Romance तुम सामने सच में हो या कोई ख्वाब है।

कहानी किस शैली (GENRE) में लिखूँ ।

  • हास्य (Comedy)

  • नाटक (Drama)

  • एक्शन (Action)

  • विज्ञान-कथा (Sci-Fi)

  • रहस्य (Thriller)


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तालिका (INDEX)
भाग-3
भाग-4
भाग-5
भाग-6
भाग-7
भाग-8
भाग-9
भाग-10
भाग-11
भाग-12
भाग-13
भाग-14
भाग-15
भाग-16
भाग-17
भाग-18
भाग-19
भाग-20
भाग-21
भाग-22
भाग-23
भाग-24
भाग-25
भाग-26
भाग-27
भाग-28
भाग-29
भाग-30
भाग-31
भाग-32
भाग-33
भाग-34
भाग-35
भाग-36
भाग-37
भाग-38
भाग-39
भाग-40
भाग-41
भाग-42
भाग-43
भाग-44
भाग-45
भाग-46
भाग-47
भाग-48
भाग-49
भाग-50
 
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एक झलकि -

बड़ी देर बाद एक आवाज आती है - एक शेर अर्ज करता हुँ अभी-अभी तेरे हालात देखकर बनाया है, कि -
"बसंती हुदी पर आज उसकी सुहागरात नहीं,
पूरा हुश्न देख नहीं पाया वो हुई नग्न मादरजात नहीं,
और ज़ाम से ज़ाम टकरेगा JD का आज,
ज़ाम से ज़ाम टकरेगा JD का आज,
जाये अगर जाना है उसे, इसमें रोने की साला कोई बात नहीं।"
 
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भाग-1

आज 3 साल पूरे हो गये तुम्हे मुझसे जुद़ा हुए, काश तुम बता देते कि ऐसी क्या मजबूरी थी तुम्हारी जो तुम मुझसे यूँ जुदा हुएँ। मैं तो ये भी नहीं जानता कि कहाँ हो, कैसे हो, क्या कर रहे हो। मेरा इन्तज़ार कर रहे हो या नहीं ये भी नहीं मालूम, बस इतना पता है कि इस कमबख्त दिल पर तुमने राज़ किया था या शायद ये कहना ज्यादा सही होगा कि अब भी करती हो। तुम मेरी जिन्दगी की किताब का वह पन्ना हो जिसे मैं पूरा करना तो चाहता हुँ पर अब तक कर नहीं पाया हुँ। ये 3 साल कैसे तेरी यादों के सहारे बिताये है बस मैं ही जानता हुँ -
रात हुई जब शाम के बाद, तेरी याद आई हर बात के बाद ।
हमने खामोश रह कर भी देखा, तेरी आवाज़ आई हर साँस के बाद ।।
ओये युग क्या य़ार पूरे दिन बैठके डायरी लिखते रहता है जा तुझे कर्नल साहब याद कर रहे है।
और क्या करें सर, यहाँ पर पहाड़ और हम जैसे पागलों के सिवा रहता ही कौन है जिससे बातें कि जाए, अब तो बस ये डायरी ही है जिसका सहारा है। अरे याद आया नमो (NaMo) सर बुला रहे थे आप भी ना सर बातों-बातों में भुला दिया था, जब देखो तब बातों में लगा देते हो, मैं अभी आया।


जय हिन्द सर,
जय हिन्द, और क्या हाल-चाल बर्खुरदार मज़ा आ रहा है ना।
सर आप भी ना हर बार एक ही सवाल करते हो, कभी तो नया कुछ ट्राई किजिए।
अरे ये क्या बात हुई, तुम भी तो 3 सालों से वैसे के वैसे हो, जऱा सा भी चेंज नहीं लाये खुद में, भला मैं क्युँ अपना सवाल चेंज करू।
(मुस्कुराते हुए) सर कोई ऑर्डर मेरी कम्पनी (Company) के लिए।
भई, आज ऑर्डर तुम्हारी कम्पनी के लिए नहीं, तुम्हारे लिए है।
मैं कुछ समझा नहीं सर,
तुम्हारे घर से आपकी माताश्री का पैगाम आया है, और साथ में उस पागल ईन्सान का भी, ये लो। और यार कम से कस एक मोबाइल ले लो कब तक इन चिठ्ठीयों के सहारे घरवालों से बातें करते रहोगे।
(मुस्कुराते हुए) मैं चलता हुँ सर, जय हिन्द।

(ये मोबाइल का इस्तेमाल क्युँ नहीं करता इसका कारण आगे कहानी में पता चल जायेगा।)

पहला खत - माँ का

प्रिय पुत्र युग,
आशा करती हुँ कि तुम सकुशल होंगे। बेटा ऐसा क्या हुआ है 3 सालों में जो तुम हमसें यूँ कट से गये हो, ऐसी क्या बात है जो तुम हमें यूँ सजा दे रहे हो। कम से कम हमें ये तो बताओ कि वो क्या बात है जिसनें तुम्हें हमसे यूँ जुदा कर दिया जैसे साख से पत्ता। मेरी भैया से भी बात हुई थी इस बात पर उन्होनें कहा उन्हें कुछ नहीं मालूम बस इतना पता है कि तुम अपना खाली समय एक डायरी लिखने में व्यतीत करते हो। तुम्हें घर आये भी लगभग 2 साल हो गये है, और तुम्हारा आखरी खत भी 1 साल पहले आया था। आज से ठीक सात दिन बाद तुम 27 वर्ष के हो जाओगे। मैं चाहती हुँ इस बार तुम अपना जन्मदिन हमारे साथ, अपने परिवार के साथ मिलकर मनाओ। और अगर तुम इस बार भी ना आये तो शायद अगली बार तुम मेरा हंसता हुआ वो चेहरा नहीं देख पाओगे जिसे देखकर तुम कहते थे कि माँ आप हंसते हुए कितने प्यारे लगते हो और ये तुम्हारी माँ का ये अन्तिम फैसला है। और शायद तुम्हारे लिए एक खुशखबरी भी है जो तुम्हें तभी बताई जाएगी जब तुम घर आ जाऔगे। मैं ये आशा करती हुँ कि खत मिलते ही तुम मुझे अपने आने कि खबर भिजवा दोंगे। पूरा परिवार तुमसें बहुत प्रेम करता है।

तुम्हारी माँ।


दुसरा खत - WD (पागल) का

A.V.N.I.
 
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भाग-1

आज 3 साल पूरे हो गये तुम्हे मुझसे जुद़ा हुए, काश तुम बता देते कि ऐसी क्या मजबूरी थी तुम्हारी जो तुम मुझसे यूँ जुदा हुएँ। मैं तो ये भी नहीं जानता कि कहाँ हो, कैसे हो, क्या कर रहे हो। मेरा इन्तज़ार कर रहे हो या नहीं ये भी नहीं मालूम, बस इतना पता है कि इस कमबख्त दिल पर तुमने राज़ किया था या शायद ये कहना ज्यादा सही होगा कि अब भी करती हो। तुम मेरी जिन्दगी की किताब का वह पन्ना हो जिसे मैं पूरा करना तो चाहता हुँ पर अब तक कर नहीं पाया हुँ। ये 3 साल कैसे तेरी यादों के सहारे बिताये है बस मैं ही जानता हुँ -
रात हुई जब शाम के बाद, तेरी याद आई हर बात के बाद ।
हमने खामोश रह कर भी देखा, तेरी आवाज़ आई हर साँस के बाद ।।
ओये युग क्या य़ार पूरे दिन बैठके डायरी लिखते रहता है जा तुझे कर्नल साहब याद कर रहे है।
और क्या करें सर, यहाँ पर पहाड़ और हम जैसे पागलों के सिवा रहता ही कौन है जिससे बातें कि जाए, अब तो बस ये डायरी ही है जिसका सहारा है। अरे याद आया नमो सर बुला रहे थे आप भी ना सर बातों-बातों में भुला दिया था, जब देखो तब बातों में लगा देते हो, मैं अभी आया।


जय हिन्द सर,
जय हिन्द, और क्या हाल-चाल बर्खुरदार मज़ा आ रहा है ना।


Dill jit liya. Foji ki love story waw
 

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