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    Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी

    57 फुलवा ने सपने में देखा की राज नर्तकी की हवेली का दरवाजा खुला था और अंदर से सिसकने की आवाज आ रही थी। राज नर्तकी गुस्से में नाच रही थी और उसके सुनहरे घुंघरुओं की आवाज मानो गूंज रही थी। अचानक घुंघरू रुक गए और एक और सिसकती बेबस आवाज शुरू हो गई। राज नर्तकी (सिर्फ आवाज), “मेरी सखी! मैं थक गई...
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    Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी

    56 अगले दिन सबेरे की ठंड में मां बेटे एक दूसरे को ऐसे लिपटे की जब आंख खुली तो उसके बदन ने सहज रूप से चुधाई शुरू कर दी थी। अब गर्मी के ऐसे मजेदार स्त्रोत को माना करने जितना बेवकूफ कोई नहीं था और चिराग अपनी मां पर चढ़ कर उसकी चूत को अपनी गर्मी से भरने के बाद ही रुक गया। फिर दोनों ने एक दूसरे की...
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    Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी

    55 मानव शाह की गाड़ी का ड्राइवर उसके चुनिंदा लोगों की तरह होशियार और ईमानदार था। वह मां बेटे को मढ के बंगले पर ले जाते हुए रास्ते के नजारों के बारे में बता रहा था। ड्राइवर ने न केवल काफी कुछ बताया पर जाना भी। उसने पाया की मां बेटे को दौलत की कमी नहीं थी पर आदत भी नहीं थी। उन्हें अच्छी चीजें पसंद...
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    Fantasy great demon (Complete)

    supreb story awesome updates
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    Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी

    54 चिराग समझ गया कि उसकी मां उसके साथ खेलना चाहती थी लेकिन उसे यह डर भी था की वह उस के व्यवहार से उससे दूरी बनाने लगे। चिराग, "एक घंटे में क्या करना है?" फुलवा चिढ़ाते हुए, "नया है क्या?" चिराग सर झुकाकर, "हां! पहली बार किसी को पैसे दिए हैं।" फुलवा हंसकर, "आजा!!… आज फुलवाबाई तुझे सब कुछ...
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    53 अगले दिन सुबह फुलवा ने चिराग को जल्दी उठाया और अपनी चूत की आग बुझाई। मां बेटे फिर कसरत करने गए। वहां के सारे मर्दों की नजर फुलवा पर ऐसी चिपकी हुई थी कि चिराग उसे मां पुकारते हुए उसके साथ रहकर भी उन्हें रोक नहीं पाया। जाहिर सी बात थी कि फुलवा दुबारा भूखी हो गई! जैसे तैसे नाश्ता पूरा कर जब...
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    52 फुलवा के साथ जब चिराग थिएटर पहुंचा तो वहां लोगों को उन्हें देखते रहने के अलावा कोई काम नहीं सूझा। फुलवा समझ चुकी थी कि मोहनजी ने जब उन दोनों के लिए घर बनाया उन्हें चिराग के बारे में कुछ अंदाज तो था पर फुलवा की जेल की तस्वीरें छोड़ कोई तरीका नहीं था। फिल्म की कहानी कुछ खास नहीं थी पर नाच...
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    Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी

    51 चिराग, "ओह मां, माफ करना…" चिराग ने अपनी मां के गालों को छू कर चुपके से, "मुझे डर है कि मैं आप को छू कर आप को चोट लगाऊंगा!" फुलवा चिढ़ाते हुए कमरे में जाते हुए, "आजमा कर देख लो! लेकिन शायद मेरे बच्चे को तयार होने से पहले कुछ और आराम की जरूरत है! क्यों न मैं उस समान उठने वाले को थोड़ी देर...
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    50 चिराग जवान था पर था तो मर्द ही। उसके लौड़े ने मां की बात मानने की पूरी कोशिश की पर नया माल बनाने के लिए गोटियों को वक्त चाहिए था और लौड़े को हार माननी पड़ी। फुलवा चिराग का गिरा हुआ चेहरा देख कर हंस पड़ी। चिराग के गाल को चूमते हुए फुलवा ने उसकी चुटकी ली। फुलवा, "शैतान कहीं के! कुछ तो शर्म...
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    Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी

    49 सबेरे 5 बजे चिराग की आंख खुली तो फुलवा उस पर अपना बदन रगड़ते हुए भूख से तिलमिला रही थी। हालांकि वह अब भी नींद में थी पर उसकी चूचियां नुकीली बन कर चिराग के सीने को खरोंचने की कोशिश कर रही थी। चिराग ने अपनी मां को नींद में ही आहें भरते हुए उसे पुकारते हुए पाया। चिराग को अब पता चला कि कल सुबह...
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    Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी

    48 फुलवा ने चिराग के गाल को चूमते हुए अपने पेट की मांसपेशियों को कसना जारी रखा। चिराग के चेहरे को उठाकर फुलवा ने उसके नाक को चूमा तो शरमसार नजरों से चिराग ने अपनी मां की आंखों में देखा। फुलवा, "शुक्रिया बेटा! तुमने मुझे वो दिया है जो आज तक मुझे नहीं मिला!" चिराग थोड़ा गुस्सा होते हुए...
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    Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी

    47 फुलवा ने अपनी पूरी जिंदगी बंधी हुई बिताई थी। उसे आज तक लगभग हर बार किसी न किसी तरह से बांध कर ही लूटा गया था। चिराग ने भी उसे पहली बार राहत दिलाते हुए उसके हाथों को बंधा हुआ देखा था। क्या यह सोचना गलत था की वह भी फुलवा को अपने किसी ख्वाब की तरह इस्तमाल करना चाहता है? फुलवा को जल्द ही तय...
  13. Rubal

    Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी

    46 लखनऊ से मुंबई हवाई जहाज से सफर 4 घंटों में पूरा हो गया और दोनों चिराग के लिए बुक किए होटल के कमरे में पहुंचे। अबकी बार दरबान ने उनका स्वागत किया और दोनों को उनके कमरे तक पहुंचाया गया। चिराग ने जब उस बेलबॉय को सामान लाने के लिए 100 रुपए दिए तो फुलवा उसे देख कर चौंक गई। चिराग और फुलवा ने...
  14. Rubal

    Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी

    45 चिराग पसीने में भीग हुआ था पर शायद यह पसीना इस वजह से था की अब उसे मां से बात करनी होगी। चिराग को डर सता रहा था कि अब उसकी मां उसे अपने नशे के तौर पर इस्तमाल कर सुधरने के बजाय गलत राह पर चलेगी। उसे कुछ कड़े फैसले लेने होंगे। चिराग ने ठान लिया को वह अपनी मां को शारीरिक संबंध बनाने देगा...
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