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शान और तृप्ति शाम ६ बजे घर पोहोचा ……शाम तो जैसे तैसे गुजर गयी लेकिन रात शान के लिए जटिल रहा……।
पुरा परिवार डिनर टेबल घेरे में भोजन उपभोग कर रहे थे ……तृत्पि अपनी शॉपिंग की चीज़ो को बढा चढा के तारीफ़ें बतर रही थी सबको सुना सुना के…। उसी बीच मिस्टर शुरजित कुमार बालादेव ने बात छेड़ दी ………
मिस्टर। बालादेव …।।" तो एक्शन हीरो अब अपनी रंग दिखाने शुरू कर दिए यहा भी…।"
शान निवाला मुँह में डालने ही वाला था बापच थाली में रख दिया ……
शान…।" मतलब डैडी।।"
मिस्टर। बालादेव…।।" जो लाड साहब तूने किया आज……जब एक्शन सीन दे रहा था थें your Live telecast was happening in front of the whole world……।शब्बाश बेटे शब्बास"
मिसेज बालादेव अपनी पति को शांत रेहने का इसरा करती है ……।लकिन मिस्टर बालादेव और ग़ुस्से में डहर पड़े उसने डाइनिंग टेबल पे पंजा मारा जिस्से चारी बर्तने बिखर गयी…।।सभी सकीट रह गए सिवाय शान के ……।
मिस्टर बालादेव……।" बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स इन कॉर्पोरेट गवर्नेंस के साथ मीटिंग चल रही थी और न्यूज़ चैनल में आपके लाडले के धांसू एक्शन फिल्म चल रही थी …… ज़िन्दगी में कभी इतना शर्मिदा नही हुआ में जीतना आज शर्मिदा हुआ में …।।सच में मेरा ही खून हे न रीना …।सच सच बताना …।"
शान भी आज ऐसे गुस्सा हुए जैसे आज तक कभी उसने कभी उतना गुस्सा नही हुआ और डाइनिंग टेबल को लात मार के अपने कमरे में चला गया …।सभी लॉग सन्न्न रह गए जैसे सर्द हवा का झोका चूह गयी हो …।। पास खड़े सर्वेन्ट थर थर कांप उठे …।
एक ही थी जो अब शान को संभल सकती थी……रीना भी आज डर रही थी शान के ग़ुस्से को शांत करवाने में ……
ओ संकोच भरे कदमों के साथ शान के कमरे में गयी …।।, दरवाज़ा लॉक नही था …। शान बेद पे बैठा था सायेद उसके आसू निकले थे नम आँखे बयां कर रही थी ……
रीना उसके करीब बैठ गयी और शान के कंधे पे अपनी हाथ रख दी जिसकी रेसम एहसास से शांत प्रकृतिस्थ हो जाया करता था ……
शान की आवाज बैठ गयी थी अपनी रूखे आवाज़ के साथ बोला…।" मॉम डैडी को लगता हे में उसने नफरत करता हूँ "
रीना उसे गैल से लगा ली …।" नहीं नही बेबी…।।ऐसा नही हे वो बस तुम्हारी बोहोत फ़िक्र करते हे …। कभी कभी काम के टेंशन में गुसा हमपे निकल देते हे…।"
शान…" हां जनता हूँ मॉम…। डैडी मेरा फ़िक्र करता हे …। क्यूं न करे एक लौटा औलाद हूँ…।"
रीना…।।" हां…।। बस वो तुम्हे सख्ति दिखा के तुम्हे सख्त बानाना चाहते हे ताकि तुम अपने पेड़ों पे खड़े हो जाओ…"
शान…।" Your are absolutely right mom……।।आज भी मैंने गलती कर दी …।वो बदमाश मेरी दोस्त के साथ बत्तमीज़ी कर रहे थे……अगर मेरी जगह कोई समझदार लड़का होता तो वो पुलिस बुलाता या कुछ ऐसा करता जो कानून के दाएरे में हो …।।मानता हूँ मेरी गलती हे लेकिन डैडी मुझे प्यार से समझा भी तो सकते थे । इसी वज़ह से…।।इसी वज़ह से में उनके साथ काम नही करना चाहता …।।"
रीना अपने लादले को कस के गले लगा ली…।" नो बेबी…।मे तुम्हारे डैडी को समझाऊँगा……।मुझे बस एक ही डर हे …।तुमहारा गुस्सा…।।जिस ग़ुस्से की वज़ह से तुम्हे यहा ले आना पड़ा वो फिर न हो……"
शान रोने लगा……"हा मॉम।मैने आप दोनों को बोहोत दुःख पोहोचाया न……में बार बार बोलता हूँ की में कशिश कर रहा हूँ सुधरने की लेकिन बार बार वही गलती करता हूँ न…।। मॉम आई ऍम नॉट योर गुड सोन……"
रीना तड़प उठी …।। कैसे एक माँ अपने बेटे को ऐसे टूटते देख पायेगी बेचारी……।खुड चाहे जितनी भी दरी हुई हो कमजोर हो लेकिन बच्चे की होसला अवजाई में दो पल के लिए शेरनी बन ही जाती हे माये……।
रीना…।।" नहीं ऐसा नही हे……ऐसा बिलकुल नही हे …।।तुम मेरे अच्छे बेटे हो …।।डैडी की बात अभी भूल जाओ उसका गुस्सा सुबह तक ठण्डा भी हो जायेगा देखना…।।आच्चा अब सो जाओ …।।"
रीना ने शान को बेड पे लेता दी और कम्बल ओढ़ दिए चाती तक और झुक के बेटे के चेहरे को चुमने लगी ……पहले ललाट पे फिर गाल फिर उसकी चुम्बन अनायास ही शान के गीले लबों पे कुछ पल के लिए थम गयी ……।।
दोनो की आँखे कुछ पल के लिए बंद रही ……।लोबों की एहसास एक दूसरे की रूह चूह गयी …। वक्त वही रुक गया कुछ पल के लिए ……।।दो विपरित लिंग का सबसे संबेदनशील अंग हे होंठ और वो जब आपस में जुड़ते हे तो मानो वो एहसास चारी कायनात भूल के एक भ्रम की तबस्सुम में बिलिन हो जाये………।।
जेसे कोई आतुर नही कोई मानसिक ब्येस्टता नही और धीमी शेस्ता से दोनों की पलकें खुल गयी एक दूसरे की आँखों में खो गए जैसे समुन्दर की गहराई में पर कोई डर नही कोई आशंका नही ………।
रीना अपने बेटे के झुल्फों में ऊँगली सेहलते हुए प्यार से बोली…।।" आज एहि सो जाऊ में "
शान बस शिर हाँ में हिला दिया…।।
रीना…।।" ठीक हे थोरा वेट करो …।।मे बाकि सबको गुड नाईट बोल के आती हू"
वो रात शान की ज़िन्दगी में यादगार हसीन रात में से एक रात बन गयी…।।अकसर रीना अपने बेटे की दुःख दूर करने के लिए अपने सीने से लगा के सुलाती थी ……।बचपन में शान को तारा जगत की कहानिया सुना के सुलाया करती थी ……।