A
Avni
Fabolous update dear . akhiri waqt pe puspa ake aapsyu ko bacha hi liya. par aapsyu ke tarah wo bhi anjane thi ke uske bhai ko jaan ka khatra hai. lekin bad me puspa ko shaq hua us anjan admi ke haav bhav se. agar koi dost itna hi jid kar raha tha milne ke liye to bina mile chala kyu gaya.Update - 32
बुलाने आए शक्श के साथ अपश्यु बहार को चल दिया। शख्स मन ही मन बहुत खुश हों होने लगा। आज तो भड़ास निकल कर ही रहूंगा अपश्यु को उसके पाप कर्मों का दण्ड दे'कर रहूंगा ये सोचकर सरपट आगे को बढ़ चल। पीछे पीछे अपश्यु भी चल पड़ा
पुष्पा को अपश्यु बहार की ओर जाते हुऐ दिख गई। भईया कहा जा रहे हैं कह भागकर अपश्यु के पास आ'कर रोक'ते हुए बोली... भईया आप कहा जा रहे हों।
अपश्यु...बहार कोई दोस्त मिलने आया हैं उससे मिलने जा रहा हूं।
पुष्पा...बाहर मिलने जानें से अच्छा आप उन्हें अन्दर भी तो बुला सकते हों। इसी बहाने आप'के दोस्त भी शादी समारोह में सामिल हों लेंगे।
अपश्यु... हां सही कहा फिर शख्स से भाई आप उसे अंदर भेज दो।
अंदर भेजने की बात सुनकर शख्स के दिमाग में खालबली मच गया। अपश्यु बाहर नहीं गया तो योजना विफल हो जायेगा इसलिए बहाने बनाते हुए बोला... साहब मैंने भी यहीं कहा था अंदर आ'कर मिल लो लेकिन वो अंदर आने को राजी ही नहीं हों रहे थें। आप को बुलाकर लाने की जिद्द करने लगें तब मुझे आप'को बुलाने आना पड़ा।
पुष्पा…ऐसा कौन सा दोस्त हैं जो मिलने अंदर नहीं आ सकते आप जा'कर कहिए भईया बाहर नहीं आ सकते उनको यहां जरूरी काम हैं। मिलना हैं तो अन्दर आ'कर मिल ले।
"मेम साहब वो अंदर आना ही नहीं चाहते मैंने भी उन्हें बहुत कहा तो वो मुझे मरने पर उतारू हों गए उनके मार से बचने के लिए मुझे साहब को बुलाने आना पड़ा।"
अपश्यु...ऐसा हैं, तो चलो मैं भी तो देखूं मेरा ऐसा कौन सा दोस्त हैं जो मुझ'से मिलने के लिए इतना जिद्द कर रहा हैं। लेकिन अंदर आना नहीं चाहता। पुष्पा तू मंडप में जा मैं थोड़ी देर में मिलकर आ जाऊंगा।
अपश्यु के बाहर जाने की बात सुनकर शख्स मन ही मन खुश हों गया। पुष्पा मंडप की और जानें के लिए मूड़कर कुछ कदम आगे बड़कर रुक गईं फिर पलट कर बोली... भईया रुको मैं भी आप'के साथ चलूंगी।
पुष्पा के साथ चलने की बात सुनकर शख्स फिर से सोच में पड़ गया अब क्या बहना बनाऊँ जो अपश्यु अकेले बाहर आ जाए। बहन साथ गई तो हम कुछ नहीं कर पाएंगे। शख्स सोचने में मगन था और अपश्यु पुष्पा को जानें से माना करने में लगा रहा। लेकिन पुष्पा राजी नहीं हों रही थीं तब हर मानकर पुष्पा को साथ लेकर अपश्यु बाहर को चल दिया।
बाहर आकर शख्स जिस और अपश्यु को ले'कर जाना था उस ओर न जा'कर दूसरी ओर चल दिया। कुछ दूर जा'कर अपश्यु बोला... भाई कहा ले जा रहा है इधर तो अंधेरा हैं कोई दिख भी नहीं रहा।
"वो तो यही खड़े थे लगता है आने में देर हुआ इसलिए चले गए।"
अपश्यु... ऐसा कैसे हो सकता हैं मेरा दोस्त है, बिना मुझ'से मिले ही चले गए। तू झूट तो नहीं बोल रहा हैं।
तभी पुष्पा का माथा ठनका और पुष्पा बोली... बोलों कौन हों तुम, भईया को क्यों बुलाया था। जल्दी बोलों।
पुष्पा की बात सुनकर शख्स डर गया। जवाब देने से अच्छा भाग जाना बेहतर समझ इसलिए पीछे होते होते एकाएक पलटा और भग्गी लगा दी। शक्श को भागते देख अपश्यु बोला…अजीब आदमी है खुद बुलाकर लाया और खुद ही भाग गया।
पुष्पा... भईया जल्दी अंदर चलो। कुछ गडबड हैं।
अपश्यु.. क्या कह रहीं हैं।
पुष्पा आगे कुछ नहीं बोली अपश्यु का हाथ पकड़कर खींचते हुऐ अंदर को ले जानें लगीं तब अपश्यु बोला... पुष्पा किया हुआ। ऐसे खींचकर क्यों ले जा रहीं हैं।
पुष्पा... अंदर चलो फिर बताता हूं।
फिर दोनों अन्दर आ गए। अंदर आ'कर पुष्पा बोली...भईया मुझे लगता है बाहर आप'का कोई दोस्त नहीं आया था वो लोग आप'को बहार बुलाकर कुछ गलत करना चाहते थे।
अपश्यु... मेरे साथ कौन गलत करना चाहेगा मैंने किस'का बुरा किया।
पुष्पा...भईया मुझे लगता हैं सगाई वाले रात उन दो लड़कों के साथ जो भी हुआ उसका बदला लेने उसके दोस्तों ने कोई योजना बनाया होगा। जैसे अपने रघु भईया ने रमन भईया और आशीष ने उन दोनों को पीटा था वैसे ही वो आप तीनों में से किसी को बहाने से बाहर बुलाकर पीटना चाहते हों।
अपश्यु...उनकी इतनी हिम्मत खुद गलत करे फिर सजा मिला तो अब बदला लेने आ गए तू यही रूक अभी मैं उन लोगों को ढूंढकर अच्छे से सबक सिखाकर आता हूं।
इतना कहकर अपश्यु गुस्से में पलटकर बाहर को चल दिया। पुष्पा आगे से आ'कर अपश्यु को रोकते हुऐ बोली…भईया आप कहीं नहीं जाओगे।
अपश्यु…जानें दे मुझे देखू तो कौन हैं और कितनी हिम्मत हैं। एक तो मेरी बहन को छेड़ा और अब मुझे मरने के लिए अपने नालायक दोस्तों को भेजा।
पुष्पा...भईया अगर अपने महारानी की आदेश नहीं माना तो अभी के अभी आप'के साथ किया हों सकता हैं। आप अच्छे से जानते हों।
अपश्यु मन में सोच अभी अगर पुष्पा की बात नहीं माना तो उठक बैठ करना पड़ेगा इतने लोगों के सामने इज्जत का कचरा करने से अच्छा पुष्पा की बात मान लिया जाएं। उन लड़कों को बाद में देख लिया जाएगा। इतना सोचकर अपश्यु बोला... ठीक है महारानी जी जैसा आप कहें।
पुष्पा मुस्कुरा दिया फिर अपश्यु को साथ लेकर मंडप में पहुंच गईं जहां शादी के सभी रस्म पुरा हों चूका था। नव दंपति बड़े बुजुर्ग के आशीर्वाद ले रहें थें। सबसे पहले दोनों ने पुरोहित का आशीर्वाद लिया फिर महेश और मनोरमा का आशीर्वाद लिया कमला और रघु को आशीर्वाद देते वक्त महेश और मनोरमा की आंखे नम हों गईं। उसके बाद दोनों ने राजेंद्र, सुरभि रावण और सुकन्या का आशीर्वाद लिया फिर दोनों को कमरे में ले जाया गया।
इधर अपश्यु को बुलाने आया शख्स जब संकट के पास पहुंचा। अकेले आया देखकर संकट बोला…तू अकेले आया अपश्यु कहा हैं।
"अरे यार ला तो रहा था लेकिन न जानें कहा से छोटी मेम साहब पुष्पा आ गई फिर वहा जो भी हुआ बता दिया"
संकटअफसोस करते हुए बोला... यार ये अपश्यु फिर से बच गया। तू दोनों को ले आता दोनों को ही निपटा देते।
"दोनों को निपटा देते, सुन संकट हमारा बैर सिर्फ अपश्यु और उसके बाप से हैं। राजा जी, रानी मां, रघु मलिक और पुष्पा मालकिन के साथ कुछ गलत करने का सोचा तो तेरे लिए अच्छा नहीं होगा।"
"अपश्यु और उसके बाप के साथ जितना बुरा करना हैं कर हम तेरे साथ हैं लेकिन राजा जी या उनके परिवार के साथ बुरा करना चाहा तो तेरे लिए ये अच्छा नहीं होगा। "
संकट...अरे नाराज न हो मैं तो इसलिए कह रहा था पुष्पा मेम साहब के करण अपश्यु बच गया वरना मेरा कोई गलत मतलब नहीं था।
"तूने आज पुष्पा मेम साहब के साथ बुरा करना चाहा कल को राजा जी रानी मां रघु मलिक के बारे में भी गलत सोच सकता हैं। मैं तूझे साफ साफ कह रहा हूं ऐसा कुछ भी तेरे मन में हैं तो निकल दे नहीं तो हम'से बुरा कोई नहीं होगा।"
संकट...अरे यार मेरे मन में उनके लिया गलत भावना नहीं हैं मैं तो बस अपश्यु के साथ पुष्पा मेम साहब आ रही थीं इसलिए कहा कितनी कोशिश के बाद मौका मिला था वो भी हाथ से गया इसलिए हताश होकर ऐसा कहा।
"आज नहीं तो कल फिर मौका मिल ही जायेगा यहां का मौका हाथ से गया तो क्या हुआ दर्जलिंग में कभी न कभी मौका मिल जायेगा तब अपश्यु का काम तमाम कर देंगे।"
संकट…ठीक हैं फ़िर चलो अब हमारा यहां कोई काम नहीं हैं। चलते है दार्जलिंग में ही कोई न कोई मौका ढूंढ लेंगे।
संकट अपने गैंग के साथ चला गया। इधर विदाई का समय हों गया था। तो विदाई की तैयारी शुरू हों गया। मनोरमा कमला के पास गईं फिर बोली...कमला आज से तेरा एक नया जीवन शुरू हों रहा हैं। तूझे बहू पत्नी और आगे जाकर मां का धर्म निभाना हैं। ससुराल को अपना ही घर समझना सास ससुर का कहा मानना कभी उनके बातों का निरादर न करना। जैसे मेरी और अपने पापा को मान देती हैं वैसे ही सास ससुर को मान देना। सभी को अपना समझना परिवार में छोटी मोटी नोक झोंक होता रहता हैं। तू हमेशा परिवार को जोड़ कर रखने की चेष्टा करना। हमे कभी तेरी बुराई न सुनने को मिले इस बात का हमेशा ध्यान रखना।
कमला मां की बाते ध्यान से सुनती रहीं। साथ ही आंसु बहाती रही। आज से उसका अपना घर पराया हों गया। जहां लालन पालन हुआ, जिस आंगन में खेली कूदी न जानें कितनी अटखेलियां करते हुऐ बडी हुई आज से वो आंगन उसका अपना न रहा कुछ अपना हैं तो वो पति, पति का घर आंगन पति के रिश्ते नाते दर।
दोनों मां बेटी एक दूसरे से लिपटकर रोए जा रहीं थीं। महेश की आंखे भी नम था। अंदर ही अंदर रो रहा था एक बाप कितना भी मजबूत दिखाने की कोशिश कर ले किंतु बेटी के विदाई के वक्त अपनी भावनाओं को काबू नहीं रख पाता। महेश के साथ भी वैसा ही हुआ। खुद की भावनाओ को दबाने की बहुत कोशिश किया अंतः फुट फुट कर रो ही दिया।
महेश को रोता देखकर कमला महेश के पास आई और महेश से लिपट गईं। दोनों एक दुसरे से कहा तो कुछ नहीं बस आंसु बहाए जा रहे थें। बहते आसूं सब बया कर रहें थें। कुछ क्षण बेटी से लिपटकर रोने के बाद कमला से अलग हो'कर राजेंद्र के पास गए फ़िर हाथ जोड़कर कहा...राजेंद्र बाबू कमला को मैंने बहुत लाड प्यार से पाला हैं। दुनिया की सभी बुराई से बचा कर रखा आज मेरी लाडली आप'को सोफ रहा हूं उससे कोई भुल हों जाए तो नादान समझ कर माफ़ कर देना।
एक बाप की भावना को कैसे एक बाप न समझ पाता राजेंद्र भी तो एक बेटी का बाप हैं। जिससे वो सभी से ज्यादा लाड करता हैं जिसके सामने राजेंद्र का गुस्सा नदारद हो जाता। इसलिए राजेंद्र बोला...महेश बाबू आप'की बेटी मेरी बहू बनकर नहीं बल्कि मेरी बेटी बनकर जा रही हैं। उसे उतना ही लाड प्यार मिलेगा जितना आप'के घर में मिलता था। आप फिक्र न करें सिर्फ घर बादल रहा हैं लोग नहीं।
कमला के विदाई का मंजर बड़ा ही भावनात्मक हों गया। कन्या पक्ष में सभी की आंखे नम हों गया। रमन एक नज़र शालु को देखने के लिए इधर से उधर घूमता रहा। किंतु शालु को देख नहीं पाया। इसलिए निराशा उसके चहरे से झलकने लग गया। अंतः विदाई का रश्म पूरा करके कमला को बाहर लाया जा रहा था तब कमला के साथ साथ शालु और चंचल भी बहार तक आई। शालु को देखकर रमन का चेहरा चमक उठा एक खिला सा मुस्कान लवों पर आ गया। शालु का ध्यान रमन की ओर नहीं था इसलिए रमन मन ही मन सोच रहा था एक बार शालु देखें बस एक बार देख ले।
कमला के साथ साथ रघु कार में बैठ गया। दूसरे कार में रमन बैठते वक्त दरवाजा खोले खडा रहा और बार बार शालु की और देखने लगा। शालु की नजर शायद किसी को ढूंढ रहीं थीं तो शालू भी इधर उधर देखने लग गईं। कार का दरवाज़ा खोले, रमन खडा उसे दिख गई। दोनों की नज़र एक दूसरे से मिला नजरे मिलते हों दोनों के लवों पर लुभानी मुस्कान आ गया। हैं। रमन सिर्फ देखने भार से खुश नहीं हुआ बल्कि हाथ हिलाकर बाय बोला फ़िर मुंडी घुमाकर इधर इधर देखकर कार में बैठ गया।
कार धीरे धीर चल पड़ा और रमन मुंडी बाहर निकलकर पीछे छूटी शालू को देखने लग गया। सर खुजाने का बहाना कर शालू हाथ ऊपर उठाकर हिला दिया फिर दायं बाएं का जायजा लिया कोई देख तो नहीं रहा हैं। ये देखकर रमन मुस्कुरा दिया फ़िर बहार निकली मुंडी को अंदर कर लिया। कमला खिड़की से सिर निकलकर अपने घर को देख रही थीं। जो अब उसका मायका बन चूका था। कमला तब तक देखती रहीं जब तक दिखता रहा। दिखना बंद होते ही सिर अंदर ले'कर बैठ गई।
कमला विदा हो'कर अपने घर चल दिया। लेकिन महेश और मनोरमा का हाल रो रो कर बेहाल हों गया। आस पड़ोस के लोग समझा बुझा रहे थे। लेकिन मां बाप का दिल कहा मान रहा था। घर से बेटी विदा हों'कर हमेशा हमेशा के लिए चली गई। अपने ही बेटी पर अब उनका कोई हक न रहा जिसका इतने वर्षों तक लालन पालन किया, जिसकी सभी इच्छाएं और जिद्द को पुरा किया आज वो पराई हों गई।
मनोरमा रोते रोते बेहोश हों गई तब महेश रूम में लेकर गया पानी का छीटा मारकर होश में लाया होश में आते ही मनोरमा फिर से रोने लग गई तब महेश बोला...मनोरमा चुप हों जाओ ओर रोया तो तबीयत खराब हों जायेगा।
मनोरमा...क्या करूं आप ही कहो आज मैने उन्हीं हाथों से अपने बेटी को विदा किया जिन हाथों से कभी उसे खिलाया था उसके छोटे छोटे हाथों को पकड़कर चलना सिखाया था। उसके छोटी से छोटी सफलता पर उसे सराहा था। आज उन्हीं हाथों से विदा किया आज मेरी बेटी मेरी न रहीं वो पराई हों गईं।
महेश...ये तो हमारा कर्तव्य था जो हमने पुरा किया आज वो अपने घर चली गई पति का घर ही उसका अपना घर हैं हमारे यह तो कमला एक मेहमान थीं। हमे तो सिर्फ उसकी मेहमान नवाजी करना था जो हमने किया।
इसे आगे दोनों एक भी लफ्ज़ नहीं बोला पाए बस एक दुसरे से लिपटकर रोने लगे और कमला के साथ बिताए एक एक पल को याद करने लगें।
खैर कब तक रोते बाहर से महेश को आवाज दिया जा रहा था। इसलिए मनोरमा को चुप कराकर महेश बाहर आया। टेंट वाले, सजावट वाले अपना अपना सामान लेने आए थे। महेश ने उन्हें उनका सामान ले जानें को कहा फिर अंदर से पेमेंट भी ला'कर दिया।
इधर नव दंपति दोपहर तक दर्जलिंग पहुंच चुके थे। सुरभि सुकन्या पहले अंदर गई जहां दाई मां ने पहले से ही नव दंपति के स्वागत की सभी तैयारी कर रखा था। नई बहू को देखने खातिर लोगों की भीड जमा हो गया था। पुष्पा कार से पहले उतरी फिर अंदर की ओर चल दिया। पीछे से अपश्यु भागा भागा आया और पुष्पा के साथ हों लिया रमन भी आया और रघु के साथ खडा हों गया।
रघु और कमला जब दरवाज़े तक पहुंचा तब सुरभि और सुकन्या मिलकर गृह प्रवेश के रश्म को पूर्ण किया फिर रघु और कमला को साथ में अंदर लेकर जाने लगीं दरवाज़े पर पुष्पा और अपश्यु खड़े थे। भाई और भाभी को रोकते हुए बोली...भाभी को लेकर भईया कहा चले।
रघु...अंदर और कहा।
पुष्पा...अंदर तो तब जा पाओगे जब मेरी मांगे पूरी करोगे।
अपश्यु...और मेरी भी मांगे पूरी करोगे तब आप दोनों को अंदर जानें देखेंगे।
रघु... तुम दोनों की जो भी मांगे हैं वो मैं बाद में पुरा कर दुंगा अभी अंदर जानें दो बहुत दूर से सफर करके आए हैं तुम्हारी भाभी बहुत थक गई होगी।
पुष्पा...बहाने haaaa, भाभी का नाम लेकर बचना चाहते हों नहीं बच पाओगे भईया चलो जल्दी निकालो हमे हमारा नग दो और भाभी को लेकर अंदर जाओ।
अपश्यु... हां दादा भाई जल्दी से नग दो नहीं तो हम आप दोनों को ऐसे ही बाहर खडा रखेगे।
रघु ने जेब में हाथ डाला कुछ पैसे निकला फिर पुष्पा की ओर बड़ा दिया। पुष्पा पैसे देखकर बोली...बस इतना सा ओर दो इतने से काम न चलेगा।
तब कमला धीरे से पर्स में हाथ डालकर मूढ़े तुड़े जो भी पैसे रखा था निकलकर चुपके से रघु के हाथ में थमा दिया। पुष्पा की नजर पड़ गई तब बोली…भाभी हमने आप से नहीं मांगा भईया से मांगा हैं तो लेंगे भी भईया से चलो भईया और निकालो।
रघु...पुष्पा अभी मेरे पास इतने ही हैं बाकी के अंदर आने के बाद दे दुंगा।
पुष्पा ने अपश्यु की और देखा अपश्यु ने हा में सिर हिला दिया। तब पुष्पा ने पैसे रख लिया और रास्ता छोड़ दिया। अंदर जा'कर कुछ और रश्में पुरा किया गया फिर पुष्पा के साथ कमला को rest करने भेज दिया गया। कुछ वक्त rest करने के बाद पुष्पा लग गई अपने काम में कमला थोडी उदास लग रही थीं तो पुष्पा तरह तरह की बाते कर कमला का मन बहलाने लग गई।
अपश्यु नीचे आया और सुरभि को बोलकर कहीं चला गया। उधर रमन रघु के साथ था तो रघु को छेड़ने लगा
रमन...रघु आज तो सुहाग रात हैं पहले प्रैक्टिस किया हैं या सीधे पीच पर उतरेगा।
रघु कुछ बोला नहीं बस मुस्करा दिया। मुस्कुराते देख रमन बोला.. मुस्कुरा रहा है मतलब प्रैक्टिस करके पूरी तैयारी कर लिया तू तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला कब किया बता न।
रघु...क्या बोल रहा हैं? कुछ तो सोच समझकर बोला कर तू जनता हैं फ़िर भी ऐसा बोल रहा हैं।
रमन.. हां हां जनता हूं तभी तो बोल रहा हूं तू तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला प्रैक्टिस कर लिया और दोस्त को नहीं बताया।
रघु गुस्से से रमन को देखा और दो तीन मुक्का मार दिया रमन रघु को जकड़ लिया फिर बोला...यार मैं तो मजाक कर रहा था तू तो बुरा मान गया।
रघु... बुरा न मनु तो और किया करू तू जनता हैं फ़िर भी ऐसा कह रहा हैं।
रमन…चल ठीक हैं मै कुछ नहीं कहता तू अब आराम कर मैं बाजार से घूम कर आता हूं।
रघु…चल मै भी चलता हूं।
फिर रघु और रमन बाजार को चल दिया। कुछ वक्त में दोनों वापस आ गए। दोनों के पहली रात की तैयारी हों चूका था। कमला सजी सावरी बेड पर बैठी थीं। रमन रघु को कमरे के बाहर छोड़ कर चला गया।
आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।
kamla aur raghu ki shadi ho gayi, jab vidayi bela aaya to waha sab emotional ho gaye the, vidayi ke bad toh manorama ne ro ro ke apni haalat hi kharab kar li. wese vidayi ke bad aisa gamgin mahol banna swabhavik hai. toh raghu aur kamla ke daampatya jivan ki suruaat ho chuki hai.