Incest बाप और बेटी का रोमांस

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भाग 9
जैसे ही मैं बाथरुम से नहा कर निकाला तो मेरी बेटी बेडरूम में बैठी हुई थी।

तो मैंने कहा बेटा तू भी नहा ले'।



रितिका पापा मैं आज नहीं नहा सकती।

तो मैंने पूछा क्यों तो उसने अपनी नज़रें नीचे करके बोली मेरे ब्लड निकल रहे हैं इसलिए मैं अभी नहीं नहा सकती।

तो मैंने कहा कि मैं भी कितना बेवकूफ मुझे इतना भी समझ में नहीं आया कि तुम्हारी पीरियड चालू है तो तू कैसे नहा सकती है।


फिर मैने पूछा खाना रेडी है तो उसने कहा जी हां खाना तैयार है आप बैठी है मैं अभी लेकर आता हूं।

फिर हम दोनों टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे एक तरफ वो बैठी थी एकतफ मै बैठा था।


फिर मैं उसको छेड़ने के इरादे से बोल साइज ठीक था ।

तो वह मेरी तरफ देखते हुए बोली किसका साइज।



मैं अपनी नज़रें नीचे किए हुए बोला उसी का जो मैंने तुमको आज लाकर दिया।

तो रितिका समझ गई कि पापा किस चीज के बारे में पूछ रहे हैं
पापा पैटीं के बारे में पूछ रहे हैं की फिटिंग सही हुआ कि नहीं।

अच्छा तो पैंटी का नाम लेने में शर्मा रहे हैं मैं भी उनकी शर्माहट का फायदा उठा लेती हूँ।

देखती हूं कब तक वो पैंटी का नाम नहीं लेते।

आप किसकी साइज के बारे में पूछ रहे हैं मैं समझी नहीं।

अरे उसी के बारे में पूछ रहा हूं जो आज सुबह मैं ला कर दिया है।

ओ हो पैड के बारे में पूछ रहे हैं।

और उसके साथ में क्या लाकर दिया था।

पैंटी
हां उसी के बारे में पूछ रहा हूं।

तो सीधे नाम लेकर नहीं पूछ सकते थे।

अरे बोल तो रहा हूं कि आज सुबह जो लाकर दिया उसका साइज ठीक है कि नहीं तो तुम कर रही हो किसका किसका।


मुस्कुराते हुए मुझे क्या पता था कि आप उसी के बारे में पूछ रहे हैं

अच्छा अपने बाप से चालाकी तुम्हें नहीं पता था कि मैंने आज तुमको क्या ला कर दिया है।

ओ तो पता है।

फिर पता है तो बता दे की फिटिंग कैसी है।
 
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यह कहानी एक पिता और बेटी की है कैसे एक पिता अपनी बेटी की तरफ आकर्षित होता है और फिर बेटी भी उसके तरफ आकर्षित होती है

भाग 3
फिर घर में आकर मेरा दो दिन इसी तरह बीत गया तो मेरी बेटी ने मुझसे कहा कि पापा मैं फर्स्ट डिवीजन से पास हुई लेकिन मैंने मुझे कोई गिफ्ट नहीं दिया तो फिर मैंने कहा ओहो यह तो मैं भूल ही गया था कि मेरी बेटी को गिफ्ट भी देना है तो बताना क्या चाहिए तो उसने कहा कि मुझे सिर्फ एक चीज नहीं चाहिए मुझे बहुत सारा चाहिए तो मैंने कहा ठीक है बताना तो सही तो उसने कहा कि आपको मैं शॉपिंग करूंगी तो मैंने कहा कि ठीक है करवाऊं फिर उसने कहा कि थैंक यू पापा वैसे कल संडे है कलठीक होगा तो मैंने कहा ठीक है कल सबतैयार रहना कल चलेंगे शॉपिंग करने के लिए फिर संडे को हम लोग सबतैयार करके शॉपिंग करने के लिए अपने घर से अपनी कार में निकल पड़े और मार्केट खत्म मैंने एक बहुत बड़े मॉल के पास अपनी कार खड़ी कर दी फिर हम सब लोग मॉल के अंदर गए और मैंने सबसे कहा जोजिया लेना है ले लो और मैं वहीं पर मॉल में इधर-उधर टहल रहा था तभी मेरी बेटी ट्रायल रूम से एक ऐसी ड्रेस उसकी जान तक आ रही थी और ऊपर से उसका गला भी थोड़ा बड़ा था जब वह मेरी उभरी तो उसकी छाती यानी कि उसका दूध थोड़ा-थोड़ा मुझे नजर आ रहा था वैसे ही उसका दूध अभी बड़ा नहीं था लेकिन थोड़ा-सा नजर आ रहा था और इस तरह आज मैंने अपनी बेटी को देखकर मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरी बेटी इतनी बड़ी हो गई क्योंकि इससे पहले मैंने उसे कभी भी ऐसे कपड़े या इस हालत में नहीं देखा था क्योंकि आज तक मुझे एक बेटी के नजरिए से ही देखा था लेकिन आज उसे इस तरह देखकर मेरी भी नलिया बदल रही थी और आज मैं भी उसे एक मर्द की नजरों से देख रहा था और मन ही मन सोच रहा था कि मेरी बेटी कितनी खूबसूरत और सेक्सी लग रही है
आगे की कहानी अगले भाग में
 
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भाग 4
मैं अपनी बेटी को इस छोटी ड्रेस में इस तरह देखकर मैं मन ही मन सोच रहा था कि तभी उसकी मां उधर से आ गई और वह उसे देखकर बोली कि यह क्या पहन रखा है तुमने तो वह अपनी मां को देखकर खुश होते हुए बोली की मां कितनी अच्छी है ना ड्रेस तो उसकी मां बोली की अच्छी है लेकिन यह तुम्हारे लायक नहीं है फिर वह अपनी मां से बोली की क्या मेरे लायक नहीं अच्छी तो है फिटिंग एकदम परफेक्ट कलर भी मुझे बहुत पसंद है तो फिर उसकी मां बोली कि वह सब तो ठीक है लेकिन यह ऐसी ड्रेस पहन कर तू कहां जाएगी यह सब ड्रेस बड़ी लड़कियां पहनती है पार्टी उटी में जाने के लिए इसलिए मैं तुम्हें मना कर रही हूं कि यह तुम्हारे लायक नहीं है तो वह अपनी मां से बोली की मां मैं भी तो अब कॉलेज जाउंगी वैसे भी अब मैं इतनी बच्ची नहीं हूं जितना आप मुझे समझ रही हैं फिर उसकी मां बोली कि हां हां मैं जानती हूं की तू कितनी बड़ी हो गई है और तू कॉलेज जाएगी तो क्या ऐसी ड्रेस पहन करके जाएगी फिर वह बोली की मां आप समझ क्यों नहीं रही है यह ड्रेस मुझे बहुत पसंद है मैं इसी को लूंगी तो उसकी मां गुस्सा होते हुए बोली की बस बहुत बहस हो गया मैं बोल रही हूं कि यह ड्रेस तुम्हारे लिए सही नहीं है जाओऔर जल्दी से चेंज करके आओ मेरी बेटी समझ गई कि अब उसकी बात नहीं बनने वाली है तो वह मेरी तरफ देख कर बोली कि पापा आप कुछ समझाइए ना मां को अब मैं बीच में फंस गया कि अब मैं क्या करूं क्योंकि मुझे पता था कि उसकी मां मेरी बात भी नहीं मानेगी तो मैं उसकी मां को देखकर बोला कि मधु क्यों इतना जिद कर रही है तुम भी एक ड्रेस ही तो है और वैसे भी आजकल ऐसी ड्रेस पहनना आम बात है तो वह मेरी तरफ देखते हुए बोली कि आप बीच में मत बोलिए आपको समझ में नहीं आएगा आप मर्दों के लिए यह आम बात होगा लेकिन मेरे लिए नहीं और तू यहां खड़ी-खड़ी क्या देख रही है जा जल्दी से चेंज करके आओ और फिर मैं भी चुप हो गया फिर मेरी बेटी भी वह ड्रेस चेंज करने के लिए चली गई फिर चेंज करके आई तो उसकी मां बोली की जा कोई दूसरा ड्रेस पसंद करके ले ले फिर वह मुंह लटकाए हुए दूसरी ड्रेस पसंद करने के लिए चली गई मुझे भी उसको इस तरह देखकर अच्छा नहीं लग रहा था फिर सभी लोगों की शॉपिंग हो गई है और मैंने काउंटर पर जाकर सबका बिल पेमेंट किया और हम लोग मॉल के बाहर आगे और मैं उन सब को गाड़ी में बिठाया और फिर मैं वापस मॉल के अंदर गया जहां मेरी बेटी ने जो ड्रेस पसंद की उसे मैं अलग से पैक करवाया और उसे लेकर मैं वापस गाड़ी के पास आया तो मेरी बीवी ने पूछा कि यह क्या लेकर आए हैं तो मैंने कहा किया कुछ कपड़े हैं मेरे लिए अंदर में पहनने के लिए नहीं थे तो मैं ले लिया फिर वह कुछ नहीं बोली और हम लोग घर वापस आ गए फिर इसी तरह एक-दो दिन और बीत गया मेरी बेटी का कॉलेज में एडमिशन करवाना था तो मैंने उससे पूछा की बेटा कौन से कॉलेज में एडमिशन करवाएगी तो वह बोली की पापा मैं जीएसटी कॉलेज में एडमिशन करवाऊंगी जो कि हमारे घर से 20 किलोमीटर दूर में है तो मैंने पूछा कि बेटा वहां नाम लिख आएगी तो तू रहेगी कहां पर तो वह बोली पापा रूम लेकर रहूंगी मैं बोला क्या अकेली रहेगी तो वह बोली कि हां और नहीं तो क्या तभी उसकी मां वहां पर आ गई और पूछने लगी की क्या बातचीत चल रही है बाप बेटी में तो मैंने बोला कि मैं रितु से पूछ रहा था कि कौन से कॉलेज में एडमिशन करवाएगी तो यह बोल रही है कि जीएसटी कॉलेज में एडमिशन करवाएगी तो फिर वह बोली कि वहां एडमिशन करावेगी तो रहेगी कहां पर तो मैंने बोला कि यह बोल रही है कि रूम लेकर रहेगी तो वह बोली की अकेली कैसे रूम लेकर रहेगी तो मैंने कहा कि और कोई है भी तो नहीं इसके साथ में रहने के लिए कोई इधर की लड़की जो इसके साथ में रहेगी तो फिर मेरी बीवी ने कहा कि यह सब करने की कोई जरूरत नहीं है तो मैंने कहा कि तुम्हारा कहने का मतलब क्या है कि यह और नहीं पढेगी तो वह बोली कि मैंने कब कहा कि यह और नहीं पढेगी तो मैंने कहा कि कहां पढेगी तो वह बोली कि आप अपने कॉलेज में नाम लिखवा दीजिए वहां पर रहने का कोई दिक्कत तो नहीं होगा ना तो फिर मैंने बोला कि यह कैसे हो सकता है तो वह बोली कि क्यों नहीं हो सकता क्या ऐसा कोई कानून है कि जहां जिसका बाप पढाता है वहां उसके बेटा बेटी नहीं पढ़ सकते तो मैंने कहा कि ऐसी बात नहीं है तो फिर वह बोली कि फिर क्या बात तो फिर मैंने कहा कि अगर मैं इसका नाम वहां पर लिखवा दिया तो सब लोग इसको ताना मारेंगे और छेडेगें और कहेंगे कि इसके बाप ने अपने पैसे बचाने के लिए इसको अपने कॉलेज में लेकर आ गया फिर वह चुप हो गई और सोचने लगी फिर मैं सोच कर कहा कि एक उपाय हो सकता है तो वह बोली की क्या तो मैंने कहा कि अगर इसका एडमिशन वहां पर करवाना है तो सबसे छुपाना पड़ेगा कि यह मेरी बेटी है मतलब वहां पर किसी को मालूम नहीं पडना चाहिए की ऋतु मेरी बेटी है तो वह बोली की यह कैसे हो सकता है यह आपके साथ में वहां रहेगी तो वह लोग पूछेंगे नहीं कि यह कौन है आपके साथ में क्यों रह रही है तो मैंने कहा कि नहीं पूछेंगे क्योंकि मैं जहां पर रहता हूं वह रूम कॉलेज से दूर में है और मैं जिस घर में रहता हूं उसका मकान मालिक साहब अमेरिका में रहते हैं मैं वहां पर अकेला रहता हूं इसलिए वहां पर इसको कोई नहीं देख सकता फिर मेरी बीवी खुश हो गई और बोली कि यह तो बहुत अच्छी बात है तो मैंने कहा कि यह तो ठीक है लेकिन क्या रितु वहां जाने के लिए तैयार है तो मैं रितु से पूछा बेटा क्या तुम वहां पर जाएगी तो वह शर्मा के चुप हो गई मैं समझ गय कि वह मेरे साथ में रहने के लिए शर्मा रही है तो फिर मैंने कहा बेटा अगर तुम्हारा मन होगा तो तभी हां कहना और नहीं तो तू जहां कहेगी वहीं पर तुम्हारा नाम लिखवा देंगे तो फिर उसकी मां ने कहा कि इसमें मना करने की क्या बात है उससे अच्छा जगह रहने के लिए और कहां मिलेगा तो मैंने कहा कि सिर्फ तुम्हारा कहने से नहीं होगा नहीं इसका भी तो मन होना चाहिए आखिर पढ़ना तो इसी को है ना।
आगे की कहानी अगले भाग में
 
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भाग 4
मैं अपनी बेटी को इस छोटी ड्रेस में इस तरह देखकर मैं मन ही मन सोच रहा था कि तभी उसकी मां उधर से आ गई और वह उसे देखकर बोली कि यह क्या पहन रखा है तुमने तो वह अपनी मां को देखकर खुश होते हुए बोली की मां कितनी अच्छी है ना ड्रेस तो उसकी मां बोली की अच्छी है लेकिन यह तुम्हारे लायक नहीं है फिर वह अपनी मां से बोली की क्या मेरे लायक नहीं अच्छी तो है फिटिंग एकदम परफेक्ट कलर भी मुझे बहुत पसंद है तो फिर उसकी मां बोली कि वह सब तो ठीक है लेकिन यह ऐसी ड्रेस पहन कर तू कहां जाएगी यह सब ड्रेस बड़ी लड़कियां पहनती है पार्टी उटी में जाने के लिए इसलिए मैं तुम्हें मना कर रही हूं कि यह तुम्हारे लायक नहीं है तो वह अपनी मां से बोली की मां मैं भी तो अब कॉलेज जाउंगी वैसे भी अब मैं इतनी बच्ची नहीं हूं जितना आप मुझे समझ रही हैं फिर उसकी मां बोली कि हां हां मैं जानती हूं की तू कितनी बड़ी हो गई है और तू कॉलेज जाएगी तो क्या ऐसी ड्रेस पहन करके जाएगी फिर वह बोली की मां आप समझ क्यों नहीं रही है यह ड्रेस मुझे बहुत पसंद है मैं इसी को लूंगी तो उसकी मां गुस्सा होते हुए बोली की बस बहुत बहस हो गया मैं बोल रही हूं कि यह ड्रेस तुम्हारे लिए सही नहीं है जाओऔर जल्दी से चेंज करके आओ मेरी बेटी समझ गई कि अब उसकी बात नहीं बनने वाली है तो वह मेरी तरफ देख कर बोली कि पापा आप कुछ समझाइए ना मां को अब मैं बीच में फंस गया कि अब मैं क्या करूं क्योंकि मुझे पता था कि उसकी मां मेरी बात भी नहीं मानेगी तो मैं उसकी मां को देखकर बोला कि मधु क्यों इतना जिद कर रही है तुम भी एक ड्रेस ही तो है और वैसे भी आजकल ऐसी ड्रेस पहनना आम बात है तो वह मेरी तरफ देखते हुए बोली कि आप बीच में मत बोलिए आपको समझ में नहीं आएगा आप मर्दों के लिए यह आम बात होगा लेकिन मेरे लिए नहीं और तू यहां खड़ी-खड़ी क्या देख रही है जा जल्दी से चेंज करके आओ और फिर मैं भी चुप हो गया फिर मेरी बेटी भी वह ड्रेस चेंज करने के लिए चली गई फिर चेंज करके आई तो उसकी मां बोली की जा कोई दूसरा ड्रेस पसंद करके ले ले फिर वह मुंह लटकाए हुए दूसरी ड्रेस पसंद करने के लिए चली गई मुझे भी उसको इस तरह देखकर अच्छा नहीं लग रहा था फिर सभी लोगों की शॉपिंग हो गई है और मैंने काउंटर पर जाकर सबका बिल पेमेंट किया और हम लोग मॉल के बाहर आगे और मैं उन सब को गाड़ी में बिठाया और फिर मैं वापस मॉल के अंदर गया जहां मेरी बेटी ने जो ड्रेस पसंद की उसे मैं अलग से पैक करवाया और उसे लेकर मैं वापस गाड़ी के पास आया तो मेरी बीवी ने पूछा कि यह क्या लेकर आए हैं तो मैंने कहा किया कुछ कपड़े हैं मेरे लिए अंदर में पहनने के लिए नहीं थे तो मैं ले लिया फिर वह कुछ नहीं बोली और हम लोग घर वापस आ गए फिर इसी तरह एक-दो दिन और बीत गया मेरी बेटी का कॉलेज में एडमिशन करवाना था तो मैंने उससे पूछा की बेटा कौन से कॉलेज में एडमिशन करवाएगी तो वह बोली की पापा मैं जीएसटी कॉलेज में एडमिशन करवाऊंगी जो कि हमारे घर से 20 किलोमीटर दूर में है तो मैंने पूछा कि बेटा वहां नाम लिख आएगी तो तू रहेगी कहां पर तो वह बोली पापा रूम लेकर रहूंगी मैं बोला क्या अकेली रहेगी तो वह बोली कि हां और नहीं तो क्या तभी उसकी मां वहां पर आ गई और पूछने लगी की क्या बातचीत चल रही है बाप बेटी में तो मैंने बोला कि मैं रितु से पूछ रहा था कि कौन से कॉलेज में एडमिशन करवाएगी तो यह बोल रही है कि जीएसटी कॉलेज में एडमिशन करवाएगी तो फिर वह बोली कि वहां एडमिशन करावेगी तो रहेगी कहां पर तो मैंने बोला कि यह बोल रही है कि रूम लेकर रहेगी तो वह बोली की अकेली कैसे रूम लेकर रहेगी तो मैंने कहा कि और कोई है भी तो नहीं इसके साथ में रहने के लिए कोई इधर की लड़की जो इसके साथ में रहेगी तो फिर मेरी बीवी ने कहा कि यह सब करने की कोई जरूरत नहीं है तो मैंने कहा कि तुम्हारा कहने का मतलब क्या है कि यह और नहीं पढेगी तो वह बोली कि मैंने कब कहा कि यह और नहीं पढेगी तो मैंने कहा कि कहां पढेगी तो वह बोली कि आप अपने कॉलेज में नाम लिखवा दीजिए वहां पर रहने का कोई दिक्कत तो नहीं होगा ना तो फिर मैंने बोला कि यह कैसे हो सकता है तो वह बोली कि क्यों नहीं हो सकता क्या ऐसा कोई कानून है कि जहां जिसका बाप पढाता है वहां उसके बेटा बेटी नहीं पढ़ सकते तो मैंने कहा कि ऐसी बात नहीं है तो फिर वह बोली कि फिर क्या बात तो फिर मैंने कहा कि अगर मैं इसका नाम वहां पर लिखवा दिया तो सब लोग इसको ताना मारेंगे और छेडेगें और कहेंगे कि इसके बाप ने अपने पैसे बचाने के लिए इसको अपने कॉलेज में लेकर आ गया फिर वह चुप हो गई और सोचने लगी फिर मैं सोच कर कहा कि एक उपाय हो सकता है तो वह बोली की क्या तो मैंने कहा कि अगर इसका एडमिशन वहां पर करवाना है तो सबसे छुपाना पड़ेगा कि यह मेरी बेटी है मतलब वहां पर किसी को मालूम नहीं पडना चाहिए की ऋतु मेरी बेटी है तो वह बोली की यह कैसे हो सकता है यह आपके साथ में वहां रहेगी तो वह लोग पूछेंगे नहीं कि यह कौन है आपके साथ में क्यों रह रही है तो मैंने कहा कि नहीं पूछेंगे क्योंकि मैं जहां पर रहता हूं वह रूम कॉलेज से दूर में है और मैं जिस घर में रहता हूं उसका मकान मालिक साहब अमेरिका में रहते हैं मैं वहां पर अकेला रहता हूं इसलिए वहां पर इसको कोई नहीं देख सकता फिर मेरी बीवी खुश हो गई और बोली कि यह तो बहुत अच्छी बात है तो मैंने कहा कि यह तो ठीक है लेकिन क्या रितु वहां जाने के लिए तैयार है तो मैं रितु से पूछा बेटा क्या तुम वहां पर जाएगी तो वह शर्मा के चुप हो गई मैं समझ गय कि वह मेरे साथ में रहने के लिए शर्मा रही है तो फिर मैंने कहा बेटा अगर तुम्हारा मन होगा तो तभी हां कहना और नहीं तो तू जहां कहेगी वहीं पर तुम्हारा नाम लिखवा देंगे तो फिर उसकी मां ने कहा कि इसमें मना करने की क्या बात है उससे अच्छा जगह रहने के लिए और कहां मिलेगा तो मैंने कहा कि सिर्फ तुम्हारा कहने से नहीं होगा नहीं इसका भी तो मन होना चाहिए आखिर पढ़ना तो इसी को है ना।
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Nice update and awesome writing skills
 
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मैं अपनी बेटी को अपने कॉलेज नाम लिखवाने के बारे में पूछा कि क्या हुआ वहां नाम लिखवाएगी तो फिर वह बोली कि आप दोनों का मन वहीं पर लिखवाने का है तो मैं मना कैसे कर सकती हूं।
इसलिए मैं भी आपके साथ जाने के लिए तैयार हूं। यह सुनते ही उसकी मां बहुत खुशी हुई और बोली कि यह तो बहुत अच्छी बात है कि तुमने हमारी बात मानी नहीं तो ऐसे कितने बच्चे होते हैं जो अपनी मां-बाप की बात नहीं मानते फिर मैंने कहा हां यह बात तो है ।

इसीलिए तो मुझे मेरी बेटी पर गर्व है फिर रितु ने कहा पापा इसमें गर्व करने वाली क्या बात है आप लोग मेरे मां-बाप हैं आपकी बात नहीं मानूंगी तो किसकी मानूंगी हां बेटा वह तो है लेकिन मां-बाप की बात मानना भी बड़ी बात होती हैं।
फिर मैंने कहा कि चलो अब एक टेंशन थी वह तो सॉल्व हो गई फिर मैंने कहा कि अब मेरी छुट्टी भी खत्म होने वाली है एक-दो दिन के बाद हम यहां से जाएंगे तो अपनी सामान और कपड़े वगैरा पैक कर लो, रितु ठीक है पापा मैं पैक कर लूंगी मैंने कहा ठीक है चलो अब खाना खाते हैं फिर हम सब ने खाना खाया फिर 2 दिन के बाद हम दोनों बाप बेटी शहर जाने के लिए निकल गए जहां कॉलेज था हम लोग वहां पहुंचे तो शाम हो चुकी थी इसलिए मैंने सोचा कि आज खाना तो नहीं बनेगा इसलिए मैंने होटल से खाना पैक करवा के ले लिया फिर हम दोनों रूम पर पहुंचे फिर हम लोगों ने अपना अपना बैग रखा फिर मैं रितु से कहा कि बेटा बाथरूम में जाकर फ्रेश हो ले फिर उसने अपना कपड़ा बैग से निकाला और फ्रेश होने के लिए बाथरुम में चली गई फिर मैं भी अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ चड्डी में था फिर मुझे याद आया कि अब मैं यहां अकेला नहीं हूं मेरी बेटी भी है तो मैं फिर ऊपर से गमछा लपेट लिया मैं नहीं चाहता था कि वह मेरे बारे में कुछ गलत सोच वैसे मैं जब घर या रूम में रहता हूं तो पजामा या हाफ पैंट पहन के रहता हूं क्योंकि अभी मैं बाहर से आया था तो मुझे भी फ्रेश होना था तो इसलिए मैं अभी पजामा नहीं पहन सकता फिर कुछ देर बाद रितु फ्रेश होकर बाथरूम से नहा कर निकली तो उसके बाल भीगे हुए थे तो उसने मुझसे पूछा कि पापा कोई मोटा गमछा है क्या आपके पास सर भीगा हुआ है और पानी टपक रहा है इसे सूखने के लिए फिर मैंने कहा बेटा गमछा तो होगा अभी खोज कर देता हूं फिर मैं अलमारी से गमछा निकाल कर उसको दिया और मैंने उससे कहा कि बेटा तुम अपने बाल उल सुखाकर रेडी हो जाओ तब तक मैं नहा कर आता हूं फिर उसने कहा ठीक है पापा आप जाइए नहा नहा लीजिए फिर जैसे ही मैं बाथरूम में घुसकर दरवाजा लॉक किया और पीछे मुड़ा तो देखा मेरी बेटी के कपड़े जो उसने खोले थे वहीं पर पडा हुआ था उसमें उसकी लाल रंग की चड्डी भी पड़ी हुई थी फिर मैं सोचने लगा की ऋतु अपने कपड़े ऐसे कैसे छोड़ कर चली गई फिर मेरे मन में आया कि शायद वो घर में नहाती होगी तो ऐसे ही छोड़कर चली आती होगी बाद में धोने के लिए क्योंकि वहां कोई और मर्द तो था नहीं इस आदत के चलते आज यहां भी छोड़ दी फिर मैं उन कपड़ों को उठाकर साइड में रख दिया फिर मैं नहाने लगा तो मेरी नजर बार-बार उसकी चड्डी पर जा रही थी फिर मेरा मन नहीं माना तो मैं उसकी चड्डी को उठाकर देखने लगा और मैं अंदाजा लगाने लगा किसकी साइज कितनी होगी तो मुझे लगा कि 30 या 32 होगी फिर मैं उसे रख दिया फिर मुझे याद आया कि उसकी चड्डी तो है लेकिन उसकी ब्रा नहीं है इसमें फिर मैं उसके सारे कपड़े को उठा कर देखने लगा कि शायद इसमें कहीं छिपा हो फिर भी मुझे उसकी ब्रा नहीं मिला फिर मुझे लगा कि शायद आज उसने ब्रा नहीं पहनी हो रास्ते में आने टाइम मेरा ध्यान भी नहीं पड़ा उसकी बॉडी पर की पहनी थी या नहीं यही सब सोते हुए मैं नहाने लगा फिर मेरी बेटी मुझे बाहर से आवाज देने लगी पापा पापा हां बेटा बोलो क्या हुआ पापा आप नहा रहे हां बेटा क्या हुआ बोलो पापा ओ मेरे भीगे हुए कपड़े मैं वहीं छोड़ दी हां बेटा मैं तुम्हारे कपड़े ही साइड में रख दिए हैं तुम टेंशन मत लो।

फिर मैं नहा के बाहर निकाला तो देख मेरी बेटी बाल उल झाड़ के पूरा रेडी होकर बैठी हुई थी मुझे देखकर खड़ी हो गई और मुझे बोलने लगी सॉरी पापा तो मैं अपने कपड़े गलती से वही छोड़ दी मैंने कहा अरे इसमें सॉरी बोलने की क्या जरूरत है भीगे हुए कपड़े बाथरूम में नहीं तो क्या किचन में रहेगा तू उसकी टेंशन मत ले उसको वहीं रहने दे कल सुबह उसे धो लेना ठीक है रितु मुझे लगा कि आप मुझ पर गुस्सा करेंगे शेखर अरे मैं गुस्सा क्यों करूंगा मैंने आज तक तुम पर कभी गुस्सा किया है जी नहीं तो फिर आज क्यों गुस्सा करूंगा अब यह सब छोड़ो और चलो खाना खाते हैं रितु ठीक है मैं खाना लगाती हूं ठीक है बेटा तब तक मैं भी अपने बाल झाड़ लेता हूं रितु किचन में चली जाती है खाना लगाने के लिए और मन ही मन सोचती है कि मैं फालतू में पापा से इतना डरती हूं और पापा मुझे कितना प्यार करते हैं खाना लगाने के बाद रितु पापा के पास आती है करती है पापा खाना लग गया है ठीक है बेटा यहीं पर ले आओ खाना यहीं खा लेंगे रितु दोनों का खाना लेकर वहीं पर बेडरूम में आ गई बेडरूम में ही एक छोटा सा टेबल था उसी पर वहीं बैठ कर दोनों खाना खाने लगे खाना खाने के बाद रितु बर्तन लेकर धोने चली गई और उसके पापा वहीं बेड पर लेट गए रितु बर्तन धोकर वापस आई तो उसके पापा ने पूछा कि बेटा क्या कर रही थी इतनी देर तो रितु ने कहा कि पापा बर्तन धो रही थी अरे तो बर्तन कल सुबह धो लेती अभी धोने की क्या जरूरत थी रितु पापा थोड़ा सा बर्तन था इसलिए मैंने धो दिया शेखर अच्छा ठीक है कोई बात नहीं शेखर जी बेड से उठते हुए रितु से कहा बेटा तुम यहां बेड पर सो जाओ मैं वहां सोफा पर सो जाता हूं रितु क्यों सोफा पर आप क्यों सोएंगे शेखर जी बेटा बेड एक ही है तो तू यहां पर सो जा और मैं वहां सो जाता हूं रितु नहीं नहीं आप बेड पर सोइए मैं वहां सोफे पर सो जाती हूं शेखर जी नहीं नहीं बेटा एक-दो दिन की बात है मैं वहां पर सो जाता हूं फिर मैं एक नया बेड खरीद कर ले आऊंगा रितु बेड को देखते हुए बोली ठीक है अगर एक-दो दिन की बात है तो इतनी बड़ी बेड है तो इसी पर अर्जेस्ट कर लेते हैं एक तरफ आप सो जाइए एक तरफ मैं सो जाऊंगी शेखर जी तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं होगी ना एक ही बेड पर सोने में रितु नहीं मुझे क्या दिक्कत होगी शेखर जी तो ठीक है कुछ दिन की बात है एडजस्ट कर लेते हैं तुम किस तरफ सोएगी रितु मैं कहीं भी सो जाऊंगी आपको जहां सोना है सोइए शेखर जी ठीक है तुम दीवाल की तरफ सो जाओ मैं इधर सोता हूं।

आगे की कहानी अगले भाग में।
 
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भाग 5
मैं अपनी बेटी को अपने कॉलेज नाम लिखवाने के बारे में पूछा कि क्या हुआ वहां नाम लिखवाएगी तो फिर वह बोली कि आप दोनों का मन वहीं पर लिखवाने का है तो मैं मना कैसे कर सकती हूं।
इसलिए मैं भी आपके साथ जाने के लिए तैयार हूं। यह सुनते ही उसकी मां बहुत खुशी हुई और बोली कि यह तो बहुत अच्छी बात है कि तुमने हमारी बात मानी नहीं तो ऐसे कितने बच्चे होते हैं जो अपनी मां-बाप की बात नहीं मानते फिर मैंने कहा हां यह बात तो है ।

इसीलिए तो मुझे मेरी बेटी पर गर्व है फिर रितु ने कहा पापा इसमें गर्व करने वाली क्या बात है आप लोग मेरे मां-बाप हैं आपकी बात नहीं मानूंगी तो किसकी मानूंगी हां बेटा वह तो है लेकिन मां-बाप की बात मानना भी बड़ी बात होती हैं।
फिर मैंने कहा कि चलो अब एक टेंशन थी वह तो सॉल्व हो गई फिर मैंने कहा कि अब मेरी छुट्टी भी खत्म होने वाली है एक-दो दिन के बाद हम यहां से जाएंगे तो अपनी सामान और कपड़े वगैरा पैक कर लो, रितु ठीक है पापा मैं पैक कर लूंगी मैंने कहा ठीक है चलो अब खाना खाते हैं फिर हम सब ने खाना खाया फिर 2 दिन के बाद हम दोनों बाप बेटी शहर जाने के लिए निकल गए जहां कॉलेज था हम लोग वहां पहुंचे तो शाम हो चुकी थी इसलिए मैंने सोचा कि आज खाना तो नहीं बनेगा इसलिए मैंने होटल से खाना पैक करवा के ले लिया फिर हम दोनों रूम पर पहुंचे फिर हम लोगों ने अपना अपना बैग रखा फिर मैं रितु से कहा कि बेटा बाथरूम में जाकर फ्रेश हो ले फिर उसने अपना कपड़ा बैग से निकाला और फ्रेश होने के लिए बाथरुम में चली गई फिर मैं भी अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ चड्डी में था फिर मुझे याद आया कि अब मैं यहां अकेला नहीं हूं मेरी बेटी भी है तो मैं फिर ऊपर से गमछा लपेट लिया मैं नहीं चाहता था कि वह मेरे बारे में कुछ गलत सोच वैसे मैं जब घर या रूम में रहता हूं तो पजामा या हाफ पैंट पहन के रहता हूं क्योंकि अभी मैं बाहर से आया था तो मुझे भी फ्रेश होना था तो इसलिए मैं अभी पजामा नहीं पहन सकता फिर कुछ देर बाद रितु फ्रेश होकर बाथरूम से नहा कर निकली तो उसके बाल भीगे हुए थे तो उसने मुझसे पूछा कि पापा कोई मोटा गमछा है क्या आपके पास सर भीगा हुआ है और पानी टपक रहा है इसे सूखने के लिए फिर मैंने कहा बेटा गमछा तो होगा अभी खोज कर देता हूं फिर मैं अलमारी से गमछा निकाल कर उसको दिया और मैंने उससे कहा कि बेटा तुम अपने बाल उल सुखाकर रेडी हो जाओ तब तक मैं नहा कर आता हूं फिर उसने कहा ठीक है पापा आप जाइए नहा नहा लीजिए फिर जैसे ही मैं बाथरूम में घुसकर दरवाजा लॉक किया और पीछे मुड़ा तो देखा मेरी बेटी के कपड़े जो उसने खोले थे वहीं पर पडा हुआ था उसमें उसकी लाल रंग की चड्डी भी पड़ी हुई थी फिर मैं सोचने लगा की ऋतु अपने कपड़े ऐसे कैसे छोड़ कर चली गई फिर मेरे मन में आया कि शायद वो घर में नहाती होगी तो ऐसे ही छोड़कर चली आती होगी बाद में धोने के लिए क्योंकि वहां कोई और मर्द तो था नहीं इस आदत के चलते आज यहां भी छोड़ दी फिर मैं उन कपड़ों को उठाकर साइड में रख दिया फिर मैं नहाने लगा तो मेरी नजर बार-बार उसकी चड्डी पर जा रही थी फिर मेरा मन नहीं माना तो मैं उसकी चड्डी को उठाकर देखने लगा और मैं अंदाजा लगाने लगा किसकी साइज कितनी होगी तो मुझे लगा कि 30 या 32 होगी फिर मैं उसे रख दिया फिर मुझे याद आया कि उसकी चड्डी तो है लेकिन उसकी ब्रा नहीं है इसमें फिर मैं उसके सारे कपड़े को उठा कर देखने लगा कि शायद इसमें कहीं छिपा हो फिर भी मुझे उसकी ब्रा नहीं मिला फिर मुझे लगा कि शायद आज उसने ब्रा नहीं पहनी हो रास्ते में आने टाइम मेरा ध्यान भी नहीं पड़ा उसकी बॉडी पर की पहनी थी या नहीं यही सब सोते हुए मैं नहाने लगा फिर मेरी बेटी मुझे बाहर से आवाज देने लगी पापा पापा हां बेटा बोलो क्या हुआ पापा आप नहा रहे हां बेटा क्या हुआ बोलो पापा ओ मेरे भीगे हुए कपड़े मैं वहीं छोड़ दी हां बेटा मैं तुम्हारे कपड़े ही साइड में रख दिए हैं तुम टेंशन मत लो।

फिर मैं नहा के बाहर निकाला तो देख मेरी बेटी बाल उल झाड़ के पूरा रेडी होकर बैठी हुई थी मुझे देखकर खड़ी हो गई और मुझे बोलने लगी सॉरी पापा तो मैं अपने कपड़े गलती से वही छोड़ दी मैंने कहा अरे इसमें सॉरी बोलने की क्या जरूरत है भीगे हुए कपड़े बाथरूम में नहीं तो क्या किचन में रहेगा तू उसकी टेंशन मत ले उसको वहीं रहने दे कल सुबह उसे धो लेना ठीक है रितु मुझे लगा कि आप मुझ पर गुस्सा करेंगे शेखर अरे मैं गुस्सा क्यों करूंगा मैंने आज तक तुम पर कभी गुस्सा किया है जी नहीं तो फिर आज क्यों गुस्सा करूंगा अब यह सब छोड़ो और चलो खाना खाते हैं रितु ठीक है मैं खाना लगाती हूं ठीक है बेटा तब तक मैं भी अपने बाल झाड़ लेता हूं रितु किचन में चली जाती है खाना लगाने के लिए और मन ही मन सोचती है कि मैं फालतू में पापा से इतना डरती हूं और पापा मुझे कितना प्यार करते हैं खाना लगाने के बाद रितु पापा के पास आती है करती है पापा खाना लग गया है ठीक है बेटा यहीं पर ले आओ खाना यहीं खा लेंगे रितु दोनों का खाना लेकर वहीं पर बेडरूम में आ गई बेडरूम में ही एक छोटा सा टेबल था उसी पर वहीं बैठ कर दोनों खाना खाने लगे खाना खाने के बाद रितु बर्तन लेकर धोने चली गई और उसके पापा वहीं बेड पर लेट गए रितु बर्तन धोकर वापस आई तो उसके पापा ने पूछा कि बेटा क्या कर रही थी इतनी देर तो रितु ने कहा कि पापा बर्तन धो रही थी अरे तो बर्तन कल सुबह धो लेती अभी धोने की क्या जरूरत थी रितु पापा थोड़ा सा बर्तन था इसलिए मैंने धो दिया शेखर अच्छा ठीक है कोई बात नहीं शेखर जी बेड से उठते हुए रितु से कहा बेटा तुम यहां बेड पर सो जाओ मैं वहां सोफा पर सो जाता हूं रितु क्यों सोफा पर आप क्यों सोएंगे शेखर जी बेटा बेड एक ही है तो तू यहां पर सो जा और मैं वहां सो जाता हूं रितु नहीं नहीं आप बेड पर सोइए मैं वहां सोफे पर सो जाती हूं शेखर जी नहीं नहीं बेटा एक-दो दिन की बात है मैं वहां पर सो जाता हूं फिर मैं एक नया बेड खरीद कर ले आऊंगा रितु बेड को देखते हुए बोली ठीक है अगर एक-दो दिन की बात है तो इतनी बड़ी बेड है तो इसी पर अर्जेस्ट कर लेते हैं एक तरफ आप सो जाइए एक तरफ मैं सो जाऊंगी शेखर जी तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं होगी ना एक ही बेड पर सोने में रितु नहीं मुझे क्या दिक्कत होगी शेखर जी तो ठीक है कुछ दिन की बात है एडजस्ट कर लेते हैं तुम किस तरफ सोएगी रितु मैं कहीं भी सो जाऊंगी आपको जहां सोना है सोइए शेखर जी ठीक है तुम दीवाल की तरफ सो जाओ मैं इधर सोता हूं।

आगे की कहानी अगले भाग में।
Nice update and awesome writing skills
 

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