Incest बाप और बेटी का रोमांस

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भाग 9
जैसे ही मैं बाथरुम से नहा कर निकाला तो मेरी बेटी बेडरूम में बैठी हुई थी।

तो मैंने कहा बेटा तू भी नहा ले'।



रितिका पापा मैं आज नहीं नहा सकती।

तो मैंने पूछा क्यों तो उसने अपनी नज़रें नीचे करके बोली मेरे ब्लड निकल रहे हैं इसलिए मैं अभी नहीं नहा सकती।

तो मैंने कहा कि मैं भी कितना बेवकूफ मुझे इतना भी समझ में नहीं आया कि तुम्हारी पीरियड चालू है तो तू कैसे नहा सकती है।


फिर मैने पूछा खाना रेडी है तो उसने कहा जी हां खाना तैयार है आप बैठी है मैं अभी लेकर आता हूं।

फिर हम दोनों टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे एक तरफ वो बैठी थी एकतफ मै बैठा था।


फिर मैं उसको छेड़ने के इरादे से बोल साइज ठीक था ।

तो वह मेरी तरफ देखते हुए बोली किसका साइज।



मैं अपनी नज़रें नीचे किए हुए बोला उसी का जो मैंने तुमको आज लाकर दिया।

तो रितिका समझ गई कि पापा किस चीज के बारे में पूछ रहे हैं
पापा पैटीं के बारे में पूछ रहे हैं की फिटिंग सही हुआ कि नहीं।

अच्छा तो पैंटी का नाम लेने में शर्मा रहे हैं मैं भी उनकी शर्माहट का फायदा उठा लेती हूँ।

देखती हूं कब तक वो पैंटी का नाम नहीं लेते।

आप किसकी साइज के बारे में पूछ रहे हैं मैं समझी नहीं।

अरे उसी के बारे में पूछ रहा हूं जो आज सुबह मैं ला कर दिया है।

ओ हो पैड के बारे में पूछ रहे हैं।

और उसके साथ में क्या लाकर दिया था।

पैंटी
हां उसी के बारे में पूछ रहा हूं।

तो सीधे नाम लेकर नहीं पूछ सकते थे।

अरे बोल तो रहा हूं कि आज सुबह जो लाकर दिया उसका साइज ठीक है कि नहीं तो तुम कर रही हो किसका किसका।


मुस्कुराते हुए मुझे क्या पता था कि आप उसी के बारे में पूछ रहे हैं

अच्छा अपने बाप से चालाकी तुम्हें नहीं पता था कि मैंने आज तुमको क्या ला कर दिया है।

ओ तो पता है।

फिर पता है तो बता दे की फिटिंग कैसी है।
 
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भाग 9
जैसे ही मैं बाथरुम से नहा कर निकाला तो मेरी बेटी बेडरूम में बैठी हुई थी।

तो मैंने कहा बेटा तू भी नहा ले'।



रितिका पापा मैं आज नहीं नहा सकती।

तो मैंने पूछा क्यों तो उसने अपनी नज़रें नीचे करके बोली मेरे ब्लड निकल रहे हैं इसलिए मैं अभी नहीं नहा सकती।

तो मैंने कहा कि मैं भी कितना बेवकूफ मुझे इतना भी समझ में नहीं आया कि तुम्हारी पीरियड चालू है तो तू कैसे नहा सकती है।


फिर मैने पूछा खाना रेडी है तो उसने कहा जी हां खाना तैयार है आप बैठी है मैं अभी लेकर आता हूं।

फिर हम दोनों टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे एक तरफ वो बैठी थी एकतफ मै बैठा था।


फिर मैं उसको छेड़ने के इरादे से बोल साइज ठीक था ।

तो वह मेरी तरफ देखते हुए बोली किसका साइज।



मैं अपनी नज़रें नीचे किए हुए बोला उसी का जो मैंने तुमको आज लाकर दिया।

तो रितिका समझ गई कि पापा किस चीज के बारे में पूछ रहे हैं
पापा पैटीं के बारे में पूछ रहे हैं की फिटिंग सही हुआ कि नहीं।

अच्छा तो पैंटी का नाम लेने में शर्मा रहे हैं मैं भी उनकी शर्माहट का फायदा उठा लेती हूँ।

देखती हूं कब तक वो पैंटी का नाम नहीं लेते।

आप किसकी साइज के बारे में पूछ रहे हैं मैं समझी नहीं।

अरे उसी के बारे में पूछ रहा हूं जो आज सुबह मैं ला कर दिया है।

ओ हो पैड के बारे में पूछ रहे हैं।

और उसके साथ में क्या लाकर दिया था।

पैंटी
हां उसी के बारे में पूछ रहा हूं।

तो सीधे नाम लेकर नहीं पूछ सकते थे।

अरे बोल तो रहा हूं कि आज सुबह जो लाकर दिया उसका साइज ठीक है कि नहीं तो तुम कर रही हो किसका किसका।


मुस्कुराते हुए मुझे क्या पता था कि आप उसी के बारे में पूछ रहे हैं

अच्छा अपने आप से चला कि तुम्हें नहीं पता था कि मैंने आज तुमको क्या ला कर दिया है।

ओ तो पता है।

फिर पता है तो बता दे की फिटिंग कैसी है।
Nice update, congrats 🎉 🎉 🎉 for starting new story dear yadav

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भाग 9
जैसे ही मैं बाथरुम से नहा कर निकाला तो मेरी बेटी बेडरूम में बैठी हुई थी।

तो मैंने कहा बेटा तू भी नहा ले'।



रितिका पापा मैं आज नहीं नहा सकती।

तो मैंने पूछा क्यों तो उसने अपनी नज़रें नीचे करके बोली मेरे ब्लड निकल रहे हैं इसलिए मैं अभी नहीं नहा सकती।

तो मैंने कहा कि मैं भी कितना बेवकूफ मुझे इतना भी समझ में नहीं आया कि तुम्हारी पीरियड चालू है तो तू कैसे नहा सकती है।


फिर मैने पूछा खाना रेडी है तो उसने कहा जी हां खाना तैयार है आप बैठी है मैं अभी लेकर आता हूं।

फिर हम दोनों टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे एक तरफ वो बैठी थी एकतफ मै बैठा था।


फिर मैं उसको छेड़ने के इरादे से बोल साइज ठीक था ।

तो वह मेरी तरफ देखते हुए बोली किसका साइज।



मैं अपनी नज़रें नीचे किए हुए बोला उसी का जो मैंने तुमको आज लाकर दिया।

तो रितिका समझ गई कि पापा किस चीज के बारे में पूछ रहे हैं
पापा पैटीं के बारे में पूछ रहे हैं की फिटिंग सही हुआ कि नहीं।

अच्छा तो पैंटी का नाम लेने में शर्मा रहे हैं मैं भी उनकी शर्माहट का फायदा उठा लेती हूँ।

देखती हूं कब तक वो पैंटी का नाम नहीं लेते।

आप किसकी साइज के बारे में पूछ रहे हैं मैं समझी नहीं।

अरे उसी के बारे में पूछ रहा हूं जो आज सुबह मैं ला कर दिया है।

ओ हो पैड के बारे में पूछ रहे हैं।

और उसके साथ में क्या लाकर दिया था।

पैंटी
हां उसी के बारे में पूछ रहा हूं।

तो सीधे नाम लेकर नहीं पूछ सकते थे।

अरे बोल तो रहा हूं कि आज सुबह जो लाकर दिया उसका साइज ठीक है कि नहीं तो तुम कर रही हो किसका किसका।


मुस्कुराते हुए मुझे क्या पता था कि आप उसी के बारे में पूछ रहे हैं

अच्छा अपने आप से चला कि तुम्हें नहीं पता था कि मैंने आज तुमको क्या ला कर दिया है।

ओ तो पता है।

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Nice update and awesome writing skills
 
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भाग 9
जैसे ही मैं बाथरुम से नहा कर निकाला तो मेरी बेटी बेडरूम में बैठी हुई थी।

तो मैंने कहा बेटा तू भी नहा ले'।



रितिका पापा मैं आज नहीं नहा सकती।

तो मैंने पूछा क्यों तो उसने अपनी नज़रें नीचे करके बोली मेरे ब्लड निकल रहे हैं इसलिए मैं अभी नहीं नहा सकती।

तो मैंने कहा कि मैं भी कितना बेवकूफ मुझे इतना भी समझ में नहीं आया कि तुम्हारी पीरियड चालू है तो तू कैसे नहा सकती है।


फिर मैने पूछा खाना रेडी है तो उसने कहा जी हां खाना तैयार है आप बैठी है मैं अभी लेकर आता हूं।

फिर हम दोनों टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे एक तरफ वो बैठी थी एकतफ मै बैठा था।


फिर मैं उसको छेड़ने के इरादे से बोल साइज ठीक था ।

तो वह मेरी तरफ देखते हुए बोली किसका साइज।



मैं अपनी नज़रें नीचे किए हुए बोला उसी का जो मैंने तुमको आज लाकर दिया।

तो रितिका समझ गई कि पापा किस चीज के बारे में पूछ रहे हैं
पापा पैटीं के बारे में पूछ रहे हैं की फिटिंग सही हुआ कि नहीं।

अच्छा तो पैंटी का नाम लेने में शर्मा रहे हैं मैं भी उनकी शर्माहट का फायदा उठा लेती हूँ।

देखती हूं कब तक वो पैंटी का नाम नहीं लेते।

आप किसकी साइज के बारे में पूछ रहे हैं मैं समझी नहीं।

अरे उसी के बारे में पूछ रहा हूं जो आज सुबह मैं ला कर दिया है।

ओ हो पैड के बारे में पूछ रहे हैं।

और उसके साथ में क्या लाकर दिया था।

पैंटी
हां उसी के बारे में पूछ रहा हूं।

तो सीधे नाम लेकर नहीं पूछ सकते थे।

अरे बोल तो रहा हूं कि आज सुबह जो लाकर दिया उसका साइज ठीक है कि नहीं तो तुम कर रही हो किसका किसका।


मुस्कुराते हुए मुझे क्या पता था कि आप उसी के बारे में पूछ रहे हैं

अच्छा अपने आप से चला कि तुम्हें नहीं पता था कि मैंने आज तुमको क्या ला कर दिया है।

ओ तो पता है।

फिर पता है तो बता दे की फिटिंग कैसी है।
Nice update bhai...your story sabse alag lag rahi hai bhai....keep going you will get more support.
 
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भाग 10
मैं बेटी से कहा कि अब तो बता दे फिटिंग कैसी है।

रितिका अब आप फिटिंग जानकर क्या करें यह बात तो आपको पहले पूछने पूछनी चाहिए जब आप लेने के लिए जा रहे थे उसी टाइम पूछना चाहिए कि तुम्हारी साइज क्या है।

शेखर उसे टाइम मुझे याद ही नहीं आया ।

रितिका आपको मेरी साइज पता नहीं थी तो फिर आपने लिया कैसे।


शेखर वो तो मैं अपने अंदाज से लेकर आया।

रितिका मुस्कुराते हुए वैसे आपका अंदाज सही लगा।

शेखर मतलब,

रितिका मतलब यह की फिटिंग एकदम सही है, वैसे जब आप लेने के लिए गए थे तो दुकानदार को क्या बोला था।

शेखर क्या बोलूंगा कुछ नहीं,

रितिका मेरा मतलब है क्या बोलकर मांगा था,

शेखर मैंने यह बोलकर मांगा कि मुझे कुछ कपड़े चाहिए लेडिस के लिए तो उसने पूछा कि क्या कपड़े चाहिए तो मैंने कहा पैड और पैंटी चाहिए।

रितिका - तो फिर उसने और कुछ नहीं पूछा।


शेखर - हां उसने पूछा कि प्रोफेसर साहब फैमिली यहां आई हुई है क्या तो मैंने कहा कि हां आई हुई है कुछ दिनों के लिए, फिर उसने मुझे पैड और पैंटी दी और मैं लेकर आ गया बस और क्या।

रितिका- शरमाते हुए मुझे तो यह सोचकर अजीब लग रहा है दुकान वाला मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा।

शेखर- वो तुम्हारे बारे में क्या सोचेगा उसे थोड़ी ना पता होगा कि मैं अपनी बेटी के लिए लेने के लिए आया हूं वह तो सोच रहा होगा कि मैं अपनी बीवी के लिए लेकर जा रहा हूं , मैं दुनिया में पहला ऐसा इंसान हूं जो अपनी जवान बेटी के लिए पैड और पैंटी खरीद रहा हूं।


रितिका- सॉरी पापा आपको मेरी वजह से ए सब करना पड़ा,

शेखर- अरे इसमें सॉरी की क्या बात है यह तो मेरी खुशकिस्मती है कि मुझे यह मौका मिला और मैं अपनी बेटी के लिए यह सब कर सका।

रितिका- आपको बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा,

शेखर- अरे बुरा क्यों लगेगा मुझे तो बहुत अच्छा लगा मैं तो चाहूंगा कि मैं यह सब जिंदगी भर ऐसा कर सकूं लेकिन मैं जानता हूं कि ऐसा नहीं होगा क्योंकि जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तब तुम अपने ससुराल चली जाओगी तब तुम अपने पति को छोड़कर मुझे थोड़े ही बोलेगी कि पापा मेरे लिए ऐ सब ला दीजिए।

रितिका- शरमाते हुए ऊं पापा मुझे नहीं करनी शादी वादी।

शेखर- क्यों शादी क्यों नहीं करेगी यह तो हर लड़की को करना पड़ता है।

रितिका- लेकिन मैं नहीं करूंगी,
शेखर- क्यों नहीं करेगी,
रितिका- क्योंकि मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी
शेखर- मुस्कुराते हुए अच्छा है इतना प्यार करती है अपने पापा से।

रितिका- और नहीं तो क्या मैं जितना अपने पापा से प्यार करती हूं उतना कोई और नहीं कर सकता।
शेखर- यह बात मैं तुम्हारी तब मानूंगा जब मैं तुमसे कोई ऐसी बात आ कोई काम करने के लिए कहूंगा और तुम उसके लिए मना नहीं करेगी तब मानूंगा।

रितिका- ऐसा क्या काम है जो आप बोलेंगे और मैं नहीं कर पाऊंगी।

शेखर- मैंने यह थोड़ी बोला कि तू नहीं कर पाएगी मैंने तो यह बोला कि तुम मना नहीं करेगी उसके लिए।

रितिका- ऐसा क्या काम है।
शेखर- वो मैं अभी थोड़ी बताऊंगा जब वक्त आएगा तब बताऊंगा कि क्या काम है।

यह सब बात करते हुए दोनों बाप बेटी का खाना खत्म हो गया और आज संडे था इसलिए दोनों कॉलेज नहीं गए इसलिए घर पर रहकर आराम किया और दूसरे दिन दोनों बाप बेटी कॉलेज जाने के लिए एक ही साथ में दोनों अपनी कार में बैठकर निकल गए फिर जब दोनों कॉलेज के करीब पहुंचे तो रितिका ने कहा पापा यहीं रोक दीजिए आगे कोई देख लेगा और वह वहीं पर उतर गई और उसके पापा गाड़ी लेकर आगे निकल गए और रितिका को जीस बात की डर थी की कहीं कोई उसको उसके पापा के साथ देख न ले और यही चीज़ आज उसके साथ हो चुकी थी क्योंकि उसकी सहेली जूही ने उसको उसके पापा के गाड़ी से निकलते हुए देख लिया था रितिका जब गाड़ी से उतर रही थी तो जूही पीछे से चल चल के आ रही थी और जूही जब उसके पीछे-पीछे कॉलेज के अंदर पहुंची तो उसने रितिका से पूछा ए रितु तो उसने पीछे मुड़कर देखा की जूही उसको आवाज दे रही है तो वह वहीं पर रुक गई और उसने जूही से कहा कि आज लेट कैसे हो गई तो जूही ने कहा कि वह सब छोड़ तू पहले ए बता की तुझे कॉलेज में आए हुए अभी कुछ ही महीने हुए हैं और तुमने आते ही प्रोफेसर साहब को पटा लिय यह बात सुनते ही रितिका को शौक लगा और वह सोचने लगी कि ऐ आज ऐसी बात क्यों कर रही है कहीं इसने मुझे पापा के साथ में आते हुए देख तो नहीं लिया रितिका थोड़ी हिचकी चाहते हुए तू ए क्या बक रही है।

जूही- मैं बक नहीं रही हूं मैंने तुमको प्रोफेसर साहब के गाड़ी से उतर ते हुए देखा है ।

अब रितिका के चेहरे से हवाइयां उड़ चुकी थी और वह सोचने लगी कि अब मैं क्या जवाब दूं तो उसने बात को संभालते हुए कहा कि अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं है वह तो मैं चल चल के आ
रही थी तो प्रोफ़ेसर साहब ने मुझे देखा और उन्होंने मुझसे पूछा कि कॉलेज जा रही हो तो मैंने कहा कि जी हां तो उन्होंने कहा कि आओ गाड़ी में बैठो मैं भी कॉलेज जा रहा हूं तो मैंने कहा कि नहीं नहीं सर मैं चल चल के चली जाउंगी तो फिर उन्होंने कहा अरे डरो मत कुछ नहीं होगा आओ बैठो फिर मैं और मना नहीं कर पाई और बैठ कर आ गई तुम जैसा सोच रही हो वैसा कुछ नहीं है।

जूही- तुम बहुत लकी हो कि तुमको प्रोफेसर साहब के गाड़ी में बैठने का मौका मिला हम लोग यहां सालों से पढ़ रहे हैं लेकिन हम लोग को अभी तक यह मौका नहीं मिला हम लोग को तो छोड़ो आज तक हमने कभी किसी लड़की या लड़के को नहीं देखा प्रोफेसर साहब के साथ में आते हुए।।

आगे की कहानी अगले भाग में
 
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भाग 10
मैं बेटी से कहा कि अब तो बता दे फिटिंग कैसी है।

रितिका अब आप फिटिंग जानकर क्या करें यह बात तो आपको पहले पूछने पूछनी चाहिए जब आप लेने के लिए जा रहे थे उसी टाइम पूछना चाहिए कि तुम्हारी साइज क्या है।

शेखर उसे टाइम मुझे याद ही नहीं आया ।

रितिका आपको मेरी साइज पता नहीं थी तो फिर आपने लिया कैसे।


शेखर वो तो मैं अपने अंदाज से लेकर आया।

रितिका मुस्कुराते हुए वैसे आपका अंदाज सही लगा।

शेखर मतलब,

रितिका मतलब यह की फिटिंग एकदम सही है, वैसे जब आप लेने के लिए गए थे तो दुकानदार को क्या बोला था।

शेखर क्या बोलूंगा कुछ नहीं,

रितिका मेरा मतलब है क्या बोलकर मांगा था,

शेखर मैंने यह बोलकर मांगा कि मुझे कुछ कपड़े चाहिए लेडिस के लिए तो उसने पूछा कि क्या कपड़े चाहिए तो मैंने कहा पैड और पैंटी चाहिए।

रितिका - तो फिर उसने और कुछ नहीं पूछा।


शेखर - हां उसने पूछा कि प्रोफेसर साहब फैमिली यहां आई हुई है क्या तो मैंने कहा कि हां आई हुई है कुछ दिनों के लिए, फिर उसने मुझे पैड और पैंटी दी और मैं लेकर आ गया बस और क्या।

रितिका- शरमाते हुए मुझे तो यह सोचकर अजीब लग रहा है दुकान वाला मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा।

शेखर- वो तुम्हारे बारे में क्या सोचेगा उसे थोड़ी ना पता होगा कि मैं अपनी बेटी के लिए लेने के लिए आया हूं वह तो सोच रहा होगा कि मैं अपनी बीवी के लिए लेकर जा रहा हूं , मैं दुनिया में पहला ऐसा इंसान हूं जो अपनी जवान बेटी के लिए पैड और पैंटी खरीद रहा हूं।


रितिका- सॉरी पापा आपको मेरी वजह से ए सब करना पड़ा,

शेखर- अरे इसमें सॉरी की क्या बात है यह तो मेरी खुशकिस्मती है कि मुझे यह मौका मिला और मैं अपनी बेटी के लिए यह सब कर सका।

रितिका- आपको बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा,


शेखर- अरे बुरा क्यों लगेगा मुझे तो बहुत अच्छा लगा मैं तो चाहूंगा कि मैं यह सब जिंदगी भर ऐसा कर सकूं लेकिन मैं जानता हूं कि ऐसा नहीं होगा क्योंकि जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तब तुम अपने ससुराल चली जाओगी तब तुम अपने पति को छोड़कर मुझे थोड़े ही बोलेगी कि पापा मेरे लिए ऐ सब ला दीजिए।

रितिका- शरमाते हुए ऊं पापा मुझे नहीं करनी शादी वादी।


शेखर- क्यों शादी क्यों नहीं करेगी यह तो हर लड़की को करना पड़ता है।

रितिका- लेकिन मैं नहीं करूंगी,
शेखर- क्यों नहीं करेगी,
रितिका- क्योंकि मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी
शेखर- मुस्कुराते हुए अच्छा है इतना प्यार करती है अपने पापा से।

रितिका- और नहीं तो क्या मैं जितना अपने पापा से प्यार करती हूं उतना कोई और नहीं कर सकता।
शेखर- यह बात मैं तुम्हारी तब मानूंगा जब मैं तुमसे कोई ऐसी बात आ कोई काम करने के लिए कहूंगा और तुम उसके लिए मना नहीं करेगी तब मानूंगा।

रितिका- ऐसा क्या काम है जो आप बोलेंगे और मैं नहीं कर पाऊंगी।

शेखर- मैंने यह थोड़ी बोला कि तू नहीं कर पाएगी मैंने तो यह बोला कि तुम मना नहीं करेगी उसके लिए।

रितिका- ऐसा क्या काम है।
शेखर- वो मैं अभी थोड़ी बताऊंगा जब वक्त आएगा तब बताऊंगा कि क्या काम है।

यह सब बात करते हुए दोनों बाप बेटी का खाना खत्म हो गया और आज संडे था इसलिए दोनों कॉलेज नहीं गए इसलिए घर पर रहकर आराम किया और दूसरे दिन दोनों बाप बेटी कॉलेज जाने के लिए एक ही साथ में दोनों अपनी कार में बैठकर निकल गए फिर जब दोनों कॉलेज के करीब पहुंचे तो रितिका ने कहा पापा यहीं रोक दीजिए आगे कोई देख लेगा और वह वहीं पर उतर गई और उसके पापा गाड़ी लेकर आगे निकल गए और रितिका को जीस बात की डर थी की कहीं कोई उसको उसके पापा के साथ देख न ले और यही चीज़ आज उसके साथ हो चुकी थी क्योंकि उसकी सहेली जूही ने उसको उसके पापा के गाड़ी से निकलते हुए देख लिया था रितिका जब गाड़ी से उतर रही थी तो जूही पीछे से चल चल के आ रही थी और जूही जब उसके पीछे-पीछे कॉलेज के अंदर पहुंची तो उसने रितिका से पूछा ए रितु तो उसने पीछे मुड़कर देखा की जूही उसको आवाज दे रही है तो वह वहीं पर रुक गई और उसने जूही से कहा कि आज लेट कैसे हो गई तो जूही ने कहा कि वह सब छोड़ तू पहले ए बता की तुझे कॉलेज में आए हुए अभी कुछ ही महीने हुए हैं और तुमने आते ही प्रोफेसर साहब को पटा लिय यह बात सुनते ही रितिका को शौक लगा और वह सोचने लगी कि ऐ आज ऐसी बात क्यों कर रही है कहीं इसने मुझे पापा के साथ में आते हुए देख तो नहीं लिया रितिका थोड़ी हिचकी चाहते हुए तू ए क्या बक रही है।

जूही- मैं बक नहीं रही हूं मैंने तुमको प्रोफेसर साहब के गाड़ी से उतर ते हुए देखा है ।

अब रितिका के चेहरे से हवाइयां उड़ चुकी थी और वह सोचने लगी कि अब मैं क्या जवाब दूं तो उसने बात को संभालते हुए कहा कि अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं है वह तो मैं चल चल के आ

रही थी तो प्रोफ़ेसर साहब ने मुझे देखा और उन्होंने मुझसे पूछा कि कॉलेज जा रही हो तो मैंने कहा कि जी हां तो उन्होंने कहा कि आओ गाड़ी में बैठो मैं भी कॉलेज जा रहा हूं तो मैंने कहा कि नहीं नहीं सर मैं चल चल के चली जाउंगी तो फिर उन्होंने कहा अरे डरो मत कुछ नहीं होगा आओ बैठो फिर मैं और मना नहीं कर पाई और बैठ कर आ गई तुम जैसा सोच रही हो वैसा कुछ नहीं है।

जूही- तुम बहुत लकी हो कि तुमको प्रोफेसर साहब के गाड़ी में बैठने का मौका मिला हम लोग यहां सालों से पढ़ रहे हैं लेकिन हम लोग को अभी तक यह मौका नहीं मिला हम लोग को तो छोड़ो आज तक हमने कभी किसी लड़की या लड़के को नहीं देखा प्रोफेसर साहब के साथ में आते हुए।।

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Mast....jabardast....
 
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मैं बेटी से कहा कि अब तो बता दे फिटिंग कैसी है।

रितिका अब आप फिटिंग जानकर क्या करें यह बात तो आपको पहले पूछने पूछनी चाहिए जब आप लेने के लिए जा रहे थे उसी टाइम पूछना चाहिए कि तुम्हारी साइज क्या है।

शेखर उसे टाइम मुझे याद ही नहीं आया ।

रितिका आपको मेरी साइज पता नहीं थी तो फिर आपने लिया कैसे।


शेखर वो तो मैं अपने अंदाज से लेकर आया।

रितिका मुस्कुराते हुए वैसे आपका अंदाज सही लगा।

शेखर मतलब,

रितिका मतलब यह की फिटिंग एकदम सही है, वैसे जब आप लेने के लिए गए थे तो दुकानदार को क्या बोला था।

शेखर क्या बोलूंगा कुछ नहीं,

रितिका मेरा मतलब है क्या बोलकर मांगा था,

शेखर मैंने यह बोलकर मांगा कि मुझे कुछ कपड़े चाहिए लेडिस के लिए तो उसने पूछा कि क्या कपड़े चाहिए तो मैंने कहा पैड और पैंटी चाहिए।

रितिका - तो फिर उसने और कुछ नहीं पूछा।


शेखर - हां उसने पूछा कि प्रोफेसर साहब फैमिली यहां आई हुई है क्या तो मैंने कहा कि हां आई हुई है कुछ दिनों के लिए, फिर उसने मुझे पैड और पैंटी दी और मैं लेकर आ गया बस और क्या।

रितिका- शरमाते हुए मुझे तो यह सोचकर अजीब लग रहा है दुकान वाला मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा।

शेखर- वो तुम्हारे बारे में क्या सोचेगा उसे थोड़ी ना पता होगा कि मैं अपनी बेटी के लिए लेने के लिए आया हूं वह तो सोच रहा होगा कि मैं अपनी बीवी के लिए लेकर जा रहा हूं , मैं दुनिया में पहला ऐसा इंसान हूं जो अपनी जवान बेटी के लिए पैड और पैंटी खरीद रहा हूं।


रितिका- सॉरी पापा आपको मेरी वजह से ए सब करना पड़ा,

शेखर- अरे इसमें सॉरी की क्या बात है यह तो मेरी खुशकिस्मती है कि मुझे यह मौका मिला और मैं अपनी बेटी के लिए यह सब कर सका।

रितिका- आपको बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा,

शेखर- अरे बुरा क्यों लगेगा मुझे तो बहुत अच्छा लगा मैं तो चाहूंगा कि मैं यह सब जिंदगी भर ऐसा कर सकूं लेकिन मैं जानता हूं कि ऐसा नहीं होगा क्योंकि जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तब तुम अपने ससुराल चली जाओगी तब तुम अपने पति को छोड़कर मुझे थोड़े ही बोलेगी कि पापा मेरे लिए ऐ सब ला दीजिए।

रितिका- शरमाते हुए ऊं पापा मुझे नहीं करनी शादी वादी।

शेखर- क्यों शादी क्यों नहीं करेगी यह तो हर लड़की को करना पड़ता है।

रितिका- लेकिन मैं नहीं करूंगी,
शेखर- क्यों नहीं करेगी,
रितिका- क्योंकि मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी
शेखर- मुस्कुराते हुए अच्छा है इतना प्यार करती है अपने पापा से।

रितिका- और नहीं तो क्या मैं जितना अपने पापा से प्यार करती हूं उतना कोई और नहीं कर सकता।
शेखर- यह बात मैं तुम्हारी तब मानूंगा जब मैं तुमसे कोई ऐसी बात आ कोई काम करने के लिए कहूंगा और तुम उसके लिए मना नहीं करेगी तब मानूंगा।

रितिका- ऐसा क्या काम है जो आप बोलेंगे और मैं नहीं कर पाऊंगी।

शेखर- मैंने यह थोड़ी बोला कि तू नहीं कर पाएगी मैंने तो यह बोला कि तुम मना नहीं करेगी उसके लिए।

रितिका- ऐसा क्या काम है।
शेखर- वो मैं अभी थोड़ी बताऊंगा जब वक्त आएगा तब बताऊंगा कि क्या काम है।

यह सब बात करते हुए दोनों बाप बेटी का खाना खत्म हो गया और आज संडे था इसलिए दोनों कॉलेज नहीं गए इसलिए घर पर रहकर आराम किया और दूसरे दिन दोनों बाप बेटी कॉलेज जाने के लिए एक ही साथ में दोनों अपनी कार में बैठकर निकल गए फिर जब दोनों कॉलेज के करीब पहुंचे तो रितिका ने कहा पापा यहीं रोक दीजिए आगे कोई देख लेगा और वह वहीं पर उतर गई और उसके पापा गाड़ी लेकर आगे निकल गए और रितिका को जीस बात की डर थी की कहीं कोई उसको उसके पापा के साथ देख न ले और यही चीज़ आज उसके साथ हो चुकी थी क्योंकि उसकी सहेली जूही ने उसको उसके पापा के गाड़ी से निकलते हुए देख लिया था रितिका जब गाड़ी से उतर रही थी तो जूही पीछे से चल चल के आ रही थी और जूही जब उसके पीछे-पीछे कॉलेज के अंदर पहुंची तो उसने रितिका से पूछा ए रितु तो उसने पीछे मुड़कर देखा की जूही उसको आवाज दे रही है तो वह वहीं पर रुक गई और उसने जूही से कहा कि आज लेट कैसे हो गई तो जूही ने कहा कि वह सब छोड़ तू पहले ए बता की तुझे कॉलेज में आए हुए अभी कुछ ही महीने हुए हैं और तुमने आते ही प्रोफेसर साहब को पटा लिय यह बात सुनते ही रितिका को शौक लगा और वह सोचने लगी कि ऐ आज ऐसी बात क्यों कर रही है कहीं इसने मुझे पापा के साथ में आते हुए देख तो नहीं लिया रितिका थोड़ी हिचकी चाहते हुए तू ए क्या बक रही है।

जूही- मैं बक नहीं रही हूं मैंने तुमको प्रोफेसर साहब के गाड़ी से उतर ते हुए देखा है ।

अब रितिका के चेहरे से हवाइयां उड़ चुकी थी और वह सोचने लगी कि अब मैं क्या जवाब दूं तो उसने बात को संभालते हुए कहा कि अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं है वह तो मैं चल चल के आ
रही थी तो प्रोफ़ेसर साहब ने मुझे देखा और उन्होंने मुझसे पूछा कि कॉलेज जा रही हो तो मैंने कहा कि जी हां तो उन्होंने कहा कि आओ गाड़ी में बैठो मैं भी कॉलेज जा रहा हूं तो मैंने कहा कि नहीं नहीं सर मैं चल चल के चली जाउंगी तो फिर उन्होंने कहा अरे डरो मत कुछ नहीं होगा आओ बैठो फिर मैं और मना नहीं कर पाई और बैठ कर आ गई तुम जैसा सोच रही हो वैसा कुछ नहीं है।

जूही- तुम बहुत लकी हो कि तुमको प्रोफेसर साहब के गाड़ी में बैठने का मौका मिला हम लोग यहां सालों से पढ़ रहे हैं लेकिन हम लोग को अभी तक यह मौका नहीं मिला हम लोग को तो छोड़ो आज तक हमने कभी किसी लड़की या लड़के को नहीं देखा प्रोफेसर साहब के साथ में आते हुए।।

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मैं बेटी से कहा कि अब तो बता दे फिटिंग कैसी है।

रितिका अब आप फिटिंग जानकर क्या करें यह बात तो आपको पहले पूछने पूछनी चाहिए जब आप लेने के लिए जा रहे थे उसी टाइम पूछना चाहिए कि तुम्हारी साइज क्या है।

शेखर उसे टाइम मुझे याद ही नहीं आया ।

रितिका आपको मेरी साइज पता नहीं थी तो फिर आपने लिया कैसे।


शेखर वो तो मैं अपने अंदाज से लेकर आया।

रितिका मुस्कुराते हुए वैसे आपका अंदाज सही लगा।

शेखर मतलब,

रितिका मतलब यह की फिटिंग एकदम सही है, वैसे जब आप लेने के लिए गए थे तो दुकानदार को क्या बोला था।

शेखर क्या बोलूंगा कुछ नहीं,

रितिका मेरा मतलब है क्या बोलकर मांगा था,

शेखर मैंने यह बोलकर मांगा कि मुझे कुछ कपड़े चाहिए लेडिस के लिए तो उसने पूछा कि क्या कपड़े चाहिए तो मैंने कहा पैड और पैंटी चाहिए।

रितिका - तो फिर उसने और कुछ नहीं पूछा।


शेखर - हां उसने पूछा कि प्रोफेसर साहब फैमिली यहां आई हुई है क्या तो मैंने कहा कि हां आई हुई है कुछ दिनों के लिए, फिर उसने मुझे पैड और पैंटी दी और मैं लेकर आ गया बस और क्या।

रितिका- शरमाते हुए मुझे तो यह सोचकर अजीब लग रहा है दुकान वाला मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा।

शेखर- वो तुम्हारे बारे में क्या सोचेगा उसे थोड़ी ना पता होगा कि मैं अपनी बेटी के लिए लेने के लिए आया हूं वह तो सोच रहा होगा कि मैं अपनी बीवी के लिए लेकर जा रहा हूं , मैं दुनिया में पहला ऐसा इंसान हूं जो अपनी जवान बेटी के लिए पैड और पैंटी खरीद रहा हूं।


रितिका- सॉरी पापा आपको मेरी वजह से ए सब करना पड़ा,

शेखर- अरे इसमें सॉरी की क्या बात है यह तो मेरी खुशकिस्मती है कि मुझे यह मौका मिला और मैं अपनी बेटी के लिए यह सब कर सका।

रितिका- आपको बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा,


शेखर- अरे बुरा क्यों लगेगा मुझे तो बहुत अच्छा लगा मैं तो चाहूंगा कि मैं यह सब जिंदगी भर ऐसा कर सकूं लेकिन मैं जानता हूं कि ऐसा नहीं होगा क्योंकि जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तब तुम अपने ससुराल चली जाओगी तब तुम अपने पति को छोड़कर मुझे थोड़े ही बोलेगी कि पापा मेरे लिए ऐ सब ला दीजिए।

रितिका- शरमाते हुए ऊं पापा मुझे नहीं करनी शादी वादी।


शेखर- क्यों शादी क्यों नहीं करेगी यह तो हर लड़की को करना पड़ता है।

रितिका- लेकिन मैं नहीं करूंगी,
शेखर- क्यों नहीं करेगी,
रितिका- क्योंकि मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी
शेखर- मुस्कुराते हुए अच्छा है इतना प्यार करती है अपने पापा से।

रितिका- और नहीं तो क्या मैं जितना अपने पापा से प्यार करती हूं उतना कोई और नहीं कर सकता।
शेखर- यह बात मैं तुम्हारी तब मानूंगा जब मैं तुमसे कोई ऐसी बात आ कोई काम करने के लिए कहूंगा और तुम उसके लिए मना नहीं करेगी तब मानूंगा।

रितिका- ऐसा क्या काम है जो आप बोलेंगे और मैं नहीं कर पाऊंगी।

शेखर- मैंने यह थोड़ी बोला कि तू नहीं कर पाएगी मैंने तो यह बोला कि तुम मना नहीं करेगी उसके लिए।

रितिका- ऐसा क्या काम है।
शेखर- वो मैं अभी थोड़ी बताऊंगा जब वक्त आएगा तब बताऊंगा कि क्या काम है।

यह सब बात करते हुए दोनों बाप बेटी का खाना खत्म हो गया और आज संडे था इसलिए दोनों कॉलेज नहीं गए इसलिए घर पर रहकर आराम किया और दूसरे दिन दोनों बाप बेटी कॉलेज जाने के लिए एक ही साथ में दोनों अपनी कार में बैठकर निकल गए फिर जब दोनों कॉलेज के करीब पहुंचे तो रितिका ने कहा पापा यहीं रोक दीजिए आगे कोई देख लेगा और वह वहीं पर उतर गई और उसके पापा गाड़ी लेकर आगे निकल गए और रितिका को जीस बात की डर थी की कहीं कोई उसको उसके पापा के साथ देख न ले और यही चीज़ आज उसके साथ हो चुकी थी क्योंकि उसकी सहेली जूही ने उसको उसके पापा के गाड़ी से निकलते हुए देख लिया था रितिका जब गाड़ी से उतर रही थी तो जूही पीछे से चल चल के आ रही थी और जूही जब उसके पीछे-पीछे कॉलेज के अंदर पहुंची तो उसने रितिका से पूछा ए रितु तो उसने पीछे मुड़कर देखा की जूही उसको आवाज दे रही है तो वह वहीं पर रुक गई और उसने जूही से कहा कि आज लेट कैसे हो गई तो जूही ने कहा कि वह सब छोड़ तू पहले ए बता की तुझे कॉलेज में आए हुए अभी कुछ ही महीने हुए हैं और तुमने आते ही प्रोफेसर साहब को पटा लिय यह बात सुनते ही रितिका को शौक लगा और वह सोचने लगी कि ऐ आज ऐसी बात क्यों कर रही है कहीं इसने मुझे पापा के साथ में आते हुए देख तो नहीं लिया रितिका थोड़ी हिचकी चाहते हुए तू ए क्या बक रही है।

जूही- मैं बक नहीं रही हूं मैंने तुमको प्रोफेसर साहब के गाड़ी से उतर ते हुए देखा है ।

अब रितिका के चेहरे से हवाइयां उड़ चुकी थी और वह सोचने लगी कि अब मैं क्या जवाब दूं तो उसने बात को संभालते हुए कहा कि अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं है वह तो मैं चल चल के आ

रही थी तो प्रोफ़ेसर साहब ने मुझे देखा और उन्होंने मुझसे पूछा कि कॉलेज जा रही हो तो मैंने कहा कि जी हां तो उन्होंने कहा कि आओ गाड़ी में बैठो मैं भी कॉलेज जा रहा हूं तो मैंने कहा कि नहीं नहीं सर मैं चल चल के चली जाउंगी तो फिर उन्होंने कहा अरे डरो मत कुछ नहीं होगा आओ बैठो फिर मैं और मना नहीं कर पाई और बैठ कर आ गई तुम जैसा सोच रही हो वैसा कुछ नहीं है।

जूही- तुम बहुत लकी हो कि तुमको प्रोफेसर साहब के गाड़ी में बैठने का मौका मिला हम लोग यहां सालों से पढ़ रहे हैं लेकिन हम लोग को अभी तक यह मौका नहीं मिला हम लोग को तो छोड़ो आज तक हमने कभी किसी लड़की या लड़के को नहीं देखा प्रोफेसर साहब के साथ में आते हुए।।

आगे की कहानी अगले भाग में
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भाग 10
मैं बेटी से कहा कि अब तो बता दे फिटिंग कैसी है।

रितिका अब आप फिटिंग जानकर क्या करें यह बात तो आपको पहले पूछने पूछनी चाहिए जब आप लेने के लिए जा रहे थे उसी टाइम पूछना चाहिए कि तुम्हारी साइज क्या है।

शेखर उसे टाइम मुझे याद ही नहीं आया ।

रितिका आपको मेरी साइज पता नहीं थी तो फिर आपने लिया कैसे।


शेखर वो तो मैं अपने अंदाज से लेकर आया।

रितिका मुस्कुराते हुए वैसे आपका अंदाज सही लगा।

शेखर मतलब,

रितिका मतलब यह की फिटिंग एकदम सही है, वैसे जब आप लेने के लिए गए थे तो दुकानदार को क्या बोला था।

शेखर क्या बोलूंगा कुछ नहीं,

रितिका मेरा मतलब है क्या बोलकर मांगा था,

शेखर मैंने यह बोलकर मांगा कि मुझे कुछ कपड़े चाहिए लेडिस के लिए तो उसने पूछा कि क्या कपड़े चाहिए तो मैंने कहा पैड और पैंटी चाहिए।

रितिका - तो फिर उसने और कुछ नहीं पूछा।


शेखर - हां उसने पूछा कि प्रोफेसर साहब फैमिली यहां आई हुई है क्या तो मैंने कहा कि हां आई हुई है कुछ दिनों के लिए, फिर उसने मुझे पैड और पैंटी दी और मैं लेकर आ गया बस और क्या।

रितिका- शरमाते हुए मुझे तो यह सोचकर अजीब लग रहा है दुकान वाला मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा।

शेखर- वो तुम्हारे बारे में क्या सोचेगा उसे थोड़ी ना पता होगा कि मैं अपनी बेटी के लिए लेने के लिए आया हूं वह तो सोच रहा होगा कि मैं अपनी बीवी के लिए लेकर जा रहा हूं , मैं दुनिया में पहला ऐसा इंसान हूं जो अपनी जवान बेटी के लिए पैड और पैंटी खरीद रहा हूं।


रितिका- सॉरी पापा आपको मेरी वजह से ए सब करना पड़ा,

शेखर- अरे इसमें सॉरी की क्या बात है यह तो मेरी खुशकिस्मती है कि मुझे यह मौका मिला और मैं अपनी बेटी के लिए यह सब कर सका।

रितिका- आपको बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा,


शेखर- अरे बुरा क्यों लगेगा मुझे तो बहुत अच्छा लगा मैं तो चाहूंगा कि मैं यह सब जिंदगी भर ऐसा कर सकूं लेकिन मैं जानता हूं कि ऐसा नहीं होगा क्योंकि जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तब तुम अपने ससुराल चली जाओगी तब तुम अपने पति को छोड़कर मुझे थोड़े ही बोलेगी कि पापा मेरे लिए ऐ सब ला दीजिए।

रितिका- शरमाते हुए ऊं पापा मुझे नहीं करनी शादी वादी।


शेखर- क्यों शादी क्यों नहीं करेगी यह तो हर लड़की को करना पड़ता है।

रितिका- लेकिन मैं नहीं करूंगी,
शेखर- क्यों नहीं करेगी,
रितिका- क्योंकि मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी
शेखर- मुस्कुराते हुए अच्छा है इतना प्यार करती है अपने पापा से।

रितिका- और नहीं तो क्या मैं जितना अपने पापा से प्यार करती हूं उतना कोई और नहीं कर सकता।
शेखर- यह बात मैं तुम्हारी तब मानूंगा जब मैं तुमसे कोई ऐसी बात आ कोई काम करने के लिए कहूंगा और तुम उसके लिए मना नहीं करेगी तब मानूंगा।

रितिका- ऐसा क्या काम है जो आप बोलेंगे और मैं नहीं कर पाऊंगी।

शेखर- मैंने यह थोड़ी बोला कि तू नहीं कर पाएगी मैंने तो यह बोला कि तुम मना नहीं करेगी उसके लिए।

रितिका- ऐसा क्या काम है।
शेखर- वो मैं अभी थोड़ी बताऊंगा जब वक्त आएगा तब बताऊंगा कि क्या काम है।

यह सब बात करते हुए दोनों बाप बेटी का खाना खत्म हो गया और आज संडे था इसलिए दोनों कॉलेज नहीं गए इसलिए घर पर रहकर आराम किया और दूसरे दिन दोनों बाप बेटी कॉलेज जाने के लिए एक ही साथ में दोनों अपनी कार में बैठकर निकल गए फिर जब दोनों कॉलेज के करीब पहुंचे तो रितिका ने कहा पापा यहीं रोक दीजिए आगे कोई देख लेगा और वह वहीं पर उतर गई और उसके पापा गाड़ी लेकर आगे निकल गए और रितिका को जीस बात की डर थी की कहीं कोई उसको उसके पापा के साथ देख न ले और यही चीज़ आज उसके साथ हो चुकी थी क्योंकि उसकी सहेली जूही ने उसको उसके पापा के गाड़ी से निकलते हुए देख लिया था रितिका जब गाड़ी से उतर रही थी तो जूही पीछे से चल चल के आ रही थी और जूही जब उसके पीछे-पीछे कॉलेज के अंदर पहुंची तो उसने रितिका से पूछा ए रितु तो उसने पीछे मुड़कर देखा की जूही उसको आवाज दे रही है तो वह वहीं पर रुक गई और उसने जूही से कहा कि आज लेट कैसे हो गई तो जूही ने कहा कि वह सब छोड़ तू पहले ए बता की तुझे कॉलेज में आए हुए अभी कुछ ही महीने हुए हैं और तुमने आते ही प्रोफेसर साहब को पटा लिय यह बात सुनते ही रितिका को शौक लगा और वह सोचने लगी कि ऐ आज ऐसी बात क्यों कर रही है कहीं इसने मुझे पापा के साथ में आते हुए देख तो नहीं लिया रितिका थोड़ी हिचकी चाहते हुए तू ए क्या बक रही है।

जूही- मैं बक नहीं रही हूं मैंने तुमको प्रोफेसर साहब के गाड़ी से उतर ते हुए देखा है ।

अब रितिका के चेहरे से हवाइयां उड़ चुकी थी और वह सोचने लगी कि अब मैं क्या जवाब दूं तो उसने बात को संभालते हुए कहा कि अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं है वह तो मैं चल चल के आ

रही थी तो प्रोफ़ेसर साहब ने मुझे देखा और उन्होंने मुझसे पूछा कि कॉलेज जा रही हो तो मैंने कहा कि जी हां तो उन्होंने कहा कि आओ गाड़ी में बैठो मैं भी कॉलेज जा रहा हूं तो मैंने कहा कि नहीं नहीं सर मैं चल चल के चली जाउंगी तो फिर उन्होंने कहा अरे डरो मत कुछ नहीं होगा आओ बैठो फिर मैं और मना नहीं कर पाई और बैठ कर आ गई तुम जैसा सोच रही हो वैसा कुछ नहीं है।

जूही- तुम बहुत लकी हो कि तुमको प्रोफेसर साहब के गाड़ी में बैठने का मौका मिला हम लोग यहां सालों से पढ़ रहे हैं लेकिन हम लोग को अभी तक यह मौका नहीं मिला हम लोग को तो छोड़ो आज तक हमने कभी किसी लड़की या लड़के को नहीं देखा प्रोफेसर साहब के साथ में आते हुए।।

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