Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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अपश्यु की आवाज सुन पुष्पा रुक गई फिर पलटकर अपश्यु की ओर देखकर रोने जैसी सूरत बनाकर बोली…भईया देखो न मां मुझे सजा दे रही हैं। जबकि मैंने कुछ गलती किया ही नहीं।

अपश्यु पुष्पा के पास आकर उसे गले से लगा लिया फिर सुरभि की ओर देखकर बोला….बडी मां आप कैसे हों। अपने ने ऐसा क्यों किया पुष्पा को कोई भी सजा नहीं दे सकता अगर उसने कुछ गलती किया है तो ये सजा मैं भुगतने को तैयार हूं।

ये कहकर अपश्यु कान पकड़ उठक बैठक करने लग गया। तब सुरभि उसे रोकते हुए बोली...गलती पुष्पा करे ओर सजा तू भुक्ते ऐसा कब तक चलेगा।

अपश्यु...बड़ी मां जब तक मैं जिंदा हूं तब तक ऐसा चलाता रहेगा अब आप ये बताओ उठक बैठक कितना लगाना हैं।

अपश्यु की बात सुन सुरभि भावुक हो गई। अपश्यु भले ही कितना भी बिगड़ा हुआ था लेकिन पुष्पा के साथ उसका जो रिश्ता था उसमे कोई मैल नहीं था दोनों के उम्र में मात्र छः महीने का अंतर हैं। सुरभि बचपन से देखती आ रही थीं। पुष्पा कोई भी गलती करें उसकी सभी गलती अपश्यु अपने सिर ले लेता था। आज पांच साल बाद अपश्यु का वोही प्यार देख सुरभि भावुक हों गई सुरभि उठकर अपश्यु के पास गई और उसे रोकते हुए बोली…रुक जा ओर उठक बैठक करने की जरूरत नहीं हैं। पुष्पा को सजा देने का जब भी मौका हाथ आता हैं न जानें तू कहा से बिच में टपक पड़ता हैं।

अपश्यु रुक गया फिर दोनों भाई बहन में बाते होने लग गया। बाते करते हुए दोनों एक दुसरे से मस्करी भी करने लग गए किसी किसी बात पर दोनों खिलखिला कर हंस देते सुरभि बैठे बैठे इन दोनों को मस्करी करते हुए देख रही थीं। सुरभि ने पुष्पा को रूम में जाकर फ्रेश होने को कहा लेकिन पुष्पा ने उनकी बातों को ध्यान ही नहीं दिया। अपने ही धुन में अपश्यु के साथ मस्ती करती रहीं। कुछ देर बाद सुरभि ख़ुद ही उठकर चली गईं। दोनों ऐसे ही बाते करते रहें।

रघु और रमन दोनो रघु के रूम में गया। वहा एक एक करके फ्रेस होकर कपड़े बदले फिर रमन ने पूछा...बताना यार सरप्राइस किया हैं मुझ'से ओर wait नही होता।

रघु...बता दूंगा लेकिन वादा कर नाराज नहीं होगा।

रमन...चला किया वादा अब बता सरप्राइस किया हैं।

रघु…आने वाली 26 तारीक को तेरे दोस्त की शादी हैं।

ये सुनकर रमन किया रिएक्ट करे भुल ही गया फिर अचानक उठ खडा हुआ। रघु को मुक्के ही मुक्के मरने लग गया। रघु खुद को बचाने की भरसक प्रयास करता रहा। लेकिन रमन रुकने का नाम ही नही ले रहा था, बस मारे ही जा रहा था। रघु को बचने का कोई और रास्ता नजर नहीं आया तब बोला…रमन तूने वादा किया था नाराज नहीं होगा। अब क्यों वादा तोड़ रहा है?

रमन रुका फिर बोला…वादा कौन सा वादा किया था मुझे तो कुछ याद नहीं

इतना बोल फिर से रघु पर मुक्को की बरसात कर दिया कुछ क्षण मरने के बाद रमन रुका फिर बोला...मन तो कर रहा हैं तुझे ओर मारू मार मारकर तेरी हड्डी पसली तोड़ दूं लेकिन तू अस्पताल पहुंच गया तो किसकी शादी में नाचूंगा। तू भी गजब हैं कब लडकी देखा कब शादी तय हुआ कुछ बताना भी जरूरी नहीं समझा। क्या मैं इतना गया गुजरा हूं?

रघु...ज्यादा उटपटांग बोला न तो तुझे मैं मरूंगा। तू जानता है मेरे जीवन में जो भी खुशी का पल आता है सबसे पहले मैं तुझे बता हूं। कमला के बारे में भी तुझे बताने वाला था लेकिन न जाने क्यों पापा ने किसी को बताने से मना कर दिया। मै ही जानता हूं कैसे ख़ुद को रोका हुआ था। कल जब शादी के दिन का पाता चला तब खुद को ओर न रोक पाया। तुझे सरप्राइस हैं बोलकर यह बुला लिया।

रमन…kamlaaaa सरप्राइस सुनने में अच्छा है लेकिन देखने में कैसी है कानी भैंगी तो नहीं हैं।

रमन कहकर मुस्कुरा दिया। रमन को मुस्कुराते देख रघु चीड़ गया फिर बोलना शुरू किया…कमला को कानी भैंगी बोला तो बहुत मारूंगा। कमला बहुत खूबसूरत हैं उसके रुप सौंदर्य के मोह जल में मैं फांस गया हूं। झील जैसी गहरी आंखे उसकी आंखो में देखता हूं तो ऐसा लगता हैं मैं भावर में फसता जा रहा हूं। काले लंबे केश जब लहराती हैं तो ऐसा लगता हैं जैसे सूरज के तीव्र वेग को रोकने में प्रयासरत हों। उसका गोरा दमकता मुखड़ा जिसे देखता हूं तो आत्म तृप्ति का सुखद अनुभूति होता हैं। उसके लब मानो नसीले रसायनों का मिश्रण जिसे पीने के लिए मैं लालायित हों जाता हूं। उसके स्वर मानो सातों सरगमो को मिलाकर किसी ने मधुर तरंगे छोड़ दिया हों जिसे सुनकर कान तृप्त हों जाएं। ऐसी है मेरी कमला ओर तू उसे कानी भैंगी बोल रहा हैं।

रमन…ओ भाई तू तो गया लेकिन रूक क्यों गया ओर तारीफ कर अभी तो बाकी अंग भी रहा गया उसे क्यों छोड़ दिया लगे हाथ उसकी भी तारीफ कर दे।

रघु...हट पगले वो तेरी भाभी है। भाभी की दुसरे अंगो की तारीफ सुनेगा तुझे कहने में लाज भी नहीं आया।

रमन...क्या करू यार तू तारीफ ही ऐसे कर रहा था जिसे सुनने में बहुत मजा आ रहा था। इसलिए कह दिया तू नाराज न हों। लेकिन एक बात तो है कमला भाभी में कुछ तो बात है नहीं तो मेरा दोस्त जो लड़कियों की ओर देखता ही नहीं वो ऐसे तारीफ नहीं करता।

रघु...न जाने किया बात हैं जब से उसे देख हूं तब से कुछ अच्छा नहीं लगता मन करता हैं उसके पास रहूं उससे बाते करू कभी कभी तो मन करता हैं अभी जाऊ ओर उसे अपने पास लेकर आऊ फिर खुद से कभी दूर जाने न दूं।

रमन ने रघु को गले से लगा लिया फिर बोला...यार तू तो प्रेम रोग से ग्रस्त हो गया तू तो गया काम से अरे कोई वैध को बुलाओ मेरे दोस्त को दिखाओ इसके दिल के खाली कमरे में कोई बस गया। उसे फ्रेम में टंगवाओ।

रघु….तू मेरा मजाक उड़ा रहा हैं लेकिन तू नहीं जानता मुझ'पे किया बीत रहा हैं।

रमन….अरे मैं मजाक नहीं कर रहा हूं सच कह रहा हूं। शायद ये प्रेम का पहला लक्षण हैं जो तुझे धीरे धीर प्रेम के घेरे में ले रहा हैं।

रघु...क्या तू सच कह रहा है ये प्रेम के लक्षण हैं।

रमन...मैं पक्का तो नहीं कह सकता पर सूना हैं प्यार की शुरुवात ऐसे ही होता कितना सही है कितना मुझे नहीं पाता। भाभी के बारे में कुछ ओर बता जरा सुनूं तो ऐसी ओर किया बात हैं जिसने मेरे दोस्त को प्यार का अहसास करा दिया।

रघु...सब तो बता दिया ओर क्या बताऊं बस दो ही बार तो मिला हूं पहला दिन जब उसे देखने गया था फिर दुसरी बार दो दिन पिछे मिला था। बाकी फोन पर ही बाते करता हूं।

रमन... दो ही बार में तेरा ये हाल हैं मुझे तो लगता हैं ये रस्में रिवाज न होता तो तू आज ही भाभी को घर ले आता। लेकिन कोई बात नही कुछ दिन ओर रूक जा फिर धूम धाम से भाभी को घर लेकर आएंगे।

रघु….सही कह रहा है ये रस्मों रिवाजों का बंधन नही होता तो मैं कब का कमला को घर ले आता। लेकिन कोई बात नहीं बीस दिन ही तो Wait करना हैं। कर लूंगा चल तुझे कमला से बात करवाता हूं।

रमन…अच्छा मुझसे बात करवाएगा ये क्यों नहीं कहता। बात करने का तेरा मन कर रहा हैं ।

रघु...सही कह रहा हैं कमला से बात करने का बहुत मन कर रहा हैं।

रघु ने फोन लगाया। पहले खुद बात किया फिर रमन से भी बात करवाया। इधर दोनों बात करने में लगे हुए थे। उधर रावण और सुकन्या घूम कर वापस आ गाए थे। सुरभि को देख'कर सुकन्या ने कोई विशेष भाव नहीं दर्शाया सुरभि और सुकन्या में कुछ नोर्मल बाते हुआ। रावण से भी ऐसी ही बाते हुआ राजेंद्र वहा नहीं था कही गया हुआ था। ऐसे ही बातों बातों में रात के खाने का समय हों गया। आज रात के खाने में सभी एक साथ थे। खान खाने के बाद राजेंद्र बोला…कल सुबह सभी को एक खुश खबरी मिलने वाला हैं। जो हमारे महल को खुशियों से भरा देने वाला हैं।

सुरभि, पुष्पा, रघु और रमन को खुश खबरी का पता था। लेकिन रावण, सुकन्या, अपश्यु और बाकी लोगों को पता नहीं था इसलिए सब अपने अपने दिमागी घोड़े को दौड़ने लग गए खुशखबरी क्या हों सकता है। सब के विचार अलग अलग आ रहे थे कोई ठोस निस्कर्ष नहीं निकल रहा था। सब निष्कर्ष निकलते निकलते थक चुके कोई ठोस नतीजा न निकला तब रावण बोला…दादा भाई बता दो खुशखबरी क्या हैं मै तो सोच सोच कर थक चुका हूं।

इसके बाद तो सब एक एक कर पूछने लग गए। सभी के उतावले पान को देखकर राजेंद्र बोला...सोचने के लिए आज का पूरा रात हैं। रात भर सोचो देखो किया निष्कर्ष निकलता हैं नहीं निकला तो मैं कल सुबह बता तो रहा हूं।

इसके बाद रावण जानने की जिद्द करने लग गया। उसका साथ अपश्यु भी देने लग गया। लेकिन सुकन्या ने आज कोई उतावला पान नहीं दिखाया। ये देख'कर सुरभि को लगा आज सुकन्या को किया हुआ कुछ बोल नहीं रही है जबकि ऐसे खबर सुनने के लिए सबसे ज्यादा उतावला पान सुकन्या ही दिखती थीं। कुछ तो हुआ है चलो कल सुबह बात करके देखती हूं।

इतना पुछने पर भी राजेंद्र ने कुछ नहीं बताया बस सभी को अपने अपने रुम में जा'कर आज रात भर सोचने को कहा फिर राजेंद्र उठकर चला गया उसके जाने के बाद एक एक कर सभी अपने अपने कमरे में चले गए। ऐसे ही रात बीत गया सुबह नाश्ते के बाद राजेंद्र ने कमान संभाला और रघु की शादी की खुशखबरी सुना दिया। सिर्फ सुनाया ही नहीं कब कौन सा रस्म होगा वह भी बता दिया। ये सुनकर रावण अचंभे में रहा गया। वो समझ नहीं पा रहा था खुशी मनाएं या मातम बस बनावटी मुस्कान चहरे पर लाते हुए कहा...दादा भाई ये खुशी की खबर हैं लेकिन मैं आपसे नाराज हूं सब कुछ हों गया उसके बाद आप बता रहे हों पहले बताते तो क्या हों जाता।

राजेंद्र...माफ़ करना भाई सब कुछ इतना जल्दी हुआ बताने का मौका ही नहीं मिला।

रावण...चलो जो हुआ अच्छा हुआ लेकिन आप इतना तो बता सकते हैं। लडकी को आप दोनों ने कब देखा। लडकी कैसी हैं उसके घर वाले कैसे हैं। कलकत्ता में कहा रहते हैं।

राजेंद्र ने रावण को बता दिया कमला से कहा मिला कब बात हुआ किया किया बात हुआ। कमला के घर का एड्रेस भी बता दिया। राजेंद्र से सुनकर रावण मन में बोला….जितनी खुशी खुशी आप बता रहे हों लेकिन आप ये न सोचे की ये खुशी आप'को मिलने वाली हैं शादी तय हो गया तो किया हुआ टूट भी सकता हैं जल्दी ही आप'को शादी टूटने की खबर मिलेगा।

फिर रावण ने राजेंद्र से बोला...दादा भाई हाथ में दिन कम हैं। तैयारी भी बहुत हैं तो हमें आज ही सभी तैयारी करना हैं। घर को अच्छे से सजाना हैं। बहुत सारा खरीददारी भी करना हैं। बहुत से जानें माने लोगों को दावत देना हैं। कौन से शादी घर में शादी के सभी फंक्शन होगा उसे भी तय करना हैं। महमानो को दावत कैसे देना हैं। किस तरह का निमंत्रण पत्र तैयार करवाना है उसको भी पसंद करना हैं।

राजेंद्र…रूक जा भाई सब हों जाएगा शादी किसी बारात घर में नहीं होगा। बारात लेकर हमे महेश बाबू के घर जाना है उनकी इच्छा है वो अपने इकलौती बेटी के शादी की सभी रश्म अपने घर में करेगें। मैं भी उनसे सहमत हूं। हम भी शादी की सभी रस्में अपने कलकत्ता वाले पुस्तैनी घर में ही करेगें वही से बारात का प्रस्थान भी होगा। विदाई के बाद बहु को लेकर यह आ जाएंगे। बहु का गृह प्रवेश इसी घर में ही होगा। इसलिए मैंने फैसला लिया हैं। यह जिस जिसको दावत देना हैं उसकी लिस्ट तैयार कर तुझे दे दूंगा। तू यहां सब को दावत देने के बाद कलकत्ता आ जाना। इतना तो तू कर पाएगा न। तेरे साथ मुंशी भी रहेगा उसे मैंने सब बता दिया हैं।

रावण...हां हां क्यों नहीं में इतना क्या सभी काम मै ही करुंगा आप बस बताते जाएगा आखिर मेरे बड़े बेटे की शादी हैं।

रावण की बात सुन राजेंद्र गदगद हों गया था। उसे लग रहा था रघु की शादी की खबर सुन रावण उससे भी ज्यादा खुश है लेकिन राजेंद्र को नहीं पता रावण के मन में किया चल रहा था। वो तू सिर्फ खुश होने का दिखावा कर रहा हैं। इसके बाद सभी अपने अपने खास खास लोगों की लिस्ट बनाने लग गए। इसमें बहुत वक्त निकाल गया। सभी लिस्ट बनाने के बाद रावण और राजेंद्र दोनों भाई निमंत्रण पत्र छपवाने वाले के पास गए। चार पांच प्रकार के निमंत्रण पत्र पसंद किया उसे घर लाकर सभी को दिखाया। सभी ने देख कर एक निमंत्रण पत्र को पसंद किया उसे लेकर छपवाने वाले के पास गया। जितनी जल्दी हों सके छापने के लिए कहा। राज परिवार का मामला था इसलिए तीन दिन का समय मांगा। ऐसे ही पूरा दिन भागा दौड़ी में लग गए। रावण को किसी ओर से बात करने का मौका ही नहीं मिला। इसी बिच रघु और रमन ने मुंशी को साथ लेकर हलवाई, घर सजने वाले और टेंट वाले से बात कर आया। घर सजाने वाले को अगले दिन से घर को भव्य तरीके से सजाने को कहा गया। टेंट वाले को कब किया करना है सब बता दिया गया। हलवाई को भी बता दिया गया था। सभी पुरुष घर के बाहर के कामों में व्यस्त थे तो महिलाओं के पास करने को कुछ था नहीं पुष्पा ने घर में उधम मचा रखा था। घर के सभी नौकर को पता चल गया। उनकी नटखट छोटी मालकिन घर वापस आ गई है इसलिए उनकी सामंत आई हुई थीं। पुष्पा सभी नौकरी को परेशान कर रखा था। लेकिन कोई भी पुष्पा से नाराज नहीं हों रहा था। सुरभि सुकन्या से उसके परेशानी का करण जानना चाह लेकिन सुकन्या ने कुछ न बताकर गोल मोल घुमा दिया। लेकिन आज एक बात खास हुआ की सुकन्या ने सुरभि से अच्छे से बात किया। जिससे सुरभि बहुत खुश हों गई। ऐसे ही आज का दिन बीत गया। सभी खुशी ख़ुशी सो गए लेकिन रावण बहुत परेशान था। उसे अपने काम को अंजाम देने के लिए किसी से मिलने का मौका ही नहीं मिला। इसी बात को लेकर रावण परेशान था सुकन्या से बात करना चाह लेकिन इसने भी मना कर दिया। अगला दिन भी ऐसे ही भागा दौड़ी में बीत गया। घर के साफ सफाई और सजावट वाले ने अपना काम शुरू कर दिया। आज भी राजेंद्र ने दिन भर रावण को अपने साथ लगाए रखा। इन दो दिनों में अपश्यु सिर्फ दिखावे का काम करता रहा और मौका मिलते ही घर से भाग जाता। लेकिन जहां भी जाता था विकट उसके पीछे छाए की तरह लगा रहता था। तीसरे दिन रावण को मौका मिला उस दिन सुकन्या भी अच्छे मूड में थी। उसके अच्छे मूड के पीछे करण थी पुष्पा। सुकन्या भले ही सुरभि से कैसा व्यवहार करती हो लेकिन पुष्पा से बहुत प्यार करता था उसके किसी भी बात का बुरा नहीं मानता था। पुष्पा ने ही सुकन्या के मूढ़ को पूरी तरह बदल दिया था। जिस बात को लेकर सुकन्या परेशान थी बो उसे बिलकुल भुल गया था। इसलिए सूकन्या का अच्छा मुड़ देखकर रावण ने उससे बात करने की सोचा और उसे रात को सोते समय बात करना ही बेहतर समझा।


रावण किया बात करने वाला हैं कैसे रघु की शादी को तुड़बाएगा इसके बारे में अगले अपडेट से जानेंगे। यह तक साथ बने रहते के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।
🙏🙏🙏🙏🙏
 
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अपश्यु की आवाज सुन पुष्पा रुक गई फिर पलटकर अपश्यु की ओर देखकर रोने जैसी सूरत बनाकर बोली…भईया देखो न मां मुझे सजा दे रही हैं। जबकि मैंने कुछ गलती किया ही नहीं।

अपश्यु पुष्पा के पास आकर उसे गले से लगा लिया फिर सुरभि की ओर देखकर बोला….बडी मां आप कैसे हों। अपने ने ऐसा क्यों किया पुष्पा को कोई भी सजा नहीं दे सकता अगर उसने कुछ गलती किया है तो ये सजा मैं भुगतने को तैयार हूं।

ये कहकर अपश्यु कान पकड़ उठक बैठक करने लग गया। तब सुरभि उसे रोकते हुए बोली...गलती पुष्पा करे ओर सजा तू भुक्ते ऐसा कब तक चलेगा।

अपश्यु...बड़ी मां जब तक मैं जिंदा हूं तब तक ऐसा चलाता रहेगा अब आप ये बताओ उठक बैठक कितना लगाना हैं।

अपश्यु की बात सुन सुरभि भावुक हो गई। अपश्यु भले ही कितना भी बिगड़ा हुआ था लेकिन पुष्पा के साथ उसका जो रिश्ता था उसमे कोई मैल नहीं था दोनों के उम्र में मात्र छः महीने का अंतर हैं। सुरभि बचपन से देखती आ रही थीं। पुष्पा कोई भी गलती करें उसकी सभी गलती अपश्यु अपने सिर ले लेता था। आज पांच साल बाद अपश्यु का वोही प्यार देख सुरभि भावुक हों गई सुरभि उठकर अपश्यु के पास गई और उसे रोकते हुए बोली…रुक जा ओर उठक बैठक करने की जरूरत नहीं हैं। पुष्पा को सजा देने का जब भी मौका हाथ आता हैं न जानें तू कहा से बिच में टपक पड़ता हैं।

अपश्यु रुक गया फिर दोनों भाई बहन में बाते होने लग गया। बाते करते हुए दोनों एक दुसरे से मस्करी भी करने लग गए किसी किसी बात पर दोनों खिलखिला कर हंस देते सुरभि बैठे बैठे इन दोनों को मस्करी करते हुए देख रही थीं। सुरभि ने पुष्पा को रूम में जाकर फ्रेश होने को कहा लेकिन पुष्पा ने उनकी बातों को ध्यान ही नहीं दिया। अपने ही धुन में अपश्यु के साथ मस्ती करती रहीं। कुछ देर बाद सुरभि ख़ुद ही उठकर चली गईं। दोनों ऐसे ही बाते करते रहें।

रघु और रमन दोनो रघु के रूम में गया। वहा एक एक करके फ्रेस होकर कपड़े बदले फिर रमन ने पूछा...बताना यार सरप्राइस किया हैं मुझ'से ओर wait नही होता।

रघु...बता दूंगा लेकिन वादा कर नाराज नहीं होगा।

रमन...चला किया वादा अब बता सरप्राइस किया हैं।

रघु…आने वाली 26 तारीक को तेरे दोस्त की शादी हैं।

ये सुनकर रमन किया रिएक्ट करे भुल ही गया फिर अचानक उठ खडा हुआ। रघु को मुक्के ही मुक्के मरने लग गया। रघु खुद को बचाने की भरसक प्रयास करता रहा। लेकिन रमन रुकने का नाम ही नही ले रहा था, बस मारे ही जा रहा था। रघु को बचने का कोई और रास्ता नजर नहीं आया तब बोला…रमन तूने वादा किया था नाराज नहीं होगा। अब क्यों वादा तोड़ रहा है?

रमन रुका फिर बोला…वादा कौन सा वादा किया था मुझे तो कुछ याद नहीं

इतना बोल फिर से रघु पर मुक्को की बरसात कर दिया कुछ क्षण मरने के बाद रमन रुका फिर बोला...मन तो कर रहा हैं तुझे ओर मारू मार मारकर तेरी हड्डी पसली तोड़ दूं लेकिन तू अस्पताल पहुंच गया तो किसकी शादी में नाचूंगा। तू भी गजब हैं कब लडकी देखा कब शादी तय हुआ कुछ बताना भी जरूरी नहीं समझा। क्या मैं इतना गया गुजरा हूं?

रघु...ज्यादा उटपटांग बोला न तो तुझे मैं मरूंगा। तू जानता है मेरे जीवन में जो भी खुशी का पल आता है सबसे पहले मैं तुझे बता हूं। कमला के बारे में भी तुझे बताने वाला था लेकिन न जाने क्यों पापा ने किसी को बताने से मना कर दिया। मै ही जानता हूं कैसे ख़ुद को रोका हुआ था। कल जब शादी के दिन का पाता चला तब खुद को ओर न रोक पाया। तुझे सरप्राइस हैं बोलकर यह बुला लिया।

रमन…kamlaaaa सरप्राइस सुनने में अच्छा है लेकिन देखने में कैसी है कानी भैंगी तो नहीं हैं।

रमन कहकर मुस्कुरा दिया। रमन को मुस्कुराते देख रघु चीड़ गया फिर बोलना शुरू किया…कमला को कानी भैंगी बोला तो बहुत मारूंगा। कमला बहुत खूबसूरत हैं उसके रुप सौंदर्य के मोह जल में मैं फांस गया हूं। झील जैसी गहरी आंखे उसकी आंखो में देखता हूं तो ऐसा लगता हैं मैं भावर में फसता जा रहा हूं। काले लंबे केश जब लहराती हैं तो ऐसा लगता हैं जैसे सूरज के तीव्र वेग को रोकने में प्रयासरत हों। उसका गोरा दमकता मुखड़ा जिसे देखता हूं तो आत्म तृप्ति का सुखद अनुभूति होता हैं। उसके लब मानो नसीले रसायनों का मिश्रण जिसे पीने के लिए मैं लालायित हों जाता हूं। उसके स्वर मानो सातों सरगमो को मिलाकर किसी ने मधुर तरंगे छोड़ दिया हों जिसे सुनकर कान तृप्त हों जाएं। ऐसी है मेरी कमला ओर तू उसे कानी भैंगी बोल रहा हैं।

रमन…ओ भाई तू तो गया लेकिन रूक क्यों गया ओर तारीफ कर अभी तो बाकी अंग भी रहा गया उसे क्यों छोड़ दिया लगे हाथ उसकी भी तारीफ कर दे।

रघु...हट पगले वो तेरी भाभी है। भाभी की दुसरे अंगो की तारीफ सुनेगा तुझे कहने में लाज भी नहीं आया।

रमन...क्या करू यार तू तारीफ ही ऐसे कर रहा था जिसे सुनने में बहुत मजा आ रहा था। इसलिए कह दिया तू नाराज न हों। लेकिन एक बात तो है कमला भाभी में कुछ तो बात है नहीं तो मेरा दोस्त जो लड़कियों की ओर देखता ही नहीं वो ऐसे तारीफ नहीं करता।

रघु...न जाने किया बात हैं जब से उसे देख हूं तब से कुछ अच्छा नहीं लगता मन करता हैं उसके पास रहूं उससे बाते करू कभी कभी तो मन करता हैं अभी जाऊ ओर उसे अपने पास लेकर आऊ फिर खुद से कभी दूर जाने न दूं।

रमन ने रघु को गले से लगा लिया फिर बोला...यार तू तो प्रेम रोग से ग्रस्त हो गया तू तो गया काम से अरे कोई वैध को बुलाओ मेरे दोस्त को दिखाओ इसके दिल के खाली कमरे में कोई बस गया। उसे फ्रेम में टंगवाओ।

रघु….तू मेरा मजाक उड़ा रहा हैं लेकिन तू नहीं जानता मुझ'पे किया बीत रहा हैं।

रमन….अरे मैं मजाक नहीं कर रहा हूं सच कह रहा हूं। शायद ये प्रेम का पहला लक्षण हैं जो तुझे धीरे धीर प्रेम के घेरे में ले रहा हैं।

रघु...क्या तू सच कह रहा है ये प्रेम के लक्षण हैं।

रमन...मैं पक्का तो नहीं कह सकता पर सूना हैं प्यार की शुरुवात ऐसे ही होता कितना सही है कितना मुझे नहीं पाता। भाभी के बारे में कुछ ओर बता जरा सुनूं तो ऐसी ओर किया बात हैं जिसने मेरे दोस्त को प्यार का अहसास करा दिया।

रघु...सब तो बता दिया ओर क्या बताऊं बस दो ही बार तो मिला हूं पहला दिन जब उसे देखने गया था फिर दुसरी बार दो दिन पिछे मिला था। बाकी फोन पर ही बाते करता हूं।

रमन... दो ही बार में तेरा ये हाल हैं मुझे तो लगता हैं ये रस्में रिवाज न होता तो तू आज ही भाभी को घर ले आता। लेकिन कोई बात नही कुछ दिन ओर रूक जा फिर धूम धाम से भाभी को घर लेकर आएंगे।

रघु….सही कह रहा है ये रस्मों रिवाजों का बंधन नही होता तो मैं कब का कमला को घर ले आता। लेकिन कोई बात नहीं बीस दिन ही तो Wait करना हैं। कर लूंगा चल तुझे कमला से बात करवाता हूं।

रमन…अच्छा मुझसे बात करवाएगा ये क्यों नहीं कहता। बात करने का तेरा मन कर रहा हैं ।

रघु...सही कह रहा हैं कमला से बात करने का बहुत मन कर रहा हैं।

रघु ने फोन लगाया। पहले खुद बात किया फिर रमन से भी बात करवाया। इधर दोनों बात करने में लगे हुए थे। उधर रावण और सुकन्या घूम कर वापस आ गाए थे। सुरभि को देख'कर सुकन्या ने कोई विशेष भाव नहीं दर्शाया सुरभि और सुकन्या में कुछ नोर्मल बाते हुआ। रावण से भी ऐसी ही बाते हुआ राजेंद्र वहा नहीं था कही गया हुआ था। ऐसे ही बातों बातों में रात के खाने का समय हों गया। आज रात के खाने में सभी एक साथ थे। खान खाने के बाद राजेंद्र बोला…कल सुबह सभी को एक खुश खबरी मिलने वाला हैं। जो हमारे महल को खुशियों से भरा देने वाला हैं।

सुरभि, पुष्पा, रघु और रमन को खुश खबरी का पता था। लेकिन रावण, सुकन्या, अपश्यु और बाकी लोगों को पता नहीं था इसलिए सब अपने अपने दिमागी घोड़े को दौड़ने लग गए खुशखबरी क्या हों सकता है। सब के विचार अलग अलग आ रहे थे कोई ठोस निस्कर्ष नहीं निकल रहा था। सब निष्कर्ष निकलते निकलते थक चुके कोई ठोस नतीजा न निकला तब रावण बोला…दादा भाई बता दो खुशखबरी क्या हैं मै तो सोच सोच कर थक चुका हूं।

इसके बाद तो सब एक एक कर पूछने लग गए। सभी के उतावले पान को देखकर राजेंद्र बोला...सोचने के लिए आज का पूरा रात हैं। रात भर सोचो देखो किया निष्कर्ष निकलता हैं नहीं निकला तो मैं कल सुबह बता तो रहा हूं।

इसके बाद रावण जानने की जिद्द करने लग गया। उसका साथ अपश्यु भी देने लग गया। लेकिन सुकन्या ने आज कोई उतावला पान नहीं दिखाया। ये देख'कर सुरभि को लगा आज सुकन्या को किया हुआ कुछ बोल नहीं रही है जबकि ऐसे खबर सुनने के लिए सबसे ज्यादा उतावला पान सुकन्या ही दिखती थीं। कुछ तो हुआ है चलो कल सुबह बात करके देखती हूं।

इतना पुछने पर भी राजेंद्र ने कुछ नहीं बताया बस सभी को अपने अपने रुम में जा'कर आज रात भर सोचने को कहा फिर राजेंद्र उठकर चला गया उसके जाने के बाद एक एक कर सभी अपने अपने कमरे में चले गए। ऐसे ही रात बीत गया सुबह नाश्ते के बाद राजेंद्र ने कमान संभाला और रघु की शादी की खुशखबरी सुना दिया। सिर्फ सुनाया ही नहीं कब कौन सा रस्म होगा वह भी बता दिया। ये सुनकर रावण अचंभे में रहा गया। वो समझ नहीं पा रहा था खुशी मनाएं या मातम बस बनावटी मुस्कान चहरे पर लाते हुए कहा...दादा भाई ये खुशी की खबर हैं लेकिन मैं आपसे नाराज हूं सब कुछ हों गया उसके बाद आप बता रहे हों पहले बताते तो क्या हों जाता।

राजेंद्र...माफ़ करना भाई सब कुछ इतना जल्दी हुआ बताने का मौका ही नहीं मिला।

रावण...चलो जो हुआ अच्छा हुआ लेकिन आप इतना तो बता सकते हैं। लडकी को आप दोनों ने कब देखा। लडकी कैसी हैं उसके घर वाले कैसे हैं। कलकत्ता में कहा रहते हैं।

राजेंद्र ने रावण को बता दिया कमला से कहा मिला कब बात हुआ किया किया बात हुआ। कमला के घर का एड्रेस भी बता दिया। राजेंद्र से सुनकर रावण मन में बोला….जितनी खुशी खुशी आप बता रहे हों लेकिन आप ये न सोचे की ये खुशी आप'को मिलने वाली हैं शादी तय हो गया तो किया हुआ टूट भी सकता हैं जल्दी ही आप'को शादी टूटने की खबर मिलेगा।

फिर रावण ने राजेंद्र से बोला...दादा भाई हाथ में दिन कम हैं। तैयारी भी बहुत हैं तो हमें आज ही सभी तैयारी करना हैं। घर को अच्छे से सजाना हैं। बहुत सारा खरीददारी भी करना हैं। बहुत से जानें माने लोगों को दावत देना हैं। कौन से शादी घर में शादी के सभी फंक्शन होगा उसे भी तय करना हैं। महमानो को दावत कैसे देना हैं। किस तरह का निमंत्रण पत्र तैयार करवाना है उसको भी पसंद करना हैं।

राजेंद्र…रूक जा भाई सब हों जाएगा शादी किसी बारात घर में नहीं होगा। बारात लेकर हमे महेश बाबू के घर जाना है उनकी इच्छा है वो अपने इकलौती बेटी के शादी की सभी रश्म अपने घर में करेगें। मैं भी उनसे सहमत हूं। हम भी शादी की सभी रस्में अपने कलकत्ता वाले पुस्तैनी घर में ही करेगें वही से बारात का प्रस्थान भी होगा। विदाई के बाद बहु को लेकर यह आ जाएंगे। बहु का गृह प्रवेश इसी घर में ही होगा। इसलिए मैंने फैसला लिया हैं। यह जिस जिसको दावत देना हैं उसकी लिस्ट तैयार कर तुझे दे दूंगा। तू यहां सब को दावत देने के बाद कलकत्ता आ जाना। इतना तो तू कर पाएगा न। तेरे साथ मुंशी भी रहेगा उसे मैंने सब बता दिया हैं।

रावण...हां हां क्यों नहीं में इतना क्या सभी काम मै ही करुंगा आप बस बताते जाएगा आखिर मेरे बड़े बेटे की शादी हैं।

रावण की बात सुन राजेंद्र गदगद हों गया था। उसे लग रहा था रघु की शादी की खबर सुन रावण उससे भी ज्यादा खुश है लेकिन राजेंद्र को नहीं पता रावण के मन में किया चल रहा था। वो तू सिर्फ खुश होने का दिखावा कर रहा हैं। इसके बाद सभी अपने अपने खास खास लोगों की लिस्ट बनाने लग गए। इसमें बहुत वक्त निकाल गया। सभी लिस्ट बनाने के बाद रावण और राजेंद्र दोनों भाई निमंत्रण पत्र छपवाने वाले के पास गए। चार पांच प्रकार के निमंत्रण पत्र पसंद किया उसे घर लाकर सभी को दिखाया। सभी ने देख कर एक निमंत्रण पत्र को पसंद किया उसे लेकर छपवाने वाले के पास गया। जितनी जल्दी हों सके छापने के लिए कहा। राज परिवार का मामला था इसलिए तीन दिन का समय मांगा। ऐसे ही पूरा दिन भागा दौड़ी में लग गए। रावण को किसी ओर से बात करने का मौका ही नहीं मिला। इसी बिच रघु और रमन ने मुंशी को साथ लेकर हलवाई, घर सजने वाले और टेंट वाले से बात कर आया। घर सजाने वाले को अगले दिन से घर को भव्य तरीके से सजाने को कहा गया। टेंट वाले को कब किया करना है सब बता दिया गया। हलवाई को भी बता दिया गया था। सभी पुरुष घर के बाहर के कामों में व्यस्त थे तो महिलाओं के पास करने को कुछ था नहीं पुष्पा ने घर में उधम मचा रखा था। घर के सभी नौकर को पता चल गया। उनकी नटखट छोटी मालकिन घर वापस आ गई है इसलिए उनकी सामंत आई हुई थीं। पुष्पा सभी नौकरी को परेशान कर रखा था। लेकिन कोई भी पुष्पा से नाराज नहीं हों रहा था। सुरभि सुकन्या से उसके परेशानी का करण जानना चाह लेकिन सुकन्या ने कुछ न बताकर गोल मोल घुमा दिया। लेकिन आज एक बात खास हुआ की सुकन्या ने सुरभि से अच्छे से बात किया। जिससे सुरभि बहुत खुश हों गई। ऐसे ही आज का दिन बीत गया। सभी खुशी ख़ुशी सो गए लेकिन रावण बहुत परेशान था। उसे अपने काम को अंजाम देने के लिए किसी से मिलने का मौका ही नहीं मिला। इसी बात को लेकर रावण परेशान था सुकन्या से बात करना चाह लेकिन इसने भी मना कर दिया। अगला दिन भी ऐसे ही भागा दौड़ी में बीत गया। घर के साफ सफाई और सजावट वाले ने अपना काम शुरू कर दिया। आज भी राजेंद्र ने दिन भर रावण को अपने साथ लगाए रखा। इन दो दिनों में अपश्यु सिर्फ दिखावे का काम करता रहा और मौका मिलते ही घर से भाग जाता। लेकिन जहां भी जाता था विकट उसके पीछे छाए की तरह लगा रहता था। तीसरे दिन रावण को मौका मिला उस दिन सुकन्या भी अच्छे मूड में थी। उसके अच्छे मूड के पीछे करण थी पुष्पा। सुकन्या भले ही सुरभि से कैसा व्यवहार करती हो लेकिन पुष्पा से बहुत प्यार करता था उसके किसी भी बात का बुरा नहीं मानता था। पुष्पा ने ही सुकन्या के मूढ़ को पूरी तरह बदल दिया था। जिस बात को लेकर सुकन्या परेशान थी बो उसे बिलकुल भुल गया था। इसलिए सूकन्या का अच्छा मुड़ देखकर रावण ने उससे बात करने की सोचा और उसे रात को सोते समय बात करना ही बेहतर समझा।



रावण किया बात करने वाला हैं कैसे रघु की शादी को तुड़बाएगा इसके बारे में अगले अपडेट से जानेंगे। यह तक साथ बने रहते के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।
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Badhiya update is ravan ki bhi pitai ho Jaye to maja aa jaye baki sab badhiya
 

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