Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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Update 12

Rajendra aur surbhi ko insaan ka parakh hai... saamne wale ke haav bhav, baatcheet karne ka dhang dekhke pehchan jaate hai ki saamne wala kaisa hai uska swabhaav kaisa hai.... well rajendra aur surbhi ko ashish as a damad pasand hai... wo to rajendra thoda bahot natak kar raha tha, ....

Udhar manoram bhi hairaan ki khud raj parivaar ke ladke ka rishta saamne se chalke aa hai unki beti ke liye... lekin sach to ye hai ki kamla hai itni achhi aur pratibhashali ki rajendra aur surabhi ke mann moh li usne... dono ke mann mein ek baat ghar kar gayi ki.. chirag leke bhi dhundne par bhi kamla zyada achhi aur gunvanti ladki nahi milegi raghu ke liye ...

pushpa jab ghar aayi to to ek alag hi twist aa gaya tha.. wo to apne room mein ghode gadhe bech kar so rahi thi, lekin darwaja bandh dekh surbhi aur rajendra ki jaan jaise halakh mein atak gayi thi.... ki college wale incident ke baad puspa ne kahi kuch galat to nahi kar li ho khud ke hi sath... ab isme galti bhi to rajendra ki thi na... khair.. wo to achha hua ki usne darwaja khol di...
Udhar raghu bhi aa pahucha... Itne dino baad apne bhai ko dekh aur milke puspa bhi kaafi khush hai
waise indono ko kal le jaane wale kamla ke ghar raghu aur kamla ki shaadi fix karne.. Lekin pushpa aur raghu ke laakh puchne par bhi bataya unke mata pita ne ki kaha jaa wale hai....
btw calcutta aane ka double faida hua... ek taraf jaha pushpa ka bhi rishta tay jaana hai ashish se wohi dusri taraf raghu ki bhi shaadi fix ho jaani hai kamla se...
Kya baat hai,, kal tak apne bete raghu ki shaadi ko lekar pareshaan ho rahe rajendra aur surbhi ko to ek hi baar mein bahu aur damad dono hi mil gaye... achhe logo ke sath achha hi hota hai, rukawat jarur aate hai lekin ant mein bhala hi hota hai...

Shaandaar update, shaandaar lekhni, shaandaar shabdon ka chayan... sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi..

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :clapclap: :clapping:

Manorama be like...
giff
:goftogo:
:devaredeva:
 
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Update 12

Rajendra aur surbhi ko insaan ka parakh hai... saamne wale ke haav bhav, baatcheet karne ka dhang dekhke pehchan jaate hai ki saamne wala kaisa hai uska swabhaav kaisa hai.... well rajendra aur surbhi ko ashish as a damad pasand hai... wo to rajendra thoda bahot natak kar raha tha, ....

Udhar manoram bhi hairaan ki khud raj parivaar ke ladke ka rishta saamne se chalke aa hai unki beti ke liye... lekin sach to ye hai ki kamla hai itni achhi aur pratibhashali ki rajendra aur surabhi ke mann moh li usne... dono ke mann mein ek baat ghar kar gayi ki.. chirag leke bhi dhundne par bhi kamla zyada achhi aur gunvanti ladki nahi milegi raghu ke liye ...

pushpa jab ghar aayi to to ek alag hi twist aa gaya tha.. wo to apne room mein ghode gadhe bech kar so rahi thi, lekin darwaja bandh dekh surbhi aur rajendra ki jaan jaise halakh mein atak gayi thi.... ki college wale incident ke baad puspa ne kahi kuch galat to nahi kar li ho khud ke hi sath... ab isme galti bhi to rajendra ki thi na... khair.. wo to achha hua ki usne darwaja khol di...
Udhar raghu bhi aa pahucha... Itne dino baad apne bhai ko dekh aur milke puspa bhi kaafi khush hai
waise indono ko kal le jaane wale kamla ke ghar raghu aur kamla ki shaadi fix karne.. Lekin pushpa aur raghu ke laakh puchne par bhi bataya unke mata pita ne ki kaha jaa wale hai....
btw calcutta aane ka double faida hua... ek taraf jaha pushpa ka bhi rishta tay jaana hai ashish se wohi dusri taraf raghu ki bhi shaadi fix ho jaani hai kamla se...
Kya baat hai,, kal tak apne bete raghu ki shaadi ko lekar pareshaan ho rahe rajendra aur surbhi ko to ek hi baar mein bahu aur damad dono hi mil gaye... achhe logo ke sath achha hi hota hai, rukawat jarur aate hai lekin ant mein bhala hi hota hai...

Shaandaar update, shaandaar lekhni, shaandaar shabdon ka chayan... sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi..

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :clapclap: :clapping:
Itna shandar aur motivated revo diya iske liye bahut bahut shukriya 🙏

Rajendra ko iinshano ko parakh ne ki parak hai lekin jahan beti ka mamla aata hai vaha sabhi ma bap man ke tasalli hone tak ladke ko parkhta hai..

Beti ke liya rishta aana achi bat hai lekin bhare pure sampaan privar jinke samne maanorma aur uske parivr ki koyi tulna nehi to aisa hone par chuukna svbhavik hai.

Pushpa ke leye twist to bad me hua pahle to soch soch kar jaan ki afat ban hua tha. Uske bekhabr sona hi ma bap ko n jane kya se kya sochne par majbur kar diya. Dono ka sochn bhi lajmi tha unhe pata tha subha jo bhi hua kuch jjyada ho gaya tha.
 
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Update - 13


शाम को ऑफिस से घर आने पर मनोरमा एक गिलास पानी महेश को ला'कर दिया। पानी पी'कर महेश बोला…कमला कहा हैं दिख नहीं रहीं।

मनोरमा…एक पल कमला को देखे बिना चैन नहीं मिलता फिर पुरा दिन आप ऑफिस में कैसे काट लेते हों।

महेश…कैसे बताऊं मेरा दिन कैसे कटता हैं? ये समझ लो बस घड़ी देखता रहता हूं कब छुट्टी का समय हों ओर घर आ'कर अपने लाडली से मिलूं।

बेटी की विदाई की बात सोचकर ही मनोरमा की आंखे नाम हों गई ओर गला भर आया, भर्राई आवाज में मनोरमा बोली...कमला दिन रात हमारे सामने रहती हैं। तो अपका ये हल हैं जब कमला शादी करके दुसरे के घर चली जाएगी। तब आप क्या करेंगे?

बेटी की विदाई की बात सुनकर ही महेश की धडकने बढ़ गया ओर आंखो से दो बूंद नीर के टपक ही गया जिसे चाहकर भी महेश रोक नहीं पाया। आंखो से बहते नीर को पोछकर महेश बोला…कैसे रह पाऊंगा नहीं जानता, मन तो करता हैं कमला को खुद से कभी दूर जानें ही न दूं पर चाहकर भी उसे अपने पास नहीं रख सकता। मनोरमा मैं तो जैसे तैसे रह लूंगा। उसकी विदाई की बात सोचकर ही तुम्हारा गला भर आया। तुम क्या करोगी, कैसे रह पाओगी?

महेश की बात सुनकर मनोरमा रो दिया बस आवाज़ नहीं निकल रहा था पर आंखो से नीर बहे जा रहा था। महेश से मनोरमा लिपट गई फ़िर भरराई आवाज़ में बोली…उसके जानें से मेरा आंगन हमेशा हमेशा के लिए सुना हों जायेगा। एक बेटी के अलावा हमारा कोई ओर हैं भी तो नहीं, हम उसके बिना कैसे रह पाएंगे?

मनोरमा को ऐसे अधीर होते हुए देखकर महेश पहले खुद को संभाला फिर बोला...कमला अभी हमारे पास ही हैं। विदा नहीं हुई हैं। संभालो खुद को अभी ये हल हैं। जब विदा हो'कर जायेगी। तब क्या करोगी?

मनोरमा…उस दिन तो मेरा कलेजा ही फट जायेगा। जब से कमला की रिश्ते की बात करने वो लोग आए। तब से पूरा दिन कैसे काटा मैं ही जानती हू।

कमला की रिश्ते की बात सुनकर महेश अचंभित हों गया फिर मनोरमा को ख़ुद से अलग कर बोला…किसी से कमला की शादी की बात नहीं कहा फ़िर कौन रिश्ते की बात करने आए?

मनोरमा….राज परिवार से राजा जी और उनकी पत्नी आए थे। बड़े विनम्र भाव से मुझ'से कमला का हाथ मांग रहे थे।

महेश…इतने संपन्न परिवार से हो'कर भी हमारी बेटी का हाथ मांगने आए ये उनकी विनम्रता ही हैं। तुमने क्या कहा?

मनोरमा…बिना आपसे पूछे,मैं अकेले कैसे फैसला ले सकता हूं? उनसे कहा मैं अकेले कोई फैसला नहीं ले सकता हूं। तब उन्होंने कहा हम कल फिर आयेंगे आप अपने पति को कह देना वो भी घर पर रुक जाए ।

महेश…ये तुमने सही किया। उनके बेटे को देखा कैसा दिखता हैं। क्या कमला और उनके बेटे की जोड़ी जांचेगा?

मनोरमा…जी नहीं! वो दोनों ही आए थे। कह रहे थे कल उनके बेटे को भी साथ ले'कर आएंगे। हमे लड़का पसंद आया तो ही बात आगे बढ़ाएंगे।

महेश…हमारा पसंद न पसंद कोई मायने नहीं रखता। कमला को लड़का पसंद आया तो ही हम बात आगे बढ़ाएंगे।

मनोरमा…उनका भी यही कहना था।

महेश…ये तो अच्छी बात हैं इससे पता चलता हैं उनकी सोच कैसा हैं। मनोरमा मैं तो कहता हूं इससे अच्छा रिश्ता हमे कमला के लिए नहीं मिल सकता बस कमला हां कह दे।

मनोरमा…हां उनकी सोच बहुत अच्छी हैं और स्वभाव भी बहुत मिलनसार हैं। सुबह जब वो आए थे तब मैं उनके लिए चाय बनाने गई तो राजाजी की पत्नी मेरे साथ साथ किचन में चली गई। मना करने के बाद भी चाय बनाने में मेरी मदद करने लग गई।

महेश चकित हो'कर बोला…इतने बड़े घर की हो'कर भी चाय बनाने में तुम्हारी मदद करने गई ओर तुमने उन्हें करने दिया तुम्हें उन्हें रोकना चाहिएं था।

मनोरमा…मैं तो मना कर रहीं थी लेकिन उन्होंने सुना ही नहीं तब जा'कर मजबूरी में मुझे उनकी बात मानना पड़ा।

महेश…तुम'ने कमला से इस बारे में कोई बात किया ।

मनोरमा…जी नहीं।

महेश…ठीक हैं तुम जाओ खाने की तैयारी करों मैं कमला से मिलकर आता हूं। खाना खाने के बाद कमला से बात करेंगे।

मनोरमा खाने की तैयारी करने चली गई ओर महेश कमला से मिलने चल दिया। पापा को आया देख कमला बोली...पापा आप आ गए। आप'का आज का दिन कैसा रहा।

महेश…मेरा दिन तो जैसे तैसे काट गया। तुम बताओं आज दिन भार तुम'ने क्या क्या किया।

कमला... वहीं जो रोज करती हूं घर से कॉलेज, कॉलेज से घर। पापा आज न कल के मुख्य अतिथि जिन्होंने मुझे प्राइज दिया था वो घर आए थें।

महेश अनजान बनते हुए…achaaa क्यों आए थे तुम कुछ जानते हों।

कमला...वो तो आप मां से पूछ लो मैं तो बस उन्हें घर छोड़ने आई थी फिर तुरंत ही कॉलेज चली गई थी।

महेश...ठीक हैं तुम पढाई करों मैं तुम्हारी मां से पूछ लेता हूं।


कमला के रूम से आ'कर महेश कीचन में चला गया फिर खाना बनाने में मनोरमा की हेल्प करने लग गया। हेल्प कम कर रहा था मनोरम के साथ छेड़खानी ज्यादा कर रहा था। तो परेशान हो मनोरमा बोली….आप भी न बेटी बड़ी हो गईं ओर आप हो की बाज नहीं आते उसने देख लिया तो क्या ज़बाब देंगे।

मनोरमा के कमर को महेश भींच दिया। Aahaaa oohooo की आवाज कर महेश के हाथ को हटा दिया फिर बोली...क्या करते हों? कमला घर पर हैं ओर आप बेशर्मों की तरह हरकते कर रहें हों।

महेश दुबारा मनोरमा के कमर पर हाथ रख दिया फिर हाथ को आगे बडा नाभी के आस पास फिराने लग गया ओर अचानक मांस सहित नाभी को मुट्ठी में भर भींच दिया। Aahaaa unhuuuu की आवाज कर मनोरमा कसमासती रह गई ओर महेश बोला...जब बीवी इतनी खुबसूरत हों तो पति को बेशर्म बनना ही पड़ता हैं। हमारी बेटी बहुत समझदार हैं। जब भी आती हैं आवाज देते हुए आती हैं।

पति का हाथ हटा धक्का दे'कर ख़ुद से दूर किया फिर करचली हाथ में लेकर बोली….काम में हेल्प करने के जगह मेरे साथ मस्ती कर रहे हों। अभी के अभी बहर जाओ नहीं तो इसी करचली से आप'का सिर फोड़ दूंगी।

महेश...गजब की लड़ाकू बीवी मिला है जब भी प्यार करना चाहो तो कभी करचली उठा लेती है तो कभी बेलन उठा लेती हैं। विचारा पति प्यार करे तो करे किससे।

इतना बोल महेश बहार को चल दिया ओर मनोरमा एक नज़र पति को देखा फिर मंद मंद मुस्कुरा दिया ओर खाना बनाने लग गई। खाना बनाकर डायनिंग टेबल पर लगा दिया फिर बोली…कमला खाना लगा दिया है आ'कर खाना खा ले फ़िर पढाई कर लेना।

कमला...मां आ रहीं हूं।

कमला के आते ही मनोरमा सभी के लिए खाना परोस दिया। खाना से निपट कमला रूम में जा रहीं थीं तब महेश बोला... बेटी थोडी देर रुको तुम'से कुछ बात करना हैं।

कमला...जी पापा

बोला बैठ गई। मनरोमा झूठे बर्तन उठा कीचन में ले गई। कमला मां के पीछे पीछे कीचन में गई। बेटी को कीचन में देख मनोरमा बोली...तू कीचन में क्या लेना आई।

कमला...मां आप अकेले अकेले कब तक बर्तन धोओगे। मैं भी हेल्प कर देती हूं जल्दी धूल जायेगा।

मनोरमा...बडा आया बर्तन धोने वाली चुप चाप जा'कर पापा के पास बैठ।

कमला...maaaa...।

मनोरमा... बोला न बहार जा नहीं तो...।

कमला... अच्छा अच्छा जाती हूं डांट क्यों रहीं हों?

इतना बोला कमला कीचन से बहार चली गई। मनोरमा मुस्कुराते हुए बर्तन धोने लग गई। कमला बहार आ पापा के पास बैठ गई। कुछ देर में मनोरमा भी आ गईं। मां को देख कमला बोली…मां जब भी कीचन में आप'का हाथ बटाने जाती हूं आप मुझे डांट कर क्यों भागा देती हों।

मनोरमा...मेरी बेटी हमारे घर की राजकुमारी हैं। मैं अपनी राजकुमारी को झूठे बर्तन क्यों धोने दूं।

कमला...वो तो मैं हूं।

महेश…राजकुमारी जी तुम'ने कोई राजकुमार ढूंढ रखा हैं या हम ही दूर देश से कोई राजकुमार ढूंढ कर लाए।

पापा की बात सुन कमला मुंह खोले देखने लग गईं फ़िर शर्मा कर नज़रे झुका लिया ये देख महेश मुस्कुरा दिया फ़िर बोला...शर्मा गई मतलब राजकुमारी ने अपने लिए राजकुमार ढूंढ रखा हैं। बता दो कौन हैं? हम भी जाने राजकुमारी का पसंद किया राजकुमार कैसा हैं।

"मैंने नहीं ढूंढा हैं वो तो आप दोनों ही ढूंढ कर लाओगे"

बोलने को तो बोल दिया लेकिन जब ख्याल आया। क्या बोल गई? तब शर्मा कर मनोरमा से लिपट गई। कमला के लिपटते ही मनोरमा और महेश हंस दिए। मां बाप को हंसते देख मां से कमला ओर जोर से लिपट गई ओर मनोरमा बोली…नहीं ढूंढा हैं तो बता दो राजकुमारी को कैसा राजकुमार चाहिएं हम वैसा ही राजकुमार ढूंढ कर लायेंगे।

कमला कुछ नहीं बोली बस शर्मा कर मां से लिपटी रही फिर कमला को खुद से अलग कर ठोड़ी पकड़ चेहरा ऊपर को किया ओर मनोरमा बोली...कमला आज नहीं तो कल हमे तुम्हारे लिए लड़का ढूढना ही होगा। ये वक्त सभी लडक़ी के जीवन में एक न एक दिन आता ही हैं। तुम अपनी पसंद बता दो हम तुम्हारे पसंद के मुताबिक लड़का ढूंढ कर लायेंगे।

कमला नजरे उठा कर मां की ओर देखा फ़िर दो तीन बार पलके झपकाई ओर बोली…मां मेरे लिए लड़का ढूंढने की कोई जरूरत नहीं हैं। मुझे शादी नहीं करना हैं और न ही आप दोनों से दुर कहीं जाना हैं।

महेश जो कमला से थोड़ी दूर बैठा था। कमला के पास खिसककर आया ओर कमला के सिर पर हाथ रख सहलाते हुए बोला…शादी नहीं करनी वो क्यो भला आज नहीं तो कल तुम्हें शादी करना ही होगा।

कमला महेश की ओर देखते हुए बोला…मुझे शादी नहीं करना मैं शादी करके आप'से दूर चली गई तो आप दोनों का ख्याल कौन रखेगा। मेरे अलावा आप दोनों का कौन हैं?

कमला ने महेश को वास्तविकता से अवगत करा दिया। बेटी के अलावा महेश और मनोरमा के जीवन में कोई ओर नहीं था, ये सुनकर महेश और मनोरमा कुछ वक्त के लिए भावुक हो गए फिर खुद को संभाल कर महेश बोला…कमला तुम कह तो सही रहीं हों लेकिन मैं तुम्हें उम्र भर अपने पास नहीं रख सकता तुम्हें एक न एक दिन इस घर से विदा हो'कर जाना ही होगा। समाज की यही रीत हैं। सभी मां बाप को बेटी का विदा कर, इस रीत का पालन करना होता हैं।

कमला…मैं नहीं मानती इस रीत को, जिस घर के आंगन में खेली खुदी पली और बड़ी हुई उस घर को छोड़ क्यों जाऊ? अपने घर को छोड़कर मैं कहीं नहीं जानें वाली।

बेटी की बात सुनकर मनोरमा अचंभित हो'कर पति की और देखा, देखे भी क्यो न कमला कह तो सही रहीं थीं। पर बेटी को कुछ न कुछ समझना था इसलिए मनोरमा कुछ देर सोचा फिर बोला...कमला दुनिया की सभी लड़कियों को अपना घर आंगन छोड़कर जाना ही होता हैं। मैं भी तो अपना घर आंगन छोड़कर आई थीं। जब लडक़ी अपनी जन्म स्थली छोड़कर दूसरे के आंगन में जायेगी तभी तो नया सृजन होगा और जीवन चक्र सुचारू रूप से चल पाएगा। क्योंकि नारी को ही परमात्मा का वरदान हैं वो गर्भ धारण कर नए जीवन की उत्पत्ति का माध्यम बनती हैं।

मां की बात कमला ध्यान से सूना और समझ भी गया। मां की कहीं गई बातों का कमला के लिए कोई मायने नहीं था कुछ था तो वो था मां बाप का अकेला पान। उसके जाने के बाद उसके मां बाप अकेला रह जाएंगा। कमला मां बाप को अकेले नहीं छोड़ना चाह रही थी। इसलिए कमला बोली…मां आप सही कह रहीं हों। मेरे अकेले के न जानें से जीवन चक्र बाधित नहीं होगा क्योंकि दुनिया में ओर भी नारी हैं जिनसे जीवन चक्र चलता रहेगा। इसलिए मैं आप दोनों को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी इस जन्म में तो नहीं और अगले जन्म का कह नहीं सकती।

बेटी की बाते सुनकर मनोरमा और महेश एक दूसरे को देखने लग गए ओर सोचने लगे कमला को कैसे समझाया जाए। कोई साठीक कारण नहीं बता पाया तो कमला शादी करने को राजी नहीं होने वाली इसलिए कुछ वक्त विचार करने के बाद महेश बोला…कमला तुम जो कह रहीं हों वो सही हैं। लेकिन तुम जरा विचार करो जमाना मुझे और तुम्हारी मां को क्या कहेंगे वो हमे ताने देंगे हों सकता हैं मुझ पर लांछन भी लगाए । तुम क्या चहती हों दुनिया मुझ पर लांछन लगाए तो ठीक हैं मैं तुम्हें शादी करने के लिए कभी मजबुर नहीं करूंगा।

कमला…मैंने कभी ऐसा काम नहीं किया जिससे आप पर लांछन लगे न आगे कभी करूंगी। मैं शादी करने को राजी हूं लेकिन मेरी एक शर्त हैं।

बेटी के हां कहते ही दोनों ने चैन की सांस लिया लेकिन कुछ ही पल के लिए, शर्त की बात कहते ही दोनों फिर से बेचैन हों गए और बेचैनी में ही महेश बोला…शर्त क्या हैं? वो भी बता दो।

कमला…शर्त ये हैं शादी के बाद आप दोनों को मेरे साथ चलना होगा नहीं जाना चाहते तो कोई ऐसा लड़का ढूढना जो घर जमाई बनकर रह सकें।

मनोरमा…घर जमाई तो हम रखने से रहे लेकिन हम तुम्हारे साथ दहेज में जरुर जा सकते हैं।

ये कहकर दोनों हंस दिया। कमला मां बाप को हंसते देखकर बोली...मैं मजाक नहीं कर रहीं हूं।

मनोरमा…मैं भी मजाक नहीं कर रहीं हूं। हम सच में तुम्हारे साथ दहेज में जायेंगे।

कमला…सच्ची.

मनोरमा कमला के गाल खींचते हुए बोली…मुच्ची मेरी राजकुमारी।

महेश…कमला कल तुम कॉलेज नहीं जाओगी कल कुछ लोग तुम्हें देखने आ रहे हैं।

कमला…पापा आप तो बहुत तेज निकले। इतनी जल्दी भी क्या थीं?

मनोरमा…वो लोग शादी करने नहीं, देखने आ रहें हैं। पूछोगी नहीं कौन आ रहे हैं।

कमला…कौन आ रहे हैं?


मनोरमा…तुम भी उनसे मिल चुकी हों। सुबह ही तुम उन्हें घर ले'कर आई थीं।

कमला ने दिमाग में जोर देकर याद किया फिर बोली...Oooo तो वो लोग हैं आज ही तो आए थे फिर कल क्यो आयेंगे।

मनोरमा…अपनी बात कहने आए थे। कल वो लडके को साथ ले'कर आएंगे तुम भी लडके को देख लेना लड़का भी तुम्हें देख लेगा तुम दोनों एक दूसरे को पसंद कर लिया। तब जा'कर हम बात आगे बढ़ाएंगे।

कमला…मेरे पसंद करने की जरूरत ही नहीं हैं आप दोनों मेरे लिए गलत लड़का थोड़ी न चुनेंगे इसलिए आप दोनों की पसंद ही मेरी पसंद होगी।

महेश…पसंद तो तुम्हें ही करना होगा। क्योंकि ज़िंदगी भर तुम्हें साथ रहना हैं इसलिए तुम्हें पसंद आना जरूरी हैं न की हमे।

इसके आगे कमला के पास कहने को कुछ नहीं बचा इसलिए चुप रहीं। बेटी की चुप्पी को हां समझ कर महेश बोला…कमला तुम कल कॉलेज नहीं जाओगी और अच्छे से तैयार हो'कर रहना। जिससे मेरी बेटी ओर खुबसुरत दिखे ओर वो लोग तुम्हें देखकर न नहीं कह पाए।

एक बार फिर से कमला शर्मा गई फिर उसे कुछ याद आया तो बोली…पापा कल मुझे कॉलेज जाना ही होगा बहुत जरूरी काम हैं।

महेश…जरूरी काम हैं या बहने बना रही हों।

कमला…पापा मैं बहने नहीं बना रही हूं कल मेरा जाना जरूरी हैं अगले हफ्ते से पेपर हैं इसलिए कल प्रवेश पत्र बांटा जाएगा।

महेश…ठीक हैं चली जाना और ले'कर जल्दी आ जाना।

कमला हां में सिर हिला दिया फिर तीनों अपने अपनें रूम में सोने चले गए। महेश और मनोरमा रूम पहुंच कर कपड़े बदला फ़िर इधर उधर की बाते कर सो गए।

अगले दिन सुबह नाश्ता करने के बाद कमला कॉलेज जाने लगीं तब महेश रोककर बोला…कमला रुको मैं भी तुम्हारे साथ चलता हू।

थोडी देर में महेश तैयार हो'कर आया फिर बेटी के साथ कॉलेज को चल दिया। इधर राजेंद्र सभी को जल्दी से तैयार हो'कर आने को कहा पापा की बात सुन रघु बोला…पापा हमे जाना कहा है आप कुछ बताते क्यों नहीं।

पुष्पा…पापा कल से छूप्पन छुपाई बहुत बहुत खेल लिया अब सीधे सीधे बता दो नहीं तो महारानी को गुस्सा आ गया तो आप को सजा दे देगी।

पुष्पा की बनावटी गुस्से से भरी बातें सुन राजेंद्र और सुरभि मुस्कुरा दिया फ़िर सुरभि बोली…महारानी जी हम तुम्हारे भईया के लिए लडक़ी देखने जा रहे हैं।

लडक़ी देखने की बात सुनकर रघु असहज हों गया ओर बगले झांकने लग गया। रघु की हरकतें देख तीनों मुस्कुरा दिए फिर सुरभि बोली…रघु तुझे क्या हुआ? बगले क्यों झक रहा हैं?

रघु…मां मेरा जाना जरूरी हैं आप सब देखकर आओ न।

सुरभि…हे भगवान कैसा लड़का हैं। रघु लडक़ी शब्द सुनते ही तेरे हाथ पांव क्यों सूज जाता हैं।

रघु…मां मेरा हाथ पाव नही सूज रहा हैं। आप ही देखो मेरा हाथ पांव ठीक हैं। मुझे तो बस…।

सुरभि…डर लग रहा। बेटा वो भी इंसान हैं। कोई बहसी जानवर नहीं जो तुझे खां जाएगा।

रघु...मां मैं जानता हूं वो बहसी जानवर नहीं हैं। मुझे तो बस शर्म आ रहा है।

सुरभि…रघु तू कैसा लड़का हैं? तेरे उम्र के लडके भंवरा बनकर लड़कियों के आगे पीछे मंडराते रहते हैं ओर एक तू हैं लडक़ी शब्द सुनकर ही शर्मा जाता हैं।

रघु...मां मैं ऐसा ही हूं अब मैं क्या करूं। मैं दूसरे लडको की तरह करता तो क्या आप दोनों को अच्छा लगाता। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता हूं। जिससे मेरे मां बाप का सिर लोगों के सामने शर्म से झुक जाएं।

रघु की बात सुनकर सुरभि और राजेंद्र एक पल के लिए भावुक हों गए उनका भावुक होना स्भाविक था। रघु ने आज से पहले कभी ऐसा कुछ किया न आगे ऐसा कुछ करना चाहता हैं। जिससे उसके मां बाप का सिर झुक जाएं। बेटे की बात सुनकर राजेंद्र को यकीन हों गया। वो रघु को जैसा बनाना चाहता था रघु बिल्कुल वैसा ही बना उसके लिए अपने मां बाप का मन सम्मान सबसे ऊपर है। राजेंद्र जा'कर रघु को गले से लगा लिया और पीट थपथपाते हुए बोला…रघु बेटा तुम्हारे जैसा पुत्र पाने की कामना सभी मां बाप करते हैं। मैं धन्य हूं जो तु हमारा बेटा बनकर इस धरा पर आया फिर रघु से अलग होकर बोला "बेटा तुम्हारे मां के कहने का मतलब ये नहीं था की तुम दूसरे लडको की तरह लड़कियो के पीछे मंडराते फिरो उसके कहने का मतलब ये था तुम लडक़ी शब्द से इतना शरमाया न करों।

सुरभि…रघु मैं और तेरी बहन भी तो लडक़ी हैं। तु हम'से तो शरमाते नहीं फिर क्यों दूसरे लड़कियो का जीकर आते ही शर्माने लग जाता हैं।

इस बात का रघु के पास जवाब नहीं था। इसलिए बिना कुछ कहे उठकर तैयार होने चल दिया। राजेंद्र के कहने पर पुष्पा भी अपने रूम में चली गई ओर राजेंद्र और सुरभि अपने रूम में चले गए। रूम में आ'कर सुरभि बोली...रघु ऐसे शर्माता रहेगा, तो शादी के बाद इसका क्या होगा?

राजेंद्र…शादी के बाद शर्माना भूलकर मेरी तरह बेशर्म बन जाएगा ।

इतना कहकर राजेंद्र, सुरभि के पास जा'कर पीछे से चिपक गया फिर सुरभि के कंधे और गर्दन पर चुम्बनो की झड़ी लगा दिया। सुरभि राजेंद्र को पीछे धकेल दिया फिर बोली…आप तो हों ही बेशर्म कहीं भी शुरु हों जाते हों। अब देर नहीं हों रहा हैं।

राजेंद्र…देर तो हों रहा हैं लेकिन खुबसूरत बीवी को देखकर खुद को रोक नहीं पाया। तुम्हें देखता हु तो मेरे तन बदन में आग लग जाता हैं।

सुरभि...तुम्हारे तन बदन में जलती आग के कारण दो बचे पैदा हों गए लेकिन अभी तक आप'की आग नहीं बुझा।

राजेंद्र…जिसके पास आग भड़कने वाली तुम जैसा घी हों तो आग बुझेगा नहीं ओर ज्यादा धधक उठेगा।

सुरभि आलमारी से कपडे निकाला फ़िर बाथरूम की ओर जाते हुए बोला…संभाल कर रहिएगा कही ऐसा न हो ये घी आग को इतना भड़का दे की आप ही जलकर भस्म हों जाओ।

इतना बोलकर सुरभि बॉथरूम में घूस गई। राजेंद्र बाथरूम के पास जा'कर बोला...मैं तो चाहता हु तुम आग को इतना भड़काओ कि मैं ख़ुद ही जलकर भस्म हों जाऊ लेकिन तुम भड़कती ही नहीं!

सुरभि कुछ नहीं कहा बस खिलखिला कर हंस दिया फिर राजेंद्र अलमारी से कपड़े निकलने लग गया। सुरभि तैयार होकर बॉथरूम से निकली तो सुरभि को देखकर राजेंद्र तारीफों के पुल बांध दिया। कुछ देर सुरभि पति से तारीफें सुनती रहीं फिर राजेंद्र को धकेलकर बाथरूम भेज दिया।

कुछ वक्त में दोनों तैयार होकर बाहर आए। रघु अकेले बैठे बैठें बोर हो रहा था फ़िर पुष्पा भी तैयार होकर आ गईं। एक गाड़ी में पुष्पा और रघु एक में राजेंद्र और सुरभि बैठे चल दिया।

महेश कमला के साथ उसका प्रवेश पत्र लेकर घर आया दोनों को देख मनोरमा बोली…कमला जा बेटी अच्छे से तैयार हों जा।

कमला...मां तैयार बाद में हों लूंगी पहले कीचन में आप'की मदद करुंगी।


इतना बोल कमला कीचन की ओर चल दिया। मनरोमा पीछे पीछे कीचन में गई फिर बोली... कमला तू चुप चाप जा'कर तैयार हों कीचन का काम मैं कर लूंगी।

कमला...मां आज आप कितना भी डांट लो मैं आप'की एक न सुनने वाली आज आप कुछ भी नही बनाओगी बल्कि सभी कुछ मैं खुद ही बनाऊंगी।

मनोरमा…वो क्यो भला?

कमला मुस्कुराते हुए बोली…वो इसलिए लडके वाले ये न कहें लडक़ी को खाना बनाना नहीं आता हम रिश्ता नहीं करेंगे, रिश्ता नहीं हुआ तो आप मुझे फिर से किसी ओर के सामने बिठा देंगे।

मनोरमा मुस्कुरा दिया फिर भौहें नचाते हुए बोली…कमला तू कब से इतनी बेशर्म हों गई, शादी करने की तुझे इतनी जल्दी हैं कि पहली बार में ही लडके वालो को प्रभावित कर देन चहती हैं।

कमला मुस्कुराई ओर मां को चिड़ते हुए बोली…मां लडके की मां बाप पहले से ही मुझ'से प्रभावित हैं मुझे तो बस लडके का प्रभावित करना हैं। जिस'से वो मुझे नकार न सके ओर मूझ'से शादी करने को राजी हों जाए।

मनोरमा आगे कुछ नहीं कहा बस चुप चाप खडी रही ओर कमला जो करना चाहती थी करने दिया। मन लगाकर कमला किचन में काम कर रहीं थी ये देखकर मनोरमा मन ही मन हर्षित हो गई। ऐसा नहीं की कमला को खाना बनाना नहीं आता। कमला को खाना बनाने में बहुत रुचि हैं ओर छोटी उम्र में ही कमला नाना प्रकार के व्यंजन बनाना सीख गई थी। साथ ही कमला गृह विज्ञान की पढ़ाई भी कर रहीं थीं। जिससे उसकी पका कला में ओर ज्यादा निखार आ गया।

भोजन बनने का काम पुरा होने के बाद कमला रूम में गई ओर तैयार होने लग गईं। खुद को सजाने संवारने में कोई कमी नहीं रखी। ऐसा नहीं कि कमला खुबसूरत नहीं थी। कमला के खुबसूरती के चर्चे कॉलेज और आस पास के कई इलाके में था पर कमला आज अपना जीवन साथी चुनने जा रही थीं तो कोई कमी नहीं रखना चाहती थी। वैसे तो कमला ज्यादा मेकप नहीं करती थीं लेकिन आज हल्का टच ऑफ करके दमकते चहरे को ओर दमका लिया।

महेश और मनोरमा ने आने वालों की welcome करने की सभी तैयारियां कर लिया था। बस पलके बिछाए wait कर रहें थे। महेश और मनोरमा के wait करने की घड़ी खत्म हुआ ओर राजेंद्र की कार घर के बाहर आ'कर रुका, कार की आवाज़ सुनकर दोनों बाहर गए। आदर सहित सभी को अंदर ले'कर आए फिर सभी को बैठने को कहा एक सोफे पर राजेंद्र और सुरभि बैठे गए एक पर पुष्पा और रघु बैठ गए। रघु को देखकर मनोरमा और महेश को पहली नजर में पसंद आ गया और मन ही मन विनती करने लग गए। कमला भी रघु को देखकर पसंद कर ले और हां का दे। बातो के दौरान रघु के सभ्य और शालीन व्यवहार ने महेश और मनोरमा को ओर ज्यादा प्रभावित कर दिया।

चाय नाश्ते के बाद महेश के कहने पर मनोरमा कमला को लेने गई। कमला लाइट पर्पल रंग की सलवार सूट और पर्पल रंग का दुप्पटा सिर पर रखकर मां के साथ धीरे धीरे चलकर आई। सुरभि राजेंद्र और पुष्पा कमला की खूबसूरती को देखकर मंत्रमुग्ध हों गए। तभी पुष्पा रघु को कोहनी मरकर कमला की ओर दिखाया। कमला के खुबसूरत और दमकते चहरे को देखकर रघु चकोर पक्षी जैसे चांदी रात में चांद की खूबसूरती को ताकता रहता हैं। वैसे ही रघु मोहित होकर कमला को देखने लग गया। कमला भी तिरछी निगाहों से रघु की ओर देखा रघु को टकटकी लगाए देखते देखकर कमला के लवों पर मंद मंद मुस्कान आ गईं। कमला के मुस्कुराते लव जिसमें लाइट पिंक रंग की लिपस्टिक लगा हुआ था। जिसे देखकर रघु झनझना गया। रघु की नज़र चेहरे से हट कमला को लवों पर टिक गया। रघु को टकटकी लगाए देखते देख सुरभि और राजेंद्र मुस्कुरा दिया। वैसा ही हल महेश और मनोरमा का था कमला तो पहले से मुस्कुरा रहीं थीं। कमला को ला'कर मनोरमा रघु के सामने बैठा दिया, रघु अब भी अपलक कमला को देखें जा रहा था। तब पुष्पा रघु के कान में बोली…बहुत देख लिए अब तो देखना बंद करों सभी आप पर हंस रहे हैं।

रघु होश में आ'कर इधर उधर देख जायजा लिए फिर सिर झुकाकर बैठ गया। रघु की हरकतें देख न चाहते हुए भी कमला के लवों पर आ रही मंद मंद मुस्कान ओर गहरा हों गया। एक बार फिर से पुष्पा, रघु के कान में बोली...क्या भईया बुद्धु जैसा बर्ताव क्यों कर रहे हों सिर उठाकर शान से बैठो, लड़की जैसा शरमाते रहें तो लडक़ी और उसके परिवार वालो पर गलत इंप्रेशन पड़ेगा।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

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Update - 13


शाम को ऑफिस से घर आने पर मनोरमा एक गिलास पानी महेश को ला'कर दिया। पानी पी'कर महेश बोला…कमला कहा हैं दिख नहीं रहीं।

मनोरमा…एक पल कमला को देखे बिना चैन नहीं मिलता फिर पुरा दिन आप ऑफिस में कैसे काट लेते हों।

महेश…कैसे बताऊं मेरा दिन कैसे कटता हैं? ये समझ लो बस घड़ी देखता रहता हूं कब छुट्टी का समय हों ओर घर आ'कर अपने लाडली से मिलूं।

बेटी की विदाई की बात सोचकर ही मनोरमा की आंखे नाम हों गई ओर गला भर आया, भर्राई आवाज में मनोरमा बोली...कमला दिन रात हमारे सामने रहती हैं। तो अपका ये हल हैं जब कमला शादी करके दुसरे के घर चली जाएगी। तब आप क्या करेंगे?

बेटी की विदाई की बात सुनकर ही महेश की धडकने बढ़ गया ओर आंखो से दो बूंद नीर के टपक ही गया जिसे चाहकर भी महेश रोक नहीं पाया। आंखो से बहते नीर को पोछकर महेश बोला…कैसे रह पाऊंगा नहीं जानता, मन तो करता हैं कमला को खुद से कभी दूर जानें ही न दूं पर चाहकर भी उसे अपने पास नहीं रख सकता। मनोरमा मैं तो जैसे तैसे रह लूंगा। उसकी विदाई की बात सोचकर ही तुम्हारा गला भर आया। तुम क्या करोगी, कैसे रह पाओगी?

महेश की बात सुनकर मनोरमा रो दिया बस आवाज़ नहीं निकल रहा था पर आंखो से नीर बहे जा रहा था। महेश से मनोरमा लिपट गई फ़िर भरराई आवाज़ में बोली…उसके जानें से मेरा आंगन हमेशा हमेशा के लिए सुना हों जायेगा। एक बेटी के अलावा हमारा कोई ओर हैं भी तो नहीं, हम उसके बिना कैसे रह पाएंगे?

मनोरमा को ऐसे अधीर होते हुए देखकर महेश पहले खुद को संभाला फिर बोला...कमला अभी हमारे पास ही हैं। विदा नहीं हुई हैं। संभालो खुद को अभी ये हल हैं। जब विदा हो'कर जायेगी। तब क्या करोगी?

मनोरमा…उस दिन तो मेरा कलेजा ही फट जायेगा। जब से कमला की रिश्ते की बात करने वो लोग आए। तब से पूरा दिन कैसे काटा मैं ही जानती हू।

कमला की रिश्ते की बात सुनकर महेश अचंभित हों गया फिर मनोरमा को ख़ुद से अलग कर बोला…किसी से कमला की शादी की बात नहीं कहा फ़िर कौन रिश्ते की बात करने आए?

मनोरमा….राज परिवार से राजा जी और उनकी पत्नी आए थे। बड़े विनम्र भाव से मुझ'से कमला का हाथ मांग रहे थे।

महेश…इतने संपन्न परिवार से हो'कर भी हमारी बेटी का हाथ मांगने आए ये उनकी विनम्रता ही हैं। तुमने क्या कहा?

मनोरमा…बिना आपसे पूछे,मैं अकेले कैसे फैसला ले सकता हूं? उनसे कहा मैं अकेले कोई फैसला नहीं ले सकता हूं। तब उन्होंने कहा हम कल फिर आयेंगे आप अपने पति को कह देना वो भी घर पर रुक जाए ।

महेश…ये तुमने सही किया। उनके बेटे को देखा कैसा दिखता हैं। क्या कमला और उनके बेटे की जोड़ी जांचेगा?

मनोरमा…जी नहीं! वो दोनों ही आए थे। कह रहे थे कल उनके बेटे को भी साथ ले'कर आएंगे। हमे लड़का पसंद आया तो ही बात आगे बढ़ाएंगे।

महेश…हमारा पसंद न पसंद कोई मायने नहीं रखता। कमला को लड़का पसंद आया तो ही हम बात आगे बढ़ाएंगे।

मनोरमा…उनका भी यही कहना था।

महेश…ये तो अच्छी बात हैं इससे पता चलता हैं उनकी सोच कैसा हैं। मनोरमा मैं तो कहता हूं इससे अच्छा रिश्ता हमे कमला के लिए नहीं मिल सकता बस कमला हां कह दे।

मनोरमा…हां उनकी सोच बहुत अच्छी हैं और स्वभाव भी बहुत मिलनसार हैं। सुबह जब वो आए थे तब मैं उनके लिए चाय बनाने गई तो राजाजी की पत्नी मेरे साथ साथ किचन में चली गई। मना करने के बाद भी चाय बनाने में मेरी मदद करने लग गई।

महेश चकित हो'कर बोला…इतने बड़े घर की हो'कर भी चाय बनाने में तुम्हारी मदद करने गई ओर तुमने उन्हें करने दिया तुम्हें उन्हें रोकना चाहिएं था।

मनोरमा…मैं तो मना कर रहीं थी लेकिन उन्होंने सुना ही नहीं तब जा'कर मजबूरी में मुझे उनकी बात मानना पड़ा।

महेश…तुम'ने कमला से इस बारे में कोई बात किया ।

मनोरमा…जी नहीं।

महेश…ठीक हैं तुम जाओ खाने की तैयारी करों मैं कमला से मिलकर आता हूं। खाना खाने के बाद कमला से बात करेंगे।

मनोरमा खाने की तैयारी करने चली गई ओर महेश कमला से मिलने चल दिया। पापा को आया देख कमला बोली...पापा आप आ गए। आप'का आज का दिन कैसा रहा।

महेश…मेरा दिन तो जैसे तैसे काट गया। तुम बताओं आज दिन भार तुम'ने क्या क्या किया।

कमला... वहीं जो रोज करती हूं घर से कॉलेज, कॉलेज से घर। पापा आज न कल के मुख्य अतिथि जिन्होंने मुझे प्राइज दिया था वो घर आए थें।

महेश अनजान बनते हुए…achaaa क्यों आए थे तुम कुछ जानते हों।

कमला...वो तो आप मां से पूछ लो मैं तो बस उन्हें घर छोड़ने आई थी फिर तुरंत ही कॉलेज चली गई थी।

महेश...ठीक हैं तुम पढाई करों मैं तुम्हारी मां से पूछ लेता हूं।


कमला के रूम से आ'कर महेश कीचन में चला गया फिर खाना बनाने में मनोरमा की हेल्प करने लग गया। हेल्प कम कर रहा था मनोरम के साथ छेड़खानी ज्यादा कर रहा था। तो परेशान हो मनोरमा बोली….आप भी न बेटी बड़ी हो गईं ओर आप हो की बाज नहीं आते उसने देख लिया तो क्या ज़बाब देंगे।

मनोरमा के कमर को महेश भींच दिया। Aahaaa oohooo की आवाज कर महेश के हाथ को हटा दिया फिर बोली...क्या करते हों? कमला घर पर हैं ओर आप बेशर्मों की तरह हरकते कर रहें हों।

महेश दुबारा मनोरमा के कमर पर हाथ रख दिया फिर हाथ को आगे बडा नाभी के आस पास फिराने लग गया ओर अचानक मांस सहित नाभी को मुट्ठी में भर भींच दिया। Aahaaa unhuuuu की आवाज कर मनोरमा कसमासती रह गई ओर महेश बोला...जब बीवी इतनी खुबसूरत हों तो पति को बेशर्म बनना ही पड़ता हैं। हमारी बेटी बहुत समझदार हैं। जब भी आती हैं आवाज देते हुए आती हैं।

पति का हाथ हटा धक्का दे'कर ख़ुद से दूर किया फिर करचली हाथ में लेकर बोली….काम में हेल्प करने के जगह मेरे साथ मस्ती कर रहे हों। अभी के अभी बहर जाओ नहीं तो इसी करचली से आप'का सिर फोड़ दूंगी।

महेश...गजब की लड़ाकू बीवी मिला है जब भी प्यार करना चाहो तो कभी करचली उठा लेती है तो कभी बेलन उठा लेती हैं। विचारा पति प्यार करे तो करे किससे।

इतना बोल महेश बहार को चल दिया ओर मनोरमा एक नज़र पति को देखा फिर मंद मंद मुस्कुरा दिया ओर खाना बनाने लग गई। खाना बनाकर डायनिंग टेबल पर लगा दिया फिर बोली…कमला खाना लगा दिया है आ'कर खाना खा ले फ़िर पढाई कर लेना।

कमला...मां आ रहीं हूं।

कमला के आते ही मनोरमा सभी के लिए खाना परोस दिया। खाना से निपट कमला रूम में जा रहीं थीं तब महेश बोला... बेटी थोडी देर रुको तुम'से कुछ बात करना हैं।

कमला...जी पापा

बोला बैठ गई। मनरोमा झूठे बर्तन उठा कीचन में ले गई। कमला मां के पीछे पीछे कीचन में गई। बेटी को कीचन में देख मनोरमा बोली...तू कीचन में क्या लेना आई।

कमला...मां आप अकेले अकेले कब तक बर्तन धोओगे। मैं भी हेल्प कर देती हूं जल्दी धूल जायेगा।

मनोरमा...बडा आया बर्तन धोने वाली चुप चाप जा'कर पापा के पास बैठ।

कमला...maaaa...।

मनोरमा... बोला न बहार जा नहीं तो...।

कमला... अच्छा अच्छा जाती हूं डांट क्यों रहीं हों?

इतना बोला कमला कीचन से बहार चली गई। मनोरमा मुस्कुराते हुए बर्तन धोने लग गई। कमला बहार आ पापा के पास बैठ गई। कुछ देर में मनोरमा भी आ गईं। मां को देख कमला बोली…मां जब भी कीचन में आप'का हाथ बटाने जाती हूं आप मुझे डांट कर क्यों भागा देती हों।

मनोरमा...मेरी बेटी हमारे घर की राजकुमारी हैं। मैं अपनी राजकुमारी को झूठे बर्तन क्यों धोने दूं।

कमला...वो तो मैं हूं।

महेश…राजकुमारी जी तुम'ने कोई राजकुमार ढूंढ रखा हैं या हम ही दूर देश से कोई राजकुमार ढूंढ कर लाए।

पापा की बात सुन कमला मुंह खोले देखने लग गईं फ़िर शर्मा कर नज़रे झुका लिया ये देख महेश मुस्कुरा दिया फ़िर बोला...शर्मा गई मतलब राजकुमारी ने अपने लिए राजकुमार ढूंढ रखा हैं। बता दो कौन हैं? हम भी जाने राजकुमारी का पसंद किया राजकुमार कैसा हैं।

"मैंने नहीं ढूंढा हैं वो तो आप दोनों ही ढूंढ कर लाओगे"

बोलने को तो बोल दिया लेकिन जब ख्याल आया। क्या बोल गई? तब शर्मा कर मनोरमा से लिपट गई। कमला के लिपटते ही मनोरमा और महेश हंस दिए। मां बाप को हंसते देख मां से कमला ओर जोर से लिपट गई ओर मनोरमा बोली…नहीं ढूंढा हैं तो बता दो राजकुमारी को कैसा राजकुमार चाहिएं हम वैसा ही राजकुमार ढूंढ कर लायेंगे।

कमला कुछ नहीं बोली बस शर्मा कर मां से लिपटी रही फिर कमला को खुद से अलग कर ठोड़ी पकड़ चेहरा ऊपर को किया ओर मनोरमा बोली...कमला आज नहीं तो कल हमे तुम्हारे लिए लड़का ढूढना ही होगा। ये वक्त सभी लडक़ी के जीवन में एक न एक दिन आता ही हैं। तुम अपनी पसंद बता दो हम तुम्हारे पसंद के मुताबिक लड़का ढूंढ कर लायेंगे।

कमला नजरे उठा कर मां की ओर देखा फ़िर दो तीन बार पलके झपकाई ओर बोली…मां मेरे लिए लड़का ढूंढने की कोई जरूरत नहीं हैं। मुझे शादी नहीं करना हैं और न ही आप दोनों से दुर कहीं जाना हैं।

महेश जो कमला से थोड़ी दूर बैठा था। कमला के पास खिसककर आया ओर कमला के सिर पर हाथ रख सहलाते हुए बोला…शादी नहीं करनी वो क्यो भला आज नहीं तो कल तुम्हें शादी करना ही होगा।

कमला महेश की ओर देखते हुए बोला…मुझे शादी नहीं करना मैं शादी करके आप'से दूर चली गई तो आप दोनों का ख्याल कौन रखेगा। मेरे अलावा आप दोनों का कौन हैं?

कमला ने महेश को वास्तविकता से अवगत करा दिया। बेटी के अलावा महेश और मनोरमा के जीवन में कोई ओर नहीं था, ये सुनकर महेश और मनोरमा कुछ वक्त के लिए भावुक हो गए फिर खुद को संभाल कर महेश बोला…कमला तुम कह तो सही रहीं हों लेकिन मैं तुम्हें उम्र भर अपने पास नहीं रख सकता तुम्हें एक न एक दिन इस घर से विदा हो'कर जाना ही होगा। समाज की यही रीत हैं। सभी मां बाप को बेटी का विदा कर, इस रीत का पालन करना होता हैं।

कमला…मैं नहीं मानती इस रीत को, जिस घर के आंगन में खेली खुदी पली और बड़ी हुई उस घर को छोड़ क्यों जाऊ? अपने घर को छोड़कर मैं कहीं नहीं जानें वाली।

बेटी की बात सुनकर मनोरमा अचंभित हो'कर पति की और देखा, देखे भी क्यो न कमला कह तो सही रहीं थीं। पर बेटी को कुछ न कुछ समझना था इसलिए मनोरमा कुछ देर सोचा फिर बोला...कमला दुनिया की सभी लड़कियों को अपना घर आंगन छोड़कर जाना ही होता हैं। मैं भी तो अपना घर आंगन छोड़कर आई थीं। जब लडक़ी अपनी जन्म स्थली छोड़कर दूसरे के आंगन में जायेगी तभी तो नया सृजन होगा और जीवन चक्र सुचारू रूप से चल पाएगा। क्योंकि नारी को ही परमात्मा का वरदान हैं वो गर्भ धारण कर नए जीवन की उत्पत्ति का माध्यम बनती हैं।

मां की बात कमला ध्यान से सूना और समझ भी गया। मां की कहीं गई बातों का कमला के लिए कोई मायने नहीं था कुछ था तो वो था मां बाप का अकेला पान। उसके जाने के बाद उसके मां बाप अकेला रह जाएंगा। कमला मां बाप को अकेले नहीं छोड़ना चाह रही थी। इसलिए कमला बोली…मां आप सही कह रहीं हों। मेरे अकेले के न जानें से जीवन चक्र बाधित नहीं होगा क्योंकि दुनिया में ओर भी नारी हैं जिनसे जीवन चक्र चलता रहेगा। इसलिए मैं आप दोनों को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी इस जन्म में तो नहीं और अगले जन्म का कह नहीं सकती।

बेटी की बाते सुनकर मनोरमा और महेश एक दूसरे को देखने लग गए ओर सोचने लगे कमला को कैसे समझाया जाए। कोई साठीक कारण नहीं बता पाया तो कमला शादी करने को राजी नहीं होने वाली इसलिए कुछ वक्त विचार करने के बाद महेश बोला…कमला तुम जो कह रहीं हों वो सही हैं। लेकिन तुम जरा विचार करो जमाना मुझे और तुम्हारी मां को क्या कहेंगे वो हमे ताने देंगे हों सकता हैं मुझ पर लांछन भी लगाए । तुम क्या चहती हों दुनिया मुझ पर लांछन लगाए तो ठीक हैं मैं तुम्हें शादी करने के लिए कभी मजबुर नहीं करूंगा।

कमला…मैंने कभी ऐसा काम नहीं किया जिससे आप पर लांछन लगे न आगे कभी करूंगी। मैं शादी करने को राजी हूं लेकिन मेरी एक शर्त हैं।

बेटी के हां कहते ही दोनों ने चैन की सांस लिया लेकिन कुछ ही पल के लिए, शर्त की बात कहते ही दोनों फिर से बेचैन हों गए और बेचैनी में ही महेश बोला…शर्त क्या हैं? वो भी बता दो।

कमला…शर्त ये हैं शादी के बाद आप दोनों को मेरे साथ चलना होगा नहीं जाना चाहते तो कोई ऐसा लड़का ढूढना जो घर जमाई बनकर रह सकें।

मनोरमा…घर जमाई तो हम रखने से रहे लेकिन हम तुम्हारे साथ दहेज में जरुर जा सकते हैं।

ये कहकर दोनों हंस दिया। कमला मां बाप को हंसते देखकर बोली...मैं मजाक नहीं कर रहीं हूं।

मनोरमा…मैं भी मजाक नहीं कर रहीं हूं। हम सच में तुम्हारे साथ दहेज में जायेंगे।

कमला…सच्ची.

मनोरमा कमला के गाल खींचते हुए बोली…मुच्ची मेरी राजकुमारी।

महेश…कमला कल तुम कॉलेज नहीं जाओगी कल कुछ लोग तुम्हें देखने आ रहे हैं।

कमला…पापा आप तो बहुत तेज निकले। इतनी जल्दी भी क्या थीं?

मनोरमा…वो लोग शादी करने नहीं, देखने आ रहें हैं। पूछोगी नहीं कौन आ रहे हैं।

कमला…कौन आ रहे हैं?


मनोरमा…तुम भी उनसे मिल चुकी हों। सुबह ही तुम उन्हें घर ले'कर आई थीं।

कमला ने दिमाग में जोर देकर याद किया फिर बोली...Oooo तो वो लोग हैं आज ही तो आए थे फिर कल क्यो आयेंगे।

मनोरमा…अपनी बात कहने आए थे। कल वो लडके को साथ ले'कर आएंगे तुम भी लडके को देख लेना लड़का भी तुम्हें देख लेगा तुम दोनों एक दूसरे को पसंद कर लिया। तब जा'कर हम बात आगे बढ़ाएंगे।

कमला…मेरे पसंद करने की जरूरत ही नहीं हैं आप दोनों मेरे लिए गलत लड़का थोड़ी न चुनेंगे इसलिए आप दोनों की पसंद ही मेरी पसंद होगी।

महेश…पसंद तो तुम्हें ही करना होगा। क्योंकि ज़िंदगी भर तुम्हें साथ रहना हैं इसलिए तुम्हें पसंद आना जरूरी हैं न की हमे।

इसके आगे कमला के पास कहने को कुछ नहीं बचा इसलिए चुप रहीं। बेटी की चुप्पी को हां समझ कर महेश बोला…कमला तुम कल कॉलेज नहीं जाओगी और अच्छे से तैयार हो'कर रहना। जिससे मेरी बेटी ओर खुबसुरत दिखे ओर वो लोग तुम्हें देखकर न नहीं कह पाए।

एक बार फिर से कमला शर्मा गई फिर उसे कुछ याद आया तो बोली…पापा कल मुझे कॉलेज जाना ही होगा बहुत जरूरी काम हैं।

महेश…जरूरी काम हैं या बहने बना रही हों।

कमला…पापा मैं बहने नहीं बना रही हूं कल मेरा जाना जरूरी हैं अगले हफ्ते से पेपर हैं इसलिए कल प्रवेश पत्र बांटा जाएगा।

महेश…ठीक हैं चली जाना और ले'कर जल्दी आ जाना।

कमला हां में सिर हिला दिया फिर तीनों अपने अपनें रूम में सोने चले गए। महेश और मनोरमा रूम पहुंच कर कपड़े बदला फ़िर इधर उधर की बाते कर सो गए।

अगले दिन सुबह नाश्ता करने के बाद कमला कॉलेज जाने लगीं तब महेश रोककर बोला…कमला रुको मैं भी तुम्हारे साथ चलता हू।

थोडी देर में महेश तैयार हो'कर आया फिर बेटी के साथ कॉलेज को चल दिया। इधर राजेंद्र सभी को जल्दी से तैयार हो'कर आने को कहा पापा की बात सुन रघु बोला…पापा हमे जाना कहा है आप कुछ बताते क्यों नहीं।

पुष्पा…पापा कल से छूप्पन छुपाई बहुत बहुत खेल लिया अब सीधे सीधे बता दो नहीं तो महारानी को गुस्सा आ गया तो आप को सजा दे देगी।

पुष्पा की बनावटी गुस्से से भरी बातें सुन राजेंद्र और सुरभि मुस्कुरा दिया फ़िर सुरभि बोली…महारानी जी हम तुम्हारे भईया के लिए लडक़ी देखने जा रहे हैं।

लडक़ी देखने की बात सुनकर रघु असहज हों गया ओर बगले झांकने लग गया। रघु की हरकतें देख तीनों मुस्कुरा दिए फिर सुरभि बोली…रघु तुझे क्या हुआ? बगले क्यों झक रहा हैं?

रघु…मां मेरा जाना जरूरी हैं आप सब देखकर आओ न।

सुरभि…हे भगवान कैसा लड़का हैं। रघु लडक़ी शब्द सुनते ही तेरे हाथ पांव क्यों सूज जाता हैं।

रघु…मां मेरा हाथ पाव नही सूज रहा हैं। आप ही देखो मेरा हाथ पांव ठीक हैं। मुझे तो बस…।

सुरभि…डर लग रहा। बेटा वो भी इंसान हैं। कोई बहसी जानवर नहीं जो तुझे खां जाएगा।

रघु...मां मैं जानता हूं वो बहसी जानवर नहीं हैं। मुझे तो बस शर्म आ रहा है।

सुरभि…रघु तू कैसा लड़का हैं? तेरे उम्र के लडके भंवरा बनकर लड़कियों के आगे पीछे मंडराते रहते हैं ओर एक तू हैं लडक़ी शब्द सुनकर ही शर्मा जाता हैं।

रघु...मां मैं ऐसा ही हूं अब मैं क्या करूं। मैं दूसरे लडको की तरह करता तो क्या आप दोनों को अच्छा लगाता। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता हूं। जिससे मेरे मां बाप का सिर लोगों के सामने शर्म से झुक जाएं।

रघु की बात सुनकर सुरभि और राजेंद्र एक पल के लिए भावुक हों गए उनका भावुक होना स्भाविक था। रघु ने आज से पहले कभी ऐसा कुछ किया न आगे ऐसा कुछ करना चाहता हैं। जिससे उसके मां बाप का सिर झुक जाएं। बेटे की बात सुनकर राजेंद्र को यकीन हों गया। वो रघु को जैसा बनाना चाहता था रघु बिल्कुल वैसा ही बना उसके लिए अपने मां बाप का मन सम्मान सबसे ऊपर है। राजेंद्र जा'कर रघु को गले से लगा लिया और पीट थपथपाते हुए बोला…रघु बेटा तुम्हारे जैसा पुत्र पाने की कामना सभी मां बाप करते हैं। मैं धन्य हूं जो तु हमारा बेटा बनकर इस धरा पर आया फिर रघु से अलग होकर बोला "बेटा तुम्हारे मां के कहने का मतलब ये नहीं था की तुम दूसरे लडको की तरह लड़कियो के पीछे मंडराते फिरो उसके कहने का मतलब ये था तुम लडक़ी शब्द से इतना शरमाया न करों।

सुरभि…रघु मैं और तेरी बहन भी तो लडक़ी हैं। तु हम'से तो शरमाते नहीं फिर क्यों दूसरे लड़कियो का जीकर आते ही शर्माने लग जाता हैं।

इस बात का रघु के पास जवाब नहीं था। इसलिए बिना कुछ कहे उठकर तैयार होने चल दिया। राजेंद्र के कहने पर पुष्पा भी अपने रूम में चली गई ओर राजेंद्र और सुरभि अपने रूम में चले गए। रूम में आ'कर सुरभि बोली...रघु ऐसे शर्माता रहेगा, तो शादी के बाद इसका क्या होगा?

राजेंद्र…शादी के बाद शर्माना भूलकर मेरी तरह बेशर्म बन जाएगा ।

इतना कहकर राजेंद्र, सुरभि के पास जा'कर पीछे से चिपक गया फिर सुरभि के कंधे और गर्दन पर चुम्बनो की झड़ी लगा दिया। सुरभि राजेंद्र को पीछे धकेल दिया फिर बोली…आप तो हों ही बेशर्म कहीं भी शुरु हों जाते हों। अब देर नहीं हों रहा हैं।

राजेंद्र…देर तो हों रहा हैं लेकिन खुबसूरत बीवी को देखकर खुद को रोक नहीं पाया। तुम्हें देखता हु तो मेरे तन बदन में आग लग जाता हैं।

सुरभि...तुम्हारे तन बदन में जलती आग के कारण दो बचे पैदा हों गए लेकिन अभी तक आप'की आग नहीं बुझा।

राजेंद्र…जिसके पास आग भड़कने वाली तुम जैसा घी हों तो आग बुझेगा नहीं ओर ज्यादा धधक उठेगा।

सुरभि आलमारी से कपडे निकाला फ़िर बाथरूम की ओर जाते हुए बोला…संभाल कर रहिएगा कही ऐसा न हो ये घी आग को इतना भड़का दे की आप ही जलकर भस्म हों जाओ।

इतना बोलकर सुरभि बॉथरूम में घूस गई। राजेंद्र बाथरूम के पास जा'कर बोला...मैं तो चाहता हु तुम आग को इतना भड़काओ कि मैं ख़ुद ही जलकर भस्म हों जाऊ लेकिन तुम भड़कती ही नहीं!

सुरभि कुछ नहीं कहा बस खिलखिला कर हंस दिया फिर राजेंद्र अलमारी से कपड़े निकलने लग गया। सुरभि तैयार होकर बॉथरूम से निकली तो सुरभि को देखकर राजेंद्र तारीफों के पुल बांध दिया। कुछ देर सुरभि पति से तारीफें सुनती रहीं फिर राजेंद्र को धकेलकर बाथरूम भेज दिया।

कुछ वक्त में दोनों तैयार होकर बाहर आए। रघु अकेले बैठे बैठें बोर हो रहा था फ़िर पुष्पा भी तैयार होकर आ गईं। एक गाड़ी में पुष्पा और रघु एक में राजेंद्र और सुरभि बैठे चल दिया।

महेश कमला के साथ उसका प्रवेश पत्र लेकर घर आया दोनों को देख मनोरमा बोली…कमला जा बेटी अच्छे से तैयार हों जा।

कमला...मां तैयार बाद में हों लूंगी पहले कीचन में आप'की मदद करुंगी।


इतना बोल कमला कीचन की ओर चल दिया। मनरोमा पीछे पीछे कीचन में गई फिर बोली... कमला तू चुप चाप जा'कर तैयार हों कीचन का काम मैं कर लूंगी।

कमला...मां आज आप कितना भी डांट लो मैं आप'की एक न सुनने वाली आज आप कुछ भी नही बनाओगी बल्कि सभी कुछ मैं खुद ही बनाऊंगी।

मनोरमा…वो क्यो भला?

कमला मुस्कुराते हुए बोली…वो इसलिए लडके वाले ये न कहें लडक़ी को खाना बनाना नहीं आता हम रिश्ता नहीं करेंगे, रिश्ता नहीं हुआ तो आप मुझे फिर से किसी ओर के सामने बिठा देंगे।

मनोरमा मुस्कुरा दिया फिर भौहें नचाते हुए बोली…कमला तू कब से इतनी बेशर्म हों गई, शादी करने की तुझे इतनी जल्दी हैं कि पहली बार में ही लडके वालो को प्रभावित कर देन चहती हैं।

कमला मुस्कुराई ओर मां को चिड़ते हुए बोली…मां लडके की मां बाप पहले से ही मुझ'से प्रभावित हैं मुझे तो बस लडके का प्रभावित करना हैं। जिस'से वो मुझे नकार न सके ओर मूझ'से शादी करने को राजी हों जाए।

मनोरमा आगे कुछ नहीं कहा बस चुप चाप खडी रही ओर कमला जो करना चाहती थी करने दिया। मन लगाकर कमला किचन में काम कर रहीं थी ये देखकर मनोरमा मन ही मन हर्षित हो गई। ऐसा नहीं की कमला को खाना बनाना नहीं आता। कमला को खाना बनाने में बहुत रुचि हैं ओर छोटी उम्र में ही कमला नाना प्रकार के व्यंजन बनाना सीख गई थी। साथ ही कमला गृह विज्ञान की पढ़ाई भी कर रहीं थीं। जिससे उसकी पका कला में ओर ज्यादा निखार आ गया।

भोजन बनने का काम पुरा होने के बाद कमला रूम में गई ओर तैयार होने लग गईं। खुद को सजाने संवारने में कोई कमी नहीं रखी। ऐसा नहीं कि कमला खुबसूरत नहीं थी। कमला के खुबसूरती के चर्चे कॉलेज और आस पास के कई इलाके में था पर कमला आज अपना जीवन साथी चुनने जा रही थीं तो कोई कमी नहीं रखना चाहती थी। वैसे तो कमला ज्यादा मेकप नहीं करती थीं लेकिन आज हल्का टच ऑफ करके दमकते चहरे को ओर दमका लिया।

महेश और मनोरमा ने आने वालों की welcome करने की सभी तैयारियां कर लिया था। बस पलके बिछाए wait कर रहें थे। महेश और मनोरमा के wait करने की घड़ी खत्म हुआ ओर राजेंद्र की कार घर के बाहर आ'कर रुका, कार की आवाज़ सुनकर दोनों बाहर गए। आदर सहित सभी को अंदर ले'कर आए फिर सभी को बैठने को कहा एक सोफे पर राजेंद्र और सुरभि बैठे गए एक पर पुष्पा और रघु बैठ गए। रघु को देखकर मनोरमा और महेश को पहली नजर में पसंद आ गया और मन ही मन विनती करने लग गए। कमला भी रघु को देखकर पसंद कर ले और हां का दे। बातो के दौरान रघु के सभ्य और शालीन व्यवहार ने महेश और मनोरमा को ओर ज्यादा प्रभावित कर दिया।

चाय नाश्ते के बाद महेश के कहने पर मनोरमा कमला को लेने गई। कमला लाइट पर्पल रंग की सलवार सूट और पर्पल रंग का दुप्पटा सिर पर रखकर मां के साथ धीरे धीरे चलकर आई। सुरभि राजेंद्र और पुष्पा कमला की खूबसूरती को देखकर मंत्रमुग्ध हों गए। तभी पुष्पा रघु को कोहनी मरकर कमला की ओर दिखाया। कमला के खुबसूरत और दमकते चहरे को देखकर रघु चकोर पक्षी जैसे चांदी रात में चांद की खूबसूरती को ताकता रहता हैं। वैसे ही रघु मोहित होकर कमला को देखने लग गया। कमला भी तिरछी निगाहों से रघु की ओर देखा रघु को टकटकी लगाए देखते देखकर कमला के लवों पर मंद मंद मुस्कान आ गईं। कमला के मुस्कुराते लव जिसमें लाइट पिंक रंग की लिपस्टिक लगा हुआ था। जिसे देखकर रघु झनझना गया। रघु की नज़र चेहरे से हट कमला को लवों पर टिक गया। रघु को टकटकी लगाए देखते देख सुरभि और राजेंद्र मुस्कुरा दिया। वैसा ही हल महेश और मनोरमा का था कमला तो पहले से मुस्कुरा रहीं थीं। कमला को ला'कर मनोरमा रघु के सामने बैठा दिया, रघु अब भी अपलक कमला को देखें जा रहा था। तब पुष्पा रघु के कान में बोली…बहुत देख लिए अब तो देखना बंद करों सभी आप पर हंस रहे हैं।

रघु होश में आ'कर इधर उधर देख जायजा लिए फिर सिर झुकाकर बैठ गया। रघु की हरकतें देख न चाहते हुए भी कमला के लवों पर आ रही मंद मंद मुस्कान ओर गहरा हों गया। एक बार फिर से पुष्पा, रघु के कान में बोली...क्या भईया बुद्धु जैसा बर्ताव क्यों कर रहे हों सिर उठाकर शान से बैठो, लड़की जैसा शरमाते रहें तो लडक़ी और उसके परिवार वालो पर गलत इंप्रेशन पड़ेगा।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏🙏

Oh to Manorama aur mahesh saari baaton pe soch vichaar kar apni beti se indirectly baat ko suru ki aur direct point ki baat par aaye ..

haalanki kamla thik hi to keh rahi thi.. bana liyo ghar jamayi...koun sa rules & regulations tute isse ... ulta kamla ghar pe hi rahegi... par reet to ye na thi... reet to ye thi ki dulhan ki vidayi honi thi so undono ke samjhane par wo maan gayi is shart par ki dahej mein uske mata pita bhi jaayenge kamla ke sasuraal...

udhar ladkiyon ke dekhte hi sharmane wala raghu ko ek dum last moment mein pata chala ki wo ladki dekhne jaa raha hai...
well ...ek hi didaar mein sharmila raghu to kamla le fida jo gaya...
waise kamla ki wo muskurahat is baat ki aurr ishara kare ki wo bhi aakarshit hai raghu ke prati... :D


Ye kya.... bas ladka lakdi dekhne mein hi update nikal gaya... damn :sigh:

are koi thrill action kuch bhi nahi... are kam se kam kamla wo khaufnaak gussel roop hi dikha deti :dwarf:

Well sabhi pehlu mein sabhi arthpoorn baaton, kirdaaro bich huye vaartalaap ko aur gatividhiyo ko ek sathik gati ke sath samete huye hai.....kirdaaro ke gatividhiyon aur vartalaap ko writer sahab ne shabdon mein bahot khubsurat tarike roopantaran kiya hai. .

Bahot dilchasp update sath hi kuch arthpoorn aur manmahok kirdaaro ki bhumika bhi dekhne mile hai readers ko..

Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills
:yourock: :yourock:
 
Will Change With Time
Moderator
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Oh to Manorama aur mahesh saari baaton pe soch vichaar kar apni beti se indirectly baat ko suru ki aur direct point ki baat par aaye ..

haalanki kamla thik hi to keh rahi thi.. bana liyo ghar jamayi...koun sa rules & regulations tute isse ... ulta kamla ghar pe hi rahegi... par reet to ye na thi... reet to ye thi ki dulhan ki vidayi honi thi so undono ke samjhane par wo maan gayi is shart par ki dahej mein uske mata pita bhi jaayenge kamla ke sasuraal...

udhar ladkiyon ke dekhte hi sharmane wala raghu ko ek dum last moment mein pata chala ki wo ladki dekhne jaa raha hai...
well ...ek hi didaar mein sharmila raghu to kamla le fida jo gaya...
waise kamla ki wo muskurahat is baat ki aurr ishara kare ki wo bhi aakarshit hai raghu ke prati... :D


Ye kya.... bas ladka lakdi dekhne mein hi update nikal gaya... damn :sigh:

are koi thrill action kuch bhi nahi... are kam se kam kamla wo khaufnaak gussel roop hi dikha deti :dwarf:

Well sabhi pehlu mein sabhi arthpoorn baaton, kirdaaro bich huye vaartalaap ko aur gatividhiyo ko ek sathik gati ke sath samete huye hai.....kirdaaro ke gatividhiyon aur vartalaap ko writer sahab ne shabdon mein bahot khubsurat tarike roopantaran kiya hai. .

Bahot dilchasp update sath hi kuch arthpoorn aur manmahok kirdaaro ki bhumika bhi dekhne mile hai readers ko..

Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills
:yourock: :yourock:

Itne khubsurat manmohak aur motivated revo diya iske liye bahut bahut shukriya 🙏

Vichar karna jaroori tha bina soch vichar ke direct jakar nehi kah sakta tha.

Vaise maan bhi lete to kuch na bigdta aise bahut se ladka meel jata jo kamla se shadi kar ghar jamayi baan kar rahta ab maan liya so maan liya lekin bat yahan aatak gayi ki kya kamla ke maa bap dahaj me jayenge ya kuch aor lekar kamla sasural jayegi.

Machli ke samne chara pheka gaya tha to kab tak kud ko rook pata aor chara tha bhi itna manmohak to raghu vichra ho gaya lattu.

Abhi to sirf dekha hai isse aage ka kissa abhi baki hai thoda wait kijiye thrill wala wala update bhi aayega.

Ant me aor kiya kahoo ju ka revo nash nash ke sanchar pranlee ko energy se bhar deta hai.
 

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