Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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Update - 32


बुलाने आए शक्श के साथ अपश्यु बहार को चल दिया। शख्स मन ही मन बहुत खुश हों होने लगा। आज तो भड़ास निकल कर ही रहूंगा अपश्यु को उसके पाप कर्मों का दण्ड दे'कर रहूंगा ये सोचकर सरपट आगे को बढ़ चल। पीछे पीछे अपश्यु भी चल पड़ा

पुष्पा को अपश्यु बहार की ओर जाते हुऐ दिख गई। भईया कहा जा रहे हैं कह भागकर अपश्यु के पास आ'कर रोक'ते हुए बोली... भईया आप कहा जा रहे हों।

अपश्यु...बहार कोई दोस्त मिलने आया हैं उससे मिलने जा रहा हूं।

पुष्पा...बाहर मिलने जानें से अच्छा आप उन्हें अन्दर भी तो बुला सकते हों। इसी बहाने आप'के दोस्त भी शादी समारोह में सामिल हों लेंगे।

अपश्यु... हां सही कहा फिर शख्स से भाई आप उसे अंदर भेज दो।

अंदर भेजने की बात सुनकर शख्स के दिमाग में खालबली मच गया। अपश्यु बाहर नहीं गया तो योजना विफल हो जायेगा इसलिए बहाने बनाते हुए बोला... साहब मैंने भी यहीं कहा था अंदर आ'कर मिल लो लेकिन वो अंदर आने को राजी ही नहीं हों रहे थें। आप को बुलाकर लाने की जिद्द करने लगें तब मुझे आप'को बुलाने आना पड़ा।

पुष्पा…ऐसा कौन सा दोस्त हैं जो मिलने अंदर नहीं आ सकते आप जा'कर कहिए भईया बाहर नहीं आ सकते उनको यहां जरूरी काम हैं। मिलना हैं तो अन्दर आ'कर मिल ले।

"मेम साहब वो अंदर आना ही नहीं चाहते मैंने भी उन्हें बहुत कहा तो वो मुझे मरने पर उतारू हों गए उनके मार से बचने के लिए मुझे साहब को बुलाने आना पड़ा।"

अपश्यु...ऐसा हैं, तो चलो मैं भी तो देखूं मेरा ऐसा कौन सा दोस्त हैं जो मुझ'से मिलने के लिए इतना जिद्द कर रहा हैं। लेकिन अंदर आना नहीं चाहता। पुष्पा तू मंडप में जा मैं थोड़ी देर में मिलकर आ जाऊंगा।

अपश्यु के बाहर जाने की बात सुनकर शख्स मन ही मन खुश हों गया। पुष्पा मंडप की और जानें के लिए मूड़कर कुछ कदम आगे बड़कर रुक गईं फिर पलट कर बोली... भईया रुको मैं भी आप'के साथ चलूंगी।

पुष्पा के साथ चलने की बात सुनकर शख्स फिर से सोच में पड़ गया अब क्या बहना बनाऊँ जो अपश्यु अकेले बाहर आ जाए। बहन साथ गई तो हम कुछ नहीं कर पाएंगे। शख्स सोचने में मगन था और अपश्यु पुष्पा को जानें से माना करने में लगा रहा। लेकिन पुष्पा राजी नहीं हों रही थीं तब हर मानकर पुष्पा को साथ लेकर अपश्यु बाहर को चल दिया।

बाहर आकर शख्स जिस और अपश्यु को ले'कर जाना था उस ओर न जा'कर दूसरी ओर चल दिया। कुछ दूर जा'कर अपश्यु बोला... भाई कहा ले जा रहा है इधर तो अंधेरा हैं कोई दिख भी नहीं रहा।

"वो तो यही खड़े थे लगता है आने में देर हुआ इसलिए चले गए।"

अपश्यु... ऐसा कैसे हो सकता हैं मेरा दोस्त है, बिना मुझ'से मिले ही चले गए। तू झूट तो नहीं बोल रहा हैं।

तभी पुष्पा का माथा ठनका और पुष्पा बोली... बोलों कौन हों तुम, भईया को क्यों बुलाया था। जल्दी बोलों।

पुष्पा की बात सुनकर शख्स डर गया। जवाब देने से अच्छा भाग जाना बेहतर समझ इसलिए पीछे होते होते एकाएक पलटा और भग्गी लगा दी। शक्श को भागते देख अपश्यु बोला…अजीब आदमी है खुद बुलाकर लाया और खुद ही भाग गया।

पुष्पा... भईया जल्दी अंदर चलो। कुछ गडबड हैं।

अपश्यु.. क्या कह रहीं हैं।

पुष्पा आगे कुछ नहीं बोली अपश्यु का हाथ पकड़कर खींचते हुऐ अंदर को ले जानें लगीं तब अपश्यु बोला... पुष्पा किया हुआ। ऐसे खींचकर क्यों ले जा रहीं हैं।

पुष्पा... अंदर चलो फिर बताता हूं।

फिर दोनों अन्दर आ गए। अंदर आ'कर पुष्पा बोली...भईया मुझे लगता है बाहर आप'का कोई दोस्त नहीं आया था वो लोग आप'को बहार बुलाकर कुछ गलत करना चाहते थे।

अपश्यु... मेरे साथ कौन गलत करना चाहेगा मैंने किस'का बुरा किया।

पुष्पा...भईया मुझे लगता हैं सगाई वाले रात उन दो लड़कों के साथ जो भी हुआ उसका बदला लेने उसके दोस्तों ने कोई योजना बनाया होगा। जैसे अपने रघु भईया ने रमन भईया और आशीष ने उन दोनों को पीटा था वैसे ही वो आप तीनों में से किसी को बहाने से बाहर बुलाकर पीटना चाहते हों।

अपश्यु...उनकी इतनी हिम्मत खुद गलत करे फिर सजा मिला तो अब बदला लेने आ गए तू यही रूक अभी मैं उन लोगों को ढूंढकर अच्छे से सबक सिखाकर आता हूं।

इतना कहकर अपश्यु गुस्से में पलटकर बाहर को चल दिया। पुष्पा आगे से आ'कर अपश्यु को रोकते हुऐ बोली…भईया आप कहीं नहीं जाओगे।

अपश्यु…जानें दे मुझे देखू तो कौन हैं और कितनी हिम्मत हैं। एक तो मेरी बहन को छेड़ा और अब मुझे मरने के लिए अपने नालायक दोस्तों को भेजा।

पुष्पा...भईया अगर अपने महारानी की आदेश नहीं माना तो अभी के अभी आप'के साथ किया हों सकता हैं। आप अच्छे से जानते हों।

अपश्यु मन में सोच अभी अगर पुष्पा की बात नहीं माना तो उठक बैठ करना पड़ेगा इतने लोगों के सामने इज्जत का कचरा करने से अच्छा पुष्पा की बात मान लिया जाएं। उन लड़कों को बाद में देख लिया जाएगा। इतना सोचकर अपश्यु बोला... ठीक है महारानी जी जैसा आप कहें।

पुष्पा मुस्कुरा दिया फिर अपश्यु को साथ लेकर मंडप में पहुंच गईं जहां शादी के सभी रस्म पुरा हों चूका था। नव दंपति बड़े बुजुर्ग के आशीर्वाद ले रहें थें। सबसे पहले दोनों ने पुरोहित का आशीर्वाद लिया फिर महेश और मनोरमा का आशीर्वाद लिया कमला और रघु को आशीर्वाद देते वक्त महेश और मनोरमा की आंखे नम हों गईं। उसके बाद दोनों ने राजेंद्र, सुरभि रावण और सुकन्या का आशीर्वाद लिया फिर दोनों को कमरे में ले जाया गया।

इधर अपश्यु को बुलाने आया शख्स जब संकट के पास पहुंचा। अकेले आया देखकर संकट बोला…तू अकेले आया अपश्यु कहा हैं।

"अरे यार ला तो रहा था लेकिन न जानें कहा से छोटी मेम साहब पुष्पा आ गई फिर वहा जो भी हुआ बता दिया"

संकटअफसोस करते हुए बोला... यार ये अपश्यु फिर से बच गया। तू दोनों को ले आता दोनों को ही निपटा देते।

"दोनों को निपटा देते, सुन संकट हमारा बैर सिर्फ अपश्यु और उसके बाप से हैं। राजा जी, रानी मां, रघु मलिक और पुष्पा मालकिन के साथ कुछ गलत करने का सोचा तो तेरे लिए अच्छा नहीं होगा।"

"अपश्यु और उसके बाप के साथ जितना बुरा करना हैं कर हम तेरे साथ हैं लेकिन राजा जी या उनके परिवार के साथ बुरा करना चाहा तो तेरे लिए ये अच्छा नहीं होगा। "

संकट...अरे नाराज न हो मैं तो इसलिए कह रहा था पुष्पा मेम साहब के करण अपश्यु बच गया वरना मेरा कोई गलत मतलब नहीं था।

"तूने आज पुष्पा मेम साहब के साथ बुरा करना चाहा कल को राजा जी रानी मां रघु मलिक के बारे में भी गलत सोच सकता हैं। मैं तूझे साफ साफ कह रहा हूं ऐसा कुछ भी तेरे मन में हैं तो निकल दे नहीं तो हम'से बुरा कोई नहीं होगा।"

संकट...अरे यार मेरे मन में उनके लिया गलत भावना नहीं हैं मैं तो बस अपश्यु के साथ पुष्पा मेम साहब आ रही थीं इसलिए कहा कितनी कोशिश के बाद मौका मिला था वो भी हाथ से गया इसलिए हताश होकर ऐसा कहा।

"आज नहीं तो कल फिर मौका मिल ही जायेगा यहां का मौका हाथ से गया तो क्या हुआ दर्जलिंग में कभी न कभी मौका मिल जायेगा तब अपश्यु का काम तमाम कर देंगे।"

संकट…ठीक हैं फ़िर चलो अब हमारा यहां कोई काम नहीं हैं। चलते है दार्जलिंग में ही कोई न कोई मौका ढूंढ लेंगे।

संकट अपने गैंग के साथ चला गया। इधर विदाई का समय हों गया था। तो विदाई की तैयारी शुरू हों गया। मनोरमा कमला के पास गईं फिर बोली...कमला आज से तेरा एक नया जीवन शुरू हों रहा हैं। तूझे बहू पत्नी और आगे जाकर मां का धर्म निभाना हैं। ससुराल को अपना ही घर समझना सास ससुर का कहा मानना कभी उनके बातों का निरादर न करना। जैसे मेरी और अपने पापा को मान देती हैं वैसे ही सास ससुर को मान देना। सभी को अपना समझना परिवार में छोटी मोटी नोक झोंक होता रहता हैं। तू हमेशा परिवार को जोड़ कर रखने की चेष्टा करना। हमे कभी तेरी बुराई न सुनने को मिले इस बात का हमेशा ध्यान रखना।

कमला मां की बाते ध्यान से सुनती रहीं। साथ ही आंसु बहाती रही। आज से उसका अपना घर पराया हों गया। जहां लालन पालन हुआ, जिस आंगन में खेली कूदी न जानें कितनी अटखेलियां करते हुऐ बडी हुई आज से वो आंगन उसका अपना न रहा कुछ अपना हैं तो वो पति, पति का घर आंगन पति के रिश्ते नाते दर।

दोनों मां बेटी एक दूसरे से लिपटकर रोए जा रहीं थीं। महेश की आंखे भी नम था। अंदर ही अंदर रो रहा था एक बाप कितना भी मजबूत दिखाने की कोशिश कर ले किंतु बेटी के विदाई के वक्त अपनी भावनाओं को काबू नहीं रख पाता। महेश के साथ भी वैसा ही हुआ। खुद की भावनाओ को दबाने की बहुत कोशिश किया अंतः फुट फुट कर रो ही दिया।

महेश को रोता देखकर कमला महेश के पास आई और महेश से लिपट गईं। दोनों एक दुसरे से कहा तो कुछ नहीं बस आंसु बहाए जा रहे थें। बहते आसूं सब बया कर रहें थें। कुछ क्षण बेटी से लिपटकर रोने के बाद कमला से अलग हो'कर राजेंद्र के पास गए फ़िर हाथ जोड़कर कहा...राजेंद्र बाबू कमला को मैंने बहुत लाड प्यार से पाला हैं। दुनिया की सभी बुराई से बचा कर रखा आज मेरी लाडली आप'को सोफ रहा हूं उससे कोई भुल हों जाए तो नादान समझ कर माफ़ कर देना।

एक बाप की भावना को कैसे एक बाप न समझ पाता राजेंद्र भी तो एक बेटी का बाप हैं। जिससे वो सभी से ज्यादा लाड करता हैं जिसके सामने राजेंद्र का गुस्सा नदारद हो जाता। इसलिए राजेंद्र बोला...महेश बाबू आप'की बेटी मेरी बहू बनकर नहीं बल्कि मेरी बेटी बनकर जा रही हैं। उसे उतना ही लाड प्यार मिलेगा जितना आप'के घर में मिलता था। आप फिक्र न करें सिर्फ घर बादल रहा हैं लोग नहीं।

कमला के विदाई का मंजर बड़ा ही भावनात्मक हों गया। कन्या पक्ष में सभी की आंखे नम हों गया। रमन एक नज़र शालु को देखने के लिए इधर से उधर घूमता रहा। किंतु शालु को देख नहीं पाया। इसलिए निराशा उसके चहरे से झलकने लग गया। अंतः विदाई का रश्म पूरा करके कमला को बाहर लाया जा रहा था तब कमला के साथ साथ शालु और चंचल भी बहार तक आई। शालु को देखकर रमन का चेहरा चमक उठा एक खिला सा मुस्कान लवों पर आ गया। शालु का ध्यान रमन की ओर नहीं था इसलिए रमन मन ही मन सोच रहा था एक बार शालु देखें बस एक बार देख ले।

कमला के साथ साथ रघु कार में बैठ गया। दूसरे कार में रमन बैठते वक्त दरवाजा खोले खडा रहा और बार बार शालु की और देखने लगा। शालु की नजर शायद किसी को ढूंढ रहीं थीं तो शालू भी इधर उधर देखने लग गईं। कार का दरवाज़ा खोले, रमन खडा उसे दिख गई। दोनों की नज़र एक दूसरे से मिला नजरे मिलते हों दोनों के लवों पर लुभानी मुस्कान आ गया। हैं। रमन सिर्फ देखने भार से खुश नहीं हुआ बल्कि हाथ हिलाकर बाय बोला फ़िर मुंडी घुमाकर इधर इधर देखकर कार में बैठ गया।


कार धीरे धीर चल पड़ा और रमन मुंडी बाहर निकलकर पीछे छूटी शालू को देखने लग गया। सर खुजाने का बहाना कर शालू हाथ ऊपर उठाकर हिला दिया फिर दायं बाएं का जायजा लिया कोई देख तो नहीं रहा हैं। ये देखकर रमन मुस्कुरा दिया फ़िर बहार निकली मुंडी को अंदर कर लिया। कमला खिड़की से सिर निकलकर अपने घर को देख रही थीं। जो अब उसका मायका बन चूका था। कमला तब तक देखती रहीं जब तक दिखता रहा। दिखना बंद होते ही सिर अंदर ले'कर बैठ गई।

कमला विदा हो'कर अपने घर चल दिया। लेकिन महेश और मनोरमा का हाल रो रो कर बेहाल हों गया। आस पड़ोस के लोग समझा बुझा रहे थे। लेकिन मां बाप का दिल कहा मान रहा था। घर से बेटी विदा हों'कर हमेशा हमेशा के लिए चली गई। अपने ही बेटी पर अब उनका कोई हक न रहा जिसका इतने वर्षों तक लालन पालन किया, जिसकी सभी इच्छाएं और जिद्द को पुरा किया आज वो पराई हों गई।

मनोरमा रोते रोते बेहोश हों गई तब महेश रूम में लेकर गया पानी का छीटा मारकर होश में लाया होश में आते ही मनोरमा फिर से रोने लग गई तब महेश बोला...मनोरमा चुप हों जाओ ओर रोया तो तबीयत खराब हों जायेगा।

मनोरमा...क्या करूं आप ही कहो आज मैने उन्हीं हाथों से अपने बेटी को विदा किया जिन हाथों से कभी उसे खिलाया था उसके छोटे छोटे हाथों को पकड़कर चलना सिखाया था। उसके छोटी से छोटी सफलता पर उसे सराहा था। आज उन्हीं हाथों से विदा किया आज मेरी बेटी मेरी न रहीं वो पराई हों गईं।

महेश...ये तो हमारा कर्तव्य था जो हमने पुरा किया आज वो अपने घर चली गई पति का घर ही उसका अपना घर हैं हमारे यह तो कमला एक मेहमान थीं। हमे तो सिर्फ उसकी मेहमान नवाजी करना था जो हमने किया।

इसे आगे दोनों एक भी लफ्ज़ नहीं बोला पाए बस एक दुसरे से लिपटकर रोने लगे और कमला के साथ बिताए एक एक पल को याद करने लगें।

खैर कब तक रोते बाहर से महेश को आवाज दिया जा रहा था। इसलिए मनोरमा को चुप कराकर महेश बाहर आया। टेंट वाले, सजावट वाले अपना अपना सामान लेने आए थे। महेश ने उन्हें उनका सामान ले जानें को कहा फिर अंदर से पेमेंट भी ला'कर दिया।

इधर नव दंपति दोपहर तक दर्जलिंग पहुंच चुके थे। सुरभि सुकन्या पहले अंदर गई जहां दाई मां ने पहले से ही नव दंपति के स्वागत की सभी तैयारी कर रखा था। नई बहू को देखने खातिर लोगों की भीड जमा हो गया था। पुष्पा कार से पहले उतरी फिर अंदर की ओर चल दिया। पीछे से अपश्यु भागा भागा आया और पुष्पा के साथ हों लिया रमन भी आया और रघु के साथ खडा हों गया।

रघु और कमला जब दरवाज़े तक पहुंचा तब सुरभि और सुकन्या मिलकर गृह प्रवेश के रश्म को पूर्ण किया फिर रघु और कमला को साथ में अंदर लेकर जाने लगीं दरवाज़े पर पुष्पा और अपश्यु खड़े थे। भाई और भाभी को रोकते हुए बोली...भाभी को लेकर भईया कहा चले।

रघु...अंदर और कहा।

पुष्पा...अंदर तो तब जा पाओगे जब मेरी मांगे पूरी करोगे।

अपश्यु...और मेरी भी मांगे पूरी करोगे तब आप दोनों को अंदर जानें देखेंगे।

रघु... तुम दोनों की जो भी मांगे हैं वो मैं बाद में पुरा कर दुंगा अभी अंदर जानें दो बहुत दूर से सफर करके आए हैं तुम्हारी भाभी बहुत थक गई होगी।

पुष्पा...बहाने haaaa, भाभी का नाम लेकर बचना चाहते हों नहीं बच पाओगे भईया चलो जल्दी निकालो हमे हमारा नग दो और भाभी को लेकर अंदर जाओ।

अपश्यु... हां दादा भाई जल्दी से नग दो नहीं तो हम आप दोनों को ऐसे ही बाहर खडा रखेगे।

रघु ने जेब में हाथ डाला कुछ पैसे निकला फिर पुष्पा की ओर बड़ा दिया। पुष्पा पैसे देखकर बोली...बस इतना सा ओर दो इतने से काम न चलेगा।

तब कमला धीरे से पर्स में हाथ डालकर मूढ़े तुड़े जो भी पैसे रखा था निकलकर चुपके से रघु के हाथ में थमा दिया। पुष्पा की नजर पड़ गई तब बोली…भाभी हमने आप से नहीं मांगा भईया से मांगा हैं तो लेंगे भी भईया से चलो भईया और निकालो।

रघु...पुष्पा अभी मेरे पास इतने ही हैं बाकी के अंदर आने के बाद दे दुंगा।

पुष्पा ने अपश्यु की और देखा अपश्यु ने हा में सिर हिला दिया। तब पुष्पा ने पैसे रख लिया और रास्ता छोड़ दिया। अंदर जा'कर कुछ और रश्में पुरा किया गया फिर पुष्पा के साथ कमला को rest करने भेज दिया गया। कुछ वक्त rest करने के बाद पुष्पा लग गई अपने काम में कमला थोडी उदास लग रही थीं तो पुष्पा तरह तरह की बाते कर कमला का मन बहलाने लग गई।

अपश्यु नीचे आया और सुरभि को बोलकर कहीं चला गया। उधर रमन रघु के साथ था तो रघु को छेड़ने लगा

रमन...रघु आज तो सुहाग रात हैं पहले प्रैक्टिस किया हैं या सीधे पीच पर उतरेगा।

रघु कुछ बोला नहीं बस मुस्करा दिया। मुस्कुराते देख रमन बोला.. मुस्कुरा रहा है मतलब प्रैक्टिस करके पूरी तैयारी कर लिया तू तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला कब किया बता न।

रघु...क्या बोल रहा हैं? कुछ तो सोच समझकर बोला कर तू जनता हैं फ़िर भी ऐसा बोल रहा हैं।

रमन.. हां हां जनता हूं तभी तो बोल रहा हूं तू तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला प्रैक्टिस कर लिया और दोस्त को नहीं बताया।

रघु गुस्से से रमन को देखा और दो तीन मुक्का मार दिया रमन रघु को जकड़ लिया फिर बोला...यार मैं तो मजाक कर रहा था तू तो बुरा मान गया।

रघु... बुरा न मनु तो और किया करू तू जनता हैं फ़िर भी ऐसा कह रहा हैं।

रमन…चल ठीक हैं मै कुछ नहीं कहता तू अब आराम कर मैं बाजार से घूम कर आता हूं।

रघु…चल मै भी चलता हूं।

फिर रघु और रमन बाजार को चल दिया। कुछ वक्त में दोनों वापस आ गए। दोनों के पहली रात की तैयारी हों चूका था। कमला सजी सावरी बेड पर बैठी थीं। रमन रघु को कमरे के बाहर छोड़ कर चला गया।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
bhai ko gundo se bachake rakhi ki ijjat rakh li aaj pushpa ne. :lol:

to kamla aur raghu ek ho gaye shadi karke, rona dhona, grih pravesh bhi hua par suhaagraat ki baat ate hi update adhura chhod diya Destiny bhai ne. aisa nainsafi kyu kiya. next update me suhaagraat details me chahiye meko. :drool:
 
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bhai ko gundo se bachake rakhi ki ijjat rakh li aaj pushpa ne. :lol:

to kamla aur raghu ek ho gaye shadi karke, rona dhona, grih pravesh bhi hua par suhaagraat ki baat ate hi update adhura chhod diya Destiny bhai ne. aisa nainsafi kyu kiya. next update me suhaagraat details me chahiye meko. :drool:
Bahut bahut shukriya 🙏 Aakesh. Ji

Sab kuch suhagraat nehi hua ye kasi diswri hai. Par mai bhi kiya karu sabhi kuch ek hi update me nehi de sakta.

Ha ha dugna na:nana: ki scene detail me
 
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Update - 33


रमन के जाते ही रघु की बढ़ी हुई धडकनों की रफ्तार और तेज हों गया। आगे होने वाले घटनाओं को सोच सोचकर रघु का जिस्म सिहर उठा और एक एक रोआ खडा हों गया। हाथ आगे बढ़ाया फिर पीछे खींच लिया दाए बाय नज़र फेरकर एक गहरी सांस लिया कमीज के कोलार को थोड़ा सा खीचकर सही किया फ़िर हाथ बढ़ाकर दरवाज़े को धक्का दिया।

कमला सजी धजी ख्यालों में खोई बेड पर बैठी थीं। धड़कने कमला की भी बढ़ी हुई थीं। रघु के धक्का देकर दरवाज़ा खोलने से दरवाज़ा आवाज करते हुऐ खुल गया। दरवाजे पर हुई आहट से कमला की तंद्रा टूटी और हड़बड़ा कर दरवाज़े की ओर देखा। रघु दो ही कदम अंदर रखा था कि दोनों की नज़र एक दूसरे से मिल गया। दुल्हन की लिवास में सजी सांवरी कमला को देखकर रघु के मुख मंडल पर खिला सा मुस्कान तैर गया। रघु को मुस्कुराते देखकर कमला भी मुस्करा दिया। कुछ क्षण तक मुस्कान का आदान प्रदान करने के बाद रघु पलटकर दरवाज़े को बंद कर दिया। दरवाजा बंद होते ही एक बार फिर से कमला की धड़कने बढ़ने लग गईं।

रघु के एक एक कदम आगे बढ़ाना कमला के धड़कनों को और बढ़ा रही थीं। रघु जा'कर कमला के पास बैठा फ़िर बोला…कमला दुल्हन की लिबास में बहुत खूबसूरत लग रहीं हों। तुम्हारा ये गोरा दमकता चेहरा चौदमी के चांद की खूबसूरती को भी फीका कर देगा। दुनियां के सभी खूबसूरत और नायब चीजे तुम्हारी खूबसूरती के आगे कुछ भी नहीं, तुम्हें अर्धांगनी, जीवन संगनी के रुप में पा'कर मैं धन्य हों गया।

कमला के तरीफो के पुल, रघु बांधे जा रहा था। कमला को रघु से तारीफे सुनकर बहुत अच्छा और सुखद अनुभव हों रहा था। जीवन में पहला मौक़ा था जब कोई उसके खूबसूरती की तारीफ सभ्य भाषा में कर रहा था। तारीफ करने वाला कोई ओर नहीं बल्कि उसका पति ही था। जिसके साथ उसे जीवन के बचे सफर को तय करना था। पति से खुद की तारीफे सुनना अच्छा लग रहा था साथ ही शर्म भी लग रहा था इसलिए कमला ने नज़रे नीचे झुका लिया पर रघु अपने धुन में कमला की तारीफे किए जा रहा था। कमला को इतनी शर्म आने लगीं कि गाल गुलाबी हों गया। अंतः कमला नज़रे झुकाए हुए ही बोली... बस भी कीजिए जितना आप तारीफ कर रहे हैं मैं उतनी भी खूबसूरत नहीं हूं।

रघु.. हां तुम ठीक कह रहीं हों तुम खूबसूरत नहीं….।

नहीं बोलकर रघु रूक गया और कमला आंखे मोटी करके रघु की ओर देखने लग गई। उम्मीद कर रहीं थीं कुछ तो बोले लेकिन रघु बोलने के जगह मुस्कुराने लगा। पति को मुस्कुराते देखकर कमला बोली... अधूरा क्यों छोड़ दिया पुरा तो बोलिए

रघु... तुम सुनना चाहती हों तो बोल ही देता हूं। तुम खूबसूरत नहीं बहुत बहुत खूबसूरत हों।

कमला…पहले क्यों नहीं बोला अधूरा क्यों छोड़ा था?

रघु... तुम जानती हों तुम खूबसूरत हों फिर भी मान नहीं रहीं थीं। इसलिए मुझे रुकना पड़ा ये जानने, तुम्हें अच्छा लग रहा था या बुरा।

कमला बस मुस्कुरा दिया। मुस्कुराते हुए रघु जेब में हाथ डालकर एक डब्बा निकाला फिर डब्बे को खोलकर एक अंगूठी निकाला जो दिखने में साधारण था लेकिन नकाशी बेहतरीन तरीके से किया गया था अंगूठी के नग के जगह एक दिल की आकृति बना हुआ था जो दिखने में बहुत खूबसूरत लग रहा था। कमला बस अंगूठी को देख रहीं थीं और मुस्कुरा रहीं थी। अंगूठी को हाथ में लेकर रघु बोला...कमला अपना दायां हाथ आगे बढ़ाना देखूं तो अंगूठी तुम्हारे उंगली में कितना सुंदर लगता हैं।

कमला मुस्कुराते हुए हाथ आगे कर दिया, बीच वाली उंगली में अंगूठी को पहना दिया फिर रघु बोला...कमला तुम्हें दिया हुआ मेरा पहला गिफ्ट हैं तुम्हें पसंद आया।

कमला अंगूठी को चूमते हुए बोली...बहुत खूबसूरत हैं मुझे बहुत पसन्द आया।

रघु...खूबसूरत तो हैं लेकिन मेरी खूबसूरत बीबी से ज्यादा खुबसूरत नहीं।

इतना कहकर रघु ने कमला के हाथ को चूम लिया कमला एक बार फ़िर से शर्माकर नज़रे झुका लिया फिर बोली...आप तो मेरे लिए गिफ्ट लेकर आए लेकिन मैं आप'के लिए कोई गिफ्ट नहीं ला पाई मुझे माफ़ कर देना।

रघु...कमला तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं मुझे देने के लिए तुम्हारे पास जो गिफ्ट हैं वो मेरे जीवन का सबसे बड़ा और मूल्यवान गिफ्ट होगा।

कमला न जानें किया समझी शर्माकर नीचे देखते हुए बोली…आप न बड़े बेशर्म हों सीधे सीधे कोई ऐसा कहता हैं।

रघु... इसमें बेशर्मी वाली बात कहा से आ गईं मैंने जो कहा सच ही कहा रत्ती भर झूठ नहीं बोला।

कमला शर्माकर चेहरे को हाथों से छुपा लिया फिर बोली…बस भी करिए मुझे बहुत शर्म आ रहीं हैं।

रघु.. शर्म आने वाली ऐसा कुछ कहा ही नहीं फिर भी तुम्हें शर्म आ रहीं हैं तो सुनो मैं तुम्हें अच्छे से समझता हूं…।

कमला रघु के बात को बीच में कटते हुए बोली...नहीं नहीं मुझे कुछ नहीं सुनना अपने आगे बोला तो मैं कमरे से बाहर चली जाऊंगी।

रघु...न मैं तो बोलूंगा ही सुनो…।

रघु वाक्य पूरा बोलता उससे पहले ही कमला बेड से नीचे उतरने लगीं तब कमला का हाथ पकड़कर रोका फ़िर रघु बोला...कहा जा रहीं हों मैं जो कह रहा हूं वो सुनो हम दोनों की शादी हुआ हमारे मिलन से आगे जाकर बच्चे होंगे। मुझे और मेरे परिवार को तुम्हारा दिया हुआ बच्चा किसी अनमोल गिफ्ट से कम कैसे हों सकता हैं। तुम ही बताओं मुझे इससे सुंदर, अदभुत और बहुमूल्य गिफ्ट तुम दे सकती हों।

रघु बोल रहा था और कमला आंखे फाड़े रघु को देख रहीं थीं। रघु का वाक्य खत्म हुआ फिर कमला मन में बोली... मैं किया सोच रहीं थी और ये कुछ ओर ही सोच रहे थे। कितने अच्छे ख्याल हैं मेरे लिए इनसे अच्छा लड़का ओर कौन हों सकता था। अगर मेरी शादी सच में टूट जाती या उस घटना के बाद शादी करने से माना कर देते तो शायद ही मुझे इनसे अच्छा लड़का मिल पाता मैं बहुत खुश नसीब हूं जो मुझे इनके जैसा पति मिला।

कमला को सोच में मग्न देखकर रघु बोला... कमला क्या सोच रहीं हों?

कमला…आप'का ख्याल कितना अनूठा हैं। मैं कुछ ओर ही सोच बैठी थीं। आप ने बोला कुछ ओर बस इसी बारे में ही सोच रहीं थीं।

कमला बोलने को तो बोल दिया पर बोलते ही शर्मा कर नज़रे झुका लिया फिर चेहरे को हाथों से छुपा लिया। मुस्कुराते हुए रघु बोला…कमला जो तुमने सोचा वो भी सच हैं लेकिन मुझे जो ठीक लगा मैंने कहा दोनों अपने अपने जगह ठीक हैं। इसलिए तुम्हें शर्माने की जरूरत नहीं हैं।

इतना कहकर रघु, कमला के हाथ को हटाना चाहा पर कमला हटा ही नहीं रहीं थी बल्कि ओर कश'के हाथ को चेहरे से चिपका लिया। ज्यादा जोर जबरदस्ती करना रघु को ठीक नहीं लगा इसलिए रघु चुप चाप बैठ गया। रघु का छिना झपटी करना कमला को सुहा रही थीं। इसलिए कमला जानबूझ कर हाथ नहीं हटा रहीं थीं। एकाएक रघु के चुप बैठ जाने से कमला को लगा रघु नाराज हों गया होगा। इसलिए धीरे धीरे हाथों को हटाकर नज़रे ऊपर को उठाया फ़िर रघु की ओर देखा।

कमला को हाथ हटाते देखकर रघु मंद मंद मुस्कुरा दिया। पति को मुस्कुराते देखकर कमला भी मुस्कुरा दिया फिर रघु बोला…कमला शर्माना हो गया हों तो आगे बढ़े रात बहुत हों गया हैं ऐसे ही शर्माते रहें तो हमारी पहली रात काली हों जाएगी।

कमला फिर से शर्मा गई और चेहरे को हाथों से छुपा लिया। रघु उठकर गया, लाइट को बुझाकर नाईट लैंप जला दिया फिर आ'कर कमला के सामने बैठ गया। रघु के दुबारा बैठने से कमला के तन बदन में सिरहन दौड़ गई नसे झनझना उठा जिस्म के रोए रोए खड़े हों गए। वैसा ही हल रघु का था। पहल करें की न करें कुछ क्षण सोच विचार करते हुए बीता दिया फिर शर्म हया को तक पर रखकर रघु आगे बढ़ा और कमला के माथे पर चुम्बन अंकित कर दिया। पहल पति से होता देखकर कमला को अच्छा लगा। किंतु शर्म हया को एक नारी होने के नाते इतनी जल्दी कैसे छोड़ सकती थीं इसलिए शर्माते हुए धीरे धीर आगे बढ़ने लगीं। कमला से सहमति मिलते ही रघु खुद को आगे बढ़ने से रोक नहीं पाया।

दोनों सुहागरात में होने वाले पहले मिलन के अदभुत क्षण में खो गए। जीवन के एक नया अध्याय को अपने तरीके से लिखने की शुरूवात दोनों का हों चूका था। इस अध्याय के कोरे पन्नों को किन किन रंगो से सजाना है कौन से कला कृति कोरे पन्नों में अकना हैं दोनों को अपने सूझ बूझ से ही करना था।

दोनों नव दंपत्ति काम कीड़ा में मग्न थे वहीं दूसरे कमरे में रमन शालू की यादों में खोया हुआ था। उसे समझ ही नहीं आ रहा था क्या करें क्या न करें। कभी धड़कने बे तरतीब बढ़ जाएं तो कभी समय रुकता सा लगें अजीब अजीब से ख्याल मन में आ रहा था। शालु से बात कर लेता तो कैसा होता क्या उसके मन में भी वैसा ही चल रहा होगा जैसा मेरे मन में चल रहा हैं। उसने हाथ हिलाकर बाय क्यों कहा कुछ तो उसके मन में चल रहा होगा।

जैसे शालू मुझे पसन्द आ गया क्या मैं भी शालू को पसन्द आ गई। हां हां शालू जरूर मुझे पसन्द करती होगी अगर पसन्द नहीं करती तो बार बार नज़रे चुराकर मुझे क्यों देखती। मेरी नज़रे उससे मिलते ही क्यों मुस्कुराकर नज़रे चुरा लेती। क्या ये सिर्फ़ आकर्षण हैं या प्यार की शुरूवात कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करू किस'से पुछु मुझे इतनी बेचनी क्यों हों रहा हैं। क्या शालू भी मेरी तरह बेचैन हों रही होगी? ख्याली पुलाव पकाते पकाते न जानें रमन कब नींद की वादियों में खो गया।

सुबह के समय कमला का नींद टूटा, अंगड़ाई लेकर जकड़न को दूर करना चाहा, पर ले नहीं पाई खुद को बाहों में जकड़ा हुआ अनुभव कर कमला ने आंखे खोल लिया, खुद को पति के बाहों में देखकर मन मोहिनी मुस्कान बिखेर दिया फिर बोली.. सोते हुए कितना हसीन और मासूम लग रहे हैं। रात भर मुझे बाहों में लेकर सोते रहे, कितनी सुहानी रात बिता उठने का मन ही नहीं कर रहा है। मन कर रहा है आप'की बाहों में सोता रंहू लेकिन सो नहीं सकती उठना ही पड़ेगा आज पहला दिन हैं देर से उठी तो कहीं सासु मां ये न कहे बहू बहुत अलसी हैं।

रघु नींद में भी कमला को कस के बाहों में जकड़ा हुआ था। कमला खुद को रघु की बाहों से निकलना चाही लेकिन निकाल नहीं पाई तो मुस्कुराते हुए बोली... इतना कस'के जकड़े हैं जैसे मैं कही भाग जाऊंगी मैं कहीं नही जानें वाली आप'की बाहों में मुझे जिन्दगी बिताना हैं।

रघु को आवाज दे'कर जगाया रघु नींद में कुनमुनाते हुए बोला…क्या हुआ कमला सो जाओ अभी सुबह नहीं हुआ।

कमला…आप'के लिऐ नहीं हुआ मेरे लिए सुबह हों गई हैं आप छोड़िए नहीं तो मुझे देर हों जाएगी।

कहने पर भी रघु छोड़ नहीं रहा था। तो कमला बोली…. छोड़िए न मुझे देर हों रही है।

न चाहते हुए भी रघु को हाथ हटाना पड़ा फिर कमला उठ गई। कपड़े लिया फिर बाथरूम में चली गई। कुछ वक्त में बाथरूम से बाहर निकलकर श्रृंगार किया फिर बाहर जाते हुए एक नज़र रघु को देखा फिर दरवाज़े तक गई। दरवाज़ा खोलते खोलते रुक गई और मुड़कर रघु को एक नज़र देखा फिर दरवाज़ा खोलकर रूम से बाहर चली गई।


आज के लिऐ इतना हैं आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।
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R

Rockstar Rocky

रमन के जाते ही रघु की बढ़ी हुई धडकनों की रफ्तार और तेज हों गया। आगे होने वाले घटनाओं को सोच सोचकर रघु का जिस्म सिहर उठा और एक एक रोआ खडा हों गया।

Aeyy...Heyy...raha nahin jaata :D. Tadap hi Aisi hai :sex:
 

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