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पापी परिवार--1

दोस्तो आपके लिए एक और मस्त कहानी पेश कर रहा हूँ ये कहानी मैं सिर्फ़ हिन्दी फ़ॉन्ट मे तब्दील कर रहा हूँ असली क्रेडिट इसके रायटर को जाता है

पात्रों का परिचय

दीप चावला :-
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एज :- 45

कामयाब बिज़्नेसमॅन

मुंबई की फेमस इवेंट मॅनेज्मेंट कंपनी चावला आंड सन्स के मालिक

साथ ही बड़े अयाश इंसान लेकिन अपने घर मे बहुत ही शरीफ और सज्जन

इनकी ख़ासियत से सिर्फ़ कुछ गिने चुने लोग ही परिचित हैं जो इनकी कंपनी के बहुत पुराने और वफ़ादार हैं

इनकी हॉबीज मे इन्हे हर रात एक नयी लड़की से संबंध बनाने की लालसा रहती है और क्यों ना हो ..अक्सर बड़ी - बड़ी पार्टियों मे कोई ना कोई जनाना जिस्म इन्हे मिल ही जाता है ..फिर चाहे वो जिस्म किसी अमीर औरत का हो या पार्टी मे सर्विस के लिए लगाई जाने वाली कमसिन लड़कियों का

इनके कॉंटॅक्ट्स कयि ऐसे लोगो से भी हैं जो इनकी रात रंगीन बनाने मे एक कामयाब भूमिका निभाते हैं और वो तब होता है जब थक हार के भी इनकी शारीरिक भूख शांत का साधन इन्हे मिल नही पाता

फिट बॉडी ..जेब मे अथाह पैसा और सबसे ख़ास बात इनका लंड ..जिस पर ये बहुत घमंड करते हैं ..साइज़ करीबन 8.5" और गोलाई मे लगभग 3" इंच..यही कुछ कारण हैं जो इनकी अयाशी को कम नही होने देते

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कामिनी चावला :-
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एज :- 43

ये हैं इनकी बीवी ..वैसे इन दोनो ने लव मॅरेज की थी लेकिन उसके लिए इन्हे अपने - अपने घरो से बग़ावत करनी पड़ी ..जो आज शादी के 25 साल बाद भी इन्हे अपने घरवालो से जुदा रखे हुए है

जिस वक़्त ये दोनो घर ( देल्ही ) से भागे थे उस समय ना तो इनके पास ज़्यादा पैसे थे कि ये अच्छे से खा पी सकें और ना ही रहने के लिए कोई घर ..दोनो की पढ़ाई भी अधूरी ही थी ..लेकिन ऐसे बुरे हालात पर इनके काम आया दीप का जिगरी दोस्त जीत ..जिसने इन्हे कैसे भी कर के मुंबई पहुचाया और फिर खुद की शादी होने पर बीवी सहित यूएसए चला गया ..खेर आगे कहानी मे जीत का काफ़ी इंपॉर्टेंट रोल है

कामिनी एक बहुत सुलझी महिला है ..ना ज़्यादा तड़क - भड़क से रहना ना ही ज़्यादा फालतू के लफडो मे पड़ना ..बस इनकी 2-4 सहेलियाँ हैं जिनके साथ इनका टाइम पास हो जाता है बाकी घर के कामो से ही इन्हे फ़ुर्सत नही मिलती

शादी के 10 सालो तक तो दीप और कामिनी ने जम कर अपनी सेक्स लाइफ को एंजाय किया ..पर धीरे - धीरे दीप अपने बिज़्नेस को समहालने मे बिज़ी हो गया और कामिनी घर मे बच्चो को ..अब तो हालात ऐसे थे कि विरले ही अगर चुदाई का सीन क्रियेट हो जाए तो ठीक वरना दीप तो वैसे भी रोज़ बाहर नयी चूतो का मज़ा ले ही रहा था

कामिनी का फिगर बड़ा ही फाडू था ..उमर के चौथे पड़ाव पर पहुचने के बाद भी उसमे ज़रा सी भी चर्बी या ढीलापन नही आया था

ऐसा भी नही कि वो को 20 साल की लड़की लगती थी पर उस से कम भी नही थी ..जब भी सज - धज के वो दीप और बच्चो के साथ कही किसी पार्टी वगेरा मे जाती तो अक्सर मर्दो की नज़र उसके यौवन पर आ कर टिक जाती थी

शरीर की बनावट कुछ इस तरह से थी :-

लंबे काले बाल ..तीखे नयन - नक्श ..सुराही सी गर्दन ..36 - डी की ब्रा मे तने बूब्स और 40 की गांद ..कुल मिला कर एक आदर्श फिगर

अधिकतर घर मे टाइम देने की वजह से कामिनी सूट, सारी या गाउन मे रहती ..जीन्स & स्कर्ट जैसे वेस्टर्न कपड़े उसने अपनी जवानी के शबाब पर तो खूब पहने लेकिन आज के हालत के मद्देनज़र मन मार कर उसने वक़्त से समझौता कर लिया था

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नुकूँज चावला :-
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एज :- 23


ऑस्ट्रेलिया से एमबीए कर पिछले महीने ही इंडिया लौटा है ..चाहता तो अपने डॅड का बिज़्नेस जाय्न कर सकता था ..पर उसने चुनी एक मार्केटिंग जॉब ..खेर दीप तो यही चाहता था कि उसका बेटा उसके काम काज से दूर ही रहे तो अच्छा वरना वो कयि तरह की पाबंदियों से घिरता और अयाशियों का सिलसिला थम जाता

निकुंज ने मन लगा कर पढ़ाई की वजह थी कॉंपिटेशन ..एक बाप का बेटे से ..उसका मान ना था कि जिस तरह उसके डॅड ने खुद के दम पर अपना वजूद खड़ा किया ..ऐसा ही कुछ उसका भी सपना था ..और तभी उसने अपनी पढ़ाई - लिखाई किस्मत को लात मार नये सिरे से कलम चलाने का फ़ैसला किया ..जिसमे वो अब तक काफ़ी सफल भी रहा था

एक हॅंडसम मर्द ..मस्क्युलर बॉडी ..रोज़ नियम से जिम और एक्सर्साइज़ के लिए टाइम निकालना निकुंज की दिनचर्या मे शामिल था ..और इसमे उसका बखूबी साथ देती है उसकी बेहन निकिता ..अगर कभी वो किसी वजह से एक्सर्साइज़ नही कर पाता तो दिन भर उसे थकान महसूस होती ..किसी अच्छी चीज़ का हेबिचुयल होना भी कितना ग़लत है

हाइट घर मे सभी की अप्रॉक्स 5'7" से ऊपर है पर निकुंज 6' से ज़्यादा है उस पर गोरा रंग ..सॉलिड डोले - शोले सब बातें लड़कियों को उसका दीवाना बनती हैं

निकुंज की तीन गर्ल फ्रेंड्स रही ..2 इंडिया मे और 1 ऑस्ट्रेलिया मे ..उसने सेक्स का असली मज़ा भी अपनी एमबीए की पढ़ाई मे ही लिया ..बिना किसी रोक टोक के वो एक अँग्रेजन के साथ वहाँ लिविंग रिलेशन्षिप मे रहा ..दोनो एक साथ पढ़ते और मज़े से चुदाई भी करते ..अपने डॅड की तरह उसके लंड की साइज़ भी सेम उतना ही है ..बस फरक चुदाई का है ..दीप बहुत ही वाइल्ड तरीके से सेक्स करता है और निकुंज थोड़ा पॅशनेट हो कर

अभी फिलहाल निकुंज की किसी से कोई सेट्टिंग नही ..पास्ट जो भी रहा हो करनी तो उसे अरेंज मॅरेज ही थी

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निकिता चावला :-
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एज :- 20

नेचर और रहन सहन मे निकुंज ..देखने मे बिल्कुल अपनी मोम कामिनी की कॉपी कह सकते हैं

काफ़ी सिन्सियर ..हमेशा अपनी हदो मे रहना ..बाप के पैसों पर ज़रा भी घमंड नही ..हेल्पफुल बंदी

रोज़ सुबह 5 बजे भाई के साथ ही रन्निंग करना ..योगा से खुद को मेनटेन करना ज़्यादा पसंद है

वैसे तो निकिता इंजिनियरिंग कर रही है ..लेकिन उसका सपना था एक सुपर मॉडेल बन ने का ..टीवी और फिल्मी दुनिया मे बढ़ रहा नांगपन देख उसने भी भरपूर कोशिश कि आक्ट्रेस जैसी लगे पर जो लड़की खुद को शीशे मे नंगा देख कर शर्मा जाती हो वो दुनिया को अपने जिस्म का दीदार करवाएगी और सपना - सपना ही रह गया

फिगर इसका भी मस्त है लेकिन हर वक़्त कपड़ो के भार को सहता रहता है ..गले से लेकर नीचे पिंदलियो तक हर समय ये धकि ही रहती है ..यहाँ तक कि नहाती भी ब्रा पैंटी पहेन के ही है

34 - ए के बूब्स और 36 की गांद का फिलहाल तो कोई आशिक नही बनाया ..इसे अपना कुँवारा पन अपने भावी पति को गिफ्ट करने की इच्छा है


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नामिता चावला :-
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एज :- 18

घमंडी ..झगड़ालु और फूलतू कामिनी लड़की

इसकी और इसके बाप की अयाशियों मे ज़्यादा अंतर नही है

अपने सपने के मुताबिक ये एर होस्टेस्स की पढ़ाई कर रही है ..पर रात को लगभग 3 बजे तक जागना और सुबह 12 से पहले ना उठना ये इसकी सबसे बुरी आदत है

घर मे सबसे छोटी होने की वजह से हर कोई इसकी आदतों को हमेशा से नज़र अंदाज़ करता आया है

अब तक कुँवारी है वजह " बचपन का प्यार ना आर ना पार "

एक दिन मे बात प्यार तक पहुच जाती है और साथ जीने मरने के वादे भी ..लेकिन अगले दिन ही लड़ाई की वजह से सब ख़तम ..लड़ने का मुख्य कारण है इसकी शक़ करने की आदत ..किसका - किसके साथ लफडा है ..कौन कितने पानी मे है ..वगेरा - वगेरा मे ये अपना खून जलाती रहती है

वेस्टर्न पहनावा ..एलेक्ट्रॉनिक गॅडजेट्स ..दोस्तों के साथ घूमना फिरना ..फालतू के खर्च इसकी पहली पसंद हैं

दिखने मे नामिता भी किसी से कम नही सेम अपनी बड़ी बहेन जैसा फिगर

घर के किसी काम मे हाथ नही बटाती बल्कि बिगाड़ने पर आमदा रहती है

आज कल इसके शक्की मन का टारगेट कोई अजनबी नही खुद इसके डॅड हैं
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पर ये सब हुआ कैसे तो जानने के लिए हमे 10 दिन पिछे जाना पड़ेगा

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" गुड मॉर्निंग डॅड "

निम्मी सीढ़ियों से उतरते हुए दीप को ग्रीट करती है ..दीप सोफे पर आँख बंद किए बैठा था

" गुड मॉर्निंग का समय ख़तम ..दोपहर का एक बज रहा है "

दीप ने अपनी आँखें खोल थोड़ा नाराज़ होते हुए कहा

" ओह डॅड ..कल से पक्का जल्दी उठ जाया करूँगी "

निम्मी दीप की गोद मे बैठ कर बोली

" ह्म्‍म्म ..आज ये मक्खन किस लिए "

" कहाँ डॅड ..आप तो वर्ल्ड के बेस्ट डॅड हो "

निम्मी ने उसके गाल को चूम कर कहा

" समझ रहा हूँ ..बोल इस किस के बदले मे तेरी क्या डिमॅंड है ? "

दीप जानता था ..वैसे तो निम्मी हर वक़्त कोई ना कोई इश्यू उठाती रहती है पर जब उसे कोई ज़रूरत या काम पड़ता था तब वो गधे को भी बाप बनाने से नही चूकती

" वो डॅड ..मुझे 5000/- चाहिए "

निम्मी दूसरे गाल को चूमते हुए बोली

" नो वे निम्मी ..तूने प्रॉमिस किया था कि पॉकेट मनी के अलावा एक्सट्रा कोई पैसे नही माँगेगी "

दीप ने उसे गुस्से से अपनी उंगली दिखाई

" जानती हूँ डॅड मैं अपना प्रॉमिस तोड़ रही हूँ ..पर ये लास्ट बार है ..दे दो ना प्लीज़ "

निम्मी ने उसकी गोद मे मचलते हुए कहा

" चल ठीक है ..पर तू अब क्या खरीदने के विचार मे है ..अभी 15 दिन पहले ही तो मैने सब को भरपूर शॉपिंग करवाई थी "

दीप ने पिघल कर उसके कान पकड़े ..आख़िर वो अपनी औलादो के लिए ही तो कमा रहा था

" मैने माल मे एक लेदर स्कर्ट देखा था 4000/- का ..बस वही लेने जा रही हूँ "

निम्मी ये बोल कर उसकी गोद से उठी और पैसो के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा दिया

" तुझे ये छोटे - छोटे कपड़े पहेन ने मे शरम नही आती ..निक्की को देख कितनी सभ्यता से रहती है "

दीप ने निम्मी के उस वक़्त पहने कपड़ो को देख कर कहा ..निम्मी ने अभी एक बेहद छोटा टाइट पिंक टॉप पहना था जो उसके कंधो से स्टार्ट हो रहा था ..टॉप के नीचे पहनी वाय्लेट ब्रा के स्ट्रॅप्स विज़िबल थे ..निचले हिस्से मे एक वाइट + ब्लॅक लिनिंग स्कर्ट जो बड़ी मुश्क़िल से उसकी ब्रॉड थाइ तक का हिस्सा कवर कर पा रही थी

" डॅड दिस इस 21स्ट्रीट सेंचुरी और दीदी हैं 18थ की ..अब आप ज़्यादा बातें ना बनाओ ..मुझे लेट हो रहा है "

निम्मी ने भी पलटवार किया

" हां एक तू ही तो है मिस. इंडिया बाकी तो सब पानी कम चाय हैं ..ये ले पकड़ और शाम को जल्दी घर आ जाना "

दीप ने ये कहते हुए अपनी शर्ट की पॉकेट मे हाथ डाल पैसो की गड्डि पकड़ी और उसे बाहर खीचा ..पर अगले ही पल नोटों के साथ एक सिंगल कॉंडम पॅक भी बाहर निकल आया

" ओह शिट "

निम्मी ने अपने मन मे कहा और इसकी वजह थी उसकी जासूसी ..उसे ये पता था कि डॅड - मोम का चुदाई वाला खेल ख़तम हो चुका था ..अक्सर रात देर से सोने की आदत ने उसे दूसरो के कमरो मे ताक झाक करने वाला बना दिया था ..ऐसा नही था वो ये जान कर करती थी ..आक्चुयल बात थी उसके मोबाइल कॉल्स और साथ मे लॅपटॉप पर चाटिंग करना ..जिसके लिए वो पूरी तरह सेक्यूर माहॉल क्रियेट करती ..तभी उसे इतना डीप नालेज था कि हर रात दीप थोड़ा नशे मे आता और अपने बेड पर गिरते ही सो जाता

अब अगर मोम के साथ डॅड के फिज़िकल रीलेशन ख़तम हो गये थे तो फिर ये कॉंडम डॅड ने पॉकेट मे किस लिए रखा था
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रघु चावला :-
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एज :- 23

( ये चेहरा अभी अजनबी रहे तो अच्छा है )

निकुंज से 2 मिनट. पहले पैदा हुआ उसका जुड़वा भाई और इस कहानी का एक मुख्य पात्र भी

किस्मत का मारा ..एक पागल इंसान

आज से 4 साल पहले एक कार आक्सिडेंट मे इसकी सोचने - समझने की पवर ख़तम हो गयी थी

रघु ने कोई पढ़ाई नही की थी बल्कि उसका इंटेरेस्ट बचपन से ही गुंडा - गार्दी ..लड़ाई झगडो मे रहा

कई पोलिटिकल पार्टीस और यहाँ तक कि अंडर वर्ल्ड से जुड़े लोगो से भी इसके अच्छे संबंध रहे थे ..बाहर और घर मे सभी इस से बहुत घबराते थे ..वजह थी इसका जिगर

हालाकी आक्सिडेंट होने से पहले इसे एक लड़की से प्यार हुआ ..बात लव मॅरेज तक पहुचि पर एक दिन अपने प्यार को किसी गैर मर्द की बाहों मे देख कर इसका खून खौला और ताबड तोड़ 6 गोलियाँ चला इसने दोनो को स्पॉट पर ही मार डाला

अपना प्यार खुद के हाथो मार ने से इसका दिमागी संतुलन खोया और उसी दिन रात को घर लौट ते वक़्त इसकी कार एक ट्रक से जा टकराई ..दीप ने इसके इलाज मे कोई कसर बाकी नही रखी पर होनी ने रघु पर कोई रहम नही किया ..शरीर के घाव तो ठीक हो गये पर दिल और दिमाग़ पर अपने प्यार की हत्या के बोझ तले ये पूरी तरह पागल हो गया

आज पुणे के एक बहुत बड़े मेंटल हॉस्पिटल मे भरती है और महीने मे 1 बार पूरा परिवार इस से मिलने वहाँ जाता है

वैसे तो दीप और कामिनी यही चाहते थे कि रघु उनके पास मुंबई ही रहे पर उसके इलाज के चलते दोनो मजबूर थे

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कहानी मे सारी थीम हैं ..सेक्स ..रोमॅन्स ..थ्रिलर

बस ज़रूरी है आप सब रीडर्स का पेशेंस रखना और मुझे प्यार से सपोर्ट देना

अपडेट्स रेग्युलर होंगे मैं झूठा वादा नही करूँगा पर जब भी वक़्त मिला कहानी आगे ही बढ़ेगी ...
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पापी परिवार--2

" क्या मैं मिस्टर. जीत से मिल सकता हूँ "
दीप ने रॉय डेवेलपर्स की रिसेप्षनिस्ट को अपना विज़िटिंग कार्ड देते हुए कहा
" युवर अपायंटमेंट नंबर. सर "
रिसेप्षन पर बैठी लड़की ने उससे सवाल किया
" यू मे कॉल हिम ..इट्स अर्जेंट "
जीत के ज़ोर देने पर लड़की ने अपने बॉस को कॉल किया
" मिस्टर. दीप फ्रॉम चावला & सन्स वांट्स टू मीट यू सर "
" या ऑफ कोर्स ..सेंड हिम इन "
रिटर्न मे आवाज़ आई
" दिस वे सर ..हॅव आ नाइस डे "
लड़की के इशारे पर दीप कॉरिडर के लास्ट मे बने उसके सबसे पुराने दोस्त जीत के कॅबिन की तरफ चल दिया
" ठक - ठक "
दीप ने कॅबिन गेट नॉक किया
" अबे हराम खोर तुझे अंदर आने के लिए पर्मिशन लेनी पड़ेगी क्या ? "
अगले ही पल हँसने की आवाज़ से पूरा कॅबिन गूँज उठा और दोनो बचपन के दोस्त दौड़ कर एक दूसरे के गले लग गये
" साले जीत ..पूरे 1 महीने से इसी शहर मे गान्ड मरवा रहा है और मुझे खबर तक नही की "
दीप ने उसकी कॉलर पकड़ कर कहा
" तो गन्डु तूने कौन सा मुझसे कोई कॉंटॅक्ट रखा ..यूएसए गया था तब से ले कर आज तक तुझे हर दिन याद करता हूँ ..पर तूने शायद पुराने दिन भुला दिए ..बड़ा आदमी जो हो गया है "
जीत ने उसे जवाब दिया ..पर अपनी कॉलर छुड़ाने की कोई कोशिश नही की ..शायद यही उनकी दोस्ती थी
" कहाँ यार ..तेरी दी हुई ज़िंदगी तो जी रहा हूँ भाई ..बस थोड़ी मेहनत ज़रूर लगी ..खेर वो सब छोड़ ..तू कैसा है ? "
दीप ने पास रखी कुर्सी पर बैठते हुए कहा ..जीत भी ठीक उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया
जीत :- " बस तेरे सामने बैठा हूँ "
दीप :- " यहाँ मुंबई कैसे आना हुआ ..ये ऑफीस ..डेवेलपर्स .. ? "
जीत :- " यार बहुत रह लिया विदेश मे ..अपने देश और तेरे जैसे भाई की याद आई तो वापस लौट आया "
दीप :- " मैं नही मानता ..बचपन मे हमेशा तू विदेश मे बसने के सपने देखता था ..पर जब सेट्ल होने का टाइम आया तो वापस इंडिया आ गया ..क्या वजह है बता मुझे ? "
जीत :- " कुछ ख़ास नही यार ..सब अचानक हो गया ..यूएसए की सारी कमाई को समेटा और यहाँ एक ऑफीस डाल लिया "
दीप :- " घर पर सब कैसे हैं ..भाभी ..बच्चे वगेरा ? "
जीत :- " तेरी भाभी को गुज़रे तो 5 साल हो गये ..बस एक बेटी है तनवी और उसी की ज़िद के चलते मैं यहाँ आ गया "
दीप :- " ओह गॉड इतना सब हो गया और मुझे पता भी नही चला "
जीत :- " खेर जाने दे ..जो बीत गया सो गया ..गढ़े मुर्दे उखाड़ कर दुख ही होता है "
दीप :- " मैं समझ सकता हूँ भाई ..मेरा खुद का बड़ा बेटा किस्मत का शिकार हुआ ..आज पूना मेंटल हॉस्पिटल मे अड्मिट है "
जीत :- " यू मीन "
दीप :- " एक कार आक्सिडेंट मे उसके दिमाग़ पर गहरी चोट लगी थी ..देखो कब तक रिकवर करता है "
दीप ने जीत की बात को पूरा किया
जीत :- " सब ठीक हो जाएगा दोस्त ..खेर भाभी और बाकी बच्चे कैसे हैं "
दीप :- " तू तो ऐसे पूछ रहा है जैसे मेरे कितने बच्चे हों तुझे मालूम हो "
जीत :- " तू मर्द है ये मुझे बचपन से पता है ..हर महीने तेरी चूत की जुगाड़ बदल जाती थी ..तो तूने भाभी को कहाँ . होगा ..10 - 12 बच्चे तो निकाल ही दिए होंगे "
जीत की बात पर दोनो ठहाका लगा कर हस्ने लगे ..ये बात 100 % सच थी कि दीप को बचपन से ही चुदाई करने का चस्का था जो आज तक ज़ारी है ..वो तो कामिनी से उसे प्यार हो गया था तभी बात शादी तक पहुचि वरना दीप की लाइफ मे ना जाने कितनी कामिनी आई और चुद कर चली गयी थी
दीप :- " 10 - 12 तो नही पर मेरे 4 बच्चे हैं ..बड़े बेटे के बारे मे बता चुका हूँ ..दूसरा बेटा निकुंज ऑस्ट्रेलिया से एमबीए होल्डर है ..आज कल खुद का बिज़्नेस डेवेलप करने मे लगा है ..बड़ी बेटी निकिता और छोटी नामिता "
जीत :- " ग्रेट यार ..मेरी बेटी तनवी ने भी एमबीए ही किया है और ये ऑफीस भी उसकी की ज़िद का नतीजा है "
दीप :- " बच्चे बड़े हो कर अपने पैरों पर खड़े हो जाएँ इस से ज़्यादा क्या चाहिए मा - बाप को "
जीत :- " सही कह रहा है ..खेर ये सब सेनटी बातें छोड़ और सीधा मुद्दे पर आ जा "
दीप :- " मुड़ा ? "
जीत :- " अबे घोनचू तेरी सेक्स लाइफ की बात कर रहा हूँ ..भाभी चूत देती हैं या आज भी बाहर ही रंगरलियाँ मना रहा है ..ये बात भी पक्की है ' अपना हाथ जगन नाथ तो तू करने से रहा ' "
दीप :- " ह्म्‍म्म अब तुझसे क्या छुपाना यार ..जैसे - जैसे बच्चे बड़े होते गये तेरी भाभी काम से ही इतना थक जाती थी कि सेक्स वगेरा उसके बॅस मे नही रहा "
जीत :- " इसका मतलब आज भी बाहर की कुलफी से अपना जी भर रहा है "
दीप :- " हां यार ..खेर मेरा काम मुझे रोज़ नयी - नयी चूतो की व्यवस्था करवा ही देता है "
जीत :- " रोज़ ? "
दीप :- " हां रोज़ ..ये 8" इंच का लॉडा चैन ही नही लेने देता ..जैसे - जैसे उमर बढ़ती जा रही है ये और भी ख़ूँख़ार होता जा रहा है "
जीत :- " हा हा हा हा ..खेर मैने तेरा नंबर. जंबुलकर से लिया था ..वो मेरा क्लाइंट है ..एक पार्टी मे तेरा ज़िक्र हुआ और मुझे तेरा नंबर. मिल गया "
दीप :- " हां जंबुलकर ने बताया था मुझे कि मेरा कोई बचपन का साथी याद कर रहा था ..पर जब तक तेरा कॉल ही आ गया और मैं सीधा तुझसे मिलने चला आया "
दोनो की बातें चल ही रही थी कि कॅबिन डोर नॉक हुआ
जीत :- " कम इन "

गेट खुला और एक लड़की अंदर आ गयी
" गुड मॉर्निंग यू बोथ ..सर ये फाइल है खन्ना साहब की ..मैने रेडी कर दी है ..आप पढ़ कर साइन कर दें "
लड़की ने दोनो को ग्रीट किया और फाइल जीत के हाथ मे देती हुई कॅबिन के वॉश रूम मे एंटर हो गयी ..जीत फाइल पर एक नज़र मारने लगा
" साले कमीने ..क्या मस्त - मस्त आइटम रख रखे हैं तूने अपने ऑफीस मे ..बाहर रिसेप्षनिस्ट माल और ये शायद तेरी पर्सनल सेक्रेटरी लगती है तभी तेरे वॉश रूम मे बिना किसी इज़ाज़त के घुस गयी "
दीप की बात सुन जीत ने उसके वहशी चेहरे पर गौर किया ..जो लड़की थोड़ी देर पहले उन दोनो के बीच आई थी उसको देखने के बाद तो जैसे दीप पागल सा ही नज़र आने लगा था
जीत :- " अबे ऐसा कुछ नही है "
" गान्डू मुझे चूतिया मत समझ ..तू अपनी जुगाड़ तो बना सकता है ..मेरा भी ख़याल रख ..इससे बात कर ..मैं इसे चोदना चाहता हूँ "
दीप ने अपने दिल की बात अपनी ज़ुबान पर ला दी
जीत :- " अबे सुन तो सही "
जीत की बात पूरी होने से पहले उसका सेल बजने लगा और जब तक वो लड़की भी वॉशरूम से बाहर आ गयी ..लड़की ने इस वक़्त के ब्लू लो वेस्ट जीन्स और रेड लोंग डीप नेक टी-शर्ट पहेन रखी थी ..कॅबिन मे वापस आने पर उसने सबसे पहले दीप के चेहरे को ही देखा ..शायद वॉश रूम मे उन दोनो की बातें उसने सुन ली थी ..दीप ने उसे ऊपर से नीचे घूरा और अपने होंठो पर ज़ुबान फेरने लगा ..लड़की उसकी हरकत पर हल्का सा शरमाई और दोनो की आँखों के इशारे शुरू हो गये
" ओके मीटिंग स्टार्ट करो ..एनीवेस दीप तू बैठ यहाँ मैं ज़रा 1स्ट्रीट फ्लोर पर चल रही मीटिंग अटेंड कर के आता हूँ ..30 मिनट. बाद आराम से बैठ कर बातें होंगी "
जीत इतना बोल कर कॅबिन से बाहर जाने लगा ..अचानक पलटा और उस लड़की से बोला
" ये हमारे सबसे अच्छे दोस्त हैं दीप चावला ..इनका ख़याल रखना "
और जीत फाइनली कॅबिन से बाहर हो गया
उसके जाने के बाद दीप और वो लड़की एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराने लगे ..बात कैसे स्टार्ट हो दीप ने ये सोच कर उसे चेर ऑफर की
" थॅंक यू "
लड़की उसी चेर पर बैठ गयी जिस पर थोड़ी देर पहले जीत बैठ हुआ था
" तो जीत ने कहा था तुम मेरा ख़याल रखोगी ..पर कैसे ? "
दीप तो शुरू से ही कमीना था ..लड़की ने थोड़ा सा हरा सिग्नल क्या दिया वो तो जैसे चुदाई की ही सोच बैठा
" वेल ..वो तो आप की पसंद पर डिपेंड करता है ..तो बताइए क्या मँगाऊ ..ठंडा या गरम्म्म्ममम "
लड़की ने गरम शब्द पर ज़्यादा ज़ोर दिया और साथ की अपनी टाँगो की जड़ को काफ़ी ज़्यादा स्प्रेड भी कर लिया ..टाइट जीन्स मे फसि उसकी मस्क्युलर थाइस दीप के दिल पर बिजलियाँ गिराने लगी ..उसे समझते देर नही लगी कि आइटम चालू है
" ठंडे के लिए तो ए/सी काफ़ी है अंड आइ लीके हॉट स्टफ "
दीप ने हिम्मत कर उसकी जाँघ पर हाथ रखा और धीरे - धीरे उसे सहलाने लगा
" बस यही थॉट तो ग़लत है मर्दो की ..बातें बड़ी अच्छी करते हैं पर बात को पूरा करने मे 2 मिनट. से ज़्यादा नही टिक पाते "
लड़की ने उसे आँख मार कर कहा
" तो खुद ही कन्फर्म कर लो कितना जोश होता है मर्दो मे "


दीप ने उसका हाथ पकड़ कर अपने अध खड़े लंड पर रख दिया ..मर्द तो वो था ..एक बार जो भी लड़की उसके नीचे से गुज़री वो हर चुदाई मे उसे ही याद करती होगी
" ह्म्‍म्म ..बात की शुरुआत तो काफ़ी अच्छी है पर एंड का कुछ कह नही सकते "
ये बोल कर लड़की ने लंड पर अपने हाथ कड़क कर दिए
" तो फिर देरी क्यों ..कॅबिन गेट बंद करो और इस गेट को खोल दो "
लड़की के मोटे बूब पर पिच कर दीप मुस्कुरा दिया
" किसी तरह के डर की कोई बात नही ..इस कॅबिन मे मेरी मर्ज़ी ही चलती है "
लड़की की इस बात से दीप कन्फर्म हो गया कि ज़रूर जीत उसे कॅबिन मे चोद्ता होगा
दीप :- " तुम्हारा नाम क्या है ? "
लड़की :- " अजी नाम मे क्या रखा है ..काम देख कर प्यार से जो चाहे रख दीजिएगा "
लड़की ने उसके पॅंट की चैन खोल कर कहा ..सब कुछ इतना जल्दी हो जाएगा दीप को कतयि इसकी कल्पना नही थी ..लड़कियों के मामले मे उस से ज़्यादा एक्सपीरियेन्स शायद ही किसी और को होगा
" ह्म्‍म्म्म ..लाजवाब है ये तो ..इफ़ यू डोंट माइंड शल आइ "
लंड पूरे शबाब पर था ..लड़की की बात पूरी भी नही हो पाई कि दीप अपनी चेर से उठ कर खड़ा हो गया ..अब लंड और मूँह की दूरी इंचस मे थी ..दीप ने फटाफट बेल्ट खोल पॅंट को घुटने से नीचे गिराया और वाइट शर्ट को कमर से ऊपर खीच लिया
" आहह..... "
लड़की ने लंड से निकले प्रेकुं को अपनी जीभ से चाटा तो दीप की आह निकल गयी
ये देख लड़की ने 4- 5 चुम्मे लंड पर चिपका दिए



" आइ लाइक दिस टाइप ऑफ टेस्ट "
लड़की ने उसकी आँखों मे देख कर कहा और दोनो टट्टो को अपने एक हाथ मे पकड़ कर आधे से ज़्यादा लंड होंठो के अंदर कर लिया



" ऊउउउउउउउउउ.......... यू आर इक्विवलेंट टू फाइयर "
शुपाडे पर जीभ की मचलाहट महसूस कर दीप के हाथ अपने आप ही लड़की के सर पर चले गये ..जीत की गैर हाज़िरी मे कॅबिन सिसकियों से गूंजने लगा ..वैसे दीप को लंड चुसवाने मे बड़ा मज़ा आता था और उसके विपरीत बीवी कम्मो को ये बिल्कुल पसंद नही था ..लाख बार इन्सिस्ट करने पर भी कामिनी की ज़ुबान पर एक ही शब्द आता था ' ना ' और सिर्फ़ ' ना ' ..एक ये कारण भी था कि दीप का मंन जल्दी अपनी बीवी से भर गया और कामिनी केवल नाम की बीवी रह गयी "
" यू लाइक ब्लो जॉब मिस्टर. दीप ? "
लड़की ने दो पल को लंड अपने मूँह से बाहर निकाल कर कहा ..कोई लड़की पहली बार मे ही इतना कैसे खुल सकती है ..दीप हैरान भी था और मस्त भी
" ऑफ कोर्स बेबी ..तुम्हारे चूसने का अंदाज़ मुझे पसंद आया "
दीप ने ये बोल कर लंड को वापस उसके मूँह मे ठेल दिया और इस बार लड़की ने पूरे 8" का लॉडा अपने गले तक उतार लिया ..वो कुछ देर ऐसी पोज़िशन मे रुकी और फिर धीरे धीरे लंड बाहर को खीचती गयी ..उसके मूँह से लंड और थूक का मिला जुला रस बहने लगा ..बारी बारी वो लंड की टिप से नीचे टट्टो पर भी जीब घुमाती घूमती रहती

दीप से अब चुदाई का सबर नही हुआ तो उसने अपने हाथो से लड़की की टी-शर्ट को उसके शोल्डर से नीचे खीचा और उसके मोटे - मोटे बूब्स बाहर आ गये


" हॅव पेशियेन्स बेबी ..आज सिर्फ़ ब्रेकफास्ट ..लंच और डिन्नर फिर कभी कर लेना "
ये बोल कर लड़की मुस्कुराइ और कहीं ना कहीं दीप को भी ये सही लगा ..इस तरह खुले कॅबिन मे चुदाई पासिबल नही थी ..तो चूत की कसर मे दीप ने उसके सर को पकड़ा और तेज़ी से उसका मूँह चोदने लगा ..उसके हर धक्के से लंड लड़की के गले तक उतर जाता ..सिसकियों ने कमरे मे एक तूफ़ानी समा बाँध दिया ..चोक होते - होते लड़की की आँखें नम होने लगी थी ..पर दीप को पूरा प्लेषर मिले इस लिए वो हर झटका सहती रही ..उसके फ्री हाथ लगातार दीप के टट्टों को मसले जा रहे थे ..इस दोहरे मज़े ने दीप को मज़े की हद पर ला दिया
" ओह....... आइ थिंक आइ'म कमिंग "
दीप ने अपने जर्क तेज़ करते हुए बोला ..उसने सोचा पहले बता देने से लड़की का रेस्पॉन्स मिल जाएगा कि वो कम मूँह के अंदर निकालना चाहती है या बाहर
लड़की ने हाथ से इशारा कर उसे कंटिन्यू रहने को कहा और अगले ही पल लंड से फवारे छ्छूटने लगे
" आहह....... फुक्कककक....... "
दीप लगभग चीखते हुए उसके मूँह मे झड़ने लगा ..वीर्य की धारो से लड़की का मूँह फुल हो गया था पर वो अपने होंठो और जीभ का कमाल दिखाए जा रही थी ..स्पर्म की मात्रा ज़्यादा होने से वो बहकर मूँह से बाहर निकल आया

जब दीप की साँसे थोड़ा नॉर्मल हुई तो मुस्कुरा कर लड़की ने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाल होंठो से हल्का - हल्का उसे काटना शुरू किया ..दोनो की आँखें स्टार्टिंग से ले कर एंड तक एक दूसरे से मिली हुई थी जिसका मज़ा शायद हर मर्द चाहता है ..आख़िर सेक्स तभी अच्छा लगता है जब कोई शर्मो हया ना हो
लड़की ने बड़े प्यार से उसके लंड पर लगे वीर्य को चाटा और पॅंट को घुटनो से उठा कर ऊपर कर दिया ..दीप फुल सॅटिस्फाइड था ..पर जो आग मूँह से शांत हुई थी उसका अब चुदाई के लिए भड़कना लाज़मी था
" सो मिस्टर. दीप ..ईज़ एवेरी थिंग ओके "
लड़की ने अपनी टी-शर्ट को वापस गले तक खीच कर बूब्स छुपाते हुए कहा
" ओह गॉड ..यू जस्ट अमेज़िंग "
दीप उसके होंठो को चूमने के लिए आगे बढ़ा ही था कि उसकी पॉकेट मे रखा सेल बजने लगा ..बुरा सा मूँह बना कर उसने नंबर. देखा तो वो जीत का था
" हां आ रहा हूँ "
जीत ने उसे कॅफेटीरिया बुलाने के लिए कॉल किया था ..घड़ी मे टाइम देख दीप ने अपने झड़ने का टाइम नोट किया तो वो पूरे 25 मिनट तक झड़ने से खुद को रोक पाया था
" जीत कॅफेट मे मेरा इंतज़ार कर रहा है ..खेर अब लंच कब कर्वाओगि जान मुझसे सबर नही होगा ..और 2 मिनट. से बात पूरी 25 मिनट. तक चली ..तो क्या कहती हो ? "
दीप ने अपनी शर्ट इन की और कॅबिन से बाहर निकलते हुए कहा
" जल्दी ही ..आइ लाइक यू "
लड़की ने उसे फ्लाइयिंग किस दी और दीप कॅबिन से बाहर हो गया ...
VERY WELL START
 
Well-known member
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पापी परिवार--3

वहीं दूसरी तरफ दीप के घर पर तांडव मचा हुआ था ..वजह कोई और नही निम्मी थी

" मोम मेरी सारी फ्रेंड्स जा रही हैं ..तो मुझे भी जाना है "

कॉलेज के फ्रेंड्स ने आज पब मे रात बिताने का फ़ैसला किया था ..जिसके चलते निम्मी काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी ..हलाकी इस वक़्त उसका किसी से रीलेशन नही पर मुंबई ऐसी जगह है जहाँ रात किसी पब या होटेल के बाहर सिंगल चले जाओ तो कपल बनते देर नही लगती

" नही माने नही ..अब मेरा दिमाग़ मत खा मुझे बहुत काम है समझी और हां कितना गंदा कमरा कर रखा है ..फटाफट सफाई मे जुट जा "

कम्मो नाराज़ होते हुए कमरे से बाहर जाने लगी

" सफाई माइ फुट ..मैं जाउन्गि ..मैं जाउन्गि और ज़रूर जाउन्गि "

निम्मी ने उसे जाते देख चिल्ला कर कहा ..वाकाई मे उसके जैसी ज़िद्दी ..बिग्ड्ल और झगड़ालु लड़की किसी दूसरे के घर मे नही होगी

" मुझसे ज़ुबान मत लड़ा ..वरना तेरे पापा को कॉल लगा दूँगी "

कम्मो ने पलट कर उसे दीप का डर दिखाया

" हां हां बोल देना ..कोई डरता है क्या ..' मुझे भी उनकी सारी काली करतूतो का पता है ' "

निम्मी ने इस सेंटेन्स की लास्ट लाइन थोड़े धीमे स्वर मे कही लेकिन कम्मो के कानो मे ये बात चली गयी

" क्या बोली तू ..फिर से बोल ? "

कामो ने उसके वाक्य दोहराने को कहा

" मैने क्या कहा ? "

निम्मी को थोड़ी घबराहट हुई कि कही मोम ने उसकी बात को सुन तो नही लिया

" वही ..कुछ काली करतूत के बारे मे "

कम्मो ने सुना तो था पर अधूरा

" क्या काली करतूत ..मैने तो बोला था कि पापा होते तो मुझे जाने से कभी नही रोकते ..पर तुम हमेशा से ही मुझे हर काम के लिए टोकती रहती हो "

निम्मी ने बात को चेंज करते हुए माहॉल को सेंटी बनाना शुरू किया

" देख निम्मी मेरे लिए सभी बच्चे बराबर हैं ..ये तेरे मन के फितूर ही तुझे मुझसे दूर ले जाते हैं ..अरे मैं मा हूँ तेरी कोई दुश्मन तो नही "

कम्मो को उसकी बात अपने दिल पर एक चोट लगी ..वो चल कर वापस कमरे मे आने लगी

" मैं सही कह रही हूँ मोम ..दीदी ..भैया और यहाँ तक पापा भी मेरे साथ ग़लत बर्ताव करते हैं तो मुझे दुख होता है ..जैसे मैं इस घर का खून ही नही हूँ "

निम्मी अपनी झुटि बातों से कम्मो का दिल पसीजे जा रही थी मगर सच तो ये था कि उसे घर मे जितना प्यार और आज़ादी मिलती थी वो शायद निकुंज को भी नही थी

" सुन बेटी अब तू बड़ी हो गयी है ..इस तरह का बच्पना छोड़ ..तेरे अलावा कोई इस घर मे इतना ज़िद्दी नही ..अब तू कोई 6 महीने की बच्ची तो नही जो तेरी हर बात को माना जाए "

कम्मो ने इस बार उसे प्यार से समझाया ..बचपन से ही उसे निम्मी का नेचर अच्छी तरह से पता था कि वो जो ठान लेती है उसे कर के मानती है ..चाहे इसके लिए उसे कितना भी लड़ना पड़े

" मैं अब बच्ची नही रही मोम ..अपना बुरा भला समझ सकती हूँ ..अब तुम जाओ मुझे नहाना है ..पार्टी मे जाने को देर हो जाएगी "

इतना कह कर निम्मी ने एक झटके मे अपना टॉप और नीचे पहनी कॅप्री को उतार कर डोर उच्छाल दिया और अंडरगार्मेंट्स मे आ गयी

" हाए राम निम्मी ..शरम कर शरम "

वैसे तो ये कोई नयी बात नही थी ..वो अक्सर कम्मो और अपनी बहेन निक्की के सामने पूरी नंगी हो जाया करती थी ..पर आज पहली बार उसकी मा ने उसे इस तरह की बात कही थी

" कैसी शरम मोम ..क्या हुआ ? "

निम्मी ने एक नज़र कम्मो के चेहरे पर डाली ..वो उसकी नज़रों का पीछा करते हुए अपनी पैंटी पर पहुचि ..और अगले ही पल सारा माज़रा उसे समझ आ गया ..अक्चूली बात ये थी कि कुछ दिन पहले की गयी शॉपिंग मे निम्मी ने कुछ ज़्यादा ही मॉर्डन कपड़े खरीदे थे और उसके अंडरगार्मेंट्स तो फैशन की सारी हद पार करने लायक थे

" ये कैसे अन्द्रूनि कपड़े खरीदे तूने ..कुछ छुप सकता है इनमे ..बोल ? "

निम्मी ने मुस्कुरा कर कम्मो के गले मे अपनी बाहें डाल दी

" इसे क्रॉच लेस पैंटी कहते हैं मोम ..इसमे पुसी को छोड़ कर सारा हिस्सा ढका रहता है "


निम्मी के मूँह से पहली बार पुसी शब्द सुन कम्मो का चेहरा फीका पड़ गया ..माना वो उसकी मा थी पर आज तक इस तरह की सिचूएशन कभी नही बनी थी ..कम्मो ने उसे अपने से दूर कर दिया

" बेशरम ..वही तो पूछ रही हूँ ..इस तरह के कपड़े कोई पहेनता है क्या "

कम्मो ने अपनी आँख उसकी चूत पर गढ़ाते हुए कहा ..बात सही थी जो चीज़ ढकने के लिए पैंटी को बनाया गया है अगर वही चीज़ खुली रहे तो पैंटी किसी मतलब की नही

" मोम इसमे मुझे खुला - खुला सा लगता है ..आप भी पहना करो ..रिलॅक्स फील होगा "

निम्मी ने उसे आँख मार कर कहा

" मारूंगी एक ..मैं तेरी तरह कोई पागल थोड़ी हूँ जो ये सब पहनु "

कम्मो ने इस बार उसे मारने के लिए झूठा नाटक किया तो निम्मी उससे थोड़ा दूर जा कर खड़ी हो गयी ..अब पोज़िशन ये थी कि कम्मो कमरे के अंदर और निम्मी कमरे के गेट पर ..जगह चेंज होने की वजह से निम्मी की गांद कुछ सेकेंड के लिए कम्मो की नज़रों के सामने घूमी और पिछवाड़े का हाल देख कर तो कम्मो ने अपना माथा ही ठोक लिया

" ये क्या है ..पीछे तो कुछ है ही नही "

कम्मो की बात सुन निम्मी ने खुद के चूतडो को देखने की कोशिश की तो उसे ज़ोरों से हसी आ गयी ..उसके हस्ने से कम्मो का हाल देखने लायक था

" बेहया एक तो ग़लती करती है और फिर हँसती भी है "

कम्मो ने उसे फिर से डांटा

" ओह मोम ..तुम्हे कुछ पता नही ..इस पैंटी मे पीछे की तरफ एक पतला सा स्ट्रॅप दिया है पर वो अभी मेरे आस क्रॅक्स मे फसा है "

ये कह कर निम्मी ने अपने चूतडो को कम्मो की तरफ घुमाया और थोड़ा झुकते हुए बड़ी अदा के साथ गांद की दरारो मे फसे कपड़े के पतले से स्ट्रॅप को अपनी उंगलियों से टटोल कर बाहर खीच लिया

" हे भगवान ..तू इसे पहेन के भी नंगी ही है ..इस से अच्छा तो इसे पहना ही मत कर ..घूम ऐसे ही बिना कपड़ो के घर मे ..बेशरम कहीं की "

कम्मो ने भले ही कयि बार अपनी छोटी बेटी को पूरा नंगा देखा था पर उसके शरीर पर गौर पहली बार किया ..और आज उसे वो बच्ची नही वाकयि एक गदराए जिस्म की मालकिन लग रही थी ..पैंटी के फटे हिस्से से बाहर झाकति कुँवारी बिना झटों की चूत ..बड़े - बड़े बेदाग चूतड़ और बूब्स किसी से कम नही थे ..आज कम्मो निम्मी के बदन को सोचते हुए निक्की के जिस्म तक पहुच गयी ..वैसे निक्की को उसने 4 - 5 सालो से नंगा नही देखा था ..पर जब छोटी ऐसी है तो बड़ी के क्या कहने यही सोच कर उसकी चूत मे खुजलाहट मचने लगी साथ ही निम्मी के मूँह से निकले सेक्षुयल शब्द और उसकी हरकतें कम्मो पर कहर ढाने के लिए काफ़ी थी

" तो ठीक है अब से मैं पूरे घर मे नंगी ही घूमूंगी ..थॅंक्स फॉर युवर गुड सजेशन मोम "

निम्मी ने बशर्म बन कर एक फ्लाइयिंग किस कम्मो की तरफ उछालि और अगले ही पल पैंटी और ब्रा भी ज़मीन पर पड़े थे

" तुझ जैसी पागल का कोई भरोसा नही ..घर मे तेरे अलावा तेरा भाई और डॅड भी रहते हैं ..शर्म कर शरम ..या तो बोल तुझे पागल खाने भरती करवा दिया जाए ..मैं आज ही तेरे डॅड से बात करूँगी "

कम्मो इतना बोल कर वापस कमरे के गेट की तरफ बढ़ी पर इस बार जो बात निम्मी के मूँह से निकली उसने कम्मो को अंदर तक झकझोर दिया

" हां हां भेज तो मुझे पागल खाने ..तुम सब यही चाहते हो ना कि मैं इस घर से दूर चली जाउ ..तो भरती कर दो मुझे भी उस पागल इंसान के साथ जिसे पैदा कर के पालना भी तुम्हे गवारा नही "

निम्मी ने एक साँस मे अपनी सारी भादास निकाल दी ..कुछ वक़्त पहले तक क्या टॉपिक चल रहा था और अब बात किस मॅटर पर पहुच गयी ये देख कम्मो की आँखों से आँसू बहने लगे ..निम्मी ने लाख बार अपनी मा को सताया हो पर इस तरह के लांछन की उम्मीद कम्मो ने कभी नही की थी ..दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखने लगे और एक चीख ने दोनो का ध्यान कमरे के गेट की तरफ मोड़ दिया

" निम्मीईीईईईई.......... "

ये आवाज़ निकुंज की थी जिसने सीढ़ियाँ चढ़ते हुए निम्मी के मूँह से निकली आख़िरी बात सुन कर उसके कमरे का रुख़ किया था ..पर उसे इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नही था कि कमरे मे उसकी छोटी बहेन पूरी तरह से नंगी खड़ी होगी

निकुंज ने गेट पर पहुच कर चिल्लाया तो निम्मी और कम्मो दोनो के होश उड़ गये ..लगभग 5 - 10 सेकेंड तक निकुंज की आँखें बहेन के नंगे जिस्म पर पड़ी और जब तक उसे होश आता निम्मी का नंगा बदन पूरी तरह से उसकी आँखों मे उतर गया ..हालत निम्मी की भी कुछ ऐसी ही थी ..भले ही छोटे कपड़ो मे बाप और भाई ने हमेशा से उसे देखा हो पर इस तरह से बिना गेट लॉक किए नंगा खड़ा होना उसके बेशरम होने का जायज़ सबूत था और तो और जो बात निम्मी ने अपने भाई रघु के लिए कही वो सुन कर निकुंज खुद को रोक नही पाया और आज पहली बार इस तरह से अपनी बहेन पर चिल्ला दिया

" बेशरम अपने कपड़े पहेन ..मैं आज तुझे नही छोड़ने वाला ..सारी चर्बी ख़तम कर दूँगा आज तेरी "

होश मे आते ही निकुंज दरवाज़े से थोड़ा पीछे हो गया और निम्मी घबरा कर बाथरूम के अंदर घुस गयी ..कम्मो भी अब तक खुद को समहाल चुकी थी ..उसे निकुंज के जल्दी घर लौट आने के बारे मे ज़रा भी अनुमान नही था वरना बात बंद कमरे मे होती

" बेटा तू चल मेरे साथ ..बच्ची है ..ज़रा सा भी दिमाग़ नही इसमे "

कम्मो ने पहली बार निकुंज को इतने गुस्से मे देखा था ..हमेशा कूल और प्यार से रहने वाला उसका छोटा बेटा आज इतना नाराज़ इस लिए भी हुआ क्यों कि रघु को उसने दीप से भी बढ़ कर माना था

" नही मा ..आज से ये इस घर मे नही रहेगी ..हमारे लाड - प्यार का ये सिला मिलेगा सोचा ना था ..अरे निक्की भी तो इसी घर का खून है उसे देखो ..शायद ही आज तक उसने किसी का दिल दुखाया हो और ये बेशरम ..छ्हीइ शरम आती है इसे बहेन कहते हुए भी "

ये कह कर निकुंज अपने कमरे की तरफ चला पड़ा ..कम्मो भी उसके साथ थी ....

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वहीं बाथरूम के हालात तो और भी बदतर थे ..निम्मी ने उसके भाई की सारी बातें सुनी लेकिन उसकी आँखों मे रत्ती भर भी नमी नही आई बल्कि उसका नंगा बदन तप कर शोलो मे बदल गया ..उसकी साँसे चढ़ि थी और वो किसी सोच की मुद्रा मे शवर के नीचे खड़ी थी

" आज जो कुछ भी घर पर हुआ वो सही नही हुआ ..याद रखना निकुंज चावला अगर मैने अपनी बेज़्ज़ती का बदला नही लिया तो मेरा नाम निम्मी नही ..अब देखना मैं क्या करती हूँ "

ये कहते हुए उसने शवर का टॅप घुमाया और भर - भर करता पानी उसके तन - बदन मे लगी आग को शांत करने लगा ....

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कॅफेट मे बैठे दीप और जीत अपनी अधूरी बातों को पूरा कने मे लगे थे ..पर दीप का ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ उस लड़की मे खोया था जिसने अभी 10 मिनट पहले दीप के लंड का रस चखा था ..कैसे भी कर के दीप को उसे चोदना था और इसके लिए उसने जीत का सहारा चाहा

" तू कहाँ खोया है कमीने ..जब से बड़बड़ा रहा हूँ पर तुझे तो जैसे मेरी बात से कुछ लेना देना ही नही "

जीत ने उसे किसी सोच मे डूबा देख कहा

" यार बुरा मत मान पर मुझे तेरी सेक्रेटरी की चूत चाहिए ..तुझे मंज़ूर हो तब भी और ना हो तब भी "

दीप ने अपनी सोच को आम करते हुए कहा ..उसकी बात से जीत का चेहरा थोड़ा गंभीर हुआ और वो अपनी चेर पर सीधा बैठ गया

" क्या बात है जीत ..क्या तू नही चाहता कि मैं उसे चोदु ..या तुझे उसे मुझसे शेर करने मे कोई तकलीफ़ है ..जो भी बात हो सॉफ - सॉफ बता "

दीप ने उसे शांत देख कहा

" यार अब मैं क्या कहूँ ..अच्छा एक काम करता हूँ उसे भी कॅफेट मे बुला लेते हैं "

जीत की बात सुन दीप का चेहरा खिल उठा

" जानता था तू मेरी बात कभी नही टालेगा ..दोस्त अब दोनो मिल कर उसकी चूत मारेंगे ..साली पक्की रांड़ लगती है ..पर जो भी हो माल काँटा है ..मैने बड़े सालो बाद ऐसा जिस्म देख होगा ..खेर जल्दी बुला उसे जाने से पहले उसकी मंज़ूरी जान लू तो दिल को सुकून आ जाएगा "

दीप तो जैसे पागल हो चुका था उस लड़की के पीछे ..पर जीत का मूँह उसकी असलील बातों से काफ़ी उतर गया ..उसने कॉल कर लड़की को कॅफेट मे बुलाया

थोड़ी देर तक दोनो दोस्त बिल्कुल शांत रहे ..जीत ने 3 कॉफी का ऑर्डर दे दिया और अब दोनो लड़की का इंतज़ार करने लगे ..इंतज़ार की घड़ियाँ ख़तम हुई और वो बंदी अपनी कमर मतकाती हुई उनकी तरफ आती दिखाई दी ..दीप उसकी चाल पर आह भरने लगा जिसे सुन कर जीत ने अपनी नज़रे दोनो से दूर कर ली

" मे आइ सीट हियर "

लड़की ने थोड़ा झुक कर पूछा जिससे उसके रेड टॉप मे बना बूब्स क्लीवेज और भी ज़्यादा विज़िबल हो गया

" या या शुवर "

दीप ने जल्दी से उसे इज़ाज़त दी और तब तक तीनो की कॉफी भी सर्व हो गयी

तीनो की बात स्टार्ट हो पाती कि अचानक से दीप का सेल बजा और उसकी सारी आशाओ पर पानी फिर गया ..निकुंज ने गुस्से मे आ कर दीप को फोन किया और वो सारी बात सुन उन दोनो से ज़रूरी काम का बोल कर घर के लिए रवाना हो गया ....

" बेटा तेरे डॅड नाराज़ होंगे ..तुझे उन्हे कॉल नही करना चाहिए था "

निकुंज और कम्मो बेड पर बैठे बातें कर रहे थे

" क्या करूँ मा आज निम्मी ने सारी हदें पार कर दी ..मैने उसे कितना चाहा है ये तुम भी जानती हो और वो भी ..पर रघु के बारे मे ऐसा गंदा बोलते हुए उसे शरम नही आई "

निकुंज का गुस्सा अभी भी बरकरार था

" छोड़ बेटा अगर इसी तरह डाट - डपट के निम्मी सुधर सकती होती तो कब का सुधर जाती ..मैं तो कहती हूँ उसे प्यार से ही समझाया जा सकता है ..माना थोड़ी ज़िद्दी है पर है तो तेरी बहेन ही ना "

कम्मो ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा

" वैसे मा एक बात कहूँ शायद आप को बुरा लगे ..रघु अगर इस घर मे पैदा ना हुआ होता तो ये जो दो वक़्त चैन की रोटी मिल रही है ना वो भी नसीब नही होती ..आज से 7 - 8 साल पहले था क्या हमारे पास ..एक किराए का कमरा और डॅड के बिज़्नेस के टूटे फूटे बर्तन - भाड़े ..पता है ना आप को जब कोई पार्टी का ठेका मिले महीनो बीत जाते थे तब रघु की ही कमाई से घर चलता था ..ना वो ग़रीबी के चलते गुंडा बनता ना हमारे दिन बदलते ..अरे ये दोनो जो इतनी शान से घूमती हैं वो भी सिर्फ़ रघु के डर की वजह से ..वरना निम्मी जिस हिसाब के फैशोनब्ल कपड़े पेहेन्ति है उन कपड़ो मे मुंबई की सड़को पर रात क्या दिन भी सेफ नही ..लोगो के कानो मे आज भी ये बात पड़ जाए की ये रघु की बहने हैं तो कोई आँख उठा कर भी नही देखता जबकि सब को पता है वो बेचारा किस हाल मे कहाँ भरती है ..लेकिन आज शायद सभी ने उसे अपने दिल से बाहर निकाल दिया ..निम्मी ने कहीं ना कहीं सही भी कहा कि उसे पैदा कर के जहन्नुम मे फेक दिया गया है ..क्या हम उसे घर नही ला सकते मा ..हो सकता है जो रिकवरी वो हॉस्पिटल मे ना कर पाए वो यहाँ हमारे बीच रह के कर ले "

निकुंज के माइंड मे एयूएस. से लौटने के बाद जो बात सबसे पहले आई थी वो उसने कम्मो को बता दी ..वो चाहता था कि रघु को पुणे से घर मे शिफ्ट करवा दिया जाए ताकि वो सबकी नज़रो के सामने तो रहे

" बेटा मन तो मेरा भी यही कहता है ..पर घर मे ऐसा माहॉल देख कर रघु को और भी ज़्यादा तकलीफ़ होगी "

कम्मो ने उसे समझाया

" कुछ भी हो मा उसे यहाँ लाना ही पड़ेगा ..वहाँ हॉस्पिटल मे कौन सा उसका ट्रीटमेंट होता होगा ..सिर्फ़ उस पर रेसेर्च ही करते होंगे सभी ..मैं आज डॅड से इस बारे मे बात करूँगा "

निकुंज इतना बोल कर फ्रेश होने बाथ रूम मे चला गया और कम्मो अपने बचे कामो को पूरा करने किचन मे

---------------------

दीप ऑफीस की पार्किंग से कार निकाल कर घर की तरफ लौट रहा था

" साला क्या मस्त माल है ..अगर चुदाई के लिए राज़ी हो जाए तो पटक - पटक के चोदुन्गा ..कितने साल बाद ऐसी आइटम नज़र मे आई ..बस जीत मना ले उसे कैसे भी कर के ..फिर तो मज़े ही मज़े हैं ..वैसे वो हां ही कहेगी क्यों कि पहली बार मे लड़की सिर्फ़ शर्मो - हया दिखाती है ..पर उसने तो मेरा लंड ही चूस लिया ..ऐसा लगता है जैसे अब तक उसके गरम होंठ मेरे लंड से चिपके हों "

ऐसी केयी बातें सोच दीप का बैठा लंड वापस अंगड़ाई लेने लगा ..उसने एक हाथ स्टेरिंग पर और दूसरे से लंड को पॅंट के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया

" आज बात पूरी हो जाती अगर निकुंज का कॉल बीच मे ना आया होता ..ये निम्मी भी ना ..ज़रूर कोई उल्टी सीधी हरकत की होगी तभी निकुंज ने मुझे घर बुलाया ..क्या करू इस लड़की का ..हर वक़्त सिर्फ़ लड़ाई - झगड़ा ..आज अच्छे से खबर लेनी पड़ेगी इसकी "

दीप अपनी सोच से बाहर निकलता जब तक उसकी गाड़ी घर के मैन गेट पर पहुच चुकी थी ..कार से उतर कर उसने तेज़ कदमो से हॉल कर रुख़ किया और देखा तो घर मे हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था

" कहाँ हो सब ..कम्मो ? "

दीप ने हॉल को खाली देख चिल्ला कर कहा

उसकी आवाज़ मे बेहद नाराज़गी थी जिसे सुन कर परिवार के सदस्य घबरा कर हॉल मे आने लगे ..कम्मो किचन से दौड़ी तो निकुंज और निक्की अपने - अपने कमरो से ..सिर्फ़ निम्मी को छोड़ कर अब सभी हॉल मे थे

" क्या बात थी तो इस तरह मुझे घर बुलवाया ? "

दीप की दहाड़ से निम्मी तक अपने कमरे मे सहम गयी ..वो रूम की खिड़की से हॉल मे हो रही आवाज़ को सॉफ सुन सकती थी ..एक पल तो उसके चेहरे पर चिंता के बादल छाए पर अगले ही पल एक चिर परिचित मुस्कान से उसके होंठ हिलने लगे ..क्यों कि कुछ देर पहले उसने सभी बातों को जोड़ कर इस प्राब्लम का सल्यूशन ढूंड लिया था

" आप फ्रेश हो जाइए बाद मे बात करेंगे "

कामिनी ने दीप के चेहरे पर आते गुस्से को देख कर कहा ..इशारे से उसने निकुंज को भी छुप रहने की सलाह दी

" नही जो भी बात है अभी बताओ ..कब तक ऐसा माहॉल चलता रहेगा घर मे "

दीप ने सोफे पर बैठते हुए कहा

" डॅड मोम ठीक कह रही हैं ..आप फ्रेश हो जाइए मुझे कुछ ज़रूरी बात करनी है आप से "

निकुंज ने हालात समझते हुए कहा ..वो जानता था कि अगर निम्मी वाली बात डॅड को पता चली तो शायद उसे खूब डाट पड़ती ..भले वो अभी नादान है ..पर जो भी हो इस घर की जान भी है ..यही सोच कर निकुंज ने फ़ैसला किया कि मॅटर से निम्मी को बाहर कर डाइरेक्ट रघु को घर लाने की बात की जाए

" निम्मी कहाँ है ? "

दीप ने तेज़ आवाज़ मे कहा ..ये बात सुनते ही निम्मी खिड़की से हट कर बेड पर लेट गयी और बेड-शीट से खुद को कवर कर लिया ..उसने तय किया था कि चाहे कितने भी बुलावे आएँ वो नीचे हॉल मे नही जाएगी ..अगर दीप को उस से बात करनी है तो उसे निम्मी के कमरे मे आना ही पड़ेगा

" वो अपने कमरे मे है "

निक्की ने दीप को 1स्ट फ्लोर का इशारा कर दिया

" मैं निम्मी से अकेले मे बात करना चाहता हूँ ..कोई 1स्ट फ्लोर पर नही आएगा "

दीप ने कहा और अपने कदमो की रफ़्तार 1स्ट फ्लोर पर बने निम्मी के कमरे की तरफ बढ़ा दी ..नीचे खड़ी कम्मो ..निकुंज और निक्की बस यही खेर मना रहे थे कि दीप का गुस्सा शांत हो जाए और निम्मी उसके कहर से बचे

कमरे के बाहर आ कर दीप ने नॉक करना भी उचित नही समझा और तेज़ी से दरवाज़ा खोलते हुए अंदर आ गया ..रूम की ट्यूब लाइट जल रही थी और निम्मी बेड पर चादर ओढ़े लेटी थी ..दीप ने एक नज़र उसे घूरा और आवाज़ दी

" निम्मी ..ये बच्पना कब ख़त्म होगा तेरा ? "

दीप ने कमरे का गेट लॉक कर कहा ताकि वो बंद कमरे मे अपनी छोटी बेटी को समझा सके ..भले ही उसकी नाराज़गी का कोई पार नही था पर वो चाह कर भी अपने बच्चो को डाट नही पाता ..बचपन से ले कर आज तक शायद ही कभी ऐसा हुआ हो तो जब उसने तेज़ आवाज़ मे घर के किसी भी मेंबर से बात की होगी

" निम्मी सो गयी क्या ? "

दीप उसके बेड की तरफ बढ़ते हुए बोला ..शाम के टाइम तो कभी निम्मी सोती नही थी फिर आज क्यों ..बेड पर उसके बगल मे बैठ कर दीप ने महसूस किया कि निम्मी का बदन चादर के अंदर कप - कपा रहा है जिसे देख वो घबराया और तुरंत ही चादर थोड़ा नीचे खीची ..निम्मी के सर पर अपना हाथ रख दिया

" ओह गॉड ..इसे तो तेज़ बुखार है "

निम्मी का माथा बहुत गरम था ..पर अचानक ये सब कैसे हुआ अब इस पर नज़र डालते हैं

[ जब निकुंज ने दीप को घर आने के लिए कॉल किया था तब निम्मी ने उसके रूम मे हो रही सारी बातें छुप कर सुनी और फ्यूचर का सोचते हुए दौड़ कर किचन मे पहुच गयी ..वहाँ से उसने एक प्याज़ उठाया और मुस्कुराती हुई वापस अपने कमरे मे आ गयी

साइन्स की क्लास मे उसने पढ़ा था कि अगर बॉडी टेंपरेचर को हीट देना हो तो प्याज़ को छील कर अपनी आर्म्स के अंदर दबा लेने से बॉडी कुछ ही वक़्त मे बुरी तरह जलने लगती है और सामने वाला फीवर समझ कर घबरा जाता है ..बस आइडिया लगा कर निम्मी ने एक्सपेरिमेंट कर डाला ..शायद डाँट से बचने का इस से अच्छा कोई और सल्यूशन हो नही सकता ]

( अपने बचपन मे जिस - जिस ने इस उपाए को किया होगा ..शायद वो इसकी उपयोगिता से वाकिफ़ होंगे )

दीप ने निम्मी को आवाज़ दी तो उसने गहरी नींद से जागने का बहाना कर धीरे - धीरे अपनी आँखें खोल दी ..कुछ देर पहले तक दीप कितने गुस्से मे था और अब कितना घबराया सा ..ये देख निम्मी मन ही मन मुस्कुरा उठी

" बेटा तुझे तो बहुत बुखार है "

दीप ने एक बार फिर निम्मी की आँखें खुलने पर कहा

" डॅड "

निम्मी ने नाटक करते हुए दीप को पुकारा

" यस बेबी ..आर यू ओके "

दीप ने बड़े प्यार से उससे पूछा

" यस डॅड बाकी सब तो ठीक है ..पर बहुत पेन हो रहा है "

निम्मी ने जवाब दिया

" पेन कहाँ पर ? "

दीप ने बोलते के साथ साथ उसकी चादर को नीचे खिसकाया और अगले ही पल उसकी आँखें बाहर को निकल आई ..निम्मी ने जान कर बॉडी के उपरी हिस्से पर टॉप नही डाला था और केवल एक सिड्यूसिव सी ब्रा पहने ली थी

" द ..द ..डॅड मैने टॉप नही पहना है ..उफ़फ्फ़..... "

निम्मी को तो आक्टिंग का ऑस्कर मिलना चाहिए था ..एक तो उसने लड़खड़ाती ज़ुबान से अपनी पोजीशन बताई और दूसरा आह ले कर दर्द का नाटक भी किया

" सॉरी मुझे पता नही था "

दीप ने अपनी नज़रें दूसरी तरफ करते हुए कहा ..उसने सोचा कि चादर को निम्मी ऊपर खीच लेगी पर वो ज्यों की त्यों लेटी रही ..पहनी हुई वाइट ब्रा नेट वाली थी जिसमे से उसके निपल सॉफ दिख रहे थे

" डॅड एक पेन किल्लर दे दीजिए ..प्लीज़ीयीईयीई "

निम्मी ने दीप को अपनी तरफ़ देखने पर मजबूर करते हुए कहा

" पेन किल्लर ? "

निम्मी का दर्द भरा प्लीज़ सुन दीप पलटा पर नज़ारा वही था ..इस बार निम्मी ने उठने की कोशिश की

" ना ना लेटी रह ..दर्द कहाँ है "

दीप की आँखें उसकी की अधखुली छातियों से चिपक चुकी थी ..दुनिया भर की चूतो का स्वाद लेने के बाद अपनी बेटी का योवन देखना उसे बुरा तो लगा पर क्या करता ' मैं हूँ आदत से मज़बूर ' "

" वो डॅड मैं नहाते वक़्त बाथरूम मे फिसल गयी थी ..मेरी बॅक मे चोट लगी है ..जैसे तैसे जो पहेन पाई पहना और तभी से आराम ही कर रही हूँ "


निम्मी ने बड़े अफ़सोस के साथ अपनी झुटि कहानी उसे सुनाई ..दर्द की वजह से वो इस अध - नंगी हालत मे है ये भी कन्फर्म कर दिया

" रुक मैं तेरी मोम को बुलाता हूँ "

दीप ने देखा कि निम्मी उसे अपनी छातियों को घूरते देख रही है ..तो उसने बेड से उठ कर जाना चाहा

" नो डॅड ..मोम मुझसे पहले से ही नाराज़ है ..अब उन्हे और परेशान नही कर सकती ..आप तो मुझे एक पेन किल्लर दे दीजिए ..मैं ठीक हूँ "

निम्मी ने बड़ा भोला चेहरा बना कर कहा तो दीप वापस उसके बेड पर बैठ गया

" बॅक मे लगी ..कही फ्रॅक्चर तो नही "

दीप ने चिंता जताई

" नो डॅड फ्रॅक्चर होता तो मैं हिल भी नही पाती ..लगता है हल्की सी गुम चोट लगी है "

ये कहते हुए निम्मी ने बची चादर अपने ऊपर से हटाई और करवट ले कर अपने चूतड़ पर हाथ रख दिया ..लोवर बॉडी पर उसने एक टाइट कॅप्री डाली हुई थी जिसमे फसि उसकी बड़ी सी गान्ड को जान कर निम्मी ने और बाहर की तरफ़ निकाल रखा था ..करवट लेने से उसकी थ्रेड ब्रा की एक सिंगल नाट दीप को दिखाई दी और बाकी पूरी पीठ नेकड़

" दर्द ज़्यादा है क्या बेटा ? "

दीप की लड़खड़ाती आवाज़ सुन निम्मी का चेहरा खिल उठा ..उसका प्लान सक्सेस था ..बस अब उसे ये सोचना था कि इतना काफ़ी है या अपने नाटक को कंटिन्यू रखा जाए ....
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" डॅड यहाँ दर्द से मेरी जान निकली जा रही है और आप को बातों का मज़ाक सूझ रहा है "

निम्मी ने अपने एक चूतड़ को हाथ के पंजे मे दबोच कर मसल दिया ..उसकी सिसकारियों का तो कोई पार ही नही था

" नो बेटा ..आइ'म नोट किडिंग ..तुझे बेवजह ऐसा लग रहा है "

दीप की लार उसकी हाफ - न्यूड पीठ पर गिरती इस से पहले उसने खुद को समहाला और निम्मी के दर्द को महसूस कर अपने माइंड को डाइवर्ट करने की कोशिश की

" डॅड लगता है आप को भी मेरी कोई फिकर नही ..एक काम करो वहाँ वॉर्डरोब से एक पेन किल्लर निकाल दो ..मैं खा लूँगी "

निम्मी ने दीप को सेंटी डाइयलोग मारा और वापस पीठ के बल लेट गयी ..कहीं ना कहीं उसकी भी हालत बिन पानी की मछ्ली की तरह हो रही थी ..आज अपने भरे योवन मे पहली बार ऐसा मौका आया था जब एक बाप अपनी बेटी को अध - नंगी हालत मे देख रहा था और शायद उत्तेजित भी हो

निक्की के करवट लेने से उसकी थ्रेड नेट ब्रा थोड़ी लूज हुई और उसके एक कंधे पर अटका स्ट्रॅप खिसक कर कप के पॅरलेल आ गया ..वैसे भी ब्रा के अंदर छुपे बूब्स का हर हिस्सा पूरी तरह से विज़िबल था और नुकीले निपल्स नेट से बाहर निकलने को आमदा हो रहे थे ..दीप ने अपने सूख चुके गले को थूक निगल कर राहत पहुचाई ..दोनो की आँखें फिर मिली और दीप ने घबरा कर अपनी नज़रें नीची कर ली

" सिर्फ़ पेन किल्लर खाने से कुछ नही होगा निम्मी ..अक्सर बाथरूम मे गिर कर लगने वाली चोट फ्यूचर तक प्राब्लम देती है ..तो हमे डॉक्टर को बुला लेना चाहिए "

दीप एक तरफ मर्द की तारह सोच रहा था और दूसरी तरफ बेटी के दर्द को ले कर परेशान भी था ..पर सिचुयेशन बहुत हॉट थी निम्मी के दर्द की वजह से लंबी - लंबी साँसे लेना जिस से बूब साइज़ काफ़ी तेज़ी से बढ़ता कम होता जा रहा था

" नो वे डॅड ..डॉक्टर से मुझे बहुत डर लगता है ..प्लीज़ हेल्प मी डॅड ..प्लीज़ "

निम्मी ने अब रोने का नाटक स्टार्ट किया ..छटपताकर उसने ब्रा इतनी ढीली कर दी कि एक निपल लगभग पूरा बाहर निकल आया ..दीप का तो मानो खून जम चुका था और पॅंट के अंदर खड़े लंड ने ऐन्ठ कर रहम की भीख माँगनी शुरू कर दी

" सँभाल अपने आप को निम्मी "

दीप ने ना चाहते हुए अपने हाथ उसके गरमाये सपाट पेट पर रखे और उसे छटपटाने से रोकने लगा ..पर निम्मी तो सोच कर लेटी थी या तो आज अपने बाप को काबू मे करेगी या हमेशा के लिए उसके दिल से उतर जाएगी ..वो और भी ज़्यादा मटकने लगी ..कभी - कभी दीप का हाथ उसके बूब्स से टकराता तो दोनो की आह एक साथ निकल जाती

" डॅड कोई और रास्ता तो होगा ना ? "

निम्मी ने अपनी उखड़ती सांसो को चालू रखते हुए दीप के हाथो को ज़ोर से पकड़ ..अपने पेट पर दबा कर कहा ..दीप के मन मे इलाज को ले कर जो बात आई वो बोलना तो चाहता था पर ज़ुबान कहीं से कहीं तक उसका साथ नही दे रही ही ..यहाँ निम्मी उसके हाथ को पेट से ऊपर लाते हुए कयि बार अपने बूब्स पर दबा चुकी थी

" डोंट वरी सब ठीक हो जाएगा बेटा ..पर उसके लिए .... "

इतना बोल कर दीप छुप हो गया ..निम्मी ने उसकी बात सुन कर अपनी आँखें खोली जिनमे से बहते आँसुओ को दीप देख ना सका और अपने हाथ उसकी पकड़ से आज़ाद करते हुए उसे पेट के बल लिटाने की कोशिश की ..निम्मी को एक पल तो समझ नही आया कि दीप उसे पलटा क्यों रहा है पर फिर भी वो किसी कठपुतली की तरह उसके हाथ के सपोर्ट से उल्टा लेट गयी

" यस डॅड जो भी इलाज हो जल्दी करो "

निम्मी ने अपने हाथ से चूतडो को वापस मसलते हुए कहा ..कसी बेहद टाइट कॅप्री मे फसि उसकी गान्ड किसी नामर्द को भी मर्द बना देने मे सक्षम थी फिर दीप तो जनम से ही मर्द था

" बेटा तुझे मालिश से तुरंत राहत मिलेगी और उसके बाद टॅबलेट खा कर सारा दर्द रफूचक्कर हो जाएगा "

दीप को कहते देर नही हुई कि निम्मी ने उसके एक हाथ को पकड़ा और अपने चूतड़ से सटा दिया ..दीप उसकी लेफ्ट मे अपने घुटनो के बल बैठा था

" तो मालिश कर दो डॅड ..लेकिन जल्दी करो "

निम्मी के द्वारा प्रेशर देने से दीप का हाथ उसके मखमली गोल चूतडो मे धँस गया ..निम्मी ने पहली बार सिड्यूस हो कर आह भरी पर दीप को लगा कि उसने दर्द की दरकार से ऐसा किया होगा ..दीप भोचक्का हो कर निम्मी की नंगी पीठ और कॅप्री मे फसि गांद देखे जा रहा था

" यस डॅड प्लीज़ थोड़ा टाइट्ली दबाओ "

निम्मी के मूँह से रज़ामंदी पा कर दीप अपने आपे से बाहर हुआ और अपना दूसरा हाथ भी गांद दबोचने मे लगा दिया ..अब निम्मी के हाथो की कोई ज़रूरत नही थी तो उसने उन्हे अपने पेट के नीचे डाल लिया ..एक बाप के नज़ररिय से अगर दीप इस घटना को देखे तो वो ग़लत था लेकिन अगर एक मर्द की हैसियत समझ कर सोचे तो निम्मी के मस्त - बदन ने उसके दिल और दिमाग़ पर अपना जादू चला दिया था ..निम्मी कुछ देर ज्यों की त्यों बेड पर पैर सीधे किए लेटी रही पर जब उसकी चूत रस ने बाप के प्रति बुरी भावनाओ से रस छोड़ना चालू किया तो वो सडन्ली बेड पर घुटने मोडती हुई उकड़ू बैठने को हुई और दीप को ना चाहते हुए भी ठीक उसके पीछे आना पड़ा ..हाथ पेट के नीचे ले जाने से निम्मी का प्लान था कैप्रि के बटन को अनलॉक कर उसे लूज करना और अब उकड़ू बैठने से उसकी गांद हवा मे बहुत ज़्यादा ऊपर उठ गयी थी जिसके चलते कॅप्री फिसल कर पैंटी स्ट्रॅप लाइन तक पहुचि और उसकी खूबसूरत गांद की दरार से दीप की आँखों का मिलन हो गया

" ओह डॅड यू आर आ रियल पेन किल्लर "

निम्मी ने मस्त होते हुए अंगड़ाई ली और जान कर अपनी ब्रा के स्ट्रॅप लगभग दोनो कंधो से नीचे उतार लिए

" अच्छा फील हो रहा है ना ? "

दीप ने काम के वशीभूत हो उसके चूतडो की दरार मे अपनी उंगली फिरा कर पूछा

" यस डॅड आप के हाथो मे जादू है ..वैसे मूव भी है मेरे कमरे मे "

इतना बोल कर निम्मी चुप हो गयी ..दीप के लिए ये खुला आमंत्रण था उसकी गांद को कॅप्री और पैंटी से पूरा आज़ाद होते नंगा देखने का

" क ..कहाँ रखी है मूव बता मुझे "

अब दीप वाकई अपने लंड रूपी दिमाग़ से सोचने पर मजबूर हो गया ..जानता था कि निम्मी तो अभी बच्ची है पर उसे तो एक बाप होने के नाते उसके चूतडो को छ्चोड़ देना चाहिए था ..वो बेड से नीचे उतरा पर रूम से जाने की वजाए निम्मी के इशारे पर वॉर्डरोब से मूव लेने

" मिल गयी "

जब मूव ले कर दीप पलटा तो नज़ारा और भी ज़्यादा भड़काने वाला था ..निम्मी ने कॅप्री को पैंटी सहित गांद के कोमल भूरे छेद तक उतार लिया था और ब्रा तो झूल कर बिल्कुल उतरने को थी ..डीप की पलकें तो झपकना ही भूल गयी ..उकड़ू अपनी नंगी गान्ड को हवा मे उठाए उसकी बेटी का जिस्म और छाती से नीचे लटकती बड़ी बड़ी चूचियाँ उसे पागल करने को काफ़ी थी ..दीप निम्मी के सर की साइड मे खड़ा था ..एक पल वो उस नज़ारे को देख कर रुका कि कही ये सब उसकी बेटी का कोई नाटक तो नही लेकिन अगले ही पल उसकी आँखें निम्मी की आँखों से जा टकराई और उनमे छुपि मासूमियत को देख दीप का सारा शक़ कूफर हो गया ..उसे लगा जैसे निम्मी उसकी अपनी बच्ची दुनिया की सबसे इनोसेंट लड़की है

" मिल गया डॅड ..अब जल्दी से मालिश को पूरा कर दो "


निम्मी की आवाज़ सुन दीप का ध्यान भंग हुआ और वो हौले हौले बेड की तरफ बढ़ने लगा ..दोनो बाप बेटी फुल तरीके से रोमांचित थे ..डॅड का खड़ा लंड निम्मी की चूत को और भी ज़्यादा फड़का रहा था पर दीप चाहता था कि उसकी बेटी को उसके सिड्यूस होने का पता ना चले ..8" का लंड था कोई 1" की लुल्ली नही जो छुपायि जा सकती थी ..दोनो ये सोच कर भी पानी - पानी हो रहे थे कि एक बाप की आँखों का सामना अपनी बेटी के गान्ड के छेद से कुछ ही पॅलो मे होने वाला था ..दीप बेड पर चढ़ा और निम्मी के ठीक पीछे बैठ कर अपनी उंगली मे मूव की एक लेयर निकाल ली लेकिन अभी तक उसने एक नज़र भी बेटी के खुले पिच्छवाड़े पर नही डाली थी ..शायद मेच्यूर होना इसी को तो कहते हैं ..निम्मी उसका खून थी फिर आज वो इतना आगे कैसे बढ़ गया ..उसने खुद को इस बात के लिए कोसा और फ़ैसला लिया कि वो अपनी आँखें बंद रख के जल्दी से मालिश निपटाएगा और कमरे से बाहर चला जाएगा ..वहीं निम्मी इस पल के इंतज़ार मे थी कि कब उसके डॅड का हाथ उसकी खुली गांद को सहलाता और क्या रिक्षन होगा दीप का जब उसकी आँखें अपनी ही बेटी के आस होल पर पड़ेंगी

दीप को बिल्कुल शांत बैठा महसूस कर निम्मी ने अपनी गर्दन को पीछे घुमाया तो पाया कि डॅड की आँखें बंद और वो कुछ सोचने की मुद्रा मे बैठे हैं ..निम्मी के तन बदन मे आग लगी थी और दीप का इस तरह से एक दम चुप हो जाना निम्मी को गवारा नही हुआ ..कैसे भी कर उसे डॅड की प्रतिक्रिया नोट करनी थी ..पॅंट के अंदर बने तंबू से उसे ये तो पता लग गया था कि बेटी के जिस्म ने बाप के अंदर का मर्द जगा दिया लेकिन वो तो हर नंगी लड़की कर सकती है ..सही बात तो आँखों से बयान होती तभी कुछ सोच कर निम्मी ने कहा

" डॅड मूव थोड़ा देख कर लगाना कहीं ग़लत जगह ना लग जाए ..आप समझ रहे हो ना ..वहाँ लगा तो जलन होगी "

निम्मी ने सोते दीप की आँखे खुलवाने के लिए जो बात कही उससे दीप कब तक बच पता ..उसने फिर भी बंद आँखो से निम्मी के पिछवाड़े का अनुमान लगाया लेकिन पहली ही बार मे निशाने पर गांद का कुँवारा छेद आ गया ..उंगली मे लगी मूव सीधे आस होल से जा टकराई

" अहह.............. डॅड "

निम्मी ने जो कहा था हुआ उसका बिल्कुल उल्टा ..दीप की उंगली का एहसास अपनी गांद के कुंवारे छेद पर महसूस होते ही निम्मी की टाँगे जवाब दे गयी और वो बेड पर करवट ले कर लेट गयी ..दीप ने हड़बड़ा कर अपनी आँखें खोली तब तक उसकी बेटी ने अपने घुटनो को मोड़ लिया था और टाइट कॅप्री मे फासी गांद की दरार आपस मे चिपकी पड़ी थी

" क्या हुआ निम्मी ..सब ठीक तो है ? "

पता दीप को सब था कि उसकी उंगली कहाँ जा कर टकराई थी पर सीधे स्पस्ट शब्दो मे पूछना उसके बस से बाहर था

" उफफफफ्फ़ डॅड ..मैने आप को बोला था कि मूव देख कर लगाना पर आपने तो मेरी जान ही ले ली "

निम्मी को छेद मे जलन शुरू हो गयी ..अब किया हुआ नाटक ख़तम हो कर सब रियल मे बदल गया

" आइ'म सॉरी बेटा ..इस वक़्त तेरी मा को यहाँ होना चाहिए था "

दीप ने अपने बाप रूपी दिमाग़ से सोच कर कहा ..वो मैने अपनी आँखें बंद रखी थी ..तभी ये ग़लती हो गयी ..दीप की बात से उसकी केर सॉफ झलक रही थी

" मोम होती तो वो जान कर ऐसा करती और शायद आप ने भी वही किया ..डॅड मुझे जलन हो रही है "

ये कह कर निम्मी रुआसी हो गयी ..वाकाई मे जब मूव बॉडी के किसी एक्सटर्नल पार्ट पर लगती है तभी जलन का अनुमान हो जाता है और यहाँ तो बात शरीर के इतने सेन्सिटिव अंग की थी ..जल्दबाज़ी मे दीप ने मूव को मला भी नही था अपने हाथो पर ..उसने सोचा था कि डाइरेक्ट उंगली से चूतडो पर मूव लगा कर मालिश करेगा

" ऐसा नही है निम्मी ..मैं तुझे दुख नही दे सकता ..बच्चो मे सबसे ज़्यादा मुझे तुझसे प्यार है "

दीप ने उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा

" प्यार माइ फुट डॅड ..ऊईए मा ..कितना स्ट्रेंज सा लग रहा है "

निम्मी ने करवट ले कर खुद के पेन को और ज़्यादा बढ़ाया था ..अगर वो अपने आस होल के क्रॅक्स को नही जोड़ती तो शायद उसे इतनी जलन महसूस नही होती ..ऊपर से वो मटक भी तो नागिन की तरह रही थी ..बूब्स पर से ब्रा पूरी तरह अलग थी और उसकी हर थिरकन से चूचियाँ इधर - उधर डोले जा रही थी

" दिखा मुझे "

जो काम दीप की ग़लती से बिगड़ा था उसे ठीक करने के लिए उसने निम्मी को वापस उसी पोज़ीशन मे लाना चाहा जैसे वो पहले ओकडू बैठी थी ..शायद अब दीप के दिमाग़ मे छुपा शैतान ख़तम होने की कगार पर था

" नो वे डॅड ..आप जाओ ..हर बार की तरह इस बार भी मैं दर्द बर्दास्त कर लूँगी ..मुझे कुछ नही दिखाना "

निम्मी ने उसकी पकड़ से छूट ते हुए कहा तो दीप को और भी ज़्यादा अफ़सोस हुआ

" बेटा अगर दिखाएगी नही तो इलाज कैसे होगा ..मैं प्रॉमिस करता हूँ तेरा दर्द कम कर दूँगा "

दीप ने इस बार अपने दोनो हाथो के ज़ोर से उसे पेट के बल लिटाया और उसे अपनी तरफ खीचना शुरू किया ..निम्मी के पास भी इस वक़्त हालात से समझोता करने के अलावा और कोई चारा नही बचा था ..एक सोचा - समझा मज़ाक ऐसा दर्दनाक मोड़ ले लेगा उसने कल्पना भी नही की थी ..बस दीप को थोड़ा सा परेशान कर वो अपने कमरे से रुखसत कर देती ..लेकिन बात कहाँ तक पहुच गयी

" ऊपर तो उठा इसे "

जब निम्मी के चूतर उसकी सीध मे आ गये तब दीप ने उन्हे हाथ से थप थपा ऊपर उठाने को कहा ..निम्मी ने पहली बार किसी अग्याकारी बच्चा होने का सबूत दिया और अब उसकी गान्ड ठीक डॅड के चेहरे के सामने थी ..दीप ने एक लंबी साँस ली और अपनी नज़रें उसके दरार बंद चूतडो से जोड़ दी

" डॅड जो भी करो जल्दी करना ..मुझे सच मे बहुत पेन है "

निम्मी की बात पूरी भी नही हो पाई कि दीप की पॉकेट मे रखा सेल बजने लगा ..उसने सोचा तो था कि मोबाइल जेब से बाहर ना निकाले पर निम्मी ने अपनी गर्दन पीछे मोड़ कर उसे इशारे से कॉल पिक करने को कहा ..वो चाहती थी कि इस कॉल के बाद अगली सारी रुकावट ख़तम हो जाएँ और उसे अपने दर्द से जल्दी निजात मिल सके ..दीप ने जल्दी से सेल बाहर निकाला तो कॉल जीत का था ....

" हेलो जीत "

दीप ने कॉल पिक किया

" दीप तेरे लिए एक खुश - खबरी है "

जीत ने हंसते हुए जवाब दिया

" खुश - खबरी ? "

दीप पहले तो हैरान हुआ पर तुरंत ही उसे याद आया कि उसने जीत से उसकी सेक्रेटरी को चुदवाने के लिए राज़ी करने की बात कही थी

" हां साले ..खेर तू कर क्या रहा है अभी ? "

जीत ने उसका सवालिया जवाब सुन पूछा

" कुछ नही एक ज़रूरी मीटिंग मे बिज़ी हूँ ..हम 1 घंटे से बात करें "

दीप उसकी बात को सुन ना तो चाहता था पर उसकी नज़र निम्मी के दरार बंद चूतडो से हट कर उसके चेहरे पर पड़ी जिसमे उसकी बेटी मदद की गुहार लगाती दिखाई दी ..ये सोच कर दीप ने जल्दी कॉल को डिसकनेक्ट करने का मन बनाया

" तू और तेरी मीटिंग ..झूठे ज़रूर किसी चूत को चोदने मे लगा होगा ..खेर कैसी चूत है उसकी ..कभी मुझे भी शामिल कर भाई ..मिल कर चोदेन्गे "

जीत की इस बात ने दीप के अंदर छुपे शैतान को जगाने का काम किया और उसका फ्री हाथ अपने आप निम्मी के एक चूतड़ को मसल्ने के लिए बढ़ गया

" खेर जो भी होगा बता दूँगा ..अभी रख और समझ मेरी बात को ..मैं तुझे 1 घंटे से कॉल करता हूँ "

दीप ने थोड़ी ताक़त से निम्मी का चूतड़ मसला तो उसकी बेटी की दर्द और मज़े से भरी आह जीत के कानो मे भी जा पहुचि

" हा हा हा हा लगा रह ..छोड़ना नही भाई ..रगड़ कर चोदना रांड़ को ..चल मे रखता हूँ "

जीत ने इतना बोल कर हस्ते हुए कर कॉल काट दिया

दीप पर उसकी बातों का इतना गहरा असर पड़ा कि सामने उकड़ू बैठी निम्मी मे उसे रंडी की छवि दिखाई देने लगी

" डॅड अगर बात हो गयी हो तो कुछ करो ..आइ कान'त कंट्रोल अनीमोर "

निम्मी ने उसे नींद से जगाया और दीप अपनी सोच की कयास को पूरा करने मे जुट गया

" निम्मी पहली बात तो जो इस बंद कमरे मे हो रहा है प्रॉमिस मी ..बात सिर्फ़ हम दोनो तक ही रहेगी "

दीप ने सेफ हॅंड खेला

" शुवर डॅड ..प्रॉमिस किया "

निम्मी ने उसकी बात को रज़ामंदी दी और अगले ही पल दीप का दूसरा हाथ भी उसकी गान्ड को सहलाने मे लग गया

" बेटा इस कॅप्री तो थोड़ा और नीचे खीचना होगा "

दीप ने गांद की लकीर पर अपनी उंगली फेर कर कहा

" नीचे क्यों डॅड ? "

निम्मी ने शरम से बहाल होते हुए पूछा अगर कॅप्री और नीचे सरकती तो गांद के छेद के साथ उसकी अन्छुइ कुँवारी चूत भी दीप को दिखाई देती

" मैं जैसा कहता हूँ कर ..तुझे रिलॅक्स फील होगा बेटा "

दीप ने उसकी हां सुन ने से पहले ही अपने हाथ से कॅप्री को काफ़ी नीचे खीच दिया ..निम्मी ने पूरी ताक़ात लगा कर अपनी गान्ड को सिकोडा ताकि दरार ना खुल पाए और दीप चूतड़ो के कड़क पन से उसकी इस हरकत को ताड़ गया

" बेटा इन्हे ढीला छोड़ और पूरी तरह रिलॅक्स हो जा "

उसने हाथ के प्रेशर से चुतडो के पट को खोलते हुए कहा

" डॅड मुझे शरम आ रही है "

निम्मी ने और ज़ोर लगा कर उसके हाथो को ऐसा करने से रोकने की कोशिश की

" डॅड से कैसी शरम बेटा ..वैसे मैं जानता हूँ ये ग़लत है लेकिन मान मैं एक डॉक्टर हूँ और तू मेरी पेशेंट है ..तेरे इलाज के लिए ही मैं ऐसा कर रहा हूँ "

दीप ने उसे समझाया और निम्मी ने अपने पिछवाड़े को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया ..और अलगे ही पल एक बाप की आँखों के सामने खुद की बेटी का सुर्ख भूरा गांद का छेद और कुँवारी बिना झाटों की फूली चूत थी ..कॅप्री काफ़ी नीचे थी जिस से ये सीन और भी ज़्यादा कातिलाना था

" अब मैं तेरे दर्द का इलाज करता हूँ "

दीप ने उसे हल्का सा करवट दिलवाया और खुद का कंट्रोल खोते हुए बहुत सारा थूक गांद के छेद मे उडेल दिया ..इस ठंडे एहसास से निम्मी की जान ही निकल गयी ..वो खुद को संभाल पाती की इस से पहले ही दीप ने अपने होंठ छेद पर रखे और इतनी तेज़ी से थूक को सांसो से ज़रिए मूँह के अंदर खीचा कि निम्मी तड़प उठी ..उसे लगा कि जैसे उसकी आत्मा गान्ड के छेद से बाहर निकल जाएगी ..वो ज़ोर दे कर अपने आप को दीप की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करने लगी ..उसकी सिसकारियो से पूरा कमरा गूँझ रहा था ..पर दीप ने उसे कोई चान्स ना देते हुए अपनी जीब बाहर निकाल कर कुत्ते की तरह उस मुलायम छेद को चाटने लगा ..ना चाहते हुए भी निम्मी ने अपने हाथ से चूतडो की दरार को इतनी ताक़त से अलग किया कि उसे अपनी जाँघो मे फसि केप्री से दर्द महसूस होने लगा

" डॅड कॅप्री मेरी जाँघो मे फसि है ..मुझसे इस पोजीसन मे रहा नही जाएगा "

निम्मी ने अपना चेहरा पीछे घुमाया तो देखा दीप फटी आँखों से उसके यौवन को निहार रहा था ..तो क्या ये सिर्फ़ उसकी सोच थी कि डॅड उसके आस होल को बेरहमी से चाटे जा रहे थे ..सपने से बाहर निकल उसे अपने दर्द के ऊपर मदहोशी छाने लगी और लगा जैसे उसकी चूत बहने को तैयार हो

" तो कॅप्री उतार ले बेटा ..ला मैं मदद करता हूँ "

दीप के तो मन की मुरादें पूरी हो रही थीं ..जीत ने उसे जिस खुश - खबरी से रूबरू करना चाहा उससे दीप ने अनुमान लगा लिया था कि दोस्त ने दोस्ती निभाते हुए उस लड़की को चुदवाने के राज़ी कर लिया है और इस बात का असर ये हुआ कि निम्मी मे उसे इस वक़्त उसे वही लड़की दिखाई दी जिसने आज सुबह ही उसका का माल चखा था ..दीप ने आगे हाथ ले जा कर कॅप्री के सारे बटन अनलॉक किए और धीरे - धीरे कॅप्री को उसकी टाँगो के बाहर का रास्ता दिखा दिया ..अब निम्मी के जिस्म पर सिर्फ़ एक छोटी सी पैंटी रह गयी जो उसकी पुसी एरिया से नीचे थी और थ्रेड वाली ब्रा जिसके कप से बूब्स बाहर को लटके थे

" डॅड यहाँ जलन है "

निम्मी को अब दर्द तो नही था पर गान्ड के छेद मे उठ रही जलन उसे काफ़ी मीठा - मीठा एहसास करवा ने लगी और रही - सही कसर उसके सपने ने पूरी कर दी थी ..उसने सोचा जब दीप ने इतना सब देख ही लिया है तो क्यों ना अपने सपने को सच किया जाए ..ऐसा मन मे विचार कर उसने दीप का हाथ पकड़ा और उसकी उंगली को अपने मुलायम छेद से चिपका दिया ..दीप को ऐसा अनुमान कताई नही था और वो खुमारी के चलते उसी हाथ की दूसरी उंगली से अपनी बेटी की कुवारि चूत का ऊपरी हिस्सा खुजलाने लगा

" क्या यही दर्द है बेटा ? "

दीप ने अपनी उंगली को छेद पर घुमाव देते हुए कहा ..उसने छेद पर हल्का सा दवाव भी बना रखा था

" अहह........ यस डॅड "

निम्मी ने मादक सिसकी लेकर कहा

" तो एक काम कर ये पैंटी भी उतार दे ..इलाज करने मे मुझे आसानी रहेगी "

दीप ने बड़ी चालाकी से उसकी थ्रेड ब्रा की ढीली नाट को खोला और अलगे ही पल ब्रा बेड पर पड़ी थी ..हालाकी निम्मी को उसकी उंगलियों का स्पर्श अपनी पीठ पर हुआ ..लेकिन जो दीप कर रहा था कहीं ना कहीं वो भी तो यही चाहती थी

" ओके डॉक्टर "

निम्मी ने मुस्कुरा कर सिर्फ़ इतना कहा और बड़ी कातिल अदा के साथ अपनी पैंटी को टाँगो के बाहर कर दिया ..अब निम्मी पूरी तरह से नंगी थी

" बेटा थोड़ा क्रॅक्स तो फैलाना ..तब तक मैं सोचता हूँ आगे का इलाज कैसे करना है "

निम्मी ने उसकी बात को मानते हुए अपने दोनो हाथो से चूतडो की दरार को चौड़ा लिया ..नज़ारा ऐसा था कि दीप का हाथ खुद - ब - खुद पॅंट के ऊपर से अपना लंड सहलाने मे बिज़ी हो गया

" डॅड इस से ज़्यादा नही खोल सकती "

निम्मी ने फिर से अपना चेहरा पीछे घुमा कर कहा ..दीप को अपना लंड सहलाते देख उसकी चूत से रस की पहली धार बह निकली ..वो बुरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी


निम्मी ने फिर से अपना चेहरा पीछे घुमा कर कहा ..दीप को अपना लंड सहलाते देख उसकी चूत से रस की पहली धार बह निकली ..वो बुरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी

" नही इतना काफ़ी है "

दीप उसकी आवाज़ सुन होश मे आया और हाथ को तुरंत ही अपने लंड से हटा लिया

" बेटा बुरा ना माने तो एक बात कहूँ ? "

दीप ने उससे सवाल किया

" यस डॅड बोलिए ..आप की बात का बुरा कभी नही मानुगी "

निम्मी ने उसे प्यार से जवाब दिया

" तेरा फिगर बहुत अच्छा है निम्मी "

दीप ने उसकी चूत को बहता देख उसके गरम होने को कन्फर्म किया और शायद अब वो निम्मी को बातों मे भी पूरी तरह खोलना चाहता था ..ताकि तन के साथ मन से भी वो उसका साथ दे

" डॅड ऐसी बात मत करिए मुझे कुछ - कुछ होता है "

निम्मी ने शरमाने का नाटक किया ..मज़े से वो बहाल थी

" क्या कुछ - कुछ होता है बेटा ..अपने डॅड को नही बताएगी "

दीप ने उसे टटोलते हुए कहा और अपना चेहरा झुका कर चूत के ठीक ऊपर एक गहरी चुम्मि जड़ दी ..लगभग 10 सेक तक पूरी ताक़त लगा कर दीप ने उसकी जवानी को अपने अंदर खीच उसे तडपाया ..चूत के रस से उठती मादक खुश्बू से वो वाकिफ़ था

" उफफफफ्फ़ डॅड ..अगर ऐसा करोगे तो जाओ नही बताती ..मुझे शरम आती है "

निम्मी ने अपना चेहरा बेड पर बिछि शीट मे छुपा कर कहा लेकिन जब तक दीप चूत को अपनी जीब से चाट कर उसके रस की पहली धार निगल चुका था

" शरम की कोई बात नही बेटा ..जानता हूँ तू बिल्कुल नंगी अपने डॅड के सामने बैठी है ..पर कभी - कभी हालात ऐसे हो जाते हैं जब सारे रिश्तो को भूल जाना ही ठीक रहता है "

दीप के मूँह से ऐसी बातें सुन निम्मी ताड़ गयी कि अगर अब इस नाटक को यहीं ख़तम नही किया तो उसका अपने डॅड से चुदना तय है और तो और दीप ने अब तक उसके अन्छुए छेदो से छेड़खानी भी शुरू कर दी थी

" छ्हीईइ डॅड कितनी गंदी जगह चाट रहे हो और आप की बात का मतलब क्या है ? "

निम्मी ने गंदा सा मूँह बना कर उससे सवाल किया ..अपनी चूत का चाटा जाना उसे एक अलग ही मज़ा दे रहा था लेकिन बात इससे आगे ही बढ़ती जिसे रोकना भी ज़रूरी था

" मतलब ये कि इस दुनिया मे भले ही इंसान किसी भी रिश्ते से जुड़ा हो ..पर कुछ शारीरिक ज़रूरतें ऐसी होती हैं जो उन रिश्तो से परे हैं ..सॉफ शब्दो मे कहो तो चूत - चूत होती है चाहे अपनी बेटी की हो या किसी पराई औरत की ..रही बात चाटने की तो मेरी बेटी के बदन मे कुछ भी गंदा नही ..मैं अभी इस गांद के छेद को चाट कर तेरा सारा दर्द मिटा दूँगा "

दीप इस बार चूत की जड़ से जीभ फेरते हुए गांद के छेद तक पहुचा

एक पल उसकी खूबसूरती को निहारा और अगले ही पल उस छेद मे अपनी जीब को अंदर तक डाल कर चूसने लगा ..निम्मी इस सुखद छेड़ - छाड़ से लगभग पागल सी हो गयी ..दीप के मूँह से डाइरेक्ट चूत और गान्ड शब्द का इस्तेमाल होता देख उसे ना चाहते हुए भी अपने नाटक का दा एंड करना पड़ा

" डॅड शायद अब मुझे दर्द से राहत मिल गयी है मैं कपड़े पहेन लेती हूँ "

निम्मी ये बोल कर उसकी पकड़ से आज़ाद हुई और बेड से नीचे ज़मीन पर उतरने लगी ..दीप के लिए तो ये खड़े लंड पर धोखा था ..वो सोच नही सकता था कि निम्मी इस कदर अपनी उत्तेजना को शांत कर लेगी

" बेटा दर्द का इलाज होना ज़रूरी है ..वरना फ्यूचर मे दिक्कत हो सकती है "

दीप ने उसे बेड से उतरने से रोका पर निम्मी जब तक ज़मीन पर खड़ी हो चुकी थी

" डॅड अगर कभी दर्द होगा तो मैं आप को बता दूँगी "

निम्मी वॉर्डरोब की तरफ जाती हुई बोली ..उसके बड़े - बड़े तने बूब्स और उभरी गान्ड देख दीप का मन नही माना ..उसने देखा वो वॉर्डरोब से अपने कपड़े बाहर निकाल रही है ..प्लान चौपट होता समझ दीप भी बेड से नीचे उतर कर उसके करीब जा पहुचा

" निम्मी सुन मेरी बात ..मैं तेरा हर दर्द पूरी तरह से ख़तम कर दूँगा ..बिलीव मी बेटा मैं तेरा भला ही चाहता हूँ ..चल वापस बेड पर चलते हैं "

दीप ने अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ पलटाया और अगले ही पल निम्मी की आँखें उसके तने लंड से जा चिपकी ..पॅंट के ऊपर का फुलाव देख वो दीप से दो कदम पीछे हट गयी

" डॅड ये क्या है ? "

निम्मी ने एक हाथ अपने खुले मूँह पर रखा और दूसरे से उसके लंड की तरफ इशारा कर पूछा ..दीप ने उसकी बात समझ तुरंत ही लंड को अपने हाथो से कवर किया लेकिन तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी

" वो ..वो ..बेटा वो "

दीप की तो घिघी बंद गयी ..अगर बेड पर सिड्यूसिशन की हालत मे निम्मी ने ये सवाल किया होता तो दीप बात को संभाल सकता था ..लेकिन अब उसकी बेटी एक दम नॉर्मल दिख रही थी ..उसने ने अपनी गर्दन को नीचे झुका लिया

" वो क्या दद ..सॉफ - सॉफ बताओ मुझे "

निम्मी ने उसे मायूस होता देख अपना दवाब बनाया

" न ..न ..निम्मी वो मैं उत्तेजित हो गया था तो कंट्रोल नही कर पाया "

दीप के मूँह से सच सुन एक पल तो निम्मी के चेहरे पर मुस्कान आई पर अगले ही पल वो किसी सोच मे डूब गयी

" उत्तेजित ..यानी अब तक आप इलाज का बहाना कर मेरी न्यूड बॉडी के मज़े ले रहे थे "

निम्मी ने अपना दूसरा प्लान स्टार्ट किया और उसकी बात सुन दीप की आँखों के आगे अंधेरा छा गया ..निम्मी ने उसकी चोरी पकड़ ली थी

" ओह माइ गॉड डॅड ..मैं कितनी बेवकूफ़ हूँ जो मैने आप की बात मान कर अपने कपड़े उतारे और तो और आप कितनी घिनोनी बातें मेरे सामने कर रहे थे ..पुसी - पुसी होती है चाहे बेटी की हो या किसी दूसरी औरत की ..सीधा - सीधा क्यों नही कहते डॅड ' यू वॉंट टू फक मी ' "

ये बोल कर निम्मी रोने का नाटक करते हुए वॉर्डरोब से सॅट कर ज़मीन पर बैठ गयी ..उसने जान कर अपनी टाँगो की जड़ को पूरा खोल रखा था ..ताकि अभी दीप को और परेशान कर सके

" बेटी "

दीप ने उसे आवाज़ दी

" मत कहो मुझे बेटी डॅड ..आप ने वो हक़ खो दिया है ..मैने इस घर मे सबसे ज़्यादा आप को प्यार किया पर आप की नीयत मे खोट है ..आओ कर लो अपनी हवस पूरी दर्द से बिलखती इस बेटी के साथ ..कम ऑन डॅड फक मी आंड बिकम आ रियल डॉटर फकर "

निम्मी ने रोते हुए अपना चेहरा नीचे झुका लिया ..अब दूसरा प्लान यहीं ख़तम कर वो चुप हो गयी

" आइ'म सॉरी बेटा मुझे माफ़ कर देना "

फर्श पर गिरते आँसू देख कर निम्मी को दीप के रोने का पता चला ..वो अपनी नज़रें ऊपर उठाती इस से पहले ही दीप पलट कर कमरे के गेट पर पहुच गया

" गेट लॉक कर लेना "

दीप ने एक लास्ट बार निम्मी के चेहरे को देखा और अपने आँसू पोंछ कर कमरे से बाहर निकल गया

" लो हो गया बँटा धार "

दीप के कमरे से बाहर जाते ही निम्मी ने अपना माथा ठोक कर कहा

" मैने सोचा नही था डॅड रो देंगे ..शायद कुछ ज़्यादा ड्रामा हो गया ..कोई बात नही कम से कम फ्यूचर के लिए तो डॅड मेरे काबू मे आ ही गये ..अब बारी है उस बस्टर्ड निकुंज की ..जिसका गेम ओवर मैं कल से करूँगी "

इतना सोच कर निम्मी के चेहरे पर एक चिर परिचित हसी लौट आई और वो गेट लॉक करने चल दी ....
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नीचे हॉल मे जाने से पहले दीप 1स्ट फ्लोर पर बने गेस्ट रूम मे एंटर हुआ और वॉश बेसिन के टॅप से अपना चेहरा धोने लगा ..चेहरा धो कर उसने पास के हॅंगर पर टँगे टवल से उसे पोन्छा और तभी उसकी नज़र सामने लगे शीशे से जा टकराई ..शीशे मे खुद का अक्स देख कर उसे अपने चेहरे से नफ़रत सी हो गयी ..एक भूका भेड़िया बन कर थोड़ी देर पहले वो अपनी सबसे प्यारी बेटी के जिस्म से खेल रहा था ..वो बेचारी दर्द से तड़प रही थी और उसका बाप हवस से अँधा हो कर उसे चूसे जा रहा था ..कितना बदल गया था आज दीप ..उसने एक पल भी खुद को इस बात के लिए नही धिक्कारा जब उसके हाथ अपनी ही बेटी के ढके जिस्म को बेपर्दा करने मे लगे थे ..वो कराह रही थी और उसका बाप उसके नाज़ुक अंगो को मस्ती से चाट रहा था ..अपनी कितनी घिनोनी सोच भी बेटी को ज़ाहिर कर दी कि चूत चाहे घर की हो या बाहर की अंतर कुछ भी नही ..जिसकी वजह से निम्मी इस दुनिया मे आई आज उसे ही चोदने निकल पड़ा था उसका बाप

" छ्हीईई लानत है तुझे और तेरी सोच को ..जा मर जा चुल्लू भर पानी मे डूब के "

दीप ने सारी बातें सोच कर खुद को कोसा और तेज़ कदमो से सीढ़िया उतरता हुआ घर के बाहर जाने लगा

हॉल मे अभी भी वो तीन शक्स मौजूद थे जिन्हे थोड़ी देर पहले दीप ने ये बोल कर रोका था कि वो अपनी बेटी से बात करने जा रहा है और उसे इस दौरान किसी भी तरह का कोई डिस्टर्बेन्स नही चाहिए

" कहाँ जा रहे हैं ..चाइ तो पीते जाइए "

कम्मो ने उसे मैन गेट पर रोकते हुए कहा

" एक ज़रूरी काम है ..रात मे लेट हो जाउन्गा "

दीप ने बिना उसकी शकल देखे जवाब दिया और मेन गेट के पार निकल गया ..घर के बाहर खड़ी कार के पहियो ने रफ़्तार पकड़ी लेकिन उनकी मंज़िल का मुकाम तो शायद उन्हे घुमाने वाले मालिक को भी नही पता था

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रात के 11 बज चुके थे पर दीप अब तक घर नही लौटा ..वैसे ये कोई नयी बात नही वो हमेशा 1 के बाद ही वापस आता था लेकिन जिस हाल मे वो आज घर से बाहर गया कम्मो सोच - सोच कर घबराए जा रही थी ..घर की दोनो बेटियाँ अपने कमरो मे और निकुंज हॉल मे बैठा लॅपटॉप पर कुछ काम मे बिज़ी था

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सेल बजने की आवाज़ से दीप की नींद मे खलल पड़ा ..वो इस वक़्त अपने ऑफीस के बेड रूम मे सो रहा था

" हेलो "

उसने नींद मे ही कॉल पिक किया

" जनाब चुदाई से निपटे या अभी भी व्यस्त हो "

लाइन की दूसरी तरफ जीत था

" नही यार थोड़ा आराम कर रहा था "

दीप ने अपनी बंद आँखो को खोल कर जवाब दिया ..सामने की दीवार घड़ी मे 11:30 बज रहे थे

" अभी से नींद आ गयी ..खेर तूने कॉल नही किया ..लगता है खुश - खबरी मे तुझे कोई इंटेरेस्ट नही "

खुश - खबरी शब्द कान मे पड़ते ही दीप की बची नींद भी हवा हो गयी और वो उठ कर बेड पर बैठ गया

" ऐसी बात नही है भाई ..वो थोड़ा आँख लग गयी थी ..सुना क्या सर्प्राइज़ है ? "

दीप ने उसे रिप्लाइ किया

" सुन अगर मैं कहूँ कि हमारी इस दोस्ती को रिश्तेदारी मे बदलना चाहता हूँ तो कैसे रहेगा ? "

जीत ने उससे सवाल किया

दीप :- " रिश्तेदारी !!! "

जीत :- " हां यार "

दीप :- " यू मीन निकुंज और तनवी ? "

" बिल्कुल ..खेर ये तो मेरी सोच है बाकी तुझे जैसा ठीक लगे "

जीत की बात से दीप बहुत खुश हुआ

" यार मुझे तो कोई ऑब्जेक्षन नही ..बल्कि ये तो हमारी ख़ुशनसीबी होगी अगर तनवी मेरे घर की बहू बने ..बस एक बार निकुंज से पूछ लूँ फिर कोई स्पस्ट जवाब दे पाउन्गा "

दीप ने उसे अपनी रज़ामंदी दे कर कहा

" हां ये बिल्कुल सही रहेगा ..बच्चो की हां से ही कुछ बात बन पाएगी "

जीत को भी दीप की बात सही लगी

दीप :- " तनवी की क्या मर्ज़ी है ? "

जीत :- " अभी पूछ लेता हूँ ..तू एक काम कर निकुंज का कोई फोटो मुझे MMएस कर दे ..मैं तुझे तनवी का करता हूँ "

दीप :- " भाई फोटो तो अभी नही है ..मैं घर से थोड़ा दूर हूँ "

जीत :- " तो फिर नींद कहाँ पूरी कर रहा है ? "

दीप :- " ऑफीस मे हूँ "

जीत :- " चल ठीक है कल सुबह कर देना ..पर मैं अभी कर देता हूँ "

दीप :- " ओके ..मैं कल निकुंज का जवाब भी दे दूँगा "

जीत :- " गुड नाइट "

दीप :- " बाइ "

दीप ने ये बोल कर कॉल डिसकनेक्ट कर दिया ..कुछ ही मिनट बाद उसके सेल पर एक MMएस आया ..दीप ने फाइल को ओपन किया ..धीरे - धीरे एक लड़की का धुँधला चेहरा मोबाइल की स्क्रीन पर क्लियर होने लगा ..जब फोटो फुल क्लियर हुई तो उसे देखते ही सेल दीप के हाथ से छूट कर बेड पर गिर पड़ा ..उसने काँपते हाथो से मोबाइल को वापस ऊपर उठाया और झटके से फिर छोड़ दिया

" जिसने आज सुबह मेरा लंड चूसा और जिसको चोदने के लिए मैने जीत से मदद माँगी वो कोई और नही जीत की अपनी बेटी तनवी ही थी "

दीप को फिर कोई होश ना रहा शायद आज लगे दोनो झटके उसे गहरी नीद मे ले जाने के लिए काफ़ी थे

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वहीं दूसरी तरफ जीत के घर मे बाप और बेटी पूरी तरह से नंगे बेड पर लेटे थे

" क्या डॅड ..मेरा फोटो म्‍मस कर आपने मेरे आशिक का लंड फिर से खड़ा कर दिया होगा "

तनवी ने जीत के निपल को अपनी जीभ से कुरेद कर कहा

" नही मेरी जान ..जब उसे पता चला होगा कि तू मेरी बेटी है तो उसकी गांद फट गयी होगी ..साला दिन मे मुझसे कह रहा था कि तुझे चोदने मे मैं उसकी मदद करूँ "

जीत ने प्यार से तनवी के बालो मे अपना हाथ घुमाते हुए कहा

" हां और मैने आपके कॅबिन मे अंकल का लंड भी तो चूसा था ..हे हे हे हे ..वाकई उन्हे झटका लगा होगा "

तनवी चाट ते हुए उसके पेट तक पहुच चुकी थी

" लगता है मेरी बेटी को मेरे दोस्त का लंड काफ़ी पसंद आया जो अब उसके घर बहू बन कर जाना चाहती है "

जीत ने अपना लंड सहला कर कहा जिस से तनवी के मूँह की दूरी मात्र इंचो मे थी

" बिल्कुल डॅड ..अंकल का लंड बहुत बड़ा है ..चुसते हुए मेरे गले से नीचे उतर गया था फिर भी मैने हिम्मत नही हारी और उन्हे पूरा प्लेजर दिया ..वैसे भी आप को तो पता है कि मुझे मिचयोर्ड मॅन कितने पसंद है "

तनवी ने अपने गीले नरम होंठो से लंड का सुपाड़ा चूम कर कहा

" अहह....... मैं ये भी जानता हूँ कि तुझे जितना मज़ा लंड चूसने मे आता है उतना किसी और चीज़ मे नही ..पता नही दीप के घर का क्या हाल करेगी "

जीत तनवी के चूतडो को अपनी तरफ खीचते हुए बोला

" डॅड मुझे मर्द का वीर्य पीना भी अच्छा लगता है ..अब आप खुद को ही देख लो ..जब तक दिन मे 4 - 5 बार मेरे मूँह मे वीर्य नही डालते आप को खुद चैन नही आता "

जीत के इशारे को समझ कर तनवी 69 की पोज़िशन मे आ गयी

" तेरे मूँह मे जादू है बेटी "

इतना कह कर जीत ने उसकी रस छोड़ती चूत को जी भर के सूँघा और अपनी जीब से चाटने लगा

" उफफफफफफ्फ़...... डॅड ज़ोर से ..खा जाओ इसे "

वहाँ जीत ने जीब चूत पर मचलाई और यहाँ तनवी ने उसके लंड को चूसना शुरू कर दिया

[ भले ही ये बाप - बेटी अभी नंगे लिपटे पड़े हों पर सच तो ये है कि तनवी पूरी तरह से वर्जिन थी ..जीत की पत्नी के मरने के बाद वो दूसरी शादी कर सकता था लेकिन तनवी की खातिर उसने खुद की शारीरिक भूख से समझोता कर लिया ..तो इस ग़लत रिश्ते की शुरूवात कैसे हुई ये जान लेना भी बेहद ज़रूरी है ]

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रश्मि रॉय :- जीत की पत्नी और तनवी की मा

शादी के बाद जीत अपनी बीवी के साथ यूएसए चला गया ..वहाँ पर उसने जी भर के पैसा कमाया ..पर जो ख़ास बात उसमे शुरू से रही वो थी रश्मि के लिए उसका बेशुमार प्यार और जिस के चलते उसने जीते जी रश्मि को कोई दुख नही दिया ..भले ही शादी से पहले उसने इंडिया मे रह कर अपने बचपन के दोस्त दीप के साथ कयि जनाना जिस्म नोचे होंगे लेकिन रश्मि से शादी होने के बाद तो जैसे वो बिल्कुल पत्नी व्रता हो गया ..4 साल बाद तनवी का जनम हुआ और जीत - रश्मि का परिवार पूरा हो गया

15 साल तक दोनो मिया बीवी ने जम कर अपनी लाइफ को एंजाय किया ..फिर चाहे नॉर्मल लाइफ हो या सेक्स लाइफ ..जीत मर्द था तो पहल उसी की होती लेकिन एक बार शुरूवात होने के बाद रश्मि अपना वो रूप दिखाती जो शायद किसी बाज़ारू रंडी के भी बस के बाहर होता ..सेक्स के वक़्त वो इतना ज़ोरो से चिल्लाति थी कि घर के बाहर से गुज़रता हर इंसान उसकी सिसकियों से हैरान रह जाता

दोनो मिया बीवी ने कभी सेक्स को जल्दबाज़ी मे नही किया ..रात बीतने पर रश्मि उसे अपनी कातिल अदाओ से रिझाती ..धीरे - धीरे जीत उत्तेजित हो कर रश्मि को चूमता - चाट ता ..सहलाता ..गरम करता और जब चूत का लंड से असली मिलन होता तब दोनो इतने सिड्यूस्ड हो चुके होते कि झड़ने के बाद उन्हे अगले राउंड की कोई ज़रूरत ही नही पड़ती ..फुल सॅटिस्फॅक्षन उनके चेहरे को और भी ज़्यादा खुशनुमा बना देता

तनवी की उमर छोटी होने तक तो दोनो घर के किसी भी कोने या किसी भी वक़्त चुदाई कर पाते पर जैसे - जैसे उनकी बेटी का शारीरिक और मानसिक विकास हुआ ..उनके क्रिया कलापो मे अंतर आया ..फिर कुछ समाए पश्‍चात बात केवल रात पर पहुचि वो भी एक बंद कमरे मे ..आज़ादी के बन्दो को ऐसी सूं - चट चुदाई रास नही आई और सेक्स का खेल काफ़ी कम हो गया

एक बार जीत को किसी काम से जर्मनी जाना पर वो भी पूरे दो सालो के लिए ..उसने रस्मी और तनवी को अपने साथ ले जाने का फ़ैसला किया लेकिन रश्मि ने ये बोल कर उसे इनकार कर दिया कि तनवी की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ेगा क्यों की अब वो अपनी हाइयर स्टडीस की तरफ बढ़ रही है

रश्मि की बात को समझ जीत अकेला जर्मनी के लिए निकल पड़ा और यहाँ यूएसए मे केवल मा और बेटी रह गये ..एक रात तनवी के साथ उसकी क्लासमेट सिम्मी उनके घर आई और डिन्नर कर रात मे ग्रूप स्टडी का बोल कर दोनो तनवी के रूम मे चली गयी ..रश्मि ने उस रात घर का काम निपटाया और सोने के लिए अपने कमरे की तरफ जा ही रही थी कि उसे तनवी के रूम से कुछ सिसकियाँ और आहें बाहर आती सुनाई दी ..एक एक्सपीरियेन्स्ड औरत को समझते देर नही लगी की उसकी बेटी के बंद कमरे मे आख़िर चल क्या रहा है ..उसने ना चाहते हुए भी डोर के की होल से अंदर झाँका तो उसका शक यकीन मे बदल गया

दोनो लड़कियाँ आपस मे चिपकी एक दूसरे को बुरी तारह से चूम रही थी ..बेड के पास रखे लॅपटॉप पर एक लेज़्बीयन मूवी के चलते सीन को दोनो हक़ीक़त का रूप देने मे व्यस्त थी

इस बात से पूरी तरह अंजान कि कमरे के बाहर खड़ी तनवी की मा बड़े आश्चर्य से उनकी करतूत पर नागाह डाले हुए है ..

रश्मि ने देखा कि कुछ देर बाद दोनो ने अपने कपड़ो को उतार कर दूर फेक दिया ..अब तनवी सिम्मी की गोद मे नंगी बैठी थी और सिम्मी उसके बूब्स बड़ी बेरहमी से चूस रही थी

कुछ देर बाद नज़ारा तेज़ी से बदला और सिम्मी ने तनवी की चूत चाट कर उसे झड़ने पर मजबूर कर दिया एक हाथ से वो खुद की चूत भी मसल रही थी

दोनो कुवारि कन्याओं ने जी भर कर एक दूसरे की छेड़ - छाड़ का आनंद लिया और ये देख कर रश्मि बड़े भारी मन से अपने बेड - रूम मे एंटर हुई लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी ..विदेशी परिवेश का इतना गहरा असर तनवी पर पड़ेगा रश्मि ने इसकी कल्पना तक नही थी ..उसने तुरंत अपने पति को इस घटना से रूबरू करवाना चाहा लेकिन जीत का परेशान होना ध्यान मे आते ही उसने तनवी को इस तरह के अप्राक्रातिक संबंधो से बाहर लाने का विचार किया ..लेकिन कैसे बस वो इसी सोच मे डूबी थी

अब तनवी हर रात किसी नयी लड़की के साथ घर लौट ती और बेचारी रश्मि घुट - घुट कर अपने बेड - रूम मे रोती रहती ..इसका असर ये हुआ कि तनवी ने खुल कर घर मे नंगा नाच मचा दिया ..वो घर मे ना के बराबर कपड़े पहन्ति और अपनी मर्ज़ी के मुताबिक लड़कियों से यौन संबंध बनाती

एक दिन तनवी को पता चल गया कि उसकी मा छुप - छुप कर उसकी हरकतों को देखती है ..रश्मि की तरफ से कोई ऑब्जेक्षन ना होता जान तनवी की हिम्मत दुगनी हुई और वो पूरी तरह से लेज़्बीयन मे कॉनवर्ट हो गयी ..रह - रह कर होती घुटन से रश्मि ने बिस्तर पकड़ लिया और फिर वो कभी सही नही हो पाई

2 साल पूरे होने पर जीत यूएसए से घर लौटा ..वापस आते ही उसने रश्मि की हालत पर गौर किया लेकिन तब तक काफ़ी वक़्त बीत चुका था ..हर संभव इलाज करवाने पर भी जब रश्मि की मौत का दिन आया तब उसने जीत के सामने तनवी के लेज़्बीयन होने के राज़ को बे परदा किया और जीत से इस बात का वादा लिया कि वो तनवी को सुधार कर धूम - धाम से उसकी शादी करेगा ..ये आख़िरी शब्द थे जिन्हे बोलते हुए रश्मि ने सदा के लिए अपनी आँखें बंद कर ली ....

रश्मि के गुज़र जाने से जीत की दुनिया तो जैसे बर्बाद ही हो गयी ..वो पूरे दिन शराब के नशे मे रहने लगा यहाँ तक कि तनवी के लिए उसके दिल मे अब सिर्फ़ नफ़रत ही बची थी

वहीं दूसरी तरफ अपनी मा से बिछड़ जाने का तनवी को अफ़सोस तो ज़रूर हुआ लेकिन उसे ये वहज कतई पता नही चल पाई कि आख़िर रश्मि की तबीयत अचानक से खराब क्यों रहने लगी थी ..वैसे भी रश्मि ने एक बार भी अपनी बेटी की निजी ज़िंदगी पर कोई ऑब्जेक्षन नही उठाया था ..अगर वो तनवी को प्यार से समझाती तो शायद उसकी बेटी अपनी नॉर्मल लाइफ मे दोबारा लौट सकती थी ..जीत अपना पूरा दिन घर से बाहर बिताता ..देर रात घर लौट ता तो भी तनवी की मनहूस शकल देखने का मन नही करता ..नशे से बनाया ताल्लुक उसका गम हल्का करने को काफ़ी था

एक दिन शाम को जीत नशे की हालत मे जल्दी घर आ गया ..उस वक़्त तनवी मार्केट गयी हुई थी ..जीत ने घर खाली देख अपनी जेब से बची शराब की बोतल को बाहर निकाला और हॉल मे ही पीने लगा ..30 मिनट बाद दूसरी की से मेन गेट अनलॉक कर तनवी हॉल मे एंटर हुई ..ये पहली मर्तबा हो रहा था कि वो अपने डॅड को लाइव पीते देख रही थी ..खेर तनवी के मन मे उसके के लिए कोई बदलाव नही था और ना ही इस बात का अंदाज़ा कि जीत उसे रश्मि का कातिल मानता है

लगभग 10 दिनो बाद दोनो एक दूसरे के सामने आए थे ..तनवी इस बात से खुश हो कर दौड़ती हुई जीत के करीब पहुचि और सोफे पर उसके बगल मे बैठ गयी ..अब मा के बाद वही उसकी लाइफ मे अहेम रोल रखने वाला था

" डॅड ये बोतल छोड़ो मैं कुछ खाने को ला देती हूँ "

तनवी ने बड़े प्यार से उसे समझाते हुए शराब का ग्लास छीन ने की कोशिश की ..जीत ने एक नज़र उसके मुस्कुराते चेहरे को घूर कर देखा और अगले ही पल वो ज़ोर से चिल्लाया

" दूर हो जा मेरी नज़रो के सामने से "

लाइफ मे पहली बार तनवी अपने डॅड से घबराई ..माना रश्मि के गुज़रने के बाद वो काफ़ी अकेला पन महसूस कर रहा था लेकिन इसका ये मतलब नही कि वो अपनी औलाद को ही भूल जाए

" डॅड आप ने बहुत पी ली है ..अब छोड़ो ग्लास को "

तनवी ने उसकी बात को अनसुना करते हुए ग्लास पर अपनी पकड़ मज़बूत कर दी

" देख तनवी मैं तुझे आख़िरी बार वॉर्न कर रहा हूँ ..मुझे अकेला छोड़ दे "

जीत ने उसे सोफे से धकेल कर कहा और नतीजा ये हुआ कि शराब का ग्लास ज़मीन पर गिर कर टूट गया

" मैने कहा ना जा यहाँ से "

ग्लास फूटने से जीत फिर चिल्लाया

" बस बहुत हुआ डॅड कब तक ऐसी नशे की ज़िंदगी से जुड़े रहेंगे ..मोम के जाने का दुख मुझे भी है लेकिन इसका मतलब ये नही कि मैं सारे काम काज छोड़ कर ..शराब पीती रहूं ..हटो मैं ये बॉटल रख के आती हूँ "

हलाकी ये बात तनवी ने गुस्से का नाटक करते हुए जीत से कही लेकिन उसकी बात सुन जीत अपने आपे से बाहर हो गया ..बाकी बचा काम शराब पूरा करने को काफ़ी थी

" चटाकककककककक.......... "

इस से पहले तनवी के हाथ टेबल पर रखी बॉटल को उठा पाते जीत ने पूरी ताक़त से उसके गाल पर थप्पड़ मार दिया ..थप्पड़ की गूँज पूरे हॉल मे सुनाई दी और तनवी सोफे से नीचे गिर पड़ी ..एक पल को तो जीत भी हैरान हुआ कि ये उसने क्या कर दिया लेकिन अगले ही पल उसे राशि की कही सारी बातें याद आने लगी

" साली कुतिया ..सिर्फ़ तेरी वजह से मेरी बीवी इस दुनियाँ से रुखसत हुई है और हिम्मत तो देखो मुझसे ज़ुबान लड़ाती है "

जीत ने तनवी को ज़मीन से ऊपर उठाने की कोई कोशिश नही की बल्कि ऊपर से एक लात और मारी लेकिन तनवी थोड़ा दूर खिसक कर उस चोट से बच गयी

" व्हाट ..यू मीन मैने मोम को मारा ? "

तनवी ने अपना चेहरा जीत की तरफ घुमाते हुए पूछा ..उसके गाल पर जीत की पाँचो उंगलियाँ उभर आई थी ..लेकिन अपने दर्द की परवाह ना करते हुए वो फिर से जीत के करीब आ गयी

" हां छिनाल तूने मारा मेरी रश्मि को ..बहुत शौक है ना तुझे लौन्डियो से चुदने का ..आज मैं तेरी सारी भूख शांत कर दूँगा "

ये बोल कर जीत ने तनवी के करीब आते ही अपने हाथ से उसकी मुलायम गर्दन को दबोचा और पूरी ताक़त लगा कर दबाने लगा ..इंसान से वहशी बन चुका वो दरिन्दा एक छोटी सी ग़लत फहमी के चलते अपनी फूल सी नाज़ुक बेटी को जान से मारने पर उतारू हो गया था

गला दबने से तनवी बुरी तरह से फड़फड़ाने लगी ..उसकी साँस पूरी बिल्कुल रुक गयी ..मरता क्या ना करता ..जब पुरज़ोर कोशिशों के बाद भी वो छूट नही पाई तो उसने ने अपना घुटना मोड़ कर जीत के टट्टो पर दे मारा ..हलाकी ये बस उसने जीत की पकड़ से आज़ाद होने के लिए किया था ..जीत के हाथ अपने आप उसके गले से हट गये ..वो ज़ोर से चीखा और सोफे पर गिर पड़ा

" तनवीीईईईई....... "

जीत के मूँह से निकली दर्द भरी चीख और हाथो से उसे अपना लंड मसल्ते देख तनवी होश मे आते ही फिर से उसके करीब आने की ग़लती कर बैठी

" डॅड आइ'म सॉरी ..मैने जान कर नही किया "

तनवी ने उसे तड़प्ते देख अपनी ग़लती के लिए माफी माँगते हुए कहा ..जीत की आँखें बंद थी और वो बहुत तेज़ी से साँसे ले रहा था ..उसके चेहरे पर आते दर्द के भाव देख तनवी का दिल पसीज गया और वो रोने लगी

" हाथ हटाओ डॅड ..मुझे देखना है कहीं ज़्यादा तो नही लगी "

तनवी ने बिना कुछ सोचे समझे जीत का हाथ उसके लंड से हटाया और अगले पल एक बेटी के हाथ मे अपने बाप का सोया हुया लंड था ..उसका हाथ अपने लंड पर पड़ने के बाद भी जीत ने कोई हरकत नही की ..शायद चोट के चलते उसके दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था

" अहह....... "

लगातार निकलती दर्द भरी आहों का ये नतीजा हुआ कि तनवी ने उसके सर को सोफे पर टिका कर रिलॅक्स करवाया और अपने मन को मजबूत कर उसकी जीन्स खोलने लगी ..बेल्ट निकाल कर उसने ज़मीन पर फेका और बटन अनलॉक कर जीन्स के अंदर अपना हाथ डाल दिया ..जीत का सोया लंड अब डाइरेक्ट उसके हाथ की गिरफ़्त मे था ..लंड के सुपाडे पर तनवी की उंगलियों की खुरचन से जीत का होश लौटने लगा ..हलाकी तनवी ने ये सिर्फ़ अपने डॅड के प्रति प्यार की खातिर किया था लेकिन उसके कोमल हाथो के स्पर्श से लंड के खून मे उबाल आने लगा

" डॅड आर यू ओके ..ये जीन्स बहुत टाइट है इसे उतारना पड़ेगा "

तनवी ने अपने दूसरे हाथ से जीत का गाल थप - थपा कर कहा

" डॅड आप सुन रहे हो "

तनवी के इतना बोलते ही जीत ने अपनी आँखें खोली और बेटी का हाथ जीन्स के अंदर से लंड को मसलता पाया ..शराब ..बीवी की मौत ..और अब खड़े होते लंड से बढ़ती दिमागी हवस ..तीनो काफ़ी थे उसका कंट्रोल खोने के लिए

" साली अपने बाप को मारती है ..रुक बता ता हू तुझे दर्द क्या होता है "

जीत होश मे आ कर ऐसी बात करेगा तनवी को यकीन नही था ..उसने डर के मारे अपना हाथ जीन्स के बाहर खीच लिया ..कुछ देर पहले मिले मौके का फ़ायदा उठा कर वो अपने कमरे मे खुद को बंद कर सकती थी मगर किस्मत ..अब वो फिर से जीत की पकड़ मे थी

" डॅड लीव मी मैने जान कर नही किया ..लेट मी एक्सप्लेन डॅड "

तनवी की बात को अनसुना करते हुए जीत ने उसे अपने ऊपर खीचा और अगले ही पल वो जीत की जाँघो पर पेट के बल लेटी थी

" आज मैं तेरा वो हाल करूँगा कि तुझे खुद से नज़रत हो जाएगी "

बोलते देर नही हुई कि जीत ने उसके लोंग वाइट टॉप कम स्कर्ट को उसकी कमर के ऊपर चढ़ाया और नीली पैंटी को नीचे खीच कर उतारने लगा


क्रमशः................................................
WOW MAST UPDATE :shockedd: :shout:
[ भले ही ये बाप - बेटी अभी नंगे लिपटे पड़े हों पर सच तो ये है कि तनवी पूरी तरह से वर्जिन थी ..जीत की पत्नी के मरने के बाद वो दूसरी शादी कर सकता था लेकिन तनवी की खातिर उसने खुद की शारीरिक भूख से समझोता कर लिया ..तो इस ग़लत रिश्ते की शुरूवात कैसे हुई ये जान लेना भी बेहद ज़रूरी है ]
 
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" डॅड छोड़ो मुझे ..मैं आपकी बेटी हूँ ..लीव मी डॅड "

तनवी ने रोते हुए उससे बचने की गुहार लगाई लेकिन जब तक जीत पैंटी को उतार कर दूर फेक चुका था ..बड़े - बड़े मखमली चूतडो से जीत की आँखें चमक उठी ..जो दर्द मिटाने के लिए तनवी ने उसके लंड को मसला था अब वो उसी लंड रूपी दिमाग़ से अपनी बेटी को देख रहा था

" चटाकककककक..... "

एक ज़ोर का थप्पड़ तनवी के गोरे चूतडो पर पड़ा

" आाआईयईई........ डॅड ..लीव मी "

तनवी ने अपने हाथ पीछे ले जाकर जीत के हाथ को रोकने की कोशिश की

" हाथ दूर कर वरना और ज़ोर से मारूँगा "

जीत ने उसका हाथ मरोड़ कर कहा पर तनवी ने छटपटाना बंद नही किया

" लगता है तू ऐसे नही मानेगी "

जीत ने उसे ज़मीन पर गिराते हुए कहा ..तनवी ने फ्लोर से उठने की कोशिश मे अपने हाथ से टेबल को पकड़ा और घुटनो के सहारे खुद को खड़ा करने लगी

" फॅट - फॅट ..फॅट - फॅट "

जीत ने फ्लोर पर पड़ी खुद की बेल्ट से उसके चूतडो पर वार करना चालू कर दिया ..तनवी की चीखों की परवाह ना करते हुए उसने पूरे चूतडो पर खून निकाल दिया

" बोल कमीनि अब मारेगी अपने बाप को "

जीत ने हैवानी की हर हद को पार करते हुए उसे जम कर पीटा

" आहह...... डॅड ..कभी नही करूँगी "

तनवी दर्द से बहाल हो कर ज़मीन पर लॉट लगाने लगी ..चुतडो के साथ अब जीत की आँखों ने अपनी बेटी की वर्जिन चूत को भी जी भर कर देखा ..बीवी की मौत का इससे अच्छा बदला वो कभी नही ले पाता ..तनवी मे उसे सिर्फ़ और सिर्फ़ रश्मि के कातिल होने की छवि दिखाई दे रही थी

" चल अपना टॉप उतार और मुझे नंगा कर "

जीत ने हंसते हुए उसे ऑर्डर दिया ..तनवी की आँखों से निकलते आँसू और दर्द की चीखो से उसे असीम आनंद की प्राप्ति हुई

" डॅड ऐसा मत करो मैं आप की बेटी हूँ "

तनवी ने अपने हाथ जोड़ कर उससे रहम की भीख माँगी

" बेटी नही रखेल बोल ..आज मैं तुझे लंड की उपयोगिता से रूबरू कर्वाउन्गा ..तब जा कर तुझे पता चलेगा कि सिर्फ़ अपनी चूत चटवा लेने से लड़की औरत नही बनती ..चल फटाफट बिना किसी ऑब्जेक्षन के नंगी हो जा "

जीत ने बेल्ट को हवा मे घुमा कर बोला ..तनवी ने डर के मारे अपने टॉप को झट से उतार फेका ..वो समझ गयी कि आज जीत उसे कताई नही छोड़ेगा

" शब्बाश मेरी चुद्दो रानी ..अब जल्दी से मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर "

तनवी नंगी खड़ी हाथो से अपना यौवन छुपाये हुए रो रही थी ..उसकी हिम्मत नही हुई जीत को हाथ लगाने की

" चटाकककक..... "

बेल्ट के एक और प्रहार ने जीत का काम आसान कर दिया ..तनवी ने झट से उसकी टी-शर्ट को उतार कर फ्लोर पर गिरा दिया

" चल अब घुटनो पर बैठ कर मेरा जीन्स उतार "

जीत खुद उसके सर पर दवाब बनाते हुए उसे ज़मीन पर बिठाने लगा

" डॅड हम बातों से सारी ग़लत फहमियाँ दूर कर लेंगे ..लीव मी "

तनवी की बात सुन जीत ने उसके खुले बालो को पूरी ताक़त से खीचते हुए उसे लताड़ दिया

" ग़लत - फहमी ..चल वो सब बाद मे ..अभी मेरा जीन्स खोल "

ना चाहते हुए भी तनवी के हाथो ने जीन्स को ब्रीफ सहित नीचे खीच दिया लेकिन उसकी आँखें कतई उसके हाथो का साथ नही दे रही थी

" अपनी आँखें खोल तनवी "

जीत ने बाल की पकड़ से उसका चेहरा अपने खड़े लंड की तरफ़ खीच कर कहा

" आआईयईईई...... डॅड "

तनवी ने बालो के दर्द से मूँह तो खोला लेकिन उसकी आँखें अभी भी बंद थी

" तनवी ये लास्ट बार कह रहा हूँ अपनी आँखें खोल ले ..वरना तुझे इतना मारूँगा कि सदा के लिए तेरी आँखें बंद हो जाएँगी "

जीत ने अपनी पकड़ को बालो पर मजबूत करते हुए कहा ..मजबूरी मे तनवी को उसकी बात मान नी पड़ी और अगले ही पल जीत का खड़ा भयानक लंड उसके गाल पर थपकी दे रहा था

" कैसा लगा अपने बाप का लंड बेटी ? "

जीत ने हँसते हुए उससे पूछा मगर तनवी खामोश रही ..ये उसकी लाइफ का पहला लाइव लंड था जो उसकी आँखों के इतना करीब था वो भी उसके सगे बाप का

" बोल कुतिया कैसा लगा अपने बाप का लंड और मुझे मेरे हर सवाल का जवाब हां मे चाहिए ..समझी ना तू "

जीत ने लंड के सुपाडे को उसके नरम होंठो पर घिसते हुए कहा

" हां "

तनवी ने बेहद धीमी आवाज़ मे जवाब दिया

" क्या हां ..अरे मैं पूछ रहा हूँ कैसा लंड है तेरे डॅड का जिससे तूने इस दुनिया मे कदम रखा ..बोल ? "

जीत ने फिर से हँसते हुए पूछा ..तनवी की ऐसी हालत देख वो बेहद प्रसन्न था

" अच्छा है "

तनवी रोते हुए बोली पर आवाज़ का स्तर अभी भी कमजोर था


" पूरा बोल ..यहाँ कोई शॉर्ट टर्म क्वेस्चन नही चल रहे "

जीत ने हुंकार भरी

" डॅड आप का लंड अच्छा है "

तनवी के मूँह से लंड नामक देशी शब्द सुन कर जीत को परम संतोष हुआ

" तो अपने बाप का लंड चूसेगी नही ..जवाब तुझे पता है क्या देना है और पूरा सेंटेन्स बोलना "

जीत ने उसके एक बूब को बुरी तरह मसल कर कहा ..तनवी के शरीर पर ये पहला मर्दाना टच था वो भी किसी गैर इंसान का नही अपने बाप का

" हां डॅड मैं आप का लंड चूसुन्गि "

तनवी ने जवाब तो दिया लेकिन सिर्फ़ मार के डर की वजह से

" तो सूंघ इसे और बता कैसी खुश्बू है इसकी "

जीत ने सुपाडे को उसकी नाक से सटा कर कहा ..तनवी को सूंघना पड़ा और पहली बार उसने अपने अंदर आता सेडक्षन महसूस किया

" अच्छी खुश्बू है डॅड "

जीत ने अपने लंड की तारीफ़ सुन ठहाका लगाया

" वही तो मैं भी कहना चाहता था कि औरत की असली प्यास सिर्फ़ लंड ही बुझा सकता है ..चल फटाफट चूस इसे और अगर तेरे दांतो ने कोई भी ग़लत हरकत की तो तू सच मे जान से जाएगी "

जीत ने इतना बोल कर उसी बूब के निपल को बुरी तरह से दबा दिया तनवी की चीख से उसका मूँह खुला और अगले ही पल जीत का साढ़े सात इंच का लंड हाफ तनवी के मूँह मे था और वो बुरी तरह से चौंक हो गयी

" अहह..... तनवी ..यू लुक लाइक आ रियल स्लुट ..सक इट बेबी ..प्यार कर इससे ..तेरी किस्मत मे तेरे डॅड का लंड लिखा है "

तनवी के मूँह मे लंड जाते ही जीत की आह निकल गयी ..उसके लंड की गोलाई के मुक़ाबले उसकी बेटी का मूँह काफ़ी छोटा था ..जीत को एहसाह हुआ जैसे किसी कुँवारी चूत मे अपना लंड घुसेड दिया हो

" चल मेरी आँखों मे देखते हुए चूसना चालू कर "

अब तक तनवी ने मूँह को ज़रा भी नही हिलाया था ..उसने आँखें ऊपर उठाई तो अपने वहशी बाप का हँसता चेहरा दिखाई दिया ..जिसे देख तनवी के आँसू और तेज़ी से बहने लगे

" नही आता चूसना मेरी बच्ची को ..चल मैं सिखाता हूँ ..मेरे लंड की टिप पर अपनी जीभ से मालिश कर और अपने होंठो से जैसे लॉलीपोप चूस्ति है वैसे चूस "

जीत की बात सुन तनवी ने कोई रेयेक्सन नही दिया बस वो रोती आँखों से अपने बाप के चेहरे को देखे जा रही थी ..जीत ने एक करारा शॉट मारा और लंड जड़ समेत उसके गले तक उतर गया ..तनवी की चिन टट्टो से और सर उसके पेट से चिपक गया

तनवी ने अपना दर्द बताने की गरज से जीत के चूतडो पर अपने हाथो का दवाब डाला क्यों कि जीत ने मस्त हो कर अपने शरीर को तनवी पर झुका लिया था

वो छटपटाती रही और लगभग 10 - 15 सेक एंजाय करने के बाद जीत ने आधा लंड वापस बाहर खीच लिया

" हाए रे अब पता चला तड़प क्या होती है ..तेरी मा तेरे लेज़्बीयन होने की बात सह नही पाई और उसे इस दुनिया से जाना पड़ा ..मैं सिर्फ़ उससे किए वादे को पूरा कर रहा हूँ तुझे सुधार कर धूम धाम से तेरी शादी करूँगा "

जीत के मूँह से ये बात निकली और अलगे ही पल उसने तनवी के बालो को छोड़ दिया ..उसका सारा नशा एक पल मे काफूर हो गया ..थूक से सना लंड तनवी के मूँह से पूरा बाहर निकल आया

तनवी उसकी पकड़ से आज़ाद होते ही खाँसती हुई ज़मीन पर लेट गयी और जीत तेज़ कदमो से चलता हुआ अपने कमरे मे आ गया

रूम की दीवार पर टन्गी अपने परिवार की तस्वीर देख जीत पूरे 2 घंटे रोता रहा ..उसने खुद को जान से मारने के लिए फाँसी का फँदा बनाया लेकिन तनवी के अनाथ होने का सोच कर उस पर झूलने की हिम्मत नही जुटा पाया ..मन मे फ़ैसला किया कि वो अपनी ग़लती को सुधारेगा और यही सोचते हुए वो कमरे से बाहर निकला

तनवी के रूम मे जाने के लिए उसे हॉल को पार करना था ..हॉल मे आते ही उसके बढ़ते कदम रुक गये ..देखा तो तनवी अभी भी ज़मीन पर लेटी थी ..जीत दौड़ कर उसके पास पहुचा

" तनवीीईई...... "

4 - 5 बार जीत ने उसे आवाज़ दी लेकिन तनवी बेहोश पड़ी थी ..जीत ने उसे गोद मे उठाया और उसके कमरे की तरफ बढ़ गया ..बेड पर उसे लिटाने के बाद जीत की नज़र उसके चूतडो पर बने चोट के निशानो पर पड़ी जिन्हे थोड़ी देर पहले जीत ने खुद अपनी बेल्ट से मार - मार कर बनाया था

उसने अपने काँपते हाथ को घाव पर रखा ही था कि तनवी नींद मे भी दर्द महसूस कर छट - पटाने लगी ..जीत ने रोते हुए एक बार तनवी के बालो मे अपना हाथ फेरा और उसके कमरे से बाहर निकल गया

हॉल की टेबल पर रखी शराब की बॉटल उसने डस्टबिन मे फेक दी और कसम खाई कि आज के बाद वो अपनी बेटी को सिर्फ़ प्यार ही प्यार देगा ....

अगले दिन सुबह 7 बजे तनवी की नींद खुली ..रात को हुई घटना के कुछ अंश उसके जेहन मे मौज़ूद थे ..करवट लेते वक़्त उसे अपने पिछवाड़े मे दर्द हुआ और वो कराह उठी ..जैसे तैसे बेड का स्टॅंड पॉइंट पकड़ कर उसने खुद को बिठा पाई

" मैं तो हॉल मे थी फिर अपने कमरे मे कैसे आई और ये कपड़े "

रात को जीत जब उसे हॉल से उठा कर कमरे मे लाया तब तनवी पूरी तरह से बेहोश थी ..कमरे मे लाने के बाद जीत ने उसके वॉर्डरोब से कपड़े निकाल कर उसका नंगा बदन ढका ..वो चाहता था कि तनवी के घाव पर दावा भी लगा दे लेकिन उससे दोबारा अपनी बेटी का न्यूड बदन छुना गवारा नही हुआ और वो कमरे से बाहर निकल कर हॉल के सोफे पर बैठे - बैठे सो गया

तनवी सोच मे डूब गयी कि उसकी मा ने दम तोड़ने से पहले जीत से क्या कहा था ..लेज़्बीयन वाली बात से अगर रश्मि के दिल को इतनी ही चोट पहुचि थी तो क्या वो एक बार तनवी को टोक नही सकती थी ..दुनिया मे हर इंसान की पसंद - ना पसंद अलग होती है फिर चाहे वो रोज़मर्रा की बातें हों या सेक्स से जुड़ी


तनवी शुरू से सिंगल सेक्स एजुकेशन स्कूल मे पढ़ी ..मर्द के नाम पर उसने सिर्फ़ जीत को जाना था ..दिन के वक़्त वो अपनी स्कूल फ्रेंड्स के साथ बिताती और रात का टाइम मोम - डॅड के साथ ..जीत अपने बिज़्नेस के काम मे बिज़ी रहता और रश्मि अपने नेचर की वजह से तनवी से दूर थी

अक्सर देर रात जब जीत तनवी के कमरे मे उससे मिलने जाता उस वक़्त उसकी बेटी अपने सपनो की दुनिया मे होती और सुबह जब तनवी स्कूल के लिए निकलती तब जीत उसे सोता मिलता

पेरेंट्स और बच्चो के बीच अगर बातचीत का गॅप बढ़े तो ये दोनो के लिए खराब होता है

एक दिन स्कूल मे तनवी वॉशरूम मे सूसू कर रही थी ..इस के बाद उसने खड़े हो कर अपने कपड़े सही किए और टाय्लेट से बाहर जाने लगी ..उसने देखा गेट अंदर से लॉक था

" अभी 5 मिनट पहले तो मैं यहाँ आई थी फिर ये गेट किसने बंद किया "

उसके मूँह से निकला और वो वापस गेट से अंदर की साइड लौट गयी ..थोड़ा आगे पहुच कर उसने महसूस किया कि वॉश बेसिन के पास कोई है ..वो दीवार के दूसरी तरफ बने सीनियर गर्ल्स के टाय्लेट मे एंटर हुई और सामने बनी पट्टी पर वो सीन चल रहा था जिसे देख कर तनवी के होश उड़ गये ..स्कूल की सबसे सीनियर क्लास की 2 लड़कियाँ टाय्लेट मे मौजूद थी ..तनवी ने देखा कि एक लड़की पट्टी पर अपनी टांगे चौड़ा कर बैठी है और दूसरी लड़की का मूँह उसने अपनी टाँगो मे फसा रखा था ..पट्टी पर बैठी लड़की ( जया ) की आँखें बंद और अपने हाथ से दूसरी ( निशा ) के बाल सहलाते हुए तेज़ी से साँसे भी ले रही थी ..तनवी के लिए ये पहला सेक्स सीन था ..वो हैरान हो कर दोनो की कारिस्तानी पर अपनी नज़रे जमाए खड़ी थी

[ विदेश मे रहने वाले इंडियन्स के बच्चो के लिए भारतीय स्कूल होते हैं और ये भी उनमे से एक था ..तभी ना तो तनवी के रहेन सहन मे कोई ख़ास अंतर आया ना ही बातचीत के लहजे मे ]

" निशा मज़ा नही आ रहा ..अंदर तक जीभ डाल ना "

जया ने निशा से कहा और उसकी आँखें खुल कर सामने खड़ी तनवी से जा टकराई ..नज़रें मिलते ही जया ने निशा को अपने से अलग किया और तनवी फटी आँखों से उसकी नंगी चूत को देखने लगी ..स्कर्ट के नीचे जया नेकड़ थी ..निशा को तुरंत समझ नही आया कि मॅटर क्या है और जया ने उसे धक्का क्यों दिया

" चाट तो रही हूँ तेरी चूत को अगर मज़ा नही आ रहा तो साली लंड डलवा ले "

निशा ने नाराज़ हो कर कहा

" न ..निशा तनवी "

जया ने अपने हाथ मे पकड़ी पैंटी वापस पहनते हुए कहा और निशा ने पलट कर पीछे देखा तो तनवी डर कर वहाँ से जा रही थी

निशा स्कूल की सबसे दम दार बंदियों मे से थी ..बिना किसी घबराहट के उसने तनवी को आवाज़ दी

" तनवी इधर आ फटाफट "

तनवी के कान मे निशा की आवाज़ पड़ते ही उसकी बढ़ते कदम रुक गये ..उसने पलट कर देखा तो निशा हाथ हिला कर उसे अपने पास बुला रही थी

" द ..द ..दीदी ..वो छुट्टी हो गयी है ..मुझे घर जाना है ..बस मिस हो जाएगी "

तनवी सिर्फ़ इतना बोल कर चुप हो गयी

" बस को जाने दे ..मैं तुझे तेरे घर छोड़ दूँगी ..अब आ मेरे पास "

निशा ने थोड़ा ऊँची आवाज़ मे कहा और तनवी धीरे - धीरे कदमो से चलती हुई उन दोनो के पास पहुच गयी

" हम जो कर रहे थे तुझे अच्छा लगा देखने मे ? "

निशा ने तनवी से सॉफ लफ़ज़ो मे पूछा

" पता नही दीदी मैं तो सूसू करने आई थी "

तनवी ने लो वाय्स मे जवाब दिया

" जया ..एक काम करते हैं ..खाली क्लास मे चलते हैं ..टाय्लेट सेफ नही है "

निशा ने जया को आँख मारते हुए कहा ..खेली - खिलाई जया उसके इशारे को समझ मुस्कुरा दी और तीनो लड़कियाँ टाय्लेट से 3 कमरे छ्चोड़ 4थ मे एंटर हो गयी

" गेट लॉक कर दे "

निशा ने तनवी को ऑर्डर दिया और जया के साथ चलती हुई टीचर की चेर पर बैठ गयी

" सुन जया ..ये अभी कच्ची कली है ..आज इसकी जवानी का पहला रस पी कर मज़ा आ जाएगा और ये किसी से बोलने लायक भी नही रहेगी ..बस तू मेरा साथ देना "

निशा की बात सुन कर जया ने हां मे अपना सर हिला दिया और तब तक तनवी भी गेट लॉक कर टेबल की दूसरी तरफ खड़ी हो गयी

निशा :- " देख तनवी तू मुझे दीदी बोलती है ना ? "

तनवी :- " जी दीदी "

निशा :- " लेकिन आज मुझे अपना टीचर समझ "

तनवी ने सवालिया चेहरे से जया की तरफ नज़रें उठाई जो निशा के ठीक पीछे खड़ी मुस्कुरा रही थी

जया :- " तेरे साथ मैं भी आज निशा की स्टूडेंट हूँ "

जया ने प्लान को आगे बढ़ाया और तनवी को हां करनी पड़ी

निशा :- " पहली बात तो ये जो मैं कहूँगी वो तुम दोनो को करना पड़ेगा और दूसरी ये कि इस बात को तुम दोनो मे से कोई बाहर के आदमी को नही बताएगा "

जया :- " ओके मेडम "

निशा :- " तनवी तू भी नही बताएगी "

तनवी :- " नही बताउन्गि "

" तो फिर क्लास शुरू करते हैं ..तनवी तू इस टेबल पर लेट जा "

निशा की बात सुन तनवी की घबराहट बढ़ गयी ..अगर वो निशा से डरती ना होती तो कतई उसके साथ इस खाली क्लास मे नही आती

निशा :- " मैने कहा लेट जा "

निशा ने स्टार्टिंग से तनवी पर अपना दवाब बनाते हुए कहा और चेर से उठ कर उसे को टेबल पर लिटाने मे मदद की

" जया तुझे पता है ना क्या करना है "

निशा की बात सुन जया ने तनवी का चेहरा ऊपर उठाया और अपने होंठ उसके होंठ से जोड़ दिए

तनवी के लिए ये एक नया एहसास था ..जया ने पूरी ताक़त लगा कर उसके होंठो को चूसना स्टार्ट कर दिया ..साथ ही उसने अपनी जीभ भी उसके मूँह मे डालने की कोशिश की लेकिन तनवी ने अपना मूँह नही खोला ना ही जया के होंठो को अपने होंठो का कोई रेस्पॉन्स दिया

पास खड़ी निशा की आँखें ताड़ गयी कि जब तक सेडक्षन का एहसास तनवी को नही होगा ऐसी हज़ार किस्सस उसके लिए बेकार हैं ..उसने प्लान मे से किस सीन को हटाया और जया के पास जा कर उसकी स्कर्ट उतार दी ..वहीं जया ने किस के साथ तनवी के बूब्स को भी ज़ोरो से मसला ताकि वो थोड़ी तो गरम हो सके ..लेकिन सब बेकार गया तनवी अभी भी किसी लाश की तरह टेबल पर लेटी थी

" छोड़ो एक दूसरे को और अपने कपड़े उतार दो "

निशा ने उनका किस तूडवाया और खुद टेबल पर बैठ गयी ..जया के हाथ अब अपनी स्कूल शर्ट को खोल रहे थे लेकिन तनवी मूक खड़ी निशा को देखे जा रही थी

" ऐसे क्या देख रही है ..जो तेरे पास है वही तो मेरे पास भी है "

निशा ने टेबल पर बैठ कर अपनी टाँगे फैला रखी थी साथ ही पहनी हुई रेड पैंटी को साइड मे खिसका कर चूत का व्यू खोल दिया ..जिसे तनवी बड़े गौर से देखने मे लगी थी

" कुछ नही दीदी "

तनवी ने शरमा कर जवाब दिया उसे लगा निशा ने उसकी चोरी पकड़ ली है

" जानती है इसे क्या कहते हैं ? "

निशा ने अपनी दो उंगलियों से चूत की फांको को स्प्रेड किया

" पुसी "

तनवी ने अपने मूँह पर हाथ रख स्लो वाय्स मे उसे जवाब दिया

" हां वो तो हर पढ़ने वाली लड़की को पता होता है ..पर लड़के इसे आम भाषा मे चूऊऊओत कहते हैं "

निशा ने चूत वर्ड को लंबा खीच कर कहा और तनवी ने हां मे अपना सर हिला दिया

निशा :- " क्या कहते हैं इसे ? "

तनवी :- " चूऊऊओट "

तनवी ने भी उसकी तरह वर्ड को खीचा तो जया और निशा ज़ोर से हस दी

" चूऊऊथ नही चूत "

जया ने उसे समझाया कि वर्ड छ्होटा है और इस बार तनवी के चेहरे पर भी हसी आ गयी

निशा :- " चल फटा फट अपने कपड़े उतार "

और तनवी ने इस बार उसकी बात को मान कर अपनी स्कर्ट ढीली कर दी

थोड़ी देर बाद तीनो लड़कियाँ सिर्फ़ स्कूल लेगैंग्स मे आ गयी ..निशा के इशारे पर जया तनवी को थामे टेबल पर बैठी थी और अगले ही पल कमरे मे बहुत ही हॉट अट्मॉस्फियर क्रियेट हो गया

निशा ने तनवी की दोनो टाँगो को अपने कंधे के पार निकाला और बिना किसी देरी के चेहरा आगे लाते हुए जीब से चूत को चाट कर गीला करने लगी

टाय्लेट मे जया और निशा के बीच जो भी कुछ चला उसे देख कर तनवी कन्फर्म थी कि अब उसके साथ भी वैसा ही कुछ होगा लेकिन ऐसा सुखद एहसास उसकी कल्पना से परे था ..अपनी चूत जिसे उसने अब तक सिर्फ़ मूतने के लिए यूज़ किया था उस पर निशा की गीली ज़ुबान टच होते ही तनवी के दिमाग़ की बत्ती जली और वो बुरी तरह से अपने हाथ पैर फटकारने लगी

" आहह..... ..द ..दीदी ..गुदगुदी हो रही है "

तनवी के मूँह से कप - कपाते बोल फूटे ..जया ने बड़ी मजबूती से उसके हाथो को अपने क़ब्ज़े मे किया हुआ था और टांगे चौड़ाने मे निशा ने तनवी पर कोई रेहेम नही बक्शा ..उसकी वर्जिन चूत का इतना खुला व्यू देख निशा की जीब अपने आप ही उसकी फांको पर मचलने लगी

" अच्छा लगा तनवी ? "

निशा ने आँखें मूंद रखी तनवी से लास्ट बार सवाल किया और जवाब सुने बगैर ही फांको के अंदर तक अपनी जीब को घुसा दिया ..एक उंगली से वो गांद के छेद और चूत के मिड्ल हिस्से को खुज़ला रही थी

" आईईईईईईईई...... "

तनवी उस खुजली को महसूस कर सिहर उठी और दूसरी तरफ जया के हाथ उसके कोमल चुचियों को मसलने मे बिज़ी हो गये ..तनवी अब मस्त थी

निशा ने अपनी उंगली का प्रेशर उसके भग्नासे पर डाला और हल्के दांतो के स्पर्श से उसे काटने लगी

" डीडीिईईईईईई........ "

तनवी का रोम - रोम खिल उठा ..ऐसा मीठा दर्द तो हर कुवारि लड़की को असीम आनंद की प्राप्ति कर देता है फिर तनवी उससे कब तक अछूति रहती ..उसने अपने हाथ को नीचे ले जाते हुए निशा के सर पर दवाब डाला

" लव मी...... "

तनवी ने चिल्लाया और निशा ने रस से सराबोर चूत पर अपने होंठ और तेज़ी से कस दिए ..जब भी वो चूत के रस को अपने गले से नीचे उतारती उसमे पुरज़ोर ताक़त का इस्तेमाल होता

" खा जाओ इसे..... "

इतना बोल कर तनवी का बदन अकड़ गया ..उसकी टांगे सुन्न हो गयी ..एक्सपीरियेन्स्ड निशा समझ गयी लड़की का काम होने वाला है और अगले ही पल उसने तनवी को करवट दिला दिया

" कंट्रोल तनवी ..अभी तो शुरूवात है "

निशा ने हँस कर चूत से अपना चेहरा हटाते हुए कहा ..जब स्त्री चर्म - सीमा पर हो और किसी तरह से उसका फॉल रुकवा दिया जाए तो वो रहम की भीख माँगने पर उतारू हो जाती है ..यही हाल तनवी का हुआ ..अपने आप ही उसके हाथ निशा के सर को वापस अपनी चूत पर दबाने लगे


" दीदी प्लीज़ रूको नही "

तनवी ने तड़प्ते हुए चिल्लाया

" मेरी गुड़िया रानी ..सबर कर सबर "

निशा ने उसकी तड़प को नज़र अंदाज़ करते हुए अपनी गरम साँसें गांद के मुलायम छेद पर छोड़ दी

" दीदी यहाँ नही ..डर्टी है "

तनवी ने अपना आस - होल सिकोडते हुए कहा

" कुछ डर्टी नही मेरी जान ..चल ढीला छोड़ खुद को "

निशा ने करवट ली तनवी के चूतडो की दरार को खोला और अगले ही पल उसकी जीब की थिकरण गांद के मुलायन छेद पर अपना कहर बरपा रही थी

" आईईईईईई मम्मी "

तनवी ने टेबल पर उठ कर बैठना चाहा लेकिन जया ने उसे हिलने तक का मौका नही दिया

" फॅक्त....... "

निशा की उंगली ने वर्जिन चूत मे प्रवेश कर लिया और साथ ही गान्ड के छेद से वो तनवी की जान को अपने अंदर क़ैद कर रही थी ..चूत का मूँह सिर्फ़ इतना खुला कि जिसमे उंगली घुमा कर निशा उसके कुंवारे पर्दे की छेद - छेड़ सके

" हमम्म्ममम......... "

उंगली के अंदर बाहर होने से तनवी अपना सार पागलो की तरह टेबल पर पटक देती और गांद हवा मे लहराते हुए काँप जाती ..निशा ने जया को इशारे से उसे छोड़ने को कहा और अगले पल जया टेबल से नीचे उतर गयी

" स्वीटी अब लास्ट राउंड है ..तू टेन्षन ना ले ..सब चंगा होगा "

निशा ने टेबल पर चढ़ते हुए तनवी के घुटने मोड़ दिए जिससे उसका निचला यौवन खुल कर बाहर आ गया ..एक नज़र जया के चेहरे को देखा जो नीचे बैठ कर चूत पर अपनी लार गिराए जा रही थी ..दोनो मुस्कुराइ और फाइनल राउंड स्टार्ट कर दिया

चूत और आस - होल पर एक साथ झपट्टा मार दोनो लड़कियों ने तनवी को रुला दिया ..जहाँ निशा टेबल पर बैठी उसके आस - होल को बेरहमी से चाट रही थी वहीं नीचे बैठी जया चूत चाट ते हुए अपनी एक उंगली तेज़ी से अंदर बाहर करने मे लगी थी

तनवी इस दोहरे मज़े से अपने बाल नोचते हुए आँसू बहाने लगी ..उसके चेहरे पर खून का उबाल था और चीखों मे इतनी ताक़त की अगर कमरे के बाहर से कोई भी गुज़रता तो रेप होना समझ कर सिहर जाता ..तनवी ने 2 - 4 मुक्के टेबल पर जड़ते हुए आह ली ..टाइम था उसकी लाइफ के पहले ऑर्गॅज़म का ..शरीर की ऐंठन उसके बस से बाहर हो गयी

" दिदीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ......सूसू........ "

तनवी ने इस बार प्रेयर की कोई रुकावट बीच मे ना आए और अपना कंट्रोल पूरी तरह से खोते हुए झड़ने लगी ..जया किसी बिल्ली की तरह चूत से चिपकी थी ..फव्वारे पर फवारे छूटे ..उसने अपने होंठो को खोलते हुए 3" की पूरी चूत अपने मूँह मे समा लिया ..निशा ने गांद के छेद को तुरंत ही छोड़ा और जया के पास फ्लोर पर बैठ गयी

" कमीनी रस को अकेले मत पी जाना ..मैं भी हूँ "

निशा ने हँसते हुए जया का सर चूत पर दबाते हुए कहा

सब कुछ भूल कर तनवी ने आनंद के सागर मे गोते लगाते हुए चूत रस की आख़िरी बूँद को भी जया मे मूँह मे छोड़ दिया

जब तनवी की साँसे थोड़ी नॉर्मल हुई तो उसने अपनी आँखें खोल कर चूत पर हाथ फेरा ..पूरी चूत रस से सराबोर थी ..एक सुखद एहसास पाने से उसका रोम - रोम पुलकित था ..उसे होश आया कि उसके साथ निशा और जया भी क्लास मे हैं तो वो उठ कर टेबल पर बैठ गयी ..नज़र फ्लोर पर बैठी उन दोनो छिनालो पर डाली जो उसकी जवानी का पहला पानी एक दूसरे को चूमने के ज़रिए गले से नीचे उतार रही थी

" छ्ह्हीईईइ दीदी मेरा सूसू पी लिया "

तनवी की आवाज़ से दोनो की किस टूट गयी ..निशा ने हाथ के इशारे से तनवी को अपने पास बुलाया

" ये ले तू भी चख ले तेरी जवानी ..मेरी जान यही तो सेक्स है "

तनवी के लाख मना करने पर भी निशा ने उसे नही छोड़ा और 10 - 15 सेक तक अपनी जीभ से उसके पूरे मूँह का टेस्ट बदल दिया

" अब जल्दी करो हम काफ़ी लेट हो गये हैं और तनवी अगर तुझे सेक्स के बारे मे ज़्यादा जान ना है तो ये ले डीवीडी ..रात मे जब घर के सारे मेंबर सो जाएँ तब देखना "

जया ने सारे कपड़ो को इकट्ठा कर कहा और तीनो निशा की कार से अपने - अपने घर की तरफ चल दी

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" टॅंग - टॅंग - टन्ग - टॅंग "

बाहर हॉल मे लगी घड़ी ने 8 बजे का साउंड दिया और तनवी अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर आ गयी ..इतना गरम और हॉट सीन जिसके जहेन मे आया हो उसका सिड्यूस होना लाज़मी है लेकिन यहाँ तो तनवी की आँखों मे आँसुओ के सिवा कुछ नही था ..वो खुद को रस्मी का कातिल मान कर ज़ोरो से रोने लगी ..उसकी इतनी छोटी ग़लती के लिए मा ने अपनी जान दे दी

" मैं अब इस घर मे नही रहूंगी ..वरना मैं डॅड को भी दुखी करूँगी ..चाहे मरु या जियु पर आज मेरा आख़िरी दिन है इस घर मे "

तनवी की ग्रॅजुयेशन का लास्ट एअर चल रहा था और इसके बाद उसे एमबीए करना था ..यही सोचते हुए उसके कदम बाथरूम की तरफ़ बढ़ गये ..चलते हुए जाने कैसे उसने अपने दर्द को संभाला होगा ......

क्रमशः///////////////////////////
WOW SUPER UPDATE
तनवी सोच मे डूब गयी कि उसकी मा ने दम तोड़ने से पहले जीत से क्या कहा था ..लेज़्बीयन वाली बात से अगर रश्मि के दिल को इतनी ही चोट पहुचि थी तो क्या वो एक बार तनवी को टोक नही सकती थी ..दुनिया मे हर इंसान की पसंद - ना पसंद अलग होती है फिर चाहे वो रोज़मर्रा की बातें हों या सेक्स से जुड़ी
 

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