बैलगाड़ी

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राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था एक बार फिर उसे अपनी मां और अपने पिताजी की चुदाई जो दीखने वाली थी,,,एक बार फिर से वहां अपने पिताजी का लंड अपनी मां की बुर में अंदर बाहर होता हुआ देखने जा रहा था,,, खटिया पर सोते हुए अपनी बुआ की गांड पर हाथ रखने के ख्याल से ही उसका लंड खड़ा हो चुका था,,,, और कमरे के अंदर के दृश्य को देखते ही उसके लंड का कड़क पन एकदम से बढ़ गया,,,,

दूसरी तरफ गुलाबी की भी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि जिस तरह से राजू उठकर उससे दीवार के छेद के तरफ गया था गुलाबी को लगने लगा था कि राजू को हो ना हो शंका जरूर हो चुकी है कि दीवार के छेद का मामला कुछ और ही है,,,, इसलिए वह कुछ बोली नहीं बस आंखों को हल्का सा खोल कर लेटी रही,,,, राजू अपनी आंखों कोदीवार के उस छोटे से छेद में हटाकर दूसरी तरफ के कमरे के दृश्य को देखने की कोशिश करने लगा,,, तो जल्द ही लालटेन की पीली रोशनी में उसे उसकी मां नजर आई जो कि अभी पूरी तरह से कपड़ों में थी और गिरी हुई गिलास को उठाकर रख रही थी शायद वह पानी पी रही थी,,,,,, अपनी मां को संपूर्ण वस्त्र में देखकर उसकी आंखें वासना से चमकने लगी उसके पिताजी उसी तरह से खटिए पर लेटे हुए थे लेकिन उनके बदन पर भी अभी वस्त्र था,,, दोनों को कपड़ों में देखकर राजू को लगने लगा कि खेल अभी शुरू होने जा रहा है,,, वह टकटकी बांधे नजारे के लुप्त को उठाने लगा थोड़ी ही देर में उसकी मां उसकी आंखों के सामने अपनी साड़ी उतारने लगी यह देखकर राजू के लंड में हरकत होना शुरू हो गया वह समझ गया था कि थोड़ी ही देर में उसकी मां की आंखों के सामने नंगी हो जाएगी,,,,,, पर देखते ही देखते राजू की मां अपनी साड़ी उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दी वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में ही खड़ी थी,,,,,,, राजू को अंदर के कमरे की बात सुनाई नहीं दे रही थी बस उसे दिखाई दे रहा था,,,, क्योंकि वह दो ना बहुत ही फुसफुसाहट भरे स्वर में बात कर रहे थे,,,राजू अपने मन में सोचने लगा कि काश ऊन दोनों की बात आज भी सुनाई देती तो और मजा आता क्योंकि अपनी मां और पिताजी के मुंह से चुदाई जैसे गंदे शब्दों का प्रयोग उनकी बातें सुनकर राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,,,,,,,


दूसरी तरफ गुलाबी समझ गई थी कि बगल वाले कमरे में क्या हो रहा है वरना राजू इतनी देर तक वहां खड़ा नहीं रहता और वह यह भी जान गई थी कि उस छोटे से छेद में से उसे सब कुछ नजर आने लगा है,,,, गुलाबी अपने मन में यही सोच रही थी कि अपने मां और अपने पिताजी की चुदाई देखकर उन्हें नंगा देखकर राजू क्या महसूस करेगा उसे कैसा लगेगा कहीं उसे गुस्सा तो नहीं आएगा और यही देखने के लिए वह बड़े गौर से राजू की तरफ देखने लगी,,,,
राजू के मुंह में पानी आ रहा था क्योंकि उसकी नजर इस समय अपनी मां की चूचियों पर टिकी हुई थी जो की पूरी तरह से ब्लाउज में कैद में होने के बावजूद भी मानो जैसे कि उसके ब्लाउज के अंदर खरबूजे भर दिए गए हो इस तरह से ऊभरी हुई नजर आ रही थी जिसे देख कर ही राजू समझ गया था कि उसकी मां की चूची कितनी बड़ी है ऐसा नहीं था कि आज वह देख रहा था अगली बार भी वह अपनी मां कोसंपूर्ण रूप से नंगी देख चुका था और अपनी मां की बड़ी-बड़ी चुचियों को देखकर उसके लंड का तनाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था इस समय ब्लाउज के अंदर उसकी मां की चूचियां बेहद आकर्षक लग रही थी ब्लाउज के ऊपर का एक बटन खुला होने की वजह से उसकी गहरी दरार साफ नजर आ रही थी जिसमें राजू का मन डूब जाने को कह रहा था,,,,,, राजू को अपनी मां स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी,,, जो कि किसी भी हाल में कामदेवी नजर आती थी,,,,अपनी मां के खूबसूरत बदन को देखकर भले ही वह वस्त्र में हो या चाहे वस्त्र विहीन,,,राजू की आंखों में एक अद्भुत चमक आ जाती थी जो कि इस समय भी उसकी आंखों में बरकरार थी,,,,। राजू कमरे में बने उस छोटे से छेद के पीछे के रहस्य को अच्छी तरह से समझ गया था और यह भी जान गया था कि इसी क्षेत्र में से उसकी बुआ गुलाबी भी उसी नजारे को देखकर मस्त हो जाती है जिस नजारे को देखकर वह अपने अंदर उत्तेजना की लहर को ऊमडते हुए महसूस कर रहा था,,,।


खटिया पर नींद का बहाना करके लेटी हुई गुलाबी राजू के हर एक हरकत को बड़ी बारीकी से देख रही थी,,,,, हर एक पल गुलाबी के दिल की धड़कन को बढ़ा रहा था गुलाबी भी,,,इतना तो समझ ही गई थी कि उसका भतीजा राजू समझ ही गया होगा कि उस छोटे से छेद का रहस्य क्या है,,,,,, गुलाबी जानती थी कि कमरे के अंदर संभोग का प्रसारण शुरू हो गया होगा,,,और यही अहसास उसके तन बदन में उत्तेजना को बढ़ा रहा था और उससे ज्यादा वह अपने बदन में कामुकता का एहसास इस बात से कर रही थी कि उस मादक दृश्य को उसका भतीजा राजू खुद अपनी आंखों से देख रहा था,,,, वह देखना चाहती थी कि अपनी मां को चुदते हुए देखकर वह कैसा महसूस करता है,,,,इसलिए उत्तेजना के मारे अपने सूखे गले को अपने ही थूक से गीला करने की कोशिश करते हुए वह टकटकी लगाए देख रही थी,,,।

राजू अपने मन में यह सोच रहा था कि जल्द से जल्द उसकी मां बाकी के बचे अपने कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो जाए बहुत दूर से ही सही अपनी मां को नंगी देखना चाहता था ब्लाउज में कैद उसके दोनों खरबूजे कोअपनी आंखों से देखना चाहता था दोनों टांगों के बीच उसकी पतली गुलाबी दरार को देखकर मस्त होना चाहता था,,,, गोल गोल बड़ी बड़ी गांड को देखकर अपने अंदर दहकते शोले को महसूस करना चाहता था,,,। लेकिन उसकी मां की की बाकी के बचे कपड़े उतारने का नाम नहीं ले रही थी,, बस अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर अपने शरीर को गोल-गोल तरीके से हिला रही थी जिसे देख कर उसके पिताजी आहें भर रहे थे,,,,,,राजू अपने मन में यह सोच कर मस्त हो रहा था कि उसकी मां को इस हाल में देखकर उसके पिताजी का लंड खड़ा हो गया होगा क्योंकि दूर से देख कर ही जब उसका लैंड पर जाने में बवाल मचा रहा था तो उसके पिताजी की हालत को वह अच्छी तरह से समझ रहा होगा,,,। अपनी मां को खुशहाल में खाना देखकर राजू अपने मन में ही बोल रहा था कि,,,।


उतार जल्दी उतार मुझे सब कुछ देखना है,,,,।

तभी उसके पिताजी अपनी धोती को उतारने लगे और अगले ही पल वह खटिए पर निर्वस्त्र हो गया,,, राजू अपने पिताजी को देखकर अपने मन में फिर से वही सोचने लगा कि उसके पिताजी की जगह उसका लंड होता तो और मजा आता,,,, उसके पिताजी अपने लंड को हाथ से पकड़ कर ही लेना शुरू कर दिए थे जिसे देखकर उसकी मां मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,,। अपनी मां को मंद मंद मुस्कुराता हुआ देखकर राजू अपने मन में ही बोलने लगा कि उतारेगी भी या हंसती रहेगी,,।

गुलाबी खटिया पर लेटी लेटी यही सोच रही थी कि अंदर क्या हो रहा होगा,,,,,, उसकी खुद की हालत खराब थी,,,राजू रह-रहकर एक नजर अपनी बुआ गुलाबी पर डाल दे रहा था कि कहीं वह जाग तो नहीं रही है और जब जब वह गुलाबी की तरफ देखता तब तब गुलाबी अपनी आंखों को जल्दी से बंद कर लेती,,, उत्तेजना के मारे गुलाबी और राजू दोनों का हाल बद्तर हुआ जा रहा था,,,,,

राजू टकटकी लगाए सब कुछ देख रहा था वह अपने मन में इस बात से पूरी तरह से तसल्ली किए हुए था कि अच्छा है कि उसके पिताजी यह काम लालटेन के उजाले में करते हैं,,, अगर लालटेन जला रही होती तो उसे कुछ भी देखने का मौका नहीं मिल पाता और अपनी मां का कामुक रुप,,, उसका खूबसूरत बदन उसके अंगों की परिभाषा को ना हीं देख पाता और ना ही समझ पाता,,,।राजू को यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि उसकी मां कपड़े उतार के नंगी होने में इतना नाटक क्यों करती है वह अपने पिताजी की तड़प को अच्छी तरह से समझ रहा था क्योंकि वह खुद तड़प रहा था उत्सुक था अपनी मां को नंगी देखने के लिए वह अपने मन में यह सोच रहा था कि अगर वह खुद अपने पिताजी की जगह मौजूद होता तो वह अपने हाथों से अपनी मां के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करने में एक पल की भी देरी ना करता,,,,।

यह राजू के मन की बात थीऔर शायद वह अपनी मां के साथ मौका मिलने पर ऐसा ही करता है लेकिन वह इस बात से अनजान था कि एक औरत को मर्द को तड़पाने में इसी तरह से मजा आता है और मर्द को तड़पाने का यह सबसे जबरदस्त तरीका भी है,,,, औरत इसी तरह से अपनी जवानी का जलवा दिखा कर मर्द को घुटनों पर ला देती है उन्हें अपना गुलाम बना देते हैं अपनी जवानी का रस मिलाकर जिंदगी भर अपनी मनमानी करती रहती है,,,, मधु भी इससे अछूती नहीं थी वह भी अपने पति की भले ही चाहे जितनी भी इज्जत करती थी लेकिन रात को बिस्तर पर वह अपने पति को अपनी जवानी का गुलाम ही बना देती थी,,,,,,

राजू का दिल जोरो से धड़क रहा था उसे यह नहीं मालूम था कि उसकी तरह कोई ओर लड़का इस तरह से अपनी मां बाप की चुदाई छुप छुप कर देखता है या नहीं लेकिन इस तरह से देखने में अजीब से सुख की अनुभूति होती है जिसे प्राप्त करके राजू अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था,,,। भले ही यह नैतिक नजरिए से गलत था लेकिन इसमें एक अद्भुत सुख भी था जिससे राजू वंचित नहीं होना चाहता था,,,। धड़कते दिल के साथ हुआ बगल वाले कमरे के नजारे को देख रहा था कि तभी उसके कानों में उसके पिता जी के शब्द पडे,,,।


अरे अब कितना तड़पाओगी,,,


रुको जरा मुझे जोरों की पेशाब लगी है,,,


चुदवाने के नाम पर तुम्हें पेशाब जल्दी लग जाती है,,,



अरे ऐसी बात नहीं है,,,(मधु मुस्कुराते हुए बोली,,,,राजू तो अपनी मां के मुंह से पेशाब करने वाली बात सुनते ही एकदम से उत्तेजित हो गया उसके लंड कि अकड और ज्यादा बढ़ गई,,,। सांसों की गति तेज होने लगी,,,,पहली बार वह अपनी मां के मुंह से इस तरह के शब्दों पसंद आया था इतने खुले तरीके से उसने आज तक पेशाब करने वाली बात नहीं बोली थी इसलिए राजू को अपनी मां के इस बात में बेहद कामुकता का अनुभव हो रहा था,,,,)


अब थोड़ा रुकीए में जल्दी आती हूं,,,(इतना कहकर मधु जाने को हुई ही थी कि हरिया पीछे से आवाज लगाते हुए बोला,,,)



अरे बाहर कहां जा रही हो यही कर लो,,,
( अपने पिताजी की यह बात सुनकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,)

अरे पागल हो गए हो गए हो क्या जी यहां नहीं,,,,


अरे तुम भी बेवकूफ हो नाली लगी हुई है ना वहां बैठ कर कर लो बाहर जाने की जरूरत नहीं है,,,(राजू के पिताजी उंगली से इशारा करके बोले,,,)

यहां लेकिन यहां मैंने कभी की नहीं हुं।


तो क्या हुआ अब कर लो बाहर जाने की जरूरत नहीं है,,,।
(राजू की तो सासे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, उसकी मां पेशाब करने वाली है इस बात से ही उसके तन बदन में आग लगी हुई थी,,,, क्योंकि अब तक वह अपनी मां को पेशाब करते हुए कभी नहीं देखा था लेकिन ऐसा लग रहा था कि वह आज भी नहीं देख पाएगा क्योंकि उसके पिताजी उंगली के इशारे से घर के कोने की तरफ करने को बोल रहे थे जहां पर पानी गिराया जाता था बर्तन धोने के काम आता था वहां नाली लगी हुई थी ताकि पानी निकल सके और उसी जगह पर उसकी मां के साथ करने जा रहे थे जो की नजरों से दूर थी वहां तक नजर नहीं पहुंच पा रही थी उसकी मां बिना कुछ बोले उस कोने में चली गई और थोड़ी देर में राजू के कानों में पेशाब करने की मधुर धुन सुनाई देने लगी इतना तो जानता ही था कि पेशाब करने पर इस तरह की आवाज निकलती है हालांकि उसने आज तक,,, किसी औरत को पेशाब करते हुए नहीं देखा था,,, इस बात के एहसास सेवह पूरी तरह से मदहोश हो गया कि उसकी मां कोने में बैठ कर के साफ कर रही है पेशाब करते हुए कैसे नजर आती होगी उसकी गांड कैसी दिखाई देती होगी और उसकी मां अपनी पेटी कोट को कमर तक कैसे उठाई होगी,,, यह सब ख्याल राजू के तन बदन में आग लगा रहा था उसके कानों में पढ़ रही परेशान की मधुर धुन बेहद मादक लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके कानों में मध घोल दिया गया गया हो राजू के चेहरे का अभाव बदल रहा था जो कि गुलाबी बड़े सांप तौर पर देख पा रही थी राजु के चेहरे पर बदलते भाव को देखकर,,,गुलाबी इतना तो समझ गई थी कि कमरे के अंदर का दृश्य बेहद उत्तेजक होता जा रहा है,,,
थोड़ी ही देर में पेशाब करने की आवाज की मधुर धुन बंद हो गई और राजू समझ गया कि उसकी मां पेशाब कर चुकी है अपने पिताजी के नजर और उसके चेहरे के बदलते हावभाव को देखकर राजु भी समझ गया था कि उसके पिताजी उसकी मां को पेशाब करते हुए देख कर मस्त हुए जा रहे हैं,,,, थोड़ी ही देर में उसकी मां फिर से उसी जगह पर पहुंच गई जहां पर खड़ी थी लेकिन खड़ी होकर अपने पेटिकोट की डोरी को बांट रही थी तो पेटीकोट की डोरी को बांधते हुए देखकर राजू के पिताजी बोले,,,।


अरे अब ईसे क्यों बांध रही हो इसे तो अब उतारना है,,,।

(उसकी बातें सुनकर मधु मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

मैं तो भूल ही गई थी,,,(इतना कहते हुए भी वह पेटीकोट की डोरी को बांध दी और अगले ही पल अपनी उंगलियों को ब्लाउज पर रख दी और ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,राजू समझ गया कि उसकी मां पेटीकोट से नहीं ब्लाउज से कपड़े उतारने का शुरुआत करना चाहती है,,, अब राजू के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,देखते देखते उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अगले ही पल ब्लाउज को उतार कर नीचे फेंक दी,,,राजू को अपनी आंखों के सामने अपना भविष्य नजर आने लगा अपनी मां की गोल गोल बड़ी-बड़ी तनी हुई चूचियों को देखकर उसके लंड में उबाल आना शुरू हो गया,,,,,,,

मधु की चूचियां पहले से ही बेहद आकर्षक थी,,तीन तीन बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चूचियां उसी तरह से तनी हुई थी जैसे की जवानी के दिनों में तनी रहती थी,,, दूसरों की तरह उसकी चुचियों में जरा भी लचक नहीं थी यह देखकर राजू के तन बदन में और आग भड़कने रखती थी,,,, और जैसे ही राजू की मां का हाथ पेटीकोट की डोरी पर क्या राजू के दिल की धड़कन और तेजी से चलने लगी वह समझ गया कि अब अकेले ही पल उसकी मां नंगी हो जाएगी उससे यह दृश्य यह कामुकता यह मादकता,,, सही नहीं जा रही थी,,, उसकी सांसे बेहद गहरी चल रही थी,,, उसके पेजामे में बवाल मचा हुआ था उसका लंड पजामा फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहा था,,,
अब तक गुलाबी उसके चेहरे के बदलते हुए हाव-भाव को देख रही थी,,,उसके लंड की तरफ उसका ध्यान बिल्कुल भी नहीं गया था लेकिन जैसे ही उसकी नजर पजामे पर पड़ी उसके तो होश उड़ गए,,,, पजामे में जबरदस्त तंबू बना हुआ थाअब तो गुलाबी की हालत ज्यादा खराब होने लगी कमरे का दृश्य धीरे-धीरे गरमाता चला जा रहा था,,,,देखते ही देखते राजू की मां ने अपनी पेटीकोट भी उतार कर फेंक दी इस समय वह कमरे में पूरी तरह से नंगी हो गई,,,, राजू की हालत खराब होने लगी और अगले ही पल वहअपना तो अपने पजामे में डाल कर अपने खड़े लंड को पकड़ लिया,,, गुलाबी यह देखकर एकदम से मचल उठी,,,राजू की हरकत और उसकी उत्तेजना देखकर गुलाबी को समझ तो आ ही रहा था कि अंदर कितने से कहते हो कर उसे गुस्सा नहीं बल्कि मजा आ रहा है और ऐसा ही तो वह मन ही मन चाहती भी थी क्योंकि अगर राजू को मजा आएगा तो उसका काम आसान हो जाएगा,,,,।



राजू की मां कमरे में एकदम नंगी हो गई थी राजु के पिताजी की हालत खराब होती जा रही थी,,,,,,राजू को साफ नजर आ रहा था किसकी पिताजी से रहा नहीं जा रहा था बरवा के लिए पल अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर उसकी मां की गांड पकड़ कर उसे अपनी तरफ से इसलिए बस यह दृश्य राजू से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और वह पजामे को घुटने तक सरका कर अपना लंड बाहर निकाल लिया और,,, उसे हाथ में लेकर हीलाना शुरू कर दिया,,,, गुलाबी यह देखकर दंग रह गईक्योंकि राजू भूल चुका था कि वह कमरे में है और कमरे में उसकी बुआ गुलाबी भी सो रही है,,,, गुलाबी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और उसे यही मौका सही भी लग रहा था राजू के लंड को वह पहले भी नजर भर कर देख चुकी थी,,, लेकिन आज का हालात कुछ और था,,,, उससे रहा नहीं गया और वह खटिए पर से उठ खड़ी हुई,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और इस बात से अनजान राजू कमरे के अंदर अपने मां बाप की गरमा गरम चुदाई देखने जा रहा था,,,, राजू को अपनी मां की गांड बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,।
शानदार अपडेट है
आशा है अगला भाग और भी कामुक और रसप्रद होने वाला है...
अगले भाग की प्रतीक्षा रहेगी भाई।
 
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पल-पल राजु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, राजू कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे इस तरह से अपने माता पिता के संभोग की क्रिया देखने को मिलती रहेगी,,,,। कुछ दिनों में ही राजू का दिन बदलने लगा था उसके ख्याल बदलने लगे थे औरतों को देखने का नजरिया बदलने लगा था,,, यह सब जवानी के जोश का ही करामत था,,, और तो और राजू की किस्मत इतनी अच्छी थी कि वह कमला चाची के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था,,,,,, इसलिए तो उसे और अच्छे से औरतों के बारे में उनके साथ संबंध के बारे में समझ पडने लगी थी,,,, उसका औरतों के कामुक अंगो के प्रति ज्ञान दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था,,, राजू छोटे से छेद से एकदम साफ साफ देख पा रहा था कि उसकी मां पूरी तरह से कमरे में नंगी खड़ी थी और उसकी मां को एकदम नंगी पिक्चर कर उसके पिताजी अपने आप पर काबू नहीं कर पाए थे और उत्तेजना वश राजू की मां की,, बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिए थे राजू से यह तेरी से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो पाया था वह अपनी उत्तेजना पर काबू कर सकने में सक्षम नहीं था इसलिए वह अपने पजामे को घुटनों तक खींच कर अपने खड़े लंड को हिलाना शुरू कर दिया था,,, एक तरह से राजू अपनी मां के नंगे बदन उसकी खूबसूरती और उन दोनों की संभोगनीयाक्रिया को देखकर हस्तमैथुन कर रहा था एक बार पहले भी वह अपनी मां के बारे में गंदे खयालो के चलते हस्तमैथुन करके अपने आप को शांत करने की कोशिश कर चुका था अब फिर से वह वही क्रिया कर रहा था वह यह भी भूल गया था कि उसी कमरे में उसकी बुआ गुलाबी भी सो रही है जो कि वह कभी भी जा सकती है लेकिन इन सब बातों से बिल्कुल अनजान राजू अपने आप में मस्त हो गया था वह तो अपने आप को कल्पना में बगल वाले कमरे में अपने पिताजी की जगह महसूस करने लगा था,,,,।
मधु


कमरे में गुलाबी जोकि राजू को यही लग रहा था कि वह गहरी नींद में सो रही है जबकि वह सो नहीं रही थी वह जाग रही थी,,, अपनी आंखों से अपने भतीजे की कामलीला उसके कामांग को देखकर पूरी तरह से मस्त हो रही थी उसी से भी यह बर्दाश्त नहीं हुआ कि उसका भतीजा राजू अपने खड़े लंड को हिला रहा है और वह खटिए पर से उठ कर बैठ गई अपने भतीजे राजू के मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर उसकी बुर ‌ कुलबुलाने लगी थी,,, गुलाबी की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि उसका भतीजा राजू छोटे से छेद से क्या देख रहा है,,, गुलाबी राजू की उत्तेजना को देखकर यह सोचने लगी कि काश बगल वाले कमरे का दृश्य अपने कमरे में हकीकत में बदल जाता तो कितना मजा आता है,,,।यही सोचते हुए वह राजू के पास जाना चाहती थी जो कुछ भी उसके मन में था आज वह अपनी अभिलाषा को अपनी आकांक्षा को पूरी कर लेना चाहती थी क्योंकि जिस तरह का हालात कमरे में बना हुआ था उसे देखकर गुलाबी समझ गई थी कि आज उसके मन की इच्छा पूरी होने वाली है,,,,। अभी तक वह राजू से थोड़ा डरती थी कि कहीं वहअपनी मां को सब कुछ बता ना दें क्योंकि वह जानती थी कि वो थोड़ा नादान है लेकिन आज कमरे के अंदर उसकी हरकत को देखकर वह समझ गए थे कि अब वह नादान बिल्कुल भी नहीं रहा था वह जवान हो गया था गुलाबी को वह दिन याद आने लगा जब उसके खड़े लंड को देखकर उसे हाथ में लेकर हीलाई थी और उसका मन बहुत कुछ करने को किया था लेकिन राजू की वजह से ही वह अपने मन को दबा ले गई थी अपनी उत्तेजना को अपने अंदर समा ले गई थी लेकिन आज वह समझ गई थी कि राजू के साथ अब उसे किसी भी प्रकार का डर नहीं है क्योंकि जो वह चाहती थी वही राजू भी चाह रहा था अपनी ही मां बाप की गरमा गरम चुदाई देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था गुलाबी अपने मन में यही सोच रही थी कि अपनी मां को नंगी देखकर वह क्या सोच रहा होगा उसकी बड़ी बड़ी गांड देख कर उसकी बड़ी बड़ी चूचियां देख कर उसकी फोटो देख कर क्या सोच रहा होगा इतना तो समझ ही गई थी कि इन सब को देख कर उसे भी दूसरे लड़कों की तरह मजा ही आ रहा है तभी तो वह अपना लंड बाहर निकाल कर हीला रहा है वरना ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता,,,, और इसी मौके का फायदा गुलाबी पूरी तरह से उठाना चाहती थी,,,,,,,।


राजू की मदहोशी और उसकी मस्ती को देखकर गुलाबी को यकीन भी नहीं हो रहा था कि यह वही राजू है जिसे वह नादान समझती थी जो यह समझती थी कि राजू को इन सब बातों से कोई निशबत नहीं है,,, वह दूसरे लड़कों की तरह बिल्कुल भी नहीं है लेकिन आज अपनी आंखों से देखकर गुलाबी को यकीन हो गया कि हर लड़के एक ही तरह के होते हैं बस उनकी आंखों के सामने नजारा कुछ इस तरह से होना चाहिए जिस तरह से वह अपनी आंखों से देख रहा था अपनी ही मां के नंगे बदन को देख कर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,, अभी भी राजू का ध्यान छोटे से छेद से बगल वाले कमरे में ही केंद्रीत था जहां पर उसके पिताजी उसकी मां के नंगे बदन से खेल रहे थे उसकी बड़ी बड़ी गांड तो अपनी दोनों हथेली में भर भर कर दे पा रहे थे यह देखकर राजू की हालत खराब हो रही थी कमला चाची के साथ उसने केवल संभोग भर किया थासंभोग से जुड़े क्रियाकलापों को वह बिल्कुल भी ना तो किया था और ना ही उसके बारे में कुछ जानता था अपने ही पिता जी से वह धीरे धीरे सीख रहा था कि एक औरत के जिस्म से कैसे खेला जाता है,,,, अपनी मां की मदहोशी और अपने पिताजी की मस्ती को देख कर राजू समझ गया था कि इन क्रियाकलाप होने आदमी और औरतों में को बेहद आनंद की अनुभूति होती है और वह इस क्रिया से वंचित नहीं होना चाहता था वह,, वह संभोग की हर एक क्रिया से हर एक क्रीडा से अवगत होना चाहता था उसकी मस्ती को अपने अंदर महसूस करना चाहता था इसलिए तो अपने अंदर और ज्यादा उत्तेजना को महसूस कर रहा था,,,,।

राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि इस समय उसने जो सोचा नहीं था वह हो रहा था वह अपनी मां को बेहद संस्कारी औरत समझता था लेकिन उसका यह भ्रम धीरे-धीरे टूटता चला जा रहा था और जो उसकी आंखों ने इस समय देख रही थी उसी से तो उसका दिमाग एकदम सन्न रह गया था उसके पिताजी खटिया पर पीठ के बल लेटे हुए थे और उसकी मां अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बड़ी बड़ी गांड उसके पिताजी के मुंह पर रख दी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके पिताजी इसी पर का इंतजार कर रहे थे जैसे ही उसकी बड़ी-बड़ी उसके पिताजी के चेहरे पर हुई वैसे ही उसकी मां की बुर में उसके पिताजी की जीभ ने प्रवेश कर दिया और चाटना शुरू कर दिया,,,इस नजारे को देखकर तो राजू हक्का-बक्का रह गया उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था उसके पिताजी उसकी मां की बुर को चमक रहे थे और वह भी एक दम मजे लेकर,,, राजू अपनी मां के चेहरे और उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को देख रहा था जोकि पपाया की तरह तनी हुई थी,,,, अपनी मां के चेहरे पर बदलते भाव संतुष्टि के भाव और मदहोशी भरी रेखाएं देखकर इतना तो समझ गया था कि इस क्रिया में उसकी मां को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है,,,,।
राजू की मां और उसके पिताजी

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चाटो राजा जोर जोर से चाटो,,,आहहहह,,सहहहहंंंं,,,, आहहहहहहह,,, मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है,,,(ऐसा कहते हुए वह अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल गोल चेहरे पर घुमाने लगी,,,। राजू तो अपनी मां और अपने पिताजी की हरकत को देखकर पूरी तरह से मस्त हो चुका था बड़ी-बड़ी गांड को उसके पिताजी बड़े आराम से झेल रहे थे यह देख कर राजू और ज्यादा मदहोश होने लगा था,,,,,,अपनी मां की हरकत को देखकर राजू को यही लग रहा था कि अगर उसका बस चलता तो शायद मैं उसके पिताजी को अपनी बुर की अंदर घुसेड लेती,,,, राजू इस बात से हैरान था कि दिन में अपनी मां को देखने पर उसे ऐसा कभी भी नहीं लगा था कि रात के अंधेरे में उसकी मां इतनी ज्यादा मस्त औरत हो जाती है,,,,अगर यह बात किसी और के मुंह से सुना होता तो शायद राजू के लिए यकीन कर पाना मुश्किल था लेकिन वह अपनी आंखों से देख रहा था इसलिए इसे झुठलाया भी नहीं जा सकता था,,,, अपनी मां को इस तरह से अपनी दूर चटाता देखकरराजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी और वहां अपनी मुट्ठी को अपने लंड पर और ज्यादा कस्ता चला जा रहा था यह देखकर गुलाबी को लगने लगा था कि कमरे के अंदर जरूर चुदाई शुरू हो गई है,,,।
मधु और हरिया

गुलाबी खटिया पर से उठ कर धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी थी राजू को इस बात का अहसास तक नहीं था,,, वह तो अपनी ही मस्ती में मस्त था,,, गुलाबी को अपने अरमान पूरे होते नजर आ रहे थे जवानी की दहलीज पर हो कब से कदम रख चुकी थी लेकिन दोनों टांगों के बीच का रास्ता किसी राहगीर ने अभी तक तय नहीं कर पाया था क्योंकि गुलाबी ने इस रास्ते पर प्रवेश निषेध का शामियाना जो तान दी थी हालांकि अब उसमें प्रवेश करने का रास्ता व खुद बना चुकी थी और उसे उस रास्ते पर प्रवेश करने वाला राहगीर भी मिल चुका था ,,, बगल वाले कमरे का कामोत्तेजक नजारेसे तो गुलाबी भलीभांति परिचित थे लेकिन कमरे के अंदर के इस नजारे को देखकर उसके होश उड़ गए थे उसकी उत्तेजना सब्र के बंधन में बदला नहीं चाहती थी वह किसी पक्षी की तरह पंख फैलाए आसमान में उड़ना चाहती थी,,, इसलिए तो वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी क्योंकि उसे अपनी मंजिल सामने नजर आ रही थी,,, गुलाबी मन में ठान चुकी थी कि आज की रात ही वह अपनी दोनों टांगों के बीच का प्रवेश द्वार खोल देगी ताकि उसमें उसके पहचान राहगीर जाकर अंदर की स्थिति का जायजा ले सकें,,,।,,


राजू अपनी मस्ती में पूरी तरह से खोया हुआ था और देखते-देखते धीरे-धीरे गुलाबी उसके बेहद करीब पहुंच गई उसके ठीक पीछे खड़ी होकर वह धीरे से उसके कान में बोली,,,,।


क्या देख रहा है राजू,,,,?
(पहले तो राजू के कानों में जूं तक नहीं रेंगी,,,, गुलाबी समझ गई कि कमरे के अंदर अपने मां-बाप की गरमा गरम चुदाई देखकर पूरी तरह से बहक गया है इसलिए अपने होठों पर हल्की मुस्कान लाते हुए फिर से धीरे से बोली,,,)

क्या देख रहा है राजु,,,?

(जैसे ही उसके कानों में यह शब्द पड़े उसके तो होश ही उड़ गए वह एक झटके से चमकते हुए पीछे की तरफ देखा तो पीछे उसकी बुआ गुलाबी खडी थी उसकी हालत एकदम से खराब हो गई,,,, काटो तो खून नहीं उसका शरीर पूरा जम गया हालांकि अभी भी धीरे-धीरे उत्तेजना के कारण वह अपने लंड को हिला रहा था यह देख कर गुलाबी गुलाबी अपने मन में ही बोली कि यही लड़का मुश्किल जवानी की गर्मी को शांत करेगा,,,,,,)
राजू और गुलाबी बगल वाले कमरे में ईस‌तरह की गरमा गरम चुदाई देखकर पूरी तरह से मस्त हो चुके थे


बताना क्या देख रहा है,,,, और यह खडा क्यों है,,,(लंड की तरफ देखते हुए बोली राजू एकदम से सहम गया गया जब उसकी बुआ उसके खडे लंड की तरफ देखते हुए बोली राजू को अपनी स्थिति का भान हुआ उसका पजामा घुटनों तक नीचे सरका हुआ था और वह अपने लंड को मुठीया रहा था,,, जैसे ही उसे अपनी स्थिति का भान हुआ अपना हाथ पीछे खींच लिया और इस मौके का फायदा उठाते हुए गुलाबी अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके खड़े हैं अपनी मुट्ठी में अपनी नरम नरम हथेली में दबोच ली और बोली,,,)

बाप रे कितना बड़ा और कितना गर्म है,,,,(ऐसा कहते हो वह है राजु के लंड़ को बिना छोड़े बोली,,,,,,,राजू तो एकदम मस्त हो गया हालांकि उसे डर भी लग रहा था लेकिन अपनी बुआ की नरम हथेली का स्पर्श अपने लंड पर महसूस करते ही वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,, पल भर में ही राजू की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी गुलाबी उस छोटे से छेद की तरफ नजर घुमाते हुए बोली,,)

देखु तो जरा तु अंदर क्या देख रहा है,,,


ककककक,,, कुछ नहीं बुआ,,,,(राजू घबराते हुए कांपते स्वर में बोला,,,,, लेकिन गुलाब ने उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए उस छोटे से छेद में अपनी आंखों को घटा दी क्योंकि वह जानती थी कि अंदर क्या चल रहा होगा,,, और अंतर नजर करते ही उसे अपनी भाभी नजर आई जो कि उसके भैया के चेहरे पर अपनी गांड लग रही थी,,, यह देखते ही वह पूरी तरह से मदहोशी से भर गई,,,। उत्तेजना के मारे वह जोर से राजू का लंड दबा दी जिससे राजू की आह निकल गई,,,, और वह मजे लेते हुए बोली,,)

राजू अंदर का नजारा तो बहुत ही गर्म है,,,,, तेरी मां अपनी बड़ी-बड़ी गांड तेरे पिताजी के चेहरे पर रगड रही है और तेरे पिताजी अपनी जीभ निकालकर तेरी मां की बुर चाट रहे हैं,,,।

(अपनी बुआ के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर राजू की तो हालत खराब हो गई उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी वह कुछ कहने के लायक बिल्कुल भी नहीं था)

तो तु यही देख रहा था ना अपने मां बाप की चुदाई,,, मजा आ रहा है देखने में,,,, सच कहूं तो मुझे भी बहुत मजा आ रहा है तू डर मत मैं तुझसे कुछ नहीं कहूंगी,,,(गुलाबी और छोटे से छेद में नजरें गड़ाए हुए ही बोली और राजू की तरफ नहीं देख रही थी खाना कि उसका लंड अभी भी गुलाबी के हाथ में ही था अपनी बुआ की बात सुनकर राजू को थोड़ी राहत महसूस होने लगी,,,,,, राजू समझ गया कि उसकी बुआ उसे कुछ कहेगी नही,,, वह खामोश खड़ा रहा बस अपनी बुआ की प्रतिक्रिया का आनंद लेता रहा,,, गुलाबी अपने भैया और भाभी की काम क्रीड़ा को देख रहई थी गुलाबी को अपनी भाभी की हरकत बेहद लुभावनी लग रही थी वह भी चाहती थी कि इसी तरह से कोई उसकी भी बुर चाटे,,,,क्योंकि वह खुद महसूस करना चाहती थी कि औरतों को अपनी बुर चटवाने में किस तरह की आनंद की प्राप्ति होती है,,,,,,,।


देख राजू तेरी मां कितनी मस्त औरत है,,, कितनी बेशर्म है,,,, कैसे अपनी दोनों टांग खोल कर अपनी बड़ी बड़ी गांड तेरे पिताजी के मुंह पर रगड रही है,,,, तेरे बाप को तो बहुत मजा आ रहा होगा,,,,। (गुलाबी यह कहते हुए अपने हाथ में राजू के लंड को कस के पकड़ कर आगे पीछे हिलाते हुए अपनी आंखों को हटाकर राजू की आंखों को इस खेत पर लगाते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)


देख राजू,, कितना मस्त नजारा है,,, देख तू भी देख,,,,,, देखना कैसे तेरी मां की बुर में तेरे बाप का लंड जाएगा,,,।

(अपनी बुआ की बात सुनकर राजू फिर से उस नजारे को देखकर उसका लुफ्त उठाने लगा,,,, राजू अपनी मां को बड़े गौर से देख रहा था उसकी मां के चेहरे का भाव पल-पल बदल रहा था,,,। बिखरे हुए बाल से उत्तेजना के मारे माथे से पसीना टपक रहा था आंखें बंद थी लाल लाल होंठ खुले हुए थे और उसके दोनों खरबूजे रबड़ की गेंद की तरह उछल रहे थे,,,,,, टांगों के बीच हल्के हल्के बाल राजू के साथ नजर आ रहे थे उसकी दोनों गुलाबी पत्तियां खुली हुई थी जिसमें उसके पिताजी की जीभ अंदर बाहर हो रही थी,,, यह नजारा राजू के लिए असहनीय होता जा रहा था और गुलाबी अपनी हरकतों से उसके बदले में उत्तेजना की आग को और ज्यादा भड़का रही थी,,, थोड़ी ही देर में उसकी मां अपनी स्थिति को बदलने लगी शायद अब समय आ गया था लंड को बुर में लेने का,,, वह अपनी स्थिति को बदलती इससे पहले गुलाबी राजू को हटाते हुए उस छेद मैं अपनी आंख को गडा दी अंदर चुदाई शुरू होने वाली थी,,, गुलाबी कुछ ही पल में खटिए पर पीठ के बल लेट गई और हरिया उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया वह अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए आगे बढ़ रहा था और गुलाबी यही नजारे को राजू को दिखाना चाहती थी कि कैसे एक औरत की चुदाई की जाती है कैसे उसकी बुर में लंड डाला जाता है गुलाबी को नहीं लग रहा था कि राजू इस ज्ञान से अनजान है इसलिए आगे बढ़ने से पहले उसे सिखाना जरूरी है लेकिन वह कहां जानती थी कि राजू संभोग के प्रकरण की शुरुआत कर चुका है कमला चाची की बार 2 बार चुदाई कर चुका है और उसे अच्छी तरह से मालूम है कि चोदने के लिए लंड को कहां डाला जाता है,,,,। फिर भी गुलाबी एक बार फिर से राजू की आंखों को वापस उस छेद से लगाते हुए बोली,,,।)

देख राजु अब कैसे तेरा बाप तेरी मां की बुर में लंड डालेगा ,,,
(अंदर का नजारा तो राजू को गर्म कर ही रहा था उस पर गुलाबी की अश्लील बातें आग को और ज्यादा भड़का रही थी,,,राजू अंदर के नजारे को देखकर और ज्यादा गरम हो रहा था क्योंकि इससे मैं उसके पिताजी उसकी मां की बुर में लंड डालने की तैयारी कर चुके थे राजू की नजरें उसके पिताजी के लंड पर टिकी हुई थी जो कि उसके हाथ में थी वह अंदर का नजारा देखते हुए ही अपनी बुआ से बोला,,)

पिताजी से बड़ा तो मेरा है,,,
(राजू के मुंह से यह बात सुनते ही गुलाबीकी हालत खराब होने लगी क्योंकि उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि राजु अपने लंड़ की तुलना अपने पिताजी के लंड से करेगा,,,, लेकिन जो कुछ भी राजू कह रहा था उसमें सत प्रतिशत सच्चाई थी,,,, गुलाबी यह बात भली-भांति जानती थी,,, राजू की बातें सुनकर गुलाबी बोली,,,)

तुझे कैसे मालूम,,,


सामने दिखाई तो दे रहा है बुआ,,,,


तो क्या तु अपने बाप से भी अच्छा चुदाई कर लेगा,,,।

हां कर लूंगा,,,( अंदर के नजारे को देखकर राजू एकदम गरम होता हुआ बोला,,,)


अगर तेरी मां को चोदना हुआ तो,,,
(गुलाबी के मुंह से यह बात सुनते ही राजु आश्चर्य से उसकी तरफ देखने लगा लेकिन बोला कुछ नहीं गुलाबी मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,, गुलाबी यह बात केवल उसकी उत्तेजना को परखने के लिए बोली थी और देखना चाहती थी कि और कितना उत्तेजित है जो कि वह काफी उत्तेजित भी था लेकिन उसकी ही मां की बात करके गुलाबी या देखना चाहती थी कि वास्तव में वह अपनी मां के बारे में क्या सोचता है लेकिन वह अपनी मां के बारे में सुनकर कुछ बोला नहीं और गुलाबी यही समझने लगी कि अगर मौका मिले तो वह अपनी मां की भी चुदाई कर देगा,,,। इस बात से गुलाबी भी अपने अंदर उत्तेजना का तूफ़ान उठता हुआ मैसेज करने लगी उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,, आखिरकार उसका पसंदीदा हथियार जो उसके हाथ में था वह लगातार राजू के दिल को हिला रहे थे जो कि उसके हथेली में लोहे के रोड की तरह लग रहा था गुलाबी को भी बहुत मजा आ रहा था राजू के लंड को हीलाने में,,, राजू उत्तेजना के मारे अपने सुख के गले को अपने हाथों से खिला करते हुए वापस उस छेद से अंदर की तरफ देखने लगा क्योंकि उसकी मां की चुदाई होना प्रारंभ हो चुका था उसका बाप जोर जोर से धक्के लगा रहा था उधर के साथ उसकी मां की खरबूजे जैसी चूचियां उसकी छाती पर लहरा उठती थी,,,,,,, राजु को बिना हटाए गुलाबी भी उसी छेद से अंदर की तरफ देखने लगी,,, गुलाबी और राजू एक साथ बगल के कमरे में चुदाई के दृश्य को देखकर गरम हो रहे थे,,, राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि वह एक खूबसूरत लड़की जो कि उसकी दुआ थी उसके साथ चुदाई के दृश्य को देखकर आनंद ले रहा था इस वजह से उसकी उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी,,,।उत्तेजना के मारे राजू का हाथ खुद-ब-खुद गुलाबी के नितंबों पर आ गया उसकी नरम नरम गांड का स्पर्श पाते ही राजू की हालत खराब हो गई और बाहर उत्तेजना बस अपनी बुआ की गांड को अपनी हथेली में जोर से दबोच लिया राजू की हरकत को देखकर गुलाबी एकदम से मदहोश हो गई क्योंकि पहली बार किसी मर्दाना हाथों का स्पर्श वह अपने गांड पर महसूस कर रही थी उसे बहुत ही ज्यादा उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,, राजू की हरकत की वजह से उसकी भी सांस ऊपर नीचे हो गई थी,,,।

गुलाबी को यही मौका ठीक लग रहा था आगे बढ़ने के लिए आज वह अपने मन की मुरादे पूरी कर लेना चाहती थी,,, अपनी उफान मारती जवानी को आज वह अपने भतीजे के हाथों में सौंप देना चाहती थी गुलाबी को अपने भतीजे के लंड पर पूरा विश्वास था उसकी लंबाई मोटाई को देखकर गुलाबी को इस बात का अहसास हो गया था कि अगर उसके भतीजे का लंड उसकी बुर में एक बार जाएगा तो तहलका मचा कर ही वापस निकलेगा,,,


बगल वाले कमरे में गुलाबी के भैया भाभी की चुदाई बड़े जोरों से चल रही थी और वही चुदाई के दृश्य को देखकर दोनों गरम हो रहे थे गुलाबी समझ गई थी कि उसका भतीजा भी चुदाई के इस खेल का मजा लेने का इच्छुक है वरना,,, वह इस तरह से अपनी बुआ के साथ अपनी ही मां और पिताजी की चुदाई को ना देखता,,,, राजू अभी भी अपनी बुआ की गांड को जोर जोर से दबा रहा था और गुलाबी की हालत खराब हो रही थी उसकी सांसे गहरी चलने लगी थी दोनों मजा ले रहे थे गुलाबी के हाथों में राजू का नंबर था और राजू की हथेली में गुलाबी की मदमस्त गांड थी,,,,। राजु और गुलाबी एक दूसरे की तरफ आंख में आंख डालकर देखने लगे,,, दोनों की सांसें आपस में टकरा रही थी,,,, गुलाबी के गुलाबी गाल शर्म से लाल हो चुके थे और उसके होंठ रस बरसा रहे थे,,,,राजू का मन अपने होठों को अपनी बुआ के होठों पर रखने का बहुत मन कर रहा था लेकिन उसे ना जाने क्यों डर भी लग रहा था,,,, गुलाबी इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी,,,,,, इसलिए इस खेल में वह खुद पहल करना चाहती थी,,, इसलिए जो खयाल राजू के बारे में आ रहा था वह खुद गुलाबी अपने होठों को आगे रखकर राजू के होठों पर और चुंबन करने लगी,,,।

अद्भुत अतुल्य,, रस से भरा हुआ यह चुंबन दोनों के तन बदन में आग लगाने के बाद दोनों एक दूसरे में खोने लगे दोनों को और भी प्यासा बना रहा था,,,। राजू और गुलाबी दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी राजू जोर-जोर से दोनों हाथों में भरकर गुलाबी की गुलाबी गांड को मसल रहा था,,,। गुलाबी उसे रोक नहीं रही थी वह तो बल्की खुश थी राजू की हरकत की वजह से,,,, गुलाबी के अरमान पूरे होते नजर आ रहे थे,,, अपनी भैया भाभी की चुदाई को देखकर रोज तड़पती रहती थी लेकिन आज उसके यह तड़प मिटने वाली थी दोनों एक दूसरे के फोटो को चूसते हुए एक दूसरे में खोते चले जा रहे थे,,,।

बगल वाले कमरे में अपने मां-बाप की चुदाई देखने का अब राजू के पास समय नहीं था क्योंकि इस कमरे में वह अपनी बुआ के साथ कामलीला रचाने जा रहा था,,, उसकी बुआ कितनी खूबसूरत और जवान है उसे आज पता चल रहा था,,,,, गुलाबी राजू को कसके अपनी बाहों में दबोचे हुए थी जिसकी वजह से उसकी दोनों नारंगीया राजू की छाती पर रगड़ खा रही थी,,,, और अपनी छाती पर चूची का घर्षण महसूस करके राजू और ज्यादा गरम हो रहा था,,,।
 
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पल-पल राजु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, राजू कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे इस तरह से अपने माता पिता के संभोग की क्रिया देखने को मिलती रहेगी,,,,। कुछ दिनों में ही राजू का दिन बदलने लगा था उसके ख्याल बदलने लगे थे औरतों को देखने का नजरिया बदलने लगा था,,, यह सब जवानी के जोश का ही करामत था,,, और तो और राजू की किस्मत इतनी अच्छी थी कि वह कमला चाची के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था,,,,,, इसलिए तो उसे और अच्छे से औरतों के बारे में उनके साथ संबंध के बारे में समझ पडने लगी थी,,,, उसका औरतों के कामुक अंगो के प्रति ज्ञान दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था,,, राजू छोटे से छेद से एकदम साफ साफ देख पा रहा था कि उसकी मां पूरी तरह से कमरे में नंगी खड़ी थी और उसकी मां को एकदम नंगी पिक्चर कर उसके पिताजी अपने आप पर काबू नहीं कर पाए थे और उत्तेजना वश राजू की मां की,, बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिए थे राजू से यह तेरी से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो पाया था वह अपनी उत्तेजना पर काबू कर सकने में सक्षम नहीं था इसलिए वह अपने पजामे को घुटनों तक खींच कर अपने खड़े लंड को हिलाना शुरू कर दिया था,,, एक तरह से राजू अपनी मां के नंगे बदन उसकी खूबसूरती और उन दोनों की संभोगनीयाक्रिया को देखकर हस्तमैथुन कर रहा था एक बार पहले भी वह अपनी मां के बारे में गंदे खयालो के चलते हस्तमैथुन करके अपने आप को शांत करने की कोशिश कर चुका था अब फिर से वह वही क्रिया कर रहा था वह यह भी भूल गया था कि उसी कमरे में उसकी बुआ गुलाबी भी सो रही है जो कि वह कभी भी जा सकती है लेकिन इन सब बातों से बिल्कुल अनजान राजू अपने आप में मस्त हो गया था वह तो अपने आप को कल्पना में बगल वाले कमरे में अपने पिताजी की जगह महसूस करने लगा था,,,,।
मधु


कमरे में गुलाबी जोकि राजू को यही लग रहा था कि वह गहरी नींद में सो रही है जबकि वह सो नहीं रही थी वह जाग रही थी,,, अपनी आंखों से अपने भतीजे की कामलीला उसके कामांग को देखकर पूरी तरह से मस्त हो रही थी उसी से भी यह बर्दाश्त नहीं हुआ कि उसका भतीजा राजू अपने खड़े लंड को हिला रहा है और वह खटिए पर से उठ कर बैठ गई अपने भतीजे राजू के मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर उसकी बुर ‌ कुलबुलाने लगी थी,,, गुलाबी की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि उसका भतीजा राजू छोटे से छेद से क्या देख रहा है,,, गुलाबी राजू की उत्तेजना को देखकर यह सोचने लगी कि काश बगल वाले कमरे का दृश्य अपने कमरे में हकीकत में बदल जाता तो कितना मजा आता है,,,।यही सोचते हुए वह राजू के पास जाना चाहती थी जो कुछ भी उसके मन में था आज वह अपनी अभिलाषा को अपनी आकांक्षा को पूरी कर लेना चाहती थी क्योंकि जिस तरह का हालात कमरे में बना हुआ था उसे देखकर गुलाबी समझ गई थी कि आज उसके मन की इच्छा पूरी होने वाली है,,,,। अभी तक वह राजू से थोड़ा डरती थी कि कहीं वहअपनी मां को सब कुछ बता ना दें क्योंकि वह जानती थी कि वो थोड़ा नादान है लेकिन आज कमरे के अंदर उसकी हरकत को देखकर वह समझ गए थे कि अब वह नादान बिल्कुल भी नहीं रहा था वह जवान हो गया था गुलाबी को वह दिन याद आने लगा जब उसके खड़े लंड को देखकर उसे हाथ में लेकर हीलाई थी और उसका मन बहुत कुछ करने को किया था लेकिन राजू की वजह से ही वह अपने मन को दबा ले गई थी अपनी उत्तेजना को अपने अंदर समा ले गई थी लेकिन आज वह समझ गई थी कि राजू के साथ अब उसे किसी भी प्रकार का डर नहीं है क्योंकि जो वह चाहती थी वही राजू भी चाह रहा था अपनी ही मां बाप की गरमा गरम चुदाई देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था गुलाबी अपने मन में यही सोच रही थी कि अपनी मां को नंगी देखकर वह क्या सोच रहा होगा उसकी बड़ी बड़ी गांड देख कर उसकी बड़ी बड़ी चूचियां देख कर उसकी फोटो देख कर क्या सोच रहा होगा इतना तो समझ ही गई थी कि इन सब को देख कर उसे भी दूसरे लड़कों की तरह मजा ही आ रहा है तभी तो वह अपना लंड बाहर निकाल कर हीला रहा है वरना ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता,,,, और इसी मौके का फायदा गुलाबी पूरी तरह से उठाना चाहती थी,,,,,,,।


राजू की मदहोशी और उसकी मस्ती को देखकर गुलाबी को यकीन भी नहीं हो रहा था कि यह वही राजू है जिसे वह नादान समझती थी जो यह समझती थी कि राजू को इन सब बातों से कोई निशबत नहीं है,,, वह दूसरे लड़कों की तरह बिल्कुल भी नहीं है लेकिन आज अपनी आंखों से देखकर गुलाबी को यकीन हो गया कि हर लड़के एक ही तरह के होते हैं बस उनकी आंखों के सामने नजारा कुछ इस तरह से होना चाहिए जिस तरह से वह अपनी आंखों से देख रहा था अपनी ही मां के नंगे बदन को देख कर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,, अभी भी राजू का ध्यान छोटे से छेद से बगल वाले कमरे में ही केंद्रीत था जहां पर उसके पिताजी उसकी मां के नंगे बदन से खेल रहे थे उसकी बड़ी बड़ी गांड तो अपनी दोनों हथेली में भर भर कर दे पा रहे थे यह देखकर राजू की हालत खराब हो रही थी कमला चाची के साथ उसने केवल संभोग भर किया थासंभोग से जुड़े क्रियाकलापों को वह बिल्कुल भी ना तो किया था और ना ही उसके बारे में कुछ जानता था अपने ही पिता जी से वह धीरे धीरे सीख रहा था कि एक औरत के जिस्म से कैसे खेला जाता है,,,, अपनी मां की मदहोशी और अपने पिताजी की मस्ती को देख कर राजू समझ गया था कि इन क्रियाकलाप होने आदमी और औरतों में को बेहद आनंद की अनुभूति होती है और वह इस क्रिया से वंचित नहीं होना चाहता था वह,, वह संभोग की हर एक क्रिया से हर एक क्रीडा से अवगत होना चाहता था उसकी मस्ती को अपने अंदर महसूस करना चाहता था इसलिए तो अपने अंदर और ज्यादा उत्तेजना को महसूस कर रहा था,,,,।

राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि इस समय उसने जो सोचा नहीं था वह हो रहा था वह अपनी मां को बेहद संस्कारी औरत समझता था लेकिन उसका यह भ्रम धीरे-धीरे टूटता चला जा रहा था और जो उसकी आंखों ने इस समय देख रही थी उसी से तो उसका दिमाग एकदम सन्न रह गया था उसके पिताजी खटिया पर पीठ के बल लेटे हुए थे और उसकी मां अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बड़ी बड़ी गांड उसके पिताजी के मुंह पर रख दी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके पिताजी इसी पर का इंतजार कर रहे थे जैसे ही उसकी बड़ी-बड़ी उसके पिताजी के चेहरे पर हुई वैसे ही उसकी मां की बुर में उसके पिताजी की जीभ ने प्रवेश कर दिया और चाटना शुरू कर दिया,,,इस नजारे को देखकर तो राजू हक्का-बक्का रह गया उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था उसके पिताजी उसकी मां की बुर को चमक रहे थे और वह भी एक दम मजे लेकर,,, राजू अपनी मां के चेहरे और उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को देख रहा था जोकि पपाया की तरह तनी हुई थी,,,, अपनी मां के चेहरे पर बदलते भाव संतुष्टि के भाव और मदहोशी भरी रेखाएं देखकर इतना तो समझ गया था कि इस क्रिया में उसकी मां को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है,,,,।
राजू की मां और उसके पिताजी

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चाटो राजा जोर जोर से चाटो,,,आहहहह,,सहहहहंंंं,,,, आहहहहहहह,,, मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है,,,(ऐसा कहते हुए वह अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल गोल चेहरे पर घुमाने लगी,,,। राजू तो अपनी मां और अपने पिताजी की हरकत को देखकर पूरी तरह से मस्त हो चुका था बड़ी-बड़ी गांड को उसके पिताजी बड़े आराम से झेल रहे थे यह देख कर राजू और ज्यादा मदहोश होने लगा था,,,,,,अपनी मां की हरकत को देखकर राजू को यही लग रहा था कि अगर उसका बस चलता तो शायद मैं उसके पिताजी को अपनी बुर की अंदर घुसेड लेती,,,, राजू इस बात से हैरान था कि दिन में अपनी मां को देखने पर उसे ऐसा कभी भी नहीं लगा था कि रात के अंधेरे में उसकी मां इतनी ज्यादा मस्त औरत हो जाती है,,,,अगर यह बात किसी और के मुंह से सुना होता तो शायद राजू के लिए यकीन कर पाना मुश्किल था लेकिन वह अपनी आंखों से देख रहा था इसलिए इसे झुठलाया भी नहीं जा सकता था,,,, अपनी मां को इस तरह से अपनी दूर चटाता देखकरराजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी और वहां अपनी मुट्ठी को अपने लंड पर और ज्यादा कस्ता चला जा रहा था यह देखकर गुलाबी को लगने लगा था कि कमरे के अंदर जरूर चुदाई शुरू हो गई है,,,।
मधु और हरिया

गुलाबी खटिया पर से उठ कर धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी थी राजू को इस बात का अहसास तक नहीं था,,, वह तो अपनी ही मस्ती में मस्त था,,, गुलाबी को अपने अरमान पूरे होते नजर आ रहे थे जवानी की दहलीज पर हो कब से कदम रख चुकी थी लेकिन दोनों टांगों के बीच का रास्ता किसी राहगीर ने अभी तक तय नहीं कर पाया था क्योंकि गुलाबी ने इस रास्ते पर प्रवेश निषेध का शामियाना जो तान दी थी हालांकि अब उसमें प्रवेश करने का रास्ता व खुद बना चुकी थी और उसे उस रास्ते पर प्रवेश करने वाला राहगीर भी मिल चुका था ,,, बगल वाले कमरे का कामोत्तेजक नजारेसे तो गुलाबी भलीभांति परिचित थे लेकिन कमरे के अंदर के इस नजारे को देखकर उसके होश उड़ गए थे उसकी उत्तेजना सब्र के बंधन में बदला नहीं चाहती थी वह किसी पक्षी की तरह पंख फैलाए आसमान में उड़ना चाहती थी,,, इसलिए तो वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी क्योंकि उसे अपनी मंजिल सामने नजर आ रही थी,,, गुलाबी मन में ठान चुकी थी कि आज की रात ही वह अपनी दोनों टांगों के बीच का प्रवेश द्वार खोल देगी ताकि उसमें उसके पहचान राहगीर जाकर अंदर की स्थिति का जायजा ले सकें,,,।,,


राजू अपनी मस्ती में पूरी तरह से खोया हुआ था और देखते-देखते धीरे-धीरे गुलाबी उसके बेहद करीब पहुंच गई उसके ठीक पीछे खड़ी होकर वह धीरे से उसके कान में बोली,,,,।


क्या देख रहा है राजू,,,,?
(पहले तो राजू के कानों में जूं तक नहीं रेंगी,,,, गुलाबी समझ गई कि कमरे के अंदर अपने मां-बाप की गरमा गरम चुदाई देखकर पूरी तरह से बहक गया है इसलिए अपने होठों पर हल्की मुस्कान लाते हुए फिर से धीरे से बोली,,,)

क्या देख रहा है राजु,,,?

(जैसे ही उसके कानों में यह शब्द पड़े उसके तो होश ही उड़ गए वह एक झटके से चमकते हुए पीछे की तरफ देखा तो पीछे उसकी बुआ गुलाबी खडी थी उसकी हालत एकदम से खराब हो गई,,,, काटो तो खून नहीं उसका शरीर पूरा जम गया हालांकि अभी भी धीरे-धीरे उत्तेजना के कारण वह अपने लंड को हिला रहा था यह देख कर गुलाबी गुलाबी अपने मन में ही बोली कि यही लड़का मुश्किल जवानी की गर्मी को शांत करेगा,,,,,,)
राजू और गुलाबी बगल वाले कमरे में ईस‌तरह की गरमा गरम चुदाई देखकर पूरी तरह से मस्त हो चुके थे


बताना क्या देख रहा है,,,, और यह खडा क्यों है,,,(लंड की तरफ देखते हुए बोली राजू एकदम से सहम गया गया जब उसकी बुआ उसके खडे लंड की तरफ देखते हुए बोली राजू को अपनी स्थिति का भान हुआ उसका पजामा घुटनों तक नीचे सरका हुआ था और वह अपने लंड को मुठीया रहा था,,, जैसे ही उसे अपनी स्थिति का भान हुआ अपना हाथ पीछे खींच लिया और इस मौके का फायदा उठाते हुए गुलाबी अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके खड़े हैं अपनी मुट्ठी में अपनी नरम नरम हथेली में दबोच ली और बोली,,,)

बाप रे कितना बड़ा और कितना गर्म है,,,,(ऐसा कहते हो वह है राजु के लंड़ को बिना छोड़े बोली,,,,,,,राजू तो एकदम मस्त हो गया हालांकि उसे डर भी लग रहा था लेकिन अपनी बुआ की नरम हथेली का स्पर्श अपने लंड पर महसूस करते ही वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,, पल भर में ही राजू की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी गुलाबी उस छोटे से छेद की तरफ नजर घुमाते हुए बोली,,)

देखु तो जरा तु अंदर क्या देख रहा है,,,


ककककक,,, कुछ नहीं बुआ,,,,(राजू घबराते हुए कांपते स्वर में बोला,,,,, लेकिन गुलाब ने उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए उस छोटे से छेद में अपनी आंखों को घटा दी क्योंकि वह जानती थी कि अंदर क्या चल रहा होगा,,, और अंतर नजर करते ही उसे अपनी भाभी नजर आई जो कि उसके भैया के चेहरे पर अपनी गांड लग रही थी,,, यह देखते ही वह पूरी तरह से मदहोशी से भर गई,,,। उत्तेजना के मारे वह जोर से राजू का लंड दबा दी जिससे राजू की आह निकल गई,,,, और वह मजे लेते हुए बोली,,)

राजू अंदर का नजारा तो बहुत ही गर्म है,,,,, तेरी मां अपनी बड़ी-बड़ी गांड तेरे पिताजी के चेहरे पर रगड रही है और तेरे पिताजी अपनी जीभ निकालकर तेरी मां की बुर चाट रहे हैं,,,।

(अपनी बुआ के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर राजू की तो हालत खराब हो गई उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी वह कुछ कहने के लायक बिल्कुल भी नहीं था)

तो तु यही देख रहा था ना अपने मां बाप की चुदाई,,, मजा आ रहा है देखने में,,,, सच कहूं तो मुझे भी बहुत मजा आ रहा है तू डर मत मैं तुझसे कुछ नहीं कहूंगी,,,(गुलाबी और छोटे से छेद में नजरें गड़ाए हुए ही बोली और राजू की तरफ नहीं देख रही थी खाना कि उसका लंड अभी भी गुलाबी के हाथ में ही था अपनी बुआ की बात सुनकर राजू को थोड़ी राहत महसूस होने लगी,,,,,, राजू समझ गया कि उसकी बुआ उसे कुछ कहेगी नही,,, वह खामोश खड़ा रहा बस अपनी बुआ की प्रतिक्रिया का आनंद लेता रहा,,, गुलाबी अपने भैया और भाभी की काम क्रीड़ा को देख रहई थी गुलाबी को अपनी भाभी की हरकत बेहद लुभावनी लग रही थी वह भी चाहती थी कि इसी तरह से कोई उसकी भी बुर चाटे,,,,क्योंकि वह खुद महसूस करना चाहती थी कि औरतों को अपनी बुर चटवाने में किस तरह की आनंद की प्राप्ति होती है,,,,,,,।


देख राजू तेरी मां कितनी मस्त औरत है,,, कितनी बेशर्म है,,,, कैसे अपनी दोनों टांग खोल कर अपनी बड़ी बड़ी गांड तेरे पिताजी के मुंह पर रगड रही है,,,, तेरे बाप को तो बहुत मजा आ रहा होगा,,,,। (गुलाबी यह कहते हुए अपने हाथ में राजू के लंड को कस के पकड़ कर आगे पीछे हिलाते हुए अपनी आंखों को हटाकर राजू की आंखों को इस खेत पर लगाते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)


देख राजू,, कितना मस्त नजारा है,,, देख तू भी देख,,,,,, देखना कैसे तेरी मां की बुर में तेरे बाप का लंड जाएगा,,,।

(अपनी बुआ की बात सुनकर राजू फिर से उस नजारे को देखकर उसका लुफ्त उठाने लगा,,,, राजू अपनी मां को बड़े गौर से देख रहा था उसकी मां के चेहरे का भाव पल-पल बदल रहा था,,,। बिखरे हुए बाल से उत्तेजना के मारे माथे से पसीना टपक रहा था आंखें बंद थी लाल लाल होंठ खुले हुए थे और उसके दोनों खरबूजे रबड़ की गेंद की तरह उछल रहे थे,,,,,, टांगों के बीच हल्के हल्के बाल राजू के साथ नजर आ रहे थे उसकी दोनों गुलाबी पत्तियां खुली हुई थी जिसमें उसके पिताजी की जीभ अंदर बाहर हो रही थी,,, यह नजारा राजू के लिए असहनीय होता जा रहा था और गुलाबी अपनी हरकतों से उसके बदले में उत्तेजना की आग को और ज्यादा भड़का रही थी,,, थोड़ी ही देर में उसकी मां अपनी स्थिति को बदलने लगी शायद अब समय आ गया था लंड को बुर में लेने का,,, वह अपनी स्थिति को बदलती इससे पहले गुलाबी राजू को हटाते हुए उस छेद मैं अपनी आंख को गडा दी अंदर चुदाई शुरू होने वाली थी,,, गुलाबी कुछ ही पल में खटिए पर पीठ के बल लेट गई और हरिया उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया वह अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए आगे बढ़ रहा था और गुलाबी यही नजारे को राजू को दिखाना चाहती थी कि कैसे एक औरत की चुदाई की जाती है कैसे उसकी बुर में लंड डाला जाता है गुलाबी को नहीं लग रहा था कि राजू इस ज्ञान से अनजान है इसलिए आगे बढ़ने से पहले उसे सिखाना जरूरी है लेकिन वह कहां जानती थी कि राजू संभोग के प्रकरण की शुरुआत कर चुका है कमला चाची की बार 2 बार चुदाई कर चुका है और उसे अच्छी तरह से मालूम है कि चोदने के लिए लंड को कहां डाला जाता है,,,,। फिर भी गुलाबी एक बार फिर से राजू की आंखों को वापस उस छेद से लगाते हुए बोली,,,।)

देख राजु अब कैसे तेरा बाप तेरी मां की बुर में लंड डालेगा ,,,
(अंदर का नजारा तो राजू को गर्म कर ही रहा था उस पर गुलाबी की अश्लील बातें आग को और ज्यादा भड़का रही थी,,,राजू अंदर के नजारे को देखकर और ज्यादा गरम हो रहा था क्योंकि इससे मैं उसके पिताजी उसकी मां की बुर में लंड डालने की तैयारी कर चुके थे राजू की नजरें उसके पिताजी के लंड पर टिकी हुई थी जो कि उसके हाथ में थी वह अंदर का नजारा देखते हुए ही अपनी बुआ से बोला,,)

पिताजी से बड़ा तो मेरा है,,,
(राजू के मुंह से यह बात सुनते ही गुलाबीकी हालत खराब होने लगी क्योंकि उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि राजु अपने लंड़ की तुलना अपने पिताजी के लंड से करेगा,,,, लेकिन जो कुछ भी राजू कह रहा था उसमें सत प्रतिशत सच्चाई थी,,,, गुलाबी यह बात भली-भांति जानती थी,,, राजू की बातें सुनकर गुलाबी बोली,,,)

तुझे कैसे मालूम,,,


सामने दिखाई तो दे रहा है बुआ,,,,


तो क्या तु अपने बाप से भी अच्छा चुदाई कर लेगा,,,।

हां कर लूंगा,,,( अंदर के नजारे को देखकर राजू एकदम गरम होता हुआ बोला,,,)


अगर तेरी मां को चोदना हुआ तो,,,
(गुलाबी के मुंह से यह बात सुनते ही राजु आश्चर्य से उसकी तरफ देखने लगा लेकिन बोला कुछ नहीं गुलाबी मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,, गुलाबी यह बात केवल उसकी उत्तेजना को परखने के लिए बोली थी और देखना चाहती थी कि और कितना उत्तेजित है जो कि वह काफी उत्तेजित भी था लेकिन उसकी ही मां की बात करके गुलाबी या देखना चाहती थी कि वास्तव में वह अपनी मां के बारे में क्या सोचता है लेकिन वह अपनी मां के बारे में सुनकर कुछ बोला नहीं और गुलाबी यही समझने लगी कि अगर मौका मिले तो वह अपनी मां की भी चुदाई कर देगा,,,। इस बात से गुलाबी भी अपने अंदर उत्तेजना का तूफ़ान उठता हुआ मैसेज करने लगी उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,, आखिरकार उसका पसंदीदा हथियार जो उसके हाथ में था वह लगातार राजू के दिल को हिला रहे थे जो कि उसके हथेली में लोहे के रोड की तरह लग रहा था गुलाबी को भी बहुत मजा आ रहा था राजू के लंड को हीलाने में,,, राजू उत्तेजना के मारे अपने सुख के गले को अपने हाथों से खिला करते हुए वापस उस छेद से अंदर की तरफ देखने लगा क्योंकि उसकी मां की चुदाई होना प्रारंभ हो चुका था उसका बाप जोर जोर से धक्के लगा रहा था उधर के साथ उसकी मां की खरबूजे जैसी चूचियां उसकी छाती पर लहरा उठती थी,,,,,,, राजु को बिना हटाए गुलाबी भी उसी छेद से अंदर की तरफ देखने लगी,,, गुलाबी और राजू एक साथ बगल के कमरे में चुदाई के दृश्य को देखकर गरम हो रहे थे,,, राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि वह एक खूबसूरत लड़की जो कि उसकी दुआ थी उसके साथ चुदाई के दृश्य को देखकर आनंद ले रहा था इस वजह से उसकी उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी,,,।उत्तेजना के मारे राजू का हाथ खुद-ब-खुद गुलाबी के नितंबों पर आ गया उसकी नरम नरम गांड का स्पर्श पाते ही राजू की हालत खराब हो गई और बाहर उत्तेजना बस अपनी बुआ की गांड को अपनी हथेली में जोर से दबोच लिया राजू की हरकत को देखकर गुलाबी एकदम से मदहोश हो गई क्योंकि पहली बार किसी मर्दाना हाथों का स्पर्श वह अपने गांड पर महसूस कर रही थी उसे बहुत ही ज्यादा उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,, राजू की हरकत की वजह से उसकी भी सांस ऊपर नीचे हो गई थी,,,।

गुलाबी को यही मौका ठीक लग रहा था आगे बढ़ने के लिए आज वह अपने मन की मुरादे पूरी कर लेना चाहती थी,,, अपनी उफान मारती जवानी को आज वह अपने भतीजे के हाथों में सौंप देना चाहती थी गुलाबी को अपने भतीजे के लंड पर पूरा विश्वास था उसकी लंबाई मोटाई को देखकर गुलाबी को इस बात का अहसास हो गया था कि अगर उसके भतीजे का लंड उसकी बुर में एक बार जाएगा तो तहलका मचा कर ही वापस निकलेगा,,,


बगल वाले कमरे में गुलाबी के भैया भाभी की चुदाई बड़े जोरों से चल रही थी और वही चुदाई के दृश्य को देखकर दोनों गरम हो रहे थे गुलाबी समझ गई थी कि उसका भतीजा भी चुदाई के इस खेल का मजा लेने का इच्छुक है वरना,,, वह इस तरह से अपनी बुआ के साथ अपनी ही मां और पिताजी की चुदाई को ना देखता,,,, राजू अभी भी अपनी बुआ की गांड को जोर जोर से दबा रहा था और गुलाबी की हालत खराब हो रही थी उसकी सांसे गहरी चलने लगी थी दोनों मजा ले रहे थे गुलाबी के हाथों में राजू का नंबर था और राजू की हथेली में गुलाबी की मदमस्त गांड थी,,,,। राजु और गुलाबी एक दूसरे की तरफ आंख में आंख डालकर देखने लगे,,, दोनों की सांसें आपस में टकरा रही थी,,,, गुलाबी के गुलाबी गाल शर्म से लाल हो चुके थे और उसके होंठ रस बरसा रहे थे,,,,राजू का मन अपने होठों को अपनी बुआ के होठों पर रखने का बहुत मन कर रहा था लेकिन उसे ना जाने क्यों डर भी लग रहा था,,,, गुलाबी इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी,,,,,, इसलिए इस खेल में वह खुद पहल करना चाहती थी,,, इसलिए जो खयाल राजू के बारे में आ रहा था वह खुद गुलाबी अपने होठों को आगे रखकर राजू के होठों पर और चुंबन करने लगी,,,।

अद्भुत अतुल्य,, रस से भरा हुआ यह चुंबन दोनों के तन बदन में आग लगाने के बाद दोनों एक दूसरे में खोने लगे दोनों को और भी प्यासा बना रहा था,,,। राजू और गुलाबी दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी राजू जोर-जोर से दोनों हाथों में भरकर गुलाबी की गुलाबी गांड को मसल रहा था,,,। गुलाबी उसे रोक नहीं रही थी वह तो बल्की खुश थी राजू की हरकत की वजह से,,,, गुलाबी के अरमान पूरे होते नजर आ रहे थे,,, अपनी भैया भाभी की चुदाई को देखकर रोज तड़पती रहती थी लेकिन आज उसके यह तड़प मिटने वाली थी दोनों एक दूसरे के फोटो को चूसते हुए एक दूसरे में खोते चले जा रहे थे,,,।

बगल वाले कमरे में अपने मां-बाप की चुदाई देखने का अब राजू के पास समय नहीं था क्योंकि इस कमरे में वह अपनी बुआ के साथ कामलीला रचाने जा रहा था,,, उसकी बुआ कितनी खूबसूरत और जवान है उसे आज पता चल रहा था,,,,, गुलाबी राजू को कसके अपनी बाहों में दबोचे हुए थी जिसकी वजह से उसकी दोनों नारंगीया राजू की छाती पर रगड़ खा रही थी,,,, और अपनी छाती पर चूची का घर्षण महसूस करके राजू और ज्यादा गरम हो रहा था,,,।
Nice update brother
Waiting for the new update.
 

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