बैलगाड़ी

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जैसे तैसे करके दिन गुजरने लगे थे,,,, राजू के घर वालों को इस बात की भनक तक नहीं लगी थी,, की राजू ने लाला की दी हुई बंदूक को घर में लाकर रखा है,,,,,, मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते की दीवार एक बार गिर जाने से दोनों मां-बेटे के लिए मर्यादा की दीवार लांघ कर आगे बढ़ना अब कोई बड़ी बात नहीं रह गई थी राजू और मधु अब आपस में छेड़छाड़ करने लगे थे दोनों एक दूसरे के अंगों को कभी पकड़ लेते थे दबा देते थे और ऐसा करने में दोनों को मजा भी आता था,,,, लेकिन मधु इस बात का बेहद ख्याल रखती थी कि उन दोनों की छेड़छाड़ उन दोनों की हरकतों का पता गुलाबी और हरिया को ना हो जाए,,,,।

ऐसे ही एक दिन मधु खाना बना रही थी गर्मी का मौसम था और सुबह का समय था लेकिन फिर भी चुल्हे के सामने बैठने की वजह से उसकी तपन से मधु के माथे से पसीना टपक रहा था वह तवे पर रोटियां सेक रही थी,,,, तभी राजू भी उधर आ गया तो ठीक सामने हरिया खटिया गिरा कर बैठा हुआ था और बीड़ी फुंक रहा था,,,, राजु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की सूचियां खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी है और ब्लाउज में ठीक से समा नहीं पाती हैं और ब्लाउज से बाहर आने के लिए हमेशा में चलती मचलती है,,,,,,, राजू खाना बना रही है अपनी मां के पास आते ही ठीक उसके सामने एकदम पास में बैठ गया और उसके ब्लाउज मे उठने जवानी के तूफान को देखते हुए बोला,,,,।

सुबह-सुबह अगर खरबूजा खाने को मिल जाए तो दिन बन जाता है,,,,।(मधु अपने बेटे के कहने का मतलब को और उसके नजर के सिधान को देखते ही शर्म आ गई और आंखों से ही वहां पर उसके पिता के होने का एहसास कराने लगी लेकिन राजू कहां मानने वाला था,,,, इस मामले में धीरे-धीरे निडर होता जा रहा था लेकिन मधु के लिए यह सब कुछ नया था इसलिए उसे घबराहट हो रही थी,,, खरबूजे वाली बात हरिया ने सुन लिया था और बीड़ी का कस खेंचते हुए बोला,,,,,)

अरे पहले जैसा कहां खरबूजा मिलता है,,,, अब तो उसमें मिठास ही नहीं होती,,,,

अरे नहीं पिताजी मैं जगह जानता हूं इतने अच्छे खरबूजे मिलते हैं बड़े-बड़े कि पूछो मत और एकदम रस से भरे हुए,,,,(अपनी मां की चूचियों की तरफ देखते हुए बोला,,,) मैं तो अब रोज खाता हूं,,,

अरे फिर घर के लिए भी लेता आ,,,,

जरूर पिता जी आपके लिए तो मैं खास लेकर आऊंगा क्योंकि मुझे मालूम है मुझे पसंद है तो तुम्हें भी जरूर पसंद आएगी,,,।

(अपने बेटे की बात को सुनकर मधु को घबराहट भी हो रही थी और उसकी बातें एकदम शर्म से पानी पानी कर देने वाली थी,,,, मधु इशारे में अपने बेटे को शांत रहने के लिए बोल रही थी लेकिन राजू शांत बैठने वाला नहीं था उसे साफ दिख रहा था कि उसकी मां की ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खुला हुआ था जिसकी वजह से उसकी गोल-गोल चूचियां कुछ ज्यादा ही बाहर को झलक रही थी,,,, इसलिए वह अपनी मां को उसके ब्लाउज की तरफ निर्देश करता हुआ धीरे से बोला,,,)

तुम्हारा खुला हुआ ब्लाउज का बटन देखकर मेरे पजामे का नाडा ढीला हो जाता है,,,,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर वह तुरंत अपनी छातियों की तरफ देखी और सच में ब्लाउज का बटन खुला देखकर रोटी को वैसे ही छोड़ कर अपनी ब्लाउज का बटन बंद करने लगे लेकिन हल्की सी आवाज हरिया के कानों तक पहुंच गई थी इसलिए वह बोला,,,)

अरे क्या ढीला हो गया है राजू,,,

अरे कुछ नहीं पता जी पजामे का नाडा बार-बार ढील‌ा हो जा रहा है,,,

अरे तो अपनी मां को दे दे ठीक कर देंगे,,,

मां की वजह से ही तो ढीला हो जा रहा है,,,,।
(इस बार मधु एकदम से झेंप गई वह तुरंत अपने पति की तरफ देखने लगी कि वह क्या प्रतिक्रिया देता है राजू की बात सुनकर लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था इसलिए बोला,,,)

ऐसा क्यों कह रहा है राजू,,,

अरे कहु ना तो और क्या करूं मां की वजह से ही तो सब कुछ हो रहा है,,,(पजामे में अपने खड़े लंड को हाथ से दबाते हुए,,,,) कितनी बार कहा हु की मेरा पजामा ठीक कर दो,,, लेकिन मां है कि मेरे पर ध्यान ही नहीं देती,,,

क्यों भाई मधु ऐसा क्यों कर रही हो तो तुम्हारा बेटा जवान हो गया है कमाने लगा है अब तो गांव भर में इसका नाम चर्चा में रहता है फिर भी इसे खुश नहीं कर पा रही हो,,,,
(हरिया औपचारिक रूप से बातें कर रहा था लेकिन संजू और मधु इस समय उसके कहने के मतलब को गलत अर्थ निकाल रहे थे इसलिए दोनों के बदन में अजीब सी हलचल सी हो रही थी,,,) करो उसका पैजामा ठीक तुम्हारी वजह से उसके पजामे का नाड़ा ढीला हो जा रहा है,,,,

सुन ली ना मा अब तो पिताजी ने भी तुम्हें इजाजत दे दिए हैं अब ठीक कर देना,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने पिताजी की तरफ देखते हुए ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चूची दबा दिया,,, सर्व डर और उत्तेजना के मारे मधु की हालत खराब होती जा रही थी उसकी पूर्व पानी छोड़ रही थी,,,, अपने बेटे की हरकत देखते हुए वह तुरंत अपने बेटे की तरफ देखकर आंख दिखाने लगी लेकिन राजू पर इसका बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा

था,,,, इसलिए मधु बोली,,)

चल अच्छा रहने दे शिकायत करने को खाना बन गया है खाना खाकर बेल गाड़ी लेकर जा,,,,

खिलाओगी तो क्यों नहीं खाऊंगा और रोटी तो अच्छे से फूलाओ तुम्हें तो पता ही है कि अच्छे से गर्म करने के बाद फुलाने के बाद ही खाने का मजा आता है,,,,।
(मधु अपने बेटे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी वह जानती थी कि उसका बेटा रोटी के बहाने उसकी बुर के बारे में बात कर रहा था जिसकी वजह से उसकी बुर से मदन रस टपक रहा था)

दिखाई नहीं दे रहा है तुझे फूल तो रही है बराबर,,,

मैं अंधा थोड़ी हूं कहां फूल रही है दिखाओ तो,,,,(इतना कहकर राजू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच देखने लगा और मधुर समझ गई कि वह क्या देखना चाह रहा है एकदम से शरमा गई और हरिया की तरफ देखने लगी कि कहीं वह यहां तो नहीं देख रहा है लेकिन वहां बीड़ी पीने में ही मस्त था ऐसा नहीं था कि राजू की हरकतों से अच्छी नहीं लग रही थी उसे राजू की हरकत बेहद उत्तेजित भी कर रही थी लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं उसके पति को भनक ना लग जाए,,,, इसलिए वह बेहद धीमें स्वर में बोली,,,)

राजू क्यों ऐसा कर रहा है जाकर बैठ जा मैं तुझे खाना देती हूं,,,

नहीं ऐसे नहीं पहले मुझे अपनी बुर दिखाओ,,,,(राजू भी अपने पिताजी की तरफ देखकर धीरे से बोला,,)

नहीं दिखाऊंगी,,,(गुस्से का नाटक करते हुए मधु अपने घुटने पर की साड़ी को ठीक करते हुए बोली)

यब तो मऐ यहां से हिलने वाला भी नहीं हूं,, देख रही हो,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी जगह से खड़ा हो गया और उसके खड़ा होते हैं उसके फायदा में भी बना तंबू एकदम से खूटे की तरह नजर आने लगा जिसे देखते ही मधु की बुर फुदकने लगी,,,) मेरी हालत कितनी खराब होती जा रही है तुम्हारी देखने के लिए,,,,
(राजू इस समय पूरी तरह से मस्ती के मूड में था और बार-बार अपने पिताजी की तरफ देख भी ले रहा था कि कहीं वह देख ना ले,,, अपने बेटे की हरकत की वजह से मधु के तन बदन में भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी वह भी मदहोश हो रही थी,,, लेकिन अपने पति की मौजूदगी में उसे डर लग रहा था,,, इसलिए वह तवे पर की फूली हुई रोटी चिमटी से पकड़ कर थाली में रखते हुए बोली,,)
राजू भैया तू क्या कर रहा है देख नहीं रहा तेरे पिताजी यहां बैठे हैं मुझे डर लग रहा है,,,,

डर कैसा मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लग रहा है देखना चाहती हो,,,(और इतना कहने के साथ ही अपने पिताजी की तरफ देखकर अपने पजामी को तुरंत एक हाथ से नीचे की तरफ सरकार कर अपने खड़े लंड को अपने मां को दिखाने लगा और साथ में अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसे तीन चार बार मुठिया भी दिया यह देख कर मधु एकदम से चौक गई और वह दांतो तले उंगली दबा ली उसकी बुर पानी से भर चुकी थी अपने बेटे की हरकत और उसकी हिम्मत को देखकर वह पानी पानी हुई जा रही थी राजू तुरंत एक झलक अपने लंड की दिखाने के बाद वापस पजामे को उपर कर लिया,,,, मधु बोली,,,।)

तू चाहता क्या है,,,

मुझे भी एक झलक अपनी बुर की दिखा दो,,,,

अभी,,,

तो क्या ऐसे ही मौके पर तो ज्यादा मजा आता है,,,

कुछ तो शर्म कर तेरे पिताजी यहीं पर बैठे हैं,,,,
(हरिया अपनी मस्ती में बीड़ी पर बीड़ी फूंक रहा था उसे उसकी पीठ पीछे क्या हो रहा है उसे बिल्कुल भी एहसास तक नहीं था,,,)

तो क्या हुआ मेने नहीं दिखा दिया,,, कहो तो एक बहाने से पिताजी के सामने ही तुम्हें कमरे में ले जाकर चोद दूं,,,

(अपने बेटे की बात सुनकर मैं तो एकदम से शर्मा गई और ‌ धीमे स्वर में बोली,,,)

तू मानेगा नहीं ना,,,,

मैं नहीं मानूंगा,,,
(अपने बेटे की जिद को देखकर मधु अपने पति की तरफ देखने लगी वह उन दोनों की तरफ पीठ करके बीड़ी पी रहा था इस समय वह अपने आप में पूरी तरह से मशगूल था ऐसा नहीं था कि मधु का मन ना कर रहा हो दिखाने का अपने बेटे की हरकत और उसकी हिम्मत को देखकर उसके लंड की झलक को देखकर उसका भी मन कर रहा था कि अपने बेटे को अपने रस से भरी हुई बुर दिखाएं,,, इसलिए वह भी अपने पति की तरफ नजर रखकर अपनी दोनों टांगों को हम कैसे फैला ली और सारी को टांगों के बीच से खोलकर अपनी बुर दिखाने लगी राजू तुरंत अपनी मां की दोनों टांगों के अंदर झांकने लगा लेकिन इस तरह से मजा नहीं आ रहा था इसलिए वह बोला,,,।)

ऐसे नहीं ऐसे दिखाई नहीं दे रहा,,,

फिर कैसे,,,( मधु परेशान होते हुए बोली,,,)

वैसे ही जैसे मैं खड़ा होकर दिखाया था,,,(राजू अपने पिताजी की तरफ देखते हुए बोला,,)

हाय दइया मुझसे यह ना होगा,,,(अपने पति की तरफ देखते हुए) पागल हो गया क्या तू,,,,


थोड़ी तो हिम्मत दिखाओ बहुत मजा आएगा,,,, जल्दी करो नहीं तो कोई आ जाएगा और फिर मैं आज आने वाला नहीं हूं वहीं बैठ के तुम्हें परेशान करते रहूंगा,,,,

राजू तू बहुत शैतान हो गया है,,,,

अब क्या करूं तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि शैतान बनना पड़ता है,,,,


अच्छा तू जा अभी बाद में दिखा दूंगी,,,

बाद में तो मैं देखूंगा भी और डाल भी दूंगा इसमें कहने वाली कोई बात नहीं है,,, लेकिन इस समय तो मैं सिर्फ देखना चाहता हूं,,,,,(अपने पिताजी की तरफ देखते हुए) देखो ना पिताजी का ध्यान यहां बिल्कुल भी नहीं है जल्दी से खड़ी होकर दिखा दो,,,,,

तू सच में बहुत शैतान हो गया है,,,, जरा सा भी डर नहीं है कि अगर कोई देख लिया तो क्या होगा,,,

अरे कुछ नहीं होगा,,,।
(मधु का मन भी मचल रहा था अपने बेटे को अपनी बुर के दर्शन कराने के लिए,,, लेकिन इसमें पकड़े जाने का डर भी था अगर ऐसे हालात में किसी ने देख लिया तो क्या होगा यह सोचकर वह घबरा भी रही थी और उत्सुक भी थी वह बार-बार अपनी पति की तरफ देख ले रही थी जो कि काफी देर से उन दोनों की तरफ ना तो ध्यान दे रहा था और ना ही देख रहा था यही सही मौका भी था मधु के लिए इसलिए वह भी बिना कुछ बोले धीरे से खड़ी हुई और अपनी मां को इस तरह से खड़ी होता देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी लंड में उबाल मारने लगा,,,, कोई देख ना ले इस बात की फिक्र राजू को भी थी इसलिए वह अपने पिता की तरह बार-बार देख ले रहा था और दरवाजे की तरफ भी नजर डाल दे रहा था लेकिन दरवाजा बंद था और अंदर से कड़ी लगी हुई थी इसलिए बाहर से किसी के भी आने की आशंका और डर बिल्कुल भी नहीं थी,,,।

मां बेटे दोनों उत्सुक और व्याकुल नजर आ रहे थे बेटा देखने के लिए और मां दिखाने के लिए दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,, राजू की आंखें एकदम चौकन्नी थी मधु के मन में घबराहट भी थी और जिस तरह की हरकत बदलने हो रही थी उसके चलते मधु की बुर से काम रस टपक रहा था,,,, सांस इतनी तेजी से चल रही थी कि मधु की भारी-भरकम छातियां ऊपर नीचे हो रही थी जो कि एक अलग नशा भर रही थी ,,, धीरे-धीरे साड़ी को ऊपर उठाने का समय मधु के पास बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह तुरंत अपनी साड़ी को पकड़ी और एक झटके से अपनी कमर तक उठा दी और साड़ी को कमर तक उठाने के बाद जो नजारा नजर आया,,,, उसे देखकर राजू की आंखों में नशा छा गया और लंड में हलचल होने लगी जो की पूरी तरह से अकड़ गया राजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि एक बार साड़ी ऊपर करने के बाद तुरंत उसकी मां साड़ी नीचे गिरा देगी इसीलिए वह तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी दो उंगलियों को अपनी मां की खुली हुई बुर पर रखकर उसके काम रस को अपनी उंगली पर लगा लिया यह इतनी जल्दी हुआ कि मधु को भी इस बात का एहसास तक नहीं हुआ लेकिन जब तक उसे पता चलता तब तक देर हो चुकी थी मधु साड़ी अपने नीचे गिराती इससे पहले ही राजू अपनी वह दो उंगलियों को अपने होठों से लगाकर उसका रस जीभ से चाटते हुए बोला,,,)

वाह अब आया ना स्वाद,,,,,
(अपने बेटे की हरकत की वजह से मधु एकदम से जीत गई थी इसलिए तुरंत वह अपनी साड़ी को कमर से नीचे गिरा दी और एक खूबसूरत नजारे पर पर्दा गिरा दी अपने बेटे की हरकत और उसकी बात पर मधु शर्मा कर सिर्फ इतना ही बोल पाई,,,)

बेशर्म कहीं का,,,,
(लेकिन अपने बेटे के द्वारा कही गई बात को हरिया सुन लिया था इसलिए वह बोला)

अरे किस में आ गया स्वाद,,,,

खाने में पिताजी नमक कम था ना मां ने नमक डाल दिया एकदम स्वादिष्ट बना है खाना,,,, आओ आप भी खाइए पहला हक तो आपका ही है,,, उसके बाद झूठा खाने का मजा ही कुछ और है,,,


यह कैसी बातें कर रहा है राजू तू खा ले मैं बाद में खा लूंगा,,,
(हरिया अपने बेटे की बात को बिल्कुल भी समझ नहीं पाया था लेकिन मधु अपने बेटे की कहीं और एक बात को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,,)

भाभी दरवाजा तो खोलो,,,

जा राजू दरवाजा खोल दे तेरी बुआ आ गई है,,,
(इतना सुनते ही राजू अपनी जगह से उठकर गया और दरवाजा खोल दिया अंदर आते ही गुलाबी अपनी भाभी से बोली,,,)

भाभी घर के पीछे देख कर काम करना वही मैंने सांप देखी हूं,,,

क्या सच में,,,?

हां भाभी बहुत लंबा था,,,,


वह तो होगा ही ना घर के पीछे कितना झाड़ी झंकार है इनसे कितनी बार कहीं हूं कि सब काट कर समतल कर दो लेकिन सुनने का नाम ही नहीं लेते कहीं किसी को काट लिया तब समझ में आएगा,,,

कहां देखी थी गुलाबी,,,(हरिया गुलाबी की तरफ देखते हुए बोला)

वहीं जहां बेल बांधते हैं,,,,

ठीक है फिर मैं आज सारा काम छोड़ कर वहां की सफाई कर देता हूं,,,,

हां ये ठीक रहेगा भैया,,,,,,,,

राजू खाना खाकर अपनी मां की तरफ देख कर मुस्कुरा कर चला गया,,,,, एक बात तो मधु भी मानती थी कि उसके बेटे ने उसके जीवन में उमंग भर दिया था,,,,,,।

राजू बेल गाड़ी लेकर चल पड़ा था तभी उसे ख्याल आया कि क्यों ना आज झुमरी को अपने साथ घूमने ले चले क्योंकि वह भी तो यही चाहती थी,,,,,,, राजू अभी यही सोच रहा था कि सामने से उसे झुमरी आती हुई दिखाई दी और उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,, झुमरी भी राजू को देख ली थी इसलिए उसके चेहरे पर भी खुशी साफ झलक रही थी,,,, खेत में कपड़े धोने

के बहाने,, जिस तरह की चुदाई राजे ने उसकी किया था अभी तक इस बारे में सोच कर उसके बदन में सिहरन सी दौड़ जाती थी,,,,, झुमरी बैलगाड़ी के बहुत करीब आ गई थी इसलिए मुस्कुराते हुए राजू झुमरी से बोला,,,।

चलोगी झुमरी सैर पर,,,

कहां घूमाओगे,,,,


जहां तुम कहो,,,

बाजार चलोगे,,,,,

तुम कहो वहां ले चलूंगा,,,,

बाजार में छोला चाट समोसे खिलाने पड़ेंगे,,,

तुम्हें क्या लगता है मैं खर्चे से डर जाऊंगा,,,,

तुम्हारे साथ समय बिताने के लिए तो मैं कुछ भी कीमत चुकाने को तैयार हूं,,,,

ओहहह हो,,, क्या बात है,,,, फिर चलो मैं तैयार हूं लेकिन जल्दी आना,,,,

अरे एकदम जल्दी,,,,

( झुमरी तुरंत बैलगाड़ी में जाकर बैठ गई और राजू निकल गया झुमरी को लेकर,,,,, दोनों के बीच प्यार भरी वार्तालाप हो रही थी,,,,, थोड़ी ही देर में राजू झुमरी को लेकर बाजार पहुंच गया,,,, बाजार में चहल-पहल ज्यादा थी,,, झुमरी तुरंत समोसे चाट की दुकान पर पहुंच गई,,,,,,,, बाजार में आना-जाना झुमरी का बहुत ही कम ही होता था,,यहां तक कि ना के ही बराबर कभी कोई खास मौके पर कपड़े खरीदने होते तो वह बाजार आती थी लेकिन कुछ सालों से वह बाजार का मुंह तक नहीं देखी थी इसलिए बाजार में आकर वह बहुत खुश नजर आ रही थी,,,, पहली बार वह इतनी ज्यादा भीड़ भाड़ बाजार में देख रही थी लोग आ रहे थे जा रहे थे सबके चेहरे पर खुशी थी कोई कपड़े खरीद रहा था कोई चूड़ियां खरीद रहा था कोई सब्जियां खरीद रहा था कोई घर का राशन खरीद रहा था बाजार में आने का यही एक फायदा होता है कि यहां पर भात भात के लोगों से मिलने का मौका मिल जाता है,,,,,,।

समोसे की दुकान पर जाते ही राजू ने समोसे और चाट खरीद कर,, झुमरी को दे दिया और झुमरी बड़े चाव से खाने लगी,,,, झुमरी को देखकर तुरंत उसे उस दिन वाली बात याद आ गई जब इसी तरह से वह अपनी मां को वेद के वहां ले जाते समय रास्ते में इसी तरह से बाजार में रोककर चाट और समोसा खिलाया था और उसकी खूबसूरत बदन को भोगा था,,,, झुमरी का खूबसूरत चेहरा राजू के दिल में बस गया था राजू झुमरी से बेहद प्यार करता था और उसके खूबसूरत बदन को भोग भी चुका था इसलिए फिर से उसको चोदने में राजू को ज्यादा उतावल‌ नहीं था वह जानता था कि भी उसके कहने पर किसी भी समय झुमरी उसे करने देगी आखिरकार उसे भी तो एक मर्द की जरूरत है यह राजू ने खेतों के बीच झुमरी की चुदाई करते हुए भांप लिया था,,,

थोड़ी ही देर में झुमरी नहीं चाट और समोसे का स्वाद ले चुकी थी आज पेट भर कर समोसा और चाट खाई थी झुमरी पानी पीने जा रही थी तो इससे पहले ही राजू उसी दुकान से गरमा गरम जलेबी या ले लिया और उसे पानी पीने से रोकते हुए बोला,,,।

ऐसे नहीं झुमरी जलेबी खा लो फिर पानी पीना मीठा खाने के बाद पानी पीने का मजा ही कुछ और होता है और वैसे भी गर्मी बहुत है,,,

हां तुम सच कह रहे हो गर्मी भी बहुत है और चाट में मिर्चा भी बहुत था देख नहीं रहे हो पसीने से भीग गई हुं,,,, नहाने को मिल जाता तो मजा आ जाता,,,

तो इसमें क्या हो गया यही नल के नीचे बैठ कर नहा लो,,,

धत्,,,, यहां की बात नहीं कर रही हो मैं तुम्हारी तरह पागल नहीं हूं कि सबके सामने बैठकर अपने बदन की नुमाइश करु,,,

तुम्हारे नुमाइश करने की अदा पर पर तो मैं पागल हो गया हूं,,, ना तुम्हें नहाता हुआ देखता और ना तुमसे प्यार होता तो आज मैं तुम्हारे पीछे दीवानों की तरह इधर-उधर घूमता ना रहता,,,,


अच्छा तो यह बात है अगर मेरे पीछे घूमना तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है तो तुम जा सकते हो,,,

अरे नहीं नहीं मेरी रानी तुम्हारे पीछे तुम्हें जिंदगी भर घूमते रहूंगा,,, लो अब गुस्सा मत करो जलेबी खाओ,,,(इतना कहते हुए राजू कागज के पड़ीका में से जलेबी लेकर झुमरी को थमाने लगा और झुमरी भी मुस्कुराते हुए जलेबी लेकर खाने लगी,,,, इसके बाद पानी पीकर कुछ देर तक दोनों बाजार में इधर-उधर घूमते रहे राजू झुमरी को बहुत कुछ दिलवाना चाहता था लेकिन झुमरी घर पर क्या कहेगी इसलिए कुछ खरीदी नहीं,,,,,,, धीरे-धीरे एकदम दोपहर हो गई थी गर्मी का महीना होने की वजह से धूप बड़े जोरों की पड़ रही थी दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,,, राजू झुमरी को लेकर फिर से उसे गांव की ओर निकल गया था लेकिन गांव अभी बहुत दूर था और झुमरी को पसीने से तरबतर होता देखकर राजू दूसरी तरफ बैलगाड़ी को घुमा लिया था,,, किसी अनजान सड़क पर बैलगाड़ी को जाता हुआ देखकर,,, झुमरी बोली,,,


कहां ले जा रहे हो,,,

तुम्हें बहुत खूबसूरत जगह पर ले जा रहा हूं तुम देखोगी तो देखती रह जाओगी,,,

अरे ऐसी कौन सी जगह है जहां पर ले जा रहे हो और मैं देखी नहीं हूं,,,

तुम अभी बहुत कुछ नहीं देखी हो मेरी रानी,,,
(जब भी राजू झुमरी को मेरी रानी चाहता था तब तक झुमरी के तन बदन में हलचल सी हो जाती थी उसे बहुत अच्छा लगता था आपने आपको राजू के मुंह से रानी कहना,,, झुमरी कुछ बोल नहीं पाई दोनों के बीच खामोशी छाई रही,,, लेकिन अब राजू के मन में कुछ और चलने लगा था इस तरह के एकांत और सुनसान माहौल में जहां पर राजू झुमरी को ले जा रहा था वहीं पर झुमरी को चोदने का मन कर रहा था क्योंकि उस तरह के माहौल में एक खूबसूरत लड़की की चुदाई करना बहुत ही ज्यादा मदहोश कर देने वाला पल होता है,,,,, मैं जानता था ऐसे तो झुमरी इंकार नहीं करेगी लेकिन अगर वह खुद उस समय के लिए तैयार हो जाए तो और ज्यादा मजा आए इसलिए बातों का दौर शुरू करते हुए अपनी गरम बातों से वह‌झुमरी को गर्म करना चाहता था इसलिए वह बोला,,,)

सच कहूं तो झुमरी जितनी तुम कपड़ों में खूबसूरत लगती हो उससे भी ज्यादा खूबसूरत बिना कपड़ों की लगती हो एकदम नंगी हो जाने के बाद तो ऐसा लगता है कि स्वर्ग से कोई अप्सरा नीचे जमीन पर उतर आई हो,,,,

चलो रहने दो,,,,

नहीं सच कह रहा हूं झुमरी तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की मैंने आज तक नहीं देखा उस दिन खेत मैं तुम्हें चोदने के बाद मुझे महसूस हुआ कि वाकई में तुम से खूबसूरत कोई लड़की हो ही नहीं सकती तुम्हारे बदन का हर एक अंग इतना मस्त तराशा हुआ है कि पूछो मत तुम्हारे बदन के हर कोने से रस टपकता है,,,,।
(राजू की इस तरह की बातें जो मेरी को अच्छी लग रही थी आखिरकार वह भी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी और ऐसे में एक जवान लड़का एक लड़की की तारीफ और वह भी इस तरह के गंदे शब्दों में करे तो वाकई में लड़की की दिलचस्पी बढ़ ही जाती है,,,, फिर भी जानबूझकर नाटक करते हुए झुमरी बोली,,,)

अभी इस तरह की बातें करना जरूरी है क्या,,,


क्यों नहीं इस तरह का एकांत हम दोनों को कहां मिल पाता है इस तरह की बातें करने का समय कहां मिलता है,,, आज मौका भी है दस्तूर भी है तो क्यों ना इस तरह की बातें कर लिया जाए सच में झुमरी तुम्हारी बुर इतनी कसी हुई है कि पूछो मत,,, तुम्हें पता है मर्दों को सबसे ज्यादा अच्छा क्या लगता है,,,

क्या,,,?(अपनी कसी हुई बुर का जिक्र राजू के मुंह से सुनकर झुमरी के तन बदन में हलचल सी मच आने लगी थी इसलिए वह धीमे से मदहोशी भरे स्वर में बोली थी,,)

लड़कियों की कसी हुई बुर जिस में लंड डालने पर पता चले कि वाकई में वह किसी संकरे चीज में जा रहा है ऐसी जगह पर जहां पर एक उंगली तक जाने में मुश्किल हो,,,,
(इस तरह की गंदी बातें सुनकर झुमरी के मन में कुछ कुछ होने लगा था उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी आज तक इतनी गंदी बातें तुम अपनी सहेलियों के मुंह से भी नहीं सुनी थी जितनी गंदी बात राजू उससे कर रहा था,,, राजू बिना रुके अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) कसम से झुमरी तुम्हारी बुर नहीं एक खूबसूरत संकरा गुफा है जिसमें जाने के लिए दुनिया का हर मर्द धड़कता है मेरी किस्मत इतनी अच्छी थी कि पहला मौका मुझे मिला और यह मौका मैं जिंदगी भर लेना चाहता हूं मैं किसी और को उस गुफा में जाने नहीं दूंगा वह गुफा सिर्फ मेरा है मेरा,,,(अपनी बुर को गुफा का नाम देने पर झुमरी मुस्कुरा रही थी उसे हंसी आ रही थी लेकिन बड़ी मुश्किल से वह अपने हंसी पर काबू करके बैठी हुई थी,,, वह राजू की बातों का मजा ले रही थी,,,) और हां तुम्हारी गांड बहुत लाजवाब है ना ज्यादा बड़ी ना ज्यादा छोटी एकदम सुगठित ऐसी गांड मुझे बहुत पसंद है तभी तो मैं तुम्हारा दीवाना हो गया था तुम्हें नहाते हुए देखकर सबसे पहली नजर मेरी तुम्हारी गांड पर ही गई थी और इतनी खूबसूरत गांड तो मैंने आज तक नहीं देखा था,,,,,।
(राजू कितनी गंदी बातों को सुनकर झुमरी उत्तेजित में जा रही थी उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में सिहरन सी होती हुई महसूस हो रही थी,,,, उसे उस दिन वाला वह पल याद आने लगा जब राजू उसकी दोनों टांगों के बीच आकर अपने मोटे और लंबे लंड को उसकी बुर में डालना शुरू किया था,,,, राजू का जादू उसकी बातों का असर झुमरी पर धीरे-धीरे छाने लगा था उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी और उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,) सच झुमरी मैं बहुत ज्यादा किस्मत वाला हूं जो तुम्हें चोदने का मुझे मौका मिला तुम्हारी बुर में पहली बार मेरा लंड गया है और मैं तुमसे शादी करके जिंदगी भर यह सुख लेना चाहता हूं,,,, बोलो झुमरी क्या तुम मुझसे शादी करोगी,,,

अगर तुमसे शादी ना करना होता तो मैं तुम्हें अपना तन ना सौंपती,,

हाय मेरी जान तुम्हारी यह बातें तो मुझे एकदम खुश कर देती है,,,, देखना जब हम दोनों की शादी होगी तो हम दोनों इसी तरह से रोज घूमने चलेंगे,,,,

(राजू की बातें सुनकर झुमरी बहुत खुश हो रही थी कि तभी सामने उसे झरना दिखाई दिया जो कि पहाड़ के बीच में से गिर रहा था या देखकर वो एकदम से खुश होते हुए बोली,,,)

वह देखो राजू झरना कितना खूबसूरत लग रहा है,,,

यही तो दिखाने के लिए तुमको यहां लाया हूं,,,

बाप रे इतनी भी खूबसूरत जगह होगी मैं तो कभी सोची भी नहीं थी,,,(इतना कहने के साथ ही बेल गाड़ी रुकी नहीं थी कि वह पहले ही नीचे उतर गई तो राजू बोला)
अरे संभल के,,,, चोट ना लग जाए,,,

अरे कुछ नहीं होगा,,,,,(इतना कहने के साथ ही झुमरी ऊंची नीची डगरिया से होते हुए ठीक झड़ने के सामने पहुंच गई जहां उसके सामने छोटा सा तालाब बना हुआ था और उसका पानी एकदम साफ था तालाब में सब कुछ स्वच्छ पानी में एकदम साफ नजर आ रहा था,,,,, राजू की बेल गाड़ी को खड़ी करके झुमरी के पास आ गया और झरने के नजारे को देखने लगा,,,, और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,,,)

कैसा लगा झुमरी,,,,

बहुत ही खूबसूरत राजू तुमने मुझे यहां लाकर एहसान की है मेरा तो नहाने का मन कर रहा है,,,,

तो रोका किसने है इसीलिए तो मैं तुम्हें यहां पर ले कर आया हूं अब ना जाने कब तुम्हें मौका मिले,,,

सच कह रहे हो राजू ऐसा मौका मैं अपने हाथ से जाने नहीं दूंगी,,,(इतना कहने के साथ ही झुमरी झरने से गिरे रहे पानी से बने तालाब में पैर रखकर अंदर जाने को हुई तो राजू उसका हाथ पकड़ कर,,, अपनी तरफ खींचते हुए बोला,,)



कपड़े पहन कर जाओगी तो मजा नहीं आएगा और वैसे भी कपड़े फिर सोचने वाली नहीं है वापस जाओगे कैसे गीले कपड़े में,,,

फिर,,,?(आश्चर्य से राजू की तरफ देखते हुए बोली)

फिर क्या अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर‌ जाओ बहुत मजा आएगा,,,
(राजू के मुंह से इतना सुनकर झुमरी एकदम से शर्मा गई और बोली,,,)

धत् पागल हो गए हो क्या बिना कपड़ों के में कैसे नहाऊंगी मुझे शर्म आती है,,,

अरे पगली अब मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है हम दोनों के बीच सबकुछ हो चुका है और वैसे भी मैंने तुम्हें पहले भी नंगी नहाते हुए देख चुका हूं इसलिए मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है और वैसे भी हम दोनों के सिवा इस सुनसान जगह पर कोई है भी तो नहीं इसलिए शर्माने की जरूरत नहीं है,,,,।

लेकिन फिर भी,,,,(राजू की बात सुनकर झुमरी का भी मन कर रहा था बीना कपड़े के नंगी होकर तालाब में जाकर नहाने का वह भी इस अनुभव को लेना चाहती थी,,, इसलिए कुछ सोचने के बाद वह एक बड़े से पत्थर के पीछे कहीं और थोड़ी देर बाद पत्थर के पीछे से एकदम नंगी बाहर निकली यह देखकर राजू का लंड एकदम से खड़ा हो गया पत्थर के पीछे कपड़े उतारने गई थी उसे नंगी देखकर राज्यों के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ गए और वह मुस्कुराते हुए बोला,,,)

यह हुई ना बात,,,,

(झुमरी भी मुस्कुरा रही थी खूबसूरत कुदरत के सौंदर्य का आनंद लेने के लिए वह अपने कपड़ों को त्याग चुकी थी और धीरे-धीरे तालाब के पानी में उतर रही थी तालाब का पानी ठंडा था क्योंकि गर्मी में राहत दे रहा था और एकदम साफ होने की वजह से सब कुछ साफ नजर आ रहा था झुमरी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी और जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी पानी की गहराई में उसका नंगा बदन डूबता चला जा रहा था और देखते ही देखते तालाब के पानी में उसकी खूबसूरत गांड डूब गई,,,, इसके बाद झुमरी झरने से गिर रहे हैं पानी में नहाने का आनंद लेने लगी उसे बहुत मजा आ रहा था कुदरत से गिरे हुए इस सुंदर से भरपूर जगह पर संपूर्ण नग्न अवस्था में नहाने का मजा ही कुछ और था बार-बार झुमरी राजू को भी तालाब में आज आने के लिए बोल रही थी लेकिन राजु अंदर जा नहीं रहा था तो झुमरी खुद तालाब के बाहर आने लगी और राजू को उसका हाथ पकड़कर अंदर की तरफ ले जाने लगी तो राजू भी तैयार हो गया और तुरंत अपने सारे कपड़े उतार कर वह भी महंगा हो गया तालाब के अंदर झुमरी और राजू दोनों पूरी तरह से नंगे ही थे राजू छाती जितने पानी में झुमरी को अपनी बाहों में लेकर,,, उसकी गोल गोल गांड पर अपना लौंडा रगड़ रहा था जिससे झुमरी एक बार फिर से मदहोश होने लगी थी राजू का लंड झुमरी की बुर में जाने के लिए तड़प रहा था,,,, अब राजू से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था इसलिए राजू झुमरी को तालाब के बाहर लेकर आया और,,, बड़े से पत्थर का सहारा लेकर उसे झुका दिया,,,, झुमरी के चेहरे से लग रहा था कि वह राजू के लंड को अपने बुर में लेने के लिए तड़प रही है इसलिए राजू भी बिना देर किए पीछे से अपने लंड को झुमरी के गुलाबी छेद में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया एक बार फिर से राजू के लंड को अपनी बाहों में लेकर झुमरी पूरी तरह से झूम गई वह बड़े से पत्थर का सहारा लेकर अपनी गाड़ी को हवा में उठाए राजू से चुदवा‌ रही थी,,,, यह दूसरा मौका था जब झुमरी राजू के साथ एकदम खुले में चुदाई का मजा ले रही थी झुमरी पर जवानी पूरी तरह से छाई हुई थी इसलिए राजू के लंड को अपनी बुर में लेते ही वह पूरी तरह से मस्त हो गई थी और गरमा गरम सिसकारी भरना शुरू कर दी थी,,,,,

ओहहहह राजू,,, आहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है राजू,,,,ओहहहहह

मुझे भी बहुत मजा आ रहा है मेरी रानी तुम्हें चोदने में बहुत मजा आता है और वह भी एक दम नंगी करके,,,,


आहहहह आहहहह थोड़ा धीरे राजू तुम्हारा बहुत मोटा है,,,

क्या मोटा है मेरी जान,,,,

तुम्हारा लंड,,,(झुमरी एकदम मदहोश होते हुए बोली)

ओहहहह मेरी रानी तुम्हारे मुंह से लंड शब्द कितना अच्छा लगता है,,,,आहहहह मेरा लंड मोटा है तो तुम्हारी बुर भी तो बहुत संकरी है,,, तुम्हारी पतली गली से कितने मुसीबत से गुजर रहा हूं,,,आहहहहह लेकिन तुम मजा बहुत दे रही हो,,,,आहहहहह

दोनों की गरमा गरम आह और सिसकारियां निकल रही थी इस वीराने में खूबसूरत जगह पर उन दोनों की मदमस्त कर देने वाली चुदाई और उनकी गर्मागर्म सिसकारियों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं था,,,, एक बड़े से पेड़ के नीचे बेल गाड़ी खड़ी थी चारों तरफ छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ यह जगह बहुत ही खूबसूरत लग रहा था राजू उसी तरह से झुकाकर झुमरी को चोद रहा था,,,,, दोनों के बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था दोनों को बहुत मजा आ रहा था,,,,, थोड़ी ही देर में राजू ने जगह और आसन बदलते हुए उसे बिठाकर हल्के से पीछे की तरफ झुका दिया और उसकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखकर अपने लंड को एक बार फिर से उसकी बुर में डाल दिया और इस बार बड़ी तेजी से चोदना शुरु कर दिया राजू का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से झुमरी की बुर की गहराई नाप रहा था,,,,
कुछ देर तक राजू इसी तरह से झुमरी की चुदाई करता रहा और फिर दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी है और दोनों एक साथ झड़ गए,,,, झुमरी को राजू ने कुछ ही दिनों में तीसरी बार चोदने का सुख दिया था जो मेरी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी इसके बाद झुमरी वापस उस बड़े से पत्थर के पीछे गई और अपने कपड़े पहन कर वापस आ जाए तब तक राजू भी अपने कपड़े पहन चुका था और बैलगाड़ी में जाकर बैठ गया था राजू झुमरी को लेकर गांव में पहुंच गया लेकिन गांव में घुसने से पहले ही झुमरी उतर गई थी ताकि किसी को कुछ भी पता ना चले,,,, अभी भी राजू के पास बहुत समय था इसलिए वह घर जाने की जगह गोदाम की तरफ चला गया था,,,

दूसरी तरफ हरिया घर के पीछे जंगली झाड़ियों को साफ कर रहा था और गुलाबी उसका हाथ बंटा रही थी कड़ी दुपहरी में काम करने की वजह से दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे इसलिए पेड़ की छांव में बैठ गए थे हरिया गुलाबी से बोला,,,।

गुलाबी बहुत दिन हो गए तेरी गुलाबी बुर में लंड नहीं डाला,,,

तो आज डाल दो,,,,

लेकिन तेरी भाभी आ गई तो,,,


इस समय भाभी सो रही होगी,,,

तो चल उसमें चलते हैं,,,(हरिया ने हाथ के इशारे से गुलाबी को घास फूस की बनी झोपड़ी में चलने के लिए बोला जहां पर बेल बांधा जाता था गुलाबी तैयार हो गई और दोनों कुछ ही देर में झोपड़ी के अंदर पहुंच गए एकदम दोपहर का समय था इसलिए सब लोग अपने अपने घरों में आराम कर रहे थे और यही सोचकर गुलाबी भी अपने भाई के साथ सुधारने के लिए तैयार हो गई थी क्योंकि समय उसकी भाभी भी आराम करती थी अंदर पहुंचते ही हरिया अपनी बहन को अपनी बाहों में लेकर उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया और साथ ही कुर्ती के ऊपर से ही उसकी चूची को दबाना शुरू कर दिया गुलाबी पल भर में एकदम गरम हो गई और अपने हाथ से ही अपने सलवार की डोरी खोलने लगी कुछ ही देर में गुलाबी अपने भाई की तरफ अपनी गांड कर के झुक गई और ढीली सलवार को हरिया अपने हाथों से नीचे घुटनों तक लाकर अपने धोती में से अपने खड़े लंड को निकाल लिया और अपनी बहन की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया दूसरी तरफ मधु जाग रही थी और सोची वह लोग थक गए होंगे इसलिए थोड़ा सा गुड और पानी लेकर पीछे की तरफ आ गई लेकिन दोनों कहीं नजर नहीं आ रहे थे तो वहां हैरान हो गई कि दोनों भाई कहां ,, वह वापस लौटने वाली थी कि तभी उसे कुछ आवाज सुनाई दी उसे समझ में नहीं आ रहा था की आवाज कैसी है वह आवाज की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी और जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी क्योंकि जिस तरह की आवाज आ रही थी वह उस आवाज को अच्छी तरह से पहचान दी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह आवाज आ कहां से,,, रही है तभी उसे इस बात का एहसास हुआ की झोपड़ी के अंदर से आवाज आ रही थी और वह धीरे-धीरे झोपड़ी की तरफ दबे कदमों से जाने लगी वह झोपड़ी के दरवाजे के सामने आने की बजाय दूसरी तरफ से देखना चाहती थी कि आखिरकार अंदर हो क्या रहा है,,,,, वह धीरे-धीरे झोपड़ी के बगल में पहुंच गई और वहां से जगह ढूंढने लगी अंदर की तरफ देखने कि आप उसे झोपड़ी के अंदर से आ रही गरमा-गरम सिसकारी की आवाज साफ सुनाई दे रही थी लेकिन बातचीत की आवाज बिल्कुल भी नहीं आ रही थी उस की उत्सुकता बढ़ने लगी थी लेकिन एक डर और शंका भी उसके मन में बैठ गया था और उसी शंका के निवारण के लिए वह जल्दी से एक जगह ढूंढ ली जहां से अंदर की तरफ देखा जा सकता था और वह उसी जगह से अंदर की तरफ देखने लगी और जैसे ही उसकी

नजरों ने अंदर के नजारे को देखा उसके तो होश उड़ गए उसको तो जैसे काटो तो खून नहीं इस तरह की हालत हो गई,,,,,।
अंदर जो कुछ भी हो रहा था उसे देखकर मधु की हालत खराब हो गई थी उसकी सांसे अटक गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी ननद गुलाबी झुकी हुई थी और ठीक उसके पीछे उसका पति उसकी कुर्ती को ऊपर उठाएं उसकी बुर में लंड डालकर चोदा रहा था यह क्या देख रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था एक भाई अपनी बहन को चोद रहा है उसे बहुत गुस्सा आ रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एकदम आग बबूला हो गई थी वह इसी समय दोनों को रंगे हाथ पकड़ लेना चाहती थी,,,, लेकिन उन दोनों के सामने जाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी वह साफ देख रही थी कि गुलाबी अपने ही भाई से चुदवाया कर बहुत मस्त हुए जा रही थी और हरिया भी उसकी कमर थामें अपनी कमर हिला रहा था,,,,, यह नजारा देखकर मधु की आंखों के आगे अंधेरा छा गया वह कुछ देर के लिए वहीं पर बैठ गई और अपनी सांसो को दुरुस्त करने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करेगा तेरे से उठी और वापस अपने कमरे में आकर खटिया पर बैठ कर रोने लगी,,,,।
 
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जैसे तैसे करके दिन गुजरने लगे थे,,,, राजू के घर वालों को इस बात की भनक तक नहीं लगी थी,, की राजू ने लाला की दी हुई बंदूक को घर में लाकर रखा है,,,,,, मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते की दीवार एक बार गिर जाने से दोनों मां-बेटे के लिए मर्यादा की दीवार लांघ कर आगे बढ़ना अब कोई बड़ी बात नहीं रह गई थी राजू और मधु अब आपस में छेड़छाड़ करने लगे थे दोनों एक दूसरे के अंगों को कभी पकड़ लेते थे दबा देते थे और ऐसा करने में दोनों को मजा भी आता था,,,, लेकिन मधु इस बात का बेहद ख्याल रखती थी कि उन दोनों की छेड़छाड़ उन दोनों की हरकतों का पता गुलाबी और हरिया को ना हो जाए,,,,।

ऐसे ही एक दिन मधु खाना बना रही थी गर्मी का मौसम था और सुबह का समय था लेकिन फिर भी चुल्हे के सामने बैठने की वजह से उसकी तपन से मधु के माथे से पसीना टपक रहा था वह तवे पर रोटियां सेक रही थी,,,, तभी राजू भी उधर आ गया तो ठीक सामने हरिया खटिया गिरा कर बैठा हुआ था और बीड़ी फुंक रहा था,,,, राजु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की सूचियां खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी है और ब्लाउज में ठीक से समा नहीं पाती हैं और ब्लाउज से बाहर आने के लिए हमेशा में चलती मचलती है,,,,,,, राजू खाना बना रही है अपनी मां के पास आते ही ठीक उसके सामने एकदम पास में बैठ गया और उसके ब्लाउज मे उठने जवानी के तूफान को देखते हुए बोला,,,,।

सुबह-सुबह अगर खरबूजा खाने को मिल जाए तो दिन बन जाता है,,,,।(मधु अपने बेटे के कहने का मतलब को और उसके नजर के सिधान को देखते ही शर्म आ गई और आंखों से ही वहां पर उसके पिता के होने का एहसास कराने लगी लेकिन राजू कहां मानने वाला था,,,, इस मामले में धीरे-धीरे निडर होता जा रहा था लेकिन मधु के लिए यह सब कुछ नया था इसलिए उसे घबराहट हो रही थी,,, खरबूजे वाली बात हरिया ने सुन लिया था और बीड़ी का कस खेंचते हुए बोला,,,,,)

अरे पहले जैसा कहां खरबूजा मिलता है,,,, अब तो उसमें मिठास ही नहीं होती,,,,

अरे नहीं पिताजी मैं जगह जानता हूं इतने अच्छे खरबूजे मिलते हैं बड़े-बड़े कि पूछो मत और एकदम रस से भरे हुए,,,,(अपनी मां की चूचियों की तरफ देखते हुए बोला,,,) मैं तो अब रोज खाता हूं,,,

अरे फिर घर के लिए भी लेता आ,,,,

जरूर पिता जी आपके लिए तो मैं खास लेकर आऊंगा क्योंकि मुझे मालूम है मुझे पसंद है तो तुम्हें भी जरूर पसंद आएगी,,,।

(अपने बेटे की बात को सुनकर मधु को घबराहट भी हो रही थी और उसकी बातें एकदम शर्म से पानी पानी कर देने वाली थी,,,, मधु इशारे में अपने बेटे को शांत रहने के लिए बोल रही थी लेकिन राजू शांत बैठने वाला नहीं था उसे साफ दिख रहा था कि उसकी मां की ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खुला हुआ था जिसकी वजह से उसकी गोल-गोल चूचियां कुछ ज्यादा ही बाहर को झलक रही थी,,,, इसलिए वह अपनी मां को उसके ब्लाउज की तरफ निर्देश करता हुआ धीरे से बोला,,,)

तुम्हारा खुला हुआ ब्लाउज का बटन देखकर मेरे पजामे का नाडा ढीला हो जाता है,,,,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर वह तुरंत अपनी छातियों की तरफ देखी और सच में ब्लाउज का बटन खुला देखकर रोटी को वैसे ही छोड़ कर अपनी ब्लाउज का बटन बंद करने लगे लेकिन हल्की सी आवाज हरिया के कानों तक पहुंच गई थी इसलिए वह बोला,,,)

अरे क्या ढीला हो गया है राजू,,,

अरे कुछ नहीं पता जी पजामे का नाडा बार-बार ढील‌ा हो जा रहा है,,,

अरे तो अपनी मां को दे दे ठीक कर देंगे,,,

मां की वजह से ही तो ढीला हो जा रहा है,,,,।
(इस बार मधु एकदम से झेंप गई वह तुरंत अपने पति की तरफ देखने लगी कि वह क्या प्रतिक्रिया देता है राजू की बात सुनकर लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था इसलिए बोला,,,)

ऐसा क्यों कह रहा है राजू,,,

अरे कहु ना तो और क्या करूं मां की वजह से ही तो सब कुछ हो रहा है,,,(पजामे में अपने खड़े लंड को हाथ से दबाते हुए,,,,) कितनी बार कहा हु की मेरा पजामा ठीक कर दो,,, लेकिन मां है कि मेरे पर ध्यान ही नहीं देती,,,

क्यों भाई मधु ऐसा क्यों कर रही हो तो तुम्हारा बेटा जवान हो गया है कमाने लगा है अब तो गांव भर में इसका नाम चर्चा में रहता है फिर भी इसे खुश नहीं कर पा रही हो,,,,
(हरिया औपचारिक रूप से बातें कर रहा था लेकिन संजू और मधु इस समय उसके कहने के मतलब को गलत अर्थ निकाल रहे थे इसलिए दोनों के बदन में अजीब सी हलचल सी हो रही थी,,,) करो उसका पैजामा ठीक तुम्हारी वजह से उसके पजामे का नाड़ा ढीला हो जा रहा है,,,,

सुन ली ना मा अब तो पिताजी ने भी तुम्हें इजाजत दे दिए हैं अब ठीक कर देना,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने पिताजी की तरफ देखते हुए ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चूची दबा दिया,,, सर्व डर और उत्तेजना के मारे मधु की हालत खराब होती जा रही थी उसकी पूर्व पानी छोड़ रही थी,,,, अपने बेटे की हरकत देखते हुए वह तुरंत अपने बेटे की तरफ देखकर आंख दिखाने लगी लेकिन राजू पर इसका बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा

था,,,, इसलिए मधु बोली,,)

चल अच्छा रहने दे शिकायत करने को खाना बन गया है खाना खाकर बेल गाड़ी लेकर जा,,,,

खिलाओगी तो क्यों नहीं खाऊंगा और रोटी तो अच्छे से फूलाओ तुम्हें तो पता ही है कि अच्छे से गर्म करने के बाद फुलाने के बाद ही खाने का मजा आता है,,,,।
(मधु अपने बेटे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी वह जानती थी कि उसका बेटा रोटी के बहाने उसकी बुर के बारे में बात कर रहा था जिसकी वजह से उसकी बुर से मदन रस टपक रहा था)

दिखाई नहीं दे रहा है तुझे फूल तो रही है बराबर,,,

मैं अंधा थोड़ी हूं कहां फूल रही है दिखाओ तो,,,,(इतना कहकर राजू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच देखने लगा और मधुर समझ गई कि वह क्या देखना चाह रहा है एकदम से शरमा गई और हरिया की तरफ देखने लगी कि कहीं वह यहां तो नहीं देख रहा है लेकिन वहां बीड़ी पीने में ही मस्त था ऐसा नहीं था कि राजू की हरकतों से अच्छी नहीं लग रही थी उसे राजू की हरकत बेहद उत्तेजित भी कर रही थी लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं उसके पति को भनक ना लग जाए,,,, इसलिए वह बेहद धीमें स्वर में बोली,,,)

राजू क्यों ऐसा कर रहा है जाकर बैठ जा मैं तुझे खाना देती हूं,,,

नहीं ऐसे नहीं पहले मुझे अपनी बुर दिखाओ,,,,(राजू भी अपने पिताजी की तरफ देखकर धीरे से बोला,,)

नहीं दिखाऊंगी,,,(गुस्से का नाटक करते हुए मधु अपने घुटने पर की साड़ी को ठीक करते हुए बोली)

यब तो मऐ यहां से हिलने वाला भी नहीं हूं,, देख रही हो,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी जगह से खड़ा हो गया और उसके खड़ा होते हैं उसके फायदा में भी बना तंबू एकदम से खूटे की तरह नजर आने लगा जिसे देखते ही मधु की बुर फुदकने लगी,,,) मेरी हालत कितनी खराब होती जा रही है तुम्हारी देखने के लिए,,,,
(राजू इस समय पूरी तरह से मस्ती के मूड में था और बार-बार अपने पिताजी की तरफ देख भी ले रहा था कि कहीं वह देख ना ले,,, अपने बेटे की हरकत की वजह से मधु के तन बदन में भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी वह भी मदहोश हो रही थी,,, लेकिन अपने पति की मौजूदगी में उसे डर लग रहा था,,, इसलिए वह तवे पर की फूली हुई रोटी चिमटी से पकड़ कर थाली में रखते हुए बोली,,)
राजू भैया तू क्या कर रहा है देख नहीं रहा तेरे पिताजी यहां बैठे हैं मुझे डर लग रहा है,,,,

डर कैसा मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लग रहा है देखना चाहती हो,,,(और इतना कहने के साथ ही अपने पिताजी की तरफ देखकर अपने पजामी को तुरंत एक हाथ से नीचे की तरफ सरकार कर अपने खड़े लंड को अपने मां को दिखाने लगा और साथ में अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसे तीन चार बार मुठिया भी दिया यह देख कर मधु एकदम से चौक गई और वह दांतो तले उंगली दबा ली उसकी बुर पानी से भर चुकी थी अपने बेटे की हरकत और उसकी हिम्मत को देखकर वह पानी पानी हुई जा रही थी राजू तुरंत एक झलक अपने लंड की दिखाने के बाद वापस पजामे को उपर कर लिया,,,, मधु बोली,,,।)

तू चाहता क्या है,,,

मुझे भी एक झलक अपनी बुर की दिखा दो,,,,

अभी,,,

तो क्या ऐसे ही मौके पर तो ज्यादा मजा आता है,,,

कुछ तो शर्म कर तेरे पिताजी यहीं पर बैठे हैं,,,,
(हरिया अपनी मस्ती में बीड़ी पर बीड़ी फूंक रहा था उसे उसकी पीठ पीछे क्या हो रहा है उसे बिल्कुल भी एहसास तक नहीं था,,,)

तो क्या हुआ मेने नहीं दिखा दिया,,, कहो तो एक बहाने से पिताजी के सामने ही तुम्हें कमरे में ले जाकर चोद दूं,,,

(अपने बेटे की बात सुनकर मैं तो एकदम से शर्मा गई और ‌ धीमे स्वर में बोली,,,)

तू मानेगा नहीं ना,,,,

मैं नहीं मानूंगा,,,
(अपने बेटे की जिद को देखकर मधु अपने पति की तरफ देखने लगी वह उन दोनों की तरफ पीठ करके बीड़ी पी रहा था इस समय वह अपने आप में पूरी तरह से मशगूल था ऐसा नहीं था कि मधु का मन ना कर रहा हो दिखाने का अपने बेटे की हरकत और उसकी हिम्मत को देखकर उसके लंड की झलक को देखकर उसका भी मन कर रहा था कि अपने बेटे को अपने रस से भरी हुई बुर दिखाएं,,, इसलिए वह भी अपने पति की तरफ नजर रखकर अपनी दोनों टांगों को हम कैसे फैला ली और सारी को टांगों के बीच से खोलकर अपनी बुर दिखाने लगी राजू तुरंत अपनी मां की दोनों टांगों के अंदर झांकने लगा लेकिन इस तरह से मजा नहीं आ रहा था इसलिए वह बोला,,,।)

ऐसे नहीं ऐसे दिखाई नहीं दे रहा,,,

फिर कैसे,,,( मधु परेशान होते हुए बोली,,,)

वैसे ही जैसे मैं खड़ा होकर दिखाया था,,,(राजू अपने पिताजी की तरफ देखते हुए बोला,,)

हाय दइया मुझसे यह ना होगा,,,(अपने पति की तरफ देखते हुए) पागल हो गया क्या तू,,,,


थोड़ी तो हिम्मत दिखाओ बहुत मजा आएगा,,,, जल्दी करो नहीं तो कोई आ जाएगा और फिर मैं आज आने वाला नहीं हूं वहीं बैठ के तुम्हें परेशान करते रहूंगा,,,,

राजू तू बहुत शैतान हो गया है,,,,

अब क्या करूं तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि शैतान बनना पड़ता है,,,,


अच्छा तू जा अभी बाद में दिखा दूंगी,,,

बाद में तो मैं देखूंगा भी और डाल भी दूंगा इसमें कहने वाली कोई बात नहीं है,,, लेकिन इस समय तो मैं सिर्फ देखना चाहता हूं,,,,,(अपने पिताजी की तरफ देखते हुए) देखो ना पिताजी का ध्यान यहां बिल्कुल भी नहीं है जल्दी से खड़ी होकर दिखा दो,,,,,

तू सच में बहुत शैतान हो गया है,,,, जरा सा भी डर नहीं है कि अगर कोई देख लिया तो क्या होगा,,,

अरे कुछ नहीं होगा,,,।
(मधु का मन भी मचल रहा था अपने बेटे को अपनी बुर के दर्शन कराने के लिए,,, लेकिन इसमें पकड़े जाने का डर भी था अगर ऐसे हालात में किसी ने देख लिया तो क्या होगा यह सोचकर वह घबरा भी रही थी और उत्सुक भी थी वह बार-बार अपनी पति की तरफ देख ले रही थी जो कि काफी देर से उन दोनों की तरफ ना तो ध्यान दे रहा था और ना ही देख रहा था यही सही मौका भी था मधु के लिए इसलिए वह भी बिना कुछ बोले धीरे से खड़ी हुई और अपनी मां को इस तरह से खड़ी होता देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी लंड में उबाल मारने लगा,,,, कोई देख ना ले इस बात की फिक्र राजू को भी थी इसलिए वह अपने पिता की तरह बार-बार देख ले रहा था और दरवाजे की तरफ भी नजर डाल दे रहा था लेकिन दरवाजा बंद था और अंदर से कड़ी लगी हुई थी इसलिए बाहर से किसी के भी आने की आशंका और डर बिल्कुल भी नहीं थी,,,।

मां बेटे दोनों उत्सुक और व्याकुल नजर आ रहे थे बेटा देखने के लिए और मां दिखाने के लिए दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,, राजू की आंखें एकदम चौकन्नी थी मधु के मन में घबराहट भी थी और जिस तरह की हरकत बदलने हो रही थी उसके चलते मधु की बुर से काम रस टपक रहा था,,,, सांस इतनी तेजी से चल रही थी कि मधु की भारी-भरकम छातियां ऊपर नीचे हो रही थी जो कि एक अलग नशा भर रही थी ,,, धीरे-धीरे साड़ी को ऊपर उठाने का समय मधु के पास बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह तुरंत अपनी साड़ी को पकड़ी और एक झटके से अपनी कमर तक उठा दी और साड़ी को कमर तक उठाने के बाद जो नजारा नजर आया,,,, उसे देखकर राजू की आंखों में नशा छा गया और लंड में हलचल होने लगी जो की पूरी तरह से अकड़ गया राजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि एक बार साड़ी ऊपर करने के बाद तुरंत उसकी मां साड़ी नीचे गिरा देगी इसीलिए वह तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी दो उंगलियों को अपनी मां की खुली हुई बुर पर रखकर उसके काम रस को अपनी उंगली पर लगा लिया यह इतनी जल्दी हुआ कि मधु को भी इस बात का एहसास तक नहीं हुआ लेकिन जब तक उसे पता चलता तब तक देर हो चुकी थी मधु साड़ी अपने नीचे गिराती इससे पहले ही राजू अपनी वह दो उंगलियों को अपने होठों से लगाकर उसका रस जीभ से चाटते हुए बोला,,,)

वाह अब आया ना स्वाद,,,,,
(अपने बेटे की हरकत की वजह से मधु एकदम से जीत गई थी इसलिए तुरंत वह अपनी साड़ी को कमर से नीचे गिरा दी और एक खूबसूरत नजारे पर पर्दा गिरा दी अपने बेटे की हरकत और उसकी बात पर मधु शर्मा कर सिर्फ इतना ही बोल पाई,,,)

बेशर्म कहीं का,,,,
(लेकिन अपने बेटे के द्वारा कही गई बात को हरिया सुन लिया था इसलिए वह बोला)

अरे किस में आ गया स्वाद,,,,

खाने में पिताजी नमक कम था ना मां ने नमक डाल दिया एकदम स्वादिष्ट बना है खाना,,,, आओ आप भी खाइए पहला हक तो आपका ही है,,, उसके बाद झूठा खाने का मजा ही कुछ और है,,,


यह कैसी बातें कर रहा है राजू तू खा ले मैं बाद में खा लूंगा,,,
(हरिया अपने बेटे की बात को बिल्कुल भी समझ नहीं पाया था लेकिन मधु अपने बेटे की कहीं और एक बात को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,,)

भाभी दरवाजा तो खोलो,,,

जा राजू दरवाजा खोल दे तेरी बुआ आ गई है,,,
(इतना सुनते ही राजू अपनी जगह से उठकर गया और दरवाजा खोल दिया अंदर आते ही गुलाबी अपनी भाभी से बोली,,,)

भाभी घर के पीछे देख कर काम करना वही मैंने सांप देखी हूं,,,

क्या सच में,,,?

हां भाभी बहुत लंबा था,,,,


वह तो होगा ही ना घर के पीछे कितना झाड़ी झंकार है इनसे कितनी बार कहीं हूं कि सब काट कर समतल कर दो लेकिन सुनने का नाम ही नहीं लेते कहीं किसी को काट लिया तब समझ में आएगा,,,

कहां देखी थी गुलाबी,,,(हरिया गुलाबी की तरफ देखते हुए बोला)

वहीं जहां बेल बांधते हैं,,,,

ठीक है फिर मैं आज सारा काम छोड़ कर वहां की सफाई कर देता हूं,,,,

हां ये ठीक रहेगा भैया,,,,,,,,

राजू खाना खाकर अपनी मां की तरफ देख कर मुस्कुरा कर चला गया,,,,, एक बात तो मधु भी मानती थी कि उसके बेटे ने उसके जीवन में उमंग भर दिया था,,,,,,।

राजू बेल गाड़ी लेकर चल पड़ा था तभी उसे ख्याल आया कि क्यों ना आज झुमरी को अपने साथ घूमने ले चले क्योंकि वह भी तो यही चाहती थी,,,,,,, राजू अभी यही सोच रहा था कि सामने से उसे झुमरी आती हुई दिखाई दी और उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,, झुमरी भी राजू को देख ली थी इसलिए उसके चेहरे पर भी खुशी साफ झलक रही थी,,,, खेत में कपड़े धोने

के बहाने,, जिस तरह की चुदाई राजे ने उसकी किया था अभी तक इस बारे में सोच कर उसके बदन में सिहरन सी दौड़ जाती थी,,,,, झुमरी बैलगाड़ी के बहुत करीब आ गई थी इसलिए मुस्कुराते हुए राजू झुमरी से बोला,,,।

चलोगी झुमरी सैर पर,,,

कहां घूमाओगे,,,,


जहां तुम कहो,,,

बाजार चलोगे,,,,,

तुम कहो वहां ले चलूंगा,,,,

बाजार में छोला चाट समोसे खिलाने पड़ेंगे,,,

तुम्हें क्या लगता है मैं खर्चे से डर जाऊंगा,,,,

तुम्हारे साथ समय बिताने के लिए तो मैं कुछ भी कीमत चुकाने को तैयार हूं,,,,

ओहहह हो,,, क्या बात है,,,, फिर चलो मैं तैयार हूं लेकिन जल्दी आना,,,,

अरे एकदम जल्दी,,,,

( झुमरी तुरंत बैलगाड़ी में जाकर बैठ गई और राजू निकल गया झुमरी को लेकर,,,,, दोनों के बीच प्यार भरी वार्तालाप हो रही थी,,,,, थोड़ी ही देर में राजू झुमरी को लेकर बाजार पहुंच गया,,,, बाजार में चहल-पहल ज्यादा थी,,, झुमरी तुरंत समोसे चाट की दुकान पर पहुंच गई,,,,,,,, बाजार में आना-जाना झुमरी का बहुत ही कम ही होता था,,यहां तक कि ना के ही बराबर कभी कोई खास मौके पर कपड़े खरीदने होते तो वह बाजार आती थी लेकिन कुछ सालों से वह बाजार का मुंह तक नहीं देखी थी इसलिए बाजार में आकर वह बहुत खुश नजर आ रही थी,,,, पहली बार वह इतनी ज्यादा भीड़ भाड़ बाजार में देख रही थी लोग आ रहे थे जा रहे थे सबके चेहरे पर खुशी थी कोई कपड़े खरीद रहा था कोई चूड़ियां खरीद रहा था कोई सब्जियां खरीद रहा था कोई घर का राशन खरीद रहा था बाजार में आने का यही एक फायदा होता है कि यहां पर भात भात के लोगों से मिलने का मौका मिल जाता है,,,,,,।

समोसे की दुकान पर जाते ही राजू ने समोसे और चाट खरीद कर,, झुमरी को दे दिया और झुमरी बड़े चाव से खाने लगी,,,, झुमरी को देखकर तुरंत उसे उस दिन वाली बात याद आ गई जब इसी तरह से वह अपनी मां को वेद के वहां ले जाते समय रास्ते में इसी तरह से बाजार में रोककर चाट और समोसा खिलाया था और उसकी खूबसूरत बदन को भोगा था,,,, झुमरी का खूबसूरत चेहरा राजू के दिल में बस गया था राजू झुमरी से बेहद प्यार करता था और उसके खूबसूरत बदन को भोग भी चुका था इसलिए फिर से उसको चोदने में राजू को ज्यादा उतावल‌ नहीं था वह जानता था कि भी उसके कहने पर किसी भी समय झुमरी उसे करने देगी आखिरकार उसे भी तो एक मर्द की जरूरत है यह राजू ने खेतों के बीच झुमरी की चुदाई करते हुए भांप लिया था,,,

थोड़ी ही देर में झुमरी नहीं चाट और समोसे का स्वाद ले चुकी थी आज पेट भर कर समोसा और चाट खाई थी झुमरी पानी पीने जा रही थी तो इससे पहले ही राजू उसी दुकान से गरमा गरम जलेबी या ले लिया और उसे पानी पीने से रोकते हुए बोला,,,।

ऐसे नहीं झुमरी जलेबी खा लो फिर पानी पीना मीठा खाने के बाद पानी पीने का मजा ही कुछ और होता है और वैसे भी गर्मी बहुत है,,,

हां तुम सच कह रहे हो गर्मी भी बहुत है और चाट में मिर्चा भी बहुत था देख नहीं रहे हो पसीने से भीग गई हुं,,,, नहाने को मिल जाता तो मजा आ जाता,,,

तो इसमें क्या हो गया यही नल के नीचे बैठ कर नहा लो,,,

धत्,,,, यहां की बात नहीं कर रही हो मैं तुम्हारी तरह पागल नहीं हूं कि सबके सामने बैठकर अपने बदन की नुमाइश करु,,,

तुम्हारे नुमाइश करने की अदा पर पर तो मैं पागल हो गया हूं,,, ना तुम्हें नहाता हुआ देखता और ना तुमसे प्यार होता तो आज मैं तुम्हारे पीछे दीवानों की तरह इधर-उधर घूमता ना रहता,,,,


अच्छा तो यह बात है अगर मेरे पीछे घूमना तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है तो तुम जा सकते हो,,,

अरे नहीं नहीं मेरी रानी तुम्हारे पीछे तुम्हें जिंदगी भर घूमते रहूंगा,,, लो अब गुस्सा मत करो जलेबी खाओ,,,(इतना कहते हुए राजू कागज के पड़ीका में से जलेबी लेकर झुमरी को थमाने लगा और झुमरी भी मुस्कुराते हुए जलेबी लेकर खाने लगी,,,, इसके बाद पानी पीकर कुछ देर तक दोनों बाजार में इधर-उधर घूमते रहे राजू झुमरी को बहुत कुछ दिलवाना चाहता था लेकिन झुमरी घर पर क्या कहेगी इसलिए कुछ खरीदी नहीं,,,,,,, धीरे-धीरे एकदम दोपहर हो गई थी गर्मी का महीना होने की वजह से धूप बड़े जोरों की पड़ रही थी दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,,, राजू झुमरी को लेकर फिर से उसे गांव की ओर निकल गया था लेकिन गांव अभी बहुत दूर था और झुमरी को पसीने से तरबतर होता देखकर राजू दूसरी तरफ बैलगाड़ी को घुमा लिया था,,, किसी अनजान सड़क पर बैलगाड़ी को जाता हुआ देखकर,,, झुमरी बोली,,,


कहां ले जा रहे हो,,,

तुम्हें बहुत खूबसूरत जगह पर ले जा रहा हूं तुम देखोगी तो देखती रह जाओगी,,,

अरे ऐसी कौन सी जगह है जहां पर ले जा रहे हो और मैं देखी नहीं हूं,,,

तुम अभी बहुत कुछ नहीं देखी हो मेरी रानी,,,
(जब भी राजू झुमरी को मेरी रानी चाहता था तब तक झुमरी के तन बदन में हलचल सी हो जाती थी उसे बहुत अच्छा लगता था आपने आपको राजू के मुंह से रानी कहना,,, झुमरी कुछ बोल नहीं पाई दोनों के बीच खामोशी छाई रही,,, लेकिन अब राजू के मन में कुछ और चलने लगा था इस तरह के एकांत और सुनसान माहौल में जहां पर राजू झुमरी को ले जा रहा था वहीं पर झुमरी को चोदने का मन कर रहा था क्योंकि उस तरह के माहौल में एक खूबसूरत लड़की की चुदाई करना बहुत ही ज्यादा मदहोश कर देने वाला पल होता है,,,,, मैं जानता था ऐसे तो झुमरी इंकार नहीं करेगी लेकिन अगर वह खुद उस समय के लिए तैयार हो जाए तो और ज्यादा मजा आए इसलिए बातों का दौर शुरू करते हुए अपनी गरम बातों से वह‌झुमरी को गर्म करना चाहता था इसलिए वह बोला,,,)

सच कहूं तो झुमरी जितनी तुम कपड़ों में खूबसूरत लगती हो उससे भी ज्यादा खूबसूरत बिना कपड़ों की लगती हो एकदम नंगी हो जाने के बाद तो ऐसा लगता है कि स्वर्ग से कोई अप्सरा नीचे जमीन पर उतर आई हो,,,,

चलो रहने दो,,,,

नहीं सच कह रहा हूं झुमरी तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की मैंने आज तक नहीं देखा उस दिन खेत मैं तुम्हें चोदने के बाद मुझे महसूस हुआ कि वाकई में तुम से खूबसूरत कोई लड़की हो ही नहीं सकती तुम्हारे बदन का हर एक अंग इतना मस्त तराशा हुआ है कि पूछो मत तुम्हारे बदन के हर कोने से रस टपकता है,,,,।
(राजू की इस तरह की बातें जो मेरी को अच्छी लग रही थी आखिरकार वह भी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी और ऐसे में एक जवान लड़का एक लड़की की तारीफ और वह भी इस तरह के गंदे शब्दों में करे तो वाकई में लड़की की दिलचस्पी बढ़ ही जाती है,,,, फिर भी जानबूझकर नाटक करते हुए झुमरी बोली,,,)

अभी इस तरह की बातें करना जरूरी है क्या,,,


क्यों नहीं इस तरह का एकांत हम दोनों को कहां मिल पाता है इस तरह की बातें करने का समय कहां मिलता है,,, आज मौका भी है दस्तूर भी है तो क्यों ना इस तरह की बातें कर लिया जाए सच में झुमरी तुम्हारी बुर इतनी कसी हुई है कि पूछो मत,,, तुम्हें पता है मर्दों को सबसे ज्यादा अच्छा क्या लगता है,,,

क्या,,,?(अपनी कसी हुई बुर का जिक्र राजू के मुंह से सुनकर झुमरी के तन बदन में हलचल सी मच आने लगी थी इसलिए वह धीमे से मदहोशी भरे स्वर में बोली थी,,)

लड़कियों की कसी हुई बुर जिस में लंड डालने पर पता चले कि वाकई में वह किसी संकरे चीज में जा रहा है ऐसी जगह पर जहां पर एक उंगली तक जाने में मुश्किल हो,,,,
(इस तरह की गंदी बातें सुनकर झुमरी के मन में कुछ कुछ होने लगा था उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी आज तक इतनी गंदी बातें तुम अपनी सहेलियों के मुंह से भी नहीं सुनी थी जितनी गंदी बात राजू उससे कर रहा था,,, राजू बिना रुके अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) कसम से झुमरी तुम्हारी बुर नहीं एक खूबसूरत संकरा गुफा है जिसमें जाने के लिए दुनिया का हर मर्द धड़कता है मेरी किस्मत इतनी अच्छी थी कि पहला मौका मुझे मिला और यह मौका मैं जिंदगी भर लेना चाहता हूं मैं किसी और को उस गुफा में जाने नहीं दूंगा वह गुफा सिर्फ मेरा है मेरा,,,(अपनी बुर को गुफा का नाम देने पर झुमरी मुस्कुरा रही थी उसे हंसी आ रही थी लेकिन बड़ी मुश्किल से वह अपने हंसी पर काबू करके बैठी हुई थी,,, वह राजू की बातों का मजा ले रही थी,,,) और हां तुम्हारी गांड बहुत लाजवाब है ना ज्यादा बड़ी ना ज्यादा छोटी एकदम सुगठित ऐसी गांड मुझे बहुत पसंद है तभी तो मैं तुम्हारा दीवाना हो गया था तुम्हें नहाते हुए देखकर सबसे पहली नजर मेरी तुम्हारी गांड पर ही गई थी और इतनी खूबसूरत गांड तो मैंने आज तक नहीं देखा था,,,,,।
(राजू कितनी गंदी बातों को सुनकर झुमरी उत्तेजित में जा रही थी उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में सिहरन सी होती हुई महसूस हो रही थी,,,, उसे उस दिन वाला वह पल याद आने लगा जब राजू उसकी दोनों टांगों के बीच आकर अपने मोटे और लंबे लंड को उसकी बुर में डालना शुरू किया था,,,, राजू का जादू उसकी बातों का असर झुमरी पर धीरे-धीरे छाने लगा था उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी और उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,) सच झुमरी मैं बहुत ज्यादा किस्मत वाला हूं जो तुम्हें चोदने का मुझे मौका मिला तुम्हारी बुर में पहली बार मेरा लंड गया है और मैं तुमसे शादी करके जिंदगी भर यह सुख लेना चाहता हूं,,,, बोलो झुमरी क्या तुम मुझसे शादी करोगी,,,

अगर तुमसे शादी ना करना होता तो मैं तुम्हें अपना तन ना सौंपती,,

हाय मेरी जान तुम्हारी यह बातें तो मुझे एकदम खुश कर देती है,,,, देखना जब हम दोनों की शादी होगी तो हम दोनों इसी तरह से रोज घूमने चलेंगे,,,,

(राजू की बातें सुनकर झुमरी बहुत खुश हो रही थी कि तभी सामने उसे झरना दिखाई दिया जो कि पहाड़ के बीच में से गिर रहा था या देखकर वो एकदम से खुश होते हुए बोली,,,)

वह देखो राजू झरना कितना खूबसूरत लग रहा है,,,

यही तो दिखाने के लिए तुमको यहां लाया हूं,,,

बाप रे इतनी भी खूबसूरत जगह होगी मैं तो कभी सोची भी नहीं थी,,,(इतना कहने के साथ ही बेल गाड़ी रुकी नहीं थी कि वह पहले ही नीचे उतर गई तो राजू बोला)
अरे संभल के,,,, चोट ना लग जाए,,,

अरे कुछ नहीं होगा,,,,,(इतना कहने के साथ ही झुमरी ऊंची नीची डगरिया से होते हुए ठीक झड़ने के सामने पहुंच गई जहां उसके सामने छोटा सा तालाब बना हुआ था और उसका पानी एकदम साफ था तालाब में सब कुछ स्वच्छ पानी में एकदम साफ नजर आ रहा था,,,,, राजू की बेल गाड़ी को खड़ी करके झुमरी के पास आ गया और झरने के नजारे को देखने लगा,,,, और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,,,)

कैसा लगा झुमरी,,,,

बहुत ही खूबसूरत राजू तुमने मुझे यहां लाकर एहसान की है मेरा तो नहाने का मन कर रहा है,,,,

तो रोका किसने है इसीलिए तो मैं तुम्हें यहां पर ले कर आया हूं अब ना जाने कब तुम्हें मौका मिले,,,

सच कह रहे हो राजू ऐसा मौका मैं अपने हाथ से जाने नहीं दूंगी,,,(इतना कहने के साथ ही झुमरी झरने से गिरे रहे पानी से बने तालाब में पैर रखकर अंदर जाने को हुई तो राजू उसका हाथ पकड़ कर,,, अपनी तरफ खींचते हुए बोला,,)



कपड़े पहन कर जाओगी तो मजा नहीं आएगा और वैसे भी कपड़े फिर सोचने वाली नहीं है वापस जाओगे कैसे गीले कपड़े में,,,

फिर,,,?(आश्चर्य से राजू की तरफ देखते हुए बोली)

फिर क्या अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर‌ जाओ बहुत मजा आएगा,,,
(राजू के मुंह से इतना सुनकर झुमरी एकदम से शर्मा गई और बोली,,,)

धत् पागल हो गए हो क्या बिना कपड़ों के में कैसे नहाऊंगी मुझे शर्म आती है,,,

अरे पगली अब मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है हम दोनों के बीच सबकुछ हो चुका है और वैसे भी मैंने तुम्हें पहले भी नंगी नहाते हुए देख चुका हूं इसलिए मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है और वैसे भी हम दोनों के सिवा इस सुनसान जगह पर कोई है भी तो नहीं इसलिए शर्माने की जरूरत नहीं है,,,,।

लेकिन फिर भी,,,,(राजू की बात सुनकर झुमरी का भी मन कर रहा था बीना कपड़े के नंगी होकर तालाब में जाकर नहाने का वह भी इस अनुभव को लेना चाहती थी,,, इसलिए कुछ सोचने के बाद वह एक बड़े से पत्थर के पीछे कहीं और थोड़ी देर बाद पत्थर के पीछे से एकदम नंगी बाहर निकली यह देखकर राजू का लंड एकदम से खड़ा हो गया पत्थर के पीछे कपड़े उतारने गई थी उसे नंगी देखकर राज्यों के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ गए और वह मुस्कुराते हुए बोला,,,)

यह हुई ना बात,,,,

(झुमरी भी मुस्कुरा रही थी खूबसूरत कुदरत के सौंदर्य का आनंद लेने के लिए वह अपने कपड़ों को त्याग चुकी थी और धीरे-धीरे तालाब के पानी में उतर रही थी तालाब का पानी ठंडा था क्योंकि गर्मी में राहत दे रहा था और एकदम साफ होने की वजह से सब कुछ साफ नजर आ रहा था झुमरी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी और जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी पानी की गहराई में उसका नंगा बदन डूबता चला जा रहा था और देखते ही देखते तालाब के पानी में उसकी खूबसूरत गांड डूब गई,,,, इसके बाद झुमरी झरने से गिर रहे हैं पानी में नहाने का आनंद लेने लगी उसे बहुत मजा आ रहा था कुदरत से गिरे हुए इस सुंदर से भरपूर जगह पर संपूर्ण नग्न अवस्था में नहाने का मजा ही कुछ और था बार-बार झुमरी राजू को भी तालाब में आज आने के लिए बोल रही थी लेकिन राजु अंदर जा नहीं रहा था तो झुमरी खुद तालाब के बाहर आने लगी और राजू को उसका हाथ पकड़कर अंदर की तरफ ले जाने लगी तो राजू भी तैयार हो गया और तुरंत अपने सारे कपड़े उतार कर वह भी महंगा हो गया तालाब के अंदर झुमरी और राजू दोनों पूरी तरह से नंगे ही थे राजू छाती जितने पानी में झुमरी को अपनी बाहों में लेकर,,, उसकी गोल गोल गांड पर अपना लौंडा रगड़ रहा था जिससे झुमरी एक बार फिर से मदहोश होने लगी थी राजू का लंड झुमरी की बुर में जाने के लिए तड़प रहा था,,,, अब राजू से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था इसलिए राजू झुमरी को तालाब के बाहर लेकर आया और,,, बड़े से पत्थर का सहारा लेकर उसे झुका दिया,,,, झुमरी के चेहरे से लग रहा था कि वह राजू के लंड को अपने बुर में लेने के लिए तड़प रही है इसलिए राजू भी बिना देर किए पीछे से अपने लंड को झुमरी के गुलाबी छेद में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया एक बार फिर से राजू के लंड को अपनी बाहों में लेकर झुमरी पूरी तरह से झूम गई वह बड़े से पत्थर का सहारा लेकर अपनी गाड़ी को हवा में उठाए राजू से चुदवा‌ रही थी,,,, यह दूसरा मौका था जब झुमरी राजू के साथ एकदम खुले में चुदाई का मजा ले रही थी झुमरी पर जवानी पूरी तरह से छाई हुई थी इसलिए राजू के लंड को अपनी बुर में लेते ही वह पूरी तरह से मस्त हो गई थी और गरमा गरम सिसकारी भरना शुरू कर दी थी,,,,,

ओहहहह राजू,,, आहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है राजू,,,,ओहहहहह

मुझे भी बहुत मजा आ रहा है मेरी रानी तुम्हें चोदने में बहुत मजा आता है और वह भी एक दम नंगी करके,,,,


आहहहह आहहहह थोड़ा धीरे राजू तुम्हारा बहुत मोटा है,,,

क्या मोटा है मेरी जान,,,,

तुम्हारा लंड,,,(झुमरी एकदम मदहोश होते हुए बोली)

ओहहहह मेरी रानी तुम्हारे मुंह से लंड शब्द कितना अच्छा लगता है,,,,आहहहह मेरा लंड मोटा है तो तुम्हारी बुर भी तो बहुत संकरी है,,, तुम्हारी पतली गली से कितने मुसीबत से गुजर रहा हूं,,,आहहहहह लेकिन तुम मजा बहुत दे रही हो,,,,आहहहहह

दोनों की गरमा गरम आह और सिसकारियां निकल रही थी इस वीराने में खूबसूरत जगह पर उन दोनों की मदमस्त कर देने वाली चुदाई और उनकी गर्मागर्म सिसकारियों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं था,,,, एक बड़े से पेड़ के नीचे बेल गाड़ी खड़ी थी चारों तरफ छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ यह जगह बहुत ही खूबसूरत लग रहा था राजू उसी तरह से झुकाकर झुमरी को चोद रहा था,,,,, दोनों के बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था दोनों को बहुत मजा आ रहा था,,,,, थोड़ी ही देर में राजू ने जगह और आसन बदलते हुए उसे बिठाकर हल्के से पीछे की तरफ झुका दिया और उसकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखकर अपने लंड को एक बार फिर से उसकी बुर में डाल दिया और इस बार बड़ी तेजी से चोदना शुरु कर दिया राजू का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से झुमरी की बुर की गहराई नाप रहा था,,,,
कुछ देर तक राजू इसी तरह से झुमरी की चुदाई करता रहा और फिर दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी है और दोनों एक साथ झड़ गए,,,, झुमरी को राजू ने कुछ ही दिनों में तीसरी बार चोदने का सुख दिया था जो मेरी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी इसके बाद झुमरी वापस उस बड़े से पत्थर के पीछे गई और अपने कपड़े पहन कर वापस आ जाए तब तक राजू भी अपने कपड़े पहन चुका था और बैलगाड़ी में जाकर बैठ गया था राजू झुमरी को लेकर गांव में पहुंच गया लेकिन गांव में घुसने से पहले ही झुमरी उतर गई थी ताकि किसी को कुछ भी पता ना चले,,,, अभी भी राजू के पास बहुत समय था इसलिए वह घर जाने की जगह गोदाम की तरफ चला गया था,,,

दूसरी तरफ हरिया घर के पीछे जंगली झाड़ियों को साफ कर रहा था और गुलाबी उसका हाथ बंटा रही थी कड़ी दुपहरी में काम करने की वजह से दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे इसलिए पेड़ की छांव में बैठ गए थे हरिया गुलाबी से बोला,,,।

गुलाबी बहुत दिन हो गए तेरी गुलाबी बुर में लंड नहीं डाला,,,

तो आज डाल दो,,,,

लेकिन तेरी भाभी आ गई तो,,,


इस समय भाभी सो रही होगी,,,

तो चल उसमें चलते हैं,,,(हरिया ने हाथ के इशारे से गुलाबी को घास फूस की बनी झोपड़ी में चलने के लिए बोला जहां पर बेल बांधा जाता था गुलाबी तैयार हो गई और दोनों कुछ ही देर में झोपड़ी के अंदर पहुंच गए एकदम दोपहर का समय था इसलिए सब लोग अपने अपने घरों में आराम कर रहे थे और यही सोचकर गुलाबी भी अपने भाई के साथ सुधारने के लिए तैयार हो गई थी क्योंकि समय उसकी भाभी भी आराम करती थी अंदर पहुंचते ही हरिया अपनी बहन को अपनी बाहों में लेकर उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया और साथ ही कुर्ती के ऊपर से ही उसकी चूची को दबाना शुरू कर दिया गुलाबी पल भर में एकदम गरम हो गई और अपने हाथ से ही अपने सलवार की डोरी खोलने लगी कुछ ही देर में गुलाबी अपने भाई की तरफ अपनी गांड कर के झुक गई और ढीली सलवार को हरिया अपने हाथों से नीचे घुटनों तक लाकर अपने धोती में से अपने खड़े लंड को निकाल लिया और अपनी बहन की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया दूसरी तरफ मधु जाग रही थी और सोची वह लोग थक गए होंगे इसलिए थोड़ा सा गुड और पानी लेकर पीछे की तरफ आ गई लेकिन दोनों कहीं नजर नहीं आ रहे थे तो वहां हैरान हो गई कि दोनों भाई कहां ,, वह वापस लौटने वाली थी कि तभी उसे कुछ आवाज सुनाई दी उसे समझ में नहीं आ रहा था की आवाज कैसी है वह आवाज की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी और जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी क्योंकि जिस तरह की आवाज आ रही थी वह उस आवाज को अच्छी तरह से पहचान दी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह आवाज आ कहां से,,, रही है तभी उसे इस बात का एहसास हुआ की झोपड़ी के अंदर से आवाज आ रही थी और वह धीरे-धीरे झोपड़ी की तरफ दबे कदमों से जाने लगी वह झोपड़ी के दरवाजे के सामने आने की बजाय दूसरी तरफ से देखना चाहती थी कि आखिरकार अंदर हो क्या रहा है,,,,, वह धीरे-धीरे झोपड़ी के बगल में पहुंच गई और वहां से जगह ढूंढने लगी अंदर की तरफ देखने कि आप उसे झोपड़ी के अंदर से आ रही गरमा-गरम सिसकारी की आवाज साफ सुनाई दे रही थी लेकिन बातचीत की आवाज बिल्कुल भी नहीं आ रही थी उस की उत्सुकता बढ़ने लगी थी लेकिन एक डर और शंका भी उसके मन में बैठ गया था और उसी शंका के निवारण के लिए वह जल्दी से एक जगह ढूंढ ली जहां से अंदर की तरफ देखा जा सकता था और वह उसी जगह से अंदर की तरफ देखने लगी और जैसे ही उसकी

नजरों ने अंदर के नजारे को देखा उसके तो होश उड़ गए उसको तो जैसे काटो तो खून नहीं इस तरह की हालत हो गई,,,,,।
अंदर जो कुछ भी हो रहा था उसे देखकर मधु की हालत खराब हो गई थी उसकी सांसे अटक गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी ननद गुलाबी झुकी हुई थी और ठीक उसके पीछे उसका पति उसकी कुर्ती को ऊपर उठाएं उसकी बुर में लंड डालकर चोदा रहा था यह क्या देख रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था एक भाई अपनी बहन को चोद रहा है उसे बहुत गुस्सा आ रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एकदम आग बबूला हो गई थी वह इसी समय दोनों को रंगे हाथ पकड़ लेना चाहती थी,,,, लेकिन उन दोनों के सामने जाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी वह साफ देख रही थी कि गुलाबी अपने ही भाई से चुदवाया कर बहुत मस्त हुए जा रही थी और हरिया भी उसकी कमर थामें अपनी कमर हिला रहा था,,,,, यह नजारा देखकर मधु की आंखों के आगे अंधेरा छा गया वह कुछ देर के लिए वहीं पर बैठ गई और अपनी सांसो को दुरुस्त करने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करेगा तेरे से उठी और वापस अपने कमरे में आकर खटिया पर बैठ कर रोने लगी,,,,।
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जिंदगी में जिस बारे में कभी कल्पना नहीं की थी और ना ही कभी सोची थी ऐसा दृश्य अपनी आंखों से देख कर,,, उसके पसीने छूट गए थे उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा था वह किसी भी तरह से अपने आप को संभालते हुए अपने कमरे तक आई थी और खटिया पर बैठ कर रोने लगी थी उसे अपने पति से और अपनी मेहनत से यह उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका पति पीठ पीछे इस तरह की गुल खिलाएगा और अपनी ही छोटी बहन के साथ रंगरेलियां मनाएगा,,,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, वह सोच में पड़ गई थी कि ऐसा कैसे हो गया गुलाबी तो अपने बड़े भाई की बहुत इज्जत करती थी सम्मान देती थी और हरिया भी उसे अपनी बेटी की तरह ही रहता था तो फिर दोनों में इस तरह के संबंध कब स्थापित हो गए,,,, मधु झोपड़ी के अंदर के दृश्य को देखकर इतना तो समझ गई थी कि यह रिश्ता नया नया बिल्कुल भी नहीं था वह काफी समय से चलता रहा था क्योंकि दोनों आपस में एकदम खुल चुके थे और अगर ऐसा है तो अब तक उसे दोनों के बीच शक क्यों नहीं हुआ दोनों की हरकतों का पता क्यों नहीं चला यही सोचकर मधु हैरान हुई जा रही थी,,,, उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था भाई-बहन के बीच इस तरह का रिश्ता कैसे हो सकता है,,,, बार-बार मधु की आंखों के सामने झोपड़ी वाला तेरे से नजर आ रहा था जब उसका पति अपनी बहन की कमर थामें उसकी बुर में लंड पर रहा था और गुलाबी भी बहुत मजा ले रही थी उसकी आंखों में बिल्कुल भी शर्म नजर नहीं आ रही थी बल्कि अपने भाई से चुदवाने का एक असीम सुख एक तृप्ति का एहसास उसके चेहरे पर नजर आ रहा था,,,,, गुलाबी अपनी राह कैसे भटक गई और उसका पति कैसे अपना धर्म और फर्ज भूल गया एक खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी आखिरकार उसके पैर क्यों डगमगा गए आखिरकार रोज रात को तो वह अपने पति को खुश कर देती थी जैसा वह चाहता था वैसा ही करती थी फिर ऐसा कौन सा कभी उसके प्यार में रह गया कि उसका पति अपनी ही बहन के साथ मुंह काला कर रहा है,,,,,,,,

मधु के अंतर्मन में विचारों का बवंडर उठ रहा था जिसमें से निकलने का कोई राह उसे नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था वह समझ नहीं पा रही थी कि कहां जाए क्या करें उसे बहुत गुस्सा आ रहा था अभी भी उसके आंखों से आंसू निकल रहे थे अपनी पति की बेवफाई के चलते वह यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और तो और एक भाई और बहन के बीच इस तरह के शारीरिक रिश्ते को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी वह अपने मन में ठान ली थी कि अभी दोनों घर पर आएंगे और दोनों को झोपड़ी वाली बात कहेंगी लेकिन फिर अपने मन में सोचने लगी कि उन दोनों से कहेगी क्या,,,, कैसे शुरुआत करेगी दोनों अपना मुंह काला जरूर कर रहे थे लेकिन शर्मिंदगी का अहसास मधु को रहा था,,,,,, मधु तुम दोनों से बात करने के नाम से ही शर्मा रही थी,,,, मधु बहुत गुस्से में थी अगर इस समय दोनों इधर आ गए होते तो शायद मधु उनसे जरूर सवाल-जवाब कर लेती हो ना होने का हो जाता,,, जैसे तैसे करके खटिया पर रोते रोते उसे नींद लग गई और वह कब सो गई उसे पता ही नहीं चला शाम को जब गुलाबी उसे उठाई तब जाकर उसकी नींद खुली लेकिन गुलाबी को देखकर उसके चेहरे के भाव एकदम से बदल गए,,,,,, गुलाबी से गुस्से में दोपहर वाली बात बोलने हीं जा रही थी कि तभी,,,, उसे राजू का ख्याल आ गया राजू का ख्याल आते ही अपने और अपने बेटे के बीच की उस रिश्ते के बारे में भी याद आ गया,,,,, जिस रिश्ते के बीच शारीरिक रिश्ते को देखकर वह गुलाबी को सवाल जवाब करने जा रही थी वो एकदम से खामोश हो गई,,, आखिरकार वह अभी तो उसी कश्ती में सवार थी,,, जिस कश्ती के गुलाबी और हरिया भी मुसाफिर थे,,,,,,,

क्या हुआ क्या सोच रही हो भाभी,,,,(गुलाबी के द्वारा हाथ पकड़कर हिलाने की वजह से मधु की तंद्रा भंग हुई और वहां एकदम से जैसे होश में आई हो इस तरह से हड़बड़ा कर गुलाबी की तरफ देखने लगी और अपने गुस्से को शांत करके बोली)

हो गई सफाई गुलाबी,,,

हां भाभी वो तो कब से हो गई मैं और भैया मिलकर पूरे पिछवाड़े की झाड़ी झंकडीयो को साफ कर दिए,,,
(गुलाबी की है बातें सुनकर मधु मन मे हीं बोली कि हां मैं देखी थी कि कैसे अपना पिछवाड़ा अपने भाई के सामने परोस कर मजा ले रहे थे,,,)

चल ठीक होगा अब जल्दी से घर की सफाई कर दे में खाना बनाने की तैयारी करती हुं,,,,(इतना कहकर मधु खटिया पर से उठने लगी वह एकदम सहज होकर गुलाबी से बात कर रही थी लेकिन अंदर ही अंदर बात चल रही थी गुलाबी को देखकर ही उसका दिल एकदम से जलने लगा था,,,, कभी-कभी ऐसा होता था कि जोर-जोर से चिल्ला चिल्ला कर गुलाबी से सब कुछ बता दे जो उसने अपनी आंखों से देखी थी लेकिन अपने आप को शांत कर के वह‌ अपनी और अपने बेटे के बीच के रिश्ते के बारे में सोचने लगती थी और यह सोच कर चिंतित हो जाती थी कि अगर उसे और उसके बेटे को बाहर का छोड़ो घर में ही किसी ने देख लिया तो क्या होगा,,,,, लेकिन तभी

उसकी आंखों की चमक बढ़ गई उसे ख्याल आया कि अगर वह गुलाबी से झोपड़ी के अंदर गुलाबी और उसके भैया के लिए जो कुछ भी हो रहा था उसे बता दे तो अगर भविष्य में किसी ने भी उसे और उसके बेटे को रंगे हाथ पकड़ भी लिया तो बात धरी की धरी रह जाएगी कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा क्योंकि वह खुद दोनों को रंगे हाथ पकड़ चुकी थी,,, ऐसा सोच कर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी लेकिन फिर भी जो कुछ भी उसने अपनी आंखों से देखी थी उसका दर्द उससे सहन नहीं हो रहा था,,,, इस बारे में वह मौका देकर गुलाबी से बात करना चाहती थी और वह बात करने के लिए कल का दिन है न कि की थी वह कल के दिन गुलाबी को नदी पर कपड़े धोने के लिए ले जाना चाहती थी और वहीं पर इस बारे में बहस करना चाहती थी और अपने लिए रास्ता भी साफ कर लेना चाहती थी,,, क्योंकि गुलाबी ने अपनी गर्म जवानी के चलते जो कुछ भी कर रही थी वह पाप तो था ही लेकिन पाप वह खुद भी कर रही थी क्योंकि जवानी के जोश में गुलाबी एक बार भटक सकती थी लेकिन वह तो उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी थी जहां पर सही गलत का फैसला करना सब कुछ उसके हाथ में ही था लेकिन फिर भी बदन की जरूरत और जवानी के जोश ने उसे भी बहका दिया था और वह अपने ही बेटे के साथ पाप लीला को कामलीला में बदल दी थी,,,,

खैर जैसे-तैसे मधु ने खाना बनाई और रात को सबके साथ मिलकर भोजन भी की इसके बाद वह अपने कमरे में चली गई लेकिन गुस्से के कारण बाहर या को अपने बदन पर हाथ नहीं लगानी थी और दर्द का बहाना करके सो गई,,,,
दूसरे दिन मधु अपने पति और गुलाबी की हरकतों पर नजर रखे हुए थे और धीरे-धीरे से पता चल रहा था कि वाकई में वह दोनों के बीच पहले से ही यह रिश्ता कायम हो चुका था क्योंकि जारी लगाते समय गुलाबी अपने बड़े भाई को देख कर मुस्कुरा ले रही थी और हरिया भी गुलाबी को देखकर मुस्कुरा भी ले रहा था और बेशर्मी दिखाते हुए धोती के ऊपर से अपने लैंड को दबा दे रहा था अपने पति की हरकत से मधु पूरी तरह से शर्मसार हुए जा रही थी क्योंकि इस बात का एहसास मधु को भी अच्छी तरह था कि गुलाबी से वह कई मायने में खूबसूरत और जवानी से लबालब भरी हुई है लेकिन फिर भी हरिया इतनी खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी पतली सी नाजुक सी गुलाबी के साथ मुंह काला कर रहा था इसीलिए मधु को गुस्सा भी आ रहा था,,,,।

थोड़ी ही देर में हरिया और राजू दोनों अपनी अपनी राह पर निकल गए और मधु गुलाबी से बोली,,,।

गुलाबी सारा काम छोड़ आज नदी पर कपड़े धोने चलना है,,,

ठीक है भाभी मैं भी अपने कुछ कपड़े ले लेती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपने कमरे में गई और अपने और राजू के भी कुछ कपड़ों को साथ में ले ली,,, गंदी कपड़ों का ढेरो अपने साथ में लेकर अपने कमरे से बाहर आई तो मधु बड़े गौर से से खूबसूरत चेहरे को देखने लगी यह देखकर गुलाबी शर्माते हुए बोली,,,।

क्या हुआ भाभी ऐसे क्यों देख रही हो पहले कभी मुझे देखी नहीं हो क्या,,,?

देखी तो हूं लेकिन यह भी देख रही हूं कि तेरे चेहरे की खूबसूरती में बदलाव आ रहा है अब तो मर्दों को अपनी तरफ रीझाने लायक हो गई है,,,
(अपनी भाभी की यह बात सुनते ही गुलाबी एकदम से शर्म आ गई और शर्म के कारण उसके गोरे गोरे गाल लाल हो गए और वह शरमाते हुए बोली)

क्या भाभी तुम भी मजाक कर रही हो,,,

मजाक नहीं कर रही हो सच कह रही हूं,,,, अब तेरी बुर चोदने लायक हो‌ गई है,,,,
(इस बार तो गुलाबी एकदम से शरमा गई और,, वह कुछ बोल नहीं पाई बस घर से बाहर निकल गए मधु उसकी बिजली ही चाल को देख रही थी उसकी गांड के उभार को देख रही थी पहली बार मधु का ध्यान उसके नितंबों के उभार पर गया था जो कि वाकई में अब चौड़ी होती जा रही थी,,,,, अरे देख कर वह‌मन में सोचने लगी कि यही देखकर उसका आदमी अपनी बहन पर बहक गया है,,, गुलाबी आगे-आगे चल रही थी और मधु पीछे पीछे मधु रास्ते में उसे बहस नहीं करना चाहती थी वहां पर पहुंचकर कपड़े धोते हुए उससे बात करना चाहती थी लेकिन अपने मन में यह सोचने लगी कि अगर गुलाबी का मन अपने ही बड़े भाई पर इस तरह से बह सकता है उससे अपनी जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही है तब तो वह राजू के साथ एक ही खटिया पर सोती है और राजू की मर्दाना ताकत से तो वह पूरी तरह से अवगत हो चुकी थी और राजू की हरकत को देखते हुए अब उसे शंका होने लगी थी कि क्या ऐसा तो नहीं कि राजू और गुलाबी के बीच में भी कुछ खिचड़ी पक गई हो,,,,, यह सोचकर मधु का दिमाग घूमने लगा था अब उसके मन में शंका के बादल घिरने लगे थे,,, अब तो उसे राजू के चरित्र को लेकर शंका होने लगी थी क्योंकि राजू भी बहुत पहले से उसके पीछे पड़ा हुआ था और इसीलिए उसके शंका करने का कारण और भी मजबूत होते जा रहा था वह सोच रही थी कि जब उसका बेटा अपनी मां के पीछे इस कदर उसे चोदने के लिए पड़ा था तब तो वह अपनी बुआ के साथ एक ही खटिया पर सोता था,,,, जब वह अपनी मां के साथ गंदी से गंदी हरकत कर सकता था तो क्या अपनी बुआ के साथ नहीं

किया होगा,,,, यह सोचते हैं मधु के दिमाग में राजू से जुड़ी पिछली कई घटनाएं घूमने लगी,,,, कुवे पर से पानी की बाल्टी खींचते समय उसकी मदद करने के बहाने उसके नितंबों पर अपने लंड की रगड़ महसूस करवाना,,, उसे प्यासी नजरों से घूरना किसी ने किसी बहाने उसके अंगों को स्पर्श करना और मधु को वह घटना याद आने लगी जब वह बेशर्मी दिखाते हुए शादी में ले जाते समय उसे गंदी गंदी बात कर रहा था और पत्थर के पीछे जब वह पेशाब करने का ही तो 1 बहाने से उसे देखने लगा था मधु को अभी भी याद था कि उस समय राजू ने उसकी नंगी गांड को देख लिया था और फिर घर के पीछे बेल को बांधते समय जिस तरह की हरकत किया था उसकी हरकत से उसकी दूर में भी पानी आ गया था इस बहाने से उसकी बुर पर हथेली रखकर रगड़ दिया था,,, औरत और वेद के वहां दवा दिलाने के बहाने रास्ते भर गंदी बातें करना और बरसात पर जाने की वजह से खंडहर के अंदर इस तरह की कामुक हरकत करना जिसकी वजह से वह खुद अपने आप को संभाल नहीं पाई थी वह अपने बेटे के आगे घुटने टेक दी थी उसकी चालाकी उसकी मर्दानगी और उसकी औरत को खुश करने की कला को देखकर मधु को शक होने लगा कि वह एक ही कमरे में एक ही खटिया पर सोती हुई अपनी बुआ को बख्शा होगा,,, क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे को भी अपने लंड की गर्मी शांत करने के लिए बुर की जरूरत थी जो कि उसकी बुआ जवान और खूबसूरत भी थी तो जरूर एक ही खटिया पर सोने का उसने फायदा उठाया होगा,,,, इन सभी सवालों का जवाब दो अब सिर्फ गुलाबी ही दे सकती है और इसी बारे में सोचते सोचते वह कब नदी पर पहुंच गए उसे पता ही नहीं चला,,,।
 
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मधु और गुलाबी दोनों नदी के किनारे पहुंच चुके थे दोपहर का समय था इसलिए नदी पर इस समय कोई भी नजर नहीं आ रहा था केवल वधू और गुलाबी थे मधु के मन में सवालों का बवंडर उठ रहा था वह मधु से सवाल जवाब करना चाहती थी,,, उससे पूछना चाहती थी कि आखिरकार ऐसा कैसे हो गया कैसे वापस जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाई और अपने ही बड़े भाई के साथ शारीरिक संबंध बना ली,,,, अपने ही सवाल का अपने आप ही जवाब देते हुए अपने मन में सोच रही थी कि हो सकता है कि शायद शादी की उम्र हो जाने के बावजूद भी अभी तक उसके हाथ पीले नहीं हुए हैं और यह शारीरिक इच्छा भी तो एक उम्र मैं पूरी तरह से विकसित हो जाती है शायद उसी के वजह से गुलाबी अपनी गुलाबी जवानी पर काबू नहीं कर पाई और अपने ही भाई के साथ हमबिस्तर हो गई,,,, कुछ भी हो पूछना तो जायज था वैसे मधु जिस तरह से अपने बेटे के साथ ही हमबिस्तर हो कर शारीरिक आनंद उठा रही थी उसे देखते हुए किसी भी सूरत में मधु से यह सवाल जवाब करना उचित नहीं था क्योंकि वह भी उसी कश्ती में सवार थी जिसमें गुलाबी भी बैठकर अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही थी,,,,।

वाह भाभी कितनी ठंडी हवा बह रही है मन कर रहा है कि खटिया बिछा कर यही सो जाऊं,,,।

लेकिन ऐसे अकेले में तो नींद तुझे आएगी नहीं खटिया पर कोई ना कोई तो होना चाहिए तेरी प्यास बुझाने के लिए,,,,(मधु गुलाबी पर व्यंग कसते हुए बोली और जवाब में गुलाबी शरमाते हुए बोली)

क्या भाभी तुम भी कभी भी मजाक करने लगती हो,,,

मजाक नहीं सही कह रही हूं तेरी उम्र हो चुकी है लंड लेने के लिए तेरी फैली हुई गांड देखकर इतना तो समझ में आता है कि तेरी बुर लंड खाने लायक हो गई है,,,

हाय भाभी कैसी बातें कर रही हो कोई सुन लेगा तो क्या सोचेगा,,,,

सोचेगा क्या वह भी समझ जाएगा कि गुलाबी रानी जवान हो गई है और अभी इन्हें लंड की जरूरत है तो वह भी तुम्हारे चक्कर में दिन रात घूमता रहेगा,,,,

भाभी लगता है कि,,, भैया ने रात भर तुम्हारी ली है,,,, इसलिए आज रंगीन मिजाज लग रहा है,,,,,,,

वह तो मेरी किस्मत है रात भर लेने के लिए तू भी अपनी किस्मत बना ले या फिर तेरी भी किस्मत जाग गई है कोई तो होगा तेरी दोनों टांगों को फैला कर तेरी बुर में लंड डालने वाला,,,,,

धत् भाभी,,,,, आज पता नहीं क्या खाकर आई हो,,,,
(ननद भाभी में इस तरह की मजाक अक्सर होती रहती थी इसलिए गुलाबी को अपनी भाभी की इस तरह की बातें सुनकर उसके पीछे का उद्देश्य बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था और वह पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरी हुई थी कि उसकी रंगरेलियो के बारे में उसकी भाभी को बिल्कुल भी पता नहीं है और इसीलिए वह कपड़ों का घर लेकर नदी के किनारे बड़े से पत्थर पर बैठ गई और खुद ही धोना शुरू कर दी मधु उससे 2 मीटर की दूरी पर अपनी कमर पर हाथ रखकर खड़ी होकर उसे ही देख रही थी और उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि इस समय उसकी ननद ही उसकी सौतन बनी हुई है,,,, ,,,

यह बात मैं तो अच्छी तरह से जानते थे कि उसके पति से ज्यादा मजा उसका बेटा दे रहा था अपनी पति के लंड से कहीं ज्यादा आनंद से अपनी बेटी के लंड से प्राप्त हो रहा था और कई मायनों में भी राजू का लंड उसके पिताजी से बेहतरीन था लंबाई में भी मोटाई में भी और मर्दाना ताकत में भी जो की औरतों की बुर में जाकर कुछ ज्यादा ही देर तक टिका रहता था ना कि कुछ ही मिनटों में ढेरों जाना यह राजू के पछ में बिल्कुल भी नहीं था इस बात को,,, मधु भली-भांति जानती थी लेकिन फिर भी हरिया उसका पति था भले ही उसे उसके बेटे जैसा संभोग सुख‌ वह नहीं दे पा रहा था लेकिन फिर भी एक पत्नी अपने पति को किसी गैर औरत से कभी नहीं बांट सकती और यही मधु के साथ भी हो रहा था वह अपने पति को अपनी ही ननंद से बांटना नहीं चाहती थी इसलिए तो वह मन ही मन गुलाबी को देखकर जल बुन रही थी लेकिन बात की शुरुआत कैसे की जाए इस बारे में उसे समझ में नहीं आ रहा था इसीलिए वह इधर-उधर की बातें कर रही थी लेकिन उसका मकसद यही था जो की गुलाबी समझ नहीं पा रही थी,,,, गुलाबी कपड़े धो रही थी इसलिए मधु भी ठीक उसके सामने जाकर बैठ गई और गंदे कपड़ों को लेकर धोना शुरू कर दी,,,,,, बात की शुरुआत करते हुए बोली,,,।

गुलाबी अब तेरे हाथ पीले करने पड़ेंगे तु अब पूरी तरह से जवान हो गई है वैसे मैं तेरे भी कुछ अरमान होंगे तेरे भी मन में कुछ हसरते होंगे जो कि इस उम्र में पूरी होनी चाहिए,,,,


नहीं भाभी मेरा बिल्कुल भी इरादा नहीं है इतनी जल्दी शादी करने का,,,, मैं आप लोगों को छोड़कर इतनी जल्दी नहीं जाना चाहती,,,,।

कब तक अपनी भैया से ही चुदवाती रहेगी,,,,,।
(ना चाहते हुए भी आखिरकार मधु के मुंह से निकल ही गया और अपनी भाभी की यह बात सुनकर गुलाबी एकदम से सन्न रह गई उसे काटो तो खून नहीं ऐसी हालत हो गई और वहां आश्चर्य से अपनी भाभी की तरफ देखने लगी और सच्चाई को अपने झूठ से ढकने की कोशिश करते हुए बोली)

यह कैसा मजाक है भाभी इस तरह का मजाक मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है,,,

चल अब रहने दे बातें बनाने को मैं सब जानती हूं तू अपने ही भैया से चुदवाती है,,,

किसने कहा आपसे मैं उसकी टांगे तोड़ दूंगी कौन है जो मुझे बदनाम करना चाहता है,,,,(इतना कहते ही गुलाबी अपनी जगह से खड़ी हो गई वह भी एकदम गुस्से में आ गई थी और वैसे भी सच कड़वा होता है सच सुन लेने के बाद गुलाबी अपने आप में बिल्कुल भी नहीं थी,,,,, मधु भी एकदम गुस्से में आ गई थी और वह भी अपनी साड़ी को कमर पर बांधते हुए खड़ी हो गई थी और वह गुस्से में बोली,,,)

कितना झूठ बोलेगी रे गुलबिया,,, तुझे शर्म नहीं आई मेरी ही सौतन बनने में ,,,, तुझे बिल्कुल भी लाज नहीं आई अपने ही भाई के लिए अपनी दोनों टांगें खोलने में,,,

बस भाभी बस मैं तुम्हारी इज्जत करती हूं तो इसका मतलब यह नहीं कि तुम मुझे बदनाम करती जाओ मेरे बारे में भला बुरा कहती जाओ,,,, मैं तुमसे पूछती हूं कि उसका नाम तो बताओ जिसने तुम्हारे कान भरे हैं,,,,छी छी, ऐसी गंदी हरकत कर ही नहीं सकती और इस बारे में तो कभी सोच ही नहीं सकती,,,,।

रंडी की शायद अपना घर छोड़ देती होगी लेकिन तू तो रंडी से भी बदतर काम की है,,,, और हां काश ऐसा हो जाता कि कोई मेरे कान भरे होते तो मैं जिंदगी में इस बात पर विश्वास नहीं करती लेकिन मैंने खुद अपने आंखों से देखी हूं,,,,
(इतना सुनकर गुलाबी की हालत खराब होने लगी और मधु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोलीं,,) घर के पीछे झोपड़ी में झाड़ीयो को साफ करने के बहाने जो तुम दोनों मिलकर कामलीला कर रहे थे मैं अपनी आंखों से देखी थी कैसे तुम दोनों मजे ले रहे थे और तू गुलाबी कितनी रंडी की तरह अपनी सलवार खोल कर झुक कर खड़ी थी और तेरा भाई तेरी गांड पकड़े कैसा लंड पर रहा था उसे भी बिल्कुल भी शर्म नहीं आई अपनी बहन के साथ मुंह काला करते हुए,,,,

(अब गुलाबी के पास अपने बचाव के लिए कुछ भी नहीं बचा था वह जान गई थी कि उसकी भाभी अपनी आंखों से देख चुकी है अब तो कुछ ऐसा ही लग रहा था कि शायद किसी ने उसके कान भरे हो लेकिन बात बिल्कुल साफ हो चुकी थी इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाई और फफक फफक कर रोने लगी,,,,,,,, गुलाबी की हालत एकदम खराब हो गई थी गुलाबी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें रोने के सिवा उसके पास और कोई रास्ता नहीं बचा था आखिरकार रंगे हाथ जो पकड़ी गई थी,,,,, क्योंकि मधु ने दोनों की रंगरेलियां का एकदम सही समय और स्थान बताई थी जो की पूरी तरह से सही था जो की जिसे झूठ लाया नहीं जा सकता था,,,, उसे रोता हुआ देखकर ‌ मधु भी एकदम गुस्से में आ गई थी वह,,, फिर से गुस्से में बोली,,,।)

अब बोल हरामजादी कुत्तिया तेरे पास और कोई बहाना बचा है,,,,,, या अभी भी मेरी बात मानने को तैयार नहीं है,,,,,।
(नदी के किनारे पर बड़े से पत्थर पर दोनों भाभी और ननद खड़ी थी ननंद अपनी गलती पकड़े जाने पर आंसू बहा रही थी और भाभी गुस्से में उसे देख रही थी,,, लेकिन गुलाबी मर्दों की संगत में जितनी ज्यादा निखर चुकी थी उतनी ज्यादा दिमाग की तेज भी हो चुकी थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जब उसकी चोरी पकड़ी गई है तो क्यों ना राजू के बारे में भी सच्चाई बता दे लेकिन वह कुछ कहती इससे पहले ही मधु जोर से बोली,,)

हरामजादी रंडी में कभी सोची नहीं थी कि तू इस तरह से मुझसे विश्वासघात करेगी,,,, मेरा ही बिस्तर तु बांट लेगी,,, अरे रंडी अगर इतनी ही तेरी बुर में आग लगी थी तो मुझे बता दी होती तेरी शादी कर दी होती इस तरह से मेरे संसार में तु आग तो ना लगाती,,,,, मुझे तो तेरे भाई पर भी गुस्सा आ रहा है कैसा धर्म पुरुष बनकर रहता है मुझे तो अभी भी अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वाकई में वह कुछ ऐसा कर सकते हैं और वह भी अपनी बहन के साथ अरे क्या कुछ नहीं दी मने ना होने के बावजूद भी रात को उनका साथ देती थी रोज लेने के बावजूद भी ना जाने किसी प्यास है कि बुझती ही नहीं,,,,।(गुलाबी कुछ बोल नहीं रही थी वह रोते हुए अपनी भाभी की कड़वी बातों का घूंट पी रही थी लेकिन अपने मन में कुछ सोच भी रहीं थी वह सारा दोष सारी बदनामी अपने सर पर नहीं लेना चाहती थी क्योंकि इसमें जितना हाथ उसका था उतना ही हाथ उसके बड़े भैया और उसके भतीजे राजू का भी था इसलिए वह इस कीचड़ में उन दोनों को भी घसीटना चाहती थी,,,,, मधु के मुंह से सच निकल रहा था लेकिन वह सच गुलाबी के कानों में शीशा की तरह पिघल रहा था,,,,) मुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम था कि तेरी बुर ईतनी प्यासी है वरना कसम से मैं खुद तेरे लिए लड़का ढूंढ थी और तेरी शादी करके तुझे विदा कर देती,,,,, यह तो चलो भगवान का शुक्र है कि मैंने अपनी आंखों से देखी अगर मेरी जगह कोई और देख लेता तो पूरे परिवार की बदनामी हो जाती,,,,

(गुलाबी कुछ बोल नहीं रही थी बस रोए जा रही थी,,,, इस बात की तसल्ली उसके मन में अभी भी थी कि पूरे परिवार में उसकी भाभी ही उसे खरी खोटी सुना सकती है बाकी ना तो राजू और ना तो हरिया उसे कुछ बोल सकते हैं क्योंकि दोनों भी इस खेल में पूरी तरह से शरीख है,,,, गुलाबी को इस तरह से खामोश खड़ी और रोती देखकर मधु का गुस्सा और बढ़ता जा रहा था इसलिए वह चिल्ला कर बोली,,)

हरामजादी अब कुछ बोलेगी भी या इसी तरह से रोती रहेगी,,,, मुझे तो अब शक होने लगा है अगर तू अपने बड़े भैया के साथ जुदवा सकती है तब तो बाजू पूरी तरह से जवान है और वहां तेरे साथ ही सोता है कहीं खटिया पर तू उसे भी नहीं छोड़ी होगी,,,, तुझे तो लंड चाहिए अपनी बुर में चाहे किसी का भी हो भाई का या भतीजे का तुझे तो अपनी प्यास बुझाने से मतलब है,,,,,बोल हरामजादी,,,(इतना कहते हुए वह गुलाबी के करीब गई और उसका बाल पकड़ ली और बोली,,,)
बोल रंडी राजू के साथ तो कुछ नहीं की है ना,,,,, की उसे भी बर्बाद कर दी,,,।
(गुलाबी को भी बहुत गुस्सा आ रहा था इस तरह की गंदी गालियां आज तक उसे किसी ने नहीं दिया था लेकिन आज अपनी भाभी के मुंह से गंदी गंदी गालियां सुनकर वह पूरी तरह से हैरान हो चुकी थी लेकिन वह जानती भी थी कि अगर किसी भी औरत के पति को कोई औरत अपना बनाना चाहेगी तो उसकी हालत होगी वरना इस बात से वह भी पूरी तरह से अवगत थी कि उसकी भाभी कभी भी अपने मुंह से गाली नहीं देती थी लेकिन आज तो उसकी भाभी बेहद गुस्से में थी और उसे गंदी गंदी गालियां दे रही थी गुलाबी के पास कोई रास्ता नहीं बचा था वह भी अपना आखिरी पत्ता खोलना चाहती थी ,,, अपना बचाव करना चाहती थी वह इस खेल में अकेली नहीं थी यह भी बताना चाहती थी इसलिए वह भी एकदम गुस्से में आकर अपने बाल पर से अपने भाभी का हाथ पकड़कर उसके हाथ को झटकते हुए बोली,,,)

बस भाभी बस बहुत हो चुका,,, जानना चाहती हो यह सब किसकी वजह से हुआ,,,, जानना चाहती हो कि मेरी बुर के साथ-साथ किसके लंड में ज्यादा आग लगी हुई थी ,,,, सुन पाओगी,,,,,,,,, तुम्हें सुनना ही होगा,,, यह जो कुछ भी हो रहा है उस में किसका हाथ है,,,

तुम्हारे बेटे राजु का,,,,
(इतना सुनते ही मधु के होश उड़ गए उसे अपने कान पर विश्वास नहीं हो रहा था वह आश्चर्य से गुलाबी की तरफ देख रही थी तो गुलाबी भी अपनी बात को दोबारा बोली,,,)

हां हां भाभी तुम्हारे बेटे राजू का हांथ है,,,,, उसके ही लंड में कुछ ज्यादा ही आग लगी हुई थी,,,,,

नहीं गुलाबी तू झूठ बोल रही है ऐसा नहीं हो सकता मेरा राजु ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता,,,,,,,(राजू की हरकत से मधु पूरी तरह से वाकिफ थी यहां तक कि राजू के साथ वह चुदाई का आनंद भी लूट चुकी थी लेकिन जानबूझकर गुलाबी के सामने चोकने का नाटक कर रही थी,,, क्योंकि अब उसके लिए यह जानना बहुत जरुरी हो गया था कि राजू उसी के पीछे इस तरह पागलों की तरह पडा था या पहले से ही वह औरतों के मामले में कामुक प्रव्रति का था और यह भी जानना चाहती थी कि राजू गुलाबी के मामले में किस तरह से शामिल है,,,,,,,, अपनी भाभी को इस तरह से अपने बेटे पर विश्वास करता देखकर गुलाबी के होठो पर हल्की सी मुस्कान आ गई और वह बोली,,,।

जिसे तुम सीधा साधा समझ रही हो ना भाभी वह पूरी तरह से मर्द बन चुका है उसकी करतूतो के बारे में सुनोगी तो तुम्हें विश्वास नहीं होगा,,,,,


तू झूठ बोल रही है ना गुलाबी मैं जानती हूं तु रंगे हाथ पकड़ी गई है ना इसलिए मेरे बेटे को फंसाना चाहती है,,,,

मैं क्या उसे फंसाऊंगी भाभी वह तो खुद मुझे बर्बाद कर चुका है,,,,


गुलाबी कुछ भी कहने से पहले 10 बार अच्छी तरह से सोच ले की तु क्या कह रही है,,,,( ‍ मधु गुस्से में बोली,,,,)

मैं एकदम से सोच-समझकर बोल रही हूं मैं अच्छी तरह से जानती हूं की अगर मैं आज चुप रह ही तो यह कलंक मेरे ही माथे पर हमेशा लगा रहेगा,,,,,, जो कुछ भी तुमने भाभी अपनी आंखों से देखी हो उसमें भैया और राजू दोनों का हाथ है,,,,।

नहीं गुलाबी नहीं,,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं हों सकता ने मान ही नहीं सकती कि राजू ऐसी नीच‌ हरकत कर सकता है,,,,

बस यही तो बात है भाभी ,,,,,,,, तुम्हें राजू के चरित्र पर विश्वास है लेकिन मेरी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा है जानना चाहती हो ।हसब शुरू कैसे हुआ किसकी वजह से हुआ,,,,,,।
(गुलाबी की आंखों में आंसू थे वह मधु की तरफ देख रही थी मधु भी हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,,, गुलाबी अपनी जगह पर बैठ गई थी,,,,, अपनी भाभी की तरफ ना देख कर वह नदी की तरफ देख रही थी,,,, अब तो मधु की भी उत्सुकता बढ़ चुके थे राजू के कारनामे के बारे में सुनने के लिए राजू के चरित्र के बारे में तो वह अच्छी तरह से जानती थी लेकिन जो‌ वह नहीं जानती थी वह गुलाबी के मुंह से सुनना चाहती इसलिए वह भी ठीक गुलाबी के सामने बड़े से पत्थर पर बैठ गई,,,,,, दोपहर का समय होने की वजह से चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था नदी के किनारे

गांव का कोई भी इंसान नहीं था इस समय नदी पर केवल गुलाबी और मधु ही थे दोनों भाभी और ननद,,, खुलासा कर रहे थे गुलाबी अपने आप को इस चक्रव्यूह में फंसा देखकर एक नया पाशा फेंकने जा रही थी जो कि पूरी तरह से उसके बचाव के लिए काफी था कि इस सारे काम रूपी चक्रव्यूह में वह सिर्फ मोहरे के रूप में उपयोग में ली जा रही थी,,,,,,,, अपने भाभी के द्वारा पकड़े जाने पर अपना राज फास होने पर गुलाबी सुबह-सुबह कर रो रही थी लेकिन अब इस चक्रव्यू से वह निकलना चाहती थी इसलिए अपने आंसुओं को पोछते हुए वह बोली,,,)

भाभी तुम जिसे सीधा साधा भोला भाला समझ रही हो हकीकत में वह ऐसा है नहीं राजू दूसरे लड़कों की तरह ही औरत बाज है बहुत जल्द ही उसकी गर्मी उफान मारने लगी मुझे तो इन सब के बारे में कुछ पता ही नहीं था,,,, मुझे इस कर्मकांड में खींचने वाला राजू भी है मैं भी उसे बहुत भोला-भाला सीधा-साधा समझती थी और मुझे उस पर नाच भी होता था कि मेरा भतीजा दूसरे लड़कों की तरह खराब चरीत्र का नहीं है,,,,


अरे आगे बोलेगी भी या पूरी महाभारत यहीं सुनाएगी यह सब शुरू कैसे हुआ यह बता,,,,


वही तो बता रही हु भाभी,,,, वो रात में कभी नहीं भूल सकती,,,,(अब गुलाबी अपनी बातों में नमक मिर्च लगाना शुरू कर दी थी किसी भी तरह से वह अपने आप को इस सारे खेल से बचाना चाहती थी यह जताना चाहती थी कि जो कुछ भी हो रहा है उसमें उसकी गलती बिल्कुल भी नहीं है,,,) आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था मुझे जोरो की पिशाब लगी हुई थी इसलिए मेरी नींद खुल गई कमरे में पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था कुछ भी नजर नहीं आ रहा था मैं धीरे से उठी और टटोलकर लालटेन तक पहुंच गई पास में ही दियासलाई रखी हुई थी मैं उससे भी टटोलकर उठा ली और दियासलाई को जैसे ही जलाई तो उसकी रोशनी में मुझे सामने कुछ खड़ा हुआ नजर आया कोई इंसान मैं तो एकदम से घबरा गई लेकिन दियासलाई के चलने की वजह से कमरे में रोशनी फैल चुकी थी और उस रोशनी में मुझे साफ दिखाई दिया कि जो परछाई मुझे दिख रही है वह और कोई नहीं बल्कि राजू है,,,, मैंने तुरंत लालटेन को उस दिया सलाई से जला दी और कमरे में रोशनी फैल गई अंधेरे में एकाएक रोशनी फैलने से राजू भी एकदम हक्का-बक्का रह गया था लेकिन उसकी हालत को देखकर मेरे तो एकदम होश उड़ गए,,,,

ऐसा क्या देख ली थी,,,?(मधु उत्सुकता दिखाते हुए बोली)

राजू,,, भाभी राजू उसकी हालत देखकर तो मैं चौक गई थी उसका पैजामा नीचे जमीन पर गिरा हुआ था और उसका,,, वो,,,,,मतलब,,,,वो,,,,(आगे बोलने में जानबूझकर गुलाबी शर्माने का नाटक कर रही थी यह देखकर मधु बोली,,,)

अब आगे बोलने में शर्मा क्यों रही है चुदवाते समय नहीं शर्म आती,,,

मतलब भाभी राजू का वो,,,ललल,,लंड,,, एकदम खड़ा था और राजू से अपने हाथ में लेकर हिला रहा था,,,,

क्या,,,(आश्चर्य से अपनी आंखों को चोड़ी करते हुए,,) यह क्या कह रही है गुलाबी,,,,

हां भाभी मैं सच कह रही हूं राजू की हालत देखकर मेरी हालत खराब हो गई मैं एकदम से घबरा गई थी,,, मैं घबराते हुए लेकिन थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,


राजू यह क्या कर रहा है तुझे शर्म नहीं आती यह सब करते हुए,,,, मेरी बात सुनकर राजू बिल्कुल भी नहीं घबराया और एकदम बेशर्मी दिखाते हुए पता है क्या बोला,,,।

क्या बोला,,,?(धड़कते दिल के साथ मधु बोली)

वह बोला भाभी मजा ले रहा हूं तुम भी आ जाओ वह तुम्हें मैं एक चीज दिखाता हूं,,,, मैं तो यह सुनकर एकदम हैरान रह गई मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि सामने जो लड़का है वह राजू ही है या ‌ उसकी शक्ल में कोई और खड़ा है क्योंकि राजू से मुझे ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि वह ऐसा लड़का था ही नहीं,,,


लेकिन वह कौन है मैं खड़ा होकर कर‌ क्या रहा था,,?(मधु हैरानी जताते हुए बोली,,)

वही तो भाभी सुनो गी तो तुम्हारे पैरों तले से जमीन खिसक जाएगी तुम्हारे लाडले बेटे के कारनामे,,,,

(अब तो मधु से रहा नहीं जा रहा था वह जल्दी से जल्दी गुलाबी के मुंह से अपने बेटे के काले कारनामे के बारे में सुनना चाहती थी,,,,) मैं तो उसकी बात सुनकर एकदम घबरा रही थी क्योंकि राजू जिस हालत में था उस हालत में एक सीधी-सादी लड़की को उसके पास जाने में शर्म और डर दोनों महसूस होता ही जैसा कि मुझे हो रहा था मैं उसके पास जा नहीं रही थी तो वह खुद ही आगे बढ़ा और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया,,,, सच कहूं तो भाभी शुरू से ही राजू का इरादा मुझे गंदा नजर आ रहा था वह मुझे अपनी तरफ खींचते ही मेरी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और मेरे कानों में धीरे से बोला,,,

शोर बिल्कुल भी मत मचाना बुआ क्योंकि जो चीज में तुम्हें दिखाने जा रहा हूं तुम देख कर एकदम मस्त हो जाओगी,,, ऐसा कहते हुए वह भाभी गहरी गहरी सांस ले रहा था और उसकी गर्म सांसे मेरी गर्दन पर पढ़ रही थी,,, और क्या बताऊं भाभी पहली बार किसी जवान लड़के ने मुझे इस तरह से पकड़ा था और इस हालत में में पहली बार किसी लड़की को

देखी थी इसलिए राजू की हरकत से ना जाने क्यों मेरे बदन में कपकपी सी दौड़ रही थी मेरी तो हालत खराब हो रही थी हो जिस तरह से मेरी कमर को दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था मुझे तो सोचकर ही डर लग रहा था कि राजू क्या करने वाला है,,,

फिर क्या हुआ,,,,?(मधु पूरी तरह से गुलाबी की बातों में आ चुकी थी और गुलाबी की बातों को आश्चर्य और रस लेकर सुन रही थी)

फिर भाभी उसने मेरे कानों में धीरे से बोला कि दीवाल के छेद के अंदर देखो,,,

दीवार के छेद के अंदर,,,,(आश्चर्य से मधु बोली)

हां भाभी दीवार के छेद के अंदर राजू मुझे देखने के लिए बोल रहा था मैं तो एकदम घबराई हुई थी और राज्यों ने मुझे जिस तरह से पकड़ा था उसका वह लंड सलवार के ऊपर से ही मेरी गांड पर दबाव दे रहा था मेरे पूरे बदन में सनसनाहट फेल रही थी,,,,, मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं लेकिन फिर से राजे ने मुझे दीवार के छेद में देखने के लिए बोला मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर का दीवार के छेद में राजू दिखाना क्या चाहता है लेकिन फिर भी उसकी बात मानने के सिवा मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था इसलिए मैं दीवार के छेद में अपनी आंखें गड़ा कर देखी तो मुझे तुम्हारा कमरा नजर आने लगा,,,

मेरा कमरा,,,(एकदम आश्चर्य से)

हां भाभी तुम्हारा कमरा लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था मुझे पहले तो कुछ अंदर समझ में नहीं आया लेकिन जैसे ही मेरी नजर तुम्हारी खटिया पर पड़ी तो मेरे तो होश उड़ गए,,,,

क्या,,,?(उम्र के इस दौर में पहुंच चुकी मधु अच्छी तरह से समझ चुकी थी कि दीवार के छेद से राजू क्या देख रहा था मधु के भी दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी )

, हां भाभी मैं सच कह रही हूं,,, दीवार के छोटे से छेद से तुम्हारा कमरा पूरी तरह से एकदम साफ नजर आ रहा था,,,, और खटिया पर नजर पड़ते ही मेरी हालत खराब हो गई थी क्योंकि खटिया पर भाभी तुम और भैया एकदम नंगे थे,,,,

क्या,,,?(आश्चर्य शर्म के मारे अपने मुंह पर हाथ रखते हुए मधु बोली,,,)

हां भाभी तुम्हारी दोनों टांगे भैया के कंधे पर थी और भैया तुम्हारी बुर में लंड डालकर चोद रहे थे और यही नजारा देखकर राजू की हालत खराब हो गई थी और उसका लंड एकदम खड़ा था और वह उसे अपने हाथ में पकड़ कर हिला रहा था,,,,,,


बाप रे,,, राजू ऐसी हरकत करता है तब तूने क्या किया,,,,


मैं तो तुम्हारे कमरे का नजारा देखकर एकदम से हैरान हो गई थी मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था जिंदगी में पहली बार में इस तरह का नजारा देखी थी इसलिए भाभी ना जाने मेरे बदन में क्या होने लगा और मैं अपनी नजरों को वहां से हटा नहीं पाई और राजू ठीक मेरे पीछे खड़ा था,,, वह समझ गया था कि अंदर का नजारा देखकर मुझे कुछ-कुछ हो रहा है और इसी का फायदा उठाते हुए राजू मेरी कमर से दोनों हाथ उठाकर तुरंत दोनों हाथों को मेरी चूची पर रख दिया और दबाना शुरू कर दिया मैं उसे रोकने की कोशिश करने लगी,,, मैं उससे बोली,,,,

क्या कर रहा है राजू तुझे शर्म नहीं आती अपने ही मां और पिताजी को इस हालत में देख रहा है,,,, तब पता है भाभी उसने क्या कहा,,,


क्या कहा,,,?

एकदम बेशर्म बन चुका था जवानी उसके सर पर सवार हो चुकी थी वह मुझसे बोला तो क्या हुआ मां और पिताजी चुदाई का मजा ले रहे हैं देख नहीं रही हो पिताजी का लंड कैसे मां की बुर में अंदर बाहर हो रहा है और मां को भी अच्छा लग रहा है,,,,(गुलाबी बनी बनाई बात को नमक मिर्च लगाकर और भी ज्यादा चटकारा लगाते हुए बोल रही थी जिसका असर मधु पर बराबर हो रहा था)

क्या,,,,?(गुलाबी के मुंह से अपने बेटे की बेशर्मी भरी बात को सुनकर मधु इस समय शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,)

हां भाभी मैं तो एकदम हैरान हो गई थी उसकी बात सुनकर मैं उसकी तरफ नजर घुमा कर देखने लगी क्योंकि वह मुझे इस तरह से पीछे से झगड़े हुए था कि मैं घूम नहीं सकती थी और तो और उसका नंगा लंड मेरी गांड पर रगड़ रहा था पहली बार में 1 जवान लंड को अपनी गांड पर महसूस कर रही थी इसलिए ना जाने मुझे क्या हो रहा था एक नशा सा छा रहा था फिर भी मैं उसे रोकते हुए बोली,,,,।


राजू तू तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं था अपनी मां और पिताजी के बारे में इस तरह की गंदी बातें कर रहा है और मुझे छोड़ तुझे शर्म नहीं आ रही है मैं तेरी बुआ हूं,,,,, मेरी बात सुनकर तुम जानती हो क्या कहा,,,,


क्या कहा गुलाबी उस हरामजादे ने,,,,(मधु बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली क्योंकि उसके खुद भी अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध स्थापित हो चुके थे जिसका वह पूरी तरह से आनंद ले रही थी अब वापस लौट ना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था,,,,)

भाभी उसकी बात कहने में मुझे शर्म आ रही है सच में राजू इतना बदल जाएगा मैं कभी सोची नहीं थी इतना गंदा उसने जवाब दिया कि मेरे तो होश उड़ गए,,,

अरे बताएगी भी या पहेलियां बुझाती रहेगी,,,,

बता रही हूं भाभी वह मुझे अपनी बाहों में कस के झगड़े हुए था उसके दोनों हाथ मेरी चूचियों पर थे पहली बार मेरी चूची पर किसी मर्द का हाथ लगा था इसलिए ना चाहने के बावजूद भी एक अजीब सी कसक मेरी चूचियों पर हो रहा था और नीचे से लगातार वह अपने लंड का दबाव मेरी गांड पर बना रहा था अगर सच में मेरी सलवार अगर ना होती तो वह कब से मेरी बुर में लंड डाल दिया होता,,,,,(गुलाबी जानबूझकर गंदे शब्दों में बता रही थी जिसका असर मधु पर बराबर हो रहा था,,,,) वाह बेशर्म की तरह मेरी गर्दन पर अपने होंठ रख कर चुंबन करते हुए बोला,,,, बुआ इस समय मुझे कुछ भी सोच नहीं रहा है यह तो तुम हो मेरी बाहों में अगर मैं भी होती तो मैं भी साड़ी उठाकर उनकी बुर में लंड डाल दिया होता,,,,,( गुलाबी जानबूझकर मधु के बारे में इतनी गंदी बातें बता रहे थे जो कि उसके बेटे ने बोला भी नहीं था फिर भी वह जानबूझकर राजू का नाम लेकर बता रही थी और यह बात सुनकर तो मधु की बुर से पानी टपक गया वह सोची नहीं थी कि उसका बेटा इतना हरामि होगा लेकिन अब उसे समझ में आ गया था कि दीवार के छोटे से छेद से ही उसे नंगी चुदवाते हुए देखने के बाद ही उसके मन में उसके लिए काम भावना जागने लगी,,,,, गुलाबी के मुंह से अपने बारे में इतने गंदी बातें सुनकर आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था और वह हैरान होते हुए बोली,,,।)


नहीं गुलाबी ,,, तू झूठ बोल रही है मेरा बेटा मेरे बारे में सर की गंदी बात कभी नहीं बोल सकता,,,,(मधु जानबूझकर गुलाबी के सामने चौक ने का नाटक भर कर रही थी क्योंकि वह अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी और उसकी हरकत का भोग भी बन चुकी थी,,,,)

भाभी अगर तुम्हें विश्वास नहीं होता तो 1 दिन उसके कमरे में जब वह अकेले हो तब जाना,,, और सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहनकर फिर देखना वह तुम्हारे साथ क्या करता है,,,
(मधु अच्छी तरह से जानती थी कि ऐसे हालत में उसका बेटा उसके साथ क्या करेगा जो कि वह कर भी चुका था फिर भी मधु बोली,,)


तू उसे रोकी नहीं,,,,


उसे रोकने की बहुत कोशिश की भाभी लेकिन उसकी बाजुओं में कुछ ज्यादा ही दम था मैं उसे डराने की कोशिश भी की कि मैं जोर से शोर मचा दूंगी भैया भाभी को सब बता दूंगी तो उससे भी वह नहीं रहना और हंसते हुए बोला,,,।

बुलाओ मैं तो साफ कह दूंगा कि बुआ इस छोटे से छेद में से तुम्हारे कमरे में हमेशा देखती रहती है आज मैंने पूछ लिया तो वह मुझ पर बिगड़ पड़ी और मुझसे गलत करने के लिए बोल रही है,,,, ऐसा सुनकर तुम एकदम से चूक गई मेरे लिए तो सब रास्ते बंद हो चुके थे और फिर उसने अपनी मनमानी करने शुरू कर दिया मैं भी क्या करती एक तो अंदर तुम्हारे कमरे का दृश्य देखकर मैं भी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और दूसरा राजू ने अपनी हरकत से मुझे मदहोश कर दिया था देखते ही देखते वह मेरी सलवार की डोरी खोलने लगा मैं उसे रोकने की कोशिश की लेकिन उसके आगे मेरी एक ना चली और फिर मैं क्या करती मुझे भी ना जाने क्यों अच्छा लगने लगा और वह मुझे उसी तरह से गोद में उठाकर खटिया पर ले गया और मेरी कुर्ती को भी उतार फेंका मैं खटिया पर उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी हो गई वह तो पहले से ही पैजामा उतार चुका था और सच में भाभी उसका लंड देखकर तो में डर गई थी,,,

क्यों डर गई थी,,,?(मधुर सब कुछ जानते हुए भी कि राजू का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा और लंबा है लेकिन फिर भी गुलाबी के सामने अनजान बनने का नाटक करते हुए बोली)

क्यों नहीं डरती भाभी छोटे से छेद से मैंने भैया के लंड को देखी थी जिसके मुकाबले राजू का लंड उससे दोगुना लंबा चौड़ा और मोटा था,,,,। ओर इसीलिए मैं एकदम घबरा गई,,,, लेकिन राजू बहुत चालाक था उसने जो हरकत किया भाभी उसी से मैं पूरी तरह से पानी पानी हो गई मेरी बुर से पानी फेंक दिया,,,

ऐसी क्या हरकत कर दिया,,,,?

अरे पूछो मत भाभी,,, उसने जो हरकत किया उसके बारे में तो मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी,,,,, उसने अपने हाथों से मेरी दोनों टांगे फैलाया और फिर मेरी बुर पर अपने होंठ रखकर जीभ से चाटना शुरू कर दिया,,, भाभी सच पूछो तो राजू की हरकत से मेरी यही सही हिम्मत भी जवाब दे गई अब उसका विरोध करने की ताकत मेरे को बिल्कुल भी नहीं थी वह मुझे खटिया पर अपनी कठपुतली बना लिया था जैसा वह चाह रहा था वैसा मुझसे मजा ले रहा था और उसके बाद तो भाभी अपनी मनमानी को अंजाम देते हुए मेरी बुर में अपना लंड डाल दिया और मुझे चोदना शुरू कर दिया सच पूछो तो पहली बार मेरी बुर में लंड जाते हैं मैं दर्द से बिलबिला उठी मुझे तो होश ही नहीं था मैं बेहोश होते-होते बची थी रांची लेकिन बहुत चलाक है भाभी वह मुझे इस दर्द से निकालने के लिए मेरे बदन से हरकत करने लगा वह मेरी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया और देखते ही देखते थोड़ी देर में मेरा दर्द गायब हो गया और मुझे मजा आने लगा और फिर उसने मुझे चोदना शुरू कर दिया मेरी जिंदगी की पहली चुदाई अपने ही

भतीजे से होगी मैं कभी जिंदगी में सोचा नहीं थी लेकिन सच भाभी जो मजा उसने मुझे दिया मैं उसे भूल नहीं सकती मैं जानती हूं कि जो कुछ भी हुआ सब गलत हो रहा था लेकिन एक बात माननी पड़ेगी कि राजू के लंड में बहुत दम है और फिर वह सिलसिला शुरू हो गया,,,,(गुलाबी जानबूझकर राजू के लंड से ज्यादा मजा मिलने की बात मधु के सामने कर रही थी ताकि मधु का भी मन मचल उठे वह यह बात नहीं जानते थे कि मधु अपने बेटे से चुदाई का आनंद ले चुकी थी और जारी भी थी,,,)

बाप रे मेरी पीठ पीछे बगल वाले कमरे में इतना कुछ होता रहा और मुझे कभी शक भी नहीं हुआ मैं सोच भी नहीं सकती थी एक ही कमरे में लड़का और लड़की और वह भी एकदम जवान कभी साथ में सो नहीं सकते लेकिन मैं इस विश्वास में थी कि गुलाबी और राजू दोनों इस तरह की हरकत कभी नहीं करेंगे लेकिन,,,,,

भाभी मेरी गलती नहीं है मेरी जगह अगर तुम भी होती तो शायद तुम्हारी भी मेरी जैसी हालत हो जाती राजू का लंड है ही कुछ ऐसा कि एक बार बुर में जाते ही औरत मचल उठती है तुम तो शादीशुदा हो रोज मजा लेती हो,,, लेकिन एक बार अपने बेटे का लंड देखोगी तो भैया का लंड भूल जाओगी और अपने बेटे से चुदवाने के लिए तैयार हो जाओगी सच भाभी कसम से कह रही हो राजू का लंड एक बार तुम अपनी बुर में ले लो फिर सब कुछ भूल जाओगी,,,,
(गुलाबी अब जानबूझकर अपनी भाभी को अपने ही बेटे से चुदवाने के लिए प्रेरित कर रही थी उसके खंड से कितना आनंद मिलता है इस बारे में बोल बोल कर उसके दिमाग में अपनी बात भरना चाहती थी और इस बात को मधु भी अच्छी तरह से जानती थी लेकिन फिर भी खामोश थी वह इस तरह से जता रही थी जैसे उसके और उसके बेटे के बीच में शारीरिक संबंध बिल्कुल भी नहीं है लेकिन गुलाबी की बात सुनकर मधु का दिमाग तेजी से दौड़ रहा था अपने मन में सोच रही थी कि अगर गुलाबी की बात मानकर गुलाबी को विश्वास में लेकर वह अपनी बेटी के साथ संबंध बनाती है तो फिर वह घर में गुलाबी की हाजिरी में भी अपने बेटे से चुदवाने का मजा ले सकेगी और किसी प्रकार की दिक्कत भी नहीं आएगी अगर इस बात की खबर उसके पति को चलेगी तो वह अपने पति को यह कहकर दबा देगी कि उसने भी उसे अपनी बहन के साथ चुदाई करते हुए देखिए और उसी का बदला लेने के लिए वह अपने बेटे के साथ यह सब कर रही है यह ख्याल मन में आते ही मधु के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,, लेकिन फिर भी गुलाबी की बात सुनकर आनाकानी करते हुए बोली)

कैसी बातें करती है गुलाबी वह मेरा बेटा है और मैं ऐसा उसके साथ कभी नहीं कर सकती,,,

भाभी यह तो तुम मानती हो कि वह तुम्हारा बेटा ही लेकिन राजू तुम्हें एक औरत की नजर से ही देखता है तुम्हें जब भी देखता है तो उसका लंड खड़ा हो जाता है इस बात को उसने मेरे सामने कबूल किया है सच कहूं तो वह तुम्हें चोदना चाहता है बस तुम्हारे इशारे की देर है तुम्हें ऐसा मजा देगा कि तुम खुद उसके लंड पर चढ जाओगी,,,,
(एक जवान खूबसूरत लड़की के मुंह से अपने बेटे के लंड की तारीफ सुनकर उसके मर्दाना ताकत की तारीफ सुनकर मधु अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी अब अपनी चाल चलने का समय आ चुका था इसलिए वह बोली)

क्या गुलाबी सच में मेरे बेटे का लंड मेरे पति से ज्यादा मोटा तगड़ा लंबा है,,,

हां भाभी,,,, उसका कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा और लंबा है और ज्यादा देर तक टिका रहता है मैं तुम्हारे और भैया की चुदाई को देखती थी भैया तो कुछ ही देर में पानी छोड़ देते थे लेकिन राजू दो-तीन बार पानी निकाले बिना झडता नहीं है,,, और एक औरत को यही तो चाहिए कि घंटो एक मर्द उसे चोदता रहे,,,,
(अपने बेटे से चुदाई का मजा लूट चुकी मधु अपनी ननद के मुंह से उसकी बढ़ाई सुनकर एक बार फिर से उसकी बुर मचलने लगी थी अपने बेटे के लंड को अंदर लेने के लिए इसलिए वह बोली,,,)

क्या तू सच कह रही है गुलाबी,,,


मेरे सर की कसम भाभी मैं झूठ नहीं कह रही हूं क्योंकि राजू रोज रात को मेरी लेता है,,,,
(मधु कि सासे ऊपर नीचे होने लगी थी गुलाबी और राजू के बारे में उसे पता ही नहीं था वह तो गुलाबी अपने ही मुंह से सब कुछ बता रही थी यह बेहद चौका देने वाला खुलासा था लेकिन बेहद रोमांचित भी कर रहा था कुछ देर सोचने के बाद मधु बोली,,,)

लेकिन क्या गुलाबी राजू मुझे करने को तैयार होगा,,,
(इतना सुनते ही गुलाबी के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि मधु के द्वारा यह कहना उसके मन की मनसा को साफ जाहिर कर रहा था और अगर ऐसा हो जाएगा तो गुलाबी भी बेझिझक मजा ले सकेगी इसलिए वह खुश होते हुए बोली,,,)

जरूर वह तो तड़प रहा है तुम्हारी लेने के लिए तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो भाभी मैं सब कुछ संभाल लूंगी,,,,

मुझसे नहीं हो पाएगा मुझे तो शर्म आ रही है अपने ही बेटे के साथ छी,,,

क्या भाभी इसमें शर्माना कैसा तुम तो अभी पूरी तरह से जवान हो और यह सोचो कि तुम्हारा जवान लड़का तुम्हारी जवानी देख कर पानी पानी हो गया है तो जरूर तुम बहुत खूबसूरत है यह बात मैं भी अच्छी तरह से जानती हूं तो यह जवानी का मजा ले लो,,, और वैसे भी घर की बात है कहां किसी को पता चलने वाली है लेकिन एक बात है भाभी अगर सच में ऐसा हो गया ना तो राजू तुम्हें खुश कर देगा तुम्हारा पानी तीन बार निकालने के बाद ही वह झढ़ेगा,,,,
(गुलाबी की बात सुनकर मधु आगे की सोच कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और अपनी भाभी के चेहरे की प्रसन्नता को देखकर गुलाबी भी पूरी तरह से सहज हो चुकी थी वरना जिस तरह से मधु ने उसे रंगे हाथ पकड़ी थी उसे देखते हुए गुलाबी की हालत खराब हो चुकी थी फिर थोड़ी देर बाद मधु बोली,,,)

मैं तो तुझसे तेरे भैया के बारे में पूछ रही थी लेकिन तूने अपने मुंह से ही राजू की भी करतूतों को बता दी जो कि अच्छा ही हुआ कि राजू के बारे में मैं सब कुछ जान गई लेकिन यह बता कि तेरे भैया के साथ कैसे यह सब हो गया,,,

भाभी अभी अचानक ही हो गया भैया खेत में काम कर रहे थे और मैं उनके लिए खाना लेकर गई थी वह थक कर खटिया पर आराम कर रहे थे और मुझे कमर दबाने के लिए बोले कमर दबाते दबाते में उनके पैर दबाने लगी और वह पीठ के बल लेट गए ऐसा करने से उनकी धोती के अंदर उनका लंड खड़ा होने लगा ना जाने क्या हुआ कि भैया खुद मेरा हाथ पकड़ कर अपने लैंड पर रख दिए और फिर जो नहीं होना था वह हो गया और अब तक चल रहा है,,,

बाबरे मतलब कि सब लोग घर में ही अपना सुख खोज लिए हैं और मजा भी ले रहे हैं एक मैं ही इन सब से अनजान हुं,,,


अब नहीं हो भाभी तुम्हारे लिए भी सुख के द्वार खुल चुके हैं और यह राज हम दोनों के बीच ही रहने वाला है इसलिए निश्चिंत होकर मजा लो,,,,

(दोनों बहुत खुश थे दोनों ने मिलकर सारे गंदे कपड़ों को धोए और फिर दोनों ने एक साथ अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गए और दोपहर का समय होने की वजह से कोई था नहीं इसलिए इसका फायदा उठाते हुए दोनों नंगी ही नदी में उतर गए और नहाने का आनंद लेने लगे इसके बाद अच्छी तरह से नहा लेने के बाद दोनों वापस घर पर आओगे लेकिन अब दोनों के लिए आगे का सफर एकदम आसान हो चुका था दोनों बहुत खुश हैं गुलाबी इसलिए कि उसका राज अब राज नहीं था और उसकी राजदार उसकी भाभी बन चुकी थी और मधु इसलिए खुश थी कि उसके बेटे के साथ शारीरिक संबंध को लेकर जो यह डर था कि अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा वह डर भी खत्म हो चुका था क्योंकि अब उसके बेटे के साथ हमबिस्तर होने में खुद उसकी ननद मदद करने वाली थी और वह भी उसकी राजदार बनकर,,,,)
 
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मधु अब गुलाबी के राज का राजदार बन चुकी थी लेकिन मधु के बारे में गुलाबी को बिल्कुल भी आभास तक नहीं था कि उससे भी एक कदम आगे वह एक मा होते हुए भी अपने ही पति के साथ चुदाई का सुख भोग रही है,,,, जो भी हो जिस तरह से गुलाबी को लग रहा था कि उसकी नमक मिर्च लगी कोई बातों को सुनकर उसकी भाभी अपने ही बेटे के मर्दाना ताकत से भरे लंड की गाथा को सुनकर आकर्षित हो रही है उसे देखते भी गुलाबी को लगने लगा था कि उसकी भाभी भी अपने ही बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार हो गई है जबकि इस बात से वह पूरी तरह से अनजान थी कि वह पहले से ही अपने बेटे से शारीरिक संबंध बना चुकी है,,,, अपनी भाभी को इस खेल में शामिल करने के लिए उकसाने के बाद गुलाबी चैन की सांस ले रही थी क्योंकि अब उसका राज मधु के जानने के बावजूद भी राज ही रह गया था,,,, मधु इस बात से खुश थी कि अब वह अपने बेटे के साथ जब चाहे तब चुदवा सकती थी क्योंकि वह अपने पति और अपनी ननद दोनों का राज्य जान चुकी थी ऐसे में कोई उस पर उंगली उठाने वाला नहीं था बल्कि इस खेल में अब सब का रास्ता साफ हो चुका था बस थोड़ी बहुत औपचारिकता ही बाकी रह गई थी अब मधु को गुलाबी के सामने इस आ जाता है ना था कि जो कुछ भी हो रहा है वह सब कुछ पहली बार हो रहा है,,,,,,, अब आगे के खेल के लिए मधु भी उत्सुक हुए जा रही थी उसका मन भी व्याकुल भेजा रहा था इस बात को सोचकर कि कैसा लगता है जब एक परिवार का सदस्य एक परिवार के सदस्य को आपस में चुदाई करते हुए देखेगा,,,, अब सब कुछ साफ हो चुका था इस खेल में गुलाबी उसका पूरा साथ देने वाली थी और गुलाबी के ही ‌ माध्यम से वह पहली बार अपने बेटे से चुदवाएगी,,,,।

मधु को घर पहुंचने के बाद बिल्कुल भी चैन नहीं मिल रहा था वह आने वाले पल के बारे में सोच सोच कर अंदर ही अंदर सिहर उठा रही थी क्योंकि अब तक वह अपने परिवार की नजर से बच कर अपने बेटे से मजा लूट रही थी लेकिन अब वह खुलेआम अपने बेटे से चुदाई का आनंद लूट सकती थी,,,, लेकिन इससे पहले सारे समीकरण बनाने थे जो कि ऐसा ही लगेगी मधु पहली बार अपने बेटे के साथ कुछ अद्भुत करने जा रही है,,,, शाम ढल चुकी थी और मधु खाना बना रहे थे अब गुलाबी अपनी भाभी के पीछे लग चुकी थी क्योंकि उसका राज‌जो उसकी भाभी जान चुकी थी इसलिए वह अपनी भाभी को मक्खन लगाना चाहती थी और अपने ही भतीजे के नाम का इसलिए अपनी भाभी के बगल में बैठ कर सब्जी काटते हुए धीरे-धीरे राजू के द्वारा प्राप्त अद्भुत आनंद के बारे में बता रही थी,,,।

भाभी सच में राजू का लंड इस बैगन से भी,,,(बैगन को हाथ में लेकर जिसे वह काट रही थी जो कि कुछ ज्यादा ही मोटा और तगड़ा था उसे दिखाते हुए) बड़ा और मोटा है एक बार बुर में गया ना तो बिना तीन चार बार पानी निकाले राजू निकालता नहीं है सच में भाभी इतना मजा आता है कि पूछो मत मन करता है कि दिन-रात राजू के लंड को अपने पूर्व में डलवा कर पड़े रहो,,,,(अपनी ननद के मुंह से अपने बेटे के मर्दाना ताकत की तारीफ को सुनकर मधु मन ही मन खुश हो रही थी वह तो खुद ही अपने बेटे के लंड को ले चुकी थी लेकिन फिर भी एक खूबसूरत जवान लड़की के मुंह से अपने बेटे के लंड की तारीफ सुनकर वह गदगद हुए जा रही थी) औरतों और भाभी ऐसे ऐसे नए नए तरीके से चुदाई करता है कि पूछो मत कमर दुखने लगती है लेकिन मजा बहुत देता है और इतनी जोर जोर अपनी कमर हिलाता है कि मानो कि जैसे कोई मोटर चल रही हो,,,, मैंने आज तक ऐसी अद्भुत ताकत से भरे हुए मर्द को नहीं देखी,,,

क्यों रे गांव भर में सबको देती फिरती है क्या जो सबके बारे में पता है,,,

अरे नहीं भाभी एक राजू एक भैया बस 2 दिन ही तो है और भैया से तो मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं मिलता ऐसा लगता है कि राजू के लंड की मोटाई का सांचा मेरी बुर में बन गया है इसलिए भैया का जब भी जाता है तब पता ही नहीं चलता,,,,


हाय दैया मेरे सामने ही मेरे पति का मजाक उड़ा रही है उनकी मर्दाना ताकत पर शक कर रही है जानती नहीं है इतने बरसों से मैं तेरे भैया का ही लेती आ रही हूं और जिसका लेकर तुम मजा ले रही है ना उन्हें पैदा करने में तेरे भैया का ही सबसे बड़ा हाथ है,,,(अपने पति की मर्दानगी पर उंगली उठता देखकर जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए मधु बोली क्योंकि वह तो अपने पति के मर्दाना ताकत को भलीभांति जानती थी जोकी उसके बेटे के मुकाबले कुछ भी नहीं था,,,)

भाभी तुम तो नाराज हो रही हो मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि भैया के बारे में मुझसे अच्छा तुम जानती हो लेकिन उनकी लंड के बारे में मुझे भी पता है राजू से आधा ही है तुम तो भैया का देखी हो लेकिन राजु का देखी नहीं तो लेने का सवाल ही नहीं पैदा होता,,,,इस इसलिए तुम ऐसा कह रही हो,,,,सच में भाभी अगर तुम राजू का देख भर लोगी ना तो ही तुम्हारी बुर पानी फेंक देगी,, इतना जबरदस्त मोटा तगड़ा एकदम नाग की तरह है एक बार बुर में गया तो समझ लो कि हो गया मैं कभी भी राजू के साथ चुदवाने के

बारे में सोची नहीं थी लेकिन पहली बार क्यों उसकी हरकत और बार-बार उसकी लंड का मेरी गांड से मेरी बुर से टकराना मेरी हालत खराब कर दिया था और मैं उसकी मर्दाना ताकत के आगे घुटने टेक दी थी सच में भाभी जो मजा राजू ने दिया था मेरी बुर गीली हो जाती है अभी तुम्हें सलवार पहनी हूं वरना तुम्हें दिखा देती,,,, लेकिन रुको (इतना कहने के साथ ही गुलाबी अपने चारों तरफ देखकर तुरंत घुटनों के बल खड़ी हो गई और अपनी सरकार को अपनी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार के लग चिपके सलवार की उस जगह को दिखाने लगी जो कि वाकई में उसके काम रस से गीली हो चुकी थी,,, यह देख कर मधु की भी हालत खराब हो गई थी गुलाबी के किले पर को देखकर उसकी खुद की बुर पानी छोड़ रही थी,,,,, गुलाबी की किल्ली सलवार को देखकर अपने मुंह पर शर्म से हाथ रखते हुए बोली,,)


हाय दइया तेरा तो पानी निकल रहा है रे,,,

क्या करूं भाभी यही हाल है राजू के बारे में सोच कर भी मेरी यही दशा हो जाती है,,,,


तो इस तरह की बातें मत कर मिला भी मुझे ना जाने क्यों कुछ कुछ हो रहा है,,,

ओहहह भाभी मैं जानती हूं मेरी बातें सुनकर तुम्हारा भी मन कर रहा है अपने बेटे के लंड को देखने का उसे अपनी बुर में लेने का सच भाभी अगर एक बार तुम राजू के लंड‌ को अपनी बुर में ले लोगी ना तो भैया को भूल जाओगी भैया का तो राजू से आधा भी नहीं है तो सोचो तुम्हें कितना मजा देगा,,,, मैं देखी हूं भैया को जब तुम्हारी बुर में पीछे से डालते हैं तरह से जा नहीं पाता होगा लेकिन अगर राजू तुम्हारी बुर में पीछे से डालेगा तो कसम से सीधा तुम्हारे बच्चेदानी से टकराएगा,,,,

सहहहह गुलाबी,,, क्या सच में ऐसा होता है उनका तो कभी भी इतनी गहराई तक नहीं पहुंच पाया,,,,(अपने बेटे की मर्दाना ताकत और उसकी पहुंच तक के बारे में मधु अच्छी तरह से जानती थी लेकिन तू भी गुलाबी के सामने अनजान बनते हुए बोल रही थी मानो कि जैसे उसे कुछ पता ही ना हो क्योंकि गुलाबी को तो ऐसा ही लग रहा था कि जैसे उसकी भाभी को कुछ भी पता नहीं है,, अपनी भाभी की बात सुनकर गुलाबी को लगने लगा कि उसकी भाभी का भी मन मचल रहा है इसलिए वह खुश होते हुए बोली,,,)

हां भाभी बिल्कुल एकदम तुम्हारी बुर को फाड़ देगा तुम्हारा बेटा इतना मजा देगा कि तुम खुद अपने बेटे के लंड पर कुदोगी अपनी बड़ी बड़ी गांड रखकर,,,,।
(अपनी ननद के मुंह से अपने बेटे के लैंड की तारीफ सुनकर पल-पल मधु की हालत खराब भी हो रही थी और गर्व से वह गदगद हुए जा रही थी,,,,,, गुलाबी को ऐसा लग रहा था कि वह पूरी तरह से अपनी भाभी को मनाने में कामयाब होती नजर आ रही है और उसकी नजर में ऐसा हो भी रहा था जबकि मधु खुद ऐसा चाह रही थी कि उसकी ननंद खुद उसका और उसके बेटे का मिलन करवाएं इसलिए मधु बोली,,,)

गुलाबी तेरी बातें सुनकर मेरा भी मन करने लगा है लेकिन मुझे शर्म आ रही है वह मेरा बेटा है,,,

क्या भाभी जब देखो तब बेटा है बेटा है बेटा है जबकि एक बेटा खुद अपनी मां को चोदना चाहता है तुम उसकी बातों से वाकिफ नहीं हो लेकिन अच्छी तरह से जानती हूं वह तुम्हें चोदना चाहता है तुम्हें देखते ही उसका लंड पढ़ा जाता है और सच कहूं तो मुझसे भी ज्यादा आकर्षण तुम्हारा है उसके मन में तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड को जब भी देखता है देखता ही रह जाता है और सही मायने में भाभी तुम उससे भी ज्यादा खूबसूरत हो तभी तो तुम्हारा बेटा तुम्हारे पीछे दीवाना हुआ है बस अपने मुंह से कह नहीं पा रहा है अगर थोड़ा सा उस इशारा मिल जाए तो तुम्हारी दोनों टांगे छीतरा कर तुम्हारी बुर में लंड डाल देगा,,,,,।

और कहीं ऐसा नहीं हुआ तो उसने इंकार कर दिया तो,,,

भाभी यह बेकार की शंका अपने मन में मत लाओ तुम्हें देखते ही उसके मुंह से लार टपकने लगती है देखना जिस दिन तुम उसके सामने अपनी दोनों टांगे खोल दोगी ना वह बिल्कुल भी झिझक नहीं दिखाएगा तुम्हारे ऊपर चढ़ने में,,,,


लेकिन यह होगा कैसे गुलाबी,,,,


तुम तैयार हो तो सब कुछ हो जाएगा,,,,


कैसे बचाएगा मैं अपने मुंह से थोड़ी बोलूंगी की बेटे तु अपने लंड को मेरी बुर में डाल दे,,,,


अरे भाभी तुम्हें ऐसा कहने की जरूरत ही नहीं है मैं सब कुछ व्यवस्था कर दूंगी बस तुम्हें थोड़ा थोड़ा अपने बेटे को अपनी तरफ रिझाना होगा,,,,

रीझाना होगा जैसे,,,,

जैसे कि,,,, जैसे कि,,,(कुछ देर सोच कर) उसके सामने कपड़े बदलना नहीं ऐसे नहीं,,, भाभी तुम उसके सामने नहाना ऐसे नहाना कि वह तुम्हें देखें और वह भी एकदम नंगी होकर और उसे पता ना चले तुम अपनी बुर उसकी आंखों के सामने जोर-जोर से रगड़ना यह देखकर तुम्हारा बेटा पागल हो जाएगा उसका लंड अपने काबू में नहीं रहेगा और वह जरूर तुम्हें चोदेगा,,,,
(अपने बेटे के साथ चुदाई का मजा लूट लेने के बाद भी गुलाबी के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसका मन मचल रहा था जिस तरह से गुलाबी उसे करने को कह रही थी उस बारे में सोचकर ही उसकी हालत खराब हो रही थी,,,,)

क्या वह मुझे नहाते हुए देखेगा,,,, उसे पता कैसे चलेगा कि मैं उससे चुदवाना चाहती हूं,,,

अरे भाभी में सब कुछ संभाल लूंगी देखना कल दोपहर में तुम्हारा बेटा तुम्हारी चुदाई करके तुम्हें मस्त कर दुंगी मैं तुम्हें विश्वास दिलाती हूं भाभी,,,

अगर कुछ गड़बड़ हो गया तो,,,,(मधु जानबूझकर इस तरह के सवाल पूछ रही थी ताकि गुलाबी को ऐसा ही लगे कि सब कुछ पहली बार हो रहा है,,, अपनी भाभी की बात सुनकर गुलाबी बोली,,)

ऐसा कुछ भी नहीं होगा भाभी तुम्हारे बेटे का लंड तो तड़प रहा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए भला ऐसा मौका वह कैसे छोड़ेगा,,,,

देख मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती रिश्तो के बीच इस तरह का रिश्ता नाजायज संबंध अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा,,,

ऐसा कुछ भी नहीं होगा भाभी और रिश्तो के बीच में ही तो इस तरह के रिश्ते बनाने में मजा आता है और ज्यादा आनंद मिलता है देखना तुम्हें भी इतना मजा आएगा कि जिंदगी में आज तक तुमने ऐसा मजा नहीं ली होगी,,,,


देख गुलाबी सब कुछ तेरे ऊपर है,,,, ऐसा बिल्कुल भी लगना नहीं चाहिए कि मैं आगे से चलकर राजू को चोदने के लिए बुला रही हूं,,,

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो भाभी ऐसा ही लगेगा कि जैसे राजु का ही मन कुछ ज्यादा मचल रहा है,,,,,

लेकिन जो राज हम दोनों के बीच रहे तो उसे किसी को बताना नहीं तेरे भैया को भी मत बताना कि मैं उनके और तेरे बीच जो कुछ भी हो रहा है जान चुकी हूं जैसा चल रहा है चलने दे,,,

तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं है ना भाभी,,,

बिल्कुल भी नहीं,,,,,, मुझे किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं है,, आखिरकार मैं भी तो देखूं रिश्तो के बीच इस तरह के रिश्ते बनाने में कितना मजा आता है,,,,

बहुत मजा आएगा भाभी,,,,,,
(दोनों एक अद्भुत कामखेड़ा के खेल के राजदार बन चुके थे दोनों को दूसरे दिन की बड़ी बेसब्री से इंतजार था क्योंकि दोनों को अपना अपना उल्लू सीधा करना था गुलाबी जल्द से जल्द अपनी भाभी को उसके बेटे से चुदवा देना चाहती थी ताकि फिर कभी उसकी भाभी उस पर उंगली ना उठा सके और मधु गुलाबी के माध्यम से अपने बेटे के साथ सारी संबंध बनाकर हमेशा के लिए अपने मन से पकड़े जाने का डर निकाल देना चाहती थी,,,, दूसरे दिन घर के सभी लोग नित्यक्रम में लग गए और मधु भी अपने कमरे में झाड़ू लगाने लगी तभी मौका देकर राजू अपनी मां के कमरे में घुस गया और उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया,,,,,,,, अपनी मां को बाहों में जकड़ते ही राजू का लंड एकदम से खड़ा हो गया और सीधे जाकर साड़ी के ऊपर से ही उसकी मां की बुर के मुख्य द्वार पर ठोकर मारने लगा जिससे मधु भी एकदम से काम विह्वल हो गई,,,,,,, पहले मधु ऐसा ही समझती थी कि राजू सिर्फ उसके पीछे ही दीवाना है लेकिन अब उसे पूरी तरह से मालूम हो गया था कि राजू की उन मर्दों में से हैं जो सभी औरतों के पीछे लट्टू बन कर घूमता रहता है लेकिन उसे इस बात से दिलासा था कि उसके अंतर्मन में काम भावना जगाने का मुख्य कारण वह खुद ही उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी ही उसकी उत्तेजना का सर्वप्रथम केंद्र बिंदु और कारण था जो कि अभी भी बरकरार था,,,, राजू मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी मां को बाहों में भर कर पीछे से उसकी साडी को ऊपर की तरफ उठाने लगा ,,, और बोला,,,।

जल्दी करो मा जल्दी से मुंह दीवान की तरफ करके घोड़ी बन जाओ मैं पीछे से तुम्हारी बुर में डाल देता हूं नहीं तो कोई आ जाएगा,,,,

कोई आ गया तो भी फर्क नहीं पड़ता,,,, आप मुझे किसी के भी पकड़े जाने का डर नहीं है,,,,

क्या बात है तुम्हारे में भी जोश जाग गया है,,,(अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठाते हुए राजू बोला)


जोश तो मेरे में पहले से ही था,,,, लेकिन यह कैसा राज का पर्दाफाश हो गया है कि मुझे किसी का भी डर नहीं लगता,,,


कैसा राज,,,(आश्चर्य से राजू अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला तो जवाब में मधु मुस्कुराते हुए बोली)

तेरा और तेरी बुआ का,,,

क्या,,,?(इतना सुनते ही राजू एकदम से चौक गया और उसके हाथों से उसकी मां की साड़ी जो की कमर तक उठी हुई थी एकदम से छूट गई और एक बार फिर से उसकी नंगी खूबसूरत गांड पर पर्दा गिर गया,,,,)

घबराओ मत मुझे इसमें किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं है,,,, तुम दोनों का राज जानकर अब तो मुझे खुली छूट मिल गई है तेरे साथ मजा लेने का,,,,

ककककक,,, क्या बोल रही हो मां मेरा और बुआ का,,,

डर मत मुझे सब पता है और तेरी बुआ ने हीं मुझे सब कुछ बताइ है,,,,, पहले तो मुझे तूने जो बताया था श्याम और उसकी मां की बात मुझे बकवास लग रही थी मुझे ऐसा लग रहा था कि तो मुझे वह खाने के लिए उसका नाम ले रहा है लेकिन घर में तेरा और तेरी बुआ का देख कर मुझे यकीन हो गया कि हर घर में इस तरह का खेल चलता ही रहता है चारदीवारी के अंदर,,,,

तो तुम्हें सब पता चल गया,,,

हां मुझे सब पता चल गया और यह भी कि तू अपने कमरे के दीवार के छेद में से मेरे कमरे में सब कुछ देखता था और मुझे लंगी देखकर अपना लंड ही लाता था,,,

बाप रे बुआ ने सब कुछ बता दी,,,,

हां तेरी बुआ ने सब कुछ बता दी और यह भी बता दे कि तू मुझे चोदना चाहता है मुझे नंगी देखकर तेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,,

बुआ ने ऐसा कहीं,,,,


हां तेरी बुआ ने ऐसा कहीं और यह कह कर तेरे और मेरे बीच की जितनी भी दूरी थी घर के अंदर सब खत्म कर दी,,,

तुम क्या कह रही हो मां मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,

देख मैं तुझे समझाती हूं तेरी बुआ रंगे हाथ पकड़ी गई इसलिए अपनी गलती को छुपाने के लिए वह चाहती है कि हम दोनों के बीच भी तुम दोनों के बीच का रिश्ता बने,,,,


लेकिन हम दोनों के बीच तो पहले से ही यह रिश्ता है,,,

अरे पगले यही तो असली खेल है,,,, यह तो हम दोनों जानते हैं कि हम दोनों के बीच क्या चल रहा है लेकिन तेरी बुआ तो नहीं जानती ना कि हम दोनों के बीच क्या चल रहा है और तेरी बुआ यह चाहती है कि तू मुझे चोदे और मैं तुझसे चुदवाऊं,,,,, और जानता है ना अगर ऐसा हो गया तो क्या होगा,,,,

क्या होगा,,,,?

अरे बुद्धू अगर ऐसा हो गया तो हम दोनों को खुला दौर मिल जाएगा जब चाहे तब चुदवा सकते हैं जब चाहे तब तु मेरी बुर में अपना लंड डाल सकता है,,,

सच में,,,(एकदम खुश होता हुआ राजू बोला)

हां बिल्कुल सच और हां अभी हम दोनों को कुछ नहीं करना है लेकिन इस खेल की शुरुआत आज ही होगी तुझे अभी गुलाबी कुछ बताएगी तुझे उसकी बात मान कर आगे बढ़ना है और ऐसा नाटक करना है कि हम दोनों के बीच ऐसा पहले कभी हुआ ही नहीं सब कुछ नया सा लगना चाहिए समझ गया ना,,,,


ओहहह मां मैं एकदम से समझ गया,,,,,(खुश होकर एक बार फिर से अपनी मां को गले लगाते हुए बोला लेकिन उसकी मां उसे अपने से दूर करते हुए बोली,,)

अरे बुद्धू अभी कुछ नहीं करना है थोड़ी देर में खेल शुरू हो जाएगा तेरी बुआ को आने दे,,,,

(इतना कहने के साथ ही मधु अपने कमरे से बाहर आ गई और राजू भी दातुन करने लगा थोड़ी ही देर में गुलाबी कमरे में आई वह तो पहले से ही राजू का इंतजार कर रहे थे लेकिन कुछ काम से घर से बाहर चली गई थी राजू को घर में देखते ही वह खुश होते हुए बोली,,,)

राजू तुझसे एक बात करना है,,,,

क्या,,,?

अरे बताती हूं पहले इधर आ,,(इतना कहने के साथ ही बात इशारे से उसे कमरे में ले गई और बोली) मैं आज तुझे ऐसी बात बताऊंगी की तु सुनकर खुश हो जाएगा,,,

अरे ऐसी कौन सी बात है बताओ गी,,,

अच्छा एक बात बता अगर तेरी मां तेरे सामने अपनी दोनों टांगे खोल दे तब तु क्या करेगा,,,

धत्,,, बुआ यह कैसी बात है,,,

अरे जो भी है लेकिन तेरे काम की है,,,

नहीं नहीं यह मेरे काम की नहीं मां के बारे में तुम गंदी बात कह रही हो,,,

अच्छा बच्चु जब चोरी चोरी अपनी मां को नंगी होता हुआ देखता था अपनी मां को चुदवाते हुए देखता था तब तो तेरा खड़ा हो जाता था तो अभी क्या हो गया,,,
(अपनी बुआ की बात सुनकर राजू कुछ बोला नहीं तो गुलाबी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) अरे बुद्धू अगर तेरी मां तुझसे जुदा ना चाहे तो क्या तू चोदेगा या नहीं,,,(अपनी बुआ की बात सुनकर कुछ देर तक वह कुछ सोचने लगा जानबूझकर राजू ऐसा कर रहा था वह ‌ अपनी बुआ से आप सीधे शब्दों में यह तो नहीं कह सकता था ना कि हां मैं अपनी मां को चोदूंगा इसीलिए थोड़ा नाटक कर रहा था,,, और उसे कुछ सोचता हुआ देखकर गुलाबी उसे कल्पनाओं की दुनिया में ले जाते हुए बोली) अरे पागल जरा तू सोच तेरी मां मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत है उसके अंदर उसके बदन मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत और भरे हुए हैं उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां जरा तू सोच जब तू अपने हाथों से अपनी मां के ब्लाउज का एक एक बटन खोल कर उनके दोनों खरबूजा को अपने हाथ में लेकर दबाएगा तो सोच कितना मजा आएगा,,,, और तो और अपने हाथों से अपनी मां की साड़ी उतारे का उसकी पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे खींचकर नीचे करेगा तब तेरी आंखों के सामने तेरी मां खूबसूरत एकदम नंगी हो जाएगी जरा तु सोच उसकी रस से भरी हुई बुर जब तेरी आंखों के सामने एकदम नंगी दिखाई देगी तब कैसा नजारा होगा तेरा तो एकदम खड़ा हो जाएगा तेरी मां को चोदने के लिए उसकी गुलाबी बुर में लंड डालने के लिए तु तड़प उठेगा और कितना मजा आएगा,,, जब तेरा मोटा तगड़ा लंबा लंड तेरी मां की बुर की गहराई में जाएगा और तू धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाता हुआ अपनी मां को चोदेगा,,,,
(अपनी बुआ की बातों को सुनकर सब कुछ करने के बावजूद भी ना जाने क्यों वह खुद भी कल्पना की दुनिया में खो गया और जैसे कि वह सच में अपनी मां की बुर में लंड डालकर चोदा इस तरह की कल्पना करने लगा,,,, कुछ देर तक इसी अवस्था में रहने के बाद वह बोला)

लेकिन बुआ यह सब होगा कैसे,,,,(एकदम दबे हुए स्वर में राजू बोला तो खुश होते हुए गुलाबी बोली,,,)

हो जाएगा शायद तू नहीं जानता कल मैं तेरी मां को छोटे से छेंद से देख रही थी और वह चुदवा रही थी और पता है क्या कह रही थी,,,

क्या,,,?

कह रही थी तेरे पिताजी को की तुम्हारे से मोटा और लंबा तो राजू का है अगर उसका लंड एक बार बुर में चला गया तो एकदम मस्त कर देगा,,,

क्या हुआ सच में मां ऐसा कह रही थी,,,(एकदम से हैरान होने का नाटक करते हुए राजू बोला,,, जबकि यह बात राजू अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बुआ उसे झूठ कह रही है लेकिन फिर भी उसके झूठ में सबका उल्लू सीधा होना था इसलिए सभी लोग एक दूसरे पर विश्वास कर रहे थे,,,)

हां राजू तभी तो मैं हैरान हो गई की भाभी भी तुझ से चुदवाना चाहती है,,,

लेकिन मा ने कब मेरा लंड देख ली,,,

देख ली होंगी,,, कहीं भी कैसे भी वैसे भी तेरा कुछ ज्यादा ही बड़ा और मोटा है पजामे में भी साफ नजर आता है,,,

सच में बुआ अगर ऐसा हो गया तब तो मजा आ जाएगा,,,

अरे मजा तो ठीक है लेकिन सोच अगर ऐसा हो गया तो हम दोनों के लिए एकदम आसान हो जाएगा अगर कभी हम दोनों पकड़े भी गए तो तेरी मां हमें कुछ बोलेगी नहीं क्योंकि वह तो खुद ही तुझसे चुदवा रही है,,,,
(इतना सुनते ही राजू बोला)

वाह बुआ वाह क्या दिमाग पाई हो सच में तब तो हम दोनों कभी भी मजा ले सकते हैं,,,,,

हारे एकदम खुलकर मजा,,,,

लेकिन यह होगा कैसे,,,

बस थोड़ी ही देर में सब कुछ शुरू हो जाएगा,,,,
 

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