Incest बाप और बेटी का रोमांस

Newbie
20
23
5
भाग 6
रात में हम दोनों बाप बेटी एक ही बेड पर सो गए रात में सोते वक्त मैं ख्याल रख रहा था कि मेरा शरीर उसके साथ टच ना हो इसलिए मैं एक तरफ मुंह करके सो रहा था वह दूसरी तरफ करके सो गई रितिका भी मन ही मन सोच रही थी कि आज हमें पहली बार पापा के साथ एक ही बेड पर सो रही हूं मुझसे कहीं कुछ गलती ना हो जाए मेरा मतलब कहीं मेरे हाथ पैर उनके ऊपर ना चला जाए घर में तो मम्मी के साथ चिपक के सोती थी अपना पैर भी उनके ऊपर डालकर सोती थी तो वह कुछ नहीं बोलती थी यही सब सोते हुए दोनों बाप बेटी सो गए सुबह करीब 7:00 शेखर जी की नींद खुली तो उन्होंने देखा कि उनकी बेटी अभी भी सो रही है तो वह उठकर चाय बनाने के लिए चले गए किचन में फिर दो कप चाय बनाई और चाय लेकर वापस रूम में आए तो उन्होंने देखा कि उनकी बेटी अभी भी सो रही है तो उन्होंने सोचा कि शायद रात में नींद ठीक से नहीं आई होगी क्योंकि आज पहली बार वह घर से बाहर आई थी तो नहीं जगह की वजह से नींद नहीं आई होगी इसी वजह से अभी तक सो रही है फिर उन्होंने रितिका को आवाज दी बेटा रितु उठ जाओ 8:00 बजने वाला है फिर भी वह नहीं उठी तो उसके मुंह पर से चादर हटाया और उसके करीब जाकर आवाज दी रितु बेटा उठ जाओ फिर उसकी आंख खुल गई फिर वह अपने पापा को देखकर बोली पापा आप उठ गए कितना टाइम हो गया तो शेखर जी ने कहा 8:00 बजने वाला है रितिका क्या 8:00 बज गए सॉरी पापा मेरी नींद नहीं खुली इसलिए मैं सो के रह गई शेखर जी ठीक है कोई बात नहीं यह लो चाय पियो रितिका क्या आपने चाय बनाई और नहीं तो क्या यहां तुम्हारी मां तो है नहीं कि वह चाय बना कर देगी ओ सब छोड़ो और यह लो चाय पी ओ ठंडी हो जाएगी फिर दोनों ने चाय पिया और शेखर जी ने कहा बेटा मैं खाना बनाने के लिए राशन लेकर आता हूं तब तक तुम घर की साफ-सफाई कर लो ठीक है पापा आप जाइए लेकर आई मैं तब तक झाड़ू लगाकर साफ सफाई कर देती हूं फिर शेखर जी राशन और सब्जी लेकर आ गए यह लो बेटा राशन आ गया है ठीक है पापा वहीं पर रखिए मैं गैस पर चावल चढ़ा कर आ रही हूं जब तक चावल पक्केगा तब तक मैं सब्जी काटकर रेडी कर लूंगी शिखरजी मैं भी तुम्हारी मदद कर देता हूं रितु नहीं पापा आप रहने दीजिए मैं कर लूंगी बेटा मैं खाली बैठकर क्या करूंगा कुछ ना कुछ तुम्हारी मदद कर देता हूं ना रितिका नहीं नहीं आपको कुछ मदद करने की जरूरत नहीं है मैं कर लूंगी और आप बैठिए मत जाकर नहा धोकर रेडी हो जाइए शेखर जी सिर्फ नहाना ही तो है बाद में नहा लूंगा और वैसे भी आज संडे है आज कहीं जाना नहीं है घर में ही रहना है रितिक ने कहा ठीक है आज कहीं जाना नहीं है तो जाइए बैठ कर आराम कीजिए टीवी देखिए शेखर जी काश तुम्हारी मां भी तुम्हारी जैसी होती है रितिका मतलब मैं समझी नहीं शेखर मतलब यह कि आज तुम्हारी जगत तुम्हारी मां होती तो मुझे कितनी बात सुना चुकी होती कि यह चीज करो वह चीज करो और तुम हो कि मुझे एक भी काम नहीं करने दे रही हो रितिका अच्छा आप चाहते हैं कि मेरी जगह पर मँ यहां पर आ जाए शेखर अरे नहीं मैं तो तुम्हारी तारीफ कर रहा हूं रितिका आप मेरी तारीफ कर रहे हैं कि मेरी मां की बुराई कर रहे हैं अच्छा सॉरी बाबा और कुछ नहीं बोलूंगा तुम्हारी मां के बारे में वैसे एक बात बोलूं गुस्सा तो नहीं होगी रितिका क्या बोलिए गुस्सा नहीं करूंगी तुम्हारी जैसी बीवी जिसको मिलेगी उसकी जिंदगी धन्य हो जाएगा रितिका मतलब आप साफ-साफ कहिए ना की दूसरी शादी करना चाह रहे हैं मेरी मां अच्छी नहीं है यार तुम फिर गलत समझ रही हो मैं तुम्हारी तारीफ कर रहा हूं और तुम उल्टा समझ रही हो और तुम्हारी मां अच्छी है नहीं है अब वह सब बात करके क्या फायदा अब मैं इस उम्र में शादी करने करूंगा कौन मुझे लड़की देगा अच्छा तो मतलब लड़की मिलेगी तो आप शादी करेंगे शेखर अच्छा सॉरी बाबा मुझसे गलती हो गई जो मैंने तुम्हारी तारीफ कर दी अब मैं और कुछ नहीं बोलूंगा मेरी मां मुझे माफ कर दो फिर रितिका मुस्कुराते हुए ठीक है मैंने माफ किया मेरे बच्चे और दोनों हंसने लगे रितिका ओ हो पापा मैं तो आपकी बातों में लग गई और मैं उधर चावल चढ़ा कर आईह हूँ वह तो मैं भूल ही गई और दौड़कर किचन में चली गई फिर वहीं से अपने पापा से बोली पापा आपा जाइए नहा लीजिए तब तक खाना बन जाएगा फिर मैं भी नहाउंगी शेखर जी ठीक है बेटा मैं जा रहा हूं नहाने के लिए और नहाने चले गए और नहाने के बाद वह अपने खुले हुए कपड़े वहीं पर छोड़ दिए यह सोचकर कि रितिक जब अपने कपड़े धोएगी तो मेरे भी धो देगी फिर बाथरूम से बाहर निकले तो उधर रितिका भी किचन से आ रही थी तो उन्होंने कहा कि बेटा मेरा नहाना हो गया रितिका हां पापा मेरा भी खाना बन गय आप थोड़ी देर बैठिए तब तक मैं नहा कर आती हूं शेखर जी हां ठीक है तुम आराम से नहा कर आओ

आगे की कहानी अगले भाग में
 
Last edited:
Newbie
20
23
5
भाग 7
मैं नहा कर आया उसके बाद मेरी बेटी नहाने के लिए बाथरुम में चली गई और मैं बैठकर टीवी देखने लगा रितिका जब अंदर बाथरूम में गई तो देखा कि उसके पापा के खोले हुए कपड़े वहीं पड़े हुए थे वह सोचती है कि पापा तो खुद अपने कपड़े धोएंगे नहीं तो मुझे ही धोना पड़ेगा और कपड़े उठाकर साइड में रख देती है और सोचती है कि अब नहा धोकर खाना-वाना खा लूंगी तो दोपहर में धोउगीं फिर वह नहाने लगती है और नहा के जब वह बाहर आती है तो देखती कि उसके पापा बैठकर टीवी देख रहे हैं तो वह बोलती है पापा मैं खाना लगा दूं आप खाएंगे शेखर जी हां तुम रेडी हो गई लगाओ रितिका नहीं मैं थोड़ा बाद में खाऊंगी आप खा लीजिए क्यों बाद में क्यों खाएगी अभी क्या हुआ तो वह बोली की मेरा बाल अभी भीगा हुआ है इसलिए जब सुख जाएगा तब उसे चीर झाड़ लूंगी तब खाऊंगी हां तो सुखने दे कितना टाइम लगेगा जब तुम रेडी हो जाएगी तभी दोनों साथ में खाएंगे क्यों आप अकेले नहीं खाएंगे मुझे अकेले खाने की जल्दी नहीं है हम दोनों साथ में खाएंगे क्योंकि साथ में खाने से प्यार बढ़ता है रितिका मुस्कुराते हुए अच्छा साथ में बैठकर खाने से प्यार बढ़ता है और नहीं तो क्या मैं पहले खा लूंगा तू बाद में अकेली बैठकर खाएगी इसमें कोई मजा है जो मजा साथ में बैठकर खाने में है
रितिका मुस्कुराते हुए मैंने सुना है कि एक बर्तन में साथ में खाने से ज्यादा प्यार बढ़ता है हां वह तो है जब पति-पत्नी साथ में एक ही बर्तन में खाते हैं तो उनका प्यार और मजबूत होता है रितिका तो क्या सिर्फ पति-पत्नी ही साथ में खा सकते हैं शेखर जी नहीं नहीं ऐसा नहीं है कि सिर्फ पति-पत्नी खा सकती है दो दोस्त जो आपस में बहुत प्यार करतें हैं ओ भी खातें हैं लड़कियां अपनी सहेली के साथ खाती है रितु बाप बेटी साथ में खाती है कि नहीं शेखर जी हां हां बिल्कुल बाप बेटी भी खाती है तू भी बचपन में मेरे साथ में खाती थी रितु तो क्या अब मैं आपके साथ खा सकती हूं शेखर जी थोड़ा रुकते हुए हां खा सकती हो लेकिन सिर्फ यही पर घर में या बाहर में किसी के सामने नहीं खा सकते रितिका लेकिन क्यों क्योंकि घर में तुम्हारी मां देखेगी तो तुमको डांटेगी और कहेगी की अब जवान हो गई है और पापा के साथ में बैठकर खा रही है तो क्या हुआ मैं अपने पापा के साथ खा रही हूं तो इसमें गलत क्या है शेखर जी गलत नहीं है लेकिन गलत समझते हैं क्योंकि जब एक लड़की बड़ी या जवान हो जाती है और वह किसी दूसरे लड़के या किसी मर्द के साथ में कहीं घूमने जाती है या उसके साथ में रहती है या खाना-वाना खाती है तो लोग उसके बारे में गलत समझने लगते हैं लेकिन पापा मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं शेखर जी वह तो मैं जानता हूं कि तुमसे बहुत प्यार करती है और मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं बेडरूम एक बहुत बड़ा शीशा लगा हुआ था जिसमें रितिका देखकर अपने बाल झाड़ने लगी और शेखर जी वहीं बैठकर टीवी देख रहे थे और जब रितिका नहाने गई थी तो वह नहाने के बाद एक ढीला डाला गंजी और नीचे पजामा पहन रखी थी जब वह शीशे के सामने झुक कर अपने बाल झाड़ने लगी तो उसकी गंजी का गला बड़ा था तो इस वजह से उसके दूध थोड़े-थोड़े नजर आ रहे थे जब शेखर जी की नजर शीशे में पड़ी तो वह चौंक गए और वह चोरी छुपी नजरों से उसे देखने लगे और कहावत में कहते हैं ना हैं कि जब एक मर्द किसी जवान लड़की आ

औरत को देखा है तो उसकी तरफ आकर्षित हो ही जाता है चाहे वह रिश्ते में उसकी कोई भी लगती हो बहन बेटी या बहू कोई भी वह अपने आप को रोक नहीं पाता क्यों कि यह एक इंसानी फितरत है और यही आज शेखर जी के साथ में हो रहा था वह चाहते हुए भी अपनी बेटी की जवानी को देखने से रोक नहीं पा रहे थे हालांकि अभी उसकी दूध उतने बड़े नहीं थे क्योंकि अभी वह जवान हो रही थी और अभी तक किसी मर्द ने उसको हाथ नहीं लगाया था इसलिए अभी ज्यादा बड़ा नहीं था फिर रितिका ने अपने बाल झाड़ने के बाद वह खाना लेकर आई और दोनों ने बैठकर खाना खाया खाना खाने के बाद फिर शेखर जी ने कहा कि आज शाम को 4:00 बजे साथ में चलना तुमको अपना कॉलेज दिखा दूंगा रितिका ने कहा ठीक है तब तक मैं जो कपड़े खोलकर रखे हुए हैं उसको धो देती हूँ तो शिखर जी ने कहा हां मैंने भी अपने कपड़े खोलकर वहीं छोड़ दिया क्या मेरे कपड़े भी धो देगी तो रितिका मजाक करते हुए कहा नहीं मैं आपके कपड़े नहीं धोउगीं मैं आपकी बीवी थोड़ी हूं तो शेखर जी ने चौक ते हुए उसकी तरफ देखा और बोले कि ठीक है मेरे कपड़े छोड़ दो मैं खुद ही धोलूंगा तो रितिक ने पूछा कि आप अपने कपड़े खुद धोएंगे तो शेखर जी ने कहा हां तुम नहीं धोएगी तो मैं अपने से ही धोउंगा ना तो रितिका ने कहा आपको शर्म नहीं आएगी कि मेरे सामने आप अपने कपड़े धोएंगे तो शेखर जी ने कहा तुम्हीं ने तो कहा कि तुम मेरी बीवी नहीं है तो तुम मेरे कपड़े कैसे धोएगी तो रितिका ने कहा बीवी नहीं हूँ तो क्या हुआ बेटी तो हूं बेटी अपने बाप के कपड़े नहीं धोएगी तो और किसकी धोएगी तो शेखर जी ने कहा कि तू मुझे परेशान करना नहीं छोड़ेगी तो रितिका अरे मैं तो मजाक कर रही थी आप आराम कीजिए मैं अभी धोकर आता हूं फिर 4:00 बजे चलेंगे फिर शाम को दोनों बाप बेटी डेरा से निकले और घूमते घूमते कॉलेज तक गए और गेट के बाहर से ही अपना कॉलेज देख कर दोनों बाप बेटी वापस आ गए फिर दूसरे दिन दोनों बाप बेटी तैयार होकर कॉलेज के लिए निकले एक ही गाड़ी में उनकी अपनी कार थी उसी में बैठकर दोनों बाप बेटी कॉलेज जाने के लिए निकल गए कॉलेज के पास पहुंचने से पहले ही शिखर जी ने अपनी बेटी को गाड़ी से उतरने के लिए बोला और कहां की अब तुम यहां से चलकर आना क्योंकि हम दोनों को साथ में वहां देखेंगे तो पूछेंगे कि यह कौन है रितिका ने कहा ठीक है पापा आप चलिए मैं आ रही फिर शेखर जी आगे निकल गए और अपने ऑफिस में जाकर बैठ गए फिर रितिका कॉलेज पहुंची तो उसने सिक्योरिटी गार्ड से पूछा कि प्रोफेसर साहब का ऑफिस कहां है तो सिक्योरिटी गार्ड ने बताया कि वहां पर है फिर वह ऑफिस में गई तो उसके पापा वहां अकेले बैठे हुए थे शेखर जी ने रितिका को देखा और बोला कि आओ बैठो अच्छा हुआ कि यहां अभी और कोई प्रिंसिपल नहीं हैं। रहते तो बहुत सवाल पूछते फिर शेखर जी ने रितिका का फॉर्म भरकर वहां पर जमा कर लिए और फिर रितिका को उसका रूम नंबर बताया और कहा कि अपने रूम में जाकर बैठो फिर वह अपने रूम में गई तो वहां देखा कि कुछ लड़के बैठे हुए थे और वही पर एक लड़की भी बैठी हुई थी जो आपस में बातें कर रहे थे हंसी मजाक कर रहे थे जैसे ही रितिका वहां पहुंची तो वह लोग सब उसको देखने लगे और रितिका भी उनको देख रही थी फिर उन्हें में से एक लड़का ने कहा लगता है नया एडमिशन तो लड़की ने कहा लग तो ऐसा ही रहा है उस लड़की ने रितिका को बोला की इधर आ फिर रितिका डरते हुए उनके पास गई तो उस लड़की ने पूछा कि नया एडमिशन है तो रितिका ने कहा कि जी हां फिर उन सब ने पूछा कहां से आई तो रितिका ने अपना गांव का नाम बताया फिर पूछा कि यहां कहां रहती हो
तो रितिका ने सोचते हुए कहा कि यही पास में मेरे रिश्तेदार रहते हैं वहीं पर रहती हूं फिर उसे लड़की ने पूछा कितने नंबर से पास होकर आई हो तो रितिका ने कहा 90% तो उसे लड़की ने कहा लगता है बहुत पढ़ाकु लड़की हो तुम्हारा नाम क्या है जी रितिका अच्छा नाम है और मेरा नाम है जूही और यह सब मेरे फ्रेंड है क्या तुम हम हम सब की फ्रेंड बनोगी तो रितिक ने कहा कि आप लोग चाहेंगे तो जरूर बनूंगी फिर जूही ने कहा तो ठीक है आज से हम सब फ्रेंड है आओ यहीं पर बैठो जूही एक अमीर बाप की बेटी है नेचर से अच्छी है लेकिन उसके जो मन में आता है वह बोल देती है बोले तो मुंह फट है किसी से शर्माती नहीं है।

आगे की कहानी अगले भाग में।
 
Last edited:
Newbie
20
23
5
भाग 8
फिर इसी तरह कॉलेज में एक दिन बीत गया फिर कॉलेज में छुट्टी होने का टाइम आया तो शेखर जी ने सिक्योरिटी गार्ड को रितिका को बुलाने के लिए भेजा फिर सिक्योरिटी गार्ड ने रितिका को जाकर बोला कि प्रोफेसर साहब आपको बुला रहे हैं फिर रितिका अपने क्लासरूम से निकल कर आ रही थी तो शेखर जी बाहर खड़े होकर रितिका को देख रहे थे फिर वह अपने ऑफिस में अंदर जाकर बैठ गए रितिका जब आई तो उन्होंने कहा कि छुट्टी होने का टाइम हो गया है तुम बाहर जाकर आगे निकलो मैं तब तक गाड़ी ले कर कर आ रहा हूं फिर राधिका ने कहा जी ठीक है और वह अपने क्लासरूम से अपना बैग लेकर निकल गई फिर शेखर जी भी अपनी गाड़ी में पीछे से निकल गए कुछ दूर जाकर अपनी गाड़ी खड़ी कर दी और फिर रितिका पीछे से पहुंची तो शेखर जी ने आगे पीछे देखा कहीं कोई देख तो नहीं रहा फिर उन्होंने धीरे से दरवाजा खोला और रितिका अंदर जाकर बैठ गई फिर दोनों बाप बेटी डेरा पहुंच गए और पहुंच कर दोनों अपने-अपने कपड़े चेंज किया और फिर शेखर जी ने पूछा कि कैसा रहा आज का दिन कॉलेज में तो रितिका ने कहा ठीक था अच्छा रहा तो शेखर जी ने कहा कोई कुछ पूछ तो नहीं रहा था तो रितिका ने कहा कि हां कुछ लड़के लड़कियां पूछ रहे थे की कहां से आई हो कहां रहती हो यह सब और कुछ नहीं फिर तुमने क्या कहा फिर मैं अपना गांव का नाम बताया फिर उन लोगों ने पूछा कहां रहती हो तो मैंने बताया कि मैं अपने रिश्तेदार के यहां रहती हूं शेखर जी और तो कुछ नहीं पूछा जी नहीं फिर शेखर जी ने पूछा उन लोगों का नाम क्या था तो रितिका ने कहा कि उन मे एक लड़की का नाम जूही है तो शेखर जी ने कहा क्या जूही ऐसा पूछ रही थी तो रितिका ने कहा आप जानते हैं उसको तो शिखर जी ने कहा जानता हूं एक बड़े घर की लड़की है अच्छी लड़की है और कोई कुछ तो नहीं बोल रहा था नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं ओ सब अच्छी है उन लोगों ने तो मुझे अपना दोस्त भी बना लिया तो शेखर जी ने कहा क्या एक ही दिन में दोस्त बना लिया रितिका ने कहा वह सब मेरे से अच्छे से बात करते हैं तो शिखर जी ने कहा चलो अच्छा है यहां आते ही तुमको दोस्त मिल गए फिर इसी तरह दोनों बाप बेटी साथ में कॉलेज आते और जाते फिर कुछ दिन के बाद दोनों बाप बेटी रात में सो रहे थे तो करीब सुबह के 7:00 होंगे तो रितिका के नींद खुली तो उसे बिस्तर पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ तो उसने उठकर देखा तो वह देख कर चौंक गई क्योंकि आज उसका पीरियड चालू हो चुका था इसलिए बहुत सारा खून बेड पर गिरा हुआ था फिर वह बेड से उतर कर बाथरूम में कपड़े चेंज करने के लिए जा रही थी तभी उसकी याद आया कि पीरियड के समय मे जो पैड लेते हैं ओ उसके पास है ही नहीं है अब ओ क्या करेगी फिर उसने अपनी पुरानी गंजी को फाड़ कर उसको पैड की तरह मोड कर अपने पैंटी के अंदर रखकर उसे पहन लिया ताकी उसकी ब्लड बाहर ना आ सके फिर वह बाथरुम से बाहर आई तो देखा कि उसकी पापा अभी सो रहे हैं और उसे और उसे बहुत शर्म आ रही थी कि अगर उसके पापा उठगें और मेरा गिरा हुआ ब्लड देखेंगे तो क्या सोचेंगे मेरे बारे में अब मैं कर भी क्या सकती हूं उसको छुपा तो नहीं सकती फिर वह साफ सफाई करने लगी और कुछ देर बाद उसके पापा उठे और उन्होंने अपना हाथ उसी जगह पर रख दिया जहां खून गिरा हुआ फिर उनके हाथ में कुछ गीला गीला महसूस हुआ तो उन्होंने अपना हाथ हटाकर देखा तो पूरा लाल लाल दाग था तो उनको समझ में नहीं आ रहा था कि यह खून का दाग यहां कैसे आए फिर उन्होंने रितिका को आवाज दी और कहां बेटा रितु जरा इधर आना रितिका समझ गई कि पापा ने उसका गिरा हुआ खून का दाग देख लिया फिर वह उधर से आई और उसने धीरे से कहा जी पापा क्या हुआ तो शेखर जी ने कहा बेटा यह बेड पर खून का दाग कैसा है रितिका शरमाते हुए पापा ओ फिर वह चुप हो गई फिर शेखर जी ने पूछा हां बोलो बेटा ए किस चीज का दाग है तो रितिक ने फिर शरमाते हुए का जीओ पापा मेरा पीरियड चालू हो गया है फिर शेखर जी पीरियड का नाम सुनते ही समझ गए कि उसकी बेटी इतना क्यों शर्मा रही थी बोलने में फिर उन्होंने बोला ठीक है कोई बात नहीं ऐसा होता है एक काम करना यह चादर खराब हो गया इसको चेंज कर देना रितिका ने कहा जी पापा मैं चेंज कर दूंगी फिर शेखर जी उठकर बाहर घूमने के लिए जा रहे थे तो रितिका ने उनसे पूछा पापा बाहर जा रहे हैं घूमने के लिए शिखर जी ने कहा हां बेटा बोलो कुछ मंगवाना है क्या तो रितिक ने कहा कि हां मंगवाना तो है लेकिन इतना सुबह दुकान खुला हुआ होगा तो शेखर जी ने कहा कि क्या मंगवाना है तुमको तो रितिका ने शर्माते हुए कहा कि पापा ओ मेरे पीरियड्स के पैड खत्म हो चुके हैं तो फिर शेखर जी ने कहा कोई बात नहीं मैं खोज कर कहीं से भी ले आऊंगा फिर उसने कहा थैंक यू पापा इसमें थैंक यू क्या बात है मैं ले आऊंगा फिर जैसे ही वह घर से बाहर निकल रहे थे तो रितिका ने पीछे आवाज दी पापा फिर शेखर जी ने पीछे मुड़कर देखा और पूछा कि हां बोलो बेटा और कुछ मंगवाना है क्या तो रितिका ने कहा कि जि वो मेरे दोनों पैटीं भी खराब हो चुके हैं तो अगर मिलेगा तो ले आइएगा फिर उन्होंने कहा ठीक है ले आऊंगा और कुछ तो रितिका ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया नहीं बस और कुछ नहीं फिर वह भी मुस्कुराते हुए निकल गए और वह रास्ते में मन ही मन सोच रहे थे की जो काम में अपनी बीवी के लिए करता था आज अपनी बेटी के लिए कर रहा हूं इतनी सुबह तो दुकान खुली नहीं थी तो उन्होंने एक उनके जान पहचान का था उसके पास जाकर उन्होंने कहा कि मुझे कुछ सामान चाहिए अर्जेंट तो दुकानदार ने पूछा कि क्या चीज चाहिए तो उन्होंने कहा कि मुझे लेडिस के लिए दो पैटीं और दो पैकेट पैड चाहिए तो दुकानदार ने पूछा कि प्रोफेसर साहब फैमिली यहां आई हुई क्या तो शहर की सोच में पड़ गए कि अब मैं क्या जवाब दूँ तो उन्होंने कहा कि हां हां कुछ दिन के लिए आई हुई तो दुकानदार ने क्या अच्छा ठीक है अभी खोल कर देता हूं फिर दुकान खोलकर उसने दो पैकेट पैड दिए और उसने पूछा की पैटीं का साइज क्या है तो शेखर जी अपनी बेटी का पैंटी देखा था तो उन्होंने बोल दिया कि 32 साइज इधर शेखर जी अपनी बेटी के लिए पैटीं और पैड खरीद रहे थे उधर रितिका अपने पापा के बारे में सोच रही थी कि उसके पापा कितने अच्छे हैं उसका कितना ख्याल रखते हैं जो मांगती है वह उसको ला कर देते हैं फिर उसके पापा उधर से आ गए और उन्होंने कहा ए लो बेटा तुम्हारा सामान तो रितिका ने खुश होते हुए पूछा कि मिल गया इतना सुबह दुकान खुला हुआ था तो उसके पापा ने कहा अरे दुकान खुला नहीं था तो क्या हुआ मैं दुकान खुलवा कर लेके आयाहूँ तो रितिक ने कहा थैंक यू पापा आपने मेरे लिए इतना तकलीफ उठाया तो शेखर जी ने कहा इसमें में थैंक्यू की क्या बात है अपनी बेटी के लिए कुछ भी कर सकता हूं यह तो बहुत छोटी बात थी फिर उन्होंने कहा जा और जल्दी से चेंज कर लो फिर वह पैड चेंज करने के लिए बाथरुम में चली गई फिर उसने देखा कि थैली में दो सफेद रंग की पैटीं भी थी मन ही मन बोलने लगी कि पापा सफेद कलर की पैटीं क्यों लेकर आए आए हैं इसमें जरा सभी दाग लगेगा खराब हो जाएगी फिर वह सोचने लगी कि शायद दूसरा कलर का नहीं मिला होगा इसलिए सफेद कलर के ले आए फिर उसे याद आया कि मैं तो पापा को अपनी पैंटी की साइज तो बताइ ही नहीं थी तो कैसे लेकर आए कहीं बड़ी साइज की तो लेकर नहीं आ गए फिर उसने पहन कर देखी तो साइज बिल्कुल सही था फिर वह सोचने लगे कि पापा को मेरे साइज कैसे पता मैंने तुमको कभी बताया नहीं तो फिर यह कैसे हो सकता है अब मैं उनको पूछ तो नहीं सकती फिर वह बाथरुम से बाहर आई तो उसके पापा बाहर कुर्सी पर बैठे हुए थे तो उसने अपने पापा से कहा पापा आप जाइए नहा लीजिए तो उसके पापा ने कहा हां आ रहा हूं बेटा खाना बन गय क्या तो रितिका ने कहा हां आप नहा लीजिए तब तक बन जाएगा फिर शेखर जी ने कहा ठीक है मैं जा रहा हूं फिर वह बाथरूम में घुस गए नहाने के लिए तो उन्होंने देखा कि उनकी बेटी की पीरियड के कपड़े जो खून से भीगा हुआ था और उसकी पैंटी सब वहीं पड़ा हुआ था तो उसकी पैंटी को उठाकर देखा और मन ही मन सोचा कि अब मेरी बेटी जवान हो चुकी है और यह सोचते ही शेखर जी का हथियार खड़ा होने लगा और यह सब सोचते ही अपने कपड़े खोलकर नहाने लगे और जैसे ही साबुन अपने हथियार में लगाने लगे उनका हथियार पूरा तन कर खड़ा हो चुका था जिसकी साइज करीब 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा होगा वह एकदम पूरी तरह से फुफकार रहा था बील में घुसने के लिए अभी तो चुत मिलेगा नहीं घुसाने के लिए फिर किसी तरह उसको शांत करके नहा कर फिर बाहर आ गए।
आगे की कहानी अगले भाग में।
 
Last edited:
Member
299
540
93
भाग 8
फिर इसी तरह कॉलेज में एक दिन बीत गया फिर कॉलेज में छुट्टी होने का टाइम आया तो शेखर जी ने सिक्योरिटी गार्ड को रितिका को बुलाने के लिए भेजा फिर सिक्योरिटी गार्ड ने रितिका को जाकर बोला कि प्रोफेसर साहब आपको बुला रहे हैं फिर रितिका अपने क्लासरूम से निकल कर आ रही थी तो शेखर जी बाहर खड़े होकर रितिका को देख रहे थे फिर वह अपने ऑफिस में अंदर जाकर बैठ गए रितिका जब आई तो उन्होंने कहा कि छुट्टी होने का टाइम हो गया है तुम बाहर जाकर आगे निकलो मैं तब तक गाड़ी निकाल कर आ रहा हूं फिर दिखने कहा जी ठीक है और वह अपने क्लासरूम से अपना बैग लेकर निकल गई फिर शहर की भी अपनी गाड़ी में पीछे से निकल गए कुछ दूर जाकर अपनी गाड़ी खड़ी कर दी और फिर रितिका पीछे से पहुंची तो शेखर जी ने आगे पीछे देखा कहीं कोई देख तो नहीं रहा फिर उन्होंने धीरे से दरवाजा खोला और रितिका अंदर जाकर बैठ गई फिर दोनों बाप बेटी डेरा पहुंच गए और पहुंच कर दोनों अपने-अपने कपड़े चेंज किया और फिर शेखर जी ने पूछा कि कैसा रहा आज का दिन कॉलेज में तो रितिका ने कहा ठीक था अच्छा रहा तो शेखर जी ने कहा कोई कुछ पूछ तो नहीं रहा था तो रितिक ने कहा कि हां कुछ लड़के लड़कियां पूछ रहे थे की कहां से आई हो कहां रहती हो यह सब और कुछ नहीं फिर तुमने क्या कहा फिर मैं अपना गांव का नाम बताया फिर उन लोगों ने पूछा कहां रहती हो तो मैंने बताया कि मैं अपने रिश्तेदार के यहां रहती हूं शेखर जी और तो कुछ नहीं पूछा जी नहीं फिर शेखर जी ने पूछा उन लोगों का नाम क्या था तो रितिक ने कहा कि उनसे एक लड़की का नाम जूही है तो शेखर जी ने कहा क्या जूही ऐसा पूछ रही थी तो रितिक ने कहा आप जानते हैं उसको तो शिखर जी ने कहा जानता हूं एक बड़े घर की लड़की है अच्छी लड़की है और कोई कुछ तो नहीं बोल रहा था नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं ओ सब अच्छी है उन लोगों ने तो मुझे अपना दोस्त भी बना लिया तो शेखर जी ने कहा क्या एक ही दिन में दोस्त बना लिया रितिक ने कहा वह सब मेरे से अच्छे से बात करते हैं तो शिखर जी ने कहा चलो अच्छा है यहां आते ही तुमको दोस्त मिल गए फिर इसी तरह दोनों बाप बेटी साथ में कॉलेज आते और जाते फिर कुछ दिन के बाद दोनों बाप बेटी रात में सो रहे थे तो करीब सुबह के 7:00 होंगे तो रितिका के नींद खुली तो उसे बिस्तर पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ तो उसने उठकर देखा तो वह देख कर चौंक गई क्योंकि आज उसका पीरियड चालू हो चुका था इसलिए बहुत सारा खून बेड पर गिरा हुआ था फिर वह बेड से उतर कर बाथरूम में कपड़े चेंज करने के लिए जा रही थी तभी उसकी याद आया कि पीरियड के समय मे जो पैड लेते हैं ओ उसके पास है ही नहीं है अब ओ क्या करेगी फिर उसने अपनी पुरानी गंजी को फाड़ कर उसको पैड की तरह मोड कर अपने पैंटी के अंदर रखकर उसे पहन लिया ताकी उसकी ब्लड बाहर ना आ सके फिर वह बाथरुम से बाहर आई तो देखा कि उसकी पापा अभी सो रहे हैं और उसे और उसे बहुत शर्म आ रही थी कि अगर उसके पापा उठगें और मेरा गिरा हुआ ब्लड देखेंगे तो क्या सोचेंगे मेरे बारे में अब मैं कर भी क्या सकती हूं उसको छुपा तो नहीं सकती फिर वह साफ सफाई करने लगी और कुछ देर बाद उसके पापा उठे और उन्होंने अपना हाथ उसी जगह पर रख दिया जहां खून गिरा हुआ फिर उनके हाथ में कुछ गीला गीला महसूस हुआ तो उन्होंने अपना हाथ हटाकर देखा तो पूरा लाल लाल दाग था तो उनको समझ में नहीं आ रहा था कि यह खून का दाग यहां कैसे आए फिर उन्होंने रितिका को आवाज दी और कहां बेटा रितु जरा इधर आना रितिका समझ गई कि पापा ने उसका गिरा हुआ खून का दाग देख लिया फिर वह उधर से आई और उसने धीरे से कहा जी पापा क्या हुआ तो शेखर जी ने कहा बेटा यह बेड पर खून का दाग कैसा है रितिका शरमाते हुए पापा ओ फिर वह चुप हो गई फिर शेखर जी ने पूछा हां बोलो बेटा ए किस चीज का दाग है तो रितिक ने फिर शरमाते हुए का जीओ पापा मेरा पीरियड चालू हो गया है फिर शेखर जी पीरियड का नाम सुनते ही समझ गए कि उसकी बेटी इतना क्यों शर्मा रही थी बोलने में फिर उन्होंने बोला ठीक है कोई बात नहीं ऐसा होता है एक काम करना यह चादर खराब हो गया इसको चेंज कर देना रितिक ने कहा जी पापा मैं चेंज कर दूंगी फिर शेखर जी उठकर बाहर घूमने के लिए जा रहे थे तो रितिका ने उनसे पूछा पापा बाहर जा रहे हैं घूमने के लिए शिखर जी ने कहा हां बेटा बोलो कुछ मंगवाना है क्या तो रितिक ने कहा कि हां मंगवाना तो है लेकिन इतना सुबह दुकान खुला हुआ होगा तो शेखर जी ने कहा कि क्या मंगवाना है तुमको तो रितिक ने शर्माते हुए कहा कि पापा ओ मेरे पीरियड्स के पैड खत्म हो चुके हैं तो फिर से खर्जी ने कहा कोई बात नहीं मैं खोज कर कहीं से भी ले आऊंगा फिर उसने कहा थैंक यू पापा इसमें थैंक यू क्या बात है मैं ले आऊंगा फिर जैसे ही वह घर से बाहर निकल रहे थे तो रितिक ने पीछे आवाज दी पापा फिर शेखर जी ने पीछे मुड़कर देखा और पूछा कि हां बोलो बेटा और कुछ मंगवाना है क्या तो रितिक ने कहा कि जियो मेरे दोनों पेटीं भी खराब हो चुके हैं तो अगर मिलेगा तो ले आइएगा फिर उन्होंने कहा ठीक है ले आऊंगा और कुछ तो रितिका ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया नहीं बस और कुछ नहीं फिर वह भी मुस्कुराते हुए निकल गए और वह रास्ते में मन ही मन सोच रहे थे की जो काम में अपनी बीवी के लिए करता था आज अपनी बेटी के लिए कर रहा हूं इतनी सुबह तो दुकान खुली नहीं थी तो उन्होंने एक उनके जान पहचान का था उसके पास जाकर उन्होंने कहा कि मुझे कुछ सामान चाहिए अर्जेंट तो दुकानदार ने पूछा कि क्या चीज चाहिए तो उन्होंने कहा कि मुझे लेडिस के लिए दो पेटीं और दो पैकेट पैड चाहिए तो दुकानदार ने पूछा कि प्रोफेसर साहब फैमिली यहां आई हुई क्या तो शहर की सोच में पड़ गए कि अब मैं क्या जवाब तो उन्होंने कहा कि हां हां कुछ दिन के लिए आई हुई तो दुकानदार ने क्या अच्छा ठीक है अभी खोल कर देता हूं फिर दुकान खोलकर उसने दो पैकेट पैड दिए और उसने पूछा की पैटीं का साइज क्या है तो शेखर जी अपनी बेटी का पैंटी देखा था तो उन्होंने बोल दिया कि 32 साइज इधर शेखर जी अपनी बेटी के लिए पैटीं और पड खरीद रहे थे उधर रितिका अपने पापा के बारे में सोच रही थी कि उसके पापा कितने अच्छे हैं उसका कितना ख्याल रखते हैं जो मांगती है वह उसको ला कर देते हैं फिर उसके पापा उधर से आ गए और उन्होंने कहा ए लो बेटा तुम्हारा सामान तो रितिक ने खुश होते हुए पूछा कि मिल गया इतना सुबह दुकान खुला हुआ था तो उसके पापा ने कहा अरे दुकान खुल नहीं था तो क्या हुआ मैं दुकान खुलवा कर लेके आयाहूँ तो रितिक ने कहा थैंक यू पापा आपने मेरे लिए इतना तकलीफ उठाया तो शेखर जी ने कहा हरीश में थैंक्यू की क्या बात है अपनी बेटी के लिए कुछ भी कर सकता हूं यह तो बहुत छोटी बात थी फिर उन्होंने कहा जा और जल्दी से चेंज कर लो फिर वह पैड चेंज करने के लिए बाथरुम में चली गई फिर उसने देखा कि थैली में दो सफेद रंग की पैटीं भी थी मन ही मन बोलने लगी कि पापा सफेद कलर की पैटीं क्यों लेकर आए आए हैं इसमें जरा सभी दाग लगेगा खराब हो जाएगी फिर वह सोचने लगी कि शायद दूसरा कलर का नहीं मिला होगा इसलिए सफेद कलर के ले आए फिर उसे याद आया कि मैं तो पापा को अपनी पैंटी की साइज तो बताइ ही नहीं थी तो कैसे लेकर आए कहीं बड़ी साइज की तो लेकर नहीं आ गए फिर उसने पहन कर देखी तो साइज बिल्कुल सही था फिर वह सोचने लगे कि पापा को मेरे साइज कैसे पता मैंने तुमको कभी बताया नहीं तो फिर यह कैसे हो सकता है अब मैं उनको कुछ तो नहीं सकती फिर वह बाथरुम से बाहर आई तो उसके पापा बाहर कुर्सी पर बैठे हुए थे तो उसने अपने पापा से कहा पापा आप जाइए नहा लीजिए तो उसके पापा ने कहा हां आ रहा हूं बेटा खाना बन गय क्या तो रितिका ने कहा हां आप नहा कर लिए तब तक बन जाएगा फिर शेखर जी ने कहा ठीक है मैं जा रहा हूं फिर वह बाथरूम में घुस गए नहाने के लिए तो उन्होंने देखा कि उनकी बेटी की पीरियड के कपड़े जो खून से भीगा हुआ था और उसकी पैंटी सब वहीं पड़ा हुआ था तो उसकी पैंटी को उठाकर देखा और मन ही मन सोचा कि अब मेरी बेटी जवान हो चुकी है और यह सोचते ही शेखर जी का हथियार खड़ा होने लगा और यह सब सोचते ही अपने कपड़े खोलकर नहाने लगे और जैसे ही साबुन अपने हथियार में लगाने लगे उनका हथियार पूरा तन कर खड़ा हो चुका था जिसकी साइज करीब 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा होगा वह एकदम पूरी तरह से फुफकार रहा था बील में घुसने के लिए अभी तो चुत मिलेगा नहीं घुसाने के लिए फिर किसी तरह उसको शांत करके नहा कर फिर बाहर आ गए।
आगे की कहानी अगले भाग में।
Bhai story mast hai... Thoda sa suggestion hai sahi Lage to man Lena thoda space ka use Karo story achhi dikhegi aur read karne me maza aayega.... Keep it up brother...
 
Will Change With Time
Senior Moderator
14,480
18,595
143
भाग 6
रात में हम दोनों बाप बेटी एक ही बेड पर सो गए रात में सोते वक्त मैं ख्याल रख रहा था कि मेरा शरीर उसके साथ टच ना हो इसलिए मैं एक तरफ मुंह करके सो रहा था वह दूसरी तरफ करके सो गई रितिका भी मन ही मन सोच रही थी कि आज हमें पहली बार पापा के साथ एक ही बेड पर सो रही हूं मुझसे कहीं कुछ गलती ना हो जाए मेरा मतलब कहीं मेरे हाथ पैर उनके ऊपर ना चला जाए घर में तो मम्मी के साथ चिपक के सोती थी अपना पैर भी उनके ऊपर डालकर सोती थी तो वह कुछ नहीं बोलती थी यही सब सोते हुए दोनों बाप बेटी सो गए सुबह करीब 7:00 शेखर जी की नींद खुली तो उन्होंने देखा कि उनकी बेटी अभी भी सो रही है तो वह उठकर चाय बनाने के लिए चले गए किचन में फिर दो कप चाय बनाई और चाय लेकर वापस रूम में आए तो उन्होंने देखा कि उनकी बेटी अभी भी सो रही है तो उन्होंने सोचा कि शायद रात में नींद ठीक से नहीं आई होगी क्योंकि आज पहली बार वह घर से बाहर आई थी तो नहीं जगह की वजह से नींद नहीं आई होगी इसी वजह से अभी तक सो रही है फिर उन्होंने रितिका को आवाज दी बेटा रितु उठ जाओ 8:00 बजने वाला है फिर भी वह नहीं उठी तो उसके मुंह पर से चादर हटाया और उसके करीब जाकर आवाज दी रितु बेटा उठ जाओ फिर उसकी आंख खुल गई फिर वह अपने पापा को देखकर बोली पापा आप उठ गए कितना टाइम हो गया तो शेखर जी ने कहा 8:00 बजने वाला है रितिका क्या 8:00 बज गए सॉरी पापा मेरी नींद नहीं खुली इसलिए मैं सो के रह गई शेखर जी ठीक है कोई बात नहीं यह लो चाय पियो रितिका क्या आपने चाय बनाई और नहीं तो क्या यहां तुम्हारी मां तो है नहीं कि वह चाय बना कर देगी ओ सब छोड़ो और यह लो चाय पी ओ ठंडी हो जाएगी फिर दोनों ने चाय पिया और शेखर जी ने कहा बेटा मैं खाना बनाने के लिए राशन लेकर आता हूं तब तक तुम घर की साफ-सफाई कर लो ठीक है पापा आप जाइए लेकर आई मैं तब तक झाड़ू लगाकर साफ सफाई कर देती हूं फिर शेखर जी राशन और सब्जी लेकर आ गए यह लो बेटा राशन आ गया है ठीक है पापा वहीं पर रखिए मैं गैस पर चावल चढ़ा कर आ रही हूं जब तक चावल पक्केगा तब तक मैं सब्जी काटकर रेडी कर लूंगी शिखरजी मैं भी तुम्हारी मदद कर देता हूं रितु नहीं पापा आप रहने दीजिए मैं कर लूंगी बेटा मैं खाली बैठकर क्या करूंगा कुछ ना कुछ तुम्हारी मदद कर देता हूं ना रितिका नहीं नहीं आपको कुछ मदद करने की जरूरत नहीं है मैं कर लूंगी और आप बैठिए मत जाकर नहा धोकर रेडी हो जाइए शेखर जी सिर्फ नहाना ही तो है बाद में नहा लूंगा और वैसे भी आज संडे है आज कहीं जाना नहीं है घर में ही रहना है रितिक ने कहा ठीक है आज कहीं जाना नहीं है तो जाइए बैठ कर आराम कीजिए टीवी देखिए शेखर जी काश तुम्हारी मां भी तुम्हारी जैसी होती है रितिका मतलब मैं समझी नहीं शेखर मतलब यह कि आज तुम्हारी जगत तुम्हारी मां होती तो मुझे कितनी बात सुना चुकी होती कि यह चीज करो वह चीज करो और तुम हो कि मुझे एक भी काम नहीं करने दे रही हो रितिका अच्छा आप चाहते हैं कि मेरी जगह पर मँ यहां पर आ जाए शेखर अरे नहीं मैं तो तुम्हारी तारीफ कर रहा हूं रितिका आप मेरी तारीफ कर रहे हैं कि मेरी मां की बुराई कर रहे हैं अच्छा सॉरी बाबा और कुछ नहीं बोलूंगा तुम्हारी मां के बारे में वैसे एक बात बोलूं गुस्सा तो नहीं होगी रितिका क्या बोलिए गुस्सा नहीं करूंगी तुम्हारी जैसी बीवी जिसको मिलेगी उसकी जिंदगी धन्य हो जाएगा रितिका मतलब आप साफ-साफ कहिए ना की दूसरी शादी करना चाह रहे हैं मेरी मां अच्छी नहीं है यार तुम फिर गलत समझ रही हो मैं तुम्हारी तारीफ कर रहा हूं और तुम उल्टा समझ रही हो और तुम्हारी मां अच्छी है नहीं है अब वह सब बात करके क्या फायदा अब मैं इस उम्र में शादी करने करूंगा कौन मुझे लड़की देगा अच्छा तो मतलब लड़की मिलेगी तो आप शादी करेंगे शेखर अच्छा सॉरी बाबा मुझसे गलती हो गई जो मैंने तुम्हारी तारीफ कर दी अब मैं और कुछ नहीं बोलूंगा मेरी मां मुझे माफ कर दो फिर रितिका मुस्कुराते हुए ठीक है मैंने माफ किया मेरे बच्चे और दोनों हंसने लगे रितिका ओ हो पापा मैं तो आपकी बातों में लग गई और मैं उधर चावल चढ़ा कर आईह हूँ वह तो मैं भूल ही गई और दौड़कर किचन में चली गई फिर वहीं से अपने पापा से बोली पापा आपा जाइए नहा लीजिए तब तक खाना बन जाएगा फिर मैं भी नहाउंगी शेखर जी ठीक है बेटा मैं जा रहा हूं नहाने के लिए और नहाने चले गए और नहाने के बाद वह अपने खुले हुए कपड़े वहीं पर छोड़ दिए यह सोचकर कि रितिक जब अपने कपड़े धोएगी तो मेरे भी धो देगी फिर बाथरूम से बाहर निकले तो उधर रितिका भी किचन से आ रही थी तो उन्होंने कहा कि बेटा मेरा नहाना हो गया रितिका हां पापा मेरा भी खाना बन गय आप थोड़ी देर बैठिए तब तक मैं नहा कर आती हूं शेखर जी हां ठीक है तुम आराम से नहा कर आओ

आगे की कहानी अगले भाग में
Nice update and awesome writing skills
 
Will Change With Time
Senior Moderator
14,480
18,595
143
भाग 7
मैं नहा कर आया उसके बाद मेरी बेटी नहाने के लिए बाथरुम में चली गई और मैं बैठकर टीवी देखने लगा रितिका जब अंदर बाथरूम में गई तो देखा कि उसके पापा के खोले हुए कपड़े वहीं पड़े हुए थे वह सोचती है कि पापा तो खुद अपने कपड़े धोएंगे नहीं तो मुझे ही धोना पड़ेगा और कपड़े उठाकर साइड में रख देती है और सोचती है कि अब नहा धोकर खाना-वाना खा लूंगी तो दोपहर में धोउगीं फिर वह नहाने लगती है और नहा के जब वह बाहर आती है तो देखती कि उसके पापा बैठकर टीवी देख रहे हैं तो वह बोलती है पापा मैं खाना लगा दूं आप खाएंगे शेखर जी हां तुम रेडी हो गई लगाओ रितिका नहीं मैं थोड़ा बाद में खाऊंगी आप खा लीजिए क्यों बाद में क्यों खाएगी अभी क्या हुआ तो वह बोली की मेरा बाल अभी भीगा हुआ है इसलिए जब सुख जाएगा तब उसे चीर झाड़ लूंगी तब खाऊंगी हां तो सुखने दे कितना टाइम लगेगा जब तुम रेडी हो जाएगी तभी दोनों साथ में खाएंगे क्यों आप अकेले नहीं खाएंगे मुझे अकेले खाने की जल्दी नहीं है हम दोनों साथ में खाएंगे क्योंकि साथ में खाने से प्यार बढ़ता है रितिका मुस्कुराते हुए अच्छा साथ में बैठकर खाने से प्यार बढ़ता है और नहीं तो क्या मैं पहले खा लूंगा तू बाद में अकेली बैठकर खाएगी इसमें कोई मजा है जो मजा साथ में बैठकर खाने में है
रितिका मुस्कुराते हुए मैंने सुना है कि एक बर्तन में साथ में खाने से ज्यादा प्यार बढ़ता है हां वह तो है जब पति-पत्नी साथ में एक ही बर्तन में खाते हैं तो उनका प्यार और मजबूत होता है रितिका तो क्या सिर्फ पति-पत्नी ही साथ में खा सकते हैं शेखर जी नहीं नहीं ऐसा नहीं है कि सिर्फ पति-पत्नी खा सकती है दो दोस्त जो आपस में बहुत प्यार करतें हैं ओ भी खातें हैं लड़कियां अपनी सहेली के साथ खाती है रितु बाप बेटी साथ में खाती है कि नहीं शेखर जी हां हां बिल्कुल बाप बेटी भी खाती है तू भी बचपन में मेरे साथ में खाती थी रितु तो क्या अब मैं आपके साथ खा सकती हूं शेखर जी थोड़ा रुकते हुए हां खा सकती हो लेकिन सिर्फ यही पर घर में या बाहर में किसी के सामने नहीं खा सकते रितिका लेकिन क्यों क्योंकि घर में तुम्हारी मां देखेगी तो तुमको डांटेगी और कहेगी की अब जवान हो गई है और पापा के साथ में बैठकर खा रही है तो क्या हुआ मैं अपने पापा के साथ खा रही हूं तो इसमें गलत क्या है शेखर जी गलत नहीं है लेकिन गलत समझते हैं क्योंकि जब एक लड़की बड़ी या जवान हो जाती है और वह किसी दूसरे लड़के या किसी मर्द के साथ में कहीं घूमने जाती है या उसके साथ में रहती है या खाना-वाना खाती है तो लोग उसके बारे में गलत समझने लगते हैं लेकिन पापा मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं शेखर जी वह तो मैं जानता हूं कि तुमसे बहुत प्यार करती है और मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं बेडरूम एक बहुत बड़ा शीशा लगा हुआ था जिसमें रितिका देखकर अपने बाल झाड़ने लगी और शेखर जी वहीं बैठकर टीवी देख रहे थे और जब रितिका नहाने गई थी तो वह नहाने के बाद एक ढीला डाला गंजी और नीचे पजामा पहन रखी थी जब वह शीशे के सामने झुक कर अपने बाल झाड़ने लगी तो उसकी गंजी का गला बड़ा था तो इस वजह से उसके दूध थोड़े-थोड़े नजर आ रहे थे जब शेखर जी की नजर शीशे में पड़ी तो वह चौंक गए और वह चोरी छुपी नजरों से उसे देखने लगे और कहावत में कहते हैं ना हैं कि जब एक मर्द किसी जवान लड़की आ

औरत को देखा है तो उसकी तरफ आकर्षित हो ही जाता है चाहे वह रिश्ते में उसकी कोई भी लगती हो बहन बेटी या बहू कोई भी वह अपने आप को रोक नहीं पाता क्यों कि यह एक इंसानी फितरत है और यही आज शेखर जी के साथ में हो रहा था वह चाहते हुए भी अपनी बेटी की जवानी को देखने से रोक नहीं पा रहे थे हालांकि अभी उसकी दूध उतने बड़े नहीं थे क्योंकि अभी वह जवान हो रही थी और अभी तक किसी मर्द ने उसको हाथ नहीं लगाया था इसलिए अभी ज्यादा बड़ा नहीं था फिर रितिका ने अपने बाल झाड़ने के बाद वह खाना लेकर आई और दोनों ने बैठकर खाना खाया खाना खाने के बाद फिर शेखर जी ने कहा कि आज शाम को 4:00 बजे साथ में चलना तुमको अपना कॉलेज दिखा दूंगा रितिका ने कहा ठीक है तब तक मैं जो कपड़े खोलकर रखे हुए हैं उसको धो देती हूँ तो शिखर जी ने कहा हां मैंने भी अपने कपड़े खोलकर वहीं छोड़ दिया क्या मेरे कपड़े भी धो देगी तो रितिका मजाक करते हुए कहा नहीं मैं आपके कपड़े नहीं धोउगीं मैं आपकी बीवी थोड़ी हूं तो शेखर जी ने चौक ते हुए उसकी तरफ देखा और बोले कि ठीक है मेरे कपड़े छोड़ दो मैं खुद ही धोलूंगा तो रितिक ने पूछा कि आप अपने कपड़े खुद धोएंगे तो शेखर जी ने कहा हां तुम नहीं धोएगी तो मैं अपने से ही धोउंगा ना तो रितिका ने कहा आपको शर्म नहीं आएगी कि मेरे सामने आप अपने कपड़े धोएंगे तो शेखर जी ने कहा तुम्हीं ने तो कहा कि तुम मेरी बीवी नहीं है तो तुम मेरे कपड़े कैसे धोएगी तो रितिका ने कहा बीवी नहीं हूँ तो क्या हुआ बेटी तो हूं बेटी अपने बाप के कपड़े नहीं धोएगी तो और किसकी धोएगी तो शेखर जी ने कहा कि तू मुझे परेशान करना नहीं छोड़ेगी तो रितिका अरे मैं तो मजाक कर रही थी आप आराम कीजिए मैं अभी धोकर आता हूं फिर 4:00 बजे चलेंगे फिर शाम को दोनों बाप बेटी डेरा से निकले और घूमते घूमते कॉलेज तक गए और गेट के बाहर से ही अपना कॉलेज देख कर दोनों बाप बेटी वापस आ गए फिर दूसरे दिन दोनों बाप बेटी तैयार होकर कॉलेज के लिए निकले एक ही गाड़ी में उनकी अपनी कार थी उसी में बैठकर दोनों बाप बेटी कॉलेज जाने के लिए निकल गए कॉलेज के पास पहुंचने से पहले ही शिखर जी ने अपनी बेटी को गाड़ी से उतरने के लिए बोला और कहां की अब तुम यहां से चलकर आना क्योंकि हम दोनों को साथ में वहां देखेंगे तो पूछेंगे कि यह कौन है रितिका ने कहा ठीक है पापा आप चलिए मैं आ रही फिर शेखर जी आगे निकल गए और अपने ऑफिस में जाकर बैठ गए फिर रितिका कॉलेज पहुंची तो उसने सिक्योरिटी गार्ड से पूछा कि प्रोफेसर साहब का ऑफिस कहां है तो सिक्योरिटी गार्ड ने बताया कि वहां पर है फिर वह ऑफिस में गई तो उसके पापा वहां अकेले बैठे हुए थे शेखर जी ने रितिका को देखा और बोला कि आओ बैठो अच्छा हुआ कि यहां अभी और कोई प्रिंसिपल नहीं हैं। रहते तो बहुत सवाल पूछते फिर शेखर जी ने रितिका का फॉर्म भरकर वहां पर जमा कर लिए और फिर रितिका को उसका रूम नंबर बताया और कहा कि अपने रूम में जाकर बैठो फिर वह अपने रूम में गई तो वहां देखा कि कुछ लड़के बैठे हुए थे और वही पर एक लड़की भी बैठी हुई थी जो आपस में बातें कर रहे थे हंसी मजाक कर रहे थे जैसे ही रितिका वहां पहुंची तो वह लोग सब उसको देखने लगे और रितिका भी उनको देख रही थी फिर उन्हें में से एक लड़का ने कहा लगता है नया एडमिशन तो लड़की ने कहा लग तो ऐसा ही रहा है उस लड़की ने रितिका को बोला की इधर आ फिर रितिका डरते हुए उनके पास गई तो उस लड़की ने पूछा कि नया एडमिशन है तो रितिका ने कहा कि जी हां फिर उन सब ने पूछा कहां से आई तो रितिका ने अपना गांव का नाम बताया फिर पूछा कि यहां कहां रहती हो
तो रितिका ने सोचते हुए कहा कि यही पास में मेरे रिश्तेदार रहते हैं वहीं पर रहती हूं फिर उसे लड़की ने पूछा कितने नंबर से पास होकर आई हो तो रितिका ने कहा 90% तो उसे लड़की ने कहा लगता है बहुत पढ़ाकु लड़की हो तुम्हारा नाम क्या है जी रितिका अच्छा नाम है और मेरा नाम है जूही और यह सब मेरे फ्रेंड है क्या तुम हम हम सब की फ्रेंड बनोगी तो रितिक ने कहा कि आप लोग चाहेंगे तो जरूर बनूंगी फिर जूही ने कहा तो ठीक है आज से हम सब फ्रेंड है आओ यहीं पर बैठो जूही एक अमीर बाप की बेटी है नेचर से अच्छी है लेकिन उसके जो मन में आता है वह बोल देती है बोले तो मुंह फट है किसी से शर्माती नहीं है।

आगे की कहानी अगले भाग में।
Nice update and awesome writing skills
 
Will Change With Time
Senior Moderator
14,480
18,595
143
भाग 8
फिर इसी तरह कॉलेज में एक दिन बीत गया फिर कॉलेज में छुट्टी होने का टाइम आया तो शेखर जी ने सिक्योरिटी गार्ड को रितिका को बुलाने के लिए भेजा फिर सिक्योरिटी गार्ड ने रितिका को जाकर बोला कि प्रोफेसर साहब आपको बुला रहे हैं फिर रितिका अपने क्लासरूम से निकल कर आ रही थी तो शेखर जी बाहर खड़े होकर रितिका को देख रहे थे फिर वह अपने ऑफिस में अंदर जाकर बैठ गए रितिका जब आई तो उन्होंने कहा कि छुट्टी होने का टाइम हो गया है तुम बाहर जाकर आगे निकलो मैं तब तक गाड़ी ले कर कर आ रहा हूं फिर राधिका ने कहा जी ठीक है और वह अपने क्लासरूम से अपना बैग लेकर निकल गई फिर शेखर जी भी अपनी गाड़ी में पीछे से निकल गए कुछ दूर जाकर अपनी गाड़ी खड़ी कर दी और फिर रितिका पीछे से पहुंची तो शेखर जी ने आगे पीछे देखा कहीं कोई देख तो नहीं रहा फिर उन्होंने धीरे से दरवाजा खोला और रितिका अंदर जाकर बैठ गई फिर दोनों बाप बेटी डेरा पहुंच गए और पहुंच कर दोनों अपने-अपने कपड़े चेंज किया और फिर शेखर जी ने पूछा कि कैसा रहा आज का दिन कॉलेज में तो रितिका ने कहा ठीक था अच्छा रहा तो शेखर जी ने कहा कोई कुछ पूछ तो नहीं रहा था तो रितिका ने कहा कि हां कुछ लड़के लड़कियां पूछ रहे थे की कहां से आई हो कहां रहती हो यह सब और कुछ नहीं फिर तुमने क्या कहा फिर मैं अपना गांव का नाम बताया फिर उन लोगों ने पूछा कहां रहती हो तो मैंने बताया कि मैं अपने रिश्तेदार के यहां रहती हूं शेखर जी और तो कुछ नहीं पूछा जी नहीं फिर शेखर जी ने पूछा उन लोगों का नाम क्या था तो रितिका ने कहा कि उन मे एक लड़की का नाम जूही है तो शेखर जी ने कहा क्या जूही ऐसा पूछ रही थी तो रितिका ने कहा आप जानते हैं उसको तो शिखर जी ने कहा जानता हूं एक बड़े घर की लड़की है अच्छी लड़की है और कोई कुछ तो नहीं बोल रहा था नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं ओ सब अच्छी है उन लोगों ने तो मुझे अपना दोस्त भी बना लिया तो शेखर जी ने कहा क्या एक ही दिन में दोस्त बना लिया रितिका ने कहा वह सब मेरे से अच्छे से बात करते हैं तो शिखर जी ने कहा चलो अच्छा है यहां आते ही तुमको दोस्त मिल गए फिर इसी तरह दोनों बाप बेटी साथ में कॉलेज आते और जाते फिर कुछ दिन के बाद दोनों बाप बेटी रात में सो रहे थे तो करीब सुबह के 7:00 होंगे तो रितिका के नींद खुली तो उसे बिस्तर पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ तो उसने उठकर देखा तो वह देख कर चौंक गई क्योंकि आज उसका पीरियड चालू हो चुका था इसलिए बहुत सारा खून बेड पर गिरा हुआ था फिर वह बेड से उतर कर बाथरूम में कपड़े चेंज करने के लिए जा रही थी तभी उसकी याद आया कि पीरियड के समय मे जो पैड लेते हैं ओ उसके पास है ही नहीं है अब ओ क्या करेगी फिर उसने अपनी पुरानी गंजी को फाड़ कर उसको पैड की तरह मोड कर अपने पैंटी के अंदर रखकर उसे पहन लिया ताकी उसकी ब्लड बाहर ना आ सके फिर वह बाथरुम से बाहर आई तो देखा कि उसकी पापा अभी सो रहे हैं और उसे और उसे बहुत शर्म आ रही थी कि अगर उसके पापा उठगें और मेरा गिरा हुआ ब्लड देखेंगे तो क्या सोचेंगे मेरे बारे में अब मैं कर भी क्या सकती हूं उसको छुपा तो नहीं सकती फिर वह साफ सफाई करने लगी और कुछ देर बाद उसके पापा उठे और उन्होंने अपना हाथ उसी जगह पर रख दिया जहां खून गिरा हुआ फिर उनके हाथ में कुछ गीला गीला महसूस हुआ तो उन्होंने अपना हाथ हटाकर देखा तो पूरा लाल लाल दाग था तो उनको समझ में नहीं आ रहा था कि यह खून का दाग यहां कैसे आए फिर उन्होंने रितिका को आवाज दी और कहां बेटा रितु जरा इधर आना रितिका समझ गई कि पापा ने उसका गिरा हुआ खून का दाग देख लिया फिर वह उधर से आई और उसने धीरे से कहा जी पापा क्या हुआ तो शेखर जी ने कहा बेटा यह बेड पर खून का दाग कैसा है रितिका शरमाते हुए पापा ओ फिर वह चुप हो गई फिर शेखर जी ने पूछा हां बोलो बेटा ए किस चीज का दाग है तो रितिक ने फिर शरमाते हुए का जीओ पापा मेरा पीरियड चालू हो गया है फिर शेखर जी पीरियड का नाम सुनते ही समझ गए कि उसकी बेटी इतना क्यों शर्मा रही थी बोलने में फिर उन्होंने बोला ठीक है कोई बात नहीं ऐसा होता है एक काम करना यह चादर खराब हो गया इसको चेंज कर देना रितिका ने कहा जी पापा मैं चेंज कर दूंगी फिर शेखर जी उठकर बाहर घूमने के लिए जा रहे थे तो रितिका ने उनसे पूछा पापा बाहर जा रहे हैं घूमने के लिए शिखर जी ने कहा हां बेटा बोलो कुछ मंगवाना है क्या तो रितिक ने कहा कि हां मंगवाना तो है लेकिन इतना सुबह दुकान खुला हुआ होगा तो शेखर जी ने कहा कि क्या मंगवाना है तुमको तो रितिका ने शर्माते हुए कहा कि पापा ओ मेरे पीरियड्स के पैड खत्म हो चुके हैं तो फिर शेखर जी ने कहा कोई बात नहीं मैं खोज कर कहीं से भी ले आऊंगा फिर उसने कहा थैंक यू पापा इसमें थैंक यू क्या बात है मैं ले आऊंगा फिर जैसे ही वह घर से बाहर निकल रहे थे तो रितिका ने पीछे आवाज दी पापा फिर शेखर जी ने पीछे मुड़कर देखा और पूछा कि हां बोलो बेटा और कुछ मंगवाना है क्या तो रितिका ने कहा कि जि वो मेरे दोनों पैटीं भी खराब हो चुके हैं तो अगर मिलेगा तो ले आइएगा फिर उन्होंने कहा ठीक है ले आऊंगा और कुछ तो रितिका ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया नहीं बस और कुछ नहीं फिर वह भी मुस्कुराते हुए निकल गए और वह रास्ते में मन ही मन सोच रहे थे की जो काम में अपनी बीवी के लिए करता था आज अपनी बेटी के लिए कर रहा हूं इतनी सुबह तो दुकान खुली नहीं थी तो उन्होंने एक उनके जान पहचान का था उसके पास जाकर उन्होंने कहा कि मुझे कुछ सामान चाहिए अर्जेंट तो दुकानदार ने पूछा कि क्या चीज चाहिए तो उन्होंने कहा कि मुझे लेडिस के लिए दो पैटीं और दो पैकेट पैड चाहिए तो दुकानदार ने पूछा कि प्रोफेसर साहब फैमिली यहां आई हुई क्या तो शहर की सोच में पड़ गए कि अब मैं क्या जवाब दूँ तो उन्होंने कहा कि हां हां कुछ दिन के लिए आई हुई तो दुकानदार ने क्या अच्छा ठीक है अभी खोल कर देता हूं फिर दुकान खोलकर उसने दो पैकेट पैड दिए और उसने पूछा की पैटीं का साइज क्या है तो शेखर जी अपनी बेटी का पैंटी देखा था तो उन्होंने बोल दिया कि 32 साइज इधर शेखर जी अपनी बेटी के लिए पैटीं और पैड खरीद रहे थे उधर रितिका अपने पापा के बारे में सोच रही थी कि उसके पापा कितने अच्छे हैं उसका कितना ख्याल रखते हैं जो मांगती है वह उसको ला कर देते हैं फिर उसके पापा उधर से आ गए और उन्होंने कहा ए लो बेटा तुम्हारा सामान तो रितिका ने खुश होते हुए पूछा कि मिल गया इतना सुबह दुकान खुला हुआ था तो उसके पापा ने कहा अरे दुकान खुला नहीं था तो क्या हुआ मैं दुकान खुलवा कर लेके आयाहूँ तो रितिक ने कहा थैंक यू पापा आपने मेरे लिए इतना तकलीफ उठाया तो शेखर जी ने कहा इसमें में थैंक्यू की क्या बात है अपनी बेटी के लिए कुछ भी कर सकता हूं यह तो बहुत छोटी बात थी फिर उन्होंने कहा जा और जल्दी से चेंज कर लो फिर वह पैड चेंज करने के लिए बाथरुम में चली गई फिर उसने देखा कि थैली में दो सफेद रंग की पैटीं भी थी मन ही मन बोलने लगी कि पापा सफेद कलर की पैटीं क्यों लेकर आए आए हैं इसमें जरा सभी दाग लगेगा खराब हो जाएगी फिर वह सोचने लगी कि शायद दूसरा कलर का नहीं मिला होगा इसलिए सफेद कलर के ले आए फिर उसे याद आया कि मैं तो पापा को अपनी पैंटी की साइज तो बताइ ही नहीं थी तो कैसे लेकर आए कहीं बड़ी साइज की तो लेकर नहीं आ गए फिर उसने पहन कर देखी तो साइज बिल्कुल सही था फिर वह सोचने लगे कि पापा को मेरे साइज कैसे पता मैंने तुमको कभी बताया नहीं तो फिर यह कैसे हो सकता है अब मैं उनको पूछ तो नहीं सकती फिर वह बाथरुम से बाहर आई तो उसके पापा बाहर कुर्सी पर बैठे हुए थे तो उसने अपने पापा से कहा पापा आप जाइए नहा लीजिए तो उसके पापा ने कहा हां आ रहा हूं बेटा खाना बन गय क्या तो रितिका ने कहा हां आप नहा लीजिए तब तक बन जाएगा फिर शेखर जी ने कहा ठीक है मैं जा रहा हूं फिर वह बाथरूम में घुस गए नहाने के लिए तो उन्होंने देखा कि उनकी बेटी की पीरियड के कपड़े जो खून से भीगा हुआ था और उसकी पैंटी सब वहीं पड़ा हुआ था तो उसकी पैंटी को उठाकर देखा और मन ही मन सोचा कि अब मेरी बेटी जवान हो चुकी है और यह सोचते ही शेखर जी का हथियार खड़ा होने लगा और यह सब सोचते ही अपने कपड़े खोलकर नहाने लगे और जैसे ही साबुन अपने हथियार में लगाने लगे उनका हथियार पूरा तन कर खड़ा हो चुका था जिसकी साइज करीब 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा होगा वह एकदम पूरी तरह से फुफकार रहा था बील में घुसने के लिए अभी तो चुत मिलेगा नहीं घुसाने के लिए फिर किसी तरह उसको शांत करके नहा कर फिर बाहर आ गए।
आगे की कहानी अगले भाग में।
Nice update and awesome writing skills
 
Newbie
20
23
5
भाग 9
जैसे ही मैं बाथरुम से नहा कर निकाला तो मेरी बेटी बेडरूम में बैठी हुई थी।

तो मैंने कहा बेटा तू भी नहा ले'।



रितिका पापा मैं आज नहीं नहा सकती।

तो मैंने पूछा क्यों तो उसने अपनी नज़रें नीचे करके बोली मेरे ब्लड निकल रहे हैं इसलिए मैं अभी नहीं नहा सकती।

तो मैंने कहा कि मैं भी कितना बेवकूफ मुझे इतना भी समझ में नहीं आया कि तुम्हारी पीरियड चालू है तो तू कैसे नहा सकती है।


फिर मैने पूछा खाना रेडी है तो उसने कहा जी हां खाना तैयार है आप बैठी है मैं अभी लेकर आता हूं।

फिर हम दोनों टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे एक तरफ वो बैठी थी एकतफ मै बैठा था।


फिर मैं उसको छेड़ने के इरादे से बोल साइज ठीक था ।

तो वह मेरी तरफ देखते हुए बोली किसका साइज।



मैं अपनी नज़रें नीचे किए हुए बोला उसी का जो मैंने तुमको आज लाकर दिया।

तो रितिका समझ गई कि पापा किस चीज के बारे में पूछ रहे हैं
पापा पैटीं के बारे में पूछ रहे हैं की फिटिंग सही हुआ कि नहीं।

अच्छा तो पैंटी का नाम लेने में शर्मा रहे हैं मैं भी उनकी शर्माहट का फायदा उठा लेती हूँ।

देखती हूं कब तक वो पैंटी का नाम नहीं लेते।

आप किसकी साइज के बारे में पूछ रहे हैं मैं समझी नहीं।

अरे उसी के बारे में पूछ रहा हूं जो आज सुबह मैं ला कर दिया है।

ओ हो पैड के बारे में पूछ रहे हैं।

और उसके साथ में क्या लाकर दिया था।

पैंटी
हां उसी के बारे में पूछ रहा हूं।

तो सीधे नाम लेकर नहीं पूछ सकते थे।

अरे बोल तो रहा हूं कि आज सुबह जो लाकर दिया उसका साइज ठीक है कि नहीं तो तुम कर रही हो किसका किसका।


मुस्कुराते हुए मुझे क्या पता था कि आप उसी के बारे में पूछ रहे हैं

अच्छा अपने बाप से चालाकी तुम्हें नहीं पता था कि मैंने आज तुमको क्या ला कर दिया है।

ओ तो पता है।

फिर पता है तो बता दे की फिटिंग कैसी है।
 
Last edited:
Will Change With Time
Senior Moderator
14,480
18,595
143
भाग 9
जैसे ही मैं बाथरुम से नहा कर निकाला तो मेरी बेटी बेडरूम में बैठी हुई थी।
तो मैंने कहा बेटा जा तू भी नहा ले
तुम मेरी बेटी ने कहा पापा मैं आज नहीं नहा सकती
तो मैंने पूछा क्यों तो उसने अपनी नज़रें नीचे करके बोली मेरे ब्लड निकल रहे हैं इसलिए मैं अभी नहीं नहा सकती।
तो मैंने कहा कि मैं भी कितना बेवकूफ मुझे इतना भी समझ में नहीं आया कि तुम्हारी पीरियड चालू है तो तू कैसे नहा सकती है

फिर मैं बेटी से पूछा कि खाना रेडी है तो उसने कहा जी हां खाना तैयार है आप बैठी है मैं अभी लेकर आता हूं
फिर हम दोनों टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे एक तरफ वो बैठी थी एकतफ मै बैठा था
फिर मैं उसको छेड़ने के इरादे से बोल साइज ठीक था तो वह मेरी तरफ देखते हुए पुछी किस चीज का तो मैं अपनी नज़रें नीचे किए हुए बोला उसी चीज का जो मैंने तुमको आज लाकर दिया
तो रितिका समझ गई कि पापा किस चीज के बारे में पूछ रहे हैं
पापा पैटीं के बारे में पूछ रहे हैं की फिटिंग सही हुआ कि नहीं
Nice update and awesome writing skills
 

Top