पापी परिवार--4
" डॅड यहाँ दर्द से मेरी जान निकली जा रही है और आप को बातों का मज़ाक सूझ रहा है "
निम्मी ने अपने एक चूतड़ को हाथ के पंजे मे दबोच कर मसल दिया ..उसकी सिसकारियों का तो कोई पार ही नही था
" नो बेटा ..आइ'म नोट किडिंग ..तुझे बेवजह ऐसा लग रहा है "
दीप की लार उसकी हाफ - न्यूड पीठ पर गिरती इस से पहले उसने खुद को समहाला और निम्मी के दर्द को महसूस कर अपने माइंड को डाइवर्ट करने की कोशिश की
" डॅड लगता है आप को भी मेरी कोई फिकर नही ..एक काम करो वहाँ वॉर्डरोब से एक पेन किल्लर निकाल दो ..मैं खा लूँगी "
निम्मी ने दीप को सेंटी डाइयलोग मारा और वापस पीठ के बल लेट गयी ..कहीं ना कहीं उसकी भी हालत बिन पानी की मछ्ली की तरह हो रही थी ..आज अपने भरे योवन मे पहली बार ऐसा मौका आया था जब एक बाप अपनी बेटी को अध - नंगी हालत मे देख रहा था और शायद उत्तेजित भी हो
निक्की के करवट लेने से उसकी थ्रेड नेट ब्रा थोड़ी लूज हुई और उसके एक कंधे पर अटका स्ट्रॅप खिसक कर कप के पॅरलेल आ गया ..वैसे भी ब्रा के अंदर छुपे बूब्स का हर हिस्सा पूरी तरह से विज़िबल था और नुकीले निपल्स नेट से बाहर निकलने को आमदा हो रहे थे ..दीप ने अपने सूख चुके गले को थूक निगल कर राहत पहुचाई ..दोनो की आँखें फिर मिली और दीप ने घबरा कर अपनी नज़रें नीची कर ली
" सिर्फ़ पेन किल्लर खाने से कुछ नही होगा निम्मी ..अक्सर बाथरूम मे गिर कर लगने वाली चोट फ्यूचर तक प्राब्लम देती है ..तो हमे डॉक्टर को बुला लेना चाहिए "
दीप एक तरफ मर्द की तारह सोच रहा था और दूसरी तरफ बेटी के दर्द को ले कर परेशान भी था ..पर सिचुयेशन बहुत हॉट थी निम्मी के दर्द की वजह से लंबी - लंबी साँसे लेना जिस से बूब साइज़ काफ़ी तेज़ी से बढ़ता कम होता जा रहा था
" नो वे डॅड ..डॉक्टर से मुझे बहुत डर लगता है ..प्लीज़ हेल्प मी डॅड ..प्लीज़ "
निम्मी ने अब रोने का नाटक स्टार्ट किया ..छटपताकर उसने ब्रा इतनी ढीली कर दी कि एक निपल लगभग पूरा बाहर निकल आया ..दीप का तो मानो खून जम चुका था और पॅंट के अंदर खड़े लंड ने ऐन्ठ कर रहम की भीख माँगनी शुरू कर दी
" सँभाल अपने आप को निम्मी "
दीप ने ना चाहते हुए अपने हाथ उसके गरमाये सपाट पेट पर रखे और उसे छटपटाने से रोकने लगा ..पर निम्मी तो सोच कर लेटी थी या तो आज अपने बाप को काबू मे करेगी या हमेशा के लिए उसके दिल से उतर जाएगी ..वो और भी ज़्यादा मटकने लगी ..कभी - कभी दीप का हाथ उसके बूब्स से टकराता तो दोनो की आह एक साथ निकल जाती
" डॅड कोई और रास्ता तो होगा ना ? "
निम्मी ने अपनी उखड़ती सांसो को चालू रखते हुए दीप के हाथो को ज़ोर से पकड़ ..अपने पेट पर दबा कर कहा ..दीप के मन मे इलाज को ले कर जो बात आई वो बोलना तो चाहता था पर ज़ुबान कहीं से कहीं तक उसका साथ नही दे रही ही ..यहाँ निम्मी उसके हाथ को पेट से ऊपर लाते हुए कयि बार अपने बूब्स पर दबा चुकी थी
" डोंट वरी सब ठीक हो जाएगा बेटा ..पर उसके लिए .... "
इतना बोल कर दीप छुप हो गया ..निम्मी ने उसकी बात सुन कर अपनी आँखें खोली जिनमे से बहते आँसुओ को दीप देख ना सका और अपने हाथ उसकी पकड़ से आज़ाद करते हुए उसे पेट के बल लिटाने की कोशिश की ..निम्मी को एक पल तो समझ नही आया कि दीप उसे पलटा क्यों रहा है पर फिर भी वो किसी कठपुतली की तरह उसके हाथ के सपोर्ट से उल्टा लेट गयी
" यस डॅड जो भी इलाज हो जल्दी करो "
निम्मी ने अपने हाथ से चूतडो को वापस मसलते हुए कहा ..कसी बेहद टाइट कॅप्री मे फसि उसकी गान्ड किसी नामर्द को भी मर्द बना देने मे सक्षम थी फिर दीप तो जनम से ही मर्द था
" बेटा तुझे मालिश से तुरंत राहत मिलेगी और उसके बाद टॅबलेट खा कर सारा दर्द रफूचक्कर हो जाएगा "
दीप को कहते देर नही हुई कि निम्मी ने उसके एक हाथ को पकड़ा और अपने चूतड़ से सटा दिया ..दीप उसकी लेफ्ट मे अपने घुटनो के बल बैठा था
" तो मालिश कर दो डॅड ..लेकिन जल्दी करो "
निम्मी के द्वारा प्रेशर देने से दीप का हाथ उसके मखमली गोल चूतडो मे धँस गया ..निम्मी ने पहली बार सिड्यूस हो कर आह भरी पर दीप को लगा कि उसने दर्द की दरकार से ऐसा किया होगा ..दीप भोचक्का हो कर निम्मी की नंगी पीठ और कॅप्री मे फसि गांद देखे जा रहा था
" यस डॅड प्लीज़ थोड़ा टाइट्ली दबाओ "
निम्मी के मूँह से रज़ामंदी पा कर दीप अपने आपे से बाहर हुआ और अपना दूसरा हाथ भी गांद दबोचने मे लगा दिया ..अब निम्मी के हाथो की कोई ज़रूरत नही थी तो उसने उन्हे अपने पेट के नीचे डाल लिया ..एक बाप के नज़ररिय से अगर दीप इस घटना को देखे तो वो ग़लत था लेकिन अगर एक मर्द की हैसियत समझ कर सोचे तो निम्मी के मस्त - बदन ने उसके दिल और दिमाग़ पर अपना जादू चला दिया था ..निम्मी कुछ देर ज्यों की त्यों बेड पर पैर सीधे किए लेटी रही पर जब उसकी चूत रस ने बाप के प्रति बुरी भावनाओ से रस छोड़ना चालू किया तो वो सडन्ली बेड पर घुटने मोडती हुई उकड़ू बैठने को हुई और दीप को ना चाहते हुए भी ठीक उसके पीछे आना पड़ा ..हाथ पेट के नीचे ले जाने से निम्मी का प्लान था कैप्रि के बटन को अनलॉक कर उसे लूज करना और अब उकड़ू बैठने से उसकी गांद हवा मे बहुत ज़्यादा ऊपर उठ गयी थी जिसके चलते कॅप्री फिसल कर पैंटी स्ट्रॅप लाइन तक पहुचि और उसकी खूबसूरत गांद की दरार से दीप की आँखों का मिलन हो गया
" ओह डॅड यू आर आ रियल पेन किल्लर "
निम्मी ने मस्त होते हुए अंगड़ाई ली और जान कर अपनी ब्रा के स्ट्रॅप लगभग दोनो कंधो से नीचे उतार लिए
" अच्छा फील हो रहा है ना ? "
दीप ने काम के वशीभूत हो उसके चूतडो की दरार मे अपनी उंगली फिरा कर पूछा
" यस डॅड आप के हाथो मे जादू है ..वैसे मूव भी है मेरे कमरे मे "
इतना बोल कर निम्मी चुप हो गयी ..दीप के लिए ये खुला आमंत्रण था उसकी गांद को कॅप्री और पैंटी से पूरा आज़ाद होते नंगा देखने का
" क ..कहाँ रखी है मूव बता मुझे "
अब दीप वाकई अपने लंड रूपी दिमाग़ से सोचने पर मजबूर हो गया ..जानता था कि निम्मी तो अभी बच्ची है पर उसे तो एक बाप होने के नाते उसके चूतडो को छ्चोड़ देना चाहिए था ..वो बेड से नीचे उतरा पर रूम से जाने की वजाए निम्मी के इशारे पर वॉर्डरोब से मूव लेने
" मिल गयी "
जब मूव ले कर दीप पलटा तो नज़ारा और भी ज़्यादा भड़काने वाला था ..निम्मी ने कॅप्री को पैंटी सहित गांद के कोमल भूरे छेद तक उतार लिया था और ब्रा तो झूल कर बिल्कुल उतरने को थी ..डीप की पलकें तो झपकना ही भूल गयी ..उकड़ू अपनी नंगी गान्ड को हवा मे उठाए उसकी बेटी का जिस्म और छाती से नीचे लटकती बड़ी बड़ी चूचियाँ उसे पागल करने को काफ़ी थी ..दीप निम्मी के सर की साइड मे खड़ा था ..एक पल वो उस नज़ारे को देख कर रुका कि कही ये सब उसकी बेटी का कोई नाटक तो नही लेकिन अगले ही पल उसकी आँखें निम्मी की आँखों से जा टकराई और उनमे छुपि मासूमियत को देख दीप का सारा शक़ कूफर हो गया ..उसे लगा जैसे निम्मी उसकी अपनी बच्ची दुनिया की सबसे इनोसेंट लड़की है
" मिल गया डॅड ..अब जल्दी से मालिश को पूरा कर दो "
निम्मी की आवाज़ सुन दीप का ध्यान भंग हुआ और वो हौले हौले बेड की तरफ बढ़ने लगा ..दोनो बाप बेटी फुल तरीके से रोमांचित थे ..डॅड का खड़ा लंड निम्मी की चूत को और भी ज़्यादा फड़का रहा था पर दीप चाहता था कि उसकी बेटी को उसके सिड्यूस होने का पता ना चले ..8" का लंड था कोई 1" की लुल्ली नही जो छुपायि जा सकती थी ..दोनो ये सोच कर भी पानी - पानी हो रहे थे कि एक बाप की आँखों का सामना अपनी बेटी के गान्ड के छेद से कुछ ही पॅलो मे होने वाला था ..दीप बेड पर चढ़ा और निम्मी के ठीक पीछे बैठ कर अपनी उंगली मे मूव की एक लेयर निकाल ली लेकिन अभी तक उसने एक नज़र भी बेटी के खुले पिच्छवाड़े पर नही डाली थी ..शायद मेच्यूर होना इसी को तो कहते हैं ..निम्मी उसका खून थी फिर आज वो इतना आगे कैसे बढ़ गया ..उसने खुद को इस बात के लिए कोसा और फ़ैसला लिया कि वो अपनी आँखें बंद रख के जल्दी से मालिश निपटाएगा और कमरे से बाहर चला जाएगा ..वहीं निम्मी इस पल के इंतज़ार मे थी कि कब उसके डॅड का हाथ उसकी खुली गांद को सहलाता और क्या रिक्षन होगा दीप का जब उसकी आँखें अपनी ही बेटी के आस होल पर पड़ेंगी
दीप को बिल्कुल शांत बैठा महसूस कर निम्मी ने अपनी गर्दन को पीछे घुमाया तो पाया कि डॅड की आँखें बंद और वो कुछ सोचने की मुद्रा मे बैठे हैं ..निम्मी के तन बदन मे आग लगी थी और दीप का इस तरह से एक दम चुप हो जाना निम्मी को गवारा नही हुआ ..कैसे भी कर उसे डॅड की प्रतिक्रिया नोट करनी थी ..पॅंट के अंदर बने तंबू से उसे ये तो पता लग गया था कि बेटी के जिस्म ने बाप के अंदर का मर्द जगा दिया लेकिन वो तो हर नंगी लड़की कर सकती है ..सही बात तो आँखों से बयान होती तभी कुछ सोच कर निम्मी ने कहा
" डॅड मूव थोड़ा देख कर लगाना कहीं ग़लत जगह ना लग जाए ..आप समझ रहे हो ना ..वहाँ लगा तो जलन होगी "
निम्मी ने सोते दीप की आँखे खुलवाने के लिए जो बात कही उससे दीप कब तक बच पता ..उसने फिर भी बंद आँखो से निम्मी के पिछवाड़े का अनुमान लगाया लेकिन पहली ही बार मे निशाने पर गांद का कुँवारा छेद आ गया ..उंगली मे लगी मूव सीधे आस होल से जा टकराई
" अहह.............. डॅड "
निम्मी ने जो कहा था हुआ उसका बिल्कुल उल्टा ..दीप की उंगली का एहसास अपनी गांद के कुंवारे छेद पर महसूस होते ही निम्मी की टाँगे जवाब दे गयी और वो बेड पर करवट ले कर लेट गयी ..दीप ने हड़बड़ा कर अपनी आँखें खोली तब तक उसकी बेटी ने अपने घुटनो को मोड़ लिया था और टाइट कॅप्री मे फासी गांद की दरार आपस मे चिपकी पड़ी थी
" क्या हुआ निम्मी ..सब ठीक तो है ? "
पता दीप को सब था कि उसकी उंगली कहाँ जा कर टकराई थी पर सीधे स्पस्ट शब्दो मे पूछना उसके बस से बाहर था
" उफफफफ्फ़ डॅड ..मैने आप को बोला था कि मूव देख कर लगाना पर आपने तो मेरी जान ही ले ली "
निम्मी को छेद मे जलन शुरू हो गयी ..अब किया हुआ नाटक ख़तम हो कर सब रियल मे बदल गया
" आइ'म सॉरी बेटा ..इस वक़्त तेरी मा को यहाँ होना चाहिए था "
दीप ने अपने बाप रूपी दिमाग़ से सोच कर कहा ..वो मैने अपनी आँखें बंद रखी थी ..तभी ये ग़लती हो गयी ..दीप की बात से उसकी केर सॉफ झलक रही थी
" मोम होती तो वो जान कर ऐसा करती और शायद आप ने भी वही किया ..डॅड मुझे जलन हो रही है "
ये कह कर निम्मी रुआसी हो गयी ..वाकाई मे जब मूव बॉडी के किसी एक्सटर्नल पार्ट पर लगती है तभी जलन का अनुमान हो जाता है और यहाँ तो बात शरीर के इतने सेन्सिटिव अंग की थी ..जल्दबाज़ी मे दीप ने मूव को मला भी नही था अपने हाथो पर ..उसने सोचा था कि डाइरेक्ट उंगली से चूतडो पर मूव लगा कर मालिश करेगा
" ऐसा नही है निम्मी ..मैं तुझे दुख नही दे सकता ..बच्चो मे सबसे ज़्यादा मुझे तुझसे प्यार है "
दीप ने उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा
" प्यार माइ फुट डॅड ..ऊईए मा ..कितना स्ट्रेंज सा लग रहा है "
निम्मी ने करवट ले कर खुद के पेन को और ज़्यादा बढ़ाया था ..अगर वो अपने आस होल के क्रॅक्स को नही जोड़ती तो शायद उसे इतनी जलन महसूस नही होती ..ऊपर से वो मटक भी तो नागिन की तरह रही थी ..बूब्स पर से ब्रा पूरी तरह अलग थी और उसकी हर थिरकन से चूचियाँ इधर - उधर डोले जा रही थी
" दिखा मुझे "
जो काम दीप की ग़लती से बिगड़ा था उसे ठीक करने के लिए उसने निम्मी को वापस उसी पोज़ीशन मे लाना चाहा जैसे वो पहले ओकडू बैठी थी ..शायद अब दीप के दिमाग़ मे छुपा शैतान ख़तम होने की कगार पर था
" नो वे डॅड ..आप जाओ ..हर बार की तरह इस बार भी मैं दर्द बर्दास्त कर लूँगी ..मुझे कुछ नही दिखाना "
निम्मी ने उसकी पकड़ से छूट ते हुए कहा तो दीप को और भी ज़्यादा अफ़सोस हुआ
" बेटा अगर दिखाएगी नही तो इलाज कैसे होगा ..मैं प्रॉमिस करता हूँ तेरा दर्द कम कर दूँगा "
दीप ने इस बार अपने दोनो हाथो के ज़ोर से उसे पेट के बल लिटाया और उसे अपनी तरफ खीचना शुरू किया ..निम्मी के पास भी इस वक़्त हालात से समझोता करने के अलावा और कोई चारा नही बचा था ..एक सोचा - समझा मज़ाक ऐसा दर्दनाक मोड़ ले लेगा उसने कल्पना भी नही की थी ..बस दीप को थोड़ा सा परेशान कर वो अपने कमरे से रुखसत कर देती ..लेकिन बात कहाँ तक पहुच गयी
" ऊपर तो उठा इसे "
जब निम्मी के चूतर उसकी सीध मे आ गये तब दीप ने उन्हे हाथ से थप थपा ऊपर उठाने को कहा ..निम्मी ने पहली बार किसी अग्याकारी बच्चा होने का सबूत दिया और अब उसकी गान्ड ठीक डॅड के चेहरे के सामने थी ..दीप ने एक लंबी साँस ली और अपनी नज़रें उसके दरार बंद चूतडो से जोड़ दी
" डॅड जो भी करो जल्दी करना ..मुझे सच मे बहुत पेन है "
निम्मी की बात पूरी भी नही हो पाई कि दीप की पॉकेट मे रखा सेल बजने लगा ..उसने सोचा तो था कि मोबाइल जेब से बाहर ना निकाले पर निम्मी ने अपनी गर्दन पीछे मोड़ कर उसे इशारे से कॉल पिक करने को कहा ..वो चाहती थी कि इस कॉल के बाद अगली सारी रुकावट ख़तम हो जाएँ और उसे अपने दर्द से जल्दी निजात मिल सके ..दीप ने जल्दी से सेल बाहर निकाला तो कॉल जीत का था ....
" हेलो जीत "
दीप ने कॉल पिक किया
" दीप तेरे लिए एक खुश - खबरी है "
जीत ने हंसते हुए जवाब दिया
" खुश - खबरी ? "
दीप पहले तो हैरान हुआ पर तुरंत ही उसे याद आया कि उसने जीत से उसकी सेक्रेटरी को चुदवाने के लिए राज़ी करने की बात कही थी
" हां साले ..खेर तू कर क्या रहा है अभी ? "
जीत ने उसका सवालिया जवाब सुन पूछा
" कुछ नही एक ज़रूरी मीटिंग मे बिज़ी हूँ ..हम 1 घंटे से बात करें "
दीप उसकी बात को सुन ना तो चाहता था पर उसकी नज़र निम्मी के दरार बंद चूतडो से हट कर उसके चेहरे पर पड़ी जिसमे उसकी बेटी मदद की गुहार लगाती दिखाई दी ..ये सोच कर दीप ने जल्दी कॉल को डिसकनेक्ट करने का मन बनाया
" तू और तेरी मीटिंग ..झूठे ज़रूर किसी चूत को चोदने मे लगा होगा ..खेर कैसी चूत है उसकी ..कभी मुझे भी शामिल कर भाई ..मिल कर चोदेन्गे "
जीत की इस बात ने दीप के अंदर छुपे शैतान को जगाने का काम किया और उसका फ्री हाथ अपने आप निम्मी के एक चूतड़ को मसल्ने के लिए बढ़ गया
" खेर जो भी होगा बता दूँगा ..अभी रख और समझ मेरी बात को ..मैं तुझे 1 घंटे से कॉल करता हूँ "
दीप ने थोड़ी ताक़त से निम्मी का चूतड़ मसला तो उसकी बेटी की दर्द और मज़े से भरी आह जीत के कानो मे भी जा पहुचि
" हा हा हा हा लगा रह ..छोड़ना नही भाई ..रगड़ कर चोदना रांड़ को ..चल मे रखता हूँ "
जीत ने इतना बोल कर हस्ते हुए कर कॉल काट दिया
दीप पर उसकी बातों का इतना गहरा असर पड़ा कि सामने उकड़ू बैठी निम्मी मे उसे रंडी की छवि दिखाई देने लगी
" डॅड अगर बात हो गयी हो तो कुछ करो ..आइ कान'त कंट्रोल अनीमोर "
निम्मी ने उसे नींद से जगाया और दीप अपनी सोच की कयास को पूरा करने मे जुट गया
" निम्मी पहली बात तो जो इस बंद कमरे मे हो रहा है प्रॉमिस मी ..बात सिर्फ़ हम दोनो तक ही रहेगी "
दीप ने सेफ हॅंड खेला
" शुवर डॅड ..प्रॉमिस किया "
निम्मी ने उसकी बात को रज़ामंदी दी और अगले ही पल दीप का दूसरा हाथ भी उसकी गान्ड को सहलाने मे लग गया
" बेटा इस कॅप्री तो थोड़ा और नीचे खीचना होगा "
दीप ने गांद की लकीर पर अपनी उंगली फेर कर कहा
" नीचे क्यों डॅड ? "
निम्मी ने शरम से बहाल होते हुए पूछा अगर कॅप्री और नीचे सरकती तो गांद के छेद के साथ उसकी अन्छुइ कुँवारी चूत भी दीप को दिखाई देती
" मैं जैसा कहता हूँ कर ..तुझे रिलॅक्स फील होगा बेटा "
दीप ने उसकी हां सुन ने से पहले ही अपने हाथ से कॅप्री को काफ़ी नीचे खीच दिया ..निम्मी ने पूरी ताक़ात लगा कर अपनी गान्ड को सिकोडा ताकि दरार ना खुल पाए और दीप चूतड़ो के कड़क पन से उसकी इस हरकत को ताड़ गया
" बेटा इन्हे ढीला छोड़ और पूरी तरह रिलॅक्स हो जा "
उसने हाथ के प्रेशर से चुतडो के पट को खोलते हुए कहा
" डॅड मुझे शरम आ रही है "
निम्मी ने और ज़ोर लगा कर उसके हाथो को ऐसा करने से रोकने की कोशिश की
" डॅड से कैसी शरम बेटा ..वैसे मैं जानता हूँ ये ग़लत है लेकिन मान मैं एक डॉक्टर हूँ और तू मेरी पेशेंट है ..तेरे इलाज के लिए ही मैं ऐसा कर रहा हूँ "
दीप ने उसे समझाया और निम्मी ने अपने पिछवाड़े को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया ..और अलगे ही पल एक बाप की आँखों के सामने खुद की बेटी का सुर्ख भूरा गांद का छेद और कुँवारी बिना झाटों की फूली चूत थी ..कॅप्री काफ़ी नीचे थी जिस से ये सीन और भी ज़्यादा कातिलाना था
" अब मैं तेरे दर्द का इलाज करता हूँ "
दीप ने उसे हल्का सा करवट दिलवाया और खुद का कंट्रोल खोते हुए बहुत सारा थूक गांद के छेद मे उडेल दिया ..इस ठंडे एहसास से निम्मी की जान ही निकल गयी ..वो खुद को संभाल पाती की इस से पहले ही दीप ने अपने होंठ छेद पर रखे और इतनी तेज़ी से थूक को सांसो से ज़रिए मूँह के अंदर खीचा कि निम्मी तड़प उठी ..उसे लगा कि जैसे उसकी आत्मा गान्ड के छेद से बाहर निकल जाएगी ..वो ज़ोर दे कर अपने आप को दीप की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करने लगी ..उसकी सिसकारियो से पूरा कमरा गूँझ रहा था ..पर दीप ने उसे कोई चान्स ना देते हुए अपनी जीब बाहर निकाल कर कुत्ते की तरह उस मुलायम छेद को चाटने लगा ..ना चाहते हुए भी निम्मी ने अपने हाथ से चूतडो की दरार को इतनी ताक़त से अलग किया कि उसे अपनी जाँघो मे फसि केप्री से दर्द महसूस होने लगा
" डॅड कॅप्री मेरी जाँघो मे फसि है ..मुझसे इस पोजीसन मे रहा नही जाएगा "
निम्मी ने अपना चेहरा पीछे घुमाया तो देखा दीप फटी आँखों से उसके यौवन को निहार रहा था ..तो क्या ये सिर्फ़ उसकी सोच थी कि डॅड उसके आस होल को बेरहमी से चाटे जा रहे थे ..सपने से बाहर निकल उसे अपने दर्द के ऊपर मदहोशी छाने लगी और लगा जैसे उसकी चूत बहने को तैयार हो
" तो कॅप्री उतार ले बेटा ..ला मैं मदद करता हूँ "
दीप के तो मन की मुरादें पूरी हो रही थीं ..जीत ने उसे जिस खुश - खबरी से रूबरू करना चाहा उससे दीप ने अनुमान लगा लिया था कि दोस्त ने दोस्ती निभाते हुए उस लड़की को चुदवाने के राज़ी कर लिया है और इस बात का असर ये हुआ कि निम्मी मे उसे इस वक़्त उसे वही लड़की दिखाई दी जिसने आज सुबह ही उसका का माल चखा था ..दीप ने आगे हाथ ले जा कर कॅप्री के सारे बटन अनलॉक किए और धीरे - धीरे कॅप्री को उसकी टाँगो के बाहर का रास्ता दिखा दिया ..अब निम्मी के जिस्म पर सिर्फ़ एक छोटी सी पैंटी रह गयी जो उसकी पुसी एरिया से नीचे थी और थ्रेड वाली ब्रा जिसके कप से बूब्स बाहर को लटके थे
" डॅड यहाँ जलन है "
निम्मी को अब दर्द तो नही था पर गान्ड के छेद मे उठ रही जलन उसे काफ़ी मीठा - मीठा एहसास करवा ने लगी और रही - सही कसर उसके सपने ने पूरी कर दी थी ..उसने सोचा जब दीप ने इतना सब देख ही लिया है तो क्यों ना अपने सपने को सच किया जाए ..ऐसा मन मे विचार कर उसने दीप का हाथ पकड़ा और उसकी उंगली को अपने मुलायम छेद से चिपका दिया ..दीप को ऐसा अनुमान कताई नही था और वो खुमारी के चलते उसी हाथ की दूसरी उंगली से अपनी बेटी की कुवारि चूत का ऊपरी हिस्सा खुजलाने लगा
" क्या यही दर्द है बेटा ? "
दीप ने अपनी उंगली को छेद पर घुमाव देते हुए कहा ..उसने छेद पर हल्का सा दवाव भी बना रखा था
" अहह........ यस डॅड "
निम्मी ने मादक सिसकी लेकर कहा
" तो एक काम कर ये पैंटी भी उतार दे ..इलाज करने मे मुझे आसानी रहेगी "
दीप ने बड़ी चालाकी से उसकी थ्रेड ब्रा की ढीली नाट को खोला और अलगे ही पल ब्रा बेड पर पड़ी थी ..हालाकी निम्मी को उसकी उंगलियों का स्पर्श अपनी पीठ पर हुआ ..लेकिन जो दीप कर रहा था कहीं ना कहीं वो भी तो यही चाहती थी
" ओके डॉक्टर "
निम्मी ने मुस्कुरा कर सिर्फ़ इतना कहा और बड़ी कातिल अदा के साथ अपनी पैंटी को टाँगो के बाहर कर दिया ..अब निम्मी पूरी तरह से नंगी थी
" बेटा थोड़ा क्रॅक्स तो फैलाना ..तब तक मैं सोचता हूँ आगे का इलाज कैसे करना है "
निम्मी ने उसकी बात को मानते हुए अपने दोनो हाथो से चूतडो की दरार को चौड़ा लिया ..नज़ारा ऐसा था कि दीप का हाथ खुद - ब - खुद पॅंट के ऊपर से अपना लंड सहलाने मे बिज़ी हो गया
" डॅड इस से ज़्यादा नही खोल सकती "
निम्मी ने फिर से अपना चेहरा पीछे घुमा कर कहा ..दीप को अपना लंड सहलाते देख उसकी चूत से रस की पहली धार बह निकली ..वो बुरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी
निम्मी ने फिर से अपना चेहरा पीछे घुमा कर कहा ..दीप को अपना लंड सहलाते देख उसकी चूत से रस की पहली धार बह निकली ..वो बुरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी
" नही इतना काफ़ी है "
दीप उसकी आवाज़ सुन होश मे आया और हाथ को तुरंत ही अपने लंड से हटा लिया
" बेटा बुरा ना माने तो एक बात कहूँ ? "
दीप ने उससे सवाल किया
" यस डॅड बोलिए ..आप की बात का बुरा कभी नही मानुगी "
निम्मी ने उसे प्यार से जवाब दिया
" तेरा फिगर बहुत अच्छा है निम्मी "
दीप ने उसकी चूत को बहता देख उसके गरम होने को कन्फर्म किया और शायद अब वो निम्मी को बातों मे भी पूरी तरह खोलना चाहता था ..ताकि तन के साथ मन से भी वो उसका साथ दे
" डॅड ऐसी बात मत करिए मुझे कुछ - कुछ होता है "
निम्मी ने शरमाने का नाटक किया ..मज़े से वो बहाल थी
" क्या कुछ - कुछ होता है बेटा ..अपने डॅड को नही बताएगी "
दीप ने उसे टटोलते हुए कहा और अपना चेहरा झुका कर चूत के ठीक ऊपर एक गहरी चुम्मि जड़ दी ..लगभग 10 सेक तक पूरी ताक़त लगा कर दीप ने उसकी जवानी को अपने अंदर खीच उसे तडपाया ..चूत के रस से उठती मादक खुश्बू से वो वाकिफ़ था
" उफफफफ्फ़ डॅड ..अगर ऐसा करोगे तो जाओ नही बताती ..मुझे शरम आती है "
निम्मी ने अपना चेहरा बेड पर बिछि शीट मे छुपा कर कहा लेकिन जब तक दीप चूत को अपनी जीब से चाट कर उसके रस की पहली धार निगल चुका था
" शरम की कोई बात नही बेटा ..जानता हूँ तू बिल्कुल नंगी अपने डॅड के सामने बैठी है ..पर कभी - कभी हालात ऐसे हो जाते हैं जब सारे रिश्तो को भूल जाना ही ठीक रहता है "
दीप के मूँह से ऐसी बातें सुन निम्मी ताड़ गयी कि अगर अब इस नाटक को यहीं ख़तम नही किया तो उसका अपने डॅड से चुदना तय है और तो और दीप ने अब तक उसके अन्छुए छेदो से छेड़खानी भी शुरू कर दी थी
" छ्हीईइ डॅड कितनी गंदी जगह चाट रहे हो और आप की बात का मतलब क्या है ? "
निम्मी ने गंदा सा मूँह बना कर उससे सवाल किया ..अपनी चूत का चाटा जाना उसे एक अलग ही मज़ा दे रहा था लेकिन बात इससे आगे ही बढ़ती जिसे रोकना भी ज़रूरी था
" मतलब ये कि इस दुनिया मे भले ही इंसान किसी भी रिश्ते से जुड़ा हो ..पर कुछ शारीरिक ज़रूरतें ऐसी होती हैं जो उन रिश्तो से परे हैं ..सॉफ शब्दो मे कहो तो चूत - चूत होती है चाहे अपनी बेटी की हो या किसी पराई औरत की ..रही बात चाटने की तो मेरी बेटी के बदन मे कुछ भी गंदा नही ..मैं अभी इस गांद के छेद को चाट कर तेरा सारा दर्द मिटा दूँगा "
दीप इस बार चूत की जड़ से जीभ फेरते हुए गांद के छेद तक पहुचा
एक पल उसकी खूबसूरती को निहारा और अगले ही पल उस छेद मे अपनी जीब को अंदर तक डाल कर चूसने लगा ..निम्मी इस सुखद छेड़ - छाड़ से लगभग पागल सी हो गयी ..दीप के मूँह से डाइरेक्ट चूत और गान्ड शब्द का इस्तेमाल होता देख उसे ना चाहते हुए भी अपने नाटक का दा एंड करना पड़ा
" डॅड शायद अब मुझे दर्द से राहत मिल गयी है मैं कपड़े पहेन लेती हूँ "
निम्मी ये बोल कर उसकी पकड़ से आज़ाद हुई और बेड से नीचे ज़मीन पर उतरने लगी ..दीप के लिए तो ये खड़े लंड पर धोखा था ..वो सोच नही सकता था कि निम्मी इस कदर अपनी उत्तेजना को शांत कर लेगी
" बेटा दर्द का इलाज होना ज़रूरी है ..वरना फ्यूचर मे दिक्कत हो सकती है "
दीप ने उसे बेड से उतरने से रोका पर निम्मी जब तक ज़मीन पर खड़ी हो चुकी थी
" डॅड अगर कभी दर्द होगा तो मैं आप को बता दूँगी "
निम्मी वॉर्डरोब की तरफ जाती हुई बोली ..उसके बड़े - बड़े तने बूब्स और उभरी गान्ड देख दीप का मन नही माना ..उसने देखा वो वॉर्डरोब से अपने कपड़े बाहर निकाल रही है ..प्लान चौपट होता समझ दीप भी बेड से नीचे उतर कर उसके करीब जा पहुचा
" निम्मी सुन मेरी बात ..मैं तेरा हर दर्द पूरी तरह से ख़तम कर दूँगा ..बिलीव मी बेटा मैं तेरा भला ही चाहता हूँ ..चल वापस बेड पर चलते हैं "
दीप ने अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ पलटाया और अगले ही पल निम्मी की आँखें उसके तने लंड से जा चिपकी ..पॅंट के ऊपर का फुलाव देख वो दीप से दो कदम पीछे हट गयी
" डॅड ये क्या है ? "
निम्मी ने एक हाथ अपने खुले मूँह पर रखा और दूसरे से उसके लंड की तरफ इशारा कर पूछा ..दीप ने उसकी बात समझ तुरंत ही लंड को अपने हाथो से कवर किया लेकिन तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी
" वो ..वो ..बेटा वो "
दीप की तो घिघी बंद गयी ..अगर बेड पर सिड्यूसिशन की हालत मे निम्मी ने ये सवाल किया होता तो दीप बात को संभाल सकता था ..लेकिन अब उसकी बेटी एक दम नॉर्मल दिख रही थी ..उसने ने अपनी गर्दन को नीचे झुका लिया
" वो क्या दद ..सॉफ - सॉफ बताओ मुझे "
निम्मी ने उसे मायूस होता देख अपना दवाब बनाया
" न ..न ..निम्मी वो मैं उत्तेजित हो गया था तो कंट्रोल नही कर पाया "
दीप के मूँह से सच सुन एक पल तो निम्मी के चेहरे पर मुस्कान आई पर अगले ही पल वो किसी सोच मे डूब गयी
" उत्तेजित ..यानी अब तक आप इलाज का बहाना कर मेरी न्यूड बॉडी के मज़े ले रहे थे "
निम्मी ने अपना दूसरा प्लान स्टार्ट किया और उसकी बात सुन दीप की आँखों के आगे अंधेरा छा गया ..निम्मी ने उसकी चोरी पकड़ ली थी
" ओह माइ गॉड डॅड ..मैं कितनी बेवकूफ़ हूँ जो मैने आप की बात मान कर अपने कपड़े उतारे और तो और आप कितनी घिनोनी बातें मेरे सामने कर रहे थे ..पुसी - पुसी होती है चाहे बेटी की हो या किसी दूसरी औरत की ..सीधा - सीधा क्यों नही कहते डॅड ' यू वॉंट टू फक मी ' "
ये बोल कर निम्मी रोने का नाटक करते हुए वॉर्डरोब से सॅट कर ज़मीन पर बैठ गयी ..उसने जान कर अपनी टाँगो की जड़ को पूरा खोल रखा था ..ताकि अभी दीप को और परेशान कर सके
" बेटी "
दीप ने उसे आवाज़ दी
" मत कहो मुझे बेटी डॅड ..आप ने वो हक़ खो दिया है ..मैने इस घर मे सबसे ज़्यादा आप को प्यार किया पर आप की नीयत मे खोट है ..आओ कर लो अपनी हवस पूरी दर्द से बिलखती इस बेटी के साथ ..कम ऑन डॅड फक मी आंड बिकम आ रियल डॉटर फकर "
निम्मी ने रोते हुए अपना चेहरा नीचे झुका लिया ..अब दूसरा प्लान यहीं ख़तम कर वो चुप हो गयी
" आइ'म सॉरी बेटा मुझे माफ़ कर देना "
फर्श पर गिरते आँसू देख कर निम्मी को दीप के रोने का पता चला ..वो अपनी नज़रें ऊपर उठाती इस से पहले ही दीप पलट कर कमरे के गेट पर पहुच गया
" गेट लॉक कर लेना "
दीप ने एक लास्ट बार निम्मी के चेहरे को देखा और अपने आँसू पोंछ कर कमरे से बाहर निकल गया
" लो हो गया बँटा धार "
दीप के कमरे से बाहर जाते ही निम्मी ने अपना माथा ठोक कर कहा
" मैने सोचा नही था डॅड रो देंगे ..शायद कुछ ज़्यादा ड्रामा हो गया ..कोई बात नही कम से कम फ्यूचर के लिए तो डॅड मेरे काबू मे आ ही गये ..अब बारी है उस बस्टर्ड निकुंज की ..जिसका गेम ओवर मैं कल से करूँगी "
इतना सोच कर निम्मी के चेहरे पर एक चिर परिचित हसी लौट आई और वो गेट लॉक करने चल दी ....