड़ा तना हुआ था। वो जीभ निकाली और उसके पूरे लौड़े और बॉल्ज़ को चाटी और फिर वो पूरे जोश से उसका लौड़ा चूसने लगी। राजीव भी अपनी कमर हिलाकर उसके मुँह को चोदने लगा। जल्द ही वह झड़ने लगा और मालिनी ने उसका पूरा वीर्य पी लिया। वह लस्त होकर सोफ़े पर बैठा और गहरी साँस लेते हुए बोला: बेटी अब तो तुम अपनी मम्मी से भी ज़्यादा बढ़िया चूसती हो उफफफफ क्या मज़ा देती हो।

मालिनी मुस्कुराती हुई वाश बेसिन में जाकर क़ुल्ला करी और मुँह धो कर वापस आयी और सोफ़े पर बैठकर बोली: पापा आपने ही सिखाया है सब ।अब आप बाज़ार जाओ। और हाँ आज मम्मी अपनी सहेली के साथ शिवा की दुकान में आ रही हैं, कुछ कपड़े लेने है उनकी सहेली को।

राजीव: ओह तो क्या यहाँ नहीं आएगी?

मालिनी: पता नहीं पापा। अभी कुछ तय नहीं है।

राजीव: अरे बेटी, मेरी प्यास तो बुझा दी और तुम्हारी प्यास का क्या?

मालिनी: पापा मेरा पिरीयड चल रहा है। आज ही शुरू हुआ है।

राजीव: ओह ठीक है बेटी, अब आराम करो। पिरीयड्ज़ में कोई तकलीफ़ तो नहीं होती ?

मालिनी: पापा मुझे दूसरे दिन ज़्यादा तकलीफ़ होती है

राजीव: ठीक है बेटी, अभी आता हूँ वापस। वह उसे चूमकर बाहर चला गया।

उधर रंजू अपनी कार लेकर सरला को उसके घर से लेकर चल पड़ी।
रंजू कार चला रही थी और सरला उसके साथ बैठी थी। रंजू क़रीब ४६/४७ साल की गोरी चिट्टि स्वस्थ बदन की मालकिन थी। वो अपने स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखती थी। रईस घर की महिला थी और उसकी लड़की की शादी तय हुई थी।
रंजू: यार तेरे दामाद की दुकान पहुँचते हुए १२ बज जाएँगे।

सरला: जितना तेज़ तुम चला रही हो मुझे लगता है कि उसके पहले ही पहुँच जाएँगे।

रंजू: अच्छा तेरा दामाद दिखने में कैसा है?

सरला: अच्छा है सुंदर तगड़ा। मालिनी को बहुत ख़ुश रखता है। पर उसका बाप थोड़ा ठरकी है।

रंजू: सच, मुझे मिलवा ना उससे । मुझे ठरकी मर्द बहुत पसंद है।

सरला: अच्छा इधर उधर मुँह मारती है क्या?

रंजू अपनी सलवार के ऊपर से बुर खुजाकर बोली: अरे सती सावित्री तो हूँ नहीं। जब ये खुजाती है तो इलाज तो ढूँढना पड़ता है ना। अरे मेरे पति महोदय तो ज़्यादा टूर पर ही रहते हैं। और टूर में वो क्या क्या मज़े करते हैं इसका भी मुझे अंदाज़ा है। तो मैं यहाँ क्यों मन मार कर बैठी रहूँ।

सरला: ओह ये बात है। चलो आज तो हम दुकान जाएँगे। मैं कोशिश करूँगी कि मालिनी भी वहीं आ जाए। वरना जब उसके घर जाएँगे तो उसके ठरकी ससुर को मिल लेना। देखते हैं क्या प्रोग्राम बनता है।

रंजू: चलो ठीक है। अच्छा ये बता कि श्याम जी तेरा ख़याल रखते हैं ना? कितनी बार चुदाई हो जाती है हफ़्ते में?

सरला ने कभी भावना में भरककर रंजू को बता रखा था की वो श्याम से फँसी हुई है। वो बोली: हफ़्ते में २/३ बार ही हो पाती है।

रंजू: बस २/३ बार हफ़्ते में। मुझे तो एक बार रोज़ ही चुदाई चाहिए। इससे कम में मेरा गुज़ारा नहीं होता।

सरला: ओह बड़ी चुदासि औरत है तू? कौन चोदता है तेरे को रोज़ ?

रंजू: अरे मैंने घर के पीछे एक छोटा सा मकान है वहाँ मैंने एक कॉलेज का लौंडा रखा है २० साल का साँड़ है। जब मर्ज़ी होती है उसे बुला लेती हूँ और वो ३ घंटे में पूरा निचोड़ देता है मुझे निम्बू की तरह। सच बहुत मस्ती से चोदता है। और एक बात है कि वो मुझे चोदते समय मम्मी मम्मी बोलता है। और मुझे भी बेटा बोलने को कहता है।

सरला: ओह इसका मतलब है कि वो शायद अपनी मम्मी को बुरी नज़र से देखता है। तभी तो तुमको मम्मी कहकर चोदता है।

रंजू: हाँ यही बात है। उसने मुझे बताया भी है कि वो अपनी मम्मी को चोदना चाहता है पर हिम्मत नहीं कर पता। इसीलिए मुझमें अपनी मम्मी खोजता है।

सरला: रिश्तों में सेक्स पर तेरा क्या विचार है?

रंजू: मैं तो इसे बुरा नहीं मानती।

सरला: कल को तेरा दामाद तुझे चोदना चाहेगा तो मान जाएगी?

रंजू: सच बताऊँ? वो मुझे बहुत हॉट लगता है। अगर वो मुझसे फ़्लर्ट करेगा तो मैं तो ख़ुश होकर उसकी बाहों में चली जाऊँगी।पर पहल मैं नहीं करूँगी। यह कहते हुए वो अपनी बुर खुजा दी।

सरला को अपनी बात का जवाब मिल गया। वो सोची कि मैं तो शिवा को शायद दबाव में आकर फँसाने जा रही हूँ पर ये तो मज़े के लिए अपने दामाद से मज़े के लिए तय्यार है। उसे याद आया था कि क़रीब पाँच साल पहले उसकी घर की एक विधवा नौकरानी रोते हुए आयी थी और बोली थी कि उसके दामाद ने रात को ज़बरदस्ती उसके साथ मुँह काला किया था। सरला ने उसे पुलिस के पास जाने को बोला था। पर वो नहीं गयी। एक महीने के बाद वो काफ़ी ख़ुश दिखने लगी थी।नए नए कपड़े और गहने भी पहनने लगी थी। सरला जब कई बार पूछी तो वो बताई कि अब उसके दामाद के साथ उसका समझौता हो गया है। वह दोपहर को रोज़ आकर उसको एक दो बार चोद जाता है। रात को वो उसकी बेटी की सेवा करता है। वो उसकी चुदाई से बहुत ख़ुश थी।उसने सरला से उसके बड़े और मोटे लौडे का भी ज़िक्र किया था। वो उसे नए कपड़े और ज़ेवर भी देता था। अब सरला उस औरत को याद की और अपनी बुर भी खुजा उठी। ये सब सोचकर वह गरम होने लगी थी। इधर रंजू की बातें भी उसे गरम कर गयी थी।

सरला पूछ बैठी: उस छोकरे का हथियार कैसा है?

रंजू शरारत से उसकी जाँघ में चुटकी काटी और बोली: क्या हुआ चाहिए क्या? आजा मेरे घर। मस्त लम्बा और मोटा है। सात इंच से तो बड़ा ही होगा। बहुत मज़ा देता है।

सरला: आह सच? नहीं यार मैं इतनी ख़ुश क़िस्मत कहाँ हूँ। मैं नहीं आ सकती ।

इसी तरह की बातें करते हुए दोनों शिवा की दुकान पहुँच ही गयी। दोनों रास्ते भर मज़े की बातें कर रहीं थीं, इसलिए वो दोनों काफ़ी गरम थीं।

शिवा ने अपने काउंटर से देखा कि दो मस्त औरतें सलवार कुर्ते में अंदर दुकान में आ रही हैं। वो उनको देखता ही रह गया । क्या मस्त फ़िगर है दोनों के। तभी वो जब पास आयीं तो वो सरला को पहचाना और हड़बड़ा कर उठा और उनको मिलने के लिए पास आया और आकर सरला के पैर छूआ । सरला ने उसे आशीर्वाद दिया। फिर रंजू से परिचय कराया। वह उसके पैर छूने को झुका पर रंजू ने उसे बीच से ही उठा लिया और बोली: अरे बेटा पैर मत छुओ। गले लगो। ये कहकर उसने शिवा को गले लगा लिया। इसकी बड़ी बड़ी छातियाँ शिवा की मस्क्युलर सीने से चिपक गयी। शिवा के लौडे में हरकत होने लगी। रंजू उससे चिपके हुए सरला को आँख मारी। फिर वो अलग हुई और शिवा ने चैन की साँस ली क्योंकि उसका लौड़ा खड़े होने लगा था।

अब वह उन दोनों को अपने कैबिन में लेकर गया। वहाँ वो सब बैठे और रंजू ने अपनी चुन्नी ठीक करने के बहाने अपनी एक चुचि खुली कर दी। सरला सब देख रही थी। वो सोचने लगी कि देखती हूँ कि शिवा कितना शरीफ़ है?
उसने देखा कि शिवा की आँखें बार बार रंजू की चुचि पर जा रहा था। उसे राजीव की वो बात याद आइ कि उस दिन पार्टी में शिवा सरला की चूचियों को घूर रहा था।

शिवा ने उनके लिए जूस मँगाया। सब पीने लगे।

रंजू: बेटा हम आज काफ़ी तंग करेंगे तुझे ? वैसे दुकान अच्छी है। मैंने काफ़ी कुछ ख़रीदना है आज ,और मैं काफ़ी देर लगाती हूँ फ़ाइनल करने में।

शिवा: कोई बात नहीं आंटी जी, आप अपना टाइम लीजिए।

सरला: अरे चल ना कपड़े देखते हैं। फिर वह उठकर बाहर आयी, रंजू भी उसके पीछे पीछे आयी। शिवा उनके पीछे आया और उसकी निगाहें दोनों की हिलती हुई मस्त गोल गोल मटकती हुई गाँड़ पर थीं। शिवा अपने लौंडे को पैंट में ऐडजस्ट किया। वह सोचा कि मैं आज इतना उत्तेजित क्यों हो रहा हूँ? वो सोचने लगा कि एक के बाद एक ऐसे बातें हो रही हैं जो उसे अजीब लग रही है और उसे उत्तेजित भी कर रही हैं। पता नहीं क्या होने वाला है।
 
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सरला और रंजू आगे आगे चल रहीं थीं और पीछे शिवा की हालत उनके मटकती गाँड़ देखकर ख़राब हो रही थी। दोनों ने छोटे छोटे टाइट कुर्ते पहने थे जो उनके बदन की उठान और कटाव को खुल कर प्रदर्शित कर रहे थे। वो एक ऐसे काउंटर पर ले गया जहाँ ज़मीन पर मोटे गद्दे बिछे थे और एक आदमी साड़ियों को लपेट रहा था। शिवा उस आदमी के साथ बैठा और दोनों औरतें उसके सामने गद्दे पर बैठ गयीं।

अब शिवा ने साड़ियाँ दिखानी शुरू कीं। रंजू खड़ी हो गयी और एक एक साड़ी को अपने बदन में लपेट कर देखने लगी। उसने अपनी चुन्नी नीचे रख दी थी। अब वो जब साड़ी लपेटने को झुकती तो उसकी आधी चूचियाँ उसके बड़े गले के कुर्ते से साफ़ दिख जातीं। वो घूमकर शीशे में ख़ुद को देखती तो उसके मस्त चूतर अपने उभार दिखा कर शिवा को मस्त कर देते। शिवा का लौड़ा अब बग़ावत पर उतर आया था और रंजू के शरीर से आती हुई मादक सेंट की गंध भी उसे उत्तेजित करने लगी।

मालिनी चुपचाप शिवा को रंजू का बदन घूरते हुए देख रही थी। उसके द्वारा अपनी पैंट को ऐडजस्ट करना भी उसकी आँखों से छिपा नहीं रहा। वो सोची कि उसका काम इतना भी मुश्किल नहीं है शायद ।

तभी रंजू बोली: अरे यार मैंने तो ये साड़ी फ़ाइनल की है। तू भी कुछ देख ना। अब सरला भी उठी और ऐसे उठी कि उसका पिछवाड़ा शिवा की तरफ़ था। उफफफफ मम्मी की गाँड़ तो और भी ज़्यादा मस्त है आंटी की गाँड़ से - शिवा सोचा।
अब सरला ने भी वही सब किया और उसकी चूचियाँ भी शिवा को वैसे ही दिखाई दे रही थीं जैसे आंटी की दीखीं थीं। फ़र्क़ इतना था कि मम्मी की ज़्यादा बड़ीं थीं। और शिवा को शुरू से बड़ी चूचियों का एक छिपा सा आकर्षण था ही। उसे याद आया कि उसकी अपनी माँ की भी चूचियाँ ऐसी ही बड़ी बड़ी थीं।सरला कनख़ियों से देख रही थी कि उसका पूरा ध्यान उसकी चूचियों और कूल्हों पर ही है। अब वो और ऐसे ऐसे पोज बनाई कि जिनमे उसके उभार और ज़्यादा सेक्सी नज़र आएँ। अब तक शिवा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था। तब सरला ने बोंब फोड़ा: मुझे तो कोई पसंद नहीं आयी । चल अब तू अंडर्गार्मेंट्स ले ले।

रंजू: हाँ बेटा चलो अब कुछ मस्त ब्रा और पैंटी दिखा दो।

शिवा: जी आंटी जी चलिए । ये कहकर वो उनको एक दूसरे काउंटर में ले गया। वहाँ वह काउंटर के पीछे से कुछ नए डिज़ाइन के ब्रा निकाला और दिखाने लगा। और पूछा: आंटी साइज़ क्या होगा?

रंजू: चल तू गेस कर। ये कहकर वो चुन्नी हटाकर अपना सीना तान कर मुस्कुराने लगी।

शिवा भी अब उत्तेजित था सो बोला: आंटी जो ३६/३८ बी कप होगी।

वो मुस्कुरायी : सही है ३८बी । अच्छा अपनी सास का बताना तो?

शिवा एक बार सिर उठाकर सरला की छातियों को देखा और बोला: मम्मी जी का ४० सी होगा।

सरला: वाह बेटा इतना सही? सच में काम में पक्का है हमारा दामाद। वह भी मुस्करायी।

शिवा: मम्मी आपको भी दिखाऊँ क्या?

सरला: नहीं बेटा मेरे पास अभी हैं ।

रंजू: अरे थोड़ी सेक्सी दिखाओ ना। वह सरला को आँख मारते हुए बोली। शिवा ने नीचे से कुछ डिब्बे निकाले और उनको खोला और उसमें से लेस वाली और नेट वाली ब्रा निकाला और उनको दिखाने लगा।

रंजू: यार सरला ये तो मस्त हैं ना? उसने एक ब्रा दिखाई जिसमें नेट यानी जाली लगी थी और जिसमें निपल के लिए छेद था। यानी निपल बाहर निकल जाएगी ब्रा से बाहर। शिवा कल्पना किया कि रंजू की चूचियाँ उनमें से कैसी दिखेंगी और वो गरम होने लगा।

सरला: छी ऐसी ब्रा पहनेगी? इससे अच्छा है कि पहन ही मत।

रंजू: शिवा तुमने ऐसी ब्रा मालिनी को दिलायी है कि नहीं?

शिवा लाल होकर: अरे आंटी आप भी ना, वो ऐसी पहनेगी ही नहीं।

रंजू: अरे तुम दो तो सही उसको। अकेले में पहनकर दिखाएगी।

सरला: मुझे नहीं लगता कि वो पहनेगी।

रंजू: तो तुम ले लो ना।

सरला: धत्त मैं क्या करूँगी। तू ले ले।

रंजू: मैं तो लूँगी ही। और बेटा, ऐसी हो कोई पैंटी भी दिखा ना।

शिवा ने उसे ऐसी ही पैंटी दिखाई जिसमें बुर ज़्यादा दिखाई देगी छिपेगी कम ।

रंजू सरला को पैंटी दिखाई और बोली: बताओ कैसी है?

सरला उसकी गाँड़ पर एक चपत लगाकर बोली: देखो इसकी पीछे तो बस एक रस्सी है। ये पूरा पिछवाड़ा नंगा ही दिखेगा।

रंजू हँसने लगी और बोली: अरे इसी में तो मज़ा है। ये दे दो बेटा।

फिर वो स्कर्ट और टॉप्स भी देखी और वहाँ से भी कपड़े ली।

फिर रंजू बोली: बेटा, टोयलेट है क्या यहाँ?

शिवा: जी मेरे कैबिन में है, आइए मैं आपको ले जाता हूँ।

सरला: मैं ज़रा मालिनी से बात कर लेती हूँ फ़ोन पर। वो मालिनी को फ़ोन लगायी: हेलो, बेटी हम तो तुम्हारी शॉप में हैं। तुम आकर मिल लो ना।

मालिनी: मम्मी मेरा पिरीयड आया है , थोड़ी तबियत ढीली है। आज रहने दो । वैसे भी कल इतवार को हम दोनों आ ही रहे हैं तो मिल लेंगे।

सरला: ठीक है बेटी। फिर वो दोनों माँ बेटी इधर उधर की बातें करने लगे।

उधर शिवा रंजू को लेकर अपने कैबिन में पहुँचा और उसको दिखाया कि टोयलेट वहाँ है।

अचानक फिर जो हुआ शिवा उसके लिए तय्यार नहीं था। शिवा वापस जाने को मुड़ा और रंजू ने पीछे से उसको अपनी बाहों में लपेट लिया और उसके कंधे को चूमने लगी। शिवा हड़बड़ाकर मुड़ा और अब रंजू उसके होंठ को चूमने लगी। शिवा की छाती से उसके बड़े मम्मे सट गए थे। शिवा का लौड़ा उसके पेट पर कील की तरह चुभ रहा था। अब रंजू ने शिवा के दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ा और अपनी दोनों चूचियों पर रख दिया और उनको दबाने लगी। शिवा भी मस्ती में आकर उसकी चूचियाँ दबाने लगा। फिर वह अपने हाथ को नीचे ले गयी और पैंट के ऊपर से उसके लौड़े को दबा कर बोली: बाबा रे कितना बड़ा है तेरा? मालिनी की तो फट जाती होगी ?

शिवा: नहीं आंटी वो तो अब आराम से ले लेती है। अब रंजू उसकी पैंट खोलने लगी। और पैंट को नीचे गिरा दी और फिर नीचे बैठ गयी। अब वो उसकी चड्डी पर अपना हाथ फिरायी। फिर वह बोली: आऽऽह सच में बहुत मस्त हथियार है।

शिवा: आऽऽह आंटी छोड़िए। मम्मी इंतज़ार कर रही होगी।

रंजू ने जैसे उसकी बात सुनी ना हो वो अब चड्डी को नीचे की और उसके मस्त लौड़े को देखकर सिसकी ली और बोली: उउउउउफफफ क्या लौड़ा है। अब वो लौड़े को सहलाने लगी।फिर उसका मुँह खुला और उसकी जीभ लौड़े और बॉल्ज़ पर घूमने लगी। शिवा आऽऽऽह कर उठा। फिर वह उसके लौड़े को चूसने लगी। अचानक शिवा को लगा कि कोई आ रहा है तो वो जल्दी से उसे हटाकर अपनी पैंट बंद किया और टोयलेट से बाहर आया और कैबिन में कुर्सी पर बैठा ताकि उसका खड़ा लौड़ा मम्मी को ना दिख सके।

तभी सरला अंदर आइ और बोली: बड़ी देर लगा दी रंजू ने टोयलेट में। फिर वो शिवा का लाल चेहरा देखी और बोली: क्या हुआ? इतना टेन्शन में क्यों हो? सब ठीक है?

शिवा: हाँ मम्मी सब ठीक है। आपकी मालिनी से बात हुई क्या?

सरला: हाँ हुई है। उसकी तबियत ठीक नहीं है। सो वह यहाँ नहीं आ रही है। फिर हम कल तो मिलेंगे ही ना। बस रंजू आ जाए तो उससे पैसे ले लो फिर हम वापस जाएँगे।

शिवा: ऐसे कैसे वापस जाएँगी? बिना भोजन किए। यहाँ पास में एक रेस्तराँ है, वहाँ खाना खा लीजिए फिर चले जायियेगा।

तभी रंजू बाहर आयी और वो सब रेस्तराँ में पहुँचे। वहाँ सबने खाना खाया। शिवा बार बार रंजू से आँख चुरा रहा था क्योंकि उसे याद आता था कि वो कैसे उसका लौड़ा चूसी थी। रंजू को कोई शर्म नहीं थी। वो सरला की आँख बचा कर शिवा को आँख भी मार देती थी। वह टेबल के नीचे से हाथ बढ़ाकर उसकी जाँघ सहला रही थी। बाद में वो उसके पैंट के ऊपर से उसका लौड़ा दबाकर मस्त होने लगी। शिवा भी मस्ती में आकर मज़े ले रहा था।

सरला शिवा के चेहरे की उत्तेजना से थोड़ा सा शक करके उनकी साइड में लगे शीशे में देखी और वहाँ उसने देखा कि रंजू उसके पैंट के ऊपर से उसके लौड़े को दबा रही है। वह सन्न रह गयी। तभी शिवा की निगाह शीशे पर पड़ी और उसने देखा कि सरला उन दोनों को देख रही थी। वो सकपका गया और रंजू का हाथ वहाँ से हटाया। रंजू ने भी देखा कि सरला देख रही है तो वो आँख मार दी।

खाना खा कर रंजू और सरला वापस जाने के किए कार से निकल गए ।शिवा ने कहा कि मम्मी पहुँच कर फ़ोन कर देना।
रास्ते में सरला: रंजू मैं बहुत शोक्ड हूँ तुम्हारे व्यवहार से।

रंजू: अरे वो जो मैं शिवा को मज़े दे रही थी। अरे इसमें क्या है। थोड़ा सा फ़्लर्ट कर लिया तो क्या हुआ।

सरला: मैं तो शिवा को शरीफ़ समझती थी पर वो तो जैसे तुमसे मज़ा ले रहा था, मुझे तो वो भी ठरकी ही लगा। बेचारी मेरी बेटी।

रंजू: अरे पर एक बात बताऊँ मालिनी बहुत क़िस्मत वाली है।

सरला: वो कैसे ?

रंजू: शिवा का हथियार बहुत मस्त है। म्म्म्म्म्म्म ।

सरला: अच्छा पैंट के ऊपर से सब समझ गयी?

रंजू: अरे मैंने तो टोयलेट में उसका लौड़ा चूसा और बहुत मज़ा लिया। बस तू आ गयी इसलिए काम पूरा नहीं हो सका।

सरला: ओह ये सब भी कर लिया? हे भगवान। तुम भी ना कुछ भी करती हो। पर एक बात बता ना कि तूने उसे आसानी से सिडयूस कर लिया या तुझसे थोड़ी दिक़्क़त हुई?

रंजू: अरे आसानी से पटा लिया और वो तो जैसे मज़ा लेने को तय्यार ही था। पर सच में बहुत मस्त हथियार है उसका।

सरला: क्या उस तेरे लौंडे से भी बड़ा?

रंजू: हाँ उससे भी बड़ा और मोटा? क्या तेरे पति का भी इतना ही बड़ा और मोटा था?

सरला: हाँ उनका भी बड़ा ही था।

रंजू: आऽऽह कितनी क़िस्मत वाली हो तुम और मालिनी। मेरा वाला तो पेन्सल लेकर घूमता है। अगर वो लौंडा ना होता तो मेरा क्या होता। वो अपनी बुर खुजाते हुए बोली: आज तो उसको बुलाना ही पड़ेगा। तेरे आने से काम अधूरा रह गया था। आज उससे दो बार चुदवाऊँगी तभी चैन मिलेगा।

सरला: ओह ठीक है अब ध्यान से गाड़ी चला।
 
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थोड़ी देर दोनों चुप बैठे थे और सरला सोच रही थी कि शिवा को सिडयूस करना कोई मुश्किल नहीं होगा ऐसा लगता है। रंजू की बातें उसकी कान में गूँज रहे थे कि उसका हथियार बहुत मस्त है। अब सरला अपनी बुर खुजा बैठी।

कार में स्टेरीओ म्यूज़िक बज रहा था। तभी उसमें फ़ोन की घंटी बजी। रंजू ने अपना फ़ोन ब्लूटुथ मोड में रखा था। वो अपना फ़ोन में कॉल रिसीव की और बोली: हाय मेरी जान। क्या हाल है। वह सरला को आँख मारी और धीरे से बोली: मेरा वाला है।

लड़का: हाय मेरी आंटी जी आप कैसी है और कहाँ हैं ?

रंजू: बस आधे घंटे में घर पहुँच जाऊँगी। तुम कहा हो?

लड़का: मैं कोल्लेज में हूँ और थोड़ी देर में घर आऊँगा आंटी एक मदद चाहिए।

रंजू: हाँ हाँ बोल ना।

लड़का: आंटी जी, मुझे दो हज़ार चाहिए। थोड़ा ज़रूरी काम है।

रंजू: ठीक है ले लेना। वैसे कब मिल सकता है? आज बहुत याद आ रही है? वो अपनी बुर खुजा दी।

लड़का: आंटी एक घंटे में आऊँ क्या? अंकल टूर से वापस आ गए क्या?

रंजू: अरे अभी दो दिन बाद आएँगे। तू आजा ख़ूब मज़े करेंगे। ठीक है ना?

लड़का: जी आंटी आता हूँ। मेरा तो आपकी आवाज़ सुनकर ही खड़ा हो गया है। आज तीन बार करेंगे। ठीक है ना? अलग अलग पोज में। आऽऽहहह।

रंजू: जान लेगा क्या ? तीन बार? मेरी तो दो बार ही में फट जाती है। बस दो बार बहुत है समझा बदमाश लड़के?

लड़का: ठीक है आंटी जैसा आप कहें। पर आंटी जी पैसे मिल जाएँगे ना?

रंजू: अरे मेरा बुढहू कमाता ही किसके लिए है? मज़े कर तू भी उसके पैसे पर और उसकी बीवी से भी । वह ये बोलकर फिर से अपनी बुर खुजाने लगी।

लड़का: अच्छा आंटी फिर आता हूँ एक घंटे में। बाई।

रंजू: बाई मेरी जान। फिर फ़ोन कट गया।

सरला: तो ये है तेरा काल बॉय ? आवाज़ तो काफ़ी भारी है। बिलकुल मर्द जैसे।

रंजू: अरे बदन भी साले का मस्त कड़ा है और हथियार भी मस्त है। चोदता भी बहुत बढ़िया है। तू चाहे तो तेरी भी एक चुदाई करवा दूँ?

सरला: ना बाबा मुझे नहीं करना ये सब ।

तभी वो घर पहुँच गए और वो सरला को उतार कर चली गयी।

सरला घर पहुँचकर बिस्तर पर लेटी और सोचने लगी कि क्या अजीब दिन था आज का। रंजू तो बहुत ही घटिया औरत साबित हुई। और ये शिवा भी देखो ना मज़े से अपना लौड़ा भी चुसवा लिया। मैं उसे सीधा समझती थी। वो कल्पना करने लगी और सोची कि टोयलेट जैसी छोटी सी जगह में वो दोनों क्या कुछ कर पाए होंगे। वह अपनी बुर खुजा बैठी।

तभी शिवा का फ़ोन आया। उसे याद आया कि वो बोला था मम्मी घर पहुँच कर फ़ोन कर देना। वो भूल गयी थी।

सरला: हेलो।

शिवा: मम्मी घर पहुँच गयीं ?

सरला: हाँ पहुँच गयी। सॉरी फ़ोन करना भूल गयी।

शिवा: कोई बात नहीं मम्मी। वैसे एक बात और थी।

सरला: हाँ बोलो ना।

शिवा : मम्मी मुझे माफ़ कर दीजिए । वो आपकी सहेली ज़्यादा ही गरम औरत है। वो मेरे यहाँ वहाँ हाथ डाल रही थी।

सरला: वो जैसी भी थी पर तुमने भी तो उसका साथ दिया?

शिवा: मम्मी क्या बताऊँ आपको? पहली बार मेरे साथ ऐसा हुआ है। सच में किसी को बताइएगा नहीं। प्लीज़ । मालिनी को तो बिलकुल नहीं।

सरला: ठीक है नहीं बताऊँगी उसे।

शिवा: मैं आपको पूरी बात बताऊँगा जब कल मिलूँगा । आंटी बहुत शरारती हैं । सच में मम्मी जी।

सरला: ठीक है बताना जब कल आओगे तो।

शिवा: मम्मी जी आप बहुत अच्छी हैं । थैंक्स। बाई।

सरला: बाई बेटा।

सरला अब कल के बारे में सोचने लगी।
मालिनी मम्मी के फ़ोन के बाद सो गयी। राजीव दोपहर को आया और मालिनी के कमरे में आया और सोती हुई मालिनी को बहुत देर तक प्यार से देखा और फिर बाहर आ गया। किचन में जाकर वो खाना गरम किया और खाना लगाया। फिर वो मालिनी के कमरे में आकर उसके पास बैठ गया। वह उसके सिर और गाल में हाथ फेरने लगा। मालिनी उठी और राजीव को पास देखकर मुस्करायी और उठी। उसने सलवार क़ुर्ती पहनी थी। चुन्नी पता नहीं कहाँ थी। उसकी बड़ी मस्त चूचियाँ राजीव के सामने थी । वह झुक कर उसके गाल चूमा और बोला: बेटा, चलो खाना खा लो। अब तबियत कैसी है । वो उसके चूतरों को सहलाया जहाँ उसको पैंटी और सैनिटेरी पैड का अहसास हुआ। वह बोला: बेटी ये ठीक है ना?

मालिनी: हाँ पापा आज तो पहला दिन ही है। आपको और शिवा को अभी सबर करना पड़ेगा। वो शरारत से मुस्करायी।

राजीव झुककर उसको चूमा और हल्के से उसकी चूचियाँ दबाया और बोला: कोई बात नहीं बेटी। चलो अब खाना खा लो।

मालिनी उठी और फ़्रेश होकर बाहर आयी तो टेबल पर खाना लगा हुआ था। वो बोली: पापा आपने क्यों तकलीफ़ की? मैं लगा देती ना?

राजीव उसे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया और बोला: बेटा, आज तुम थोड़ी ढीली हो तो एक दिन मैं लगा दिया तो क्या हुआ? चलो आज मैं ही खिलाऊँगा तुमको अपने हाथ से।

मालिनी मुस्कुराकर: पापा आज बहुत रोमांटिक हो रहे हो? सब ठीक है ना?

राजीव उसके गाल चूमकर : बेटी हम तो हमेशा रोमैन्स के मूड में रहते हैं पर तुमको दिखाई नहीं देता। अब वो उसे अपने हाथ से खिलाने लगा। वो उसके गोद में बैठकर उसकी छाती से चिपकी हुई थी। फिर मालिनी ने अपनी गाँड़ हिलाई और कोशिश की कि पापा के लौड़े का कड़ापन महसूस कर सके। पर उसे कुछ महसूस नहीं हुआ।

राजीव मुस्कुराकर : बेटी लौड़ा टटोल रही हो ? वो आराम से मेरे जाँघों के बीच सो रहा है। आज उसे पता है ना कि तुम ढीली हो और वो इस बात को मान चुका है।

मालिनी: पापा आप सच में बहुत अच्छे हैं। आप मम्मी को भी पिरीयड्ज़ के दिनों में तंग नहीं करते थे?

राजीव: बेटी उसको पहले दो दिन तकलीफ़ होती थी। बाद में बस थोड़ा सा ही होता था। तो दो दिन बाद वो लौड़ा चूस देती थी। और गाँड़ भी मरवा लेती थी।

मालिनी: आप मम्मी की गाँड़ भी मारते थे?

राजीव: हाँ मारता था और उसे भी बहुत मज़ा आता था। वो कई बार कहती थी कि जी आपकी साली खुजा रही है। वो बुर को बीवी और गाँड़ को साली कहती थी।

मालिनी: ओह ऐसा?

राजीव: मैंने तुम्हारी मम्मी की भी गाँड़ मारी है। वो भी मज़े से मरवाती है।

मालिनी: ओह , पर शिवा या आप तो जब मेरे पीछे ऊँगली डालते हैं तो मुझे जलन होती है।

राजीव: बेटी, गाँड़ को खोलने की एक कला होती है। जब तुम चाहोगी मैं तुम्हारी गाँड़ खोल दूँगा, पर कम से कम दर्द होगा ये मेरी गारण्टी है।

मालिनी हँसकर: इसका मतलब है कि मेरे एक छेद का उद्घाटन शिवा ने किया और दूसरे का उद्घाटन आप करोगे?

राजीव: बेटा तुम हाँ तो करो। मैं काम में लग जाऊँगा। वो उसे चूमने लगा।

मालिनी मुस्कुराकर: जब देनी होगी तो बता दूँगी। फिर वो बोली: पापा मेरा हो गया। उठ जाऊँ?

राजीव उसे छोड़कर बोला: ठीक है बेटा उठो, मेरा भी हो गया।

मालिनी जब उठी तो राजीव ने उसके चूतरों को सहलाया और बोला: तुम्हारी कुँवारी गाँड़ मारने में मज़ा आएगा।

मालिनी हँसकर सामान उठाकर किचन में जाते हुए बोली: पापा आपके मज़े होंगे और मेरी सज़ा होगी। हा हा ।

फिर वह किचन में चली गयी।

उधर शिवा रात को घर पहुँचा तो वह बहुत गरम था। आज सरला और रंजू की हरकतों ने उसे बहुत उत्तेजित कर दिया था। वह घर आया और मालिनी को कमरे में आते ही पकड़ लिया और बोला: बड़ी हॉट लग रही हो आज।

मालिनी: हॉट? आज तो मेरा मीटर ही डाउन है। जनाब मेरा पिरीयड आ गया है। वैसे आज मैं आपको हॉट क्यों लग रही हूँ?

शिवा हताश होकर बोला: अरे बस लग रही हो तो लग रही हो। चलो कोई बात नहीं।

फिर वह कपड़े उतारा और चड्डी में उसका आधा खड़ा लौड़ा देखकर मालिनी: क्या हुआ बताओ ना? आज बहुत गरम लग रहे हो।

शिवा: अरे कुछ नहीं बस कार में आते हुए तुम्हारे बारे में सोचा और यह खड़ा हो गया। अब इस ग़रीब को क्या पता था कि तुम्हारी रेड लाइट जल रही है। हा हा ।
वह उसे थोड़ी ना कह सकता था की तुम्हारी माँ और उसकी सहेली ने उसका यह हाल किया है। वह फ़्रेश होने बाथरूम में गया और जब बाहर आया तो मालिनी वहाँ बिस्तर पर बैठी थी। वह चड्डी के ऊपर से उसके लौड़े को दबाते हुए बोली: पहले खाना खाएँगे कि यह चूसवाएँगे ?

शिवा हतप्रभ उसे देखा और बोला: आऽऽह जान सच में झड़ने की बहुत इच्छा हो रही है। पहले चूस दो ना। फिर खाना खा लेंगे।

मालिनी मुस्करायी : ठीक है चलिए लेट जाइए।

शिवा लेटा और मालिनी ने उसकी चड्डी उतार दी। अब वो उसके खड़े लौड़े को ऊपर से लेकर नीचे तक सहलाई। फिर उसके बॉल्ज़ को भी अपनी हथेली में लेकर सहलाई। फिर वह झुकी और उसके जाँघ को चुमी और चाटने लगी। फिर वह उसकी जाँघों के जोड़ को चाटी और फिर वो उसकी नाभि को चाटने लगी। अब वो उसके लौड़े के आसपास के हिस्से को चुमी और जीभ से चाटी । शिवा उसको चूसते देखा और मस्ती से उसके गाल सहलाते हुए बोला: उफफफ रानी क्या मज़ा आ रहा है। हाय्यय ।
अब मालिनी उसके लौड़े के सुपाडे को चाटने लगी और उस पर आए हुए प्रीकम को चाट कर मस्ती से सुपाड़ा चूसने लगी। फिर वो बॉल्ज़ भी चूसी और जल्दी ही उसका मुँह लौड़े के ऊपर नीचे होने लगा और उसका हाथ उसके बॉल्ज़ पर घूमने लगा। अब शिवा भी नीचे से आऽऽहहह करके अपनी कमर उठाके उसके मुँह को मानो चोदने लगा। क़रीब दस मिनट चूसते हुए मालिनी अब अपने गालों को अंदर की ओर चिपका कर उसके लौड़े जो ज़बरदस्त घर्षण का आनंद देने लगी। अब शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म करके मुँह की चुदाई में लग गया। तभी मालिनी ने अपनी उँगलियाँ नीचे को खिसकाया और उसने शिवा की गाँड़ के छेद में अपनी ऊँगली चलाई और फिर उसे अंदर करने लगी। अभी आधी ऊँगली ही अंदर गयी थी कि शिवा आऽऽऽह करके झड़ने लगा। मालिनी ने उसकी वीर्य की एक एक बूँद गटक ली। वह कमर उछालकर आऽऽऽऽहहह कहकर मालिनी के मुँह में अपना रस गिराए जा रहा था ।

जब मालिनी ने अपना सिर उसकी जाँघ से हटाया तो शिवा उसके मुँह में लगे हुए सफ़ेद गाढ़े रस देखकर मस्ती से भर गया । मालिनी अपना मुँह पोंछकर बोली: अब ठीक है? अच्छा लगा?

शिवा उसको अपनी ओर खींचा और बोला: सच जान तुम लाखों में एक हो। क्या चूसती हो जान? उफफफफ मस्ती छा गयी पूरे बदन में। थैंक यू जान।

मालिनी हँसकर: चलिए अब खाना लगाती हूँ। पापा भी रास्ता देख रहे होंगे।

फिर वो तीनों खाना खाए और सोने चले गए। सोने के पहले शिवा मालिनी को याद दिलाया कि कल वो उसकी मम्मी के घर जाएँगे।
मालिनी बोली : हाँ याद है ।

फिर वो सो गए।

सरला भी करवट बदल रही थी। अभी अभी वो बिस्तर पर आयी थी सोने के लिए। दिन भर की घटनाए उसकी आँखों के सामने किसी फ़िल्म की भाँति घूम रही थीं। वो सोची कि आज जो उसने शिवा का रूप देखा है वो काफ़ी हैरान करने वाला है, वो रंजू के चक्कर में इतनी आसानी से फँस गया। उसे याद आया कि रंजू बोली थी कि वो उसका लौड़ा चूसी थी। और उसने ख़ुद देखा था कि वो कैसे मज़े से रंजू से अपना लौड़ा दबवा रहा था । उफ़्फ़ वह क्या करे? क्या वो अपनी बेटी के पति को फुसला कर ख़ुश हो पाएगी? पर वो सोची कि कोई और चारा भी तो नहीं है उसके पास। उसका कमीना ससुर दूसरी शादी की धमकी दे रहा है। तभी उसे रंजू की बात याद आइ। वो बोली थी कि उफफफ क्या मस्त हथियार है शिवा का ! और भी बहुत कुछ बोली थी वो । शिवा भी तो उन दोनों की चूचियों को देखे जा रहा था। काफ़ी हॉट लड़का है। अचानक उसका हाथ अपनी बुर में चला गया। अब वो एक हाथ से अपनी चूचि दबा रही थी और अपनी नायटी उठाकर अपनी बुर में ऊँगली करने लगी। उसकी आँखें बंद थी और वो सोच रही थी कि शिवा उसे चोद रहा है । वो आऽऽऽहहह करके अपनी उँगलियाँ ज़ोर ज़ोर से चलाने लगी। फिर वो अपनी कमर हिलाकर झड़ने लगी और फिर वो शांत होकर सो गयी। सोने के पहले वो सोची कि पता नहीं कल क्या होने वाला है।
 
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अगले दिन राजीव वॉक से आकर किचन में गया और चाय बनाया। चाय लेकर वह बाहर हॉल में आया। तभी नायटी में मालिनी भी वहाँ आयी और बोली: पापा आप क्यों चाय बनाए?

राजीव मुस्कुराके: बेटी, आज भी तुम ढीली रहोगी ना तो मैंने सोचा कि चाय ही बना दूँ।

मालिनी:पापा आप मेरा कितना ख़याल रखते हो!

राजीव: अरे मेरा इस दुनिया में और कौन अपना है तुम्हारे ,शिवा और महक के अलावा। इन सबमे भी तुम मेरा सबसे ज़्यादा ध्यान रखती हो। तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता है ना बेटा।
मालिनी मुस्कुराकर बोली: थैंक यू मेरे प्यारे प्यारे पापा।

मालिनी ने देखा वह जॉगिंग सूट में बहुत फ़िट लग रहे थे। वो बोली: पापा आप इस सूट में मस्त दिखते हो।

राजीव उसको अपनी बाहों में भर कर बोला: और बेटी तुम इस गुलाबी नायटी में गुलाब का फूल लगती हो। अब वह उसके गाल चूमा और फिर अपने होंठ उसके होंठ से चिपका कर बोला: गुड मॉर्निंग बेटा।

मालिनी भी उसकी छाती से अपनी छातियाँ चिपका कर बोली: गुड मोर्निंग पापा। अब वो थोड़ी देर एक दूसरे के बदन का अहसास करते रहे, राजीव सोच रहा था कि ये सेक्स नहीं है शायद रोमैन्स है। वो सोचा कि आजकल मालिनी थोड़ा ज़्यादा ही उसकी ओर आकर्षित हो रही है।

मालिनी बोली: पापा चाय ठंडी हो रही है। दोनों अलग हुए और राजीव उसकी बग़ल में बैठा और चाय पीते हुए उसकी बाँह सहलाने लगा और बोला: तो आज हमको छोड़ कर अपनी मम्मी के पास जाओगी?

मालिनी: वहाँ तो तभी जाऊँगी ना जब ये उठेंगे।

राजीव: क्या मतलब ? क्या शिवा आज देर से उठने वाला है?

मालिनी: हाँ बोले हैं मैं जबतक ख़ुद ना उठूँ मुझे मत उठाना।

राजीव: मतलब तुम लोग १० बजे के पहले नहीं निकल सकते?

मालिनी: जी लगता तो ऐसा ही है।

राजीव: आज तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है वरना हम शिवा के देर से उठने का फ़ायदा उठा सकते थे।

मालिनी शरारत से आँखें मटका कर बोली: कैसे फ़ायदा उठाते?

राजीव: अरे ओरल सेक्स कर लेते और क्या? पर तुम तो रेड सिग्नल चालू करके रखी हो।

मालिनी आँख मारते हुए बोली: आपका भी रेड सिग्नल है क्या वहाँ? वह उसके लौड़े की ओर इशारा करके बोली।

राजीव अपने लौड़े को पैंट के ऊपर से उसको दबाया और बोला: बिचारा सबर कर रहा है। और क्या करे?

मालिनी: अगर बहुत बेचैन है तो मैं इलाज कर देती हूँ। वैसे भी शिवा ने भी रात को चूसवाया था । वो भी बहुत उत्तेजित हो रहा था। आप बोलो तो आपको भी आराम दे देती हूँ।

राजीव की आँखें वासना से लाल हो उठीं। वो सोचा कि बहु अब रँडी बनने की दिशा में क़दम रख चुकी है। वो भी अब लौड़ा चूसने में आनंद लेने लगी है। ये तो बहुत हो बढ़िया मोड़ है हमारे रिश्ते का। वो मुस्कुराया और बोला: बेटा, सच अगर तुमको कोई तकलीफ़ ना हो तो चूस दो ना। बहुत मन कर रहा है। वैसे भी अब तुम पता नहीं रात को वापस आओगी या कल ही आओगी?

मालिनी: पापा आप अपने कमरे में चलो। मैं एक बार शिवा को देख कर आती हूँ।

वह चाय के ख़ाली कप लेकर खड़ी हुई तो राजीव ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसके पेट में अपना मुँह घुसाया और उसके चूतरों को दबाने लगा।वहाँ पैंटी को छूकर उसने पैड का अहसास किया और बोला: बेटा पिरीयड्ज़ में ज़्यादा तकलीफ़ तो नहीं है ना?

मालिनी उसके गाल चूमकर बोली: नहीं पापा ठीक ही है।

फिर वह उसकी चूचियों को हल्के से दबाया और बोला: ठीक है बेटा मैं कपड़े उतार कर तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ। जल्दी आओ।

मालिनी मुस्कुराती हुई हाँ करके चली गयी।

थोड़ी देर बाद वो पूरा नंगा होकर बाथरूम में गया और फ़्रेश होकर आकर बिस्तर पर नंगा ही लेट गया। वह अपने खड़े लौड़े को सहला रहा था जब मालिनी अंदर आइ और बोली: वो तो घोड़े बेचकर सो रहे हैं। आप आराम से मज़ा ले लो।

राजीव: बेटा नायटी उतार दो ना। तब मज़ा दुगुना हो जाएगा।

मालिनी: पापा आप मुझे ज़्यादा उत्तेजित मत करो। पिरीयड्ज़ में बहुत अच्छा नहीं लगता ।

राजीव: ओके बेटा, तुम ही चूसो और मैं बस आराम से मज़े लेता हूँ।

अब मालिनी ने जैसे रात को शिवा को मज़ा दिया था वैसे ही राजीव को भी देना शुरू किया। जल्दी ही राजीव भी मस्त होकर अपने लौड़े को उसके मुँह में अंदर बाहर करने लगा। मालिनी आज भी अपने गालों को पिचकाकर अपनी जीभ हिलाकर उसको चुसाई का मस्त मज़ा दे रही थी। फिर वो जैसे शिवा के साथ की थी वैसे ही राजीव के साथ भी की और उसके बॉल्ज़ को सहलाकर अपने हाथ को नीचे ले गयी। अब उसने राजीव की जाँघों को पकड़कर उठाने का इशारा किया । राजीव ने अपनी दोनों टाँगें उठा ली जैसे औरत चुदवाने के लिए उठा लेती है । पता नहीं मालिनी को क्या सूझा कि वो उसकी गाँड़ को देखकर मस्त हो उठी और वहाँ जीभ से उसके गाँड़ के छेद के आसपास के एरिया को चाटने लगी। फिर वो छेद को भी चाटी और वहाँ ढेर सारा थूक लगा दी। ये करते हुए वह उसके लौड़े को मूठिया भी रही थी। फिर उसने २ उँगलियो को उसकी गाँड़ में डाला और अंदर बाहर करने लगी। साथ ही अब फिर से लौड़ा भी चूसने लगी। उफ़्क्फ़्फ़्फ़ राजीव चिल्लाया और आऽऽहहह करके उसने अपना वीर्य मालिनी के मुँह में छोड़ना शुरू किया।वो उसे पीती और गटकती चली गयी। मालिनी उठके बाथरूम में गयी और साफ़ करके बाहर आयी। राजीव उसको अपने पास बुलाया और उसको अपने ऊपर गिराकर चूमने लगा। मालिनी भी उसे चूमने लगी। अब राजीव उसकी पीठ सहलाते हुए बोला: बेटा, आज तो तुमने चूसने में अपनी मम्मी को भी मात दे दी। ये मेरी गाँड़ में ऊँगली डालने का विचार कैसे आया?

मालिनी हँसकर बोली: पापा कल मैंने शिवा के साथ भी यही ट्राई किया था और उनको बहुत मज़ा आया था। इसलिए आज आपके साथ भी कर लिया । वैसे सीखीं तो मैं आपसे ही हूँ। आप मेरी गाँड़ में ऊँगली डालते है तो मैंने सोचा कि मैं भी आपकी गाँड़ में डालूँ।

राजीव हँसकर: वाह हमारा हथियार हम पर ही आज़मा लिया। शाबाश बेटा। फिर उसकी पीठ पर हाथ फेरकर बोला: बेटा अब इतने आगे बढ़ गयी हो तो चुदवा भी लो ना? इसमे क्या जाएगा?

मालिनी: पापा आपको लगता है कि मैं अब आपसे चुदें बिना रह पाऊँगी? मैं बस अपने आप को तय्यार कर रही हूँ कि मैं शिवा से बेवफ़ाई कर सकूँ। वैसे पापा मुझे आपसे एक और बात करनी थी ।

राजीव : हाँ हाँ करो ना, पर अपनी नायटी उठा दो ताकि मैं तुम्हारे मस्त चूतरों को सहला सकूँ।

मालिनी हँसती हुई उठी और अपनी नायटी उठा दी और फिर से उसके नंगे बदन पर लेट गयी और बोली: पापा इस बार मुझे बहुत उम्मीद थी कि मेरा पिरीयड नहीं आएगा और मैं प्रेगनेंट हो जाऊँगी पर ऐसा नहीं हुआ। मैं थोड़ा सा दुखी हूँ। क्या मुझे अपना चेक अप करना चाहिए ?

राजीव के हाथ अब उसके नंगे चूतरों को सहला रहे थे और पैंटी उसके हाथ में छू रही थी। वो मस्त होकर बोला: बेटा, मुझे नहीं लगता कि तुम दोनों में कोई कमी है। मगर चाहो तो चेक अप करा लो। मैं एक डॉक्टर को जानता हूँ यहीं पास में ही रहती है। कल या परसों जब चाहो करवा लेना।

मालिनी: शिवा को बताऊँ या नहीं? पता नहीं वो क्या सोचेंगे
 
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राजीव अब उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया और उसके गाँड़ के छेद को सहला कर मज़े से बोला: उफफफ बेटी क्या मस्त गाँड़ है । अब इस कुँवारी गाँड़ का उद्घाटन करना ही पड़ेगा। वह उसमें एक ऊँगली डालते हुए बोला।

मालिनी: उफफफ पापा जलन हो रही है ना। निकालिए बाहर, सूखे ही डाल रहे हो आप तो।

राजीव हँसकर अपनी एक ऊँगली में थूक लगाया और फिर उसने उसकी गाँड़ में डाला और वो उफफफ कर उठी।

राजीव ऊँगली अंदर बाहर करते हुए बोला: अभी मत बताओ शिवा को। रिपोर्ट आ जाएगी तब देखेंगे।

मालिनी: आऽऽऽऽऽह पापा ठीक है अभी नहीं बताऊँगी। परसों का प्लान कर लो आप डॉक्टर का। आऽऽऽहव अब बस करो अब फिर से जलन हो रही है। निकाऽऽऽऽऽऽऽलो प्लीज़।

राजीव ने अपनी ऊँगली निकाली और फिर उसको दिखाकर सूँघने लगा और बोला: आऽऽह बेटा क्या मस्त गंध है।

मालिनी हँसती हुई उसकी छाती में एक मुक्का मारकर बोली: छी गंदे पापा। फिर वह उठकर अपनी नायटी नीचे की और बोली: चलिए अब नाश्ता बनाती हूँ। देखती हूँ कि शिवा का क्या प्रोग्राम है। फिर वह झुक कर उनसे होंठ चुमी और बाहर चली गयी।
वह जब अपने कमरे में जा रही थी तो उसकी गाँड़ में थोड़ी सी जलन हुई। वो सोची कि पापा की ऊँगली से जलन हो रही है तो जब उनका मोटा मूसल अंदर जाएगा तो मेरा क्या हाल होगा। फिर कमरे में पहुँची तो देखा कि शिवा बाथरूम में था और पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी। तभी शिवा पूरा नंगा बाहर आया और तौलिए से मुँह पोंछ रहा था। मालिनी को देखकर वह बोला: वाह जान कहाँ थी?

मालिनी थोड़ी सी हड़बड़ा कर बोली: वो वो किचन में थी। आपके लिए चाय लाती हूँ। तभी शिवा ने उसको जकड़ लिया और बोला: अरे चाय के पहले शहद तो पिला दो । वो अब उसके होंठ चूसने लगा। मालिनी भी उससे लिपट कर होंठ चूसने लगी । मालिनी ने महसूस किया कि उसका लौड़ा खड़ा होने लगा है। अब वह हाथ बढ़ा के उसके लौड़े को सहला दी। शिवा उसकी क़मर सहला कर बोला: उफफफ क्या माल हो जान। क्या रेड सिग्नल करके बैठी हो बहुत मन कर रहा है चोदने को।

मालिनी: बस करिए ना । अब चाय पीजिए फिर तय्यार होकर मम्मी के घर भी जाना है ना।

शिवा: हाँ वो तो जाना है पर थोड़ा इसको शांत कर दो ना।

मालिनी: रात को चूसा था ना। अब फिर रात को चुसवा लेना।
मालिनी सोची कि अभी तो पापा का चूसीं हूँ। अब इनका भी चूसूँ क्या। उसके हाथ में अभी भी उसका लौड़ा था जो कि तना हुआ था।

शिवा: जान एक बार और चूस दो ना, जैसे रात को चूसा था।

मालिनी: आप ज़िद करोगे तो चूस लूँगी। पर ज़्यादा मज़ा आएगा जब रात को आराम से चूसूँगी।

शिवा: ऐसा? चलो ठीक है रात को ही चूस लेना। जाओ अब चाय लाओ। तब तक मैं लूँगी पहनकर बाहर आता हूँ।

मालिनी झुकी और उसके लौड़े का एक चुम्बन ली। फिर वह बाहर चली गयी।

चाय और नाश्ता करके शिवा और मालिनी एक छोटा सा बैग लेकर बाहर जाने को तय्यार हुए।

शिवा: मैं पापा को बोल देता हूँ कि हम निकल रहे हैं। यह कहकर वो आवाज़ लगाया: पापा हम जा रहे हैं।

राजीव बाहर आया और बोला: अच्छा बेटा ध्यान से जाना। फिर मालिनी से बोला: वाह बेटा आज साड़ी में बहुत प्यारी लग रही हो। शिवा इसका ख़याल रखना ।

शिवा: ज़रूर पापा जी। अब चलो देर हो रही है।

दोनों बाहर आए और कार में बैग रखा और अचानक मालिनी बोली: मैं अभी आइ। मैं अपना धूप का चश्मा लेकर आती हूँ। आपको भी चाहिए क्या?

शिवा: हाँ मेरा भी लेते आना। तब तक मैं कार पोंछ लेता हूँ।

मालिनी अंदर आइ और अपने कमरे में जाकर अपना और शिवा का चश्मा ले लिया और जब बाहर आइ तो पापा खड़े थे और उसको बड़े प्यार से देख रहे थे। वो बोला: बेटा मुझसे प्यार करने और बाई करने आइ हो ना? चश्मा तो एक बहाना था ना?

मालिनी आइ और उससे लिपट गई और बोली: हाँ पापा सच में आपको बाई करने ही आयी हूँ। फिर दोनों के होंठ चिपक गए। राजीव के हाथ उसकी नंगी कमर पर चलने लगे थे। फिर वह उसके चूतरों को दबाकर मस्त होकर बोला: बेटी सच में तुमसे दिन भर अलग रहने की कल्पना से ही ख़राब लग रहा है।

मालिनी: पापा मैं भी आपसे अलग नहीं होना चाहती । कोशिश करूँगी कि शाम तक वापस आ जाऊँ।

राजीव: ठीक है बेटा , जाओ पर पहुँच कर फ़ोन करना फिर वह उसको छोड़ा और वो जब दरवाज़े तक पहुँची तो राजीव बोला: बेटी एक बार दिखा दो ना?

मालिनी दरवाज़े तक पहुँच चुकी थी। वो मुड़ी और बोली: पापा क्या दिखाऊँ?

राजीव: बेटा अपनी साड़ी उठा कर एक बार दिखा दो ना? प्लीज़। तुम्हारी छवि मेरी आँखों में बस जाएगी।

मालिनी हँसकर: पापा आपने कई बार तो देखी है। और वैसे भी आज पैंटी और उसमें पैड भी लगा है। क्या दिखेगा?

राजीव: अरे बेटा, तुमको पैंटी में भी देखकर बड़ा सुख मिलेगा।

मालिनी हँसी और बोली: ठीक है पापा जैसी आपकी मर्ज़ी। यह कहकर वो झुकी और अपनी साड़ी को पेटिकोट के साथ ऊपर उठा दी। राजीव की आँखें उसकी मस्त जाँघें और बीच में सुंदर सी गुलाबी पैंटी देख कर मस्त हो गया।

वह बोला: आऽऽऽऽऽह बेटा बहुत मादक है तुम्हारा बदन। अब घूम जाओ और पिछवाड़ा भी दिखा दो।

मालिनी पीछे को घूम गयी और अब उसके मस्त गोल गोल चूतर उसकी आँखों को मदमस्त कर रहे थे। पैंटी उसकी गाँड़ की दरार में फँसी हुई थी। फिर वो बोली: पापा बस अब जाऊँ?

राजीव: आऽऽह क्या माल हो बेटा तुम? कब चुदवाओगी ? ठीक है जाओ। बाई।

उसने साड़ी नीचे की और उसे ठीक किया और मुड़कर बोली: पापा बाई। और हँसते हुए भाग गयी। वो बाहर आकर कार में बैठी और दोनों शिवा की ससुराल के लिए निकल पड़े ।

उधर सरला को भी रात भर ठीक से नींद नहीं आइ। वो अच्छे और बुरे के संशय में परेशान थी। क्या वो शिवा के साथ ये सब करके अन्याय नहीं कर रही थी। वो सुबह के काम से निपट कर नहाने गयी। उसने अपने कपड़े उतारे और ख़ुद को पूरी नंगी शीशे में देखकर सोची कि अभी भी मुझसे दम है किसी भी मर्द को अपने बस में करने का। उसने नीचे देखा और वहाँ अपनी बुर के आसपास की झाटों को देखकर सोची कि पता नहीं शिवा को ये बाल पसंद आएँगे या नहीं। उसने वीट लगाया और अपनी बुर के आसपास के बालों को रुई से साफ़ किया। सफ़ाई करते हुए उसे याद आया कि कैसे उसके पति कभी उसको ये काम ख़ुद नहीं करने देते थे । वह ख़ुद ही उसे बिस्तर पर लिटाकर उसकी झाँटें साफ़ करते थे । सच वो बहुत मिस कर रही थी आज अपने पति को। तभी उसका फ़ोन बजा। वो बाहर आयी नंगी ही और फ़ोन सुनी: हेलो।

राजीव: हेलो जान। शिवा और मालिनी निकल गए हैं यहाँ से। देखो अच्छा मौक़ा है। कुछ काम को आगे बढ़ा लेना।

सरला: हाँ पूरी कोशिश करूँगी। मेरी कोशिश होगी कि मालिनी अपने भाई और श्याम के बच्चों में उलझी रहे और मैं शिवा के साथ कुछ कर पाऊँ।

राजीव: ऐसे कपड़े पहनना कि तुम्हारे दूध उसे दिखें। वो उस दिन भी तुम्हारे दूध ही देखे जा रहा था। क्या पहनोगी आज?

सरला: अभी तय नहीं किया है। साड़ी का ही सोच रही हूँ और साथ में स्लीवलेस ब्लाउस पहनूँगी। ठीक है ना?

राजीव: ठीक रहेगा जान। पैंटी नहीं पहनना। तुम्हारे मादक चूतरों को देखकर ही वो पागल हो जाएगा।

सरला: ठीक है। अब तैयार होती हूँ।

राजीव: अभी क्या नायटी में हो?

सरला हँसकर: अभी तो नंगी हूँ, नहाने जा रही थी कि फ़ोन बज गया और मैंने बाहर आके उठा लिया।

राजीव: वाह नंगी हो तो जान एक बार दिखा दो ना। मैं विडीओ कॉल करूँ?

सरला: कर लो ,वैसे भी मैंने आपके बेटे के लिए अभी अपने नीचे के बाल की सफ़ाई की है। हा हा।

अब राजीव ने फ़ोन काटा और विडीओ काल किया। अब राजीव ने सरला का चेहरा देखा और कहा: आह आज कितने दिनों के बाद तुमको देखा है। बहुत सेक्सी लग रही हो। अब कैम नीचे करो और अपनी मस्तानी चूचियाँ दिखाओ।

सरला ने फ़ोन नीचे किया और राजीव उसकी चूचियाँ देखकर बोला: आऽऽऽह ये तो और भी मदमस्त करने वाली हो गयीं हैं। क्या ४० से भी बड़ीं हो गयीं हैं मेरी जान।

सरला हँसकर: आप बहुत मज़ाक़िया हो। अभी भी ४० की है मेरी ब्रा। वह अपनी चूचियाँ दबाकर बोली।

राजीव: उफफफफ क्या कर रही हो जाऽऽऽऽऽऽंन। वह अपना लौड़ा मसलकर बोला: अब अपनी बुर दिखाओ ना।
 

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