Incest तीनो की संमति से .....

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आप सब का धन्यवाद

अपनी राय देते रहिये जो की आगे मेरे काम में आ सकती है ..............

शुक्रिया और आशा रखती हु की आप सभी अंत तक जुड़े रहेंगे
 
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दीदी का थोड़ा सा भी नंगा जिस्म देखकर मुझे अब बहुत मज़ा आता था |



मुझे बहुत कुछ समझ आने लगा था तब मैंने पूरा होश नही संभाला था | मुझे सेक्स के बारे में कुछ ख़ास नही पता था | लेकिन लंड अक्सर अपने आप खड़ा होना शुरू हो जाता था | दोस्तों के साथ बात करते हमेशा यह जानने की कोशिश करता कि सेक्स कैसे करते हैं | लंड कहाँ डालते हैं लड़की के पीछे वाले छेद में या आगे वाले छेद में उसके बाद जब मुझे मुट्ठ मारने के मज़े का पता चला तो मैं हर वक़्त सेक्स के बारे में ही सोचता रहता था और मुट्ठ मारकर खूब मज़ा लेता था,वक़्त गुज़रता गया ,

मैं अपनी ही बहन का दीवाना हुआ जा रहा था | वैसे भी बाहर किसी लड़की की चूत देखना आसान नही था | इसलिए मैं घर में ही पूजा दीदी पे ट्राइ करने लगा | पहले पूजा दीदी मेरे सामने ही कपड़े चेंज कर लिया करती थी लेकिन जब से हम रिक्शा पे एक साथ आए थे तब से उसने भी थोड़ा हिचकिचाना शुरू कर दिया था | मेरी कोशिश यह रहती थी कि किसी तरह दीदी का बदन देखूं या पेंटी के अंदर झांकु कि चूत कैसी होती है!!! क्योंकि अब तक तो बस मुझे मुट्ठ मारने का पता था | मैंने कभी रियल में चूत नही देखी थी लेकिन अब दीदी भी नोटीस करने लगी थी कि मैं उसे टच करने की कोशिश करता हूँ |

मेरे दिमाग़ में अपनी दीदी को कैसे चोदना है इसकी प्लानिंग होनी शुरू हो गई थी | साली मेरी बहन किसी और से सेक्स का खेल खेल रही थी | मेरे दिमाग़ में यही चल रहा था कि इसको मैं ही चोदुंगा लेकिन कैसे यह उस वक़्त बहुत मुश्किल लग रहा था क्यॉंकि मेरे पास तो कोई टिप्स देने वाला भी नही था कि ऐसे करो या ऐसे ना करो फिर भी हिम्मत नही छोड़ी ,

रोहित हम दोनो बहन भाई का सीनियर था | उस को मैंने कई बार दूसरी लड़कियों के साथ भी देखा था | मुझे पता था कि वो मेरी बहन की चूत मारना चाहता है या फिर मारता भी है बस | लेकिन मेरी बहन को पता नही उस में क्या नज़र आया जितनी सेक्सी और खूबसूरत मेरी दीदी थी मुझे सारे स्कूल में ऐसी लड़की नज़र नही आती थी | सब लड़के उसके पीछे पीछे होते थे, लेकिन रोहित तो है भी कुछ खास नही था शायद उसमें लड़की को पटाने की कला थी | मेरी बहन इतनी सेक्सी थी कि उसने मुझे भी पागल किया हुआ था | सेक्स के मामले मे मैं बहुत गरम था | पता नही एक दिन में कितनी बार दीदी को सोचके मुट्ठ मारता था | बस उसी को दिमाग़ में रखकर वक़्त गुज़रता जा रहा था और मुझे यही डर रहता था कि कहीं मेरी बहन बाहर से किसी से ना चुद जाए | अगर ऐसा होगा या हुआ तो,



एक तो बदनामी, स्कूल में सब मेरा मज़ाक उड़ायेंगे,

दूसरा अगर मेरी बहन पेट से हो जाती तो आख़िर घरवालों को ही उसे सम्भालना पड़ता,

तीसरा पता नही दूसरी लड़कियों के साथ सेक्स करने वाला रोहित, उसके साथ सेक्स सेफ भी था या नही | हो सकता था कोई बीमारी वगेरा भी हो |

सुनने में यह भी आता था कि वो ड्रग्स भी लेता है | लड़कियों को पटाने में भी उसका रेकॉर्ड था | मेरे दिमाग़ में जब भी दीदी का रोहित के साथ चूमा चाटी वाला सीन आता तो मुझ से कंट्रोल नही हो पाता और मुझे उसी वक़्त मेरा लंड जवाब दे देता था और मुझे मुट्ठ लगानी पडती थी |

कुछ दिन बाद स्कूल में किसी लड़की ने मुझे बताया कि तुम्हारी दीदी अपने क्लास रूम में रो रही है | मैं वहां गया तो कुछ लडकियाँ उसे चुप करा रही थी | मैंने जाके उसका चेहरा अपने हाथों मे लेकर पूछा “क्या हुआ दीदी”?,

उसने मेरी तरफ देखा फिर मुझ से लिपट कर रोने लगी लेकिन कुछ बोली नही | दीदी अपना मुंह मेरी चेस्ट में छुपा रही थी | दीदी को अपनी बाहों में संभाल कर आज मुझे अजीब सी फीलिंग हो रही थी | ‘वाह!! क्या मज़ा आ रहा था मुझे | उसकी दोनो बड़ी बड़ी चूचियां मेरी चेस्ट के सामने पूरी तरह दब चुकी थीं | मेरा दिल धक धक कर रहा था |

मैंने ढीला सा रोने वाला मुंह बनाके बाकी लड़कियों को कहा, “आप लोग साइड पे हो जाओ प्लीज़” | पता नही कब मेरा एक हाथ दीदी की गांड, बट्स के उपर उसकी स्कर्ट पे था | फिर दूसरे लेफ्ट हैण्ड से मैं उसका चेहरा उपर करके पूछने लगा, “बताओ तो सही दीदी हुआ क्या है” | उसकी आँखें झुकी हुई थी | वो मेरी आँखों में आँखें नही डाल रही थी |

कितनी खूबसूरत थी मेरी बहन | उसका गोरा रंग लाल हो चुका था और एक एक आँसू उसकी गालों पे बहुत मज़े से चल रहा था | इस वक़्त मैं अपनी बहन की पूरी बॉडी और गरम साँसों को बिल्कुल करीब से महसूस कर रहा था | उसके धइले (जहा भी “धइले” शब्द आये बूब्स समजियेगा) उसकी ASS बट्स, उसका पेट, उसकी कमर, उसके होंठ तो मेरे होंठों के बिल्कुल करीब थे | दिल कर रहा था अभी चूस लूँ, दीदी के रस भरे होंठो को,लेकिन मज़बूर था | मैं इस सेक्सी पूजा दीदी का छोटा भाई था और सबके सामने कुछ भी नही कर सकता था | शुक्र है मैंने v-शेप अंडरवेयर पहन रखा था | उसमे मेरा लंड पूरा टाइट हुआ खड़ा था | अपनी बहन का देहकता बदन फील करके शायद मेरा लंड भी मुझ से कह रहा था कि बहन होगी तेरी, मेरा तो ये चोदने का समान है | वो रोई जा रही थी और मैं अपना मज़ा ले रहा था | कोई कुछ बता भी नही रहा था कि क्या हुआ है | फिर मैंने एक लड़की से पूछा कि आपको पता क्या हुआ | वो बोली पता नही रोहित और ऋतु का कोई चक्कर है | इन दोनो में कोई झगड़ा हुआ है और प्रिन्सिपल सर ने दोनो को वॉर्निंग दी है और कल अपने पेरेंट्स या गार्डियंस को साथ लाने को कहा है |
 
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मैं समझ गया कि क्या झगड़ा हुआ होगा,चलो मेरे लिए अच्छा ही था | अब मुझे अपना रास्ता सॉफ दिखाई देने लगा था | मैं दीदी को चुप तो करवा ही रहा था लेकिन मेरा दिमाग़ बस अपनी सेक्सी बहन को चोदने की प्लानिंग मैं लगा था | दीदी के जिस्म ने अभी जो मेरे अंदर आग लगा दी थी उसको शांत करने का मौका नही मिल रहा था |

घर जाते ही मैंने बाथरूम से दीदी की पेंटी उठाई और उसकी स्मेल लेने लगा | धुली हुई पेंटी से भी शायद उसकी चूत की थोड़ी बहुत स्मेल आ रही थी, मेरे अंदर का पानी और भी उबाले मारने लगा, मैंने पहले इमेजिन किया कि पेंटी का कौनसा हिस्सा दीदी की मस्त चिकनी चूत को छूता होगा फिर उस हिस्से पे अपनी जीभ फिराई और फिर उसी हिस्से को अपने लंड पे रखके मुट्ठ मारना शुरू कर दिया | आँखें बंद हो गई | दिमाग़ में वही तस्वीर थी | दीदी का मुझ से लिपटना और दीदी की तनी हुई चुचियों की चुभन मुझे अभी भी फील हो रही थी | उसका देहकता बदन उसके लाल होंठ सोचते सोचते मेरी मुट्ठ मारने की स्पीड तेज होती जा रही थी | अब मेरे दिमाग़ में खाली उसके लाल होंठ फ़्लैश कर गये और एक ख्याल आया कि काश मैं दीदी के होंठों पे अपने लंड का पानी निकालूँ | फिर ऐसा लगा कि जैसे पूजा दीदी के पिंक होंठ मेरे लंड के बिल्कुल सामने मेरे लंड का पानी निकलने की इंतज़ार कर रहे हों | उसी वक़्त मेरे अंदर से गरम मलाई निकली और मैंने अपने लंड को दीदी की पेंटी के अंदर ही मसल दिया | पेंटी के चूत वाले हिस्से से लेकर उपर तक सारी पेंटी मेरे लंड की मलाई से भर गई | मैंने अपने लंड को पेंटी के सूखे हिसे से पोंछके धीरे से पेंटी इस तरीके से वापिस रख दी कि उसमें पड़ा मेरा माल नीचे ना गिरे |

अब ऐसा करना यानी दीदी की पेंटी पर अपने लंड का पानी निकालना मेरा रोज़ का काम हो गया था | लेकिन पता नही क्यों दीदी कोई रेस्पॉन्स नही दे रही थी | आख़िर वो अपनी पेंटी तो चेक करती ही होगी फिर भी कोई रेस्पॉन्स नही दे रही थी | मैं उसकी तरफ से बस एक प्लस पॉइंट का इंतज़ार कर रहा था |

अगर आपको यह कहानी पसंद आये तो कमेंट जरुर दीजिएगा ...........
 
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उस दिन घर आ के पहली बार मैंने दीदी को इतनी कन्फ्यूज़्ड ओर डिप्रेस्ड देखा | आख़िर आज दीदी को मेरी हेल्प की ज़रूरत भी पड़नी ही थी | शाम को दीदी मेरे पास आई और बोली

“दीपू अब क्या करें, कल प्रिन्सिपल ने पेरेंट्स को साथ लाने को कहा है” |

मैंने कहा, “दीदी मम्मी को ले जाओ” |

वो कुछ सोचने लगी फिर बोली “अगर मुझे पता होता कि रोहित ऐसा है तो मैं कभी भी....” फिर कुछ कहती कहती रुक गई |

मैंने कहा, “बात क्या हुई थी दीदी”

दीदी : वो सब छोड़, तू एक बात बता तू एक काम करेगा |

मैं : क्या दीदी |

दीदी : कल सुबह तू मेरे साथ प्रिन्सिपल के पास चलेगा |

मैं : ओके दीदी |

दिल को लगा शायद दीदी की हेल्प करके मुझे दीदी को चोदने का कोई रास्ता मिल जाए | उधर हमारे कॉलेज के प्रिन्सिपल का रेकॉर्ड भी कोई अच्छा नही था | वो एक नंबर का ठरकी बुढ़ा था | उसकी बीवी मर चुकी थी ओर एक लड़की थी जिसकी शादी कर चुका था और अभी भी अपनी शादी करने की सोच रहा था | सूना तो ये भी था की उसने अपनी बेटी को भी नहीं छोड़ा है सच तो उपरवाला हि बता सकता है|

कॉलेज में कोई भी नई मैडम उसकी मर्ज़ी के बिना एपोइंट नही होती थी और एपोइन्ट करने की उसकी कुछ अपनी पर्सनल शर्तें होती थी |

खेर
नेक्स्ट डे हम दोनो बहन भाई सीधा प्रिन्सिपल के ऑफीस में गये | उसने पूजा दीदी को खड़े रहने को बोला और मुझे चेयर पे बैठने को, मैं बैठ गया और अभी कहने ही लगा था कि “सर हमारे पेरेंट्स” | प्रिन्सिपल ने मेरी बात काट दी और बोले “बाहर कहीं गई होंगे ना ... स्टूडेंट्स अक्सर ऐसे बहाने करते हैं ... देखो बेटा तुम ही बताओ कि रोहित अच्छा लड़का है क्या”?

मैं “नो सर”

प्रिन्सिपल “फिर भी तुम अपनी बहन की हेल्प कर रहे हो.... रोहित की जगह अगर कोई ओर लड़का होता तो शायद मैं यह एक्शन ना लेता .... हम लोग तुम लोगो को ग़लत रास्ते और ग़लत लोगो से बचाने के लिए ही यह सब करते हैं”

मैंने मौका देखके अटैक किया “सर दीदी सारी रात रोती रही है कि पता नही सुबह क्या होगा इसे बहुत टेंशन हो रही है सर”
 
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प्रिन्सिपल “देखो बेटा, हमारा मक़सद सिर्फ़ तुम को समझाना है और कुछ नही, टेंशन वाली कोई बात नही, इधर आओ बेटा मेरे पास” दीदी मेरी चेयर के पीछे खड़ी थी वो प्रिन्सिपल की बड़ी सारी ऑफीस टेबल की लेफ्ट साइड से घूमके प्रिन्सिपल की चेयर के पास जा के खड़ी हो गई | मैं प्रिन्सिपल के सामने बैठा था लेकिन ऑफीस टेबल के उस पार प्रिन्सिपल की चेयर को उपर से ही देख सकता था | प्रिन्सिपल ने दीदी का हाथ पकड़ा और बोला “देखो बेटा रोहित अच्छा लड़का नही है उसकी कंपनी तुम्हारे लिए अच्छी नही है .... अगर तुमको कोई परेशानी या किसी चीज़ की ज़रूरत है तो तुम सीधा मेरे ऑफीस में आ जाया करो”

फिर प्रिन्सिपल ने आज का न्यूज़ पेपर उठाया ओर मेरे सामने रखते हुए कहा, “देखो बेटा आज कल शहर में क्या क्या हो रहा है.... यह न्यूज़ पढके देखो ज़रा ....” मैंने अपनी आँखें न्यूज़ पेपर पे घुमानी शुरू कर दी इस बीच मेरी हल्की सी नज़र दीदी की तरफ गई | मैंने उसके फेस को देखा वो लाल हो रहा था | दीदी लंबी लंबी सांसें ले रही थी | जिससे उसकी शर्ट से उसकी चुचियां उपर नीचे होते बिल्कुल सॉफ दिखाई दे रहीं थीं | मुझे कुछ समझ ना आया जब मैंने थोड़ी नीचे नज़र डाली तो ऐसा लग रहा था कि दीदी की कमर के नीचे उसकी स्कर्ट में कुछ रैंग रहा है | मुझे समझते देर नही लगी कि वो प्रिन्सिपल सर का हाथ था | वो राईट हैण्ड से अपनी ड्रोवर में कुछ ढूंड रहे थे और उनका लेफ्ट हॅंड दीदी का रेस्पॉन्स चेक कर रहा था | फिर कुछ देर बाद प्रिन्सिपल सर बोले

“दीपक बेटा तुम को क्लास लगानी होगी... तुम अगर जाना चाहो तो जाओ डोंट वरी फ़िक्र की कोई बात नही”


मैं “नही सर मेरा पहला पीरियड फ्री है आज” | मुझे पता चल गया था कि साला मुझे भगाने के चक्कर में है |
फिर बोला “मैं तुम्हारी दीदी का एक टेस्ट लूँगा ओर इस को एक क्वेश्चन सॉल्व करने के लिए दूँगा अगर यह एक अच्छी स्टूडेंट है और इसने सॉल्व कर दिया तो फिर मैं इसकी वॉर्निंग भी वापिस ले लूँगा.... ठीक है” फिर सिर ने एक पेन और खाली पेपर निकाल के अपनी चेयर के करीब दीदी के सामने रख दिया और मुझे बोले “बेटा तुम सामने सोफे पे बेठ जाओ

.... आज टीचर्स मीटिंग है...... टीचर्स भी आते ही होंगे” मैं चेयर से उठा तो प्रिन्सिपल सर ने मुझे न्यूज़ पेपर भी साथ ले जाने को कहा | मैं सामने पडे लेफ्ट सोफे पे बैठ गया और न्यूज़ पेपर पढने लगा |

प्रिन्सिपल और दीदी को देखने के लिए मुझे अपने राईट कंधे की तरफ गर्दन घुमाना पड़ना था | अब प्रिन्सिपल सर दीदी को कुछ समझा रहे थे | शायद कोई क्वेस्चन दे रहे थे और बिना मेरी परवाह किये अपने लेफ्ट हैण्ड से अपना दूजा काम भी किए जा रहे थे |

शायद उनके हाथ दीदी के स्कर्ट के अन्दर पीछे से दीदी की गांड को नाप रहे थे|

दीदी भी उनके और नज़दीक सरक गई थी | मेरी आँखें बेशक न्यूज़ पेपर पे थी लेकिन कान उन दोनों की हरकतों की तरफ ही थे | कुछ देर बाद दीदी, सर की चेयर के करीब ही थोडा झुकी और कुछ लिखने लगी अब दीदी के झुकने से प्रिन्सिपल को अपना काम करने में और भी आसानी हो रही थी | उनका व्यू और भी अच्छा हो गया था | मैंने एक नज़र प्रिन्सिपल की तरफ डाली उनका ध्यान दीदी की गांड की तरफ था | लग रहा था कि वो दीदी की चूतड़ पे हाथ फिरा रहे हैं | मैंने भी नज़र बचा के देखना शुरू कर दिया |

मेरा लंड तो साला वैसे भी ऐसी हरकते देख के खड़ा हो चुका था | मैंने अपनी पेंट की पॉकेट में हाथ डालके अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया | फिर कुछ देर बाद ज़ोर से टक की आवाज़ आई | साफ पता चल रहा था कि दीदी की पेंटी की एलास्टिक की आवाज़ है लेकिन मैंने नोटीस नही लिया | इससे शायद वो डिस्टर्ब हो जाते | मैं न्यूज़ पेपर पढ़ने का नाटक करता रहा | फिर थोड़ी देर के बाद नज़र घुमाई तो दीदी टेबल पे पेपर पे झुकी कुछ लिख रही थी लेकिन पीछे से उसकी गांड धीरे धीरे हिल रही थी और प्रिन्सिपल सर के दोनों हाथ टेबल के नीचे थे | ऐसा लग रहा था कि वो चेयर पे बैठे एक हाथ से अपने लंड को हिला रहे हैं और दूजा हाथ दीदी की टांगों और गांड पे फिरा रहे हैं |

अब उनकी चेयर पीछे की तरफ सरकी, फिर कुछ देर बाद सर ने जानबुझ के अपनी चेयर के सामने जिस जगह उनकी टांगें होती हैं वहाँ पे अपना पेन गिरा दिया और दीदी को बोले “बेटा पेन उठाना ज़रा” | मैं टेडी आँख से सब देख रहा था | दीदी उनकी चेयर के आगे बेठ गई और पेन उठा के उठने लगी तो सर ने पहले मेरी तरफ देखा फिर मुझे न्यूज़ पेपर पढ़ता देख जल्दी से अपने दोनो हाथ दीदी के कन्धों पे रख के उसको उठने नही दिया | फिर दीदी की शर्ट के गले से अपना हाथ अंदर डाल के उनके धइले को दबाना शुरू कर दिया | जैसे की आज ही वो धइले को दुहो देना चाहता हो|

अब दीदी निचे बैठ के शायद सर का लंड को अपने मुह से नाप रही थी कुछ हलकी हलकी सिस्कारिया भी दीदी निकाल रही थी| सर का लंड अपना काम कर रहा था शायद दीदी का मुह चोद रहा था| मुझे खास तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा था पर दीदी का मुह ऊपर निचे होता रहा और सर भी थोडा ऊपर निचे होते दिख रहे थे| इस से साफ़ होता था की दीद अपना मुह चुदवा रही थी और एक और लंड का स्वाद अपने मुह को प्रेजेंट कर रही थी| थोड़ी देर ऐसे ही चलता रहा दीदी अब आनंद से अपने मुह में सर का लंड समाये जा रही थी| और सर भी उस कोशिश में थे की लंड पूरा अन्दर तक समा जाए|

कुछ ही देर के बाद प्रिन्सिपल की “आह... ऊ.... हुउऊहू...ओ” की हल्की सी आवाज़ आई शायद उनकी पिचकारी छूट गई थी और दीदी झट से उठ के खड़ी हो गई | लेकिन प्रिसिपाल का माल उसके मुह पे लगा हुआ साफ़ नजर आता था और अपना मुह पे हाथ रखे हुए थी पर फिर भी जैसे कुछ माल उनके मुह में चला गया हो और वो निकाल ना चाहती हो| पर पता नहीं शायद निगल गई हो|

दीदी की शर्ट के उपर वाले दोनो बटन खुले थे और उनमें से नज़र आ रहे दीदी के गोरे गोरे मुम्मे की गहरी खाई बहुत सेक्सी लग रहे थे | मुझे ऐसा लगा की उसके धइले कुछ ऊपर निचे हो गए है|

दीदी झट से बोली “सर मैं जाऊं अब”
प्रिन्सिपल “हाँ बेटा........ तुम लोग जाओ ..... और हाँ पूजा बेटा अगर तुम्हे कोई भी तकलीफ़ हो तो सिधा मेरे पास चली आना किसी प्रकार की झिजाक मत करना ठीक है” | और हां जरा तुम वह बाथरूम हो कर चले जाना ठीक है” ?

“जी सर” कह के दीदी लगभग भागती हुई बाथरूम में घुस गई और सर ओ मैंने मुस्कुराता हुआ देखा| दीदी बाथरूम से बाहर आई तो सर बोले तुमने अच्छे से अपना Q सोल्व किया है पूजा बेटी मुझे लगता है कि तुम्हे ऐसे ही प्रॉब्लम सोल्व करते रहना चाहिए

जी सर जब आप कहे सोल्व कर दूंगी अब जाए सर ?

हम प्रिन्सिपल के रूम से निकल आये | बाहर आके दीदी मुझ पे भड़क रही थी और बोली ”सर ने कहा था जाने को... फिर भी दफ़ा क्यों नही हुआ .... शुक्र है फिर भी वो मान गये” |

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दीदी की शर्ट के ऊपर वाले 2 बटन अभी भी खुले थे | उनमें से नज़र आ रही गोरी चूचियां मेरी हवस को और हवा दे रही थीं | मेरा ध्यान दीदी के बूब्स पर ही था और मैं ऐसे ही पॉकेट में हाथ डाले लंड को मसलता हुआ दीदी के साथ चल रहा था | फिर कुछ देर बाद मैंने कहा “दीदी अब तो शर्ट के बटन तो बंद कर लो” |
दीदी “तू अपना काम कर ओके, मुझे पता है क्या करना है” |

वो मुझ पे भड़क रही थी तो सामने से टीचर आ गया | दीदी के बाहर झाँक रही चुचियों पे उनकी सीधी नज़र गई और वो अपने होंठों को गोल होने से रोक ना सके | मुंह से एक आवाज़ निकली जैसे बहुत तेज मिर्ची खाने के बाद हमारे मुंह से निकलती है “इइसस्स्स्स्सस्स” |

दीदी स्माइल के साथ उन्हें “गुड मॉर्निग सर” कह के आगे बढ़ गई |

साली मेरी ही किस्मत खराब थी बाकी सब को पूजा दीदी का साथ मिल रहा था बस मैं ही तरस रहा था |

कुछ दिन बाद मैं अपने दोस्तो के साथ फ्री पीरियड में ग्राउंड में जाके बेठ गया | मैंने दूसरी ग्राउंड में नज़र मारी तो वहाँ पहले ही कुछ लोग बैठे थे और कुछ खेल रहे थे | ग्राउंड में एक साइड पे 1 चेयर रखी थी | उस पे टीचर बैठे थे | उनके आस पास कुछ ओर स्टूडेंट्स भी बैठे थे | मैं और मेरे दोस्त उस तरफ चल दिए | उनमें मेरा दोस्त मोहित भी साथ था | हम सब टीचर के पीछे जा के खड़े हो गये | सामने दीदी एक लड़की के साथ बैडमिंटन खेल रही थी | दीदी जैसे जैसे उछल कूद कर रही थी | उसके धइले भी आसमान और जमीन को छू ने की प्रेक्टिस कर रहे थे, भी वैसे ही अप डाउन हो रहे थे और कभी कभी जब दीदी जंप लगा के हिट करती तो स्कर्ट के नीचे से गोरी लंबी टांगों के ऊपर ब्लैक कलर की पेंटी भी नज़र आ जाती थी | मेरे ख्याल से सब लोग दोनो लड़कियों के सेक्सी जिस्म की उछल कूद का मज़ा ले रहे थे | ना कि गेम का | मेरे दोस्त ओर मैं हम सब भी यह सब देखने लगे |

फिर मोहित बोला “दीपक उसके बोल्स देख, केसे उछाल रहे हैं”

मैंने कहा, “साले चूतिये पूजा दीदी है” |

मोहित, “सॉरी यार,एक बात बोलूं , गुस्सा तो नही करेगा”

मैंने कहा, “बोल” | मुझे पता था कि वो क्या बोलने वाला है लेकिन मुझे उसके मुंह से सुनके और भी मज़ा लेना था |

मोहित “यार देख गुस्सा मत होना, लेकिन जो बात सच है वो सच है” |

मैंने कहा “कुछ बोलेगा या नहीं” |

मोहित “देख तुझे खराब लगेगा, लेकिन यार पूजा दीदी बहुत सेक्सी माल है, कितने लड़के उसके पीछे लगे हैं , तू क्या सोचता है कि यह सब लोग बैडमिंटन की गेम देखने के लिए बैठे हैं!!! , सब पूजा दीदी की टांगें और धाये देखने बैठे हैं, और उसमे मै भी शामिल हु| यार जब पूजा दीदी उछल उछल कर शॉट लगाती है तो देख पूजा दीदी के मोटे मोटे धइले कैसे उछल रहे हैं और पूरे स्कूल के लड़कों ने पूजा दीदी का नाम सेक्सी माल रखा हुआ है” | शायद तुम्हे पता नहीं तो मै बता देता हु|

‘और देख बहन तो बाद में होती है फिर मेरी हो या तेरी पहले तो चूतवाली है और उस चूत को कोई तो चोदेगा ही देख बुरा मत मान पर यही सच है और जो माल है सो है तेरी बहन सेक्सी है तो उसमे क्या बुरा है उसको देख के लंड तो खड़ा होगा ही चाहे किसी का और कोई भी हो| उसने मेरे लंड के उभार की ओर नजर करते हुए|

साले बहनचोद की बात तो सही थी मेरा भी तो लंड कहा काबू में होता है दीदी की गांड को देख के

वैसे मेरी पहली पसंद तो कोई और ही है जो किसी को नहीं पता

यह सब मुझे तो पहले ही पता था | लेकिन उसके मुंह से सुनने में और मज़ा आ रहा था लेकिन एक्टिंग करनी भी ज़रूरी थी क्योंकि आख़िर वो सेक्सी माल मेरी बड़ी बहन थी | फिर मैंने मोहित को कहा “साले तू ऐसे कैसे बोल रहा वो मेरी बड़ी बहन है” |

मोहित “हाँ यार इसलिए तो तुझे बता रहा हूँ , एक बात और भी है , लेकिन छोड़ , तू सच में गुसा हो जाएगा” |

मैंने कहा “साले इतना कुछ तो पहले ही बोल चुका है, अगर फिर भी कुछ बाकी है तो बोल ले ” या फिर मेरी गांड ही मार ले

मोहित “देख पूजा तेरी बहन है, मुझे पता है , मेरी भी बहन जैसी ही है , लेकिन वो सच में इतनी सेक्सी है कि मुझे रोज़ उसके नाम पे 1-2 बार मुट्ठ मारनी पडती है” |
मैं “साले क्या बकवास कर रहा तू” | मादरचोद

मोहित “चल छोड़ , कोई और बात कर , मुझे पता था तू गुस्सा करेगा” | कुछ टाइम के बाद हमारे बाकी दोस्त मोहित को बोले “मोहित हम टाय्लेट जा रहे हैं, तुझे भी आना है या अभी और मैच देख के आएगा” यह कह के वो हंसने लगे |

मोहित ने स्माइल करते ना जाने के लिए सर हिला दिया और उनके जाने के बाद मोहित फिर मुझे बोला, “दीपक तुझे पता है यह सब टाय्लेट क्यों गए, सब मुट्ठ मारने गए हैं, सब टाय्लेट में जाकर पूजा दीदी को याद करके मुट्ठ मरेंगे” | वो भी मजा लेते हुए बोला “ या यु कह के सब पूजा दीदी को वहा चोद ने गए है”

मैं चुप रहा लेकिन मुझे मोहित की हालत भी समझ आ रही थी और खुद की भी | मैं तो पूजा दीदी का सगा भाई होने के बावज़ूद कंट्रोल नहीं कर रहा था | बाकी सब की तो बात ही अलग थी | और बहेन की लोडी दीदी को भी सेक्सी दिखने का बहुत शौक था | उसे शॉर्ट स्कर्ट पहनने का बड़ा शौंक था | उसकी फिगर और लिप्स हॉलीवुड हीरोइन एंजला जोली के जैसे थे | वो अपने आप को कैटरीना कैफ़ के साथ कंपेयर करती थी | उसका 5.7” लंबा गोरा जिस्म, कैटरीना से कम भी नहीं था | जब वो पंजाबी सूट के साथ पटियाला सलवार पहनती तो सभी पीछे मुड़ मुड़ के देखते थे और जब जीन्स और टॉप पहनती तो उसका एक एक अंग तीर की तरह चूभता था | जब कभी वो शॉर्ट स्कर्ट पहनती तो मैं शॉर्ट स्कर्ट में उसके झुक के कोई चीज़ उठाने का इंतज़ार करता रहता | जिस से दीदी की पेंटी नज़र आ सके | 1-2 बार मैंने देखा कि जब उसने जीन्स के साथ कमर के ऊपर तक का स्माल टॉप पहना होता तो उसे देखके मेरी तो हालत खराब होती ही थी मगर मेरी नज़र भी उसकी तरफ बार बार जाती थी | लेकिन लाख कोशिश के बाद भी मुझसे कुछ नही हो पा रहा था | अपनी बहन को चोदने के लिए किसी की अड्वाइज़ भी तो नहीं ले सकता था | जब भी मैं दीदी के बूब्स को या उसके जिस्म के किसी भी हिस्से को सहला के सिड्यूस करने की कोशिश करता तो वो मुझे डांट देती,

”दीपू क्या कर रहा है, दिमाग़ सही है तेरा” | ?

मैं डर जाता और काँपने लगता और कुछ भी ना कर पाता | अब कई बार मैं सोचता हूँ कि जितना एक्सपीरियेन्स लड़की को सिड्यूस करने और चोदने का मुझे अब है अगर तब होता तो बहुत आसानी से दीदी को उसी वक़्त चोद देता शायद जब मैं दीदी को सिड्यूस करने की कोशिश करता था तो उसपे भी असर होता था और वो इस लिए डांट देती थी कि कहीं वो आउट ऑफ कंट्रोल होके अपने छोटे भाई के साथ कुछ कर ना बैठे और मेरी बात बनते बनते बिगड़ जाती थी |

अब मुझे लग रहा है कि उस वक़्त की मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी मेरी घबराहट और डर था और कुछ भी नहीं | एक बार मेरे एग्जाम चल रहे थे | मैं और दीदी दोनो एक रूम में सोते थे | बेड अलग अलग थे लेकिन रूम एक ही था | मैं पढ़ रहा था और दीदी सो रही थी | रात काफ़ी हो चुकी थी | पढ़ते पढ़ते मेरी नज़र दीदी के जिस्म की तरफ गई | उसका चेहरा मेरी तरफ था | उसने मेरी तरफ करवट ले रखी थी | उसकी छाती के पहाड़ की गहरी खाई और पिंक लिप्स देखके पता नहीं कब मेरा मूड फिर बनना शुरू हो गया | उसके धइले की खाई मुझे नाईटी में से साफ़ नजर आ रही थी| मैं धीरे धीरे पागल हो रहा था | मैं दीदी की तरफ देखता रहा और अपने ट्राउज़र के अंदर हाथ डाल के अपने खड़े लंड को हिलाना शुरू कर दिया |

मैंने धीरे से बोला, “दीदी....... दीदी” |

उसने जवाब नहीं दिया | मुझे लग रहा था कि दीदी जाग रही है और सोने की एक्टिंग कर रही है | मैंने बुक साइड पे रखी और शॉर्ट्स से अपना लंड बाहर निकाल के स्ट्रोक करना शुरू कर दिया | मेरे दिमाग़ में ऐसा था कि दीदी सोने की एक्टिंग करती सब कुछ देख रही है और मैं भी उसे सब कुछ दिखाना चाहता था |

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मैंने अपना लण्ड हाथ में पकड़ा और दीदी के बेड के नज़दीक चला गया, फिर उसके चेहरे के करीब खड़ा होकर मैंने मूठ मारना शुरू कर दिया।


एक बार फिर तसल्ली करने के लिये मैंने दीदी को बुलाकर चेक किया-“दीदी, दीदी…”

वो नहीं बोली, तो मैंने धीरे-धीरे अपने लण्ड की टोपी दीदी के होंठों से छुआ दी। मेरे लण्ड से निकला प्री-वीर्य दीदी के होंठ पे लग गया।

और उस लूबिकैंट से दीदी के होंठ और मेरे लण्ड में एक ग्लू जैसा, पतले तार जैसा कनेक्शन बन गया। मैं मूठ मारे जा रहा था, दिल चाह रहा था कि उसका नाइट सूट उतारकर अपना लण्ड उसके अंदर कर दूं। लेकिन डरता भी था, कि अगर जाग गई तो पता नहीं क्या हो जायगा?

मेरा दिल चाह रहा था कि दीदी का टाप उठाकर उसके पेट और चूचियों को किस करूँ, उसकी चूत चाटूं, लेकिन इतनी बहादुरी किधर से लाता? मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे बहुत भूख के टाइम पे मुझे टाप क्लास मिठाई की दुकान में बंद कर दिया हो, लेकिन किसी भी चीज़ को खाने का हुकुम ना हो। मेरे सामने हाट केक पड़ा था लेकिन टच तक नहीं कर सकता था।

फिर दीदी ने हल्की सी अंगड़ाई के साथ अपना जिश्म सीधा कर लिया और अपने दोनों हाथ पेट पे रख लिए। अब उभरी हुए चूचियां गले की तरफ से आधी नंगी नज़र आ रही थीं, बाकी का टाप चूचियों के नीचे एकट्ठा होने की वजह से गोरी-गोरी नाभि भी सॉफ नज़र आ रही थी। दीदी के ट्राउजर की इलास्टिक के साथ-साथ थोड़ी सी गुलाबी कलर की पैंटी की इलास्टिक भी नज़र आ रही थी। बस अब कंट्रोल करना मुश्किल था, तो मैंने अपनी मूठ मारने की स्पीड तेज और तेज कर दी।

सामने पड़ा दीदी का गोरा बदन देखकर मेरे लंड से पानी निकलने में ज्यादा टाइम नहीं लगा। मैं दायें हाथ से मूठ मार रहा था और जब मेरा पानी निकलने लगा तो मैंने अपना बायां हाथ आगे करके लण्ड के पानी को दीदी के ऊपर गिरने से रोकने की कोशिश की, लेकिन फिर भी मेरी पिचकारी से 3-4 बूँद दीदी के टाप पे गिर गई। मैं जल्दी से लण्ड पकड़े सीधा अटैच्ड टायलेट में चला गया और वहां पे पहले पेशाब करके फिर लण्ड को सॉफ करने लगा।

जब फ्लश करने के बाद टायलेट से बाहर निकला तो दीदी आँखें मलती टायलेट के सामने खड़ी स्लीपी आवाज़ में बोली-“दीपू, तुम अभी तक सोये नहीं? सो जाओ अब सुबह कर लेना बाकी…”

मैं दीदी के टाप पे पड़े अपने वीर्य की 3-4 बूँदों की तरफ देखकर बोला-“बस दीदी, अब हो गया, बाकी कल देखूंगा…”

मेरे बाहर आते ही दीदी टायलेट में चली गई। मैं अपने बेड पे ढेर हो गया और दिमाग़ में ख्याल आ रहा था, मुझे लग रहा था कि दीदी जाग रही थी, और हो सकता है कि मेरा लण्ड देखकर उसका मूड बन गया हो और वो भी अब फिंगरिंग करने के लिए टायलेट में गई हो। मगर पता कैसे लगाया जाये कि दीदी के दिल में क्या है? वैसे भी अब तक कितनी बार तो कोशिश कर चुका हूँ, उल्टा बातें सुननी पड़ती हैं।

लेकिन मैं तो अब शांत हो चुका था इसलिये सोचने लगा-“दीदी, अपने आपको पता नहीं क्या समझती हैं? साला जब भी कोशिश करता हूँ, डाँट देती है। अगर दिल है तो चुप रहकर भी तो रेस्पॉन्स दे सकती है? फिर सोचा कि चल छोड़ कोई और लड़की देख ले चोदने के लिये। लेकिन जब भी कोशिश करता था कि किसी दूसरी लड़की से बात करके उसको चोदने की प्लानिंग कर लूँ तो मेरा दिल नहीं मानता था। ऐसा लगता था कि मेरी दीदी जैसी सेक्सी और खूबसूरत लड़की और कोई बनी ही नहीं है, दीदी की बड़ी-बड़ी गोल मस्त चूचियां और उभरी हुई गाण्ड हमेशा मेरी आँखों के सामने रहती थी और जो चुदाई का मज़ा अपनी बहन के साथ है वो किसी और के साथ नहीं मिल सकता…” हां एक और भी है पर साली वो भी मा बनी हुई है!!!!

फिर एक दिन दीदी अकेली सोफे पे लेटी टीवी देख रही थी, उसने हल्के ब्लैक कलर की पतली और एकदम फिट सलवार कमीज़ पहन रखी थी। उसने दाईं कोहनी पे अपना वजन रखा हुआ था और टांगें भी तकरीबन सोफे के ऊपर ही थीं, उसकी दाईं बाँह और दाईं टांग नीचे वाली साइड और बाईं बाँह और बाईं टांग ऊपर वाली साइड पे थी, उसके दायां हाथ के ऊपर उसका दायां गाल था जिससे उसके सर का वजन बैलेन्स हुआ था। दाईं साइड पे टेढ़ी लेटी होने के कारण दीदी की कमीज़ का कमर से नीचे का हिस्सा बल खाकर उसके पेट पे आ चुका था, जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच वाला हिस्सा भी सॉफ-सॉफ नज़र आ रहा था। पटियाला सलवार में मेरी बहन की टांगें उसके नरी तक नज़र आ रही थीं।

लेकिन उसका ध्यान तो टीवी की तरफ था। मैं कुछ देर खड़ा अपनी दीदी की सेक्सी बोडी को देखता रहा, मेरी नज़र दीदी के सर से शुरू हुई, दीदी के सिल्की बाल, गोरी लंबी गर्दन, और उसके गोरे जिश्म पे कमीज़ के गले में से बाहर झाँक रही तनी हुई चूचियां, पतली कमर, फिर उभरी हुई गाण्ड और लंबी टांगें, मैं देखकर पागल हो रहा था। लेकिन दीदी को कुछ खबर ही नहीं थी। उसकी चुनरी भी साइड पे पड़ी हुई थी। मैंने सोचा मौका अच्छा है दीदी को गरम करके देखता हूँ।

बने रहे
 

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