Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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Riya

Update - 42


घर से कुल देवी मंदिर तक, सफर के दौरान सुकन्या बिना एक शब्द बोले चुप चाप बैठी रहीं। रावण कई बार बात करना चाह पर सुकन्या ने साफ दर्शा दिया रावण उसके लिए एक अनजान शख्स हैं इसलिए उससे बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं हैं। पत्नी का पराए जैसा सलूक करना रावण को अंदर ही अन्दर शूल जैसा चुभा सिर्फ इतना ही नहीं उसे लगा सुकन्या उससे धीरे धीरे दूर ओर दूर होता जा रहा हैं।

रावण खुद को माजधार में फसा उस नाविक जैसा समझने लगा जिसे किनारे तक पहुंचना हैं परंतु कैसे पहुंचे कोई साधन नजर नहीं आ रहा था। इसलिए गुमसुम सा कार के दूसरे कोने में बैठा रहा।

दूसरे कारों में सभी बातों में मशगूल होकर कुलदेवी मंदिर पहुंच गए। एक एक करके सभी कारों से उतरे और मंदिर के प्रांगण में पहुंचे। राजेंद्र को सापरिवार आया देखकर पुरोहित जी बोले... राजा जी पूजा के मूहर्त का समय शुरू होने में अभी कुछ क्षण बाकी हैं तब तक आप सभी हाथ मुंह धोकर आए।

पुरोहित के कहते ही सभी एक एक कर मंदिर के बहार बने सरोवर के पास गए। शुद्ध शीतल जल से तरोंताजा होकर वापस मंदिर प्रांगण में आ गए। सभी को देखकर पुरोहित जी बोले…पहले नव दंपति बैठें फिर उनके पीछे बाकी बचे विवाहित जोड़े में बैठ जाए एवम जो अविवाहित हैं वो चाहें तो पूजा में बैठ सकते हैं।

पुरोहित के कहे अनुसार सभी बैठ गए। सुकन्या को पास सटकर बैठता देख रावण में कुछ आस जगा शायद पूजा संपन्न होने के बाद सुकन्या उससे बात कर ले। क्या होगा ये तो प्रभु ही जानें।

सभी के बैठते ही पूजा विधि शुरू हों गया। जिन जिन विधि से कुल देवी की पूजा नव दंपत्ति से करवाया जाना राजपरिवार का रीत था। वो सभी विधि पुरोहित जी ने रघु और कमला से करवाया। लम्बे समय तक पूजा चलता रहा अंत में हवन आदि होने के बाद पूजा संपन्न हुआ फ़िर पुरोहित जी बोले...राजा जी सभी पूजा विधि संपन्न हो गया हैं अब आप सभी मां चंडी से अपने इच्छा अनुसार मनोकामना पूर्ण होने की आशीष मांगे।

पुरोहित जी के कहने पर सभी एक एक कर देवी प्रतिमा के सामने शीश झुकाकर नमन किया फिर अशीष मांगा।

कमला... हे देवी मुझे आर्शीवाद करें मै पत्नी धर्म को निभा पाऊं, एक अच्छा बहु होने का फर्ज निभाकर सभी का मन जय कर पाऊं, मेरे नए बने परिवार में सभी सुखमय से रहे हमेशा सभी तरक्की के रह पर आगे बढ़ते रहें।

रघु...हे देवी मुझे आर्शीवाद दे मैं पति धर्म के मार्ग से कभी न डगमगाऊ। एक अच्छा पति, भाई, बेटा एक अच्छा इंसान बनकर रह सकूं मेरे परिवार में सभी हसीं ख़ुशी और सुखमाय से रहे।

सुरभि... हे देवी मैं आप'से क्या मांगू बिना मांगे ही अपने सब दे दिया एक अच्छा बेटा दिया एक अच्छी सर्व गुण संपन्न बहु दिया बस आप मेरे परिवार पर कृपा दृष्टि बनाए रखना।

राजेंद्र... हे देवी आप'का दिया सब कुछ मेरे पास हैं फ़िर भी एक विनती है मेरे पूर्वजों का दिया कार्य भार वहन कर पाऊं ऐसा सामर्थ मुझे देना और मेरे परिवार में सभी को साकुशल रखना।

सुकन्या...हे देवी आप खुद जानते हैं अपने मेरे भाग्य में क्या लिखा बस इतनी कृपा करना इससे बूरा ओर मेरे साथ न हों मेरे पति ही मेरा सब कुछ हैं। उन्हें सद्बुद्धि देना वो बूरा मार्ग छोड़कर सत मार्ग पर चले मेरा एक मात्र बेटा अपश्यु कभी अपने बाप जैसा न बनें और मेरे परिवार में कभी किसी के साथ अहित न हों पाए। मैं ऐसा आशीर्वाद आप'से मांगती हूं।

रावण...हे देवी मेरे अपनो और सपनों इन दोनों में से मैं किसे चुनूं कोई रह नजर नहीं आ रहा। मुझे कोई रह दिखाओ बस इतना ही आप'से विनती हैं।

अपश्यु... हे देवी मैंने बहुत से पाप कर्म किया हैं जिसकी शायद ही मुझे माफी मिल पाए फ़िर भी आप मुझे माफ कर देना। मैं बूरा मार्ग छोड़कर सत मार्ग पर चलने की शपथ लिया हैं। जानता हूं मेरा चुना सत मार्ग बहुत कठिन हैं। बस इतनी कृपा करना मैं इस मार्ग पर बिना डिगे चल पाऊं। बस मेरी इतनी सी अर्जी मन लेना।

पुष्पा... हे देवी मेरे बुद्धू अशीष ips बन जाए इतनी कृपा उस पर कर देना बाकि मुझे अपने लिए कुछ नहीं चाहिए। मेरा परिवार और होने वाला नया परिवार हमेशा खुश रहें। बस इतनी कृपा मुझ पर कर देना।

सभी के मन ने जो चाहा वैसा ही आर्शीवाद देवी से मांगा फ़िर उठकर पुरोहित को नमन किया। इसके बाद जो छोटे थे वे अपने से बड़ों का पैर छूकर आशीर्वाद लिया फिर मंदिर प्रांगण से बहार आ गए।

मुंशी अपने बीबी और बेटे के साथ पधारे अभी कुछ ही देर हुआ था। वे आकर देखा पूजा लगभग समाप्त होने वाला था। इसलिए अंदर न जाकर बहार ही रूक गए। मुंशी को देर से आया देखकर राजेंद्र थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोला... मुंशी तू आया ही क्यों जब पूजा में नहीं बैठ पाया तो तेरे आने का फायदा ही क्या हुआ इससे अच्छा तो तू नहीं आता।

मुंशी राजेंद्र की बात सुनकर थोड़ा सा मुस्कुराया फ़िर राजेंद्र के पास जाते हुए बोला…अरे राजा जी आप इतना गुस्सा क्यों हों रहें हों मैंने कहा था आऊंगा तो आ पहुंचा बस देर से पहुंचा इसकी वजह हमारी कार हैं जो बीच रस्ते में खबर हों गया। कार ठीक करवाने में देर हों गया इसलिए देर से पहुंचा इसमें मेरा कोई दोष नहीं हैं जो भी हुआ सारा दोष कार का हैं।

राजेंद्र... देर से आया तो ख़ुद के बचाव में कोई न कोई बहाना बनाना ही था। गलती खुद किया ओर दोष कार को दे रहा हैं।

पति का बचाव करते हुए उर्वशी टपक से बीच में बोला पड़ी... राजा जी ये सही कह रहे है हमारी कार सच में खराब हों गईं थी। अब आप ही बताएं बिना कार सही करवाए हम कैसे पहुंच पाते।

उर्वशी को पति का पक्ष लेता देखाकर सुरभि तंज भरे लहजे में बोली... हां हां तू तो बोलेगी ही मुंशी भाई साहब तेरा पति हैं पति के बचाव करना बनता हैं।

उर्वशी... मैं सच बोल रहीं ही आप'को यकीन नहीं हों रहा हैं तो, रमन की तरफ देखते हुए बोली... रमन से पूछ कर देखो रमन तो आप'से झूठ नहीं बोलेगा।

राजेंद्र ... अच्छा अच्छा मानता हूं आप और मंशी सही बोल रहे हों अब चलो चलकर कुछ दान पुण्य का काम कर लिया जाएं।

मुंशी…राजा जी जब आ ही गए है तो पहले देवी के दर्शन कर लूं फिर दान पुण्य भी कर लुंगा।

मुंशी की बात सुनकर सभी मंद मंद मुस्कुरा दिए फिर मुंशी परिवार सहित मंदिर के अंदर गए। देवी के सामने शीश नवाकर नमन किया फिर बहार आ गए। जब तक मुंशी बहार नहीं आया तब तक राजेंद्र परिवार सहित खड़ा रहा मुंशी के आते ही सभी साथ में मंदिर के सामने बनी पंडाल में पहुंचे।

राजेंद्र ने ऐलान करवा दिया था कि मंदिर में सभी जरूरत मंद लोगों की जरूरत पूरा किया जाएगा। ये सूचना सुनकर जरूरत मंद लोगों का जमघट पंडाल में लग गया।


राजेंद्र को सापरिवार पंडाल में पधारते ही पंडाल में मौजूद सभी लोग राजेंद्र की जय जयकर करने लग गए। उन्हीं में से कई लोग जो रावण के जुल्मों का शिकार हुआ था। रावण को राजेंद्र के साथ देकर अपने अंदर जमे घृणा को शब्दों के रूप में बहार निकाला।

"आ गया कमीना दिखावा करने अभी दान करेगा बाद में अपने चमचों को भेजकर हमसे छीन लेगा।"

"पापी तू कितना भी देवी के दरबार में माथा टेक ले तेरा पाप कर्म तेरा पीछा कभी नहीं छोड़ने वाला हमारे मन में जितना सम्मन राजा जी के लिए है उतना ही घृणा तेरे लिए हैं।"

राजेंद्र की जय जयकार करने के बाद भीड़ शांत हुआ तब राजेंद्र बोला… मैं और मेरे परिवार हमेशा आप सभी के भाले के लिए सोचा है। दुःख सुख में आप के साथ खड़े रहें हैं। जितना मन सम्मन मैं आप'को देता हूं उतना ही मन सम्मन से आप सभी ने मुझे नवाजा हैं। बहुत समय बाद हमारे महल में खुशियां आई है। हमारे परिवार में एक सदस्य की बड़ोत्री मेरे पुत्र बधु के रूप में हुआ हैं। मेरे परिवार में आई इस खुशी के पल को आप सभी के साथ बाटने आया हूं। थोड़ी ही देर में मेरा पुत्र और पुत्रबधु आप सभी के जरूरत के मुताबिक आप सभी को कुछ दान देंगे आप सभी से निवेदन है आप सभी उस दान को सहस्र स्वीकार करें।

"जी राजा" "जी राजी" की गूंज पूरे वादी में जोर सोर से गूंज उठा। कमला इन गुजती आवाजों को सुनकर पास खड़ा रघु का हाथ कसकर पकड़ लिया जीवन में पहली बार इतने लोगों को एक साथ किसी की जय जयकर करते हुए सन रहीं थीं। वो तय नहीं कर पा रहीं थीं किस तरह का रिएक्ट करें जब समझ नहीं आया तो रघु का हाथ कसकर पकड़ लिया।

कमला का चेहरा घूंघट से ढका हुआ था इसलिए रघु, कमला का चेहरा न देख पाया रघु को लगा कमला शायद इतने लोगों की आवाज़ एक साथ सुनकर डर गई होगी तो कमला के कंधे पर हाथ रखकर बोला...कमला क्या हुआ? डर लग रहा है जो इतना कसके मेरा हाथ पकड़ लिया।

कमला... जी डर नहीं रहीं हूं पहली बार इतने लोगों की आवाज़ एक साथ सूना तो समझ नहीं पाई कैसा रिएक्ट करू।

रघु...कमला अब आदत डाल लो क्योंकि आगे ओर न जानें कितनी बार तुम्हें ऐसी भीड़ की आवाज़ें सुनने को मिलेगा।

कमला सिर्फ हां में मुंडी हिला दिया। इससे आगे कुछ नहीं कहा। पर रघु का हाथ नहीं छोड़ा तब रघु अपना दूसरा हाथ भी कमला के हाथ पर रख दिया। पति का दूसरे हाथ का स्पर्श पाकर कमला घूंघट के अंदर से सिर ऊपर उठकर रघु को देखा और मंद मंद मुस्कुरा दिया।

राजेंद्र के कहने पर दान लेने आये हुए सभी जनता कतार में खड़े हों गए। एक एक कर आते गए। रघु और कमला के हाथों से दान लेते गए। दुआएं दिया ओर अपने अपने रस्ते चले गए।

भीड़ बहुत ज्यादा था सिर्फ कमला और रघु दान करते रहे तो समय बहुत लग जाता इसलिए राजेंद्र के कहने पर बाकि बचे सभी दोनों का हाथ बटाने लग गए।

इतने लोगों के एक साथ दान करने से भिड़ जल्दी जल्दी काम होने लग गया। उन्हीं भीड़ में एक बुजुर्ग महिला लाठी का सहारा लेकर आगे बढ़ रहीं थीं। बुर्जुग महिला जिस कतार में थीं अपश्यु उसी कतार से आ रहे लोगों को दान की चीजे दे रहा था। आगे आते आते बुजुर्ग महिला अपश्यु को देखकर रूक गई।

शायद बुर्जुग महिला अपश्यु के हाथों दान नहीं लेना चहती थी या फ़िर अपश्यु से डर रहीं थीं जो भी हों बुर्जुग महिला आगे बढ़ने से कतरा रहीं थीं। इसलिए थम सी गई। कतार में जल्दी आगे आने की कोशिश के चलते पीछे धक्का मुक्की हुआ। जिसकी चपेट में बुर्जुग महिला आ गईं। खुद को संभाल न पाने की वजह से बुर्जुग महिला सामने की ओर गिर गई।

बुर्जुग महिला को गिरते देखकर। हाथ में उठाया हुआ सामान अपश्यु नीचे रख दिया और तुरंत बुर्जुग महिला के पास पहुंच गया। सहारा देकर बुजुर्ग महिला को उठना चाहा तो बुर्जुग महिला अपश्यु का हाथ हटाकर करकस स्वर में बोली...मैं इतनी भी बेसहारा नहीं हुई हूं कि तुझ जैसा पापी का सहारा लेना पड़े छोड़ मुझे papiiii।

बुर्जुग महिला की दो टूक बाते सूनकर अपश्यु कुछ क्षण के लिए थम सा गया। उसे समझ नहीं आया की बजुर्ग महिला ने उससे ऐसा कहा तो कहा क्यों? जानने की जिज्ञासा मन में लेकर अपश्यु बोला... बूढ़ी मां मैं जनता हूं मैंने बहुत से पाप कर्म किया हैं। पर आप'के साथ तो ऐसा कुछ भी न किया फिर अपने मुझे ऐसा क्यों कहा?

बुजुर्ग महिला एक गहरी सांस लिया फ़िर बोला... पापी तूने पाप कर्म किया वो याद हैं। जिनके साथ किया वो भी शायद याद हैं पर जो तेरे दुष्कर्मों की शिकार बनी उनके परिवार वाले तूझे याद नहीं, तेरे दुष्कर्मों की शिकार बनी एक अबला मेरी एक मात्र सहारा थीं। जिसे तूने मुझ'से छीनकर मुझे बेसहारा कर दिया अब आया दिखावे की सहारा देने छोड़ मुझे तेरे सहारे की जरूरत नहीं हैं।

बुर्जुग महिला के इतना बोलने से अपश्यु बुर्जुग महिला को छोड़कर बेजान मूरत सा बैठ गया। ख़ुद के किए कर्मों को एक बार फ़िर से याद करने लग गया।

कतार में खडा एक बंदा निकलकर आया। बुर्जुग महिला को सहारा देकर उठने में मदद किया। बुर्जुग महिला लाठी का सहारा लेकर धीरे धीर आगे बढ़ गए। अपश्यु बेजान मूरत सा वहीं बैठा रहा।

बुर्जुग महिला धीरे धीरे चलते हुए रघु और कमला के पास पहुंचा। एक वृद्ध महिला को आया देखकर रघु ने पहले उनको दान दिया। दान लेने के बाद बुर्जुग महिला हाथ ऊपर उठाकर आर्शीवाद दिया फिर धीरे धीरे अपने रस्ते चली गईं।

अजीब सा मंजर बन गया जहां एक ही परिवार के दो बेटे के प्रति एक बुर्जुग महिला का मनोभाव अलग अलग हैं। एक के लिए प्यार और आर्शीवाद दूसरे के लिए सिर्फ और सिर्फ घृणा ओर कुछ नहीं!

अपश्यु कुछ वक्त तक मूरत जैसा बैठा रहा फ़िर उठकर वहां से थोड़ा दूर जाकर खडा हों गया। सोचा था दान पुण्य करके पाप का बोझ थोड़ा कम करेगा पर हुआ उल्टा एक बुर्जुग की बातों ने उसे एक बार फ़िर से उसके किए दुष्कर्मों को याद करवा दिया। अपने किए पाप कर्मों का बोझ अपश्यु को इतना भारी लगा की उससे वहा खडा न रहा गया। इसलिए वहा से दूर खडा होकर सिर्फ देखना ही बेहतर समझा।

जब तक लोग आते रहें तब तक सभी दान करते रहें। दान लेकर सभी रघु और कमला को अशीष देकर चले गए। दान पुण्य का समापन होते होते अंधेरा हों गया। सभी थक भी चुके थे इसलिए ओर ज्यादा देर करने से घर वापस लौटना बेहतर समझा। सभी जैसे जैसे आए वैसे ही घर को चल दिया। सभी के चेहरे पर थकान दिख रहा था पर उसमे भी एक सुखद अनुभूति नजर आ रहा था। इन्ही में सिर्फ अपश्यु ही एक ऐसा था जिसके चेहरे पर थकान के साथ साथ दुनिया भार का दर्द और उदासी झलक रहा था।



आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बने रहने के लिय बहुत बहुत शुक्रिया। 🙏🙏🙏🙏
wonderful update. rajendra ji aur unki family ko logo se jo man saman mila hai unke ache karmo ki wajah se. aur rawan aur aapashyu log ke grina patr bane apne bure karmo ke wajah se.
aapasyu jitna apne atit se dur jane ki kosis karega utna hi uska atit kisi na kisi rup me uske samne a khada hoga .
 
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Riya

Bahot khub..... :roflol: us budhiya ne achha sabak sikhayi hai usko...
Ush hawasi kamine aapsyu ke saath to ish se bura hona chaahiye..... wo bhi bhari saamaj mein... chappalon k mala pehnake gadhe pe ulta baitha ke pura gaon ghumana chaahiye usko..... Tab pata chalega usko ki nischal kasak aur nandini ke sath bura bartaav karne ka anjaam kya hota hai :laugh1:

Budhiya aur apshyu ki baatcheet.....

Budhiya ki baatein sun apshyu ka face expression...
images-2022-01-30-T074657-012
:roflol:
budhiya ke jaane ke baad nalle apshyu ki condition....
Bland-Healthy-Irrawaddydolphin-max-1mb
:gaylaugh:
Khair shaandaar update, shaandaar lekhni aur shaandaar shabdon ka chayan....

Let's see what happens next..
Brilliant update with awesome writing skills.... :clapping: :clapping:
aapasyu ne jitne paap kie hai usko sudhara nahi ja sakta .
 
Will Change With Time
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143
आपश्यू के झूठे कसमें वादों से
आपश्यू के जलते सुलगते ख्वाबों से
आपश्यू की बे-रहम दुआओं से
नफरत करती रहेगी वो बुजुर्ग महिला
जब तक है जान
जब तक है जान. 🤭

Medam ji apke charan paduka kidhar hai:bow2:

Bahut bahut shukriya aise hi saath bane rahiye aur tukbandi se sarabhor karte rahiye
 
Will Change With Time
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Destiny sahab pur jor koshish kar rahe hai ki kaise bhi karke aur bhi aur sukanya door door rakha jaaye........ :bat: un teeno kamine kamini raghu, kamla aur pushpa ko baar baar surbhi aur sukanya ke bich laane ki koshish kar rahe hai.... Koi naa koi wajah dikha ke..... taaki dono ko privacy naa mil paaye...bahot buri baat Destiny sahab...


Update ke dusre part ko padhkar kaleje ko badi thandak mili hai.....
aise hi...bilkul aise hi thadpna chaahiye is kamine haramjade apshyu ko..... ye insaan kehlaane ke bhi laayak nahi..... are itni logo zindagiyaan barbaad kar di.... itni majlum dukhiyari auraton aur ladkiyon ki ijjat aur aabru lut li..... isko to aise jalna hai ab...... I think ish apshyu ko to jaake kisi gande naale mein khud ke dub marna chaahiye..... dmm-1
Khair shaandaar update, shaandaar lekhni aur shaandaar shabdon ka chayan....

Let's see what happens next..
Brilliant update with awesome writing skills.... :clapping: :clapping:

Bahut bahut shukriya 🙏

Mai bhi to chahta hoon dono ko thoda privacy diya jaye par kiya karu dono ki Destiny me hi virah likha hai to mai kase mila sakta hoon:dontknow4:

Aap ki dili tamnna hai to shayad pura ho jaye
 
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Bahot khub..... :roflol: us budhiya ne achha sabak sikhayi hai usko...
Ush hawasi kamine aapsyu ke saath to ish se bura hona chaahiye..... wo bhi bhari saamaj mein... chappalon k mala pehnake gadhe pe ulta baitha ke pura gaon ghumana chaahiye usko..... Tab pata chalega usko ki nischal kasak aur nandini ke sath bura bartaav karne ka anjaam kya hota hai :laugh1:

Budhiya aur apshyu ki baatcheet.....

Budhiya ki baatein sun apshyu ka face expression...
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budhiya ke jaane ke baad nalle apshyu ki condition....
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Khair shaandaar update, shaandaar lekhni aur shaandaar shabdon ka chayan....

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Brilliant update with awesome writing skills.... :clapping: :clapping:
Bahut bahut shukriya 🙏

Chappalo ka mala pahna diya ghade par ulta bhi ghuma diya phir takla aur kalik ko kahe chhod diya lage hai ye dono kaam aap kisi aur se karvana chahte hoon.

Kya expression dikhya hai. Maza aa gaya kaha se late ho itne creative idia thoda mujhe bhi udhar de do.
 

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